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भारत रत्न अवार्ड विजेताओं की जीवनी – Bharat Ratna award winners list biography Hindi

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Bharat Ratna award winners list

भारत में हर क्षेत्र में बहुत सारे talented लोग है जो अपने अपने काम में excellent काम कर रहे है। भारत सरकार द्वारा ऐसे लोगो को उनके काम के लिए नवाजा जाता है। ऐसे महान लोगो को उनके अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा विविध नागरी सम्मान या awards दिए जाते है।

Arts से लेके technology तक कोई भी क्षेत्र इससे वंचित नहीं है। भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरी पुरस्कार या Highest Civilian Award है – भारत रत्न पुरस्कार (Bharat Ratna award)

अपने क्षेत्र में महान और सर्वश्रेष्ठ काम करने वाले लोगो को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। भारत रत्न पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है। आप को भारत रत्न पुरस्कार की जानकारी ज्ञानी पण्डित पर मिल जाएगी।

आज हम आपको भारत रत्न पुरस्कार प्राप्त किये हुए लोगो के बारे में Information देंगे जिन्होंने अपने महान कार्य से इस पुरस्कार को हासिल किया है। ऐसे महान लोगो की Biography और History पढ़ने से आपको inspiration मिलेगा। भारत रत्न पुरस्कार आज तक जिन लोगों को मिल पाया हैं उनकी लिस्ट और जीवन परिचय दे रहे हैं।

Bharat Ratna award winners list
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भारत रत्न अवार्ड विजेताओं की जीवनी – Bharat Ratna Award Winners List

‘भारत रत्न’ पुरस्कार हमारे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान विज्ञान, साहित्य, खेल, कला, सार्वजनिक सेवा आदि क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है। देश के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की शुरुआत साल 1954 से हुई थी।

सबसे पहले यह सर्वोच्च सम्मान दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर देश का नेतृत्व कर चुके ड़ॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साल 1954 में दिया गया था। तब से लेकर आज तक अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाली तमाम हस्तियों को इस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

आज हम आपको अपने इस लेख में भारत सरकार के द्धारा दिए जाने वाले इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” पुरस्कार से नवाजे गए लोगों की सूची उपलब्ध करवाएंगे। आप भारत रत्न विजेताओं के नाम पर क्लिक कर उनके जीवन से जुड़ी खास बातें, उपलब्धियां एवं उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण कामों के बारे में जान सकेंगे।

इसके साथ ही इस लेख में हम भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं के नाम के आगे वेबसाइट लिंक भी डालेंगे, जिससे आप आसानी से देश की इन महान शख्सियत के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे, तो आइए जानते हैं देश के इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट के बारे में-

भारत रत्न पुरस्कार विजेता साल
1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन 1954
2. चक्रवती राजगोपालाचारी 1954
3. डॉ. सी. वी. रमन 1954
4. पंडित जवाहर लाल नेहरू  1955
5. डॉ. भगवान दास  1955
6. सर. डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या  1955
7. गोविंद बल्लभ पंत  1957
8. धोंडो केशव कर्वे 1958
9.डॉ. बिधान चन्द्र रॉय  1961
10.पुरुषोत्तम दास टंडन 1961
11. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 1962
12. डॉ. जाकिर हुसैन खान  1963
13. पांडुरंग वामन काणे  1963
14. लालबहादुर शास्त्री 1966
15. इंदिरा गांधी 1971
16. वी.वी.गिरी                                                1975
17. के. कामराज 1976
18. मदर टेरेसा 1980
19. आचार्य विनोबा भावे 1983
20. खान अब्दुल गफ्फार खान 1987
21. एम.जी. रामाचंद्रन 1988
22. नेल्सन  मंडेला 1990
23. बाबा साहेब अंबेडकर 1990
24. सरदार वल्लभभाई पटेल 1991
25. राजीव गांधी 1991
26. मोरारजी देसाई 1991
27. अबुल कलाम आजाद 1992
28. सत्यजीत राय 1992
29. जे.आर.डी. टाटा 1992
30. अरुणा आसफ अली 1997
31. गुलजारी लाल नंदा 1997
32. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 1997
33. डॉ. जयप्रकाश नारायण 1998
34. एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी 1998
35. चिदंबरम सुब्रममण्यम 1998
36. गोपीनाथ बोरदोलोई 1999
37. अमर्त्य सेन 1999
38. रवि शंकर 1999
39. लता मंगेशकर 2001
40. बिस्मिल्लाह खान 2001
41. भीमसेन जोशी 2008
42. सचिन तेंदुलकर 2014
43. सी.एन.आर.राव 2014
44. मदन मोहन मालवीय 2014
45. अटल बिहारी वाजपेयी 2015
46. नानाजी देशमुख 2019
37. भूपेन हजारिका 2019
37. प्रणब मुखर्जी 2019

 

1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन- (देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं दूसरे राष्ट्रपति)

पूरा नाम (Name) – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जन्म (Birthday) 5 सितंबर, 1888, तिरुमनी गांव, तमिलनाडु

पिता (Father Name) सर्वपल्ली वीरास्वामी

माता (Mother Name) सीताम्मा

विवाह (Wife Name)  सिवाकामू( 1904)

बच्चे (Childrens)            5 बेटे, 1 बेटी

शिक्षा (Education) एम.ए. दर्शनशास्त्र

पुरस्कार/सम्मान (Award)  देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ”भारत रत्न” से सम्मानित

मृत्यु (Death) – 17 अप्रैल, 1975, चेन्नई, तमिलनाडु

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं दूसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा था, हालांकि उन्होंने अपनी सूझबूझ और समझदारी के साथ इस पद की जिम्मेदारी कुशलतापूर्वक निभाई।

वे एक अच्छे राजनेता होने के साथ-साथ एक महान शिक्षक, प्रख्यात दार्शनिक एवं प्रसिद्ध विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन के करीब 40 सालों तक एक शिक्षक के रुप में अपनी सेवाएं दी। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लोगों को न सिर्फ शिक्षकों के महत्व को बताया बल्कि समाज में शिक्षकों को एक उचित दर्जा दिलवाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसलिए 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

राधाकृष्णन जी देश के ऐसे पहले शख्सियत थे, जिन्हें शिक्षा (Education) और राजनीति के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 1954 पहली बार देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से नवाजा गया था।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर ले सकते हैं : डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

2. चक्रवती राजगोपालाचारी

पूरा नाम (Name) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (राजाजी)

जन्म (Birthday) 10 दिसंबर, 1878, सेलम जिला, धोरापल्ली गांव, मद्रास

पिता (Father Name)  श्री नलिन चक्रवर्ती (न्यायाधीश)

शिक्षा (Education) वकालत की पढ़ाई

पुरस्कार/सम्मान (Award) भारत रत्न

मृत्यु (Death) 28 दिसम्बर, 1972

चक्रवती राजगोपालाचारी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए काम किया था। चक्रवती राजगोपालाचारी जी ने अपनी उत्तम विवेकशीलता के चलते भारतीय राजनीति में भी एक नया आयाम स्थापित किया था। वे एक अच्छे राजनेता होने के साथ-साथ एक प्रख्यात दार्शनिक, महान लेखक, गंभीर वकील भी थे।

देश के अंतिम गर्वनर माउंटबेटन के बाद चक्रवती राजगोपालाचारी जी भारत के प्रथम गर्वनर जनरल भी थे। उन्होंने न सिर्फ ”स्वतंत्रता पार्टी” की स्थापना की थी। ”राजाजी” के नाम से प्रसिद्ध चक्रवती राजगोपालाचारी जी पश्चिचम बंगाल के राज्यपाल, भारत के गृह मंत्री, मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री, मद्रास प्रेसीडेंसी के प्रमुख  जैसे अहम पदों पर रहते हुए भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

राजगोपालाचारी जी को आधुनिक भारत के इतिहास का ”चाणक्य” भी माना जाता है। देश के हित के लिए उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण कामों के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया जा चुका है।

3- चन्द्रशेखर वेंकटरमन (सी.वी.रमन)

पूरा नाम (Name) सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सी.वी. रमन)

जन्म (Birthday) 7 नवंबर, 1888, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु

पिता का नाम (Father Name)              चंद्रशेखर अय्यर

माता (Mother Name) पार्वती अम्मल

विवाह (Wife Name)                    त्रिलोकसुंदरी

पढ़ाई (Education)              एम.एस.सी

मृत्यु (Death)      21 नवम्बर, 1970, बैंगलोर

पुरस्कार/सम्मान (Award)      प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज के लिए

नोबेल पुरस्कार एवं देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

सी.वी. रमन को भारत में विज्ञान के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है। वे आधुनिक भारत के महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने विज्ञान की दुनिया में कई प्रभावशाली एवं अद्भुत खोज की। वे एक महान भौतिक शास्त्री  भी थे।

विज्ञान के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण खोज ”प्रकाश के प्रकीर्णन” एवं ”रमन इफेक्ट” ((Raman effect) के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भारत को विज्ञान के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलवाने के लिए उन्हें साल 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से भी नवाजा गया था।

सीवी रमन के बारे में आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं: सीवी रमन की जीवनी

4. पंडित जवाहरलाल नेहरू-

पूरा नाम (Name)  पंडित जवाहरलाल नेहरू

जन्म (Birthday)  14 नवंबर,  1889, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश

पिता (Father Name)      मोतीलाल नेहरू

माता (Mother Name) स्वरुपरानी नेहरू

पत्नी (Wife Name)  कमला नेहरू

बेटी (Daughter Name)  इंदिरा गांधी

पुरस्कार/सम्मान (Award)  देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान”भारत रत्न” (1955)

मृत्यु (Death)               27 मई, 1964, नई दिल्ली

पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी दूरदर्शी सोच और प्रभावशाली व्यक्तित्व के चलते उन्हें आधुनिक भारत का शिल्पकार एवं वास्तुकार माना जाता था। उन्होंने भारत को एक विकसित एवं सफल राष्ट्र बनाने के लिए इसकी नींव मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।

जवाहर लाल नेहरू जी के सफल राजनैतिक कौशल एवं उनकी अद्भुत सैद्धान्तिक छवि को देखते हुए उन्हें आजाद भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में न सिर्फ देश की आर्थिकी में सुधार किया, बल्कि विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही उन्होंने देश के पीएम पद पर रहते हुए कोरियाई युद्ध, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पंडित नेहरू जी को बच्चों से अत्याधिक प्रेम और स्नेह था।

इसलिए उनके जन्म दिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है।  बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे। पंडित नेहरू जी ने भारतवासियों के मन में न सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना पैदा की, बल्कि जातिवाद का भाव मिटाने में भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई थी।

इसके अलावा उन्होंने ऑस्ट्रेलिया एवं लाओस जैसे कई गंभीर मुद्दों का समाधान करने में भी अपना योगदान दिया। नेहरू जी को साल 1955 में उनके द्धारा देश के के लिए किए गए महत्वपूर्ण योगदानों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान”भारत रत्न” से भी सम्ममानित किया गया था।

पंडित नेहरू के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं: जवाहरलाल नेहरु जीवनी

5. डॉ. भगवानदास

पूरा नाम (Name)  डॉ. भगवान दास

जन्म (Birthday)         12 जनवरी, 1869, वाराणसी

पिता (Father Name)         श्री साह माधव दास

पढ़ाई (Education)       एम.ए (दर्शनशास्त्र )

पुरस्कार/सम्मान (Award)  भारत रत्न

भगवानदास जी भारत के एक महान स्वंतत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भगवानदास जी ने देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाया था। यही नहीं उन्होंने गांधी जी द्धारा चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल की सजा भी काटी थी।

भगवानदास जी को एक महान दार्शनिक, शिक्षा शास्त्री, समाजसेवी के रुप में भी याद किया जाता है। उन्हें हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी समेत कई भाषाओं की जानकारी थी। भगवानदास जी ने काशी हिन्दू विद्यापीठ की सह-स्थापना की थी और यहां एक अध्यापक के रुप में भी अपनी सेवाएं दी थी।

इसके अलावा उन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भगवानदास जी का अनूठा एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं उनका प्रेरणादायक जीवन भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। भगवानदास जी को देश के लिए किए गए उनके अमूल्य योगदान के लिए साल 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।

6. सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

पूरा नाम (Name)  डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

जन्म (Birthday)    15 सितंबर, 1861, कर्नाटक

शिक्षा (Education)         इंजीनियरिंग

पुरस्कार/सम्मान (Award) भारत रत्न

मृत्यु (Death)        14 अप्रैल, 1962

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी एक प्रख्यात वैज्ञानिक, महान इंजीनियर एवं प्रभावशाली राजनेता थे। उन्हें ”आधुनिक भारत के विश्वकर्मा” के रुप में याद किया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।  उनके जन्म दिवस, 15 सितंबर को पूरे भारत में उनके सम्मान में ”अभियंता दिवस” के रुप में मनाया जाता है।

आधुनिक भारत के निर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 1955 में एम, विश्वश्वरैया जी को देश के प्रतिष्ठित एवं सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से नवाजा गया था।

इसके अलावा ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जनता की सेवा के लिए ”नाइट कमांडर ऑफ द ब्रिटिश इंडियन एंपायर” से भी सम्मानित किया था।

7. पंडित गोविंद बल्लभ पंत

पूरा नाम (Name)  गोविंद बल्लभ पंत

जन्म (Birthday)        अल्मोड़ा, उत्तराखंड

पिता (Father Name)     श्री मनोरथ पंत

पत्नी (Wife Name)   श्री मति गंगा देवी

शिक्षा (Education)   वकालत

पुरस्कार/सम्मान (Award) भारत रत्न

मृत्यु (Death)   7 मार्च, 1961

गोविंद बल्लभ पंत जी देश के महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश की सेवा में सर्मपित कर दी। उन्होंने देश को आजादी दिलवाने के लिए कई त्याग और बलिदान दिए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें उत्तप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया था। इसके अलावा आजाद भारत में उन्होंने गृहमंत्री के रुप में भी अपनी सेवाएं दी थी।

गोविंद बल्लभ पंत जी ने भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाने एवं जमींदारी प्रथा को पूरी तरह खत्म करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। देश की सेवा में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें साल 1957 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।

8- डॉ. धोंडो केशव कर्वे

पूरा नाम (Name)  डॉ. धोंडो केशव कर्वे (महर्षि कर्वे)

जन्म (Birthday)      18 अप्रैल, 1858, रत्नागिरी जिला, महाराष्ट्र

पिता (Father Name)      केशव पंत

पत्नी (Wife Name)  राधाबाई और आनंदीबाई

शिक्षा (Education)      ग्रेजुएशन

पुरस्कार/सम्मान (Award) भारत रत्न

मृत्यु (Death)   9 नवंबर, 1962

डॉ. केशव कर्वे भारत के एक महान समाज सुधारक एवं शिक्षा शास्त्री थे, जिन्होंने देश में शिक्षा का जमकर प्रचार-प्रसार किया और लोगों को शिक्षा का महत्व बताया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र में ”महिला विद्यालय” की स्थापना की थी।

इसके साथ ही उन्होंने देश के गांवों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए चंदा इकट्ठा कर करीब 50 से भी ज्यादा प्राइमरी स्कूलों की स्थापना की थी। अपने जीवन में तमाम संघर्षों का सामना कर वे देश के उच्च पदों पर शोभायमान हुए। साल 1958 में उन्हें देश के लिए किए गए उत्कृष्ट कामों के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से नवाजा गया था।

9-डॉ. बिधान चन्द्र राय

पूरा नाम (Name)- डॉ. बिधान चन्द्र राय

जन्म (Birthday)- 1 जुलाई 1882, बिहार

पिता (Father Name)  श्री प्रकाश चन्द्र राय

माता (Mother Name) श्रीमति कामिनी देवी

शिक्षा (Education)  एम.डी ( डॉक्टर )

पुरस्कार/उपाधि (Award)   भारत रत्न, डॉक्टर ऑफ साइंस

मृत्यु (Death)- 1 जुलाई 1962, कोलकाता, पश्चिम बंगाल

डॉ. बिधान चन्द्र राय जी देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, कुशल राजनीतिज्ञ, वरिष्ठ चिकित्सक एवं महान शिक्षक थे। बिधान  चन्द्र राय जी को आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रुप में याद किया जाता है। उनके लिए आज भी हर देशवासी के ह्रद्य में अपूर्व सम्मान है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री के रुप में कई महत्वपूर्ण काम किए थे।

यही नहीं वे अपने उत्कृष्ट कामों के लिए ”बंगाल के मसीहा” या ”बंगाल का निर्माता” के रुप में भी जाने जाते थे। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में पश्चिम बंगाम में न सिर्फ अभूतपूर्व विकास करवाया बल्कि 5 नए शहरों की स्थापना भी की थी।

चिकित्सा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान एवं उनके सम्मान में उनके जन्म दिवस 1 जुलाई को पूरे देश में चिकित्सक दिवस के रुप में मनाया जाता है। समाज और देश के लिए उत्कृष्ट काम करने के लिए उन्हें साल 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।

10. पुरुषोत्तम दास टंडन

नाम (Name)  पुरुषोत्तम दास टंडन

जन्म (Birthday)   1 अगस्त, 1882,  इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश

शिक्षा (Education)-  LLB, M.A.

पुरस्कार/सम्मान (Award)  ”भारत रत्न” (23 अप्रैल, 1961)

पुरुषोत्तम दास टंडन जी भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।

देश की आजादी की लड़ाई में पुरुषोत्तम दास जी ने कई आंदोलनों में अपनी भागीदारी निभाई, इस दौरान उन्हें कई बार जेल की सलाखों के पीछे भी रहना पड़ा था। हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाने के उन्होंने महत्वपूर्ण प्रयास किए थे। पुरुषोत्तम दास जी ने साल 1910 में वाराणसी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की भी स्थापना की थी।

राजर्षि नाम से प्रसिद्ध पुरुषोत्तम दास जी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रुप में भी काम किया था। देश के लिए उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान”भारत रत्न” से भी नवाजा जा चुका है।

11- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

पूरा नाम (Name)  डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
जन्म (Birthday)  3 दिसंबर, 1884, बिहार के जीरादेई गांव
पिता (Father Name) 

माता (Mother Name)

महादेव सहाय

कमलेश्वरी देवी

विवाह (Wife Name) राजवंशी देवी
बच्चे (Childrens) मृत्युंजय प्रसाद
शिक्षा (Education)  कोलकाता यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट,

लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन (LLM) एवं लॉ में डॉक्ट्रेट

पुरस्कार/सम्मान (Award) भारत रत्न
मृत्यु (Death)  28 फरवरी, 1963, पटना, बिहार

डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी देश के प्रथम राष्ट्रपति थे, उन्हें आधुनिक भारत के वास्तुकार के रुप में भी याद किया जाता है। वे एक ऐसी महान शख्सियत थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया था। देश के लिए उनके द्धारा दिए गए योगदान को कभी नहीं भूलाया जा सकता है। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने देश के एक सच्चे सपूत की तरह अपनी भागीदारी निभाई थी।

भारतीय संविधान के निर्माण में भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपनी सराहनीय भूमिका निभाई थी। साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू होने के साथ उन्हें देश के सर्वोच्च पद,राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित कर सम्मानित किया गया।

उन्होंने न सिर्फ देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया, बल्कि देश में शिक्षा के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण काम किए। राजनैतिक, समाजिक, आर्थिक, शिक्षा आदि के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें साल 1962 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से नवाजा गया।

देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं: डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की जीवनी

12. डॉ. जाकिर हुसैन खान

पूरा नाम (Name)- डॉ. जाकिर हुसैन

जन्म (Birthday)   8 फरवरी, 1897, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश

पिता (Father Name)  फिदा हुसैन खान

माता (Mother Name) नाजनीन बेगम

विवाह (Wife Name)    शाहजेहन बेगम

मृत्यु (Death)        3 मई, 1969, दिल्ली

डॉ. जाकिर हुसैन देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति  होने के साथ राष्ट्रपति के पद पर मरने वाले पहले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने देश के उपराष्ट्रपति एवं बिहार के राज्यपाल के रुप में भी काम किया था।

उन्होंने देश में शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, जो कि अब जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से मशहूर है। देश के लिए किए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से भी सम्मानित किया जा चुका है।

डॉ. जाकिर हुसैन जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं: जाकिर हुसैन का जीवन परिचय

वेबसाइट लिंक-

13- पांडुरंग वामन काणे  

पूरा नाम (Name)  डॉ. पांडुरंग वामन काणे

जन्म (Birthday)    7 मई, 1880, रत्नागिरी जिला, महाराष्ट्र

पिता (Father Name)    वामन राव

शिक्षा (Education)  एल.एल.बी (वकालत), एम.ए (संस्कृत और अंग्रेजी )

पुरस्कार/सम्मान (Award)  भारत रत्न

डॉ. पांडुरंग वामन काणे एक महान विद्धान, प्रख्यात लेखक एवं प्रतिष्ठित शिक्षक थे। जो कि संस्कृत के प्रकांड विद्धान थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाज को पूरी दुनिया से परिचित करवाया। इसके अलावा वे शैक्षणिक एवं वकालत के काम से भी जुड़े।

इसके साथ ही उन्होंने कई महत्वपूर्ण रचनाएं भी की। धर्मशास्त्र का इतिहासउनकी सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय रचना है। उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1963 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

14-लाल बहादुर शास्त्री

पूरा नाम (Name)      लालबहादुर शारदाप्रसाद श्रीवास्तव

जन्म (Birthday)     2 अक्टूबर, 1904, मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश

पिता (Father Name)  मुंशी शारदा प्रसाद श्री वास्तव

माता (Mother Name) रामदुलारी देवी

शिक्षा (Education)   हरिश्चन्द्र हाई स्कूल, काशी विद्यापीठ

विवाह (Wife Name)    ललिता देवी

बच्चे (Childrens)      6 बच्चे

मृत्यु (Death)    11 जनवरी, 1966

पुरस्कार/सम्मान (Award)   देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न”(1966)

लालबहादुर शास्त्री जी देश के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक ईमानदार एवं राष्ट्र के लिए समर्पित राजनेता थे। उन्होंने देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की मौत के बाद साल 1964 में देश के पीएम पद की जिम्मेदारी संभाली थी, उस दौरान देश न सिर्फ आर्थिक संकट से गुजर रहा था, बल्कि भारत-पाकिस्तान की युद्ध के कारण देश की स्थिति काफी बिगड़ी हुई थी, लेकिन ऐसे वक्त में भी लालबहादुर शास्त्री ने हिम्मत और सूझबूझ से काम लेते हुए कुशलतापूर्वक देश का नेतृत्व किया।

शास्त्री जी का पीएम का कार्यकाल काफी सराहनीय था, उन्होंने इस दौरान कई महत्वपूर्ण काम किए थे। इसके अलावा उन्होंने देश कीआजादी की लड़ाई में अपने जोशीले भाषणों एवं क्रांतिकारी गतिविधियों से ब्रिटिश शासकों की नाम पर दम कर दिया था और सभी देशवासियों के अंदर आजादी पाने की अलख जगाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

लालबहादुर शास्त्री जी द्धारा दिया गया नाराजय जवान, जय किसानकाफी लोकप्रिय हुआ। शास्त्री जी द्धारा देश के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1966 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजा गया था।

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15- इंदिरा गांधी (1971)

पूरा नाम (Name)            इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी

जन्म (Birthday)            19 नवंबर, 1917, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश

पिता (Father Name)       जवाहरलाल नेहरू

माता (Mother Name)  कमला नेहरू

पति (Husband Name)              फिरोज गांधी

पुरस्कार/उपाधि  (Award)      भारत रत्न(1971)

मृत्यु (Death)             31 अक्टूबर, 1984 नई दिल्ली

इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में देश का विकट परिस्थिति में बेहद शानदार तरीके से नेतृत्व किया। इंदिरा गांधी जी भारत में काफी लंबे समय तक पीएम के रुप में सेवा देने वाली प्रधानमंत्रियों में से एक थीं। देश के प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए साल 1971 में उन्होंने भारत-पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध में उन्होंने भारत का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया था और भारत को जीत दिलवाई थी।

यही नहीं इंदिरा गांधी जी ने अपने कार्यकाल में पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार लाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और भी अधिक बढ़ गई थी एवं लोगों के बीच उनकी छवि एक चतुर राजनीतिक नेता के रुप में बन गई थी।

इसके अलावा इंदिरा गांधी जी ने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने की लड़ाई में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देश की सेवा एवं उनके द्धारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें साल 1971 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से भी सम्मानित किया गया था।

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16-वी.वी.गिरी

पूरा नाम (Name)       वारहगिरी वेंकट गिरी

जन्म (Birthday)         10 अगस्त, 1894, ब्रह्मपुर ओडिशा

पिता (Father Name)  वी.वी. जोगिआह पंतुलु

माता (Mother Name) सुभद्रामम्मा

विवाह (Wife Name)         सरस्वती बाई

संतान (Childrens)         14 बच्चे

पुरस्कार/उपाधि (Award)    भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न ”

मृत्यु (Death)      23 जून, 1980, मद्रास तमिलनाडू

वारहगिरी वेंकट गिरी  देश के चौथे राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित वकील और एक महान राजनेता थे। उन्होंने देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु (Death) के बाद करीब 2 महीने तक देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रुप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद उनके समझदारी और राजनैतिक कौशल को देखते हुए उन्हें देश के पूर्णकालिक राष्ट्रपति के रुप में चुना गया।

उन्होंने देश के राष्ट्रपति के रुप में निम्न एवं मजदूर वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने एवं मजदूर वर्ग के लिए सराहनीय काम करने के लिए उन्हें साल 1975 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

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17- के कामराज

पूरा नाम (Name)  कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर

जन्म (Birthday)      15 जुलाई, 1903, विरुधुनगर, तमिलनाडु

पुरस्कार/सम्मान (Award)       ”भारत रत्न”

मृत्यु (Death)   2 अक्टूबर, 1975, चेन्नई, तमिलनाडू

के. कामराज एक प्रसिद्ध राजनेता थे, जिन्होंने राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में अपनी सेवाएं दी। लालबहादुर शास्त्री एवं इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के चुनावों में उन्होंने अपना काफी योगदान दिया था, इसी वजह से उन्हें किंग मेकर भी कहा जाता था। उन्हें दक्षिण के गांधी के रुप में भी जाना जाता था।

देश के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1976 में ”भारत रत्न” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

18- मदर टेरेसा

पूरा नाम (Name)  अगनेस गोंझा बोयाजिजू

जन्म (Birthday)     26 अगस्त, 1910, स्कॉप्जे, मेसेदोनिया

पिता (Father Name)   निकोला बोयाजू

माता (Mother Name) द्रना बोयाजू

मृत्यु (Death)           5 सितंबर, 1997

मटर टेरेसा एक उदार एवं महान व्यक्तित्व वाली महिला थी, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गरीब, निर्धनों और जरूरतमंदों की सेवा में गुजार दी। मदर टेरेसा दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझने वाली महान शख्सियत थी, उन्हें मानवता की मिसाल माना जाता है।

वे भारत में भले ही नहीं जन्मीं थी, लेकिन जब वे भारत आईं तो उन्हें यहां के लोगों से इतना प्यार और सम्मान मिला कि उन्होंने अपना शेष जीवन यहीं पर बिताने का फैसला लिया। निस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा करने के लिए उन्हें साल 1980 में देश के स्रर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

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19-आचार्य विनोबा भावे

पूरा नाम (Name)       विनायक राव भावे

जन्म (Birthday)      11 सितंबर, 1895, गगोड़े, महाराष्ट्र

पिता (Father Name)       नरहरी शम्भू राव

माता (Mother Name) रुकमणी देवी,

प्रमुख काम      समाज सुधारक, महान लेखक, स्वतंत्रता सेनानी

मृत्यु (Death)         15 नवंबर, 1982

आचार्य विनोबा भावे ने भारत की आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे और उनके विचारों का अनुसरण करते थे। उन्होंने गांधी जी द्धारा चलाए गए कई आंदोलनों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन आंदोलनों के दौरान उन्हें जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी थी।

विनोबा भावे जी ने जातिवाद और ऊंच-नीच के खिलाफ भी कई कदम उठाए थे। इसके अलावा उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया था। देश के लिए उत्कृष्ट काम करने के लिए उन्हें मरोणोपरांत साल 1983 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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20- खान अब्दुल गफ्फार खान

पूरा नाम (Name)       खान अब्दुल गफ्फार खान

अन्य नाम     बादशाह खान, सीमांत गांधी

जन्म (Birthday)        6 फरवरी, 1890, उतमंजाई, भारत

पुरस्कार (Award)        भारत रत्न( 1987 )

मृत्यु (Death)    20 जनवरी, 1988, पेशावर, पाकिस्तान

खान अब्दुल गफ्फार खान देश के एक महान राजनेता थे, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे गांधी जी के घोर समर्थक थे एवं उनके पदचिन्हों पर चलने वाले शख्सियत थे। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल की असहनीय पीड़ाएं भी सहन करनी पड़ी थी।

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21- एम.जी. रामाचन्द्रन

पूरा नाम (Name)     मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन

जन्म (Birthday)      17 जनवरी, 1917, कैंडी श्री लंका

पुरस्कार (Award)         भारत रत्न

मृत्यु (Death)               24 दिसंबर, 1987, चेन्नई

मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन एक महान राजनेता होने के साथ-साथ एक मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे। उन्होंने तमिलनाडू के मुख्यमंत्री के रुप में अपनी सेवाएं दी थी। तमिल सिनेमा में दिए गए योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

उन्होंने अपनी जिंदगी में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। देश के लिए उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1988 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से नवाजा गया था।

22-नेल्सन मंडेला

पूरा नाम (Name)   नेल्सन रोलीह्ललला मंडेला

जन्म (Birthday)        18 जुलाई, 1918

पुरस्कार(Award)            भारत रत्न(1990 )

मृत्यु (Death)                 5 दिसंबर, 2013, जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका

रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेल्सन मंडेला जी को दक्षिण अफ्रीका का ‘ महात्मा गांधी’ कहा जाता है। रंगभेद की लड़ाई में उन्होंने अपने जीवन के करीब 27 साल जेल की अमानवीय यातनाएं झेली थीं। वे शांति के दूत के रुप में भी जाने जाते थे।

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23- बाबा साहेब अंबेडकर

पूरा नाम (Name)     डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर

जन्म (Birthday)           14 अप्रैल, 1891, महू, इंदौर मध्यप्रदेश

पिता (Father Name)      रामजी मालोजी सकपाल

माता (Mother Name) भीमाबाई मुबारदकर

पत्नी (Wife Name)  रामाबाई अंबेडकर (पहली पत्नी)

                     सविता अंबेडकर ( दूसरी पत्नी)

शिक्षा (Education)            अलफिंस्टन हाई स्कूल, बॉम्बे यूनिवर्सिटी

मृत्यु (Death)          6 दिसंबर, 1956

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर न सिर्फ आधुनिक भारत के वास्तुकार एवं संविधान निर्माता थे, बल्कि उन्हें दलित वर्ग के लोगों के मसीहा के रुप में भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जातिगत भेदभाव, ऊंच-नीच आदि को मिटाने में लगा दी। वे एक महान समाजसेवी थी, जिन्होंने समाज में फैली कई कुरोतियों को दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अंबेडकर जी का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, वे अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर उच्च पदों पर आसीन होने वाले पहले दलित थे। उनके द्धारा समाज और देश के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। समाज एवं देश की सेवा के लिए अंबेडकर जी को साल 1990 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।

भीमराव अंबेडकर जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक कर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं-

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24- सरदार वल्लभभाई पटेल

पूरा नाम (Name)  सरदार वल्लभभाई पटेल

जन्म (Birthday)  31 अक्टूबर, 1875, नाडियाद, गुजरात

प्रमुख कार्य   स्वतंत्रता सेनानी, देश के पहले गृहमंत्री

स्मारक (Monument)    स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

पुरस्कार (Awards)     देश का सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न”

मृत्यु (Death)             15 दिसंबर, 1950, बॉम्बे

देश को एकता के सूत्र में बांधने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल  देश के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने की लड़ाई में काफी त्याग और बलिदान दिया था। उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री के रुप में भी अपनी सेवाएं दी थी।

उनके द्धारा देश और समाज के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। वहीं इसके लिए उन्होंने साल 1991 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ”भारत रत्न” से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सरदार वल्लभभाई पटेल जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई लिंक कर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं-

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25- राजीव गांधी

पूरा नाम (Name) राजीव गांधी

जन्म (Birthday)  20 अगस्त, 1944, बंबई, महाराष्ट्र

पिता (Father Name) फिरोज गांधी

माता (Mother Name) इंदिरा गांधी

विवाह (Wife Name)  सोनिया गांधी

मृत्यु (Death)   21मई, 1991,श्रीपेरमबदूर, तमिलनाडू

राजीव गांधी जी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रुप में देश का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में देश के विकास को अपना अमूल्य योगदान दिया। देश में कम्यूटर, संचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जमकर बढावा दिया एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया।

देश के लिए उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत साल 1991 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।

राजीव गांधी जी के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई वेबसाइट लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं-

26- मोरारजी देसाई

पूरा नाम (Name)  – मोरारजी रणछोड़जी देसाई
जन्म (Birthday)       – 29 फरवरी, 1896, भदेली गांव, गुजरात
पिता (Father Name)       – रणछोड़जी देसाई

माता (Mother Name) वाजियाबेन देसाई

मृत्यु (Death)     10 अप्रैल, 1995

मोरारजी देसाई न सिर्फ भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री भी थे, उन्होंने भारत और दुश्मन देश पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए शांतिपूर्ण ढंग से कई प्रयास किए। उनके द्धारा देश के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

मोरारजी देसाई के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई वेबसाइट लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं-

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27- मौलाना अबुल कलाम आजाद

पूरा नाम (Name)  अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्धीन

जन्म (Birthday)        11 नवंबर, 1888, मक्का, सऊदी अरब

पिता (Father Name)       मुहम्मद खैरूद्दीन

राजनैतिक पार्टी   कांग्रेस

पुरस्कार (Awards)                   भारत रत्न

मृत्यु (Death)                         22 फरवरी, 1958, नई दिल्ली

मौलाना अबुल कलाम का नाम देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट मे शुमार है। वे एक महान राजनेता होने के साथ-साथ एक अनुभवी वैज्ञानिक एवं प्रसिद्ध कवि थे। वे गांधी जी के अग्रणी शिष्यों में से एक थे, उन्होंने गांधी जी द्धारा चलाए गए आंदोलनों में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

उन्होंने शिक्षा मंत्री के रुप में देश में शिक्षा का जमकर प्रचार-प्रसार किया। उनके द्धारा देश के लिए किए गए महत्वपूर्ण कामों के लिए उन्हें 1992 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

मौलाना अबुल कलाम आजाद के बारे में और अधिक जानकारी आप नीचे दी गई वेबसाइट लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं-

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28- सत्यजित राय

पूरा नाम (Name)  सत्यजित ‘सुकुमार’ राय
जन्म (Birthday)  2 मई, 1921, कलकत्ता
पिता (Father Name)   सुकुमार राय

माता (Mother Name) सुप्रभा राय

पुरस्कार (Awards) भारत रत्न

मृत्यु (Death) – 23 अप्रैल, 1992, कोलकाता

सत्यजित राय दुनिया की महान फिल्म शख्सियतों में से एक थे, जिन्होंने फिल्मी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान विकसित की थी। फिल्म निर्माता एवं निर्देशक के अलावा वे एक बेहद अच्छे लेखक, साहित्यकार एवं कहानीकार थे। विश्व सिनेमा में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने साल 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से भी सम्मानित किया था।

सत्यजित राय जी के बारे में और अधिक जानकारी आप, नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर हासिल कर सकते हैं-

29-जे.आर.डी टाटा

पूरा नाम (Name)  जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा

जन्म (Birthday)   29 जुलाई, 1904, पेरिस, फ्रांस

शिक्षा (Education)   इंजीनियरिंग

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न (1992)

मृत्यु (Death)   29 नवंबर, 1993, जिनेवा, स्विट्जरलैण्ड

जे.आर.डी टाटा का नाम विश्व के सबसे बड़े उद्योगपति में शुमार है। वे आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाले औद्योगिक हस्तियों में से एक थे। जे.आर.डी टाटा ने ही देश की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन ”’टाटा एयरलाइन” शुरु की थी, जो कि आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा ”एयर इंडिया” के रुप में विकसित हुई।

जे.आर.डी. टाटा को उनके महत्वपूर्ण योगदानों के लिए साल 1992 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया था।

30-अरुणा आसफ अली

पूरा नाम (Name) – अरुणा आसफ़ अली
जन्म (Birthday)  –   16 जुलाई 1909, कालका ग्राम, पंजाब

पुरस्कार (Awards) – देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (1997)

अरुणा आसफ़ अली देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं। देश को आजाद करवाने के लिए गांधी जी द्धारा चलाए गए आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो में भी उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अरुणा आसफ अली द्धारा देश के लिए दिए गए योगदान के लिए उन्हें साल 1997 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

31-गुलजारीलाल नंदा

पूरा नाम (Name) गुलजारीलाल नंदा

जन्म (Birthday)   4 जुलाई, 1898, सियालकोट, पंजाब, पाकिस्तान

मृत्यु (Death)      15 जनवरी, 1998

गुलजारीलाल चंदा जी देश के एक महान राजनेता थे, जिन्होनें देश के चौथे प्रधानमंत्री के रुप में देश का बेहद शानदार ढंग से नेतृत्व किया, उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहद समझदारी और संवदेनशील होकर शांतिपूर्ण ढंग से काम किया। उनकी ख्याति एक राजनेता के रुप में ही नहीं, बल्कि एक महान अर्थशास्त्री और प्रसिद्ध लेखक के तौर पर भी थी।

साल 1997 में देश के लिए दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नगारिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

32- एपीजे अब्दुल कलाम

पूरा नाम (Name)  डॉ. अबुल पाकिर जैनुला अबदीन अब्दुल कलाम

जन्म (Birthday)   15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडू

मृत्यु (Death)     27 जुलाई, 2015

भारत के मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद देश के पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे, जिन्होंने न सिर्फ तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि देश की उन्नति और प्रगति के लिए भी कई महान काम किए। उनके द्धारा देश के हित के लिए किए उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें साल 1997 में भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था।

 

33- जयप्रकाश नारायण

पूरा नाम (Name)  – जयप्रकाश नारायण
जन्म (Birthday)       – 11 अक्टूबर 1902, सिताबदियारा, सारण, बिहार

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न (1998)

मृत्यु (Death)  8 अक्टूबर, 1979, पटना बिहार

जयप्रकाश नारायण जी एक महान राजनेता होने के साथ-साथ प्रसिद्ध समाज सुधारक भी थे।, जिन्हें इंदिरा गांधी के देश में आपातकाल लागू करने के फैसले के प्रखर विरोध करने वालों में जाना जाता है। उनकी ख्याति एक लोकनायक के रुप में भी फैली हुई थी, जिन्होंने अपने जीवन में तमाम संघर्षों का सामना कर निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा की। साल 1998 में भारत सरकार ने उनके राष्ट्र के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया था।

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34- एम.एस सुब्बुलक्ष्मी

पूरा नाम (Name)    मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी

जन्म (Birthday)         16 सितंबर, 1916, मद्रास

पुरस्कार (Awards)     भारत रत्न

मृत्यु (Death)    11 दिसंबर, 2004

एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी का नाम देश की ऐसी गायिकाओं में सबसे पहले नंबर पर है, जिन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी अद्भुत और सुरीली आवाज के कारण उन्हें कर्नाटक संगीत का पर्याय माना जाता था। उनके द्धारा गाए हुए गाने आज भी लोगों के जुबां पर हैं।

35-चिदंबरम सुब्रमण्यम

जन्म स्थान (Birthday)  30 जनवरी, 1910, कोएंबटूर, तमिलनाडू

मृत्यु (Death)  7 नवंबर, 2000, चेन्नई

पुरस्कार (Awards)       भारत रत्न

चिदंबरम सब्रमण्यम भारतीय राजनीति में एक जानी – मानी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत सरकार में रक्षा मंत्री, खाद्य और कृषि मंत्री एवं वित्त मंत्री के अहम पदों पर काम किया। उन्हें हरित क्रांति के जनक के रुप में भी जाना जाता है।

देश के विकास और उन्नति के लिए उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1998 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानभारत रत्नसे भी नवाजा गया था।

36-गोपीनाथ बोरदोलोई

जन्म (Birthday) 10 जून, 1890, रोहा जिला, नौगांव, असम

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न” (1999 )

मृत्यु (Death)   5 अगस्त, 1950, गुवाहटी, असम

गोपीनाथ बोरदोलाई ने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें आधुनिक असम का निर्माणकर्ता के रुप में जाना जाता है। आजाद भारत में असम के पहले मुख्यमंत्री के रुप में उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कॉलेज की भी स्थापना की थी। देश के लिए उनके द्धारा किए गए उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें साल 1999 में भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था।

37- अमर्त्य सेन-

पूरा नाम (Name)    – अमर्त्य कुमार आशुतोष सेन
जन्म (Birthday)        –  3 नवंबर 1933, शांतिनिकेतन, कोलकाता
पुरस्कार(Awards) नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न

अमर्त्य सेन भारत के एक महान अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे। वे न सिर्फ देश के गरीब और निर्धनों की आवाज बने बल्कि, उन्होंने भुखमरी और खाने की कमी को रोकने के लिए कई सराहनीय प्रयास भी किए। वे नालंदा यूनिववर्सिटी में वाइस चांसलर के रुप में भी काम कर चुके हैं। उनके द्धारा देश के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1999 में भारत रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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38- रवि शंकर

पूरा नाम (Name)   पंडित रवीन्द्र शंकर चौधरी

जन्म (Birthday)    7 अप्रैल, 1920, बनारस, उत्तर प्रदेश

पुरस्कार (Awards)  भारत रत्न, पद्म भूषण, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार।

मृत्यु (Death)  11 दिसंबर, 2012, सैन डियागो, अमेरिका।

भारतीय शास्त्रीय संगीत की जब भी बात होती है, रवि शंकर जी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे एक बेहद शानदार सितार वादक थे। उनके द्धारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्हें साल 1999 में भारत सरकार की तरफ से देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी पुरस्कृत किया गया था।

39- लता मंगेशकर

पूरा नाम (Name) लता दीनानाथ मंगेश्कर

जन्म (Birthday)  28 सितंबर, 1929, इंदौर

पुरस्कार (Awards) भारत रत्न

लता मंगेशकर जी भारत की एक प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर  है, जिन्हें संगीत का पर्याय माना जाता है। आज पूरी दुनिया उनकी मधुर और सुरीली आवाज के दीवानी है। वे अपने अब तक के करियर मों करीब 1000 से भी ज्यादा हिन्दी फिल्मों और 36 से अधिक भाषाओं में गाना गा चुकी हैं।

वे सदी की महागायिका के रुप में भी प्रख्यात हैं। संगीत और कला के क्षेत्र में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।

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40- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

जन्म (Birthday)  21 मार्च, 1916, डमरेन, बक्सर, बिहार

मृत्यु (Death) 21 अगस्त, 2006, वाराणसी, उत्तरप्रदेश

पुरस्कार (Awards) भारत रत्न

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने संगीत के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्होंने संगीत की दुनिया में शहनाई को एक अलग पहचान दिलवाई। उनके उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें साल 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया था।

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41- पंडित भीमसेन जोशी

पूरा नाम (Name) पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी

जन्म (Birthday)    4 फरवरी, 1922, गडग, कर्नाटक

मृत्यु (Death)  24 जनवरी, 2011, पुणे, महाराष्ट्र

पुरस्कार (Awards)  पद्म विभूषण, भारत रत्न, पद्म श्री

पंडित भीमसेन जोशी भारत के एक महान शास्त्रीय गायक थे। उन्होंने अपनी गायकी के अलग-अलग तरीकों से एक अद्भुत गायन की रचना की।  भीमसेन जी ने अपने एकल गायन से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक नय युग का सूत्रपात किया है।

संगीत और कला के क्षेत्र में उनके द्धारा दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके द्धारा दिए गिए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्धारा भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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42- सचिन तेंदुलकर

पूरा नाम (Name)  – सचिन रमेश तेंदुलकर
जन्म (Birthday)       – 24 अप्रैल, 1973, मुंबई

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की अद्भुत क्रिक्रेट खेल प्रतिभा के चलते उन्हें क्रिकेट की दुनिया का भगवान माना जाता है। सचिन, क्रिक्रेट में आज तक सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दिग्गज खिलाड़ी हैं। उनके नाम पर कई रिकॉर्ड्स दर्ज हैं। उनके द्धारा क्रिकेट के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 2014 में भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

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43- सी.एन. आर. राव

पूरा नाम (Name)  चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव

जन्म (Birthday)   30 जून, 1934, बैंगलोर, कर्नाटक

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न

सी.एन. आर राव देश के एक प्रख्यात रसायन वैज्ञानिक है, जिन्होंने संरचात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्होंने करीब डेढ़ हजार शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक किताबें लिखी हैं। विज्ञान के क्षेत्र में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया था।

44- मदनमोहन मालवीय

पूरा नाम (Name)  पंडित महामना मदनमोहन मालवीय

जन्म (Birthday)   25 दिसंबर, 1861, इलाहाबाद

मदनमोहन मालवीय देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, उन्होंने न सिर्फ भारत देश को आजाद करवाने के लिए अपना त्याग बलिदान और समर्पण दिया, बल्कि समाज सुधारक के रुप में भी समाज में फैले जातिवाद, लिंग भेदभाव समेत कई कुरोतियों को जड़ से उखाड़ फेंकने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके साथ ही उन्होंने दलितों के मंदिर में प्रवेश निषेध को लेकर अपनी आवाज बुलंद की और देश भर में आंदोलन चलाया। साल 2014 में मदनमोहन मालवीय जी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से नवाजा गया था।

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45- अटल बिहारी वाजपेयी

पूरा नाम (Name)  अटल बिहारी वाजपेयी

जन्म (Birthday)     25 दिसंबर, 1924, ग्वालियर, मध्यप्रदेश

पुरस्कार (Awards)   भारत रत्न

मृत्यु (Death)     16 अगस्त, 2018

अटल बिहारी वाजेपीय भारतीय राजनीति के एक चमकता सितारा थे, जिन्होंने अपने जीवन के करीब 50 साल राजनीति करने में गुजार दिए थे। उन्होंने न सिर्फ बीजेपी पार्टी को स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि देश के विकास और उन्नति में भी अपना भरपूर सहयोग दिया।

उनके लिए आज भी हर भारतीय के ह्दय में अपूर्व सम्मान है। देश के लिए अटल जी द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा था ।

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 46-

नानाजी देशमुख

पूरा नाम (Name)   चंडिकादास अमृतदास देशमुख

जन्म (Birthday)    11 अक्टूबर, 1916, हिंगोली, महाराष्ट्र

मृत्यु (Death)        27 फरवरी, 2010

नाना जी देशमुख भारत के एक प्रमुख समाजसुधारक थे, उन्होंने न सिर्फ देश में फैली तमाम बुराइयों को दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भी कई काम किए। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवनस्तर सुधारने के लिए सराहनीय प्रयास किए।

नानाजी देशमुख द्धारा समाज और देश के लिए किए गए उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें साल 2019 में मरणोपरांत भारत सरकार द्धारा देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।

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47- भूपेन हजारिका

नाम   भूपेन हजारिका

जन्म (Birthday)   8 सितंबर, 1926, असम, भारत

पुरस्कार (Awards) पदम भूषण, भारत रत्न, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, भारत रत्न

मृत्यु (Death)    5 नवंबर, 2011

भूपेन हजारिका को साल 2019 में मरणोपरांत संगीत, साहित्य, फिल्म, पत्रकारिता और कला के क्षेत्र में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। हजारिका जी एक अद्भुत कलाकार थे, जो कि अपने गीत पहले खुद लिखते थे, उन्हें संगीत देते थे और फिर उसे अपने सुरमयी एवं मधुर आवाज से गाते भी थे।

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48- प्रणब मुखर्जी

पूरा नाम (Name)   प्रणब कुमार मुखर्जी

जन्म (Birthday)  11 दिसंबर, 1935, मिराटीगांव, वीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल

पुरस्कार (Awards) भारत रत्न, पद्म विभूषण

प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति के तौर पर देश का कुशल नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपराधिक कानून में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया था। इसके अलावा भी उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। वे देश के वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के रुप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

प्रणव मुखर्जी द्धारा देश के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्धारा देश के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया जा चुका है।

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इन सभी महान व्यक्तियोंने अपने महान काम से भारत देश का नाम बढ़ा किया है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे world में इन्होने अपने महान कार्य से लोगो का भला किया है। यह सभी personalities हम सबके लिए बहुत ही inspiring है।

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नेल्सन मंडेला के बेहतरीन सुविचार | Nelson Mandela Quotes In Hindi

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Nelson Mandela Quotes

नेल्सन मंडेला आधुनिक भारत के महानतम हीरो में से एक है। वे करुणा, दयालुता और समाजप्रेम की प्रतिमूर्ति है। आज हम यहाँ आपको इसी महापुरुष के कुछ प्रेरणादायक सुविचार बताने जा रहे है जिन्होंने अपने देश दक्षिण अफ्रीका को संघर्ष करते हुए आज़ादी दिलवाई। इस महानायक को ज्ञानीपण्डित.com का सलाम….

नेल्सन मंडेला के बेहतरीन सुविचार – Nelson Mandela Quotes In Hindi

It always seems impossible until its done.
It always seems impossible until its done.
Let there be work, bread, water and salt for all.
Let there be work, bread, water and salt for all.
In my country we go to prison first and then become President.
In my country we go to prison first and then become President.
Education is the most powerful weapon which you can use to change the world.
Education is the most powerful weapon which you can use to change the world.
I learned that courage was not the absence of fear, but the triumph over it. The brave man is not he who does not feel afraid, but he who conquers that fear.
I learned that courage was not the absence of fear, but the triumph over it. The brave man is not he who does not feel afraid, but he who conquers that fear.
Nelson Mandela hindi
A good head and a good heart are always a formidable combination.
After climbing a great hill, one only finds that there are many more hills to climb.
After climbing a great hill, one only finds that there are many more hills to climb.
For to be free is not merely to cast off one’s chains, but to live in a way that respects and enhances the freedom of others.
For to be free is not merely to cast off one’s chains, but to live in a way that respects and enhances the freedom of others.
Nelson Mandela
Does anybody really think that they didn’t get what they had because they didn’t have the talent or the strength or the endurance or the commitment?
I detest racialism, because I regard it as a barbaric thing, whether it comes from a black man or a white man.
I detest racialism, because I regard it as a barbaric thing, whether it comes from a black man or a white man.   

More Added Nelson Mandela Quotes In Hindi

Nelson Mandela Quotes In Hindi

“असफलता के बाद हमें दोबारा पूरी ताकत के साथ दुनिया का सामना करने के लिये उठ खड़े होना चाहिये, तभी आप एक अच्छे इंसान कहलाओंगे।”

“किसी ऊँचे पहाड़ पर चढ़ने के बाद किसी-किसी को यही लगता है उन्हें अभी और पहाड़ चढ़ने बाकी है।”

“मै उन लोगो के साथ आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ हु जिन्होंने मेरी विपरीत परिस्थितियों में मेरा साथ दिया।”

nelson mandela quotes about love

“जब हमें कोई बड़ी चोट आ जाती है तो हम तबतक दोबारा उठ नही सकते जबतक हम उसे भूल नही जाते।”

“मेरी त्वचा का रंग काफी सुन्दर है, जैसे अफ्रीका की मिटटी का रंग हो।”

“मेरे देश में हम पहले जेल में जाते है और फिर राष्ट्रपति बनते है।”

nelson mandela quotes about life

“जब तक हम किसी काम को कर नही लेते तब तक हर एक काम हमें असंभव ही लगता है।”

“कोई भी इंसान जन्म से ही रंग, हालात और उसके धर्म के प्रति नफरत लेकर पैदा नही होता।”

“छोटे-कचोटे कामो को और छोटी-छोटी बातो को अपनाने की आदत ही आपके अच्छे चरित्र का सबूत है।”

nelson mandela quotes on education

“जिंदगी को जीने के लिये जज्बे और जुनून की जरुरत होती है फिर ये कोई मायने नही रखता की आप कोई छोटा काम कर रहे हो या बड़ा।”

“जीतने वाला हमेशा वह सपने देखता है, जो कभी हार नही मानता।”

“गुस्सा ज़हर को उस आशा से पिने के बराबर है की बाद में वह आपके सारे दुश्मनों को मान देगा।”

nelson mandela quotes fear

“पैसा कभी सफलता नही बनाता, बल्कि आपकी आज़ादी ही आपको सफल बना सकती है।”

खुद पर नेल्सन मंडेला के सुविचार : Best Nelson Mandela Quotes About Himself

“जब कभी भी मै आज़ादी के द्वार की तरफ आगे बढ़ता हु तो मै जानता हु की यदि मै अपनी कटुता और घृणा को नही छोडूंगा तबतक मै जेल में ही रहूँगा।”

“दुसरे राजनेताओ की तरह मुझे गलतिया करने वाले इंसानों में शामिल नही होना।”

nelson mandela quotes on leadership

“एक बड़े पहाड़ पर चढ़ने के बाद ही पता चलता है की अभी ऐसे कई पहाड़ चढ़ने बाकी है।”

“अपने अपराध के लिये जेल जाना और आपका जिसपर विश्वास है उसके लिये कुछ भी सहन करना आपके लिये लाभदायी हो सकता है।”

“मुझे जातिभेद से नफरत है क्योकि मै इसे एक क्रूर बात मानता हु, जो काले और गोर इंसानों की वजह से आती है।”

“मैंने देखा है की सिर्फ मेरी ही आज़ादी कम नही हुई है बल्कि सभी की आज़ादी मुझे कम होती हुई ही दिख रही है लेकिन मैंने उनकी जीवनी में यह लाइन जरुर शामिल कर दी है – “आज़ादी की लम्बी यात्रा”

क्षमा पर नेल्सन मंडेला के सुविचार : Nelson Mandela Quotes on Forgiveness

“गरीबी को काबू में कर लेना कोई समाजकल्याण का काम नही है बल्कि ये तो इन्साफ है।”

“आज़ादी पाने की मेरी भूक को लोगो की भूक बनाने के लिये मुझे काफी साल लग गये।”

“हम सभी को साथ मिलकर भूतकाल की हार को सही करना चाहिये।”

“हिम्मत मतलब डर का अभाव नही लेकिन उसपर डर पर मिली सफलता जरुर है।”

“बनावटी जिंदगी जीने में कभी निचे न गिरना वैभव की बात नही है, बल्कि जिंदगी में गिरकर भी वापिस उठ खड़ा होना वैभव की बात है।”

“मुश्किलें कुछ इंसान को तोडती है लेकिन कुछ इंसानों को बनाती भी जरुर है। क्योकि कोई भी कुल्हाड़ी गुनाहगार की आत्मा की काटने जितनी तेज़ नही होती।”

“जब कभी भी मै जेल से बाहर आऊंगा तो मेरा मिशन यही होगा – उत्पीड़ितो और अत्याचारियों से मुक्त कराना।”

नेल्सन मंडेला के सुविचार : Nelson Mandela Quotes

“किसी भी इंसान की मृत्यु उसके जीवन का सबसे दुखदायक पल होता है।”

“इस दुनिया में आदमी और महिलाये सालो से आते-जाते रहे है. लेकिन कुछ लोग जाने के बाद अपने पीछे कुछ नही छोड़ जाते, बल्कि अपना नाम भी नही छोड़ते।”

“यदि संपत्ति एक चुम्बक है तो गरीबी उसका निरोधक है। गरीबी से ही दूसरो के मान में उदारता का निर्माण होता है।”

नेल्सन मंडेला के सुविचार : Nelson Mandela Quotes On Leadership

“मुसीबतों के समय आपको सबसे आगे की कतार में रहना चाहिये। तभी आपके नेतृत्व की लोग सराहना और प्रशंसा करेंगे।”

“किसी बड़ी संस्था का लीडर बनने के बाद सबसे पहले आपको लोगो की बातो की सुनने की आदत डालनी होगी।”

“पीछे से अपने समूह का नेतृत्व करे और लोगो को ऐसा लगने दे जैसे की वे सबसे सामने की कतार में हो।”

“जब मै समझौता कर रहा था तब मैंने एक बात जानी की जबतक मै खुद को नही बदल सकता तबतक मै लोगो को भी नही बदल सकता।”

“हमारे पास जो है हम उससे क्या बनाते है ये मायने रखता है ये मायने नही रखता की हमने अलग-अलग लोगो को क्या-क्या दिया।”

“जब पानी उबलने लगे तो आंच को बंद करना मुर्खता होगी।”

“एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल हमेशा से ही एक विजयी जोड़ी रहे है।”

“मैंने अपनी जिंदगी का ज्यादातर समय इस बात को लेकर गवा दिया की जिंदगी कठनाईयो और मुश्किलों से भरी हुई है।”

“जीवन में कभी न गिरना उसकी सुन्दरता नही है. लेकिन गिरकर उठना और अपने सपनो को हासिल करना ही जिंदगी की खूबसूरती है।”

“जब तक हम किसी काम को कर नही लेते तब तक वह काम हमें असंभव ही लगने लगता है।”

“हम में से किसी भी एक इंसान की जंजीर हम सभी की जंजीर है. और हम सभी की जंजीर मतलब ही मेरी जंजीर है।”

“हमेशा के लिये चले जाने वाले दिन वे होते है जिसमें हम शांति से सालो तक निर्दयी और दुष्कर्मी अत्याचारियों के साथ रहते है।”

“जैसे मै अपनेआप को जानता हु वैसे ही मै अत्याचारियों के बारे में भी सबकुछ जानता हु की कैसे वे दलित से अत्याचारी बनते है।”

“सभी बन्धनों से मुक्त होकर जीना जिंदगी नही है बल्कि जिंदगी को उस रास्ते पर जीना जिसपर दूसरो को आज़ादी दी जाये और उनकी इज्ज़त की जाये, वही जिंदगी है।”

“एक ऐसा इंसान जो दुसरे इंसान की आज़ादी को छीन लेता है वह घृणा का कैदी होता है। ऐसा इंसान भेदभाव की अदालत में कैद होता है और उनकी बुद्धि भी नीच लोगो की तरह होती है।”

“कोई भी इंसान जबतक जेल नही जाता तबतक वह अपने देश को भली-भांति नही जान पाता. क्योकि किसी देश की पहचान इससे नही की जाती की वह देश अपने श्रेष्ट नागरिको के साथ कैसा व्यवहार करता है बल्कि इससे की जाती है की वह देश अपने निचले नागरिको के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

“मै जानता हु की हम सभी कभी ना कभी मरने ही वाले है, लेकिन हमारे द्वारा हमारे देश के लिये किये गये अच्छे कार्य कभी नही मरते वे हमेशा अमर रहते है।”

“इंसानों को किसी भी परिस्थिति में सामंजस्य (एडजस्ट) करने की आदत होती है।”

“जेल सिर्फ आपसे आपकी आज़ादी ही नही छिनते बल्कि आपकी पहचान भी छीन लेते है।”

“हमारे देश के हर एक समुदाय को डर से आज़ादी पाने का अधिकार है।”

“गरीबी कभी गुलामी और रंगभेद निति की तरह आकस्मिक नही आती. बल्कि यह इंसानों द्वारा ही बनायी जाती है और इंसानों की सहायता और क्रियाओ से ही इसे हटाया जा सकता है।”

“जिंदगी में वो सब पल नही गिने जाते जिसे हमने जिया हो। बल्कि उन पलो को गिना जाता है जिन पलो में हमने कुछ नया और अलग किया हो।”

“सबसे बड़ा डर ये नही की हम अयोग्य है बल्कि ये है की हम आकलन के पीछे शक्तिशाली होते है।”

नेल्सन मंडेला के शिक्षा पर सुविचार : Nelson Mandela Quotes On Education

“शिक्षा सबसे मजबूत हथियार है जिसका उपयोग आप इस दुनिया को बदलने के लिये कर सकते हो।”

“केवल शिक्षा की सहायता से ही किसी किसान की बेटो डॉक्टर और सुरंग में काम करने वाले आदमी का बेटा सुरंग का मुख्य बन सकता है।”

“शिक्षा एक इच्छुक समाज की आत्मा जैसी है जो हमें हमारे बच्चो को विकसित करने का रास्ता दिखाती है।”

“ऐसे बच्चे जो सड़क पर सोते है, और जिंदगी जीने के लिये भिक मांगते है वे कभी न खत्म होने वाले जॉब के गवाह है।”

जरुर पढ़े:  Nelson Mandela Biography In Hindi

More Quotes Collection:  Quotes In Hindi

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Mahatma gandhi slogan in Hindi |महात्मा गांधी के नारे

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Mahatma Gandhi slogan

महात्मा गांधी – आजादी के महानायक और एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए कठोर संघर्ष किए और अपना पूरा जीवन राष्ट्र के हित के लिए समर्पित कर दिया, उनके त्याग, समर्पण और उनकी कुर्बानी की आज भी मिसाल दी जाती है।

महात्मा गांधी न सिर्फ एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रनेता के रुप में जाने जाते हैं, बल्कि वे एक महान लेखक और प्रभावशाली छवि वाले व्यक्तित्व थे।

सत्य और अहिंसा महात्मा गांधी के दो शक्तिशाली और सशक्त हथियार थे, जिन्होंने इसे अपने जीवन के मुश्किल से मुश्किल परिस्थितयों में भी इन्हें अपनाया, और शांति के मार्ग पर चलकर बड़े-बड़े आंदोलन लड़े अंग्रेजी हुकूमत के नाक पर दम कर दिया।

इसके साथ ही वे हमेशा दूसरे लोगों को भी सत्य और अहिंसा के मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते थे।

वहीं आज हम अपने इस पोस्ट में महात्मा गांधी जी के प्रेरणादायक स्लोगन उपलब्ध करवा रहे हैं, जिन्हें अगर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अपना ले, तो असीम सफलता हासिल कर सकता है, साथ ही समाज के लिए आदर्श बन सकता है।

वहीं गांधी जी के प्रेरणादायक स्लोगन से न खुद आप सिर्फ अपना जीवन संवार सकते हैं, बल्कि इन स्लोगन को सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर कर इनके माध्यम से  दूसरों को भी सच्ची राह दिखा सकते हैं और तरक्की के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं।

Mahatma Gandhi slogan – महात्मा गांधी के नारे

Mahatma Gandhi slogan

“कानों का दुरुपयोग मन को दूषित और अशांत करता है।

किसी की मेहरबानी माँगाना, अपनी आजादी बेचना है।

“आँख के बदले में आँख पूरे दुनीया को अँधा बना देगी।

विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान् उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता, सिवाय रोटी देने वाले के रूप में।

“जब आपका सामना किसी विरोधी से हो, तो उसे प्रेम से जीतें, अहिंसा से जीते।

शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती ।

“करो या मरो।

खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।

“व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके चरित्र से होती है।

आपका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं।

“ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।

प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है  जिसे आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो कुछ बूंदे आप पर भी पड़ती हैं।

“पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।

Mahatma Gandhi par Nare

महात्मा गांधी सदैव सादा जीवन जीने और उच्च विचार रखने पर जोर देते थे, उन्होनें अपनी पूरा जीवन सदाचार में व्यतीत किया। इसके साथ ही वे हमेशा ही किसी भी फॉर्मुले को खुद पर अपनाते थे, और फिर खुद की ही गलतियों से सीखकर उन्हें सुधारने का प्रयास करते थे।

वहीं गांधी जी द्धारा कहा गया यह अतिलोकप्रिय कथन तो आपने सुना ही होगा कि,बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो। जिसका मतलब  है कि वे एक बेहद आर्दशवादी पुरुष थे,  अर्थात उनके उसूल और इन्हीं आदर्शों की वजह से उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजा गया।

वहीं महात्मा गांधी जी के बारे में अधिक बताने की जरुरत नहीं है, क्योंकि महात्मा गांधी के इन स्लोगन को पढ़कर आप खुद ही अंदाजा लगा लेंगे कि इस तरह के प्रेरणात्मक और महान विचार तो किसी युगपुरुष के ही हो सकते हैं। फिलहाल महात्मा गांधी के स्लोगन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

सच्चाई के मार्ग पर चलकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने उच्च विचारों माध्यम से न सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी के समय लोगों के अंदर आजादी पाने की अलख जगाई थी, और देश-प्रेम की भावना विकसित की थी, बल्कि आज भी उनके विचार और उनके नारे उतने ही प्रभावशाली हैं कि, एक नकारा और नाकामयाब पुरुष के अंदर भी सच्चाई के मार्ग पर चलकर जग जीतने का जुनून भर सकते हैं।

“आप मुझे बेडियों से जकड़ सकते हैं, यातना भी दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हैं, लेकिन आप कदापि मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।

दिल की कोई भाषा नहीं होती, दिल – दिल से बात करता है।

“हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सांमजस्य का लक्ष्य रखें, और अपने विचारों को शुद्ध करने की कोशिश करें, और सब कुछ सही हो जाएगा।

कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसे सीखो जैसे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।

“सत्य कभी भी किसी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो कि उचित हो।

मैं सिर्फ लोगों के अच्छे गुणों को देखता हूँ, ना की उनकी गलतियों को गिनता हूँ।

“पहले वो आप पर बिल्कुल बी ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेगें, और फिर वो आपसे लड़ेंगे और फिर तब आप निश्चय ही जीत जाएंगे।

विश्व के सभी धर्म, भले ही, कुछ चीजों अलग हों, लोकिन इस बात पर सभी का एकमत है कि दुनिया में कुछ और नहीं बल्कि सत्य ही जीवित रहता है।

“आप कभी भी यह नहीं समझ सकेंगे की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक की आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देंगे।

जहाँ पवित्रता है, वहीं निर्भयता है।

इंसान हमेशा वो बन जाता है जो वो होने में वो यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं इस चीज को नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच में वो करने में असमर्थ हो जाऊं। और इसके विपरीत अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा  ही लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।

और अधिक लेख: 

  1. Mahatma Gandhi Quotes
  2. महात्मा गांधीजी की जीवनी
  3. Motivational quotes in Hindi
  4. स्वतंत्रता सेनानियों के नारे
  5. महात्मा गांधी पर निबंध

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महात्मा गांधी जी पर कविताएं…

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Mahatma Gandhi Poem In Hindi

महात्मा गांधी जी देश के एक ऐसे युगपुरुष थे, जो कि अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं महान सिद्धान्तों की वजह से समस्त संसार के प्रेरणास्त्रोत बने।

सत्य और अहिंसा उनके दो ऐसे सशक्त हथियार थे, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में क्रूर ब्रटिश शासकों भी अपने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था।

गांधी जी आजादी के मुख्य सूत्रधार थे, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनकी जयंती को पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस एवं भारत में राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाया जाता है।

इस दिन सभी भारतीय एकजुट होकर बापू जी को सच्चे मन में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और उनके द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को याद करते हैं एवं उनके विचारों का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।

2 अक्टूबर को मनाई जाने वाली गांधी जयंती के मौके पर स्कूलों, कॉलेजों में आयोजित कार्यक्रमों में गांधी जी के महान व्यक्तित्व की व्याख्या करने एवं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए कई अध्यापकों एवं छात्रों द्धारा गांधी जी पर लिखीं गईं कुछ  कविताएं भी सुनाईं जाती हैं।

वहीं आज हम आपको अपने इस लेख में गांधी जी पर लिखीं गई कुछ ऐसी ही कविताएं उपलब्ध करवाएं, जिन्हें पढ़कर  न सिर्फ आपको गांधी जी के उदारवादी, आदर्शवादी एवं सैंद्धान्तवादी व्यक्तित्व के बारे में पता चलेगा, बल्कि देश के राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान की भावना भी विकसित होगी।

Mahatma Gandhi Poem in Hindi

महात्मा गांधी जी पर कविताएं – Mahatma Gandhi Poem In Hindi

बापू

आँखों पर चश्मा हाथ में लाठी और चेहरे पर मुस्कान,

दिल में था उनके हिंदुस्तान,

अहिंसा उनका हथियार था,

अंग्रेजों पर भारी जिसका वार था,

जात-पात को भुला कर वो जीना सिखाते थे,

सादा हो जीवन और अच्छे हो विचार,

बड़ो को दो सम्मान और छोटो को प्यार,

बापू यही सबको बताते थे,

लोगों के मन से अंधकार मिटाते थे,

स्वच्छता पर वे देते थे जोर,

माँ भारतीय से जुड़ी थी उनकी दिल को डोर,

ऐसी शख्सियत को हम कभी भूला ना पाएंगें,

उनके विचारों को हम सदा अपनायेंगे।

महात्मा गांधी जी पर कविताएं – Mahatma Gandhi Kavita

बापू जी की देशभक्ति एवं उनके द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण पर यूं तो कई कविताएं लिखी गईं हैं,

लेकिन इस लेख में हम आपको सत्य और अहिंसा के पुजारी एवं आजादी के महानायक महात्मा गांधी जी पर लिखी गई कुछ ऐसी कविताएं उपलब्ध करवा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आप सभी भारतवासी के मन में गांधी जी के लिए सम्मान की भावना पैदा होगी एवं उनकी अहमियत को समझने में मद्द मिलेगी।

महात्मा गांधी जी पर लिखीं गईं इन कविताओं को आप अपनी सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि पर भी शेयर कर उन्हें श्रद्धांजली दे सकते हैं।

बापू तेरा जीवन महान।

बापू तेरा जीवन महान।

तेरी कथनी करनी महान, तेरे कर्मों की गति महान।

बापू तेरा जीवन महान।

सत्य, अहिंसा के बल का जन-जन को भान कराया था।

मानव में ईश्वर की सत्ता का तुमने बोध कराया था।

तूने जगती को दिखा दिया भारत की संस्कृति है महान।।

बापू तेरा जीवन महान।

तूने अंग्रेजी सत्ता की ताकत को धूल चटा दी थी।

जन-जन के मानस में तूने सत्याग्रह शक्ति जगा दी थी।

तेरे श्रम, त्याग, तपस्या से स्वाधीन हुआ भारत महान।।

बापू तेरा जीवन महान।

तूने दुश्मन से प्यार किया, अन्यायों का प्रतिकार किया।

भूले, भटके इन्सानों को नवजीवन का आधार दिया।

चल पड़े करोड़ो मानव – जन, तेरे जीवन का पथ महान।।

बापू तेरा जीवन महान।

निर्धन, शोषित जनता को लागु उद्योग का उपहार दिया।

चरखे का चक्र चला कर शोषक सत्ता का संहार किया।

दे मंत्र स्वदेशी का तूने फिर जगा दिया था स्वाभिमान।।

बापू तेरा जीवन महान।

हर ऊँच-नीच के भेद भाव को मिटा दिया तूने बापू।

जो थे अछूत उनको हरिजन का नाम दिया तुमने बापू।

भंगी बस्ती में वास किया तुम दीनबंधु वैष्णव महान।।

बापू तेरा जीवन महान।

महात्मा गांधी जी पर कविताएं – Gandhi Jayanti Par Hindi Kavita

तमाम परेशानियों एवं संघर्षों का सामना करने के बाद भी महात्मा गांधी जी अंग्रेजों से आजादी पाने के अपने लक्ष्य से नहीं हिले और न ही कभी उन्होंने इसके लिए हिंसक तरीका अपनाया।

उनके सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के कारण ही उन्हें ‘महात्मा’ एवं राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई थी। अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ शांति से अपनी आवाज बुलंद करने वाले गांधी जी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया और अन्य लोगों को भी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी।

उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन चलाकर ब्रिटिश हुकूमत को उनकी वास्तविकता से वाकिफ करवा दिया था।

उनका मुख्य उद्देश्य भारत देश मे एकजुटता लाना एवं समाज में फैली जातिगत भेदभाव एवं छूआछूत जैसी तमाम कुरोतियों को दूर करना था।

आज हम सभी भारतीय महात्मा गांधी जी द्धारा स्वतंत्रता संग्राम में किए  गए अथक प्रयासों के बल पर ही आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वहीं गांधी जयंती के मौके पर गांधी जी के जीवन पर समर्पित ये कविताएं उनकी महानता को प्रस्तुत करती हैं। इन कविताओं के माध्यम से आप भी अपने राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान प्रकट कर सकते हैं।

राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो सभी प्यार से कहते बापू,
तुमने हमको सही मार्ग दिखाया सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
हम सब तेरी संतान है तुम हो हमारे प्यारे बापू।
सीधा सादा वेश तुम्हारा नहीं कोई अभिमान,
खादी की एक धोती पहने वाह रे बापू तेरी शान।
एक लाठी के दम पर तुमने अंग्रेजों की जड़ें हिलायी,
भारत माँ को आजाद कराया राखी देश की शान।

महात्मा गांधी जी पर कविताएं – Mahatma Gandhi Par Kavita In Hindi

सभी भारतीयों को एकजुट करने और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम के महान महानायक गांधी जी के जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है, जिस तरह गांधी जी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया एवं एक साधारण मनुष्य की तरह उन्होंने अपनी जिंदगी जी उससे आज के हर युवाओं को सीखने लेनी चाहिए।

महात्मा गांधी जी एक कुशल प्रशासक थे, जिन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्तासीन क्रूर ब्रिटिश अधिकारियों के बीच अपना रास्ता निकालना आता था।

गांधी जी का मानना था कि संतोष पूरी मेहनत और प्रयास से मिलता है न कि फल प्राप्ति से, पूरा प्रयास ही असली विजय होती है।

उनके जीवन पर लिखी गईं इन कविताओं के माध्यम से उनके प्रति सभी भारतीयों के मन में सम्मान का भाव पैदा होता है साथ ही उनके द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए बलिदानों के महत्व को समझने में मद्द मिलती है।

बापू महान, बापू महान!
ओ परम तपस्वी परम वीर
ओ सुकृति शिरोमणि, ओ सुधीर
कुर्बान हुए तुम, सुलभ हुआ
सारी दुनिया को ज्ञान
बापू महान, बापू महान!!
बापू महान, बापू महान
हे सत्य-अहिंसा के प्रतीक
हे प्रश्नों के उत्तर सटीक
हे युगनिर्माता, युगाधार
आतंकित तुमसे पाप-पुंज
आलोकित तुमसे जग जहान!
बापू महान, बापू महान!!
दो चरणोंवाले कोटि चरण
दो हाथोंवाले कोटि हाथ
तुम युग-निर्माता, युगाधार
रच गए कई युग एक साथ.
तुम ग्रामात्मा, तुम ग्राम प्राण
तुम ग्राम हृदय, तुम ग्राम दृष्टि
तुम कठिन साधना के प्रतीक
तुमसे दीपित है सकल सृष्टि

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  2. महात्मा गांधीजी की जीवनी
  3. Motivational quotes in Hindi
  4. स्वतंत्रता सेनानियों के नारे
  5. महात्मा गांधी पर निबंध

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महात्मा गांधी जी पर भाषण – Mahatma Gandhi Speech in Hindi

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Mahatma Gandhi Speech

2 अक्टूबर को मनाई जाने वाली गांधी जयंती के मौके पर देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सम्मान में स्कूल, कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

जिसमें आज की युवा पीढ़ी को गांधी जी द्धारा देश के लिए दिए गए त्याग, बलिदान और समर्पण के बारे में बताया जाता है। इस राष्ट्रीय पर्व के दौरान महात्मा गांधी जी को सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

वहीं इस मौके पर गांधी जी के महान एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व का बखान करने एवं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए भाषण और निबंध लेखन जैसी तमाम प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।

ऐसे मौके पर कई बार भाषण देने की आवश्यता होती है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में महात्मा गांधी जी पर भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं, तो आइए जानते हैं देश के युगपुरुष महात्मा गांधी पर भाषण के बारे में-

Mahatma Gandhi speech in Hindi

महात्मा गांधी जी पर भाषण – Mahatma Gandhi Speech in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, उप प्रधानाचार्य महोदय, सम्मानीय समस्त शिक्षक गण और मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों। सर्वप्रथम आप सभी को मेरा नमस्कार। जैसे कि हम सभी जानते हैं, आज गांधी जयंती है और इस मौके पर हम सभी लोग इस समारोह में इकट्ठे हुए हैं, हर साल की तरह इस बार भी हमारे स्कूल में इस मौके पर इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

मै आप सभी का इस मौके पर हार्दिक अभिनंदन करता हूं/करती हूं। आज मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आज मुझे आजादी के महानायक और युगपुरुष महात्मा गांधी जी के बारे में बोलने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। मै आज खुद को बेहद गौरान्वित महसूस कर रहा हूं/कर रही हूं कि गांधी जी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता पर मुझे अपने विचार व्यक्त करने का मौका मिला है। मैं अपना भाषण गांधी जी पर लिखीं गईं कुछ शानदार पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं/करना चाहती हूं-

सच्चाई का शस्त्र लेकर,
और अहिंसा का अश्त्र लेकर,
तूने देश बचाया अपना,
गोरों को था दूर भगाया,
दुश्मन से प्यार किया,
मानव पर उपकार किया,
गाँधी करते तुझे नमन,
तुझे चढ़ाते प्रेम-सुमन।

जी हां हमारे गांधी जी ऐसे ही व्यक्तित्व वाले महापुरुष थे, जिन्होंने सच्चाई और अहिंसा के बल पर भारत देश को क्रूर अंग्रेज शासकों की गुलामी से आजादी दिलवाई।

शांति के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन छेड़े और समस्त भारतवासियों को एकजुट करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महापुरुष थे, जिनके आदर्शों का नेल्सन मंडेला, स्टीव जॉब्स, मार्टिन लूथर जैसी महान हस्तियों ने भी अनुसरण किया है।

महात्मा गांधी जी ने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में डाला था। वे सिद्धान्तों और उसूलों के पक्के थे, जो भी करते थे, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते थे और तब तक वे निरंतर प्रयास करते रहते थे, जब तक कि उन्हें पूरी तरह से सफलता नहीं मिल जाती थी। वे कई लोगों के प्रेरणास्त्रोत बने।

उन्हें सत्य और अहिंसा का पुजारी माना जाता है एवं इसी वजह से उन्हें ”राष्ट्रपिता”,”महात्मा”और ”बापू” की भी संज्ञा दी गई थी। वे समस्त राष्ट्र को एक परिवार मानते थे और सभी को एकसाथ लेकर चलते थे। वे एक राष्ट्रवादी, राजनैतिक एवं अध्यात्मिक नेता थे, जिनका मानना था कि –

”प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है जिसे आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो कुछ बूंदे आप पर भी पड़ती हैं”।

वे हमेशा लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे एवं उन्होंने अपने कई महान विचारों से लोगों को उनके जीवन में सफलता पाने के मंत्र भी बताए हैं। वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

महात्मा गांधी जी 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात के पोरबंदर में जन्में थे। उनके जन्मदिन को पूरे भारत में राष्ट्रीय पर्व एवं पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है।

उनके पिता का नाम करमचद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था, जो कि एक धार्मिक विचारों वाली महिला थी, जिनके विचारों का महात्मा गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था। अनुशासित रहना गांधी जी के स्वभाव में शुरु से ही शामिल था।

वे एक होनहार बालक की तरह नियमित रुप से स्कूल जाते थे। उन्होंने अपनी कानून की पढ़ाई इंग्लैंड जाकर पूरी की और अपने स्वेदश भारत लौटकर एक कामयाब और सफल वकील के रुप में अपनी पहचान बनाई। अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही दक्षिण अफ्रीका में काले-गोरे के रंग भेदभाव के खिलाफ उन्होंने काफी संघर्ष भी किया।

इसके बाद उन्होंने भारत माता के एक सच्चे एवं वीर पुरुष की तरह आजादी की लड़ाई में खुद को पूरी तरह झोंक दिया और अंग्रेजो की गुलामी से भारत को आजाद करवाने के लिए कई बड़े आंदोलन किए। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य सूत्रधार भी कहा जाता है।

उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ भारत की जनता को एकजुट कर सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन, अहिंसा आंदोलन, ”भारत छोड़ो आंदोलन”, सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए और सच्चाई एवं शांति के मार्ग पर चलते हुए अपने इन आंदोलनों से न सिर्फ अंग्रेजों की नाक पर दम कर दिया बल्कि उन्हें भारतीयों की एकता की शक्ति का एहसास दिलवाकर भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया।

हालांकि, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी  को भी ब्रिटिश हुकूमत के अमानवीय अत्याचारों का शिकार होना पड़ा था एवं जेल की कठोर यातनाएं सहन करनी पड़ी थी। बहरहाल, इन सबके बाबजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और वे लगातार देश को आजादी प्राप्त करने के अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे।

वहीं  महात्मा गांधी जी जैसे महान पुरुष के द्धारा देश की आजादी के लिए किए गए अथक प्रयासों के बल पर ही आज हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं।

इसके अलावा महात्मा गांधी जी ने देश में फैली जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव जैसी तमाम कुरोतियों को दूर करने में भी अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई। वे एक ऐसे महानायक थे, जिनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। महात्मा गांधी जी ने स्वच्छ और विकसित भारत का सपना देखा था, जिसे पूरा करने के लिए उनके नाम पर मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान जैसी कई योजनाएं भी चलाईं हैं।

वहीं उनके लिए आज हर भारतवासी के ह्र्दय में अपूर्व सम्मान और निष्ठा है। वे विश्व पटल पर सत्य और अहिंसा के प्रतीक के रुप में जाने जाते हैं।

आज देश-दुनिया में तमाम हिंसात्मक गतिविधियां जन्म ले रही हैं, ऐसे में महात्मा गांधी जी के विचारों और संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

इनके विचारो को अपनाने के लिए लोगों के अंदर जागरूकता फैलाकर हिंसात्मक गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकती है। बापू जी से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके आदर्शों पर चलने का अनुसरण करना चाहिए, तभी हम सभी लोगों का जीवन सफल हो सकता है।

आप सभी का मेरा भाषण सुनने के लिए धन्यवाद। मैं अपने भाषण का अंत देश के युगपुरुष के लिए लिखी गईं कुछ शानदार पंक्तियां के माध्यम से करना चाहता हूं/चाहती हूं-

बापू के सपनों को फिर से सजाना है,
देकर लहू का कतरा इस चमन को बचाना है,
बहुत गा लिए हमने आजादी के गाने,
अब हमें भी देशभक्ति का फर्ज निभाना है।।

धन्यवाद ।।

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  2. स्वामी विवेकानंद जी का भाषण
  3. Charlie Chaplin Speech The Great Dictator
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी | Mahatma Gandhi Biography

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Mahatma Gandhi in Hindi

आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ – Mahatma Gandhi.

Mahatma Gandhi
Mahatma Gandhi Photo

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi Biography

पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म दिनांक 2 अक्तुंबर 1869
जन्मस्थान पोरबंदर (गुजरात)
पिता का नाम करमचंद
माता का नाम पुतली बाई
शिक्षा 1887 में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण। 1891 में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर
वो भारत लोटें।
विवाह – Wife कस्तूरबा – Kasturba Gandhi
बच्चों के नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
उपलब्धियां भारत के राष्ट्रपिता, भारत को आजाद दिलवाने में अहम योगदान,
सत्य और अहिंसा के प्रेरणा स्त्रोत,
भारत के स्वतंत्रा संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान भारत छोड़ो आंदोलन,
स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन स्वदेशी आंदोलन आदि।
महत्वपूर्ण कार्य सत्या और अहिंसा का महत्व बताकर इसको लोगों तक पहुंचाया,
छुआ-छूत जैसी बुराइयों को दूर किया

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi in Hindi

आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi ने अपने अथक प्रयासों के बल पर अंग्रेजो से भारत को आजाद कराया यही नहीं इस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित में लगा दिया। महात्मा गांधी की कुर्बानी की मिसाल आज भी दी जाती है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi के पास सत्य और अहिंसा दो हथियार थे जिन्होनें इसे भयावह और बेहद कठिन परिस्थितयों में अपनाया शांति के मार्ग पर चलकर इन्होनें न सिर्फ बड़े से बड़े आंदोलनों में आसानी से जीत हासिल की बल्कि बाकी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू जी के नामों से भी पुकारा जाता है। वे सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाली शख्सियत थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सदाचार में गुजारा और अपनी पूरी जिंदगी राष्ट्रहित में कुर्बान कर दी। उन्होनें अपने व्यक्तित्व का प्रभाव न सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरी दुनिया में डाला।

महात्मा गांधी महानायक थे जिनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। Mahatma Gandhi- महात्मा गांधी कोई भी फॉर्मुला पहले खुद पर अपनाते थे और फिर अपनी गलतियों से सीख लेने की कोशिश करते थे।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा कहते थे,

“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो”

यानि की वे आदर्शों पर चलने वाले व्यक्ति थे और उनके जीवन के इन्हीं आदर्शों ने उन्हें राष्ट्रपित की संज्ञा दिलवाई।

महात्मा गांधी जी का जन्म, बचपन, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Mahatma Gandhi Childhood

देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश हुकूमत के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, उनके महान विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गांधी जी का विवाह एवं बच्चे – Mahatma Gandhi Marriage Family

महात्मा गांधी जी जब 13 साल के थे, तब बाल विवाह की कुप्रथा के तहत उनका विवाह एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा मनकजी  के साथ कर दिया गया था। कस्तूरबा जी भी एक बेहद शांत और सौम्य स्वभाव की महिला थी। शादी के बाद उन दोनो को चार पुत्र हुए थे, जिनका नाम हरिलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी एवं मणिलाल गांधी था।

महात्मा गाधी जी की शिक्षा – Mahatma Gandhi Education

महात्मा गांधी जी शुरु से ही एक अनुशासित छात्र थे, जिनकी शुरुआती शिक्षा गुजरात के राजकोट में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। फिर अपने परिवार वालों के कहने पर वे अपने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

इसके करीब चार साल बाद 1891 में वे अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने स्वदेश भारत वापस लौट आए। इसी दौरान उनकी माता का देहांत हो गया था, हालांकि उन्होंने इस दुख की घड़ी में भी हिम्मत नहीं हारी और वकालत का काम शुरु किया। वकालत के क्षेत्र में उन्हें कुछ ज्यादा कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन जब वे एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।

इस दौरान उनके साथ कई ऐसी घटनाएं घटीं जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और इससे लड़ने के लिए 1894 में नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की।इस तरह गांधी जी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर रंगभेदभाव के मुद्दे को उठाया।

जब इंग्लेंड से वापस लौटे महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi Returned from England

साल 1891 में गांधी जी बरिस्ट्रर होकर भारत वापस लौटे इसी समय उन्होनें अपनी मां को भी खो दिया था लेकिन इस कठिन समय का भी गांधी जी ने हिम्मत से सामना किया और गांधी जी ने इसके बाद वकालत का काम शुरु किया लेकिन उन्हें इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।

गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका की यात्रा – Mahatma Gandhi Visit to South Africa

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी जी को वकालत के दौरान दादा अब्दुल्ला एण्ड अब्दुल्ला नामक मुस्लिम व्यापारिक संस्था के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इस यात्रा में गांधी जी का भेदभाव और रंगभेद की भावना से सामना हुआ। आपको बता दें कि गांधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचने वाले पहले भारतीय महामानव थे जिन्हें अपमानजनक तरीके से ट्रेन से बाहर उतार दिया गया। इसके साथ ही वहां की ब्रिटिश उनके साथ बहुत भेदभाव करती थी यहां उनके साथ अश्वेत नीति के तहत बेहद बुरा बर्ताव भी किया गया था।

जिसके बाद गांधी जी के सब्र की सीमा टूट गई और उन्होनें इस रंगभेद के खिलाफ संघर्ष का फैसला लिया।

जब गांधी जी ने रंगभेद के खिलाफ लिया संघर्ष का संकल्प –

रंगभेद के अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी ने यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया और इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना शुरु किया।

इसके बाद 1906 में दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों के लिए अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया गया।

गांधी जी की दक्षिणा अफ्रीका से वापस भारत लौटने पर स्वागत – Mahatma Gandhi Return to India from South Africa

1915 में दक्षिण अफ्रीका में तमाम संघर्षों के बाद वे वापस भारत लौटे इस दौरान भारत अंग्रेजो की गुलामी का दंश सह रहा था। अंग्रेजों के अत्याचार से यहां की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी। यहां हो रहे अत्याचारों को देख गांधी – Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला लिया और एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा के साथ वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

स्वतंत्रता सेनानी के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

महात्मा गांधी जी ने जब अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से लौटने के बाद क्रूर ब्रिटिश शासकों द्धारा भारतवासियों के साथ हो रहे अमानवीय अत्याचारों को देखा, तब उन्होंने देश से अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का संकल्प लिया और गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र करवाने के उद्देश्य से खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम में झोंक दिया।

उन्होंने देश की आजादी के लिए तमाम संघर्ष और लड़ाईयां लड़ी एवं सत्य और अहिंसा को अपना सशक्त हथियार बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन लड़े और अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया। वे न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार थे, बल्कि उन्हें आजादी के महानायक के तौर पर भी जाना जाता है।

हमारा पूरा भारत देश आज भी उनके द्धारा आजादी की लड़ाई में दिए गए  त्याग, बलिदान की गाथा गाता है एवं उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है।

गांधी जी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन – Mahatma Gandhi Aandolan

  • महात्मा गांधी का चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Mahatma Gandhi Champaran and Kheda Andolan

चम्पारण और खेडा में जब अंग्रेज भारत पर शासन कर रहे थे। तब जमीदार किसानों से ज्यादा कर लेकर उनका शोषण कर रहे थे। ऐसे में यहां भूखमरी और गरीबी के हालात पैदा हो गए थे। जिसके बाद गांधी जी ने चंपारण के रहने वाले किसानों के हक के लिए आंदोलन किया और इस आंदोलन में किसानों को 25 फीसदी से धनराशि वापस दिलाने में कामयाब रही।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और वे जीत गए। इससे लोगों के बीच उनकी एक अलग छवि बन गई।

इसके बाद खेड़ा के किसानों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा जिसके चलते किसान अपनों करों का भुगतान करने में असमर्थ थे। इस मामले को गांधी जी ने अंग्रेज सरकार के सामने रखा और गरीब किसानों का लगान माफ करने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने प्रखर और तेजस्वी गांधी जी का ये प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों की लगान को माफ कर दिया।

  • महात्मा गांधी का खिलाफत आंदोलन (1919-1924) – Mahatma Gandhi Khilafat Andolan

गरीब, मजदूरों के बाद गांधी जी ने मुसलमानों द्दारा चलाए गए खिलाफत आंदोलन को भी समर्थन दिया था। ये आंदोलन तुर्की के खलीफा पद की दोबारा स्थापना करने के लिए चलाया गया था। इस आंदोलन के बाद गांधी जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता का भरोसा भी जीत लिया था। वहीं ये आगे चलकर गांधी – Mahatma Gandhi जी के असहयोग आंदोलन की नींव बना।

  • महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन (1919-1920) – Mahatma Gandhi Asahyog Andolan

रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के लिए अमृतसर के जलियां वाला बाग में सभा के दौरान ब्रिटिश ऑफिस ने बिना वजह निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा दी जिसमें वहां मौजूद 1000 लोग मारे गए थे जबकि 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना से महात्मा गांधी को काफी आघात पहुंचा था जिसके बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आंदोलन करने का फैसला लिया था। इसके तहत गांधी जी ने ब्रिटिश भारत में राजनैतिक, समाजिक संस्थाओं का बहिष्कार करने की मांग की।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने प्रस्ताव की रुप रेखा तैयार की वो इस प्रकार है –

  1. सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार
  2. सरकारी अदालतों का बहिष्कार
  3. विदेशी मॉल का बहिष्कार
  4. 1919 अधिनियम के तहत होने वाले चुनाव का बहिष्कार
  • महात्मा गांधी का चौरी-चौरा काण्ड (1922) – Mahatma Gandhi Chauri Chaura Andolan

5 फरवरी को चौरा-चौरी गांव में कांग्रेस ने जुलूस निकाला था जिसमें हिंसा भड़क गई थी दरअसल इस जुलूस को पुलिस ने रोकने की कोशिश की थी लेकिन भीड़ बेकाबू होती जा रही थी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक थानेदार और 21 सिपाहियों को थाने में बंद कर आग लगा ली। इस आग में झुलसकर सभी लोगों की मौत हो गई थी इस घटना से महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi का ह्रद्य कांप उठा था। इसके बाद यंग इंडिया अखबार में उन्होनें लिखा था कि,

“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मै हर एक अपमान, यातनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं”

  • महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक आंदोलन (1930) – Mahatma Gandhi Savinay Avagya Andolan/ Dandi March / Namak Andolan

महात्मा गांधी ने ये आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाया था इसके तहत ब्रिटिश सरकार ने जो भी नियम लागू किए थे उन्हें नहीं मानना का फैसला लिया गया था अथवा इन नियमों की खिलाफत करने का भी निर्णय लिया था। आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई अन्य व्यक्ति या फिर कंपनी नमक नहीं बनाएगी।

12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्धारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था उन्होनें दांडी नामक स्थान पर पहुंचकर नमक बनाया था और कानून की अवहेलना की थी।

Mahatma Gandhi – गांधी जी की दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चली। दांडी यात्रा साबरमति आश्रम से निकाली गई। वहीं इस आंदोलन को बढ़ते देख सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिए भेजा था जिसके बाद गांधी जी ने समझौता स्वीकार कर लिया था।

  • महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन- (1942) – Mahatma Gandhi Bharat Chhodo Andolan

ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी ने तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन छेड़ा था। इस आंदोलन को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों’ का नाम दिया गया था।

हालांकि इस आंदोलन में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन देश के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के माध्यम से इस आंदोलन को चलाते रहे उस समय देश का बच्चा-बच्चा गुलाम भारत से परेशान हो चुका था और आजाद भारत में जीना चाहता था। हालांकि ये आंदोलन असफल रहा था।

महात्मा गांधी के आंदोलन के असफल होने की कुथ मुख्य वजह नीचे दी गई हैं –

ये आंदोलन एक साथ पूरे देश में शुरु नहीं किया गया। अलग-अलग तारीख में ये आंदोलन शुरु किया गया था जिससे इसका प्रभाव कम हो गया हालांकि इस आंदोलन में बड़े स्तर पर किसानों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।

भारत छोड़ों आंदोलन में बहुत से भारतीय यह सोच रहे थे कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद उन्हें आजादी मिल ही जाएगी इसलिए भी ये आंदोलन कमजोर पड़ गया।

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन सफल जरूर नहीं हुआ था लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासकों को इस बात का एहसास जरूर दिला दिया था कि अब और भारत उनका शासन अब और नहीं चल पाएगा और उन्हें भारत छोड़ कर जाना ही होगा।

Mahatma Gandhi- गांधी जी के शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

महात्मा गांधी के आंदोलनों की खास बातें – Important things about Mahatma Gandhi’s movements

महात्मा गांधी -Mahatma Gandhi की तरफ से चलाए गए सभी आंदोलनों में कुछ चीजें एक सामान थी जो कि निम्न प्रकार हैं –

  • गांधी जी के सभी आंदोलन शांति से चलाए गए।
  • आंदोलन के दौरान किसी की तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने की वजह से ये आंदोलन रद्द कर दिए जाते थे।
  • आंदोलन सत्य और अहिंसा के बल पर चलाए जाते थे।

समाजसेवक के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as a Social Reformer

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ एक महान समाज सेवक भी थे। जिन्होंने देश में जातिवाद, छूआछूत जैसी तमाम कुरोतियों को दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका सभी धर्म, जाति,वर्ग एवं लिंग के लोगों के प्रति एक नजरिया था।

उन्होंने जातिगत भेदभाव से आजाद भारत का सपना देखा था। गांधी जी ने निम्न, पिछड़ी एवं दलित वर्ग को ईश्वर के नाम पर ”हरि”जन कहा था और समाज में उन्हें बराबरी का हक दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए थे।  

”राष्ट्रपिता” (फादर ऑफ नेशन) के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as Father of Nation

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि भी दी गई थी। उनके आदर्शों और महान व्यक्तित्व के चलते नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने सर्वप्रथम 4 जून, 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक प्रसारण के दौरान गांधी जी को ”देश का पिता” कहकर संबोधित किया था।

इसके बाद नेता जी ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से एक संदेश प्रसारित करते हुए गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।  वहीं 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी ने भारतवासियों को रेडियो पर उनकी मौत का दुखद समाचार देते हुए कहा था कि ”भारत के राष्ट्रपिता अब नहीं रहे”।

महात्मा गांधी जी द्धारा लिखी गईं किताबें – Mahatma Gandhi Books

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, अच्छे राजनेता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखन कौशल से देश के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के संघर्ष का बेहद शानदार वर्णन किया है। उन्होंने अपनी किताबों में स्वास्थ्य, ग्रामीण सुधार, धर्म, समाजिक सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लिखा है।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी ने  इंडियन ओपनियन, यंग इंडिया, हरिजन, नवजीवन आदि पत्रिकाओं में एडिटर के रुप में भी कार्य किया है। उनके द्धारा लिखी गईं कुछ प्रमुख किताबों के नाम निम्नलिखित हैं-

  • हिन्दी स्वराज (1909)
  • मेरे सपनों का भारत (India of my Dreams)
  • ग्राम स्वराज (Village Swaraj by Mahatma Gandhi)
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (Satyagraha in South Africa)
  • एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी (An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth (1927) 
  • स्वास्थ्य की कुंजी (Key To Health)
  • हे भगवान (My God)
  • मेरा धर्म(My Religion)
  • सच्चाई भगवान है( Truth is God)

इसके अलावा गांधी जी ने कई और किताबें लिखी हैं, जो न सिर्फ समाज की सच्चाई को बयां करती हैं, बल्कि उनकी दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करती हैं।

महात्मा गांधी जी के स्लोगन – Mahatma Gandhi Slogan

सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व महात्मा गांधी जी के ने अपने कुछ महान विचारों से प्रभावशाली स्लोगन दिए हैं। जिनसे देशवासियों के अंदर न सिर्फ देश-प्रेम की भावना विकिसत होती है, बल्कि उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा मिलती है, महात्मा गांधी जी के कुछ लोकप्रिय स्लोगन इस प्रकार हैं-

  • आपका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं- महात्मा गांधी
  • करो या मरो- महात्मा गांधी
  • शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है, यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है- महात्मा गांधी
  • पहले वो आप पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देंगे , फिर वो आप पर हंसेगें , और फिर वो आपसे लड़ेंगे तब आप निश्चय ही जीत जाएंगे – महात्मा गांधी
  • अपना जीवन कुछ इस तरह जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसे सीखो जैसे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो- महात्मा गांधी
  • कानों का दुरुपयोग मन को दूषित एवं अशांत करता है- महात्मा गांधी
  • सत्य कभी भी ऐसे कारण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता जो कि उचित हो-महात्मा गांधी
  • भगवान का कोई धर्म नहीं है- महात्मा गांधी
  • ख़ुशी तब ही मिलेगी जब आप, जो भी सोचते हैं, जो भी कहते हैं और जो भी करते हैं, वो सब एक सामंजस्य में हों- महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जी की जयंती – Mahatma Gandhi Jayanti

2 अक्टूबर को पूरे देश में गांधी जयंती के रुप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में जन्में थे। गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे, इसलिए 2 अक्टूबर के दिन को पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

गांधी जयंती के मौके पर स्कूल, कॉलेजों में अन्य शैक्षणिक संस्थानों में तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत कई बड़े राजनेता दिल्ली के राजघाट पर बनी गांधी प्रतिमा पर सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। वहीं गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है।

महात्मा गांधी की कुछ खास बातें – Some special things of Mahatma Gandhi

  • सादा जीवन, उच्च विचार –

राष्ट्रपति महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi सादा जीवन उच्च विचार में भरोसा रखते थे उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें ‘महात्मा’ कहकर बुलाते थे।

  • सत्य और अहिंसा –

महात्मा गांधी के जीवन के 2 हथियार थे सत्य और अहिंसा। इन्हीं के बल पर उन्होनें भारत को गुलामी से आजाद कराया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

  • छूआछूत को दूर करना था गांधी जी का मकसद

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली छुआछूत जैसी कुरोतियों को दूर करना था इसके लिए उन्होनें काफी कोशिश की और पिछड़ी जातियों को उन्होनें ईश्वर के नाम पर हरि ‘जन’ नाम दिया।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु – Death of Mahatma Gandhi

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

एक नजर में महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य – Mahatma Gandhi Short Biography

  • 1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधीजब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगों को संघटित करके उन्होंने 1894 में “नेशनल इंडियन कॉग्रेस” की स्थापना की।
  • 1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना जरुरी था। इसके अलावा रंग भेद नीती के खिलाफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
  • 1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
  • 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
  • 1920 में नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
  • 1924 में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
  • 1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुआ। नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
  • 1931 में राष्ट्रिय सभा के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
  • 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
  • 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
  • 1934 में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी।
  • 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
  • व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी – Mahatma Gandhi ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः 15 अगस्त 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया।
  • 1948 में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था।

महात्मा गांधी महान पुरुष थे उन्होनें अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काम किए वहीं गांधी जी के आंदोलनों की सबसे खास बात यह रही कि उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी संघर्षों का डटकर सामना किया।

उन्होनें अपने जीवन में हिंदू-मुस्लिम को एक करने के भी कई कोशिश की। इसके साथ ही गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि हर कोई उनसे मिलने के लिए आतुर रहता था और उनसे मिलकर प्रभावित हो जाता था।

Mahatma Gandhi Book’s

महात्मा गांधी विशेषता – भारत के राष्ट्रपिता,  महात्मा।

मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।

महात्मा गांधी जी पर बनी फिल्में – Mahatma Gandhi Movie

महात्मा गांधी जी आदर्शों और सिद्धान्तों पर चलने वाले महानायक थे, उनके प्रेरणादायक जीवन पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अन्य देशप्रेमियों और स्वतंत्रता सेनानियों पर भी बनी फिल्मों में गांधी जी का अहम किरदार दिखाया गया है। यहां हम आपको गांधी जी बनी कुछ प्रमुख फिल्मों की सूची उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-

  1. फिल्म- ‘गांधी’ (1982)

डायरेक्शन-   रिचर्ड एटनबरो

गांधी जी का किरदार निभाया- हॉलीवुड कलाकार बने किंस्ले

2- फिल्म- ”गांधी माइ फादर”(2007)

डायरेक्टर- फिरोज अब्बास मस्तान

गांधी जी का किरदार निभाया- दर्शन जरीवाला

3- फिल्म- ”हे राम” (2000)

डायरेक्टर-कमल हसन

गांधी जी का किरदार निभाया- नसीरुद्दीन शाह

4- फिल्म- ”लगे रहो मुन्नाभाई”

डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी (2006)

गांधी जी का किरदार निभाया- दिलीप प्रभावलकर

5- फिल्म- ”द मेकिंग ऑफ गांधी”(1996)

डायरेक्टर- श्याम बेनेगल

गांधी जी का किरदार निभाया-रजित कपूर

6- फिल्म- ”मैंने गांधी को नहीं मारा”(2005)

डायरेक्शन- जहनु बरुआ

इसके अलावा भी कई अन्य फिल्में भी गांधी जी के जीवन पर प्रदर्शित की गई हैं।

महात्मा गांधी जी के भजन – Mahatma Gandhi Bhajan

महात्मा गांधी जी के प्रिय भजन जिसे वह अक्सर गुनगुनाते थे-

भजन नंबर 1-

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे ।।

पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे ।।
सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे ।।
वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे ।।

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे ।।

समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, पर स्त्री जेने मात रे ।।
जिहृवा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे ।।
मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ वैराग्य जेना तन मा रे ।।
राम नामशुं ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मा रे ।।
वण लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्या रे ।।
भणे नर सैयों तेनु दरसन करता, कुळ एको तेर तार्या रे ।।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी का यह भजन साल 2018 में वैश्विव हो गया था, इस भजन को 124 देशों के कलाकरों ने एक साथ गाकर बापू जी को श्रद्धांजली अर्पित की थी।

भजन नंबर 2-

रघुपति राघव राजाराम,

पतित पावन सीताराम

सीताराम सीताराम,

भज प्यारे तू सीताराम

रघुपति राघव राजाराम ।।

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,

सब को सन्मति दे भगवान

रघुपति राघव राजाराम ।।

रात का निंदिया दिन तो काम

कभी भजोगे प्रभु का नाम

करते रहिए अपने काम

लेते रहिए हरि का नाम

रघुपति राघव राजा राम ।।

इस भजन के अलावा भी गांधी जी ”साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।।।……..” आदि भजन भी गुनगुनाते थे ।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जो हम आपको यहाँ बतायेंगे …

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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “राष्ट्रपिता और बापू” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

प्रस्तावना

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी  ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

निस्कर्ष-

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

निस्कर्ष

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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रबिन्द्रनाथ टैगोर के टॉप 10 सुविचार – Quotes by Rabindranath Tagore

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Quotes by Rabindranath Tagore

रबिन्द्रनाथ टैगोर को आज कोण नहीं जानता, वो बंगाली भाषा के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कवितायेँ लिखी जो आज दुनिया हर में मशहूर हैं। आज हम यहाँ अपने इस लेख में आपके लिए उन्हीं के कुछ प्रेरणादायक अनमोल विचार लाये हैं। आपको जरुर पसंद आयेंगे।

रबिन्द्रनाथ टैगोर के टॉप 10 सुविचार – Quotes by Rabindranath Tagore in Hindi

Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

“सिर्फ तर्क करनेवाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह हैं जिसमे सिर्फ ब्लेड हैं, यह इसका प्रयोग करनेवाले के हाथ से खून निकाल देता हैं।

Quotes of Rabindranath Tagore

“पंखुड़िया तोड़ कर आप फुल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।

Rabindranath Tagore ke Suvichar

“तथ्य कई हैं, पर सत्य एक हैं।

Rabindranath Tagore Thoughts

“प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता बल्कि स्वतंत्रता देता हैं।

Rabindranath Tagore Thoughts in Hindi

“जब मैं ख़ुद पर हँसता हूँ, तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता हैं।

Rabindranath Tagore Quotes

“मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।

Rabindranath Tagore Lines in Hindi

“आस्था वो पक्षी हैं, जो अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती हैं।

Thought of Rabindranath Tagore

“यदि सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेंगा।

Rabindranath Tagore ke Vichar

“जो कुछ हमारा हैं, वो हम तक नहीं आता हैं, यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।

Rabindranath Tagore Quotes Gif

“हर एक कठिनाई जिससे आप मुहं मोड़ लेते हैं, एक भुत बन कर आपकी नींद में बाधा डालेंगी।

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विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध

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Dussehra Essay in Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। यहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग और पंथ के लोग रहते हैं, जो अपने-अपने परंपराओं, संस्कृति और रीति-रिवाज से त्योहारों को मनाते हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म के लोग विजयादशमी और दशहरा का पर्व धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह पर्व हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में से एक है।

यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद विजय पर्व के रुप में इसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में जगह-जगह आयोजित होने वाली रामलीला को लेकर बच्चों में खास उत्साह रहता है।

इस पर्व के महत्व को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में बच्चों से निबंध लिखने के लिए भी कहा जाता है। इसलिए आज हम आपको दशहरा पर्व पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं , जिसे आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं-

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra Essay in Hindi

Dussehra Essay in Hindi

प्रस्तावना

दशहरा और विजयादशमी का पर्व, पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है, जिसका सभी को पूरे साल इंतजार रहता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद दसवें दिन रावण का पुतला जला कर लोग इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व के दिन लोग अपने अंदर की सभी बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं। दशहरा का सभी लोगों के लिए खास महत्व होता है।

कब मनाया जाता है दशहरा का पर्व – When we Celebrate Dussehra

विजयादशमी का पर्व हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के पहले नौ दिन तक दुर्गा मां की आराधना की जाती है। नवरात्रों के बाद दसवें दिन इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।

दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता है? – Why we Celebrate Dussehra

असत्य पर सत्य की विजय के इस पावन पर्व  को मनाने के पीछे कई कहानियां जुड़ी हुई हैं , जिनमें से अत्याधिक प्रसिद्ध और प्रचलित यही कथा है कि इस  दिन भगवान राम ने महापापी राक्षस रावण का वध कर उसे अंहकार का विनाश किया था।

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कैकयी के कहने पर अपने पुत्र भगवान राम को 14 साल के लिए वनवास पर भेज दिया था, तब वनवास के आखिरी सालों में माता सीता का रावण से हरण कर लिया था।

जिसकी वजह से भगवान राम और रावण में भयंकर युद्ध हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि रावण एक महाबलशाली एवं विद्धांन पंडित था, जिसके पास न सिर्फ दैत्यरुपी शक्तियां थी, बल्कि अपार ज्ञान भी था, जिसका उसे बेहद अहंकार था। उसके अहंकार का विनाश करने के लिए ही विष्णु जी ने राम का अवतार लिया था।

वहीं भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच हुए युद्द में भगवान राम का हनुमान जी, वानर सेना और रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी उनका साथ दिया और अंत में उन्होंने रावण का वध कर उसके घमंड को चूर-चूर कर दिया था। इसलिए उस दिन से बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में इस पर्व को मनाया जाने लगा है।

इसके अलावा इस पर्व को मनाने के पीछे यह  भी मान्यता है कि माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर दशहरे के दिन उसका अंत किया था, इसलिए तभी से इसे विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा का पर्व कैसे मनाया जाता है – How We Celebrate Dussehra

इस पर्व को पूरे भारत देश में अलग-अलग रीति रिवाज और परंपरा के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर इस पर्व पर पूरे दस दिन का उत्सव मनाया जाता है, तो कई जगहों पर इस पर्व पर मेले भी लगते हैं। इस पर्व के दौरान जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें कलाकार रामायण के मुख्य किरदार निभाकर भगवान राम और रावण के युद्ध को प्रदर्शित करते हैं और फिर रावण का पुतला फूंक कर इसे मनाते हैं।

इस पर्व का बच्चों को पूरी साल इंतजार रहता है। वे इस पर्व के कई दिन पहले से ही रावण के पुतला बनाने की तैयारी में लग जाते हैं। इस तरह इस पर्व पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस पर्व को मनाने का तरीका भी बदलता जा रहा है।

उपसंहार

विजयादशमी का पर्व हमें अपने अंदर के क्रोध, ईर्ष्या, बुराई, असत्य, अभिमान, अहंकार आदि को मिटाकर सत्य की मार्ग पर चलते की प्रेरणा देता है। इसलिए हम सभी को मिलकर हर साल अपने अंदर के रावण को मारकर विजयादशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिए और आपस में प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का संकल्प लेना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra par Nibandh

प्रस्तवना

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे भारत

में धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे आश्विन महीने की नवरात्रों के बाद मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने महादैत्य रावण का विनाश कर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस पर्व को विजय के पर्व  ‘विजयादशमी’ के रुप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन हर तरफ सौहार्दपूर्ण  माहौल देखने को मिलता है। इस त्योहार के बहाने बच्चे जमकर मस्ती करते हैं एवं रावण का पुतला फूंककर इस पर्व का जश्न मनाते हैं।

दशहरा का महत्व एवं इससे जुड़ी रीति-रिवाज

भारत में अलग-अलग राज्यों में लोग इस पर्व को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है। वे इसे एक बड़े उत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन को लेकर भगवान राम द्धारा रावण का वध, मां दुर्गा द्धारा महिषासुर का वध, पांडव का वनवास और देवी सती का अग्नि में समाना जैसी कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई है।

इस पर्व के महत्व को समझते हुए लोग अपने अंदर की समस्त बुराई, क्रोध आदि का अंत कर अच्छाई के साथ नए जीवन की शुरुआत करने के रुप में मनाते हैं। विजय का इस पर्व को किसान अपनी फसल पकने की खुशी में तो बच्चे इस त्योहार पर रामलीला को देखने एवं मौज-मस्ती के रुप में मनाते हैं, जबकि बड़े लोग इस पर्व को अपने अंदर छिपे अंहकारी रुपी रावण को मारकर आत्मविजय के रुप में मनाते हैं। इस तरह इस पर्व का सभी लोगों के लिए अलग-अलग महत्व है।

दशहरा उत्सव एवं मेले

दशहरा का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में कई जगहों पर दशहरा उत्सव की तैयारियां कई दिन पहले से ही होने लगती है तो कई जगहों पर इस पर्व पर करीब 10 दिन का भव्य उत्सव होता है एवं मेलों का आयोजन किया जाता है।

दशहरे के मेले में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मेले में एक क्षेत्र के लोग अन्य क्षेत्रों में जाकर अपनी दुकार और स्टॉल लगाते हैं, इसके साथ ही बच्चों की मौज-मस्ती के लिए तरह-तरह के झूले लगाए जाते हैं एवं सर्कस समेत तमाम गतिविधियां होती हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटती है।

विजयादशमी के इस प्रमुख पर्व के मौके पर मंदिरों में रामायण आदि का पाठ भी होता है। इसके साथ ही जगह-जगह नाट्यरुपी रामलीला का मंचन किया जाता है और राम-रावण का युद्ध प्रदर्शित किया जाता है।

वहीं दशहरे के पर्व पर स्कूल, कॉलेज समेत सरकारी दफ्तरों का अवकाश भी घोषित किया गया है। इस पर्व में रोश्नी की चकाचौंध और पटाखों की गूंज से दीपावली के त्योहार के नजदीक आने का भी एहसास होने लगता है।

रामलीला का मंचन

दशहरे के पर्व पर अब जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है। रामलीला के आयोजन को लेकर नवरात्रों से ही तैयारियां होने लगती हैं।

इस मौके पर रामायण के मुख्य पात्र भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, माता कैकयी, दशरथ आदि के किरदार कलाकारों द्धारा निभाए जाते हैं, जबकि रावण एवं उसके छोटे भाई विभीषण और मेघनाथ के कागज के पुतले बनाए जाते हैं, फिर विजयादशमी के पर्व के दिन भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच युद्ध दिखाया जाता है, जिसमें अंत में भगवान राम रावण का वध करते हैं, जिसमें रावण को जलाया जाता है, वहीं रावण के पुतले में लगे ढेर सारे पटाखों के जलने  की गूंज से रावण जैसे अहंकारी राक्षस का अंत होता है।

रामलीला देखने में बेहद मनोरंजक होती है एवं इस मौके पर हर तरफ अलग ही माहौल देखने को मिलता है ।

उपसंहार

असत्य पर सत्य की जीत के इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे महादैत्य का भी अपनी शक्ति से वध किया था, इसलिए इस पर्व को न सिर्फ भगवान राम की रावण पर विजय के रुप में बल्कि शक्ति के प्रतीक के रुप में भी मनाते हैं। इस दिन हम सभी को अपने अंदर के क्रोध, लोभ , अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या जैसी बुराई को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए और आपस में मिलजुल कर प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का वादा करना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Essay on Dussehra

प्रस्तवना

बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पावन पर्व  आश्विन माह के नवरात्रों के बाद शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

इस पर्व से जुड़ी सबसे प्रचलित पौराणिक कथा भगवान राम और रावण से जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक महादैत्य रावण द्धारा छल से माता सीता का हरण करने पर भगवान राम और रावण का युद्ध होता है, जिसमें भगवान राम अहंकार से भरे हुए रावण का अंत करते हैं, तभी से इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा से जुड़े महत्वपूर्ण और दिलचस्प तथ्य – Facts about Dussehra

  • दशहरा के पर्व को न सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी मनाया जाता है, वहीं मलेशिया में इस पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि रावण एक महापापी राक्षस ही नहीं था, बल्कि उसके पास दैत्य शक्तियों के साथ अपार ज्ञान का भंडार भी था, उसे तीनों लोकों का ज्ञान था, जिसका वध करने से पहले भगवान राम को मां दुर्गा की उपासना कर शक्ति प्राप्त करनी पड़ी थी।
  • दशहरा का पर्व भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का ही महत्व बताता है। ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा ने विजयादशमी के पर्व के दिन ही महिषासुर जैसे दैत्य का अंत किया था।
  • वैसे तो दशहरे पर पूरे भारत में अलग ही रौनक देखने को मिलती है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाया जाने वाला दशहरा काफी प्रसिद्ध है। इस मौके पर पहाड़ी जाति के लोग अपने लोक देवताओं का जुलूस निकालते हैं औक अनोखा एवं पारंपरिक नृत्य करते हैं।
  • रावण को दस सिर की वजह से दशानन भी कहा जाता है, ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने दशानन का वध कर 10 बुराईयों का अंत किया, जो कि हम सभी के अंदर पाप, ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, अहंकार, स्वार्थ, अन्याय, मोह, अन्याय, काम, जलन आदि के रुप में व्याप्त है।
  • रावण के 10 सिर से लेकर एक यह भी तथ्य जुड़ा हुआ कि वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, जिसने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर की बलि दी थी, और उसने करीब 10 बार ऐसे किया था, जिसके बाद भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उसके 10 सिरों को लौटा दिए थे।
  • विजयादशमी का यह पर्व असम,ओडिशा और बंगाल में दुर्गा पूजा के रुप में मनाया जाता है, और करीब 5 दिन तक इसका उत्सव मनाया जाता है।
  • दशहरा के पर्व के मौके पर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में विद्या की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी और शक्ति देने वाली मां दुर्गा की आराधना की जाती है। यह उत्सव करीब 9 दिन तक चलता है।
  • दशहरा का पर्व मैसूर में सर्वप्रथम मैसूर के राजा द्धारा राजसिंहासन पर बैठने पर जश्न के रुप में मनाया गया था। तभी से यहां दशहरा मनाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं साल 2008 में इस पर्व की लोकप्रियता एवं महत्व को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने इसे राज्योत्तसव के रुप में घोषित कर दिया है।

दशहरा का बदलता स्वरुप

आधुनिकता के इस युग में त्योहारों का मनाने का तरीका भी बदल गया है, वास्तविकता से हटकर त्योहारों को मनाया जाने लगा है। जिसके चलते त्योहारों का महत्व धीमे-धीमे कम होता जा रहा है, जैसे कि अन्य त्योंहारों के तरह दशहरा को मनाने का तरीका भी बदल चुका है।

  • पहले दशहरे के पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे के घर मिलने जाते थे, जिससे उनमें आपस में प्रेम और भाईचारा बढ़ता था, लेकिन अब इसकी जगह मोबाइल और इंटरनेट की मैसेज ने ले ली है, अब इस मौके पर लोग अपने सगे-संबंधियों और दोस्तों को मैसेज कर त्योहार की बधाई दे देते हैं।
  • दशहरा के पर्व की तैयारियां पहले घरों में कई दिन पहले से ही होने लगती थी, इस पर्व के दौरान महिलाएं घरों पर तरह-तरह के पकवान बनाती थी, और इस मौके पर आए मेहमानों को खिलाती थी, लेकिन अब बाजार से ही मिठाई या चॉकलेट खाकर ही लोग इस मौके पर मुंह मीठा कर लेते हैं।
  • दशहरे के मौके पर पहले शमी पत्र लेकर अपने मित्रों और परिवार वालों के घर जाते थे, लेकिन अब मिठाई एवं तोहफों ने इसकी जगह ले ली है। जिसके चलते यह फिजूल खर्च के साथ दिखावा का त्योहार बन गया है।
  • पहले इस त्योहार में लोग अपने अंदर के रावण यानि की बुराई को खत्म करने और सत्य के मार्ग पर चलने के संदेश के साथ मनाते थे, लेकिन अब इस मौके पर रावण के पुतले में हजारों रुपए के पटाखे लगाकर उसे जलाने मात्र तक ही यह त्योहार सीमित रह गया है, जिससे फिजूल खर्चा तो होती ही है, साथ ही प्रदूषण भी बढ़ता है।

उपसंहार

हम सभी को त्योहारों के महत्व और इसकी वास्तविकता को समझकर अपने त्योहारों को मनाना चाहिए और इन त्योहारों के माध्यम से आपसी रिश्तों में मिठास लाने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि त्योहार हमें न सिर्फ खुद की बुराइयों का अंत कर नई जिंदगी जीने का मौका देते हैं, बल्कि हमारे बीच आपसी प्रेम और भाईचारा को भी बढ़ाने का काम करते हैं।

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भारत के लिए गौरवमय दिन “गणतंत्र दिवस”पर निबंध

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26 January Republic Day Essay in Hindi

26 जनवरी को हम सभी भारतीय गणतंत्र दिवस – Republic Day के रुप में मनाते हैं। इस दिन साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और उसी दिन से  हमारा भारत देश एक लोकतंत्रात्मक, धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु और समाजवादी गणराज्य बन गया था, इसलिए इस दिन को सभी भारतीय मिलजुल कर राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते हैं।

गणतंत्र दिवस का दिन सभी भारतीयों के लिए बेहद सम्मानजनक एवं गौरवशाली दिन है। वहीं इस दिन की महत्वता को आज की युवा पीढ़ी को समझाने के लिए गणतंत्र दिवस के विषय पर स्कूलों में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में गणतंत्र दिवस पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

26 January Republic Day Essay in Hindi

भारत के लिए गौरवमय दिन “गणतंत्र दिवस” पर निबंध – 26 January Republic Day Essay in Hindi

26 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन से हमारे देश में नया संविधान अपनाकर नए युग का सूत्रपात किया गया था। गणतंत्र दिवस के इतिहास (Republic day History) और इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे आज हम आपको गणतंत्र दिवस पर लिखे गए निबंध (Gantantra Diwas par Nibandh) के द्धारा बताएंगे।

26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था संविधान – Constitution of India

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के काफी संघर्ष, त्याग और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था, इससे पहले भारतीयों को अंग्रेजी शासकों के अत्याचार का दंश झेलना पड़ता था और ब्रिटिश शासकों की गुलामी करनी पड़ती थी।

ब्रिटिश शासक जो भी नियम कानून बनाते थे, भारतीय जनता को मजबूरीवश उनका पालन करना पड़ता था, जिसको देखते हुए हमारे देश के वीर सपूतों ने काफी वर्षों तक आजादी की लड़ाई लड़ी और देश को आजादी दिलवाने के लिए अपने प्राणों की भी आहुति दे दी।

जिसके परिणामस्वरूप हमारा भारत देश, अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो सका। लेकिन, आजादी के बाद भी भारत एक स्वशासित देश नहीं था। स्वतंत्रता के करीब ढाई साल बाद 26 जनवरी 1950 को भारत ने खुद का संविधान लागू किया और भारत ने खुद को एक प्रजातांत्रिक, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया।

भारतीय संविधान को हमारी संसद ने करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन बाद 26 जनवरी, 1950 को पास किया और उसी दिन से हमारा देश भारत को सम्पूर्ण प्रमुख समाजवादी, लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित कर दिया गया।

इस घोषणा के बाद 26 जनवरी को हर साल भारत के लोग गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं।

संविधान तैयार करने में लगा करीब ढाई साल का समय – Time Taken for Constitution of India

भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 हिस्सों में विभाजित है। आजादी के बाद एक ड्राफ्टिंग कमेटी को 28 अगस्त 1947 की मीटिंग में भारत के स्थायी संविधान का प्रारुप तैयार करने के लिए कहा गया था।

डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में 4 नवंबर 1947 को भारतीय संविधान के प्रारुप को सदन में रखा गया। करीब ढ़ाई साल का समय लगने के बाद ये पूरी तरह से तैयार हो पाया था। और काफी इंतजार के बाद 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया।

हमारे संविधान ने देश के हर नागिरक को समान अधिकार दिए हैं, स्त्री-पुरुष में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया। सभी को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया, इसके साथ ही समाज में फैली छुआछूत जैसे समस्या को जड़ से खत्म किया।

महिलाओं को अधिकार दिलवाए और देशवासियों को सर्वोच्च शक्ति प्रदान की। भारतवासियों को अपने राजनेता को चुनने का अधिकार दिया, जिससे सही दिशा में देश का विकास हो सके।

26 जनवरी के दिन देशभक्ति से ओतप्रोत होता है वातावरण – Republic Day celebration

गणतंत्र दिवस के पावन मौके पर कई सरकारी संस्थानों एवं शिक्षण संस्थानों में ध्वजारोहण होता है और देशभक्ति से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन होता है, भाषण, निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है।

इसके साथ ही इस मौके पर भारत के वीर सपूतों और महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान को याद किया जाता है और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजली दी जाती है। इस दिन पूरा भारत राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन‘ से गूंजता है।

इसके साथ ही वंदे मातरम, जय हिन्द, भारत माता की जय के उद्घोष के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है।

गणतंत्र दिवस परेड का होता है आयोजन – Republic day Parade

भारत के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के मौके पर कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। वहीं भारत की राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर शहीद ज्योति की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं और उन्हें श्रद्धांजली दी जाती है।

खास तौर पर 26 जनवरी के दिन दिल्ली के विजय चौक से लाल किले तक होने वाली परेड आकर्षण का प्रमुख केंद्र होती है, जिसमें देश और विदेश के गणमान्य जनों को आमंत्रित किया जाता है।

इस परेड में तीनों भारतीय सेनाओं (थल, जल और नभ) के प्रमुख, द्धारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। इसके अलावा सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार, प्रक्षेपास्त्र एवं शक्तिशाली टैंकों का भी प्रदर्शन किया जाता है।

परेड के माध्यम से सैनिकों की शक्ति और पराक्रम को बताया जाता है। इसके अलावा इस दौरान दिल्ली के राज-पथ पर अलग-अलग राज्यों की झाकियां भी निकाली जाती हैं। पुरस्कार वितरण होता है, मार्च पास्ट आदि क्रियाएं भी होती है। इसकी तैयारियां काफी दिन पहले से ही होने लगती है।

गांव से लेकर शहरों तक, राष्ट्रभक्ति के गीतों की गूंज सुनाई देती है और हर भारतवासी एक बार फिर अथाह देशभक्ति से भर उठता है। बच्चों में इस दिन को लेकर खास उत्साह होता है।

इस दिन आयोजित कार्यक्रमों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थ‍ियों का सम्मान एवं पुरस्कार भी दिया जाता है। इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है।

इन दिन को लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं और देश के वीर सपूतों को याद करते हैं। वहीं इस सम्मान के दिन पर हर भारतीय यह प्रण लेते है कि वो अपने संविधान की रक्षा करेंगे और देश की समरसता, शांति और सद्भाव बनाये रखेंगे और देश के विकास में अपना सहयोग करेंगे, जिससे हमारा देश भारत, सफलता की नई ऊंचाइंयों को छुए और दुनिया का सबसे ताकतवर और शक्तिशाली देश बने।

जय हिन्द, जय भारत !

गणतंत्र दिवस पर निबंध – Gantantra Diwas Par Nibandh

प्रस्तावना

26 जनवरी के दिन ही हमारे भारत देश का संविधान लागू हुआ था और हमारा देश एक स्वतंत्र, लोकतंत्रात्मक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना था। इसलिए इस दिन को सभी भारतवासियों द्धारा गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली के लाल किले पर देश के राष्ट्रपति द्धारा झंडा फहराया जाता है एवं दिल्ली के राजपथ पर भारत की तीनों सेनाओं द्धारा विशाल परेड का आयोजन किया जाता है। यह दिन देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में भी मद्द करता है।

गणतंत्र दिवस कब और क्यों मनाते हैं – Why We Celebrate Republic Day

26 जनवरी को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन साल 1950 में हमारे भारत देश में डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद समेत देश के कई महान नेताओं के काफी प्रयासों के बाद संविधान लागू किया गया था यानि कि भारत में कानून राज की शुरुआत हुई थी।

इसी दिन भारत ने खुद को एक लोकतांत्रिक, प्रजातांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया था। भारतीय संसद में दुनिया के इस सबसे बड़े हस्तलिखित भारतीय संविधान को करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन के बाद इसी दिन साल 1950 में पास किया गया था, तब से लेकर आज तक इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।  

वहीं 26 जनवरी के दिन से जुड़ा यह ऐतिहासिक तथ्य भी काफी महत्वपूर्ण है कि दिसंबर, साल 1929 में लाहौर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था।

कांग्रेस के इस अधिवेशन में इस बात की घोषणा की गई कि अगर ब्रिटिश हुकूमत द्धारा 26 जनवरी, 1930 तक भारत को स्वायत्त शासन (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया जाता तो, इसके बाद भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर देगा।

लेकिन बावजूद इसके 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेजी सरकार ने इस मुद्दों को लेकर जब कोई जवाब नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन से पूरी तरह से आजाद होने के लक्ष्य के साथ अंग्रेजों के खिलाफ अपने क्रांतिकारी और सक्रिय आंदोलन की शुरुआत कर दी।

26 जनवरी के दिन ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावि नदी के तट पर तिरंगा फहराया था। जिसके बाद भारत में 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया गया था और उस दिन से 1947 तक देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता मिलने तक 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रुप में मनाया जाता रहा।

इसके बाद जब 15 अगस्त,1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ, तब 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया।

वहीं भारतीय संविधान 26 नवंबर, साल 1949 तक बनकर पूरी तरह तैयार हो गया था, लेकिन भारतीय राजनेताओं ने 26 जनवरी के दिन के महत्व को समझते हुए दो महीने और रुकने का फैसला लिया।

इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया और तभी से इस दिन को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रुप में मनाए जाने लगा।

गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व – Republic Day National Festival

गणतंत्र दिवस को हमारे देश में राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है। यह पर्व किसी विशेष जाति या धर्म से नहीं जुड़ा हुआ है, बल्कि यह राष्ट्र का एक पावन पर्व है, जिसे देश में सभी जाति, लिंग, पंथ, संप्रदाय और धर्म के लोगों द्धारा मनाया जाता है।

इसी दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और सभी भारतीयों को समानता का अधिकार प्राप्त हुआ था। इस दिन देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों के त्याग, बलिदान और समर्पण को याद किया जाता है और उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित की जाती है, जिन्होंने देश की आजादी के लेकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए बेहद गौरवशाली और सम्मानजनक दिन है, इसलिए इसे हर भारतीय द्धारा धूमधाम से मनाया जाता है।

दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह – Republic Day Celebration in Rajpath

26 जनवरी के दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, इसलिए इस दिन को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रुप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर कई तरह के रंगारंग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल दिल्ली के राजपथ पर विशाल परेड का आयोजन किया जाता है। यह परेड गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य आर्कषण का केन्द्र रहती है।

दिल्ली के विजय चौक से लाल किले तक करीब 8 किलोमीटर की परेड आयोजित होती है। इस भव्य परेड के दौरान भारत की जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के द्धारा देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति के द्धारा 21 तोपों की सलामी दी जाती है।

इसके साथ ही इस दौरान भारतीय सेना के द्धारा इस्तेमाल किए जाने वाले उनके शक्तिशाली हथियारों का तो प्रदर्शन किया ही जाता है, साथ ही उनके शौर्य और पराक्रम को भी दिखाया जाता है। 

आपको बता दें कि 26 जनवरी, 1950 को पहले गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ में नहीं बल्कि इर्विन स्टेडियम में हुई थी, जो कि अब नेशनल स्टेडियम के रुप में जाना जाता है।

उस दौरान इर्विन स्टेडियम के चारों तरफ चारदीवारी नहीं थी, हालांकि, उसके पीछे लाल किला स्पष्ट दिखाई देता था। देश में संविधान होने के करीब 4 साल बाद तक 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड के लिए कोई जगह निश्चित नहीं की गई थी, यह परेड कभी दिल्ली के लाल किले तो कभी रामलीला मैदान में होती थी।

फिर साल 1955 में गणतंत्र दिवस की परेड के लिए राजपथ को चुना गया और तब से लेकर आज तक दिल्ली के राजपथ पर ही गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित होती है।

निष्कर्ष

गणतंत्र दिवस की गरिमा हर भारतीय को समझना चाहिए। यह पर्व सभी भारतीयों को एकसाथ जोड़ने का काम करता है। इसके साथ ही यह भारतीयों को अपने देश के प्रगति और विकास में समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। इस दिन देश के प्रत्येक नागरिक को अपने संविधान की सुरक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए।

26 जनवरी पर निबंध – Republic Day Par Nibandh

प्रस्तावना-

26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रुप में सदभाव एवं सम्मान की भावना के साथ प्रत्येक भारतवासी बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाता है।

इस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था, जिसके तहत देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त हुआ था। इस दिन से हमारा देश एक लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरेपक्ष गणराज्य बना था।  

इसके साथ ही एक नए युग का सूत्रपात हुआ था। इसलिए 26 जनवरी का दिन हर भारतवासी के लिए बेहद गौरवमयी दिन है।

गणतंत्र दिवस का महत्व – Importance Of Republic Day

गणतंत्र दिवस का पर्व हम सभी भारतीयों के लिए बेहद खास और सम्मानजनक पर्व है। इस पर्व को सभी भारतवासी राष्ट्रीय त्योहार के रुप में मनाते हैं। यह पर्व हम सभी भारतीयों को देश के संविधान के महत्व को तो समझाने में तो मद्द करता ही है, इसके साथ ही देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।

यह सभी भारतीयों के लिए एक बेहद गौरवमयी दिन है। संविधान लागू होने के बाद ही हमारा देश एक स्वतंत्र, लोकतंत्रात्मक, समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना था और तभी से भारतवासियों को अपनी मनमर्जी से स्वतंत्र रुप से कोई भी फैसला लेने एवं किसी भी तरह की अव्यवस्था एवं कुरीति के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार प्राप्त हुआ था।

गणतंत्र दिवस के दिन ही भारतीयों को अपने देश के संविधान के तहत  समानता, शिक्षा, अभिव्यक्ति की आजादी समेत 7 मौलिक अधिकार प्राप्त हुए थे एवं देश में कानून राज की शुरुआत हुई थी, इसलिए यह दिन सभी भारतीयों को अपने अधिकारों की भी याद दिलवाता है। इसलिए भी इस दिन का सभी भारतीयों के लिए अत्यंत महत्व है।

गणतंत्र दिवस कैसे मनाते है? – How We Celebrate Republic Day

हमारे देश में गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है। देश में रहने वाले सभी जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग के लोग इस पर्व को बेहद हर्षोल्लास एवं धूमधाम से साथ मनाते हैं।

इस मौके पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन स्कूलों, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है एवं तिरंगा फहराया जाता है।

26 जनवरी के मौके पर वंदे मातरम, जन-गण-मन, जय हिन्द, भारत माता की जय के उद्घोष हर तरफ गूंजायमान रहते हैं एवं ज्यादातर लोग देशभक्ति में डूबे नजर आते हैं। इस दिन पूरा वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत रहता है।

गणतंत्र दिवस के मौके परसबसे भव्य आयोजन दिल्ली में होता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के राष्ट्रपति द्धारा पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, फिर देश के प्रधानमंत्री द्धारा दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी ”अमर जवान ज्योति” पर देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं।

इस मौके पर देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों एवं वीर सपूतों के त्याग, बलिदान और समर्पण को भी याद किया जाता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के राजपथ पर होने वाली विशाल परेड मुख्य आर्कषण का केन्द्र रहती है।

इसमें भारत की तीनों सेनाओं द्धारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। इसके साथ ही इस परेड के माध्यम से भारतीय सेना की शौर्य, पराक्रम और अदम्य शक्ति के प्रदर्शन के साथ सेना के सशस्त्र बलों की ताकत का भी प्रदर्शन किया जाता है।

इसके साथ ही इस दौरान राजपथ पर देश के अलग-अलग राज्यों की खूबसूरत झांकियां भी निकलती हैं, जिसमें सभी राज्य अपने राज्य की संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपरा को प्रदर्शित करते हैं। इस मौके पर राजपथ पर भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती है।  

गणतंत्र दिवस को लेकर कई दिन पहले से ही तैयारियां होने लगती हैं। इस दिन को लेकर बच्चों में खासकर काफी उत्साह रहता है। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के मौके पर न सिर्फ देश की सीमा में तैनात जवानों के हौसला अफजाई और उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें सम्मानित किया जाता है।

बल्कि इस दिन प्रतिभावान विद्यार्थियों को भी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शऩ के लिए पुरस्कृत किया जाता है। इस तरह हमारे देश में लोग गणतंत्र दिवस का जश्न अपने-अपने तरीके से मनाते हैं एवं देश की संविधान का सम्मान करने एवं देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में अपना सहयोग देने का प्रण लेते हैं, साथ ही देश के विकास और तरक्की की कामना करते हैं।

उपसंहार

हम सभी भारतीय बेहद सौभाग्यशाली हैं कि हमें भारत जैसे लोकतंत्रात्मक, संप्रभु, समजावादी एवं धर्मनिरपेक्ष गणराज्य में रहने का मौका मिला है। जहां हम अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपनी सरकार चुन सकते हैं एवं किसी भी तरह के फैसले लेने को लेकर हम पूरी तरह स्वतंत्र है।

इसलिए हमें अपने राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए साथ ही अपने अपने संविधान के महत्व को समझना चाहिए और इस पर्व को आदर-सम्मान के साथ मनाना चाहिए।

गणतंत्र दिवस पर निबंध – Essay On Republic Day

प्रस्तावना

गणतंत्र दिवस को पूरे देश में हर साल बेहद जोश, उत्साह और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इस दिन साल 1950 में हमारे भारत देश को पूर्ण स्वायत्त गणराज्य घोषित किया गया था।

इसलिए यह दिन देश के हर नागरिक के लिए बेहद खास दिन है। यह पर्व किसी विशेष जाति या धर्म से नहीं बल्कि राष्ट्रीयता से जुड़ा हुआ है, इस पर्व को देश में सभी जाति, धर्म, जाति, लिंग और संप्रदाय के लोगों द्धारा राष्ट्रीयता के पर्व के रुप में मनाया जाता है।

26 जनवरी का पर्व भारतीयों को एकजुट में रहने में भी मद्द करता है। इसके साथ ही यह पर्व हमें अपने संविधान, मौलिक अधिकारों और गणतंत्र का महत्व बताता है।

गणतंत्र दिवस से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें – Facts About Republic Day

गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ दिलचस्प एवं महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं –

  • 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि इसी दिन साल 1930 में कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था, वहीं इस दिन की गरिमा को बनाए रखने के लिए 26 जनवरी के दिन ही हमारे देश का संविधान लागू किया गया था और इसके बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रुप में चुना गया था।
  • गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के राष्ट्रपति के द्धारा दिल्ली के राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है, जबकि भारत के प्रधानमंत्री द्धारा दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है एवं देश के महान क्रांतिकारियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, समर्पण और बलिदान की गाथा को याद किया जाता है।
  • गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर होने वाले विशाल परेड के दौरान भारत के राष्ट्रपति को भारत की तीनों सेनाओं द्धारा 21 तोपों की सलामी दी जाती हैं। पहली सलामी राष्ट्रगान की शुरुआत में दी जाती है, जबकि 52 सेकेंड के बाद राष्ट्रगान के खत्म होने पर आखिरी सलामी दी जाती है। यह सलामी वास्तव में भारतीय सेना की 7 तोपों द्धारा दी जाती है,इन्हें पौन्डर्स के नाम से जाना जाता है। वहीं हर तोप से तीन राउंड फायरिंग होती है। आपको बता दें कि यह तोपें साल 1941 में बनाई गईं थ। आमतौर पर सेना के सभी मुख्य कार्यक्रमों में इन तोपों को भी शामिल किया गया है।
  • गणतंत्र दिवस की परेड के आखिरी में हर साल “अबाईड विथ मी” (”Abide With Me”)’ नाम का एक क्रिश्चयन गाना बजाया जाता है। जिसे बजाने की पीछे यह मान्यता है कि, यह गाना गांधी जी के प्रिय गानों में से एक था।
  • भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल किसी न किसी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या फिर शासक को मुख्य अतिथि के तौर पर निमंत्रण दिया जाता है। वहीं देश के पहले गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी, साल 1950 में इंडोनिशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी।
  • दिल्ली के राजपथ पर साल 1955 में गणतंत्र दिवस परेड का पहली बार आयोजन किया गया था, उस समय राजपथ को ‘किग्सवे के नाम से जाना जाता था। वहीं तब से लेकर आज तक हर साल दिल्ली के राजपथ गणतंत्र दिवस के भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है और यह गणतंत्र दिवस पर आयोजन का स्थाई स्थल बन गया है।

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान – Constitution Of India

हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं, जिसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 हिस्सों में विभाजित है। 

महान समाज सुधारक एवं अर्थशास्त्री भीमराव अंबेडकर द्धारा इसे तैयार करने में करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे थे। आपको बता दें कि  संविधान के निर्माण में कुल 22 समितियां थी, जिसमें प्रारुप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) सबसे  महत्वपूर्ण समिति थी और संविधान सभा के प्रमुख अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर जी थे, जबकि जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल इस सभा के प्रमुख सदस्य थे।

भीमराव अंबेडकर जी द्धारा 26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान सौंप दिया गया था। इसके बाद संविधान में कई बदलाव किए गए।

इसके बाद संविधान सभा के करीब 308 सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को संविधान के दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए और फिर 26 जनवरी के दिन की गरिमा को समझते हुए संविधान को 26 जनवरी,  साल 1950 में पूरे देश में लागू कर दिया गया, तब से 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

उपसंहार

26 जनवरी को मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस का पर्व हमारे देश के प्रमुख राष्ट्रीय पर्वों में से एक है। यह पर्व देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मद्द करता है।

इसके साथ ही यह हमारे गणतंत्र का महत्व का तो एहसास करवाता ही है साथ ही संविधान की सुरक्षा एवं देश के लिए हमारे कर्तव्यों का बोध करवाता है।

इसलिए इस पर्व की गरिमा को समझते हुए हमें इस पर्व को सद्भाव और सम्मान की भावना के साथ मनाना चाहिए एवं देश के प्रगति एवं विकास में अपना सहयोग करने की शपथ लेनी चाहिए।

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चार्ली चैप्लिन के बेस्ट टॉप 10+ विचार…

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Charlie Chaplin Quotes in Hindi

चार्ली चैप्लिन पूर्व मे हॉलीवुड के काफी लोकप्रिय किरदार रहे है। उन्होंने परदे के सामने और परदे के पीछे दोनों ही जगह अपने आपको एक अच्छे कलाकार के रूप में लोंगो के सामने रखा है। साइलेंट फिल्मों के लिए चार्ली चैप्लिन – Charlie Chaplin काफी प्रसिद्ध थे। उनका एक प्रसिद्ध नाटक “लिटिल ट्रैम्प” भी है जिसमे उन्होंने कयी किरदार अदा किये है, आइये आज इस महान कलाकार चार्ली चैप्लिन के अनमोल सुविचार पढ़ते है।

चार्ली चैप्लिन के बेस्ट टॉप 10+ विचार- Top Quote By Charlie Chaplin In Hindi

Quotes by Charlie Chaplin in Hindi

“इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं हैं, हमारी मुसीबतें भी नहीं।”

“असफलता महत्त्वहीन है। अपना मजाक बनाने के लिये भी हिम्मत चाहिये होती है।”

Charlie Chaplin Quotes in Hindi

“सबसे दुःखी चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकत हूँ वो है विलासिता का आदी होना।”

Charlie Chaplin Thoughts

“हास्य टॉनिक हैं, राहत हैं, दर्द रोकने वाला हैं।

charlie chaplin quotes on laughter

“हँसी के बिना बिताया हुआ दिन बर्वाद किया हुआ दिन है।”

Charlie Chaplin Thoughts in Hindi

“मैं ऐसी सुंदरता के साथ धैर्यपूर्वक नहीं रह सकता जिसे समझने के लिए किसी को व्याख्या करनी पड़े।

Quotes by Charlie Chaplin

“ज़िन्दगी करीब से देखने में एक दुखांत नाटक की तरह है लेकिन दूर से देखने पर एक सुखांत नाटक की तरह दिखायी देती है।”

Charlie Chaplin Quotes Smile

“अंतत:, सबकुछ एक हास्यकथा की तरह ही है।”

Inspirational Quotes by Charlie Chaplin

“हम सोचते बहुत हैं और महसूस बहुत कम करते हैं।”

Charlie Chaplin Quotes Smile in Hindi

“सच में हंसने के लिए आपको अपनी पीड़ा के साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए।

Charlie Chaplin Quotes on Life

“किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है।”

Charlie Chaplin Quotes

“मैं सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज में रहता हूँ, और वो है – एक जोकर। ये मुझे राजनीतिज्ञों की तुलना में कयी ऊँचे स्थान पर स्थापित करता है।”

Watch Charlie Chaplin quotes Video

More Quotes in Hindi:

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शिरडी साईं बाबा के 21+ अनमोल विचार

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Sai Baba Quotes in Hindi

साईंबाबा जिन्हें शिरडी साईंबाबा भी कहा जाता है एक भारतीय गुरुयोगी और फ़क़ीर थे, जिन्हें उनके संत, फ़क़ीर या फिर सतगुरु या जगतगुरु भी कहते थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग उन्हें बहुत मानते थे। आज हम यहाँ कुछ साईं बाबा के अनमोल विचार – Sai Baba Ke Anmol Vichar पब्लिश कर रहें है, जरुर पढ़े और आगे Share करे।

साईं बाबा के अनमोल विचार – Sai Baba Ke Anmol Vichar In Hindi

SAI BABA QUOTES 5

मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूँ।

SAI BABA QUOTES 15

“जिंदगी एक गाना है – गा लो। जिंदगी एक खेल है – खेल लो। जिंदगी एक चुनौती है – मिल लो। जिंदगी एक सपना है – समझ लो। जिंदगी त्याग है – प्रस्ताव दो। जिंदगी प्यार है – आनंद लो।”

SAI BABA QUOTES 2

मैं निरकार हूँ और सर्वत्र हूँ।

SAI BABA QUOTES 1

जिन्दगी में यदि आप भगवान् के साथ मधुर संबध स्थापित कर लो तो आपकी जिंदगी निश्चित ही बेहद खुबसुरत होगी।

SAI BABA QUOTES 11

मैं अपने लोगों के बारेंमे दिन रात सोचता हूँ, मैं बार बार उनके नाम लेता हूँ।

SAI BABA QUOTES 13

“हमेशा एक-दूजे को प्यार करते रहे और दूसरो को उनका स्तर बढ़ाने में हमेशा मदद करे, यह सब आप उन्हें प्यार देकर भी कर सकते है। क्योकि प्यार में ही आपकी सबसे बड़ी ताकत छुपी हुई है।”

SAI BABA QUOTES 4

मेरे रहते डर कैसा?

SAI BABA QUOTES 9

मैं अपने भक्तों को नुकसान पहुँचाने की इजाजत नहीं दूंगा।

SAI BABA QUOTES 14

“इंसान अपनें स्वादानुसार प्रकृति के खाद्य पदार्थो को बदलना चाहता है, जिसमे उसकी जिंदगी का सुगन्धित रस भी संतुलित रहता है।”

SAI BABA QUOTES 3

मेरा काम आशीर्वाद देना हैं।

“अपने दिन को किसी गाने में ही जाने दीजिये। और अपनी जिंदगी को ही एक गाना बनने दीजिये।”

“जिंदगी में यदि आप भगवान् के साथ मधुर संबंध स्थापित कर लो तो आपकी जिंदगी निश्चित ही बेहद खुबसूरत होगी।”

More Quotes In Hindi :-

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ओपरा विनफ़्रे के 10+ शक्तिशाली विचार

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Oprah Winfrey Quotes in Hindi

ओपरा विनफ्रे 20 वी सदी की “मीडिया की रानी” के नाम से वह अमेरिका में जानी जाती है। वो एक मीडिया उद्योजक, वार्ता शो मेजबान, निर्माता है। और पूरी दुनिया में वो फेमस है, ओपरा विनफ्रे कुछ अनमोल विचार – Oprah Winfrey Quotes in Hindi…

ओपरा विनफ़्रे के 10+ शक्तिशाली विचार –  Oprah Winfrey Quotes In Hindi

Oprah Winfrey Quotes in Hindi

मुझे लगता हैं की तैयारी और अवसर का मिलना ही भाग्य हैं।

“अपने जख्मों को ज्ञान में बदलो।”

“आप वो नही बनते जो आप चाहते हो आप वही बनते हो जिसपर आपका भरोसा होता है।”

Oprah Winfrey Inspiring Quotes in Hindi

असल ईमानदारी ये जानते हुए सही चीज करने में हैं की कोई और ये नहीं जान पाए की आपने ये किया हैं या नही।

“यदि आपका दोस्त आपको बार बार नाराज करता है, तो उसमे कही ना कहि आप ही की गलती है।”

Oprah Winfrey Quotes

अभी भी मेरे पैर जमींन पर हैं, बस मैं अब अच्छे जूते पहनती हूँ।

“आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए शुक्रगुज़ार रहिये, आपके पास और भी अधिक होगा। अगर आप इस बात पर ध्यानकेन्द्रित करेंगे की आपके पास क्या नहीं है, तो आपके पास कभी भी पर्याप्त मात्रा में चीजें नहीं होंगी।”

Oprah Winfrey Thoughts in Hindiजहाँ संघर्ष नहीं हैं, वहां शक्ति नहीं हैं।

“आप ज़िन्दगी में वही पा सकते हो जिसके बारे में आप पूछने की हिम्मत रखते हो।”

Oprah Winfrey Quotes on Education

“अपने सपनो की दुनिया को असलियत में जीना ही, आपके लिए सबसे बड़ा जोखिम होंगा।”

“सांस लो, छोड़ो और खुद को याद दिलाओ की सिर्फ यही वो क्षण है जो निश्चित रूप से तुम्हारा है।”

Oprah Winfrey Quotes on Education

चुनौतिया एक पुरस्कार की भांति होती हैं जो हमें नए अवसर ढूंडने का मौका देती हैं, जहा हम अपने आप को स्थापित कर सके।

“बहुत सारे लोग आपके साथ शानदार गाड़ियों में घूमना चाहते हैं, पर आप चाहते हैं की कोई ऐसा हो जो गाड़ी खराब हो जाने पर आपके साथ बस में जाने को तैयार रहे.

Oprah Winfrey Vichar

“आप सब कुछ हासिल कर सकते हो. लेकिन एक ही समय सब कुछ नही पा सकते।”

“अपनी साँसों को निकलने का, जुते उतारकर नाचने का हर दिन आपको एक नया मौका मिलता है।”

“हम जहा है वही रहकर कभी हम जो चाहते वो नही बन सकते।”

Oprah Winfrey Quotes on Life

आप जितना अधिक अपने जीवन की प्रशंशा करेंगे और उसका जश्न मनाएंगे उतना ही आपके जीवन में जश्न मनाने को होंगा।

“यदि कोई इंसान आपको चाहता है तो कोई बात उसे आपसे दूर नही कर सकती। यदि कोई नही चाहता है तो कोई बात उसे आपका नही बना सकती।”

“एक रानी की तरह सोचे। एक रानी जिसे असफलता से कोई डर न हो। जिसके लिए असफलता सफलता की पहली सीढ़ी हो।”

Oprah Winfrey Inspiring Quotes

अगर आपको अपने जीवन के लक्ष प्राप्त करने हैं, तो आपको अपनी आत्मा से शुरुवात करनी होंगी।

“मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की हम में से हर कोई अलग है, हर एक की अलग पहचान है और यही सफलता और प्यार पाने का सबसे अच्छा रास्ता है।”

“जब आप आपके पास जो है उसे नज़रअंदाज़ करते हो तब ये दुनिया भी आप जो हो उसे नज़रअंदाज़ करने लगती है।”

Oprah Winfrey Quotes Gif

“एक सच्ची माफ़ी तभी कहलाती है जब आप कहते हो, “इस अनुभव के लिए शुक्रिया”.

“सच्ची ईमानदारी सही बातो को करने में है। जिसमे किसी को भी ये पता नही होना चाहिए की आप क्या कर रहे हो और क्या नही कर रहे हो।”

“आपका सच्चा जूनून आपकी साँसों में नज़र आता है, ये प्राकृतिक नही होता।”

Oprah Winfrey Vichar in Hindi

ऐसे लोगों से ही घिरे रहिये जो आपको ऊपर उठाये।

“मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की जो भी होता है उसके पीछे कोई ना कोई वजह जरूर होती है, फिर चाहे वजह हमारे हक़ में हो या ना हो।”

“मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की ज़िन्दगी में होने वाला हर एक हादसा अपने डर पर प्यार की जीत दिलाने का एक नया मौका होता है।”

Oprah Winfrey Quotes on Success

मैं असफलता में यकीन नहीं रखती, अगर आपने प्रक्रीया का आनंद उठाया हैं, तो ये असफलता नहीं हैं।

“अपने आस पास सिर्फ उन्ही लोगो को रखे जो आपको उचाई पर ले जा सके।”

“मुझे उसकी कोई जरुरत नही है जिसे मेरी जरुरत नही।”

Oprah Winfrey Quotes on Love

“जितना आप ज़िन्दगी का गुणगान और आनंद मनाओगे उतनी ही ज़िन्दगी आपको आनंदित रहने के लिए मिलेंगी।”

“नए साल का जयजयकार करे क्योकि कुछ सही करने के लिए यह एक नया अवसर होता है।”

“आपको इस बात को जरूर जानना चाहिए की क्या आप सही में मुसीबत में हो।”

जरुर पढ़े: प्रेरणादायक स्त्री ओपरा विनफ्रे की प्रेरक कहानी

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जानिए भारत का हजारो साल पुराना इतिहास | History of India

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History of India

भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है, जो न सिर्फ मानव सभ्यता की शुरुआत से,बल्कि सिंधु घाटी की सभ्यता, अशोक के शिलालेख, संगम साहित्य आदि से जुड़ा हुआ है।

भारत के इतिहास को घटनाक्रम और कलाक्रम के अनुसार पाषाण युग, वैदिक काल, मध्ययुगीन भारत और प्रारंभिक आधुनिक भारत में बांटा गया है जो कि इस प्रकार है-

History of India
History of India

जानिए भारत का हजारो साल पुराना इतिहास – History of India

पूर्व ऐतिहासिक काल / प्रागैतिहासिक काल (3300 ईसा पूर्व तक)

पाषाण युग

पाषाण युग की शुरुआत 25 से 20 लाख साल पहले मानी जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस युग में ही सबसे पहले मानव जाति की उपस्थिति का पता चला था।

पाषाण युग में मानव जीवन के पत्थरों पर आश्रित होने के प्रमाण भी मिले थे। उस दौरान पत्थरों की मद्द से ही मानव द्धारा तमाम तरीके के हथियार भी खोजे गए थे, पाषाण काल को भी तीन प्रमुख चरणों में बांटा गया है-

  • पुरापाषाण काल – मानव जीवन की शुरुआत, हाथ से बने हथियारों का उपयोग।
  • मध्यपाषाण काल – अग्नि का अविष्कार
  • नवपाषाण काल – खेती में इस्तेमाल होने वाले औजार, मिट्टी के बर्तन आदि

कांस्य युगः(3300 ईसापूर्व– 1500 ईसापूर्व तक)
करीब 3000 साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप में कांस्य युग की शुरुआत मानी जाती है। सिंधु घाटी की सभ्यता कांस्य युग की सभ्यता थी। इसके अलावा कांस्य युग में मनुष्य तांबे और उसकी रांगे के साथ मिश्रित धातु कास्य का इस्तेमाल करते थे।

कांस्य युग में मनुष्य ने न सिर्फ धातु विज्ञान एवं हस्तशिल्प में कई नई तकनीक विकसित की, बल्कि इस युग में ही तांबा, पीतल, सीसा और टिन आदि का उत्पादन किया गया।

कांस्य युग में ही दुनिया भर में पौराणिक सभ्याओं का भी विकास हुआ एवं लोगों ने इस युग में ही शहरी सभ्यताओं में रहने की शुरुआत कर दी थी। कांस्य युग की सबसे  बड़ी विशेषता यह थी कि इस युग के दौरान सभी पौराणिक सभ्याओं को लिपि का ज्ञान हो गया था, जो कि इतिहास की उस समय से जुड़ी जानकारी को जुटाने में मद्द करती हैं।

इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि कांस्य युग में सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ मिस्त्र की प्राचीन सभ्यताएं, मेसोपोटामिया की सुमेरियन एवं भारत की मोहनजोदड़ो और हड़प्पा आदि की भी खोज की गई थी।

सिंधु घाटी सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता:

सिंधु घाटी सभ्यता, सबसे प्राचीन एवं दुनिया भर की नदी घाटी सभ्यताओं में एक है, इसकी शुरुआत करीब 3300 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व तक मानी जाती है।

यह एक विकसित सभ्यता थी। हड़प्पा शहर उस युग की सबसे बेहतरीन और उत्कृष्ट कलाकृतियों का एक शानदार नमूना था। इसे हड़प्पा सभ्यता और सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के नाम जाना जाता हैं।

भारत की इस सबसे प्राचीन सभ्यता का विकास सिन्धु नदी और घघ्घर/हकडा (प्राचीन सरस्वती) नदी के किनारे हुआ था।

वहीं भारतीय पुरात्तविक विभाग द्धारा सिंधु घाटी की खुदाई में यह पता लगाया गया कि, मोहनजोदाड़ो, कालीबंगा, लोथल, राखिगढ़ी धोलावीरा, और हड़प्पा इस सभ्याता के मुख्य केंद्र थे।

आपको बता दें कि इस प्राचीन सभ्यता में व्यापारिक शहर के तौर पर इन शहरों को बसाया गया था। इस सभ्यता में नगरों का समुचित विकास होने के कारण इसे ‘नगरीकरण’ सभ्यता  के नाम से भी जाना जाता है।

खुदाई  से प्राप्त अवशेषों के आधार पर बाद में इस सभ्यता का नाम “हड़प्पा सभ्यता’’ कर दिया गया था।

इस तरह यह एक समृद्ध एवं संपन्न सभ्यता थी, जिसमें लोग योजनाबद्ध तरीके से कस्बों में रहते थे, जिनके घर पक्की ईंटों के बने होते थे।

इतिहासकारों के मुताबिक कांस्य युग की इस अत्याधिक विकसित सभ्यता में लोगों को अनाज, गेहूं आदि की पैदावार करने की कला भी ज्ञात थी।

इसके अलावा उस दौरान लोग सब्जियों, फल, मांस, अंडे और सुअर आदि का भी सेवन करते थे एवं ऊनी और सूती वस्त्र पहनते थे। वहीं बाद में कुछ विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूकंप, अकाल, महामारी, आदि के कारण इस सभ्यता का अंत हो गया।

कास्यं युग की इस प्रसिद्ध सिन्धु घाटी सभ्यता के करीब अभी तक 1,400 केंद्र खोंजे जा चुके हैं जिनमें से 925 केंद्र भारत में ही पाए गए हैं।

प्रारंभिक एतिहासिक काल (1500 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक):

वैदिक काल

1500 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक के समय को वैदिक संस्कृति काल और आर्यों का काल माना जाता है। इसे ऋगवैदिक काल (1500 ईसापूर्व से 1000 ईसापूर्व तक) एवं उत्तर वैदिक काल (1000 से 600 ईसा पूर्व तक) में विभाजित किया गया है।  ऋगवैदिक काल

की जानकारी महान धर्म ग्रंथ- ऋग्वेद से मिलती है, जबकि उत्तर वैदिक काल की जानकारी शामवेद, यजुर्वेद एवं अर्थर्ववेद के साथ ब्राह्मण, उपनिषद, वेदांग एवं आरण्यक जैसे महान धार्मिक ग्रंथों से प्राप्त होती है।

वैदिक काल की शुरुआत में करीब 1500 ईसा पूर्व के आस-पास यहां आर्यों का निवास था। इस दौरान वे युद्ध के लिए रथ, घोड़े आदि

का इस्तेमाल, अग्न्नि पूजा, बलि देना,  मृतकों का दाह संस्कार करने  समेत कई मजबूत सांस्कृतिक परंपरा लेकर आए थे। इसके साथ ही इस काल में शिल्प, पशुपालन एवं कृषि आदि मुख्य व्यवसाय थे।इसके साथ ही वैदिक काल में बोलचाल के लिए संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाता था, वहीं इसका प्रमाण कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और वेदों में भी मिलता है।

वैदिक काल के दौरान ही हिंदू धर्म और अन्य सांस्कृतिक आयामों की नींव रखी गई। इस दौरान आर्यों ने विशेष तौर पर  पूरे उत्तर भारत में  गंगा के मैदानी इलाकों में वैदिक सभ्यता का प्रचार-प्रसार किया।

दूसरा नगरीकरण महाजनपद युग (600 ईसापूर्व से 200 ईसापूर्व तक):

कांस्य युग की सबसे विकसित एवं भारत की सबसे प्राचीनतम सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बाद इस काल में जमकर शहरीकरण हुआ। यह काल राज्यों के निर्माण का काल माना जाता था, इस काल में कोसाला, अंग, चेडी समेत 16 महाजनपदों की स्थापना हुई, 10 गणराज्य अस्तित्व में आए और मगध सम्राज्य ( 640 ईसापूर्व से 330 ईसापूर्व तक) का उदय हुआ।

इसके साथ ही इस दौरान राजतंत्र और गणतंत्र दो तरह की राजनैतिक व्यवस्था मुख्य रुप में उभरी।  इस काल में उत्तर मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य और महान राजा अशोक ने इस सम्राज्य का काफी विस्तार किया।

इस काल में गुप्त वंश के शासन के दौरान कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल शास्त्र, धर्म,दर्शन, प्रौद्योगिकी आदि का भी विकास हुआ। यह भारत का ‘’स्वर्णिम काल’’ कहलाया। इस काल के दौरान ही जाति व्यवस्था काफी सख्त हुई एवं भारत में गौतम बुद्ध और महावीर जैन का आगमन हुआ।

मगध सम्राज्य

करीब 640 ईसापूर्व से 320 ईसापूर्व तक भारत में मग्ध सम्राज्य का शासन चला। इस दौरान ही हिन्दू धर्म के दो प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत और रामायण की भी रचना की गई।

मगध सम्राज्य पर 5 44 ईसापूर्व से करीब 322 ईसापूर्व तक हर्यंका राजवंश, शिशुनाग राजवंश और नंदा राजवंश ने शासन किया।

  • हर्यंका राजवंश (544 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व तक)

हर्यंका राजवंश के शासनकाल के दौरान मगध के शासक बिंबिसार, उसके  पुत्र अजातशत्रु और उदयीन राजा ने शासन किया।

  • शिशुनाग राजवंश (544 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व तक)

शिशुनाग के शासनकाल के समय अवन्ती राज्य में विजय प्राप्त कर ली गई।

  • नंदा राजवंश (344 ईसापूर्व से 322 ईसा पूर्व तक)

नंदा राजवंश के संस्थापक महापद्दा को पहले सम्राज्य निर्माता के तौर पर जाना गया था। वहीं नंदा राजवंश के दौरान ही मकदूनियां  और ग्रीक के शासक सिकंदर(अलेक्जेंडर द ग्रेट)  ने भारत पर आक्रमण किया था।

वहीं इसके बाद नंदा राजवंश के अंतिम शासक राजा धाना नन्द को चन्द्रगुप्त मौर्य ने पराजित किया और फिर मगध के नए शासन की शुरुआत कई गई जिसे मौर्य राजवंश के नाम से जाना गया।

मौर्य काल (322 से 182 ईसा पूर्व तक):

भारत में मौर्य सम्राज्य का शासनकाल करीब 322 ईसापूर्व से 185 ईसा पूर्व तक रहा। यह सम्राज्य काफी बड़ा एवं राजनैतिक एवं सैन्य मामलों में भी काफी मजूबत, संगठित एवं ताकतवर सम्राज्य था।

मौर्य राजवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने करीब 322 ईसापूर्व से 298 ईसापूर्व तक चाणक्य की कूटनीति को अपनाकर पहले भारत गंगा के मौदानों में अपना सम्राज्य फैलाया फिर उसने पश्चमी उत्तर पर अपना कब्जा जमाया एवं फिर पंजाब के पूरे प्रांत को जीत लिया।

इसके बाद सिकंदर के एक अधिकारी ने उसके राज्य में हमला कर दिया, जिसके बाद लंबे युद्द के बाद दोनों के बीच संधि समझौता हुआ, जिसमें  कंधार, बालचिस्तान, काबुल राज्यों को मौर्य सम्राज्य के अधीन किए गए। इसके कुछ समय बाद सिंधु के प्रांतों पर ही मौर्य सम्राज्य ने अपना अधिकार  जमा लिया और फिर चन्द्रगुप्त मौर्य ने नर्मदा नदी के उत्तर प्रांत पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।

चन्द्रगुप्त के बाद बिंदुसार  और बाद में महान अशोक ने मौर्य सम्राज्य का शासन संभाला, जिसने इस सम्राज्य का जमकर विकास किया , उसके शासनकाल में दक्षिण को छोड़कर भारतीय उपमहाद्धीप के करीब सभी राज्यों पर नियंत्रण था।

वहीं बाद में कलिंग युद्ध के बाद अशोक महान ने बौद्ध धर्म अपना लिया। मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक ब्रहदरथ की पुष्यमित्रा शुंग के द्धारा हत्या कर दी गई और फिर भारत में ‘‘शुंग राजवंश’’ की स्थापना हुई।

शुंग राजवंश

मौर्य सम्राज्य के पतन के बाद  शुंग राजवंश ने 187 ईसा पूर्व से करीब 75 ईसापूर्व तक भारत में करीब 112 साल तक शासन किया। शुंग राजवंश के दौरान भारतीय उपमहाद्धीप में मध्य गंगा की घाटी एवं चंबल नदी तक के प्रदेश शामिल थे, जबकि विदिशा, अयोध्या, एवं पाटलिपुत्र मुख्य नगर थे।

भारत में आक्रमण (185 ईसापूर्व तक 320 ईसा पूर्व तक):

इस काल में भारत में शक, कुषाण,पार्थियन, बक्ट्रियन आदि ने हमला किए। वहीं इसी दौरान न सिर्फ व्यापार के लिए मध्य एशिया  का मार्ग खुला, बल्कि सोने के सिक्कों का चलन और साका युग की शुरुआत हुई।

डेक्कन और दक्षिण (65 ईसापूर्व से 250 ईसापूर्व तक):

इस काल में भारतीय उपमहाद्धीप के दक्षिण भाग पर चोल, पांडया, चेर आदि राजवंशों का शासन रहा और इसी समय महाराष्ट्र में स्थित दुनिया भर में अपना अनूठी कलाकृति और शिल्पकारी के लिए मशहूर अंजता और एलोरा की भव्य गुफाओं का भी निर्माण किया गया। इसके साथ  ही इस दौरान भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ।

गुप्त सम्राज्य (320 ईसवी से लेकर 520 ईसवी तक):

भारत में गुप्त सम्राज्य का काल काफी समृद्ध एवं उन्नत काल था। इस काल को भारतीय इतिहास का स्‍वर्णिम युग कहा जाता है। इस दौरान उत्तरी भारत में शास्त्रीय युग की शुरुआत हुई थी।

समुद्रगुप्त ने इस दौरान सम्राज्य का  जमकर विस्तार किया, इसके साथ ही चन्द्रगुप्त द्धितीय ने शाक के खिलाफ युद्ध किया। गुप्त सम्राज्य पाटिलपुत्र से प्रयाग, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।  इस युग में ही कालिदास ने अपनी महान रचना शाकुंतलम की।

इसके साथ ही इस काल में गणित, खगोल विज्ञान, साहित्य, धर्म, दर्शन और कला, प्रौद्योगिकी का जमकर विकास हुआ।

भारत में छोटे राज्यों का निर्माल काल(500 ईसवी से 606 ईसा पूर्व तक):

5वीं सदी में गुप्त सम्राज्य के बिखराव के बाद भारत में हूण, मौखरी, मैत्रक, पुष्यभूति एवं गौड़ राजवंशों की शक्तियां फैल गईं , वहीं इन छोटे-छोटे राजवंशों के आपस में युद्द करने से भारत में कई छोटे-छोटे राज्यों का निर्माण किया गया।

हर्षवर्धन (606 से 647 ईसा पूर्व तक):

7वीं सदी की शुरुआत में राजा हर्षबर्धन ने उत्तर भारत में तो अपना सम्राज्य का विस्तार किया। इसके साथ ही चीन के साथ अच्छे राजनायिक संबंध स्थापित कर लिए।

उसके शासनकाल के दौरान ही भारत में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेन त्सांग ने भारत की यात्रा की थी, वहीं बाणभट्ट हर्षवर्धन के दरबार के मुख्य कवि थे, जिन्हों राजा हर्षवर्धन की जीवनी ‘हर्षचरित’ की भी रचना की थी।

बाद में हूणों के आक्रमण से हर्षबर्धन के राज्य कई छोटे-छोटे टुकड़ो में बंट गया था।

दक्षिण राजवंश 500 ईसापूर्व से 750 ईसापूर्व तक:

इस काल में भारत में कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित रायचूर दोआब पर चालुक्यों ने  शासन किया था। इसी काल के दौरान पल्लवों ने सातवाहनों के पतन के बाद दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राज्य पल्लव सम्राज्य की स्थापना की थी।

यही नहीं इसी काल में भारत में पंड्या सम्राज्य भी खूब फला-फूला एवं कई पार्शियन भी भारत दौरे पर आए थे।

चोल सम्राज्य 9वीं सदी से 13वीं सदी तक:

संगम साहित्य से मिली जानकारी के मुताबिक इस काल के दौरान चोल सम्राज्य का विस्तार आधुनिक तिरुचि जिले से आंध्रप्रदेश तक हुआ था। इस दौरान चोलों द्धारा समुद्र नीति भी अपनाई गई थी।

उत्तरी सम्राज्य 750 ईसवी से 1206 ईसवी तक:

इस दौरान उत्तर और दक्षिण भारत में कई ताकतवर और शक्तिशाली सम्राज्यों का उदय हुआ। इस दौरान भारत में न सिर्फ राष्ट्रकूट शासकों का बोलबाला रहा, बल्कि प्रतिहार सम्राज्य ने अवंति एवं पलस राजवंश के शासकों ने बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।

इसी दौरान राजपूत राजवंश की भी स्थापना की गई। इस काल में भारत के मध्यप्रदेश के खजुराहों के मंदिर, पुरी के मंदिर समेत कांचीपुरम के प्रसिद्ध मंदिरों का भी निर्माण किया गया। इसी दौरान तुर्कों ने भी भारत में अपना धावा बोला।

मध्यकालीन भारत

भारत में इस्लाम धर्म का प्रवेश

करीब 712 ईसा पूर्व के आसपास मुस्लिम शासक मुहम्मद-इब्र-कासिम के नेतृत्व में मुस्लिमों ने ब्राह्मण राजा दाहिर को पराजित कर भारत में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और फिर कई सदियों तक भारत में मुस्लिम राजाओं ने राज किया।

मध्यकालीन भारत में भारतीय समाज में भी कई बदलाव हुए एवं कृषि का काफी विकास हुआ।

दिल्ली सल्तनत की स्थापना:

1206 ईसवी से1562 ईसवी तक दिल्ली सल्तनत का काल रहा। इस लंबे समय के दौरान भारत में मुस्लिम राजाओं का शासन रहा।।

गुलाम वंश:

1206 ईसवी में दिल्ली में कुतुबुद्धीन ऐबक द्धारा दिल्ली में गुलाम वंश की स्थाना की गई, गुलाम वंश ने 1290 ईसवी तक भारत में राज किया। इस अवधि में गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश, रजिया सुल्तान, गयासुद्दीन बलबन आदि ने शासन किया।

खिलजी वंश:

गुलाम वंश के शासकों के बाद दिल्ली सल्तनत पर 1290ईसा पूर्व से करीब 1320ईसापूर्व तक खिलजी वंश का शासन रहा।

तुगलक वंश:

1320 ईसवी से करीब1414 ईसवी तक भारत में तुगलक वंश ने राज किया। इस दौरान गयासुद्दीन, मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोज शाह तुगलक ने शासन किया।

यह काल मुख्य रुप से स्थापत्य एवं वास्तुकला के रुप जाना जाता है।

मुगल काल (1526 ईसवी से 1858 तक):

मुगल सम्राट बाबर ने 1526 ईसवी में मुगल सम्राज्य की स्थापना की, जिसके बाद लंबे अरसे तक मुगल सम्राज्य ने भारत पर शासन किया।

16 वीं सदी तक मुगल वंश के शासकों ने अपने राजनैतिक कौशल, और योग्यता के चलते भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादातर हिस्सों में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था, इसके बाद 17वीं सदी के अंत तक इस वंश का धीमे-धीमे पतन होने लगा था, इसके बाद आजादी की पहली लड़ाई के दौरान मुगल सम्राज्य का पूरी तरह खात्मा हो गया था।

मुगल सम्राज्य के मुख्य शासक:

  • बाबर (1526 ईसवी से 1530 तक)
  • हुमायूं (1530 ईसवी से 1556 ईसवी तक)
  • शेरशाह सूरी
  • अकबर ( 1556 ईसवी से1605 ईसवी तक)
  • जहांगीर (1605 ईसवी से 1627 ईसवी तक)
  • शाहजहां (1627 ईसवी से1658 ईसवी तक)
  • औरंगेजब (1658ईसवी से 1707 ईसवी तक)
  • बहादुर शाह जफर (1837 से 1858 तक)

आधुनिक भारतीय इतिहास

उपनिवेशी काल

भारत में 16वीं सदी के आसपास फ्रांस, ब्रिटेन, पुर्तगाल, नीदरलैंड समेत तमाम यूरोपीय शक्तियों द्धारा भारत में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिए गए थे।

मराठा सम्राज्य :

17 वीं सदी में भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारत में मराठा सम्राज्य की स्थापना की थी, मराठा सम्राज्य हिन्दू, मुस्लिम शासन एवं सैन्य व्यवस्था का मिश्रित रुप था।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी:

18वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना प्रभुत्व जमा लिया, और यहीं से भारत में ब्रिटिश राज यानि की अंग्रेजों के शासन की शुरुआत हुई थी। इस कंपनी ने भारत में कई सालों तक शासन किया। 1857 में भारत में आजादी की पहली लड़ाई के बाद इस कंपनी का शासन समाप्त हुआ।

यह काल भारतीयों के लिए बेहद संघर्षपूर्ण काल था, क्योंकि इस दौरान निर्मम ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी दमनकारी नीतियों के तहत भारतीयों पर जमकर अत्याचार किया। इस कंपनी के शासनकाल के दौरान भारत पर कई गर्वनर जनरलों ने अपना शासन चलाया।

आजादी का पहला स्वतंत्रता संग्राम:

1857 ईसवी में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ तात्या टोपे, रानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे, बहादुर शाह जफर, वीर कुंवर सिंह ने जमकर संघर्ष किया था।

इस दौरान ही राजा राममोहन राय जैसे महान समाज सुधारकों ने देश में फैली सती प्रथा, जाति प्रथा जैसी कई अमानवीय कुरीतियों को देश से दूर करने में सफलता हासिल की।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और महात्मा गांधी:

इसके बाद 20वीं सदी में महात्मा गांधी जी, सुभाष चन्द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, एनी बेसेंट, सरदार भगत सिंह, बाल गंगाधर तिलक समेत कई महान स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने गुलाम भारत को आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन चलाए।

आजादी और विभाजन:

अंग्रेजों की फूट डालो, राज करो नीति के तहत हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच धार्मिक तनाव की वजह से आपसी मतभेद बढ़ गया। जिसके चलते वाइसराय लॉर्ड वेवेल ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया।

लेकिन अंत में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया और 15 अगस्त 1947 में हमारे देश के महान क्रांतिकारियों के कठोर संघर्षों के बाद हमारे भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली।

आजादी के बाद का भारत:

भारत को स्वतंत्रता मिलने के कुछ समय बाद भारत एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष वाला लोकतंत्रात्मक गणराज्य बन गया और अब एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति वाला देश बन चुका है।

आजादी के बाद भारत में न सिर्फ शिक्षा का जमकर प्रचार-प्रसार हुआ, बल्कि भारत देश ने तकनीकी, विज्ञान, कृषि, व्यवसाय, प्रौद्योगिकी, विज्ञान आदि में भी काफी तरक्की की।

वहीं भारत के इतिहास के आधार पर हम कह सकते हैं कि इस देश पर कई अलग-अलग सम्राज्य और विदेशी शक्तियों ने आक्रमण किए लेकिन भारत, इन सब संघर्षों को झेलते हुए भी आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली और ताकतवर देश के रुप में उभरा है, इसके साथ ही भारत की अनूठी संस्कृति, सभ्यता और एकता की मिसाल आज पूरी दुनिया में दी जाती है।

Books on History of India: 

और अधिक लेख:

दोस्तों, भारत का इतिहास इतना छोटा नहीं हैं की इसे 2-3 पेज में बताया जा सके। यहापर हमनें इसे कम शब्दों में कुछ महत्वपूर्ण बाते बताने की कोशिश की हैं। हो सकता हैं इसमे कुछ गलतिया हो या फिर कुछ लिखने का छुट गया होंगा। अगर आपके पास कुछ और महत्वपूर्ण जानकारी हैं जो इस लेख में होनी चाहियें तो उसे जरुर हमारे साथ share करे। क्योकि ज्ञान की ये धारा इसी तरह बहती रहें।

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दीपक चोपड़ा के अनमोल विचार | Quotes By Deepak Chopra In Hindi

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Quotes By Deepak Chopra

दीपक चोपड़ा – Deepak Chopra एक जानेमाने डॉक्टर और Seven Laws Of Spiritual Success जैसे Motivational Bestseller Books के लेखक हैं, उन्होंने आध्यात्म इस विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया है, उन्हें भगवद्गीता से प्रेरणा मिलती है. उनके विचार सारी दुनिया को प्रभावित कर रहें हैं यहापर दीपक चोपड़ा के कुछ अनमोल विचार – Quotes By Deepak Chopra In Hindi दे रहें है जो आपके जीवन को काफी प्रभावित करेंगे..

दीपक चोपड़ा के अनमोल विचार – Quotes By Deepak Chopra In Hindi

Deepak Chopra Quotes in Hindi

आपके साथ हर समय बहोत सारी चीजे होगी लेकिन यदि आप उनमे हेरफेर करने की कोशिश करोगे तो इसका मतलब आप पूरी दुनिया के खिलाफ संघर्ष कर रहे हो और ये आपके लिये बहोत छोटी बात होगी

कर्म को आप जब सही तरीके से समझ लेते हो, तो फिर यह आपके लिये जानकारियों को स्पष्ट रूप से जानने की यंत्रणा का काम करती है

Deepak Chopra Quotes on Success

सकारात्मक वातावरण के बिना आप सकारात्मक विकल्पों का चुनाव नही कर सकते

नदी की दिशा बदलने की कोशिश मत करो

जब तक आप मानव शरीर में पानी, ग्लूकोस और इलेक्ट्रोलाइट नमक के मिलने या जागरूक होने के बिंदु को नही ढूंड लेते तब तक ये कोई मायने नही रखता की आपने उनके साथ कितनी बार प्रयोग किया है

जितनी हो सके उतनी लंबी जिंदगी जीना जरुरी नही की यही आपके दिमाग का सबसे अच्छा इरादा हो, क्योकि गुणवत्ता (क्वालिटी) और मात्रा (क्वांटिटी) कभी एक जैसी नही होती

Deepak Chopra VicharV

दूसरो के लिये आप जितना कम दिल खोलोंगे, आपका दिल उतना ही बीमार होंगा

यदि आप वर्तमान में जीते हो तो जो आप करना चाहते हो वो करने के जिंदगी आपको बहोत से मौके देती है

आप और मैं अनंत विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं. हमारे अस्तित्व के हर एक क्षण में हम उन सभी संभावनाओं के मध्य में होते हैं जहाँ हमारे पास अनंत विकल्प मौजूद होते हैं

Deepak Chopra Thoughts in Hindi

सोचना ब्रेन केमिस्ट्री के अभ्यास है

आपके सोचने का तरीका ही आपके व्यवहार का तरीका है, आपके व्यवहार करने का तरीका ही आपके खाने का तरीका है, इसे अपनाने से ही आप अपने जीवन को 30 से 50 साल में प्रभावशाली बना सकते हो

हमें ऐसे वातावरण में रहना चाहिये जहा दिमाग जो चाहे उसे आसानी से पसंद कर सके न की गलत चीजो को चुनकर उनके साथ समझौता कर सके

Deepak Chopra Quotes on Relationships

आत्मजागरुकता का कोई महत्त्व नही होताये डरावना भी नही होता इसे इससे कोई फर्क नही पड़ता की आप अपनेआप को बेवजह के दर्द में डुबो रहे हो

आध्यात्मिकता मतलब अपने आप को बाहरी पहचान से आंतरिक जागरूकता में ले जाकर ब्रह्माण्ड की बातो को जानना है

हमें घमंड, तर्क और अनगिनत कारणों से दूर ले जाना चाहिये ताकि हम अपने भीतर शांति का निर्माण कर – आत्मा के राज्य को विकसित कर सके

Deepak Chopra Quotes on Love

निर्धारित की हुई कोई भी शारीरिक सच्चाई नही है, दुनिया के बारे में कोई एक अवधारणा नही है, वो तो हम बस दुनिया के तंत्रिका तंत्र के हिसाब से बहोत सी अवधारणाएँ करते है और वातावरण के हिसाब से अपने जीवन का अनुमान लगाते है

हमें स्वयं को हम जो है उस हिसाब से शिक्षित करना चाहिये, और खुद ही असली पहचान को जानना चाहिये

दिमाग को कोई भी विचार रजिस्टर होने से पहले मस्तिष्क उसपर विचार करता है……हमारा द्वारा लिये गये हर एक कदम का असर दिमाग पर होता है…..और हम हमेशा से ही अपने दिमाग को ज्यादा गतिशील करने के बारे में सोचते है

Deepak Chopra Quotes on Life

वैश्वीकरण की शुरुवात मुक्त व्यापार, समृद्धि के बाटने और सीमाओ को खुला करने से ही होती है ऐसा करना निश्चित ही अच्छा होंगा

एक अच्छा बदलाव हमें अपने जीवन में ही दिखाई देता है, क्योकि कोई भी इंसान जैसा बचपन में होता है वैसा बड़ा होने के बाद नही होता

सफलता तभी मिलती है जब लोग मिलकर काम करते है और असफलता तभी आती है जब अकेले काम करते है

Deepak Chopra Quotes on Healing

स्व-जागरूकता केवल विश्राम या व्यायाम नही है बल्कि इससे आपकी क्रिया और गतिशीलता दोनों को ही विश्राम मिलता है. तंत्रज्ञान इसमें सहायक हो सकता है

जो कुछ भी होता है वह आपके एहसास की वजह से रहस्यमयी तरीके से होता है, यह वो रास्ता होता है जहा पुराने प्रतिमान अचानक ही मरने लगते है

हमारे शरीर को मिलाकर पूरी शारीरिक दुनिया एक पर्यवेक्षक की प्रतिक्रिया है हम जैसे दुनिया के अनुभव का निर्माण करते है वैसे ही हम अपने शरीर का भी निर्माण करते है

Deepak Chopra Ego Quotes

विज्ञान अन्धविश्वास और अकारण के लिये तर्क-संगत विचार और विश्वास बनकर खडा होता है

यदि आप जिंदगी में सही में कोई बड़ा और महत्वपूर्ण काम करना चाहते हो तो आप कुछ भी खुद के भरोसे नही कर सकते और ऐसे काम को करने के लिये आपको अपने दोस्तों और सहयोगियों की आवश्यकता जरुर पड़ेगी

उथल-पुथल और अराजकता के बीच में अपने अंदर शांति बनाये रखे

दिमाग और शरीर के बिच में कोई अंतर नही है, ये आपस में जुडे हुए है

Deepak Chopra Thoughts

आपकी मौजूदगी का सबसे बड़ा रहस्य आपका अस्तित्व ही है

ये दुनिया तेज़ी से बेहतरीन विकासक्रम, रचनात्मकता और संक्षेपण की तरफ बढ़ रही है

हर इंसान गर्भ में भगवान ही होता है. और जन्म लेना ही उसकी एक इच्छा होती है

जिस इंसान में अलग-अलग तरह से व्यवहार करने की आदत होती है वह इंसान ज्यादा सावधानी बरतने वाला होता है

Quotes By Deepak Chopra

यदि इस पल तुम्हारे और मेरे दोनों के मन में किसी के भी खिलाफ नफरत और अहिंसा का एक भी विचार आया तो समझ जाइये की हम दुनिया को चोट पहोचा रहे है

इंसान की इच्छा उसके द्वारा जमा की हुई चीजो से भी आगे की होती है

तीन अलग दिशाओ में दौड़कर आप कोई भी हल नही निकाल सकते

अहंकार, दरअसल वास्तविकता में आप नहीं हैं. अहंकार आपकी अपनी छवि है, ये आपका सामजिक मुखौटा है ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैंआपका सामजिक मुखौटा प्रशंशा पर जीता है वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता है, क्योंकि वो भय में जीता है

Deepak Chopra Quotes

आपको हर सुबह कम से कम 2 घंटे तो भी ध्यान लगाना चाहिये और यह मेरी दैनिक दिनचर्या का ही एक भाग है, मै रोज 4 AM बजे उठता हु और मुझे यह दिनचर्या बहोत पसंद है

सूली पर चढाने की प्रतीकात्मक भाषा मतलब पुराने मिसालों की मृत्यु है, पुनर्जीवन से आप सोचने के नये रास्तो पर छलांग लगाते हो

एक अच्छा श्रोता बनने के लिये थोड़ी सावधानी और थोडा ध्यान रखने की जरुरत है, इससे आपके भीतर भावनात्मक ऊर्जा का संचार होगा

आपको अपने भीतर वो जगह खोजनी होगी जहाँ कुछ भी असंभव नहीं है

Deepak Chopra Quotes on Leadership

उत्कृष्टता के समय में जब समय खड़ा होता है तब आपकी जैविक घडी रुक जाती है जोश हमेशा सावधानी वाले कार्यक्षेत्र में ही आता है जहा कोई समय नही होता है

शोध से ऐसा पता चला है की खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका अपने हर दिन को खुश बनाना है

आनंदित रहना बच्चों का स्वभाव ही होता है

आप जिस तरह सोचते हैं, जिस तरह व्यवहार करते हैं, जिस तरह खाते हैं, वो आपके जीवन के 30 से 50 साल तक प्रभावित कर सकता है

Quotes By Deepak Chopra In Hindi

ब्रह्माण्ड में कोई भी टुकड़ा अतिरिक्त नहीं है. हर कोई यहाँ इसलिए है क्योंकि उसे कोई जगह भरनी है, हर एक टुकड़े को बड़ी पहेली में फिट होना है

एक बार यदि समाज की संरचना तबाह हो गयी तो उसे दोबारा बनने में कई पीढ़िया लग जाती है

आध्यात्मिक लोग समृद्ध होने से नही शर्माते

लोग सोचते है की ध्यान लगाना ही सबसे बडा कार्य है आपको इन लोगो की तरह नही सोचना चाहिये

DEEPAK CHOPRA Quotes Gif

जिंदगीभर के लिये एक अच्छी सेहत पाने का रहस्य असल में उल्टा है – आपके शरीर को अपनी देखभाल करने दीजिये

हमारे विचार और हमारा व्यवहार हमारी प्रतिक्रिया का ही परिणाम है कई बार ये हमारे डर पे भी निर्भर करते है

बुरी बातो को अच्छी बातो में बदलना आप पर ही निर्भर करता है

हम सभी सच्चाई को अपनाने के इरादे से ही जीते है

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बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व-विजयादशमी / दशहरा

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Dussehra Information in Hindi

दशहरा का पर्व हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह रहता है।

इस पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए इस पर्व का अपना एक अलग महत्व है, भारत में इस पर्व को अलग-अलग जगह अपनी-अपनी रीति-रिवाज और परंपरा के साथ मनाया जाता है।

दशहरा के त्योहार की तैयारियां लोग कई दिन पहले से ही करने लगते हैं, इसलिए इस मौके पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है, तो आइए जानते हैं, दशहरा के पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी –

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व-विजयादशमी / दशहरा – Dussehra Information in Hindi

Dussehra Information in Hindi

दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है ?

बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक का यह पावन पर्व आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। आश्विन मास की नवरात्रों के अगले दिन यानि की रामनवमी के अगले दिन इस पर्व को पूरे भारतवर्ष में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

विजयादशमी से नौ दिन पहले माता दुर्गा की उपासना की जाती है। वहीं दशहरा के ठीक 20 दिन बाद दीपावली का पर्व मनाया जाता है। आपको बता दें कि साल 2019 में दशहरा का पर्व 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

विजयादशमी के इस पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं –

दशहरा से जुड़ी प्रचलित पौराणिक कथाएं

  • भगवान राम द्धारा रावण का वध करने से जुड़ी कथा

दशहरा के पर्व को मनाने के पीछे सबसे प्रचलित और प्रसिद्ध पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान राम ने इसी दिन महाअसुर रावण का वध कर उसके अहंकार का विनाश किया था, बड़े-बड़े हिन्दू शास्त्रों और धर्मग्रंथों के मुताबिक भगवान विष्णु ने महाअसुर रावण के पापों का अंत करने के भगवान राम का अवतार लिया था।

महाकाव्य रामायण के अनुसार, जब भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने उन्हें अपनी पत्नी कैकयी के कहने पर 14 साल के वनवास के लिए भेजा था, तब उनके साथ उनकी पत्नी माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी गए थे और वनवास के आखिरी साल में महापापी राक्षस रावण ने माता सीता की सुंदरता से मोहित होकर छल से उनका अपहरण कर लिया था।

जिसके बाद भगवान राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था। इस युद्ध में भगवान राम का वानर सेना, रावण के भाई विभीषण और हनुमान जी ने साथ दिया था।

आपको बता दें कि महाबलशाली एवं महापापी रावण के पास न सिर्फ  महादैत्यी शक्तियां थीं, बल्कि ज्ञान का अपार भंडार भी था, जिसका उसे काफी अंहकार था, उसके इसी अंहकार का सर्वनाश करने और माता सीता को उससे वापस लाने के लिए भगवान राम ने रावण से युद्ध कर उसका वध कर दिया था।

और वह दिन आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का दिन था और तभी से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के पर्व दशहरा के रुप में मनाया जाने लगा है।

  • माता दुर्गा द्धारा महिषासुर का वध करने से जुड़ी कथा

विजयादशमी के पर्व को मनाने के पीछे एक अन्य प्रसिद्ध कथा के मुताबिक महिषासुर नाम के एक राक्षस की उपासना से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दिया था।

इस वरदान को पाकर महिषासुर ने इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करना शुरु कर दिया, उसने  बेकसूर और निर्दोषों पर अत्याचार करना शुरु कर दिए एवं अग्नि, वायु, सूर्य, चंद्रमा, इंद्र, यम, वरुण एवं अन्य देवताओं से उनके अधिकार छीन लिए, इसके साथ ही इंद्रलोक और समस्त पृथ्वीलोक पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया।

वहीं ब्रह्रादेव के वरदान के मुताबिक असुरों के राजा महिषासुर का ना कोई पुरुष और ना ही कोई देवता उसका वध कर सकते थे। जिसके चलते महिषासुर के पाप और अत्याचार बढ़ते जा रहे थे, जिससे रुष्ट होकर सभी देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की और मां दुर्गा को कुछ दैवीय शक्तियों समेत अपने अस्त्र-शस्त्र दे दिए, जिससे वह और अधिक शक्तिशाली और बलवान हो गईं।

इसके बाद देवी दुर्गा ने करीब नौ दिन तक महापापी महिषासुर के साथ युद्ध किया और दशमी के दिन महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की। इसलिए तभी से इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के पर्व विजयादशमी के रुप में मनाया जाना लगा है।

वहीं दशहरा के पर्व से नौ दिन पहले नवरात्रों के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा-उपासना की जाती है। देवी दुर्गा द्धारा महिषासुर का विनाश करने के कारण उन्हें मां महिषासुरमर्दिनी नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा भी इस पर्व से पांडवों के वनवास एवं देवी सती के अग्नि में समां जाने जैसी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं।

दशहरा का महत्व

दशहरा का पर्व भारत में अपने अलग-अलग रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति के साथ मनाया जाता है, हालांकि इस त्योहार को मनाने के पीछे सभी का एक ही उद्देश्य होता है – अपने अंदर की बुराई को खत्म कर सभी के साथ मिलजुल कर और प्रेम के साथ रहना।

इस त्योहार का बड़े, बच्चे, बुजुर्ग, युवाओं और महिलाओं सभी के लिए अलग-अलग महत्व है।

विजयादशमी के पर्व को मुख्य रुप से बुराई  पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाता है, हालांकि विजय और जश्न की मान्यता सभी के लिए अलग-अलग है, जैसे कि किसानों के लिए यह पर्व नई फसलों का पककर तैयार होने का पर्व है तो बच्चों के लिए यह मौज-मस्ती का पर्व है, जबकि सरहद पर तैनात वीर जवानों के लिए अपने दुश्मन पर जीत के जश्न का पर्व है। इस तरह इस पर्व में सभी के विजय और जश्न की मान्यताएं अलग-अलग हैं।

दशहरा का पर्व कैसे मनाया जाता है

दशहरा के पर्व की धूम पूरे भारत में दिखाई देती है।  इस दौरान अस्त्रों, शस्त्रों, वाहनों, औजारों की पूजा की जाती है। इसके अलावा दशहरा के पर्व पर कई बड़े उत्सव, मेले और कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कई जगहों पर तो पूरे 10 दिन तक दशहरा का उत्सव मनाया जाता है।

इस मौके पर भव्य मेलों का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें कई अलग-अलग क्षेत्रों के दुकानदारों द्धारा स्टॉल लगाए जाते हैं, बच्चों के खेल – कूद और मनोरंजन के लिए झूलें लगाए जाते हैं एवं सर्कस आदि का आयोजन किया जाता है।

दशहरा पर जगह-जगह पर रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें रामायण के मुख्य पात्र भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि का किरदार कलाकारों द्धारा निभाया जाता है, जबकि रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाए जाते हैं, फिर नाट्यरूपी रामलीला के अंत में भगवान राम द्धारा रावण का वध प्रदर्शित किया जाता है, जिसके बाद पटाखों की गूंज के साथ रावण का पुतला दहन किया जाता है। इस तरह इस पर्व पर अलग ही माहौल होता है।

वहीं रामलीला को देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ जुटती है और इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह भी देखने को मिलता है।

प्राचीन समय में दशहरा के दिन लोग एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते थे, जिससे लोगों में आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता था, लेकिन आज लोग इंटरनेट से मैसेज कर ही एक-दूसरे को इस पर्व की बधाई दे देते थे।

वक्त के साथ-साथ अन्य त्योहारों की तरह दशहरा के पर्व ने भी आधुनिकता का रुप ले लिया है, जिसके चलते धीमे-धीमे इसका महत्व कम होता जा रहा है।

इसलिए हम सभी को इस त्योहार के महत्व और इसकी वास्तविकता को समझकर पूरी सादगी और श्रद्धा के साथ इस पर्व को मनाना चाहिए, क्योंकि यह त्योहार न हमारे अंदर प्रेम और सदाचार की भावना विकसित करते हैं, बल्कि हमें अपनी शक्ति और कर्तव्यों का बोध करवाते हैं, इसके साथ ही देश की आर्थिकी को बढाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है।

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स्वर्ण मंदिर इतिहास और रोचक बाते | Golden Temple History in Hindi

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Golden Temple History in Hindi

भारत अपने अनूठे रहस्यों, चमत्कारों, आर्कषण, एवं कलात्मकता की वजह से पूरी दुनिया भर में मशहूर है, यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी अद्भुत शिल्पकारी, वास्तुकला एवं बनावट देखते ही बनती है, उन्हीं में एक है, भारत के अमृतसर का प्रसिद्ध गोल्डन टेम्पल जिसका निर्माण सोना धातु का इस्तेमाल कर किया गया है।

स्वर्ण मंदिर – Golden Temple  हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है, और सिख धर्म का यह मुख्य देवस्थान भी है, जिसे देखकर दुनिया भर के लाखो लोग आकर्षित होते है, केवल सिख धर्म के लोग ही नही बल्कि दूसरे धर्मो के लोग भी इस मंदिर में आते है।

वहीं वर्तमान में यह मंदिर न सिर्फ भारत का, बल्कि पूरी दुनिया भर के स्वर्ण मंदिरों की लिस्ट में सबसे शीर्ष स्थान पर आता है। अमृतसर का गोल्डन टेम्पल सिख धर्म के प्रसिद्ध धार्मिकस्थलों में एक है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है।

इस मंदिर में न सिर्फ सिख धर्म के लोग, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इसके धार्मिक महत्व और अद्भुत बनावट को देखने आते हैं। गोल्डन टेम्पल को हरमिंदर साहेब और श्री दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है।

वहीं आज हम आपको अपने इस लेख में स्वर्ण मंदिर का निर्माण, इसका इतिहास एवं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-

Golden Temple

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का इतिहास और रोचक बाते – Golden Temple History In Hindi

  • मंदिर का नाम – स्वर्ण मंदिर / श्री दरबार साहिब/श्री हरमिंदर साहेब
  • मंदिर कहां स्थित है – अमृतसर
  • कब बनवाया गया था गोल्डन मंदिर? – सन् 1577
  • किसने किया निर्माणकाम शुरु – गुरु रामदास ने
  • मंदिर की वास्तुकला और पूरा बनवाने का काम किसने किया –  गुरु अर्जुन देव ने

स्वर्ण मंदिर का निर्माण एवं इसका इतिहास – Golden Temple Information

अमृतसर में स्थित विश्वप्रसिद्ध इस स्वर्ण मंदिर का इतिहास 400 से भी ज्यादा सालों से पुराना है। इस मंदिर के निर्माण के लिए चौथे सिख गुर रामदास साहिब जी ने कुछ जमीन दान दी थी, जबकि प्रथम सिख गुरु नानक और पांचवे सिख गुरु अर्जुन साहिब ने गोल्डन टेम्पल की अनूठी वास्तुकला की डिजाइन तैयार की थी।

जिसके बाद 1577 ईसवी में इस मंदिर का निर्माण काम शुरु किया गया था।

इसके बाद अर्जुन देव जी ने बाद में इसके अमृत सरोवर को पक्का करवाने का काम करवाया। आपको बता दें कि इस प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर का निर्माण पवित्र टंकी के बीचों-बीच यानि की तालाब के बीच किया गया है, जिसमें बाद में सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ को भी स्थापित किया गया है।

सिख धर्म के इस पवित्र तीर्थस्थल के अंदर ही एक अकाल तख्त भी स्थित है, जिसे सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद जी का घर माना जाता है।

आपको बता दें कि 1604 ईसवी में इस मंदिर का निर्माण काम पूरा कर लिया गया था, हालांकि इस मंदिर पर कई बार आक्रमण किए गए, जिससे इस मंदिर की इमारत को काफी नुकसान पहुंचा।

लेकिन बाद में फिर सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया और इसे वर्तमान स्वरूप देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। आपको बता दें आहूवालिया खालसा दल के कमांडर और मिसल के प्रमुख सरदार थे।

स्वर्ण मंदिर की अद्भुत संरचना, अनूठी वास्तुकला एवं बनावट – Golden Temple Architecture

अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल अपनी अद्भुत कलाक़ति एवं अनूठी शिल्पकारी के लिए जाना जाता है। हरमिंदर साहेब के छतों और दीवारों की डिजाइन हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित करती हैं। गोल्डन टेम्पल की दीवारों में की गई कारिगरी बेहद शानदार है।

श्री हरमिंदर साहेब का निर्माण करीब 67 फीट स्क्वायर फीट क्षेत्रफल में किया गया है, यह एक तालाब के बीचों-बीच बनाया गया है, जिसमें करीब 40.5 स्क्वायर फुट क्षेत्रफल में गुरुद्धारा फैला हुआ है।

गुरुद्धारा के  चारों दरवाजों में बेहतरीन नक्काशी की गई है, जो कि देखने में काफी आर्कषक लगती है। दर्शनी देवरी (एक मेहराब) कार्य-मार्ग के किनारे पर स्थित है।

इस गुरुद्धारे के डोर पैन को कलात्मक तरीके से सजाया गया है, जो कि सेतु की तरफ खुलता है और यह सेतु मार्ग श्री हरमिंदर साहिब के मुख्य भवन की तरफ खुलता है। इस सेतु  की लंबाई करीब 202 फीट और चौड़ाई 21 फीट है।

लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस पावन तीर्थस्थल की इमारत तीन मंजिला है, जिसमें पहली मंजिल की छत 26 फीट और 9 इंच की ऊंचाई पर है। वहीं इसके पहली मंजिल पर गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ होता रहता है।

रात के समय में तालाब के बीच में बना यह विशाल स्वर्ण मंदिर देखने में बेहद आर्कषक और मनोरम लगता है।

अमृतसर के गोल्डन टेंपल की वास्तुकला हिन्दू और मुस्लिम के बीच के प्रेम और सामंजस्य का प्रतिनिधित्व करने वाली एक उत्कृष्ट नमूना है, जो कि तकनीकी दृष्टि से विश्व की सबसे बेहतरीन शिल्पकलाओं में से एक मानी जाती है।

स्वर्णमंदिर के दर्शनीय स्थल एवं आकर्षण – Golden Temple Tourist Places

अमृतसर में स्थित स्वर्णमंदिर भारत के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है, जिसके सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

सेंट्रल सिख संग्रहालय – Central Sikh Museum

हरमंदिर साहेब के प्रवेश द्धार के पास सेंट्रल सिख संग्रहालय (Museum) स्थित है। यह स्वर्ण मंदिर के मुख्य आर्कषणों में से एक है। इस म्यूजियम में जाकर कोई भी व्यक्ति इस भव्य गुरुद्धारा इतिहास की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार में अकाल तख्त को पहुंचा था काफी नुकसान – Operation Blue Star

सिख धर्म की आस्था से जुड़े इस गुरुद्धारे के बाहर की तरफ अकाल तख्त है, जिसे सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद जी का घर माना जाता है। इस तख्त का निर्माण 1606 में बनाया गया था।

आपको बता दें कि, यहां पहले कई मुख्य फैसले लिए जाते थे। वहीं इसके पास शिरोमणि गुरुद्धारा प्रबंधक का ऑफिस भी हैं, जहां सिखों से जुड़े कई अहम फैसले आज भी लिए जाते हैं।

आपको बता दें कि साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय इस भव्य स्वर्ण मंदिर और अकाल तख्त को काफी नुकसान पहुंचा था।

इस ऑपरेशन में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर में छिपे धर्म युद्ध मोर्चा को रोकने के लिए सेना और टैंक मंदिर में प्रवेश करवाए थे, जिसके चलते सेना के जवान और सिखों के बीच काफी संघर्ष छिड़ गया था।

वहीं इस ऑपरेशन में कई भारतीयों की जान भी चली गई थी, वहीं इस निर्मम ऑपरेशन का बदला इंदिरा गांधी जी के सिख बॉडीगाडी ने उनकी हत्या कर लिया था।

हालांकि, बाद में साल 1986 ईसवी में राजीव गांधी जी ने फिर से इस अद्भुत स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त का निर्माण करवा दिया था, लेकिन फिर साल 1989 में इस तख्त का हटा दिया गया। इसके बाद साल 1999 में कार सेवकों ने फिर से अकाल तख्त का निर्माण करवा दिया।

स्वर्ण मंदिर से जुड़े कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य – Interesting Facts About Golden Temple In Hindi

अपनी धार्मिक महत्वता होने के बावजूद स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ और ऐसी बाते है जिन्हें जानना आपके लिये बहोत जरुरी है –

  • अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पहले ईंटों और पत्थरों से बना था, लेकिन बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया, और फिर 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई गई थी।
  • स्वर्ण मंदिर में बने चार दरवाजे, चारों धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब यहां हर धर्म के व्यक्ति मत्था टेकने आ सकते हैं।
  • हरमंदिर साहब गुरुद्धारा में विश्व की सबसे बड़ी किचन है, जहां रोजाना करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को लंगर करवाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मुगल सम्राट अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था।
  • इस विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर की सीढ़ियां ऊपर की तरफ नहीं, बल्कि नीचे की तरफ जाती हैं जो कि मनुष्य को ऊपर से नीचे की तरफ आना सिखाती हैं।
  • अपनी अद्भुत बनावट और आर्कषक चित्रकारी की वजह से पंजाब में स्थित यह स्वर्ण मंदिर पूरी दुनिया भर में मशहूर है। इस स्वर्ण मंदिर की कारीगिरी मुगल और भारतीय वास्तुकला के मिश्रित स्वरुप को दर्शाती है।
  • पंजाब के अमृतसर में स्थित इस विशाल स्वर्ण मंदिर में कभी रात नहीं होती, जी हां यह साल के सभी 365 दिन और दिन के चौबीसों घंटे अपनी कृत्रिम रोश्नी से जगमगाता रहता है।
  • सिख धर्म की आस्था से जुड़ा यह विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसकी नींव एक मुस्लिम सूफी पीर साईं मियाँ मीर ने रखी थी, जबकि सिखों के चौथे गुरु गुरु राम दास जी ने 1577 में इसकी स्थापना की थी और सिखों के पांचवे गुरु अर्जनदेव ने इसकी डिजाइन और निर्माण काम की शुरुआत की थी।
  • श्री हरमंदिर साहिब के नाम का अर्थ “भगवान का मंदिर” है और इस मंदिर में सभी जाती-धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के आते है और भगवान की भक्ति करते है.
  • सिख धर्म की आस्था से जुड़े इस स्वर्ण मंदिर में बैसाखी, प्रकाशोत्सव, लोह़ड़ी, संक्रांति, शहीदी दिवस जैसे त्योहार काफी धूमधाम से मनाए जाते हैं। वहीं इस पवित्र गुरुद्धारा में श्रद्धालुओं को कई नियमों का भी पालन भी करना होता है।

पर्यटकों के लिए कुछ जरूरी नियम – Golden Temple Rules

अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल में आने वाले हर श्रद्धालुओं को यहां के कुछ नियमों का पालन करना होता है, जो कि इस प्रकार हैं-

  • गुरुद्धारा के अंदर जूता पहनकर आने की अनुमति नहीं है, जूतों को बाहर निकालने के बाद ही लोग यहां आ सकते हैं।
  • गुरुद्धारा के परिसर में सिर खोलकर जाने पर मनाही है, स्कार्फ या फिर रुमाल, दुपट्टा आदि बांधकर ही इसमें अंदर प्रवेश किया जा सकता है।
  • सिख धर्म की आस्था से जुड़े इस पवित्र तीर्थस्थल के अंदर मांसाहारी भोजन करना, सिगरेट पीना, शऱाब पीना आदि पर सख्त मनाही है।
  • दरबार साहिब के अंदर गुरुवाणी को सुनने के लिए भक्तों को जमीन पर ही बैठना चाहिए।

कैसे पहुंचे स्वर्ण मंदिर – How To Reach Golden Temple

पंजाब में स्थित स्वर्ण मंदिर वायु, सड़क एवं रेल तीनों मार्गों द्धारा पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से अमृतसर करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से अमृतसर पहुंचने में ट्रेन या फिर बस से जाने में करीब 9 घंटे का समय लगता है।

वहीं दिल्ली से अमृतसर पहुंचने के लिए कई ट्रेने और बसें चलती हैं। इसके अलावा अमृतसर के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से भी काफी अच्छी बस सुविधा भी उपलब्ध है।

इसके अलावा वायु मार्ग के द्धारा भी अमृतसर आसानी से पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें कि अमृतसर में राजासांसी एयरपोर्ट है, जहां से टैक्सी से महज 15 मिनट में गोल्डन टैंपल पहुंचा जा सकता है।

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रोबिन शर्मा के वर्ल्ड 10+ प्रसिद्ध विचार

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Robin Sharma Quotes In Hindi

रॉबिन शर्मा अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक है, दुनिया के कई कंपनीयो के लिए उन्होंने प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किये है। उनकी self help पर लगभग 11 books पब्लिश हो चुकी है, जो कई भाषा में उपलब्ध है, और उनकी किताबे दुनियाभर में बेस्टसेलर्स रही है। क्योकि उनके विचार ही उतने प्रेरणादायक है। आज हम कुछ रोबिन शर्मा के वर्ल्ड प्रसिद्ध विचार – Robin Sharma Quotes In Hindi यहा हिंदी में अनुवाद करके लाए है।

रोबिन शर्मा के वर्ल्ड प्रसिद्ध विचार – Robin Sharma Quotes In Hindi

Robin Sharma Quotes 4

“रोज़ एक छोटी प्रगति, समय के साथ-साथ पहाड़ जैसी बन जाती है.”

“आलोचना हमारी महत्वकांशा की ही कीमत है.”

Robin Sharma Quotes 8

“संभावित अनभिव्यक्ति हमें दर्द की ओर ले जाती है.”

“साधारण लोग मनोरंजन से प्यार करते है जबकि बेहतरीन लोग शिक्षा से प्यार करते है.”

“आपका रोजमर्रा का व्यवहार ही आपके विश्वास को बढ़ाता है.”

Robin Sharma Quotes 5

“सभी बदलाव शुरू में मुश्किल, बिच में गंदे और अंत में मनमोहक होते है.”

“यदि आप ज्यादा डरे हुए नही हो तो आप कुछ खास नही कर रहे हो.”

Robin Sharma Quotes 11

“शिक्षा विकर्षण के खिलाफ टीका करने के बराबर है.”

“एक मुसीबत तभी मुसीबत कहलाती है जब उसे मुसीबत की नज़र से देखा जाये.”

Robin Sharma Quotes 6

“साधारण लोग मनोरंजन से प्यार करते है जबकि बेहतरीन लोग शिक्षा से प्यार करते है.” – 

“स्पष्टता ही अधिकारो की निर्माता है.”

Robin Sharma Quotes 2

“आपके बहाने आपके द्वारा बेचे गए झूट के बराबर है.”

“अपनी व्याकुलता को बढ़ाना मतलब अपने रचनात्मक उत्पादन को खत्म करना है.”

“ज़िन्दगी बहोत छोटी है. इसका प्रयोग करे.”

Robin Sharma Quotes 3

“जहा एक कमजोर इंसान को कठनाई दिखाई देती है वही एक साहसी को एक अवसर दिखाई देता है.”

“आपकी वह योजना जिसका सबसे ज्यादा विरोध होता है वही आपको आगे बढ़ाने में मदद करती है.”

“सिर्फ असफलता का मतलब कोशिश करना नही होता.”

Robin-Sharma-Quotes-1-giff

“अपने आप का विकास करने के लिए अपनी आय को दोगुना कीजिये और अपने निवेश को तिगुना कीजिये.”

“ध्यान केंद्रित करना बौद्धिक स्तर से ज्यादा महत्वपूर्ण है.”

Robin Sharma Quotes 9

“सपने ऊँचे देखे, छोटी शुरुवात करे. अभी से क्रिया करे.”

“कमजोर लोग बहाने बनाते है. जबकि साहसी लोग परिणाम दिखाते है.”

More Quotes Collection : 

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दलाई लामा के अनमोल विचार | Quotes By Dalai Lama In Hindi

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Quotes By Dalai Lama

दलाई लामा की पवित्रता पुरे विश्व में प्रसिद्ध है पुरे विश्व में सकारात्मक संदेश फ़ैलाने के लिये वे जाने जाते है. वे एक आध्यात्मिक संत है और साथ ही लोग उन्हें इस धरती का शांति दूत भी मानते है. उन्होंने करोडो लोगो के जीवन से दुःख को दूर करके खुशिया बाटी.

दुनियाभर के लोग आज दलाई लामा के भक्त है और लोग उन्ही के विचारो पर अपने जीवन में आगे बढ़ाते है. तो आइये आज हम दलाई लामा के प्रसिद्ध सुविचारो को पढ़ते है. यहाँ निचे जीवन को बदलकर रख देने वाले अनमोल वचन दिये गये है :

दलाई लामा के अनमोल विचार – Quotes By Dalai Lama In Hindi

Quotes By Dalai Lama In Hindi

“हमेशा ध्यान रहे की एक बेहतर रिश्ता वही है आप दोनों का प्यार आप दोनों की जरूरतों से बढ़कर हो.”

“दयालुता की जड़ वृद्धि (आभार) की मिटटी में छुपी होती है.”

“खामोश रहना ही कभी-कभी बेहतरीन जवाब होता है.”

“जब हम जिंदगी में किसी सही परिस्थिती का सामना करते है तो हम दो तरह से प्रतिक्रिया करते है – या तो हम हार मानकर जीतने की आशा को खो देते है या आंतरिक शक्तियों को ढूंडकर चुनौतियों का सामना करते है.” 

“एक सच्चा हीरो वही होता है जो खुद के गुस्से और दुष्कर्म को परास्त करता है.”

Motivational Quotes by Dalai Lama

“आज़ादी के हमारे संघर्ष में सच्चाई ही एक ऐसा हथियार है जिसे हम काबू में कर सके.”

“नियमो को तोड़ने से पहले उन्हें अच्छी तरह जान लेना बहोत जरुरी है.”

“प्यार और दया जरुरी है न की विलास (समृद्धि). क्योकि इनके बिना मानवता का मूल्यांकन नही किया जा सकता.

“इस जीवन में हमारा मुख्य उद्देश्य दूसरो की सहायता करना है. और यदि आप उसकी सहायता नही कर सकते तो उन्हें दुःखी भी मत कीजिये.”

Dalai Lama Thoughts

“खुशिया पाने का सबसे अच्छा तरीका पैसा और ताकत नही है बल्कि स्नेह की भावना होना है.”

“वही करने की कोशिश करे जहा आपको उड़ना पसंद हो और वापिस आकार किसी वजह से रुकना भी पसंद हो.”

“समय बिना रुके बीतता चला जाता है. जब हम गलतिया करते है तो हम समय को नही बदल सकते और बदलकर दोबारा कोशिश नही कर सकते, हम सिर्फ वर्तमान समय का अच्छे से अच्छा उपयोग ही कर सकते है.”

“एक खुला दिल ही खुले दिमाग की तरह होता है.”

Motivational Quotes by Dalai Lama in Hindi

“जबतक हम अपनेआप को शांत नही रखते तबतक हमें बाहरी दुनिया में कभी शांति नही मिलेगी.”

“कोई भी लक्ष्य दुसरे इंसानों के लक्ष्य से बेहतर नही बल्कि आपही के पिछले लक्ष्य से बेहतर होना चाहिये.”

“आँख के बदले आँख…….ऐसा करने से हम सभी अंधे हो जायेंगे.

“एक चम्मच में जो खाना होता है वह उसका स्वाद नही ले पता. उसी तरह एकमुर्ख इंसान विद्वान इंसान को नही समझ पाता.”

Dalai Lama Quotes in Hindi

“यह एक साधारण धर्म है. यहाँ मंदिर की कोई जरुरत नही है. यहाँ जटिल दर्शनशास्त्रो की भी जरुरत नही. आपका अपना दिमाग और ह्रदय ही मंदिर है. और आपका दर्शनशास्त्र आपकी दयालुता में ही है.”

“आपका जितना पाया और जितना दिया उसके आधार पर अपनी सफलता को परखिये.”

“कोई भी कार्यक्रम सभी नजरिये से नकारात्मक नही हो सकता, ये असंभव है.”

“लोग खुशियो को पाने के लिये अलग रास्तो का चुनाव करते है. वो आपके रास्ते पर नही है इसका मतलब ये नही की वे हार गये है.”

Dalai Lama Thoughts in Hindi

“धर्म का अर्थ प्यार, करुणा, मानवता, दयालुता और इंसानियत को फैलाना है.”

“हमारी सहानुभूति को विकसित करना और उसे समझना ही हमारे जिंदगी में खुशिया ला सकती है.”

“उसी अकाउंट का चुनाव करे जिसमे ज्यादा प्यार और ज्यादा उपलब्धियों के साथ ज्यादा जोखिम हो.”

“अपने ज्ञान को बाटते रहिये तभी आप अनैतिक सफलता को प्राप्त कर सकोंगे.”

Dalai Lama Quotes Gif

“जब आपको इस बात का अंदाज़ा हो के आपने गलती की है तो उसे सुधारने के लिये तुरंत निर्णय लीजिये.”

“आइये प्रकृति के अमूल्य व्यवहार को जानने की कोशिश करे.”

“वैश्विक शांति आंतरिक शांति से ही विकसित होती है. शांति का मतलब सिर्फ शोर-शराबा ना होने से नही है. मेरे ख्याल से शांति मानवी सहानुभूति का प्रत्यक्षीकरण है.”

“ध्यान न देने की वजह से ही सभी को भुगतना पड़ता है. आधुनिक लोग खुद की ख़ुशी और सफलता के लिये लोगो को दुखी करने पर तुले हुए है.”

Dalai Lama Quotes on Love

“सभी मुख्य धर्मो का उद्देश्य सिर्फ बड़े से बड़े बाहरी मंदिर बनाना नही है, बल्कि दिल में दयालुता और सहानुभूति का आंतरिक मंदिर बनाने से है.”

“खुशिया कभी रेडीमेड नही मिलती. बल्कि खुशिया हमारे ही कामो का परिणाम होती है.”

“एक सच्चा सहानुभूति वाला रवैया तब भी नही बदलता जब दुसरे लोग आपको गुस्सा दिलाये ये दुखी करे.”

“ना ही कोई अन्तरिक्ष स्टेशन और ना ही कोई प्रबुद्ध दिमाग दिन को समझ सकता है.”

Dalai Lama Motivational Quotes

“जब कभी भी संभव हो तो दयालु बने रहे. क्योकि ऐसा करना हमेशा संभव ही होता है.”

“किसी एक को परास्त करना युद्ध में हजारो को परास्त करने से बेहतर है.”

“एक अच्छा दोस्त वही होता है जो आपकी झूटी तारीफ करने की बजाये आपकी गलतियों और आपकी कमियों को बताये.”

“आप आकर्षण से ही दुसरे के दिमाग को बदल सकते हो गुस्से से नही.”

Dalai Lama Quotes on Life

“ऐसा आपके साथ ही “क्यों” हुआ इसपर आश्चर्य करने की बजाये, ऐसा “आप” ही के साथ क्यों हुआ, इसपर आश्चर्य करे.”

“एक अनुशासित दिमाग आपको खुशिया दे सकता है और एक अनुशासनहीन दिमाग आपको दुःख दे सकता है.”

“सहिष्णुता के अभ्यास में एक दुश्मन ही सबसे बड़ा शिक्षक है.”

“हम सभी ने इस धरती का विभाजन किया है और इसीलिये हमने एकता और प्रेम और शांति से रहना चाहिये. ये मेरा स्वप्न नही बल्कि दुनिया की जरुरत है.”

#Motivational Quotes By Dalai Lama

Quotes By Dalai Lama

“यदि किसी के पास बन्दुक है और यदि वो आपको मारने की कोशिश कर रहा हो तो ये सही होगा की आप अपनी खुद की बन्दुक से गोली चलाओ.”

“हमें जो है उसे चाहना सीखना होगा न की जो चाहते हो उसका होना सीखना होगा, जो है उसे चाहने से ही आपको असली ख़ुशी मिलेगी.”

“अहिंसा से आप किसी भी समस्या को हल कर सकते हो. लेकिन आपको दूसरो के लिये बीज बोने की जरुरत है.”

“जहा अज्ञानता हमारा शिक्षक हो वहा शांति आने की कोई संभावना ही नही होती.”

Dalai Lama Motivational Quotes in Hindi

“गुस्सा और घृणा मछुआरे के हुक की तरह है. इसीलिए ये जानना बहोत जरुरी है की कही हम उस जाल में फस न जाये.”

“खुशिया कभी तलाश करने से नहीं मिलती. कभी-कभी वे आशा न होने पर भी आकस्मिक आ ही जाती है.”

“सहानुभूति मतलब हमारे समय में किया गया उग्र सुधारवाद है.”

“गुस्सा आपके दिमाग की आंतरिक शांति को नष्ट करने के सबसे सरल उपाय है.”

Dalai Lama Quotes

“यदि आप दूसरो को ख़ुशी देना चाहते हो तो सहन करना सीखे. यदि आप खुश रहना चाहते हो तो सहानुभूति का अभ्यास करो.”

“कभी–कभी कुछ इंसान थोडा कुछ कहकर बहोत बड़ा प्रभाव डालते है और कभी-कभी लोग शांत रहकर भी बड़ा प्रभाव डाल जाते है.”

“कभी-कभी कठिन परिस्थितियों को टालने की नही बल्कि उनका सामना करने की जरुरत होती है, तभी आपको परम आनंद की प्राप्ति होगी.”

“हम धर्म और चिंतन के बिना भी रह सकते है लेकिन मानवीयता के बिना हम नही रह सकते.”

Dalai Lama Quote of the Day

“जब हम दुसरे के प्रति प्यार और दयालुता का अनुभव करते है और हम दूसरो को नही बल्कि खुद को खुश करते चले जाते है ये आपकी आंतरिक शांति को बनाये रखने में सहायक होगा.”

“प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई वस्तु नही है, ये आप ही के कर्मो से आती है.”

“हमारे जीवन का उद्देश्य ही खुश रहना है.”

“एक छोटे से विवाद से किसी रिश्ते को टूटने मत देना.”

“ध्यान रहे की कभी आप जो चाहते हो वो नही मिले तो भी आप लकी हो सकते हो.”

“यदि आप ये सोचते हो की कुछ नया और अलग करने के लिये आप बहोत छोटे हो तो मच्छर के साथ सोने की कोशिश करे.”

“प्यार मतलब निर्णय का अभाव होना है.”

Dalai Lama Love Quotes Wedding

“मै अपने दुश्मनों को तभी हरा सकता हु जब मै पहले उन्हें अपना दोस्त मानु.”

“हमारा इतिहासिक अनुभव यही बताता है की सबकुछ एक-दूजे से जुड़ा हुआ है, सबकुछ अविभाजनिय है.”

“मेरे लिये प्यार और सहानुभूति ही सबसे बड़ा धर्म है. लेकिन इसे विकसित करने के लिये हमें किसी धर्म पर विश्वास करने की जरुरत नही है.”

“कभी-कभी आपकी क्रिया आपकी प्रतिक्रिया को निर्धारित नही कर पाती.”

“मेरा धर्म बहोत साधारण है. मेरा धर्म दयालुता है.”

“सहानुभूति का विषय व्यापारी धर्म नही है, मानवता के व्यापार को जानना बहोत जरुरी है यही मानवीय जीवन का प्रश्न है.”

जरुर पढ़े : दलाई लामा जी का जीवन परिचय

More Quotes Collection :  Quotes In Hindi

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इंडिया गेट का इतिहास | India Gate History in Hindi

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India Gate

इंडिया गेट, भारतीय ब्रिटिश आर्मी के उन सैनिकों को समर्पित एक स्मारक हैं जो प्रथम विश्व युद्ध एवं तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस स्मारक को अमन जवान ज्योति” और ”अखिल भारतीय युद्ध स्मारक” (ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल) के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्मारक की दीवारों पर देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले हजारों सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक हैं, जिसके सुंदरता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।

इंडिया गेट पर हर साल गणतंत्र दिवस पर विशाल परेड का आयोजन होता है। इस भव्य गेट की ऊंचाई करीब 42 मीटर है, जिसमें मशहूर वास्तुकार एडविन ल्यूटियन्स ने एक फ्रांसीसी स्मारक आर्क-डी-ट्रायोम्फ की तर्ज पर डिजाइन किया है, तो आइए जानते हैं इस अनूठी शहीद स्मारक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी –

इंडिया गेट का इतिहास – India Gate History in Hindi

The India GateIndia Gate

इंडिया गेट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एक नजर में –

  • कहां स्थित है – राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत की राजधानी)
  • कब हुई इंडिया गेट की स्थापना – 1931 ईसवी में।
  • किसने रखी थी इंडिया गेट की नींव – ड्यूक ऑफ कनॉट ने इस स्मारक की नींव रखी थी।
  • इंडिया गेट का निर्माण करने वाले वास्तुकार का नाम – एडविन लैंडलियर ल्यूटियन्स
  • क्यों किया गया इंडिया गेट का निर्माण – यह पहले विश्वयुद्ध के दौरान वीरगति पाए जाने वाले करीब 80 हजार सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है।
  • इंडिया गेट की ऊंचाई कितनी है – करीब 42 मीटर  
  • प्रसिद्धि – अमर जवान ज्योति

भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है इंडिया गेट

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट भारत का एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक होने के साथ-साथ भारत के बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे ‘अखिल भारतीय युद्ध स्मारक’ के रूप में भी जाना जाता है।

इंडिया गेट से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए तमाम वीर सैनिकों की यादें जुड़ी हुई हैं, यह स्मारक भारतीय सेना के सैनिकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। आपको बता दें कि इंडिया गेट, भारत के सबसे महत्वपूर्ण  विरासतों  में गिना जाता है।

इंडिया गेट का निर्माण एवं इसका इतिहासIndia Gate Information

भारत की राजधानी दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट निर्माण 1931 ईसवी में किया गया था।

साल 1914 से 1918 के बीच चले पहले विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के करीब 90 हजार सैनिकों ने अपने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के लिए बड़ी वीरता के साथ दुश्मन सेना से युद्ध लड़ा था, हालांकि इस युद्ध में  करीब 82 हजार सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

इस युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के  सम्मान और उन्हें श्रंद्धाजंली अर्पित करने के लिए दिल्ली के राजपथ में इस राष्ट्रीय स्मारक इंडिया गेट का निर्माण किया गया था।

शुरुआत में इस स्मारक का नाम ”ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल” रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर इंडिया गेट कर दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना के हजारों जवान फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली, फ्रांस  समेत कई अन्य स्थानों पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे, उन सैनिकों के सम्मान और स्मृति में ही इस अद्भुत शहीद स्मारक का निर्माण किया गया था।

लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से निर्मित भारत की इस भव्य शहीद  स्मारक की दीवारों में बेहद सृजनात्मक और अनूठे तरीके से इन हजारों शहीदों का नाम भी लिखो गए हैं।

इसके साथ ही आपको बता दें कि 15 अगस्त, 1947 से पहले जब  देश ब्रिटिशों की गुलामी सह रहा था, तब इंडिया गेट के सामने किंग जॉर्ज वी की एक प्रतिमा स्थापित थी।

लेकिन आजादी मिलने के बाद इस प्रतिमा को हटाकर ब्रिटिश राज की अन्य प्रतिमाओं के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था। देश की इस अनमोल धरोहर में समय-समय पर कई संसोधन भी किए जाते रहे हैं।

जिसकी वजह से दिल्ली के राजपथ पर स्थित यह स्मारक सैनिकों का एक महत्वपूर्ण स्मारक बन गया है।

साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय शहीद होने वाले तमाम भारतीय सैनिको के सम्मान में यहां ”अमर जवान ज्योति” की स्थापना की गई, जहां साल के 365 एवं 24 घंटे, हमेशा ही सैनिकों के सम्मान में एक लौ जलती रहती है।

इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति

भारत के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के तल पर ”अमर जवान ज्योति” बना हुआ है, जो कि देश के उन जवानों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों की याद दिलवाता है, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के युद्ध में अपनी देश की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

इन वीर सैनिकों के शहादत के सम्मान में साल 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया है। इस शहीदों को समर्पित स्मारक का शुभारंभ 26 जनवरी, सन् 1972 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने किया था और उस समय उन्होंने देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों को इस स्मारक पर भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की थी।

तभी से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड के आयोजन से पहले भारत के प्रधानमंत्री एवं तीनों सेनाओं के प्रमुख और सभी मुख्य अतिथियों के द्धारा अमर जवान ज्योति पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों को इस स्मारक पर सच्चे मन से श्रद्धांजली दी जाती है।

इसके अलावा इस शहीद स्मारक पर शहीद दिवस एवं विजय दिवस समेत अन्य मौके पर भारत के तीनों सेना के प्रमुखों के द्धारा शहीदों को   श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

दिल्ली में स्थित अमर जवान ज्योति संगमरमर का बना हुआ है, जिसमें बड़े अक्षरों में ‘अमर जवान ज्योति’ लिखा गया है। इसके साथ ही इस स्मारक के ऊपर L1A1 एक स्व-लोडिंग राइफल रखी गई है। जिस पर एक सैनिक का हेलमेट शोभा दे रहा है।

अमर जवान ज्योति की खास बात यह है कि यहां शहीदों की याद में हमेशा एक अन्नत लौ प्रज्जवलित रहती है, जो कि भारत-पाक युद्ध के समय अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजली है।

आपको बता दें कि भारत की इस सबसे बड़े शहीद स्मारक ”अमर जवान ज्योति” की लौ हमेशा सीएनजी गैस से जलती रहती है, जिसकी आपूर्ति एक गैस पाइपलाइन के माध्यम से की जाती है।

यह गैस पाइपलाइन, दिल्ली के कस्तूरबा मार्ग से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमर जवान ज्योति तक बिछाई गई है।

सैनिकों के इस महत्वपूर्ण स्थल पर 1 नहीं बल्कि 4 जोत रखी गईं हैं, जिनमें से सिर्फ एक जोत ही ऐसी है, जो कि हमेशा जलती रहती है, जबकि अन्य 3 जोतों को भारत के राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी पर ही जलाया जाता है।

वहीं दिल्ली में स्थित इस महत्पूर्ण सैन्य स्मारक की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

इस शहीद स्मारक की सुरक्षा के लिए हमेशा भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और वायु सेना के सैनिक तैनात रहते हैं और 24 घंटे इसकी पहरेदारी करते हैं, ताकि युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की स्मृति में बने इस स्मारक को किसी की तरह का नुकसान न पहुंचे।

इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस पर होने वाली शानदार परेड

भारत की इस राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीदों के सम्मान में एक विशाल परेड का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान वायु, जल और थल तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा राजपथ पर सलामी दी जाती है। इस परेड दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से शुरु होकर इंडिया गेट के परिसर से गुजरती है, इस दौरान गणतंत्र दिवस के उद्घोषों के साथ माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत रहता है, लोग देशभक्ति के जश्न में डूबे दिखाई देते हैं।

इस परेड के दौरान भारत के तीनों सेनाओं की महाशक्ति का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें सेना अपना दमखम दिखाते हैं। इसके साथ ही इस परेड के दौरान अलग-अलग राज्यों के लोग विभिन्न झांकियां निकालते हैं, जिसमें उनकी सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।

सबसे बड़े शहीद स्मारक ऐसे पहुंचे – how to reach india gate

दिल्ली में स्थित इस सबसे बड़े शहीद स्मारक इंडिया गेट को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

भारत की राजधानी दिल्ली न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग से भी काफी अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहां पर्यटक रेल, सड़क एवं वायु तीनों मार्गों द्धारा आसानी से पहुंच सकते हैं। 

अगर सैलानी रेल मार्ग के माध्यम से दिल्ली पहुंचते हैं तो यहां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन दोनों से ही इंडिया गेट तक पहुंचने के कई विकल्प मौजूद हैं।

यहां से सैलानी मेट्रो ट्रेन की सुविधा से आसानी से कम खर्च में इंडिया गेट पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा यहां फ्लाइट और बसों के माध्यम से पहुंचने वाले यात्री भी आसानी से मेट्रो ट्रेन, लोकल बसें या फिर टैक्सी के माध्यम से इस स्मारक को देखने के लिए पहुंच सकते हैं।

वहीं अगर पर्यटक अपनी कार के माध्यम से इंडिया गेट की भव्यता को निहारने जा रहे हैं तो उन्हें इस स्मारक से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर शाहजहां रोड के पास स्थित पार्किंग में अपने वाहन को पार्क करने के बाद इंडिया गेट की सैर कर सकते हैं।

इंडिया गेट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण, रोचक और दिलचस्प तथ्य – facts about india gate

  • देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों की याद में बनाया गया यह स्मारक भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे उस समय के मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था।
  • इंडिया गेट को शुरुआत में अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता था, लेकिन फिर बाद में इसका नाम इंडिया गेट कर दिया गया।
  • करीब 42 मीटर ऊंचे इस राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी, जबकि इसका निर्माण काम को पूरा होने में10 साल का लंबा वक्त लग गया था।
  • भारत की इस सबसे बड़े युद्ध स्मारक के दीवारों पर प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लों-अफगान युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों के नाम शिल्पित किए गए हैं। जबकि इसे पेरिस में स्थित ”आर्क डी ट्रायम्फ” की तर्ज पर डिजाइन किया गया है।
  • इंडिया गेट के तल पर बनी अमर जवान ज्योति को भारत-पाक के युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिसमें हमेशा एक लौ शहीदों की स्मृति और उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए जलती रहती है।
  • इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति का उद्घाटन देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था और 26 जनवरी के दिन देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की थी, तब से लेकर आज तक गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के दौरान हर साल देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा अमर जवान ज्योति पर पूरे श्रद्धा भाव और सच्चे मन से शहीदों को श्रद्धांजली दी जाती है।
  • अमर जवान ज्योति पर एक स्व-लोडिंग राइफल और सैनिक का हेलमेट भी रखा गया है, जो कि इसकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है।
  • करीब 42 मीटर ऊंचे इस शहीद स्मारक का निर्माण भरतपुर से लाए गए लाल और पीले पत्थरों का इस्तेमाल कर किया गया।
  • इंडिया गेट, दिल्ली के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसे खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं
  • दिल्ली में स्थित इंडिया गेट, दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक युद्ध स्मारक के तौर पर भी मशहूर है, जिसके देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्धारा प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही यह गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन स्थल के रुप में भी जाना जाता है।
  • दुनिया का सबसे बड़ा युद्द स्मारक होने के साथ-साथ यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भी है, जहां लोग छुट्टियां मनाने और अपने दिमाग को तारोताजा करने के लिए जाते हैं।
  • भारत के इस महत्वपूर्ण स्मारक के सामने बनी हुई छतरी में पहले जॉर्ज पंचम की मूर्ति स्थापित थी, लेकिन आजादी के बाद में इसके कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था।
  • इंडिया गेट के आस-पास बने हरे-भरे बगीचे , बोट क्लब और पार्क इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ाने का काम करते हैं।

दिल्ली में स्थित भारत का यह सबसे बड़ा युद्ध स्मारक इंडिया गेट सैनिकों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। इंडिया गेट, भारत की शान है जो कि देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों की शहादत को याद दिलवाता है, इसलिए देश के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के प्रति समस्त भारतवासियों के ह्रद्य में अपूर्व सम्मान है।

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