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श्री श्री रविशंकर के 21+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार

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Sri Sri Ravi Shankar Quotes in Hindi

श्री श्री रवि शंकर को आज कोन नहीं जानता। वे एक आध्यामिक गुरु होने के साथ साथ आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन के संस्थापक हैं। उनके विचार हर किसी को प्रेरित करते हैं फिर चाहे वो बड़ा हो या छोटा। हर उम्र के लोगों के लिए वो एक प्रेरणा स्थान हैं। आज हम उन्ही के कहे कुछ अनमोल विचारों को आप के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा हैं यह विचार आपके जीवन ख़ुशी से जीने के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

श्री रविशंकर के सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Sri Sri Ravi Shankar Quotes in Hindi

Sri Sri Quotes on Success in Hindi

“दूसरो की सुने, फिर भी न सुने, अगर तुम्हारा दिमाग उनकी समस्याओ में उलझ जायेंगा, तो ना सिर्फ वो दुखी होंगे, बल्कि तुम भी दुखी हो जाओंगे।”

“जिनमे कोई यह नही जानता की एक दोस्त कब दुश्मन बन जाये या दुश्मन कब दोस्त बन जाये। इसीलिए हमेशा खुद पर भरोसा रखे।”

Sri Sri Ravi Shankar on Soulmate

“प्यार में कभी गिरना नही चाहिये, प्यार में हमेशा आगे बढ़ना चाहिये।”

“भरोसा रखना की वहा आपकी कमजोरी को दूर करने के लिए कोई बैठा है। ठीक है, आप एक बार सोते हो, दो बार, तीन बार। ये कोई मायने नही रखता, मायने तो सिर्फ आपका आगे बढ़ना रखता है, इसीलिए कमजोरियों की चिंता किये बिना ही सतत आगे बढ़ते रहे।”

Sri Sri Ravi Shankar Quotes on Happiness

“अस्वीकृति का मतलब अपने आप में ही सिमित रहना है।”

“कार्य करना और आराम करना जीवन के दो मुख्य अंग है। इनमे संतुलन स्थापित करने के लिए अपनी योग्यता का उपयोग करना चाहिये।

Sri Sri Ravi Shankar Quotes in Hindi

“मै आपको बताता हु, आपके भीतर एक परमानन्द का बसेरा है, प्रसन्नता का झरना है. आपके मूल के भीतर सत्य, प्रकाश और प्रेम है, वहा कोई अपराध नही होता, वहा किसी प्रकार का डर भी नही है। मनोवैज्ञानिको ने कभी इतनी गहराई में जाकर नही देखा।”

“जीवन प्रकृति के बनाये नियमो पर चलता है।”

Sri Sri Ravi shankar quotes on happiness in hindi

“प्यार का रास्ता कोई उबाऊ रास्ता नही है। बल्कि ये तो मस्ती का मार्ग है। ये गाने का और नाचने का सबसे अच्छा मार्ग है।”

“मै आपको बताता हु की, आपके मस्तिष्क के अलावा कोई भी दुसरी चीज़ आपको परेशान नही कर सकती। हा, भले ही आपको ऐसा दिखाई देंगा की दुसरे आपको परेशान कर रहे हो लेकिन वह आपका मस्तिष्क ही होंगा।”

Sri Sri Ravi Shankar Daily Quotes

““आज” भगवान का दिया हुआ एक उपहार है – इसलिए इसे “गिफ्ट” कहते है।”

“ज्ञान बोझ है यदि वह आपके भोलेपन को छीनता है। ज्ञान बोझ है यदि वह आपके जीवन में एकीकृत नही है। ज्ञान बोझ है यदि वह प्रसन्नता नही लाता। ज्ञान बोझ है यदि वह आपको यह विचार देता है की आप बुद्धिमान है। ज्ञान बोझ है यदि वह आपको स्वतंत्र नही करता। ज्ञान बोझ है यदि वह आपको ये प्रतीत कराता है की आप विशेष है।”

Sri Sri Ravi Shankar Suvichar

“श्रद्धा यह समझने में है की आप हमेशा वो पा जाते है जिसकी आपको जरुरत होती है।”

“चिंता करने से आपके जीवन में कोई बदलाव नही होंगा लेकिन काम करने से जरुर आप अपने आप को मजबूत बना सकते हो।”

Sri Sri Ravi Shankar Thoughts

“जीवन ऐसा कुछ नही है जिसके प्रति गंभीर रहा जाये, जीवन तुम्हारे हाथो में खेलने के लिए दी गयी एक गेंद के समान है, गेंद को कभी पकडे मत रखो।”

“हम अपने गुस्से को क्यों काबु में नही करते? क्योकि हमें पूर्णता से प्यार है। इसीलिए जीवन में थोड़ी सी जगह अपूर्णता को भी दे तभी आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हो।”

Sri Sri Ravi Shankar Quotes

“हमेशा आराम की चाहत में, तुम आलसी हो जाते हो। हमेशा पूर्णता की चाहत में पुम क्रोधित हो जाते हो। हमेशा अमीर बनने की चाहत में तुम लालची हो जाते हो।”

“शाश्वत इंतज़ार, अनंत धैर्य का होना बहोत जरुरी है। क्योकि जब आपके पास अनंत धैर्य होता है, तब आपको अपने पीछे भगवान को अनुभूति होती है। जबकी सतत प्रयास और कोशिश करते रहने से भी आप इसी जगह पर पहोच सकते हो।”

“यदि कोई आपको सबसे ज्यादा ख़ुशी दे सकता है तो वह आपको दुःख भी दे सकता है।”

Sri Sri Quotes on Success

“यदि आप खुद के दिमाग पर काबू पा सकते हो, तो आपमें पूरी दुनिया को जितने की काबिलियत है।”

“उस बात के लिए गुस्सा होना जो पहले से ही हो चुकी है, इसका कोई अर्थ नही है। आप हमेशा अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हो, नही करते तो बस आप घटित घटना को नए नजरिये से नही देखते।”

Sri Sri Ravi Shankar Quotes on Education

“बुद्धिमान वह है जो औरो की गलती से सीखता है। थोडा कम बुद्धिमान वह है जो सिर्फ अपनी गलती से सीखता है। मुर्ख एक ही गलती बार-बार दोहराते रहते है और उनसे कभी नही सीखते।”

“अनंत मतलब सिमित चीजो या बातो को व्याप्त करना या विस्तृत करना है।”

Sri Sri Ravi Shankar Quotes on Love

“मानव विकास के दो चरण है – कुछ होने से कुछ ना होना, और कुछ ना होने से सबकुछ होना। यह ज्ञान दुनिया भर में योगदान और देखभाल ला सकता है।”

“जब भी आप अपना दुःख बाटते है, तो वह कम नही होता। जब आप अपनी ख़ुशी बाटने से रह जाते है, तो वह कम हो जाती है। अपनी समस्याओ को सिर्फ इश्वर को ही बताये, और किसी से नही। क्योकि ऐसा करने से आपकी समस्या बढेंगी। इसके विपरीत ख़ुशी सभी के साथ बाटनी चाहिये।”

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मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास | Mughal History in Hindi

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Mughal History in Hindi

मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुए पानीपत के युद्ध के बाद हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद भारत में दिल्ली सत्लनत के शासन का खात्मा हुआ और मध्यकालीन भारत में मुगल वंश की नींव रखी गई, जिसके बाद करीब 18 वीं शताब्दी, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक मुगलों ने भारतीय उपमहाद्धीप पर राज किया था।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने तक भारत में मुगलों ने अपना शासन चलाया था। मुगल सम्राज्य एक काफी कुशल, समृद्ध एवं संगठित सम्राज्य था। मुगल वंश का शासन, भारत के मध्ययुगीन इतिहास के एक युग परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। मुगलकालीन भारत में ही कला, शिल्पकला का विकास हुआ। भारत में ज्यादातर खूबसूरत एवं ऐतिहासिक इमारतें मुगलकाल के समय में ही बनाईं गईं थी।

इन इमारतों में सांची के स्तूप, आगरा में स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, अजंता-एलोरा की गुफाएं, उड़ीसा के प्रसिद्ध मंदिर, खजुराहो के मंदिर, तंजौर की अद्भुत मूर्तिकला, शेरशाह सूरी का ग्रैंड ट्रंक रोड, बीजापुर का गोल गुंबद आदि शामिल हैं। तो आइए जानते हैं मुगल वंश के इतिहासके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी–

Mughal History

मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास – Mughal History in Hindi

मुगल वंश के शासकों की सूची

शासक का नाम      शासनकाल   

1 बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)

2- हुमायूं (26 दिसम्बर 1530 17 मई 1540)

3-अकबर (27 जनवरी 1556 27 अक्टूबर 1605)

4- जहांगीर (27 अक्टूबर 1605 8 नवम्बर 1627)

5- शाहजहाँ (8 नवम्बर 1627 31 जुलाई 1658)

6- औरंगजेब (31 जुलाई 1658 3 मार्च 1707)

7-बहादुरशाह (19 जून 1707 27 फ़रवरी 1712)

8-जहांदार शाह (27 फ़रवरी 1712 11 फ़रवरी 1713)

9-फर्रुख्शियार (11 जनवरी 1713 28 फ़रवरी 1719)

10-मोहम्मद शाह (27 सितम्बर 1719 26 अप्रैल 1748)

11- अहमद शाह बहादुर (26 अप्रैल 1748 2 जून 1754)

12-आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754 29 नवम्बर 1759)

13-शाह आलम द्वितीय (24 दिसम्बर 1760 19 नवम्बर 1806)

14- अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806 28 सितम्बर 1837)

15-बहादुर शाह द्वितीय (28 सितम्बर 1837 14 सितम्बर 1857)

मुगल वंश का इतिहास

यहां हम आपको मुगल वंश के प्रमुख शासकों और उनके कार्यालय के बारे में संक्षिप्त में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। इनके बारे में विस्तार में जानने के लिए आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें-

मुगल वंश के संस्थापक बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)

भारत में साल 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद भारत में लोदी वंश और दिल्ली सल्लनत का अंत हुआ एवं बाबर द्धारा मुगल वंश की स्थापना की गई।

बाबर के बारे में एक नजर में

  • पूरा नाम – जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर
  • जन्म – 14 फरवरी, 1483, अन्दिझान (उज्बेकिस्तान)
  • माता / पिता कुतलुग निगार खानुम/उमर शेख मिर्जा (फरगना राज्य  के शासक)
  • पत्नियां – आयेशा सुलतान बेगम, जैनाब सुलतान बेगम, मौसमा सुलतान बेगम, महम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार अघाबेगम, मुबारका युरुफझाई, सहिला सुलतान बेगम, हज्जाह गुलनार अघाचा, नाझगुल अघाचा, बेगा बेगम।
  • पुत्र / पुत्रियां हुमायूँ, कामरान, अस्करी, हिन्दाल,गुलबदन बेगम
  • शासन कालसन 1526 से 1530 ई.
  • निर्माणक़ाबुली बाग़ मस्जिद, आगरा की मस्जिद, जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,नूर अफ़ग़ान,
  •  मृत्यु26 दिसम्बर 1530

बाबर, मुगल सम्राज्य का संस्थापक और पहला मुगल सम्राट था।

बाबर ने भारत पर 5 बार हमला किया था। उसने 1519 ईसवी में यूसुफजई जाति के खिलाफ भारत में अपना पहला संघर्ष छेड़ा था, इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने कब्जे में कर लिया था।

मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को पराजित कर दिल्ली और आगरा में अपना कब्जा जमा लिया, जिसके साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया और भारत में मुगल वंश की स्थापना की गई।

17 मार्च 1527 में मुगल सम्राट बाबर ने खानवा की लड़ाई में मेवाड़ के शक्तिशाली शासक राणा सांगा को पराजित किया। इस युद्ध के बाद बाबर ने गांजी की उपाधि धारण कर ली थी।

1659 ईसवी में बाबर ने घाघरा की लड़ाई में अफगानी सेना को फिर से हार की धूल चटाई।

मुगल शासक एक शक्तिशाली शासक होने के साथ-साथ बेहद दयालु था, जिसे उसकी उदारता के लिए कलंदर की उपाधि दी गई थी।

बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की थी। आपको बता दें कि बाबर को मुबईयान नामक पद्य शैली का पितामह भी माना जाता है।

बाबर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र हुमायूं ने मुगल सम्राज्य का शासन संभाला।

बाबर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें- बाबर का इतिहास और जानकारी

मुगल सम्राट हुमायूं:

  • पूरा नाम – नासीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं
  • जन्म –  6 मार्च, सन् 1508 ई., क़ाबुल
  • माता/पिता – माहम बेगम, बाबर
  • शासन काल – (26 दिसंबर, 1530 – 17 मई, 1540 ई. और 22 फ़रवरी, 1555 – 27 जनवरी, 1556 ई.)
  • उत्तराधिकारी – अकबर
  • मृत्यु – 27 जनवरी, सन् 1555 ई., दिल्ली

मुगल सम्राट हुमायूं दूसरा मुगल शासक था, जो कि 23 साल की उम्र में मुगल सिंहासन पर बैठा था।

हूमायूं और शेरशाह की बीच हुई चौसा और कन्नौज की लड़ाई में, शेरशाह ने हुमायूं को पराजित कर दिया था, जिसके बाद हुमायूं भारत छोड़कर चला गया था।

करीब 15साल के निर्वासित जीवन व्यतीत करने के बाद हुमायूं ने 1555 में सिकंदर को पराजित कर दिल्ली का राजसिंहासन संभाला था।

मुगल सम्राट हुमायूं ने ही हफ्ते में सातों दिन सात अलग-अलग रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए थे।

हुमायूं के बारे में और अधिर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास

मुगल सम्राट अकबर द महान:

  • पूरा नाम – अबुल-फतह जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
  • जन्म –  15 अक्टूबर, 1542, अमरकोट
  • माता/पिता –  नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा/हुमांयू
  • शासनकाल11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605
  • उत्तराधिकारी जहांगीर
  • मृत्यु27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा)

मुगल शासक हुमायूं की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अकबर, मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठे थे। 14 साल की छोटी सी उम्र में ही अकबर को मुगल सम्राज्य का शासक बनाया गया था, इसलिए कुछ समय तक उनके पिता के मंत्री बैरम खां उनके संरक्षक रहे थे।

मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में मुगल सम्राज्य की एक नई शुरुआत हुई थी। इस दौरान भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादातर हिस्से पर मुगल सम्राज्य का विस्तार किया गया था। अकबर ने पंजाब, दिल्ली, आगरा, राजपूताना, गुजरात, बंगाल, काबुल, कंधार में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

अकबर के शासनकाल के दौरान आगरा किला, बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, हुमायूं मकबरा, इलाहाबाद किला, लाहौर किला, और सिकंदरा में उनका खुद का मकबरा समेत कई वास्तुशिल्प कृतियों का निर्माण भी किया गया।

अकबर ”दीन ए इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित था।

  • अकबर के दरबार के नवरत्न
  1. बीरबल,
  2. अबुल फजल,
  3. मानसिंह,
  4. भगवानदास,
  5. तानसेन,
  6. फैजी।
  7. अब्दुर्रहीम खानखाना,
  8. मुल्ला दो प्याजा,
  9. टोडरमल,

अकबर के बारे में और अधिर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर इतिहास

मुगल शासक जहांगीर (1605 से 1627 तक)

  • पूरा नाम – मिर्ज़ा नूर-उद्दीन बेग़ मोहम्मद ख़ान सलीम जहाँगीर
  • जन्म – 30 अगस्त, सन् 1569, फ़तेहपुर सीकरी
  • माता/पिता – मरियम उज़-ज़मानी/अकबर
  • विवाह  – नूरजहाँ, मानभवती, मानमती
  • शासनकाल – सन 15 अक्टूबर, 1605-8 नवंबर, 1627

मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद उनके बेटे सलीम, जहांगीर के नाम से मुगल सम्राज्य के शासक बने, वह अपनी शान-ओ-शौकत के लिए काफी मशहूर था।

जहांगीर के राज में मुगल सम्राज्य का किश्ववर और कांगड़ा के अलावा बंगाल तक विस्तार तो किया गया, लेकिन उसके शासनकाल में कोई बड़ी लड़ाई और उपलब्धि शामिल नहीं है।

जहांगीर के सिंहासन पर बैठते ही उनके पुत्र खुसरो ने सत्ता पाने की चाहत में उनके खिलाफ षणयंत्र रच आक्रमण कर दिया, जिसके बाद जहांगीर और उसके पुत्र के बीच भीषण युद्ध हुआ। वहीं इस युद्द में सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव जी द्धारा खुसरों की मदद्द करने पर जहांगीर ने उनकी हत्या करवा दी थी।

जहांगीर चित्रकला का गूढ़ प्रेमी था, जिसने अपने महल में कई अलग-अलग तरह के चित्र इकट्ठे किए थे। उसके शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल भी कहा जाता है।

जहांगीर को आगरा में बनी “न्याय की जंजीर” के लिए भी याद किया जाता है।

जहांगीर के उनके बेटे शाहजहां से भी रिश्ते अच्छे नहीं थे, हालांकि उनकी मौत के बाद शाहजहां को उनके उत्तराधिकारी बने थे।

जहांगीर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जहाँगीर का इतिहास

मुगल शासक शाहजहां (1628-1658)

  • पूरा नाम – मिर्ज़ा साहब उद्दीन बेग़ मुहम्मद ख़ान ख़ुर्रम
  • जन्म – 5 जनवरी, सन् 1592, लाहौर, पाकिस्तान
  • पिता / माता – जहांगीर / जगत गोसाई (जोधाबाई)
  • विवाह – अर्जुमन्द बानो (मुमताज)
  • शासनकाल 8 नवम्बर 1627 से 2 अगस्त 1658 ई.तक
  • निर्माण ताजमहल, लाल क़िला दिल्ली, मोती मस्जिद आगरा, जामा मस्जिद दिल्ली
  • उपाधि अबुल मुज़फ़्फ़र शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी, शाहजहाँ (जहाँगीर के द्वारा प्रदत्त)

मुगल शासक शाहजहां को दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के निर्माण के लिए याद किया जाता है, उन्होंने अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में इस खूबसूरत इमारत का निर्माण करवाया था।

शाहजहां, मुगल सम्राज्य के सबसे बड़े लोकप्रिय बादशाह थे, जिन्हें पड़ोसी राज्यों के लोग अपनी विदेश नीति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानते थे।

शाहजहां ने अपने शासनकाल में मुगल कालीन कला और संस्कृति को जमकर बढ़ावा दिया था, इसलिए शाहजहां के युग को स्थापत्यकला का स्वर्णिम युग एवं भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल के रुप में भी जानते हैं।

मुगल सम्राट शाहजहां को उनके जीवन के अंतिम दिनों में उनके क्रूर पुत्र औरंगजेब द्धारा आगरा किला में बंदी बना लिया था, इसके बाद 1666 ईसवी में उनकी मौत हो गई थी।

मुगल शासक शाहजहां के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- शाहजहाँ का इतिहास

मुगल शासकऔरंगजेब:

  • पूरा नाम – अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाज़ी
  • जन्म – 4 नवम्बर, सन् 1618 ई., दाहोद (गुजरात)
  • माता/पिता – मुमताज महल/शाहजहाँ
  • शासन का काल 31 जुलाई, सन् 1658 से 3 मार्च, सन् 1707 तक
  • निर्माण लाहौर की बादशाही मस्जिद 1674 ई. में, बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद, मोती मस्जिद
  • उपाधि औरंगज़ेब आलमगीर

औरंगजेब, अपने पिता शाहजहां को कई सालों तक बंदी बनाने के बाद मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था।

औरंगजेब मुगल वंश का इकलौता ऐसा शासक था, जिसने भारत पर साल 1658 ईसवी से 1707 तक करीब आधी सदी (49 साल) तक अपना कब्जा जमाया था।

औरंगजेब ने अपने शासनकाल में भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादार हिस्सों पर अपने सम्राज्य का विस्तार किया था।

औरंगजेब एक कट्टर मुस्लिम शासक था, जिसने सिक्खों के नौंवे गुरु तेग बहादुर के इस्लाम नहीं स्वीकार करने पर उनकी हत्या करवा दी थी।

औरंगेजेब ने अपने शासनकाल के दौरान कई लड़ाईयां जीतीं लेकिन उसे मराठा सम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज से हार का सामना करना पड़ा था।

औरंगजेब की मौत के बाद मुगल सम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर पड़ने लगी थी।

मुगल शासक औरंगजेब के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- औरंगजेब का इतिहास

बहादुर शाह प्रथम (19 जून 1707-27 फ़रवरी 1712)

  • पूरा नाम – कुतुब उद-दीन मुहम्मद मुअज्ज़म
  • जन्म – 14 अक्टूबर, 1643 बुरहानपुर, मुगल साम्राज्य
  • माता/पिता – रहमतुन्निस बेगम (नवाब बाई)/औरंगजे़ब
  • शासनकाल की अवधि  – 19 जून, 1707 से 27 फरवरी, 1712 तक
  • मृत्यु – 20जनवरी, 1961 लाहौर, मुगल सम्राज्य

बहादुर शाह प्रथम, महान मुगल सम्राट भारत पर शासन करने वाला भारत का 8वां मुगल शासक था, जिसने भारत पर सिर्फ 5 साल शासन किया था।

बहादुर शाह ने अपने शासनकाल में अपने सहयोगियों को कई नई उपाधियां एवं ऊंचे दर्जे प्रदान किए, हालांकि बहादुर शाह के शासन के समय उसके दरबार में षणयंत्रों के कारण दो दल बन गए थे, जिसमें ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानने वाले थे, जबकि तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ के समर्थक थे।

बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ संधि की नीति अपनाई थी, इसके साथ ही उसने मराठाओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश भी की थी, जो मुगल वंश के लिए सबसे बड़ा खतरा थे। इस तरह बहादुर शाह की नीतियों ने मुगल वंश के पतन का कारण बनी।

जहांदार शाह (1712 – 1713)

  • पूरा नाम – मिर्ज़ा मुइज़्ज़-उद-दीन बेग मोहम्मद ख़ान जहाँदार शाह बहादुर
  • जन्म  – 9 मई, 1661, दक्कन, मुग़ल साम्राज्य
  • पिता – बहादुरशाह प्रथम
  • मृत्यु – 1713, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य

जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकारी के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, इस भीषण संघर्ष में उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था।

जहांदारशाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया। ऐसा माना जाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खां,(जिसने उसे मुगल सत्ता दिलवान में उसकी मद्द की थी )के हाथों की कठपुतली था। उसके शासनकाल के सभी महत्वपूर्ण फैसले जुल्फिकार खां लेता था, उसकी विफल नीतियों के चलते धीमे-धीमे मुगल वंश की नींव कमजोर होती चली गईं और बाद में यही मुगल वंश के पतन का मुख्य कारण बनी।

फर्रुख्शियार(11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 )

  • पूरा नाम – अब्बुल मुज़फ्फरुद्दीन मुहम्मद शाह फर्रुख़ सियर
  • जन्म  – 20 अगस्त, 1685,औरंगाबाद, महाराष्ट्र
  • मृत्यु तिथि  – 28 अप्रॅल, 1719, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य
  • माता/पिता  – साहिबा निस्वान/अजीमुश्शान

1713 में मुगल वंश का शासक बनने के बाद ही फर्रुख्शियार ने जुल्फिकार खां की हत्या करवा दी।इसके साथही उसके ही शासनकाल में सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया था और बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने पर उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी।

1717 में फर्रुख्शियार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए मुफ्त व्यापार करने का अधिकार दिया, जिसके बाद से ही अंग्रेज भारत में मजबूती से पैर जमाने लगे थे, जबकि दूसरी तरफ मुगल वंश पतन के मुहाने पर खड़ा था।

मुहम्मद शाह ( 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 )

  • पूरा नाम  – अबु अल-फतह रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह (हुमायूं )
  • माता/पिता – क़ुदसिया बेगम/खुजिस्ता अख्तर जहान शाह
  • पत्नियां – बादशाह बेगम मल्लिका-उज़-ज़मानी,उधमबाई
  • बच्चे – अहमद शाह बहादुर

मोहम्मद शाह को मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्हें नाच-गाने का भी काफी शौक था।

मोहम्मद शाह के शासनकाल में साल 1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में लूटपाट मचाई थी।

मोहम्मद शाह के शासनकाल के समय कई विदेशी शक्तियों ने भारत में अपने पैर पसार लिए थे, जिससे मुगल वंश का पतन होना तय हो गया था। इस तरह मोहम्मद शाह, मुगल वंश के एक कमजोर शासक के रुप में उभरे।

अहमद शाह बहादुर ( 26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 )

  • अहमद शाह बहादुर ने मुगल सल्लतनत पर करीब 6 साल तक अपना शासन किया था। उसके शासनकाल में राज्य का कामकाज महिलाओं और हिजड़ों के एक गिरोह के हाथों में था।
  • अहमद शाह बहादुर एक अयोग्य एवं अय्याश शासक था, जिसमें प्रशासनिक क्षमता न के बराबर थी। उसकी मूर्खतापूर्ण फैसलों से न सिर्फ मुगल अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई, बल्कि भारत पर अफगान हमलों का खतरा भी बढ़ गया।

आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759 )

  • पूरा नाम – अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
  • जन्म  – 6 जून, 1699, मुल्तान, मुग़ल साम्राज्य
  • पिता का नाम –  जहांदार शाह
  • शासनकाल – 1754 से 1759 तक
  • मृत्यु – 29 नवम्बर, 1759, कोटला फतेहशाह, मुग़ल साम्राज्य

बहादुर अहमदशाह को गद्दी से निस्काषित करने के बाद आलमगीर द्धितीय मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। यह एक कमजोर प्रशासक था, जिसे सत्ता चलाने का कोई खासा अनुभव नहीं था।

आलमगीर द्धितीय अपने वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क के इशारों पर काम करता था, हालांकि 1759में उसकी वजीर गाजीउद्दीन ने ही उसकी हत्या करवा दी थी।

आलमगीर द्धितीय के शासनकाल में ही 1756 में अहमदशाह अब्दाली ने चौथीबार भारत में आक्रमण किया था और दिल्ली में काफी लूटपाट की थी, सिंध पर कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही साल 1758 ईसवी में मराठों ने दिल्ली पर चढ़ाई की वहीं आलमगीर द्धितीय इन सभी घटनाओं को मूकदर्शक बनकर देखता रहा। इससे पहले 1757 में हुए प्लासी के युद्द में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के बाद से भारत में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत होती चली गई और मुगल पतन के मुहाने पर पहुंच गए।

शाहआलम द्वितीय ( 24 दिसम्बर 1759– 19 नवम्बर 1806 )

  • पूरा नाम – अब्दुल्लाह जलाल उद-दीन अब्दुल मुज़फ़्फ़र हम उद-दीन मुहम्मद अली गौहर शाह-ए-आलम द्वितीय
  • जन्म  – 25 जून, 1728, शाहजहाँनाबाद, मुग़ल साम्राज्य
  • पिता/माता  – जीनत महल/आलमगीर द्वितीय
  • शासनकाल – 1759-1806
  • मृत्यु – 19 नवम्बर, 1806

शाह आलम द्वितीय 1759 में आलमगीर द्धितीय के उत्तराधिकारी के रुप में मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठा था।

बादशाह शाहआलम द्धितीय ने अपने शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की संधि कर ली थी और इस संधि के मुताबिक वह ईस्ट इंडिया कंपनी से मिली पेंशन पर अपना जीवन-यापन करता था।

शाह आलम द्धितीय के शासनकाल के दौरान ही अहमद-शाह-अब्दाली ने आक्रमण किया था।

ऐसा माना जाता है कि शाह आलम द्धितीय का शासनकाल भारतीय इतिहास का सबसे संकटग्रस्टकाल रहा है। इस समय ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के बंगाल, बिहार, उड़ीसा समेत कई राज्यों पर अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी और मुगलों की शक्ति पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी थी।

अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837)

  • पूरा नाम – अबु नासिर मुईन उद-दिन मुहम्मद अकबर शाह दिव्तीय
  • जन्म  – 22 अप्रैल, 1760, मुकुंदपुर, मुग़ल साम्राज्य
  • मृत्यु तिथि  – 28 सितम्बर, 1837, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य
  • माता/पिता  – क़दसियाबेगल/ शाहआलम द्वितीय

अकबर शाह द्धितीय मुगल वंश का 18वां सम्राट था, जिसने करीब 31 साल मुगल सत्ता पर राज किया था।

हालांकि, उसके शासनकाल में मुगलकाल का सबसे कठिन दौर चल रहा था, उस समय मुगल पूरी तरह कमजोर पड़ गए थे एवं उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सहारे अपना जीवनयापन करना पड़ रहा था।

अकबर शाह द्धितीय भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की मद्द से अपना गुजर – बसर कर रहा था, और वह महज नाम मात्र का शासक था।

बहादुर शाह ज़फ़र  (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857)

  • पूरा नाम – अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र
  • अन्य नाम – बहादुरशाह द्वितीय
  • जन्म  – 24 अक्तूबर सन् 1775, दिल्ली
  • मृत्यु तिथि – 7 नवंबर, 1862, रंगून, बर्मा
  • माता/पिता  – लालबाई/अकबर शाह द्वितीय और
  • शासन काल – 28 सितंबर 1837-14 सितंबर 1857

बहादुर शाह ज़फर मुग़ल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक अपना शासन किया।

बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि,अपने शासनकाल में उनके पास वास्तविक शक्तियां नहीं थी, वह अंग्रेजों पर आश्रित थे। 1857 में अंग्रेजों से हार के बाद उन्हें म्यांमार में भेज दिया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ सदियों तक भारत पर राज कर चुके मुगलों का अंत हो गया।

More History:

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शिव खेडा के सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक सुविचार

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Shiv Khera Quotes in Hindi

अपने सफलता की यात्रा शुरू करने के लिये, वही काम करे जिसे आप करना चाहते हो. मै जानता हु की आप एक महान अनुयायी हो लेकिन यह समय एक महान नेता बनने का है। आपके द्वारा किया गया आज एक छोटा बदलाव कल एक बड़ा परिवर्तन बनेगा।

इसीलिए आपको कुछ करने की जरुरत है तो वो सिर्फ अपने काम करने के तरीके को बदलने की जरुरत है। यह मिस्टर शिव खेरा जो एक प्रेरणादायक भारतीय लेखक है, उनके कुछ चुनिदा सुविचार दिये है जो आपको जरुर प्रेरित करेंगे और अपमे एक नयी उर्जा का निर्माण करंगे।

शिव खेडा के सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचार – Shiv Khera Quotes in Hindi

Famous Quotes by Shiv Khera in Hindi

“वे लोग जिनके सामने कोई लक्ष्य नही होता, वे उन 97% लोगो में से होते है जो अपने कामो को बचे हुए 3% लोगो के लिए छोड़ देते है.”

“जितने वाले अलग चीजे नही करते है, वे चीजो को अलग तरह से करते है.”

“जितने वाले हमेशा लाभ देखते है और हारने वाले दर्द.”

“यही हम किसी के समाधान (Solution) का हिस्सा नही बन सकते है, तो हम समस्या है.”

“कभी भी दुष्ट लोगो की सक्रियता समाज को बर्बाद नही करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगो की निष्क्रियता समाज को बर्बाद करती है.”

“जब भी कोई इंसान ये कहता है की वो ये नहीं कर सकता है, तो असल में वो दो बाते कह रहा होता है – या तो मुझे नही पता की इसे कैसे किया जाये या मै इसे नही करना चाहता.”

“प्रेरणा (Inspiration) एक सोच है बल्कि अभिप्रेरणा (Motivation) करवाई.”

“आत्म-सम्मान और घमंड का उल्टा रिश्ता है.”

“लोग इसकी परवाह नही करते की आप कितना जानते है, वो ये जानना चाहते है की आप कितना ख्याल रखते है.”

More You Can Win Shiv Khera Quotes In Hindi

“अच्छे नेता और ज्यादा अच्छे नेता बनाने की चाह रखते है, बुरे नेता और ज्यादा अनुयायी बनाने की चाह रखते है.”

“प्रेरणा एक आग की तरह है – जिसे जलाये रखने की लिए इसमें लगातार इंधन डालना पड़ता है. प्रेरणा को बनाये रखने के लिए आपका इंधन ‘खुद पर विश्वास’ ही है.”

“विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग या तो टूट जाते है, या तो रिकॉर्ड तोड़ देते है.”

“अगर आप सोचते है की आप कर सकते है – तो आप कर सकते है! अगर आप सोचते है की आप नही कर सकते है, तो आप नही कर सकते है.”

“किसी डिग्री का न होना दरअसल फायदेमंद है. अगर आप इंजिनियर या डॉक्टर है तो आप एक ही काम कर सकते है लेकिन यदि आपके पास कोई डिग्री नही है, तो आप कुछ भी कर सकते है.”

“एक अनपढ़ चोर भले ही ट्रेन से सामान चोर सकता है, लेकिन एक शिक्षित चोर पूरी ट्रेन चुरा सकता है. हमें ज्ञान और बुद्धिमत्ता से मुकाबला करना चाहिये श्रेणी से नही.”

“जब आपकी सकारात्मक करवाई आपके सकारात्मक विचारो से मिल जाती है तब परिणाम के रूप में सफलता ही मिलती है.”

“सपने देखने चाहिये. क्योकि सपनो में ही हम अदृश्य को भी देख सकते है, और सपनो में ही हम असंभव को भी हासिल कर सकते है.”

“वे लोग जो भविष्य में जाना चाहते है, उनके पास सफल होने के दो हुनर होते है – लोगो के साथ सौदा करने की और उन्हें बेचने की काबिलियत.”

“कुछ अच्छे नेता होते है जो सक्रीय रूप से सलाहकार होते है और कुछ बुरे नेता होते है जो सक्रीय रूप से गलत रास्ता दिखाते है. इसीलिए नेतागिरी एक धर्म, एक प्रदर्शन और लोगो का हुनर है.”

“मेरा पहला उद्देश निवेश करना है, यदि फिर भी मेरे पास कुछ बचता है, तभी मै खर्च करूंगा.”

“जीतने वाले लाभ देखते हो और हारने वाले दर्द।”

यदि आप सकारात्मक रवैये को बनाना चाहते हो तो, उच्च चरित्र वाले लोगो के साथ रहो और सकारात्मक विचारको की किताबो को पढो।

विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते है, तो कुछ लोह रिकॉर्ड तोड़ते है।

अगर आप सोचते हो की आप कर सकते हो – तो आप कर सकते है ! अगर आप सोचते है की आप नही कर सकते है – तो आप नही कर सकते है ! और दोनों ही तरीके से……आप सही है!

अरे वाह, कैसे धरती का एक छोटा सा टुकड़ा जब हम मरते है तब हमें पकडे रहता है, लेकिन जब हम जीते है तब वह टुकड़ा हमें कभी दिखाई नही देता।

याद रखे की सबसे महान प्रेरित करने वाला आपका विश्वास ही है। क्योकि जिस बात पर हमें विश्वास होता है वाही काम हम पूर्णता से कर सकते है।

जीतने वाले अलग चीजे नही करते, वो चीजो को अलग तरह से करते है।

एक अनपढ़ चोर ट्रेन से आपके सामान को ही चुरा सकता है लेकिन लेकिन एक शिक्षित चोर पूरी ट्रेन को चुरा सकता है। हमें दिमाग और बुद्धिमत्ता को देखने की जरुरत है।

सकारात्मकता को देखने का मतलब यह नही है की आप अपनी गलतियों को अनदेखा करे। सकारात्मक विचार करने वाला बनने का मतलब यह नही होता की आप कुछ भी सुन ले या अपना ले। इसका केवल यही मतलब होता है की आपका ध्यान सिर्फ हल (Solution) पर होना चाहिये।

उद्देश: हमारे जीवन के लक्ष्य को हम उद्देश कहते है। अपने उद्देश को जानने के लिये आपको खुद से पूछना चाहिये “यदि आज मेरी उम्र 100 साल की है और यदि मै अपने जीवन में पीछे मुड़कर देखता हु, तो मै अपनी उपलब्धियों के बारे में ही कहना पसंद करूंगा” और यही मेरा उद्देश होगा।

प्रेरणा आग के समान है – यदि आप उसमे इंधन नही डालते, तो वह बुझ जाएगी। आपका इंधन आपका अपने उपर का विश्वास है।

जीतने वाले अलग चीजे नही करते, वो चीजो को अलग तरह से करते है।

जीतने वाले अलग चीजे नही करते, वो चीजो को अलग तरह से करते है।

सफलता के लिये क्रेश कोर्स: जीतने के लिये खेले हारने के लिये नही। दूसरो की गलतियों से हमेशा सीखते रहे। उच्च चरित्र वाले लोगो के साथ रहे। आपको जितना मिलता है उससे ज्यादा देने की कोशिश करे। कुछ न करने के लिये कुछ धुंडने की कोशिश न करे। हमेशा लंबे समय के लिये सोचे। अपनी ताकतों को जाने और उन्हें विकसित करे। निर्णय लेते समय अपनी दिमाग में अपने लक्ष्य की बड़ी फोटो बना ले। अपनी ईमानदारी के साथ कभी समझौता न करे।

एक अच्छा शिक्षक कभी आपको कुछ पिने के लिये नही देगा, वह वह आपको प्यासा बनायेंगा। वह आपको कभी कोई उत्तर नही देगा लेकिन आपको उत्तर मिलने वाले रास्ते पर जरुर ले जायेगा।

आपकी काबिलियत ही आपको सफल बनाती है, और आपका चरित्र आपकी सफलता को बनाये रखता है।

यदि आप असफल होते हो तो आप निराश जरुर हो सकते हो लेकिन यदि आप कोशिश नही करोगे तो अभिशप्त हो जाओगे।

महान सफलता हासिल करने वाले कभी भी फालतू की बातो में समय व्यर्थ नही करते। वे रचनात्मक तरीके से सोचते है और वे जानते है की उनके सोचने का स्तर की उनकी सफलता निर्धारित करेगा।

सफलता कोई संयोग नही। बल्कि यह तो आपके रवैये का परिणाम है और आपका रवैया आपकी पसंद है। इसीलिए सफलता आपकी पसंद और कोशिशो पर निर्भर करती है।

सफलता आपके नेक लक्ष्य की बढती हुई प्राप्ति है।

एक इंसान का चरित्र उन लोगो से पता नही चलता जिनके साथ वह रहता है बल्कि उन लोगो से भी पता चलता है जिन्हें वह अनदेखा करता है।

बौद्धिक शिक्षा का दिमाग पर असर होता है और गुणों पर आधारित शिक्षा का असर आपके दिल पर होगा।

आप इतिहास के सफल इंसान और उद्योगों के जीवन की तरफ देखिये, ऐसे लोग, 1) सफल हुए 2) उन्होंने अपनी सफलता बनाये रखी 3) गुडविल बनाये रखी, उन सभी लोगो ने अपने जीवन को एक ही तत्व पर जिया है, “मै हमेशा मुझे जीतना मिलता है उस से ज्यादा अपने परीवार, अपनी संस्था और अपने समाज को दूंगा।”

अच्छा महसूस करना आपके अच्छा करने का ही परिणाम है और अच्छा करना आपके अच्छा बनने का ही परिणाम है।

सफलता मतलब मुसीबतों का अभाव नही है, बल्कि सफलता मुसीबतों को वशीभूत कर लेती है। सफलता इस से नही गीनी जाती की हम जीवन में कितनी ऊंचाई पर गये बल्कि इस से गीनी जाती है की जीवन में गिरने के बाद हम कितनी बार दोबारा उठ खड़े हुए।

मुझे सफलता की चाबी के बारे में नही पता, लेकिन असफलता की चाबी सभी को खुश करने की कोशिश करना है।

कोई भी तब तक एक अच्छा शिक्षक नही बन सकता जब तक की वह एक अच्छा विद्यार्थी बनी बन जाता।

प्रगतिशील होना मतलब सफलता एक यात्रा है न की मंजिल। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। हम कभी मंजिल पर नही पहोचते।

प्रस्तुति हमारे अनुभवों में ही होती है। बाहरी दबाव मुझे कभी सफलता महसूस करने लायक नही बना सकते। सफलता को मुझे अपने अंदर ही महसूस करना होगा। सफलता आतंरिक होती है बाहरी नही।

योग्यता मतलब जो आपको पूर्णता और उद्देश्य देती है। पूर्णता के बिना सफलता पूरी तरह खाली है। यह अच्छे गुणों के बिना सुन्दर दिखने समान है।जिंदगी में हमें वास्तविकता की जरुरत होती है।

पूर्णता के लिये प्रयास करना पागलपन है, श्रेष्टता के लिये प्रयास करना विकास है। श्रेष्टता हमेशा विकसित होती रहती है। ऐसा कुछ नही है जिसे आप बदल नही सकते, आप जितनी भी बार कोशिश करोगे हर बार आपको अपनेआप में सुधार मिलेगा।

आधा दिल कभी भी आधा परिणाम नही देता बल्कि यह कोई परिणाम नही देता।

और अधिक लेख:

Note: अगर आपके पास अच्छे नए विचार हैं तो जरुर कमेन्ट के मध्यम से भजे अच्छे लगने पर हम उस Shiv Khera Quotes You Can Win In Hindi इस लेख में शामिल करेगे।
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शिर्डी के साईं बाबा का इतिहास

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Sai Baba History in Hindi

शिर्डी के साईं बाबा से आज भारी संख्या में लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। साईं बाबा के अद्भुत चमत्कारों एवं रहस्यों की चर्चा हमेशा ही उनके भक्तों द्धारा की जाती रही है।

साईं बाबा को ईश्वर का अवतार माना जाता हैं, जिन्हें हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग समान भावना से पूजते हैं। साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें लोग वैश्विक स्तर पर पूजते हैं, उनके अनुयायी उन्हें फकीर, संत, योगी और सतगुरु मानते थे।

साईं बाबा के जन्म और उनके धर्म को लेकर कई विरोधाभास प्रचलित हैं, कोई उन्हें हिन्दू मानता है, तो कोई मुस्लिम। फिलहाल वे सभी धर्मों का आदर करने वाले एक चमत्कारी व्यक्ति थे जो कि अपने पूरे जीवन भर ”सबका मालिक एक” ही का जप करते रहे।

वे सभी धर्मों के लोगों से हमेशा प्रेमपूर्वक मिलजुल कर रहने का आह्वान करते रहे साथ ही हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मो का पाठ पढाते रहे। वे मुस्लिम टोपी पहनते थे, और उन्होंने अपनी जिंदगी के ज्यादातर समय महाराष्ट्र में स्थित शिरडी की एक निर्जन मस्जिद में ही रहे।

वहीं बाद में उनके रहने वाली मस्जिद को हिन्दू नाम द्धारकामाई का कर दिया गया था, जिसमें दोनों धर्मों के लोग साईं बाबा के दर पर मत्था टेकने आते हैं और उनकी पूजा-आराधना करते हैं। आइए जानते हैं साईं बाबा से जुड़े इतिहास के बारे में-

शिर्डी साईं बाबा का इतिहास / Sai Baba History in Hindi
Sai Baba

साईं बाबा का जन्म आज भी बना हुआ है रहस्य – Sai Baba Information

साईं बाबा के जन्म, जन्मस्थान एवं वे किस धर्म से इसके बारे में इतिहासकारों और विद्दानों के कई अलग-अलग मत हैं। कुछ विद्दानों के मुताबिक उनका जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 सितंबर, 1835 को हुआ था।

उनके जन्म से संबंधित कोई पुख्ता प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं। हालांकि, कई दस्तावेजों के अनुसार साईं बाबा को शिर्डी में पहली बार 1854 ईसवी में देखा गया था। उस दौरान उनकी आयु करीब 16 साल रही होगी।

साईं सत्चरित्र किताब के अनुसार, साईं बाबा का जन्म 27 सितंबर, 1830 को महाराष्ट्र राज्य के पाथरी में हुआ था, और वे 23 से 25 साल की आयु में शिर्डी में आए थे।

साईं सत्चरित्र किताब के अनुसार, साईं जब 16 साल के थे तभी ब्रिटिश भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के शिर्डी गाँव में आए थे। वे एक सन्यासी बनकर जिन्दगी जी रहे थे, और हमेशा नीम के पेड़ के निचे ध्यान लगाकर बैठे रहते या आसन में बैठकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाते थे।

इसके बाद इस युवा बाबा के चमत्कारों और उपदेशों के लोग मुरीद होते चले गए और फिर धीरे-धीरे उनकी ख्याति आस-पास के क्षेत्र में भी फैलने लगी और उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई।

श्री साईं सत्चरित्र में गाँव वालो की उनके प्रति की प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया गया है।

साईं बाबा के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना था कि उनके पास ईश्वर की कुछ दैवीय शक्तियां प्राप्त थी, क्योकि ध्यान करते समय ठंडी और गर्मी का उनके शरीर पर कोई प्रभाव दिखाई नही दे रहा था। दिन में वे किसी से नही मिलते थे और रात में उन्हें किसी का डर नही था। जिनके सहारे वे लोगों की मद्द किया करते थे।

लोगो को दया, प्यार,संतोष, मदद, आंतरिक शांति, समाज कल्याण, और ईश्वर की भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले साईं बाबा का शुरुआती जीवन के बारे में आज भी रहस्य बना हुआ है।

लेकिन, इतिहास से प्राप्त कई दस्तावेजों के मुताबिक वे एक ब्राह्मण परिवार में जन्में थे, जिन्हें बाद में एक सूफी फकीर द्धारा गोद लिया गया था। हालांकि, आगे चलकर उन्होंने खुद को एक हिन्दू गुरु का शिष्य बताया था।

कुछ लोग साईं बाबा को पागल समझते थे तो कुछ लोग उनपर पत्थर भी फेकते थे। इसके बाद साईबाबा ने गाँव छोड़ दिया था। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले साईबाबा तीन साल तक शिर्डी रहे थे और फिर एक साल तक गायब हो गये थे और फिर हमेशा के लिए 1858 में शिर्डी वापिस आ गये थे।

साईं बाबा के धर्म को लेकर फैला भ्रम

साईं बाबा हिन्दू थे या फिर मुसलमान इसे लेकर आज भी लोगों में भ्रम फैला हुआ है, उन्हें कुछ लोग शिव का अंश कहते हैं, तो कुछ लोग उन्हें दत्तात्रेय का अंश मानते हैं।

उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय शिरडी के एक मस्जिद में मुस्लिम फकीरों के साथ बिताया, वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धर्म का आदर-सम्मान करते थे, उन्होंने कभी धर्म के आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव नहीं किया।

कुछ लोग साईं बाबा के हिन्दू होने के पीछे यह तर्क भी देते हैं कि बाबा धुनी रमाते थे, और धुनी सिर्फ शैव या नाथपंथी धर्म के लोग भी जलाते हैं। इसके साथ ही वे हमेशा अपने माथे पर चंदन का टीका लगाते थे, एवं उनके कानों में छेद थे जो कि सिर्फ नाथपंथी करवाते हैं।

साईं बाबा के हिन्दू होने का एक यह भी प्रमाण है कि वे हर हफ्ते विट्ठल (श्री कृष्ण) के नाम पर भजन-कीर्तन का आयोजन करते थे। यहीं नहीं साईं भगवान के कुछ समर्थक उनके हाथ में भिक्षा मांगना, हुक्का पीना, कमंडल, कानों में छेद होने के आधार पर उन्हें नाथ संप्रदाय से भी जोड़ते थे

जबकि बाबा की वेषभूषा के आधार पर उन्हें कुछ लोग मुस्लिम संप्रदाय से भी जोड़ते थे और उनका नाम साईं भी फारसी भाषा का ही शब्द है, जिसका अर्थ संत है, जो कि उस दौर में मुस्लिम संन्यासियों के लिए इस्तेमाल होता था।

शिर्डी का साईं बाबा मंदिर – Shirdi Sai Baba Temple

महाराष्ट्र के अहमदजिले में स्थित शिर्डी गांव में बने साईं मंदिर से आज लाखोँ – करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर में दर्शन के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं।

यह आज भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो कि लोगों को दया, प्रेम, करुणा एवं सदभाव का पाठ पढा़ने वाले साईं बाबा की समाधि के ऊपर बनाया गया है।

साईं बाबा की शिक्षाएं और उनके लोक कल्याणकारी कामों को आगे बढ़ाने के लिए उनके इस मंदिर का निर्माण साल 1922 में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा ने अपने जीवन का ज्यातादर समय शिर्डी में ही व्यतीत किया है और लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने, भक्ति करने आदि का पाठ पढ़ाया।

साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु, संत, ईश्वरीय अवतार मानते हैं। शिर्डी के साईं मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है, और रात के सवा 11 बजे इस मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

वहीं इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए लोग अपनी श्रद्धा के मुताबिक यहां चढ़ावा भी चढाते हैं, यह मंदिर अपने रिकॉर्ड तोड़ चड़ावे के लिए भी हमेशा खबरों में रहते हैं।

वहीं इस मंदिर से जुड़ी यह मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से साईं भगवान के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।

सतगुरु साईंबाबा की शिक्षाएं – Teaching Of Sai Baba

  • ईश्वर के अवतार साईंबाबा ने जीवन भर लोगों को दान, अध्यात्मिक ज्ञान, करुणा, गुरु की भक्ति, मद्द, आत्म संतुष्टि, आंतरिक शांति, प्रेम का पाठ पढ़ाया एवं खुद के एहसास के महत्व का प्रचार किया। इसके साथ ही उन्होनें आत्मसमर्पण करने के महत्व पर भी जोर दिया।
  • साईं बाबा ने जातिगत भेदभाव की जमकर निंदा की है। उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों को आपस में मिलजुल कर एकता के साथ रहने की शिक्षा दी। वे हमेशा कहा करते थे कि”सबका मालिक एक है”।
  • इसके साथ ही साईं बाबा ने लोगों में मानवता के प्रति सम्मान का भाव पैदा करने की शिक्षा दी और मानवता की सेवा करना सिखाया। यही नहीं साईं बाबा ने लोगों को माता-पिता, गुरुओं, बुर्जगों एवं अपने से बड़े लोगों का सम्मान करने की भी सीख दी।

साईं बाबा के अनमोल वचन/उपदेश – Sai Baba Quotes In Hindi

साईं बाबा के कुछ अनमोल वचन निम्मलिखित हैं –

  • चमत्कारी पुरुष और भगवान का स्वरुप माने जाने वाले साईं बाबा का कहना था कि मै केवल शरीर नहीं हूं, मै अजर-अमर एक अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा। यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है।
  • साईं भगवान का मानना था कि- जितने भी कार्य होते हैं वे सभी विचारों के ही परिणाम होते हैं, इसलिए व्यक्ति के विचार मायने रखते हैं।
  • साईं भगवान हमेशा यही सीख देते थे कि, मनुष्य को अपने वर्तमान में जीना चाहिए, क्योंकि हर क्षण के विचार और कर्म मायने रखते हैं साथ ही भविष्य के मार्ग की रुपरेखा बनाते हैं।
  • साई्ं भगवान का मानना था कि, जीवन एक गीत है, इसे गाओ, यह एक खेल है, इसे खेलो। यह एक चुनौती है, इसका डटकर सामना करो। यह एक सपना है, इसे अनुभव करो। यह एक यज्ञ है, इसे पेश करो एवं यह प्यार है, इसका आनंद लो।

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एन आर नारायणमूर्ति अनमोल सुविचार

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N R Narayana Murthy Quotes In Hindi

एन आर नारायणमूर्ति भारत के सबसे सफल व्यापारी है, और साथ में ही इनफ़ोसिस के संस्थापक भी है, एन आर नारायणमूर्ति के विचार हमेशा से युवाओं को प्रेरित करते आये है। उनके कुछ सुविचार यहा दे रहें है…।

एन आर नारायणमूर्ति अनमोल सुविचार – N R Narayana Murthy Quotes In Hindi

Quotes by N R Narayana Murthy In Hindi

“हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं।

चरित्र + अवसर = सफलता

N R Narayana Murthy Quotes on Life

“एक साफ अंतःकरण दुनिया का सबसे नर्म तकिया है।

एक मुमकिन असंभावना एक निश्चित सम्भावना की तुलना में बेहतर है।

N R Narayana Murthy Thoughts Gif

“जब संदेह में हों, तो बता दें।

“मुझे कहावतो पर पूरा भरोसा है। प्रदर्शन से ही पहचान मिलती है, पहचान से ही सम्मान मिलता है और सम्मान से ही ताकत मिलती है।”

N. R. Narayana Murthy Quotes in Hindi

“प्रदर्शन पहचान दिलाता है। पहचान से सम्मान आता है। सम्मान से शक्ति बढ़ती है। शक्ति मिलने पर विनम्रता और अनुग्रह का भाव रखना किसी संगठन की गरिमा को बढ़ाता है।

मैं चाहता हूँ कि इंफोसिस एक ऐसी जगह बने जहाँ विभिन्न लिंग, राष्ट्रीयता, जाति और धर्म के लोग तीव्र प्रतिस्पर्धा लेकिन अत्यंत सद्भाव, शिष्टाचार और गरिमा के वातावरण में एक साथ काम करें और दिन प्रतिदिन हमारे ग्राहकों के काम में अधिक से अधिक मूल्य जोड़ें।

Famous N. R. Narayana Murthy Quotes in Hindi

“प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के बराबर होती है।

Famous N. R. Narayana Murthy Quotes

“पैसो की असली ताकत उसे दूसरे को देने में ही है।”

Quotes by N R Narayana Murthy

“एक महान उद्योगपति बनने के लिए आपको किसी अमीर इंसान का बेटा बनने की जरुरत नही। आजकल के बच्चों में ज्यादा से ज्यादा खतरा मोल लेने की चाह है, क्योकि ऐसे बच्चे बड़े पुरस्कार को देखते है।”

N R Narayana Murthy Thoughts

“आदर, पहचान और पुरस्कार पर ही हमारा प्रदर्शन निर्भर होता है।”

N. R. Narayana Murthy Quotes Gif

“हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर जाती है। लेकिन हमें इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए की अगली सुबह वे जरूर वापिस आएँगी।”

N R Narayana Murthy Quotes on Time

“समय की धारा में, जब कुछ देने की हमारी बारी आती है तब हमे ऐसे पेड़ो की बुआई करनी चाहिए जिसके फल भले ही हमे कभी खाने न मिले हो लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी होने चाहिए।”

N R Narayana Murthy Thoughts in Hindi

“आप अपने नाम की वजह से कभी उत्कृष्ट नही बनते, जबकि आप अपनी कंपनी के श्रेष्ट गुणों की वजह से उत्कृष्ट बनते हो।”

N. R. Narayana Murthy Quotes

ऐसी संस्था जिसकी निर्णय लेने की क्षमता और कल्पनाशक्ति ज्यादा है वह सभी चीजो से समृद्ध है। ऐसे वक़्त में कोई यह दावा नही सकता की उसका रचनात्मकता पर एकाधिकार है।”

“विकास ये मन और मानसिकता के अंतर के ही बराबर है।”

Hindi Quotes Collection:

Note : अगर आपके पास अच्छे नए विचार हैं तो जरुर कमेन्ट के मध्यम से भजे अच्छे लगने पर हम उस N R Narayana Murthy Quotes In Hindi इस लेख में शामिल करेगे। अगर आपको हमारे N R Narayana Murthy Quotes In Hindi अच्छे लगे तो जरुर हमें Facebook और Whatsapp Status पर Share कीजिये।
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एनी बेसेंट का जीवन परिचय एवं जानकारी

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Annie Besant

एनी बेसेंट एक महान समाज सुधारिका, महिला कार्यकर्ता, सुप्रसिद्ध लेखिका, थियोसोफिस्ट, राष्ट्रीय कांग्रस की पहली महिला अध्यक्ष और प्रभावी प्रवक्ता थी। वे भारतीय मूल की नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने भारतीयों के हक के लिए लड़ाई लड़ीं। भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने के लिए की लडा़ई में उन्होंने अपना पूर्ण समर्थन दिया और अपनी प्रभावशाली लेखनी के द्धारा भारतवासियों के अंदर आजादी पाने की भावना को जागृत किया।

एनी बेसेन्ट ने 1914 मे ‘द कॉमन व्हील’ और ‘न्यू इंडिया’ ये वो दो साप्ताहिक अपने आदर्श के प्रचार के लिये शुरु किये। 1916 मे उन्होंने मद्रास यहा ‘ऑल इंडिया होमरूल लीग’ की स्थापना की। एनी बेसेन्ट और लोकमान्य तिलक इन्होंने होमरूल आंदोलन के व्दारा राष्ट्रीय आंदोलन को शानदार गति दी।

इसके अलावा एनी बेसेंट ने महिलाओं एवं मजदूरों के अधिकारों के लिए भी अपनी आवाज बुलंद की। यही नहीं वे राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष की पद पर भी सुशोभित हुई थीं। उन्हें विमेंस राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में जाना जाता था।

एनी बेसेंट का जीवन परिचय एवं जानकारी – Annie Besant In Hindi

Annie Besant Biography

एनी बेसेंट के जीवन के बारे में एक नजर में – Annie Besant Information In Hindi

पूरा नाम (Name) एनी फ्रैंक बेसेंट (Annie Besant)
जन्म तिथि (Birthday) 1 अक्टूबर, 1847, क्लेफम, लंदन, यूके
पिता का नाम (Father Name) विलियम वुड
माता का नाम (Mother Name) एमिली मोरिस
विवाह (Husband Name) रेवरेंड फ्रैंक बेसेंट (पादरी)
बच्चे (Children Name) आर्थर डिगबाय बेसेंट,माबेल बेसेंट
शिक्षा (Education) बिर्कबेक, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन
मृत्यु (Death) 20 सितम्बर, 1933, अडयार मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत

एनी बेसेंट का शुरुआती जीवन एवं शिक्षा – Annie Besant Biography

हमेशा महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला एनी बेसेंट 1 अक्टूबर साल 1847 में लंदन के एक मध्यम वर्गीय परिवार में एनी वुड के रूप में जन्मीं थी। वह भारतीय मूल की नहीं, बल्कि आयरिश मूल की थीं। उनके पिता डॉक्टर थे, वहीं जब वह महज 5 साल की थीं, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था, जिसके बाद उनकी मां एमिली मोरिस ने उनकी परवरिश की थी।

उनकी मां एक बेहद मेहनती महिला थी, जो कि अपने घर का खर्च चलाने के लिए स्कूल के बच्चों के लिए बोर्डिंग हाउस भी चलाती थीं। घर की आर्थिक हालत बेहद खराब होने के बाबजूद भी उनकी मां ने अपने दोस्त ऐलन मैरियट की देखरेख में एनी को शिक्षा दिलवाई। एनी पर अपने माता-पिता के धार्मिक विचारों पर काफी प्रभाव पड़ा था।

वहीं एनी ने अपने जीवन की शुरुआती दिनों में यूरोप की यात्रा भी की थी, जिससे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला था।

एनी बेसेंट का वैवाहिक जीवन – Annie Besant Marriage

महान समाजिक कार्यकर्ता एनी बेसेंट जी की शादी साल 1867 में फ्रैंक बेसेंट नाम के एक पादरी से हुई थी, लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी। शादी के करीब 6 साल बाद ही कुछ धार्मिक मतभेदों के कारण उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया था।

दरअसल, वे एक स्वतंत्रशील एवं शादी के बाद उन दोनों को 2 बच्चे भी हुए थे। तलाक के बाद एनी बेसेंट को भयंकर आर्थिक संकट का समाना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र विचार संबंधी लेख लिखकर धन अर्जित करना पड़ा था। वहीं पति से तलाक के बाद एनी ने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फ़ैलाने के लिए इंग्लैंड के एक चर्च की प्रतिष्ठा पर भी तीखे प्रहार किए थे।

इसके बाद एनी बेसेंट ने नॉर्थम्पट्टन के लिए संसद के सदस्य के रुप में चुनीं गईं। वहीं इस दौरान कट्टरपंथी विचारों के लिए उनकी ख्याति विश्व स्तर पर फैल गई। एनी बेसेंट ने एक समाजिक कार्यकर्ता के रुप में खुले तौर पर महिलाओं के कल्याण एवं उनके अधिकार के लिए अपनी आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होंने फैबियन समाजवाद, जन्म नियंत्रण, धर्मनिरेपक्षता और कर्मचारियों के अधिकारों के लिए अपने विचार प्रकट किए थे।

सुप्रसिद्ध लेखिका के रुप में एनी बेसेंट – Annie Besant Writings

एनी बेसेंट ने अपने स्वतंत्र विचारों को कविताओं,कहानियों, लेख और किताबें आदि द्धारा व्यक्त करना शुरु कर दिया था। इस दौरान उन्होंने अपने सबसे करीबी दोस्त चार्ल्स ब्रेडलॉफ के साथ मिलकर जन्म नियंत्रण पर एक खूबसूरत किताब भी प्रकाशित की थी, उनकी इस किताब की वजह से उनकी लोकप्रियता लोगों के बीच और अधिक बढ़ गई थी। इसके बाद वे एक नेशनल सेक्युलर सोसायटी की एक विख्यात लेखिका और वक्ता बन गयी।

और फिर करीब 1870 के दशक में एनी बेसेंट ने नेशनल रिफॉर्मर Nss समाचार पत्र में एक छोटे सप्ताहिक कॉलम के लिए एक धर्मनिरपेक्ष राज्य  बनाने एवं ईसाई धर्म द्धारा प्राप्त विशेष अधिकारों को समाप्त करने के उद्देश्य को  लेकर लिखना शुरु कर दिया।

एनी बेसेंट की ग्रंथ संपत्ती – Annie Besant Books

  • इंडियन आइडियल्स
  • इंडिया ए नेशन
  • हाउस इंडिया ब्राँट हर फ्रीडम इन डिफेन्स ऑफ हिंदुइझम

एनी बेसेंट एक स्वतंत्र विचारों वाली एक प्रभावशाली महिला थीं, जिनके वाकपटुता के लोग मुरीद थे। पहले वे लंदन के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक वक्ता के रूप में दिखाईं दी। इसके बाद साल 1888 में एनी बेसेंट ने लंदन की मैच गर्ल्स की हड़ताल में अपनी सक्रियता दिखाई।

इस दौरान उन्होंने महिलाओं के बेहतर वेतन एवं अन्य शर्तों के लिए अपनी आवाज उठाईं, जिसके बाद महिलाओं की स्थिति में न सिर्फ सुधार हुआ, बल्कि उनका वेतन भी बढ़ाया गया। वहीं साल 1888 में एनी मार्क्सवाद में शामिल हो गईं और फिर एक उच्चतम एवं प्रभावशाली वक्ता के रुप में उन्होंने अपनी छवि बनाई। इसके बाद एनी बेसेंट ने अलग-अलग जगह जाकर सार्वजनिक वक्ता के रुप कई जगहों की यात्रा की और भाषण देने शुरु कर दिए। उनके भाषणों ने लोगों पर काफी अधिक प्रभाव छोड़ा।

उन्होंने अपने भाषणों के माध्यम से न सिर्फ कोई सामाजिक मुद्दों को उठाया बल्कि, सरकार से समाज में विकास, सुधार और स्वतंत्रता की मांग की। अपने भाषणों में सामाजिक मुद्दों को शामिल करने की वजह से उनकी ख्याति धीमे-धीमे पूरे विश्व में फैलने लगी।

राजनीति में सक्रिय रहीं एनीबेसेंट – Annie Besant As Politicians

एनी बेसेंट पर कुछ समाजवादी संगठनों ने काफी प्रभाव डाला था, जिसके चलते वे राजनीति में शामिल हुईं। इसके बाद उन्होंने इरिश के किसानों को उनका हक दिलावने के लिए बोलना शुरु कर दिया। इसके साथ ही एनी बेसेंट ने इरिश होम रुलर्स के साथ अपने रिश्ते और अधिक मजबूत किया।

फिर उन्होंने अपनी राजनैतिक सोच के साथ फैबियन समाजवाद पर सार्वजनिक भाषण लिखना और देना शुरू कर दिए। इस तरह ये राजनीतिक गतिविधियों में दिखाई दी। जबकि भारतीय राजनीति में वे साल 1914 में अपने जीवन के छठवे दशक मे शामिल हुईं थी, एनी बेसेंट ने मद्रास में दूसरी होमरुल लीग की स्थापना की थी, जबकि होमरुल लीग की पहली स्थापना बाल गंगाधर तिलक द्धारा पूणे में की गई थी।

आपको बता दें कि स्वराज प्राप्ति एवं सरकार में और अधिक राजनैतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के उद्देश्य से होमरुल की स्थापना की गई थी। एनी बेसेंट द्धारा शुरु किया गया यह आंदोलन कांग्रेस की राजनीति का नया जन्म माना जाता है।

थियोसोफी – Theosophy

एनी एक पुस्तक की समीक्षा के दौरान साल 1875 ईसवी में थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophy Society) की संस्थापक मैडम ब्लावाट्स्की से मिली थी। आपको बता दें कि इस सोसायटी की स्थापना संपूर्ण विश्व में सभी राष्ट्रों के बीच प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के लिए की गई थी।

एनी बेसेंट साल1889 में थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्य बन गईं और इसके एक साल बाद उन्होंने 1890 में फैंबियन सोसायटी और मार्क्सवाद से अपने रिश्ते तोड़ दिए। फिर साल 1891 में थियोशोफिकल सोसायटी की संस्थापक एवं लेखक ब्लाव्टस्की की मृत्यु के बाद, एनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य के रुप में साल 1893 में भारत यात्रा पर आईं और भारतीय मूल की न होते हुए भी भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ चलाए  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।

इसके बाद साल 1908 में उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी का अध्यक्ष बना दिया गया था, इस दौरान उन्होंने धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया और थियोसोफिकल शिक्षा के लिए भारत के लोगों को बढ़ावा देना शुरु कर दिया। वहीं चेन्नई में उनके सम्मान में थियोसोफिकल सोसायटी के पास बेसेंट नगर भी बसाया है।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के रुप में एनी बेसेंट – Annie Besant As A Freedom Fighter

महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाली एनी बेसेंट ने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने की लड़ाई में भी अपना पूरा सहयोग दिया, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान चलाए गए कई आंदोलन में एक साहसी महिला की तरह अपनी सक्रिय सहभागिता निभाई थी।

एनी बेसेंट भारतीय मूल की नहीं थी, लेकिन जब 1893 में वे पहली बार अपनी भारत यात्रा पर आईं तो वे भारतीय संस्कृति और परंपरा से काफी प्रभावित हुईं और फिर उन्होंने भारत में ही रहने का निश्चय किया। इस दौरान उन्होंने भारत में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के काफी प्रयास किए एवं अपने बुलंद एवं प्रभावशाली भाषणों से भारतीयों के अंदर आजादी पाने की अलख जगाई थी।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने आजादी की मांग करते हुए कई प्रभावशाली लेख लिखे। इसके साथ ही उन्होंने न्यू इंडिया न्यूज पेपर के एडिटर के रुप में भी क्रूर ब्रिटिश शासकों के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। यही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल की यातनाएं भी सहन करनी पड़ी थी। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ देश के कई राष्ट्रवादी समूहों ने इसका विरोध किया था, जिसकी वजह से उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया गया था।

भारतीय मूल की नहीं होकर भी एनी बेसेंट ने भारतीयों की स्वतंत्रता के लिए जमकर संघर्ष किया और भारत में मजदूरों, महिलाओं के अधिकारों, जन्म नियंत्रण अभियान और फैबियान समाजवाद जैसे कई कारणों के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद की।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली अध्यक्ष के रुप में एनी बेसेंट – Annie Besant As Congress President

साल 1916 में बाल गंगाधर तिलक के बाद उन्होंने भारत में दूसरी बार होमरुल्स लीग की स्थापना की और स्वराज प्राप्ति की मांग की। इस लीग ने कांग्रेस की राजनीति को नई दिशा प्रदान की। इसके बाद साल 1917 में एनी बेसेंट को राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया, इसके अलावा इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष होने का भी गौरव प्राप्त है।

उन्होंने इस दौरान देश के विकास के लिए कई काम किए थे। एनी बेसेंट थियोसोफी से संबंधित एक धार्मिक यात्रा पर भारत आईं थी, लेकिन फिर वे न सिर्फ भारतीय संस्कृति में रम गईं बल्कि वे भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं और देश की प्रमुख नेता बनीं।

एक महान समाज सुधारिका थीं एनी बेसेंट – Annie Besant As A Social Reformer

एनी बेसेंट भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध समाज सुधारक भी थीं, जिन्होंने न सिर्फ इंग्लैंड में बल्कि, भारत में भी मजदूर और महिलाओं की हक की लड़ाई लड़ी एवं देश में फैली कई सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।

इसके अलावा उन्होंने भारत में महिलाओं की शिक्षा को बढा़वा देने के लिए साल 1913 में वसंता कॉलेज की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने धर्मनिरपेक्षता एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए केन्द्रीय हिन्दू कॉलेज की स्थापना की, जो कि बाद में बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय का केन्द्रक बन गया।

एनी बेसेंट का निधन – Annie Besant Death

एनी बेसेंट अपने जीवन के अंतिम दिनों में काफी बीमार हो गईं थी, जिसके चलते उन्हें 20 सितंबर, 1933 को ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी के अडयार अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार बनारस की गंगा नदी में किया गया था।

एनी बेसेंट की उपलब्धियां – Annie Besant Awards

  • एनी बेसेंट एक प्रसिद्ध लेक्चरर, लेखिका, थियोसोफिकल सोसाइटी की सदस्य और नेशनल सेक्युलर सोसाइटी (Nss) में एक प्रसिद्ध वक्ता थी।
  • एनी बेसेंट भारती की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी थीं।
  • एनी बेसेंट को लंदन स्कूल बोर्ड में टावर हैमलेट्स के लिए चुना गया था।
  • एनी जब सन 1907 में थियोसोफिकल सोसाइटी की अध्यक्ष बनी थी, तब उसका मुख्यालय मद्रास के अडयार में बनाया गया था जोकि वर्तमान में चेन्नई में है.

एनी बेसेंट के प्रसिद्ध कथन एवं सुविचार – Annie Besant Quotes

  • “प्रत्येक राष्ट्र, प्रत्येक व्यक्ति एवं प्रत्येक जाति अपनी विशेष बातें रखते है जो कि सामान्य जीवन के तार और मानवता को लाता है।”
  • ”जब आप जानते हैं कि आप निम्न स्तर का काम यानि करते हैं तो आप पाप कर रहे होते हैं, अर्थात जहाँ ज्ञान नहीं है वहां पाप होता है और यही पाप की वास्तविक परिभाषा है।”
  • “अगर आप किसी काम करने के लिये तैयार नहीं है तो शांत रहना यहां तक कि न सोचना ही बेहतर होता है।”
  • ”भारत में एक अकेला धर्म संभव नहीं है, लेकिन सभी धर्मों के लिए एक सामान्य आधार को मानना, उदारता को बढ़ाना, धार्मिक मामलों में सहनशीलता की भावना आदि संभव है”
  • “जब तक सबूत एक तर्कसंगत स्थिति न दे, तब विश्वास करने से इंकार करो, हमारे अपने सीमित अनुभव से बाहर के सभी इंकार बेतुके है।”

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सुभाषचंद्र बोस के कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचार

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Quotes by Subhash Chandra Bose in Hindi

भारत के स्वतंत्रता दिलाने में बहुत से महान क्रान्तिकारियो ने अपने प्राणों को त्याग दिया। इन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानी वो में से एक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोसभारतीय राष्ट्रिय सेना का निर्माण करने वाले सुभाषचंद्र बोस ने पहले थे। Subhash Chandra Bose के सेना का नाम था “आजाद हिन्द फ़ौज़”।

आज हम सुभाष चंद्र बोस के कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचार इस लेख में पढेंगे। जिन विचारो के वजह से भारत के लोगो को आज़ादी के लिये संघर्ष करने की प्रेरणा मिली थी।

सुभाषचंद्र बोस के कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचार – Subhash Chandra Bose Quotes in Hindi

Subhash Chandra Bose Slogan

“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा।

आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके।

Quotes By Subhash Chandra Bose in Hindi

“जीवन में अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।”

एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।

Subhash Chandra Bose Thought in Hindi Gif

“अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत तुम्‍हारे लिए घातक है।”

Subhash Chandra Bose Thought

Subhash Chandra Bose Quotes GIF

“आजादी मिलती नहीं बल्कि इसे छिनना पड़ता है।

भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी शक्ति का संचार किया है जो लोगों के अन्दर सदियों से निष्क्रिय पड़ी थी।

Quotes By Subhash Chandra Bose

“याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।

इतिहास में कभी भी विचार -विमर्श से कोई ठोस परिवर्तन नहीं हासिल किया गया है।

Subhash Chandra Bose Nara

“संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले नहीं था।”

ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।

Subhash Chandra Bose Vichar

Subhash Chandra Bose Quotes

“सफलता, हमेशा असफलता के स्तम्भ पर खड़ी होती हैं।”

राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम, शिवम्, सुन्दरम से प्रेरित है।

Subhash Chandra Bose ke Vichar

“यदि आपको अस्‍थायी रूप से झुकना पड़े तब भी वीरों की भांति झुकना।”

एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा: सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहतें है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।

Subhash Chandra Bose Quotes in Hindi

“मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याएं गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है।”

Subhash Chandra Bose Thought

“मुझे ये देखकर बहुत दुःख होता है कि मनुष्य – जीवन पाकर भी उसका अर्थ समझ नहीं पाया है। यदि आप अपनी मंजिल पर ही पंहुच नहीं पाए, तो हमारें इस जीवन का क्या मतलब।”

Subhash Chandra Bose Vichar

“मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।”

और अधिक लेख:

  1. नेताजी सुभाषचंद्र बोस का भाषण
  2. नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवनी

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आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर

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Bahadur Shah Zafar History in Hindi

बहादुर शाह जफर आखिरी मुगल सम्राट था, जिसने भारत पर साल  1837 से 1857 में आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम के समय तक शासन किया था। उसका शासनकाल काफी संकट भरा रहा है, जब वह मुगल साम्राज्य की गद्दी पर बैठा था, उस समय तक मुगलों की शक्तियां कमजोर पड़ने लगीं थी और भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना प्रभुत्व जमा लिया था।

साथ ही अंग्रेजों की भारत में नींव मजबूत होती जा रही थी। वहीं बहादुर शाह जफर को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्धारा दी गई पेंशन से गुजारा करना पड़ता था। वह महज एक नाममात्र का शासक था। हालांकि, 1857 में हुए विद्रोह में बहादुर शाह जफर ने हिन्दुस्तान से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए विरोद्रियों और क्रांतिकारियों का एक सम्राट के रुप में साथ दिया और हिन्दू-मुस्लिम को एकजुट कर भारत की एकता की शक्ति को प्रमाणित किया।

हालांकि इस लड़ाई में उन्हें अंग्रेजों से पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिफ्तार कर लिया गया था और रंगून निर्वासित कर दिया था, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली थी। वहीं बहादुर शाह जफर के शासनकाल के दौरान उर्दू शायरी का काफी विकास हुआ। वे खुद भी एक बेहद अच्छे शायर और कवि थे, जिनकी उर्दू शायरी और हिन्दुस्तान से उनकी मोहब्बत का जिक्र आज तक होता है।

उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में भी अपना काफी योगदान दिया था। वह राजनेता और कवि होने के साथ-साथ संगीतकार एवं सौंदर्यानुरागी व्यक्ति थे। उन्हें सूफी संत की उपाधि भी दी गई थी, आइए जानते हैं बहादुर शाह जफर के बारे में कुछ खास बातें-

आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर – Bahadur Shah Zafar History In Hindi

Bahadur Shah Zafar

बहादुर शाह जफर के बारे में एक नजर में – Bahadur Shah Zafar Information

पूरा नाम (Name) मिर्जा अबू ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़ाफ़र
जन्म (Birthday) 24 अक्टूबर सन् 1775, दिल्ली
मृत्यु (Death) 7 नवंबर, 1862, रंगून, बर्मा
पिता (Father Name) अकबर शाह द्वितीय
माता (Mother Name) लालबाई
पत्नियां (Wife Name)
  • अशरफ़ महल,
  • अख़्तर महल बेगम,
  • ज़ीनत महल
  • बेगम ताज महल
पुत्र (Childrens
  • मिर्ज़ा मुगल,
  • मिर्ज़ा जवान बख्त,
  • मिर्ज़ा शाह अब्बास,
  • मिर्ज़ा खिज्र सुल्तान,
  • मिर्ज़ा फ़तेह-उल-मुल्क बहादुर बिन बहादुर,
  • मिर्ज़ा दारा बख्तमिर्ज़ा उलुघ ताहिर।

बहादुर शाह जफर का जन्म, शिक्षा और प्रारंभिक जीवन – Bahadur Shah Zafar Biography

बादशाह शाह जफर 24 अक्टूबर, 1775 में हिन्दू महिला लाल बाई के गर्भ से जन्में थे। उन्हें बहादुर शाह द्धितीय के नाम से भी जाना जाता है। उन्होनें शुरुआत में उर्दू, अरेबिक और पर्शियन की शिक्षा भी ली थी। इसके साथ ही उन्हें घुड़सवारी, तीरंदाजी आदि का भी ज्ञान था। बचपन से ही उनका रुझान कविताओं, साहित्य, सूफी, संगीत आदि में था। वे बचपन में इब्राहिम जोक और असद उल्लाह खान गालिब की कविताएं पढ़ा करते थे।

बहादुर शाह का विवाह – Bahadur Shah Zafar Wife

बहादुरशाह की 4 शादियां हुईं थी, जिनमें से उनकी सबसे प्रिय पत्नी जीनत महल थी, जिनसे उनकी शादी नवंबर, 1840 में हुई थी।

बहादुरशाह का शासनकाल – Bahadur Shah Zafar Reign

उनके पिता अकबर शाह द्धितीय की मौत के बाद सन् 1837 में बहादुरशाह जफर मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठे, लेकिन जब उन्हें मुगलों की सत्ता मिली, उस समय तक मुगलों की शक्ति काफी कमजोर पड़ गई थी, लाल किले के बाहर उनका कोई शासन नहीं बचा था, दिल्ली सल्तनत के पास शासन करने के लिए सिर्फ दिल्ली यानि शाहजहांबाद ही बचा था।

हालांकि, उनके पिता अकबर शाह द्वितीय उन्हें अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाना चाहते थे, वे अपने दूसरे बेटे मिर्जा जहांगीर को सत्ता सौंपना चाहते थे, लेकिन मिर्जा जहांगीर का उस समय अंग्रेजों के साथ काफी संघर्ष छिड गया था, जिसके चलते उन्हें बहादुर शाह जफर को ही मुगल गद्दी सौंपनी पड़ी थी। सौंदर्यानुरागी बहादुर शाह जफर एक अयोग्य शासक थे, जिनकी राजनीति में कोई खास रुचि नहीं थी।

उनकी महत्वकांक्षा को अंग्रेज भी समझ चुके थे, इसलिए वे भी बहादुर शाह से कोई खतरा नहीं मानते थे। हालांकि उनके शासनकाल में संगीत और साहित्य को काफी बढ़ावा मिला था। इसके साथ ही उनके शासनकाल में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया गया। वे हिन्दुओं की धार्मिक भावना का काफी सम्मान करते थे।

1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रुप में बहादुर शाह जफर – Bahadur Shah Zafar as Freedom Fighter

1857 में जब ब्रिटिश शासकों ने अपनी दमनकारी नीतियों से भारतीयों की नाक पर दम कर दिया था, तब अंग्रेजों के बढ़ते हुए अत्याचारों के खिलाफ और भारत से खदेड़ने के लिए कुछ महान क्रांतिकारियों, विद्रोहियों और राजा-महाराजाओं ने उनके खिलाफ विद्रोह शुरु कर दिया था।

उस समय राजा-महाराजाओं ने अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को अपना सम्राट माना और उन्हें क्रांति का नेता घोषित कर दिया था, क्योंकि उस दौरान एक ऐसे केन्द्रीय नेतृत्व वाले शासक की जरूरत थी, जो हिन्दू-मुस्लिमों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ सके, जो कि बहादुर शाह जफर भलीभांति कर सकते थे।

इस दौरान बहादुर शाह जफर ने एक नायक की तरह क्रांतिकारियों का पूरा सहयोग दिया एवं अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। इस लड़ाई में उन्होंने अपने बेटे मिर्जा मुगल को कमांडर इन चीफ भी बनाया था।

हालांकि, 82 साल के जफर अंग्रेजों से हुई इस जंग में हार गए थे और इस हार के बाद उन्हें और उनके परिवार के कई सदस्यों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।

बहादुर शाह जफर की मृत्यु – Bahadur Shah Zafar Death

वहीं अंत में उन्हें राजद्रोह के आरोप में भारत से निकालकर रंगून भेज दिया गया, जहां उन्होंने 7 नवंबर, 1862 को अपने जिंदगी की अंतिम सांस ली। इस तरह उनकी मौत के साथ भारत में करीब 300 साल तक शासन कर चुके मुगल साम्राज्य का भी अंत हो गया और फिर भारत को 1947 में आजादी से पहले तक ब्रिटिशों की गुलामी का दंश झेलना पड़ा।

बहादुर शाह जफर की मौत के बाद उनके शव को रंगून के श्वेडागोन पगोडा के पास दफनाया गया। फिर इसके कई सालों बाद इसी स्थान पर उनकी दरगाह बनाई गई। वहीं उन्हें लोग एक सूफी संत के तौर पर मानते थे, इसलिए आज भी उनकी कब्र पर सभी धर्मों के लोग श्रद्धा के साथ फूल चढ़ाते हैं।

एक अच्छे शायर और कवि थे अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर – Bahadur Shah Zafar as a Poet

बहादुरशाह जफर एक राजनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि थे। उनकी साहित्यिक प्रतिभा काबिल-ए-तारीफ है। उनकी शेरो-शायरी के कई बड़े-बड़े दिग्गज कवि भी मुरीद थे। उनके द्धारा लिखी गई गजल और शायरी आज भी मुशायरों में सुनी जाती हैं।

उनके दरबार के दो मुख्य शायर मोहम्मद गालिब और जौक आज भी शायरों के लिए आदर्श माने जाते हैं। बहादुर शाह जफर खुद भी एक बेहतरीन शायर थे, उनकी ज्यादातर गजलें जिंदगी की कठोर सच्चाई और मोहब्बत पर होती थी।

उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में रंगून में बहुत सारी गजलें लिखीं। गौर करने वाली बात तो यह है कि, कैदी के तौर पर उन्हें गजल लिखने के लिए कलम तक नहीं दी गई थी, लेकिन उन्होंने जेल में जली हुई तीलियों से दीवार पर गजलें लिखी थीं।

बहादुर शाह जफर एक महत्वकांक्षी शासक तो नहीं थे, लेकिन वे काफी दयालु और दानी स्वभाव के व्यक्ति थे, जो कि सभी धर्मों का आदर करते थे। 1857 में आजादी की पहली लडा़ई  में उनके द्धारा दिए गए योगदान के लिए उनके नाम पर 1959 में आल इंडिया बहादुर शाह जाफर एकेडमी की स्थापना की गयी।

इसके अलावा बहादुर शाह ज़फर के नाम दिल्ली में भी एक सड़क मार्ग है।  यही नहीं मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर पर कुछ हिन्दी-उर्दू फिल्में भी बनी हुई थी।

ज़फर महल – Zafar Mahal

ज़फर महल मुघलो के अंतिम शासक बहादुर शाह ज़फर – Bahadur Shah Zafar द्वारा निर्मित एक अंतिम मुघल ईमारत है। ज़फर महल भारत के दिल्ली में स्थापित किया गया है। अकबर द्वितीय, बहादुर शाह जफ़र द्वारा ज़फर महल के प्रवेश द्वार का निर्माण 19 वी शताब्दी के मध्यकाल में किया गया था।

ज़फर महल दिल्ली के मेहरुली में बना हुआ है। मेहरुली एक रमणीय स्थल है जहाँ लोग शिकार करने और साथ ही पिकनिक मनाने के लिए भी आते है। पहले से ही प्रसिद्ध मेहरुली में ज़फर ने ज़फर महल और दरगाह बनाकर इसकी सुन्दरता और बढ़ा दी।

प्रवेश द्वारा के पास बना गुम्बद तक़रीबन 15 वी शताब्दी में बनवाया गया था और महल के बाकी भाग पश्चिमी आर्किटेक्चर के अनुसार बनाये गए है। उस समय शासक और उनका परिवार महल की बालकनी से पुरे शहर का नजारा देखते थे और मेहरुली के सुंदर बागो का दृश्य महल की खिडकियों से भी दिखायी देता है।

ज़फर के शासनकाल में फूल वालो की सैर नामक तीन दिनों तक चलने वाला एक उत्सव होता था। उत्सव के दौरान ज़फर अपने परिवार के साथ मेहरुली के तीर्थ स्थान ख्वाजा बख्तियार काकी के दरगाह पर भी जाते थे। देखा जाए तो इस महल का निर्माण उनके पिता ने करवाया था लेकिन महल के मुख्य द्वार का निर्माण ज़फर ने करवाया था। और ज़फर ने इसका नाम बदलकर फिर ज़फर महल रखा।

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“किंग खान” शाहरुख़ खान के विचार | Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

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Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

शाहरुख़ खान – Shahrukh Khan को SRK के नाम से भी जान जाता है, वे एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता और टेलीविज़न हस्ती भी है। मीडिया ने उन्हें “बॉलीवुड के बादशाह”, “किंग खान” और “किंग ऑफ़ बॉलीवुड” जैसे नाम भी दिये है। तो चलो शाहरुख़ खान के कुछ विचार पढ़ते हैं।

“किंग खान” शाहरुख़ खान के विचार – Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

Shahrukh Khan Quotes in Hindi

“कामयाबी और नाकामयाबी दोनों ज़िन्दगी के हिस्से है। दोनों ही स्थायी नहीं हैं।”

जब भी मैं बहुत अभिमानी महसूस करने लगता हूँ तो अमेरिका की यात्रा पर चला जाता हूँ। इमीग्रेशन वाले लात मा कर मेरे स्टारडम से स्टार निकाल देते हैं।

Shahrukh Khan Quotes

“मैं  कड़ी  मेहनत  करता  हूँ, पक्का  और  सब  लोग  भी  करते होंगे, और  मैं  जो  करता  हूँ  उसके  प्रति  बहुत  इमानदार  रहता  हूँ।

“मैं अपने बच्चो को यह नहीं सिखाता ही हिन्दू क्या है और मुस्लिम क्या है?”

Shahrukh Khan Quotes on Success

“सफलता एक अच्छा शिक्षक नही है, असफलता ही आपको नम्र बनाती है।”

“मैं जब भी एक पिता या पति के रूप में फेल होता हूँ …एक खिलौना और एक हीरा हमेशा काम कर जाते हैं।”

Shahrukh Khan Thoughts in Hindi

“हमारे हिंदी फिल्म की तरह ENDING में लाइफ में भी सब ठीक हो जाता है अगर सही नहीं होता तो वो ENDING नहीं हैं।

जो मैं सचमुच हूँ और जो मैं फिल्मो में दिखता हूँ; इनके बीच की रेखा धीरे-धीरे घट रही है।

Quotes by Shahrukh Khan

“मेरे कुछ बहुत ही करीबी दोस्त हैं और मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि वे मेरे दोस्त हैं।

“अगर आपको कोई चीज़ पसंद नहीं है तो भी लगातार उसे देखते रहो में दावे के साथ कहा सकता हु! थोड़े दिन में वह आपको पसंद आने ही लगेगी।”

“मेरा मानना है कि प्यार किसी भी उम्र में हो सकता है… इसकी कोई उम्र नहीं होती।”

SRK Quotes on Money

“भारत में सिनेमा सुबह उठ कर ब्रश करने की तरह है। आप इससे बच नहीं सकते।”

“मैं झूठ बोल सकता हूँ कि मेरी बीवी मेरे लिये खाना बनाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। मेरी बीवी ने कभी खाना बनाना नहीं सीखा लेकिन उसके पास घर पर बहुत अच्छे खाना पकाने वाले जरुर हैं।”

Shahrukh Khan Thoughts

“मैं वास्तव में यकीन करता हूँ कि मेरा काम ये सुनिश्चित करना है की लोग हँस रहे भी है या नही।”

“मैंने अबतक बहुत से अवार्ड्स जीते हैं और मुझे और चाहियें। अगर आप इसे मेरी भूख कहना चाहते हैं तो हाँ मैं अवार्ड्स के लिए बहुत भूखा हूँ।”

“मुझे सचमुच दूसरे नंबर पर रहना पसंद नहीं।

Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

“ख़ुशी ज़ाहिर करने का सबका अपना-अपना तरीका होता है।

हालांकि मैं बहुत अच्छा दिखता हूँ, फिर भी मैं काफी बुद्धिमान हूँ।

Quotes for SRK Fans

“मुझे स्टारडम पसंद है, मुझे लोगों का मुझे इतना पसंद करना अच्छा लगता है। मुझे इस बात से प्यार है कि जब मैं बाहर जाता हूँ तो लोग चीखेते है – चिल्लाते हैं। मुझे लगता है जब ये सब मुझसे छीन लिया जाएगा तो मैं इन्हें बहुत ज्यादा मिस करूँगा।

“मैं एक बच्चे की तरह हूँ। मैं अपने परिवार और मित्रों से कहता हूँ कि मैं बच्चों की तरह हूँ।

Shahrukh Khan Quotes on Religion

“मैं अपने बच्चों को नहीं सिखाता की हिन्दू क्या है मुस्लिम क्या है।

“मैं जब भी एक पति या पिता के रूप में फेल होता हूँ। तब एक हीरा और कुछ खिलौने हमेशा काम कर जाते हैं।

shahrukh khan Vichar

“चाहे लोग इसे पसंद करें या नहीं, मेरी मार्केटिंग की सोच ये है कि अगर आप कोई चीज लम्बे समय तक लोगों के  सामने रखते हैं तो उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है।

“में अपना काम बहुत दिल और लगन से करता हु बाकि सब चीजे अपने आप होती है।

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प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक “काशी विश्वनाथ”| Kashi Vishwanath Temple

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Kashi Vishwanath Temple

उत्तरप्रदेश में गंगा के किनारे बसे शहर काशी (वाराणसी ) में विश्वनाथ जी का मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। काशी विश्वनाथ जी का यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

इस मंदिर की स्थापना कई साल पहले की गई थी। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव निवास करते हैं, उनकी त्रिशूल की नोंक पर ही धार्मिक नगरी काशी बसी हुई है। भगवान शिव यहां आने वाली किसी भी तरह की आपदा एवं संकट से यहां के लोगों की संरक्षक की तरह रक्षा करते हैं।

इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि, भगवान शिव की इस आलौकिक मंदिर के दर्शन मात्र से ही यहां आने वाले भक्तों के सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटते हैं।

आइए जानते हैं विश्व प्रसिद्ध इस अनूठे काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण, इतिहास और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में-

प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक “काशी विश्वनाथ” – Kashi Vishwanath Temple In Hindi

Kashi Vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ जी मंदिर का इतिहास और इसका निर्माण – Kashi Vishwanath Temple History

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सदियों पुराना है, जिसका 11 वीं सदी में राजा हरिशचन्द्र और सम्राट विक्रमादित्य द्धारा जीर्णोद्धारा करवाया गया था। इसके बाद 1194 ईसवी में मोहम्मद गौरी ने इस मंदिर पर आक्रमण कर इसे लूटने के बाद इसे तोड़ दिया था।

इसके बाद इस मंदिर का फिर से जीर्णोद्धार किया गया था। लेकिन 1447 ईसवी में काशी विश्वनाथ मंदिर को जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्धारा फिर से तोड़ दिया गया था। इसके बाद 1585 ईसवी में राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट द्धारा इस जगह पर फिर से एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण करवाया गया था।

फिर 1632 ईसवी में मुगल शासक शाहजहां ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपनी विशाल सेना भेजी थी, इस दौरान मुगल सेना इस मंदिर का तो बाल भी बांका नहीं कर सकी, लेकिन काशी के अन्य 63 मंदिरों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था।

इसके बाद मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 में इस विशाल एवं समृद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। जिसके बाद इस मंदिर को तोड़कर यहां एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया था।

इसके बाद 1752 से 1780 के बीच मल्हारराव होलकर एवं मराठा सरदार दत्ता जी सिंधिया ने काशी विश्वनाथ मंदिर को फिर से बनवाने के लिए कई प्रयास किए थे।

इसके चलते अगस्त, 1770 में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के शासक शाह आलम से काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने की भरपाई करने का भी आदेश जारी कर लिया था, लेकिन उस समय तक काशी पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना प्रभुत्व जमा लिया था, जिसके चलते उस समय काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार करने का काम रुक गया था।

इसके बाद मालवा प्रांत की महरानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777 से 1780 के बीच दुनिया भर में मशहूर इस काशी विश्वनाथ मंदिर का फिर से निर्माण काम करवाया था।

फिर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने आदिलिंग के रुप में मौजूद भगवान शिव के अविमुक्तेश्वर रुप को सोने का छत्र चढ़ाया था, जबकि ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानावापी का मंडप का निर्माण करवाया एवं नेपाल के महाराजा ने यहां भव्य नंदी जी की प्रतिमा की स्थापना करवाई थी।

काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं – Kashi Vishwanath Temple Story

भोले शंकर को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी प्रचलित यह कथा है कि यहां  भगवान शिव ने अपने एक अनन्य भक्त को सपने में दर्शन देकर यह कहा था कि पवित्र मन से गंगा स्नान के बाद उसे दो शिवलिंग मिलेंगे और जब वो उन दोनों शिवलिंगों को जोड़कर उन्हें स्थापित करेगा तो शिव और शक्ति के दिव्य शिवलिंग की यहां स्थापना होगी। जिसके बाद से यहां भगवान शंकर अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती के साथ विराजित हैं।

इतिहास में विनाश और निर्माण का प्रतीक रहा काशी के इस प्राचीन विश्वनाथ जी के मंदिर से जुड़ी एक अन्यता पौराणिक कथा के मुताबिक मां भगवती ने यहां स्वयं भगवान शंकर को स्थापित किया था।

इसके अलावा नवीनतम काशी विश्वनाथ मंदिर से एक जुड़ी कहानी के मुताबिक, एक बार जब पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने सच्चे मन से पूरी श्रद्दा के साथ भगवान शिव के विश्वनाथ रुप की आराधना की थी, उस दौरान उन्हें एक विशालकाय मूर्ति के दर्शन हुए थे, जिसने उन्हें बाबा विश्वनाथ जी की स्थापना के लिए कहा था।

इसके बाद मदन मोहन मालवीय जी ने इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण काम पूरा करवाया. लेकिन गहरी बीमारी के चलते वे इस मंदिर के निर्माण को पूरा नहीं करवा सके, और फिर उद्योगपति युगल किशोर बिरला जी ने इस मंदिर का निर्माण काम को पूरा करवाया था। काशी विश्वनाथ जी का मंदिर से कई अन्य मान्यताएं एवं चमत्कारिक रहस्य जुड़े हुए हैं।

दो हिस्सों में स्थित हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्योतिर्लिंग – Kashi Vishwanath Jyotirlinga

दुनिया भर में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्योर्तिलिंग दो हिस्सों में स्थित है। इसके दाएं तरफ शक्ति के रुप में मां भगवती विराजमान है, जबकि दूसरी तरफ भगवान शिव अपने वाम रुप में विराजित हैं अर्थात यहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान है।

इसलिए प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में काशी को मोक्षनगरी भी कहा जाता है, जहां सदियों से ही शिव भक्त यहां मोक्ष प्राप्त करने के लिए आते रहे हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य – Facts About Kashi Vishwanath Temple

  • उत्तरप्रदेश के वाराणसी में स्थित यह विश्वप्रसिद्ध विश्वनाथ जी का मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिर्लिंगों में से एक है। वहीं भगवान शिव की नगरी काशी को मोक्ष नगरी के रुप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि काशी नगरी में देह त्यागने से मनुष्य को मोक्ष मिलता है।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता भी है कि गंगा के किनारे बसी काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल की नोंक पर काशी बसी है। और भगवान शिव यहां के लोगों की आपदाओं से रक्षा करते हैं।
  • भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी के बारे में यह भी कहा जाता है कि, जब इस धरती की उत्पत्ति हुई थी, तब सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी।
  • विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ जी के मंदिर के ऊपर बने सोने के छत्र से जुड़ी यह मान्यता है कि इस छत्र के दर्शन मात्र से ही लोगों की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
  • भगवान शंकर को समर्पित इस मंदिर में बाबा विश्वनाथ वाम रुप में शक्ति की देवी मां भगवती के साथ प्रतिष्ठित हैं, जो कि अपने आप में अद्भुत है, यही वजह है कि इस मंदिर की दुनिया में एक अलग पहचान है। ऐसा दुनिया के किसी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलता है।
  • बाबा विश्वनाथ जी का मंदिर कोई वास्तविक मंदिर नहीं है। काशी के प्राचीन मंदिर पर कई बार हमले किए गए। वहीं मुगल शासक औरंगेजब ने इस मंदिर को नष्ट कर इसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। इसके बाद महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया था।
  • इस मंदिर को भले ही आक्रमणकारियों ने कई बार नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जब क्रूर मुगल शासक औरंगजेब द्धारा इस मंदिर की तोड़ने भनक लोगों को लगी थी,तो उन्होंने भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को एक कुंए में छिपा दिया था। यह कुंआ आज भी मंदिर और मस्जिद के बीच में स्थित है।
  • 18वीं सदी के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। वे भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। इस मंदिर के निर्माण को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि 18वीं सदीं के दौरान खुद भगवान शिव ने रानी अहिल्याबाई के सपने में आकर इस जगह उनका मंदिर बनवाने के लिए कहा था।
  • दुनिया भर में मशहूर बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर में चार तंत्र द्दार बने हुए हैं, जिनमें शांति द्धार, कला द्धार, प्रतिष्ठा द्धार और निवृत्ति द्धार शामिल हैं। दुनिया में यह अपने आप में इकलौता ऐसा मंदिर है जहां शिवशक्ति एक साथ और तंत्र द्धार भी बने हुए हैं।
  • काशी विश्वनाथ जी के मंदिर का छत्र सोने का है, हालांकि मंदिर पर पहले नीचे तक सोना लगा था, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इस मंदिर को लूटने के दौरान सोना निकाल लिया था, इसलिए अब सिर्फ छत्र पर ही सोना रह गया है। ऐसा मान्यता है कि सोने के छत्र के दर्शन करने मात्र से ही लोगों की मान्यताएं पूर्ण हो जाती हैं।
  • बाबा विश्वनाथ जी के इस अनूठे मंदिर के शीर्ष पर एक सुनहरा छत्ता भी लगा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि, इस सुनहरे छत्ता के दर्शन करने के बाद मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
  • काशी विश्वनाथ जी के मंदिर में वैसे तो पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन सावन के महीने में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। वहीं आम दिनों में यहां सोमवार के दिन काफी भीड़ रहती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का समय – Kashi Vishwanath Temple Timing

श्री काशी विश्वनाथ की पाँच आरतियाँ होती है:
1. मंगला आरती : 3.00 – 4.00 (सुबह)
2. भोग आरती : 11.15 से 12.20 (दिन)
3. संध्या आरती : 7.00 से 8.15 (शाम में)
4. श्रृंगार आरती : 9.00 से 10.15 (रात्रि)
5. शयन आरती : 10.30 से 11.00 (रात्रि)

सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए मंदिर में मोबाइल फ़ोन, कैमरा, बेल्ट और किसी भी इलेक्ट्रोनिक उपकरण या धातु की सामग्री के साथ प्रवेश करना मना है।

ऐसे पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर – How To Reach Kashi Vishwanath Temple

उत्तरप्रदेश का वारणासी राज्य सड़क, रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों एवं महानगरों से अच्छी ट्रेन व बस सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यहां फ्लाइट के द्धारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

बाबतपुर विमानक्षेत्र, केन्द्र से करीब यह 24 किमी की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट से बैंगलोर, काठमांडू, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई समेत देश के लगभग सभी प्रमुख शहर में अंतराष्ट्रीय शहरों की भी अच्छी एयर कनेक्टिविटी है।

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वारेन बफेट के प्रसिद्ध विचार

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Quotes By Warren Buffett in Hindi

वारेन बफेट “Oracle of Omaha”, “Sage of Omaha” और “Wizard of Omaha” के नाम से प्रसिद्ध सबसे सफल निवेशक है। वे सिर्फ अपनी निवेशक नीतियों के लिये ही नही बल्कि अपने प्रसिद्ध सुविचारो के लिये भी जाने जाते है।

आज मै यहाँ आपको वारेन बफेट के कुछ चुनिन्दा सुविचार / Suvichar  बताने जा रहा हु जो निश्चित ही आपको प्रेरित करेंगे।

वारेन बफेट के प्रसिद्ध विचार –  Warren Buffett Quotes in Hindi

quotes by warren buffett on money

“विविधता आपकी संपत्ति को बचा सकती है, लेकिन ध्यान केन्द्रित करना आपके लिये संपत्ति बना सकता है।”

“निवेश मतलब पैसो को कम करना है न की भविष्य में ज्यादा प्राप्त करने की चाह करना है।”

“सबसे महत्वपूर्ण बात यही है की यदि आप खुद को गड्डे के अंदर पाते हो तो खोदना बंद कर दीजिये।”

“पैसा ही सबकुछ नही है। हमेशा ध्यान रहे की ऐसा बोलने से पहले आपने बहोत पैसे कमा लेने चाहिये।”

“जब दुसरे लोग सो रहे होते है तो आप अपने आप को आधा जगाकर खुद की सुरक्षा नही कर सकते।”

quotes by warren buffett on investments

एक ही टोकरी में अपने सभी अंडे मत डालो।

“जोखिम तभी आती है जब आप जो कर रहे हो उसे नही जानते।”

“जबतक आप अपने स्टॉक को 50% गिरा हुआ नही देख पाते तबतक आप कभी भी स्टॉक मार्केट में नही आ सकते।”

“आप तबतक अपने समय को नियंत्रित नही कर सकते जबतक आप “नही (NO)” नही कर सकते। आपको अपने जीवन में दुसरे लोगो को लक्ष्य निर्धारित करने का मौका नही देना चाहिये।”

“निवेश करने सबसे अच्छा मौका तभी आता है जब किसी बेहतरीन कंपनी के स्टॉक विपरीत परिस्थितियों से होकर गुजर रहे हो।”

Best Motivational Quotes By Warren Buffett

warren buffett quotes on money

“उस व्यवसाय में कभी निवेश मत कीजिये जिसे आप समझ नही सकते।”

दोनों पैरों से एक साथ नदी की गहराई का परीक्षण कभी नहीं करें।

“संकटमय निवेश घटक व्यापार की मुलभुत कीमत को निर्धारित करने में और उसे पर्याप्त कीमत देने में है।”

“वालस्ट्रीट एक ऐसी जगह है जहा रोल्स-रोयस पर आये लोग सडको पर चलने वाले लोगो से सलाह लेते है।”

“हमें अपनी आदतों को टूटने से पहले की काफी मजबूत बना लेना चाहिये।”

quotes by warren buffett on life

“पहला नियम हार न मानना है। दूसरा नियम पहले नियम को कभी न भूलना है।”

“अपने स्टॉक पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान केन्द्रित करके आप अपनी ज्यादा से ज्यादा जोखिम को कम कर सकते हो।”

“ये कोई मायने नही रखता की कोई काम कितन समय लेता है। क्योकि आप 9 गर्भवती महिलाओ को लेकर कभी एक महीने में एक बच्चे को जन्म नही दे सकते।”

“आज का निवेशक कल की बढ़त से लाभ नही कमा सकता।”

“व्यापार की कीमत थोड़ी कला और थोडा विज्ञान है।”

Quotes By Warren Buffett In Hindi

“बहोत से लोग दूसरे लोग जब निवेश कर रहे होते है तभी खुद भी निवेश करते है। लेकिन ज्यादा लाभ कमाने का सही समय वही है जब कोई निवेश न करता हो। जो प्रसिद्ध और अच्छा है आपको सिर्फ उसे ही खरीदने की जरुरत नही।”

“हमने इतिहास से यही सिखा की लोगो ने इतिहास से कुछ नही सिखा।”

“आपको राकेट वैज्ञानिक बनने की कोई जरुरत नही है। क्योकि निवेश कोई खेल नही जिसमे 160 IQ का एक इंसान 130 IQ के दुसरे इंसान को हरा दे।”

“स्टॉक मार्केट एक खेल की तरह है, जिसमे आपको कोई आवाज़ नही देगा। जिसमे आपको हरतरफ जाने की जरुरत भी नही – बल्कि आपको आप इ मैदान का इंतज़ार करना होगा।”

“एक अतिसक्रिय स्टॉक मार्केट उद्योग में जेबकतरे की तरह है।”

warren buffett quote on reputation

ईमानदारी बहुत महंगा उपहार है। इसकी घटिया लोगों से उम्मीद मत करो।’

“हमारा इस बात पर गहरा विश्वास है की केवल स्टॉक की भविष्यवाणी करना ही एक अच्छे ज्योतिषी का निर्माण करती है।”

“स्टॉक मार्केट की दिशा के पूर्वानुमान से आपको ये पता नही लगता की क्या स्टॉक बढ़ने वाला है लेकिन पूर्वानुमान करने वाले इंसान के बारे में जरूर बहोत कुछ पता चलता है।”

हमेशा के लिए – हमारी पसंदीदा होल्डिंग पीरीयड है।

“कमोडिटी व्यवसाय में अपने मुर्ख प्रतियोगी से ज्यादा शातिर होना काफी मुश्किल है।”

warren buffett quotes

मैं हमेशा जानता था कि मैं अमीर बनने जा रहा हूँ। मुझे नहीं लगता कि मैंने एक मिनट के लिए भी इस बात पर शक किया।

“किसी के सालो पहले एक पेड़ लगाने की वजह से ही आज लोग उस पेड़ की छाया में बैठ पाते है।”

“मुझे असल में अपनी ज़िन्दगी काफी पसंद है। मैंने अपनी ज़िन्दगी को इस तरह नियंत्रित करके रखा है की मै जो चाहू वो कर सकता हु।”

“हम जो कुछ भी करते है वो आपके पैसो से करते है, हमें जो कुछ बी करना चाहिए वो खुद से करना चाहिये।”

“बिज़नस स्कूल साधारण व्यवहार से ज्यादा जटिल व्यवहार को सम्मानित करती है लेकिन साधारण व्यवहार हमेशा ज्यादा प्रभावशाली होता है।”

Quotes By Warren Buffett

एकल आय पर निर्भर कभी नहीं रहना चाहिये। दूसरा स्रोत बनाने के लिए निवेश करें।

“यदि आप किसी चीज़ को लेकर 10 साल बाद आरामदायक महसुस नही करते तो उसे आपको 10 मिनट के लिये भी नही लेना चाहिये।”

“मै एक बिजनेसमैन होने की वजह से एक बेहतर निवेशक हु और एक निवेशक होने की वजह से बेहतर बिजनेसमैन हु।”

“कीमत (PRICE) वह होती है जिसे आप देते हो। मूल्य (VALUE) वह होता है जो आपको मिलता है।”

“आपको उस स्टॉक को कभी खरीदना नही चाहिये जिसकी कीमत बहोत कम समय में 50 % तक गिर गयी हो ऐसा करने से आप कठनाई में पड़ सकते हो।”

Best Quotes By Warren Buffett In Hindi On Investment

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“हमेंशा लम्बे समय के लिये ही निवेश करे।”

“स्टॉक मार्केट क्रियाशील से सहनशील के पास पैसे स्थानांतरित करने की क्रिया है।”

“स्टॉक मार्केट, अर्थव्यवस्था, इंट्रेस्ट रेट और चुनाव की दिशा का पूर्वानुमान लगाना बंद करे।”

“मै वो बहोत कुछ जानता हु जो मै उम्र के 20 वे साल में करता था। मैंने बहोत कुछ पढ़ा भी है और मुझे बहोत से विषयो को पढने के बाद ही प्रेरणा मिली है।”

“मै अपनी जिंदगी को मैंने जितने पैसे कमाये उससे नही गिनता। दुसरे लोग यह सामर्थ्य कर सकते है।”

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“निवेश करना मतलब भविष्य में ज्यादा पैसे पाने के उद्देश्य में अभी पैसो को छोड़ना है।”

“मैंने कभी भी स्टॉक मार्केट में पैसे कमाने की कोशिश नही की। मै इस आशा के साथ खरीदता हु की वे अगले दिन मार्केट को बंद कर देंगे और 10 साल तक कभी नही खुलेंगे।”

“मैंने पर्याप्त से ज्यादा पैसो के साथ तेज़ घोड़े की तरह भागने का वादा किया है… मैं रात को सोते समय ज्यादा लाभ कमाने के उद्देश्य से कभी ट्रेड नही करता।”

“लहरों के बाहर जाने के बाद ही हम पता कर सकते है की कौन नग्न तैर रहा है।”

“यदि पहली बार में ही आपको सफलता मिली, तो लगातार निवेश करते रहिये।”

warren buffett quotes images

“असाधारण परिणाम पाने के लिये असाधारण चीजो को करना जरुरी नही है।”

“केवल वही स्टॉक ख़रीदे जिसे खरीदने के बाद यदि स्टॉक मार्केट आने वाले 10 सालो तक भी बंद रहा तो आप खुश रह सको।”

“मै आपको बताऊंगा की अमीर कैसे बना जाता है। दरवाजा बंद करे। जब दुसरे लोग लालची हो तो सावधान रहे और जब दुसरे लोग डरे हुए हो तो आप लालची बने।”

“हमारा स्टॉक को पकडे रहने का सबसे पसंदीदा समय हमेशा के लिये है।”

“मै हमेशा जानता हु की मै अमीर बनता चला जा रहा हु। और मुझे इस बात पर कभी 1 मिनट के लिये भी शक नही होता।”

warren buffett quotes on success

“महान निवेश के मौके तभी आते है जब प्रसिद्ध कंपनिया अनैतिक परिस्थितियों से घिरी हुई होती है।”

“कभी भी अच्छा सेल (SALE) बनाने की चाह न रखे। बल्कि परचेस (PURCHASE) कीमत को इतना आकर्षक बनाये की उसी कीमत में बेचने पर भी आपको अच्छा परिणाम मिले।”

“निवेशक को बड़ी गलतियों को करने से बचने के लिये कुछ चीजो को सही करना बहोत जरुरी होता है।”

“व्यापार की मुलभुत कीमत को जानने के लिये बहोत कुछ पढने की जरुरत होती है।”

“समय हमेशा बेहतरीन कंपनियों का दोस्त होता है, और साधारण का दुश्मन होता है।”

warren buffett quotes on business

रिस्क तब होता है जब आपको पता ही नही होता है कि आप क्या कर रहे हैं।

“मै कभी भी एकसाथ 7 फुट आगे छलांग नही मारना चाहता, मै अपने ही आस-पास 1-1 कदम आगे बढ़ाना चाहता हु।”

“हमें सिर्फ सच होने की वजह से कुछ नही मिलता। बल्कि हमने कुछ पाने के लिये कितना इंतज़ार किया इसपर हमें मिलने वाला पुरस्कार निर्भर करता है।”

“किसी पर्याप्त कंपनी को अच्छी कीमत पर खरीदने की बजाये किसी अच्छी कंपनी को पर्याप्त कीमत पर खरीदना काफी अच्छा होगा।”

“सच्चाई यही है की लोग लालची, डरे हुए और मुर्ख है। क्योकि अनुक्रम का कभी पूर्वानुमान नही लगाया जा सकता।”

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आज का निवेशक कल की बढ़त से फायदा नहीं कमाता।

“हमेशा अच्छी कंपनी का इतिहास और प्रॉफिट रेट देखकर ही उसमे निवेश करने का निर्णय ले।”

“मैं अपने व्यापार में उस तरह के स्टॉक को खरीदता हु जिसे एक मुर्ख भी चला सके। क्योकि आज या कल,कभी ना कभी मुझे खरीदना ही है।”

“विविधता अज्ञानता के विरुद्ध किया गया बचाव है। और जो लोग स्टॉक मार्केट में निवेश करते है उनके लिये ये थोडा बहोत सहायक भी हो सकता है।”

“इज़्ज़त बनाने के लिये 20 साल लग जाते है और उसे ख़राब करने के लिये 5 मिनट भी काफी है। यदि आप इस तरह सोचोगे तो निश्चित ही कुछ अलग कर पाओगे।”

“आपको अपनी जिंदगी में सिर्फ कुछ ही चीजो को सही तरीके से करने की जरुरत है ताकि आप जिंदगी में बहोत सी चीजो को गलत न कर सको।”

“हमें व्यापार को खरीदने में ख़ुशी मिलती है बेचने में नही।”

“अपने काम का आनंद लीजिये और उन्ही के लिये काम करे जो आपकी प्रशंसा करते हो।”

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श्रद्धालुओ का श्रद्धास्थान “बांके बिहारी मंदिर”

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Banke Bihari Temple History in Hindi

उत्तरप्रदेश के मथुरा में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर हिन्दुओं के सबसे प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जिससे कई चमत्कारी रहस्य जुड़े हुए हैं। इस मंदिर में ठाकुर जी (श्री कृष्ण जी) के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर से भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

देश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक बांके बिहारी जी का मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जिसमें श्यामवर्ण वाले भगवान श्री कृष्ण और राधारानी का एकाकार रुप है। भगवान श्री कृष्ण के बालक रुप की छवि इस मंदिर में स्पष्ट दिखाई देती हैं।

श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन में स्थित यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के 7 प्रमुख मंदिरों में से एक है, जिसमें श्री गोविंद जी, राधावल्लभ जी और अन्य चार मंदिर और शामिल हैं। वहीं जो भी भक्त बांके बिहारी जी के मंदिर में दर्शन के लिए आता है, वो इनके दर्शन पाकर अभिभूत हो जाता है एवं उसके मन को शांति मिलती है।

इस मंदिर से जु़ड़ी यह मान्यता है कि, जो भी भक्तजन सच्चे मन से इस मंदिर के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।

राजस्थानी शैली में बने इस भव्य मंदिर के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि इस मंदिर के परिसर में कोई भी शंख या फिर घंटी नहीं है, क्योंकि भगवान को इन उपकरणों की आवाज पसंद नहीं है।

आइए जानते हैं इस मंदिर का निर्माण, इसका इतिहास, इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं एवं इसके रहस्य एवं रोचक तथ्यों के बारे में –

श्रद्धालुओ का श्रद्धास्थान “बांके बिहारी मंदिर” – Banke Bihari Temple History In Hindi
Banke Bihari Temple

बांके बिहारी मंदिर का निर्माण एवं इससे जुड़ी पौराणिक कथा – Banke Bihari Temple Story And Information

ऐसा माना जाता है कि भारत के इस प्रतिष्ठित बांके बिहारी जी के मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजों  के सामूहिक प्रयास से साल 1921 में किया गया था।

आपको बता दें कि स्वामी हरिदास जी प्राचीन समय में एक बेहद मशहूर गायक एवं तानसेन के गुरु थे। उन्होंने खुद श्री कृष्ण की भक्ति में कई गीत भी गाए जो आज भी मशहूर हैं।

वहीं अगर इस मंदिर के निर्माण के इतिहास पर गौर करें तो यह पता चलता है कि श्री कृष्ण को समर्पित इस प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण के लिए शुरुआत में किसी भी दान-दाता का धन नहीं लगाया था।

श्री हरिदास जी एक वैष्णव भक्त थे, जिनकी भजन-कीर्तन एवं सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर निधिवन (स्वामी हरिदासजी महाराज की साधना स्थली) से श्री बांके बिहारी जी प्रकट हुए थे। दरअसल हरिदास जी का ज्यादाकर समय भगवान श्री कृष्ण के पूजा में व्यतीत होता था।

उन्होंने खुद को पूरी तरह श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया था। हरिदास जी हर वक्त अपने प्रभु श्री कृष्ण का नाम जपते रहते थे। वहीं एकांत रुप से ठाकुर जी की भक्ति के लिए वृंदावन आ गए थे।

वहीं जहां बैठकर हरिदास जी ने भगवान श्री कृष्ण की तल्लीनता से भक्ति की थी, उसे निधिवन के नाम से जाना जाता है।

एक दिन जब स्वामी जी के शिष्य निधिवन पहुंचे तो हरिदास जी उस समय भी अपने प्रभु के लिए भजन-कीर्तन गा रहे थे, तभी उनके शिष्यों ने एक अद्भुत चमत्कार देखा, उन्होंने देखा कि निधिवन तेज प्रकाश से भरा हुआ था, भगवान श्री कृष्ण राधारानी जी के साथ अवतरित हुए थे।

वहीं साक्षात भगवान श्री कृष्ण के दर्शन पाकर स्वामी हरिदास जी और उनके सभी भक्त आश्चर्यचकित रह गए। इस दौरान हरिदास जी ने अपने ठाकुर जी से यहीं रहने का अनुरोध किया।

जिसके बाद प्रभु श्री कृष्ण ने स्वामी जी की इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और अपने भक्त की इच्छा को पूरा करते हुए अपनी अद्भुत और श्यामवर्ण की आर्कषक छवि यहां छोड़ दी।

बांके बिहारी जी के मंदिर में भगवान श्री कृष्ण जी की यही सांवले रंग की मूर्ति आज भी विराजमान है।

इसके बाद करीब 1864 ईसवी में भारत के इस प्रसिद्ध बांके बिहारी जी का गोस्वामियों के योगदान से औपचारिक रुप से निर्माण किया गया था।

वहीं मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद गोस्वामियों जी ने भगवान की मूर्ति को मंदिर स्थानांतरित कर दिया। श्वामवर्ण छवि वाली यह मूर्ति जग में श्री बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

बांके बिहारी जी की इस सुंदर मूर्ति को मार्गशीर्ष, शुक्ला की पंचमी तिथि को निकाला गया था, वहीं इनकी अवतरित तिथि को यहां बिहार पंचमी के रुप में हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है।

बांके बिहारी जी के मंदिर से कई अन्य चमत्कारी एवं अद्भुत रहस्य और भी जुड़े हुए हैं

बांके बिहारी मंदिर से जुड़े अद्भुत एवं चमत्कारिक रहस्य – Banke Bihari Temple Miracles

कान्हा जी के होने का एहसास दिलाती है, बांके बिहारी जी की अलौकिक मूर्ति:

श्री कृष्ण नगरी मथुरा में स्थित बांके बिहारी मंदिर से कई मान्यताएं एवं रहस्य जुड़े हुए हैं।

इस मंदिर के बारे में यह सबसे प्रचलित है कि, भगवान श्री कृष्ण की इस अलौकिक मूर्ति को जो भी भक्त आंखों में आंखें डालकर ज्यादा समय तक देखता है, उसकी आंखों की रो्श्नी चली जाती है।

वहीं इससे अलग कुछ लोगों का यह भी मानना है कि श्यामवर्ण वाले बांके बिहारी जी की मूर्ति को देखे बिना यहां की यात्रा पूरी नहीं होती है।

आपको बता दें कि बांके बिहारी जी मंदिर में स्थित मूर्ति में आंखों में आज भी उतना ही तेज है, जो कि कान्हा के होने का एहसास करवाता है।

इकलौता ऐसा मंदिर जहां नहीं बजाए जाते घंटे:

मथुरा के बांके बिहारी मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां बिना घंटे बजाए ही आरती की जाती है और कान्हा जी को धीमे-धीमे एक छोटे बच्चे की तरह प्यार-दुलार कर उठाया जाता है, ताकि उनकी नींद में किसी तरह का खलल नहीं पड़े।

हर थोड़ी देर में मूर्ति को पर्दे से ढकने का रहस्य:

मथुरा में स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में बांके बिहारी जी की आलौकिक मूर्ति को थोड़ी-थोड़ी देर में पर्दे से ढक दिया जाता है।

ऐसा करने के पीछे यह कहा जाता है कि अगर कोई भक्त बांके बिहारी जी को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से उनको देखता है और उनके गुणगान करता है तो नटखट नंद किशोर अपने भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके साथ चल देते हैं।

इसलिए हर थोड़ी देर में इस मंदिर की मूर्ति को पर्दे से ढक दिया जाता है,ताकि वह अपने यह दिव्य स्थान छोड़कर कहीं और नहीं जाएं। देश के इस प्रतिष्ठित बांके बिहारी जी के मंदिर में पुजारियों का एक समूह दर्शन के समय लगातार मूर्ति के सामने लगे पर्दे को खींचता और गिराता रहता है।

इस तरह बांके बिहारी जी भक्तों को अपनी एक झलक दिखाकर फिर पर्दे में छिप जाते हैं और ऐसे में भक्त काफी इंतजार करने के बाद अपने प्रभु की क्षणिक भऱ ही दर्शन कर पाते हैं।

वहीं कई लोककथाओं के मुताबिक कई बार प्रभु श्री कृष्ण इस मंदिर से गायब भी हो चुके हैं, इसलिए यहां ये पर्देदारी की जाती है।

बांके बिहारी जी मंदिर में धूमधाम से मनाए जाने वाले उत्सव एवं हिंडोला:

मथुरा में स्थित भगवान श्री कृष्ण जी के बांके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी, होली का त्योहार, शरद ऋतु पूर्णिमा एवं अक्षय तृतीया का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दौरान भक्तजनों में काफी उत्साह रहता है। यहां जन्माष्टमी के दिन ही केवल मंगला आरती होती है, जिसके दर्शन भक्तजन को सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं।

जबकि अक्षय तृतीया के दिन भक्तजन इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों के दर्शन कर सकते हैं। वहीं होली के त्योहार के दौरान भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत मूर्ति को बाहर लाया जाता है।

इस दौरान पूरी गोकुल नगरी भगवान श्री कृष्ण की भक्तिरस में डूबी रहती है। इसके अलावा यहां निकलने वाली झूलन यात्रा को देखने भी दूर-दूर से लोग आते हैं।

झूलन यात्रा के दौरान ठाकुर जी को सोने के झूले पर विराजित किया जाता है, इसे हिंडोला कहा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि बांके बिहारी जी के आलौकिक मंदिर के दर्शन कर यहां आने वाला हर भक्त धन्य हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मथुरा-वृंदावन के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों और महानगरों से अच्छी यातायात सुविधा उपलब्ध हैं। सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों द्धारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।यहां सबसे निकटतम एयरपोर्ट आगरा और दिल्ली है।

और अधिक लेख:

  1. कामाख्या मंदिर का रोचक इतिहास
  2. खजुराहो मंदिर का रोचक इतिहास
  3. चूहों के अनोखे मंदिर का रोचक इतिहास

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लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के 10+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार

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Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

दोस्तों सरदार वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार / Quotes काफी प्रेरणादायक है। उनके हर सुविचार में एक उर्जा भरी रहती है। स्वतंत्रता के समय काफी क्रांतिकरी उन्हेसे प्रेरित होकर देश के लिए काम करते थे। और इसीलिए अंग्रेज भी उनके नाम से डरते थे। आज उसी महापुरुष के कुछ अनमोल विचार / Sardar Vallabhbhai Patel Thoughts In Hindi यह दे रहें है…

लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के 10+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Sardar Vallabhbhai Patel Quotes in Hindi

sardar vallabhbhai patel thoughts

“बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है। जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।”

sardar patel quotes in hindi

“आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये।”

sardar vallabhbhai patel quotes

“मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भूखा ना हो और अनाज के लिए किसी की आँख से आंसूसे न बहता हो।”

sardar vallabhbhai patel quotes in hindi

“इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद यहाँ हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”

loh purush sardar patel quotes in hindi

“अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।

sardar vallabhbhai patel thoughts in hindi

“यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत भी गवां दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।”

sardar vallabhbhai patel slogan in hindi

“शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य हैं।

sardar patel quotes

“एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।

sardar vallabhbhai patel slogan

“यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।

Hindi Quotes Collection:-

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सालासर बालाजी का चमत्कारिक मंदिर –यहां बालाजी को हैं दाढ़ी-मूंछ

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Salasar Balaji History in Hindi

राजस्थान के चुरु जिले के पास स्थित सालासर बालाजी का मंदिर, भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। सालासर बालाजी मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

यह मंदिर सुजानगढ़ से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर सालासर गांव में बना हुआ है। इस मंदिर में बालाजी अपने भव्य एवं आलौकिक स्वरुप के साथ सोने के सिंहासन पर विराजित हैं।

यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां दाढ़ी मूछों वाले हनुमान जी यानी बालाजी अपने विशाल स्वरुप में स्थापित हैं। आंध्रप्रदेश में स्थित तिरुपति बाला जी मंदिर के बाद सालासर में स्थित बालाजी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है।

राज्सथान के सालासर बालाजी जी के मंदिर में प्रतिष्ठित बाला जी  की प्रतिमा के प्रकट होने को लेकर कई आश्चर्यचकित एवं चमत्कारिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं। इस मंदिर में साल भर बाला जी के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

यहां चैत्र, आश्विन और भाद्रपद महीनों में शुक्लपक्ष की चतुदर्शी और पूर्णिमा को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं हनुमान जयंती पर सालासर की रौनक देखते ही बनती है।

इन मौकों पर यहां देश के कोने-कोने से भक्तजन बालाजी महाराज की एक झलक के दर्शन करने आते हैं। वहीं इस मंदिर के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि भारत के इस प्रसिद्ध बालाजी मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्धारा किया गया है, आइए जानते हैं सालासर बालाजीमंदिर के निर्माण, इतिहास एवं इससे जुड़ी चमत्कारिक कथाओं के बारे में-

सालासर बालाजी का चमत्कारिक मंदिर – यहां बालाजी को हैं दाढ़ी-मूंछ – Salasar Balaji History

Salasar Balaji

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास एवं पौरणिक कथा – Salasar Balaji Temple Story and Information

सिद्धपीठ बालाजी का उत्पत्ति और सालासर में स्थापित होने का इतिहास काफी चमत्कारिक और रोचक है।

ऐसा माना जाता है कि बालाजी महाराज ने अपने परम भक्त मोहनदास की उनके प्रति गहरी आस्था और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मूर्ति के रुप में प्रकट होने का वचन दिया था और इस वचन को पूरा करने के लिए नागौर जिले के आसोटा गांव में एक खेत में वे चमत्कारी रुप से प्रकट हुए थे।

इस मंदिर से जुड़ी रोचक कथा के मुताबिक 1754 ईसवी में असोटा गांव जब एक किसान अपने खेत में हल जोत रहा था, तभी उसके हल का निचला हिस्सा किसी पत्थर से टकराया।

जिसके बाद उसने जब उस पत्थर को निकाला, फिर किसान ने उस पत्थर को अपने अंगोछे से पोंछकर साफ किया तो उनसे देखा कि उस पर बालाजी भगवान की अद्भुत छवि बनी हुई है।

वहीं इसके बाद किसान की पत्नी ने काले पत्थर की उस प्रतिमा को एक पेड़ के पास स्थापित किया।

वहीं बाला जी के मूर्ति के प्रकट होने की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। वहीं आसोटा के ठाकुर चम्पावत भी इस बालाजी के चमत्कारी मूर्ति के दर्शन के लिए आए।

कथा के मुताबिक आसोटा के ठाकुर को भगवान हनुमान जी ने उसी रात सपने में दर्शन देकर उनकी इस प्रतिमा को सालासर पहुंचाने के लिए कहा था।

वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने दूसरे भक्त सालासर के महाराज मोहनदास को भी सपने में दर्शन देते हुए कहा कि जिस बैलगाड़ी से उनकी प्रतिमा को सालासर ले जाए, उस बैलगाड़ी को रोके नहीं और जहां बैलगाड़ी अपने आप रुक जाए, वहीं बाला जी की भव्य मूर्ति की स्थापना कर दी जाए।

वहीं सपने में मिले इन आदेशों के मुताबिक भगवान बालाजी जी के आलौकिक प्रतिमा को उनके वर्तमान स्थान पर धूमधाम से प्रतिष्ठित किया गया था।

सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण – Salasar Balaji Temple Architecture

सालासर बालाजी भगवान की चमत्कारिक प्रतिमा  1811 में श्रावण शुक्लपक्ष की नवमी को खेत में प्रकट हुई थी, जिसके बाद राजस्थान के चुरु जिले के सालासर में बालाजी के इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण करवाया दिया गया।

इस मंदिर के निर्माण में करीब 2 साल का समय लग गया था। सालासर मंदिर के बारे में दिलचस्प बात यह है कि इस विशाल मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्धारा किया गया है, जिसमें फतेहपुर से नूर मोहम्मद और दाऊ प्रमुख थे। आपको बता दें कि सालासर बालाजी मंदिर को सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है।

वहीं इस विख्यात मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन और दरवाजे चांदी से बनाए गए हैं। इस मंदिर के परिसर में एक बेहद प्राचीन कुंआ भी बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है, जो भी श्रद्धालु यहां स्नान करता है, उसे कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी का अद्भुत स्वरुप:

सालासर बालाजी धाम की प्रतिमा अपने अद्भुत और आलौकिक स्वरुप के लिए भी पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। यह अपने आप में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा विराजमान है, बाकी चेहरे पर राम आयु बढ़ाने वाले सिंदूर चढ़ा हुआ है। आपको बता दें कि बालाजी की यह आर्कषक एवं भव्य प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजित हैं।

इस मंदिर के ऊपरी हिस्से में श्री राम का दरबार  है, जबकि निचले हिस्से में भगवान श्री राम के कमल चरणों में बालाजी की प्रतिमा शोभायमान है। इस मंदिर की मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थऱ की बनी हुई है, जिसे गेरुए रंग से सुसज्जित किया गया है।

बालाजी भगवान की यह स्वरुप देखने में बेहद आर्कषक है। आपको बता दें कि सालासर भगवान जी की प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई है। इसके साथ ही इसमें सोने का बेहद सुंदर मुकुट चढ़ाया गया है। इस प्रतिमा पर स्वर्ण छत्र भी चढ़ाया गया है, यह स्वर्ण छत्र करीब 5 किलो सोने का बना हुआ है।

सालासर बालाजी भगवान को चढ़ता है खास भोग:

सालासर बालाजी मंदिर में  बाजरे के चूरमा का भोग लगाया जाता है, इसके पीछे यह मान्यता है कि जब बालाजी खेत में प्रकट हुए थे, तब किसान की पत्नी ने उन्हें सर्वप्रथम बाजरे के चूरमे का प्रसाद चढ़ाया था।

तब से यहां बालाजी को मेवा, मिष्ठान के साथ बाजरे के चूरमे का भोग लगाया जाता है।

सालासर बालाजी मंदिर में अखंड दीप है प्रज्वलित:

अपनी चमत्कारिक महिमा के लिए विख्यात इस आलौकिक बालाजी के मंदिर में कई सालों से एक अखंड दीपक प्रज्वलित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के प्रतिष्ठा के समय ही हनुमान जी के परम भक्त महंत मोहनदास जी ने इस चमत्कारी धुणी को जलाया था, जो कि तब से लेकर आज तक ज्यों की त्यों प्रज्जवलित है।

इसके साथ ही यहां मोहनदास जी का समाधिस्थल भी है, जिससे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वहीं शुरुआत में जाटी वृक्ष के पास यहां एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के नीचे बैठकर हनुमान भक्त मोहनदास जी बालाजी की पूजा करते थे। वहीं आज भक्तजन यहां नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं और धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

सालासर बाला जी मंदिर में लगने वाले मेला:

राजस्थान के चुरु जिले में स्थित सिद्धपीठ सालासर बालाजी भगवान के इस प्रसिद्ध मंदिर में हर साल चैत्र पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा और भाद्रपद महीने की पूर्णिमा को विशाल मेले लगते हैं।

इसके अलावा यहां हनुमान जयंती के मौके पर मेले का आयोजन किया जाता हैं। मेलों के मौके पर यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए यहां आते हैं।  आपको बता दें कि इन मेलों के दौरान यहां करीब 6 से 7 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

वहीं आमतौर पर यहां मंगलवार और शनिवार को भी भक्तों की काफी भीड़ रहती है। यहां मंगलवार के दिन राजभोग और मंगल आरती भी होती है।

सालासर में अंजनी माता का मंदिर:

पावन धाम सालासर में बालाजी के प्रसिद्ध मंदिर से थोड़ी दूरी पर अंजनी माता का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि बालाजी के अनुरोध पर अंजनी माता सालासर पर विराजमान हुईं। अंजनी माता के मंदिर में बालाजी भगवान अपनी माता अंजनी की गोद में बैठे हुए है।

पौराणिक कथा के मुताबिक ब्रह्राचारी हनुमान जी ने अपनी माता अंजनी से कहा कि वह स्त्री, संतान संबंधी तमाम परेशानी को लेकर आने वाले भक्तों की चिंता दूर करने में काफी कठिनाई महसूस करते हैं, जिसके बाद अंजनी माता सालासर आईं और यहां प्रतिष्ठित हो गईं।

हालांकि बालाजी और अंजनी माता मंदिर में एक साथ विराजित नहीं है, क्योंकि पहले किसकी पूजा होगी, इसको लेकर परेशानी हो सकती है। अंजनी माता के मंदिर से भी भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

 कैसे पहुंचे सालासर बालाजी धाम मंदिर – How To Reach Salasar Balaji Temple

राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी पावन धाम के दर्शन के लिए जाने वाले भक्त ट्रेन, बस एवं फ्लाइट आदि के माध्यम से यहां आसानी से पहुंच सकते है।

यहां से निकटतम एयरपोर्ट- संगानेर एयरपोर्ट है, जो कि सालासर से करीब करीब 138 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से टैक्सी और बस के माध्यम से सालासर बालाजी मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

वहीं ट्रेन से यहां पहुंचने वाले यात्रियों पहले तालछापर स्टेशन पर उतरना पड़ेगा। यह स्टेशन सालासर से सबसे नजदीक स्थित है, जिसकी सालासर से दूरी करीब 26 किलोमीटर है।

इसके अलावा यात्री सीकर या फिर लक्ष्मणनगर स्टेशन पर भी उतर सकते हैं। इसके बाद टैक्सी से यहां पहुंच सकते हैं। सालासर शहर, बस सुविधा से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

सालासर के लिए तमाम बसें चलती हैं, जिसके माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही आपको बता दें कि यहां आने वाले भक्तों के ठहरने के लिए भी अच्छे ट्रस्ट और धर्मशालाएं बनी हुई हैं। इसके साथ ही यहां खाने-पीने के लिए भी अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है।

सालासर बालाजी धाम मंदिर का समय – Salasar Balaji Temple Timings

गतिविधियाँ: मंदिर की दैनिक गतिविधियों में मुख्य रूप से निचे दी गयी गतिविधियाँ शामिल है।

  1. दिन में समय-समय पर भगवान की आरती करना।
  2. सवामनी की व्यवस्था।
  3. देवी-देवताओ की दैनिक पूजा।
  4. रामायण का जाप।
  5. कीर्तन और भजनों का जाप।
  6. ब्राह्मण और दुसरे भिक्षुको का भोज।
  7. हर मंगलवार को भजनकारो द्वारा सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।
  8. यात्रियों के रहने की व्यवस्था करना।

सालासर बालाजी धाम मंदिर में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार और मेले – Salasar Balaji Temple Festival

  • चैत्रशुक्ला चतुर्दशी और पूर्णिमा /श्री हनुमान जयंती
  • भाद्र शुक्ल चतुर्दर्शी और पूर्णिमा
  • अश्विन शुक्ल चतुर्दशीऔर पूर्णिमा

नोट: सालासर बालाजी के बारे में सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से ये लेख लिखा है। इस लेख में दिए बातोँ पर आप विश्वास करे या अंधविश्वास ये आपपर निर्भर करता है।

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जानिए अपनी पसंदीदा नौकरी कैसे ढूंढे…

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How to Find Your Dream Job

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वो जो नौकरी सिर्फ पैसा कमाने और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए करते हैं और वे इससे संतुष्ट रहते हैं क्योंकि वो लोग सोचते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभा रहे हैं।

लेकिन दूसरे वे लोग होते हैं जो काफी अच्छी नौकरी पाने के बाद भी संतुष्ट नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है शायद वो लोग ऐसा काम नहीं कर रहे हैं जिसे कर उन्हें खुशी मिलती है और उन्हें पॉजीटिव इनर्जी मिलती है। इसलिए ऐसे लोग अपने सपनों की नौकरी करने की कोशिश करते हैं।

साफ है कि, आजकल कॉम्पिटिशन इतना बढ़ गया है कि इस दौर में लोगों को नौकरी पाने के लिए ही इतना संघर्ष करना पड़ता है कि उन्हें जो नौकरी मिलती है उस दौरान वे उसी में संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन बाद में उन्हें इस बात का अफसोस होता है कि शायद ये उनकी ड्रीम जॉब नहीं है, जिसे वो लोग करना चाहते थे।

How to Find Your Dream Job
How to Find Your Dream Job

जानिए अपनी पसंदीदा नौकरी कैसे ढूंढे – How to Find Your Dream Job

वहीं अगर आपके मन में भी अपनी नौकरी को लेकर ऐसे कई सवाल उठते हैं और आप भी अपने काम से संतुष्ट नहीं हैं। लेकिन आपको उम्मीद है कि अगर आपकी किस्मत ने साथ दिया तो आप भी उस काम को कर सकते हैं। जो आप हमेशा से करना चाहते हैं। लेकिन इस काम को ढूंढ़ने के लिए और ऐसे मौकों की तलाश के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी होगी तभी आप अपनी मर्जी के मुताबिक नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि –

”ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपको प्ररित करें, और जो आपको कभी हार नहीं मानने दें ”

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि काम करते समय आप अपने पसंद की नौकरी कैसे ढूंढ सकते हैं। – How to Find a New Job while Employed, या वो काम कैसे कर सकते हैं जिसे कर आपको खुशी मिलती है और आप अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट रहते हैं आइए जानते हैं। –

  • खुद से पूछें कि आप किस काम में अच्छे हैं ? – What is Your Dream Job

अगर आप अपनी मनपसंद जॉब करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको खुद की स्किल्स का सही से पता होना चाहिए और आप किस काम में निपुण हैं इस बात को अच्छे से जानना चाहिए।

इसके साथ ही आपके लिए ये जानना भी बेहद आवश्यक है कि आपको कौन सा काम करने में बेहद खुशी मिलती है। लेकिन ये सब जानने के लिए अभी आपको उसी नौकरी पर गौर करने की जरूरत है जो आप पहले से कर रहे हैं, क्योंकि आप इसी नौकरी में रहकर अपनी स्किल्स की लिस्ट तैयार कर सकेंगे।

जिन कामों में आप कुशल हैं उनकी लिस्ट तैयार करने के बाद आप खुद से सवाल कीजिए कि आपको अपने किस काम को करने में सबसे ज्यादा मजा आता है और आप अच्छा महसूस करते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आपको अपनी नौकरी के दौरान ग्राहकों के साथ आपस में विचार-विमर्श करने पर अच्छा लगता है या फिर आप जब किसी समस्या का समाधान अपने दिमाग का इस्तेमाल कर रचनात्मक तरीके से करते हैं यानि कि क्रिएटिव कामों को कर आपको अच्छा महसूस होता है या फिर आपको तब अच्छा महसूस होता है जब आप समस्याओं का हल करने में अपनी एजुकेशन का इस्तेमाल करते हैं और डाटा वर्क करते हैं।

ये तो साफ है कि हम सभी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जॉब करते हैं, लेकिन फिर भी अपनी जॉब से संतुष्ट इसलिए नहीं होते क्योंकि जो काम हम हमेशा से करने की चाहत रखते हैं, उसे नहीं करते हैं।

लेकिन अगर आप अपनी नौकरी के दौरान इन चीजों पर गौर करेंगे तो निश्चित ही आपको इससे अपनी परफेक्ट जॉब ढूंढने – How to Find your Perfect Job में मद्द मिलेगी।

  • जिस काम से आपको खुशी मिलती है, उस पर गौर करें – Finding a Good Job

अगर आप भी अपनी मनपसंद जॉब करने की तलाश में हैं तो, इसके लिए जरूरत है कि आप उन चीजों पर गौर करें, जिससे आपको अपने खाली समय में करके खुशी मिलती हैं।

इसके साथ ही आप उन 10 चीजों की लिस्ट भी बनाएं, जिसे आप अपने खाली वक्त में करना पसंद करते हैं लेकिन इस लिस्ट में अपने घर के कामों को शामिल नहीं करें जैसे कि घर के सामान, किराने के सामान की खरीददारी आदी।

आप अपनी पसंदीदा चीजों के बारे में लिस्ट बनाएं। उदाहरण के लिए अगर आपको पढ़ना पसंद है, पार्क में जाना पसंद है और अपने दोस्तों से मिलना-जुलना पसंद है तो ऐसी चीजों को अपनी लिस्ट में शामिल करें या फिर अगर आपको पेंटिंग कर संतुष्टी मिलती है तो आप अपनी पसंदीदा लिस्ट में इसको भी शामिल कर सकते हैं।

इसके अलावा उन सभी चीजों को अपनी लिस्ट में शामिल कर सकते हैं, जिसे करने में आपको खुशी मिलती है। इससे आपको अपनी पसंदीदा नौकरी ढूंढने में मद्द मिलेगी।

वहीं जब आपको पता लग जाएगा कि आप किन चीजों को करने में सबसे ज्यादा खुशी महसूस करते हैं तो आप उसके अनुसार नौकरी ढूंढना शुरु कर देते हैं और इस तरह आप अपनी मनपसंद जॉब करने में कामयाब हो जाते हैं।

  • बाहरी लोगों की ज्यादा सलाह लेने से भी बचें

अगर आप ऐसी जॉब ढूंढ रहे हैं जो आपको संतुष्ट करे, यानि कि अपनी ड्रीम जॉब, तो इसके लिए जरूरी है कि आप इसके बारे में ज्यादा बाहरी लोगों की सलाह नहीं लें, क्योंकि लोगों के अलग-अलग सवाल आपको अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने से भटका सकते हैं या फिर आपको इस तरह सलाह भी मिल सकती है जिससे आपके अंदर अपनी मनपसंद जॉब को करने को लेकर नेगेटिव विचार आने लगते हैं।

फिलहाल ऐसे में जरूरत है कि आप बाहरी लोगों की सलाह से बचें तो बेहतर होगा। लेकिन आप अपनी करीबियों और हितैषी लोगों की सलाह ले सकते हैं। वो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

वहीं कई लोगों से अगर आप पूछेंगे तो आपके अंदर अपनी मनपसंद जॉब को लेकर संदेह पैदा हो सकता है और आप अपनी इच्छा अनुसार काम नहीं ढूंढ सकते हैं।

  • अपने जीवन के लक्ष्यों को जानें।

अगर आप अपनी पसंदीदा जॉब की तलाश में हैं तो इसके लिए आपको अपने जीवन के लक्ष्यों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि एक अच्छी जॉब वही होती है जो आपको अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने और आपकी लंबी वक्त से चल रही प्लानिंग को कामयाब करवाने में इसके साथ ही आपकी सभी जरूरतों को पूरा करने में आपकी मद्द करती है।

यह आपकी वित्तीय सुरक्षा भी हो सकती है, आपके काम का विस्तार कर सकती है या फिर किसी कंपनी में पार्टनर भी बना सकती है। इसलिए अपने जीवन के सभी लक्ष्यों के बारे में जाने और इस पर अच्छी तरह से आंकलन करे कि आपकी जॉब आपको अपने लक्ष्यों को पूरी करने में आपकी मद्द करेगी या नहीं।

  • निर्धारित करें कि आपकी कुशलता और योग्यता का उचित इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं।

जब भी आप कोई नौकरी करते हैं तो आप खुद से ये सवाल जरूर पूछें कि क्या आपकी शिक्षा, कार्य अनुभव और नौकरी कौशल का इस्तेमाल सही तरीके किया जा रहा है या नहीं।

अगर नहीं तो इस सभी चीजों को शामिल करने वाली नौकरी की ही तलाश करें ताकि आपकी क्षमताओं का इस्तेमाल सही तरीके से किया सके, वहीं जब आप किसी काम को करने में पूरी तरह सक्षम होतें हैं तो आपका अपनी नौकरी के प्रति आत्मविश्वास बढ़ेगा और काम करने में आनंद भी आएगा।

  • अपने सपनों की नौकरी को निर्धारित करें

अगर आप अपनी सपनों की नौकरी की तलाश में है, तो सबसे पहले इसे निर्धारित करने की जरूरत होगी। इसके लिए आपको इस पर गौर करने की जरूरत होगी कि पैसा,स्थान या फिर शिक्षा की सीमाओं के बाबजूद आपको अपने काम के लिए क्या करना पसंद है। इससे आपको अपनी पसंदीदा जॉब ढूंढने मद्द मिलेगी, जिसे करने का सपना आप बचपन से देख रहे थे।

  • करियर कोच से परामर्श लें – Your Free Career Test

अगर आप अपनी पंसदीदा नौकरी करने की तलाश में है तो आपको अपने करियर कोच से सलाह लेने की जरूरत भी होगी। करियर  कोच आपको अपनी सपनों की नौकरी दिलवाने में आपकी मद्द कर सकते हैं।

  • जिससे आपको ईर्ष्या है, इस पर जरूर ध्यान दें

ईर्ष्या एक बदसूरत भावना है, लेकिन यह सच भी बताती है। आप केवल उन लोगों से ईर्ष्या रखते हैं, जिसकी आपको चाहत होती है यानि कि जो चीज दूसरों के पास है और आपके पास नहीं है और आप उस चीज को हासिल करना चाहते हैं।

इस ईर्ष्या की भावना से भी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर आपको कौन सी चीज सबसे ज्यादा पसंद है और आप क्या करना चाहते हैं।

  • खुद से पूछें कि जब आप बच्चे थे, तो आपको सबसे ज्यादा क्या करना पसंद था ?

अगर आप चाहते हैं कि आप भी अपनी पसंदीदा जॉब करें तो इसके लिए आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि आपको सबसे ज्यादा कौन सी चीज करने में खुशी मिलती है या फिर कौन सा काम आपको ज्यादा प्रभावित करता है।

वहीं जब आप बच्चे थे, तो आप इस सवाल का जवाब कैसे देते थे कि आप क्या बनना चाहते हैं? इससे भी आपको ये पता करने में आसानी होगी कि आप क्या करना चाहते हैं और फिर आप उस नौकरी कर कर सकेंगे जिसे आप हमेशा से करना चाहते थे और जिसे पाना आपके लिए एक सपना था।

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एक अनोखा स्टार्टअप –गधे के दूध से शुरू किया बिज़नेस!

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Founder of OrganiKo Pooja Kaul

दोस्तों, आपने कई तरीके के स्टार्टअप सुने होंगे कई सारे Business IDEAS सुनी होंगी। पर आज जो आप इस आर्टिकल में पढोंगे ऐसा आपने ना कभी सुना होंगा और ना कभी देखा होंगा।

हम जीवन में गधों को कोई महत्व नहीं देते है और उस शख्स को गधे की संज्ञा दी जाती है जो कोई काम नहीं करता है। यानी की गधा हमारे लिए यूजलेस और नाकारा है लेकिन ये हमारे और आपके लिए हो सकता है, पूजा कौल के लिए नहीं।

पूजा कौल ने गधो का महत्व समझ और ये जाना की उनका दूध बहुत अधिक फायदेमंद होता है। उन्होंने इस क्षेत्र में जानकारी जुटाई और खोल दिया खुद का स्टार्टअप और उसे नाम दिया “आर्गेनिको”। ये स्टार्टअप गधे के दूध से ब्यूटी प्रोडक्ट बनाता है और बेचता है।

Founder of OrganiKo Pooja Kaul

सोलापुर महाराष्ट्र की पूजा कौल का एक अनोखा स्टार्टअप – Founder of OrganiKo Pooja Kaul

ये अनोखा आईडिया आया पूजा कौल को, जो सोलापुर महाराष्ट्र राज्य के रहने वाली है। पूजा ने जब अपनी पढ़ाई पूरी की तो उसके बाद उन्हें घर में ही रहने का मन हुआ। इसके लिए उनके पास दो आप्शन थे की एक तो वो सरकारी नौकरी करे या फिर अपने सपनो की तरफ भागे।

पूजा ने खुद का बिजनस करने का विचार किया और इस क्षेत्र में रिसर्च किया। उन्हें पता चला की मिस्र की रानी बहुत सुंदर थी और इसकी वजह थी वो गधे के दूध का इस्तेमाल करती थी। यही से पूजा को यह Business Idea आया और उन्होंने अपने स्टार्टअप को नाम दे दिया “ओर्गैनिको”। इस स्टार्टअप का दावा है की वो शत-प्रतिशत शुद्ध चीजे बेच रहे है।

गधे की दूध के फ़ायदे – Donkey Milk Benefits

पूजा ने कहा की “उन्होंने जब रिसर्च किया तो पता चल की गधे के दूध में विटामिन सी, ए, बी और ओमेगा 3 जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते है और ये सभी तत्व त्वचा को कोमल और सुंदर बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। चेहरे पर आने वाले दागो को भी दूर करने में सहायक है।

कैसे होता है काम –

पूजा ने उन किसानो से संर्पक किया जो गधे का पालन करते थे और उनका दूध निकालते थे। इसकी कीमत लगभग तीन हजार रुपये प्रति लीटर होती है। पूजा ने किसानो से बात की और दो हजार रुपये लीटर के हिसाब से दूध खरीदना चालू किया और इसके बाद उससे ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत की।

पूजा इस दूध से तैयार किया गया साबुन, चारकोल और हनी सोप बेचती है। वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको को आजमाती है और दोनों से लगभग उनके पास ग्राहक आते है। पूजा ने कहा की उनका टारगेट 25 से 50 साल के उम्र तक की महिलाएं है। वो महिलाये जो की खुद को सुंदर बनाने के लिए बहुत पैसा खर्च करती है लेकिन सही उत्पाद नहीं मिल पाता है।

पूजा ने कहा की शुरुआत में उन्होंने उन किसानो से सम्पर्क किया जो गधे पालते थे और उन्हें ऐसे लगभग दस किसान मिले और फिर पूजा उनसे दूध लेना शुरू किया। दरअसल उनका कहना है की वो एक गधे का दूध रोज नहीं निकलवाती है। इससे गधा कमजोर होने लगता है और कही ना कही उसके बच्चो को भी बराबर पोषण नहीं मिल पाता है।

पूजा का कहना है की वो आगामी साल तक ये प्लान बना रही है की लगभग सौ गधा पालक किसानो के साथ उनका व्यवसाय चले और वो आर्गेनिक के क्षेत्र में कुछ बड़ा करे। बाकी भी ऐसे उत्पाद है जिन्हें गधे के दूध से बनाया जा सकता है।

नहीं था आसान-

पूजा ने कहा की ये आसान नहीं था क्योकि एक महिला होने के नाते ऐसा करना समाज को सही नहीं लगता है। शुरू शुरू में जब वो सुबह दूध लेने जाती थी तो उन्हें खुद बहुत असुरक्षित महसूस होता था।

पूजा कहती है की वो अगर पुरुष होती तो उन्हें ये डर नहीं होता। लेकिन बाद में धीरे धीरे डर निकलने लगा और वो आगे बढती चली गई। जब वो अपना आईडिया किसी की बताती थी तो लोग हसते थे लेकिन बाद में इसके फायदे बताने पर हर कोई उनके साथ हो लेता था। पूजा के साथ उनके क्लासमेट ऋषभ यश तोमर भी है।

पूजा ने कहा की छोटे शहरो में उद्यमियों की बढ़ावा दिया जाना चहिये क्योकि कही ना कही सकारात्मक सन्देश जाता है। आज पूजा बहुत खुश है और उन्हें तरक्की भी मिल रही है। पूजा को कई सारे सम्मान भी मिले है। यहाँ से मिलने वाली राशि को भी पूजा अपने इसी काम में लगा देती है और इसे आगे ले जाने की कोशिश करती है।

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अन्ना हजारे के अनमोल विचार | Anna Hajare Quotes In Hindi

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Anna Hajare Quotes In Hindi

अन्ना हजारे जी ने देश में जो भ्रष्टाचार के खिलाफ क्रांति लायी है वो नयी पीढ़ी को एक सशक्त भारत बनाने के लिए प्रेरणादायक है, उन्होंने देश में जो आंदोलन किया वो स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ जो भ्रष्टाचार के खिलाफ था, अन्ना हजारे को लोग आज के महात्मा गांधी मानते है।

और उनसे बहुत जादा प्रभावित है, ऊनके भाषण बहुत जादा ऊर्जावान है, यहा अन्ना हजारे / Anna Hajare के अनके भाषणों में से कुछ अनमोल वचन आपके लिए प्रस्तुत कर रहें है।

अन्ना हजारे के अनमोल विचार – Anna Hajare Quotes In Hindi

Anna Hazare Quotes

“वही लूट, वही भ्रष्टाचार, वही उपद्रवता अभी भी मौजूद है।

“देश को वास्तविक स्वतंत्रता आज़ादी के 65 साल बाद भी नहीं मिली और केवल एक बदलाव आया गोरों गये और काले आये।”

“इस सरकार में एक प्रभावी लोकपाल लाने की इच्छा नहीं है।

Anna Hazare Quotes on Corruption

“मेरी मांगें बदलेंगी नहीं। आप मेरा सर काट सकते हैं लेकिन मुझे सर झुकाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।

मेरा वज़न साढ़े पांच किलो कम हुआ है, कुछ ज्यादा नही, मैं ठीक हूँ।

“देश को वास्तविक स्वतंत्रता आजादी के 64 साल बाद भी नहीं मिली और केवल एक बदलाव आया गोरों की जगह काले आ गए।

Quotes by Anna Hazare in Hindi

“मैं इस देश के लोगों से अनुरोध करता हूँ कि इस क्रांति को जारी रखें। अगर मैं ना रहूँ तो भी लोगों को संघर्ष जारी रखना चाहिए।

लोकपाल के बाद, हमें किसानो के अधिकार के लिए लड़ना होगा, एक ऐसा क़ानून लाना होगा जो सुनिश्चित करे कि भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभाओं की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

“हमें कैमरे से दूर रहना चाहिये, केवल तभी हम देश के लिये कुछ कर पायेंगे… वो जो हर समय मिडिया की चकाचौंध में रहना चाहते हैं वो कभी देश के लिये कुछ भी नहीं कर सकते।

Anna Hazare Thoughts GIF

“खजाने को चोरों से नहीं पहरेदारों से धोखा है। देश को सिर्फ दुश्मनों से नहीं, इन गद्दारों से धोखा है।

सरकार जमीन कम्पनियों को दे रही जो मजदूरों को लगाती है और उनका खून चूसती है। वे मजदूरों से कहती है तुम उत्पादन सुनिश्चित करो नहीं तो तुम जॉब खो दोगे।

“मेरी मांगें नहीं बदलेंगी। आप मेरा सर काट सकते हैं लेकिन मुझे सर झुकाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।

Anna Hazare thoughts In Hindi

“जो अपने लिए जीते हैं वो मर जाते हैं, जो समाज के लिए मरते हैं वो जिंदा रहते हैं।

मैं इस देश के युवाओं से कहना चाहता हूँ कि यह लड़ाई लोकपाल के साथ ख़तम नही होनी चाहिए। हमें मौजूदा चुनावी सुधारों में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए लड़ना है। क्योंकि चुनाव प्रणाली में दोष के कारण 150 अपराधी संसद तक पहुच चुके हैं।

“क्या यह लोकतंत्र है? सभी एक साथ पैसा बनाने आये हैं। मैं खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा अगर मैं अपने समाज, अपने देशवासियों के लिए मरता हूँ।

Anna Hazare Quotes In Hindi Language

“मुझे मेरे देश पर पूरा भरोसा है। इस सरकार ने देश को लूटा है,  हम अब शांति से तभी बैठेंगे जब देश से भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा।

मैं इस देश के लोगों से अनुरोध करता हूँ कि इस क्रांति को जारी रखें। मैं ना हूँ तो भी लोगों को संघर्ष जारी  रखना चाहिए।

Quotes by Anna Hazare

“मैं चिंतित हूँ कि कुछ असंवेदनशील लोगों द्वारा शाशित इस देश का क्या होगा। लेकिन हम उन्हें जनशक्ति द्वारा  बदल सकते हैं।

सरकार का पैसा लोगो का पैसा है। लोगों के भले के लिए प्रभावी नीतियां बनाएं।

Quotes by Anna Hazare in Hindi Language

“मैं नहीं कहता कि पूरा भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा, लेकिन कम से कम यह 40-50 प्रतिशत घट जायेगा… गरीब को फायदा होगा।

मेरा वजन साढ़े पांच किलो कम हुआ है,  कुछ ज्यादा नही,  मैं ठीक हूँ।

Anna Hazare Quotes on Life

“स्वतंत्रता के लिए लाखों लोगों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों के कारण हमें सही स्वतंत्रता नहीं मिली।

लोकपाल के बाद, हमें किसानो के अधिकार के लिए लड़ना होगा, एक ऐसा क़ानून लाना होगा जो सुनिश्चि करे कि भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभाओं की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

जरुर पढ़े:

Note: अगर आपके पास अन्ना हजारे के अच्छे नए विचार हैं तो जरुर कमेन्ट के मध्यम से भजे अच्छे लगने पर हम उस Anna Hajare Quotes In Hindi इस लेख में शामिल करेगे।
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सबसे पवित्र नदी “गंगा”मैया का इतिहास

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Ganga River History

गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है जिससे करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नदी एवं भारत की चार सबसे लंबी नदियो में से एक है, जो कि भारत और बांग्लादेश में मिलकर करीब 2510 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

यह नदी उत्तराखंड से शुरु होकर अंत में बंगाल की खा़ड़ी में जाकर मिलती है। देश की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक गंगा नदी दुनिया के सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर बहती है।

भारत की इस सबसे पवित्र गंगा नदी का उद्दगम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री हिमनद से हुआ है। गंगोत्री, हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, यहां गंगा जी को समर्पित एक अन्य मंदिर भी बना हुआ है।

आपको बता दें कि यह पूजनीय नदी गंगा हिमालय से यमुना, कोसी, गंडक और घाघरा जैसी कई नदियों से जुड़ती है। ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी के पानी में बैक्टीरिया से लड़ने से खास शक्ति होती है, इसका पानी महीनों रखे रहने के बाद भी कभी खराब नहीं होता है।

इसलिए हिन्दू धर्म में किसी भी पवित्र काम में गंगा नदी के पानी को गंगाजल के रुप में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा इसे स्वर्ग की नदी माना जाता है।

इस नदी का धार्मिक, पौराणिक, आर्थिक एवं ऐतिहासिक महत्व भी है, तो आइए जानते हैं, गंगा नदी के उद्भव, इतिहास, विकास एवं इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे –

सबसे पवित्र नदी “गंगा” मैया का इतिहास – Ganga River History In Hindi

Ganga River History

गंगा नदी के बारे में एक नजर में – Ganga River Information

  • देश – नेपाल, भारत, बांग्लादेश
  • राज्य – उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल।
  • मुख्य शहर – हरिद्वार, मुरादाबाद, रामपुर, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, राजशाही।
  • लम्बाई (Ganga Nadi Ki Lambai) – 2,510 km
  • उद्गम स्थल (Ganga Nadi Ka Udgam Sthal) – गंगोत्री, उत्तराखंड
  • सहायक नदियां (Ganga Nadi Ki Sahayak Nadiya) – यमुना, महाकाली, करनाली, घाघरा, कोसी, गंडक, महानंदा, गंडक
  • मान्यताएं – पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। गंगा को देवी के रूप में पूजा जाता है।

गंगा नदी का इतिहास एवं उद्गम – Ganga Nadi Ka Udgam, Ganga Nadi Ki Jankari

उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड कही जाने वाले भारत की सबसे पवित्र गंगा नदी ऐतिहासिक रुप से भी काफी महत्वपूर्ण है। जिसका महत्व हिन्दू शास्त्रों, वेदों और पुराणों में भी बताया गया है।

ऐसा कहा जाता है कि जब हड़प्पा सभ्यता को भारतीय सभ्यता का दर्जा प्राप्त हुआ था, उसी दौरान इंडस नदी के तट, गंगा नदी के तट पर धीमे-धीमे शिफ्ट होने लगे थे।

वहीं इतिहास में मौर्य सम्राज्य से लेकर मुगल साम्राज्य तक गंगा नदीं का मैदान ही राज्य की सबसे शक्तिशाली और प्रमुख स्थानों में से एक बन चुका था।

भारत देश के आजाद होने के करीब 5 साल बाद जब भारत ने फरक्का बैरेज बनाने की घोषण की थी, उस दौरान भारत और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के मध्य इस पवित्र नदीं के पवित्र जल के साझाकरण को लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया था। फिर इसके बाद वास्तविक बैरेज को गंगा से भागीरथी में मोड़ दिया गया था।

विवाद के बाद करीब 300 से 450 M3/S पानी पूर्वी पाकिस्तान के लिए छोड़ दिया गया और फिर बांग्लादेश के साथ संधि कर समझौता कर लिया गया।

जिसके तहत अगर फरक्का में पानी का बहाव 200 क्यूविक मीटर पर सेकंड रहा तो भारत अथवा बांग्लादेश दोनों को आधा-आधा पानी मिलेगा, जिसमें प्रत्येक देश हर 10 दिन के बाद करीबन 1000 क्यूविक मीटर पर सेकंड पानी ले सकता है, लेकिन इस समझौते के बाद भी दोनों देशों के बीच हुए पानी का बंटबारा लगभग नामुमकिन लग रहा था।

इसके बाद साल 1997 में बांग्लादेश में गंगा नदी में पानी का बहाव सबसे निचले स्तर पर जाकर करीब 180 M3/S (क्यूविक मीटर पर सेकंड) हो गया, हालांकि इस बैरेज के चलते बांग्लादेश को पानी का इस्तेमाल करने में काफी सहूलियत हो गई थी।

गंगा नदी की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा – Ganga River Story

राजा बलि से जुड़ी गंगा मैया के उद्भव की कथा:

राजा बलि एक बेहद पराक्रमी, समृद्ध और असुर राजा था, वह भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न कर पृथ्वी लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था, एवं इतनी अधिक शक्ति प्राप्त कर ली थी कि  वह खुद को भगवान समझने लगा था।

यही नहीं राजा बलि ने एक बार अपने अहंकार के आवेश में आकर इंद्र देव को भी ललकारा था, जिसके बाद इंद्र देव ने स्वर्ग लोक पर खतरा मंडराते देख विष्णु जी से मद्द मांगने गए थे, तब विष्णु जी ने वामन ब्राह्मण का रुप धारण किया था।

उस दौरान महाशक्तिशाली राजा बलि अपने राज्य की सुख-समृद्धि के लिए अश्वमेघ यज्ञ कर रहा था, जिसमें उनसे सभी ब्राह्मणों को भोज करवाया था और दान-दीक्षा दी थी।

असुर राजा बलि महाशक्तिशाली होने के साथ-साथ एक दानी राजा था, तभी भगवान विष्णु एक वामन ब्राह्मण के वेश मे राजा बलि के पास पहुंचे और उससे दान मांगा, हालांकि राजा बलि को इस बात का भलिभांति आभास हो गया था कि भगवान विष्णु वामन के वेष में उनके द्दार पर आए हैं, और वह किसी भी ब्राह्मण को खाली हाथ नहीं जाने देता था।

जिसके बाद उसने ब्राह्मण से दान मांगने को कहा, तब भगवान विष्णु ने अपने वामन ब्राह्मण अवतार में राजा बलि से तीन कदम जमीन दान के रुप में मांगी थी, जिसके बाद राजा बलि तैयार हो गए।

वहीं कथा के अनुसार जब वामन ब्राह्मण में अपना पहला पग जमीन पर रखा था उनका पैरा इतना विशाल हो गया कि उन्होंने पूरा पृथ्वीलोक ही नाप लिया, अपने दूसरे पग में उन्होंने पूरा आकाश नाप लिया।

इसके बाद वामन ब्राह्मण ने राजा बलि से पूछा कि वे अपना तीसरा पग कहां रखें, तब राजा बलि ने कहा कि प्रभु अब मेरे पास देने के लिए मेरे सिवाय कुछ भी नहीं है, इसलिए उसने वामन ब्रह्राण के तीसरे पग को अपने ही ऊपर रखने के लिए कहा, जिसके बाद राजा बलि जमीन के अंदर पाताल लोक में समा गया, जहां पर असुरों का शासन था।

इस पौराणिक कथा के मुताबिक यह मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने अपने दूसरे पग को आकाश नापने के लिए उठाया था, उस समय ब्रह्रा जी ने आकाश में उनके पैर धुलाए  और विशाल पांव  धोकर उनका यह जल एक कमंडल में इकट्ठा कर लिया और इसी जल को गंगा का नाम दिया गया, इसलिए गंगा जी को ब्रह्रा जी की पुत्री कहकर भी संबोधित किया जाता है।

धरती पर कैसें आई गंगा मैया, राजा सागर से जुड़ी पौराणिक कथा:

प्राचीन समय में भारत  में कई शक्तिशाली और प्रतापी राजाओं ने जन्म लिया था, उन्हीं में से एक थे राजा सागर जिन्होंने अपने सम्राज्य के विस्तार और इसे शक्तिशाली बनाने के लिए अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन कर अश्वमेघ का घोड़ा छोड़ दिया था।

जिसके चलते इंद्र देवता को यह चिंता सताने लगी थी कि अगर अश्वमेघ का घोड़ा स्वर्ग से गुजर गया तो, राजा सागर का स्वर्ग लोक पर कब्जा हो जाएगा और महाशक्तिशाली शासक राजा सागर से युद्ध कर पाना उनके लिए असंभव हो जाएगा।

दरअसल, इस यज्ञ में छोड़ा गया घोड़ा जिस राज्य से गुजर जाता था। वह राज्य उस राजा का हो जाता था। जिसके भय से इंद्र भगवान वेष बदलकर गए और राजा सागर के इस घोड़े को चुपचाप कपिल मुनि के आश्रम में उस समय बांध दिया जब वे गहरा ध्यान कर रहे थे।

वहीं जब अश्वमेघ घोड़े को पकड़े जाने की खबर राजा सागर को मिली तब वह भारी क्रोध में भर आए और उन्होंने गुस्से में आकर अपने साठ हजार पुत्रों को घोड़ी की खोज करने के लिए भेज दिया। इसके बाद उनके पुत्रों को कपिल मुनि के आश्रम में वह घोड़ा मिला।

जिसके बाद उनके पुत्रों ने यह मानते हुए कि कपिल मुनि ने ही उनका घोड़ा चुराया है, वे सभी कपिल मुनि से युद्ध करने के लिए आश्रम में घुस गए।

वहीं ध्यान कर रहे कपिल मुनि ने आश्रम में शोरगोल सुनकर अपनी आंख खोली और देखा कि राजा के सभी पुत्र उन पर घोड़े को चुराने का झूठा इल्जाम लगा रहे हैं, तो गुस्से से आग बबूला हो गए हुए और उन्होंने क्रोध में आकर राजा सागर के सभी साठ हजार पुत्रों को अग्नि में भस्म कर दिया।

जिसके बाद राजा सागर के सभी पुत्र प्रेत योनि में भटकने लगे, क्योंकि बिना अंतिम संस्कार किए ही राख में बदल जाने के कारण राजा सागर के पुत्रों को मुक्ति नहीं मिल पा रही थी।

वहीं कई पीढ़ियों के बाद राजा सागर के कुल में जन्मे राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की।

जिसके बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर  भागीरथ को स्वर्ग में रहने वाली गंगा को धरती पर उतारने का उनका वचन पूरा किया। माता गंगा बेहद शक्तिशाली और कठोर स्वभाव की थी, वे धरती पर उतरने के लिए इस शर्त पर राजी हुईं कि वे अपने अति तीव्र वेग से धरती पर उतरेंगी और रास्ते में आने वाली सभी चीजों को बहा देंगी।

गंगा के इस शर्त से भयवीत होकर भगवान विष्णु ने शंकर भगवान से यह प्रार्थना की कि वह गंगा को अपना जटाओं में बांधकर उसे अपने वश में  करें, नहीं तो यह धरती नष्ट हो जाएगी।

इसके बाद भगवान शंकर ने प्रार्थना स्वीकार करते हुए गंगा को अपनी जटाओं में बांधा और अपनी जटा से पतली धार के रुप में गंगा को धरती पर जाने दिया। इस तरह गंगा धरती पर प्रकट हुईं, गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है।

इन पौराणिक कथाओं और मान्यताओं की वजह से आज गंगा नदी से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। गंगा नदी में लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं, ऐसा मानना है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पापों का विनाश होता है।

गंगा नदी से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य – Fact About Ganga River

  • हिन्दू धर्म की पूजनीय नदी गंगा की प्रमुख शाखा भागीरथी है जो कि हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। यह नहीं यह भारत की राष्ट्रीय नदी भी है।
  • दुनिया की तीसरी सबसे लंबी और पवित्र नदी गंगा के इस उद्गम स्थल की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 3 हजार 140 मीटर है। यहां गंगा मैया को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है।
  • गुणों की खान गंगा नदी की सबसे खास बात यह है कि गंगा नदी का अन्य नदियों की तुलना में 25 फीसदी ऑक्सीजन का लेवल ज्यादा है।
  • धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाली गंगा नदी का उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के प्रयाग में यमुना नदी से संगम होता है। यह संगम स्थल हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है, जो कि तीर्थराज प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है।
  • भारत की इस सबसे महत्वपूर्ण नदी गंगा नदी के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि इस नदीं में मछलियों की करीब 375 मछली प्रजातियां उपलब्ध है।
  • हिन्दू शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक स्वर्ग में गंगा को मन्‍दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं।
  • समस्त संसार में सिर्फ गंगा नदी ही इकलौती ऐसी नदी है, जिसे माता के नाम से पुकारा जाता है।
  • वैज्ञानिक खोज से ये पता लगाया गया है कि पवित्र नदी गंगा के पानी में कुछे ऐसे जीवाणु हैं, जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, यही कारण है कि गंगा जी का पानी काफी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।
  • भारत की इस सबसे लंबी नदियों में से एक गंगा नदी के मुहाने पर बना सुन्दरबन डेल्‍टा दुनिया का सबसे बड़ा डेल्‍टा है।
  • पूजनीय और सबसे पवित्र गंगा नदी की खास बात यह है कि यह दुनिया की पांचवी सबसे प्रदूषित नदी है।

कुम्भ मेला – Kumbh Mela

कुम्भ मेला एक विशाल हिन्दू तीर्थयात्रा है, जिसमे सभी हिन्दू गंगा नदी के तट पर एकत्रित होते है। साधारण कुम्भ मेला हर 3 साल में एक बार आता है, अर्ध कुम्भ मेला हर छः साल में एक बार प्रयाग और हरिद्वार में मनाया जाता है और पूर्ण कुम्भ मेला हर 12 साल में एक बार चार जगहों (उज्जैन, नाशिक, और प्रयाग (अलाहाबाद), हरिद्वार, पर मनाया जाता है। महा कुम्भ मेला जो 12 या 144 साल में एक बार आता है, उसे अलाहाबाद में आयोजित किया जाता है।

गंगा नदी के तट पर बहुत से उत्सव और त्योहारों का आयोजन किया जाता है। जिसमे मुख्य रूप से धार्मिक गीतों के गायन से लेकर बहुत से औषधीय कैंप भी शामिल है। सभी तीर्थयात्राओ में कुम्भ मेले की तीर्थ यात्रा सबसे पवित्र मानी जाती है। देश के लाखो, करोडो लोग इस मेले का आनंद लेने आते है।

इस मेले में देश के कोने-कोने से सभी साधू भगवे वस्त्र धारण कर आते है और साथ ही नागा सन्यासी भी इस मेले में आते है। कहा जाता है की नागा साधू अपने शरीर पर किसी प्रकार का कोई भी वस्त्र धारण नही करते।

गंगा नदी हमारे देश की सबसे प्रवित्र नदी है। भारत में गंगा नदी को लोग गंगा माँ या गंगा मैया के नाम से भी जानते है। हमारे भारत देश में गंगा के प्रति लोगो के मन में बहुत श्रद्धा है, यहाँ के लोग गंगा को पूजते है।

भारत के लोग गंगा के जल को घर में जमा करके रखते है और पवित्र कार्यो में उसका उपयोग भी करते है। गंगा का जल इतना पवित्र होता है की इसे सालो तक रखने के बाद भी यह ख़राब नही होता।

हिन्दू मान्यताओ के अनुसार गंगा को स्वर्ग की नदी भी कहा गया है। लोगो का ऐसा मानना है की गंगा में स्नान करने से उनके सारे पाप धुल जाते है।

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नरेंद्र मोदीजी के सर्वश्रेष्ठ नारे

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Narendra Modi Slogans

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दुनिया के सामने अपनी छवि एक कर्मठ, ईमानदार और देश के प्रति समर्पित राजनेता के रुप में बनाई है। वे हमेशा कर्म करने पर भरोसा करते हैं और अपने शक्तिशाली और महान विचारों से लोगों को भी अच्छे कर्म करने और सच्चाई के राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

नरेन्द्र मोदी जी सदैव अपने विचारों के माध्यम से लोगों का हौसला बढ़ाया करते रहते, इसके साथ ही वे सभी को एकसाथ देश के विकास में काम करने के लिए भी प्रेरित करते रहते हैं। आज हम यहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कुछ जबरदस्त नारे पढेंगे जो हमें आगे बढ़ने में प्रेरणा देंगे।

नरेंद्र मोदीजी के सर्वश्रेष्ठ नारे – Narendra Modi Slogan in Hindi

Narendra Modi Slogans

“करोड़ों चाहने वालों का मेला है कौन कहता है मोदी अकेला है।

“हम वादे नहीं, इरादे लेकर आए है।”

Famous Quotes by Narendra Modi in Hindi

“कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती वह संतोष लाती हैं!

“हम बदले की नहीं बदलाव की सरकार लाये हैं।”

Narendra Modi Slogans in Hindi

“फर्क थोड़ा सा है तेरे और मेरे इश्क में, तू माशूक की खातिर रात भर जगता है और मुझे देश के हालात सोने नहीं देते।”

“वो लूट रहे हैं सपनों को, मैं चैन से कैसे सो जाऊं, वो बेच रहे भारत को, खामोश में कैसे हो जाऊं।”

Narendra Modi Thoughts in Hindi

“हमारे indian army की ताकत हमारे दुश्मन देश की ताकत से कई ज्यादा हैं।

Famous Quotes by Narendra Modi

“मेरे लिए लगन, श्रद्धा और निष्ठा से काम करना ही, सच्चा धर्म है।

Narendar Modi Quotes

“देश का गौरव होगा तो किसी को भी देश पर आंख उठाने की हिम्मत नहीं होगी।”

“डरते वह है जो अपनी छवि के लिए मरते हैं, मैं तो हिंदुस्तान की छवि के लिए मरता हूं, इसलिए किसी से नहीं डरता हूं।”

Sabka Saath Sabka Vikas

“सबका साथ सबका विकास यही हमारा मंत्र हैं।”

“हम में से हर किसी के अंदर अच्छे और बुरे दोनों गुण होते हैं जो अच्छो पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लेते हैं वह जीवन में सफल होते हैं।”

Slogans of Modi in Hindi

“वक्त कम है जितना दम है, लगा दो कुछ लोगों को मैं जगाता हूं, कुछ लोगों को तुम जगा दो।”

“जो निरंतर चलते रहते हैं वही बदले में मीठा फल पाते हैं सूरज की अटलता को गतिशील और लगातार करने वाला कभी ठहरता नहीं इसलिए बढ़ते चलो।”

Modi Slogans in Hindi

“एक बार यदि हमें ये निश्चित कर लिया की हमें कुछ करना है। तो हम मिलो तक आगे बढ़ सकते है।

“बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार।”

Quotes by Narendra Modi in Hindi

“मेरे पास अपने बाबा दादा की दौलत की नाही एक पाई हैं, और ना ही मुझे चाहिए, मेरे पास अगर कुछ हैं तो अपनी माँ का दिया आशीर्वाद!

Modi Slogans Gif

“कठिन परिश्रम कभी असफल नहीं होता। वह आपको संतुष्ट ही करता है।

Quotes by Narendra Modi

“अच्छे दिन हम पर निर्भर करते हैं।

Narendra Modi New Slogan

“यदि 125 करोड़ लोग एक साथ काम करे, तो भारत 125 करोड़ कदम आगे बढ़ जायेंगा।”

Modi Slogans

“माना की अँधेरा घना हैं लेकिन दिया जलाना कहा मना हैं!

Narendra Modi Thoughts

“यदि आपके पास एक बन्दुक हैं तो आप पूरी धरती को लाल बना सकते हैं लेकिन यदि आपके पास हल हैं तो आप पूरी धरती को हरा भरा कर सकते हैं।

Narendra Modi ka Nara

“क्यू ना हम गरीबी के विरुद्ध एक विजयी अभियान शुरू करे। आओ साथ मिलकर गरीबी हटाये।

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कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan

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Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान जी हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध भारतीय कवियित्री और प्रतिष्ठित लेखिका थी। जिन्होंने अपने लेखों का भावनात्मक प्रभाव लोगों पर छोड़ा था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से न सिर्फ लोगों के अंदर राष्ट्र प्रेम की भावना विकसित की थी, बल्कि महिलाओं के दर्द एवं समाज के कई ज्वलंतशील मुद्दों को भी काफी अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया था।

सुभद्रा कुमारी चौहान ने हिंदी के नौ रसो में से वीर रस के कविताओ की रचना की थी। उनकी कृति ”झांसी की रानी” पूरे हिन्दी साहित्य में लोगों द्धारा की सबसे चर्चित एवं सुनाई जाने वाली रचना है। आइए जानते हैं देश की महान कवियित्री एवं गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाली प्रथम सत्याग्राही महिला के बारे में-

कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान – Subhadra Kumari Chauhan

Subhadra Kumari Chauhan

सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन  के बारे में एक नजर में – Subhadra Kumari Chauhan Biography

नाम (Name) सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म (Birthday) 16 अगस्त, 1904, निहालपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम (Father Name) ठाकुर रामनाथ सिंह
पति (Husband Name) ठाकुर लक्ष्मण सिंह
संतान (Children Name)
  • सुधा चौहान
  • अजय चौहान
  • विजय चौहान
  • अशोक चौहानत
  • ममता चौहान
मृत्यु (Death) 15 फरवरी, 1948, जबलपुर, मध्यप्रदेश

सुभद्रा जी का शुरुआती जीवन एवं शिक्षा – Subhadra Kumari Chauhan Information In Hindi

हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध कवियित्री सुभद्राकुमारी जी 16 अगस्त, 1904 को नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के पास निहालपुर गांव में एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मीं थी।

उनके पिता रामनाथ सिंह जी ने शिक्षा को बढावा देने वाले एक सम्मानीय व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी सुभद्रा जी की शिक्षा दिलवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। सुभद्रा जी की शुरुआती शिक्षा उनके पिता के ही देखरेख में हुई थी।

सुभद्रा जी का करियर एवं साहित्यिक प्रेम – Subhadra Kumari Chauhan Career

सुभद्रा कुमारी जी शुरु से ही विलक्षण प्रतिभा वाली तेज महिला थी, जिनकी काव्य-ग्रंथों में बचपन से ही काफी रुचि थी। वे अपने स्कूल के दिनों से ही कविताएं लिखने को लेकर काफी प्रसिद्ध थी। जब वे महज 9 साल की थी तभी उनकी पहली कविता ”मर्यादा” प्रकाशित हुई थी, उन्होंने अपनी यह कविता नीम के पेड़ पर लिखी थी। हिन्दी साहित्य की महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी और सुभद्रा बचपन में बेहद अच्छी सहेलियां थी।

वहीं सुभद्रा जी की 9वीं क्लास के बाद पढ़ाई छूटने के बाद उनका विवाह खण्डवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह जी से हो गया था और फिर वे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने लगी थीं और शादी के बाद वे अपने पति के साथ महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए आंदोलन से जुड़ गईं थी, इस दौरान उनके अंदर राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित हुईं और फिर उन्होंने राष्ट्रप्रेम पर कई कविताएं लिखीं।

सुभद्रा जी की प्रमुख कृतियां एवं रचनाएं – Subhadra Kumari Chauhan Poems

सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने अपनी कविताओं और रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य में अपनी एक अलग जगह बनाई है। उन्होंने अपनी कविताओं और कहानी-संग्रहों में देश के युवाओं को  देश की आजादी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया है, उन्होंने अपनी प्रभावशाली कविताओं में आज़ादी के आंदोलन की काफी अच्छी व्याख्या की है।

उनका पहला काव्य-संग्रह ”मुकल” साल 1930 में प्रकाशित हुआ था, जो कि लोगों के बीच काफी लोकप्रिय भी था। इसके अलावा उनकी ”झांसी की रानी” हिन्दी साहित्य की काफी प्रासंगिक एवं पसंदीदा रचनाओं में से एक है। उनकी अन्य प्रसिद्ध कविताओं में ”विदा”, ”राखी की चुनौती” और ”वीरों का कैसा हो बसंत” शामिल हैं।

आपको बता दें कि सुभद्रा कुमारी चौहान जी की रचनाओं की सबसे खास बात यह है कि यह लोगों को आसानी से समझ में आ जाती है, उन्होंने अपनी रचनाओं में  हिन्दी की बेहद सरल और स्पष्ट खड़ी बोली का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, सुभद्रा कुमारी जी ने मातृत्व से प्रेरित होकर बच्चों के लिए भी कविताएं लिखी है।

यही नहीं सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्धारा मध्यवर्गीय भारतीयों की जीवन शैली के आधार पर लिखी गईं कई लघु कथाएं भी काफी प्रसिद्ध हुई हैं। महान कवियित्री सुभद्रा कुमारी जी की कहानियों में  देश-प्रेम के साथ-साथ महिलाओं का दर्द और तमाम सामाजिक मुद्दों का समावेश देखने को मिलता है। उन्होंने करीब 88 कविताओं औऱ 46 कहानियों की रचना की है। जिनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं-

कविता संग्रह:

  • मुकुल
  • त्रिधारा

कहानी संग्रह:

  • बिखरे मोती (1932)
  • उन्मादिनी (1934)
  • सीधे साधे चित्र (1947)

रचनाएं – Subhadra Kumari Chauhan Rachnaye

  • झांसी की रानी
  • अनोखा दान
  • यह कदम्ब का पेड़
  • आराधना।
  • वीरों का कैसा हो वसंत
  • ठुकरा दो या प्यार करो
  • मेरा नया बचपन
  • पानी और धूप
  • मधुमय प्याली
  • जलियाँवाला बाग में बसंत
  • साध
  • मुरझाया फूल
  • झिलमिल तारे
  • कोयल
  • कलह-कारण
  • मेरा जीवन
  • उल्लास
  • नीम
  • चलते समय
  • फूल के प्रति

पुरस्कार और सम्मान – Subhadra Kumari Chauhan Awards

सुभद्राकुमारी चौहान को उनके अद्भुत लेखन कौशल के लिए कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रसिद्ध रचना ‘बिखरे मोती’ और ”मुकुल”सम्मान के लिए उन्हें कई सम्मान दिए जा चुके हैं। भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल 2006 को सुभद्रा कुमारी चौहान जी के सम्मान में एक नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को उनका नाम दिया है।

इसके अलावा  6 अगस्त 1976 को भारतीय डाकतार विभाग ने सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक डाक-टिकट  भी जारी किया था। यही नहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर में नगरपालिका परिसर में सुभद्रा जी की एक मूर्ति भी लगाई गई है, जिसका अनावरण 27 नवंबर, 1949 को महान कवियित्री और सभुद्रा जी की करीबी महादेवी वर्मा ने किया था।

सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन – Subhadra Kumari Chauhan Death

अपनी कविताओं और लेखों से लोगों पर एक अलग प्रभाव छोड़ने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान जी देश की ऐसी पहली महिला थी, जिन्होंने स्वंत्रतता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था।

वहीं देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 15 फरवरी, साल 1948 को उनकी एक सड़क हादसे में उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। आज भी पूरा देश उनकी रचनाओं के लिए उन्हें याद करता है और सभी भारतवासियों के ह्रद्य में उनके लिए काफी सम्मान है।

सुभद्रा कुमारी चौहान का शहीद स्मारक – Subhadra Kumari Chauhan Smarak

Icgs (इंडियन कोस्ट गार्ड शिप) सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम को भारतीय तट रक्षक जहाज में शामिल किया गया है। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार ने जबलपुर के म्युनिसिपल कारपोरेशन ऑफिस के बाहर सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रतिमा भी स्थापित की है। 6 अगस्त 1976 को भारतीय पोस्ट ऑफिस में उन्हें सम्मान देते हुए उनके नाम का पोस्टेज स्टेम्प भी जारी किया गया। More Articles:

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