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देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की जीवनी | Dr Rajendra Prasad Biography

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Dr Rajendra Prasad

भारत के राष्ट्रपति के सूचि में पहला नाम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का आता है। जो भारतीय संविधान के आर्किटेक्ट और आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति भी थे। आजादी के करीब 3 साल बाद 1950 में हमारे देश में संविधान लागू होने के बाद उन्हें देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित किया गया था। राजेन्द्र प्रसाद जी एक ईमानदार, निष्ठावान एवं उच्च विचारों वाले महान शख्सियत थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में सर्मपित कर दिया था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बेहद शांत और निर्मल स्वभाव वाले राजनेता थे, जो कि सादा जीवन, उच्च विचार की नीति में विश्ववास रखते थे। सन् 1884 में बिहार के सीवान जिले में जन्में राजेन्द्र प्रसाद जी ने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

Dr Rajendra Prasad
Dr. Rajendra Prasad

डॉ. राजेंद्र प्रसाद – Dr Rajendra Prasad in Hindi

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार राजनेता होने के साथ-साथ एक सच्चे देश भक्त थे। इसके साथ वे महात्मा गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे और उनके द्धारा बताए गए आदर्शों का अनुसरण करते थे। उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए स्वतंत्रता के कई आंदोलनों में अपना सहयोग दिया। आपको बता दें कि राजेन्द्र प्रसाद जी ने साल 1931 में गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। इन आंदोलनों के दौरान उन्हें जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थीं। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी बिहार राज्य के मुख्य कांग्रेस नेताओं में से एक थे। कांग्रेस के अध्यक्ष पद के साथ उन्होंने केन्द्र में खाद्य एवं कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी भी बेहद अच्छे से निभाई थी। उन्होंने राजनीति के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को भी काफी बढ़ावा दिया। वहीं उनके अंदर एक ईमानदार राजनेता के गुण होने के साथ-साथ उनमें साहित्यिक प्रतिभा भी भरी थी, उनके कई लेख जैसे भारतोदय, भारत मित्र काफी लोकप्रिय हुए। वहीं राष्ट्र के प्रति अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। तो आइए जानते हैं देश के प्रथम राष्ट्रपति, सच्चे देशभक्त, एक आदर्श शिक्षक एवं एक प्रसिद्ध अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद जी के बारे में –

पूरा नाम (Name) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
जन्म (Birthday) 3 दिसंबर, 1884, बिहार के जीरादेई गांव
मृत्यु (Death) 28 फरवरी, 1963, पटना, बिहार
पिता (Father Name) महादेव सहाय
माता (Mother Name) कमलेश्वरी देवी
पत्नी (Wife Name) राजवंशी देवी
बच्चे (Childrens) मृत्युंजय प्रसाद
शिक्षा (Education) कोलकाता यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट, लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन (LLM), एवं लॉ में डॉक्ट्रेट
पुरस्कार – उपाधि (Awards) भारत रत्न

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की बायोग्राफी

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी का जन्म, प्रारंभिक जीवन एवं परिवार डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव के रहने वाले महादेव सहाय और कमलेश्वरी देवी के घर जन्में थे। वे अपनी माता-पिता की सबसे छोटी संतान थे। उनके पिता महादेव सहाय जी संस्कृत और फारसी भाषा के महान विद्धान थे, जबकि उनकी माता एक धार्मिक महिला थी। राजेन्द्र प्रसाद जी पर अपनी मां के व्यक्तित्व एवं संस्कारों का काफी गहरा प्रभाव पड़ा था। राजेन्द्र प्रसाद जी जब महज 12 साल के थे, तभी बाल विवाह की प्रथा के अनुसार उनकी शादी राजवंशी देवी के साथ कर दी गई थी।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा Dr Rajendra Prasad Education

डॉ. राजेंद्र प्रसाद बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाले एक बुद्दिमान बालक थे। जिनकी सीखने, समझने की क्षमता काफी प्रबल थी। 5 साल की छोटी सी उम्र में ही राजेन्द्र प्रसाद जी को हिन्दी, उर्दू और फारसी भाषा का काफी अच्छा ज्ञान हो गया था। राजेन्द्र प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव जीरादेई से हुई। बचपन से ही वे पढ़ाई में काफी होनहार थे और पढ़ाई के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। इसी के चलते अपनी आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में एंट्रेस एग्जाम दिया, इस परीक्षा में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया, जिसके बाद उन्हें कोलकाता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए 30 रूपए की मासिक स्कॉलरशिप दी गई। साल 1902 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां उन्होंने महान वैज्ञानिक एवं प्रख्यात शिक्षक जगदीश चन्द्र बोस से शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद साल 1907 में उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स विषय से M.A. की शिक्षा ग्रहण की और  फिर इसके बाद उन्होंने कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की। वहीं इसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल भी दिया। इसके बाद उन्होंने लॉ (कानून ) में phd की उपाधि (डॉक्ट्रेट की उपाधि)भी प्राप्त की। लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अपने राज्य पटना में आकर वकालत करने लगे। वहीं धीरे-धीरे वे एक अच्छे अधिवक्ता के रुप में लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए। वहीं इस दौरान देश को आजाद करवाने के लिए चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ उनका ध्यान गया और फिर उन्होंने खुद को पूरी तरह देश की सेवा में समर्पित कर दिया।

राजेन्द्र प्रसाद जी का राजनीतिक सफर | Dr Rajendra Prasad Political Career

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी देश की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी द्धारा किए गए प्रयासों से काफी प्रभावित हुए, गांधी जी की विचारधारा का उन पर इतना गहरा असर हुआ कि वे गांधी जी के प्रबल समर्थक बन गए एवं गांधी जी द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलनों में उनका साथ दिया। गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपनी नौकरी छोड़कर इस आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई। इसके बाद जब गांधीजी बिहार के चंपारण जिले में तथ्य खोजने के मिशन पर थे, तब वे गांधी जी के एक काफी करीब आ गए और फिर गांधी जी के सांदिग्ध में आने के बाद उनकी सोच ही बदल गई, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी गांधी जी के आदर्शों का अनुसरण करने लगे। इसके बाद एक नई ऊर्जा और जोश के साथ उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में  अपनी भागीदारी निभाई। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने गांधी जी के असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह ( 1930 ) में एक सच्चे देशभक्त की तरह अपना सहयोग दिया, वहीं इस दौरान उन्हें जेल की कई यातनाएं भी झेलनी पड़ी थी। वहीं जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने बिहार में आए एक भयानक भूकंप से पीड़ित लोगों की मद्द और राहत के लिए काम किया। इस दौरान उनके व्यवस्थात्मक एवं संगठनात्मक कौशल को देखते हुए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर उन्होंने कई सालों तक काम किया। साल 1942 में गांधी जी द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए ”भारत छोड़ो आंदोलन” में भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालांकि इस दौरान उन्हें जेल की सजा भुगतनी पड़ी। जेल से रिहा होने के कुछ समय बाद उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी के नेतृत्व में केन्द्र में खाद्य और कृषि मंत्री के पद की जिम्मेदारी भी संभाली। देश को स्वतंत्रता मिलने से कुछ समय पहले ही जुलाई 1946 में जब संविधान संविधान का गठन किया गया , जब डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने साल 1949 तक संविधान सभा की अध्यक्षता की। संविधान के निर्माण में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ राजेन्द्र प्रसाद जी ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में राजेन्द्र प्रसाद जी

आज़ादी के करीब ढाई साल बाद 26 जनवरी 1950 को जब हमारा देश में संविधान लागू हुआ और हमारा देश एक स्वतंत्र लोकतंत्रात्मक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना। उस दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को देश का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया। देश के इस सर्वोच्च पद पर रहते हुए उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए एवं देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ विदेश नीति को बढा़वा दिया। आपको बता दें कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी देश के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो राष्ट्रपति पद का कार्यभार अपने जीवन में दो बार संभाल चुके हैं। उन्होंने करीब 12 साल तक राष्ट्रपति के रुप में देश का कुशल नेतृत्व किया। इसके बाद साल 1962 में वे राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देकर अपने गृहराज्य पटना चले गए।

राजेन्द्र प्रसाद जी की मृत्यु | Dr Rajendra Prasad Death

कई सालों तक निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करने एवं राष्ट्रपति के रुप में देश का नेतृत्व करने के बाद राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपने जीवन के आखिरी पलों को सामाजिक सेवा में समर्पित करने का फैसला किया। राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपनी जिंदगी के अंतिम दिन अपने राज्य बिहार में व्यतीत किए। अपनी आखिरी सांस तक जन सेवा में समर्पित रहे राजेन्द्र प्रसाद जी ने 28 फरवरी, 1963 में पटना में स्थित सदाकत आश्रम में दम तोड़ दिया।

राजेन्द्र प्रसाद जी को सम्मान/पुरस्कार | Dr Rajendra Prasad Awards

राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहने वाले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद जी को उनके राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1962 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से नवाजा गया।

राजेन्द्र प्रसाद जी का साहित्यिक कौशल एवं प्रमुख रचनाएं | Dr Rajendra Prasad Books

राजेन्द्र प्रसाद जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी, ईमानदार राजनेता होने के साथ-साथ साहित्यिक प्रेमी भी थे। उन्होंने अपने महान विचारों से बेहद सरल एवं व्यवहारिक भाषा में कई रचनाएं संपादित की। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण कृतियां इस प्रकार है –

  • मेरी आत्मकथा
  • बापू के कदमों में बाबू
  • मेरी यूरोप-यात्रा
  • इण्डिया डिवाइडेड
  • सत्याग्रह एट चंपारण
  • गांधी जी की देन
  • भारतीय शिक्षा
  • भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र
  • साहित्य
  • शिक्षा और संस्कृति

एक नजर में  डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जानकारी – About Dr Rajendra Prasad In Hindi

  • 1906 में राजेंद्र बाबु के पहल से ‘बिहारी क्लब’ स्थापन हुवा था। उसके सचिव बने।
  • 1908 में राजेंद्र बाबु ने मुझफ्फरपुर के ब्राम्हण कॉलेज में अंग्रेजी विषय के अध्यापक की नौकरी मिलायी और कुछ समय वो उस कॉलेज के अध्यापक के पद पर रहे।
  • 1909 में कोलकत्ता सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र इस विषय का उन्होंने अध्यापन किया।
  • 1911 में राजेंद्र बाबु ने कोलकता उच्च न्यायालय में वकीली का व्यवसाय शुरु किया।
  • 1914 में बिहार और बंगाल इन दो राज्ये में बाढ़ के वजह से हजारो लोगोंको बेघर होने की नौबत आयी। राजेंद्र बाबु ने दिन-रात एक करके बाढ़ पीड़ितों की मदत की।
  • 1916 में उन्होंने पाटना उच्च न्यायालय में वकील का व्यवसाय शुरु किया।
  • 1917 में महात्मा गांधी चंपारन्य में सत्याग्रह गये ऐसा समझते ही राजेंद्र बाबु भी वहा गये और उस सत्याग्रह में शामिल हुये।
  • 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में वो शामील हुये। इसी साल में उन्होंने ‘देश’ नाम का हिंदी भाषा में साप्ताहिक निकाला।
  • 1921 में राजेंद्र बाबुने बिहार विश्वविद्यालय की स्थापना की।
  • 1924 में पाटना महापालिका के अध्यक्ष के रूप में उन्हें चुना गया।
  • 1928 में हॉलंड में ‘विश्व युवा शांति परिषद’ हुयी उसमे राजेंद्र बाबुने भारत की ओर से हिस्सा लिया और भाषण भी दिया।
  • 1930 में अवज्ञा आंदोलन में ही उन्होंने हिस्सा लिया। उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। जेल में बुरा भोजन खाने से उन्हें दमे का विकार हुवा। उसी समय बिहार में बड़ा भूकंप हुवा। खराब तबियत की वजह से उन्हें जेल से छोड़ा गया। भूकंप पीड़ितों को मदत के लिये उन्होंने ‘बिहार सेंट्रल टिलिफ’की कमेटी स्थापना की। उन्होंने उस समय २८ लाख रूपयोकी मदत इकठ्ठा करके भूकंप पीड़ितों में बाट दी।
  • 1934 में मुबंई यहा के कॉग्रेस के अधिवेशन ने अध्यपद कार्य किया।
  • 1936 में नागपूर यहा हुये अखिल भारतीय हिंदी साहित्य संमेलन के अध्यक्षपद पर भी कार्य किया।
  • 1942 में ‘छोडो भारत’ आंदोलन में भी उन्हें जेल जाना पड़ा।
  • 1946 में पंडित नेहरु के नेतृत्व में अंतरिम सरकार स्थापन हुवा। गांधीजी के आग्रह के कारन उन्होंने भोजन और कृषि विभाग का मंत्रीपद स्वीकार किया।
  • 1947 में राष्ट्रिय कॉग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुना गया। उसके पहले वो घटना समिती के अध्यक्ष बने। घटना समीति को कार्यवाही दो साल, ग्यारह महीने और अठरा दिन चलेगी। घटने का मसौदा बनाया। 26 नव्हंबर, 1949 को वो मंजूर हुवा और 26 जनवरी, 1950 को उसपर अमल किया गया। भारत प्रजासत्ताक राज्य बना। स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति होने का सम्मान राजेन्द्रबाबू को मिला।
  • 1950 से 1962 ऐसे बारा साल तक उनके पास राष्ट्रपती पद रहा। बाद में बाकि का जीवन उन्होंने स्थापना किये हुये पाटना के सदाकत आश्रम में गुजारा।

हम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में याद करते है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अभियान में भी मुख्य भूमिका निभाई थी और संघर्ष करते हुए देश को आज़ादी दिलवायी थी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद में भारत का विकास करने की चाह थी। वे लगातार भारतीय कानून व्यवस्था को बदलते रहे और उपने सहकर्मियों के साथ मिलकर उसे और अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करने लगे। हम भी भारत के ही रहवासी है हमारी भी यह जिम्मेदारी बनती है की हम भी हमारे देश के विकास में सरकार की मदद करे।ताकि दुनिया की नजरो में हम भारत का दर्जा बढ़ा सके। राजेन्द्र प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा वाले एक महान राजनेता एवं सच्चे देश भक्त थे, जो कि अपनी पूरे जीवन भर देश की सेवा करते रहे। वहीं आज वे हमारे बीच जरूर नहीं है, लेकिन उनके द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान एवं आजादी की लड़ाई में उनके त्याग, समर्पण और बलिदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा। उनके लिए हर देशवासी के मन में आज भी काफी सम्मान है । राजेन्द्र प्रसाद जी देश के एक सच्चे वीर सपूत थे, जिन पर हर भारतीय को नाज है। और अधिक लेख:

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देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लालबहादुर शास्त्री जी का जीवन परिचय

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Lal Bahadur Shastri

लाल बहादुर शास्त्री को न सिर्फ एक सच्चे देशभक्त और महान स्वतंत्रता सेनानी के रुप में जाना जाता है, बल्कि उनकी छवि एक दूरदर्शी, ईमानदार और निष्ठावान राजनेता के रुप में है, जिन्होंने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा एवं देश की उन्नति एवं विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

लाल बहादुर शास्त्री देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने देश को आजादी दिलवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था एवं अपने जोशीले भाषणों एवं गतिविधियों से अंग्रेजों की नाक पर दम कर दिया था। उन्होंने सभी भारतवासियों के मन में अपने जोशोले भाषण और गतिविधियों से आजादी पाने की अलख जगाई थी।

इसके साथ ही उन्होंने देश में स्वतंत्रता की ज्वाला को तेज कर दिया था। यही नहीं शास्त्री जी ने दुग्ध उत्पादन की बढ़ोतरी के लिए ‘श्वेत क्रांति’को भी बढ़ावा दिया था। आइए जानते हैं भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी, निष्ठावान और ईमानदार राजनेता लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में –

लाल बहादुर शास्त्री जीवनी – Lal Bahadur Shastri in Hindi

Lal Bahadur Shastri

श्री लालबहादुर शास्त्री जी के बारे में एक नजर में – Lal Bahadur Shastri Information

पूरा नाम (Name) लालबहादुर शारदाप्रसाद श्रीवास्तव
जन्म (Birthday) 2 अक्टूबर, 1904, मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश
पिता (Father Name) मुंशी शारदा प्रसाद श्री वास्तव
माता (Mother Name)  राम दुलारी देवी
शिक्षा (Education) हरिश्चन्द्र हाई स्कूल, काशी विद्यापीठ (वर्तमान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ)
पत्नी (Wife Name) ललिता देवी
बच्चे (Children) 6 संतान
मृत्यु (Death) 11 जनवरी, 1966
सम्मान/पुरस्कार (Award) “भारत रत्न”

“कानून का सम्मान किया जाना चाहिये ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरक़रार रहे और मजबूत बने।”

लालबहादुर शास्त्री  जी का प्रारंभिक जीवन – Lal Bahadur Shastri Biography

देश की आजादी की लड़ाई में अपना अहम योगदान देने वाले, देश के सच्चे सपूत लाल बहादुर शास्त्री जी 2 अक्टूबर 1904 को  उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में एक अध्यापक के घर जन्में थे। उनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्री वास्तव एक ईमानदार और प्रतिष्ठित अध्यापक थे, जिन्होंने कुछ समय तक आयकर विभाग में भी अपनी सेवाएं दी थीं।

हालांकि, वे ज्यादा दिन तक अपने बेटे के साथ नहीं रह सके, जब लाल बहादुर शास्त्री जी काफी छोटे थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया। जिसके बाद उनकी मां रामदुलारी जी उन्हें अपने पिता हजारी लाल के घर मिर्जापुर में ले लाईं, फिर नाना-नानी के घर ही उनका लालन-पालन हुआ।

लालबहादुर शास्त्री  जी की शिक्षा – Lal Bahadur Shastri Education

लालबहादुर शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा अपने नाना के घर रहते हुए मिर्जापुर में हुई, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए वे वाराणसी चले गए। जहां पर उन्होंने काशी विद्यापीठ (वर्तमान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में दर्शनशास्त्र से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। साल 1926 में काशी विद्यापीठ में ही लाल बहादुर जी को ”शास्त्री” की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके बाद से ही उनके नाम के आगे शास्त्री जोड़ा जाने लगा।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शास्त्री जी देश के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय जी के द्धारा शुरु की गई “द सर्वेन्ट्स ऑफ़ द पीपल सोसाइटी” से जुड़ गए। आपको बता दें कि इस सोसायटी का मुख्य मकसद ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित करना था, जो देश की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।

इसके बाद करीब 1927 में लाल बहादुर शास्त्री जी ललिता देवी जी के साथ शादी के बंधन में बंध गए, इन दोनों को शादी के बाद 6 बच्चे हुए।

देश के स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी की महत्वपूर्ण भूमिका – Lal Bahadur Shastri History

लालबहादुर शास्त्री देश की उन महान शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश शासकों से देश को आजाद करवाने की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर कर लोगों के अंदर आजादी पाने की ज्वाला और अधिक भड़का दी थी। वे महज 16-17 साल की उम्र में ही देश के स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। शास्त्री जी, महात्मा गांधी जी की विचारधारा से काफी प्रभावित थे। वे उन्हें अपना आदर्श मानते थे।

लालबहादुर शास्त्री जी ने गांधी जी के द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने साल 1921 में अपनी स्कूल की पढ़ाई के दौरान गांधी जी के ”असहयोग आंदोलनमें अपना पूरा सहयोग दिया।

वहीं इस बीच उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, हालांकि कम उम्र की वजह से उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था। इसके बाद साल 1930 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने गांधी जी द्धारा चलाए गए ”सविनय अवज्ञा आंदोलनमें अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और देश के लोगों को ब्रिटिश सरकार को लगान एवं करों का भुगतान नहीं करने के लिए प्रेरित किया।

इस दौरान भी उन्हें करीब ढाई साल के लिए जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा था। दूसरे विश्व युद्ध शुरु होने के दौरान कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन से देश को आजादी दिलवाने की मांग को लेकर स्वतंत्रता की लड़ाई को और अधिक ज्वलंत कर दिया। इसके लिए ”एक जन आंदोलन” की शुरुआत भी की। इस आंदोलन के दौरान लाल बहादुर शास्त्री को ब्रिटिश पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर लिया गया था, हालांकि एक साल बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया।

फिर 1942 में जब देश की आजादी के महानायक माने जाने वाले महात्मा गांधी जी ने 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलनचलाया। इस आंदोलन में भी शास्त्री जी ने अपना अहम रोल निभाया एवं एक सच्चे देशभक्त की तरह देश को आजाद करवाने की लड़ाई में खुद को पूरी समर्पित कर दिया।

इस आंदोलन के दौरान करीब 11 दिन तक शास्त्री जी को अंडरग्राउंड रहना पड़ा था, हालांकि बाद में उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं कुछ समय बाद फिर उन्हें साल 1945 में रिहा कर दिया गया था।

शास्त्री जी का राजनीतिक कौशल:

साल 1946 में प्रांतीय चुनावों के दौरान लालबहादुर शास्त्री जी की प्रशासनिक एवं संगठन क्षमता से पंडित गोविन्द वल्लभ पंत जी इतने प्रभावित हुए कि जब वे स्वतंत्र भारत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने लालबहादुर शास्त्री जी को अपने संसदीय सचिव के तौर पर नियुक्त किया।

अपनी इस जिम्मेदारी को भी शास्त्री जी ने बखूबी निभाया, जिसके चलते उन्हें गोविंद वल्लभ पंत जी के मंत्रीमंडल में जगह मिली और शास्त्री जी को पुलिस और परिवहन मंत्री के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। इस दौरान लालबहादुर शास्त्री जी ने देश में महिलाओं की स्थिति को सुधारने एवं उन्हें बढ़ावा देने के लिए पहली महिला को कंडक्टर के रुप में नियुक्त किया और परिवहन में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करवाईं।

इसके साथ ही उन्होंने पुलिस को भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज करने के अलावा पानी की बौछार से भीड़ को नियंत्रित करने का नियम बनाया। देश में संविधान लागू होने एवं भारत के एक लोकतंत्रात्मक एवं धर्मनिरेपक्ष गणराज्य बनने के बाद पहले आम चुनाव आयोजित किए गए।

इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी कांग्रेस पार्टी के महासचिव के रुप में पार्टी का मोर्चा संभाल रहे थे। इस दौरान उन्हें कांग्रेस पार्टी का जमकर प्रचार-प्रसार किया, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी भारी बहुमतों के साथ विजयी हुई। साल 1952 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने लाल बहादुर शास्त्री को अपने मंत्रिमंडल में रेलवे और परिवहन मंत्री के रूप में नियुक्त किया। इस पद की जिम्मेदारी संभालते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने जी ट्रेन में प्रथम श्रेणी और तीसरे श्रेणी के बीच के अंतर को काफी हद तक कम किया।

फिर साल 1956 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेलवे के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वे अपने इस्तीफे के फैसले पर अडिग रहे। फिर इसके बाद देश में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस की सरकार बनी तब लालबहादुर शास्त्री को पहले परिवहन और संचार मंत्री के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई, हालांकि बाद उन्होंने वाणिज्य और उद्द्योग मंत्री का कार्यभार संभाला।

इसके बाद साल 1961 में गोविन्द वल्लभ पंत जी की मौत के बाद उन्हें गृह मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। गृह मंत्री रहते हुए भी लालबहादुर शास्त्री जी ने देश की सुरक्षा को लेकर बेहद सूझबूझ के साथ फैसले लिए। इस दौरान साल 1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान शास्त्री ने देश की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने में अपनी  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

देश के प्रधानमंत्री के रुप में लालबहादुर शास्त्री जी  – Lal Bahadur Shastri As Prime Minister of India

साल 1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी की आकस्मिक मौत के बाद पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के द्धारा सर्वसम्मति से लालबहादुर जी को उनकी अद्भुत राजनैतिक क्षमता को देखते हुए उन्हें देश का प्रधानमंत्री चुना गया।

वहीं जिस दौरान उन्होंने देश के पीएम पद का कार्यकाल संभाला, उस दौरान हमारा देश विकट संकटों से जूझ रहा था। साल 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था, इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने देश का सकुशल नेतृत्व किया एवं अपनी सूझबूझ एवं कुशल नीतियों से देश में शांति व्यवस्था को बनाए रखा।

शास्त्री जी का “जय जवान, जय किसान” का नारा – Jai Jawan Jai Kisan Slogan

लालबहादुर शास्त्री जी जब प्रधानमंत्री के रुप में देश की बागडोर संभाल रहे थे, उस दौरान खाने-पीने की चीजें भारत में आयात की जाती थी, तब देश नॉर्थ अमेरिका पर अनाज के लिए पूर्णत: निर्भर था।

भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ गया, तब देश के हालात को देखते हुए उन्होंने सभी देशवासियों से एक दिन का व्रत रखने की अपील की और ऐसी हालत में उन्होंने ”जय जवान, जय किसान” का नारा दिया था, जो कि काफी लोकप्रिय हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु – Lal Bahadur Shastri Death

भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए 1966 में जब लालबहादुर शास्त्री जी पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से रुस की राजधानी ताशकंद में मिले। इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बनाए रखने के कई अहम मुद्दों को लेकर हस्ताक्षर हुए।

वहीं उसी रात 11 जनवरी, 1966 को अचानक लाल बहादुर शास्त्री जी की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। कुछ लोग मानते हैं कि साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई, तो कई लोग उन्हें जहर देकर मारने की बात करते हैं, जबकी कुछ लोग उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक भी मानते हैं, हालांकि अभी तक लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत के रहस्य का खुलासा नहीं हो सका है। बता दें कि उनके शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था।

उनकी मौत के बारे में उनकी पत्नी ललिता जी ने अपनी पुस्तक ‘ललिता के आंसू’ में बेहद भावनात्मक व्याख्या की थी, इसके साथ ही उन्होंने अपने पति शास्त्री जी को जहर देकर मारने का दावा किया था। इसके साथ की उनके पुत्र ने भी उनकी मौत का रहस्य जानने की कोशिश की थी।

हालांकि, अभी भी शास्त्री जी की मौत एक रहस्य ही बनी हुई है। लाल बहादुर शास्त्री भारत के पहले प्रधानमंत्री है जिनकी मृत्यु समुद्र पार (विदेशी सरजमी) पर हुई। उनकी याद में विजय घाट का भी निर्माण किया गया।

उनकी मृत्यु के बाद गुलजारीलाल नंदा को तब तक भारत का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला जब तक की इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी की बागडोर अपने हातो में नहीं ले लेती। लाल बहादुर शास्त्री एक सत्यवादी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका ऐसा मानना था की,

“लोगो को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता।”

जीवन में कई लोग अपनी कठिन परिस्थितियों से घबराकर झूट बोलने लगते है और गलत रास्तो पर जाने लगते है। और अंत में उन्हें अपने किये पर पछतावा होने लगता है।

इसीलिए हमें जीवन में किसी भी परिस्थिती में हमेशा सच का साथ देना चाहिये। लाल बहादुर शास्त्री के अनुसार, सच वाला रास्ता लम्बा जरुर हो सकता है लेकिन वही रास्ता आपको जीवनभर का आनंद दे सकता है।

सादगी, निस्स्वार्थता, शालीनता, त्याग, उदारता, दृढ़ निश्चय जैसे आदर्शवादी शब्दों की एक ही व्यक्ति में व्यावहारिक परिणति का सर्वोत्तम उदाहरण शास्त्री जी में ही देखने में आया।

सम्मान और पुरस्कार – Lal Bahadur Shastri Award

भारत माता के सच्चे वीर सपूत एवं ईमानदार राजनेता लालबहादुर शास्त्री जी को उनके मरणोपरांत साल 1966 में देश के लिए उनके द्धारा दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

इस तरह लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक सच्चे देशभक्त, महान स्वतंत्रता सेनानी एवं एक कुशल, ईमानदार राजनेता के रुप में देश की सेवा की। इसके साथ ही उन्होंने देश को हरित क्रांति और औद्योगीकरण की राह भी दिखाई।

लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे महापुरुषों ने जन्म लेकर हम सभी देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया गया है और आज हम सभी भारतीय इन्हीं के त्याग, बलिदान और समर्पण की वजह से आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं। उनके द्धारा देश के लिए किए गए अद्धितीय योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

“हमारा रास्‍ता सीधा और बेहद स्‍पष्‍ट है। अपने भारत देश में सबके लिए स्‍वतंत्रता और संपन्‍नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्‍थापना और बाकी सभी देशों के साथ विश्‍व शांति और मित्रता का संबंध रखना।” – लाल बहादुर शास्त्री”

श्री लालबहादुर शास्त्री जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारी एक नजर में – Lal Bahadur Shastri Facts

  • 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में जन्में लालबहादुर शास्त्री जी का बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा, आर्थिक तंगी की वजह से वे नदी में तैरकर स्कूल जाते थे।
  • लालबहादुर शास्त्री जी ने अपने नाम के आगे कभी जातिसूचक सरनेम नहीं लगाया, उन्होंने काशी विद्यापीठ से मिली शास्त्री की उपाधि को ही अपना उपनाम बनाया।
  • लालबहादुर शास्त्री, गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे, उन्होंने गांधीवादी विचारधारा को अपनाकर, सच्चे देशभक्त एवं एक ईमानदार और निष्ठावान नेता के रुप में देश की सेवा की।
  • देश को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्रता मिलने के बाद उन्होंने उत्तरप्रदेश के संसदीय सचिव के रुप में अपनी सेवाएं दी थीं।
  • लालबहादुर शास्त्री जी ने ट्रेन की पहली श्रेणी और तृतीय श्रेणी में अंतर को काफी कम कर दिया अर्थात रेलवे में थर्ड क्लास शास्त्री जी की ही देन मानी जाती है।
  • लालबहादुर शास्त्री जी ने ही परिवहन में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट की शुरुआत की थी।
  • देश की सेवा में समर्पित लालबहादुर शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल में हरित व दुग्ध क्रांति को बढ़ावा दिया।
  • पुलिस विभाग में भीड़ को काबू करने के लिए लाठी चार्ज की बजाय पानी की बौछार का इस्तेमाल करना लालबहादुर शास्त्री जी ने ही शुरु किया था।
  • शांत स्वभाव एवं दृढ़निश्चयी व्यक्तित्व वाले लाल बहादुर शास्त्री जी महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन पर बनी फिल्म ”शहीद” को देखकर रो पड़े थे।

हमारे देश में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के साथ शास्त्री जयंती भी मनाई जाती है। इस मौके पर लालबहादुर शास्त्री जी को देश के नागरिकों द्धारा सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की जाती है एवं उनके द्धारा देश के लिए किए गए योगदान को याद किया जाता है।

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जानते हैं महान भौतिक वैज्ञानिक सर आइजक “न्यूटन के नियम”

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Newton Law in Hindi

आइजक न्यूटन एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक विद्धन्त गणितज्ञ, प्रख्यात दार्शनिक एवं अनुभवी ज्योतिष भी थे, जिन्होंने भौतिक विज्ञान में गुरुत्वार्षण और गति के सिद्धांतों की महान खोज की।

उनकी इन खोजो ने भौतिक विज्ञान के सभी आयामों को पूरी तरह बदलकर रख दिया। आपको बता दें कि यह बताने वाले महान वैज्ञानिक न्यूटन ने ही थे कि पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ गोल नहीं बल्कि अंडाकार घूमती है।

ऐसा माना जाता है कि न्यूटन ने पेड़ से गिरते सेब को देखकर गुरुत्वार्षण के महान सिद्धांत की खोज की थी। इसी तरह उन्होंने काफी शोध करने के बाद अपनी बुद्दि, विवेक का इस्तेमाल करते हुए गति के तीनों नियमों की खोज की थी।

इसके अलावा न्यूटन ने कई धार्मिक और ऐतिहासिक किताबें भी लिखीं। तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं महान भौतिकविद् न्यूटन के गति के तीनों नियमों के बारे में –

जानते हैं महान भौतिक वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन के नियम – Newton Law in Hindi

Newton Law in Hindi

न्यूटन के गति के नियम – Newton ke Niyam

महान भौतिक वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन (Sir Isaac Newton) के नियम किसी भी वस्तु पर लगने वाले बल और उस बल के कारण वस्तु की गति में हुए बदलाव के बीच के संबध की बेहद तर्कपूर्ण तरीके से व्याख्या करते हैं।

न्यूटन का पहला नियम या जड़त्व का नियम – Newton’s First Law or Law of Inertia in Hindi

महान वैज्ञानिक न्यूटन के गति के पहले नियम के मुताबिक अगर कोई वस्तु स्थिर अवस्था अर्थात विराम अवस्था में हैं तो वो तब तक स्थिर अवस्था में ही रहेगी।

जब तक कि उस वस्तु पर किसी भी तरह का बाहरी बल लगाकर उसे गतिशील नहीं किया जाए और अगर कोई वस्तु (object) अपनी गतिशील अवस्था में है तो वह तब तक एक सीधी रेखा में गतिशील रहेगी, जब तक कि उसमें कोई बाहरी बल लगाकर उसकी अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जाए।

न्यूटन के पहले नियम को जड़त्व का नियम (Law of Inertia) भी कहा जाता है।

न्यूटन का पहला गति के नियम की उदाहरण समेत व्याख्या – Gati ke Samikaran

न्यूटन के पहले गति के नियम को अगर उदाहण के तौर पर समझें तो,

उदाहरण नंबर 1-

महान वैज्ञानिक न्यूटन के पहले गति के नियम को इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि जब तक स्थिर पेड़ को हिलाया न जाए, अर्थात उसमें कोई बाहरी बल नहीं लगाया जाए तब तक उसके फल नीचे नहीं गिरते है, अर्थात पेड़ को हिलाने से उसकी अवस्था में परिवर्तन कर ही फल, पेड़ से टूटकर नीचे गिरते हैं।

उदाहरण नंबर 2-

इसके अलावा जैसे कि हम सभी जानते हैं कि, जब भी कोई रुकी हुई कार अचानक चलती है तो उसमें बैठी सवारी इसमें बल लगने के कारण पीछे की तरफ झुक जाती हैं।

उदाहरण नंबर 3-

वहीं उदाहरण नंबर एक के ठीक विपरीत जब कोई चलती हुई कार अचानक से रुक जाती है तो उसमें बैठी सवारी आगे की तरफ झुक जाते हैं।

दरअसल, जब हम किसी गाड़ी में सफर कर रहे होते हैं तो, गतिशील कार के अनुसार हमारा शरीर भी गति की अवस्था में रहता है और जब कार में अचानक से ब्रेक लगाया जाता है तो, कार के साथ उसकी सीट भी फिर से विराम अवस्था में ही आ जाती है, लेकिन हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिशील अवस्था में ही बना रहना चाहता हैं।

इसलिए, चलती हुई कार में अचानक से ब्रेक लगने पर हमारा शरीर आगे की तरफ तेजी से झुक जाता है।

न्यूटन के गति का दूसरा नियम या संवेग का नियम – Newton’s Second Law or Law of Momentum in Hindi

न्यूटन के गति के दूसरे नियम के मुताबिक किसी भी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल के समानुपाती (Proportional) होती है, इसके साथ ही संवेग परिवर्तन की दिशा भी वही होती है जो कि बल की दिशा होती है।

वहीं अगर न्यूटन के गति के दूसरे नियम को अगर दूसरे शब्दों में समझें तो किसी भी वस्तु (object) पर लगाया गया बल (Force) उस वस्तु के द्रव्यमान (mass) और उसमें उत्पन्न त्वरण(acceleration) के गुणनफल के समानुपाती होता है।

अर्थात इसका सूत्र – Newton’s Second Law Formula

बल=द्रव्यमान*त्वरण

F =ma

न्यूटन के गति के दूसरे नियम का उदाहरण – Newton’s Second Law Example

न्यूटन के गति के दूसरे नियम को उदाहरण के तौर पर समझें तो किक्रेट खेलते समय जब खिलाड़ी तेजी से आ रही गेंद को कैच करता है तो वो अपने हाथों को पीछे की तरफ खींच लेता है, ताकि गेंद के वेग को कम किया जा सके एवं उसे चोट नहीं लगे।

उदाहरण –

क्रिकेट खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को केंच करते समय अपने हाथों को गेंद के वेग को कम करने के लिए पीछे की ओर खीच लेता है। ताकि उसको चोट न लगे!

दरअसल, तेज घूमती हुई बॉल में संवेग(Momentum) बहुत ज्यादा होता है, जिसकी वजह से गेंद में काफी बल होता है। गेंद पकड़कर हाथ पीछे खींचने से बॉल में संवेग परिवर्तन की दर बेहद कम हो जाती है। जिसकी वजह से स्पीड से आ रही बॉल का प्रभाव हाथ पर कम पड़ता है एवं खिलाड़ी को चोट नहीं लगती है।

न्यूटन का तीसरा नियम – Newton’s Third Law

न्यूटन के तीसरे नियम के मुताबिक ”हर क्रिया के बराबर और इसके विपरीत दिशा में प्रितिक्रिया होती है’, इसलिए न्यूटन के तीसरे गति के नियम को क्रिया-प्रितिक्रिया का नियम भी कहा जाता है।

अर्थात इस नियम के मुताबिक जब एक वस्तु किसी दूसरे वस्तु पर बल लगाता है तो उसी समय दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर वापस बल लगाती है, जिनके बल के परिमाण तो बराबर होते हैं, लेकिन दिशा एक-दूसरे के विपरीत होती हैं।

यहां पर पहली वस्तु द्धारा लगाया गया बल क्रिया बल है, जबकि दूसरी वस्तु द्धारा पहली वस्तु पर लगाया गया बल प्रितिक्रिया बल है। वहीं क्रिया और प्रितिक्रिया बल दोनों अलग-अलग वस्तुओं पर लगाए जाते हैं, जिसकी वजह से दोनों बल एक-दूसरे के बराबर और विपरीत होने पर भी एक-दूसरे के प्रभाव को खत्म नहीं करते हैं।

न्यूटन के गति के तीसरे नियम के उदाहरण – Newton’s Third Law Examples

उदाहरण नंबर 1-

न्यूटन के गति के तीसरे नियम का यह उदाहरण काफी प्रचलित है कि जब कोई बंदूकचालक अपनी बंदूक से गोली चलाता है तो इसका धक्का पीछे की तरफ लगता है।

अगर बंदूकचालक उस समय बंदूक ठीक से नहीं पकड़े तो प्रितिक्रिया बल के कारण उसकी कलाई भी टूट सकती है।

दरअसल, बंदूक के द्धारा गोली पर एक क्रिया बल लगता है, जिससे गोली तेजी से आगे बढ़ती है और यह जितने बल से आगे बढ़ती है बंदूक पर भी ठीक उसी समय विपरीत दिशा में उतना ही प्रितिक्रिया बल लगता है, जिसकी वजह से बंदूकचालक को तेजी से पीछे की तरफ झटका लगता है।

उदाहरण नंबर 2-

इसी तरह न्यूटन के तीसरे नियम को इस उदाहरण से भी समझा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति कुंए से पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचता है और तब अगर अचानक से रस्सी टूट जाती है तो रस्सी खींचने वाला व्यक्ति पीछे की तरफ गिर जाता है।

दरअसल, जब व्यक्ति कुंए से भरी बाल्टी को खींच रहा होता है तो, व्यक्ति द्धारा रस्सी पर पानी की बाल्टी के वजन के बराबर परिमाण का क्रिया बल रस्सी पर लगता है एवं पानी से भरी बाल्टी के वजन की वजह से रस्सी में उत्पन्न बल प्रितिक्रिया बल का काम करता है, जिससे जब अचानक से रस्सी टूटती है तो प्रितिक्रिया बल का प्रभाव खत्म हो जाता है, जिससे व्यक्ति पीछे की तरफ गिर जाता है।

उदाहरण नंबर 3-

महान भौतिक वैज्ञानिक न्यूटन के गति के तीसरे नियम को रॉकेट के उड़ान भरने के उदाहरण से भी बेहद आसानी से समझ सकते हैं। दरअसल, जब रॉकेट में उड़ान भरी जाती है, तब उसमें उत्पन्न ज्वलनशील गैसे बेहद तेज स्पीड से बाहर निकलती हैं, जो कि एक क्रिया बल उत्पन्न करती है,जिसके प्रितिक्रिया के फलस्वरुप रॉकेट आगे की तरफ गति करता है।

न्यूटन के गति यह तीनों नियम भौतिक विज्ञान में बेहद महत्पूर्ण हैं। न्यूटन के यह नियम और इन पर आधारित प्रश्न अक्सर परीक्षा में पूछे जाते हैं, इसलिए इन नियमों को ध्यान से पढ़ें एवं किसी भी तरह का संदेह होने पर नीचे कमेंट बॉक्स पर लिखकर पूछ सकते हैं।

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अध्यापकों की विदाई पर भाषण – Farewell Speech for Teacher

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Farewell Speech for Teacher in Hindi

फेयरवेल यानि कि विदाई समारोह तब होता है, जब कोई व्यक्ति अपनी अपना स्कूल, अपना कॉलेज, संस्था आदि छोड़कर किसी और संस्था में जाता है या फिर अपने पद से रिटायमेंट लेता है। हर व्यक्ति अपने जिंदगी में किसी न किसी रुप में विदाई लेते हैं या फिर दूसरे को देते हैं। फेयरवेल सीधे शब्दों में अलविदा या विदाई लेना होता है।

वहीं स्कूल में अध्यापक के छोड़कर जाने पर भी विदाई समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें अध्यापक के लिए उसके सहयोगी शिक्षक, स्कूल के प्रधानाचार्य एवं विद्यार्थियों द्धारा भाषण के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जाता है।

इसके साथ ही उनकी अहमियत भी बताई जाती है, वहीं ऐसे मौके पर दिए जाने वाले भाषण को हम आपको आज अपने इस लेख में उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

अध्यापकों की विदाई पर भाषण – Farewell Speech for Teacher

Farewell Speech for Teacher

  • विदाई भाषण नंबर 1-

अध्यापक की विदाई पर प्रधानाचार्य के द्धारा दिया जाने वाला विदाई भाषण – Farewell Speech for Teacher Colleague

यहां पर मौजूद सभी शिक्षकगण, मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं और सभी मेहमानों को मेरा नमस्कार। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हम सभी लोग आज यहां करन सिंह जी………..(शिक्षक का नाम काल्पनिक) को अलविदा कहने के लिए एकत्र हुए हैं। आज स्कूल के इस प्रतिभावान शिक्षक का हमारे स्कूल……..( स्कूल का नाम) में आखिरी दिन है।

करन जी ने अपने पढ़ाने के तरीके और विनम्र व्यवहार से सभी का दिल जीता है एवं उनका जिम्मेदाराना व्यवहार हमेशा मुझे भी काफी प्रभावित करता रहा है।

आज इस विदाई समारोह में स्कूल के प्रधानाचार्य होने के नाते मैं करन जी के प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में आप सभी को बताना चाहता हूं। इसके साथ ही करन जी के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहता हूं, लेकिन सबसे पहले मैं करन जी को उनके द्धारा इस स्कूल में दिए गएमहत्वपूर्ण योगदान के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं।

आज करन जी के विदाई समारोह के मौके पर मुझे बेहद दुख हो रहा है किआज हमारे स्कूल से एक होनहार एवं काबिल अध्यापक चला जाएगा, लेकिन दूसरी तरफ इस बात की खुशी भी है कि करन जी की नियक्ति इस शहर के सबसे बड़े स्कूल में की गई है। हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि हमें आपके जैसा अध्यापक मिला, जिसने स्कूल और छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए कड़ी मेहनत की। हमारी यही आशा है कि आप हमेशा ऐसे ही मेहनत करते रहें और सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुएं।

करन जी आपने जिस तरह इस स्कूल के महत्वपूर्ण फैसलों में अपने विवेकपूर्ण सुझाव दिए हैं, साथ ही विद्यार्थियों को एक शिक्षक की तरह नहीं, बल्कि एक अभिभावक की तरह अपना मार्गदर्शन दिया है। वाकई काबिल-ए-तारीफ है । आपकी अपने काम के प्रति ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा हमें हमेशा ही प्रेरित करती रही है।

आपके इस स्कूल के लिए दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। आपके अंदर वे सारे गुण हैं जो एक अच्छे और आदर्श शिक्षक के अंदर होने चाहिए। आपने हमेशा ही अपने विनम्र व्यवहार एवं तर्कपूर्ण निर्णयों से यह साबित किया है कि आप वास्तव में एक ऐसे शिक्षक हैं, जिसकी आज की शैक्षणिक संस्थानों को समाज में वास्तव में जरूरत है, क्योंकि एक शिक्षक न सिर्फ एक विद्यार्थी का भविष्य तय करता है, बल्कि राष्ट्र के तरक्की और विकास में भी अपना सहयोग देता है।

करऩ जी आप मेरे सबसे प्रिय शिक्षकों में से एक है। आपने जिस तरह कठिन परिस्थितयों में अपनी विवेकशीलता का इस्तेमाल कर महत्वपूर्ण फैसले लेने में मेरी मद्द की है। आप वास्तव में तारीफ के हकदार है एवं किसी भी स्क़ूल में आप एक वाइस-प्रिंसिपल एवं प्रिंसिपल के पद पर सुशोभित होने के योग्य हैं। मुझे आप पर और आपके काम पर पूरा विश्वास है।

आपकी अपने शैक्षणिक कार्य के प्रति ईमानदारी एवं समर्पण वास्तव में हमें प्रोत्साहित करती है। आप हम सभी के प्रेरणास्त्रोत हैं। जिस तरह आपने हमारे स्कूल के सभी विद्यार्थियों को उनके जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेहनत की हैं एवं अपने अनुभव और तर्कशीलता से विद्यार्थियों को आसान टिप्स और ट्रिक्स बताई हैं, वो काफी प्रभावित करने वाला है।

आपके पढ़ाने के तरीका न सिर्फ हमारे स्कूल के छात्रों को भाता है, बल्कि मैं भी आपके शैक्षणिक कौशल का काफी मुरीद हूं। हमारे स्कूल के लिए बेहद गर्व और सम्मान की बात है कि आप अब शहर के सबसे बड़े स्कूल में अपनी सेवाएं देंगे। हकीकत में आप इस सफलता के काबिल है।

करन जी आपने जिस तरह अपने उचित मार्गदर्शन से हमारे स्कूल की नई ऊंचाईयों को हासिल करने में मद्द की है, वो अविस्मरणीय हैं।

आज आपके सहयोग से हमारा स्कूल ने अपनी एक नई पहचान विकसित की है। आपकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता और अनुशासनपूर्ण व्यवहार ही आपको अन्य लोगों से अलग बनाता है।

आपका इस तरह हमारे स्कूल से चले जाने पर यकीन नहीं हो रहा है, लेकिन शायद भाग्य को नहीं बदला जा सकता। आपके साथ इस स्कूल में इतना समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। इस स्कूल के लिए आपके महत्वपूर्ण योगदान को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है। हमें पूरी आशा है कि आप जिस भी संस्थान से जुड़ेंगे, उस संस्थान की तरक्की होगी। यह दुआ है कि आप अपने जीवन में खूब सफलता हासिल करें एवं इसी तरह छात्रों का मार्गदर्शन करें।

इस स्कूल में आपके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मैं तहे दिल से आपका शुक्रगुजार हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • विदाई भाषण नंबर 2-

शिक्षक की विदाई पर छात्र द्धारा दिया जाने वाला भाषण – Farewell Speech Given by Students to Teacher

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदया, सम्मानीय शिक्षकगण एवं मेरे छोटे-बड़े सभी साथियों सभी को मेरा नमस्कार।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि आज हम सभी अपने प्रिय अध्यापक आकाश सर को विदाई देने के लिए इकट्ठे हुए हैं। मै…आशीष अग्रवाल (अपना नाम)। इस स्कूल के कक्षा नौवीं का विद्यार्थी हूं। मैं इस विदाई समारोह के मौके पर अपने प्रिय अध्यापक के इस स्कूल से विदाई लेने पर उनके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहता हूं।

आकाश सर, आपके इस स्कूल से विदाई लेने की बात सचमुच दुखी कर देने वाली है, लेकिन सच तो यही है कि आज के बाद हम सभी छात्र आपसे फिर कभी क्लासेस नहीं ले सकेंगे, लेकिन इस घड़ी में हम सभी को दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि खुशी जाहिर करनी चाहिए कि हमें आप जैसे विद्धंत अध्यापक से पढ़ने का मौका मिला और उनके मार्गदर्शन से ही आज हम आज इस लायक बन पाए हैं।

आकाश सर, आप हमारे एक अध्यापक ही नहीं बल्कि अभिभावक भी थे। हम सभी छात्रों का आपसे एक शिक्षक का रिश्ता नहीं बल्कि एक परिवारिक रिश्ता है। जिस तरह आपने हम सभी छात्रों की न सिर्फ भौतिक विज्ञान के कठिन से कठिन सवालों को आसानी से हल करने में मद्द की है, बल्कि हमारी निजी समस्याओं को भी एक अभिभावक की तरह सुलझाया है। आपके द्धारा हमारे लिए किए गए योगदान को हम कभी नहीं भुला सकते हैं।

आपके मार्गदर्शन से ही  हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने एवं अपने जीवन में सफलता पाने के लिए प्रोत्साहन मिला है। इसके साथ ही आपने जिस तरह प्रेरणात्मक उदाहरण देकर हमारे अंदर से नकारात्मक को दूर करने में हमारी मद्द की है एवं हमें अपनी जिंदगी में अनुशासित रहने एवं नियमों का पालन करना सिखाया है, इससे हमें अपने जीवन में तरक्की के पथ पर आगे बढ़ने में मदद् मिली है।

यही नहीं आप एक आदर्श और बेहतरीन शिक्षक है। आपकी ईमानदारी, विनम्र व्यवहार, कर्तव्यनिष्ठा हम सभी विद्यार्थियों को काफी प्रभावित करती है एवं हमें भी अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना सिखाती है। आपने अपने महान और तर्कपूर्ण विचारों से हम सभी विद्यार्थियों की न सिर्फ सोच विकसित की है, बल्कि समय-समय पर हमारा हौसला आफजाई भी किया है।

आपके द्धारा इस स्कूल के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। आपके शैक्षणिक समय के दौरान इस स्कूल ने काफी उपलब्धियां हासिल की हैं, एवं आज आपके पढ़ाए गए छात्र एवं हमारे सीनियर बड़े-बड़े संस्थानों में उच्च पदों पर बैठे हुए हैं। यही नहीं आपने स्कूल के हर छोटे-बड़े फंक्शन में अपनी भागीदारी से इसे काफी खास बनाया है, आपका योगदान अविस्मरणीय है।

आपके साथ बिताया गया हर पल हमारे लिए बेहद खास और अनमोल है। आपका इस तरह हम सभी छात्रों का यूं ही अकेले छोड़कर जाने का जहां एक तरफ हमें दुख है। वहीं दूसरी तरफ हमें गर्व भी महसूस हो रहा है कि आप अब इस शहर के सबसे बड़े संस्थान में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं देंगे।

हम बेहद सौभाग्यशाली हैं कि हमें आप जैसे एक ईमानदार और परिश्रमी शिक्षक से पढ़ने का मौका मिला। आपने जिस तरह हर मोड़ पर हमारी मद्द की है एवं हमें सही-गलत का एहसास करवाकर अपने कर्तव्यों का बोध करवाया है और हमारे सुनहरे भविष्य के लिए सफलता का पथ प्रशस्त किया है, इसके लिए हम सभी छात्र आपके सदैव आभारी रहेंगे।

आज आपके विदाई समारोह के मौके पर हमारी आपसे यही प्रार्थना है कि, आप जहां भी रहिए लेकिन हम सभी के संपर्क में रहिए एवं हमारा आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिए ताकि हम अपने जीवन में तरक्की कर सकें, क्योंकि आप जैसे शिक्षकों की बदौलत ही हम जैसे छात्रों के जीवन से अज्ञानता का अंधेरा दूर हो सकता है एवं ज्ञान की लौ प्रज्जवलित हो सकती है।

इस भाषण के अंत में मैं अपने प्रिय अध्यापक के लिए कुछ पंक्तियों के माध्यम से उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूं –

“आपसे ही शान, आपसे पहचान देखी है, निष्ठा और समर्पण की, दास्तान देखी है।।
आपके कठोर प्रयासों से, हम सभी ने इस स्कूल की, जमीं से आसां तक की ऊंची उड़ान देखी है।।”

  • विदाई भाषण नंबर 3-

अध्यापक की विदाई पर सहयोगी अध्यापक के द्धारा भाषण – Goodbye Speech to Colleagues

आदरणीय प्रधानाचार्या, मेरी सभी सहयोगियों एवं मेरे प्यारे बच्चों सभी को मेरा नमस्कार।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि आज हम सभी इस मौके पर सभी विद्यार्थियों के पसंदीदा अध्यापक और मेरे प्यारे सहयोगी …….अतुल शुक्ला (शिक्षक का नाम ) के विदाई समारोह पर इकट्ठे हुए हैं। आज मेरे सहयोगी का इस स्कूल में आखिरी दिन है, जिसके लिए मै बेहद दुखी हूं, हालांकि दूसरी तरफ उनके एक बड़ी संस्था में उप-प्राचार्य के पद पर नियुक्त होने की मुझे खुशी भी है। वे अपनी इस सफलता के योग्य भी है।

अतुल जी के साथ मुझे इस संस्थान में काम करते हुए करीब 5 साल का वक्त हो गया है, लेकिन यह वक्त कब बीत गया पता ही नहीं चला। अतुल जी के अंदर न सिर्फ एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण हैं, बल्कि वे व्यक्तिगत रुप से भी बेहद अच्छे हैं। उन्होंने इस स्कूल के अहम फैसलों पर अपने बेहतरीन सुझाव दिए हैं एवं इस स्कूल को सफलता के नए पायदान को हासिल करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उनका विनम्र, निष्ठापूर्ण एवं अनुशासित आचरण हमेशा ही मुझे प्रभावित करता रहा है। आप जिस तरह छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए सच्ची निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ मेहनत करते हैं, एवं सदैव उनकी मद्द करने के लिए तत्पर रहते हैं। इससे मुझे भी काफी प्रेरणा मिलती है। इस स्कूल की तरक्की के लिए जिस तरह आपने सच्चे मन से प्रयास किए हैं, वो वाकई प्रशंसनीय है।

स्कूल में इतनी व्यस्तता के बाबजूद भी हर रोज मेरे हालचाल लेना एवं समय निकालकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करना मुझे बेहद याद आएगा। अतुल आप मेरे लिए एक सहयोगी ही नहीं बल्कि एक भाई की तरह हैं। आपने मुझे मेरे प्रोफेशनल करियर से जुड़े फैसले लेने में ही मद्द नहीं की है, बल्कि निजी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे सुझाव दिए हैं, जिनका मै हमेशा अनुसरण करता रहूंगा।

आपके अच्छे आचरण और  व्यवहार एवं पढ़ाने के शानदार तरीके की वजह से ही आज आप इस स्कूल के सभी विद्यार्थियों के प्रिय हैं। आपकी इस स्कूल से विदाई पर आज हर बच्चे की आंख नम है। अतुल आपने अपने अद्भुत शैक्षणिक कौशल एवं कुशल व्यवहार से हम सभी के दिल में अपनी एक अलग जगह बनाई है।

इसके साथ ही अपने मार्गदर्शन से न सिर्फ कई विद्यार्थियों के भविष्य को संवारा है, बल्कि अन्य शिक्षकों को भी अपने काम के प्रति ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ रहने के लिए प्रेरित किया है। आप हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। आपके द्धारा इस स्कूल में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

अतुल, इस संस्थान में आपके साथ काम करने के अनुभव को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। आपसे मेरा एक अलग रिश्ता बन चुका है।आपसे जुड़ी हर बात  सदैव याद आती रहेगी। आपके जैसे सहयोगी की कमी न सिर्फ मुझे खलेगी, बल्कि सभी विद्यार्थियों और इस संस्था के लोग भी सदैव आपको याद करेंगे एवं आपके अद्भुत शैक्षणिक तरीके एवं विनम्र व्यवहार की मिसाल देंगे।

अतुल आपके साथ बिताया गया हर पल बेहद शानदार था, मुझे बेहद गर्व महसूस हो रहा है कि मुझे आपके जैसे सहयोगी के साथ काम करने का मौका मिला है। मैं इस भाषण के अंत में सिर्फ आपसे यही विनती करना चाहता हूं कि आप जहां पर भी जाएं हम सभी से संपर्क बनाएं रखें एवं ऐसे ही सफलता हासिल करते रहें एवं आने वाली पीढ़ी एवं समाज को शिक्षित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहें।

धन्यवाद।।

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जानिए पितृ पक्ष क्या है? इससे जुड़ी मान्यताएं एवं महत्व – Pitru Paksha in Hindi

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Pitru Paksha in Hindi

हिन्दू धर्म में कई पर्व एवं त्योहार अलग-अलग रीति-रिवाज एवं परंपरा से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों को मनाने के पीछे कई धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

इसके साथ ही हिन्दू धर्म में बच्चे के जन्म से पहले यानि की गर्भधारण से लेकर मरने के बाद तक कई परंपराएं निभाई जाती है, जिनमें से एक है पितृ पक्ष।

पितृ पक्ष यानि की श्राद्ध का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है, वैसे हर महीने पड़ने वाले अमावस्या को भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।

श्राद्ध के माध्यम से ही पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और इसके साथ ही पिंड दान एवं तर्पण कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कामना की जाती है।

वहीं 2019 में पितृपक्ष 13 सितंबर से 28 सितंबर तक चलेंगे, आइए जानते हैं पितृ पक्ष का महत्व, इससे जुड़ी मान्याएं एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में –

जानिए पितृ पक्ष क्या है? इससे जुड़ी मान्यताएं एवं महत्व – Pitru Paksha in Hindi

Pitru Paksha

क्या होते हैं पितृ पक्ष(श्राद्ध) – What Is Pitru Paksha

भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास की अमावस्या तक, यानि कि पितृ पक्ष के दौरान हम अपने पितृों यानि कि पूर्वजों को जो भी अन्न-जल तर्पण करते हैं एवं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, वो श्राद्ध कहलाता है। पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है।

वहीं श्राद्ध के महत्व को बड़े-बड़े शास्त्रों और पुराणों में भी बताया गया है, शास्त्रों के मुताबिक भीष्म पितामह ने युधिष्ठर को बताया था कि, अपने पितृों की आत्मा की तृप्ति के लिए सच्चे मन और श्रद्धा भाव से श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख भोगता है।

ऐसी मान्यता है कि, श्राद्ध से खुश एवं तृप्त होकर पितृ, व्यक्ति को मनचाहा वरदान देते हैं एवं उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने की महत्वपूर्ण तिथियां – Sharad Kab Se Shuru Hai

आमतौर पर हर माह की अमावस्या के दिन दिवंगत परिजन (पितरों) की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान या फिर अन्न-जल तर्पण कर श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं।

लेकिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास की अमावस्या तक, यानि कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने का काफी महत्व माना गया है। वहीं पितृ पक्ष में अपने परिवार के मृत सदस्य की मृत्युतिथि वाले दिन ही श्राद्ध करना करना चाहिए।

जैसे की अगर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु प्रतिपदा के दिन हुई है तो प्रतिपदा के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। वहीं अगर जिन्हें अपने पूर्वज की मृततिथि याद नहीं हो, वे आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते है।

इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, साधारण तौर पर पितृ पक्ष में श्राद्ध इन महत्वपूर्ण तिथियों में किया जाता है-

  • आमतौर पर हिन्दू धर्म में लोग अपने पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन करते हैं, जबकि दिवगंत माता का श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमीं तिथि के दिन किया जाता है।
  • अगर परिजनों को अपने पितरों के मरने की तिथि याद न हो या फिर इसका पता नहीं हो तो उन्हें अमावस्‍या वाले दिन श्राद्ध करना चाहिए।
  • वहीं अगर परिवार की किसी सुहागिन महिला की मृत्यु हुई हो तो, उनका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए।
  • संयासी-साधु का श्राद्ध पितृपक्ष की द्धादशी को किया जाता है।
  • परिवार के किसी सदस्य की अगर किसी सड़क दुर्घटना, या फिर आत्महत्या आदि में अकाल मृत्यु हुई हो तो ऐसे व्यक्ति का श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है।

श्राद्ध करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम – Pitru Paksha Ke Niyam

  • पितृपक्ष में हर दिन पवित्र होकर अपने पितरों को तर्पण करना चाहिए। इस दौरान पानी में दूध, चावल, जौ और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है।
  • पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने का काफी महत्व माना गया है। श्राद्ध कर्म के दौरान पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलाकर पिंड बनाए जाने की परंपरा है। आपको बता दें कि पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है।
  • पितृ पक्ष के दौरान शादि-विवाह एवं नए व्यवसाय से संबंधित किसी भी तरह का शुभ काम करना एवं खास पूजा-पाठ आदि का अनुष्ठान करना शुभ नहीं माना जाता है। हालांकि, इस दौरान अपने घर में देवी-देवताओं की रोज पूजा करनी चाहिए।
  • पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े, नया घर, जेवरात या फिर किसी शुभ कार्य के लिए खरीददारी नहीं करनी चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान तेल नहीं लगाना चाहिए, पान नहीं खाना चाहिए और ना ही रंगीन फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही इस दौरान बैगन, चना, हींग, शलजम, प्याज, लहसुन, काला नमक आदि भी नही खाना चाहिए।

पितृ पक्ष का महत्व – Importance Of Pitru Paksha

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है। पितृ पक्ष के दौरान अपने दिवंगत परिजन की मृत्यु तिथि वाले दिन अपने पिंडों तर्पण और पिंड दान करना बेहद जरूरी माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि, अगर परिवार के सदस्यों द्धारा श्राद्ध नहीं किया जाए तो पितरों को तृप्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा भटकती रहती है।

ऐसी मान्यता भी है कि अगर पितर नाराज हो जाते हैं तो व्यक्ति के जीवन से खुशहाली और शांति छिन जाती है एवं वह अपने जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाता है।

ये है श्राद्ध करने का सही तरीका – Shradh Karne Ki Vidhi

  • अपने दिवंगत परिजनों की मृत्युतिथि के दिन ही उन्हें अन्न-जल तर्पण कर श्राद्ध करें।
  • अपने परिवार के दिवंगत सदस्य के श्राद्ध के दिन अपनी क्षमता के अनुसार साफ-सुथरे तरीके से अच्छा खाना बनाएं। अपने मृत पितरों के पसंद का व्यंजन बनाने का ही प्रयास करें। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ धरतीलोक पर आते हैं और भोजन पाकर उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है।
  • श्राद्ध के खाने में प्याज-लहसुन का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करें।
  • शास्त्रों में पितृ पक्ष के दौरान कौवा, गाय, कुत्ता, चींटी को भोजन खिलाना अच्छा माना गया है।
  • अपने पितरों की मृत्यु तिथि वाले दिन पिंड दान और तर्पण करने के बाद ब्राह्राण को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए। इस दौरान ब्रह्मणों को सीधा या सीदा देने का भी काफी महत्व है। इस सीदा में दाल, चावल, मसाले, चीनी, कच्ची सब्जियां, तेल और मौसमी फल आदि शामिल हैं।
  • पितरों की तिथि वाले दिन श्राद्ध के बाद जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए उनसे क्षमा याचना भी करनी चाहिए।

पितृों का श्राद्ध किसे करना चाहिए? – Shradh Kaun Kar Sakta Hai

शास्त्रों के मुताबिक, वैसे तो श्राद्ध करने का अधिकार पुत्र को दिया गया है, लेकिन अगर जिसका कोई पुत्र नहीं है तो उस व्यक्ति का श्राद्ध या फिर तर्पण उसके  पौत्र, प्रपौत्र या फिर उसकी विधवा पत्नी के द्धारा भी किया जा सकता है।

जबकि पुत्र के ना होने पर पत्नी का श्राद्ध उसके पति द्धारा किया जा सकता है।

पितृ पक्ष के महत्व से जुड़ी पौराणिक कथा – Pitru Paksha Story

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बेहद महत्व है, इससे जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक, जोगे-भोग नाम के दो भाई थे, जो कि एक-दूसरे से अलग-अलग अपने परिवार के साथ रहते थे। जिसमें से जोगे के पास काफी धन और संपत्ति थी, जबकि भोगे की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, वो बेहद गरीब था।

हालांकि, दोनों भाईयों के रिश्ते आपस में काफी अच्छे थे और दोनों के बीच काफी प्रेम था, लेकिन जोगे की पत्नी को अपनी अपार संपत्ति एवं धन पर काफी घमंड था, वहीं दूसरी तरफ भोगे की पत्नी एक पवित्र ह्रदय वाली दयालु महिला थी।

वहीं जब पितृ पक्ष आए तब जोगे की पत्नी ने अपने पति से अपने पितरों (पूर्वजों) का श्राद्ध करने के लिए इसलिए कहा क्योंकि वह श्राद्ध के माध्यम से समाज के लोगों और मायके वालों को दावत पर बुलाकर अपनी शान-शौकत को दिखाना चाहती थी।

वहीं जोगे भी श्राद्ध को ज्यादा महत्वता नहीं देकर इसे टालने की कोशिश करता रहा, लेकिन फिर आखिरी में जोगे अपनी पत्नी की बात मानकर श्राद्ध करने के लिए तैयार हो गया।

इसके बाद जोगे की पत्नी ने श्राद्ध का काम निपटाने के लिए अपनी देवरानी को बुला लिया और अपने पति को अपने मायके न्योता देने भेज दिया।

जिसके बाद पितृों की तिथि वाले दिन भोगे की पत्नी ने जोगे के घर जाकर पवित्र होकर साफ मन से पितृों के लिए तरह-तरह के पकवान बनाएं और फिर वो सारा काम निपटाकर अपने घर वापस आ गई, क्योंकि उसे भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण करना था।

इसके बाद जब अपनी तिथि वाले दिन पितृ तृप्ति के लिए धरतीलोक पर आए तो वे पहले अपने अमीर पुत्र जोगे के घर गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि जोगे के ससुराल वाले भोजन करने में जुट हुए हैं, जिसे देखकर पितृ नाराज हो गए और बिना कुछ ग्रहण किए अपने दूसरे एवं निर्धन पुत्र भोगे के घर तर्पण के लिए गए, जहां उन्होंने देखा कि पितरों के नाम पर उन्हें ”अगियारी” दे दी गई थी।

जिसके बाद पितरों ने उसकी राख चाटी और भूखे ही नदी के किनारे पहुंच गए। वहीं फिर देखते ही देखते सभी पितर वहां एकत्र हो गए और अपने-अपने यहां के श्राद्धों की तारीफों के पुल बांधने लगे।

फिर जोगे-भोगे के पितरों ने भी अपनी आपबीती सुनाई और तब जाकर भोगे के पितृ सोचने लगे कि अगर भोगे, निर्धन नहीं होता और भोजन करवाने के सामर्थ्य होता तो उन्हें भूखा-प्यासा नहीं लौटना पड़ता।

यह सब देखकर पितरों को भोगे पर दया आ गई और फिर पितृ अपने दूसरे बेटे भोगे को सामर्त्थवान बनाने के लिए प्रार्थना करने लगे।

भोगे के पितरों की तिथि वाले दिन ही जब उसके बच्चों को शाम के बाद भूख बर्दाश्त नहीं हुई तब बच्चे अपनी मां से खाना मांगने लगे, जिसके बाद भोगे की पत्नी ने अपने बच्चों को टालने के लिए कहा कि आंगन में बर्तन रखा है, उसे खोल लो जो कुछ भी मिले मिल बांटकर खा लेना।

मां के कहने पर जब बच्चे वहां गए और बर्तन खोलकर देखा तो बर्तन मोहरों से भरा पड़ा था, जिसे देखकर बच्चे अपनी मां के पास गए और मोहर पड़े होने की बात कही।

फिर भोगे की पत्नी वहां गई और मोहरें देखकर आश्चर्यचकित रह गई। इस तरह पितरों के प्रति श्रद्दा भावना रखने वाले भोगे की सारी निर्धनता दूर हो गई।

फिर इसके बाद जब अगले साल पितृ पक्ष आया, तब श्राद्ध के दिन भोगे की पत्नी ने अपने पितृों के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाएं एवं ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन करवाया एवं दक्षिणा दी।

इस मौके पर उन्होंने अपने बड़े भाई जोगे और उनकी पत्नी को बुलाकर आदर भाव से भोजन करवाया। वहीं यह सब देखर उनके पितृ सभी खुश हुए एवं उनकी आत्मा को शांति मिली।

पितृ पक्ष में शुभ काम करने से क्यों बचते हैं लोग – Why is Pitru Paksha Auspicious Or Inauspicious

आमतौर पर लोग पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करते हैं। शादी-विवाह की खऱीददारी या फिर नए व्यवसाय आदि के अनुष्ठान आदि करना शुभ नहीं मानते हैं।

हालांकि, शास्त्रों और पुराणों में पितृपक्ष का समय शुभ नहीं होने का उल्लेख कहीं नहीं किया गया है। वहीं विद्धानों का मानना है कि ऐसा करने से पितृ नाराज नहीं होते हैं और न ही किसी तरह की आत्माओं का अंश आता है, बल्कि जब व्यक्ति द्धारा अपने पूर्वजों का ध्यान नहीं किया जाता और वे उनका आदर करना छोड़ देते हैं तब उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इसलिए किसी भी तरह का पितृ पक्ष को लेकर मन में वहन नहीं रखना चाहिए और सच्चे मन से पितृों का तर्पण कर उनका धन्यवाद करना चाहिए।

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भारत छोड़ो आंदोलन – Quit India Movement In Hindi

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Quit India Movement In Hindi

हमारा भारत देश कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी और उनके असहनीय अत्याचारों का दंश झेलता रहा। क्रूर ब्रिटिश शासकों ने तमाम भारतीयों से उनका जीने तक का अधिकार छीन लिया था।

वे सिर्फ भारतीयों को अपनी कठपुतली समझने लगे थे, जिसे देखकर भारत माता के कई वीर और क्रांतिकारी सपूतों ने देश को गुलामी की परतंत्रता से मुक्ति दिलवाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन चलाए और इन आंदोलनों के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी प्राण की बाजी तक लगानी पड़ी, लेकिन आज देश के क्रांतिकारियों द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ किए गए इसी तरह के आंदोलनों की वजह से ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं।

देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए ऐसा ही एक बड़ा आंदोलन आजादी के महानायक माने जाने वाले महात्मा गांधी जी ने भी अंग्रेजों के खिलाफ साल 1942 में एक ऐसा ही आंदोलन चलाया और इस आंदोलन को “भारत छोड़ो आंदोलन” या ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ नाम दिया। आइए जानते हैं भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में –

भारत छोड़ो आंदोलन – Quit India Movement In Hindi

Quit India Movement In Hindi

एक नजर में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के बारे में – Bharat Chhodo Andolan In Hindi

कब हुआ आंदोलन

(When Quit India Movement Started)

8 अगस्त 1942 (अगस्त क्रांति)

कहां हुआ आंदोलन

(Where Was Quit India Movement Started)

गोवालिया टैंक मैदान, बॉम्बे, भारत

किसने किया आंदोलन का नेतृत्व

(Who Started Quit India Movement)

मोहनदास करमचंद गांधी (Mahatma Gandhi)

आंदोलन का मुख्य नारा

(Quit India Movement Slogan)

‘करो या मरो’ (Do or Die)

आंदोलन करने का मुख्य उद्देश्य

(Objectives Of Quit India Movement)

गुलाम भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलवाने के लिए

अंग्रेजों के खिलाफ चलाया गया यह एक बड़ा आंदोलन था।

आंदोलन का परिणाम

(Conclusion Of Quit India Movement)

इस आंदोलन से देश परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त नहीं हो सका,

लेकिन इस आंदोलन के बाद सभी भारतीयों के अंदर अंग्रेजों से आजादी पाने की अलख जाग गई।

इस आंदोलन को भारत को आजाद करवाने में काफी महत्वपूर्ण माना गया है

एवं इसे भारत की स्वतंत्रता के लिए किया जाने वाले आखिरी महानतम प्रयास भी बताया गया है।

 देश को ब्रिटिश हुकूमत के शासन से मुक्त करवाने के लिए अंग्रजों के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों में भारत छोड़ो आंदोलन ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद साल 1942 में चलाया गया ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ एक ऐसा आंदोलन था, जिसने अंग्रेजों को भारतीयों की अदम्य शक्ति का एहसास दिलवा दिया था एवं उन्हें भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन के बाद कई ऐसे बदलाव हुए जिससे आजादी तो नहीं मिली, लेकिन आजादी पाने का रास्ता साफ होता चला गया एवं इसके बाद ही हर भारतीय के मन में आजादी पाने की अलख जाग गई थी, अंग्रेजों के खिलाफ और अधिक नफरत पैदा हो गई थी। गांधी जी ने ‘करो या मरो’ के नारे के साथ बिट्रिश हुकूमत के खिलाफ इस आंदोलन का आह्मवान किया था।

कब और कैसे हुई भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत – Bharat Chhodo Andolan Kab Hua

महात्मा गांधी के नेतृत्व में साल 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था, जिसे अगस्त क्रांति (August Kranti) के नाम से भी जाना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब ब्रिटिश सैनिकों को कई जगह से परास्त मिल चुकी थी एवं ब्रिटिश सेना कमजोर पड़ने लगी थी, उस दौरान भारत पर जापानी सेना का आक्रमण करना तय लगने लगा था।

वहीं जब जापान ने प्रशांत महासागर को पार करते हुए मलाया और बर्मा पर कब्जा कर लिया एवं भारत की तरफ आगे बढ़ने लगा गया,उस दौरान ब्रिटेन पर अमेरका,चीन, रुस आदि भारत से समर्थन हासिल करने का दबाव डाल रहे थे, जिसके बाद ब्रिटेन ने भारत पर इस लड़ाई में ब्रिटिशों का साथ देने की पहल की थी।

इसके लिए ब्रिटेन ने स्टेफोर्ड क्रिप्स को भारत मार्च 1942 में भारत भेजा था। दरअसल, ब्रिटेन भारतीयों का समर्थन तो प्राप्त करना चाहती थी लेकिन भारत को पूर्ण रुप से आजादी नहीं देना चाहती थी, वह भारत की सुरक्षा को अपने ही हाथों में रखना चाहती थी, इसके साथ ही गर्वनर-जनरल वीटों के भी सभी अधिकारों को पहले की तरह ही रखना चाहती थी।

अंग्रेजों के इस प्रस्ताव से भारतीय प्रतिनिधि काफी असंतुष्ट थे और उन्होंने क्रिप्स मिशन के इन सभी प्रस्तावों को मानने से इंकार कर दिया था। भारत में क्रिप्स मिशन की विफलता का महात्मा गांधी जी ने फायदा उठाया और अंग्रेजों से भारत से चले जाने एवं भारतीयों के हाथ में सत्ता देने की मांग की।

लेकिन अंग्रेज इसके लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार का बहिष्कार कर दिया। इसके तहत, पहले वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जहां गांधी जी के इस प्रस्ताव से कांग्रेसी नेता दो गुटों में बंट गए। बैठक में इस पर चर्चा हुई कि अगर अंग्रेज भारत छोड़ देते हैं, तो अस्थाई सरकार बनेगी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ ”नागरिक अवज्ञा आंदोलन” चलाया जाएगा, जिसका नेतृत्व गांधीजी द्धारा किया जाएगा।

वहीं अहिंसात्मक विचारों से प्रभावित होने की वजह से महात्मा गांधी ने इस फैसले का समर्थन नहीं किया, दरअसल महात्मा गांधी किसी भी तरह से युद्ध में शामिल नहीं होना चाहते थे, वे अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन कर ब्रिटिश हुकूमत से आजादी पाना चाहते थे।

इसके बाद 8 अगस्त, 1942 में बॉम्बे के ”ग्वालिया टैंक” में ‘अखिल भारतीय कांग्रेस’ की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में यह फैसला लिया गया कि अंग्रेजों को किसी भी हाल में भारत छोड़ना ही पड़ेगा एवं भारत खुद की सुरक्षा करने में सक्षम है और फांसीवाद एवं सम्राज्यवाद के खिलाफ भारत संघर्ष करेगा, बशर्ते भारत को आजादी मिलनी चाहिए।

हालांकि, बाद में महात्मा गांधी जी के विचारों का समर्थन करते हुए कांग्रेस कार्यसमिति ने गांधी जी के ”भारत छोड़ो प्रस्ताव” को स्वीकार कर लिया। हालांकि, महात्मा गांधी जी के इस प्रस्ताव को मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, हिन्दू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई राजनैतिक दलों ने समर्थन नहीं दिया था और बाद में इस आंदोलन की काफी आलोचना भी की थी।

तो कई राजनेताओं ने आंदोलन का सही समय नहीं बताया। वहीं इस समय भारतीय राजनैतिक दलों के नेताओं के बीच काफी मतभेद भी हुए थे।

‘करो या मरो’ का नारा बना इस आंदोलन का मूल मंत्र – Bharat Chhodo Andolan Slogan

‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव के तहत देश को गुलामी की परतंत्रता की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अहिंसा पर आधारित आंदोलन की शुरुआत हुई। हालांकि, इस जन आंदोलन की शुरुआत से पहले ही गांधी जी ने देशवासियों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया था, जिसका मतलब था कि, इस प्रयास में हर भारतवासी अपने देश को आजाद करवाने के लिए या तो इस ढंग से प्रयास करे कि गुलाम भारत को आजादी मिल जाए या फिर अपनी जान दे दे।

भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी जी के इस नारे ने देश के नागरिकों पर काफी गहरा प्रभाव डाला था। भारत छोड़ो और करो या मरो’ के नारे ने भारतीय जनता के अंदर देश की आजादी पाने की अलख जगा दी थी एवं देश के लोगों ने इस आंदोलन में बढ़चढ़ कर अपनी भूमिका निभाई थी।

भारत छोड़ो आंदोलन के तहत गिरफ्तारी ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव में बडे स्तर पर सामूहिक संघर्ष और विरोध करने की बात कही गई थी। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने जन-संघर्ष के शुरु होने से पहले ही 9 अगस्त, 1942 की सुबह ही भारत छोड़ो आंदोलन के नेतृत्वकर्ता महात्मा गांधी, कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत श्रीमती सरोजिनी नायडू, मीराबेन, कस्तूरबा गांधी को गिरफ्तार कर अलग-अलग जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।

इसके साथ ही इस दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस पर भी बैन लगा दिया गया। नेताओं की गिरफ्तारी के बाद देशवासियों ने ‘करो या मरो’ का मंत्र अपनाकर जगह-जगह प्रदर्शन किए। इस दौरान पूरे देश में कई हिंसक घटनाएं हुईं। आंदोलनकारियों ने सरकारी ऑफिसों, इमारतों को जला दिया, रेलवे पटरियों को क्षति पहुंचाई गई, जगह-जगह ब्रिटिश पुलिस और देश की जनता के बीच कई हिंसात्मक प्रदर्शन हुए।

इस दौरान पूरे देश में लाठीचार्ज, गोलीबारी और बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की गईं। इस आंदोलन में काफी हिंसा हुई। ”भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान करीब 60 हजार लोगों को जेल में डाल दिया, तो कई हजार लोगों की जान चली गईं। इस दौरान कस्तूरबा जी की भी मौत हो गई।

वहीं गांधी जी भी बुरी तरह बीमार पड़ गए, इसके थोड़े समय बाद गांधी जी और उनके साथियों को रिहा कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन के असफल होने की मुख्य वजह महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में चला गया यह व्यापक आंदोलन एक साथ पूरे भारत में शुरु नहीं किया गया।

अलग-अलग तारीखों में इस आंदोलन की शुरुआत होने पर इसका प्रभाव कम होता चला गया, हालांकि इस आंदोलन में बड़े स्तर पर देश के नागरिकों ने अपनी भागीदारी निभाई थी एवं उनके मन में अंग्रेजों से आजादी पाने की अलख जाग गई थी। ‘भारत छोड़ों आंदोलन’ ने बाद में बेहद हिंसक रुप ले लिया था एवं कई भारतीय यह सोचने लगे थे कि इस आंदोलन के तुरंत बाद ही वे ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से आजाद हो जाएंगे।

इस आंदोलन के सफल नहीं होने की यह भी एक मुख्य वजह मानी जाती है। फिलहाल, महात्मा गांधी जी का ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ सफल जरूर नहीं हुआ था, लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत को भारतीयों की शक्ति का एहसास दिलवा दिया था।

इसके साथ ही यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि अगर सभी भारतीय एकजुट हो गए तो वे भारत में ज्यादा दिन तक अपना शासन नहीं कर सकेंगे और उन्हें भारत छोड़कर जाना पड़ेगा। इसलिए इस आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम महानतम प्रयासों में से एक बताया गया है।

इस तरह महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए ”भारत छोड़ो आंदोलन’ ने गुलाम भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है और हर भारतीय पर एक अलग छाप छोड़ी है।

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तनाव से बाहर निकलने कुछ टिप्स…

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Depression Treatment in Hindi

आज कल आये दिन हम Newspaper में लोगो की आत्महत्या के बारे में बढ़ते है। यह बहुत ही Serious Problem है Depression यह एक मानसिक समस्या हैं। जिसमें कई लोग सामान्य बर्ताव नहीं करते और धीरे धीरे अपना मानसिक संतुलन भी खो देते हैं। Depression ज्यादा हो तो कई बार लोग आत्महत्या जैसे रास्तें को चुनते है इसीलिए Depression Treatment करना हमारा सबसे पहला काम है।

Depression की कई वजह हो सकती है हर किसी की समस्या अलग अलग हो सकती हैं लेकिन उनके लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। जैसे नींद न आना, हर बार चिडचिडा या क्रोध में रहना, हर बार अपने खुद को बदनसीब कहना और जल्द ही भावुक हो जाना। अगर आपके आसपास के किसी भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखाई दे तो हमनें यहाँ पर तनाव से बाहर निकलने कुछ टिप्स – Depression Treatment बताये हैं। जिन्हें पढ़कर आप उस व्यक्ति की मदत कर सकते हैं।

Depression Treatment in Hindi

तनाव से बाहर निकलने कुछ टिप्स – Depression Treatment in Hindi

• क्वालिटी टाइम:
परिवार और दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना, यह डिप्रेशन से लड़ने के लिए बेस्ट मेडिसिन है। कभी कभी आप अपने परिवार के साथ कही बाहर अपने काम से ब्रेक लेके हॉलिडे भी जा सकते हैं Nature के साथ रहने से आपके मन में आनेवाले दुखी विचार और feelings शांत हो जाएँगी। इससे आपका मन हल्का हो जायेगा।

  • दूसरो के बारे में सोचना:

हम खुद से ज्यादा तो दूसरो के बारे में सोचते हैं। वो शख्स क्या कर रहा है, उसने ऐसा क्यों नहीं किया, वो मुझे बेहतर कैसे है। ये बातें आपको तनाव की तरफ ले जाती हैं। जब आप दूसरो के बारे में अधिक और बिना मतलब का सोचने लगते हैं तो आपके दिमाग में तुलना शुरू हो जाती है और आप खुद को हीन समझकर तनाव में चले जाते हैं। इसीलिए छोडिये, वो जो कर रहा है करने दीजिए, वो अपनी जगह सही है और आप अपनी जगह मस्त रहिये। बस इस छोटी आदत को बदल दीजिए, खुश रहेंगे।

• खुल के बात करों:
अपने परिवार वालोँ से या फिर जो भी आप के सबसे ज्यादा करीब हैं और आपको लगता हैं की वह आपकी बात समझ सकता हैं उससे खुल के अपने प्रोब्लेम्स के बारे में बात करो। आपके क्लोज फ्रेंड्स और आपका परिवार ही आपको डिप्रेशन से बहार निकलने में important भूमिका निभाता है।

  • फोन का इस्तेमाल:

क्या हो अगर आप कम फोन इस्तेमाल करें, इससे क्या बिगड़ जाएगा और आपको कौन सी परेशानी होगी। जब आप इन सवालो को खुद से करेंगे तो जवाब मिलेगा शायद कुछ खास नहीं। आप जब अधिक फोन इस्तेमाल करते हैं तो आप खुद से दूर होते हैं और खुद से दूर रहने वाला इंसान कभी सुखी नहीं रह सकता है। इसीलिए समय निर्धारित कीजिए और फोन का इस्तेमाल कम कीजिए, आप देखेगे की इस छोटी से आदत को बदलते ही आपका जीवन तनावमुक्त होने लगेगा।

• Workshops and Seminars:
अपने काम से related अलग अलग workshop and seminar में हिस्सा लेने से आपको आपके काम में interest आएगा और आप अपने career में नयी नयी चीज़ो पर experiment करना शुरू कर देंगे।

  • अपने के लिए समय ना निकालना:

दुनियाभर के लिए हमारे पास वक्त है लेकिन खुद के लिए नहीं। सबसे बात कर लेते हैं लेकिन खुद से बात करने का एक पल का समय नहीं है और ये आदत आपको तनाव के बहुत करीब ले जाती है। इस आदत को छोडिये और रोजाना एक घंटे का समय खुद को दीजिए। आपको जो पसंद वो करिए, संगीत सुनिए, मनपसंद खाना खाइए और मस्त रहिये। आप देखेगे की इससे आप तनावमुक्त होने लगेंगे।

• अपना मनपसंद काम करे:
हमें जिस काम में भी आता हो या हमारी जिसमें भी रुची हो वो काम करें जैसे पेटिंग, गाना गाना, कविताये करना या फिर डांस करना इससे हमें Depression से निकलने के लिए सहायता मिलेंगी।

• Social Service:
अलग अलग प्रकार के NGO में जाके उनके लिए मुफ्त काम करना एक therapy के समान है। समाजसेवा करने से आप का खाली मन busy रहेगा और आपको अच्छा काम करने से सुकून भी मिलेगा।

• Motivational Songs, Movies, Videos:
जब भी आप कमजोर या दुखी महसूस करे तब अपने मोबाइल पर motivational गाने सुनिए या फिर वीडियोस देखे। ऐसा करने से आपका नेगेटिव मूड बदल जायेगा और आपको आगे काम करने के लिए एनर्जी मिलेगी।

• Running/Swimming:
कोई भी खेल जिसमे आप को चैलेंज महसूस हो। ऐसे खेल में अपना मन लगाने से भी आप अपने अंदर confidence जगा सकते है। बहुत सारे लोग मैराथन में हिस्सा लेते है, कुछ लोग स्विमिंग शुरू करते है। इससे अच्छे physical हेल्थ के साथ mental हेल्थ भी strong हो जाती है।

  • देर से उठना और देर से सोना:

आप सोचेंगे की भला इसका तनाव से क्या मतलब है। जब आप देर से सोते है और देर से उठते है तो आपके जीवन में समय की थोड़ी बहुत कमी होती है। आप जल्दी से उठकर भागते भागते तैयार होते हैं और फिर देर से पहुचने की टेंशन दिमाग में शुरू हो जाती है और हो जाता है तनाव। सोचिये अगर आप एक घंटे पहले उठना शुरू कर दें तो आप सारे काम समय से कर सकेंगे, अच्छा नाश्ता कर सकेंगे, आराम से तैयार होकर समय से दफ्तर जा सकेंगे। इस छोटी से आदत को बदल दीजिए और आप देखेंगे की तनाव शब्द आपके जीवन से गायब हो गया।

• Drugs और Medicines से दूर रहे:
अक्सर लोग Depression से लड़ने के लिए बिना किसी डॉक्टर की सलाह के drugs या medicines लेना चालू करते है। इसके खतरनाक side-effects के कारन आपको फ्यूचर में कई health problems को झेलने की नौबत आ जाएगी।

कई नामांकित व्यक्तियों ने अपने जीवन में डिप्रेशन का सामना किया है और वह उसमे से उभर कर आज भी लोगो के सामने एक मिसाल बन कर खड़े है। दीपिका पादुकोण भी इसका एक उदाहरण है। तो अगर आप भी नैराश्यता से गुजर रहे है तो अपने करीबी लोगोसे बात करे और उन्हें अपनी मुसीबतो के बारे में बताये।

देखिये ना ऊपर बताई गई बातें कितनी आसान है। आप चाहे तो इन्हें छोड़ सकते हैं और छोड़कर देखिये आपका जीवन सुखमय हो जाएगा। जिन्दगी में तनाव शब्द का मतलब भूल जायेगे।

Read More: 

  1. Stress Management
  2. खुद को बेहतर बनाने के टिप्स
  3. Success steps and tips
  4. Self Confidence

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भारत की महान क्रांतिकारी महिला सरोजिनी नायडू जी पर निबंध

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Essay on Sarojini Naidu

सरोजिनी नायडू देश की उन महान वीरांगनाओं और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी, जिन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने के लिए कई संघर्षों का सामना किया एवं तमाम कष्टों को झेला।

उन्होंने अपनी क्रांतिकारी विचारधारा के माध्यम से लोगों के अंदर न सिर्फ आजादी पाने की अलख जगाई थी, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में देश के युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अच्छी राजनेता और विख्यात कवियित्री भी थीं, जिन्हें उनकी खूबसूरत काव्य लेखन के लिए भारत कोकिला की उपाधि दी गई थी।

भारत की महान क्रांतिकारी महिला सरोजिनी नायडू जी पर निबंध – Essay on Sarojini Naidu in Hindi

Essay on Sarojini Naidu in Hindi

सरोजिनी नायडू जी का जन्म, शिक्षा, परिवार एवं शुरुआती जीवन – Sarojini Naidu Information

देश की आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली देश की महान क्रांतिकारी महिला सरोजिनी नायडू 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में रह रहे एक बंगाली परिवार में जन्मीं थी।

उनके पिता अघोरनाथ चटोपध्याय जी एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक अच्छे डॉक्टर और प्रख्यात शिक्षक भी थे। जबकि उनकी माता वरद सुंदरी देवी एक कवियित्री थी, जो कि बंगाली भाषा में कविताएं लिखा करती थी।

सरोजिनी नायडू जी को कविताएं लिखने की प्रेरणा अपनी मां से ही मिली थी। सरोजनी जी ने बचपन में ही 1300 लाइन की कविता लिखकर बड़े-बड़े लेखकों और दिग्गज साहित्यकारों को अपने काव्य कौशल से चकित कर दिया था।

सरोजिनी नायडू जी अपने सभी 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उनके भाई वीरेन्द्र चट्टोपाध्याय एक क्रांतिकारी थे, जिन्होंने बर्लिन कमेटी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिनकी अंग्रेजों द्धारा हत्या कर दी गई थी, इस घटना से वे बेहद आहत हुईं थीं और इस घटना ने उनके मन में अंग्रेजों के खिलाफ नफरत के बीज बो दिए थे।

भारत कोकिला सरोजिनी नायडू बचपन से ही अद्भुत और विलक्षण प्रतिभा वाली महिला थी। जिन्हें, फारसी,  इंग्लिश, तेलगू और बांग्ला के साथ-साथ उर्दू भाषा का भी अच्छा ज्ञान था।

आपको बता दें कि सरोजिनी नायडू ने महज 12 साल की उम्र में ही अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। बचपन से ही होनहार होने की वजह से ही हैदराबाद के निजाम ने उन्हें विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी थी।

जिसके बाद सरोजिनी जी ने लंदन के किंग्स कॉलेज में दाखिला लिया और फिर उन्होंने कैम्ब्रिज के ग्रेटन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। अपनी पढ़ाई के दौरान वे अंग्रेजी भाषा के महान कवि साइमन से मिली और इनकी दी हुई सलाह के मुताबिक वे भारतीय मुद्दे एवं इसकी खूबसूरती को लेकर अपनी कविताएं लिखने लगीं।

19 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू जी ने गोविंद राजुलू नायडू से इंटर कास्ट मैरिज की थी, जिसके चलते उन्हें समाज का काफी विरोध भी सहना पड़ा था।

हालांकि, सरोजिनी जी के इस फैसले में उनके पिता जी ने उनका पूरा समर्थन किया था। शादी के बाद उन दोनों को चार बच्चे हुए। विवाह के बाद भी सरोजिनी जी ने अपना लेखन काम जारी रखा और अपनी अद्भुत साहित्यिक प्रतिभा और अनूठे कविता लेखन से उन्होंने लोगों के मन में अपने लिए एक अलग जगह बना ली।

रवीन्द्र नाथ टैगौर, जवाहरलाल नेहरू समेत कई महान शख्सियत भी उनकी कविताओं से काफी अभिभूत थे, उनकी सुंदर कविताओं ने लोगों के ह्रदय में एक अलग छाप छोड़ी थी। यही नहीं सरोजिनी नायडू जी ने अपने कलम की ताकत गुलाम भारत को आजाद करवाने की लड़ाई में भी दिखाई थी।

सरोजिनी नायडू का व्यक्तित्व – Sarojini Naidu Personality

सरोजिनी  नायडू जी की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने वाले गोपाल कृष्ण गोखले से मिलने के बाद सरोजिनी नायडू जी के जीवन में काफी परिवर्तन आया।

गोखले जी ने सरोजिनी जी की लेखन क्षमता और उनकी लोकप्रियता को देखकर उन्हें क्रांतिकारी कविताएं लिखकर लोगों के मन में आजादी की अलख जलाने की सलाह दी थी।

जिसके बाद भारत कोकिला सरोजिनी नायडू जी ने एक महान क्रांतिकारी योद्धा एवं सच्चे देशभक्त की तरह खुद को पूरी तरह आजादी की लड़ाई में झोंक दिया।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों के माध्यम से देश की महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया और देशवासियों को देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध करवाया।

राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान सरोजिनी नायडू जी की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, तब वे उनके विचारों से काफी प्रभावित हुईं और गांधी जी के आदर्शों का अनुसरण करने लगीं।

इसके साथ ही उन्होंने गांधी जी के द्धारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

यही नहीं इस दौरान सरोजिनी जी को कई बार जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी। हालांकि, इस दौरान वे कभी कमजोर नहीं पड़ी और देश को आजाद करवाने को लेकर उनकी दृढ़शक्ति और अधिक प्रबल हो गई।

स्वतंत्र भारत की पहली महिला गर्वनर के रुप में सरोजिनी नायडू – Sarojini Naidu as First Lady Governor

महान स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रख्यात कवियित्री सरोजिनी नायडू जी के महान विचारों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी भी काफी प्रभावित थे। सरोजनी जी की देश के प्रति सच्च निष्ठा एवं उनके प्रशासनिक कौशल को देखते हुए नेहरू जी ने उन्हें कांग्रेस की अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किया।

इसके साथ ही सरोजिनी जी ने अपने देश का राजदूत बनकर दक्षिण अफ्रीका में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। इस दौरान उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतो का न सिर्फ यूरोप में बल्कि अमेरिका में भी प्रचार-प्रसार किया।

इसके बाद उन्हें आजाद भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के रुप में चुना गया। उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी को भी बेहद अच्छे से निभाया। फिर 2 मार्च 1949 में  ऑफिस में काम करते हुए दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

साहित्य के क्षेत्र में योगदान – Sarojini Naidu as a Poet

सरोजिनी नायडू जी की छवि एक महान कवियित्री के रुप में भी बनी हुई थी। उन्होंने अपने महान विचारों एवं अद्भुत लेखन से साहित्य के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने का बेहद शौक था, इसके अलावा वे एक अच्छी गायिका भी थी।

साल 1905 में सरोजिनी नायडू जी की कविताओं का पहला संग्रह ”द गोल्डन थ्रेसहोल्ड” में प्रकाशित हुआ था। जिसे लोगों द्धारा काफी पसंद किया गया। उनके द्धारा रचित काव्य ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ (1912), द फायर ऑफ लंदन’ (1912) और ‘द ब्रोकेन विंग’ (1917) को भी काफी लोकप्रियता मिली।

सरोजिनी जी की इन्हीं खूबसूरत कविताओं और गीतों की वजह से ही उन्हें भारत कोकिला (भारत की नाइटेंगल) की उपाधि से नवाजा गया। सरोजिनी जी की कविताओं में भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती है।

उन्होंने अपनी कविताओं में भारत की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी बेहद अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है।

उपसंहार

सरोजिनी नायडू जी अपने जीवन के आखिरी क्षणों तक अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर काम करती रहीं। उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों के माध्यम से देशवासियों के अंदर देशभक्ति की भावना जागृत की।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक महान राजनेता और प्रख्यात कवियित्री थी, जिनके द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनके प्रति आज हर भारतवासी के ह्रदय में अपूर्व सम्मान है। वे अपनी कविताओं के माध्यम से आज भी हम सभी भारतीयों के दिलों में जिन्दा है।

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मोहम्मद अली 21+ सर्वश्रेष्ठ विचार

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Muhammad Ali Quotes

पूर्व अमेरिकी पेशेवर मुक्केबाज मुहम्मद अली, जिन्हें खेल के इतिहास में पुरे विश्व का सबसे बड़ा हेवीवेट मुक्केबाज कहा जाता है। उन्होनों अपने जीवन में कई प्रेरणादायक कथनों से सभी को प्रेरित किया हैं। आज हम यहाँ उन्हीं के कहे कुछ अनमोल विचार प्रस्तुत कर रहे हैं आशा हैं आपको इनसे जरुर प्रेरणा मिलेंगी।

Muhammad Ali Quotes In Hindi – मोहम्मद अली सर्वश्रेष्ठ विचार

Muhammad Ali Quotes In Hindi

“वह जो जोखिम उठाने का साहस नही रखता वह अपने जीवन में कुछ हासिल नही कर सकता

Muhammad Ali Quotes

“मुझे अपनी ट्रेनिंग के हर एक मिनट से नफरत थी, लेकिन मै कहता था- “भागो मत, अभी तो भुगत लो और फिर पूरी जिंदगी चैंपियन की तरह रहो

Muhammad Ali Inspirational Quotes

“मेरे लिए फाइट का जीतना या हारना मेरी महानता का सबूत नही है – बल्कि इस लाइन के पीछे जिम में और रास्ते पर जब लोग जो मेरे पीछे बोलते है वही मेरी सफलता है

Muhammad Ali Vichar

“खुद पर भरोसा न होना ही लोगो को चुनौतियों से दूर रखता है और मै खुद पर भरोसा करता हु

Muhammad Ali Motivational Quotes

“दोस्ती वह नही है जो आप स्कूल में सीखते है लेकिन यदि आपने दोस्ती का मतलब नही सिखा तो दरअसल आपने कुछ नही सिखा

Muhammad Ali Quotes Images

“मुझे पता है की मै कहा जा रहा हु और मुझे सच पता है, और मुझे वो नही होना है जो तुम चाहते हो, मै वो होने के लिये स्वतंत्र हु जो मै चाहता हु

Muhammad Ali Pictures with Quotes

“वो सामने खड़े पहाड़ नही है जो आपको थका देते है बल्कि वो आपके जूतों में पड़े कंकड़ है जो आपको थका देते है

I am the greatest, I said that even before I knew I was.
I am the greatest, I said that even before I knew I was.

“मै सबसे महान हु ये मैंने तभी कहा था जब मैंने अपनेआप को जाना था जब मैंने जाना की गर में ये कहता की मै पर्याप्त हु तो ये दुनिया निश्चित की मुझे महान बनाती

Muhammad Ali Pictures

“विजेता जीम में नही बनते, विजेता उनके अंदर की इच्छाशक्ति, उनके सपने और दृष्टिकोण से बनते हैउनके पास कौशल व इच्छा शक्ति होनी चाहिये और उनकी इच्छाशक्ति उनके कौशल से ज्यादा मजबूत होनी चाहिये

Muhammad Ali Vichar in Hindi

“फाइट में कोई आनंद नही होता लेकिन कभी-कभी मेरी कुछ फाइट में जीत का आनंद जरुर आता है

Muhammad Ali Quotes Training

“असंभव केवल एक शब्द है जो छोटे लोग इस्तमाल करते है ताकि वे जिंदगी जीने का आसान तरीका ढूंड सके, असंभव कोई सच्चाई नही बल्कि छोटे लोगो की राय है

Muhammad Ali Quotes Gif

“दिन मत गिनो बल्कि उसे अर्थपूर्ण (याद करने लायक) बनाओ

Rivers, ponds, lakes and streams – they all have different names, but they all contain water. Just as religions do – they all contain truths.

“नदियाँ, तालाब, झीलें और धाराएं – इनके अलग अलग नाम हैं, लेकिन in सबमें पानी होता हैं, ठीक वैसे ही जैसे धर्म होते हैं – उन सभी में सत्य होता हैं

More Quotes Collection:

Note: अगर आपके पास अच्छे नए विचार हैं तो जरुर कमेन्ट के मध्यम से भजे अच्छे लगने पर हम उस Muhammad Ali Quotes In Hindi इस लेख में शामिल करेगे
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पोंगल का पर्व  कब और क्यों मनाया जाता है और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं

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Pongal Festival in Hindi

पोंगल का पर्व, दक्षिण भारत के तमिलनाडू राज्य में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। इस पर्व को फसल के त्योहार के रुप में भी जाना जाता है। जिस तरह उत्तर भारत में जनवरी महीने के बीच में मकर संक्रांति एवं लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है, उसी तरह इस दौरान दक्षिण भारत में पोंगल पर्व की रौनक देखने को मिलती है।

इस पर्व को तमिलनाडू की सांस्कृतिक एवं पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ धूम-धाम से मनाया जाता है। पोंगल का पर्व का उत्सव चार दिनों तक चलता है, जिसमें सूर्य देव की पूजा-अर्चना और आराधना करने का विशिष्ट महत्व है।

प्रकृति और ईश्वर को समर्पित पोंगल के त्योहार को तमिल कैलेंडर के ‘थाई’ महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस सुख-समृद्धि एवं सम्पन्नता का त्योहार माना जाता है।

पोंगल का पर्व  कब और क्यों मनाया जाता है और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं – Pongal Information in Hindi

Pongal in Hindi

पारंपरिक पोंगल का अर्थ – Pongal Meaning

सम्पन्नता एवं समृद्धि के इस पावन पर्व पोंगल से पहले अमावस्या को लोग अपनी बुरी आदतें, बुरे विचारों एवं गंदी रीतियों को त्यागकर अच्छे विचारों एवं अच्छे कामों को करने की शपथ लेते हैं। जिसे पोही कहा जाता है जिसका अर्थ होता है ‘जाने वाली’।

तमिल में पोंगल का अर्थ उफान या विप्लव होता है। इस शुभ त्योहार के मौके पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा और आराधना करने का खास महत्व है, इस दिन सूर्य देवता को जो प्रसाद लगाया जाता है, उसे पगल कहा जाता है।

वहीं तमिलनाडु की लोकल भाषा में इसका अर्थ अच्छी तरह से उबालना होता है। इस दिन चीनी, दूध, चावल, घी आदि को एक साथ अच्छी तरह उबालकर पारंपरिक तरीके से भोजन तैयार कर सूर्यदेवता को भोग लगाते हैं।

पोंगल का त्योहर कब और क्यों मनाते हैं ? – When Pongal Is Celebrated

भारत के प्रमुख कृषि त्योहारों में से एक पोंगल का पर्व हर साल मकरसंक्रांति के आस-पास 14 से 17 जनवरी के बीच में तमिलनाडू राज्य में बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पोंगल पर्व का उत्सव करीब 4 दिनों तक चलता है।

यह पर्व तमिल माह ‘तई’ की पहली तारीख से शुरु होता है, इसलिए पोंगल का पर्व नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है वहीं पोंगल का मुख्य पर्व हिन्दी महीना पौष माह की प्रतिपदा को धूमधाम से मनाया जाता है।

पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख कृषि त्योहार है, दक्षिण भारत में इस मौके पर फसल पककर कटने के लिए तैयार हो जाती है, जिसकी खुशी में लोग पोंगल का त्योहार मनाते हैं और आगामी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए दुआ करते हैं।

इसे सुख-समृद्धि की संपन्नता के त्योहार के रुप में दक्षिण भारत में मनाया जाता है। पोंगल के पर्व का सीधा संबंध ऋतुओं से होता है, इसलिए इस पर्व पर सूर्यदेव, इन्द्रदेव  की खास पूजा-अर्चना की जाती है।

पोंगल त्योहार का इतिहास – Pongal Festival History

हरियाली, समृद्धि एवं संपन्नता को समर्पित यह त्योहार  दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला प्राचीनतम एवं प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस पर्व के इतिहास के बारे में 200 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व में लिखे गए संगम साहित्य के ग्रंथों में उल्लेख किया  गया है।

तब से इस पवित्र त्योहार को द्रविण फसल के उत्सव के रुप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। इसके अलावा इस पर्व का उल्लेख संस्कृत पुराणों में भी  किया गया है।

कई प्रसिद्ध इतिहासकारों ने थाई निरादल और थाई संयुक्त राष्ट्र के साथ इस त्योहार की पहचान की है। इसके साथ ही  इस त्योहार से कई धार्मिक मान्यताएं एवं पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

पोंगल त्योहार से जुड़ी पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं – Pongal Festival Story

कथा नंबर -1

यह धार्मिक कथा भगवान श्री कृष्ण और भगवान इंद्र के गुस्से से जुडी़ हुई है। ऐसी मान्यता है कि, सभी देवताओं के राजा बनने के बाद भगवान इंद्र अभिमानी हो गए थे, जो भगवान श्री कृष्ण को रास नहीं आया और उन्होंने द्दारका के सभी ग्वालों को इंद्र भगवान की पूजा करने से रोक दिया।

जिससे भगवान इंद्र क्रोधित हो उठे और उन्होंने बादलों को श्री कृष्ण की नगरी द्धारका में लगातार तीन दिन तक बारिश करने और तूफान लाने के लिए भेजा, जिससे पूरा द्धारका नष्ट होने की कगार पर आ गया। इसके बाद श्री कृष्ण ने अपनी नगरी को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक छोटी से उंगली में उठा लिया।

तब जाकर भगवान इंद्र को अपनी गलती पर पछाताव हुआ, और भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत शक्ति का एहसास हुआ।

इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने भगवान विष्णु जी से द्वारका का फिर से निर्माण करने के लिए कहा और  फिर ग्वालों ने अपनी गायों के साथ फिर से खेती शुरु की एवं नई फसल उगाई, तभी से तमिलनाडू में पोंगल त्योहार को मनाया जाने लगा।

कथा नंबर 2-

इस धार्मिक मान्यता के मुताबिक, एक बार शंकर भगवान जी ने अपने प्रिय बैल बसवा को स्वर्ग से पृथ्वी लोक में जाकर मनुष्यों को एक संदेश देने के लिए कहा कि – हर रोज तेल से स्नान करना चाहिए और महीने में सिर्फ एक दिन खाना खाना चाहिए।

लेकिन बसवा ने पृथ्वीलोक पर जाकर भगवान शिव की आज्ञा के विपरीत संदेश मनुष्यों को दे दिया कि, मनुष्यों को एक दिन तेल से स्नान करना चाहिए और हर रोज खाना खाना चाहिए।

जिसके बाद भगवान शिव बसवा की इस गलती पर नाराज हो उठे और उन्होंने बैल बसवा को कैलाश से हमेशा के लिए निकाल बाहर कर दिया और श्राप दे दिया कि उन्हें पृथ्वी पर अनाज के उत्पादन के लिए मनुष्यों की मद्द के लिए हल जोतना होगा।

इस तरह यह दिन मवेशियों के साथ संबंधित है। और इसलिए पोंगल पर्व पर बैलों की पूजा करने का प्रचलन है। इसके साथ ही तमिलनाडू के कुछ हिस्सों में पोंगल पर्व पर जल्लीकट्टू का खेल भी खेलते हैं।

कैसे मनाते हैं पोंगल का त्योहार ? – How To Celebrate Pongal Festival

दक्षिण भारत में पोंगल त्योहार का उत्सव 4 दिन तक चलता है।  इसके लिए कई दिन पहले से ही लोग खास तैयारी करते हैं। ईश्वर और प्रकृति को समर्पित इस खास फसल उत्सव में लोग प्रमुख रुप से सूर्य देवता की आराधना करते हैं, सूर्य देव को घर पर बना खास प्रसाद अर्पित किया जाता है, जो कि पगल कहलाता है।

इसके अलावा कई पारंपरिक पकवानों को घरो में बनाया जाता है। इस दौरान घरों की खास तरह की सजावट की जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, नए बर्तन खरीदते हैं। इसके साथ ही इस मौके पर घर से सभी बुरी एवं खराब चीजों को जलाए जाने की भी परंपरा है।

पोंगल पर्व के उत्सव के दौरान माता लक्ष्मी, पशुधन, माता काली, गोवर्धन पूजा और मवेशियों की भी खास तरीके से पूजा की जाती है। एक-दूसरे का मुंह मीठा कर लोग पोंगल पर्व की बधाई देते हैं।

4 दिन तक चलने वाला पोंगल उत्सव:

पोंगल पर्व का जश्न चार दिनों तक चलता है। इस दौरान हर दिन का अपना अलग महत्व और मान्यताएं हैं, जो कि इस प्रकार है –

पोंगल उत्सव का पहला दिन – भोगी पोंगल:

सुख-समृद्धि के इस पोंगल पर्व के पहले दिन महिलाएं घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करती हैं और मिट्टी के बर्तनों की खास तरीके से सजावट करती हैं एवं गोबर एवं लकड़ी की आग में घर की पुरानी खराब चीजों को जलाती हैं और आग के चारों तरफ घेरा बनाकर नाच-गान करती हैं और ईश्वर और प्रकृति के प्रति अपनी कृतत्रता प्रकट करती हैं।

पोंगल उत्सव का दूसरा दिन – सूर्य पोंगल/थाई पोंगल:

पोंगल पर्व के दूसरे दिन घर का सबसे बड़ा व्यक्ति एवं कर्ताधर्ता एक मिट्टी के बर्तन में चावल, घी, शक्कर और दूध को घर के बाहर सूर्य देवता के सामने उबालते हैं और इसे सूर्य देवता की पूजा-अर्चना कर उन्हें अर्पित करते हैं । इस भोग को पगल कहा जाता है । इस दिन तमिलनाडू में  घरों के बाहर विशेष तरह की रंगोली बनाने की भी प्रथा है।

पोंगल उत्सव का तीसरा दिन मट्टू पोंगल:

पोंगल उत्सव के तीसरे दिन गायों और बैलों को विशेष तरह से सजाकर उनकी पूजा की जाती है। अनाज उत्पादन में बैल खेतों को जोतकर मनुष्य की मद्द करते हैं, इसलिए इस दिन उन्हें विशिष्ट सम्मान दिया जाता है। इसके साथ ही तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर इस दिन जल्लीकट्टू  के खेल का भी आयोजन किया जाता है।

पोंगल उत्सव का  चौथा दिन – कान्नुम पोंगल /कानु पोंगल:

पोंगल पर्व के अंतिम यानि कि चौथे दिन सामूहिक भोज का आयोजन होता है। इस दिन एक खास तरीके की रस्म भी होती है। इसके साथ ही महिलाएं अपने भाइयों की आरती कर उनकी लंबी आयु एवं सुख-समृद्धि की कामना करती हैं  और सभी लोग अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं।

दक्षिण भारत में नए साल की शुरुआत:

दक्षिण भारत में पोंगल पर्व से तमिल नववर्ष का आरंभ माना जाता है  । इस दौरान लोग एक-दूसरे का मुंह मीठा कर नववर्ष की बधाई देते हैं।

पोंगल पर्व पर पकने वाले पारंपरिक पकवान:

पोंगल पर्व के खास मौके पर पारंपरिक पोंगल स्वादिष्ट पकवान तैयार किए जाते हैं। विशेष तरह की खीर बनाने का इस त्योहार में काफी महत्व है।

पोंगल पर दूध का उफान का महत्व:

पोंगल के मौके पर दूध को नए बर्तन में उबाला जाता है और इसके उफान को महत्व दिया जाता है, इसे मनुष्य के शुद्ध मन एवं उत्तम संस्कारों से जोड़ कर देखा जाता है।

इस तरह आस्था, समृद्धि एवं सम्पन्नता से जुड़े इस पावन पोंगल पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार दक्षिण भारत के अलावा, अमेरिका, श्रीलंका, कनाडा, सिंगापुर और मॉरीशस में भी मनाया जाता है।

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धीरूभाई अंबानी के सर्वश्रेष्ठ विचार | Dhirubhai Ambani Quotes In Hindi

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Dhirubhai Ambani Quotes

बड़ा हासिल करने के लिये बड़े सपने देखो

धीरूभाई अंबानी भारत के विशाल और प्रसिद्ध व्यापारी थे। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और मेहनत करने की लगन से उन्हें जो चाहियें था, वो सबकुछ हासिल कर लिया। उन्होंने बडें सपने देखे और पूरी हिंमत से उसे पूरा किया। आज उनका संपूर्ण जीवन और उनके द्वारा कहे गये अनमोल विचार लाखोँ-करोड़ों युवको को प्रेरित करते हे।

उनका हमेशा से ये कहना है की, सपने ही हमारा वर्तमान है और हमारे सपने ही हमारा भविष्य निर्धारित करेंगे। तो फिर हम छोटे सपने क्यों देखे।

हमेशा बड़े सपने देखे और बड़े लक्ष्य को हासिल करे। उनका ये भी मानना है की आपको आगे बढ़ने के लिये कुछ बड़ा हासिल करने के लिये किसी के भी आमंत्रण की जरूरत नहीं है। जरूरत तो बस आपके आत्मविश्वास की है।

तो इस महान व्यापारी के प्रेरणादायक अनमोल वचन से अपने जीवन में कुछ बड़ा करने की उमीद जगाये।

धीरूभाई अंबानी के सर्वश्रेष्ठ विचार / Dhirubhai Ambani Quotes In Hindi

“वे लोग जो सपने देखने की ताकत रखते है। वे दुनिया को जितने की ताकत भी रखते है।”

“अंतिम तिथि से मिलना निश्चित ही अच्छा है। लेकिन उसे पराजित करना ही मेरी उम्मीद है।”

“लोगो के दिमाग को जानने की मेरी महत्वकांशा ही मेरी सफलता का रहस्य है।”

“जब मै स्कूल में था तब मैं सिविल गार्ड का एक सदस्य था। जो आज के NCC की तरह काम करता था। हमें उन अधिकारियो को सैल्यूट करना पड़ता था जो जीप में चक्कर लगाते थे। तभी मैंने सोच लिया था की एक दिन मै भी जीप में चक्कर लगाउँगा और लोग मुझे सैल्यूट करेंगे।”

Dhirubhai Ambani Quotes
Dhirubhai Ambani Quotes

“बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे की सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है।”

“रिलायंस में सफलता की कोई सीमा नहीं है। मैं हमेशा अपना सपने दोहराता रहता हूँ। सपने देखकर ही आप उन्हें पूरा कर सकते हैं।”

“नए उद्यमियो को मेरी यह सलाह होंगी की, कठनाइयो के रूप में हार को स्वीकार न करे, नकारात्मक सोचकर चुनौतियों को स्वीकार ना करे, खुद पर भरोसा रखे और आगे बढ़ते रहे।”

“हम भारतीयो में सबसे बड़ी ख़राब आदत यही है की हमने कुछ बड़ा सोचने की आदत खो दी है।”

Dhirubhai Ambani Thoughts gif

“ना ‘शब्द को मैं हमेशा अनसुना करता हु।”

“हमारी दृष्टी हवा में बहने वाली नही बल्कि कुछ पाने की होनी चाहिए।”

“हमारे स्वप्न विशाल होने चाहिए। हमारी महत्त्वाकांक्षा ऊँची होनी चाहिए। हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए और हमारे प्रयत्न बड़े होने चाहिए।”

“आपको मुनाफा कमाने के लिए किसी आमंत्रण की जरुरत नही होनी चाहिए।”

Dhirubhai Ambani ke anmol vachan

“आप गरीब पैदा हुए तो इसमें आपका कोई दोष नहीं लेकिन अगर आप गरीब मरे तो इसमें जरूर आप ही का दोष है।”

“नए उद्यमियो की सफलता ही भारतीय उद्योग के विकास की चाबी है।”

“अपने लक्ष्य को कठनाइयो के रूप में स्वीकार करे, और कठनाइयो को अवसर में परिवर्तित करे।”

Dhirubhai Ambani Quotes on time
Dhirubhai Ambani Quotes

“समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है। मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ।”

“Burmah Shell जैसी कंपनी स्थापित करने का मेरा सपना है।”

“हा, मै भगवान पर भरोसा रखता हु, लेकिन मै कभी रोज पुजा नहीं करता। मेरा कोई गुरु भी नहीं है। एक बात है, किस्मत, कोई चीज़ है।”

“एक दिन धीरुभाई चला जायेंगा। लेकिन रिलायंस के कर्मचारी और शेयर धारक इसे चलाते रहेंगे। रिलायंस अब एक विचार है, जिसमे अम्बानियो का कोई अर्थ नहीं है।”

Dhirubhai Ambani Quotes In Hindi

“उत्प्रेरित जनशक्ति सबसे महत्वपूर्ण बात है।”

“मै अपने आप को रास्ता धुंडने वाला समझता हु। मै जंगलो को भी खोदकर वहा दूसरो के लिए रास्ते बनाना चाहता हु। मै चाहे जो भी करू मै उसमे हमेशा सर्वोच्च बनना चाहता हु।”

“मेरा सबसे बड़ा संकल्प यही है की मै कम से कम कीमत में अच्छी से अच्छी गुणवत्ता का निर्माण करू।”

जरुर पढ़े: मुकेश अंबानी की जीवनी – Mukesh Ambani Biography

धीरूभाई अंबानी के सफलता के सूत्र
Dhirubhai Ambani Quotes

“आपको कुछ अच्छा कमाने के लिए, जोखिम उठानी ही पड़ेंगी।”

“हमारी प्रणाली और दूसरो की प्रणाली में कोई फरक नहीं है – फरक है तो सिर्फ हमारी प्रेरणा और समर्पण में, जो दूसरो से कई ज्यादा है।”

“धार्मिक रीती-रिवाजो पर मेरा जरा भी विश्वास नहीं। मै आर्य समाज के वातावरण में पला-बढ़ा हु जिसने हमें शून्य-रिवाजो के बारे में सिखाया है। पुजा करनी चाहिये लेकिन साधारण, सहज और संक्षिप्त।”

“तंत्रज्ञान से भी आगे खेलने की कोशिश करे। आने वाले कल से भी आगे जाने की कोशिश करे।”

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“कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोडिये और विपत्ति को अवसर में बदलीये।”

“टैक्स (कर) ये हमेशा गरीब और मुर्ख लोगो के लिए होता है।”

“मैंने भारत के एक महान आर्थिक अतिशक्ति बनने का सपना देखा है।”

“क्या पैसे कमाना मुझे उत्तेजित करता है? नहीं, मै अपने शेयरहोल्डरो के लिए पैसे कमाता हु। कुछ कठिन (बड़ा) करना ही मुझे मेरी उपलब्धि के लिए उत्तेजित करता है।”

धीरूभाई अंबानी सुविचार

“मेरा इस बात पर पूरा विश्वास है की भारतीयो में दुनिया से मुकाबला करने की काबिलियत है।”

“सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। व्यापार करना मेरा शौक है। इसका मुझपर कोई बोझ नहीं है। किसी भी हालत में आज रिलायंस मेरे बिना भी चल सकती है।”

“हम से से हर एक के पास महत्वकांक्षा और लोगो के दिमाग को समझने की ताकत होनी चाहिये।”

“मै काम करना कभी नहीं छोडूंगा। मै अपनी आखरी सांस तक काम करते रहूँगा। मेरी सेवानिवृत्ति दाह संस्कार के मैदान पर ही होंगी।”

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“यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी।”

“आपको हमेशा कुछ बेहतरीन करते रहना चाहिये। कभी गुणवत्ता के साथ समझौता न करे। भारत में ही नही बल्कि पुरे विश्व में अगर में बेहतरीन ना मिले तो उसे अस्वीकार कर देना चाहिये।”

“रिलायंस की सफलता भारत की क्षमता, यहाँ के लोगो की योग्यता और नए उद्यमियों के सामर्थ्य, इंजिनियर, मेनेजर और मजदूरो पर निर्भर करती है।”

“हम अपने शासको को नहीं बदल सकते। पर जिस तरह वो हम पे शासन करते है, उसे जरुर बदल सकते है।”

Dhirubhai Ambani Quotes in Hindi

“युवाओं को एक अच्छा माहोल दीजिये। उन्हें प्रेरित कीजिये। उन्हें जो सहयोग चाहिए वो दीजिये। उसमे से हर एक आपार उर्जा का श्रोत है। वो सपने देखकर उन्हें पूरा कर सकते हैं।”

“अगर आप भौकने वाले कुत्तो को पत्थर मारो तो आप अपने लक्ष्य तक कभी नहीं पहोच सकते।अच्छा होंगा की आप उन्हें बिस्कुट डालो और आगे बढ़ो।”

“आप अपने शासक को कभी नही बदल सकते। लेकिन हम अपने शासक के रास्तो को जरूर बदल सकते है।”

“कभी हार न माने, हिम्मत ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।”

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“अपने विचारो को पिछड़ा रखने की बजाये, अपने विचारो को उच्च रखे। तभी अंत में आपको सफलता मिलेंगी।”

“हम लोगो पर अपना दाँव लगा सकते है।”

“एक विश्वासु उद्यमशीलता सिर्फ और सिर्फ जोखिम उठाने से ही आ सकती है।”

जरुर पढ़े: अनिल अंबानी की जीवनी – Anil Ambani Biography

धीरूभाई अंबानी के प्रेरणादायक विचार

“यदि आप अपने सपनो को साकार नही कर सकते। तो कोई और आपको उनके सपने साकार करने के लिए खरीद लेंगा।”

“जब तक आप सपने देख सकते हो। तभी तक आप कुछ कर सकते हो।”

“अक्सर लोग मौको को किस्मत का परिणाम समझते है। मै विश्वास रखता हु की मौके हम सभी के आस-पास है। कुछ लोग उसे हासिल कर लेते है। वही दूसरे खड़े होकर उसे जाने देते है।”

“मेरे भूतकाल, वर्तमान और भविष्य के बीच एक आम बात है: रिश्ते और विश्वास। यही हमारे विकास की नीव हैं।”

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“यदि आपको अपने चुने हुए रास्ते पर विश्वास है। इस पर चलने का साहस है और मार्ग की हर कठिनाई को जितने की शक्ति है। तो आपका सफल होना निश्चित है।”

“सबसे महत्वपूर्ण बाहरी वातावरण भारत की सरकार है। आपको अपने उपाय (विचार) सरकार को बेचने होंगे। अपने विचारो को सरकार को बेचना बहुत जरुरी है। और इसके लिए मै सरकार में किसी से भी मिल सकता हु। मै किसी को भी सलाम कर सकता हु। एक चीज जो कभी आपको नहीं मिलेंगी, वह है ‘अहंकार’।”

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क्रिसमस डे पर निबंध – Christmas Essay in Hindi

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Christmas Essay in Hindi

क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगों का मुख्य त्योहार है, जिसे हर साल 25 दिसंबर को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। ईसा मसीह के जन्म की खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है।

इस दिन चर्च में बेहद खास तरीके की सजावट की जाती हैं। इस दिन लोगो एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते हैं, गले मिलते हैं और उनके सुखी जीवन की कामना करते हैं।

इसके साथ ही इस दिन गिफ्ट देने और केक काटने की भी परंपरा है। वहीं क्रिसमस का पर्व अब न सिर्फ ईसाई धर्म मानने वाले लोगों के लिए बेहद खास है, बल्कि इस पर्व को सभी धर्मों के लोगों द्धारा धूमधाम से मनाया जाता है।

इसके साथ ही क्रिसमस के त्योहार का हर बच्चे को पूरी साल बेसब्री से इंतजार रहता है। इस पवित्र त्योहार के महत्व, इतिहास एवं इससे जुड़ी परंपरा एवं मान्यताओं से लोगों को अवगत करवाने के लिए क्रिसमस के त्योहार पर बच्चों को स्कूलों में अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर क्रिसमस पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Christmas Essay in Hindi

क्रिसमस डे पर निबंध – Christmas Essay in Hindi

प्रस्तावना

ईसाई धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक क्रिसमस के त्योहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को ईसाई धर्म के लोग अपने ईस्ट देवता ईसा मसीह के जन्मोत्सव के रुप में मनाते हैं।

वहीं 25 दिसंबर, साल का सबसे बड़ा दिन भी होता है। इस त्योहार को देश-विदेश में अपनी-अपनी रीति-रिवाज और परंपरा के साथ मनाया जाता है। वहीं इस त्योहार पर क्रिसमस ट्री सजाने, केक काटने, चर्च जाने एवं सांता क्लॉज द्धारा उपहार देने का अपना एक अलग महत्व है।

क्रिसमस क्यों और कब मनाया जाता है ? – Why We Celebrate Christmas

क्रिसमस के पर्व का ईसाई धर्म के लोगों के लिए खास महत्व होता है। इस पावन पर्व को हर साल 25 दिसंबर के दिन यीशु मसीह के जन्मोत्सव के रुप में पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

ईसाई धर्म की धार्मिक पुस्तक बाइबिल के अनुसार माता मरियम के गर्भ से इसी दिन ईसा मसीह के जन्म हुआ था। हालांकि, ईसा मसीह की जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग विद्धानों के अलग-अलग मत दिए गए हैं।

ईसामसीह ने अपना पूरा जीवन दूसरों की भलाई और उद्दार में लगा दिया और लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी, उन्हें लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाने वाला मुक्तिदाता और उद्धारक के रुप में भी जाना जाता है।

वहीं ईसामसीह ने कई ऐसे चमत्कार किए जिसकी बदौलत उन्हें ईश्वर के दूत ही नहीं बल्कि ईश्वर की संज्ञा दी गई, इसलिए उनके जन्म दिवस को क्रिसमस के रुप में मनाया जाने लगा।

वहीं इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी, प्राइवेट ऑफिस आदि बंद रहते हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि क्रिसमस के पवित्र दिन से  12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है।

क्रिसमस का महत्व – Importance Of Christmas

क्रिसमस का ईसाइयों के लिए बेहद खास महत्व है। क्रिसमस के त्योहार को भी अन्य त्योहार की तरह मनाया जाता है। क्रिसमस का पावन पर्व प्रेम, सदभाव और आपसी भाईचारे का प्रतीक है।

ईसाई धर्म के लोग इस पर्व को बेहद खास तरीके से मनाते है, वे लोगो क्रिसमस पर्व को खास तरीके से मनाने के लिए इस पर्व की तैयारी के लिए कई दिन पहले से जुट जाते हैं।

क्रिसमस पर्व का इतिहास – Christmas History

हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस पावन पर्व क्रिसमस का इतिहास ईसा मसीह के जन्मोत्सव से जुड़ा हुआ है। ईसाई धर्म की धार्मिक एवं पवित्र पुस्तक बाइबिल में इस बात का जिक्र है कि मरियम नाम की एक कुंवारी कन्या के पास भगवान ने अपना एक दूत भेजा और उन्हें यीशु मसीह के जन्म के बारे में बताया।

वहीं ईसामसीह के जन्म के बारे में पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी गई थी कि धरती पर एक ऐसा युग पुरुष जन्म लेगा, जो बड़ा होकर एक प्रभावशाली राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी और वह दुनिया का उद्धार करने वाला उद्दारक, कष्टनिवारक एवं सहीमार्गदर्शक होगा।

इसके बाद जब इजराइल में बेथहेलम में माता मरियम की गर्भ से एक गौशाला में यीशु मसीह ने जन्म लिया तो उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। जिसके बाद से  उनके जन्मोत्सव के दिन को क्रिसमस पर्व के रुप में मनाया जाने लगा।

क्रिसमस से सांता क्लॉज का कनेक्शन? – Why Santa Claus Comes On Christmas

क्रिसमस का पर्व सांता क्लॉज से विशेष रुप से जुड़ा हुआ है। कई बच्चे तो पूरी साल क्रिसमस के पर्व का सिर्फ इसलिए इंतजार करते हैं कि लाल और सफेद  ड्रेस में लंबी दाड़ी वाले सांता क्लॉज आएंगे और उन्हें ढेर सारे गिफ्ट देंगे और उनकी विश पूरी करेंगे। सांता को क्रिसमस का फादर के रुप में भी जाना जाता है।

आपको बता दें कि संत निकोलस (Saint Nicholas) को सांता का जनक माना जाता है। संत निकोलस की प्रभु ईसा-मसीह में गहरी आस्था थी और उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था।

संत निकोलस बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें उनके मनपसंद गिफ्ट्स देते थे, जिसके चलते उनके प्रति लोगों के मन में अत्याधिक प्रेम और सम्मान था। उनके बाद से ही सांता क्लॉज की कल्पना की जाने लगी।

हालांकि, सांता क्लॉज का यीशुमसीह के जन्मदिन से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी आज सांता क्लॉज क्रिसमस पर्व का एक अहम हिस्सा है। सांता क्लॉज के के बिना क्रिसमस पर्व अधूरा है।

वहीं आजकल स्कूलों में भी क्रिसमस के पर्व पर बच्चों के सांता क्लॉज की वेष में बुलाते हैं, और उन्हें चॉकलेट दी जाती है।

इसके साथ ही क्रिसमस और सांता क्लॉज को लेकर कई गाने भी बने हुए हैं, जो कि क्रिसमस की रौनक और खुशियों को और ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं।

क्रिसमस में क्रिसमस ट्री का महत्व – Importance Of Christmas Tree

ईसाईयों के इस पावन पर्व क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री का खास महत्व होता है। क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री को खास तरीके से सजाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। इस दिन लोग सदाबहार के पेड़ को खास तरीके से लाइटिंग कर सजाते हैं।

क्रिसमस ट्री को सुखी जीवन एवं जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। इसके बारे में यह कहा जाता है कि क्रिसमस ट्री को खास तरीके से सजाने से  बच्चों की उम्र लंबी  होती  है। इसलिए क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाने लगा है।

इसके अलावा क्रिसमस ट्री को सजाने को लेकर एक धार्मिक एवं प्राचीन कथा के मुताबिक जब जीजस ने धरती पर अपना अवतार लिया था, तब सभी देवी-देवताओं ने अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए सदाबहार के पेड़ को बेहद खास तरीके से सजाया था।

उसी समय से क्रिसमस के पर्व पर  क्रिसमस ट्री खास तरीके से सजाने की परंपरा प्रचलित हो गई।

कैसे मनाते हैं क्रिसमस का पर्व – How To Celebrate Christmas

इस प्रेम और सौहार्द के पावन पर्व क्रिसमस को लेकर खासकर ईसाई धर्म के लोगों में कफी उत्साह रहता है। इसलिए इस पर्व को बेहद खास बनाने के लिए लोग इस पर्व की तैयारी काफी दिनों पहले से ही कर लेते हैं।

इस मौके पर लोग केक काटते हैं, एक-दूसरे को ग्रीटिंग्स कार्ड चॉकलेट एवं गिफ्ट देते हैं। इसके साथ ही क्रिसमस की बधाई देकर एक-दूसरे की सुखी जीवन की कामना करते हैं। इस मौके पर सभी चर्चों की बेहद खास तरीके से साजवट की जाती है।

क्रिसमस के दिन लोग गिरिजाघरों में जाते हैं और कैंडल जलाकर प्रेयर करते हैं। वहीं अलग-अलग जगहों पर क्रिसमस के पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

उपसंहार

क्रिसमस का पर्व भाईचारा, प्रेम, खुशी सोहार्द का पर्व है, जो कि हम सभी लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने का संदेश देता है। इसके साथ ही यह पर्व सभी लोगों के जीवन को खुशियों से भर देता है और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

वहीं इस दिन लोग ईसामसीह के उपदेशानुसार दीन-दुखियों एवं जरूरतमंदों की सहायता करने का संकल्प लेते हैं एवं दरियादिली ईसामसीह के बताए गए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा लेते हैं।

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अमिताभ बच्चन के जबरदस्त 21+ सुविचार

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Quotes By Amitabh Bachchan In Hindi

भारत के सर्वश्रेष्ठ कलाकार के चाहते सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाभर में है… आज अमिताभ बच्चन सबसे लोकप्रिय कलाकार के लिस्ट में एक नंबर पर है… उनका निजी जीवन भी बहुत साधारण और प्रेरणादायक है… इस महान कलाकार के कुछ सुविचार आपके लिये….

अमिताभ बच्चन के सुविचार – Quotes By Amitabh Bachchan In Hindi

“यह एक रणक्षेत्र हैं, मेरा शरीर, जिसने बहुत कुछ सहा हैं।

Amitabh Bachchan Quotes

“असल में मैं बस एक अभिनेता हूँ, जो अपने काम से प्यार करता हैं और उम्र के बारेमें ये सब बातें केवल मिडिया में पनपती हैं।

Amitabh Bachchan Quotes in Hindi

“मैं किसी तकनीक का प्रयोग नहीं करता, मैं अभिनय करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया, मैं बस फ़िल्मों में काम करना पसंद करता हूँ।

Frankly I’ve never really subscribed to these adjectives tagging me as an ‘icon’, ‘superstar’, etc. I’ve always thought of myself as an actor doing his job to the best of his ability.

“सच कहूँ तो मैं कभी “आइकन”, “सुपरस्टार” इत्यादि विशलेषण के चक्कर में नहीं पड़ा। मैं हमेशा ख़ुद को एक अभिनेता के रूप में देखता हूँ जो अपनी काबिलियत के अनुसार जितना अच्छा कर सकता हैं कर रहा हैं।

The select group of people who do make realistic cinema, who do make cinema perhaps a little more acceptable to the Western audience, is a very small percentage.

“जो थोड़े बहुत लोग यथार्थवादी सिनेमा बनते हैं, जो ऐसा सिनेमा बनते हैं जो शायद पश्चिमी दर्शकों को अधिक स्वीकार्य हैं, वे बहुत काम हैं।

Dearest TV media and vans outside my home, please do not stress and work so hard.

“प्रिय टीवी मिडिया और मेरे घर के बाहर खड़ी वैन्स, कृपया इतना तनाव मत लीजिये और इतनी कड़ी मेहनत मत कीजिये।

Quotes By Amitabh Bachchan

“मुझे कभी कभी इस तथ्य से दुःख होता हैं की मेरे पास एक पूर्ण और निरोग शरीर नहीं हैं।

I have never really been confident about my career at any stage.

“मैं कभी भी अपने करिअर को लेकर आश्वस्त नहीं रहा।

More Added Quotes By Amitabh Bachchan In Hindi

Amitabh Bachchan Inspirational Quotes

“जो फिल्म में दीखते है हम वो लोग नही होते है। मै शराबी नही हु। लेकिन मुझे वैसा दर्शाना पड़ा। असल जिंदगी में मै कभी एकसाथ 20 लोगो को नही मार सकता। मै सिर्फ उन्हें फिल्मो में ही सही तरह से कर सकता हु।”

Quotes of Amitabh Bachchan in Hindi

“साधारणतः मै सिर्फ एक कलाकार हु जिसे अपने काम से प्यार है और एक कलाकार के लिये उसकी उम्र कोई मायने नही रखती।”

Quotes By Amitabh Bachchan

“असल में मुझमे कुछ नही, यह केवल प्रेजेंटेशन ही है जिससे मै अपने दृश्य में सही दीखता हु। और मै यह क्यों करता हु? ये उसी की उसी तरह होगा जैसे मै सांस क्यों लेता हु? पूछना।”

Amitabh Bachchan Quotes on Life

“भारतीय सिनेमा को सेलिब्रेट करते समय सभी कलाकारों का एकसाथ होना काफी गर्व की बात होगी।”

Quotes of Amitabh Bachchan

“मेरे साथ काम करते समय जूनियर कलाकार क्यों इतना डरते है, जबकि मेरी परिस्थिती भी ठीक उन्ही की तरह होती है।”

Amitabh Bachchan Dialogue in Hindi

“मैंने पैसो को लेकर कभी किसी से बहस नही की क्योकि मै जानता हु की ये कोई मायने नही रखते।”

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More Quotes Collection:  Quotes In Hindi

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जिंदगी बदलेगे चाणक्य के 21+ सुविचार

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Chanakya Quotes

शिक्षा ही एक ऐसी संपत्ति है जिसे आपसे कोई चुरा नही सकता। इसीलिए आपके पास जितना भी ज्ञान है उसपर गर्व करे और ज्यादा से ज्यादा सिखने की कोशिश करे। हर दिन कुछ नया सिखने की कोशिश करे और अपने ज्ञान को बढ़ाये।

चाणक्य हमेशा कहते है की यदि मनुष्य शिक्षित है तो वह हर जगह इज्ज़त पाता है। चाणक्य के निचे दिये हुए कुछ हिंदी सुविचार आपको पर्याप्त प्रेरणा दे सकते है। यह सुविचार चाणक्य की चाणक्य नीति से लिया गया है। ये आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लायेंगे।

जिंदगी बदलेगे चाणक्य के सुविचार – Chanakya Quotes In Hindi

Chanakya Niti Quotes

“जब कोई सजा थोड़े मुआवजे के साथ दी जाती है, तब वह लोगो को नेकी करने के लिए निष्टावान एवम पैसे और ख़ुशी कमाने के लिए प्रेरित करती है।

व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है। और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है। और वह अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है।

Chanakya Leadership Quotes

“भाग्य उनका साथ देता है, जो हर संकट का सामना करके भी अपना लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहते हैं।

भगवान मूर्तियों में नहीं है, आपकी अनुभूति ही आपका इश्वर है और आपकी आत्मा ही आपका मंदिर है।

Chanakya Quotes in Hindi

“सिंह से सीखो – जो भी करना जोरदार तरीके से करना और दिल लगाकर करना।

इस बात को कभी व्यक्त मत होने दीजिये की आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ़ रहिये।

Chanakya Niti for Motivation

“जो लोगो पर कठोर से कठोर सजा को लागू करता है। वो लोगो की नजर में घिनौना बनता जाता है, जबकि नरम सजा लागू करता है। वह तुच्छ बनता है। लेकिन जो योग्य सजा को लागू करता है वह सम्माननीय कहलाता है।

जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को यदि आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है। उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार बर्बाद कर देता है।
Chanakya Quotes on King

“बुद्धिमान व्यक्ति का कोई भी शत्रु नहीं होता।

वह जो भलाई को लोगो के दिलो में सभी के लिए विकसित करता चला जाता है। वह आसानी से अपने लक्ष्य प्राप्ति के एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है।

Chanakya image

“आलसी मनुष्य का वर्तमान या भविष्य नहीं होता।

उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये सारे जन्मजात गुण ही होते है।

Chanakya Niti Love

“सभी प्रकार के भय में से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता हैं।

किसने यह सिद्ध किया की सारी ख़ुशी ही इच्छा है? सब कुछ उस भगवान के हातो में है। इसीलिए हम में से हर एक को जो है उसी में संतुष्ट होना चाहिये।

“जिस तरह गाय का बछड़ा हजारो गायो में अपनी माँ के पीछे जाता है। उसी तरह मनुष्य के कर्म भी मनुष्य के ही पीछे जाते है।

Chanakya Thoughts In Hindi

Chanakya Quotes on Life

“दुसरो की गलतियों से सीखो, अपने ही अनुभव से सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ जाएँगी।

इस धरती पर तीन रत्न है, अनाज, पानी और मीठे शब्द – मुर्ख लोग पत्थरो के टुकडो को ही रत्न समझते है।

“वह जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को अपनाता है वह उस राजा के सामान है जो अच्छे रास्ते को छोड़कर दुराचारी रास्ते को अपनाता है।

Chanakya Quotes on Love

“हर एक दोस्ती के पीछे अपना खुदका का स्वार्थ छिपा होता है। स्वार्थ के बिना कभी कोई दोस्ती नहीं होती। ये एक कटु सत्य है।

कोई भी काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मै ये क्यों कर रहा हु, इसके परिणाम क्या हो सकते है और क्या मै सफल होऊंगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाये तभी आगे बढ़ना।

“गरीबी, बीमारी, दुःख, कारावास और दुसरे पाप ये हमारे खुद के गुनाहों का ही फल है।

Chanakya Quotes on Politics

“मूर्खों से तारीफ सुनने से बुद्धिमान से डाट सुनना ज्यादा बेहतर हे।

जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मृत्यु आपके वश में होंगी। लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिये, क्योकि जब मृत्यु पास होंगी तब आप क्या करोंगे?

Best Chanakya Quotes Collection in Hindi from Chanakya Niti

“व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है और वह अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है।

Chanakya Quotes on Success

“व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर उठता हैं, उच्ये स्थान पर बैठने से नहीं।

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत युवाशक्ति और महिला की सुंदरता है।

“संतुलित दिमाग के बराबर कोई स्टारफिश नहीं और संतोष के सामान दूसरी कोई ख़ुशी नहीं, उसी प्रकार लालच के समान कोई और बीमारी नही और दया के समान दूसरा कोई गुण नहीं।

Chanakya Status Hindi

“इतिहास गवाह हैं की, जितना नुकसान हमें दुर्जनो की दुर्जनता से नहीं हुआ, उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ।

शिक्षा इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है। एक शिक्षित इंसान हर जगह सम्मान पाता है। शिक्षा सुन्दरता को भी पराजित कर सकती है।

“उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहुत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती।

Chanakya Thoughts in Hindi

“जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये।

जमा पूंजी ये होने वाले खर्चो में से ही बचायी जाती है वैसे ही जैसे आनेवाल ताजा पानी, निष्क्रिय पानी को बहाकर बचाया जाता है।

“भले ही साप जहरीला क्यू ना हो, तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिये।

Chanakya Thoughts

“नौकर को बाहर भेजने पर, भाई बंधू को संकट के समय, दोस्तों को विपत्ति में और अपनी स्त्री को धन का नष्ट हो जाने पर ही परखा जा सकता हैं।

हंस वही रहते है जहा पानी हो, और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म हो गया हो। क्यू ना ऐसा इंसान भी करे – प्रेमपूर्वक आये और प्रेमपूर्वक जाए।

“एक इंसान कभी इमानदार नहीं हो सकता। सीधे पेड़ हमेशा पहले काटे जाते है और इमानदार लोग पहले ही ढीले (मरियल) होते है।

Chanakya Vachan

“कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।

उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती।

“एक बार यदि आपने कोई काम करना शुरू कर दिया, तो असफलता से मत डरिये। जो लोग इमानदारी से काम करते है वे हमेशा खुश होते है।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन – Civil Disobedience Movement

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Savinay Avagya Andolan

Civil Disobedience Movement

सविनय अवज्ञा आंदोलन – Civil Disobedience Movement in Hindi

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत – Civil Disobedience Movement Started In

महात्मा गांधी जी द्धारा साल 1930 में ब्रिटिश हूकुमत से भारतीयों को स्वतंत्रता दिलवाने के लिए यह आंदोलन शुरु किया गया था। यह आदोंलन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाए गए एक बड़े जनआंदोलनों में एक था।

साल 1929 में लाहौर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से पूर्ण स्वराज की मांग की थी।

लेकिन ब्रिटिश सरकार ने जब उनकी मांगे नहीं मानी तब गांधी जी ने स्वाधीनता प्राप्ति की मांग पर जोर देने के लिए 12 मार्च, 1930 को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ इस आदोंलन की शुरुआत कर दी। महात्मा गांधी जी ने इस जनआंदोलन की शुरुआत 12 मार्च, 1930 को दांडी यात्रा के साथ की।

इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्धारा बनाए गए नमक कानून को तोड़ना था, इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार के आदेशों की अवेहलना करना था।

दरअसल, उस समय ब्रिटिश सरकार ने नमक अधिनियम के तहत भारतीयों के आहार में नमक एकत्र करने एवं इसे बेचने पर पूरी तरह बैन लगा दिया था एवं ब्रिटिश सरकार ने नमक बनाने पर अपना एकाधिकार कर कस्टम ड्यूटी यानि कि आबकारी कर लगा दिया था, जिससे अंग्रेजों का खजाना तो बढ़ता गया, लेकिन नमक पर कर लगने से भारतीयों को काफी नुकसान हुआ।

इसके बाद गांधी जी ने ब्रिटिश कानून के इस नमक अधिनियम को अहिंसक तरीके से तोड़ने का तरीका अपनाया। दरअसल, उस समय नमक का मुद्दा हर भारतीय से जुड़ा था एवं गरीब किसानों का प्रभावित कर रहा था।

इसलिए नमक जैसी रोज में इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तु पर कर लगाने के विरोध में किए गए आंदोलन से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बड़े स्तर पर भारतीयों का समर्थन हासिल किया जा सकता था।

इसलिए नमक को सबसे सशक्त एवं सर्वमान्य मुद्दा मानते हुए गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पूर्ण स्वराज प्राप्ति के उद्देश्य से सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ दिया।

दांडी यात्रा से हुई सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत – Why Was Civil Disobedience Movement Launched

महात्मा गांधी जी ने अपने इस जनआंदोलन की शुरुआत  12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ दांडी की पैदल यात्रा के साथ की।

गांधी जी अपने समर्थकों के साथ अरब सागर के पास बसे दांडी के लिए करीब 241 मील की यात्रा पर निकल पड़े और उन्होंने करीब 24 दिनों में अपनी यह पदयात्रा पूरी की और 5 अप्रैल को दांडी पहुंचे।

इसके बाद 6 अप्रैल को महात्मा गांधी जी ने समुद्रतट में नमक बनाकर ब्रिटिश हुकूमत के नमक अधिनियम का उल्लंघन किया और ब्रिटिश शासकों के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया।

दरअसल, ब्रिटिश सरकार विदेश से आयात नमक को भारत में बेचकर लाभ कमाना चाहती थीं, लेकिन गांधी जी समुद्र के किनारे भारतीयों द्धारा नमक बनाना अपना मौलिक अधिकार मानते थे, इसलिए उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ समुद्र के किनारे जाकर खुद नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काम किया, और यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।

गांधी जी के इस नमक सत्याग्रह के तहत सभी देशवासियों को खुलेआम ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन कर अवैध रुप से एवं अहिंसक तरीके से नमक बनाने की छूट दे दी गई, लेकिन इस दौरान ब्रिटिश पुलिस ने नमन बनाने वाले आंदोलनकारियों पर लाठी बरसाकर इस आंदोलन को हिंसक बना दिया, इसमें करीब 300 लोग बुरी तरह घायल हो गए।

इसके बाद गांधी जी समेत कई लोगों की गिरफ्तारी हुईं, हालांकि गिरफ्तारी के बाद भी देश की जनता ने इस आंदोलन को जारी रखा था।

हालांकि, बाद में गांधी जी की रिहाई के बाद कुछ शर्तों के तहत गांधी जी और लॉर्ड इरविन के बीच समझौता किया गया और फिर इस आंदोलन को बंद किया गया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत होने वाली गतिविधियां –

गांधी जी के द्धारा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाए गए नमक सत्याग्रह आंदोलन में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी भागीदारी निभाई। इसके तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों ने जनसमूह बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत लोगों ने निम्नलिखित गतिविधियों को अंजाम दिया, जो कि इस प्रकार है-

  • इस आंदोलन के तहत नमक कानून का उल्लंघन कर खुद के द्धारा नमक बनाए जाने का फैसला लिया।
  • भारत में सभी देशवासियों ने अपने बच्चों को सरकारी नीतियों एवं सरकारी कार्यालयों का जमकर बहिष्कार किया। सरकारी नौकरी करने वाले भारतीय कर्मचारियों ने दफ्तर जाना छोड़ा दिया।
  • इस दौरान लोगों द्धारा सरकारी उपाधियों, सरकारी शिक्षाओं एवं सरकारी सेवाओं का जमकर उल्लंघन किया गया। भारतीयों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजना बंद कर दिया, ताकि अंग्रेजों को भारतीयों की एकता की ताकत समझ आ सके एवं भारतीयों की गुस्सा से उन्हें इस बात का एहसास हो सके कि अब उनका शासन भारत पर ज्यादा दिन तक नहीं चल सकेगा।
  • इस आंदोलन के तहत देश के सभी नागरिकों ने ब्रिटिश शासकों को किसी भी तरह का टैक्स देने से मना कर दिया एवं ब्रिटिश सरकार की नीतियों का उल्लंघन किया।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत बड़ी संख्या में महिलाओं द्धारा विदेशी शराब, अफीम एवं अन्य नशीले पदार्थों का विरोध किया गया और विदेशी कपड़े की दुकानों पर जाकर धरना-प्रदर्शन किया गया।
  • गांधी जी के इस आंदोलन के दौरान भारतीय लोगों द्धारा विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी कपड़ों का पूरी तरह बहिष्कार किया गया एवं विदेशी वस्तुओं को जलाकर नष्ट किया गया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य कारण – Causes Of Civil Disobedience Movement

ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गांधी जी द्धारा सविनय अवज्ञा आंदोलन  को शुरु करने के निम्नलिखित कारण थे, जो कि इस प्रकार हैं-

  • साल 1929 में कांग्रेस के अधिवेशन में जब नेहरू और गांधी जी की पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव को ब्रिटिश सरकार द्धारा अस्वीकृत कर दिया था, ऐसी स्थिति में भारतीयों के पास आंदोलन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था, इसलिए पूर्ण स्वराज को लेकर गांधी जी ने ब्रिटिशों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ दिया था।
  • देश में आर्थिक मंदी और चीन की क्रान्ति के प्रभाव ने दुनिया के कई अलग-अलग देशों में क्रांति पैदा कर दी थी एवं किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी, जिसके चलते भारत की जनता में ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया था। वहीं गांधी जी ने समय की नजाकत को समझते हुए लोगों के इस आक्रोश को सविनज्ञ अवज्ञा आंदोलन छेड़ दिया।
  • हिन्दुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने के लिए उन्हें हिन्दुस्तानियों की ताकत का एहसास करवाना जरूरी था, ऐसे में सामूहिक रुप से शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों के बनाए कानूनों को तोड़ने से अंग्रेज सरकार पूरी तरह हिल गई थी।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य प्रभाव – Effects Of Civil Disobedience Movement

  1. गांधी जी द्धारा चलाए गए इस सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिट्रिश सरकार को भारतीयों की शक्ति का एहसास करवा दिया था। यहां तक की इस आंदोलन के बाद ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में आने का भी निमंत्रण दिया था, जो कि भारतीयों के लिए काफी बड़ी बात थी। हालांकि, वे लोग इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे।
  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान देश की महिलाओं ने भी बड़े स्तर पर अपनी भागीदारी निभाई थी। यह एक ऐसा पहला आंदोलन था, जब महिलाओं ने पहली बार घरों से निकलकर देश की आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था, इस आंदोलन के दौरान कई हजार महिलाओं को जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी थी।
  3. इस आंदोलन के बाद ही देश की स्वाधीनता के प्रति सभी भारतीयों के मन में एक आशा की किरण जाग गई थी।
  4. महात्मा गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद सभी भारतीय अपने हक के लिए निडर होकर खड़े हुए थे।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के असफल होने के प्रमुख कारण – Why Civil Disobedience Movement Failed

  • इस आंदोलन का भारतीयों पर व्यापक प्रभाव पड़ा था, बड़े स्तर पर लोग इस आंदोलन के भागीदार बने थे। इसके माध्यम से ब्रिटिश सरकार की नींव भी कमजोर पड़ गई थी, लेकिन इस आंदोलन के तहत कांग्रेस ने जनसमूह का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया और न ही उन्हें सही दिशा दी। जिसके चलते इस आंदोलन का असर धीमे-धीमे खत्म होने लगा था।
  • गांधी जी द्धारा शुरु किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन से व्यापारी वर्ग एवं मुस्लिम समुदाय धीमे-धीमे पीछे हट गए थे।

करीब 10 महीने तक दो चरणों में चले गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन लोगों के अंदर ब्रिटिश सरकार के प्रति और अधिक नफरत एवं आक्रोश भरने के लिए जाना जाता है। वहीं इस आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त करने के लिए गांधी और लॉर्ड इरविन के बीच साल 1931 में एक एक समझौत भी हुआ।

वहीं इस दौरान भगत सिंह समेत देश के कई महान क्रातिकारियों को फांसी होने वाली थी। हालांकि, गांधी जी ने इस समझौते के तहत भगत सिंह की फांसी नहीं रोकी, जिससे कई जगह लोगों ने गांधी जी के प्रति अपना गुस्सा भी जताया। बहरहाल, गांधी जी के इस आंदोलन के बाद देश में हर भारतीय के मन में स्वाधीनता पाने की लहर और अधिक तेज हो गई थी।

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ओशो के सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक अनमोल विचार

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Osho quotes in Hindi

जिंदगी एक ही बार मिलती है, तो इसका पूरा आनंद क्यों न ले? निराशा से बाहर आये और जिन्दगी के हर एक पल को ख़ुशी से बिताये। जिंदगी के हर एक दिन को ऐसे जिये की वह तुम्हारा आखरी दिन हो और हर एक पल को ऐसे जिये जैसे वह आपका आखरी पल हो।

दोस्तों ओशो जी ने कहे हर एक शब्द में जिन्दगी समायी है, उनका हर एक अनमोल विचार जिन्दगी को पूरी आजादी के साथ जीने का उपदेश देता है, निचे ओशो सर्वश्रेष्ठ विचारों / Osho Quotes में से कुछ Gyani Pandit पर पब्लिश किये गये है, प्रेरणा और प्यार पर आधारित ओशो के ये विचार निश्चित ही आपको प्रेरित करने में सहायक होंगे।

ओशो के सर्वश्रेष्ठ विचार – Osho quotes in Hindi

Osho Quotes In Hindi With Image

“किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं हैं। आप स्वयं में जैसे हैं, एकदम सही हैं, ख़ुद को स्वीकारिये।

जब तक आदमी सृजन की कला नहीं जानता तब तक अस्तित्व का अंश नहीं बनता।

“एक राजा की तरह जिंदगी जिये।”

“जिंदगी कोई मुसीबत नही है बल्कि ये तो एक खुबसूरत तोहफा है।”

Osho Quotes on Smile

“मुर्ख दुसरों पर हसंते हैं, बुद्धिमता ख़ुद पर।

जीवन का कोई महत्त्व नही है। खुश रहो! फिर भी जीवन का कोई महत्त्व नही होंगा। नाचो, गाओ, झुमो! फिर भी जीवन का कोई महत्त्व नही होंगा। आपको विचारशील (Serious) बनने की जरुरत है। ये एक बहोत बड़ा मजाक होंगा।

“आधे-अधूरे ज्ञान के साथ कभी आगे ना बढे। ऐसा करने पर आपको लगेंगा की आप अज्ञानी हो, और अंत तक अज्ञानी ही बने रहोंगे।

“प्यार की सर्वश्रेष्ट सीमा आज़ादी है, पूरी आज़ादी। किसी भी रिश्ते के खत्म होने का मुख्य कारण आज़ादी का न होना ही है।”

“मेरे ज्ञान ने मुझे सभी चीजो से मुक्ति दिलवाई जिसमे स्वयम ज्ञान भी शामिल है।”

Osho Quotes in Hindi

“यंहा कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं हैं, हर कोई अपनी तक़दीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा हैं।

अज्ञानी बने रहना अच्छा है, कम से कम अज्ञान तो इसमें आपका होता है। ये प्रामाणिक है, यही सच, वास्तविकता और इमानदारी है।

“यदि आप प्यार से रहते हो, प्यार के साथ रहतो हो, तो आप एक महान जिंदगी जी रहे हो, क्योकि प्यार ही जिंदगी को महान बनाता है।

“प्यार तभी सच्चा होता है जब कोई एक दुसरे के व्यक्तिगत मामलो में दखल ना दे। प्यार में दोनों को एक-दुसरे का सम्मान करना चाहिये।”

Osho Quotes on Love

“जब मै ये कहता हु की तुम ही भगवान हो तुम ही देवी हो तो मेरा मतलब यह होता है की तुम्हारी संभावनाये अनंत है और तुम्हारी क्षमता भी अनंत है।

“प्यार एक पक्षी है जिसे आज़ाद रहना पसंद है। जिसे बढ़ने के लिए पुरे आकाश की जरुरत होती है।”

“कर्म नहीं बांधते, करता बांध लेता है, कर्म नहीं छोड़ता है, करता छुट जाये तो छुटना हो जाता है।

जो विचार के गर्भाधान के विज्ञान को समझ लेता है वह उससे मुक्त होने का मार्ग सहज ही पा जाता है।

“एक बार जब मै यात्रा कर रहा था तभी किसी ने मुझसे पूछा की इंसानी शब्दकोश में सबसे महत्वपूर्ण शब्द कोनसा है।मैंने नम्रता से जवाब दिया, “प्यार”।”

Osho Quotes on Friendship

“दोस्ती ही सबसे शुद्ध (बड़ा, निर्मल) प्यार है। प्यार करने का ये सबसे ऊँचा स्तर है जहा किसी भी परिस्थिती के लिए किसे से नही पूछा जाता, सिर्फ और सिर्फ एक दुसरे को खुशी दी जाती है।”

समर्पण तो वह करता है, जो कहता है की मेरे पास तो कुछ भी नहीं है, मै तो कुछ भी नहीं हु – जो दावा कर सकू की मुझे मिलना चाहिए। मै तो सिर्फ प्रार्थना कर सकता हु, मै तो सिर्फ चरणों में सिर रख सकता हु,मेरे पास देने को कुछ भी नहीं है।

“यदि आप खुद अपनी कंपनी का आनंद नही लेते हो, तो कोई और उस से आनंदित कैसे हो सकता है?

“आपके जैसा इंसान दुनिया में कभी नही होंगा, दुनिया में अभी आपके जैसा दूसरा इंसान कही नही है, और ना ही आपके जैसा कभी भविष्य में कोई होंगा।”

Osho Images Hindi

“अगर आप सच देखना चाहते हैं, तो ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।

वह इंसान जो अकेले रहकर भी खुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है। यदि आपकी ख़ुशी दूसरो पर निर्भर करती है तो आप एक गुलाम हो। अभी आप पूरी तरह से मुक्त नही हुए हो अभी आप बंधन (गुलामी) में बंधे हो।

“आत्महत्या आपको कही नही ले जाती, साधारणतः यह हमें हमारी चेतना (गर्भाशय) में छोटे रूप (स्तर) में ले जाती है। क्यू की आत्महत्या से ये साबित होता है की हम बड़े रूप (स्तर) में जीने के काबिल नही है।

मुझे आज्ञाकारी लोगो जैसे अनुयायी नही चाहिये। मुझे बुद्धिमान दोस्त चाहिये, जो यात्रा के समय मेरे सहयोगी हो।

Osho Shayari Hindi

“जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन हैं।

श्रेष्टता से सोचने वाला हमेशा तुच्छ कहलाता है, क्योकि ये एक ही सिक्के के दो पहलु है।

“वह इंसान जो भरोसा करता है वह जिंदगी में आराम करता है। और वह इंसान जो भरोसा नही करता वह परेशान, डरा हुआ और कमजोर रहता है।

“बुद्धि कभी भी एक सीमा में रहने से नही बढती, बुद्धि तो प्रयोगों से बढती है। बुद्धि हमेशा चुनौतियों को अपनाने से ही बढती है।”

“ये कोई मायने नही रखता है की आप किसे प्यार करते हो, कहा प्यार करते हो, क्यों प्यार करते हो, कब प्यार करते हो और कैसे प्यार करते हो, मायने केवल यही रखता है की आप प्यार करते हो।”

Osho Quotes in Hindi

“असली सवाल यह है की भीतर तुम क्या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करगे, उससे गलत फलित होगा। अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा।

“हमेशा सावधान रहे, अपने अंतकरण में झांके, आप पओंगे की आप नकारात्मक विचारो से जुड़े हो और ये नकारात्मक विचार आपका अहंकार ही है।”

“प्यार एक शराब है। आपने उसका स्वाद लेना चाहिये, उसे पीना चाहिये, उसमे पूरी तरह से डूब जाना चाहिये। तभी आपको पता चल पायेंग की वह क्या है।”

“जिस समय आपको आपके प्यार और आपके सच में से किसी एक को चुनना पड़ता है तब आपका सच ही आपके लिए निर्णायक साबित हो सकता है।”

Osho Quotes on Love Photo

“अपने भूतकाल का अनावश्यक बोझ ना रखे। केवल उन्ही विषयो के नजदीक जाए जिसे आपने पढ़ा हो, ऐसा करने से कभी आपको बार-बार पीछे मुड़ने की जरुरत नही होंगी।”

जिंदगी एक आइना है, जो हमारे ही चेहरे की प्रतिकृति दिखाता है।

“जिंदगी में हमेशा दोस्ती से रहे तब तभी आपके जीवन में मित्रता बनी रहेंगी।

“प्रश्न ये नही है की क्या मृत्यु के बाद भी जिंदगी रहेंगी, प्रश्न तो ये है की क्या आप मृत्यु से पहले जिंदगी जी सकोंगे।”

“परिणाम पाने के लिए आसानी से आगे बढ़ते रहे, भगवान के आदेश से ही सारे काम संपन्न होते है।”

Osho Quotes on Mind

“आपका दिल ही आपका सबसे बड़ा शिक्षक है, आपको उसी की सुननी चाहिये। लेकिन जीवन की यात्रा में आपका अंतर्ज्ञान ही आपका शिक्षक होता है।

एक बच्चे को विशाल एकांतता की जरुरत होती है, उसे ज्यादा से ज्यादा एकांतता में रहने देना चाहिये, ताकि वह अपनेआप को विकसित कर सके।

“यदि आप तुलना करना छोडो तो जिंदगी निश्चित ही बहोत सुन्दर है। यदि आप तुलना करना छोड़ दो तो आपकी जिंदगी खुशियों से भरी होंगी।”

“ये दुनिया एक खेल है। जहा आज भी जितने वाले हारने के समान है और हारने वाले जितने के समान है, इसी तरह जिंदगी भी एक खेल है। जहा कुछ कहते है की वे नही जानते और कुछ जानते है की वे नहीं कहते।”

Osho Quotes

“जो लोग ये पूछते है की जीवन का क्या महत्त्व है? असल में ऐसे लोगो ने जीवन को ही खो दिया है। वे सिर्फ अपनी सांस लेने के वजह से ही जिंदा है बाकी अंदर से तो वो कबके मर चुके होते है।”

अपने रिश्ते में हमेशा सुखद रहे, तन्हाई में हमेशा सतर्क रहे। ये दोनों बातो आपके लिए हमेशा मददगार साबित होंगी क्योकि ये बाते एक पक्षी के दो पंखो के समान है।

“सिर्फ आपके पाप ही आपको दुखी कर सकते है। जो आपको अपने आप से दूर ले जाने की कोशिश करते है, ऐसी चीजो को अनदेखा करना ही बेहतर होंगा।

“एक महिला विश्व की सबसे सुन्दर कृति है, उसकी किसी से भी तुलना ना करे। भगवान द्वारा की गयी यह एक उत्कृष्ट कृति है।”

Osho Short Quotes on Life

“कोई चुनाव मत करिए, जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में हैं।

“प्यार जब सहज, अचानक, बिना अभ्यास किया हुआ, असंस्कृत, और बिना सोचे होता है तभी वह सच्चा कहलाता है।”

“आपके अलावा कोई कोई आपकी परिस्थिती के लिए जिम्मेदार नही है। कोई आपको गुस्सा नही दिला सकता और कोई आपको खुश भी नही कर सकता।”

“जिंदगी अपने आप में ही बहोत सुन्दर है, इसीलिए जीवन के महत्त्व को पूछना ही सबसे बड़ी मुर्खता होंगी।”

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This Osho quotes in Hindi used on: ओशो के अनमोल सुविचार, Osho Rajneesh quotes in Hindi

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जानते हैं भारत के रोमांचक और अनसुलझे रहस्यों के बारेमें…

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Unsolved Mysteries of India

भारत हमेशा से ही रहस्यों, और अद्भुत चमत्कारों और अदृश्य शक्तियों से से भरा देश है। यहां  ऐसे रहस्य हैं जिनका अभी तक कोई खुलासा नहीं किया जा सका है। मॉडर्न तकनीक और विज्ञान काफी कोशिशों के बाबजूद भी ऐसे रहस्यों का खुलासा नहीं कर सकी।

ऐसे रहस्य ही हमारे दिमाग में बड़े प्रश्न बनकर घूमते हैं और जिनकी व्याख्या करना बड़ी मुश्किल हैं। ऐसी घटनाएं और संयोग संभवत: कोई स्पष्टीकरण नहीं देती हैं।

हम आपको इस लेख के जरिए भारत के रोमांचक और अनसुलझे रहस्यों के बारें में बताएंगे जो कि आपको हैरत में डाल देंगे और इन अद्भुद चमत्कारों पर यकीन करना आपकी मजबूरी बन जाएगी।

भारत के रोमांचक और अनसुलझे रहस्य – Unsolved Mysteries of India

unsolved mystery of India

जुड़वा लोगो के गांव का रहस्य – Twins village of India

भारत के केरल राज्य में बसा कोडिन्ही गांव ‘जुड़वां गांव’ के नाम से मशहूर है। जी हां आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि एक गांव में इतने जुड़वां कैसे हो सकते हैं लेकिन हकीकत में इस गांवों में करीब 200 लोगों की आबादी और जिसमें सभी जोड़ी जुड़वां हैं।

यह हैरानी की बात जरूर है लेकिन हकीकत यही है कि यहां जुड़वां बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

लेकिन इसका रहस्य क्या है इस बात का खुलासा आज तक मेडिकल साइंस भी नहीं कर सकी है।  वहीं डॉक्टरों की माने तो यहां के कुछ ऐसा खाते हैं या फिर आनुवांशिक क्रिया होने की वजह से यहां सिर्फ जुड़वा बच्चे ही जन्म लेते हैं।

यही नहीं केरल के रहस्यमयी कोडिन्ही गांव के बारे में यह भी कहा जाता है कि जो भी इस गांव को छोड़कर किसी दूसरे गांव में बच्चे को जन्म देते हैं तो उन्हें जुड़वां बच्चे नहीं होते। अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं होने से यह गांव अभी भी जुड़वा होने के रहस्यों से भरा पड़ा है।

हैंगिंग टेम्पल (रहस्यमयी लेपाक्षी मंदिर) हवा में झूलते हैं इस मंदिर के खंभे – Lepakshi Temple

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के पास लेपाक्षी मंदिर पिछले कई सालों से वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। जिसके रहस्य को सुलझाने में विज्ञान घुटने टेकता नजर आ रहा है।

इस चमत्कारी मंदिर में कई खंभे मौजूद हैं, पर इसमें से एक खंभा ऐसा है जो हवा में झूलता नजर आता है। ऐसा क्यों होता है इस विषय में आज तक किसी को कुछ नहीं पता चल पाया है।

यह मंदिर दक्षिण भारत का मुख्य आस्था का केंद्र है। जहां रोजाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं, पर जब वे इस झूलते हुए खंभे को देखते हैं तो दंग रह जाते हैं। इसके पीछे कौन सी चमत्कारी शक्ति काम कर रही है, इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी अभी तक नहीं है।

हैंगिंग टेम्पल की पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: Lepakshi Temple History

तैरते पत्थरों का रहस्य: “रामसेतु पुल” रामेश्वरम – Ram Setu (Adam’s Bridge)

भारत मंदिरों का देश है यहां के मंदिरों से एक तरफ जहां लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है वहीं दूसरी तरफ कुछ मंदिरों में होने वाले अद्भुत चमत्कारों और रहस्यों का खुलासा विज्ञान भी नहीं कर सकी है उन्हीं में से एक है रामेश्वरम् में तैरते हुए पत्थरों के रहस्य जिनका खुलासा आज तक नहीं किया गया है।

कई बार वैज्ञानिकों ने इसकी वजह पता लगाने की कोशिश की लेकिन वैज्ञानिकों को इस अद्भुत और रहस्यमयी चमत्कार के आगे हार माननी पड़ी।

आपको ये सुनने में अटपटा लग सकता है कि कोई पत्थर पानी में कैसे तैर सकते है। आपने देखा होगा जब भी आप कोई पत्थर को पानी में डालते हैं तो पत्थर पानी के नीचे बैठ जाता है बल्कि पानी में नहीं तैरता है।

लेकिन रामेश्वरम के तैरते पत्थरों से कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं इसके साथ ही इस पत्थरों को चमत्कारिक मानकर बड़ी संख्या में लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। और लोग इन पत्थरों को चमत्कारिक मानकर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि रामसेतु पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वह पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे। बल्कि पानी की सतह पर ही तैरते रहे। ऐसा क्या कारण था कि यह पत्थर पानी में नहीं डूबे ? कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देते हुए ईश्वर का चमत्कार मानते हैं लेकिन साइंस इसके पीछे क्या तर्क देता है यह बिल्कुल विपरीत है।

लेकिन इससे ऊपर एक बड़ा सवाल यह है कि ‘क्या सच में रामसेतु नामक कोई पुल था’। क्या सच में इसे हिन्दू धर्म के भगवान श्रीराम ने बनवाया था ? और अगर बनवाया था तो अचानक यह पुल कहां गया।

  • तैरते पत्थरों से जुड़ी पौराणिक कथा:

हिन्दू पौराणिक कथाओं की माने तो राक्षस रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए, भगवान राम ने रामेश्वरम से एक फ्लोटिंग पुल का निर्माण पाक स्ट्रेट में श्रीलंका तक किया था। यह पुल राम सेतु एडम ब्रिज के रूप में जाना जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र के आसपास पाए गए कुछ पत्थर सामान्य पत्थरों की उपस्थिति में होते हुए भी पानी में डालते समय तैरते हैं। वहीं इस तरह के फ्लोटिंग पत्थरों की घटना के पीछे की वजह  अभी तक वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके हैं।

  • रामसेतु पुल का निर्माण:

हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक जब शक्तिशाली रावण, माता सीता का अपरहण कर उन्हें अपने साथ लंका ले गया था, तब श्रीराम ने वानरों की सहायता से समुद्र के बीचो-बीच एक पुल का निर्माण किया था। और यही आगे चलकर रामसेतु कहलाया था। कहते हैं कि यह विशाल पुल वानर सेना द्वारा केवल 5 दिनों में ही तैयार कर लिया गया था। यह भी मान्यता है कि निर्माण पूर्ण होने के बाद इस पुल की लम्बाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 3 किलोमीटर थी।

  • पत्थरों के बारे में विज्ञान क्या कहता है?

इन चमत्कारी पत्थरों के रहस्य का खुलासा करने की वैज्ञानिकों ने कई  बार कोशिश की और कई सालों तक रिसर्च की। इस रिसर्च में विज्ञान ने यह पता लगाया है कि रामसेतु पुल के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था वे कुछ खास तरीके के पत्थर हैं जिन्हें ‘प्यूमाइस स्टोन’ कहा जाता है।

  • प्यूमाइस स्टोन क्या है?

प्यूमाइस स्टोन ज्वालामुखी के लावा से निकलते हैं। वहीं जब लावा की गर्मी वातावरण की कम गर्म हवा या फिर पानी से मिलती है तो वे खुद को कुछ कणों में बदल देती है। कई बार यह कण एक बड़े पत्थर को निर्मित करते हैं। वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि जब ज्वालामुखी का गर्म लावा वातावरण की ठंडी हवा से मिलता है तो हवा का संतुलन बिगड़ जाता है।

  • रामसेतु पुल को नासा ने खोज निकाला:

रामसेतु का पुल बनाने में प्यूमाइस स्टोन का इस्तेमाल किया गया है जिनमें एक ऐसी खास तरह की क्रिया होती है जिसमें कई सारे छेद होते हैं। वैज्ञानिकों की माने तो छेदों की वजह से इस पत्थरों का आकार और वजन भी बाकी पत्थरों की तुलना में कम होता है। इन पत्थरों में हवा भरी होने की वजह से ये पत्थर पानी में जल्दी नहीं डूबते हैं क्योंकि हवा इन पत्थरों को पानी के सतह के ऊपर ही रोके रखती है।

लेकिन कुछ समय के बाद जब धीरे-धीरे इन छिद्रों में हवा के स्थान पर पानी भर जाता है तो इनका वजन बढ़ जाता है और यह पानी में डूबने लगते हैं। यही कारण है कि रामसेतु पुल के पत्थर कुछ समय बाद समुद्र में डूब गए और उसके भूभाग पर पहुंच गए। दुनिया की  सबसे मशहूर वैज्ञानिक संस्था नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस, नासा ने सैटलाइट की मदद से रामसेतु पुल को खोज निकाला था।

नासा ने इस पुल को तस्वीरों में दिखाया है जो कि भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक पहुंचता है। लेकिन कुछ कारणों के चलते अपने शुरु होने से कुछ दूरी पर ही ये समुद्र में समा गया है।

आपको बता दें कि रामेश्वरम् में कुछ समय पहले लोगों को समुद्र तट पर कुछ वैसे ही पत्थर मिले जिन्हें प्यूमाइस स्टोन कहा जाता है। लोगों का मानना है कि यह पत्थर समुद्र की लहरों के साथ बहकर किनारे पर आए हैं। बाद में लोगों के बीच यह मान्यता फैल गई कि हो ना हो यह वही पत्थर हैं, जिन्हें श्रीराम की वानर सेना ने रामसेतु पुल बनाने के लिए इस्तेमाल किया था।

आपको बता दें कि बाद में वैज्ञानिकों ने  गए एक और रिसर्च में माइस स्टोन के सिद्धांत को भी गलत साबित किया है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सच है कि प्यूमाइस स्टोन पानी में नहीं डूबते और ऊपर तैरते हैं और यह ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं। लेकिन उनका यह भी मानना है कि रामेश्वरम में दूर-दूर तक सदियों से कोई भी ज्वालामुखी नहीं देखा गया है। ऐसे में इन पूरी तरह से प्यूमाइस स्टोन कहना गलत होगा और इसके पीछे का रहस्य अभी तक नहीं सुलझा है।

महाबलीपुरम की बैलेंसिंग चट्टान (तमिलनाडु) – Krishna’s Butterball

तमिलनाडु के महाबलीपुरम में बेलेसिंग की एक चट्टान है। जिसका ढ़लान के किनारे पर रखे जाने का रहस्य का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है इस चट्टान को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। ये हैरत में डालने वाली बात तो है ही कि कैसे इतनी विशाल चट्टान एक तीव्र ढ़लान के किनारे पर रखी हुई है वहीं इसके रहस्य की खोज करने में विज्ञान ने भी घुटने टेक दिए हैं।

  • महाबलीपुरम में बेलेसिंग की चट्टान की धार्मिक मान्यता:

आपको बता दें कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक यह पत्थर भगवान श्री कृष्ण के मक्खन का मटका था जो आसमान से गिरा था और अब यह महाबलीपुरम में एक विशाल चट्टान के रूप में इस तरह  ढलान पर रखा है। इस विशाल चट्टान को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और इसे देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

इस तरह तीव्र ढ़लान पर रखे होने की वजह से देखने पर लगता है कि यह पत्थर कभी भी लुढ़क सकता है वहीं ये चट्टान करीब 20 फीट ऊंची होने का अनुमान है। ऐसा नहीं है कि इस विशाल चट्टान को हटाने की कोशिश नहीं की गई है। साल 1908 में अंग्रेज हुकूमत ने इस विशालकाय चट्टान से किसी अनहोनी होने के डर से हटाने की भी कोशिश की थी लेकिन वे इस चट्टान का बाल भी बांका नहीं कर सके और ये चट्टान आज भी ऐसे ही रखी है। इस तरह के कोण पर ये पत्थर किस तरह स्थिर है ये वाकई चौकाने वाला रहस्य है।

महाबलीपुरम की विशाल चट्टान को कृष्ण की बटर बॉल भी कहा जाता है। जो कि आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। एक अजब कोण पर स्थिर रहने की वजह से यह चट्टान वाकई रहस्यों से भरी हैं। आपको बता दें कि कई बार इस डर से चट्टान को हटाने की कोशिश भी की गई कि ये चट्टान आस-पास के घरों को नष्ट कर सकती हैं। लेकिन सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए।

निराश पक्षियों का रहस्य: जतिंगा (असम) – Jatinga Bird Mystery

क्या आजाद परिंदे भी खुदकशी कर सकते हैं ? ये सोचा भी नहीं जा सकता है लेकिन असम में जटिंगा वैली में पक्षियों की मौत एक रहस्य बन चुकी है। जो कि हर किसी को हैरत में डाल देती है। हर कोई इन परिंदों की मौत से आश्चर्यचकित रह जाता है।

भारत के पूर्वोत्तर में असम के जातींगा गांव रहस्यों से भरा है।  ये गांव जितना शांत और देखने में सुंदर हैं लेकिन इस शांत गांव में परिंदों के मौत का रहस्य छिपा है जिसका आज तक कोई खुलासा नहीं हो सका है। ये आपको हैरत में जरूर डाल देगा लेकिन सच्चाई यही है कि यहां नवंबर-दिसंबर में परिंदे इस गांव में आकर खुदखुशी कर लेते हैं यहां तक कि कोई अप्रवासी पक्षी भी आकर यहां नहीं ठहर सकता है।

पक्षियों की आत्महत्या को यहां के लोग कुछ रहस्यमयी ताकतवर शक्तियों से जोड़ते हैं। वहीं असम के जातींगा गांव के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों में एक अजीब व्यवहार परिवर्तन भी देखने को मिलता है। घाटी के सारे परिंदे उस समय विचलित हो जाते हैं जब गांव में अजीव घटना होती है।

आपको बता दें कि इस अजीबो-गरीब घटना के लिए मशहूर असम के जातींगा वैली में परिंदे सामूहिक रूप से आत्महत्या करते हैं जिसकी वजह का आज तक खुलासा नहीं हो पाया है। यहां मानसून बीत जाने के बादे परिंदों की लाश सड़कों पर बिछी रहती हैं।

यहां सैकड़ों स्थानीय और प्रवासी पक्षी उड़ते हैं और ये इमारतों और पेड़ों में खुद को दुर्घटनाग्रस्त नहीं भी करते हैं लेकिन फिर भी इनकी मौत रहस्य की एक पहेली बनी हुई है।

वहीं यह घटना अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा हल की जा रही है जबकि स्थानीय लोग अभी भी मानते हैं कि यह दुष्ट आत्माओं का हस्तशिल्प है। इस घटना को लोग एक आश्चर्य मानते हैं। जबकि वैज्ञानिकों ने इसके पीछे यह तर्क भी दिया है कि इस घाटी में मूसलाधार बारिश से पक्षी गीले हो जाते हैं और फिर ये उड़ने में असमर्थ हो जाते हैं और इनकी मौत हो जाती है फिलहाल अभी इस रहस्य का कोई खुलासा नहीं हुआ है।

आपको बता दें कि हर साल असम के जटिंगा गांव बर्ड मिस्ट्री की अनोखी घटना का साक्षी बनता है यहां हर साल सितंबर और नवंबर के बीच पक्षियों की रहस्यमयी घटना होती है। इन महीनों में बड़े पैमाने पर प्रवासी और स्थानीय पक्षी आत्महत्या करते हैं।

आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि सूर्यास्त के ठीक बाद, 7 से 10 बजे के बीच, सैकड़ों पक्षियों आकाश से उतरते हैं, जो कि बड़ी इमारतों और पेड़ों में दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।

वहीं ये जटिंगा गांव को पक्षियों का सुसाइट प्वाइंट भी कहा जाता है। पक्षियों की आत्महत्या को ग्रामीण रहस्य के तौर पर लेते हैं उनका मानना है कि आकाश में रहने वाली दुष्ट आत्माएं पक्षियों की मौत की जिम्मेदार है।

वैज्ञानिक रिसर्च में ये साबित किया गया है कि आत्महत्या करने वाले पक्षी लंबी दूरी के माइग्रेटर्स नहीं हैं। 44 प्रजातियों को ‘आत्मघाती’ के रूप में पहचाना गया है जिनमें से ज्यादातर पक्षी पास के घाटियों और पहाड़ी ढलानों से आते हैं। इनमें किंगफिशर, ब्लैक बिटरर्न, टाइगर बिटरर्न और पॉन्ड हेरन्स शामिल हैं।

वैज्ञानिकों और पक्षी निरीक्षकों की तरफ से कुछ और दिलचस्प खोज किए गए थे  । ऐसा लगता है कि मॉॉनसून के मौसम में बाढ़ के चलते ज्यादातर आत्मघाती पक्षियों ने अपने प्राकृतिक आवास खो दिए हैं। इसलिए वे अन्य स्थानों पर प्रवास कर रहे हैं, और जेटा अपने प्रवासी मार्ग में हैं। लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पक्षी रात में उड़ते हैं, और क्यों वे हर साल एक ही स्थान पर स्वेच्छा से फंस जाते हैं।

भानगढ़ का किला (राजस्थान) – Bhangarh Fort

राजस्थान में भानगढ़ का नाम सुनते ही हर किसी की रूह कांप जाती है क्योंकि इस किले के रहस्य हर किसी को हैरत में डाल देता है। इस किले में होने वाली गतिविधियां आपके दिमाग में कई सवाल पैदा कर सकती हैं और इन सवालों का जवाब आज तक विज्ञान भी नहीं दे सकी है क्योंकि ये किला अपने आप में एक मिस्ट्री है। वैज्ञानिको ने इस किले के रहस्य को पता लगाने के कई प्रयास किए लेकिन सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए यहां तक की इस किले के अजीबो-गरीब और अद्भुत चमत्कारों के बारे में रिसर्च भी की गई लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।

भानगढ़ का ये रहस्यमयी किला राजस्थान में जयपुर और अलवर के बीच स्थित है। इस किले में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद प्रवेश नहीं करने दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस किले में और आस-पास के क्षेत्रों में भूत-प्रेतों का बसेरा है।

भानगढ़ के किले में होने वाली गतिविधियों को लेकर यहां के क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक रात के समय इस किले से कई तरह की भयानक आवाजें आती हैं इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस किले के अंदर सूर्यास्त होने के बाद जिसने भी इस ताकतवर शक्ति से लड़ने के रहस्य को जानने की कोशिश की वो अभी लौट कर कभी वापस नहीं आ सका है।

आपको बता दें कि रहस्यों और अद्भुत चमत्कारों से भरा भानगढ़ का किला सुंदर वास्तुकला, हवेली, मंदिर, खंडहर और बागों से सुसज्जित है, ये किला यात्रा के लिए सामान्य जनता के लिए भी खुला है। हालांकि, कई पर्यटकों ने ये भी स्वीकार किया है कि इसके वातावरण में एक कुछ संदिग्ध मौजूद है। कई लोगों ने तो इसमें सीधे आत्माओं की रहस्यमयी आहट सुनने की बात भी कही है। और तो और इस किले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने चेतावनी बोर्ड भी लगाया है जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले भानगढ़ किले में जाना प्रतिबंधित है।

खौफनाक और रहस्यमयी भानगढ़ के  किले की  रोमांचक कहानी हर किसी के मन को इस कदर भयभीत कर देती हैं कि कोइ भी व्यक्ति रात के वक्त इस किले के आस-पास फटकने की हिमाकत भी नही कर सकता। लेकिन इस भुतहा किले का रहस्य जो लोगों के लिए भय और आतंक का कारण बना हुआ है उसका अभी तक कुछ खुलासा नहीं हो सका है। इस किले से संबंधित कई किस्से कहानियां प्रचलित हैं।

भानगढ़ किले की पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: Bhangarh Fort History

बुलेट बाबा कें मंदिर का रहस्य, यहां होती है चमत्कारी बाइक बुलेट की पूजा – Bullet Baba

जैसे की हम सभी जानते हैं कि लोग अपने धर्म की मान्यता के मुताबिक मंदिर-मस्जिद पर माथा टेक अपनी जिंदगी की खुशहाली की खुदा से फरियाद करते हैं लेकिन ये सुनने में काफी अटपटा है कि लोग अपनी मुराद पूरी करने की कामना के लिए किसी बाइक की पूजा करेते हैं।

जी हां हमारा भारत देश कई अदभुद चमत्कारों से भरा पड़ा है उन्हीं में से एक है ये राजस्थान के पाली में स्थित बुलेट बाबा का मंदिर। जहां की करिश्माई बाइक को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और तो और लोगों की इस बाइक से धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई हैं।

लोग इस बाइक को भगवान का दर्जा देते हैं और इसकी पूजा-आराधना कर अपनी जिंदगी की सलामती की दुआ करते हैं।

इस अदभुद, चमत्कारी बाइक के पीछे कई रहस्य जुड़े हुए हैं। आपको बता दें कि यह चमत्कारी बाइक राजस्‍थान से अहमदाबाद जाने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर पाली से करीब 20 किलोमीटर दूर रोहित थाना क्षेत्र में इस चमत्कारी बुलेट मोटरसाइकिल का मंदिर स्थित है।

पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे: Om Banna Story

ऐसे रहस्यों से तो यही साबित होता है कि भारत रोमांचक और अनसुलझे रहस्यों से भरा पड़ा है जिनका खुलासा आज तक विज्ञान भी नहीं कर सकी है।

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15+ महात्मा गांधी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

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Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

महात्मा गांधी अहिंसा के पुजारी आप उन्हें चाहे बापू कहो या राष्ट्रपिता दुनिया उन्हें ऐसे कई नामो से जानती है। पर जब भी उनका नाम कही भी आता है तो अपने आप में शांति, अहिंसा, उनका देश के लिए बलिदान याद आ जाता है। महात्मा गांधी जी के विचारों में एक शक्ति समायी है, तभी तो इंग्रेज भी इनके सामने झुकते थे। तो चलिए पढ़ते हैं Mahatma Gandhi Quotes

महात्मा गांधी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार – Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

mahatma gandhi quotes on freedom

“मै अपने विचारो को स्वतंत्र बनाने के लिए आज़ादी चाहता हु।”

gandhi quotes on truth

“ताकत कभी शारीरिक क्षमता से नहीं आती। ताकत हमेशा आपकी अदम्य (दृढ़) इच्छाशक्ति से आती है।”

Mahatma Gandhi quotes in Hindi

“पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वे आप पर हसेंगे, फिर वो आपसे लड़ेंगे, और तब आप जित जायेंगे।”

mahatma gandhi quotes on education in hindi

“यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।”

Mahatma Gandhi thought in Hindi

“आप आज जो करते हैं, उसपर भविष्य निर्भर करता है।

mahatma gandhi quotes on education

“जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता. दुःख के बिना सुख नहीं होता।”

Mahatma-Gandhi-Quotes-In-Hindi

“अगर आप कुछ नहीं करोगे तो आपके पास कोई परिणाम नहीं होगा।”

mahatma gandhi quotes on leadership

“जब भी आपका विरोधियों के साथ सामना हो, तब अपने प्यार से उन्हें परास्त कीजिये।

Mahatma Gandhi ke Vichar

यहां कुछ महात्मा गांधी के सुविचार दे रहें है जिसे पढ़कर आप बापू के विचारों से अत्यंत प्रभावित हो जायेगे।

gandhi quotes on love

“गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षड्यंत्र है।”

Mohandas Karamchand Gandhi quotes

“जब गलती करने का स्वातंत्र न हो, तब उस स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं।

gandhi quotes on death

“हर रात, मैं जब सोने जाता हूँ,तब मैं मर जाता हूँ, और अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, तब मेरा पुनर्जन्म होता हैं।

Mahatma Gandhi Quotes

“अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान हैं, जो सतह को चमकदार और साफ कर देती है।

Mahatma Gandhi thoughts in Hindi

“मानवता की महानता मानव बनने में नहीं। बल्कि मानवता के प्रति दयालु बनने में है।”

gandhi quotes gif

“एक महिला का सबसे बड़ा आभूषण उसका चरित्र और उसकी शुद्धता है।”

mahatma gandhi quotes be the change

“आँख के बदले में आँख पुरे विश्व को अँधा बना देती है।”

gandhi quotes violence

“अहिंसा ये कभी न बदलने वाला धर्म है।”

Mahatma Gandhi thoughts

“ताकत दो तरह की होती है। एक जो सजा के डर से आती है और दूसरी वह जो प्यार से आती है। प्यार से आने वाली ताकत 1000 बार प्रभावकारी साबित हो सकती है पर सजा के डर से आने वाली ताकत हमेशा के लिए प्रभावशाली साबित हो सकती है।”

gandhiji ke achhe vichar

“खुद के अंदर के उत्साह को जगाने के लिए किये गये प्रयास ही इंसान को जानवरों से अलग बनाते है।”

Mahatma Gandhi quotes on success

“तुम जो भी करोंगे वो नगण्य ही होगा, लेकिन यह जरुरी हैं की तुम वो करो…

mohandas gandhi quotes in hindi

“दलित रहते हुए विजय प्राप्त करना मैंने हुसैन से सिखा।”

gandhi quotes animals

“दुनिया में ऐसे कई लोग है जो इतने भूखे है की भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में।”

mahatma gandhi ke vichar hindi me

“बहोत से लोग, विशेषतः अज्ञानी लोग, जब आप सही बोल रहे हो, जब आप अच्छा कम कर रहे हो तब वे आपको सजा देना चाहेंगे। जब आप सही हो तब कभी क्षमा मत मांगिये। जब भी आप सही होते हो तब आपको ये पता होता है, तब आप अपने दिमाग से बोलिए। दिमाग से बाते कीजिये। फिर चाहे सच बोलने वाले दुनिया में कम ही क्यू ना हो सच अंत तक सच ही रहता है।”

thought of mahatma gandhi

“आप मुझे जंजीरों में जकड सकते है, यातना दे सकते है, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते है लेकिन आप कभी मेरे विचारो को कैद नहीं कर सकते।”

Mahatma Gandhi Suvichar

“ऐसे जियो की तुम क़ल मरनेवाले हो, और ऐसे सिखों की हमेशा के लिए जीने वाले हो।

mohandas gandhi quotes

“आपकी सच्ची ख़ुशी आप जो करते हो, जो कहते हो और इन दोनों में जो तालमेल बिठाते हो, उसपे निर्भर करती है।”

teaching of mahatma gandhi

“एक सोसाइटी की महानता और प्रगति इस बात से आकी जा सकती है की वहा कमजोर और असुरक्षित सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।”

thought of mahatma gandhi in hindi

“मैं सभी के समानता में विश्वास रखता हु, सिवाय पत्रकार और फोटोग्राफर की।

महात्मा गांधी के अनमोल विचार

“मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं सत्य मेरा भगवान हैं अहिंसा उसे पाने का साधन।

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गणतंत्र दिवस पर नारे | Republic Day Slogans in Hindi

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Republic Day Slogans in Hindi 

राष्ट्रीयता का पर्व गणतंत्र दिवस को सभी भारतवासी  पूरे उत्साह, जोश, सम्मान, खुशी, सदभाव और देश प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। 26 जनवरी देश में रह रहे सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों के लिए बेहद गौरवपूर्ण और सम्मान का दिन है।

क्योंकि इस दिन ही साल 1950 को हमारे देश का सबसे बड़ा संविधान लागू हुआ था, जिसके बाद समस्त देशवासियों को समानता, शिक्षा समेत कई मौलिक अधिकार दिए गए और एक नए युग का सूत्रपात किया गया।

और इसी दिन से हमारा देश एक समाजवादी, संप्रभु, लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरेपक्ष गणराज्य बन गया था। देश की आजादी के बाद भी करीब ढाई साल तक जब तक संविधान लागू नहीं हुआ था, तब तक स्वशासित देश नहीं था।

वहीं भारत के नागरिकों को उनके अधिकार दिलवाने और देश को स्वतंत्र, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के उद्देश्य से 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू किया गया, जिसकी खुशी में हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के रुप में बनाते है, वहीं इस दिन अपने वीर सपूतों और महान स्वतंत्रता सेनीनियों  को नमन करते हैं।

इसके साथ ही इस दौरान उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजली दी जाती है। वहीं देश के लोगों के अंदर देश प्रेम की भावना जागृत करने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने के उद्देश्य से हम आपको गणतंत्र दिवस पर कुछ स्लोगन उपलब्ध करवा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपकी आत्मा देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाएगी।

ज्ञानीपण्डित की और से सभी को णतंत्र दिवस की शुभकामनाएं…

गणतंत्र दिवस पर नारे / Republic Day Slogans in Hindi

26 january republic day slogan

“याद रखेंगे वीरो तुमको हरदम, यह बलिदान तुम्हारा है, हमको तो है जान से प्यारा यह गणतंत्र हमारा है।

न तेरा देश है और न  ही मेरा देश है। यह भूमि भारत है और हम सभी का देश है।

गणतंत्र दिवस पर नारे स्लोगन

“इस दिन के लिए वीरो ने अपना खून बहाया है। झूम उठो देशवासियों गणतंत्र दिवस फिर आया है।

भारत माता तेरी गाथा, सबसे ऊंची है तेरी शान, तेरे आगे शीश झुकाए और दे तुझको हम सब सम्मान।

“देशभक्ति की आओ मिलकर अलख जगाए, और अब हम सब  रिपब्लिक डे मनाएं।

आओ इस दिन का मजा उठाए, हम सब मिलकर गणतन्त्र दिवस मनाएं।

26 January slogan

“अपनी जमीन अपना वतन, आवाज दो हम एक है।

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा, हम बुलबुले है, इसकी यह गुलदस्तां हमारा।

“हमें जान से भी ज्यादा यह गणतन्त्र हमारा है, याद रखेंगे उन शहीदों को जो बलिदान तुम्हारा हैं।

आओ चलो हम फिर से खुद को जगाते है, देश के शहीदों के आगे अपना सिर झुकाते हैं।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर स्लोगन

“ना जियो धर्म के नाम पर, ना मरो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही हे धर्म वतन का बस जियों वतन के नाम पर।

गणतंत्र दिन चिरायु हो।

“धरती हरी भरी हो तो आकाश मुस्कुराए, ऐसा कुछ करके दिखाओ कि इतिहास जगमगाए।

यह है बलिदानों की धरती, हर कोई करता है इसे सलाम। यहां है बहती प्रेम की गंगा और हर दिल में बसता है भगवान।
26 January Republic Day Naare Slogan

“सबके अधिकारों का रक्षक अपना ये गणतंत्र पर्व है, लोकतंत्र ही मंत्र हमारा हम सबको इस पर्व पर गर्व है।

आओ चलो सब मिलकर भारत को अखण्ड बनाए, जिसमे सभी को अधिकार दिलाएं, हमको मिला है एक संविधान, जिसमे है हमारा सुखी विधान।

“बस इतना ही कहना काफी नहीं कि भारत हमारा मान है, अपना फर्ज निभाओ जिससे देश कहे हम उसकी शान है ।

आओ सब मिलकर एक हो जाए, और  ख़ुशी से राष्ट्रीयता का ये पर्व मनाएं।

Gantantra Diwas Par Nare

देश से जातिगत भेदभाव, असामनता और अशिक्षा को दूर  करने के लिए करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन के कठोर प्रयास के बाद हमारे देश के सबसे बड़े संविधान को लागू किया गया।

वहीं हमारी देश का सम्पूर्ण रुप से विकास हो सके इसलिए हर नागिरक को बराबर के अधिकार दिए गए, महिला और पुरुष दोनों को ही समान रुप से अधिकार दिए गए। सभी को शिक्षा, धर्म, बोलने की आजादी समेत अपने राजनेता को चुनने का अधिकार दिया गया, इसके साथ ही महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाए गए और जातिगत भेदभाव जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म किया गया।

वहीं इस स्लोगन के माध्यम से  लोग, अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे और उन्हें अपने अधिकारों की शक्ति का एहसास होगा।

राष्ट्रीयता के पर्व गणतंत्र दिवस वाले दिन पूरा देश देशभक्ति में डूबा रहता है। सरकारी शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों समेत हर जगह स्वतंत्रता सेनानियों और भारत के वीर सपूतों के किस्से सुनाए जाते हैं।

इसके साथ ही हर तरफ वंदे मातरम, जय हिन्द, भारत माता की जय के उद्घोष सुनाई देते हैं, वहीं गणतंत्र दिवस पर लिखे गए यह नारे देशवासियों के अंदर जोश को दो गुना करने का काम करेंगे और उनके अंदर देशप्रेम की भावना को जागृत करेंगे।

Patriotic slogans on republic day in Hindi

“देश भक्तों के बलिदान से, स्वातंत्र्य हुए है हम। कोई पूछे कोन हो, तो गर्व से कहेंगे इंडियन है हम।

आओ मिलकर इस दिन का मजा उठाये, हम मिलकर गणतन्त्र दिवस मनाएं।

“हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए, चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए।

हमारा स्वाभिमान और अभिमान है वीरो का बलिदान, उनका कृतज्ञ रहकर शीना तान के गणतंत्र दिवस मनाएंगे।

Republic day Slogans by great personalities

गांधीजी का सपना सत्य बना, तभी तो देश गणतंत्र बना।

खून की होली खेलने वाले सभी वीरों को मेरा प्रणाम, आज दिन है हमारा आज दिन है उनका, आज गणतंत्र दिवस है हमारा।

“अमन, शांति और शिक्षा की गाथा हम गाएंगे, वीरों को सम्मान और भारत माता को प्रणाम, इस तरह हम सब गणतंत्र दिवस मनाएंगे।

“नई चेतना, नया विकास, नव निर्माण कराएंगे, शहीदों के बलिदान को हम फिर याद कर आएंगे, ऐसे हम गणतंत्र दिवस का तिरंगा फहराएंगे।

Republic day Slogans

“कसम गणतंत्र दिवस पर ये खायेगे, हम सभी एकजुटता से मिलकर रहेंगे।

हवाओं ने रुख मोड़ लिया, तिरंगा अब लहराने को, हम भी शान से लहराएंगे वीरों के इस अभिमान को, भारत की शान को, आज गणतंत्र दिवस हम सब मनाएंगे।

“दोनों ही करते है कुर्बान, माँ ममता को, और जान को जवान इसलिए तो है मेरा भारत सबसे महान।

Best Indian patriotic slogans

“कश्मीर से कन्याकुमारी, भारत माता एक हमारी।

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

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भगवान् गौतम बुद्ध के 20+सुविचार जो मन को शांती दे…

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Lord Gautam Buddha Quotes In Hindi

आपको जो कुछ भी बनना है उसके लिये पहले आपको उसकी कल्पना करने की जरुरत है तभी आपका दिमाग आपको जो बनना है वो बनने में सहायता करेगा आपको अपने दिमाग का शासक बनना होगा, किसी और को आपके दिमाग का चालक न बनने दे यह बुद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्धा के कुछ सर्वश्रेष्ठ सुविचार दिये है…… जो आपकी जिंदिगी बदल सकते है

भगवान् गौतम बुद्ध अनमोल के विचार / Lord Gautam Buddha Quotes In Hindi

Buddha Quotes on Change

“मै ये कभी नही देखता की मैंने क्या कर लिया है, मै सिर्फ यही देखता हु की क्या-क्या करना रह गया है

“आप वही खोते चले जाते हो जिस से आप चिपके रहते हो।”

“भूतकाल पहले से जा चूका है, भविष्य अभी तक नही आया है, यही एक समय है जिसमे आप अपनी जिंदगी जी सकते हो

“सच्चा प्यार समझदारी से ही जन्म लेता है।”

Buddha Quotes on Peace

“हज़ारों खोखले शब्दों से वह एक शब्द बेहतर है जो शांति लाता है

“हमारा दिमाग ही हमारे लिए सब कुछ है, जैसे आप सोचोंगे वैसे ही आप बनोंगे।”

“अपने अहंकार को अपने ढीले कपड़ो को तरह पहने

“हर सुबह हमारा नया जन्म होता है. इसीलिए आज जो हम करते है वही हमारे लिए मायने रखता है।”

Buddhist Quotes on Love and Relationships

“शुद्धता और अशुद्धता किसी एक पर निर्भर करती है कोई एक किसी दुसरे को शुद्ध नही कर सकता

“खुद को परास्त करना दूसरो को परास्त करने से भी बड़ा काम है।”

“मुश्किलें तब आती है, जब आप ये सोचने लगते हो की आपके पास समय है

“यदि आप रही रास्ते पर देख रहे हो तो आपको जरुरत है तो केवल चलने की।”

Buddha Quotes on Happiness

“शांति हमारे अंदर से ही आती है. इसे बाहर धुंडने की कोशिश ना करे

“हमें छोड़कर कोई और हमें नहीं बचा सकता, कोई ऐसा कर भी नही सकता और करना भी नही चाहता। हमें खुद ही अपने रास्तो पर चलना होंगा।”

Buddha Quotes on Anger

“तुम अपने क्रोध के लिए दण्ड नही पाओंगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दण्ड पाओंगे

“निश्चित ही बहोत से धार्मिक शब्द आपने पढ़े होंगे, निश्चित ही बहोत से बोले भी होंगे, लेकिन यदि आप उनपर कोई क्रिया नही करोंगे तो कैसे आप उन शब्दों को अच्छा कह सकते हो?”

“एक पल आपका दिन बदल सकता है, एक दिन आपकी जिंदगी बदल सकता है और एक जिंदगी पूरी दुनिया बदल सकती है

Buddha Quotes on Death

“आपकी विचारहीन सोच जितनी हानि आपको कोई नही पहोचा सकता

“सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतिया कर सकता है – या तो पूरा रास्ता तय न करना या फिर शुरुवात ही न करना।”

“मान लीजिये की दुनिया का हर एक इंसान प्रबुद्ध (बुद्धिमान) है लेकिन आप नही तब वे सभी आपके गुरु होंगे, उनमे से एक-एक आपकी सहायता के लिए उचित काम करेगा

Buddha Quotes on Karma

“चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ ले या बोल ले, वो आपका क्या भला जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?”

“चतुराई से जीनव वाले लोगो को मौत से भी डरने की जरुरत नही।”

Buddha Quotes on Life

“यदि हम अकेले फुल के चमत्कार को पूरी तरह देख पाये, तो निश्चित ही हमारा पूरा जीवन बदल जायेंगा

“यदि आप किसी और को प्रकाशित करते हो, तो अपने आप आपका रास्ता भी प्रकाशित होते चला जाता है।”

“यदि आपको लगता है की साहित्यिक मार्ग पर कोई आपके साथ नही है, तो अकेले चलते रहिये अविकसितता की कोई संगती नही होती

Life Gautam Buddha Quotes In Hindi

Buddha Quotes on Love

“जो कुछ भी गलत हो रहा है, दिमाग के वजह से ही हो रहा है यदि दिमाग में गलत विचार आते है, तो करने के लिए बचा ही क्या है?”

“ये बेहतर होंगा की आप युद्ध जितने से पहले अपने आप को निर्मित करे। क्यू की तब जो आपकी जीत होंगी, वह आपसे कोई नही छीन पायेंग।”

“अपने अंदर ही देखे, आपको 1000 बुद्ध की कला दिखाई देगी

Buddha Vichar

“अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारेमें मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करों

“जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य डर का न होना ही है।”

“हम अपने विचारो से ही अच्छी तरह ढलते है, हम वही बनते है जो हम सोचते है जब मन पवित्र होता है तो ख़ुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है

Buddha Thoughts in Hindi

“अनुशासनहीन दिमाग जितना अनाज्ञाकारी कोई नही और अनुशासित दिमाग जितना आज्ञाकारी कोई नही

“अगर कोई मुश्किल सुलझ सकती है तो क्यों चिंता करते हो? अगर मुश्किल सुलझ नही सकती तो इसका मतलब आप कुछ अच्छा नही कर रहे हो।”

“ख़ुशी पाने का कोई रास्ता नही है. बल्कि खुश रहना ही एक रास्ता है

Gautam Buddha Quotes on Love

“घृणा, घृणा करने से कम नही होती, बल्कि प्रेम करने से कम होती है. यही शाश्वत नियम है

“एक मोमबत्ती से हजारो मोमबत्तिया जलाई जा सकती है, इस से मोमबत्ती का जीवन कम नही होगा। उसी तरह ख़ुशी भी बाटने से कम नही होती।”

“यहाँ तक की बुद्धिमानी से जीनेवाले को मौत से भी डर नही लगता

Gautam Buddha Quotes

“तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य

“एक आदमी सिर्फ और सिर्फ बोलते रहने की वजह से ज्ञानी नही कहलाता, बल्कि वह शांतिपूर्ण, प्यारा और निडर होने की वजह से ज्ञानी कहलाता है।”

Gautama Budha book

“हम जो सोचते हैं, वो बन जाते हैं

“जल से ये सीखे – छोटी नदी में ऊँची आवाज़ करना और समंदर की गहराई में शांत रहना।”

Gautama Budha image

“जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.

“वह लोग जो केवल सलाह देते है वे अपने आस-पास के लोगो को परेशान करते रहते है।”

Lord Buddha suvichar

“क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेकने की नियत से पकडे रहने के समान हैं, इसमें आप ही जलते हैं

“पैर तभी पैर महसूस करता है जब वह जमीन को छू लेता है।”

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  1. गौतम बुद्ध का प्रेरणादायक जीवन परिचय
  2. गौतम बुद्धा के जीवन से सीखे 10 बातें
  3. बाबासाहेब अम्बेडकर अनमोल विचार
  4. Hindi Quotes Collection
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