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सफलता पर 50+ अनमोल विचार

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Success Quotes in Hindi

आज हम सभी जगह सफल बनना चाहते है। फिर चाहे वो स्कूल हो या अपना करियर और इसके साथ ही हम आंतरिक और शारीरिक सफलता चाहते हैं। और हमारे सहकर्मी और दोस्तों के साथ वाले रिश्ते में भी सफलता चाहते हैं।
लेकिन सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है? और सफलता क्या है?

तो आज मै ऐसे ही कुछ सफल महान लोगो की सलाहों को या उनके द्वारा कहे गये सफलता पर अनमोल विचार / Success Quotes को आपके साथ बाटना चाहता हु, जो आपके लिये 1000 साल बाद भी सहायक साबित होंगे।

Success Quotes In Hindi

सफलता पर अनमोल विचार / Success Quotes in Hindi

“सफलता कुछ कर सकने में आती है, असफलता कुछ न कर सकने में आती है।

सफलता हमारी छोटी-छोटी कोशिशो का जोड़ है।

“सफलता अंतिम नही होती, असफलता जानलेवा नही होती, हिम्मत से ही इस गिनती को आगे बढाया जा सकता है।

ध्यानपूर्वक करने के लिये अपना समय अवश्य ले लेकिन जब क्रिया का समय आ जाये तो सोचना बंद करे और आगे बढे।

“सफलता पाने का सबसे सही रास्ता उन सलाहों पर चलना है जो हम दूसरो को देते है।

आज से बीस साल बाद आप इस बात से बहोत दुखी होंगे की उस समय जो आप कर सकते थे व् अह आपने नही किया, इसीलिये अपनी सीमओं को पार करे, सुरक्षा रेखा से बाहर निकले और अपने सपनो को ढूंडकर उन्हें पूरा करने की कोशिश करे।

“धैर्य, दृढ़ता और पसीना सफलता का अपराजेय समिश्रण है।

जिंदगी आपको अपनेआप ही दर्द देती है। आपकी जवाबदारियाँ ही आपके लिये खुशियों का निर्माण करती है।

“प्रश्न ये नही है की कौन मुझे छोड़ देगा बल्कि प्रश्न ये है की कौन मुझे रोकेंगा।

यदि A = सफलता, तब फार्मूला, A = X + Y + Z, जिसमे X = काम करते रहना, Y = खेलना और Z = अपने मुह को बंद रखना।

“जब भी आप किसी सफल इंसान को देखोगे तो आपको केवल उनका सामाजिक गौरव ही दिखाई देगा कभी उसे पाने के लिये उन्होंने क्या-क्या न्योछावर किया वह नही दिखेगा।

बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नही क्योकि लौटने पर आपको उतनी ही दुरी तय करनी पड़ेगी जितनी दुरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुच सकते है।

“मेरे करियर में मैंने तक़रीबन 9000 शॉट्स छोड़ दिये। मैंने तक़रीबन 300 गेम्स खो दिये। 26 बार मुझे गेम्स का आखरी शॉट मारकर जीतने में भरोसा भी था लेकिन वह भी छुट गया। मै बार-बार कई बार असफल होता गया और इसी वजह से आज मै इतना सफल बना।

आपको खेल के सभी नियमो को जानने की जरुरत है। तभी आप खेल में दूसरो से बेहतर खेल सकते हो।

“यदि मुझे एक पेड़ काटने के लिये 8 घंटे दिये जाये तो मै 6 घंटे कुल्हाड़ी की धार तेज़ करने में बिताऊंगा।

यदि आप थोडीसी जोखिम भी नही ले सकते तो आपको साधारण में ही भुगतान करना होगा।

“आपको पूरी सीढियाँ देखने की कोई जरुरत नही है, आपको बस पहला कदम चलने (बढ़ाने) की जरुरत है।

हम वही बनते है जो हम ज्यादातर समय सोचते रहते है और यही सबसे शक्तिशाली रहस्य है।

“हमारा सबसे बड़ा डर असफल होना नही है….बल्कि उन चीजो में सफल होना है जो हमारे लिये कोई मायने नही रखती।

आज से एक साल बाद शायद आपकी यह इच्छा होगी की काश आपने आज शुरू कर दिया होता।

“सफलता मतलब हमारे पास जो कुछ भी है उससे कुछ बेहतरीन करना है। सफलता कुछ करने में है कुछ देने में नही, सफलता कोशिश करने में है जीत में नही। सफलता व्यक्तिगत दर्जा है, जिसमे हम ऊंचाई के शिखर पर पहोचते है और जो बनना चाहते है वो बनते है।

सफलता खुशियों की चाबी नही है, बल्कि खुशिया सफलता की चाबी है। यदि आप जो कर रहे हो उसे आप प्यार करते हो तो आप जरुर सफल बनोगे।

“अपनी सफलता से शर्मिंदा होने की बजाये उनसे कुछ सीखे और नयी शुरुवात करे।

सफलता बहोत साधारण होती है, इसीलिये सही समय पर सही रास्ते पर सही काम करे।

“जब आप असफलता को जानते हो तो जीत और भी मीठी हो जाती है।

क्रिया (Action) सफलता की मुलभुत चाबी है।

“तुम्हारी जिंदगी के सबसे बेहतरीन वर्ष वे होते है जिनमे आप यह निर्णय लेते हो की आपकी समस्या खुद की ही है। आप अपनी समस्याओ के लिये अपनी माता और अपने सहकर्मियों को ज़िम्मेदार नही ठहरा सकते, आप ही अपनी समस्याओ को काबू में कर सकते हो।

मै तुम्हे सफलता का मन्त्र नही दुँगा, लेकिन मै तुम्हे असफलता का मन्त्र जरुर देता हु: हर किसी को खुश करने की कोशिश करना।

“यदि आप सोते समय पलंग पर तसल्ली के साथ सोना चाहते हो तो सुबह आपको पक्के इरादे के साथ उठाना होंगा।

सफलता उत्साह को खोये बिना असफलता से असफलता की ओर जाती है।

“यदि आप आसान काम को भी तेजस्वी बनाना चाहते हो तो लगातार काम करते रहे।

एक सफल पुरुष वह होता है जो अपने व्यापार में अपने प्रतिस्पर्धियो से पहले जो मायने रखता है उसे ढूंड लेता है।

“सबसे पहले अपनेआप को प्यार करे, आपको यदि इस दुनिया में कुछ भी पाना है तो स्वयं को प्यार करना ही पड़ेंगा।

सफलता इससे नही गिनी जाती की आपने क्या हासिल किया है लेकिन इससे गिनी जाती है की कितने विरोधियो से आपने लड़ाई की और साथ ही मुश्किलों का सामना आपने कितनी हिम्मत और साहस से किया इससे गिनी जाती है।

“सफलता कभी गलतियाँ न करने में नही बल्कि एक गलती को दोबारा न करने में है।

सबसे बड़ा बदला विशाल सफलता पाने में है।

“शौक़ीन लोग बैठकर प्रेरणा का इंतज़ार करते है और फिर खड़े होकर काम में लग जाते है।

उन चीजो को प्यार कीजिये जिनमे सच्ची ताकत बसती हो और क्योकि जितना ज्यादा आप प्यार करोगे उतना ज्यादा आप पाओगे और प्यार सबकुछ कर सकता है।

“शांत चिंतन के साथ प्रभावशाली क्रियाओ का पालन करे, क्योकू शांत चिंतन से ही ज्यादा प्रभावशाली क्रिया की जा सकती है।

मेरे सफलता की विशेषता यह है: मैंने कभी कोई कारण नही बताया।

“जो आप नहीं कर सकते उसे अंदर आने ही मत दीजिये और जो आप कर सकते हो उसका सामना कीजिये।

जिंदगी अपनेआप को ढूंडने में नही है। बल्कि जिंदगी तो अपनेआप को बनाने में है।

“जिसके पास बहोत कुछ है वह अमीर नही बल्कि जो बहोत कुछ देता है वह अमीर है।

अपने कुल समय का 80% समय कल (Yesterday) की समस्याओ पर ध्यान देने की बजाये कल (Tomorrow) के अवसरों पर दे।

“हमेशा चलते रहे। अवसरों का सामना करते समय कई बार आपको ठोकर भी लग सकती है, जिसकी आपने कभी कल्पना भी की नही होगी। मैंने कभी एक जगह बैठे हुए लोगो को लड़खड़ाते हुए नही देखा है।

जूनून और प्रतिभा के बीच के अंतर को केवल सफलता से ही गीना जा सकता है।

“सफलता मतलब हिम्मत, साहस और जो आप बनना चाहते हो वो बनने की चाह का होना है।

दूसरो की सिमित कल्पना की वजह से खुद को सिमित न करे और खुद की सिमित कल्पना की वजह से दूसरो को सिमित न करे।

“जब भी आप किसी से संघर्ष करते हो, तो एक ही तथ्य है जो आपके रिश्ते की गहराई और हानि के बीच अंतर बनाता है। और वह है आपका रवैया।

जिंदगी में सफल बनने के लिये आपको दो चीजो की जरुरत होगी : अज्ञानता और दृढ़ विश्वास।

“किसी भी एक सिद्धांत को ले। और उसी एक सिद्धांत को अपनी जिंदगी बनाये – उसी के बारे में सोचे, उसी के सपने देखे, उसी सिद्धांत पर जीये। अपने दिमाग और शरीर के हर भाग को उससे मिलाये और बाकी सभी सिद्धांतो को छोड़ दे। यही सफलता का रास्ता है।

किसी भी इंसान के लिये सफलता का रहस्य यही है की जब भी कोई चुनौती आये वह तुरंत उसका सामना करने के लिये तैयार रहे।

“दो तरह के लोग होते है जो आपको यह बताते है की आप इस दुनिया में कुछ भी अलग नही कर सकते : एक वो जो कोशिश करने से शर्माते है और जो इस बात से डरते है की कही आप सफल न हो जाओ।

इंतज़ार मत करो। क्योकि समय हर बार सही नही हो सकता।

“आप छात्रो को एक दिन का पाठ पढ़ा सकते हो लेकिन लेकिन यदि आप उन्हें जिज्ञासा से पढ़ाओगे तो वो जबतक जिंदा है तबतक पढता रहेंगा।

हर मुश्किल के बाद अपनेआप को दो प्रश्न पूछिये: “अभी मै क्या करू?” और “मुझे क्या अलग करने की जरुरत है?”

“कभी चिंता मत कीजिये। हमेशा प्यार से जिओ। इससे आपको कभी चिंता नही होगी।

इस पल में ही अपनी तरफ से की गयी बेहतरीन कोशिश आपको अगले पल में किसी बेहतरीन जगह पर ले जा सकती है।

“जिंदगी की सबसे बड़ी असफलता इस बात को न जानने में है की जब आपने हार मान ली थी तब आप सफलता के कितने करीब थे।

यदि आप नर्क से भी चल रहे हो, तो भी चलते रहे।

“हमेशा दयनीय रहे और स्वयं को प्रेरित करते रहे। क्योकि आप जो कुछ भी करोगे वो आप ही के चुनाव का परिणाम होगा।

सफलता के लिये पहला कदम तब लिया जाता है जब आप उस वातावरण में जाने से मना कर देते हो जहाँ सबसे पहले आपको स्वयं को ढूंडना पड़ता है।

“निर्णायक पल में सबसे बेहतरीन चीज यदि आप कर सकते हो तो सही चीजो को करो, क्योकि अगली बेहतरीन चीज गलत भी हो सकती है और यदि सबसे बेकार चीज यदि आप कोई कर सकते हो तो वो वह यह है की आप कुछ नही कर सकते।

सफलता के लिये रवैया उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी आपकी क्षमता।

“दुनियाँ में कोई भी चीज दृढ़ता की जगह नही ले सकती। प्रतिभा की भी नही, प्रतिभावान व्यक्ति के असफल होने से ज्यादा कुछ भी साधारण नही हो सकता। प्रवीणता की भी नही, अपुरस्कृत प्रवीणता हमेशा प्रसिद्ध होती है। पढाई की भी नही, ये पूरी दुनिया पढ़ाकू इंसानों की है। दृढ़ता और निश्चय आपस में हमेशा सर्वशक्तिमान होते है।

अपनी सफलता की परख कुछ पाने के लिये आपने कितना दिया इससे की जाती है।

“आपका काम की आपके दुनिया की खोज करता है और फिर अपने पुरे दिल से स्वयं को उस दुनिया में ले जाइये।

जो लोग सफल होते है उनके पास बल होता है। जितने वे सफल होते है उतने ही ज्यादा वे और सफल होना चाहते है और सफलता पाने के कई और रास्तो को ढूंडते है। इसीतरह जब कोई असफल होता है तो वह अपनेआप को विकसित करने के कई रास्तो की ढूंडता है।

“सफलता अक्सर उन लोगो की जिंदगी में ही आती है जो उसे देखने में व्यस्त होते है।

आप दो महीनो में ही दुसरे लोगो में रूचि लेके बहोत से दोस्त बना सकते हो लेकिन खुद में दूसरो को रूचि दिखाकर तुम्हे दोस्त बनाने में दो साल तक लग जाते है।

“जब दुसरे लोग छोड़कर चले जाते है तब उसे पकडे रहने में सफलता है।

सफलता का लक्ष्य परफेक्शन नही है। कुछ गलत करने के लिये अपने सही को न छोड़े क्योकि ऐसा करने से आप कुछ नया सिखने की अपनी क्षमता को खो दोंगे और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते रहोगे। याद रखिये, डर हमेशा पूर्णतावाद के पीछे ही छुपा होता है।

“यहाँ फ़िलहाल आप हो वही से शुरू करे। जो आपके पास है उसीका उपयोग करे। जो आप कर सकते हो वही करे।

सफलता वैसे तो क्रिया से जुडी होती है। सफल लोग हमेशा आगे बढ़ते रहते है। वे गलतियाँ तो करते है लेकिन वे छोड़ते कभी नही।

“सफल लोग और दुसरे लोग में केवल अंतर केवल ताकत की कमी, दिमाग की कमी नही बल्कि इच्छाओ की कमी है।

उन लोगो से दूर रहे जो आपके लक्ष्य को कम करते हो। छोटे लोग हमेशा ऐसा करते है, लेकिन  सबसे अच्छी बात इस बात को महसूस करने में है की आप और भी महान कर सकते हो।

“जब आपको निचे फेका जाये तो आप कितना ऊँचा उठते हो, इसीमे आपकी सफलता है।

जो हमें कठोर सुनवाई की तरह लगता है हो सकता है दुसरे रूप में वह एक वरदान या आशीर्वाद हो।

“आपका रवैया आपकी योग्यता नही लेकिन फिर भी आपकी ऊँचाई को निर्धारित करता है।

यदि आपको अपने समय की कीमत नही तो आप दूसरो की भी कीमत नही करोगे। इसीलिये अपना समय और ज्ञान देना छोड़ दे। वही करे जिसकी कीमत आपको पता हो, तभी आप आगे बढ़ सकोंगे।

“जो आप नहीं करे सकते उसे कुशलता से करना, इससे ज्यादा उत्पादित और कुछ नही हो सकता।

ऐसे जिये जैसे आप कल ही मरने वाले हो। ऐसे सीखे जैसे आप हमेशा के लिये जीने वाले हो।

“सफलता पाने वाला इंसान नही बल्कि गुण (महत्त्व) पाने वाला इंसान बनने की कोशिश करे।

सबसे पहले, तयारी (तैयारी) ही सफलता की चाबी है।

“सफलता का रास्ता हमेशा प्रगतिपथ (Under Construction) पर ही होता है।

यदि लोग नादान चीजे नही कर सकते, तो वे कभी बुद्धिमान चीजे भी नही कर सकते।

“हर महान सपना सपने देखने वाले से ही शुरू होता है। हमेशा यद् रखे की आपमें ही आपकी सबसे महान ताकत छुपी हुई है और आपमें ही दुनिया को बदलने के लिये तारो तक पहोचने की काबिलियत है।

यदि आप खुद की जिंदगी के प्लान को डिजाईन नही कर सकते तो हो सकता है की आप दूसरो के बनाये प्लान में गिर जाओ। और सोचो की उन्होंने आपके लिये क्या प्लान किया होगा? निश्चित ही ज्यादा नही किया होगा।

“विलंबन ही सफलता का डर है। लोग विलम्ब इसलिये करते है क्योकि उन्हें अपनी सफलता पर पूरा भरोसा नही होता है। इसीलिये यदि हमें सफलता हासिल करनी है तो विलंबना को हटाकर तुरंत सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ते रहना चाहिये।

हारने के डर से ज्यादा जीतने के कौतुहल को बढ़ाने की कोशिश करे।

“महेनत किये बिना ही सफलता पाने की कोशिश करना, उस जगह की कटाई करने जैसा है जहा आपने कुछ बोया ही न हो।

सफलता अपनी पूरी ताकत को आप जो हासिल करना चाहते है उसमे लगाने में है।

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अनसुलझे रहस्यों से भरा “भानगढ़ किला”| Bhangarh Fort History

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Bhangarh Fort History in Hindi

राजस्थान के अलवर के भानगढ़ में स्थित भानगढ़ का किला भारत के सबसे डरावने और रहस्यमयी किलों में से एक है। इस भूतहा किले से कई दिल दहलाने वाली और रहस्यमयी घटनाएं जुड़ी हुई हैं।

भारत के इस किले में होने वाली तमाम डरावनी घटनाओं को लेकर यहां के पुरातत्व विभाग द्धारा सूर्योदय और सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश न करने को लेकर भी चेतावनी जारी की गई है।

राजस्थान के इस भव्य किले के बारे में यह प्रचलित है कि एक श्राप की वजह से यह किला और भानगढ़ कस्बा एक ही रात में खंडहर में बदल गए थे। इस किले में रात्रि के समय रुकना एकदम मना है।

आइए जानते हैं भानगढ़ के किले के इतिहास और इससे जुड़ी रहस्यमयी घटनाओं के बारे में-

भारत का सबसे रहस्यमयी और डरावना किला – राजस्थान का भानगढ़ किला – Bhangarh Fort History

Bhangarh Fort

भानगढ़ किले का निर्माण और इसका इतिहास – Bhangarh Ka Rahasya

राजस्थान के इस सबसे भूतहा किले का निर्माण 1573 ईसवी में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था। इसके निर्माण के करीब 300 साल तक यह किला आबाद रहा था, फिर बाद में करीब 1613 ईसवी में माधोसिंह जी ने अपना रिहाइश बना लिया था।

आपको बता दें कि माधोसिंह जी मुगल सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक और भगवंतदास के छोटे बेटे और आमेर के मशहूर मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई थे। उस दौरान भानगढ़ अपने आप में एक समृद्ध और संपन्न राज्य था, जिसके वैभव की चर्चा आसपास के कई राज्यों और रियासतों में भी थी।

इस किले की भव्यता और आर्कषण की वजह से कई बड़े-बड़े राजा इस पर अपना अधिकार जमाने की चाहत रखते थे। इस किले के अंदर बनाए गए अति आर्कषण मंदिर, भव्य महल और आलीशान कोठे इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ाते थे।

राजा माधोसिंह की मृत्यु के बाद इस किले पर छत्र सिंह ने अपना अधिकार जमा लिया था। इसके बाद छत्रसिंह के तीसरे बेटे हरिसिंह को 1722 ईसवी में भानगढ़ का शासक बनाया गया, इसके बाद से ही इस राज्य का वास्तविक पतन होना शुरु हो गया था।

वहीं उसी दौरान इतिहास के सबसे क्रूर माने जाने वाला मुगल शासक औरंगजेब की कूटनीति के चलते भानगढ़ के राजा हरिसिंह के दोनों पुत्रों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मुस्लिम धर्म में परिवर्तित होने के बाद उनके पुत्रों का नाम मोहम्मद कुलीज और मोहम्मद दहलीज रख दिया गया था और बाद में इन दोनों ने भानगढ़ राज्य की जिम्मेदारी निभाई थी।

वहीं उस दौरान जब मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल के बाद मुगलों की स्थिति भारत में कमजोर पड़ने लगी और भारत में ब्रिटिश सत्ता अपने पांव पसारने लगी तब जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने मोहम्मद कुलीज और मोहम्मद दहलीज की हत्या कर भानगढ़ किले पर अपना कब्जा जमा लिया।

इसके बाद भानगढ़ का राजपाट माधो सिंह के वंशजों को सौंप दिया गया था।

भानगढ के किले के खंडहर में बदलने से जुड़ी कथाएं – Bhangarh Fort Story

योगी बालूनाथ के श्राप से जुड़ी प्रचलित कथा:

भारत के इस सबसे रहस्यमयी और डरावने भानगढ़ किले के खंडहर में तब्दील होने को लेकर वैसे तो कई कहानियां जुड़ी  हुई हैं, उन कहानियों में से सबसे ज्यादा प्रचलित कहानियों में राजा माधोसिंह की कहानी है, जिसके मुताबिक महाराजा भगवंतदास के वंशज माधोसिंह ने भानगढ़ शहर का निर्माण यहां पर कठोर तपस्या करने वाले गुरु बालूनाथ के आदेशानुसार उनकी तपस्थली पर भानगढ़ किले का निर्माण करवाया था।

हालांकि, गुरु बालूनाथ ने इस शर्त के मुताबिक शहर का निर्माण करने की इजाजत दी थी कि किले की परछाई किसी भी कीमत पर उनकी तपस्थली पर नहीं पड़नी चाहिए। वहीं अगर ऐसा हुआ तो भानगढ़ खंडहर में बदल जाएगा।

महाराजा भगवंतदास ने तो भानगढ़ किले के निर्माण के दौरान गुरु बालूनाथ के वचनों की मर्यादा रखी लेकिन उनके वंशज माधोसिंह ने गुरु बालूनाथ के वचनों को न मानते हुए भानगढ़ किले की ऊपरी मंजिलों का निर्माण करवाया।

इस विशाल भानगढ़ के दुर्ग का निर्माण काम तो पूरा हुआ लेकिन दुर्भाग्यवश योगी बालूनाथ की तपस्थली पर इस किले की परछाई पड़ गई।

वहीं ऐसा होते देख योगी बालूनाथ गुस्से से आग बबूला हो गए और उन्होंने क्रोधित होकर श्राप दे दिया कि भानगढ़ का किला आबाद नहीं रहेगा और फिर बाद में गुरु के श्राप से भानगढ़ का किला खंडहर में बदल गया।

वहीं भानगढ़ के इस भूतहा किले में गुरु बालू नाथ की कब्र मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी इस किले की शापित कथा:

भानगढ़ के सबसे भूतहा किले से  राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी अन्य कथा काफी प्रचलित है, जिसके मुताबि, भानगढ़ राज्य की राजकुमारी रत्नावती अति सुंदर और मनमोहक थी, उनके रुप और सुंदरता के चर्चा आसपास के राज्यों में भी फैले हुए थे, जिसकी वजह से भारत के कई नामी और बड़े-बड़े राजा रानी रत्नावती से विवाह करने के इच्छुक थे।

वहीं एक बार जब रुपवती रानी रत्नावती अपनी दासियों के साथ बाजार भ्रमण पर निकलीं।

इस दौरान रानी रत्नावती और उनकी सभी दासियां एक इत्र की दुकान पर रुककर इत्र की सुगंध लेने लगीं, उस दौरान उसी राज्य में रहने वाले सिंधु सेवड़ा नामक एक तांत्रिक की नजर रानी रत्नावती पर पड़ी और वह भी रानी के आर्कषक और सुंदर रुप को देखकर उन पर मोहित हो गया और फिर उसने रानी रत्नावती को पाने की इच्छा को लेकर और उन्हें अपने वश में करने के लिए उस तांत्रिक ने काला जादू कर दिया।

उस तांत्रिक ने रानी को किसी भी हालत में पाने के लिए उस इत्र की शीशी को काले जादू से मंत्रित कर दिया, जिसे रानी रत्नावती ने पसंद किया था।

लेकिन रुपती रानी रत्नावती उस तांत्रिक के छल को समझ गईं, जिसके बाद रानी रत्नावती ने उस इत्र की शीशी को एक बड़े से पत्थर और चट्टान से गिरा दिया, जिसके बाद से काले जादू के प्रभाव की वजह से बड़ी सी चट्टान तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की तरफ आने लगी।

वहीं तांत्रिक ने अपनी मौत से पहले यह श्राप दे दिया कि, इस नगर में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जाएंगे और कभी दोबारा जन्म नहीं ले पाएंगे, उन सभी की आत्माएं इस किले में हमेशा भटकती रहेंगी। वहीं इसके बाद वह तांत्रिक खुद भी चट्टान के नीचे दबकर मर गया।

वहीं स्थानीय लोगों की माने तो तांत्रिक की मौत के कुछ दिनों बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच भीषण युद्ध हुआ।

इस युद्द में हजारों की तादाद में लोग मारे गए, भानगढ़ पूरी तरह नष्ट गया। यही नहीं तांत्रिक के श्राप के कुप्रभाव की वजह से रानी रत्नावती भी नहीं बच सकी।

इसके बाद से भानगढ़ हमेशा से लिए खंडहर में बदल गया और लोगों का मानना है कि आज भी इस किले में आत्माओं का डेरा है। यही वजह है कि यह भारत के सबसे रहस्यमयी और भूतहा किलों में से एक है।

भारत के सबसे डरावने भानगढ़ के किले से जुडी़ रहस्यमयी घटनाएं:

राजस्थान में स्थित भानगढ़ का किला आज बेहद जर्जर और बुरी हालत में है, इसके साथ ही यह देश के सबसे खतरनाक और डरावने स्थलों में से एक है। यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो इस किले से रात में किसी के रोने और चिल्लाने की आवाजें आती हैं।

सूर्यास्त के बाद भानगढ़ किले में प्रवेश है वर्जित:

इस किले के डरावने और भूतहा होने में कितनी सच्चाई है, ये तो शायद कोई नहीं जानता, फिलहाल इस किले में घटित कई रहस्यमयी घटनाओं के आधार पर भारतीय पुरातत्व विभाग द्धारा भानगढ़ के इस जर्जर दुर्ग को असामान्य और भूतहा घोषित कर दिया गया है। यही नहीं इस किले के प्रवेश द्धार पर एक बोर्ड भी लगाया गया है, जिसके मुताबिक सूर्यास्त के बाद इस किले में प्रवेश वर्जित है।

भानगढ़ किले की अद्भुत संरचना और आकर्षण – Bhangarh Fort Architecture

राजस्थान में स्थित भानगढ़ का किला अपने डरावनेपन के लिए प्रख्यात है। वहीं इस भूतहा किले के प्रेतवाधित कथाओं के अलावा किले के अंदर और बाहर घूमने के लिए कई पर्यटन और दर्शनीय स्थल भी बने हुए हैं।

यही नहीं इस किले के प्रवेश द्धार पर कई सुंदर-सुंदर और आर्कषित मंदिर भी बनाए गए हैं, जिनमें से सोमेश्वर मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, नवीन मंदिर, मंगला देवी मंदिर और केशव राय मंदिर प्रसिद्द हैं।

यहां स्थित मंदिरों की दीवारों और खंभों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है, जिसे देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं।

इस भव्य भानगढ़ के किले में स्थित गोपीनाथ का मंदिर यहां के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, करीब 14 फीट ऊंचाई पर बनाए गए इस मंदिर को चमकीले पीले पत्थरों से सजाया गया है। यह भव्य मंदिर राजपूतों की अप्रितम वास्तुकला का अद्भुत और बेमिसाल नमूना है।

यही नहीं इस मंदिर के मुख्य द्धार से प्रवेश करने पर बाजार शुरु होता है। वहीं बाजार की समाप्ति पर त्रिपोलिया द्धार बना हुआ है। वहीं त्रिपोलिया द्धार से राजमहल के परिसर के अंदर जाया जा सकता है।

आपको बता दें कि पूरा की पूरा  अब भानगढ़ खंडहर में बदल चुका है, लेकिन यहां के सोमेश्वर महादेव के मंदिर में स्थापित शिवलिंग को छोड़कर किसी भी मंदिर में मूर्तियां नहीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के वंशज की पूजा-अर्चना करते हैं।

यह भव्य भानगढ़ का किला अरावली पहाड़ियों से तीनों तरफ से घिरा हुआ है और सरिस्का टाइगर रिजर्व से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

भानगढ़ के किले में एक छोटा महल भी बना हुआ है, जिसे पुजारी का निवास कहा जाता है और इसे पुरोहित जी की हवेली कहा जाता है, जो मंदिर परिसर की सीमाओं के अंदर स्थित है।

भानगढ़ किले के मुख्य पर्यटन और दर्शनीय स्थलों में नचन की हवेली भी शामिल हैं, जो कि मंदिर परिसर की सीमाओं के अंदर स्थित है। इसे पुरोहित जी की हवेली और पुजारी जी का निवास भी कहा जाता है।  आपको बता दें कि प्रचीन समय में यह नर्तक के महल है, जो कि राजा के सामने प्रदर्शन करते थे।

कैसे पहुंचे भानगढ़ किला – How To Reach Bhangarh Fort

भारत का सबसे डरावना और भूतहा किला भानगढ़ का किला जयपुर और दिल्ली मार्ग में स्थित है। आपको बता दें कि यह भव्य दुर्ग दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर, अलवर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर और जयपुर से करीब 84 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

इस किले तक सड़क मार्ग, हवाई मार्ग और रेल मार्ग तीनों द्धारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

जो सैलानी यहां हवाई मार्ग के माध्यम से पहुंचना चाहते हैं, उनके लिए जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट इसके सबसे अधिक नजदीक है, जबकि ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए यहां से दौसा रेलवे स्टेशन सबसे ज्यादा पास है।

इसके अलावा इस किले तक सड़क मार्ग यानि की बस, टैक्सी या फिर अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्धारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

नोट: भानगढ़ किले के बारे में सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से ये लेख लिखा है। आप इसपर विश्वास करे या अंधविश्वास ये आपपर निर्भर करता है।

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छत्रपति शिवाजी महाराज के किले…

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Shivaji Maharaj Fort in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य और महाराष्ट्र के इतिहास के सबसे बहादुर और महान योद्धा थे। नियोजन के साथ उनके अच्छे प्रशासन ने उन्हें विजय की एक राह तक पहुंचाया। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासनकाल में मराठवाड़ा के लगभग 360 किले जीते। छत्रपति शिवाजी महाराज की ही वजह से आज महाराष्ट्र बहुत से किलो का घर है।

उनमेंसे कुछ किले मुख्य हैं। लेकिन किलो की देखभाल को अनदेखा करने से आज छत्रपति शिवाजी महाराज के बहुत से किलो की हालत ख़राब होती जा रही है। लेकिन आज भी उन किलो का तेज बरकरार है। आज हम यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज के उन्ही किलों – Shivaji Maharaj Fort के बारेमें जानेंगे।

Shivaji Maharaj fort

छत्रपति शिवाजी महाराज के किले – Shivaji Maharaj Fort

Shivneri Fort – शिवनेरी किला:

17 वीं शताब्दी का किला, शिवनेरी छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मभूमि है। किले में देवी शिवाई का छोटा मंदिर है। देवगिरी के यादव के नियंत्रण में होने की वजह से इसका ना शिवनेरी रखा गया। दुर्भाग्य से मराठा शासक इसपर शासन नही कर सके लेकिन फिर भी दो बार मराठाओ ने इसपर विजय पाने की नाकाम कोशिश की थी।

मुख्य द्वार के अलावा किले का एक चैन द्वार भी है, जहाँ पर्यटकों को चैन पकड़कर पहाड़ की चढ़ाई कर किले तक पहुचना पड़ता है। किले में राजमाता जिजाबाई और युवा छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला, बदामी तलाव नामक पानी का तालाब और गंगे और यमुना नामक दो पानी के फव्वारे भी बने है, जहाँ साल भर पानी रहता है। Read More: शिवनेरी किला – Shivneri Fort

Torna Fort – तोरणा किला:

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा 16 साल की उम्र में जीता गया यह पहला किला है। जिसे प्रंचडगड के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी उत्पत्ति मराठी शब्द ‘प्रचंड’ से हुई और इसका अर्थ विशाल से है और ‘गढ़’ का अर्थ किले से है। किले के भीतर बहुत से स्मारकों का निर्माण किया गया है। यह किला समुद्र सतह से 4603 फीट की ऊंचाई पर है।

18 वी शताब्दी में संभाजी महाराज की हत्या के बाद मुघल सम्राट औरंगजेब ने किले पर कब्ज़ा कर लिया और बाद में इसका नाम ‘फुतुलगैब’ रखा गया। Read More: तोरणा किला – Torna Fort

Rajgad Fort – राजगढ़ किला:

राजगढ़ (शासित किला) भारत के पुणे जिले में स्थित एक पहाड़ी किला है। यह मराठा साम्राज्य की राजधानी है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी जिंदगी के 26 साल राजगढ़ में व्यतीत किए। यह किला उन 17 किलो में से एक है जिन्हें 1665 में जय सिंह के खिलाफ छत्रपति शिवाजी  महाराज ने पुरंदर की संधि में दे दिए थे। राजगढ़ बहुत सी एतिहासिक घटनाओ का स्थल रह चूका है।

छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे राजाराम का जन्म, छत्रपति शिवाजी  की रानी साईबाई की मृत्यु, अफज़ल खान के सिर का दफ़न यही हुआ और साथ ही आगरा से छत्रपति शिवाजी महाराज यही वापिस आए थे। Read More: राजगढ़ किला – Rajgad Fort

Lohgarh Fort – लोहगढ़ किला:

प्राचीन समय से ही इस किले का काफी महत्त्व है और यह किला खंडाला का व्यापर मार्ग भी बना हुआ था। पांच सालो तक यह किला मुघल साम्राज्य के नियंत्रण में था। अलग-अलग साम्राज्यों ने लोहगढ़ पर शासन किया है, जिनमे मुख्य रूप से सत्वाहन, चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव, ब्राह्मण, निज़ाम, मुघल और मराठा शामिल है।

1648 में लोहगढ़ पर छत्रपति शिवाजी  ने कब्ज़ा कर लिया और पुरंदर की संधि के चलते 1665 में उन्हें यह किला मुघलो को सौप देना पड़ा। 1670 में छत्रपति शिवाजी  ने पुनः किले पर कब्ज़ा कर लिया और इसका उपयोग वे अपने खजाने को छुपाने के लिए कर रहे थे। पेशवा के समय में नाना फडनविस यहाँ कुछ समय तक रुके और यहाँ उन्होंने बहुत से स्मारकों का भी निर्माण करवाया।

वर्तमान में यह किला भारत सरकार के नियंत्रण में है। Read More: लोहगढ़ किला – Lohgarh Fort

Lohagad Fort – लोहगढ़ किला:

लोहगढ़ भारत में महाराष्ट्र राज्य के कई पहाड़ी किलों में से एक है। लोनावाला पहाड़ी स्टेशन और पुणे के 52 किमी उत्तर-पश्चिम के निकट स्थित, लोहगढ़ समुद्र तल से 1,033 मीटर ऊंचा है। छत्रपति शिवाजी  महाराज द्वारा दो बार इस किले पर विजय प्राप्त करने के बाद, लोहागढ़ ने अपनी रणनीतिक स्थान के कारण इसकी प्रमुख महत्व रखी थी। Read More: लोहगढ़ किला – Lohagad Fort

Vijaydurg Fort – विजयदुर्ग किला:

विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग तट पर सबसे पुराने किला हैं। यह एक सुंदर और अभेद्य समुद्र का किला हैं। विजयदुर्ग छत्रपति शिवाजी  की सर्वश्रेष्ठ जीत मानी जाती है।

इस किले का उपयोग मराठा युद्धपोतो के एंकर के रूप में किया जाता था, क्योकि यह किला वाघोटन क्रीक से घिरा हुआ था। विजय दुर्ग को पहले ‘घेरिया’ के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1653 में जब छत्रपति शिवाजी महाराज से इसपर कब्ज़ा कर लिया तो उन्होंने इसका नाम विजय दुर्ग रखा। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के उन दो किलो में से एक है जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वयं केसरियाँ रंग का ध्वज लहराया, जबकि दुसरे किले का नाम तोरणा है।

हाल ही में आयी मराठी फिल्म “किल्ला” की शूटिंग इसी किले के भीतर की गयी है। Read More: Vijaydurg Fort – विजयदुर्ग किला 

Raigad Fort – रायगढ़ किला:

महाराष्ट्र के इतिहास में एक युग का बना रायगढ़ किला, मराठा साम्राज्य की राजधानी थी। यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज के शाही राज्याभिषेक मराठा साम्राज्य के आधिकारिक राजा के रूप में हुआ था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस किले में अपना अंतिम सांस ली।

महाड में स्थापित इस पर्वतीय किले को पहले रैरी के नाम से जाना जाता था। 1656 में चंद्रराव से छत्रपति शिवाजी  से इसे हासिल किया था और इसमें बदलाव एवं सुधार कर इसका नाम रायगढ़ रखा गया। बाद में यही किला छत्रपति शिवाजी  महाराज के साम्राज्य की राजधानी भी बना। इसी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी किया गया। 1680 में छत्रपति शिवाजी  ने अपनी अंतिम साँस भी इसी किले में ली।

1689 में ज़ुल्फिखर खान ने किले पर कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम बदलकर ‘इस्लामगढ़’ रखा। बाद में 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने तोपों का उपयोग कर किले को ध्वस्त कर दिया। Read More: रायगढ़ किला – Raigad Fort

Sindhudurg Fort – सिंधुदुर्ग किला:

सिंधुदुर्ग किला मराठा साम्राज्य के लिए एक शक्तिशाली किला हैं। यह बेहतरीन समुद्री किलो में से एक सिंधुदुर्ग मराठा साम्राज्य की शक्तिशाली नौसेना का आधार था। किले में छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके चरण चिन्हों का एकमात्र मंदिर है।

यह किला नौसेना के जहाजो के लिए एक सुरक्षित आधार था और इसका निर्माण हीरोजी इंदलकर की निगरानी में 1664 में किया गया। इस किले के निर्माण का मुख्य लक्ष्य भारत में बढ़ रहे विदेशी उपनिवेशक को खंडित करना था। यह किला 48 एकर में फैला हुआ है, जिसकी 30 फीट ऊँची दीवारे है।

वर्तमान में यह किला मुख्य पर्यटन स्थल बना चूका है। और इस जगह तक पहुंचने के लिए घाट उपलब्ध हैं। Read More: सिंधुदुर्ग किला – Sindhudurg Fort 

Panhala Fort – पन्हाला किला:

12 वी शताब्दी में बना पन्हाला महाराष्ट्र के प्राचीनतम किलो में से एक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवन के 500 से ज्यादा दिन यही व्यतीत किए। 1689 में संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद किले पर औरंगजेब ने कब्ज़ा कर लिया। 1692 में किले पर काशी रंगानाथ सरपोतदार ने परशुराम पंत प्रतिनिधि के नेतृत्व में कब्ज़ा कर लिया।

1701 में औरंगजेब ने पुनः किले पर कब्ज़ा कर लिया लेकिन कब्ज़ा करने के कुछ ही महीनो बाद पंत अमत्य रामचंद्र ने इसे पुनः हासिल कर लिया। बाद में 1844 में किले पर ब्रिटिशो ने कब्ज़ा कर लिया।

Murud-Janjira – मुरुड जंजीरा:

मुरुड जंजीर द्वीप अपने नीतिगत स्थान और सुंदर आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध है। किले का प्रवेश द्वार चार हाथियों के साथ आपका स्वागत करता है जो किले में रहने वाले सिदियो की शक्ति को दर्शाता है। इस किले को भारत के सबसे मजबूत समुद्री किलो में से एक माना जाता है।

17 वी शताब्दी में बना यह किला प्राचीन इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है और आज भी अ-क्षतिग्रस्त है। महिमा के शिखर के समय यह किला 572 तोपों का घर था, जिनमे 3 मुख्य तोप – कलाबंगदी, चावरी और लंडाकसम भी शामिल थी। आज भी हम उन तोपों को देख सकते है।

Sinhagad Fort – सिंहगढ़ किला:

महाराष्ट्र के इतिहास में सिंहगढ़ का विशेष महत्त्व है। सह्याद्री पहाड़ी की भलेश्वर रेंज पर बना सिंहगढ़ जमीन से 760 मीटर की ऊंचाई और समुद्री सतह से 1312 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह किला पुणे शहर से लगभग 30 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है।

मुघलो के साथ हुई भीषण युद्ध में मराठाओ ने इस किले पर कब्ज़ा किया था। लेकिन, तानाजी मालुसारे ने अपना जीवन खो दिया। और इनके जाने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने “गढ़ आला पण सिंह गेला” यह शब्द कहे। इसीलिए इसका बाद सिंहगढ़ रखा गया। यह मराठा इतिहास के पन्नों में आज भी अजरामर है। Read More: सिंहगढ़ किला – Sinhagad Fort

Pratapgad Fort – प्रतापगढ़ किला:

प्रतापगढ़ सचमुच ‘बहाल किला’ पश्चिमी भारत राज्य महाराष्ट्र में सातारा जिले में स्थित एक बड़ा किला है। प्रतापगढ़ की लड़ाई के स्थल के रूप में महत्वपूर्ण, किला अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। प्रतापगढ़ छत्रपति शिवाजी महाराज और शक्तिशाली अफजल खान के बीच मुठभेड़ के लिए प्रसिद्ध है। Read More: प्रतापगढ़ किला – Pratapgad Fort

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संत ज्ञानेश्वर महाराज की जीवनी…

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Sant Dnyaneshwar Information in Hindi

संत ज्ञानेश्वर जी भारत के महान संत और प्रसिद्ध मराठी कवि थे, उनका जन्म 1275 ईसवी में भाद्रपद के कृष्ण अष्टमी को हुआ था।  महान संत ज्ञानेश्वर जी ने संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य का भ्रमण कर लोगों को ज्ञान भक्ति से परिचित कराया एवं समता, समभाव का उपदेश दिया। 13वीं सदी के महान संत होने के साथ-साथ वे महाराष्ट्र-संस्कृति के आद्य प्रवर्तकों में से भी एक माने जाते थे।

संत ज्ञानेश्वर जी का शुरुआती जीवन काफी कष्टों से गुजरा, उन्हें अपने शुरुआती जीवन में तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। जब वे बेहद छोटे थे, तभी उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया गया, यहां तक की उनके पास रहने को झोपड़ी तक नहीं थी, संयासी के बच्चे कहकर उनका अपमान किया गया। वहीं ज्ञानेश्वर जी के माता-पिता ने भी समाज का अपमान सहने के बाद अपने प्राण त्याग दिए थे।

जिसके बाद ज्ञानेश्वर जी अनाथ हो गए लेकिन फिर भी वे घबराए नहीं और  बड़ी समझदारी और हिम्मत से अपने जीवन का निर्वाह किया। जब वे महज 15 साल के थे, तब उन्होंने खुद को भगवान कृष्ण की भक्ति में खुद को पूरी तरह लीन कर लिया था और वे एक साध्य योगी बन चुके थे।

उन्होंने अपने नाम के ”ज्ञानेश्वरी” नामक ग्रंथ की रचना की। उनका यह ग्रंथ मराठी भाषा का सबसे अधिक पसंद किए जाने वाला अद्धितीय ग्रंथ माना जाता है, उन्होंने अपने इस ग्रंथ में करीब 10 हजार पद्यों की रचना की है। आइए जानते हैं भारत के इस महान संत ज्ञानेश्वर जी और उनके जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में-

संत ज्ञानेश्वर महाराज की जीवनी – Sant Dnyaneshwar Information in Hindi

Sant Dnyaneshwar

संत ज्ञानेश्वर महाराज जी के जीवन के बारे में एक नजर में – Sant Dnyaneshwar Biography

पूरा नाम (Name) संत ज्ञानेश्वर
जन्म (Birthday) 1275 ई., महाराष्ट्र
पिता (Father Name) विट्ठल पंत
माता (Mother Name) रुक्मिणी बाई
गुरु (Guru) निवृत्तिनाथ
प्रमुख रचनाएं (Books) ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव
भाषा (Language) मराठी
मृत्यु (Death)  1296 ई.     

संत ज्ञानेश्वर जी का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Sant Dnyaneshwar History

भारत के महान संत ज्ञानेश्वर जी 1275 ईसवी में महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में पैठण के पास गोदावरी नदी के किनारे बसे आपेगांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन विट्ठल पंत और रुक्मिणी बाई के घर पैदा हुए थे। इनके पिता एक ब्राह्मण थे।

उनके पिता ने शादी के कई सालों बाद कोई संतान पैदा नहीं होने पर अपनी पत्नी रुक्मिणी बाई की सहमति से संसारिक मोह-माया को त्याग कर वे  काशी चले गए और उन्होंने संयासी जीवन ग्रहण कर लिया। इस दौरान उनके पिता विट्ठल पंत ने स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बना लिया था।

वहीं कुछ समय बाद जब संत ज्ञानेश्वर जी के गुरु स्वामी रामानंद जी अपनी भारत यात्रा के दौरान आलंदी गांव पहुंचे, तब विट्ठल पंत की पत्नी से मिले और स्वामी जी ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दे दिया। जिसके बाद रुक्मिणी बाई ने स्वामी रामानंद जी को उनके पति विट्ठल पंत की संयासी जीवन ग्रहण करने की बात बताई, जिसके बाद स्वामी रामानंद जी ने विट्ठल पंत को फिर से ग्रहस्थ जीवन अपनाने का आदेश दिया।

इसके बाद उन्हें संत ज्ञानेश्वर समेत निवृत्तिनाथ, सोपानदेव और 1 बेटी मुक्ताबाई पैदा हुई। संयासी जीवन छोड़कर ग्रहस्थ जीवन फिर से अपनाने की वजह से ज्ञानेश्वर जी के पिता विट्ठल पंत का समाज से बहिष्कृत कर दिया था, और इनका बड़ा अपमान किया। जिसके बाद ज्ञानेश्वर के माता-पिता इस अपमान के बोझ को सह न सके और उन्होंने त्रिवेणी में डूबकर प्राण त्याग कर दिए।

माता-पिता की मौत के बाद संत ज्ञानेश्वर और उनके सभी भाई-बहन अनाथ हो गए। वहीं लोगों ने उन्हें गांव के अपने घर में तक नहीं रहने दिया, जिसके बाद अपना पेट पालने के लिए संत ज्ञानेश्वर को बचपन में भीख मांगने तक को मजबूर होना पड़ा था।

संत ज्ञानेश्वरजी की शुद्धिपत्र की प्राप्ति:

काफी कष्टों और संघर्षों के बाद संत ज्ञानेश्वर जी के बड़े भाई निवृत्तिनाथ जी को गुरु गैनीनाथ से मुलाकात हुई। वे उनके पिता विट्ठल पंत जी के गुरु रह चुके थे, उन्होंने निवृत्तिनाथ जी को योगमार्ग की दीक्षा और कृष्ण की आराधना करने का उपदेश दिया, इसके बाद निवृत्तिनाथ जी ने अपने छोटे भाई ज्ञानेश्वर को भी दीक्षित किया।

इसके बाद संत ज्ञानेश्वर अपने भाई के साथ बड़े-बड़े विद्धानों और पंडितों से शुद्दिपत्र लेने के उद्देश्य से वे अपने पैतृक गांव पैठण पहुंचे। वहीं इस गांव में वे दोनों कई दिनों तक रहें, उन दोनों की इस गांव में रहने के दिनों की कई चमत्कारिक कथाएं भी प्रचलित हैं।

बाद में संत ज्ञानेश्वर जी की चमत्कारिक शक्तियों को देखकर गांव के लोग उनका आदर करने लगे और पंडितों ने भी उन्हें शुद्धिपत्र दे दिया।

संत ज्ञानेश्वर जी की प्रसिद्ध रचनाएं – Sant Dnyaneshwar Books

संत ज्ञाने्श्वर जी जब महज 15 साल के थे, तभी वे भगवान श्री कृषण के बहुत बड़े उपासक और योगी बन चुके थे। उन्होंने अपने बड़े भाई से दीक्षा लेकर महज 1 साल के अंदर भी हिन्दू धर्म के सबसे बड़े महाकाव्यों में से एक भगवतगीता पर टीका लिखी, उनके नाम पर ”ज्ञानेश्वरी” नामक यह ग्रंथ  उनका सबसे अधिक प्रसिद्ध ग्रंथ कहलाया।

“ज्ञानेश्वरी” ग्रंथ मराठी भाषा में लिखित अप्रितम ग्रंथ माना जाता है। आपको बता दें कि  संत ज्ञानेश्वर जी ने अपने इस प्रसिद्ध ग्रंथ में करीब 10 हजार पद्यों में लिखा गया है। इसके अलावा संत ज्ञानेश्वर जी ने ‘हरिपाठ’ नामक किताब की रचना की है, जो कि भागवतमत से प्रभावित है।

इसके अलावा संत ज्ञानेश्वर जी द्धारा रचित अन्य प्रमुख ग्रंथों में योगवसिष्ठ टीका, चांगदेवपासष्टी, अमृतानुभव आदि है।

संत ज्ञानेश्वर जी की मृत्यु – Sant Dnyaneshwar Death

महज 21 साल की अल्पायु में 1296 ईसवी में भारत के महान संत एवं प्रसिद्ध मराठी कवि संत ज्ञानेश्वर जी ने संसारिक मोह-माया को त्याग कर समाधि ग्रहण कर ली। उनकी समाधि अलंदी में सिध्देश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। वहीं उनके उपदेशों और उनके द्धारा रचित महान ग्रंथों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

Pasaydan – “पसायदान” मराठी

आता विश्वात्मकें देवें। येणे वाग्यज्ञें तोषावें।

तोषोनिं मज द्यावे। पसायदान हें॥

जें खळांची व्यंकटी सांडो।

तया सत्कर्मी- रती वाढो।

भूतां परस्परे पडो। मैत्र जिवाचें॥

दुरितांचे तिमिर जावो।

विश्व स्वधर्म सूर्यें पाहो।

जो जे वांच्छिल तो तें लाहो। प्राणिजात॥

वर्षत सकळ मंगळी।

ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी।

अनवरत भूमंडळी। भेटतु भूतां॥

चलां कल्पतरूंचे आरव।

चेतना चिंतामणींचें गाव।

बोलते जे अर्णव। पीयूषाचे॥

चंद्रमे जे अलांछन।

मार्तंड जे तापहीन।

ते सर्वांही सदा सज्जन। सोयरे होतु॥

किंबहुना सर्व सुखी। पूर्ण होऊनि तिन्हीं लोकी।

भजिजो आदिपुरुखी। अखंडित॥

आणि ग्रंथोपजीविये। विशेषीं लोकीं इयें।

दृष्टादृष्ट विजयें। होआवे जी।

येथ ह्मणे श्री विश्वेशराओ। हा होईल दान पसावो।

येणें वरें ज्ञानदेवो। सुखिया जाला॥

Dnyaneshwar Abhang – ज्ञानेश्वर के और भी कुछ महत्वपूर्ण मराठी “अभंग”

  • अधिक देखणें तरी
  • अरे अरे ज्ञाना झालासी
  • अवघाचि संसार सुखाचा
  • अवचिता परिमळू
  • आजि सोनियाचा दिनु
  • एक तत्त्व नाम दृढ धरीं
  • काट्याच्या अणीवर वसले
  • कान्होबा तुझी घोंगडी
  • घनु वाजे घुणघुणा
  • जाणीव नेणीव भगवंती
  • जंववरी रे तंववरी
  • तुज सगुण ह्मणों कीं
  • तुझिये निडळीं
  • दिन तैसी रजनी झाली गे
  • मी माझें मोहित राहिलें
  • पांडुरंगकांती दिव्य तेज
  • पंढरपुरीचा निळा
  • पैल तो गे काऊ
  • पडिलें दूरदेशीं
  • देवाचिये द्वारीं उभा
  • मोगरा फुलला
  • योगियां दुर्लभ तो म्यां
  • रुणुझुणु रुणुझुणु रे
  • रूप पाहतां लोचनीं

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तेनाली रामा की जीवन कहानी…

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Tenali Rama in Hindi

तेनाली रामकृष्ण, यानि तेनाली रामा एक महान कहानीकार और प्रख्यात तेलुगू कवि थे। उनके द्धारा लिखी गईं कहानियां बच्चों द्धारा खूब पसंद की जाती हैं। यही नहीं तेनाली रामा की कहानियों का स्कूल की किताबों में भी जिक्र किया जाता है। उन्हें ”विकट कवि” के रुप में भी जाना जाता है।

उनकी ख्याति एक महान कवि के रुप में ही नहीं, बल्कि वे अपने चतुर बुद्धि और हास्य के लिए भी मशहूर थे। उन्होंने हिंदुत्व पर भी काफी शानदार ढंग से रचनाएं की हैं। वे विजयनगर राज्य के सम्राट कृष्णदेवराय के दरबार के अष्टदिग्गज उर्फ आठ कवियों में से एक थे।

उनकी और विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय की जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी, उनकी जोड़ी को भी अकबर और बीरबल की जोड़ी कहा जाता था। यही नहीं तेनाली रामा के महान जीवन से प्रेरित होकर उन पर कई फिल्में और नाटक भी बनाए गए हैं। आइए जानते हैं तेनाली रामा और उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में विस्तार से-

तेनाली रामा की जीवन कहानी – Tenali Rama

Tenali Rama

तेनाली रामा के बारे में एक नजर में – Tenali Rama Information

पूरा नाम (Name) तेनाली रामाकृष्ण
जन्म (Birthday) 16वीं सदी, गुंटूर जिले, आंध्रप्रदेश
पिता (Father Name) गरलापति रमय्या
माता (Mother Name) लक्ष्मम्मा
शिक्षा (Education) अशिक्षित

तेनाली रामा का जन्म, प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा – Tenali Rama Biography

तेनाली रामा 16वीं सदी में आंध्रप्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाले ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे गरलापति रमय्या और मां लक्ष्मम्मा के बेटे रामलिंग के रुप में जन्में थे। उनके पिता गरलापति रमय्या थे रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर के प्रतिष्ठित पंडित थे।

जबकि, उनकी मां एक घरेलू महिला थीं। जब वे बहुत कम आयु के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था, जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मां ने उनकी नाना-नानी के घर ”तेनाली गांव” में किया था।

तेनाली रामा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे बपचन में शिव के काफी बड़े भक्त थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना धर्म बदलकर वैष्णव धर्म अपना लिया था फिर भगवान विष्णु की भक्ति में तल्लीन रहने लगे थे और अपना नाम रामकृष्ण रख लिया था।

तेनाली रामा की शिक्षा – Tenali Rama Education

वहीं प्रख्यात कवि तेनाली रामा की अगर शिक्षा की बात करें तो उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की। अनपढ़ और अशिक्षित होने के बाबजूद भी उन्हें तमिल, कन्नड़, मराठी, समेत कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी।

दरअसल, तेनाली रामा जी को शुरु से ही ज्ञान पाने की भूख थी इसलिए अशिक्षित होने के बाबजूद भी वे एक महान ज्ञानी और विद्धान बने। युवावस्था में रामकृष्ण जी की मुलाकात एक साधू बाबा से हुई। उन्होंने रामकृष्ण को देवी काली उपासना करने की सलाह दी, लेकिन बाद में तेनाली रामा जी विजयनगर की ”भगवत मेला” की मशहूर मंडली में शामिल हो गए और इस मंडली का हिस्सा बनकर उन्होंने कई तरह के कार्यक्रम कर न सिर्फ वहां की जनता के दिलों में जगह बनाई।

बल्कि अपने प्रदर्शन से विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय को भी प्रभावित किया, जिसके बाद कृष्णदेवराय जी ने उन्हें अपने दरबार में हास्य कवि के रुप में रख लिया और फिर बाद में वे उनके दरबार के अष्टदिग्गज कवि में शामिल हो गए।

तेनाली और राजा कृष्णदेवराय की मशहूर जोड़ी – Tenali Rama And Krishnadevaraya Story

महान कवि तेनाली रामा जी बाद में विजयनगर राज्य सम्राट कृष्णदेवराय जी  के सबसे करीबी के तौर पर पहचाने जाने लगे। राजा कृष्णदेवराय जी और तेनाली रामा की जोड़ी को सम्राट अकबर और बीरबल की जोड़ी के रुप में देखा जाने लगा।

राज कृष्णदेवराय जी के अष्टदिग्गज कवियों में से एक तेनाली जी कई बार अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से विजयनगर के सम्राट को कठिन परिस्थितियों से उबारने में उनकी मद्द की थी एवं बाद में अपनी चतुराई से विजयनगर राज्य को दिल्ली सल्तनत से बचाया था।

तेनाली रामकृष्ण के साहित्यिक कार्य – Tenali Rama Books

तेनाली रामा अपनी चतुराई, बुद्धिमत्ता और प्रतिभा के लिए प्रख्यात थे। उन्होंने अपनी साहित्यिक प्रतिभा के बल पर अपनी छवि एक प्रख्यात कवि के रुप में बनाई थी। प्रमुख रुप से उन्होंने तेलुगू साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके द्धारा रचित ”पांडुरंग महात्मयं” को तेलुगू साहित्य के पंच महाकाव्यों में शामिल किया गया है।

उन्होंने अपनी इस रचना को स्कंदपुराण से प्रभावित होकर लिखा था। इसके अलावा ‘चतुवु’ नामक नाम से तेनाली रामा जी ने उपन्यास और कविताओं की रचनाओं की है। वहीं तेनाली रामकृष्ण जी को जब विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय जी ने अपना दरबार के आठ कवियों में स्थान दिया था, उसी समय से तेनाली रामा जी की प्रसिद्धि और अधिक बढ़ गई थी। यही नहीं उनकी ख्याति एक लोकनायक के रुप में भी फैली हुई थी।

इसके अलावा तेनाली रामा जी ने धर्म पर भी कुछ रचनाएं की हैं। वहीं उनके द्धारा रचित कविताओं में उद्भटाराध्य चरितामु आज भी काफी लोकप्रिय है। उनकी यह कविता पालाकुरिकी सोमनाथ की बसवा पुराण पर आधारित है। जबकि रामलिंग और रायलू उनके जीवन की सबसे अधिक प्रख्यात कहानियां हैं।

वहीं तेनाली रामा जी के महान कामों की वजह से उन्हें कुमार भारती जी की उपाधि दी गई थी। यही नहीं उनके सम्मान में संस्कृत कविता महिषासुरमर्दिनी स्त्रोतम की भी रचना की गई है।

तेनाली रामा पर बने नाटक और फिल्में – Tenali Rama Serial

तेनाली रामा जी एक ऐसे कवि थे, जिनके प्रभावशाली जीवन से प्रभावित होकर कई फिल्में और नाटक बनाए गए हैं। आपको बता दें कि उनके जीवन पर लिखा गया नाटक ” द एडवेंचर ऑफ तेनाली रामा”काफी प्रसिद्ध है। साल 2003 में कार्टून नेटवर्क ” द एडवेंचर ऑफ तेनाली रामण” नाम की एक एनिमेटेड सीरीज भी शुरु की गई थी।

यही नहीं तेनाली रामा जी के जीवन पर एक कन्नड़ फिल्म ”हस्यरतना रामकृष्ण”, साल 1982 में बनाई गई थी, जिसका निर्देशन बी.एस. रंगा ने किया था। इस फिल्म में अनंत नाग ने कवि रामकृष्ण जी का किरदार निभाया था, इसके अलावा आरती भी इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थी। इसके अलावा उनके जीवन पर आधारित सब टीवी चैनल  पर ”तेनालीरामा” नाम का धारावाहिक भी टेलीकास्ट किया गया था।

वहीं 1990 में दूरदर्शन पर भी टी.एस. नागभारना ने तेनाली राम नाम की एक हिन्दी टीवी सीरीज बनाई थी, जो कि बाद में काफी प्रसिद्ध हुई थी, इस टीवी सीरीज में विजय कश्यप मुख्य भूमिका में दिखे थे, आपको बता दें कि उनकी यह फिल्म कमला लक्ष्मण की शॉर्ट मूवीज पर आधारित थी। इसके अलावा साल 2014 में तेनालीरामा नाम पर एक फिल्म भी आई थी। यह फिल्म तेनाली रमण की हास्य कहानियों पर आधारित थी।

इसके साथ ही महान कवि तेनाली रामा जी द्धारा लिखित कई कहानियों से जुड़ी कई किताबें भी प्रकाशित की जा चुकी है, जो कि बच्चों द्धारा खूब पसंद की जाती हैं।

तेनाली रामा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक और दिलचस्प बातें – Facts About Tenali Rama

  • महान तेलगू कवि तेनाली रामा जी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे अपने प्रारंभिक जीवन में शिव के बहुत बड़े उपासक थे, लेकिन बाद में उन्होंने वैष्णव धर्म अपना लिया था और वे भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहने लगे थे। इसके साथ ही आगे चलकर उन्होंने अपना नाम रामकृष्ण रख लिया था, वहीं वे तेनाली गांव से संबंधित थे, इसलिए उनका नाम बाद में तेनाली रखा गया था।
  • प्रख्यात कवि तेनाली रामा जी को उनके द्धारा रचित पांडुरंग महात्म्यं काव्य को तेलुगू साहित्य में सबसे अहम स्थान दिया गया है। उनके द्धारा रचित यह महाकाव्य उनके पांच महाकाव्यों में से एक माना जाता है, इसलिए उनका नाम ”विकट कवि” भी रखा गया है।
  • तेनाली राम न सिर्फ अपनी काव्य प्रतिभा के लिए मशहूर थे, बल्कि वे अपनी बुद्दिमत्ता और चतुराई के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने अपनी विवेकशीलता के तर्ज पर विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय जी के ह्रद्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया था, इसके अलावा उन्होंने अपने राज्य विजयनगर को दिल्ली के सुल्तानों से भी बचाया था। इसके अलावा कृष्णदेवराय और तेनाली रामा के बीच कई प्रसिद्ध कहानियां भी हैं।
  • तेनाली रामा जी के बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि शुरुआत में शिव भक्त होने के बाबजूद भी उन्होंने बाद में वैष्णव धर्म अपना लिया था, वहीं इसी की वजह से उन्हें अपने नियम-कायदों के लिए मशहूर गुरुकुल में शिक्षा देने से मना कर दिया गया था, जिसके चलते तेनाली रामा जी हमेशा ही अशिक्षित रह गए थे, हालांकि अशिक्षित होने के बाद भी उनकी गणना महान पंडितों और ज्ञानियों में होती है।
  • तेनाली रामा जी की सबसे बड़ी खासियत थी कि वे कभी भी बडे़ से बड़े दुश्मन के आगे झुकते नहीं थे। इसके अलावा वे अपने समय के सबसे अधिक बुद्दिजीवी व्यक्ति थे।
  • तेनाली राम जी अपने हास्य, बुद्दि और कहानियों के लिए काफी मशहूर थे।
  • तेनाली रामा जी के जीवन की काल्पनिक घटनाओं को कार्टून नेटवर्क चैनल पर “The Adventures Of Tenali Rama” में बखूबी प्रदर्शित किया गया है।

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दुनिया की सबसे लंबी दीवार “दी ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना”

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The Great Wall of China in Hindi 

चीन की विशाल दीवार मनुष्यों द्धारा निर्मित एक महान संरचना है, जिसका इतिहास 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। यह अपनी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता की वजह से विश्व के सात अजूबों में से एक है।

इस विशाल दीवार को ”छांग छंग” के नाम से भी जाना जाता है। करीब 6400 किलोमीटर लंबी इस विशाल दीवार का निर्माण किसी एक सम्राज्य और एक शासक ने नहीं करवाया है, बल्कि इस निर्माण चीन के अलग-अलग शासकों द्धारा किया गया है।

आपको बता दें कि अलग-अलग सम्राज्यों के शासकों ने अपने क्षेत्रीय इलाकों की रक्षा के लिए इस विशाल दीवार का निर्माण करवाया था। उस दौरान ”द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना” का इस्तेमाल माल की हेरा-फेरी के लिए किया जाता था। विश्व के सात अजूबों में से एक यह चीन की विशाल दीवार चीन के करीब 15 इलाकों में फैली हुई है।

यह विशाल दीवार बीजिंग से शुरु होती है, और जिययुगुआन तक फैली हुई है। वहीं एक पुरातात्विक सर्वेक्षण के मुताबिक यह दीवार 15 प्रांतों को पार करती हुई और उत्तर-पश्चिम में शिजियांग से एवं पूर्व में कोरिया की सीमा तक फैली हुई है।

आपको बता दें कि द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना सिर्फ एक ही दीवार नहीं है, बल्कि यह कई दीवारों का संग्रह हैं। 17वीं सदी के बाद से 20 से भी ज्यादा सम्राज्यों ने इन विशाल दीवार के निर्माण काम की जिम्मा बेहद गंभीरता से संभाला था।

बैडलिंग, इस दीवार का सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला हिस्सा है, यहां से सबसे ज्यादा आर्कषक एवं आश्चर्यजनक सीन देखने को मिलते हैं।

चाइना की इस महान दीवार के निर्माण को लेकर सबसे अधिक हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस दीवार को बनाने में ज्यादा मेहनत न करने वाले हजारों मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया गया था और उनकी लाशों को इस दीवार के नीचे ही दफन कर दी जाती थी, शायद इसलिए चीन की इस विशाल संरचना को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है।

इसके अलावा लाखों मजदूरों को जबरन कैद कर सजा के रुप में इस दीवार का निर्माण काम करवाया गया था। इस दीवार के निर्माण में करीब 20 से 30 लाख लोगों ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था, तब जाकर इस विशाल संरचना का निर्माण हुआ था। आइए जानते हैं, चीन की इस महान दीवार के बारे में –

दुनिया की सबसे लंबी दीवार “दी ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना” – The Great Wall of China

The Great Wall of China

चीन की विशाल दीवार का निर्माण – Great Wall Of China History in Hindi

मनुष्य द्धारा निर्मित दुनिया की सबसे विशाल संरचना द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना का निर्माण किसी एक राजवंश और शासक ने नहीं करवाया बल्कि इसके निर्माण में बहुत सारे सम्राज्य और सम्राटों का योगदान है।

इतिहास में उल्लेखित तथ्यों के मुताबिक 720 से 221 ईसा पूर्व के दौरान चीन की महान दीवार का निर्माण काम झोऊ राजवंश की देखरेख में हुआ। इसके बाद चीन की उत्तरी सीमा पर करीब 221 ईसा पूर्व से 207 ईसा पूर्व तक किन राजवंश द्धारा चीन की इस विशाल दीवार का निर्माण किया गया।

इसके बाद हान राजवंश ने इस विशाल दीवार के निर्माण काम में अपना सहयोग दिया, इस दौरान इस महान दीवार को सिल्क रोड व्यापार की रक्षा के लिए बढ़ाया गया था।

और फिर इसके बाद 1368 ईसवी से 1644 के बीच मिग राजवंश ने इस दीवार के निर्माण काम को आगे बढ़ाया, इस अवधि के दौरान इस दीवार का अधिकांश हिस्से का निर्माण किया गया।

इस दीवार के निर्माण में चावल के आटे समेत रेती, पत्थर, ईट और मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है।

चीन की महान दीवार का निर्माण करने का मुख्य मकसद – Main Purpose Of Great Wall Of China

विश्व की इस सबसे विशाल मानव निर्मित संरचना का निर्माण मूल रूप से एक युद्धकालीन रक्षा के रूप में अर्थात दुश्मनों के हमलों से बचने के लिए एवं चीन को एकजुट करने एवं रेशम मार्ग के रुप में इसका इस्तेमाल करने के लिए किया गया था।

इसके अलावा इस रुट का इस्तेमाल माल की हेरा-फेरी के लिए अर्थात व्यापार और परिवहन के उद्देश्य से भी किया गया था।

आपको बता दें कि उस दौरान मंगोलियाईओं से चीन को खतरा था, वे अक्सर चीन पर आक्रमण करने की फिराक में रहते थे, इसलिए इस विशाल दीवार को खासकर मंगोलियाई हमलों और दुश्मनों के हमलों से रक्षा के लिए किया गया था।

आपको बता दें कि चीन की इस विशाल दीवार में चीन की सीमा पर निगरानी रखने के लिए कई लुक आउट टॉवर भी बनाए गए हैं। वहीं जब चीन के पहले शासक किन शी हुआंग ने पहली बार विश्व की इस सबसे विशाल संरचना का  प्रस्ताव रखा था, उस दौरान उत्तरी हमलावर जनजातियों से चीनी राज्यों की रक्षा करना उनका एकमात्र उद्देश्य था।

दुनिया के सात अजूबों में से एक है चीन की महान दीवार – 7 Wonders Of The World Great Wall Of China

द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, विश्व की सबसे विशाल मानव निर्मित संरचना है, जो कि सिर्फ एक लंबी दीवार ही नहीं है, बल्कि कई दीवारों और किलों की एक श्रंखला है। इस महान दीवार को लाखों मजदूरों द्धारा 2 हजार से भी ज्यादा सालों में बनाया गया है।

अपनी अद्भुत बनावट और भव्यता के लिए मशहूर इस दीवार को दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। दुश्मनों के हमलों से रक्षा के लिए बनाई गई इस विशाल दीवार में कई वॉच टॉवर समेत आग, धुएं आदि का संकेत देने के लिए सिंग्नल की सुविधाएं भी है।

इसके अलावा इस महान दीवार में सेना बैरकों समेत अन्य नियंत्रण तंत्र का भी निर्माण किया गया है।

कई हजार साल पहले बनी द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना का निर्माण इस तरह किया गया है कि यह विशाल दीवार, कोई एक सामान्य दीवार नहीं बल्कि किलेबंदी एवं कई दीवारों का एक विशाल संग्रह है, जिनमें से कुछ एक-दूसरे के समानांतर बनी हुई हैं, जबकि अन्य कुछ परिपत्र की तरह हैं।

लाखों कारीगरों द्धारा निर्मित इस विशाल दीवार को बनाने का ज्यादातर काम हाथों से किया गया था, हालांकि इस विशाल संरचना को बनाने में उस समय इस्तेमाल होने वाली प्राचीन तकनीक रस्सी, टोकरी, चरखी, पहिया ठेला, घोड़े या बैल-गाड़ी आदि का भी इस्तेमाल किया गया था।

चीन की महान दीवार बनाने में लगा कुल समय – Great Wall Of China Building Time

कई सम्राज्यों और शासकों द्धारा निर्मित चीन की इस विशाल दीवार के निर्माण काम में करीब 2 हजार से भी ज्यादा का लंबा वक्त लगा। 6400 किलोमीटर लंबी इस दीवार को नापने के लिए नॉर्वे से आए स्टीफन रॉबर्ट लोकेन को करीब 691 दिन लगे थे। इस विशाल दीवार के अंदर कई हजार चीनी अवशेष है।

”द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना” की शुरुआत बिंदु हुशान पर शुरु होकर जियागुआन पास पर खत्म होता है, जबकि यह विशाल दीवार लाओलोन्गतोऊ और बोहई सागर में खत्म होती है।

चीन की महान दीवार के इतिहास में जियागुआन पास को सबसे प्रभावी सैन्य प्रणाली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह आक्रमणकारियों को चीन की सीमाओं में प्रवेश करने से प्रभावी ढंग से रोकता है।

आपको बता दें कि यह विश्व का सबसे बड़ा पास है, जिससे कई सैन्य कहानियां जुड़ी हुई हैं।

चीन की विशाल दीवार से जुड़े कुछ दिलचस्प एवं रोचक तथ्य – Facts about The Great Wall of China

  • द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना में करीब 700 लुकआउट टावर (निगरानी के लिए) बने हुए हैं, इसके निर्माण में करीब 2 हजार साल का लंबा वक्त लगा था।
  • दुनिया के सात अजूबों में से एक चीन की महान दीवार के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस दीवार का निर्माण किसी एक सम्राट द्धारा नहीं किया गया है, बल्कि कई सम्राटों और शासकों ने इस विशाल दीवार के निर्माण में अपना सहयोग दिया है।
  • चीन की इस विशाल दीवार के बीच में महात्मा गांधी के मंदिर और युद्ध के देवता (God Of War) के मंदिर बनाए गए हैं, जो कि देखने में बेहद आर्कषक लगते हैं। यह दीवार आम पर्यटकों के लिए साल 1970 ईसवी में खोली गई थी।
  • पृथ्वी पर बनी इस सबसे लंबी दीवार की लंबाई करीब 6 हजार 400 किलोमीटर है, जो कि मनुष्यों द्धारा बनाई गई सबसे विशाल संरचनाओं में से एक है। इस विशाल दीवार के निर्माण के दौरान व्हीलबारो का अविष्कार किया गया था। वहीं इस दीवार को बनाते समय इसके पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था।
  • विश्व की इस सबसे लंबी दीवार में कई खाली जगहें भी हैं, अगर इन खाली जगहों को जोड़ दिया जाए तो इसकी कुल लंबाई 8 हजार 848 किलोमीटर हो जाएगी। वहीं अगर इस दीवार की चौड़ाई की बात करें तो इसमें एकसाथ करीब 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गस्त कर सकते हैं।
  • दुनिया के सबसे महंगे संरचनाओं में से एक द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना एक पूरी दीवार नहीं है, बल्कि कई छोटे-छोटे हिस्सों से मिलकर बनी है।
  • 6400 किमी लंबी इस विशाल की ऊंचाई एक समान नहीं है, किसी जगह पर यह 9 फुट ऊंची तो कहीं पर यह सिर्फ 35 फुट ही ऊंची है।
  • दुनिया की इस सबसे विशाल संरचना के निर्माण में करीब 4 लाख लोगों की जान चली गई थी। इस दीवार को बनाने वालों के लिए ऐसा भी प्रचलित है कि इस महान दीवार को बनाने में जो कारीगर कड़ी मेहनत नहीं करते थे, उन्हें इस दीवार में दफना दिया जाता था। इस दीवार को विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान कहा जाता है।
  • दुनिया की सबसे महंगी संरचनाओं में से एक द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को पहले दुश्मनों से देश की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन यह दीवार अजेय न रह सकी, इतिहास के सबसे क्रूर और बर्बर शासक चंगेज खान ने 1211 ईसवी में इस महान दीवार को तोड़ने के बाद चीन पर आक्रमण किया था। और फिर इस विशाल दीवार का इस्तेमाल परिवहन और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए किया जाने लगा था।
  • दुनिया के सात अजूबों में से एक चीन की विशाल दीवार के बारे में हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस महान सरंचना से ईंटों की चोरी होती है। 1960 से 1970 के दशक में लोगों ने इस दीवार से ईंटें निकालकर अपने लिए घर बनाने शुरु कर दिए थे। आपको बता दें कि तस्कर बाजार में इस विशाल दीवार की एक ईंट की कीमत करीब 3 पौंड तक मानी जाती है। इस महान दीवार की चोरी होने, सही तरीके से देखरेख नहीं होने एवं खराब मौसम के प्रभाव की वजह से करीब एक तिहाई हिस्सा गायब हो चुका है।
  • चीन की इस महान दीवार को वर्ल्ड हेरिटेज साइट यूनेस्को ने साल 1987 में विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया था।

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Pele Success And Inspiring Quotes in Hindi

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Pele Quotes in Hindi

पेले 20 वी शताब्दी के सबसे प्रभावशाली और आदर्श फुटबॉलर थे। उनके उत्साह, जोश और उमंग की बदौलत ही ब्राज़ील में इस खेल की शुरुवात की गयी थी।

पेले  के सर्वश्रेष्ठ विचार – Pele Quotes in Hindi

Pele
Pele doesn’t die. Pele will never die. Pele is going to go on for ever.

“पेले मरता नहीं है। पेले कभी नहीं मरेगा। पेले हमेशा-हमेशा के लिए रहेगा।

सफलता कोई आकस्मिक घटना नही है। यह कठिन परिश्रम, लगन, ज्ञान, अभ्यास, बलिदान और जो आप कर रहे हो उससे प्यार करने और उसे करने की चाह होने का ही परिणाम है।

पेले
Brazil eats, sleeps and drinks football. It lives football!

“ब्राज़ील फुटबॉल खाता, सोता और पीता है। यह फुटबॉल जीता है।

पेनाल्टी स्कोर करने का सबसे कायर तरीका है।

soccer player pele
Enthusiasm is everything. It must be taut and vibrating like a guitar string.

“उत्साह सबकुछ है। ये गिटार के तार की तरह कसा और वाइब्रेट करता हुआ होना चाहिए।

सबकुछ अभ्यास ही है।

abedi pele
Sport is something that is very inspirational for young people.

“खेल कुछ ऐसा है जो युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है।

मै नही मानता की फुटबॉल प्लेयर के “जन्म” जैसी कोई चीज है। हो सकता है की आप कुछ योग्यताओ और कौशल के साथ जन्म लो लेकिन जन्म लेते ही आपमें एक फुटबॉल प्लेयर के गुण होना असंभव है।

pele quotes in hindi
I am constantly being asked about individuals. The only way to win is as a team. Football is not about one or two or three star players.

“मुझसे लगातार व्यक्ति विशेष के बारे में पूछा जाता है। जीतने का एक ही तरीका है टीम के रूप में जीतो। फुटबॉल एक दो या तीन स्टार खिलाड़ियों के बारे में नहीं है।

यदि आप पहले हो तो आप पहले ही रहोंगे। यदि आप दुसरे हो तो आप कुछ भी नही हो।

Pele quotes with wallpaper
Everything on Earth is a game. A passing thing. We all end up dead. We all end up the same, don’t we?

“पृथ्वी पर हर एक चीज एक खेल है। एक खत्म हो जाने वाली चीज। हम सभी एक दिन मर जाते हैं। हम सभी का एक ही अंत है, नहीं?

जितनी ज्यादा मुश्किल जीत होगी उतनी ही ज्यादा ख़ुशी जीतने में होगी।

Greatest Football Player Pele Hindi Quotes
Everything is practice.

“अभ्यास ही सबकुछ है।

लोग पेले और माराडोना के बीच बहस करते है। दी स्टेफनो ही सर्वश्रेष्ट है, वह ही परिपूर्ण है।

 pele footballer quotes with picture,
Wherever you go, there are three icons that everyone knows: Jesus Christ, Pele and Coca-Cola.

“आप जहां भी जाएं, तीन प्रतीक हैं, जिन्हे हर कोई जानता है, यीशु मसीह, पेले और कोका कोला।

पेनाल्टी गोल करने का कायरतापूर्ण तरीका है।

Pele Picture
A penalty is a cowardly way to score.

“पेनाल्टी स्कोर करने का सबसे कायर तरीका है।

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Helen Keller Quotes in Hindi with pictures

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Helen Keller Quotes in Hindi

हेलेन केलर को 20 वी शताब्दी की सबसे प्रभावशाली लोगो की सूचि में शामिल किया गया था और पुर्णतः अंधी होने के बावजूद उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनायीं थी।

हेलेन केलर के अनमोल विचार –  Helen Keller Quotes in Hindi

Helen Keller
Alone we can do so little; together we can do so much.

“अकेले हम कितना कम हासिल कर सकते हैं, साथ में कितना ज्यादा।

दुनिया में सबसे बेहतरीन और सबसे खुबसूरत चीजो को ना देखा जा सकता है और ना ही छुआ जा सकता है – उन्हें सिर्फ दिल से महसूस किया जा सकता है।

हेलेन केलर
We can do anything we want to if we stick to it long enough.

“यदि हम अपने काम में लगे रहे तो हम जो चाहें वो कर सकते हैं।

भले ही यह पूरी दुनिया पीड़ित हो, यह पूरी दुनिया उसपर काबू भी पा लेगी।

helen keller quotes in hindi
Instead of comparing our lot with that of those who are more fortunate than we are, we should compare it with the lot of the great majority of our fellow men. It then appears that we are among the privileged.

“खुद की तुलना ज्यादा भाग्यशाली लोगों से करने कि बजाये हमें अपने साथ के ज्यादातर लोगों से अपनी तुलना करनी चाहिए। और तब हमें लगेगा कि हम कितने भाग्यवान हैं।

जब ख़ुशी का एक दरवाजा बंद होता है तो दुसरा खुल जाता है, लेकिन यदि हम ज्यादा देर तक बंद दरवाजे की तरफ देखते रहे तो हम उस दरवाजे को नही देख पायेंगे जो हमारे लिये खुला हुआ हो।

Helen Keller image
Faith is the strength by which a shattered world shall emerge into the light.

“विश्वास वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में भी प्रकश किया जा सकता है।

अपने चेहरे को हमेशा चमकदार रखिये ताकि आपको परछाई ना देखनी पड़े।

Helen Keller photo
A character cannot be developed in ease and quiet. Only through experience of trial and suffering can the soul be strengthened, ambition inspired, and success achieved.

“चरित्र का विकास आसानी से नहीं किया जा सकता। केवल परिक्षण और पीड़ा के अनुभव से आत्मा को मजबूत, महत्त्वाकांक्षा को प्रेरित, और सफलता को हासिल किया जा सकता है।

अकेले हम बहुत कम कर सकते है, एक साथ हम बहुत कुछ कर सकते है।

Helen Keller pic
All the world is full of suffering. It is also full of overcoming.

“पूरी दुनिया कष्टों से भरी है। और उन कष्टों को पार पाने से भी।

आशावादी होना एक भरोसा है जो हमें उपलब्धियों की तरफ ले जाता है। क्योकि आशा और भरोसे के बिना कुछ नही किया जा सकता।

“पढाई का सबसे बड़ा परिणाम सहनशीलता है।

Helen Keller thoughts
I am only one, but still I am one. I cannot do everything, but still I can do something; and because I cannot do everything, I will not refuse to do something that I can do.

“मैं अकेली हूँ, लेकिन फिर भी मैं हूँ। मैं सबकुछ नहीं कर सकती, लेकिन मैं कुछ तो कर सकती हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकती, मैं वो करने से पीछे नहीं हटूंगी जो मैं कर सकती हूँ।

मुझे किसी अच्छे और महान काम को करने के लिये काफी दूर तक जाना पड़ा, लेकिन यदि कोई छोटा काम भी महान और अच्छा हो तो पहले उसे पूरा करना मेरा कर्तव्य होगा।

Helen Keller
I long to accomplish a great and noble task, but it is my chief duty to accomplish small tasks as if they were great and noble.

“मैं महान और अच्छे काम करना चाहती हूँ, लेकिन यह मेरा परम कर्तव्य है कि मैं छोटे कामों को भी ऐसे करूँ जैसे कि वो महान और नेक हों।

किसी निराशावादी ने अबतक तारो के रहस्य को नही ढूंडा है और ना ही अपरिचित जमीन पर जलयात्रा की और ना ही मानवी उत्साह के लिये किसी नये दरवाजे को खोला है।

helen keller in hindi
The most beautiful things in the world cannot be seen or even touched, they must be felt with the heart.

“दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजें ना ही देखी जा सकती हैं और ना ही छुई, उन्हें बस दिल से  महसूस किया जा सकता है।

जिंदगी या तो महान साहसिक कारनामा हो सकती है या कुछ भी नही।

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बिल गेट्स के 10+ प्रसिद्ध अनमोल विचार

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Bill Gates Quotes In Hindi

विलियम हेनरी बिल गेट्स III एक अमेरिकन बिज़नस के प्रभावशाली व्यक्ति, उद्योगपति, लोकोपकारी, निवेशक और प्रोग्रामर थे। 1975 में गेट्स और पॉल एलन ने मिलकर माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना की और आज माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी पर्सनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी है।

बिल गेट्स के प्रसिद्ध अनमोल विचार – Bill Gates Quotes in Hindi

Bill Gates
640K ought to be enough for anybody.

“640 किलो बाईट किसी के लिए भी काफी होगा।

मुझे लगता है अमीरों द्वारा गरीबों की मदद किये जाने का जो सामान्य विचार है, वो महत्त्वपूर्ण है।

“सबसे गजब के दानी वे लोग होते हैं जो वास्तव में एक सार्थक बलिदान दे रहे हों।

बिल गेट्स
As we look ahead into the next century, leaders will be those who empower others.

“अगर हम अगली सदी की तरफ देखें तो लीडर वो होंगे जो दूसरों को सशक्त बना सकें।

बड़ी जीत के लिए आपको कभी-कभी बड़े जोखिम उठाने पड़ते हैं।

“अपने आप को किसी और के साथ कम्पेयर मत करो। अगर तुम ऐसा करते हो, तो तुम अपनी बेइज्जती कर रहे हो।

If you can’t make it good, at least make it look good.
If you can’t make it good, at least make it look good.

“यदि आप अच्छा बना नहीं सकते तो कम से कम ऐसा करिए कि वो अच्छा दिखे।

कठिन काम को करने के लिए मैं एक आलसी आदमी को ढूंढता हूँ। क्योंकि एक आलसी आदमी उसे करने का एक आसान तरीका ढूंढ निकालेगा।

“दुनिया आपके आत्मसम्मान की परवाह नहीं करेगी। अपने बारे में अच्छा महसूस करने से पहले दुनिया आपसे उम्मीद करेगी कि आप कुछ प्राप्त करें।

Bill Gates Thoughts in Hindi

bill gates quotes
If I’d had some set idea of a finish line, don’t you think I would have crossed it years ago?

“अगर मैं पहले से कोई अंतिम लक्ष्य बना के चलता तो क्या आपको नहीं लगता है कि मैं उसे सालों पहले पूरा कर चुका होता।

अगर तुम गरीब पैदा हुए हो तो ये तुम्हारी गलती नहीं है, लेकिन अगर तुम गरीब मर जाते हो तो ये तुम्हारी गलती है।

“तंत्रज्ञान केवल एक साधन है। किसी बच्चे से काम करवाने और उसे प्रेरित करने के लिये, एक शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

about bill gates
It’s fine to celebrate success but it is more important to heed the lessons of failure.

“सफलता की खुशि मनाना ठीक है लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है।

जैसे-जैसे हम अगली पीढ़ी की तरफ देखते है वैसे-वैसे पाते है की लीडर वह है जो दूसरो को सशक्त बनाये।

“जिंदगी सुंदर नही है, इसका उपयोग कीजिये।

bill gates house
Success is a lousy teacher. It seduces smart people into thinking they can’t lose.

“सफलता एक घटिया शिक्षक है। यह लोगों में यह सोच विकसित कर देता है कि वो असफल नहीं हो सकते।

जब मै छोटा था तब मै बहुत सपने देखता था और और जैसे-जैसे मै बड़ा होते गया वैसे-वैसे मैंने पाया की मेरे पास सपनो से सिखने के बहुत मौके है।

Bill Gates hindi
Whether it’s Google or Apple or free software, we’ve got some fantastic competitors and it keeps us on our toes.

“चाहे वो गूगल हो या एप्पल या फ्री सॉफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं।

मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की यदि आप लोगो को समस्या दिखाओगे और यदि उसका समाधान बताओगे तो वे लोग काम करने लगेंगे।

Bill Gates image
There are people who don’t like capitalism, and people who don’t like PCs. But there’s no-one who likes the PC who doesn’t like Microsoft.

“ऐसे लोग हैं जिन्हें पूँजीवाद पसंद नहीं है, और ऐसे लोग भी हैं जिन्हें पर्सनल कम्प्यूटर्स पसंद नहीं है। पर ऐसा कोई भी नहीं है जिसे पी सी पसंद हो और वो माइक्रोसोफ्ट को पसंद ना करता हो।

टेलीविज़न असली जिंदगी नही है। क्योकि असल जिंदगी में लोगो को कॉफ़ी शॉप छोड़कर जॉब करने जाना पड़ता है।

bill gates quotes in hindi
Your most unhappy customers are your greatest source of learning.

“आपके सबसे असंतुष्ट कस्टमर आपके सीखने का सबसे बड़ा श्रोत हैं।

हम सभी को ऐसे लोगों की ज़रुरत होती है जो हमें फीडबैक दें। हम इसी तरह इम्प्रूव होते हैं।

bill gates net worth
Life is not fair; get used to it.

“जीवन न्याययुक्त नहीं है, इसकी आदत डाल लीजिये।

कंप्यूटर नोटबुक के बारे में सबसे अच्छी बात ये है कि आप इसमें चाहे जितना कुछ भर दें, ये बड़ा या भारी नहीं होता है।

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महाराष्ट्र का डरावना शनिवार वाड़ा जहां आज भी सुनाई देती हैं दर्द भरी गूंज…

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Shaniwar Wada History in Hindi

महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित शनिवार वाड़ा अपने आप में कई अनसुने  रहस्यों को समेटे हुए है। यह विशाल किला मराठा साम्राज्य को नई ऊंचाईयों में पहुंचाने वाले बाजीराव द्धारा 1746 ईसवी में बनवाया गया था।

शनिवार वाड़ा बाजीराव-मस्तानी की अधूरी प्रेमकहानी के साथ ही पेशवाओं के प्रगति और पतन की रहस्यमयी गाथा की याद दिलाता है। इसके अलावा यह विशाल किला अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है।

आपको बता दें कि 18वीं सदी में यह किला भारतीय राजनीति का प्रमुख केन्द्र माना जाता था। शनिवार वाड़ा किला करीब 1818 ईसवी तक मराठाओं के पेशावाओं के अधिकार में रहा।

इसके बाद 1828 में इस महल का बड़ा हिस्सा भीषण आग की चपेट में आकर तबाह हो गया था और आज एक ऐतिहासिक अवशेष के रुप में यह किला बचा हुआ है, और महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

इसके अलावा इस किले को भारत की सबसे रहस्यमयी और भूतहा स्थलों में शामिल किया गया है। दरअसल, स्थानीय लोगों के मुताबिक इस विशाल शनिवार वाड़ा में हर अमावस्या की रात को एक दर्द भरी गूंज सुनाई देती है, जो कि सहायता के लिए पुकारती हुई सी प्रतीत होती है।

इसके अलावा शनिवार वाड़ा किले के बारे में यह भी प्रचलित है कि इस किले में राजनीतिक दांवपेच और सत्ता के लालच में मराठाओं के 5वें पेशवा नारायणराव की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद से उसकी आत्मा इसी किले में भटकती है, ऐसा कहा जाता है कि नारायण राव की चीखें आज भी इस ऐतिहासिक किले में गूंजती है।

फिलहाल, अभी तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। हालांकि, यह महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख पर्यटक और ऐतिहासिक स्थलों में से एक माना जाता है।

आइए जानते हैं शनिवाड़ा किले के निर्माण का इतिहास और इससे जुड़े कुछ रहस्यमयी तथ्यों के बारे में-

महाराष्ट्र का डरावना शनिवार वाड़ा जहां आज भी सुनाई देती हैं दर्द भरी गूंज – Shaniwar Wada History in Hindi

Shaniwar Wada

शनिवार वाड़ा किले का निर्माण – Shaniwar Wada Information

महाराष्ट्र के पुणे में स्थित इस ऐतिहासक किले शनिवार वाड़ा का निर्माण 18वीं सदी में मराठा साम्राज्य को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले सम्राट बाजीराव प्रथम ने करवाया था।

आपको बता दें कि बाजीराव प्रथम, मराठा शासक छत्रपति शाहूजी महाराज के प्रधान थे। इस किले को मराठाओं ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से अपना नियंत्रण खोने के बाद तीसरे आंग्ल-मराठा युद्द के बाद करवाया था।

इस भव्य ऐतिहासिक किले की नींव 10 जनवरी, 1730 में रखी गई थी। वहीं शनिवार के दिन इस विशाल दुर्ग की नींव रखे जाने की वजह से इस किले का नाम ”शनिवार वाड़ा” पड़ गया।

यह किला 1732 में बनकर तैयार हुआ था। वहीं 22 जनवरी, 1732 में इस किले का उद्घाटन शनिवार के दिन ही किया गया था। इस सात मंजिला विशाल दुर्ग की दीवारों पर रामायण और महाभारत के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।

इस भव्य किले की निर्माण की जिम्मेदारी राजस्थान के ठेकेदारों (कुमावत क्षत्रिय) को सौंपी गई थी, किले का निर्माण पूरा होने के बाद उन्हें नाई की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

इस ऐतिहासिक दुर्ग को पहले सिर्फ पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया जाना था, लेकिन फिर बाद में राजा शाहूजी द्धारा पत्थरों का इस्तेमाल पर निर्माण करने पर आपत्ति जताए जाने के बाद इस किले का ईंट द्धारा निर्माण करवाया गया।

दरअसल उस समय पत्थरों से निर्मित ईमारत के निर्माण का हक सिर्फ राजाओं को ही था, हालांकि राजा शाहूजी के आदेश तक इस ऐतिहासिक किले का आधार बनकर तैयार हो चुका था।

लेकिन बाद में फिर मराठा साम्राज्य के पेशवाओं ने इस दुर्ग की सातों मंजिल ईंट का इस्तेमाल कर बनवाईं थीं। इस विशाल ऐतिहासिक संरचना के निर्माण के लिए लकड़ी जुन्नार के जंगलों, पत्थर चिचवाड़ी की खदानों और चूना जेजुरी खदानों से लायी गई थी।

अपना कलात्मकता के लिए मशहूर इस विशाल महल को बनाने में उस समय करीब 16 हजार, एक सौ 10 रुपए की लागत खर्च हुई थी। आपको बता दें कि शनिवार वाड़ा की खासियत यह थी कि इसमें एक साथ एक हजार से भी ज्यादा लोग रह सकते थे।

इतिहासकारों के मुताबिक इस भव्य दुर्ग के निर्माण के बाद इस पर ब्रिटिश सेना ने इस पर हमला किया था, जिससे इस भव्य महल की इमारत क्षतिग्रस्त हो गई थी। वहीं शनिवार वाड़ा का इस्तेमाल पर बाजीराव प्रथम के निवास स्थल के रुप में होता था।

1818 ईसवी तक इस विशाल किले पर मराठा के पेशवाओं का अधिकार रहा। इस दौरान बाजीराव द्दितीय ने अपने पद से इस्तीफा देकर इस दुर्ग को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सर जॉन मल्कोल्म के हवाले कर दिया था और वे उत्तरप्रदेश के कानपुर चले गए थे।

इसके करीब 10 साल बाद 1828 ईसवी में इस किले में भीषण आग लग गई और इस किले का एक बड़ा हिस्सा भयंकर आग की चपेट में आकर नष्ट हो गया था। आपको बता दें कि  आग की लपटें इतनी तेज थीं कि इसे बुझाने में करीब 7 दिन का लंबा वक्त लग गया था।

वहीं शनिवार वाड़ा में लगी आग के कारणों का कभी खुलासा नहीं हो सका। यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। वहीं आग के बाद इस भव्य किले के अब कुछ अवशेष ही बाकी बचे हैं।

शनिवार वाड़ा किले की संरचना – Shaniwar Wada Architecture

शनिवार वाड़ा किला अपनी कलात्मकता, रचनात्मकता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस विशाल किले में प्रवेश के लिए 5 दरवाजे बनाए गए हैं। जिनमें से दिल्ली दरवाजा, मस्तानी दरवाजा, खिड़की दरवाजा, गणेश दरवाजा, जम्भूल दरवाजा या नारायण दरवाजा प्रमुख है।

आपको बता दें कि दिल्ली दरवाजा इस विशाल किले का मुख्य द्धार है, यह दरवाजा इस विशाल किले के अंदर काफी ऊंचा और चौड़ा है। मस्तानी दरवाजा या अलीबहादुर दरवाजा शनिवाड़ा में उत्तर दिशा की तरफ खुलता है, बाजीराव की दूसरी पत्नी मस्तानी अक्सर बाहर जाते समय इस दरवाजे का इस्तेमाल करती थीं।

इसी कारण इस दरवाजे का नाम ”मस्तानी दरवाजा” पड़ा। इसके अलावा इसे अली दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं शनिवार वाड़ा में पूर्व दिशा में खिड़की दरवाजा खुलता है, इसके अलावा दक्षिण पूर्व में गणेश दरवाजा है, जिसका इस्तेमाल महिलाएं कस्बा गणपति मंदिर में दर्शन के लिए जाते समय करती थी।

इसके अलावा यहां दक्षिण दिशा में नारायण दरवाजा खुलता है, जिसका इस्तेमाल दासियां आने-जाने के लिए किया करती थी, इस दरवाजे का दूसरा नाम ‘जम्भूल दरवाजा’ है।

यही नहीं इस भव्य शनिवार वाड़ा किले में कई अन्य छोटी-छोटी इमारतें, जलाशय और लोटस फाउंटेन आदि का भी निर्माण किया गया है, जो कि पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं।

आपको बता दें कि सात मंजिला ऊंचे इस किले में सबसे ऊपरी मंजिल ”मेघादम्बरी’ के नाम से मशहूर थी।

हालांकि, 1828 में इस किले में भयानक आग लगने की कारण यह इमारत नष्ट हो गई, वर्तमान में इसका पत्थर से बना हुआ एक आधार शेष है, इसके अलावा कुछ छोटी-छोटी इमारतें बची हुई हैं।

शनिवार वाड़े में बना लोटस फाउंटेन यहां आने वाले पर्यटकों के आर्कषण का मुख्य केन्द्र है। यह कमल के फूल के आकार में बनी बेहद खूबसूरत आकृति है, जो कि अपनी बेजोड़ कलात्मकता के लिए कफी प्रख्यात भी है।

प्राचीन समय में इसका इस्तेमाल नृतक आदि के लिए किया जाता था। वहीं इस आर्कषित फाउंटेन के पास स्थित फूलों का सुंदर बगीचा इसकी शोभा और भी अधिक बढ़ाता है।

शनिवार वाड़ा किला से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं – Shaniwar Wada Haunted Story

शनिवार वाड़ा किले को भारत के सबसे रहस्यमयी और डरावने किले में शामिल किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस किले में अभी भी हर अमावस्या की रात को दर्द भरी चीखें सुनाईं देती है।

इसके पीछ यह तर्क दिया जाता है कि, बाजीराव के बाद इस महल में सत्ता के लोभ-लालच में महज 18 साल के नारायण राव की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

जिसके बाद से उनकी आत्मा इसी किले में भटकती है और उनकी दर्द भरी आवाज मद्द की पुकार लगाती है।

आपको बता दें कि पेशवा बाजीराव प्रथम के दो बेटे बालाजी बाजीराव उर्फ नानासाहेब और रघुनाथ राव थे। बाद में उनकी मौत के बाद नाना साहेब पेशवा बने। पेशवा नाना साहेब के भी तीन बेटे थे, जिनमें से विशव राव, महादेव राव और नारायण राव शामिल थे।

विशव राव और महादेव राव की मृत्यु के कारण नारायण राव को सिर्फ 17-18 साल की उम्र में ही पेशवा बना दिया गया। वहीं नारायण राव को अल्पायु में ही पेशवा बनाए जाने की वजह से उनके चाचा रघुनाथ राव या राघोबा को उनका संरक्षक बनाया गया।

फिलहाल, रघुनाथ खुद पेशवा बनना चाहते थे, वे अपने तरीके से शासन चलाना चाहते थे। हालांकि, नारायण राव को अपने चाचा रघुनाथ की इस हसरत पर शक था, जिसके चलते दोनों के रिश्तों के बीच कड़वाहट पैदा होने लगी और दोनों के रिश्ते बिगड़ गए।

वहीं हालात इतने खराब हो गए कि दोनों के सलाहकार एक-दूसरे के खिलाफ भड़काने लगे, जिसके बाद नारायण राव ने अपने काका रघुनाथ राव को अपने घर में ही नजरबंद करवा दिया।

जिसके बाद उनकी काकी और रघुनाथ राव की पत्नी आनंदीबाई गुस्से से आग बबूला हो गईं और उन्होंने उनके साम्राज्य में भीलों के एक शिकारी कबीला जो कि गार्दी नाम से प्रसिद्ध थे, उनसे पत्र लिखकर नारायण सिंह को मारने के लिए कहा।

दरअसल, गार्दी के नारायण राव के साथ संबंध खराब थे, इसी का फायदा उठाते हुए आनंदीबाई ने नारायण राव को मारने के लिए सुमेर सिंह गार्दी को चुना था।

नारायण राव की काकी के कहने पर फिर गार्दी के एक ग्रुप ने एक दिन मौका देखकर इस विशाल शनिवार वाड़ा किले पर हमला कर दिया।

इसके बाद जब वे गार्दी हथियार लेकर नारायण राव की तरफ बढ़े तो नारायण राव अपनी जान बचाने को लेकर अपने चाचा रघुनाथ राव के कमरे की तरफ यह कहते हुए भागे कि ”काका मला वाचवा” अर्थात (काका मुझे बचाओ), हालांकि नारायण राव के अपने चाचा के कमरे से पहुंचने से पहले ही गार्दियों ने उन पर बेरहमी से वार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।

हालांकिे, इस घटना को लेकर कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि नारायण राव अपने काका के सामने अपनी जान बचाने के लिए मद्द की गुहार लगाता रहा लेकिन उसके काका ने उसकी जान बचाने के लिए कुछ नहीं किया और फिर गार्दियों ने उनके सामने ही नारायणराव को मौत के घाट उतार दिया और फिर नारायणराव के शव को नदी में बहा दिया गया।

फिलहाल, इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि शनिवार वाड़ा किले में अभी भी नारायण राव की आत्मा भटकती है और उसके द्धारा कहे गए अंतिम शब्द ”काका मुझे बचाओ” की गूंज आज भी अमावस्या की रात को किले में सुनाई देती हैं।

यही कारण है कि इस किले को भारत के सबसे डरावने और रहस्यमयी किलों में गिना जाता है।

ऐसे पहुंचे शनिवार वाड़ा किला – How to Reach Shaniwar Wada

शनिवार वाड़ा महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित है, यह शहर देश के प्रमुख शहरों में अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां सड़क, वायु और रेल तीनों माध्यमों के द्धारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

शनिवार वाड़ा लाइट एंड साउंड शो – Light And Sound Show Shaniwar Wada

शनिवार वाड़ा किले में होने वाला लाइट एंड साउंड शो काफी प्रसिद्ध है। यह शो यहां के मुख्य आर्कषण का केन्द्र है, जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यह शो हर शाम को मराठी और अंग्रेजी भाषा में आयोजित होता है। सैलानी टिकट खरीदकर इस शो को देखने जाते हैं।

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भारत के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी के बारे में…

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Mukesh Ambani Biography

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार मुकेश रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अंबानी जी का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। वे विश्व के सबसे ताकतवर और शक्तिशाली उद्योगपति होने के बाबजूद भी बेहद साधारण तरीके से अपना जीवन यापन करते हैं। मुकेश अंबानी जी को व्यापार अपने परिवार से विरासत में जरूर मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी समझदारी, सूझबूझ और उचित व्यापारिक कौशल के बल पर रिलायंस इंडस्ट्री को एक नए मुकाम पर पहुंचाया और अभूतपूर्व सफलता हासिल की, आइए जानते हैं देश के इस महान शख्सियत मुकेश अंबानी जी के जीवन से जुड़ी खास बातों के बारे में-

भारत के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी के बारे मेंMukesh Ambani Biography In Hindi Mukesh Ambani biography in Hindi

मुकेश अंबानी जी के बारे में एक नजर में – Mukesh Ambani Information

नाम (Name) मुकेश धीरुबाई अंबानी
जन्म (Birthday) 19 अप्रैल 1957, यमन
पिता (Father Name) स्वर्गीय श्री धीरू भाई अम्बानी जी
माता (Mother Name) श्रीमती कोकिलाबेन अम्बानी
भाई का नाम (Brother Name) श्री अनिल अम्बानी जी
बहन का नाम (Sister Name) नीना और दीप्ति
पत्नी का नाम (Wife Name) नीता अम्बानी जी
बच्चों का नाम (Children Name) आकाश अम्बानी, अनंत अम्बानी, ईशा अम्बानी
घर (House)  (एंटीलिया) मुंबई, महाराष्ट्र, भारत

मुकेश अंबानी जी का जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन – Mukesh Ambani History

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार मुकेश अंबानी जी साल 1957 में यमन के एडन सिटी में धीरूभाई के सबसे बड़े पुत्र के रुप में जन्में थे। आपको बता दें कि इनके पिता धीरु भाई अंबानी 1958 में मुंबई जाने से पहले यमन में एक छोटी सी फर्म में काम कर अपना गुजारा करते थे। इसके बाद उन्होंने मसालों का व्यापार शुरु किया था, फिर बाद में धीरुबाई जी ने कपड़ा व्यवसाय में अपना हाथ आजमाया और फिर वे धीमे-धीमे भारत के सबसे प्रसिद्ध और धनी उद्योगपति में शुमार हो गए थे। मुकेश अंबानी जी के तीन  और भाई-बहन हैं। इनके छोटे भाई-बहन अनिल अंबानी भी एक प्रतिष्ठित बिजनेसमैन है। इसके अलावा इनकी दो बहनें दीप्ति सलगांवकर और नीना कोठारी हैं, जिनका विवाह हो चुका है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि जिस दौरान भारत के इस सबसे धनवान उद्योगपति मुकेश अंबानी जी का जन्म हुआ था, उस दौरान उनका परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थे। लेकिन फिर धीरे-धीरे इनके पिता धीरुबाई अंबानी जी ने व्यवसाय कौशल सफलता की नई ऊंचाईयों को छुआ और आज यह परिवार विश्व के सबसे अमीर परिवारों की लिस्ट में शुमार है। बहरहाल, मुकेश अंबानी जी को व्यापार अपने स्वर्गीय पिता धीरुबाई अंबानी जी से विरासत में जरूर मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी व्यापारिक विवेकशीलता के चलते आधुनिक तरीके से  अपने पिता के व्यापार को एक नया आयाम प्रदान किया है, और वर्तमान में मुकेश अंबानी जी की गिनती विश्व के सबसे बड़े बिजनेस टायकून में की जाती है। मुकेश अंबानी जी 18 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ मिलकर व्यापार संभालने लगे थे। इनके पिता ने इनकी प्रतिभा को देखते हुए कम उम्र में ही उन्हें अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड मेंबर में शामिल कर लिया था। वहीं उनके पिता की मौत के बाद उनका परिवारिक व्यापार दोनों भाईयों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच में बंट गया। वहीं वर्तमान में दोनों भाई अपना अलग-अलग व्यापार संभाल रहे हैं।

मुकेश अंबानी जी का विवाह और लव-स्टोरी एवं बच्चे – Mukesh Ambani Marriage

दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी की जोड़ी को लोगों द्धारा खूब पसंद किया जाता है। वहीं दोनों की लव-स्टोरी भी किसी फिल्म की स्टोरी से कम नहीं है। आपको बता दें कि जब नीता अंबानी सिर्फ 20 साल की थी तभी मुकेश अंबानी जी के पिता धीरूभाई अंबानी ने उन्हें एक महोत्सव में डांस करते हुए देखा था, और तभी वे उन्हें  इतनी पसंद आ गईं थी कि उन्होंने निश्चय कर लिया था कि वे उनकी शादी अपने पुत्र मुकेश अंबानी से करेंगे। वहीं इस महोत्सव के खत्म होने के बाद जब धीरूभाई अंबानी जी ने नीता जी के घर पर कॉल कर उन्हें अपने ऑफिस में आने का न्योता दिया. तब उन्हें लगा कि कोई उन्हें परेशान करने के लिए फोन कर रहा है। वहीं इसके बाद जब फिर से धीरुबाई अंबानी ने नीता जी को कॉल किया और अपने नाम और अपने बारे में बताया तब भी नीता जी को यकीन नहीं हुआ और उन्होंने यह कहते हुए फोन रख दिया कि वे भी एलिजाबेथ बोल रही हैं। फिर जब नीता अंबानी के पिता ने  फोन पर धीरूबाई अंबानी से बात की तब जाकर नीता अंबानी जी को भरोसा हुआ कि सच में धीरुबाई अंबानी ने उन्हें फोन किया था। इसके बाद नीता अंबानी, धीरुबाई अंबानी से मिलीं, इस दौरान धीरुबाई जी ने नीता अंबानी से उनके शौक और उनकी पसंद, नापसंद के बारे में पूछा। इसके बाद उन्होंने अपने पुत्र मुकेश से मिलने के लिए कहा। फिर नीता और मुकेश दोनों के मिलने-जुलने का सिलसिला जारी हो गया, फिर इसके बाद जब वे दोनों कहीं जा रहे थे। तभी मुकेश अंबानी ने रेड ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी रोककर नीता अंबानी के सामने विवाह का प्रपोजल रखा और इतना ही नहीं ग्रीन सिग्नल होने पर भी अपनी कार को तब तक आगे नहीं बढ़ाया, जब तक नीता अंबानी ने हां नहीं कर दी। फिर इसके कुछ वक्त के बाद ही मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की धूमधाम से शादी हुई और दोनों खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस दौरान नीता अंबानी जी मुकेश अंबानी जी के बिजनेस में सहयोग करती हैं। इन दोनों की तीन संतानें अनंत, आकाश और ईशा अंबानी हैं।

मुकेश अंबानी जी की शिक्षा – Mukesh Ambani Education

भारत के बड़े उद्योगपतियों में से एक मुकेश अंबानी जी ने मुंबई के हिल ग्रेंज हाई स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की, जबकि उन्होंने मुंबई के रसायन प्रोद्योगिकी संस्थान से केमकिल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने अपनी एमबीए की पढ़ाई अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की। हालांकि, किन्हीं कारणों की वजह  से मुकेश जी को अपनी पढ़ाई बीच में ही रोकनी पड़ी थी और अपने पिता का बिजनेस ज्वाइन करना पड़ा था।

मुकेश अंबानी जी का बिजनेस करियर – Mukesh Ambani Business Career

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार मुकेश अंबानी जी जब अपनी MBA की पढ़ाई स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कर रहे थे। उस दौरान उनके पिता धीरूबाई अंबानी  पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न का प्लांट खोल रहे थे, और इसमें मद्द के लिए उनके पिता ने उन्हें  अमेरिका से भारत बुला लिया था। वतन वापसी के बाद मुकेश अंबानी जी ने पूरी श्रद्धा के साथ इस प्लांट को खोलने में अपने पिता का सहयोग किया और उसी दौरान मुकेश अंबानी जी ने  अपने पिता के व्यापार को आगे बढ़ाने के फैसला  लिया और फिर  वे अपनी अधूरी पढ़ाई छोड़कर  भारत में ही रुक गए। अपने पिता के साथ मिलकर वे रिलायंस कंपनी का कार्यभार अपने उचित व्यवसायिक कौशल से संभालने लगें और फिर मार्केट की डिमांड को देखते हुए मुकेश अंबानी जी ने अपनी कंपनी का  पेट्रोकेमिकल्स, टेक्सटाइल्स, एनर्जी, टेलीकम्यूनिकेशन्स, नेचुरल रिर्सोजेस आदि के क्षेत्रों में विस्तार किया। इसके बाद साल 2002 में मुकेश अंबानी जी के पिता धीरुबाई अंबानी का निधन होने के बाद इनकी कंपनी”रिलायंस” को दो ग्रुप में बांट दिया गया। जिसमें से एक ग्रुप मुकेश अंबानी को दिया गया और उस ग्रुप का नाम मुकेश अंबानी जी ने मुकेश रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड रख दिया, जबकि उनके छोटे भाई अनिल अंबानी को मिले दूसरे ग्रुप का नाम अनिल ने ऱिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी रख दिया था। मुकेश अंबानी जी ने अपने कठोर प्रयासों और तमाम संघर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी कम्यूनिकेशन कंपनियों में से एक ”रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड”(रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड) की स्थापना की है। यही नहीं मुकेश अंबानी जी ने गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफायनरी की स्थापना करने में भी अपना पूरा समर्थन दिया है। आपको बता दें कि साल 2010 में इस रिफायनरी की क्षमता करीब 6 लाख, 60 हजार बैरल प्रति दिन थी, यानि कि 3 करोड़, 30 लाख टन प्रति वर्ष थी। करीब 100000 करोड़ रुपए के निवेश से बनी इस रिफायनरी में पेट्रोकेमिकल, पॉवर जनरेशन, पोर्ट आदि से संबंधित आधारभूत ढांचा है। यही नहीं मुकेश अंबानी जी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बार फिर से ”रिलायंस जिओ” से काफी सस्ते रेट पर कॉल और इंटरनेट की सर्विस देकर दूरसंचार के क्षेत्र में तहलका मचाया है। मुकेश अंबानी जी की जिओ 4g सेवा साल 2016 में लॉन्च की गई है, और आज उनकी इस कंपनी से भारत के बड़े-बड़े शहरों से लेकर सभी छोटे-छोटे गांव और कस्बे भी जुड़े हुए हैं। और बेहद कम दामों में इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और तो और मुकेश अंबानी जी के जिओ लॉन्च करने के बाद तमाम टेलीकॉम कंपनियों ने भी अपने ग्राहकों को कम रेट में कॉल और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवाना शुरु कर दिया है, लेकिन जिओ के यूजर्स की संख्या दिन पर दिन बढ़ती  जा रही है। इसके अलावा हाल ही में दुनिया के इस सबसे धनी व्यक्तियों की लिस्ट में शुमार मुकेश अंबानी जी ने अपने बेटे अनंत और आकाश के साथ मिलकर ”जियो गीगा फाइबर” नाम की एक ब्रॉडबैंड सर्विस की भी शुरुआत की है, जिसके माध्यम से लोगों को हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी। वर्तमान में वे चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, चेयरमैन ऑफ फाइनेंस कमेटी और मेंबर ऑफ एम्प्लॉयज स्टॉक कंपेनसेशन कमेटी ऑफ रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड के पद पर कार्यरत हैं। मुकेश अंबानी जी की वर्तमान में उत्पादन, शोधन, पेट्रोकेमिकल, खुदरा, दूरसंचार, अन्वेषण, विपणन आदि क्षेत्रों में कई कंपनियां चल रही हैं। इसे फॉर्च्यून ग्लोबल की  500 कंपनियों में प्रमुख जगह दी गई है, और यह बाजार के मूल्य के हिसाब से भारत की दूसरी सबसे प्रतिष्ठित और मूल्यवान कंपनी है। इसके अलावा उन्हें ”बैंक ऑफ अमेरिका कॉरपोरेशन’ के निदेशक मंडल और ”विदेशी संबंधों पर परिषद की अंतराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड” में काम किया है। उन्होंने ”भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंग्लोर (IIMB)” के अध्यक्ष के रुप में भी काम किया है।

मुकेश अंबानी जी द्धारा बिजनेस करियर से जुड़े अन्य मुख्य तथ्य – Facts About Mukesh Ambani

  • साल 2005 में दुनिया के सबसे ताकतवर और सफल उद्योगपति मुकेश अंबानी जी रिलायंस कंपनी के चेयरमैन और एमडी के पद पर सुशोभित हुए थे।
  • साल 2006 में अपने अद्भुत व्यापारिक कौशल के लिए मशहूर मुकेश अंबानी जी ने रिलायंस फ्रेश स्टोर्स की शुरुआत की थी। रिलायंस फ्रेश आज भारत के सभी मुख्य शहरों में है, इसकी हमारे देश में करीब 700 से भी ज्यादा ब्रांच हैं। रिलायंस फ्रेश स्टोर खाद्य पदार्थ समेत कई घरेलू उत्पादों को बेचने से जुड़ा एक मशहूर स्टोर है।

IPL मुंबई इंडियंस टीम के मालिक – IPL Mumbai Indian Team Owner

मुकेश अंबानी जी ने साल 2008 में IPL( इंडियन प्रीमियर लीग) की मुंबई इंडियंस फ्रेंचाइजी को खरीदा था, और  आज उनकी मुंबई इंडियंस टीम सबसे मशहूर और पसंदीदा टीमों में से एक है। जिसके नाम IPL में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। यह भारत की सबसे सफल क्रिकेट टीम मानी जाती है।

मुकेश अंबानी जी का आलीशन घर-एंटीलिया – Mukesh Ambani House Antilia

मुंबई में बना मुकेश अंबानी जी का घर एंटीलिया राजा महाराजाओं के किसी शाही महल से कम नहीं है। मुकेश अंबानी जी ने साल 2010 में मुंबई के अल्टामाउंड रोड के पास करीब 4 हजार, 532वर्गमीटर की जगह में अपना आलीशान महल बनवाया था। उनका यह घर आज विश्व की सबसे बड़ी और महंगी इमारतों में से एक है। भव्य एंटीलिया में कुल 27 फ्लोर है। जिसमें 3 हैलीपेड, स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, थिएटर, आदि भी हैं। आपको बता दें कि मुकेश जी की इस आलीशान घर की देखरेख करीब 600 कर्मचारी करते हैं।

मुकेश अंबानी जी को मिला सम्मान और पुरस्कार – Mukesh Ambani Awards

  • साल 2004 में टोटल टेलीकॉम द्धारा मुकेश अंबानी जी को ”वर्ल्ड कम्यूनिकेशन अवॉर्ड फॉर द मोस्ट इंफ्लुएंटीएल पर्सन इन टेलीकम्यूनिकेशन्स” दिया गया था।
  • साल 2007 में गुजरात सरकार द्धारा ”चित्रलेखा पर्सन ऑफ द ईयर” सम्मान से नवाजा गया था।
  • साल 2010 में NDTV इंडिया बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
  • साल 2010 में ही वित्तीय क्रॉनिकल के द्धारा बिजनेसमैन ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
  • साल 2010 में ही यूनविर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के द्धारा मुकेश अंबानी जी को ”स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंस डीन मेडल” से पुरस्कृत किया गया है।
  • साल 2010 में अंतराष्ट्रीय व्यापार परिषद द्धारा उन्हें ग्लोबल लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  • साल 2014 में विश्व के सबसे ताकतवर और शक्तिशाली लोगों की फोर्ब्स की लिस्ट में 36वें नंबर पर रहे।

मुकेश अंबानी के पास कुल संपत्ति – Mukesh Ambani Net Worth

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल मुकेश अंबानी जी की नेटवर्थ करीब 49.9 अरब डॉलर है। इसके अलावा उनके पास 25 करोड़  से भी ज्यादा की वैनिटी कार है। मुकेश अंबानी जी को महंगी-महंगी कारों का अत्याधिक शौक है, यही वजह है उनके पास कई लक्जरी कारों का कलेक्शन हैं। यही नहीं उनके पास निजी जेट विमानों का भी अच्छा संग्रह है, जिनमें से बोइंग बिजनेस जेट 2, फाल्कन 900Ex, एयरबस 319 कॉरपोरेट जेट आदि प्रमुख हैं।

मुकेश अंबानी जी के जीवन से जुड़ी अन्य रोचक बातें – Mukesh Ambani Facts

  • विश्व के सबसे अमीर बिजनेसमैन होने के बाबजूद भी उनके रहने की शैली बिल्कुल सादा है। आमतौर पर वह व्हाइट शर्ट और ब्लैक पैंट पहनना ही पसंद करते है,वहीं खास बात यह है कि वे किसी विशेष ब्रांड का पालन नहीं करते हैं।
  • मुकेश अंबानी जी को फिल्में देखने का बहुद अधिक शौक है, यही वजह है कि उन्होंने अपने घरमें एक थिएटर बनवा रखा है, वे हर हफ्ते में कम से कम 3 फिल्में जरूर देखते हैं।
  • मुकेश अंबानी जी पब्लिक स्पीकिंग से काफी डरते हैं, लेकिन इन सबके बाबजूद भी उन्होंने बहुत सारी अच्छी और प्रेरणादायक स्पीच भी हैं, जिनकी लोगों द्धारा काफी सराहना की गई है।
  • मुकेश अंबानी जी भारत के इकलौते ऐसे बिजनेसमैन है, जिनकी सुरक्षा को लेकर भारत सरकार सजग है, उन्हें सरकार के द्धारा जेड उपलब्ध करवाई गई है, वे हमेशा जेड सिक्योरिटी के साथ ही चलते हैं।
  • मुकेश अंबानी जी भारत के इकलौते ऐसे बिजनेसमैन हैं, जिनके द्धारा भारत सरकार को सबसे अधिक टैक्स दिया जाता है। भारत के कुल टैक्स का करीब 5 फीसदी टैक्स इनकी कंपनी द्धारा ही भरा जाता है।
  • मुकेश अंबानी जी शाकाहारी हैं, साथ ही वे किसी भी तरह के स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से दूर रहते हैं। उन्हें खाने में गुजराती और साउथ इंडियन खाने का काफी शौक है। उन्हें खाने में चाट, डोसा और भुनी हुई मूंगफली काफी पसंद है।
”रिश्ते और विश्वास ही जीवन का प्रमुख आधार होते हैं”
और अधिक लेख: Hope you find this post about ”Mukesh Ambani biography” useful. if you like this information please share on Facebook. Note: We try hard for correctness and accuracy. please tell us If you see something that doesn’t look correct in this article About Mukesh Ambani in Hindi… And if you have more information about Mukesh Ambani then help with the improvements in this article.

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अल्बर्ट आइंस्टीन के 21+ प्रेरणादायक विचार

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Albert Einstein Quotes in Hindi

अल्बर्ट आइंस्टीन एक विश्वप्रसिद्ध भौतिकविद् थे जो “सापेक्षता के सिद्धांत” और “द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2” के लिए जाने जाते हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन को प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन और सैद्धांतिक भौतिकी के खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। अल्बर्ट आइंस्टीन के बौद्धिक उपलब्धियों की वजह से आज “आइंस्टीन” शब्द को “बुद्धिमान” शब्द का पर्याय बन गया है। तो लिए जानते हैं अल्बर्ट आइंस्टीन के कुछ महत्वपूर्ण प्रेरणादायक विचार

अल्बर्ट आइंस्टीन के 21+ प्रेरणादायक विचार – Quotes By Albert Einstein in Hindi

A man should look for what is, and not for what he thinks should be.
A man should look for what is, and not for what he thinks should be.

“इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए।”

“आप कभी फेल नहीं होते, जब तक की आप प्रयास करना नहीं छोड़ देते।”

“ज्ञान का एक मात्र ही स्रोत ‘अनुभव’ है।”

“एक जहाज किनारे पर हमेशा सुरक्षित रहता है- लेकिन वो इसलिए नहीं बना होता है।”

A person who never made a mistake never tried anything new
A person who never made a mistake never tried anything new

“जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।”

“जीनियस और स्टुपिडीटी के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर ये है कि जीनियस की अपनी कुछ सीमाएं हैं।”

“ज्यादातर शिक्षक अपना समय छात्र को ऐसे प्रश्न पूछने में बर्बाद करते हैं जिनका मकसद ये जानना होता है कि छात्र क्या नहीं जानता है, जबकि प्रश्न पूछने की सच्ची कला ये पता लगाना है कि छात्र क्या जानता है या फिर क्या जानने में सक्षम है।”

“हर कोई जीनियस है। लेकिन अगर हम एक मछली को उसके पेड़ पे चढ़ने की काबिलियत के हिसाब से आंकेंगे तो वो पूरी उम्र यही सोच कर जियेगी कि वो मूर्ख है।”

Anger dwells only in the bosom of fools.
Anger dwells only in the bosom of fools.

“क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।”

“एक चुतर व्यक्ति समस्या को हल कर देता है। लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति उससे बच जाता है।”

“प्यार में गिरने वाले लोगों के लिए गुरुत्वाकर्षण बिलकुल भी ज़िम्मेदार नहीं है।”

“सब कुछ इतना आसान बनाया जा सकता है की वह संभव हो लेकिन आसान से भी आसान नही बनाया जा सकता।”

 We shall require a substantially new manner of thinking if mankind is to survive.
We shall require a substantially new manner of thinking if mankind is to survive.

“यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी।”

“दुनिया जीने के लिए सबसे खतरनाक जगह है, उन लोगों की वजह से नहीं जो बुरे हैं, बल्कि उन लोगो की वजह से जो इसके लिए कुछ करते नहीं हैं।”

“अपने आप को खुश करने का सबसे बढ़िया तरीका किसी और को खुश करना है।”

“सबसे खुबसूरत चीज को यदि मैंने कभी अनुभव लिया है तो वह है रहस्य। यही सभी सच्चाई और विज्ञान की वजह है।”

Anyone who doesn’t take truth seriously in small matters cannot be trusted in large ones either.
Anyone who doesn’t take truth seriously in small matters cannot be trusted in large ones either.

“जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता।”

“अगर मेरे पास किसी समस्या को हल करने के लिए 1 घंटा हो, तो मैं 55 मिनट समस्या के बारे में सोचने और बाकि बचे 5 मिनट उसका हल सोचने में लगाऊंगा।”

“कठिनाइयों के बीच ही अवसर छुपे होते हैं।”

Before God we are all equally wise – and equally foolish.
Before God we are all equally wise – and equally foolish.

“ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी।”

“दुनिया में जो चीज समझना सबसे कठिन है, वो है ‘इनकम टैक्स’।”

“कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

No problem can be solved from the same level of consciousness that created it.
No problem can be solved from the same level of consciousness that created it.

“कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है जिसपर वह उत्पन्न हुई है।”

“सवाल पूछना बंद करना महत्वपूर्ण बात नही है। जिज्ञासा के अस्तित्व की वजह वह स्वयं ही है।”

“महान जोश साधारण दिमाग की आकस्मिक हिंसक प्रतिक्रिया से ही आता है।”

Two things are infinite: the universe and human stupidity; and I’m not sure about the universe.
Two things are infinite: the universe and human stupidity; and I’m not sure about the universe.

“दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य की मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता।”

“धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है और विज्ञान के बिना धर्म अँधा है।”

“महत्वपूर्ण समस्या को हम उस स्तर की सोच से दूर नही कर सकते जिस स्तर की सोच से हमें समस्या का निर्माण किया है।”

When you are courting a nice girl an hour seems like a second. When you sit on a red-hot cinder a second seems like an hour. That’s relativity.
When you are courting a nice girl an hour seems like a second. When you sit on a red-hot cinder a second seems like an hour. That’s relativity.

“जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के समान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के समान लगता है। यही सापेक्षता है।”

“जिसने कभी कोई गलती नही की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश ही नही की।”

“सफलता वाला इंसान बनने के लिये कोशिश ना करे लेकिन गुणों वाला इंसान बनने के लिये जरुर कोशिश कीजिये।”

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क्रिकेट के शहंशाह सचिन तेंदुलकर का जीवन परिचय – Sachin Tendulkar Biography in Hindi

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Sachin Tendulkar Biography In Hindi

सचिन तेंदुलकर न सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के श्रेष्ठतम क्रिकेटरों में शुमार हैं। आज तक क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले वे पहले प्रतिभावान खिलाड़ी हैं। उनके नाम कई शानदार रिकॉर्ड दर्ज है।

सचिन तेंदुलकर जी के प्रशंसकों की भारी संख्या न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी है। आइए जानते हैं क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर जी के जीवन और करियर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में-

क्रिकेट के शहंशाह सचिन तेंदुलकर का जीवन परिचय – Sachin Tendulkar Biography in Hindi

Sachin Tendulkar

सचिन तेंदुलकर जी की जीवनी एक नजर में – Sachin Tendulkar Information in Hindi

पूरा नाम (Name) सचिन रमेश तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)
जन्म (Birthday) 24 अप्रैल, 1973, मुंबई
पिता (Father Name) रमेश तेंदुलकर
माता (Mother Name) रजनी तेंदुलकर
पत्नी (Wife Name) अंजली तेंदुलकर
बच्चे (Children Name) अर्जुन तेंदुलकर, सारा

सचिन तेन्दुलकर का जन्म, प्रारंभिक जीवन, परिवार – Sachin Tendulkar History In Hindi

सचिन तेन्दुलकर 24 अप्रैल, 1973 में मुंबई के एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्राण परिवार में जन्में थे। यह अपनी माता-पिता की सबसे छोटी संतान के रुप में जन्में थे। उनके पिता रमेश तेंदुलकर एक प्रतिष्ठित मराठी उपन्यासकार और लेखक थे, जबकि इनकी मां रजनी एक इंश्योरेंस कंपनी में बीमा एजेंट के रुप में काम करती थी।

इनके तीन और सौतेले भाई-बहन है, जो उनके पिता की पहली पत्नी के बच्चे हैं। उनका बचपन बांद्रा (पूर्व) के साहित्य सहवास कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में शानदार तरीके से बीता। वे अपने बचपन में काफी शरारती थे, यहां तक की बचपन में उनकी शरारतों से उनके पड़ोसी तक परेशान रहते थे। वहीं उन्हें शुरु में टेनिस खेलना काफी पसंद था। वे अमेरिका के प्रमुख टेनिस खिलाड़ी जॉन मैकनेरो को अपना आदर्श मानते थे।

सचिन तेंदुलकर जी के बड़े भाई अजीत जी ने उनके क्रिकेट खेलने के कौशल को गंभीरता से लिया और उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। यही नहीं उनके भाई ने सचिन तेंदुलकर जी को मायानगरी मुंबई के शिवाजी पार्क में क्रिकेट के महान प्रशिक्षक रमाकांत आचरेकर से भी मिलवाया।

सचिन तेन्दुलकर जी की शिक्षा – Sachin Tendulkar Education

अपनी शुरुआती दिनों में सचिन तेंदुलकर जी पढ़ाई में काफी अच्छे नहीं थे। वे एक मध्यम श्रेणी के विद्यार्थी थे। इनकी शुरुआती शिक्षा बांद्रा की इंडयिन एजुकेशन सोसायटी की न्यू इंग्लिश स्कूल में हुई थी। वहीं बाद में महान क्रिकेटर और प्रसिद्ध कोच रमाकांत आचरेकर जी ने सचिन तेंदुलकर जी की क्रिकेट खेल प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें दादर के ही शारदाश्रम विद्या मंदिर हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने की सलाह दी, दरअसल इस स्कूल की क्रिकेट टीम काफी अच्छी है और इस स्कूल से कई प्रतिष्ठित और बड़े खिलाड़ी भी निकले हैं।

इसके बाद हायर एजुकेशन के लिए सचिन तेंदुलकर जी मुंबई के खालसा कॉलेज चले गए और फिर इन्होंने अपनी पढ़ाई को बीच में ही रोक दिया और क्रिक्रेट के क्षेत्र में न सिर्फ अपना करियर बनाया, बल्कि दुनिया को अपने क्रिकेट खेलने के कौशल से हैरत में डाल दिया। उनकी विलक्षण और अद्भुत क्रिकेट खेल प्रतिभा के चलते ही आज उन्हें ”क्रिकेट के भगवान” की संज्ञा दी जाती है।

सचिन तेंदुलकर जी का क्रिकेट की दुनिया में आगमन – Sachin Tendulkar Career

जब सचिन जी महज 11 साल के थे, तभी उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। वहीं शिवाजी पार्क में जब सचिन अपने गुरु रमाकांत आचरेकर जी के मार्गदर्शन में क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे तो उनके कोच स्टंप पर एक रुपए का सिक्का रख देते थे।

और कहते थे कि जो भी गेंदबाज सचिन को आउट करेगा तो ये सिक्का उसका हो जाएगा और अगर कोई गेंदबाज ऐसा करने में असमर्थ रहा तो ये सिक्का सचिन का होगा और इस तरह कड़ी मेहनत और लगन से सचिन ने अपने क्रिकेट के अभ्यास के दौरान करीब 13 सिक्के जीते थे, जो कि आज भी उन्होंने काफी संजो कर रखे हैं, ये सिक्के उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

सचिन के क्रिकेट खेलने के हुनर से प्रभावित रमाकांत आचरेकर जी, स्कूल के अलावा भी उन्हें अतिरिक्त समय में क्रिकेट की ट्रेनिंग देते थे। वहीं सचिन भी अपनी गुरु की बातों को गंभीरता से लेकर कड़ी मेहनत से प्रैक्टिस करते थे। वहीं सचिन तेंदुलकर के नाम पार्टनरशिप का बेहतरीन रिकॉर्ड भी दर्ज है, जो कि उन्होंने शारदाश्रम विद्या मंदिर  में विनोद कांबली के साथ मिलकर 664 रन बनाकर बनाया था, जिसमें से 329 रन उन्होंने खुद बनाए थे।

वहीं अपनी क्रिकेट खेल प्रतिभा के चलते वे स्कूल के दिनों में ही काफी लोकप्रिय हो गए थे और फिर बाद में सचिन और विनोद कांबली काफी अच्छे दोस्त भी बन गए थे। वहीं आपको बता दें कि सचिन का क्रिकेट के प्रति रुझान देखते हुए उनकी बहन सविता ने उन्हें पहला बल्ला गिफ्ट में दिया था।

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे अपने क्रिकेट के शुरुआती दिनों में एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन जब वे एम.आर. एफ पेस फाउंडेशन  के पास गए तो वहां के कोच श्री डेनिस लिली ने उन्हें बल्लेबाजी करने के लिए कहा और फिर बाद में वे विश्व के सबसे श्रेष्ठतम बल्लेबाज के रुप में उभरे।

सचिन तेंदुलकर जी का वैवाहिक जीवन – Sachin Tendulkar Marriage

सचिन तेंदुलकर जी जब 17 साल के थे, तब वे पहली बार अंजली तेंदुलकर से मुंबई एयरपोर्ट पर मिले थे, और फिर इसके करीब 5 साल बाद दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली थी। आपको बता दें कि अंजली तेंदुलकर एक मशहूर बिजनेसमैन अशोक मेहता की बेटी हैं जो कि एक शिशु रोग विशेषज्ञ हैं।

वहीं एक मेडिकल छात्रा होने के चलते शुरुआत में तो अंजली तेंदुलकर की क्रिकेट के क्षेत्र में कोई खास रुचि नहीं थी, और उन्हें यह भी नहीं पता था कि सचिन एक क्रिकेटर हैं। हालांकि बाद में अंजली जी क्रिकेट में रुचि लेने लगी थीं। वहीं सचिन ने काफी कम उम्र में ही अपनी अद्भुत क्रिकेट खेल प्रतिभा से अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।

इसलिए दोनों का मिलना इतना आसान नहीं था, क्योंकि ये दोनों जहां पर भी जाते थे, वहां उन दोनों को फैन घेर लेते थे। वहीं शादी से पहले जब सचिन अपने इंटरनेशनल ट्रिप पर व्यस्त रहते थे, तब अंजली सचिन से बात करने के लिए लव लैटर भी लिखती थीं। 24 मई, 1995 में दोनों एक दूसरे से शादी के बंधन में बंध गए थे। शादी के बाद दोनों को दो बच्चे पैदा हुए जिनके नाम सारा तेंदुलकर और अर्जुन तेंदुलकर है। आज उनका परिवार एक खुशहाल जीवन जी रहा है।

सचिन तेन्दुकर जी का क्रिकेट करियर – Sachin Tendulkar Cricket Career

  • सचिन तेंदुलकर जी की अद्भुत खेल प्रतिभा से हर खिलाड़ी को प्रेरणा लेने की जरूरत है, उन्होंने बेहद कम उम्र से ही अपनी खेल कौशल को निखारने और अपने महान क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी शुरु कर दी थी। हालांकि, उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उनके पिता, बड़े भाई और उनके कोच रमाकांत आचरेकर जी ने उनका काफी सहयोग दिया है।
  • साल 1988 में भारत के इस महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जी ने स्टेट लेवल के मैच में मुंबई की तरफ से खेलकर अपने करियर की पहली सेंचुरी मारी थी। वहीं पहले ही मैच में उनका नेशनल टीम के लिए चयन किया गया था। इसके करीब 11 महीने के बाद उन्होंने पहली बार भारतीय टीम की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल मैच खेला था, जो कि उस समय की सबसे बेहतरीन टीम में से एक मानी जाती थी।
  • इसी सीरीज में पहली बार सचिन ने साल 1990 में वनडे टेस्ट मैच खेला। इसके साथ ही सचिन ने इंग्लैंड के खिलाफ 119 रनों की शानदार पारी खेलकर कम उम्र में सेंचुरी मारने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
  • सचिन जी के वनडे मैच में शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर इन्हें साल 1996 में वर्ल्ड कपमें टीम इंडिया का कैप्टन बना दिया गया। हालांकि, इसके 2 साल बाद साल 1998 में ही सचिन तेंदुलकर जी ने कप्तानी छोड़ दी थी, लेकिन साल 1999 में उन्हें फिर से इंडियन टीम का कैप्टन बनाया गया। आपको बता दें कि कैप्टनशिप के दौरान सचिन ने 25 में से सिर्फ 4 ही टेस्ट मैच में ही सफलता हासिल की थी, जिसके चलते उन्होंने फिर कभी कैप्टनशिप नहीं करने का फैसला लिया था।
  • साल 2001 में सचिन तेंदुलकर ऐसे पहले क्रिकेटर बने, जिन्हें वन डे मैच में 10 हजार रन बनाए।
  • साल 2003 में, सचिन तेंदुलकर जी ने 11 मैचों में करीब 673 रन बनाए और टीम इंडिया को जीत के करीब तक पहुंचाने वाले सभी के पसंदीदा खिलाड़ी बन गए। यह वर्ल्ड कप इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था, जिसमें भारत जीत नहीं सका था, हालांकि सचिन को इसमें मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। वहीं इसके बाद सचिन तेंदुलकर जी की ख्याति काफी बढ़ गई थी, और अब तक वे सबके चहेते खिलाड़ी बन चुके थे।
  • भारत के इस महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर जी ने कई मैच खेलें और इस दौरान उन्हें कई संघर्षों का भी सामना करना पड़ा। हांलाकि, इन सबका सचिन तेंदुलकर पर कोई असर नही पड़ा और वे लगातार अपने खेल कौशल को निखारने में लगे रहे।
  • साल 2007 में मास्टर ब्लास्टर ने टेस्ट मैच में 11 हजार रन बनाने का शानदार रिकॉर्ड बनाया एवं साल 2011 में हुए वर्ल्ड कप में उन्होंने बेहतरीन पारी खेलते हुए डबल सेंचुरी मारकर सीरीज में 482 रन बनाए। और इसी के साथ यह वर्ल्ड कप भारत के नाम रहा।
  • सचिन तेंदुलकर, अपने करियर में खेले गए सभी वर्ल्डकप में 2 हजार रन और 6 सेंचुरी मारने वाले पहले क्रिकेटर हैं।

सचिन तेंदुलकर जी के टेस्ट मैच रिकॉर्ड्स – Sachin Tendulkar Test Match Record

सचिन तेंदुलकर जी ने अपने करियर में करीब 200 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 51 सेंचुंरी और करीब 68 हॉफ सेंचुरी बनाई हैं।

सचिन तेंदुलकर जी के वन डे मैच रिकॉर्ड्स – Sachin Tendulkar One Day Match Record

मास्टर ब्लास्टर सचिन जी ने अपने करियर में करीब 463 वन डे मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 49 सेंचुरी मारने का शानदार रिकॉर्ड बनाया है।

सचिन तेंदुलकर जी के IPL मैच रिकॉर्ड्स – Sachin Tendulkar IPL Match Record

सचिन जी ने IPL मैच में भी शानदार पारी खेली है, उन्होंने अपने करियर में करीब 78 मैच खेले हैं।

सचिन तेन्दुलकर जी का क्रिकेट से संयास – Sachin Tendulkar Retirement

देश के दिग्गज खिलाड़ी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 23 दिसम्बर को 2012 को वन-डे क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा की थी और जनवरी 2013 में मुंबई के अपने आखिरी टेस्ट मैच में 74 रनों की शानदार पारी खेलते हुए क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

उनके लाखों फैन का दिल टूट गया। आपको बता दें कि वे अपने क्रिकेट करियर में करीब 34 हजार रन और 100 सेंचुरी बनाने वाले पहले खिलाड़ी हैं, उनके इस रिकॉर्ड को अभी तक कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ सका है।

सचिन तेन्दुलकर जी को मिले सम्मान और पुरस्कार – Sachin Tendulkar Awards

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेन्दुलकर ने क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। सचिन तेन्दुलकर जी ने क्रिक्रेट में न सिर्फ कई रिकॉर्ड्स तोड़े हैं, बल्कि कुछ नए रिकॉर्ड्स भी बनाएं हैं। जहां हॉफ सेंचुरी मारने में ही खिलाड़ियों के पसीने छूट जाते हैं, वहीं कई बार सचिन तेंदुलकर जी ने सेंचुरी और डबल सेंचुरी तक बनाई है एवं कई बार मेन ऑफ द मैच का भी खिताब जीता है।

उनकी अद्भुत क्रिक्रेट खेल प्रदर्शन के चलते उन्हें कई पुरस्कार और मैडल से भी नवाजा जा चुका है। यहीं नहीं भारत सरकार द्दारा भी उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें दिए गए सम्मान और पुरस्कार इस प्रकार हैं-

  • साल 2013 में देश के दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जी को भारत सरकार द्धारा देश के सर्वोच्च नागकरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” दिया गया था। इसी के साथ वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले देश के सबसे कम उम्र के वे प्रथम खिलाड़ी बन गए थे।
  • साल 1999 में उन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • साल 1997 में भी मास्टर ब्लास्टर को उनके बेहतरीन खेल प्रदर्शन के लिए राजीवगांधी खेलरत्न पुरस्कार से नवाजा गया था। वे इस पुरस्कार को पाने वाले पहले क्रिकेटर हैं।
  • साल 2008 में मास्टर ब्लास्टर जी को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया था।

इसके अलावा सचिन तेंदुलकर जी को 1994 में अर्जुन पुरस्कार, 2001 में  महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, 2010 में एल जी पीपल्स च्वॉइस अवॉर्ड , 2011 में BCCI क्रिकेटर ऑफ द ईयर समेत अन्य कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

यही नहीं उनकी अद्भुत खेल प्रतिभा को देखते हुए भारतीय पोस्टल सर्विस ने मास्टर ब्लास्टर  का एक डाक टिकट भी जारी किया था। वे महान समाजसेवी मदर टेरेसा के बाद दूसरे भारतीय थे, जिनके जीते जी डाक टिकट जारी किया गया।

सचिन तेन्दुलकर जी से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य – Facts about Sachin Tendulkar

  • अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने एवं लगातार 185 वन डे मैच खेलने के साथ विदेशी सरजमीं पर में टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 8705 रन बनाने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम हैं।
  • इसके अलावा मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के नाम 90 अलग-अलग मैदानों में खेलने का भी रिकॉर्ड दर्ज है।
  • सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर जी ने मशहूर संगीतकार सचिन देव वर्मन के नाम पर उनका नाम सचिन रखा था।
  • वे भारतीय संसद में राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। इसके साथ ही वे पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिनकी लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम में एक मोम की प्रतिमा स्थापित की गई है।
  • सचिन तेंदुलकर अपने लैफ्ट हैंड से लिखते है, जबकि गेंदबाजी और बल्लेबाजी वे अपने राइट हैंड से करते हैं।
  • सचिन तेंदुलकर को नींद में चलने और बोलने की अजीब बीमारी है।
  • सचिन तेंदुलकर गणेश चतुर्थी के पर्व को साल का सबसे अहम दिन मानते हैं।
  • साल 2003 में सचिन तेंदुलकर जी ने बॉलीवुड फिल्म ”स्टम्पड” में बेहतरीन अभिनय किया था।

भारत के इस महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर जी ने आज क्रिकेट से संयास जरूर ले लिया है, लेकिन आज भी लोगों के दिल में उनके लिए उतना है प्यार और सम्मान है।

सचिन तेंदुलकर जी ने न सिर्फ अपनी अद्भुत खेल प्रतिभा से सफलता की असीम ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि भारत को पूरी दुनिया भर में गौरान्वित किया है, सचिन तेंदुलकर पर हर भारतीय को गर्व है।

सचिन के बारे मे कुछ अक्सर पूछें जाने वाले सवाल उसके जवाब के साथ – Questions about Sachin Tendulkar

  1. Sachin Tendulkar facebook       –    https://www.facebook.com/SachinTendulkar
  2. Sachin Tendulkar school name  –    शारदाश्रम विश्वविद्यालय
  3. Sachin Tendulkar new house     –   सचिन नया घर अब – बांद्रा वेस्ट, पैरी क्रॉस रोड पर है।
  4. Sachin Tendulkar biography book – Playing It My Way

Sachin Tendulkar Quotes:

“क्रिकेट मेरा प्यार है और हारना मुझे नागवार गुजरता है, एक बार मैदान में दाखिल होने के बाद नजारा बदल जाता है और जितने को भूख हमेशा बनी रहती है”.

Sachin Tendulkar Book’s

Note: आपके पास About Sachin Tendulkar In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मै लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारी Biography Of Sachin Tendulkar के बारे में Wikipedia ली गयी है। अगर आपको Life History Of Sachin Tendulkar In Hindi Language अच्छी लगे तो जरुर हमें Whatsapp और Facebook पर Share कीजिये। E-MAIL Subscription करे और पायें Essay With Short Biography About Sachin Tendulkar In Hindi And More New Article आपके ईमेल पर।

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विलियम शेक्सपियर के कुछ प्रसिद्ध कथन

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William Shakespeare Quotes in Hindi

विलियम शेक्सपियर के कार्यो को पूरी दुनिया जानती है लेकिन उनका व्यक्तिगत जीवन कयी घटनाओ से घिरा हुआ था। विलियम शेक्सपियर एक इंग्लिश कवी और नाटककर्ता थे जो इंग्लिश भाषा के अपने महान लेखो के लिये प्रसिद्ध है। आईये जानते हैं उनके कहे कुछ प्रसिद्ध कथन कौनसे थे जो हमें प्रेरित करते हैं।

विलियम शेक्सपियर के कुछ प्रसिद्ध कथन – William Shakespeare Quotes in Hindi

William Shakespeare
A fool thinks himself to be wise, but a wise man knows himself to be a fool.

“एक मूर्ख खुद को बुद्धिमान समझता है, लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति खुद को मूर्ख समझता है।

सच्चे प्यार का पाठ्यक्रम कभी भी कोमलता से नही चल सकता।

विलियम शेक्सपीयर
All the world’s a stage, and all the men and women merely players: they have their exits and their entrances, And one man in his time plays many parts.

“ये दुनिया एक रंगमंच है, और सभी पुरुष और स्त्रियाँ महज किरदार हैं: उनको आना और जाना होता है; और एक व्यक्ति अपने जीवन में कई किरदार निभाता है।

तुम्हे अपने प्रति हमेशा स्वाभाविक होना चाहिये। जैसे रात, दिन के साथ होती है।

william shakespeare quotes
Ambition should be made of sterner stuff.

“महत्वाकांक्षा सख्त चीजों से बनी होनी चाहिए।

प्यार को आँखों से नही देखा जाता बल्कि दिमाग से देखा जाता है। इसीलिये कामदेव को अँधा चित्रित किया जाता है।

William Shakespeare image
Better three hours too soon than a minute too late.

“एक मिनट देर से आने से अछ्छा है तीन घंटे पहले आएं।

महानता से भयभीत नही होना चाहिये: कुछ लोह जन्म ही महान लेते है, कुछ लोग महानता को हासिल करते है और कुछ लोग इसके लिये आक्रमण भी करते है।

William Shakespeare quotes with pictures
Cowards die many times before their deaths; the valiant never taste of death but once.

“डरपोक अपनी मृत्यु से पहले कई बार मरते हैं; बहादुर मौत का स्वाद और कभी नहीं बस एक बार चखते हैं।

कभी भी कुछ अच्छा या बुरा नही होता, हमारी सोच ही उसे अच्छा या बुरा बनाती है।

thoughts of William Shakespeare
Death is a fearful thing.

“मौत एक भयावह चीज है।

ओ रोमियो, रोमियो! एक हज़ार कौशल रोमियो के कारण?

pictures of william shakespeare
Everyone ought to bear patiently the results of his own conduct.

“प्रत्येक व्यक्ति को अपने आचरण का परिणाम धैर्यपूर्वक सहना चाहिए।

कामदेव उनकी मौत से पहले कयी बार मरे थे, साहसी को कभी मौत की अनुभूति नही होती।

William Shakespeare in hindi quotes
The expectation is the root of all heartache.

“अपेक्षा सभी ह्रदय-पीड़ा की जड़ है।

सभी को प्यार करे, कुछ ही पर भरोसा करे और किसी के भी साथ गलत ना करे।

William Shakespeare pictures
Give every man thy ear, but few thy voice.

“सभी लोगों की सुनें पर कुछ ही लोगों से कहें।

जिंदगी मुर्ख द्वारा कही गयी एक कहानी है, जिसमे बहुत सी आवाजे और प्रकोप है लेकिन महत्वपूर्ण कुछ भी नही।

William Shakespeare wallpaper
Hell is empty and all the devils are here.

“नर्क खाली है और सभी शैतानों यहाँ हैं।

यदि संगीत प्यार का खाना हो तो उसे अवश्य खेले।

More Quotes in Hindi:

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बॉलीवुड के शहंशाह –अमिताभ बच्चन जी का जीवन परिचय

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Amitabh Bachchan Biography In Hindi

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन जी की ख्याति एक मशहूर अभिनेता के तौर पर न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। वे एक ऐसे कलाकार है, जिनके चाहने वाले हर वर्ग के लोग हैं।

उन्होंने अपने अभिनय के अंदाज और अपनी बेहतरीन आवाज से हर किसी के दिल में अपनी एक अलग जगह बनाई हैं। वे एक अच्छे एक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छे सिंगर, डायरेक्टर और राइटर भी हैं।

आइए जानते हैं हिंदी फिल्म जगत के शहंशाह अमिताभ बच्चन भारत के सबसे सफल, लोकप्रियता तथा ज्यादा समय तक ‘सुपर स्टार’ (अब ‘मेगास्टार’) रहने का गौरव पाने वाले अभिनेता हैं। उन्हें बेशुमार सफलताओं के कारण ‘वन मैन इंडस्ट्री’ कहा जाता है। लाखोँ दिलो की धड़कन, उनके चाहनेवालो के भगवान्, और सदी ले महानायक Amitabh Bachchan से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के बारे में-

बॉलीवुड के शहंशाह – अमिताभ बच्चन जी का जीवन परिचय – Amitabh Bachchan Biography In Hindi

Amitabh Bachchan

अमिताभ जी के जीवन के बारे में एक नजर में – Amitabh Bachchan Information in Hindi

वास्तविक नाम (Name) अमिताभ हरिवंश राय श्रीवास्तव
जन्म (Birthday) 11 अक्टूबर 1942, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, ब्रिटिश भारत
पिता (Father Name) हरिवंश राय बच्चन (मशहूर कवि )
माता (Mother Name) तेजी बच्चन
भाई (Brother Name) अजिताभ बच्चन
पत्नी (Wife Name) जया भादुरी बच्चन (भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व भारतीय अभिनेत्री )
बच्चे (Childrens Name) अभिषेक बच्चन (अभिनेता) (Son), श्वेता बच्चन-नंदा (Daughter)
बहु (Daughter In Law) ऐश्वर्या राय बच्चन( मशहूर अभिनेत्री)
शैक्षिक योग्यता (Education) विज्ञान विषय से ग्रेजुएशन
कुल संपत्ति (Net Worth) $400 मिलियन (लगभग)

अमिताभ बच्चन जी का जन्म, परिवार, शिक्षा – Amitabh Bachchan History in Hindi

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन जी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद(वर्तमान प्रयागराज) में 11 अक्टूबर, 1942 में हिन्दी के मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन जी के बेटे के रुप में जन्में थे।

इनकी मां तेजी बच्चन एक घरेलू महिला थी। आपको बता दें कि इनके पिता हरिवंश जी ने अपनी पहली पत्नी श्यामा बच्चन की मौत के बाद तेजी बच्चन के साथ दूसरी शादी की थी, जिनसे अमिताभ जी का जन्म हुआ था।

अमिताभ के अलावा उनके भाई अजिताभ भी हैं। इनके बचपन का नाम इनके माता-पिता ने इंकलाब रखा था, लेकिन उनके पिता के करीबी रहे हिन्दी साहित्य के महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी के कहने पर इनका नाम बदलकर अमिताभ रख दिया गया था।

वहीं पहले अमिताभ जी का सरनेम श्रीवास्तव था, लेकिन बाद में उनके पिता जी ने इसे बदलकर बच्चन कर दिया था।

अमिताभ बच्चन जी की शिक्षा Amitabh Bachchan Education

अमिताभ बच्चन जी बचपन में काफी होनहार थे, उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा ज्ञान प्रबोधिनी, ब्यॉज हाई स्कूल इलाहाबाद से ग्रहण की।

फिर इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड के नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से हाईस्कूल तक की पढ़ाई की। और फिर अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड किरोड़ीमल कॉलेज से पूरी की।

अमिताभ बच्चन जी का वैवाहिक जीवन एवं प्रेम-प्रसंग – Amitabh Bachchan Marriage

महानायक अमिताभ बच्चन जी 3 जून, 1973 में जया भादुरी बच्चन के साथ शादी के पवित्र बंधन में बंध गए थे। दोनों को शादी के बाद दो बच्चे अभिषेक बच्चन और श्वेता बच्चन पैदा हुए।

हालांकि, शादी से पहले अमिताभ जी का नाम बॉलीवुड की तीन मशहूर अभिनेत्रियों के साथ जोड़ा गया। स्वर्गीय अभिनेत्री परवीन बाबी और अमिताभ बच्चन के रिश्ते को लेकर काफी अफवाह उड़ीं थी। आपको बता दें कि अमिताभ जी ने ”अमर अकबर एंथनी’, नमक हलाल जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में परवीन बाबी के साथ काम किया था।

इसके अलावा अमिताभ जी का नाम मशहूर अदाकारा जीनत अमान के साथ भी जोड़ा गया था, हालांकि अमिताभ जी ने जीनत से किसी भी रिश्ते की बात को कभी भी स्वीकार नहीं किया था।

यही नहीं अमिताभ जी का नाम हिन्दी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और मशहूर अदाकारा रेखा के साथ भी जोड़ा गया यहां तक कि उन दोनों को गुपचुप शादी करने की अफवाह भी काफी उड़ाई गईं।

इसके साथ ही बॉलीवुड में भी रेखा और अमिताभ जी की जोड़ी को काफी पसंद किया जाता था, हालांकि कभी भी इन दोनों ने अपने रिश्ते को लेकर खुलकर स्वीकार नहीं किया।

वहीं इन सब अफवाहों के चलते उनकी पत्नी जया बच्चन ने भी रेखा के साथ काम करने से मना कर दिया।

फिलहाल, वर्तमान में अमिताभ जी अपनी पत्नी जया बच्चन के साथ बेहद खुश हैं।

अमिताभ बच्चन जी का फिल्मी करियर – Amitabh Bachchan Career

  • अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1968 में उन्होंने पहले कोलकाता में एक शिपिंग फर्म के साथ काम किया और फिर उन्होंने ऑल इंडिया रेडियों में रेडियो जॉकी के तौर पर नौकरी करने के लिए आवेदन भी किया, लेकिन उनकी भारी आवाज की वजह से उन्हें यहां काम करने से इनकार कर दिया गया, जबकि आज उनकी आवाज ही उनकी पहचान बनी हुई है, और लाखों लोग उनकी आवाज के दीवाने हैं। वहीं इसके बाद फिर वे काम की तलाश में मायानगरी मुंबई में आए और यहां आकर न सिर्फ उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में अपने शानदार अभिनय से बॉलीवुड में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया, और भारतीय हिन्दी सिनेमा को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने में समर्थन किया।
  • आपको बता दें कि अमिताभ बच्चन जी ने 1969 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा। अमिताभ जी ने वॉयस नैरेटर के तौर पर अपनी पहली फिल्म ”भुवन शोम” में अपनी आवाज दी थी, लेकिन एक फिल्म एक्टर के तौर पर उनकी फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ”सात हिन्दुस्तानी” से मानी जाती है।
  • इसके बाद अमिताभ जी ने कई फिल्मों में अभिनय किया लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। करीब 1972 तक उनकी ज्यादातर फिल्में फ्लॉप साबित हुईं। इसके बाद साल 1973 में उन्होंने ”जंजीर” फिल्म में एक ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर मुख्य भूमिका निभाई। उनकी यह फिल्म उनके करियर की टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। वहीं इस फिल्म के बाद से ही उन्हें”एंग्री यंग मैन” की उपाधि दी गई, जो कि बॉलीवुड फिल्मजगत में सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय किरदारों में से एक माना जाता है।
  • इस फिल्म के बाद उन्होंने कई सुपर-डुपर हिट फिल्में की। वहीं उनके अभिनय को काफी पसंद किया जाने लगा। और आज वे लोगों के सबसे चहेते और लोकप्रिय अभिनेता हैं, जिनके बुजुर्ग, युवा, बच्चे, महलिाएं समेत हर वर्ग के लोग भारी संख्या में प्रशंसक हैं। पूरी फिल्म इंडस्ट्री उनके अभिनय की कला और हुनर का सम्मान करती है।

महानायक अमिताभ जी की सुपरहिट फिल्में – Amitabh Bachchan Movies

सात हिंदुस्तानी (1969), आनंद(1971), जंजीर (1973), अभिमान(1973), सौदागर(1991), चुपके चुपके(1975), दीवार(1975) , शोले(1975), कभी कभी(1976), अमर अकबर एंथनी(1977) , त्रिशूल(1978), डॉन(1978), काला पत्थर (1979), मुकद्दर का सिकंदर(1978), मि. नटवरलाल(1979), लावारिस (1981), सिलसिला(1981), कालिया(1981), सत्ते पे सत्ता(1982), याराना (1981), नमक हलाल(1982), शक्ति(1982), कुली(1983), शराबी(1984), मर्द(1998), शहंशाह(1988), अग्निपथ(1990), खुदा गवाह(1992), मोहब्बतें(2000), कभी खुशी कभी गम( 2001), बागबान(2003), खाकी(2004), ब्लैक(2005), वक्त, सरकार(2005), चीनी कम(2007), भूतनाथ(2008), पा(2009), सत्याग्रह(2013), शमिताभ(2015), पिंक(2016), 102 नॉट आउट(2018), बदला(2019) जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया।

अमिताभ बच्चन जी का टेलीविजन में करियर – Amitabh Bachchan Tv Show

साल 2000 में इन्हें ”कौन बनेगा करोड़पति” टेलीवीजन शो का ऑफर आया। जो कि दर्शकों द्धारा खूब पसंद किया गया। यह शो काफी लोकप्रिय और पसंदीदा शो में से एक है।

इस शो की सीरीज हर साल आती है, और वर्तमान में भी उनका यह शो प्रसारित होता है, जिसकी TRP रेटिंग भी हमेशा काफी हाई रहती है।

फिल्म डायरेक्टर के तौर पर अमिताभ बच्चन – Amitabh Bachchan As Director

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन जी ने फिल्म अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देशक के रूप में भी काम किया है। बिग बी ने बच्चन कार्पोरेशन लिमिटेड (ए. बी. सी. एल.)की नींव रखी।

उन्होंने 1996 में फिल्म ”तेरे मेरे सपने” का डायरेक्शन किया था, लेकिन उनकी यह फिल्म कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं कर पाई और बड़े पर्दे पर फ्लॉप साबित हुई, लेकिन इस फिल्म की असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कई फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर उतारा।

एक गायक के तौर पर अमिताभ बच्चन और उनकी बुलंद आवाज – Amitabh Bachchan As Singer

एक वक्त था जब रेडियो में नौकरी करने गए अमिताभ बच्चन जी की आवाज को भारी बताकर उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। लेकिन आज उनकी आवाज ही उनकी पहचान बनी हुई है।

उन्होनें  फिल्मों में अभिनेता के रुप में कई महत्वपूर्ण किरदार निभाने के अलावा ढेर सारे गाने गाए हैं। उनकी आवाज में गाया हुआ गाना ”रंग बरसे भीगे चुनर वाली” आज भी काफी लोकप्रिय है और होली के मौके पर सुना जाने वाला सबसे ज्यादा पसंदीदा गाना है।

इसके अलावा उन्होंने अपनी सुपरहिट फिल्म बागबान में ”होरी खेले रघुवीरा अवध में”, लावारिस फिल्म में ”मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है”, ”पिडली सी बातें” आदि गाए हैं।

इस तरह उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी फिल्मी जगत में मनवाया है।

राजनीति में अमिताभ बच्चन – Amitabh Bachchan Political Career

26 जुलाई, 1982, में अमिताभ जी के फिल्म करियर का सबसे बुरा दौर था। अपनी सुपरहिट फिल्म ”कुली” की शूटिंग के दौरान वे एक एक्शन सीन करते वक्त बुरी तरह घायल हो गए। इस दौरान उनके पेट और आंत में काफी चोट आई थी। इससे उभरने में उन्हें काफी वक्त लग गया था।

हालांकि लोगों की दुआओं के चलते वे ठीक हो गए। इस हादसे के बाद उन्होंने 1984 में अपने फिल्मी करियर से ब्रेक ले लिया था और राजनीति के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाई थी, उन्होनें 8वें लोकसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र इलाहाबाद की सीट से चुनाव लड़ा, साथ ही इस चुनाव में उन्होंने उ.प्र. के पूर्व मुख्‍यमंत्री एचएन बहुगुणा को काफी वोटों से हराया और जीत हासिल की।

राजनीति में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें राजनीति रास नहीं आई और 3 साल बाद ही उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया, हालांकि अभी उनकी पत्नी जया बच्चन जी राजनीति से जुड़ी हुई हैं।

राजनीति छोड़ने के बाद फिर से उन्होंने 1988 में फिल्मी जगत में वापसी कर ली। अमिताभ जी ने फिल्म ”शहंशाह” से बॉलीवुड में फिर से धमाकेदार वापसी की। उनकी यह फिल्म काफी हिट रही।

वहीं इसके बाद उनकी फिल्म अग्निपथ, मोहब्बेत में उनके द्धारा निभाए गए किरदारों को काफी सराहा गया। वहीं उन्हें फिल्मों में शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।

आज उन्हें सदी के महानायक के रुप में भी जाना जाता है, वे पिछले तीन दशकों से लगातार लोगों के दिल पर पसंदीदा अभिनेता के रुप में राज कर रहे हैं।

ब्रांड एम्बेसडर के रुप में अमिताभ जी – Amitabh Bachchan Brand Ambassador

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता के चलते हर ब्रांड उन्हें अपनी कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाने की चाहत रखता है, ताकि उनके नाम पर कंपनी अच्छा मुनाफा कमा सके।

वहीं अमिताभ बच्चन जी तनिष्क लेटेस्ट टीवीसी, मारुती सुजुकी कार, नवरत्न तेल, कल्याण ज्वैलर्स, कैडबरी, ICICI बैंक आदि के ब्रांड एंबेसडर के रुप में काम कर चुके हैं, इसके अलावा उन्होंने पल्स पोलियो और गुजरात टूरिज्म का प्रचार फ्री में किया था।

अमिताभ बच्चन जी को मिले पुरस्कार और सम्मान – Amitabh Bachchan Awards

महानायक अमिताभ बच्चन जी को फिल्मों में उनके शानदार अभिनय और बॉलीवुड जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई बड़े एवं राष्ट्रीय  पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

उन्हें 1984 में ”पद्म श्री” पुरस्कार, साल 2001 में पदम् भूषण , साल 2015 में पदम विभूषण समेत कई  फिल्मफेयर अवॉर्ड, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, नेशनल फिल्म अवार्ड्स, आइफा अवॉर्ड्स, जी सिने अवॉर्ड्स, स्पेशल अवॉर्ड, क्रिटिक्स अवॉर्ड, पॉवर अवॉर्ड, सिविलयन अवॉर्ड्स, बिग स्टार इंटरनेटमेंट अवॉर्ड्स, इंटरनेशनल अवॉर्ड्स, इंडियन टेली अवॉर्डस, इंटरनेशनल अवॉर्ड्स, एशियन फिल्मफेयर अवॉर्ड्स, सिल्वर लोटस अवार्ड्स समेत कई पुरस्कारों से बेस्ट एक्टर , बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर की कैटेगिरी आदि में नवाजा जा चुका है।

इसीके साथ साल 2000 में वे एशिया के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिनकी प्रतिमा लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम में स्थापित की गई थी।

समाज सेवा में भी रहते हैं आगे – Amitabh Bachchan Social Work

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन जी हमेशा लोगों की मद्द करने के लिए तत्पर रहते हैं। वे अक्सर बाढ़ से पीड़ित लोगों को राहत राशि, किसानों आदि की मद्द करने में आगे रहते हैं।

आपको बता दें कि उन्होंने कर्ज में डूबे करीब 40 किसानों को 11 लाख रुपए की मद्द की थी। वे अपनी दरियादिली के लिए भी काफी मशहूर हैं।

अमिताभ जी के ऊपर लिखी गईं प्रसिद्ध किताबें – Books On Amitabh Bachchan

सदी के महानायक अमिताभ जी के ऊपर लिखी गईं कुछ किताबों के नाम इस प्रकार हैं-

  • अमिताभ बच्‍चन: द लिजेंड (1999)
  • टू बी ऑर नॉट टू बी: अमिताभ बच्‍चन (2004)
  • एबी: द लिजेंड (ए फोटोग्राफर्स ट्रिब्‍यूट) (2006)
  • अमिताभ: द मेकिंग ऑफ ए सुपरस्‍टार (2006)
  • लुकिंग फॉर द बिग बी: बॉलीवुड
  • बच्‍चन एंड मी ( 2007)
  • बच्‍चनालिया (2009)

बिग बी के बारे में कुछ दिलचस्प एवं रोचक बातें – Facts About Amitabh Bachchan

  • बॉलीवुड के महान अभिनेता अमिताभ बच्चन जी ने एयरफोर्स में इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन शायद उनकी किस्मत उन्हें मनोरंजन जगत में खींच कर ले आई और आज वे बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे हैं।
  • अमिताभी जी के बारे में सबसे खास बात यह है कि वे कर्तव्यनिष्ठ और समय के बहुत पाबंद है। वे अपने जीवन में अनुशासन का बेहद ख्याल रखते हैं।
  • अमिताभ जी के बारे में सबसे ज्यादा दिलचस्प यह है कि एक वक्त उनकी भारी आवाज की वजह से ऑल इंडिया रेडियो ने काम देने से इंकार कर दिया था, लेकिन आज उनकी आवाज ही उनकी पहचान है, और वे इसके लिए देश-विदेश में जाने जाते हैं।
  • अमिताभ जी ने अभिनेता बनने से पहले कोलकाता में एक रेडियो अनाउंसर और एक शिपिंग कंपनी में एग्जीक्यूटिव के तौर पर भी काम किया है।
  • अमिताभ बच्चन जी इकलौते ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने 1995 में हुई मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में जज की भूमिका निभाई है।
  • अमिताभ जी को अपने फिल्मी करियर के शुरुआती दौर में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उनकी फिल्म ”जंजीर” से पहले करीब 12 फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं, लेकिन वे अपनी विफलताओं से सीख लेकर आगे बढ़ते रहे और आज सदी के महानायक के तौर पर जाने जाते हैं।
  • अमिताभ जी के संघर्ष के दिनों में मशहूर कलाकार महमूद ने काफी साथ दिया।
  • अमिताभ जी एक अच्छे अभिनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी हैं, साथ ही उन्हें अपने पिता की तरह पढ़ने-लिखने और तरह-तरह के पेन इकट्ठे करने का काफी शौक है।

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जी का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, जिस तरह उन्होंने काफी संघर्ष और असफलताओं के बाद सफलता के इस मुकाम को हासिल किया है वो वाकई तारीफ-ए-काबिल है, और हर किसी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

Amitabh Bachchan के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उसके जवाब – 

Amitabh Bachchan house? अमिताभ बच्चन के मुंबई में 3 घर हैं। –  Jalsa, Pratiksha, Janak
Amitabh Bachchan height? अमिताभ बच्चन उचाई 1.85 m है।
Age of Amitabh Bachchan? अमिताभ बच्चन की उम्र 72 years (October 11, 1942)
Amitabh Bachchan family? अमिताभ बच्चन, पत्नी जया बच्चन, बेटा अभिषेक बच्चन, बहु ऐश्वर्या राय बच्चन, बेटी श्वेता, जमाई निखिल नन्दा, पोता अगस्त्य और पोती आराध्या।

और अधिक लेख:

  1. Quotes by Amitabh Bachchan
  2. सुपरस्टार रजनीकांत की जीवनी
  3. अभिनेता अजय देवगन की कहानी
  4. धर्मेन्द्र की जीवन कहानी

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अरस्तु के अनमोल वचन | Quotes By Aristotle

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Aristotle Quotes in Hindi

Aristotle – अरस्तु एक महान प्राचीन यूनानी दर्शनशास्त्री थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। जो विशेषतः बहुत से विषय जैसे मेटाफिजिक्स, म्यूजिक, पॉलिटिक्स और कविताओ के लिखान के लिये जाने जाते थे। इस तरह के व्यक्ति थे और परम्पराओं पर भरोसा न कर किसी भी घटना की जाँच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचते थे। आज हम उन्हीं के कहे कुछ अनमोल कथनों – Quotes By Aristotle को यह पढ़ेंगे।

अरस्तु के कुछ अनमोल वचन – Quotes By Aristotle in Hindi

Aristotle Quotes In Hindi
Aristotle Quotes In Hindi

“कोई भी गुस्सा हो सकता है – यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है।”

“धैर्य कड़वा होता है पर इसका फल हमेशा मीठा होता है।”

“एक मनुष्य के पास चाहे सब कुछ हो लेकिन वो दोस्तों के बिना कोई भी जीना नहीं चाहेगा।”

“जो सभी का दोस्त होता है वो किसी का दोस्त नहीं होता है।”

“जॉब में खुश रहने से ही आपके काम में पूर्णता आती है।

Aristotle Thoughts
Aristotle Thoughts

“शिक्षा की जड़ें कड़वी होती है लेकिन फल मीठे होते है।”

“लोकतंत्र तब होंगा जब किसी अमीर की जगह कोई गरीब देश का शासक हो।”

“क्रांति और अपराध की जनक गरीबी है।”

“दोस्त क्या है? दो शरीर में आवास करने वाली एक आत्मा।”

“हम शांति में रह सके इसलिए हम लढाई करते है।”

All human actions have one or more of these seven causes: chance, nature, compulsions, habit, reason, passion, desire.
All human actions have one or more of these seven causes: chance, nature, compulsions, habit, reason, passion, desire.

“युवा शीघ्रता से उम्मीद लगाते है, इसलिए वो आसानी से धोखा खाते है।”

“एक निश्चित बिंदु के बाद, धन का कोई अर्थ नहीं रह जाता।”

“किसी इंसान का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय और लोकप्रिय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति।”

“खुशी हम कैसे मानते है उस पर निर्भर करती है।”

“किसी विचार को अपनाये बिना उसे मानना किसी शिक्षित दिमाग का ही निशान है।

Aristotle Thoughts in Hindi
Aristotle Thoughts in Hindi

“अपने दोस्त का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो, और जरुरत पड़ने पर उसकी मदत करो।”

“भय बुराई की अपेक्षा से पैदा होने वाला दर्द है।”

“आलोचना से बचने का एक ही तरीका है : जीवन में कुछ मत करो, कुछ मत कहो और कुछ मत बनों।”

“हम वही है जो हम बार-बार करते है। श्रेष्टता आपके काम में नही बल्कि आपकी आदतों में है।”

“प्यार दो शरीर में एक ही आत्मा का निवास है।”

अरस्तु के अनमोल वचन
अरस्तु के अनमोल वचन

“बुरे व्यक्ति का मन सदैव पश्चाताप से भरा होता हैं।”

“सबके साथ अच्छा व्यवहार सभी गुणों का सार है।”

“अच्छी शुरुआत से ही हमेशा आधा काम हो जाता है।”

“स्वयं को जानना ही ज्ञान की शुरुआत है।”

“प्रकृति के अनुसार सभी इंसान ज्ञान चाहते है।

Character may almost be called the most effective means of persuasion.
Character may almost be called the most effective means of persuasion.

“चरित्र को हम अपनी मन की बात मनवाने का सबसे प्रभावीशाली माध्यम कह सकते हैं।”

“उत्कृष्टता कोई तरीका नहीं बल्कि आदत है।”

“इंसान के सभी कार्य इन सात कारणों में से किसी एक या अधिक वजहों से प्रेरित होते हैं: मौका, स्वभाव, मजबूरी या आवश्यकता, आदत, वजह, जुनून तथा प्रबल
इच्छा।”

“एक शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे।”

“जिसमे अपने दुश्मनों को पराजित किया उसे साहसी कहने की बजाये जिसने अपनी इच्छाओ को वशीभूत कर लिया है मै उसे साहसी और बहादुर कहूँगा। क्योकि सबसे बड़ी जीत हमपर ही हमारी होगी।

Best Quotes of Aristotle
Best Quotes of Aristotle

“बुढ़ापे के लिए शिक्षा ही सबसे अच्छा प्रावधान है।”

“आशा जागते हुए देखा गया सपना है।”

“हमारे जीवन के गहनतम अंधकार के वक़्त हमें अपना ध्यान उजाला देखने पर केंद्रित करना चाहिए।”

“महान विचार वाले मनुष्य को लोगों की सोच की बजाय सत्य की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए।”

“सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं है, हम जीवन में बिना दर्द के कुछ भी नहीं सीख सकते है।”

“प्रकृति की सभी चीजो में कुछ तो अद्भुत और शानदार है।

Aristotle Quotes In Hindi
Fear is pain arising from the anticipation of evil.

“दोस्त बनना एक जल्दी का काम है लेकिन दोस्ती धीरे धीरे से पकने वाला फल है।”

“मन की ऊर्जा ही जीवन का सार है।”

“एक अच्छा मनुष्य और एक अच्छा नागरिक बनना एक बात नहीं है।”

“जो एक अच्छा अनुयायी नहीं बन सकता वो कभी अच्छा लीडर भी नहीं बन सकता।”

“पागलपंती या जूनून को छुए बिना किसी भी महान इंसान की उत्पत्ति नही हुयी।

दार्शनिक अरस्तु के प्रसिद्द अनमोल विचार
दार्शनिक अरस्तु के प्रसिद्द अनमोल विचार

“शिक्षा समृद्धि में एक अलंकार और मुसीबत में एक रक्षागार है।”

“ख़ुशी ही जीवन का ध्येय और अर्थ है।”

“अच्छा लिखने के लिए खुद को एक आम मनुष्य की तरह व्यक्त करो, लेकिन सोचो एक चतुर व्यक्ति की तरह।”

“लढाई जितना पर्याप्त नहीं है, शांति कायम करना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।”

“प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है।”

Aristotle Anmol Vachan
Aristotle Anmol Vachan

“बिना मन को शिक्षित किए दिमाग को शिक्षित करना, वास्तव में शिक्षा नहीं है।”

“अनुभव लेना बहुत ही कष्टदायक होता है।”

“बुद्धिमान व्यक्ति बोलता है क्योंकि उसके पास कहने के लिए बहुत कुछ होता है लेकिन मुर्ख व्यक्ति बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है।”

“प्रसन्नता ही जीवन का सही अर्थ और उद्देश्य है, यही मनुष्य के अस्तित्व का जीवन भर उत्कृष्ट ध्येय है।”

“ख़ुद का ज्ञान ही हर बुद्धिमानी/ज्ञान का प्रारंभ है।

Quotes By Aristotle in Hindi

“एक शिक्षक बच्चों को शिक्षित करता हैं वो उन्हें जन्म देने वालो से ज्यादा सम्मानीय है क्योकि जन्म देनेवाला उन्हें केवल ज़िन्दगी देता है लेकिन शिक्षक उन्हें सही तरीके से ज़िन्दगी जीने की कला सीखाते है।”

“नौकरी या काम-काज में प्रसन्नता, काम में उत्तमता लाती है।”

“अशिक्षित और शिक्षित में उतना ही फर्क है जितना की मौत और ज़िन्दगी में।”

“विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक सामान बनाना।”

“वो जो अकेले में खुश रहता है या तो एक जानवर होता है या फिर भगवान।”

“आदर्श व्यक्ति वही हैं जो परिस्थितियों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर जीवन की दुर्घटनाओं को मर्यादा और ईश्वर की कृपा समझ कर स्वीकार कर लेता है।”

“एक मात्र स्थिर अवस्था वो है जिसमे सभी इंसान कानून के समक्ष बराबर है।”

“साहस सभी मानवीय गुणों में प्रथम है क्योंकि यह वो गुण है जो आप में अन्य गुणों को विकसित करता है।”

“अनुशासन से स्वतंत्रता आती है।”

“न तो हमें कायर होना चाहिए न ही अविवेकी बल्कि हमें साहसी होना चाहिए।”

“बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है बल्कि दुःख को दूर रखना होता है।”

“आत्मा कभी भी मानसिक चित्र के बिना नहीं सोचती है।”

“भगवान भी मज़ाक के शौक़ीन होते है।”

“ख़ुशी आत्म निर्भरता से सम्बंधित होती है।”

“युवा आसानी से धोखा खाते है क्योंकि वो शीघ्रता से उम्मीद लगाते है।”

“क्रोध एक उपहार है।”

“आदमी एक लक्ष्यों की मांग करने वाला प्राणी है उसकी ज़िन्दगी का तभी अर्थ है जब वो अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करता रहे और उन्हें प्राप्त करता रहे।”

“हम बहादुर कार्यों के द्वारा ही बहादुर बन सकते है।”

“कुछ चीजो को करने से पहले हमें उसे सीखना चाहिये, उन्हें करते-करते ही हम सिख जायेंगे।

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कपिल देव का जीवन परिचय…

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Kapil Dev Biography in Hindi

कपिल देव, भारत के महानतम क्रिकेटर हैं, जिनके लिए हर भारतीय के ह्रद्य में अपार सम्मान हैं। क्रिकेट लीजेंड कपिल देव ऐसे पहले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में  साल 1983 में भारत को पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब दिलवाया था। कपिल देव क्रिकेट के ऑलराउंडर हैं, जिनके अंदर न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाजी करने का हुनर है, बल्कि वे एक अच्छे बॉलर और फील्डर भी हैं। इसके अलावा कपिल देव जी 1999 से करीब 2000 तक भारत के कोच भी रह चुके हैं। कपिल देव का नाम विश्व में सबसे अधिक विकेट लेने वाले क्रिकेटरों में भी शुमार हैं। वे इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने करियर में टेस्ट मैचों में 400 से भी ज्यादा विकेट लिए हैं और 5 हजार रन बनाए हैं। कपिल देव के क्रिकेट की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्ह भारत सरकार की तरफ से पद्म श्री समेत कई बड़े सम्मानों से नवाजा जा चुका है। आइए जानते हैं क्रिकेट के इस महान दिग्गज खिलाड़ी कपिल देव जी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी-

कपिल देव का जीवन परिचय – Kapil Dev Biography in Hindi

Kapil Dev

कपिल देव जी के बारे में एक नजर में – Kapil Dev Information in Hindi

वास्तविक नाम (Name) कपिल देव रामलाल निखंज
जन्म (Birthday) 6 जनवरी 1959, चंडीगढ़, भारत
पिता (Father Name) रामलाल निखंज
माता (Mother Name) राज कुमारी लाजवंती
पत्नी (Wife Name) रोमी भाटिया
बेटी (Daughter) अमिया देव

कपिल देव जी का प्रारंभिक जीवन, जन्म, परिवार और शिक्षा – Kapil Dev History in Hindi

भारत के यह दिग्गज खिलाड़ी कपिल देव जी 6 जनवरी, 1959 को पंजाब के मशहूर शहर चंडीगढ़ में बिल्डर और लकड़ी के व्यापारी रामलाल निखंज के 6वीं संतान के रुप में जन्में थें। इनकी माता राजाकुमारी लाजवंती एक घरेलू महिला हैं। कपिल देव जी सात भाई-बहन हैं। आजादी के बाद भारत-पाक विभाजन से पहले उनका परिवार पहले पाकिस्तान के रावलपिंडी में रहता था, लेकिन विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर रहने लगा था। कपिल देव जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चंडीगढ़ के डी.ए.वीं. कॉलेज से की और ग्रेजुएशन की पढ़ाई उन्होंने सेंट एडवर्ड कॉलेज से की। वहीं शुरुआत से ही क्रिकेट की तरफ अत्याधिक रुझान होने की वजह से वे क्रिकेट की प्रैक्टिस करने लगे थे, उन्होंने क्रिकेट जगत के मशहूर कोच देश प्रेम आजाद से क्रिकेट खेलने की अद्भुत कला सीखी थी। वहीं साल 1980 में जब कपिल देव जी 21 साल के थे, तब इनकी शादी रोमी भाटिया जी से हो गई थी। शादी के बाद दोनों को एक बच्ची पैदा हुई जिसका नाम अमिया देव है।

महान क्रिकेटर कपिल देव जी का क्रिकेट करियर – Kapil Dev Cricket Career

  • भारत के सबसे दिग्गज खिलाड़ियों में शुमार कपिल देव जी ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत साल 1975 में हरियाणा की टीम के लिए क्रिकेट खेलकर की थी। उन्होंने अपना पहला मैच पंजाब के खिलाफ खेला था और इस मैच में उन्होंने 6 विकेट लेकर पंजाब की टीम को हार की धूल चटाई थी।
  • हरियाणा में अपनी शानदार जीत दर्ज करने के बाद साल 1976 और साल 1977 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के खिलाफ शानदार मैच खेला। इस मैच में उन्होंने 8 विकेट लेकर 36 रन बनाकर बेहतरीन पारी खेली थी। इसके अलावा इसी साल कपिल देव जी ने बंगाल के खिलाफ भी मैच खेलकर अपनी अद्भुत क्रिकेट प्रतिभा को प्रदर्शन किया था, उन्होंने इस मैच में 7 विकेट लेकर 20 रन बनाए थे।
  • कपिल देव जी के बेहतरीन खेल क्षमता के चलते उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला। उन्होंने साल 1978 में अपना पहला इंटरनेशनल टेस्ट मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला था
  • कपिल देव जी साल 1979-1980 में हरियाणा की टीम की तरफ से दिल्ली के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी कर 193 रन की शानदार पारी खेली थी। यह उनके करियर की पहली सेंचुरी थी।
  • इसके बाद साल 1979 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर 124 गेंदों में 126 रन बनाए थे।
  • इसके बाद साल 1982 से 1983 के बीच उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ हुई सीरीज में साल 1982 से 1983 के बीच कपिल देव जी को भारत भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बनाया गया। उन्होंने साल 1983 में हुए वर्ल्ड कप में अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को पहली बार वर्ल्ड कप दिलवाया। इस मैच में उन्होंने शानदार पारी खेलते हुए 175 रन बनाकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलवाई थी। वहीं उनके इस मैच में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया था। 1983 के मैच में कपिल देव के अद्भुत प्रदर्शन को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि इस वर्ल्ड कप को जीतने के बाद भारत को क्रिकेट की दुनिया में अलग पहचान मिली थी।
कपिल के क्रिकेट करियर में संघर्ष: आपको बता दें कि कपिल देव जी को अपने क्रिकेट करियर में काफी संघर्षों का भी सामना करना पड़ा था। दरअसल, कपिल देव की कप्तानी के दौरान साल 1984 में वेस्टइंडीज के खिलाफ हुई वनडे टेस्ट मैच की सीरिज में भारत को बुरी शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिसके चलते उन्हें अपनी कप्तानी खोनी पड़ी थी और उनकी जगह सुनील गावस्कर को इंडियन क्रिकेट टीम का कैप्टन घोषित किया गया था। हालांकि, इसके बाद फिर से उन्हें कप्तानी करने का मौका मिला था। लेकिन, साल 1987 में हुए वर्ल्ड कप में जब भारत को इंग्लैंड से हार का सामना करना पड़ा तो लोगों ने कपिल देव पर खराब प्रदर्शन और हार का आरोप मड़ा और एक बार फिर से उनकी कप्तानी छीनकर गावस्कर को दे दी गई। वहीं ये उनके क्रिकेट करियर की आखिरी कप्तानी साबित हुई थी। इसके बाद साल 1994 में उन्होंने क्रिकेट से संयास ले लिया।

कोच के रुप में कपिल देव – Kapil Dev as Coach

साल 1999 में BCCI ने उन्हें इंडियन क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया। हालांकि, इस दौरान उन पर भारत-ऑस्ट्रेलिया के मैच में भारत की हार के बाद मैच फिक्सिंग के आरोप लगाए गए, जिसके बाद उन्होंने महज 10 महीने के बाद  ही कोच के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कपिल देव क्रिकेट के विशेषज्ञ के तौर पर कई नेशनल न्यूज चैनलों पर दिखाई देने लगे। इसके साथ ही वे कई बार बतौर कमेंट्रेटर भी नजर आते हैं।

कपिल देव को पुरस्कार एवं सम्मान – Kapil Dev Awards

  • दुनिया के सबसे श्रेष्ठतम क्रिकेटर कपिल देव जी को क्रिकेट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने एवं उनके बेहतरीन खेल प्रदर्शन से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उन्हें साल 1979-1980 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा।
  • क्रिकेट के ऑलराउंडर कपिल देव जी के क्रिकेट खेलने की हुनर को देखते हुए भारत सरकार ने साल 1982 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागिरक सम्मान एक पद्म श्री से नवाजा था।
  • साल 1983 में वर्ल्ड कप में कपिल देव जी के शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें विज्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया।
  • साल 1991 में कपिल देव को उनकी क्रिकेट खेलने की अद्भुत खेल प्रतिभा को देखते हुए भारत के सर्वोच्च पुरस्कार में से एक पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया।
  • इसके बाद साल 2002 में कपिल देव जी को सदी के विज्डन क्रिकेटर का खिताब दिया गया।
  • साल 2010 में कपिल देव जी को उनके क्रिकेट खेलने के हुनर को लेकर ICC क्रिकेट हॉल ऑफ फेम पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया ।
  • साल 2013 में NDTV द्धारा उन्हें 25 ग्लोबल लिविंग लीजेंड्स में से एक का खिताब दिया गया । इसके साथ ही इसकी साल कपिल देव जी को सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया।

कपिल देव की बायोपिक फिल्म – Kapil Dev Biopic

किक्रेट की दुनिया के महान ऑलराउंडर कपिल देव जी की बायोपिक फिल्म 10 अप्रैल साल 2020 को रिलीज होगी। इस फिल्म पर भारतीय हिन्दी सिनेमा के मशहूर निर्देशक कबीर खान जी बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता रणवीर सिंह के साथ काम करेंगे। इस फिल्म में रणवीर सिंह जी कपिल देव जी की भूमिका में नजर आएंगे। आपको बता दें कि यह फिल्म साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में क्रिकेट वर्ल्ड कप में हुई भारत की शानदार और ऐतिहासिक जीत पर आधारित है। फिलहाल इस फिल्म का कपिल देव जी के प्रशंसकों को काफी इंतजार है। फिल्मों में कपिल देव: क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके महान क्रिकेटर कपिल देव जी ने बॉलीवुड में भी अपना जलवा बिखेरा है। कपिल देव जी बॉलीवुड फिल्म ”मुझसे शादी करोगी”, ”चैन कुली की मैन कुली”, “दिल्लगी… ये दिल्लगी” ”आर्यन अनब्रेकएबल” औऱ इकबाल जैसे बेहतरीन फिल्मों में शानदार अभिनय कर चुके हैं।

कपिल देव के जीवन से जुड़ी दिलचस्प एवं रोचक बातें – Facts About Kapil Dev

  • विश्व के सबसे श्रेष्ठतम क्रिकेटरों में शुमार कपिल देव जी ने 24 सितंबर 2008 में, प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का पदभार ग्रहण किया।
  • क्रिकेट की दुनिया में ऑलराउंडर होने के साथ-साथ वे एक अच्छे बिजनेसमैन भी हैं। उनके भारत में चंडीगढ़ और पटना में कैप्टेन्स एलेवेन नाम के दो रेस्टोरेंट भी हैं, जो कि उन्हेोंने साल 2006 में खोले थे।
  • दुनिया के सबसे श्रेष्ठ और उत्कृष्ट खिलाड़ियों में शुमार कपिल देव जी ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत साल 1975 में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट से की थी। इसके करीब 3 साल बाद वे 1978 में भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हुए थे। आपको बता दें कि कपिल देव जी सचिन तेंदुलकर से पहले सबसे कम आयु में डेब्यू करने वाले भारतीय क्रिकेटर हैं।
  • अपनी अद्भुत खेल प्रतिभा से क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान विकसित करने वाले कपिल देव जी ने अपनी तीन आत्मकथाएं “गोड्स डिक्री (1985)”, “स्ट्रेट फ्रॉम माय हार्ट (2004)”, “क्रिकेट माय स्टाइल (19 87)”, आदि लिखी हैं।
  • विश्व के सबसे महानतम क्रिकेटर कपिल देव जी के नाम क्रिकेट जगत के सबसे हेल्दी और फिट खिलाड़ी होने का शानदार रिकॉर्ड दर्ज है। उनके बारे में दिलचस्प यह है कि वे अपने पूरे टेस्ट करियर में किसी भी चोट की वजह से किसी भी टेस्ट मैच से बाहर नहीं हुए थे।
  • भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एवं महान खिलाड़ी कपिल देव जी ने अपने पूरे क्रिकेट करियर में करीब 131 टेस्ट मैच खेले है, जिसमें से उन्होंने करीब 184 पारियों में बल्लेबाजी की है। वहीं यह जानकर हैरानी होगी कि कपिल जी अपनी इन सभी पारियों में कभी भी रन आउट नहीं हुए।
  • साल 1983 में अपनी कप्तानी में भारत को पहला वर्ल्ड कप जीताने वाले महान क्रिकेटर कपिल देव जी इंग्लैंड के खिलाड़ी इयान बॉथम के बाद दुनिया के दूसरे ऑलराउंडर हैं।
  • क्रिकेट जगत की महान हस्ति कपिल देव जी साल 1994 में अपने संयास लेने तक इकलौते ऐसे क्रिकेटर थे. जिन्होंने टेस्ट मैचों में 5 हजार रन बनाए हैं और 400 से भी ज्यादा विकेट लिए हैं। साल 2000 में उनका यह रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के गेंदबाज कोर्टनी वॉल्श ने तोड़ा था। इसके साथ ही  उनके नाम सबसे कम उम्र में 300 विकेट लेने का शानदार रिकॉर्ड भी दर्ज हैं।
  • भारत के यह महान खिलाड़ी कपिल देव जी वन डे मैचो में सेंचुरी मारने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। साल 1983 में वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रन की करिश्माई पारी खेली थी।
  • क्रिकेट की दुनिया के सबसे श्रेष्ठ खिलाड़ी कपिल देव जी पहले हरियाणा की रणजी टीम के लिए खेलते थे, इसलिए उन्हें हरियाणा हेरिकेन एवं हरियाणा के तूफान के नाम से भी जाना जाता है।
  • साल 1994 में क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कहने के बाद कपिल देव जी गोल्फ खेलने लगे और फिर बाद में वे एशिया से लॉरियस फाउंडेशन के इकलौते संस्थापक सदस्य बने।
  • कपिल देव एक्शन स्पोट्स शूज, हाजमोला, क्रोसिन पैन रिलीफ, बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस, हीरो होंडा बाइक्स समेत कई कंपनियों का विज्ञापन भी कर चुके हैं।
कपिल देव जी ने भले ही क्रिकेट से संयास ले लिया हो, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। वहीं कपिल देव जैसे महान ऑलराउंडर से हर क्रिकेटर को प्रेरणा लेने की जरूरत है। कपिल देव जी हमेशा ही अपने अनुभवों से इंडियन क्रिकेट टीम का मनोबल बढ़ाने का काम करते हैं। कपिल देव जी जैसे क्रिकेटर का भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनना भारत के लिए गर्व की बात है। कपिल देव के बारे मे कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:- Kapil Dev Aeg:- (Age 60) ये तारीख 2019 के अनुसार है। Kapil Dev Height:-  1.83 m ये जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है। Kapil Dev Wife:- कपिल देव की पत्नी का नाम रोमी भाटिया (Romi Bhatia) Kapil Dev Daughter:-  कपिल देव के बेटी का नाम अमिया देव (Amiya Dev) Note: आपके पास About Kapil Dev in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। धन्यवाद…. अगर आपको life history of Kapil Dev in Hindi Language अच्छी लगे तो जरुर हमें Whatsapp Status और Facebook  पर share कीजिये। E-MAIL Subscription करे और पायें Essay with a Short Biography about Kapil Dev in Hindi and More New Article… आपके ईमेल पर।

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ऑस्कर वाइल्ड के 10+ महान विचार…

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Oscar Wilde Quotes in Hindi

ऑस्कर वाइल्ड एक आयरिश नाटककार, उपन्यासकार, निबंधकार और कवी थे। 1880 के दशक में उन्होंने अपने लेखो से लोगो को प्रभावित किया है। आज हम उन्ही के द्वारा कहे कुछ महान कथनों को पढेंगे।

ऑस्कर वाइल्ड के 10+ महान विचार –  Quotes By Oscar Wilde in Hindi

Hatred is blind, as well as love.
Hatred is blind, as well as love.

“नफरत अंधी होती है, और प्यार भी।

किसी को वो जहा जाता है वहा ख़ुशी मिलती है, बल्कि कुछ लोग जहा जाते है वहा खुशियाँ ले जाते है।

I have the simplest tastes. I am always satisfied with the best.
I have the simplest tastes. I am always satisfied with the best.

“मेरी बहुत सीधी-सादी पसंद है। मैं हमेशा सबसे अच्छे से संतुष्ट हो जाता हूँ।

मेरी बहुत सीधी-सादी पसंद है। मैं हमेशा सबसे अच्छे से संतुष्ट हो जाता हूँ।

True friends stab you in the front.
True friends stab you in the front.

“सच्चे दोस्त सामने से छुरा भोंकते हैं।

एक आदमी किसी भी औरत के साथ खुश रह सकता है, जब तक कि वो उससे प्यार ना करे।

There are many things that we would throw away if we were not afraid that others might pick them up
There are many things that we would throw away if we were not afraid that others might pick them up

“ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हम फेंक देते यदि हमें इस बात का चिंता नहीं होती की कोई और उन्हें उठा लेगा।

हमेशा अपने दुश्मनों को माफ़ कर दीजिये – क्योकि कुछ भी उन्हें परेशान नही कर सकता।

A gentleman is one who never hurts anyone’s feelings unintentionally.
A gentleman is one who never hurts anyone’s feelings unintentionally.

“एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाए।

किसी को प्यार करना ही जिंदगीभर के रोमांच की शुरुवात है।

A man who does not think for himself does not think at all.
A man who does not think for himself does not think at all.

जो व्यक्ति अपने बारे में नही सोचता, वो सोचता ही नहीं है।

निंदक क्या है और कौन है? एक ऐसा इंसान जो हर चीज की कीमत जानता हो और किसी भी चीज के महत्त्व को नही जानता हो।

No man is rich enough to buy back his past.
No man is rich enough to buy back his past.

“कोई भी व्यक्ति इतना धनवान नहीं कि अपना भूत खरीद सके।

जीना ही दुनिया की सबसे दर्लभ चीज है। क्योकि बहुत से लोग सिर्फ वर्तमान में ही होते है।

Success is a science; if you have the conditions, you get the result.
Success is a science; if you have the conditions, you get the result.

“हर संत एक अतीत है और हर पापी का एक भविष्य है।

सत्य दुर्लभतः शुद्ध होता है और कभी भी सत्य आसान नही होता।

Experience is simply the name we give our mistakes.
Experience is simply the name we give our mistakes.

“सफलता एक विज्ञान है; यदि परिस्थितयां हैं तो परिणाम मिलेगा।

अनुभव महज़ एक नाम है जो हम अपनी गलतियों को देते हैं।

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जानिए ईद-ए-मिलाद के पावन पर्व के बारे में महत्वपूर्ण बातें…

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Eid e Milad

ईद-ए-मिलाद मुस्लिम पर्व के लोगों के लिए बेहद खास दिन हैं। इस पर्व को मुस्लिम धर्म के संस्थापक पैगम्बर हजरत साहब के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, बारावफात एवं मव्लिद के नाम से भी जाना जाता है।

इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने घरों को सुंदर तरीके से सजाते हैं एवं मस्जिदों में विशेष प्रकार की नमाज अदा करते हैं। इस पावन पर्व पर हर तरफ शांति, सोहार्द और खुशहाली का वातावरण देखने को मिलता है, आइए जानते हैं इस पर्व को कब,क्यों और कैसे मनाया जाता है-

जानिए ईद-ए-मिलाद के पावन पर्व के बारे में महत्वपूर्ण बातें – Eid e Milad

Eid e Milad

कब मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद – when is Eid e Milad

ईद-ए-मिलाद का पर्व इस्लाम धर्म के कैलेंडर के मुताबिक इस्लाम के तीसरे माह के रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस के रुप में धूमधाम से मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी – Why is Eid e Milad Celebrated

ईदमिलादउननबी या बारावफात का पर्व इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। दरअसल इस्लामिक महीने रबीउलअव्वल की चांद की 12वीं तारीख को 571 ईसवी में मक्का में हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइश हुई थी, इसलिए इस पर्व को मुस्लिम धर्म के लोग ईदमिलाद और बारावफात के रुप में धूमधाम से मनाते हैं।

इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग जुलूस निकालते हैं। इस्लाम मजहब के बानी हजरत मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन लोग पैगम्बर साहब के उपदेश और पवित्र संदेशों को पढ़ते हैं और उन्हें याद करते हैं।

कैसे मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद( बारावफात) का पर्व एवं इसका महत्व – Prophet Muhammad Birthday Celebration

ईदमिलाद या बारावफात के पर्व का मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए बेहद खास महत्व है। इस मौके पर मस्जिदों और घरों को विशेष तरीके से सजाया जाता है। इस दिन भव्य जुलूस सड़कों पर निकाले जाते हैं। जुलूसों को बेहद शानदार ढंग से सजाया जाता है।

मस्जिदों में विशेष तरह की नमाज अदा की जाती है एवं इस दिन लोग हजरत पैगम्बर साहेब की शिक्षाओं को याद करने के साथसाथ बेसहाय और जरूरतमदों और गरीबों की मद्द करते हैं साथ ही भूखों को खाना खिलाते हैं। इस मौके पर लोग अमन और शांति कायम करने का संकल्प लेते हैं।

मान्यता है कि, इस दिन इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान का पाठ पढ़ने से अल्लाह का रहम बरसता है। इस दिन हर तरफ हजरत पैगम्बर साहेब की प्रशंसा में गीतों की गूंज सुनाई देती हैं। इस पर्व पर हर तरफ खुशी का माहौल होता है।

हालांकि कई जगह इस पर्व को शोक के रुप में भी मनाया जाता है, क्योंकि कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि, इस दिन मुस्लिम धर्म के संस्थापक पैगम्बर हजरत साहब की इसी दिन मृत्यु भी हुई थी।

वहीं मुस्लिम धर्म के शिया और सुन्नी समुदाय में बंटे लोगों को इस पर्व को मनाने की अलगअलग मान्यता है। शिया मुस्लिमों द्धारा यह माना जाता है कि, ईदमिलादउननबी पर पैगम्बर मोहम्मद साहेब ने हजरत अली को अपना उत्तराधिकारी चुना था एवं वे इस दिन पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहेब की जन्म की खुशी में मनाते हैं। 

जबकि सुन्नी मुस्लिम इस दिन को पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब की मृत्यु का दिन मानकर शोक के रुप में मनाते हैं, और वे इसी वजह से पूरे महीने शोक भी करते हैं और इस दिन प्रार्थना सभाओं आदि का आयोजन करते हैं।

बारावफात के पवित्र पर्व के मौके पर मुस्लिम धर्म के लोगों के घरों में विशेष रुप से खीर बनाए जाने की परंपरा है। इस मौके पर लोग एकदूसरे के गले लगकर इस पर्व की बधाई देते हैं एवं उनके खुशी जीवन की कामना करते हैं।

गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,

सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है,

मुबारक हो आपको ईद का दिन,

हमने ये पैगाम भेजा है,

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक।।

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कार्ल मार्क्स के अनमोल विचार – Karl Marx Quotes in Hindi

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Karl Marx Quotes in Hindi

कार्ल मार्क्स सिर्फ एक दर्शनशास्त्री के रूप में ही नही बल्कि एक क्रांतिकारी के नाम से जाने जाते है, जिनके कामो ने बींसवी सदी के बहुत से लोगो को प्रभावित भी किया था।

कार्ल मार्क्स के अनमोल विचार – Karl Marx Quotes in Hindi

Karl Marx
From each according to his abilities, to each according to his needs.

“हर किसी से उसकी क्षमता के अनुसार, हर किसी को उसकी ज़रुरत के अनुसार।

नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।

“मानसिक पीड़ा का एकमात्र मारक शारीरिक पीड़ा है।

History repeats itself, first as tragedy, second as farce.
History repeats itself, first as tragedy, second as farce.

“इतिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह, दुसरे एक मज़ाक की तरह।

बहुत सारी उपयोगी चीजों के उत्पादन का परिणाम बहुत सारे बेकार लोग होते हैं।

“लोगों की ख़ुशी के लिए पहली आवश्यकता धर्म का अंत है।

the communist manifesto
Religion is the opium of the masses.

“धर्म लोगों का अफीम है।

धर्म किसी दबे हुए प्राणी की साँस है, निष्ठुर दुनिया का दिल है, बेजान परिस्थिति की जान है। यह लोगो के लिये अफीम के समान है।

“यूरोप को एक काली छाया सता रही है, साम्यवाद की छाया।

Social progress can be measured by the social position of the female sex.
Social progress can be measured by the social position of the female sex.

“सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।

यदि कोई स्थायी है तो वह मै ही हु और मै कोई मार्क्सवादी नही हु।

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For the bureaucrat, the world is a mere object to be manipulated by him.

“नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।

कारण का हमेशा अस्तित्व होता है लेकिन इसका कारण हमेशा कारण ही नही होता।

If anything is certain, it is that I myself am not a Marxist.
If anything is certain, it is that I myself am not a Marxist.

“अगर कोई चीज निश्चित है तो ये कि मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूँ।

इंसान अपना खुदका इतिहास बना सकता है लेकिन वह जैसा चाहता है उसे वैसा नही बना सकता।

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The meaning of peace is the absence of opposition to socialism.

“शांति का अर्थ साम्यवाद के विरोध का नहीं होना है।

साम्यवाद के सिद्धांत को एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है : सभी निजी संपत्ति को समाप्त करना।

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Necessity is blind until it becomes conscious. Freedom is the consciousness of necessity.

“ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये। आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है।

पिछले सभी समाजो का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है।

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The rich will do anything for the poor but get off their backs.

“अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते।

पूँजी एक मरा हुआ मजदुर है, जो पिशाच की तरह है, जोम केवल श्रम चूसकर ही जिन्दा रहता है और जितने ज्यादा समय तक जीता है उतना ज्यादा श्रम चुसता है।

German Philosopher Karl Marx
Democracy is the road to socialism.

“लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है।

दर्शनशास्त्रियो ने केवल इस दुनिया की अलग-अलग तरह से व्याख्या दी है। असल में बात यह है की इसे कैसे बदला जा सकता है।

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