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चौमहल्ला पैलेस हैदराबाद | Chowmahalla Palace Hyderabad

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Chowmahalla Palace – चौमहल्ला पैलेस हैदराबाद राज्य के निज़ाम का ही एक महल है। यह पैलेस हैदराबाद शहर के चारमिनार के पास बना हुआ है। यह आसफ साम्राज्य की गद्दी और हैदराबाद के निज़ाम का अधिकारिक घर हुआ करता था। बाद में यह महल निज़ाम के उत्तराधिकारी बरकत अली खान मुकर्रम जाह की प्रॉपर्टी बना रहा।

chowmahalla palace

चौमहल्ला पैलेस हैदराबाद – Chowmahalla Palace Hyderabad

उर्दू, हिंदी में चार (चौ) का अर्थ 4 होता है और पर्शियन में भी चहर का अर्थ चार होता है और उर्दू एवं हिंदी में भी महल का अर्थ पैलेस से होता है, इसीलिए इसका नाम चौमहल्ला रखा गया। निज़ाम के प्रवेश और गवर्नर जनरल के रिसेप्शन से लेकर सभी औपचारिक समारोह का आयोजन यही किया जाता है।

यूनेस्को का सांस्कृतिक विरासत संरक्षण का एशिया पेसिफिक मेरी अवार्ड भी 15 मार्च 2010 को चौमहल्ला पैलेस को ही दिया गया। यूनेस्को के प्रतिनिधि ताकाहिको माकिनो ने अधिकारिक रूप से पट्टिका और प्रमाण पंटर रानी इसरा को दे दिया था, जो सुल्तान की भूतपूर्व पत्नी और प्रिंस मुकर्रम जाह बहादुर की GPA धारक भी थी।

चौमहल्ला पैलेस का इतिहास – Chowmahalla Palace History:

जब सलाबत जंग ने 1750 में इसके निर्माणकार्य की शुरुवात की तो इसका निर्माणकार्य अफज़ल अद-दव्लाह, आसफ जाह के समय में 1857 से 1869 के बीच पूरा हुआ।

अपने आकार और लालित्य के लिए यह एक अद्वितीय पैलेस है। इस महल के निर्माणकार्य की शुरुवात 18 वी शताब्दी में हुई और कयी वर्षो बाद यह जाके एक विशेष और अद्वितीय आकार में बनकर पूरा हुआ। पैलेस में 2 विशाल आँगन के साथ एक दरबार हॉल, फाउंटेन और बाग़-बगीचे भी है। वास्तव में यह महल 45 एकर (1,80,000 मीटर वर्ग) में बना हुआ है, लेकिन सिर्फ 12 एकर (49,000 मीटर वर्ग) ही आज बचा हुआ है।

उत्तरी आँगन:

महल के इस भाग में बारा इमाम नामक कमरों का एक लंबा कॉरिडोर है, जिसका मुख पर्व की तरफ बने सेंट्रल फाउंटेन और पूल की तरफ है।

पैलेस में मुघल डोम और मेहराब और बहुत से पर्शियन तत्व जैसे दरबार हॉल (खिलाफत मुबारक) में किया गया अलंकृत प्लास्टर। उस समय हैदराबाद में बनी इस बिल्डिंग की यही विशेषता थी।
बारा (बड़ा) इमाम की विपरीत दिशा में शीशे से बनी एक बिल्डिंग भी है। किसी समय इस कमरे का उपयोग महेमान गृह के रूप में किया जाता था।

दक्षिणी आँगन:

यह महल का प्राचीनतम भाग है और यहाँ अफज़ल महल, महताब महल, तहनियत महल और आफताब महल नामक चार पैलेस है। इसका निर्माण नियोक्लासिक शैली में किया गया है।

घंटा घर (क्लॉक टावर) – Clock Tower:

चौमहल्ला पैलेस के मुख्य द्वार के उपर बनी घडी को खिलाफत घडी भी कहा जाता है। यह घडी लगभग 251 वर्षो से चल रही है। हर हफ्ते विशेष मैकेनिक घडी की देखरेख करते है।

खिलाफत मुबारक:

यह चौमहल्ला पैलेस का दिल है। हैदराबाद के लोग इसका काफी सम्मान करते है, क्योकि यही आसफ जाही साम्राज्य की गद्दी हुआ करती थी। विशाल पिल्लरो से अलंकृत यह दरबार हॉल शुद्ध मार्बल से बना हुआ है, जिसपर शाही गद्दी तख़्त-ए-निशान का भी निर्माण किया गया है। यही निज़ाम अपने दरबार, समारोह और दूसरी धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करते थे। महल के 19 शानदार झुमारो को कुछ ही समय पहले शाही हॉल में पुनः स्थापित किया गया।

रोशन बंगला:

माना जाता है की छठा निज़ाम यही रहता था और इस बिल्डिंग का नाम उनकी अम्मी रोशन बेगम के नाम पर रखा गया।

कौंसिल हॉल:

बिल्डिंग में विविध हस्तलिपि और बेशकीमती किताबो का दुर्लभ संग्रह है। निज़ाम अक्सर अपने महत्वपूर्ण अधिकारियो और विशेष महेमानो से यहाँ मिलते थे। वर्तमान में यह हॉल अस्थायी प्रदर्शनी का स्थान है।

वर्तमान निज़ाम (बरकत अली खान मुकर्रम जाह) और उनके परिवार ने चौमहल्ला पैलेस – Chaumala Palace को बहाल कर जनवरी 2005 में सार्वजानिक जनता के लिए खुला रखने का निर्णय ले लिया था। महल को पहले आँगन से पूर्व गौरव में बहाल करने के लिए तक़रीबन 5 साल का समय लग गया था।

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चोट्टानिक्करा देवी मंदिर | Chottanikkara Temple

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Chottanikkara Temple – चोट्टानिक्करा देवी मंदिर देवी शक्तिदेवी उर्फ़ राजराजेश्वरी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे श्री भगवती के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है की यहाँ देवी महालक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ रह रही थी। यह मंदिर भारत के दक्षिणी राज्य केरला के कोच्ची में चोट्टानिक्करा में स्थित है और साथ ही आर्किटेक्चर के मामले में यह राज्य के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। माना जाता है की चोट्टानिक्करा मंदिर 1500 साल पुराना है।

Chottanikkara Temple

चोट्टानिक्करा देवी मंदिर – Chottanikkara Temple

यहाँ पर भगवान की लकड़ी की मूर्ति बनी हुई है और मंदिर के आस-पास एक सबरीमाला मंदिर भी है। श्री महामाया भगवती (आदिपारशक्ति) शक्तियों की देवी और साथ ही केरला की सबसे प्रसिद्ध देवियों में से एक और हिन्दुओ की सर्वोच्च माता देवियों में से एक है।

किंवदंति:

किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण घने जंगलो में कन्नाप्पन नामक वन निवासी ने किया था। कन्नाप्पन अपनी बेटी को चाहने वाले पिता थे। हर दिन वे देवी भगवती को एक जानवर की बलि चढाते थे और एक दिन किसी अवसर पर उन्हें वध करने के लिए कोई जानवर नही मिला था। इसी वजह से उन्होंने अपनी बेटी से उसके पालतू बछड़े की बलि देने के बारे में पूछा लेकिन उनकी बेटी ने मूक जानवरों की बलि चढाने की बजाए खुद बलि चढ़ जाने को ज्यादा महत्त्व दिया।

इसके बाद बछड़े ने अपना असल रूप धारण कर कन्नाप्पन से कहा की वह जानवर का रूप धारण की हुई देवी है। इसके बाद कन्नाप्पन ने अपना मन बदलकर देवी की पूजा करना शुरू कर दिया और उसी जगह पर वह देवी की पूजा करने लगे जहाँ वे पहले बलि दिया करते थे। लेकिन कुछ समय बाद यह मंदिर अप्रचलित हो गया और फिर बाद में कई सालो बाद बाग़ काटने वाले ने इस मंदिर की खोज की।

चोट्टानिक्करा – Chottanikkara देवी की पूजा मंदिर में विविध रूपों में की जाती है, जैसे की सुबह उन्हें महासरस्वती (ज्ञान की देवी), दोपहर में उन्हें महा लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) और शाम में श्री दुर्गा (ताकत की देवी) में रूप में उन्हें पूजा जाता है। साथ ही मंदिर में सर्वोच्च देवता भगवान शिव, गणेश और भगवान धर्मसस्थान (अय्यप्पा) की भी पूजा की जाती है।

मानसिक बीमारियों से जूझने वाले लोग अक्सर इस मंदिर के दर्शन के लिए आते है। माना जाता है की चोट्टानिक्करादेवी उनके दुःखो का निवारण करती है। चोट्टानिक्करा के कीज्ह्क्कावु मंदिर में मनाई जाने वाली गुरुथी पूजा के दर्शन का मौका हमें कभी नही छोड़ना चाहिए।

कहा जाता है की देवी कीज्ह्क्कावु देवी माँ भद्राकाली का ही एक रूप है। देवी महाकाली को आव्हान देने के उद्देश्य से देर शाम यहाँ गुरुथीपूजा का आयोजन किया जाता है। कुछ साल पहले गुरुथीपूजा का आयोजन केवल शुक्रवार के दिन ही किया जाता था। लेकिन वर्तमान में हर दिन इस पूजा का आयोजन किया जाता है।

कोल्लूर (उडिपी जिला, कर्नाटक) के इस मंदिर की संरक्षक देवी मूकाम्बिका है और कहा जाता है की हर सुबह जब मंदिर खोला जाता है तब देवी वहाँ उपस्थित रहती है। लाल रंग से रंगी देवी भगवती की मूर्ति को स्वयंभू भी कहा जाता है। इसका आकार हमेशा बदलता रहता है लेकिन मंदिर के पुजारी मूर्ति को रोज अलंकृत गहनों और रंगीन साडियों से सजाते है। हिन्दू धर्म के बहुत से धर्मगुरु जैसे आदिशंकर ने भी यहाँ देवी की पूजा की है। कहा जाता है की ज्ञान की देवी माँ सरस्वती ने यहाँ अदिशंकर को वचन दिया था की हर सुबह वह अपने भक्तो की मनोकामनाओ को पूरा करेंगी। विल्वामंगलम स्वामियर नामक एक और संत ने यहाँ भद्रा काली के मूर्ति की खोज की थी।

मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सव:

  • मंदिर का मुख्य उत्सव (मकोम थोज़ल) – फरवरी-मार्च
  • विशु – अप्रैल माह के बीच में
  • ओणम – अगस्त माह के अंत में
  • नवरात्री – अक्टूबर

मकोम थोज़ल 7 दिनों तक चलने वाला एक उत्सव है। इस विशाल उत्सव में देवी को विशेष वस्त्र पहनाये जाते है और साथ ही विशाल पूजा का भी आयोजन किया जाता है। इस समय मंदिर में सार्वजनिक विवाह का भी आयोजन किया जाता है।

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अत्तुकल भगवती मंदिर, केरला | Attukal Temple Kerala

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Attukal Temple – अत्तुकल भगवती मंदिर एक धार्मिक हिन्दू मंदिर है जो भारत के केरला राज्य के त्रिवेंद्रम के अत्तुकल में बना हुआ है। वेथला के उपर सवार देवी भद्रकाली (कन्नकी) ही इस मंदिर की मुख्य देवता है। महाकाली का रूप भद्राकाली जिसने असुर राजा दारुका की हत्या की थी, माना जाता है की उनका जन्म भगवान शिव की तीसरी आँख से हुआ था।

Attukal temple

अत्तुकल भगवती मंदिर, केरला – Attukal Temple Kerala

“भद्रा” का अर्थ अच्छा और “काली” का अर्थ समय की देवी से होता है। इसीलिए देवी भद्राकाली को समृद्धि और उद्धार की देवी कहा जाता है। देवी “अत्तुकालदेवी” (भद्राकाली देवी) स्वयं शक्ति और हिम्मत की सर्वोच्च देवी है।

कन्नकी की कहानी:

मंदिर से जुडी हुई बहुत सी पौराणिक कथाये भी हमें सुनने मिलती है। अत्तुकल भगवती चिलाप्पतिकारम की प्रसिद्ध अभिनेत्री कन्नकी का ही एक दिव्य रूप थी। प्राचीन शहर मदुराई के विनाश के बाद कन्नकी ने भी शहर छोड़ दिया और कन्याकुमारी से होते हुए केरला पहुची और कोंदुनगल्लोर जाते समय रास्ते में ही उन्होंने अत्तुकल में डेरा डाल दिया। मंदिर में वार्षिक उत्सव के समय जो भजन गाए जाते है वे कन्नकी की कहानी पर ही आधारित होते है। साथ ही गोपुरम मंदिर में देवी कन्नकी के स्थापत्य चित्रण में भी हमें इस पौराणिक कथा का उल्लेख दिखाई देता है।

कन्नकी को पार्वती का रूप माना जाता है, जो परम शिव की पत्नी थी। स्थानिक लोगो के अनुसार देवी अपने बच्चो की तरह ही उनकी सेवा करती है। दूर-दूर से हजारो श्रद्धालु मंदिर में देवी के दर्शन के लिए आते है। भक्तो का मानना है की उनकी सभी मनोकामनाओ को देवी पूरा करती है और उन्हें सुख, समृद्धि भी प्रदान करती है। अत्तुकल देवी की पूजा तीन रूपों में की जाती है, जैसे की महा सरस्वती (ज्ञान की देवी), महा लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) और महाकाली/दुर्गा/पार्वती (शक्ति की देवी)।

पोंगल उत्सव – Pongal Festival

अत्तुकल पोंगल मंदिर में मनाया जाने वाला मुख्य उत्सव है। जिसमे तक़रीबन 3 मिलियन से भी ज्यादा महिलाओ ने भाग लेती है। एक उत्सव में सर्वाधिक महिलाओ का समावेश होने की वजह से इस उत्सव को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है और इसी वजह से हर साल उत्सव के समय यहाँ आने वाली महिलाओ की संख्या बढती जा रही है।

अत्तुकल पोंगल महोत्सव 10 दिनों तक मनाया जाने वाला एक महोत्सव है जो हर साल फरवरी-मार्च (मलयालम माह – कुम्भं) में मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुवात कार्तिक में होती है और इस दिन देवी की मूर्ति को कप्पू (चूड़ियाँ) के साथ स्थापित किया जाता है। उत्सव के 9 वे दिन मनाया जाने वाला “पूरम दिवस” भक्तो के आकर्षण का मुख्य कारण है। अत्तुकल पोंगल दिवस और उत्सव की दसवे दिन समाप्ति की जाती है।

हर साल कुम्भं माह में लाखो महिलाये यहाँ एकत्रित होती है और छोटे पॉट में पोंगल (गुड-चावल, घी, नारियल और दूसरी सामग्री) बनाकर देवी कन्नकी को खुश करने की कोशिश करते है। पोंगल भगवान को चढ़ाया जाने वाला धार्मिक प्रसाद (नैवेद्य) होता है। कहा जाता है की मंदिर की देवी अत्तुकल देवी अपने भक्तो की मनोकामनाओ को पूरा करती है।

मंदिर में मनाए जाने वाले दुसरे उत्सव:

  • विनायक चतुर्थी – भगवान गणपति की पूजा
  • मंडला व्रथम – सबरीमाला के वार्षिक उत्सव से ही जुड़ा हुआ एक पर्व
  • पूजा वाय्पू – दशहरा उत्सव के समान मनाया जाने वाला उत्सव (सरस्वती पूजा और विद्यारम्भं)
  • कार्तिका – कार्तिक दीपा
  • शिवरात्रि – शिव पूजा
  • अयिल्य पूजा – दूध, फुल इत्यादि सर्प देवता को चढ़ाए जाते है
  • ऐश्वर्या पूजा – पूर्णिमा की रात मनाया जाता है
  • अखंडनाम जप – हर माह के चौथे रविवार को मनाया जाने वाला उत्सव
  • अखंडनाम पुथरियुम (रामायण प्राणायाम) – कर्कदकम के माह में मनाया जाने वाला उत्सव

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तमिलनाडु पर्यटन स्थल की जानकारी | Tourist places in Tamilnadu

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Tourist places in Tamilnadu

तमिलनाडु 2014 में भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा VISIT किया गया पर्यटन स्थल है। तमिलनाडु में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प महत्व के स्थान हैं। तमिलनाडु में पर्यटन को राज्य सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है।

Tourist places in Tamilnadu

तमिलनाडु पर्यटन | Tourist places in Tamilnadu

TTDC राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देता है। तमिलनाडु की राजधानी- चेन्नई- “द न्यू यॉर्क टाइम्स” द्वारा “”52 places to go around the world” में सूचीबद्ध भारत में एकमात्र स्थान है। चेन्नई में मरीना समुद्र तट दुनिया का दूसरा सबसे लंबा समुद्र तट है और चेन्नई में कई ऐतिहासिक मंदिर है। चेन्नई को दक्षिण भारत के गेटवे के रूप में भी जाना जाता है।

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बिहार के दर्शनीय स्थल | Bihar tourism places

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Bihar tourism – बिहार 3000 साल के इतिहास के साथ दुनिया का सबसे पुराना स्थायी स्थान है। बिहार की विरासत और समृद्ध संस्कृति पूर्व भारत के सभी राज्यों में बिखरे हुए असंख्य प्राचीन स्मारकों से स्पष्ट होती है।

Bihar tourism

बिहार की समृद्ध संस्कृति | Bihar tourism places

यह ग्रेट अशोक, महावीर, आर्यभट्ट, गुरु गोबिंद सिंह, चंद्रगुप्त मौर्य, वात्स्यायाना, चाणक्य, शेर शाह सूरी, मा तारा चंडी मंदिर, और कई अन्य महापुरुषों और महान ऐतिहासिक निर्माणों की जगह है।

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महाराष्ट्र पर्यटन स्थलों की जानकारी | Maharashtra tourism places

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Maharashtra tourism – महाराष्ट्र विदेशी पर्यटकों द्वारा भारत में सबसे अधिक देखा जाने वाला एक राज्य है। 2014 में 4.3 मिलियन से अधिक विदेशी पर्यटकों ने यहा आधिकारिक यात्रा की है। महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में लोकप्रिय और श्रद्धेय धार्मिक स्थान है। औरंगाबाद महाराष्ट्र की पर्यटन राजधानी है।

Maharashtra tourism

महाराष्ट्र पर्यटन की जानकारी | Maharashtra tourism

अजंता गुफाएं, एलीफेंटा गुफाएंएलोरा गुफाएं, और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस महाराष्ट्र में चार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों और राज्य में पर्यटन के विकास के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

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दिल्ली के दर्शनीय स्थल और जानकारी | Delhi tourism places

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Delhi tourism places

दिल्ली भारत का राजधानी केंद्र शासित प्रदेश है। पुरानी और नई, प्राचीन और आधुनिक दिल्ली का एक अच्छा मिश्रण संस्कृति और धर्मों  से अपनी विविधता में एकता दर्शाती। पुरानी दिल्ली भारत के कई शासकों की राजधानी है, जो कि इतिहास में प्रचिलित है। दूसरी ओर, नई दिल्ली, एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किए एक आधुनिक शहर है। यहा विभिन्न शासकों ने अपने ट्रेडमार्क वास्तुकला शैली छोड़ दी है।

Delhi tourism places

दिल्ली के दर्शनीय स्थल | Delhi tourism places

दिल्ली में वर्तमान में कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों जैसे कुतुब मीनार, पुराना किला, लोदी गार्डन, जामा मस्जिद, तुगलाकाबाद किला, हुमायूं की मकबरा, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, लाल मंदिर लक्ष्मीनारायण मंदिर, लोटस मंदिर और अक्षरधाम मंदिर शामिल हैं।

नई दिल्ली अपने ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुकला, चौड़ी सड़कों, और वृक्षों के लिखित boulevards के लिए प्रसिद्ध है।

दिल्ली कई राजनीतिक स्थलों, राष्ट्रीय संग्रहालयों, इस्लामी तीर्थस्थलों, हिंदू मंदिरों, हरी उद्यानों और ट्रेंडी मॉल का घर है।

दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थल

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राजस्थान के दर्शनीय स्थल | Rajasthan tourism

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राजस्थान का शाब्दिक अर्थ “राजाओं की भूमि”, पश्चिमी भारत में सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। थार रेगिस्तान के विशाल रेत टिब्बे हर साल दुनियाभर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

Rajasthan Tourism

राजस्थान के दर्शनीय स्थल | Rajasthan tourism

राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने समृद्ध इतिहास और शाही वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। जोधपुर – किले, थार रेगिस्तान के किनारे पर अपने नीले घरों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। और उदयपुर – भारत के “वेनिस” के रूप में जाना जाता है।

वैसे ही जैसलमेर – इसके स्वर्णिम जैसलमेर किले के लिए प्रसिद्ध, इसके शानदार महलों (हवेली), झील, जीवाश्म पार्क, रेगिस्तानी रेत टिब्बा सफारी-शिविर, रेगिस्तान राष्ट्रीय उद्यान, जैन मंदिर। शहर को गोल्डन सिटी के रूप में जाना जाता है।

और अधिक राजस्तान के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल: Rajasthan tourism places

  • चित्तौड़गढ़ – चित्तौड़गढ़ किला, विजय स्तम्भ, कालिकमा मंदिर मंदिर, किर्ती स्तम्भ, राणा कुंभा का महल, रानी पद्मिनी का महल और भगवान कृष्ण, मीरा (मीरा मंदिर) के प्रसिद्ध है।
  • बाड़मेर – बाड़मेर और आस-पास के इलाके ठेठ राजस्थानी गांवों की एकदम सही तस्वीर पेश करते हैं।
  • माउंट आबू – एक लोकप्रिय हिल स्टेशन, राजस्थान की अरवलीली रेंज में सबसे ऊंचा शिखर है, गुरु शिखर यहां स्थित है। माउंट आबू दिलवाड़ा मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।
  • अजमेर – पवित्र शहर, सूफी सैखेलंत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के मस्जिद के लिए लोकप्रिय है।
  • सवाई माधोपुर – रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान और ऐतिहासिक रणथबोर किला के लिए प्रसिद्ध है।
  • रणकपुर – बड़े जैन मंदिर परिसर के साथ लगभग 1444 स्तंभ और उत्कृष्ट संगमरमर नक्काशी के साथ बना समूह है।
  • पुष्कर – यह दुनिया का सबसे पहला ब्रह्मा का मंदिर है।
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • शेखावाती – पारंपरिक हवेली के लिए प्रसिद्ध है।
  • बीकानेर – एक व्यापार मार्ग चौकी के रूप में अपने मध्ययुगीन इतिहास के लिए प्रसिद्ध।

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हिमाचल प्रदेश दर्शनीय स्थल | Himachal pradesh tourism

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Himachal Pradesh tourism

हिमाचल प्रदेश अपने हिमालय परिदृश्य और लोकप्रिय पहाड़ी-स्टेशनों के लिए प्रसिद्ध है। हिमाचल प्रदेश में चट्टान चढ़ाई, पहाड़ बाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, बर्फ-स्केटिंग और हैली स्कीइंग जैसे कई बाहरी गतिविधियां लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं।
Himachal pradesh tourism

हिमाचल प्रदेश दर्शनीय स्थल | Himachal pradesh tourism

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। कालका-शिमला रेलवे एक माउंटेन रेलवे है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। शिमला भारत में एक प्रसिद्ध स्कीइंग आकर्षण है।

अन्य लोकप्रिय हिल स्टेशनों में मनाली और कसौली शामिल हैं दलाई लामा का घर धर्मशाला, तिब्बती मठों और बौद्ध मंदिरों के लिए जाना जाता है। कई ट्रेकिंग अभियान भी यहां शुरू होते हैं। शिमला में एक बड़ी और खुली सड़क है जो शिमला की सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए केंद्र है।

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धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज | Sambhaji Maharaj History

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Sambhaji Maharaj – संभाजी भोसले मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी पहली पत्नी सईबाई के बड़े बेटे थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद वे उनके राज्य के वारिस थे। संभाजी राजे का साम्राज्य ज्यादातर हमें मुघलो और मराठाओ के युद्ध के बिच ही दिखाई देता है, बचपन से ही वे मुघल साम्राज्य के विरुद्ध थे। उनका साम्राज्य मुग़ल, सिध्दि, मैसूर और पुर्तगाल के बिच फैला था।

Sambhaji Maharaj

संभाजी महाराज का इतिहास | Sambhaji Maharaj History

संभाजी महाराज का जन्म शिवाजी पुरंदर किले पर हुआ था। जब संभाजी 2 साल के थे तभी उनकी माता का देहांत हो गया था। और उनकी दादी जीजाबाई ने उनका पालनपोषण किया। 9 साल की आयु में ही संभाजी राजे को अम्बेर के राजा जय सिंह के साथ रहने के लिये भेजा गया, ताकि वे मुघलो द्वारा 11 जून 1665 की धोखेबाजी को जान सके और उनके राजनैतिक दावों को समझ सके।

संभाजी महाराज ने राजनैतिक समझौते के चलते जीवूबाई से विवाह कर लिया और मराठा रीती रिवाजो के अनुसार उन्होंने उनका नाम येसुबाई रखा।

सम्भाजी राजे अपनी शौर्यता के लिये काफी प्रसिद्ध थे। सम्भाजी राजे ने अपने कम समय के मराठा साम्राज्य के शासन काल मे १२० युद्ध किये और इसमे एक प्रमुख बात ये थी कि उनकी सेना एक भी युद्ध मे पराभूत नहीं हुई। इस तरह का पराक्रम करने वाले वह शायद एकमात्र योद्धा होंगे।

उनके पराक्रम की वजह से परेशान हो कर दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने कसम खायी थी के जब तक छत्रपती संभाजी पकडे नहीं जायेंगे, वो अपना ताज सरपर नहीं पहनेंगे। मुघलो ने उन्हें कैद करने के कई असफल प्रयास भी किये। कहा जाता है की कैदी बनने के बाद खुद औरंगजेब ने भी वीर मराठा योद्धा संभाजी की प्रशंसा की थी।

Powada (Sambhuji) Sambhaji Maharaj

देश धरम पर मिटने वाला। शेर शिवा का छावा था ।।
महापराक्रमी परम प्रतापी। एक ही शंभू राजा था ।।
तेज:पुंज तेजस्वी आँखें। निकलगयीं पर झुकी नहीं ।।
दृष्टि गयी पर राष्ट्रोन्नति का। दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं ।।
दोनो पैर कटे शंभू के। ध्येय मार्ग से हटा नहीं ।।
हाथ कटे तो क्या हुआ?। सत्कर्म कभी छुटा नहीं ।।
जिव्हा कटी, खून बहाया। धरम का सौदा किया नहीं ।।
शिवाजी का बेटा था वह। गलत राह पर चला नहीं ।।
वर्ष तीन सौ बीत गये अब। शंभू के बलिदान को ।।
कौन जीता, कौन हारा। पूछ लो संसार को ।।
कोटि कोटि कंठो में तेरा। आज जयजयकार है ।।
अमर शंभू तू अमर हो गया। तेरी जयजयकार है ।।
मातृभूमि के चरण कमलपर। जीवन पुष्प चढाया था ।।
है दुजा दुनिया में कोई। जैसा शंभू राजा था? ।।

                                        ~ शाहीर योगेश

“छत्रपती संभाजी महाराज की जय “

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“भारत का दिल”मध्य प्रदेश | Madhya Pradesh tourism

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Madhya Pradesh tourism

मध्य प्रदेश को “भारत का दिल” देश के केंद्र में अपने स्थान के कारण कहा जाता है। यह हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म की सांस्कृतिक विरासत का घर रहा है। राज्य के अनगिनत स्मारक, उत्कृष्ट रूप से नक्काशीदार मंदिरों, स्तूप, किलों और महलों के वजह से इसे एक ऐतिहासिक भूमि भी कह सकते हैं।

Madhya Pradesh tourism

Madhya Pradesh tourism | “भारत का दिल” मध्य प्रदेश

ग्वालियर अपने किले, जय विलास पैलेस, राणी लक्ष्मीबाई के मकबरे, मोहम्मद घोस और तानसेन के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो के मंदिर उनके कामोत्तेजक मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। प्रसिद्ध राष्ट्रीय पार्क जैसे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़, माधव राष्ट्रीय उद्यान, शिवपुरी, पेंच मध्य प्रदेश में स्थित हैं।

बाघ की आबादी के कारण मध्य प्रदेश को टाइगर राज्य भी कहा जाता है।

शानदार पहाड़ी पर्वतमाला, नदियां और घने जंगलों के मील और मील की दूरी पर स्थित सिल्वन परिवेश में वन्य जीवन के एक अद्वितीय और रोमांचक चित्रमाला की पेशकश होती है।

मध्यप्रदेश नर्मदा नदी के लिए बहुत ज्यादा जाना जाता है, यह सबसे पुरानी और पवित्र नदी है और यह हिंदू धर्म में नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है। यह हिंदुओं के लिए तीर्थस्थल केंद्र है। एक और महान पर्यटन स्थल जबलपुर में भेदघाट धरती है। यह जगह विभिन्न रंगों के संगमरमर से घिरी हुई है।

आकर्षण के स्थान,

  • ग्वालियरसीटी में ग्वालियर किला
  • जबलपुर शहर के पास संगमरमर की चट्टान
  • स्मारकों के खजुराहो समूह
  • साँची का स्तूप
  • ओरछा पैलेस
  • भीमबेटका के रॉक आश्रयों, एक यूनेस्कोवार्ड हेरिटेज साइट
  • अमरकंटक के प्राचीन मंदिर
  • बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बाघ की आबादी का सबसे ज्यादा ज्ञात घनत्व है।

और भी कुछ मध्य प्रदेश के दर्शनीय स्थल

  1. विरासत – भंबेटका रॉक आश्रय गुफाएं, ओरछा, खजुराहो मंदिर समूह।
  2. वन्यजीव – बांधवगढ़ नेशनल पार्क, कान्हा नेशनल पार्क, पेंच बाघ रिजर्व।
  3. जल निकायों – झीलों / बांध – भोजटल “ऊपरी झील-भोपाल”, गांधी सागर बांध, इंदिरासागर बांध, पिपियलपाल, तवा जलाशय, भेदाघाट।
  4. पूजा – ओमकारेश्वर, उज्जैन, महेश्वर, सांची, मैहर।

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Places to visit in Pondicherry |पांडिचेरी के दर्शनीय स्थल

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Pondicherry tourism

केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में चार तटीय क्षेत्रों अर्थात पांडिचेरी, कराईकल, माहे और यानम पांडिचेरी इस संघ राज्य की राजधानी है और दक्षिण भारत में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

Pondicherry tourism

Places to visit in Pondicherry tourism | पांडिचेरी के दर्शनीय स्थल

पॉन्डिचेरी को नेशनल ज्योग्राफिक के रूप में “उपमहाद्वीपीय प्रवास का एक चमकदार उजागर” बताया गया है। शहर में कई औपनिवेशिक इमारतों, चर्चों, मंदिरों और मूर्तियां हैं, जो कि व्यवस्थित शहर की योजना और अच्छी तरह से नियोजित फ्रांसीसी-शैली के अवसरों के साथ मिलती हैं।

पांडिचेरी के दर्शनीय स्थल की सूचि

अरविल्ले – Auroville

यह जगह पांडिचेरी शहर से 8 किमी की दूरी पर स्थित है और पांडिचेरी में जाने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। अरविल्ले शब्द का अर्थ है, डॉन का शहर। इस छोटे शहर की स्थापना 1968 में श्री अरबिंदो और मीरा अलफासा द्वारा की गई थी। यह शहर प्रसिद्ध फ्रांसीसी आर्किटेक्ट रोजर क्रैगर की वास्तुकला था।

वरदराजा मंदिर  – Sri Varadaraja Perumal Temple

यह मंदिर पांडिचेरी के प्रसिद्ध आकर्षण में से एक पर्यटन स्थल है। यह पांडिचेरी में सबसे पुराना हिंदू मंदिर है। यह सुंदर मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला में निर्मित है और हिंदू देवताओं और देवी की मूर्तियां यहां देखी जाती हैं। मंदिर भगवान विष्णु, श्री वरदराजा पेरुमल के अवतार के प्रति समर्पित है।

अरबिंदो आश्रम – Sri Aurobindo Ashram

यह पांडिचेरी में जाने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। सर अरबिंदो आश्रम 1926 में सर अरबिंदो घोष द्वारा स्थापित है। पर्यटकों, साथ ही पूरे विश्व के भक्त आश्रम में आते हैं।

बॉटनिकल गार्डन – Botanical Garden

पांडिचेरी में बॉटनिकल गार्डन 1826 में स्थापित किया गया था और यह पांडिचेरी में फ्रांसीसी कॉलोनी के फ्रांसीसी प्रभाव का एक बढ़िया उदाहरण है। बगीचे का मुख्य आकर्षण गेट आश्चर्यजनक है और पांडिचेरी में जाने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है।

फ़्रेंच युद्ध स्मारक – French War Memorial

फ़्रेंच युद्ध स्मारक पांडिचेरी में जाने के लिए एक और बेहतरीन स्थान है, जिसे 1971 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने जीवन को खो देने वाले फ्रांसीसी सैनिकों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए बनाया गया था। 14 जुलाई को हर साल, सैनिकों को श्रद्धांजलि और सम्मान दिया जाता है।

पांडिचेरी संग्रहालय – Pondicherry museum

संग्रहालय में आप विभिन्न प्रकार की मूर्तियां और पुरातात्विक चीजों और पांडिचेरी में जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक देख सकते हैं। यहां पाया गया कांस्य का दुर्लभ पुतले चोल और पल्लव साम्राज्यों के हैं।

बेदाग गर्भाधान कैथेड्रल – Immaculate conception Cathedral

पांडिचेरी में जाने के लिए एक और बेहतरीन स्थान है, बेदाग गर्भाधान कैथेड्रल यह 300 वर्ष पुराना चर्च 1791 में बनाया गया था। यह पांडिचेरी और कुड्डालोर के आर्चिओसीज़ के लिए कैथेड्रल है।

ऊस्टर वाटरलैंड और राष्ट्रीय उद्यान – Ouster Wetland and national park

यह जगह पांडिचेरी से 10 किमी की दूरी पर स्थित है और पांडिचेरी में जाने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। इस आर्केलैंड और पार्क ने 3.9 वर्ग मीटर के क्षेत्र में कब्जा कर लिया है। ऊस्टर वाटरलैंड और राष्ट्रीय उद्यान में देखने के लिये बहुत कुछ हैं।

प्रोमेनाड बीच – Promenade beach

प्रोमेनाड बीच प्रसिद्ध पांडिचेरी पर्यटन स्थलों में से एक है और पांडिचेरी में मुख्य समुद्र तटों में से एक है। समुद्र तट की तरफ जाते समय आप जोन ऑफ आर्क, द हेरिटेज टाउन हॉल, ड्यूप्लेक्स प्रतिमा और महात्मा गांधी की मूर्ति जैसी कई जगहों और पुतली देख सकते हैं।

पांडिचेरी में बहुत से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। पांडिचेरी, फ्रेंच वास्तुकला, सुखद मौसम, सुंदर समुद्र तट और शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेने के लिए और परिवार के साथ जाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

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Meghalaya tourism Shillong tourist places –मेघालय के दशनिक स्थल

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Meghalaya tourism

मेघालय में देश के कुछ सबसे बड़े वन हैं। इसलिए, आज देश में सबसे महत्वपूर्ण इकोटोरिज़्म सर्किटों में से एक है। मेघालय उप-उष्णकटिबंधीय वन में कई प्रकार के वनस्पतिया और जीव पाए जाते है। मेघालय में 2 राष्ट्रीय उद्यानों और 3 वन्यजीव अभयारण्य हैं।

Meghalaya tourism

Meghalaya tourism Shillong tourist places – मेघालय के दशनिक स्थल

मेघालय, पर्वतारोहण, रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग और हाइकिंग, वाटर स्पोर्ट्स आदि के रूप में कई साहसिक पर्यटन अवसर प्रदान करता है। हिरण और भालू उमियाम झील के पास एक जल क्रीड़ा परिसर है, जिसमे रोबोबोट्स, पैडलबोट्स, सेलिंग नौकाओं, क्रूज-बोट्स, वॉटर स्कूटर और स्पीडबोट्स भी है।

चेरपुनजी भारत के पूर्वोत्तर में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह राजधानी शिलांग के दक्षिण में स्थित है।

राज्य में लोकप्रिय झरने हैं हाथी फॉल्स, शद्थम फॉल्स, वेनिया फॉल्स, बिशप फॉल्स, नोहलिकिकै फॉल्स, लांगशियंग फॉल्स और मीठे फॉल्स भी है। यह यात्रा करने के लिए एक बहुत अच्छी जगह है।

Best Time to Visit

मेघालय का मौसम ऊंचाई के साथ भिन्न होता है। खासी और जैन्तिया हिल्स का मौसम विशिष्ट सुखद है। यह न तो गर्मियों में बहुत गर्म है और न ही सर्दियों में बहुत ठंडा है, लेकिन गारो हिल्स के मैदानों पर, सर्दियों में छोड़कर मौसम गर्म और नम है। इसका नाम इसीलिए है क्योकि मेघालय का आकाश कभी-कभार ही बादलों से मुक्त रहता है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1,150 सेमी है। यह जगा किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं।

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Punjab tourism places to visit in Amritsar |पंजाब के दार्शनिक स्थल

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Punjab tourism

पंजाब राज्य इसकी भोजन, संस्कृति और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है पंजाब में एक विशाल सार्वजनिक परिवहन और संचार नेटवर्क है। पंजाब के कुछ प्रमुख शहरों अमृतसर, जालंधर, पटियाला, पठानकोट और लुधियाना हैं। पटियाला ऐतिहासिक किलों के लिए जाना जाता है। पंजाब में पर्यटन संस्कृति, प्राचीन सभ्यता, आध्यात्मिकता और महाकाव्य इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए सबसे उपयुक्त है।

Punjab tourism

Punjab tourism places to visit in Amritsar – पंजाब के दार्शनिक स्थल

पंजाब के कुछ गांवों को भी उस व्यक्ति के लिए देखना चाहिए जो सच पंजाब को अपने पारंपरिक भारतीय घरों, खेतों और मंदिरों के साथ देखना चाहता है।

लोनली प्लैनेट ब्लाइएलिस्ट 2008 ने हरमंदिर साहिब को एक दैनिक आधार पर 100,000 से अधिक तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ दुनिया की सबसे अच्छी आध्यात्मिक साइटों में से एक का दर्जा दिया है।

चूंकि अमृतसर एक बड़ा पर्यटक स्थल है, इसलिए बहुत सारे पांच सितारा होटल यहां यह आपको आकर्षित करते हैं। होटल Ista अनिवासी भारतीय (एनआरआई) समुदाय के साथ बहुत लोकप्रिय है। रैडिसन और ताज द्वारा होटल भी इस शहर में आ रहे हैं।

एक अन्य मुख्य पर्यटन स्थल, श्री आनन्दपुर साहिब धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक विरस-ए-खालसा (खलसा हेरिटेज मेमोरियल कॉम्प्लेक्स) देखने और होला मोहल्ला त्योहार में हिस्सा लेते हैं। रायपुर स्पोर्ट्स फेस्टिवल लुधियाना के पास रायपुर किला लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण स्थल है। पठानकोट में शाहपुर कंडी किला, रणजीत सागर झील और मुतारसदर मंदिर भी लोकप्रिय हैं।

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Haryana Tourism places |हरियाणा के दर्शनीय स्थल

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Haryana Tourism places

हरियाणा राज्य में एक लंबी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा है जो कई धार्मिक स्थानों में प्रकट होती है जो पर्यटक को अपनी और आकर्षित करती है।

Haryana Tourism places

Haryana Tourism places | हरियाणा के दर्शनीय स्थल

कुरुक्षेत्र – “कुरुक्षेत्र” हिंदू सभ्यता का एक ऐतिहासिक स्थान है। “कुरुक्षेत्र” की पहचान पवित्र भूमि भयंकर युद्ध क्षेत्र, शक्तिशाली और वीर शासक “अर्जुन” और उनके मार्गदर्शक “भगवान कृष्ण” के बीच का प्रवचन है।

ज्योतिसर – “ज्योतिसर” प्राचीन जगह दुनिया के सबसे पुराने धर्म, “हिंदू” धर्म को निर्देशित करती है। इस जगह का महत्व इस तथ्य में निहित है कि “भगवद् गीता” का पवित्र धार्मिक पाठ इस पवित्र स्थान पर संकलित किया गया था।

थानेसर – “थानेसर” के पवित्र स्थल में “स्थिरेश्वर महादेव मंदिर” और “मा भद्र काली मंदिर” के दो महत्वपूर्ण धार्मिक मंदिर हैं, जो पूरे साल कई भक्तों को आकर्षित करते हैं।

Pehowa – “Pehowa” की पवित्र भूमि हिंदुओं के बीच एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है, जो अपने परिवार के मृतक सदस्य से प्रार्थना करते हैं और जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से उन्हें रिहा करने के लिए “पिंड दान” की पेशकश करते हैं।

महाभारत के समय से पवित्र स्थान

पंचकुला – पंचकुला में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कई स्थान हैं, जिनमें “मोरी हिल्स” और “टिकर ताल” शामिल हैं।

धोजी हिल – नारनौल के पास एक पहाड़ी, वैदिक काल ऋषि, चायवान आश्रम च्यवनप्राश, और अन्य कुछ बातो के लिये प्रसिद्ध हैं।

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महारानी अजबदे पुनवार | Maharani Ajbde Punwar

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Ajbde – महारानी अजबदे पुनवार महाराणा प्रताप की मुख्य पत्नी और मेवाड़ की महारानी थी। उनका जन्म 1542 में मेवाड़ के एक महान राव मम्रख पुनवार के यहाँ हुआ था। महाराणा प्रताप और महारानी अजबदे की शादी 1557 में हुयी तब वह 15 साल की थी और महाराणा प्रताप 17 साल के थे।

Maharani Ajbde Punwar

महारानी अजबदे पुनवार – Maharani Ajbde Punwar

महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी अमर सिंह, शादी के दो साल बाद यानि 1559 में पैदा हुए थे। महारानी अजबदे महाराणा प्रताप के लिए महान समर्थक थी। महाराणा प्रताप ने अपने पूरे जीवनभर महाराणी अजबदे से प्रेम किया। महाराणा प्रताप का यह मानना था की वह महाराणा प्रताप की मां महारानी जयवंताबाई की छाया थी। वह महाराणी अजबदे में हमेशा अपनी मां महारानी जयवंता बाई को देखा करते थे। महारानी अजबदे और महाराणा प्रताप का एक और बेटा भगवान दास था।

महाराणी अजबदे महाराणा प्रताप की पहली पत्नी थीं और उनकी सबसे पसंदीदा रानी थी। महाराणा प्रताप के लिए उनके अतृप्त प्रेम और सम्मान के कारण उन्हें अमर प्रेम का प्रतीक माना जाता है। अपने जीवन के दौरान, वह राणा की सबसे वफादार साथी थी, जो उन्हें एक सच्चे पत्नी और मित्र के रूप में सुख और दुःख दोनों में सहायता करती थी।

महारानी अजबदे पुनवार का जन्म सिसोदिया परिवार में हुआ था। उनके पिता राव मम्रख सिंह थे और उनकी मां रानी हंस बाई थी। महाराणा प्रताप और अजबडे एक-दूसरे को शादी करने से कुछ समय पहले से ही जानते थे। वे दोनों दिल से एक दूसरे से प्यार करते थे ।

अजबदे महाराणा प्रताप की मां महारानी जयवंताबाई की सबसे पसंदीदा बहु थी। राणा की मां ने अजबदे की तेज बुद्धि और सादगी को पसंद किया।

राजनीतिक वजह से और 10 विवाह

महाराणा प्रताप ने राजनीतिक वजह से 10 और शादियां की थी हालांकि अजबदे ऐसे फैसले के पूर्ण समर्थन में नहीं थी, वह अपने शाही और घरेलू कर्तव्यों और मुख्य रानी के तोर पर ईमानदारी से राजा के साथ खड़ी थी। महाराणा प्रताप को ग्यारह बेटे और पांच बेटियां थीं। अमर सिंह, सबसे बड़े बेटे थे। वह अपने पिता और मेवाड़ के सिंहासन पर सफल हुए और महाराणा के साम्राज्य के उत्तराधिकार के योग्य साबित हुए।

1576 में हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद चोट लगने के वजह से महारानी अजबदे का निधन हो गया। यह महाराणा प्रताप के लिए सबसे बड़ा झटका था।

1580 के दशक के बाद, महाराणा प्रताप ने उदयपुर छोड़कर चावंड की ओर स्थानांतरित कर दिया और चावंड को अपनी नई राजधानी बना दिया।

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मणिपुर में देखने लायक पर्यटन स्थल | Manipur tourist places

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मणिपुर भारत का एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है, जिसकी राजधानी इंफाल हैं। मणिपुर को आभूषणों की भूमि भी कहा जाता हैं यहाँ के लोग मार्शल आर्ट्स, नृत्य, और मूर्तिकला बड़ी रुची रखते हैं और औसमे वो प्रावीण्य हैं।

Manipur tourist places

मणिपुर में देखने लायक पर्यटन स्थल – Manipur tourist places

इस जगह का आकर्षण सामान्य जलवायु के साथ हरियाली है जो इसे पर्यटकों के स्वर्ग बनाता है। इसलिए इसे भारत का आभूषण और पूरब का स्विज़रलैंड भी कहा जाता हैं।

मन लुभाने वाले प्राकृतिक दृश्यों, में पहाड़ियों पर छाई हरियाली, विलक्षण फूल-पौधे, लहराती नदियां, शामिल है। इन सबके अलावा पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं जो राज्य में पर्यटन के विकास के लिए उत्कृष्ठ अवसर प्रदान करता हैं।

जिसमे इम्फाल में कांग्ला पार्क, खारीम बंद बाजार युद्ध कब्रिस्तान, श्री गोविंद जी मंदिर, शहीद मीनार, नुपी सान (महिलाओं का युद्ध) मेमोरियल कॉम्लेार क्सा, सेंड्रा,खोंघापत उद्यान, आईएनए मेमोरियल (मोइरांग), कीबुल लामजो राष्ट्रीय उद्यान, चुडाचांदपुर जिले में लोकतक झील, विष्णुपुर स्थित विष्णु मंदिर, उख्रुल की पहाड़ियां, मोरेह सिराय गांव, सिराय की पहा‍ड़ियां, डूको घाटी, राजकीय अजायबघर, कैना पर्यटक निवास, खोंगजोम वार मेमोरियल आदि मणिपुर के कुछ महत्व पूर्ण पर्यटक स्थल है।

मणिपुर में प्रवेश करने वाले विदेशी यात्रियों को, फिर चाहे उनका जन्म यहां भारत में हुआ हों, उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र पर्मिट लेना आवश्यक होता है। यह पर्मिट दस दिन के लिए वैध होता है, व सैलानी यहां भ्रमण करने के लिए प्राधिकृत ट्रैवल एजेंट द्वारा वयवस्थित चार लोगों के समूहों में ही जा सकते हैं। साथ ही विदेशी सैलानी यहां वायुयान द्वारा ही आ सकते हैं और उन्हें राजधानी इंफाल के बाहर घूमने की आज्ञा नहीं है।

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मिजोरम के दर्शनीय स्थल और त्यौहार – Mizoram tourism places

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मिजोरम भारत का समृद्ध और सुखद राज्य हैं। पर्वतीय नगर आइज़ोल, मिज़ोरम का एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। जिसमें यह एक प्रमुख हर प्रकार के पक्षी और वन्य प्राणी देखने को मिलते हैं। मिजोरम तीतर (सिरामेटिकस हमीया) के लिए प्रसिद्ध है।

Mizoram tourism places

मिजोरम के दर्शनीय स्थल और त्यौहार – Mizoram tourism places

मिजोरम राज्य से हमें दुर्लभ जंगली भैंस भी देखने को मिलती है। जंगली हाथियों और टाइगर की एक छोटी आबादी Ngengpui और Dampa अभयारण्य में देखा जा सकता है।

म्यांमार की सीमा के निकट चमफाई एक सुंदर पर्यटन स्थल है। तामदिल एक प्राकृतिक झील है जहां मनोहारी वन हैं। यह आइज़ोल से ८० किलोमीटर और पर्यटक स्थल सैतुअल से १० किलोमीटर की दूरी पर है। वानतांग जलप्रपात मिज़ोरम में सबसे ऊंचा और अति सुंदर जलप्रपात है। यह थेनजोल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। पर्यटन विभाग ने राज्य में सभी बडे कस्बों में पर्यटक आवास गृह तथा अन्य कस्बों में राजमार्ग तथा यात्री के रहने की व्यवस्था का निर्माण किया है। जोबौक के निकट जिला पार्क में अल्पाइन पिकनिक हट तथा बेरो त्लांग में मनोरंजन केंद्र भी बनाए गए हैं।

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ओडिशा के दार्शनिक स्थल | Odisha tourist place

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Odisha tourist place

प्राचीन दिनों से ही ओडिशा लोगो का पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। जिन लोगो को आध्यात्मिकता, धर्म, संस्कृति, कला और प्राकृतिक सुंदरता में रूचि हैं। यहाँ हमें प्राचीन और मध्यकालीन आर्किटेक्चर, प्राचीन समुद्री तट, ओडिसी नामक क्लासिकल डांस और दुसरे नृत्य प्रकार जैसे छौ, घुमर और संबलपुरी और ओडिशा के बहुत से उत्सव देखने मिलते है।

odisha tourist place

ओडिशा के दार्शनिक स्थल – Odisha tourist place

दया नदी के तट पर हमें यहाँ ऊँची-ऊँची चट्टानें भी देखने मिलती है। साथ ही उदयगिरी के उदात्त त्रिकोण में हमें आज भी बौद्ध धर्म की जलती हुई मशाल, रत्नागिरी के साथ ललित्गिरी भी देखने मिलती है। यहाँ हमारे देश का समृद्ध अतीत हमें कटी हुई चट्टानों, विहारों, मठो और चैत्यो के रूप में देखने मिलता है। साथ ही अशोका के समय की चट्टानें भी हमें देखने मिलती है।

ओडिशा में और भी बहुत सी पर्यटन स्थल हैं जिसे देखने से मन प्रसन्न हो जाता हैं आईये उन जगह के बारेमें जानते हैं :

श्री खेत्रा पूरी जगन्नाथ मंदिर, ब्रह्माण्ड के देवता के निवासस्थान :

ओडिशा विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (पूरी), वर्ल्ड हेरिटेज साईट कोणार्क सूर्य मंदिर और हुमा के शैक्षणिक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। भारत में पाए जाने वाले 4 चौसठी योगिनी मंदिरों में से 2 ओडिशा के हीरापुर और रानीपुर झरियाल में है। गीता गोविंद को लिखने वाले प्रसिद्ध ओडिया संस्कृत कवी जयदेव का जन्म यही खुदरा के पास वाले गाँव केंदुली सासन में हुआ। उन्होंने भगवान कृष्णा और राधा के प्रेम को समर्पित बहुत से कविताओ की रचना की है।

राजारानी मंदिर, भुवनेश्वर :

राजारानी मंदिर (बलुआ पत्थरो से बना हुआ होने की वजह से इस नाम की उत्पत्ति हुई) खजुराहो मंदिर की तरह भुवनेश्वर (भारत का मंदिर शहर) में बना एक स्थापत्य चमत्कार है, जिसमे तक़रीबन 500 से भी ज्यादा प्राचीन मंदिर है। भगवान लिंगराज मंदिर (12 वी शताब्दी में बना मंदिर), केदारगौरी मंदिर, अनंता वासुदेव मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर इस शहर के कुछ बहु-प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है।

भुवनेश्वर में राज्य म्यूजियम, प्राकृतिक इतिहास का क्षेत्रीय म्यूजियम, बोटैनिकल गार्डन, उदयगिरी और खांडागिरी गुफा जैसे जैन सेंटर, पठानी सामंत और धुली सफ़ेद पगोडा भी है जहाँ चंदशोक धर्मशोक बने थे।

साथ ही ओडिशा बहुत से आदिवासी समुदायों का घर भी है, जिन्होंने ओडिशा को बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके हस्तशिल्प, विविध नृत्य प्रकार, जंगली उत्पाद और उनकी विशेष लाइफ स्टाइल दुनिया भर के लोगो को आकर्षित करते है। पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और संबलपुर में भगवान शिव का सिताल्सस्थी कार्निवल में लाखो लोग जमा होते है और इस दौरान हमें ओडिशा की संस्कृति और कला के दर्शन भी हो जाते है।

“तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आज़ादी दूंगा” कहने वाले भारत के क्रांतिकारी सेनानी नेताजी सुभास चन्द्र बोस का जन्म कटक में हुआ, जिनका घर (जानकीनाथ भवन) वर्तनाम में एक म्यूजियम है, जिनमे उनके जीवन से जुडी हुई चीजो और जानकारियों को प्रदर्शित किया गया है।

मध्यकालीन राजधानी कटक में बाराबती किला (गंगा, मराठा और ब्रिटिश), कटक चाँदी मंदिर, बाराबती स्टेडियम, क़दम-ए-रसूल और धबलेश्वर मंदिर (यहाँ लक्ष्मणझुला के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा रोप-ब्रिज है) देखने मिलता है।

इसके पूर्वी घाट में सर्वोच्च शिखर महेंद्रगिरी है, जहाँ भगवान परशुराम आज भी ध्यान रखते है। रामायण और महाभारत के अनुसार यह शिखर गजपति जिले में है।

रोचक शहर, स्थान और जगहे:

1. ढेंकनाल – कपिला, सप्तसज्य
2. बेरहमपुर – गोपालपुर, तप्तापनी, तरतारिणी।
3. बालासुर : चांदीपुर, चंदाबली, चंदनेश्वर, पंचालिंगेश्वर, अरडी (भगवान अखंदलामानी)
4. भितर्कनिका अभयारण्य

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चार धाम और सप्त पुरी में से एक द्वारका | Dwarkadhish Temple, Dwarka

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द्वारका,गुजरात के गोमती नदी के तट पर स्थित द्वारका जिले का एक शहर है। द्वारका नाम संस्कृत शब्द ‘द्वार’ से लिया गया है जिसका अर्थ है द्वार या द्वारा, द्वारका यह भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक है, जो द्वारकाधीश मंदिर – Dwarkadhish Temple के लिए प्रसिद्ध है और जहां कृष्ण ने अपने राज्य पर शासन किया था। इसलिए,यह हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान में से एक है। और भगवान कृष्ण के राज्य की प्राचीन और पौराणिक राजधानी कहा जाता है। द्वारका हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थ स्थान चार धाम और सप्त पुरी में से एक है।

Dwarkadhish Temple

चार धाम और सप्त पुरी में से एक द्वारका – Dwarkadhish Temple, Dwarka

यह जगह किंवदंतियों में घिरी है भगवान कृष्ण का जीवन द्वारका से जुड़ा हुआ है। कहा जाता हैं की भगवान श्रीकृष्ण ने इस शहर को बसाया यह उनकी कर्मभूमि हैं  पुरातन समय में द्वारका को द्वारवती या कौशल्याली नाम से बुलाया जाता था।

द्वारका का इतिहास – Dwarka History

माना जाता है कि द्वारका गुजरात की पहली राजधानी थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में अपने मामा कंस को पराजित करने और मारने के बाद यहां बसे थे। मथुरा से चले आए यादव ने यहां अपना राज्य स्थापित किया जब शहर “कौशल्याली” के नाम से जाना जाता था। इस अवधि के दौरान शहर पुनर्निर्माण किया गया और इसका नाम द्वारका रखा गया।

द्वारकाधीश मंदिर – Dwarkadhish Temple

गोमती नदी पर स्थित द्वारका के मुख्य मंदिर को जगत मंदिर या त्रिलोक में सबसे सुंदर के रूप में जाना जाता है। मूल रूप से 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के महान पोते, वज्रणग द्वारा निर्मित होने का मानना है।

द्वारकाशीष मंदिर का निचला हिस्सा 16 वीं शताब्दी से है । मंदिर के मुख्य भाग में पांच मंजिलें हैं, जो 100 फीट की ऊंचाई तक हैं। इसके बाहरी डिस्प्ले पर उत्कृष्ट नक्काशी साहसी कामुकता, एक बहुस्तरीय पौराणिक तीव्रता और डिजाइन की हैं।

श्री द्वारकादिश मंदिर में दर्शन का समय सुबह 7.00 से दोपहर 12.30 और शाम 5.00 से 9.30 बजे तक हैं।

वहाँ कैसे पहुंचें – How to get there

रेलवे द्वारा: द्वारका अहमदाबाद-ओखा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन पर एक स्टेशन है, जिसमें जामनगर (137 किमी), राजकोट (217 किमी) और अहमदाबाद (471 किमी) से जोड़ने वाली ट्रेनें शामिल हैं।

सड़क से: द्वारका जामनगर से द्वारका तक राज्य के राजमार्ग पर है। जामनगर और अहमदाबाद से बसें उपलब्ध हैं।

हवा से: निकटतम हवाई अड्डा जामनगर (137 किमी) है।

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