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पुदुच्चेरी का इतिहास और जानकारी | Pondicherry History information

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Pondicherry – पुदुच्चेरी का 2006 तक नाम पॉन्डिचरी था, जो भारत का एक छोटा केंद्रशासित प्रदेश है। इसके नाम का मतलब है नई बस्ती या नया शहर। इतिहासकारों के अनुसार पुदुच्चेरी प्राचीन साधू अगस्त्य का निवास स्थान था।

Puducherry History information

पुदुच्चेरी का इतिहास और जानकारी – Pondicherry History information

पुडुचेरी से जुड़ा हुआ इतिहास दूसरी शताब्दी के समय का है। 1944 और 1949 में की गयी पुरातात्विक खुदाई में यह पता चला है की “यह एक व्यापर केंद्र था, जहाँ पहली शताब्दी CE में रोमन उत्पादक आयात किये जाते थे।”

चौथी शताब्दी के पल्लव राजवंश ने यहां कुछ समय के लिए शासन किया। उसके बाद चोल, पंड्या और विजयनगर,मदुरई सल्तनत जैसे दूसरे कई दक्षिणी राजवंश यहाँ शासन किया। सन् 1674 में फ्रांसीसी गवर्नर फ्रेंकोइस मारिन ने इस छोटे से गांव को एक बड़े बंदरगाह में बदल दिया।

फ्रांसीसियों ने पुदुच्चेरी शहर में रुचि लेने से यह शहर मशहूर हुआ। हालांकि फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच कई युद्ध हुए लेकिन पुदुच्चेरी पर फ्रांसीसियों का ही हमेशा शासन रहा।

जब फ्रेंच भारत का अस्तित्व समाप्त हो गया तो पुदुच्चेरी को भारतीय घटक संघ शासित प्रदेश में शामिल किया गया।18 वीं सदी के आसपास इस शहर में ने बहुत प्रगति की।

यहाँ की इमारतो और मार्गो में आज भी हमें राज्य का इतिहास दिखाई देता है। राज्य के मार्गो और चर्च पर भी फ्रेंच कालीन किंवदंतियां सुनने मिलती है।

पुदुच्चेरी की भाषा – Pondicherry language

पुदुच्चेरी की संस्कृति में विविधता होने की वजह से यहाँ बहुत सी भाषाओ का उपयोग किया जाता है। राज्य की अधिकतर लोग तमिल, तेलगु और मलयालम भाषा का प्रयोग करते है। जबकि यहाँ फ्रेंच और अंग्रेजी का भी उपयोग किया जाता है। स्कूलों में तमिल, मलयालम और तेलगु भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा का भी ज्ञान दिया जाता है।

लेकिन राज्य में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा अंग्रेजी है। जबकि यह भाषाए जिलो के हिसाब से बदलती रहती है।

पुदुच्चेरी के पर्यटन स्थल – Tourist places of Pondicherry

राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए पुदुच्चेरी उनकी पसंदीदा जगहों में से एक है। शिव मंदिर के 274 पादल पत्र स्थलों में से पुदुच्चेरी में एक स्थल है और करैकल क्षेत्र में इसके 4 शिव मंदिर है, जो इस बात का सबूत है की पुदुच्चेरी प्रदेश भगवान शिव के आध्यात्मिक और पुनीत तत्वों का भाग है।

जानकारों के अनुसार यह मंदिर चोला साम्राज्य के समय बनाये गये है। इन प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर पर्यटन आध्यात्मिक ज्ञान से समृद्ध हो सकते है। हर साल विल्लिअनुर मंदिर के पास विशाल कार महोत्सव का आयोजन करने के लिए पुदुच्चेरी प्रदेश शासनव्यवस्था अधिकारिक छुट्टी भी घोषित करती है। और इस महोत्सव में राज्य के सभी महत्वपूर्ण लोग भाग लेते है।

पुदुच्चेरी श्री औरोबिन्दो (1872-1950) का निवास स्थान रह चूका है और श्री औरोबिन्दो आश्रम भी पुदुच्चेरी में ही बना हुआ है। राज्य में बहुत से प्राचीन किले, चर्च, मंदिर, स्मारक और पार्क बने हुए है, जो लाखो पर्यटकों को आकर्षित करते है।

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RAM NAVAMI WISHES |रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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राम नवमी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान श्री राम के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता हैं। चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष में नौवे दिन भगवान श्री राम का अयोध्या के राजा दशरथ और कौसल्या के यहाँ जन्म हुआ था। भगवान श्री राम दशावतार विष्णु का सातवा अवतार माना जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर हर साल मार्च या अप्रैल में होता है। राम नवमी को पुरे भारत में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता हैं। ज्ञानीपण्डित की टीम की और से सभी पाठको को श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं…

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श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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24 मार्च का इतिहास | 24 March Today Historical Events

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24 March Today Historical Events

इतिहास में 24 मार्च के दिन यानि आज के दिन कई महत्‍वपूर्ण घटनाएं घटी थी, आज उन्ही घटनाओं पर हम एक बार फिर से नज़र डालेंगे।

24 मार्च का इतिहास – 24 March Today Historical Events

24 March History

24 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 24

  • कनाडा में 1837 से अश्वेत नागरिकों को वोट डालने का अधिकार दिया गया।
  • कोलकाता से आगरा के बीच 1855 में पहली बार टेलीग्राफ से लंबी दूरी का संदेश प्रेषित किया गया।
  • ब्रिटिश कैबिनेट मिशन 1855 में भारत पहुंचा।
  • घातक संक्रामक बीमारी टीबी की पहचान 1882 में आज ही के दिन हुई थी। इसका पता लगाने वाले वैज्ञानिक को बाद में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
  • शिकागो और न्यूयार्क के बीच 1883 में पहली बार फोन से बातचीत हुई।
  • अमेरिका में 1932 में पहली बार चलती ट्रेन से रेडियो प्रसारण किया गया।
  • इराक ने 1959 में बगदाद समझौते से खुद को अलग कर लिया।
  • मोरारजी देसाई 1977 में भारत के चौथे प्रधानमंत्री बने और उन्होंने केन्द्र में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनायी।
  • भारतीय सेना ने 1990 में श्रीलंका छोड़कर स्वदेश वापसी की।
  • एज़र वीज़मैन 1993 में इजरायल के राष्ट्रपति चुने गये।
  • पी.एन. भगवती (भारत) 1999 में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति के उपाध्यक्ष चयनित।
  • तपेदिक ( क्षयरोग ) की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इसके नियंत्रण के प्रयासों को जारी रखने के लिए 2003 से दुनिया भर में आज के दिन को “विश्व क्षय रोग दिवस” मनाया गया।
  • ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन ने 2007 में विश्वकप का सबसे तेज शतक बनाया।
  • भूटान 2008 में लोकतांत्रिक देश बना।

24 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 24 March

  • संगीतकार और कवि मुथुस्वामी दीक्षित का 1775 में जन्म हुआ।
  • प्रसिद्ध भारतीय राजनेता और अधिवक्ता सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा का 1863 में जन्म हुआ।
  • भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा राष्ट्रसेवी हरिभाऊ उपाध्याय का 1892 में जन्म हुआ।
  • अमेरिकी फुटबॉल प्लेयर पेयटन मैनिंग का 1976 में जन्म हुआ।
  • बॉलीवुड स्‍टार इमरान हाशमी का 1979 में जन्म हुआ।
  • भारतीय हॉकी खिलाड़ी एड्रियन डिसूजा का 1984 में जन्म हुआ।
24 मार्च को हुए निधन – Died on 24 March
  • अब्बासी खलीफा हारुन अल रशीद का 809 में निधन हुआ।
  • सन 1953 में ब्रिटेन की महारानी की दादी महारानी मैरी का सोते हुए निधन हो गया।
  • इंग्लैण्ड की महारानी महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम 1603 में निधन हुआ।
24 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important events and festivities of 24 March
  • ग्रामीण डाक जीवन बीमा दिवस
  • विश्व तपेदिक दिवस
  • विश्व टी. बी. दिवस

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नागालैंड का इतिहास और जानकारी | Nagaland History information

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Nagaland – नागालैंड 1 दिसम्बर 1963 को भारत का 16वाँ राज्य बना। यह भारत का सबसे छोटा राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है। इस राज्‍य के पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। और इसे ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है।

Nagaland

नागालैंड का इतिहास और जानकारी – Nagaland History information

नागालैंड का कोई प्रारंभिक लिखित इतिहास नही है, जबकि पडोसी असम राज्य के अहोम साम्राज्य में नागा समुदाय, उनकी अर्थव्यवस्था और रीती-रिवाजो का उल्लेख किया गया था।

1816 में जब म्यांमार के बर्मन ने असम पर आक्रमण किया तो इसके परिणामस्वरूप 1819 में दमनकारी बर्मन शासन की नीव रखी गयी और 1826 में असम में ब्रिटिश शासन की स्थापना तक यह शासन चला।

1947 में भारत की आज़ादी के बाद, नागा समुदाय के लोग असम के छोटे से भाग में बसे हुए थे। जबकि मजबूत राष्ट्रिय अभियान के माध्यम से नागा समुदाय के राजनितिक संघ की भी मांग की गयी। इस अभियान के चलते बहुत सी हिंसक गतिविधियाँ हुई और 1955 में भारतीय सेना को व्यवस्था पुनर्स्थापित करने का आदेश भी दिया गया।

1957 में नागा लीडर और भारत सरकार के बीच अग्रीमेंट बनाने के बाद, असम के पहाड़ी क्षेत्रो में रहने वाले नागा और तुएंसंग फ्रंटियर डिवीज़न के नागाओ को भारत सरकार के प्रशासन में एक ही छत के निचे लाया गया। अग्रीमेंट के बावजूद भारत सरकार से असहकार, कर ना देना, तोड़-फोड़ और सेना पर आक्रमण करने जैसी हरकते होने लगी।

1960 में नागा लोगो के सम्मलेन बैठक इस बात को पेश किया गया की नागालैंड को भारतीय संघ का हिस्सा होना चाहिए। 1963 में नागालैंड को राज्य का दर्जा दिया गया और 1964 में लोकतांत्रिक ढंग से यहाँ के कार्यालय की स्थापना की गयी थी।

विद्रोही गतिविधियाँ जारी थी, साथ ही क्षेत्र में डाकुओ की संख्या भी बढ़ रही। मोल भाव कर कुछ समय तक विद्रोह को रोका गया और मार्च 1975 में राज्य पर प्रत्यक्ष राष्ट्रपति शासन लागु किया गया।

1980 में शक्तिशाली समर्थक अलगाववादी चरमपंथी समूह, दी नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड की स्थापना की गयी।

नागालैंड की संस्कृति – Culture of Nagaland

नागालैंड की जातीयता में बहुत से आदिवासी जनजाति और उप जनजाति समूहों का मिश्रण है, यह समुदाय अति प्राचीन काल के है। क्षेत्र में ज्यादातर लोग क्रिस्चियन धर्म को अपनाते है। नागा जनजाति के लोगो के अलावा क्षेत्र में ज्यादातर लोग हिन्दू और इस्लाम धर्म को मानते है।

सभी नागा जनजाति के समूहों की सामाजिक संरचना एक-दूजे से अलग है। सभी समुदायों के रीती-रिवाज, महोत्सव और धारणा उन्हें एक-दूजे से अलग बनाती है। नागा समुदाय के लोगो की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध है। सदियों से वे सौहार्दपूर्वक राज्य में रह रहे हैं, जातीय समुदायों ने यहाँ सांस्कृतिक गतिशीलता का जीवंत मंच विकसित किया है।

नागालैंड के ग्रामीण भाग में रहने वाली जनजाति ने पुराने रीती-रिवाज और अनुष्ठान को सुरक्षित रखा है। वे दोस्ताना व्यवहार और कड़ी महेनत के लिए जाने जाते है, राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास में नागालैंड के लोगो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

नागालैंड की भाषा – Language of Nagaland

जितनी भाषाई विविधता नागालैंड में है, शायद ही उतनी विविधता भारत के किसी और राज्य में होंगी। नागा लोग तक़रीबन 36 अलग-अलग भाषा और बोलियों का उपयोग करते है। नागा भाषा के अलावा राज्य के बहुत से लोग दूसरी भाषा का भी प्रयोग करते है।

नागालैंड की नदियाँ – Rivers of Nagaland

नागालैंड में बहने वाली मुख्य नदियों में धनसिरी, दिखू , डोयंग,और झांजी है।

नागालैंड के महोत्सव – Festival of Nagaland

नागालैंड के महोत्सव ज्यादातर कृषि से जुड़े हुए है। समुदाय के सभी लोग बढ़-चढ़कर महोत्सव में भाग लेते है और बड़ी धूम-धाम से राज्य के सभी उत्सव मनाये जाते है।

नागालैंड के खाद्य पदार्थ – Foods of Nagaland

नागा जनजाति का मुख्य खाद्य पदार्थ चावल है। इसे मांस या सब्जियों के साथ खाते है। नागा लोगो को मिर्च और सेमस खाने की काफी रूचि है।

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आन्ध्र प्रदेश के चंद्रगिरी किले का इतिहास | Chandragiri Fort History

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जब कोई भी किला बनाया जाता है तो उसके भी पीछे कुछ ना कुछ इतिहास या कुछ रोचक कहानी छिपी होती है चंद्रगिरी किले – Chandragiri Fort के पीछे भी कुछ ऐसा ही दिलचस्प इतिहास छुपा हुआ है।

Chandragiri Fort

आन्ध्र प्रदेश के चंद्रगिरी किले का इतिहास – Chandragiri Fort History

चंद्रगिरी नाम का एक छोटासा गाव आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में आता है। इस छोटेसे गाव में सन 1000 में यादवराय ने एक किले का निर्माण करवाया था।

तीन शतको तक चंद्रगिरी यादव नायडू के नियंत्रण में था और सन 1367 में विजयनगर के कब्जे में चला गया। जब सलुव नरसिम्हा रायलू शासन आया तब चंद्रगिरी का महत्व अधिक बढ़ गया था।

विजयनगर साम्राज्य के महान राजा कृष्णदेवराय सबको पता है मगर उनके जीवन की कुछ घटनाये सभी को पता नहीं। एक ऐसी ही घटना जिसका सीधा सम्बन्ध इस चंद्रगिरी किला और राजा कृष्णदेवराय के बिच में है। बात तक की है जब राजा कृष्णदेवराय छोटे थे तो वो बड़े होने तक इसी चंद्रगिरी किले में ही रहते थे और उनके जिंदगी से जुडी एक ओर घटना इसी किले में घटी।

उनकी होनेवाली पत्नी से भी इसी किले में उनकी पहली बार मुलाकात हुई थी। वो दोनों पहली बार इसी किले में मिले थे।

विजयनगर साम्राज्य की चंद्रगिरी चौथी राजधानी थी और जब सुलतान ने पेनुकोंदा पे हमला कर दिया तो कृष्णदेवराय ने चंद्रगिरी को राजधानी बनाया था। सन 1646 में चंद्रगिरी का किला गोलकोंडा के नियंत्रण में चला गया और बाद में मैसूर ने इसपर कब्ज़ा कर लिया।

सन 1792 से मगर इस किले पर किसी ने ध्यान नही दिया और धीरे धीरे सब लोग इस किले को भूलने लगे। चंद्रगिरी किला अब एक बडेसे पुरातात्विक संग्रहालय का रूप ले चूका है।

चंद्रगिरी किले की वास्तुकला – Architecture of Chandragiri Fort

यह किला पूरी तरह से विजयनगर की सुन्दर वास्तुकला में बनाया हुआ है। इस किले के बड़े बड़े और उचे उचे स्तम्भ हिन्दू वास्तुकला की याद दिलाते है। इस किले को बनाने में पत्थर, इट, चुना का इस्तेमाल किया गया लेकिन इसे बनाते वक्त किसी भी लकड़ी को इस्तेमाल में नहीं लाया गया।

तिरुपति में बनाये हुए इस 11 वी शताब्दी के चंद्रगिरी किले को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। यह किला यहाँ का आकर्षण का सबसे मुख्य स्थान है।

यह किला पूरी तरह से घने जंगल में होने के कारण ओर भी सुन्दर दीखता है साथ ही यहापर कोई भी ट्रेकिंग कर सकता है। यह किला पूर्व घाटी में थे स्थित है। इस किले की सबसे खास बात यह है की इस किले में राजा महल बनवाया गया है जो की अब पुरातात्विक संग्रहालय का हिस्सा बन चूका है।

इस किले के चारो तरफ़ से भगवान विष्णु और भगवान शिव के 800 से भी अधिक मंदिर है मगर अब सब मंदिरे पूरी तरह से तहस नहस हो चुके है। लेकिन आज भी राजा महल और राणी महल के कुछ अवशेष यहापर देखने को मिलते है। इस किले के नजदीक में ही स्वर्णमुखी नदी है और इस नदी का उद्गम यही से शुरू होता है।

चंद्रगिरी किले तक कैसे पहुचे ? – How to reach Chandragiri Fort?

रास्ते से: सभी तरह के वाहनों से किले तक आने के लिए रास्तो से बड़ी आसानी से पंहुचा जा सकता है। तिरुपति से राज्य मार्ग और राष्टीय मार्ग से पंहुचा जा सकता है। निजी वाहन और एपीएसआरटीसी की कई सारी बसेस से भी इस किले तक पंहुचा जा सकता है।

रेलगाड़ी से: देश के सभी शहरों से यहापर आने के लिए रेल की सुविधा की गयी है। तिरुपति रेलवे स्टेशन यहाँ से सबसे नजदीक में है और केवल 17 किमी की दुरी पर है।

हवाई जहाज से: तिरुपति हवाई अड्डे से आप इस किले पर काफी आसानी से पहुच सकते है। यह किला हवाई अड्डे से केवल 22 किमी की दुरी पर है। यहाँ पर आने के लिए बसेस की भी सुविधा है।

आंध्रप्रदेश के छोटेसे गाव का यह किला दिखने में काफी मनमोहक है। इस किले को देखने के लिए पर्यटक काफी दूर दूर से आते है।इस किले से जुडी एक सबसे खास बात यह है की इसके चारो तरफ़ कई सारे मंदिर है। लेकिन इन मंदिरों की संख्या कुछ कम नहीं।

अगर कोई इन मंदिरों की गिनती शुरू कर दे तो पूरा दिन भी कम पड़ जायेगा लेकिन मंदिर की गिनती ख़तम नहीं होती। इनमेसे अधिकतर मंदिर अब अवशेष बन चुके है।

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25 मार्च का इतिहास | 25 March Today Historical Events

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25 March Today Historical Events

इतिहास में 25 मार्च के दिन यानि आज के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थी। आज हम उन्हीं महत्वपूर्ण घटनाओं के बारेमें जानेंगे और उन महान लोगों को याद करेंगे जिन्होंने आज के दिन इस दुनिया में अपना कदम रखा और साथ उन्हें जो आज ही के दिन हमारे बीच से हमेशा के लिए चले गए।

25 मार्च का इतिहास – 25 March Today Historical Events

25 March History

25 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 25

  • इटली में वेनिस शहर की 421 में स्थापना हुयी।
  • रॉबर्ट ब्रूस को 1306 में स्कॉटलैंड का नया राजा बनाया गया।
  • अमेरिका में 1668 में पहली बार घुड़दौड़ का आयोजन।
  • इंग्लैंड, नीदरलैंड और फ्रांस ने 1700 में दूसरी उन्मूलन समझौते पर हस्ताक्षर की।
  • समाचारपत्र ‘कलकत्ता गैजेट’ में 1788 में भारतीय भाषा बांग्ला का पहला विज्ञापन प्रकाशित।
  • इंग्लैंड में 1807 में सबसे पहले रेलवे यात्री सेवा की शुरुआत हुयी।
  • ब्रिटिश की संसद ने 1807 में दास व्यापार समाप्त कर दिया।
  • नीदरलैंड बैंक की 1814 में स्थापना।
  • ग्रीस ने 1821 में तुर्की से स्वतंत्रता हासिल की।
  • विश्व के सबसे आधुनिक समुद्र विज्ञान अनुसंधान पोत ‘सागर केन्या’ का 1883 में जलावतरण।
  • यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत।
  • स्वामी विवेकानंद ने सिस्टर निवेदिता को 1898 में ब्रह्मचर्य की दीक्षा।
  • अमेरिका के मार्शल टाउन के पास राक आइलैंड ट्रेन 1901 में पटरी से उतर जाने से लगभग 60 लोगों की मौत।
  • ग्रीक ने 1924 में अपने गणतंत्र बनने की घोषणा की।
  • देश के पहले हेलीकाप्टर “एस-55” को 1954 में दिल्ली में उतारा गया।
  • सऊदी अरब के शासक शाह फैसल की उनके ही भतीजे राजकुमार फैसल बिन मुसाद ने 1975 में हत्या कर दी।
  • दक्षेस (सार्क) देशों का स्थायी सचिवालय 1987 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में खोला गया।
  • नासा ने 1988 में अंतरिक्ष यान एस 206 का प्रक्षेपण किया।
  • विख्यात मुक्केबाज माइक टायसन 1995 में तीन साल की कैद के बाद जेल से रिहा।
  • इराक का फरात पुल और सद्दाम नहर पर 2003 में कब्ज़ा।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2005 में सूडान के लिए शांति सेना की मंजूरी दी।
  • टीम इंडिया 2007 में विश्वकप क्रिकेट से बाहर।
  • राजस्‍थान के बीकानेर की तनुश्री पारीक ने 2017 में देश की पहली सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की महिला अधिकारी बनकर देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया।

25 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 25 March

  • 1838 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष विलियम वेडरबर्न का जन्म हुआ।
  • 1905 में प्रसिद्ध भारतीय राजनेता मिर्जा राशिद अली बेग का जन्म हुआ।
  • 1948 में बॉलीवुड के मशहूर कलाकार फारुख शेख का जन्म हुआ।
  • 1943 में भारतीय कवि तेज राम शर्मा का जन्म हुआ।
25 मार्च को हुए निधन – Died on 25 March
  • सन 1931 में आज ही के दिन प्रसिद्ध समाज-सेवी, कुशल राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी गणेशशंकर विद्यार्थी का निधन।
  • सन 1940 में चिकित्सक अरस्तु यार जंग का निधन।
  • 1975 में भारतीय राजनीतिज्ञ देइवा ज़िवारात्तीनम का निधन।
  • 2011 में हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक कमला प्रसाद का निधन।
  • 2003 में पहले पोर्टेबल कम्प्यूटर बनाने वाले एडम ओस्बोर्न का देहांत।
  • 2014 में प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री नन्दा का निधन।
25 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important events and festivities of 25 March
  • गणेशशंकर विद्यार्थी बलिदान दिवस

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History of the world Almost all of us have read a lot in school, but there are so many things in history that we do not remember through this post, we have a small effort to remind you of those events, hope you have this today History of i.e. History of March 25 will prove beneficial. If you have to make some changes or to add some more information to this post, then please tell us through a thank you comment, thank you

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मेघालय राज्य का इतिहास | Meghalaya History information

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Meghalaya – मेघालय उर्फ़ मेघ बादल, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का एक निराला लेकिन छोटा राज्य है।लेकिन भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक बना। जीवंत संस्कृति, महान दर्शनीय सुन्दरता, परंपरा और शांति के साथ राज्य में बहुत से आकर्षित करने वाली चीजे है, जो लाखो पर्यटकों को आकर्षित करती है।

Meghalaya

मेघालय राज्य का इतिहास – Meghalaya History information

असम राज्य के दो जिले : दी यूनाइटेड खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स और गारो हिल्स को विभाजित कर 21 जनवरी 1972 को मेघालय का गठन किया गया। सम्पूर्ण राज्य की उपाधि मिलने से पहले 1970 में मेघालय को अर्ध स्वायत्त की उपाधि दी गयी।

1947 में भारत की आज़ादी के समय, वर्तमान मेघालय में असम के दो जिलो का समावेश था और असम राज्य के साथ इसे सिमित स्वायत्तता दी गयी थी। इसके बाद 1960 में स्वतंत्र पहाड़ी राज्य के अभियान की शुरुवात हुई।

1969 के असम पुनर्गठन (मेघालय) एक्ट के तहत मेघालय राज्य को स्वायत्त राज्य की उपाधि प्रदान की गयी। 2 अप्रैल 1970 से इस एक्ट को पारित किया गया और असम से मेघालय जैसे स्वायत्त राज्य का जन्म हुआ।

1971 में संसद भवन में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुनर्गठन) एक्ट, 1971 पारित किया गया, जिसमे मेघालय राज्य को सम्पूर्ण स्वायत्ता राज्य की पदवी दी गयी। 21 जनवरी 1972 को मेघालय को राज्य का अस्तित्व प्राप्त हुआ।

मेघालय राज्य के जिले – Districts of Meghalaya State

ऋभोई जिला, पश्चिम खासी पहाड़ी, पूर्व खासी पहाड़ी, जैंतिया पहाड़ी, पश्चिम गारो पहाड़ी, पूर्वी गारो पहाड़ी, और दक्षिण गारो पहाड़ी।

मेघालय राज्य का धर्म – Religion of Meghalaya State

मेघालय के मुख्य जातीय समुदाय में खासीस, गारो और जैंतिया शामिल है। माना जाता है की इन समुदाय के लोग दक्षिण पूर्वी एशिया से मेघालय में आये थे। मेघालय के लोग हंसमुख स्वभाव और अनुकूलता के लिए जाने जाते है।

जबकि खासी, जैंतिया और गारो समुदाय के बहुत से लोगो ने धर्मरूपांतर कर क्रिस्चियन धर्म अपनाया है, मेघालय में हम आसानी से बहुत से चर्च, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और मठ देख सकते है।

मेघालय राज्य की भाषा – Language of meghalaya state

अंग्रेजी राज्य की सर्वाधिक बोली जाने वाली और अधिकारिक भाषा है। राज्य की दूसरी मुख्य भाषाओ में खासी और गारो शामिल है।

मेघालय में दूसरी भी बहुत सी भाषाओ का प्रयोग किया जाता है। जैसे की, पनार, तिवा, बैते, नेपाली भाषा का उपयोग मेघालय राज्य के लगभग सभी भागो में किया जाता है।

सभी जनजाति और समुदाय के लोग सामान्यतः अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते है। शहरो इलाको में ज्यादातर लोग अंग्रेजी भाषा का ही उपयोग करते है और ग्रामीण इलाके के लोग विविध भाषाओ के उपयोग करते है।

मेघालय राज्य में मनाएं जानेवाले महोत्सव – Festival celebrating state of Meghalaya

गारो: गारो जनजाति के लोगो के महोत्सव में ही उनकी सांस्कृतिक विरासत छुपी हुई है। वे अक्सर संस्कृति, धार्मिक घटना और मौसम को समर्पित उत्सव मनाते है। गारो समुदाय के महोत्सव में देन बिल्सिया, वंगाला, रोंग्छु गाला, मीअमुआ, मंगोना, ग्रेंगडिकबा, जमंग सिया, जा मेगापा, सा सत रा चका, अजेओर अहोरा, डोरे राता नृत्य, चम्बिल मेसरा, दो कृ सुआ, सरम चा और ए से मेनिया इत्यादि शामिल है।

खासी: नृत्य खासी के जीवन का मुख्य अंग है और साथ उनके संस्कार का भी एक हिस्सा है। नृत्य प्रदर्शन श्नोग (गाँव), रेड (गांवों का समूह) और हिमा (गांवों के समूहों का समूह) में किया जाता है। राज्य के मुख्य महोत्सवो में का शाद सुक म्यनिस्म, कापोम-ब्लांग नोंगक्रेम, का-शाद श्यंगविंग-थान्गीयाप, का-शाद-क्यांजो खास्कैन, का बम खाना श्नोग, उम्सननोंग खराई, शाद बेह सिएर शामिल है।

जैंतिया: जैंतिया पहाड़ी के महोत्सव दूसरी जनजाति के महोत्सवो की तरह ही होते है। यहाँ के लोग प्रकृति, संतुलन और एकजुटता को मनाते है। जैंतिया समुदाय के महोत्सवो में बेहदीन खलं, लाहो नृत्य, बोवाई अनुष्ठान समारोह शामिल है।

बैते: बैते समुदाय में बहुत से महोत्सव विविध मौको पर मनाते है। लेकिन प्राचीन समय में मनाये जाने वाले बहुत से उत्सवो को वे आज नही मनाते। हर साल जनवरी में नुल्डिंग कूट नामक उत्सव मनाया जाता है, जिसमे इस समुदाय के लोग नृत्य करते है, संगीत का आनंद लेते है और पारंपरिक खेल खेलते है। साथ ही मंदिर में पूजा भी की जाती है।

हाजोंग: हाजोंग समुदाय के लोग हिन्दू रीती-रिवाजो को मानते है। हर हाजोंग परिवार में पूजा करने के लिए “देवघर” नामक मंदिर होता है और रोज सुबह-शाम वे प्रार्थना करते है। हाजोंग समूह में रहते है और समूह के क्षेत्र को “पारा या गाँव” का नाम दिया जाता है। हाजोंग गाँव किसी साम्राज्य से कम नही होता। गाँव में रहने वाले हाजोंग परिवार के सभी लोगो को गाँव की सदस्यता लेनी पड़ती है। हाजोंग पुरुष भिज़गम्सा और महिलाये रंगा पाठीन और फुला आर्गों पहनती है। हाजोंग समुदाय के लोग लोकनृत्य भी करते है।

आध्यात्मिकता: दक्षिणी मेघालय में मावज्याम्बइन गुफा है। यहाँ प्रकृति द्वारा एक विशाल चुने के स्तम्भ को शिवलिंग का आकार दिया गया है। किंवदंतियों के अनुसार, 13 वी शताब्दी से यह शिवलिंग जैंतिया पहाड़ी में रानी सिंगा के क्षेत्र में बना हुआ है। हर साल हिन्दू उत्सव शिवरात्रि के दिन हजारो श्रद्धालु यहाँ आते है।

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कनिपकम का विनायक मंदिर | Vinayaka Temple, Kanipakam

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प्रथम देवता गणेशजी का कनिपकम का मंदिर की कई सारी विशेषताए है। आंध्र प्रदेश में भगवान गणेशजी के कई सारे मंदिरे है। लेकिन इस विनायक मंदिर – Vinayaka Temple की बात सबसे निराली है। इस मंदिर में गणेशजी की जो मूर्ति है वो बहुत ही सुन्दर है और साथ ही चमत्कारिक भी है। गणेश जी की मूर्ति एक ही आकार में स्थित नहीं रहती बल्की जैसे जैसे समय बिताता जा रहा है उसके साथ ही इस मूर्ति का आकार भी बढता जा रहा है।

Vinayaka Temple, Kanipakam

कनिपकम का विनायक मंदिर – Vinayaka Temple, Kanipakam

चित्तूर जिले में केवल तिरुपति, तिरुमाला और श्रीकालहस्ती की वजह से लोग नहीं आते बल्की यहापर के कनिपक्कम के वजह से भी यात्रियों की भीड़ यहापर देखने को मिलती है।

यह ऐतिहासिक मंदिर प्रथम पूज्य गणेशजी का है। इस मंदिर को पानी के देवता का मंदिर भी कहा जाता है और यह मंदिर चित्तूर जिले के इरला मंडल में स्थित है। सब लोगो का ऐसा मानना है की इस मंदिर की भगवान गणेश के मूर्ति धीरे धीरे आकार में बढती जा रही है।

ऐसी अद्भुत और चमत्कारिक मूर्ति के कारण इस मंदिर को महान मंदिर कहा जाता है। ऐसा कहा जाता हैं इस मंदिर परिसर में मिलने वाला पवित्र जल के कारण कई सारी बीमारिया ख़तम हो जाती है। सभी भक्त तिरुपति जाने से पहले इस विनायक मंदिर में आकर भगवान गणेश के दर्शन करते है।

कनिपकम विनायक मंदिर का इतिहास – History of Kanipakam Vinayak Temple

इस मंदिर का निर्माण 11 वी शताब्दी में चोल राजा कुलोठुन्गा चोल प्रथम ने करवाया था और बाद में फिर विजयनगर वंश के राजा ने सन 1336 में इस मंदिर को बहुत बड़ा मंदिर बनाने का काम किया था। कनिपकम एक नदी के किनारे होने कारण इसे कनिपकम नाम दिया गया था।

कनिपकम विनायक मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार – Festivals celebrated in Kanipakam Vinayak Temple

इस मंदिर में सितम्बर और अक्तूबर महीने में ब्रह्मोत्सवं और गणेश चतुर्थी के त्यौहार एक साथ मनाये जाते है। इसी वजह यहापर जो उत्सव मनाया जाता है वो 20 दिन तक चलता है।

ब्रह्मोत्सव के दौरान यहापर सभी तरफ और भक्तों के बिच में से रथ की यात्रा निकाली जाती है। इस त्यौहार के दौरान दुसरे दिन से ही रथयात्रा सुबह में एक बार और शाम में एक बार निकाली जाती है।

कनिपकम विनायक मंदिर से जुडी कहानी – Story related to Kanipakam Vinayak Temple

इस विनायक मंदिर से कई सारी कहानिया जुडी है। इनमे एक कहानी तीन किसानो की है जो जन्म से ही बैरे, अंधे और गूंगे भी थे। उन्हें अपने खेत की फसलो के लिए जल की आवश्यकता थी। लेकिन उनका कुवा पूरी तरह से सुखा गया था इसीलिए उन्होंने कुवे को निचे खोदने का फैसला किया था।

उन तीनो मे से एक ने अपने लोहे के हतियार से कुवा खोदना शुरू किया तभी वो आश्चर्यचकित हो गया क्यों की कुवा खोदने के दौरान वहाके पत्थर से आवाजे आने लगी। उसकी खुदाई शुरू ही थी, अचानक उस पत्थर से खून निकलना शुरू हों गया।

इसी वजह से जल्द ही वहा का सारा पानी लाल बन गया। इस घटना को देखने के लिए उसने दुसरे दो किसानो भी वहा बुला लिया।

इस चमत्कार को देखने के बाद वो तीनो किसान की सारी तकलीफे दूर हो गयी। जब गाव में सभी लोगो ने उन तीनो में आये इस बदलाव को देखकर सब हैरान हो गए और सभी उस कुवे की तरफ़ दौड़ने लगे और वो सभी उस कुवे को और खोदने लगे मगर ऐसा करने में वो नाकामयाब रहे और उसी वक्त उस कुवे से भगवान विनायक की मूर्ति बाहर आ गयी।

आज भी भगवान गणेशजी की मूर्ति इसी कुवे में स्थित है और इस कुवा का पानी कभी भी खतम नहीं होता। बारिश के दिनों में तो पानी कुवे के ऊपर से बहता है और इस जल को तीर्थ के रूप में सभी भक्तों को दिया जाता है।

विनायक मंदिर तक कैसे पहुचे ? – How to reach Vinayak Temple?

रास्ते से: यह मंदिर तिरुपतिबस स्टेशन से केवल 72 किमी पर है।

रेलगाड़ी से: इस मंदिर के नजदीक में तिरुपति रेलवे स्टेशन है और यह मंदिर से केवल 70 किमी की दुरी पर है।

हवाईजहाज से: तिरुपति हवाईअड्डा इस मंदिर से केवल 86 किमी की दुरी पर है।

गणेशजी का यह मंदिर पूरी तरह से नदी के बिच में है। जिस नदी में यह मंदिर है उस नदी जल भी कभी ख़तम नहीं होता। ऐसा माना जाता है की एक बार खुद ब्रह्मदेव पृथ्वी पर आये थे और तभी से इस मंदिर में 20 दिन का ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। इस त्यौहार की शुरुवात गणेश चतुर्थी के दिन की जाती है। इस त्यौहार के दौरान रथमे भगवान गणेशजी को बिठाया जाता है। इस तरह का उत्सव बहुत कम मंदिरों में मनाया जाता है।

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26 मार्च का इतिहास | 26 March Today Historical Events

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26 March Today Historical Events

आज इस लेख में हम जानते हैं उन महान लोगो के बारेमें जो 26 मार्च यानि आज के दिन इस दुनिया से चल बसे थे और उनके बारेमें भी जिनका आज के दिन जन्म दिन भी हैं। और साथ ही 26 मार्च की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ जो सदिसे इतिहास में दर्ज हैं।

26 मार्च का इतिहास – 26 March Today Historical Events

26 March History

26 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 26

  • गुरू अमरदास 1552 में सिखों के तीसरे गुरू बने।
  • इंग्लैंड ने 1668 में बंबई पर अधिकार कर लिया।
  • ब्रिटेन के अखबार ब्रिट गैजेट और संडे मॉनीटर 1780 में पहली बार रविवार के दिन प्रकाशित हुए।
  • जापां फिलिस्तीन पर नेपोलियन बोनापार्ट ने 1799 में कब्जा किया।
  • वेनेजुएला के काराकास में 1812 में हुए जबरदस्त भूकंप में तक़रीबन, 20 हजार की जान गयी।
  • गाजा में तुर्कों और ब्रिटिश सेना के बीच 1917 में हुये युद्ध में ब्रिटेन विजयी हुआ।
  • ब्रिटेन में 1934 में चालक परीक्षण शुरू हुआ।
  • एल्सी एस ओट्ट को 1943 में अमेरिकी वायुसेना पदक मिला अौर वह यह पदक पाने वाली पहली महिला बनीं।
  • डॉ जोनास साल्क ने 1953 में पोलियो से बचाव के लिए नए टीके की घोषणा की।
  • शेख मुजीबुर्रहमान ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र देश घोषित किया इसलिए आज के दिन बांग्लादेश स्वंतत्रता दिवस मनाता है।
  • भारत के चौथे राष्ट्रपति वी.वी गिरि ने 1972 में अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन किया।
  • लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 200 साल पुराने इतिहास को तोड़ते हुए 1973 में पहली बार महिलाओं की भर्ती किया गया।
  • भारत के उत्तराखण्ड राज्य में 1973 में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन किया जिसे “चिपको आन्दोलन” कहा गया।
  • मिस्र और इजराइल के बीच 1979 में कैंप डेविड शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • हैवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन माइक टाइसन को बलात्कार के आरोप में 1992 में 10 वर्ष कारावास की सजा सुनायी गई।

26 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 26 March

  • बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध निर्देशक और अभिनेता धीरेन्द्र नाथ गांगुली का जन्म सन 1893 में हुआ।
  • हिन्दी कवयित्री और हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म सन 1907 में हुआ।
26 मार्च को हुए निधन – Died on 26 March
  • सन 2006 में भारतीय राजनीतिज्ञ अनिल बिस्वास का निधन।

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दिल्ली के सीरी किले का इतिहास | Siri Fort History

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किला शब्द में ही इतिहास आ जाता हैं। किसी भी किले का नाम लो हमें उस किले के पीछे के इतिहास को जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है। आज हम वैसे ही एक किले के इतिहास के बारेमें जानेंगे वो हैं दिल्ली का सीरी किला – Siri Fort । मेहरुली के उत्तर में और हौज़ खास के पूर्व में बने इस किला की नीव 1303 में रखी गयी। इस किले का निर्माण सम्राट अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।

Siri fort

दिल्ली के सीरी किले का इतिहास – Siri Fort History

खिलजी साम्राज्य के क्षेत्र में सीरी किले का काफी महत्त्व था। इस किले का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था और मंगोल आक्रमण से दिल्ली और सीरी को बचाए रखने में किले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी भी दुसरे शासक द्वारा किले पर कब्ज़ा नही किया गया लेकिन कुछ शासको ने किले को काफी क्षति पहुचाई है। उन्होंने किले की सामग्री का उपयोग खुद की इमारतो के निर्माण के लिए किया था।

वर्तमान नयी दिल्ली के भाग बने हुए सीरी को जहापनाह के दुर्ग में शामिल कर लिया गया। सीरी को बाद में “दारुल खिलाफत” या “खालीफत की सीट” के नाम से जाना जाने लगा।

सीरी किले की वास्तुकला – Siri Fort Architecture

जैसे ही आप दिल्ली के सीरी किले की यात्रा करने लगते हो वैसे ही आपको एक शानदार महल की याद आती है, जो कीमती पत्थर और आभूषणों से सजा हुआ हो। किले की खोज करने के बाद आपको इसके इतिहास की जानकारी मिलती है, साथ ही किले के आस-पास दुसरे के दुसरे आकर्षण जैसे शाहपुर जाट गाँव, तोहफेवाला गुम्बद मस्जिद, हौज़ खास, काल्काजी मंदिर, कमल मंदिर, निजामुद्दीन मंदिर और चिराग देहलवी दरगाह भी देखने योग्य है।

हौज़ खास: यह प्राचीनतम पानी की टाकी है, जिसका निर्माण सीरी शहर में पानी की आपूर्ति के लिए किया गया था। इसका निर्माण भी अलाउद्दीन खिलजी ने ही किया था।

कमल मंदिर: यह मंदिर ध्यान लगाने की सर्वोत्तम जगहों में से एक है।

काल्काजी मंदिर: देवी कलि का यह एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह किला सीरी किले के पास में ही स्थित है।

चिराग देहलवी दरगाह: चिराग गाँव में नसीरुद्दीन मामुद का कब्रिस्तान है।

पर्यटकों के लिए यह किला निश्चित रूप से किसी मनमोहक महल से कम नही। यहाँ हमें प्राचीन समय के इतिहास की जानकारी और एतिहासिक निर्माणकार्य देखने मिलता है। सीरी किले के अलावा क्षेत्र में दूसरी भी आकर्षक चीजे हैं।

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27 मार्च का इतिहास | 27 March Today Historical Events

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27 March Today Historical Events

देश विदेश के इतिहास में आज यानि 27 मार्च का दिन की बहुत सी प्रमुख घटनाएं घटी जैसे पहला विश्व रंगमंच दिवस मनाने की शुरुआत आज से ही हुई और साथ ही कुछ महत्वपूर्ण लोगों का जन्मदिवस और वैसेही कुछ महान लोगों का मृत्यु दिवस हैं। आईये आज उन्ही महत्वपूर्ण घटनाओं पर एक बार फिर से नजर डालते हैं।

27 मार्च का इतिहास – 27 March Today Historical Events

27 March History

27 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 27

  • इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय ने बांबे को 1668 में ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था।
  • स्पेन और फ्रांस ने 1721 में मैड्रिड समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • अमेरिकी कांग्रेस ने देश में नौसेना की स्थापना को 1794 में स्वीकृति दी।
  • पहले स्टीम फायर इंजन का सफल परीक्षण सन 1841 में न्यूयार्क में किया गया।
  • अब्राहम गेस्नर ने 1855 में केरोसिन(मिट्टी के तेल) का पेटेंट कराया।
  • पहला अंतरराष्ट्रीय रग्बी मैच स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच 1871 में खेला गया।
  • बोस्टन से न्यूयार्क के बीच 1884 में पहली बार फोन पर लंबी दूरी की बातचीत हुयी।
  • इतालवी आविष्कारक जी मारकोनी द्वारा 1899 में फ्रांस और इंग्लैंड के बीच पहला अंतरराष्ट्रीय रेडियो प्रसारण किया गया।
  • अमेरिका ने 1901 में फिलीपीन्स के विद्रोही नेता एमिलियो एग्विनाल्डो को अपने कब्जे में लिया।
  • जापान ने 1933 में लीग अाॅफ नेशंस से खुद को अलग कर लिया।
  • यूरोपीय देश लिथुआनिया में 1944 में लगभग दो हजार यहूदियों की हत्या कर दी गयी।
  • अमेरिकी सरकार ने 1956 में कम्युनिस्ट अखबार डेली वर्कर को जब्त कर लिया।
  • सन 1961 में आज के दिन से पहला विश्व रंगमंच दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
  • टेनेरीफ़ में 1977 में दुनिया की सबसे भयानक विमान दुर्घटना हुई थी, जिसमें तक़रीबन 600 लोग मारे गए थे।
  • यूरोपियन फ़ाइटर एअरक्राफ़्ट यूरोफाइटर ने 1977 में पहली उड़ान भरी।
  • ए.एफ़.एम.ए.चौधरी 1982 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति नियुक्त किए गए थे।
  • अंतरिक्ष में 1989 में अमेरिका के मिसाइल “रोधी उपग्रह” का परीक्षण विफल हुआ।
  • पहला मैक्रो वायरस “मेलिसा” की 1999 में सूचना दी गई।
  • रूस ने 2003 में घातक टोपोल आर एस-12 एम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।
  • यासीन मलिक ने 2006 में कश्मीर में जनमत संग्रह कराए जाने की मांग की।
  • अंतरिक्ष यान एंडेवर 2008 में पृथ्वी पर सफलतापूर्वक सुरक्षित लौटा।

27 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 27 March

  • जर्मनी के एक भौतिकशास्त्री एवं गणितज्ञ वेलहेलम रोंटगन का 1845 में जन्म हुआ।
  • फ्रांसीसी लेखक स्टेफन वल का जन्म 1922 में हुआ।
  • एक प्रसिद्ध मानव विज्ञानी और नारीवादी विद्वान लीला दुबे का जन्म 1923 में हुआ।
  • भारतीय राजनीतिज्ञ बनवारी लाल जोशी का जन्म 1936 में हुआ।
  • फ्रांसीसी कवियों के अनुवादक और पत्रकारिता के प्रोफ़ेसर हेमन्त जोशी का जन्म 1954 में हुआ।
27 मार्च को हुए निधन – Died on 27 March
  • भारत में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज की और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना करने वाले सर सैयद अहमद खान की 1898 में पुण्यतिथि।
  • ग़दर पार्टी के प्रमुख नेता पंडित कांशीराम का 1915 का निधन।
  • भूतपूर्व सोवियत संघ के विमान चालक और अंतरिक्षयात्री यूरी गागरीन का 1968 में का निधन।
  • भारतीय हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री प्रिया राजवंश का 2000 में का निधन।
  • अमेरिकी गायक जॉनी मेस्त्रो का 2010 में का निधन।

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दोस्तों इतिहास में हर रोज बहुत सी बातें होती हैं उनमेसें कुछ महत्वपूर्ण जानकरी हम आपके लिए हमारी आज का इतिहास यानि 27 मार्च के इतिहास इस पोस्ट में लाये हैं। अगर इसमें कुछ गलत लगे या फिर इसमें कुछ और अधिक जानकारी देनी हैं तो आप हमें कमेंट्स के ज़रिये बताये।

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सलीमगढ़ किले का इतिहास | Salimgarh Fort History

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हमारा भारत देश ऐतिहासिक स्थलों का ख़जाना हैं। यहाँ पर जितने भी राजे महाराजों ने शाशन किया उन्होनें अपने शासनकाल में कुक न कुछ ऐतिहासिक स्मारक बनवाएं। वैसेही उनमेसे एक हैं सलीमगढ़ किला – Salimgarh Fort लेकिन ब्रिटिशोंने अपने शासनकाल में इस किले को कारावास बनाकर स्वतंत्रता सेनानीओं को यहाँ बंदी बनाकर रखा था। आईये इसी किले की और जानकारी विस्तारपूर्वक जानेंगे।

Salimgarh Fort

सलीमगढ़ किले का इतिहास – Salimgarh Fort History

सलीमगढ़ किले का निर्माण 1546 में शेर शाह सूरी के उत्तराधिकारी और पुत्र इस्लाम शाह सूरी ने यमुना नदी के द्वीप कर करवाया था। 1622 AD में जहाँगीर ने यहाँ पुल बनवाया और किले को मुख्य भूमि से जोड़ा, बाद में जब ब्रिटिश रेल्वे लाइन बना रहे थे तो उन्होंने इस पुल को तोड़ दिया था।

बाद में इस विशाल निर्माणकार्य को शाह जहाँ द्वारा लाल किले से जोड़ा गया और औरंगजेब के शासनकाल में अंततः यह किला राज्य का कारावास बन गया। ब्रिटिश प्रशासन भी इसका उपयोग कारावास के रूप में करने लगे और 1945 में भारतीय राष्ट्रिय सेना के नेताओ को यहाँ बंदी बनाकर रखा गया था।

किले के भीतर उनके स्मारक भी बने हुए है। वर्तमान समय में किले का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी स्मारक रखा गया है।

सलीमगढ़ किले की वास्तुकला – Architecture of Salimgarh Fort

पुरानी दिल्ली में बना सलीमगढ़ किला ठोस मलबे चिनाई वाली दीवारों से घिरा हुआ है और कुछ हद तक यह बहुभुज के आकार में बना हुआ है। किले के भीतर उत्तरी द्वार से प्रवेश दिया जाता है।

उत्तर द्वार को बहादुर शाही गेट के नाम से भी जाना जाता है, क्योकि इसका निर्माण 1854 से 1855 के बीच बहादुर शाह ज़फर ने किया था। इस द्वार का निर्माण लाल पठारों के साथ ईट चिनाई का उपयोग कर किया गया।

किले के भीतर बहुत से महान गढ़ है और खंडहर आज भी हमें देखने मिलते है।

सलीमगढ़ किले की यात्रा करने का सही समय – Time to travel to Salimgarh Fort

साल भर खुला रहता है, लेकिन सामान्यतः रोज 10:00 AM से 5:00 PM तक इसे खुला रखा जाता है। किले को देखने की कोई प्रवेश फीस नही है, यह सभी के लिए खुला है। इस विशाल संरचना को देखने में तक़रीबन 40 मिनट का समय लगता है।

सलीमगढ़ किले तक कैसे पहुचे – How to reach Salimgarh Fort

सलीमगढ़ किले तक पहुचने के लिए आपको दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट उतरना होंगा। साथ ही किले तक पहुचने के लिए आप शहर में विविध जगहों से स्थानिक बसों का भी सहारा ले सकते है या तो फिर मेट्रो, ऑटो या रिक्शा या टैक्सी से भी आप किले तक पहुच सकते है। किले के पास कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन है, जबकि सबसे पास पुरानी दिल्ली रेल्वे स्टेशन है।

सलीमगढ़ किले के आस-पास आकर्षण – Attraction around Salimgarh Fort
  • चांदनी चौक – Chandni Chowk

मध्य-उत्तरी दिल्ली के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक चांदनी चौक में किताब, कपड़ो, चमड़े की वस्तुए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उपहारों की बहुत सी दुकाने है।

  • लाल किला – Red Fort

शुरू में लाल किले को किला-ए-मुँल्ला के नाम से जाना जाता था। लाल किले का निर्माण मुघल सम्राट शाहजहाँ द्वारा 1638 में अपनी राजधानी को नव-नियोजित शहर शाहजहाँबाद में स्थानांतरित करने के बाद किया गया।

  • दरा शिकोह लाइब्रेरी – Rate shoech library

शाह जहाँ के उदारवादी बौद्धिक बेटे और उत्तराधिकारी दारा शिकोह द्वारा इस लाइब्रेरी का निर्माण किया गया।

  • जामा मस्जिद – Jama Masjid

भारत की सबसे विशाल मस्जिद, जामा मस्जिद का निर्माण शाह जहाँ द्वारा किया गया। इस मस्जिद को असल में मस्जिद-ए-जहनुमा कहा जाता है।

  • राज घाट – Raj Ghat

दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध स्मारक, राज घाट का निर्माण राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सम्मान में किया गया।

  • सेंट जेम्स चर्च – St. James’ Church

1836 में बने इस सुंदर चर्च का निर्माण कर्नल जेम्स स्किनर ने करवाया था।

  • लोथियन कब्रिस्तान – Lothian Cemetery

लोथियन रोड पर बना यह कब्रिस्तान, दिल्ली में बना पहला ब्रिटिश कब्रिस्तान है।

भारत देश की राजधानी दिल्ली में बहुत से ऐतिहासिक स्मारक,किले, मंदिर मौजूद हैं। यहाँ के हर स्मारक से जुडा इतिहास अलग ही हैं। इतिहासकारों को यह ऐतिहासिक स्थल काफी रोमांचित हैं।

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28 मार्च का इतिहास | 28 March Today Historical Events

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28 March Today Historical Events

इतिहास में बहुत सी घटनाये घटी हैं जिसका सबंध आज के दिन यानि 28 मार्च से हैं। आईये इतिहास में आज के दिन कौनसी महत्वपूर्ण घटनाये घटी, कौनसे महान व्यक्ति का जन्मदिवस हैं और साथ ही कौनसे महान व्यक्ति ने इस दुनिया को अलविदा कहा।

28 मार्च का इतिहास – 28 March Today Historical Events

28 March History

28 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 28

  • अकबर ने मालवा की राजधानी सांरगपुर पर 1561 में हमला कर बाजबहादुर को हरा दिया।
  • हॉलैंड में 1572 में स्पेन के सेना कमांडर के अत्याचारों के विरुद्ध जनान्दोलन आरंभ हुआ।
  • पोलैंड का सन 1795 में विभाजन हुआ।
  • सन 1809 में हुए मेडलिन युद्ध में फ्रांस के हाथों स्पेन की हार हुई।
  • फ्रांस और ब्रिटेन ने 1854 में रूस के खिलाफ क्रीमिया युद्ध की घोषणा की।
  • विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप 1891 में आयोजित।
  • सन 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान महिलाओं की सेना सहायक कोर की स्थापना हुई।
  • अमेरिकी आविष्कारक ब्रेडली ए. फिस्के ने 1922 में माइक्रोफिल्म पठन यंत्र का पेटेंट कराया।
  • सन 1930 में तुर्की के कई शहरों का नाम बदल दिया गया जिसमे अंगोरा और कांस्टेंटिनाेपल ने अपना नाम बदलकर क्रमश: अंकारा और इस्तांबुल कर लिया।
  • सन 1939 में स्पेन में गृहयुद्ध समाप्त हुआ।
  • जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने पोलैंड के साथ एक दूसरे पर आक्रमण नहीं करने संबंधी पांच साल पुराने समझौते को 1939 में तोड़ा।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1941 में नजरबंदी से बचकर बर्लिन पहुँचे।
  • चीन ने 1959 में तिब्बत की सरकार भंग की और पांचेन लामा को पदासीन किया।
  • रूस और अमेरिका के बीच 1963 में शीत युद्ध हुआ।
  • इंग्लैंड के पास 1964 में पहला समुद्री डाकू रेडियो स्टेशन बना।
  • डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग ने 1965 में काले अमेरिकियों के अधिकारों के लिए एलाबामा की राजधानी मॉटगुमरी में 25 हजार लोगों के साथ मार्च निकाला।
  • तत्कालीन सोवियत रूस ने 1972 में परमाणु परीक्षण किया।
  • मोरारजी देसाई ने 1977 में भारत में सरकार बनायी।
  • वेस्टइंडीज के कोर्टनी वाल्स ने 2000 में 435 विकेट लेकर कपिल देव का रिकार्ड तोड़ा।
  • इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 2005 में आये शक्तिशाली भूकम्प से भारी तबाही।
  • अमेरिका ने 2006 में पाकिस्तान के पेशावर में स्थित अपना वाणिज्य दूतावास बंद किया।
  • सन 2013 में इंटरनेट पर इतिहास का सबसे बड़ा हमला हुआ।
  • सायना नेहवाल 2015 में दुनिया की नंबर एक महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं।

28 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 28 March

  • प्रसिद्ध रूसी साहित्यकार मैक्सिम गोर्की का 1868 में जन्म हुआ।
  • गणितज्ञ, हिंदी विश्वकोश के संपादक तथा हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य के बहुप्रतिभ लेखक गोरख प्रसाद का 1896 में जन्म हुआ।
  • भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता एबिय जे जोस का 1972 में जन्म हुआ।
  • भारतीय अभिनेत्री सोनिया अग्रवाल का 1982 में जन्म हुआ।
  • पॉप गायिका लेडी गागा का 1986 में जन्म हुआ।
28 मार्च को हुए निधन – Died on 28 March
  • सन 1552 में सिक्खों के दूसरे गुरु का गुरु अंगद देव का निधन।
  • सन 1941 में भारतीय पुलिस आयुक्त का कावासजी जमशेदजी पेटिगारा निधन।
  • सन 1943 में स्वतंत्रता कार्यकर्ता एस सत्यमूर्ति का निधन।
  • सन 1959 में दक्षिण भारत के एक प्रमुख राजनैतीक कार्यकर्त्ता काला वेंकटराव का निधन।
  • सन 1969 में सं.रा. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आइजनहावर का निधन।
  • सन 2006 में भारतीय दार्शनिक वेथाथिरी महर्षि का निधन।
  • सन 2006 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतन्त्रता सेनानी बंसीलाल का निधन।
  • सन 2008 में आस्कर विजेता व पटकथा लेखक ऐबीमैन का निधन।
28 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important events and festivities of 28 March
  • राष्ट्रीय नौवहन दिवस।

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इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाओं की, जन्म और मृत्यु के बारेमें जानकरी को आप तक पहुचाने का यह हमारा एक छोटासा प्रयास हैं. इसमें कुछ बदलाव करने हो तो आपके सुझाव आप हमें कमेंट्स के जरिये जरुर दे, धन्यवाद्

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जहापनाह का इतिहास | Jahanpanah History

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दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश और भारत की राजधानी है। दिल्ली शहर के तीन भाग हरियाणा और चौथा भाग उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमा बाटते है। दिल्ली में बहुत से एतिहासिक स्मारक है, जो पर्यटकों को आकर्षित करते है। इन स्मारकों में मुख्यतः लाल किला, क़ुतुब मीनार, हुमायूँ का मकबरा, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर और दुसरे बहुत से स्मारक शामिल है। इनमें से एक जहापनाह – Jahanpanah हैं।

Jahanpanah Delhi जहापनाह का इतिहास- Jahanpanah History

जहापनाह एक दुर्ग शहर हैं जिसे मुहम्मद बिन तुग़लक ने बनाया है, उन्होंने इस शहर का निर्माण मंगोल आक्रमण से बचने के लिए किया। वर्तमान शहर तबाह हो चूका है लेकिन आज भी हम प्राचीन दीवार और किले के भीतर बने एतिहासिक स्मारक दिखाई देते है। जहापनाह का अर्थ दुनिया की शरण से है। यह शहर सीरी से क़ुतुब मीनार तक फैला हुआ है।

मुहम्मद बिन तुगलक ने 1326 और 1327 के समय में इस दुर्ग शहर का निर्माण किया था। वह बिखरे हुए शहरी इलाको में एकता कायम करना चाहते थे और इसी वजह से उन्होंने दुर्ग शहर का निर्माण करवाया।

इस दुर्ग शहर में और भी कई किले, स्मारक हैं। जो इस प्रकार हैं।

आदिलाबाद :

आदिलाबाद, मामूली आकार का एक किला है। किले का निर्माण तुगलकाबाद के दक्षिण में पहाड़ी क्षेत्र पर किया गया है और यह किला जहापनाह शहर की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करता है। यह किला अपने पूर्ववती किले, तुगलकाबाद किले से काफी छोटा लेकिन समान आकार का है।

बेगमपुर मस्जिद :

वर्तमान में शहर के अवशेष बेगमपुर गाँव में बिखरे हुए है, जो इसके समृद्ध इतिहास की याद दिलाते है। बेगमपुर मस्जिद 90 मीटर * 94 मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका भीतरी अंगम 75 मीटर * 80 मीटर का है। कहा जाता है की ईरानी आर्किटेक्ट ज़ाहिर अलदीन अल्जयुश ने इस मस्जिद की डिजाईन को बनाया था।

कलुसराई मस्जिद :

कलुसराई मंदिर बीजामंडल के उत्तर में 500 मीटर की दुरी पर स्थित है लेकिन यह अत्यधिक जीर्ण राज्य इ स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मस्जिदों के प्रसिद्ध निर्माणकर्ता खान-ए-जहां मकबूल तिलंगनी ने करवाया था। यह उनके द्वारा निर्मित सांत मस्जिदों में से एक है और इसका निर्माण भी बाकी छः मस्जिदों के आकार में ही किया गया है। लेकिन फिर भी दूसरी मस्जिदों की तुलना में इस मंदिर के मेहराब की दृश्य सजावट अधिक जटिल है। वर्तमान में यहाँ कुछ परिवार रहते है।

सराई शाजी महल :

बेगमपुर मस्जिद के पूर्व में सराई शाहजी ग्राम में मुघल कालीन इमारते देखने मिलती है, जिनमे से सराई शाजी महल एक विशिष्ठ स्मारक है। इसके आस-पास का क्षेत्र बिखरे हुए द्वार, कब्र और विशाल झुग्गी क्षेत्र से घिरा हुआ है। इस स्थान से थोड़ी ही दुरी पर शेख फरीद मुर्तजा खान का मकबरा है, जो अकबर के शासनकाल में विशाल मस्जिदों और इमारतो के निर्माण के लिए जाना जाता था।

बिजय मंडल :

74 मीटर के अयं में बनी बिजय मंडल एक ईमारत है, जहाँ बेहतरीन समरूप वर्गीय गुंबद है। इसे हम किसी टावर या महल का नाम नही दे सकते। यह एक ठेठ तुगलकी संरचना है, जिसकी अष्टकोणीय योजना को मलबे चिनाई से बनाया गया, जहाँ सभी प्रधान दिशाओ में दरवाजो का निर्माण किया गया है। इस असामान्य संरचना के उद्देश्य और सर दारा महल की तबाही का उल्लेख इब्न बतूता ने एकाधिक कक्ष वाले महल और विशाल जनता कक्ष के रूप में किया है। साथ ही इसका निर्माण अपने सैनिको की हरकतों पर ध्यान रखने के लिए भी किया गया था। इस स्थान का माहौल इसे आरामदायक और आनंदमयी जगह बनाता है।

यात्रा करने के सर्वोत्तम समय – Best time to travel

किले की यात्रा करने का सबसे सही समय अक्टूबर और मार्च के बीच का है, इस समय मौसम काफी अच्छा होता है। दिसम्बर और जनवरी का मौसम भी ठंडा होता है लेकिन फिर भी पर्यटन अपनी यात्रा का आनंद लेते है। बचे हु माह में, मौसम काफी गर्म होता है, जिससे पर्यटकों को असुविधा हो सकती है।

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29 मार्च का इतिहास | 29 March Today Historical Events

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29 March Today Historical Events

देश और दुनिया के इतिहास में आज के दिन कई घटनाएं हुईं, जानते हैं आज के दिन यानि 29 मार्च के इतिहास के बारेमें –

29 मार्च का इतिहास – 29 March Today Historical Events

29 March History

29 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 29

  • ब्राजील की पहली राजधानी सल्वाडोर द बहीया की 1549 में नींव डली।
  • अकबर ने 1561 में मालवा की राजधानी ‘सारंगपुर’ पर हमला करके बाजबाहुदर को हरा दिया।
  • सन 1798 में स्वीट्जरलैंड गणराज्य बना।
  • हैती में 1804 में हजारों गोरे लोगों की हत्या की गई।
  • भारत में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ बंगाल नेटिव इन्फैंट्री विद्रोहों और लंबे समय से चल रहे 1857 के सिपाही स्वतंत्रता संग्राम में सिपाही मंगल पांडे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने गये।
  • ब्रिटिश संसद ने 1867 में कनाडा के गठन के लिए उत्तरी अमेरिका अधिनियम पारित किया।
  • ऑस्ट्रेलिया में 1901 में पहला संघीय चुनाव हुआ।
  • अमेरिका में जैक बेनी ने 1932 में पहली बार रेडियो पर अपने कार्यक्रम की शुरुआत की।
  • स्वतंत्रता सेनानी एवं नेता लक्ष्मण नायक को 1943 में बरहामपुर की जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
  • तेनजिंग नोर्गे तथा हिलैरी द्वारा 1953 में विश्व की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट पर विजय।
  • भारतीय लोक प्रशासन संस्थान का 1954 में उद्घाटन किया गया।
  • फ्रांस ने 1967 में पहली बार अपनी परमाणु पनडुब्बी की शुरआत की।
  • पहला लंदन मैराथन 1981 में नार्वेजियन इजेज सिमंसेंन द्धारा जीता गया।
  • तेलुगु देशम पार्टी का एन. टी. रामाराव के द्वारा 1982 में गठन हुआ।
  • हिमालय की तलहटी में 1999 में आये जबरदस्त भूकंप में तक़रीबन 90 लोगों की मौत हो गई।
  • अमेरिकी शेयर इंडेक्स डाऊ जोंस 1999 में पहली बार 10000 अंक के पार गया।
  • आयरलैंड 2004 में कार्यस्थलों पर ध्रूम्रपान प्रतिंबंधित करने वाला पहला देश बना।
  • दुनिया के 370 शहरों ने 2008 में पहली बार ऊर्जा बचत करने के लिए अर्थ आवर मनाने की शुरूआत की।
  • इराक में 2008 में हुए अमेरिकी बम विस्फोट में लगभग 50 लोगों की मृत्यु।
  • मास्को मेट्रो ट्रेन में 2010 में दो आत्मघाती हमले हुए उसमें तक़रीबन 40 की जान गयी।
  • इंग्लैंड एण्ड वेल्स में 2014 में पहला समलैंगिक विवाह आयोजित किया गया।

29 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 29 March

  • हिन्दी के प्रसिद्ध कवि और लेखक भवानी प्रसाद का 1913 में आज ही के दिन जन्म हुआ।
  • दिल्ली के उपराज्यपाल तथा त्रिपुरा, गोवा और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल रोमेश भंडारी का 1928 में जन्म हुआ।
  • भारतीय फिल्म अभिनेता उत्पल दत्त का 1929 में जन्म हुआ।
  • इंग्लैंड के प्रधानमन्त्री जॉन मेजर का 1943 में जन्म हुआ।
  • न्यूजीलैंड के क्रिकेट खिलाड़ी जॉन हावर्थ का 1951 में जन्म को ऑकलैंड में हुआ।
29 मार्च को हुए निधन – Died on 29 March
  • 1963 में हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का निधन।
29 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important events and festivities of 29 March
  • आर्य समाज स्थापना दिवस

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एलोन मुश्क का जीवन परिचय | Elon Musk Biography

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बिज़नस और कंप्यूटर की दुनिया में कई सारे लोगो ने अपना अपना योगदान दिया है। इस तेजी से दौड़ने वाली दुनिया कब, कहा क्या हो जाए कोई बता नहीं सकता। ऐसी ही इस जगात के जाने माने व्यक्ति है जिन्होंने अपने काबिलियत से सबको हैरान कर रखा है। Elon Musk – एलोन मुश्क वो व्यकी है जिसने खुद के दम पर इस दुनिया में अपनी अलग पहचान बनायीं है।

उन्हें बचपन से ही कंप्यूटर में बड़ी रुची थी। उनके जिंदगी से सबसे ज्यादा चौकानेवाली बात यह है की जब वो केवल 10 साल के थे तो उस वक्त उन्होंने खुद कंप्यूटर का प्रोग्राम तयार किया था। वो केवल इसी बात पर ही नहीं रुके और इसके आगे भी कंप्यूटर में उन्होंने बड़े बड़े काम किये। जब वो केवल 12 साल के थे तो उन्होंने गेम का सॉफ्टवेयर बनाया था और उसे खुद मार्किट में बेचने का काम भी किया।

Elon Muskएलोन मुश्क का जीवन परिचय – Elon Musk Biography

एलोन आर। मुश्क का जन्म 28 जून 1971 को दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था। मुश्क की माँ कनाडा से थी और पिताजी ब्रिटिश थे लेकिन उनके पिताजी का जन्म दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था। लेकिन 1980 में उनके माँ और पिताजी का तलाक हो गया और इस घटना के बाद वो अपने पिताजी के साथ ही रहते थे और जब वो अपने पिताजी के साथ में रहते थे तो अफ्रीका के कई सारी जगह पर रह चुके थे।

उन्होंने अपनी पढाई वाटरक्लूफ़ हाउस प्रिपरेटरी स्कूल में पूरी की और प्रेटोरिया बॉयज हाई स्कूल में डिग्री की पढाई पूरी की। जब उन्हें कनाडा का नागरिक बनाया गया, तो उसके बाद में 1988 में वो कनाडा चले गए थे, उस वक्त वो केवल 17 साल के थे। उनकी माँ कनाडा से थी इसीलिए उन्हें बड़ी आसानी से कनाडा का नागरिक बनाया गया था।

उनकी दक्षिण अफ्रीका की मिलिटरी की सर्विस शुरू होने से पहले ही वो कनाडा पहुच चुके थे। जब वो कनाडा में रहते थे तो उन्होंने सोचा की यहाँ से दक्षिण अफ्रीका जाने की बजाय अमेरिका जाना काफी आसान होगा और उन्होंने वैसा किया भी। बाद में उन्होंने ओंटारियो के क्वीन्स स्कूल ऑफ़ बिज़नस में दो साल तक पढाई की। इन दो साल की पढाई करने के बाद में वो पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी गए और वहाके व्हार्टन स्कूल से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की।

भौतिकशास्त्र की एक और डिग्री पूरी करने के लिए वो वहापर एक साल रहे। बाद में वो कैलिफ़ोर्निया गए क्यों की वहापर उन्हें स्तान्फोर्ड में एप्लाइड फिजिक्स में पीएच डी करनी थी।

एलोन मुश्क का करिअर – Elon Musk Career

1988 में वो कनाडा चले गए और एक अमेरिकन नागरिक बन गए। फिलहाल वो टेस्ला मोटर्स, सोलर सिटी के सीईओ और मुख्य उत्पाद के शिल्पकार है साथ ही वो स्पेस एक्स के भी सीईओ और सीटीओ है।

फाल्कन हैवी राकेट की डिजाईन में और उसे बनाने में एलोन मुश्क का बहुत ही बड़ा योगदान है, इसी वजह से अधिकतर लोग उन्हें फाल्कन राकेट के लिए भी जानते है।

एलोन मुश्क और उनके भाई ने मिलकर सन 1995 में ज़िप2 नाम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी खोल दी थी। लेकिन 1999 में उन्होंने इस कंपनी को बेच दिया और करोड़पति गए। उसके बाद में उन्होंने एक्स डॉट कॉम नाम की कंपनी खोली लेकिन कुछ समय के बाद ही उन्होंने इसे कांफिनिटी कंपनी के साथ में जोड़ दिया और जब यह दोनों कंपनिया साथ में मिल गयी तो उनमेसे पेपाल नाम की नयी कंपनी बनायीं गयी।

एक्स डॉट कॉम को ही आगे चलकर पेपाल नाम दिया गया और नाम देने के बाद एलोन मुश्क ने इस कंपनी को ओर बड़ा करने पर जोर दिया। उसके बाद में उन्होंने स्पेसएक्स कंपनी खोली और टेस्ला के सीईओ बन गए।

मगर वहापर पहुचने पर केवल दो दिन के बाद ही उन्हें इस कोर्स को छोड़ना पड़ा क्यों की वो इन्टरनेट, नविकरनिय उर्जा और अवकाश के क्षेत्र में बिज़नस करना चाहते थे। वो 2002 में अमेरिका के नागरिक बन गए।

एलोन मुश्क ने बचपने से ही अविश्वसनीय काम करने शुरू कर दिए थे। उनका इस तरह के अद्भुत काम करने का दौर आगे भी चलता रहा। उनके कई सारे कार्य में एक फाल्कन राकेट को लेकर है। इस राकेट की डिजाईन बनाने का काम खुद एलोन मुश्क ने ही किया है और साथ ही इस बड़ी मुहीम को कामयाब बनाने में सबसे अधिक योगदान उनका ही रहा है। अधिकतर लोग उन्हें इस फाल्कन राकेट की कामयाबी के लिए ही पहचानते है।

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कोंदावीदु किले का इतिहास | Kondaveedu Fort History

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Kondaveedu Fort – कोंदावीदु किला आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में आता है। इस किले को बनाने के लिए केवल एक राजा का योगदान नहीं रहा बल्कि इस किले को बनाने के लिए बहुत सारे राजा महाराजा ने योगदान दिया है। इस किले को बनाने के लिए कई साल लग गए। साथ ही इस किले के बाजु में भगवान श्री कृष्ण मंदिर भी बनवाया गया है। जिसे गोपिनाथवामी मंदिर नाम से सभी जानते है।

Kondaveedu Fort

कोंदावीदु किले का इतिहास – Kondaveedu Fort History

कोंदावीदु किले का निर्माण अनापोथा रेड्डी ने सन 1250 में किया था और इस किले को और भी बड़ा बनाने में काकतीय का बड़ा योगदान है। लेकिन बाद में इस किले पर प्रोलाया वेमरेड्डी ने कब्ज़ा कर लिया और उसने सन 1323 में अपनी अद्दंकी को छोड़कर कोंदावीदु को राजधानी बनाया। इसके बाद में किला एक के बाद एक विजयनगर के राजा, गजपति, गोलकोंडा के सुलतान और सबसे आखिरी में फ्रेंच और ब्रिटिश के हातो में चला गया। जिनका यहाँ पर शासन था उन सब की इस प्रान्त और किले को लेकर विभिन्न योजनाये थी। मगर यहापर जितने भी हिन्दू शासक थे उन सभी ने इस किले और यहाँ के प्रान्त के भले के लिए ही योजनाये बनायीं। लेकिन मुस्लीम बादशाहों ने यहाँ के प्रान्त के विकास के लिए कुछ भी काम नहीं किया।

सन 1323 में वारंगल और आंध्रप्रदेश का बहुत सारा हिस्सा दिल्ली के तुग़लक के कब्जे में चला गया था। उनके इस लुट पुटकी योजनाओ में कारण लोग परेशान होने लगे थे जिसके कारण हिन्दू राजा मुसुनुरी नायक ने मुस्लिमो को वारंगल से निकाल दिया था और इस मुहीम में रेड्डी भी शामिल थे।

कोंदावीदु के रेड्डी सबसे पहले वारंगल राजा के यहाँ सामंत हुआ करते थे। यहापर मिले शिलालेख के कारण एक बात समझ में आती है की वो कोरुकोंदा रेड्डी के समकालीन थे और उन्होंने अपनी राजधानी अद्दंकी से बदलकर कोंदावीदु में स्थित कर दि थी। इस वंश का संस्थापक प्रोलाया रेड्डी था और वो प्रोला का बेटा था। अभी के विजयवाड़ा और गुंटूर में उन्होंने करीब सौ साल (1328-1428) तक शासन किया था।

उनका पहला राजा प्रोलाया वैमा रेड्डी जिसने सन 1353 तक शासन किया था और उसने अपने समय में कई सारे किले बनवाये थे जिसके चलते उसका राज्य काफी मजबूत और ताकतवर बन गया था। जो किले उसने बनवाये थे उनमेसे कोंदावीदु का किला भी था। बाद में फिर उसने अपनी राजधानी गुंटूर के अद्दंकी से हटाकर कोंदावीदु बना ली थी। इसके बाद में इस प्रान्त पर बहमनी (1458), विजयनगर के राजा (1516), क़ुतुबशाही (1531,1537 और 1579), औरंगजेब की मुग़ल सेना ने 1687, फ्रेंच (1752), असफजाही राजा और सबसे आखिरी में ब्रिटिश (1766 और 1788 ) ने शासन किया था।

कोंदावीदु किले की वास्तुकला – Architecture of Kondavidu Fort

इस किले को बहुत ही सुन्दरता से बनवाया गया। जिस वास्तुकला में इसे बनवाया गया वो बहुत ही सुन्दर वास्तुकला का प्रतिक है। इस किले में कुल 24 गढ़ है और इसके चारो ओर 30 छोटी छोटी पहाड़िया है, तब इस किले पर गजपति का शासन था। यह किला बड़ी ही उचाई पर होने की वजह से काफी मनमोहक दिखता है।

इस किले में कुल 21 स्तूप है जो की दिखने में काफी सुन्दर है। यहाँ ओर भी देखनेलायक कई चीजे है जैसे की मंदिर, लोगो के रहने के घर, स्तंभ और कई सारे प्रवेश द्वार। इस किले के नजदीक में ट्रेकिंग करने के लिए भी जगह है। यहापर के कुछ शिलालेख को पढने के बाद हमें यह भी समझमे आता है की यह किला किसने, कब और कैसे बनवाया था। जब कभी भी आप गुंटूर जिले में आएंगे तो इस किले को जरुर देखना चाहिए।

इस किले के निचे गोपिनाथवामी का मंदिर है और यहाँ मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर को केवल एक ही पत्थर से बनाया गया है। इस किले को हिन्दू और मुस्लीम दोनों के भी वास्तुकला में भी बनाया गया है। इस किले में एक मस्जिद भी बनायीं हुई है और ऐसा भी कहा जाता है की इस मस्जिद को मंदिर के अवशेष से बनाया गया था।

इस कोंदावीदु किले की सबसे खास बात यह है की इसमें लोगो की पानी की जरुरत पूरी करने के लिए कुवा किया गया है। मगर यहापर केवल एक कुवा नहीं बल्की पुरे तीन कुवे बनाये गए है। इन कुवे के पानी का लोग इस्तेमाल करते है। इस किले एक और खास बात यह है की इसमें एक बड़ी मस्जिद है। मगर इस मस्जिद के बारे ऐसा भी कहा जाता है जिस जगह पर आज यह मस्जिद है, उसी जगह पर पहले मंदिर हुआ करता था। उसी मंदिर के अवशेष पर ही इस मस्जिद को बनाया गया है।

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30 मार्च का इतिहास | 30 March Today Historical Events

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30 March Today Historical Events

दोस्तों आज जानते हैं 30 मार्च का इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारेंमे, उन लोगों के जन्मदिन के बारेमें जिन्होंने दुनिया में आकर बहुत बड़ा नाम किया साथ ही उन मशहूर लोगों के बारेंमे जो इस दुनिया से चले गए।

30 मार्च का इतिहास – 30 March Today Historical Events

30 March History

30 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 30

  • नेपोलियन बोनापोर्ट को हराने के बाद ब्रिटेन की सेना ने 1814 में पेरिस की ओर चल पड़ी।
  • फ्लोरिडा 1822 में अमेरिकी गणराज्य में शामिल हुआ।
  • बेहोशी की दवा के रूप में ईथर का 1842 में पहली बार इस्तेमाल हुआ।
  • क्रिमिया नामक लड़ाई 1856 में पेरिस समझौते के साथ समाप्त हुई।
  • हैमेन एल. लिपमेन ने 1858 में इरेजर के साथ जुड़ी पेंसिल का पहला पेटेंट रजिस्टर किया।
  • अमेरिका ने रूस से अलास्का को 1867 में खरीदा।
  • जर्मनी के डुसेलडॉफ शहर पर बेल्जियम की सेना ने 1919 में अपना कब्जा किया।
  • महात्मा गांधी ने 1919 में रॉलेक्ट एक्ट के विरोध की घोषणा की।
  • सोवियत संघ ने 1945 में आस्ट्रिया पर आक्रमण किया।
  • राजस्थान राज्य की स्थापना 1949 में आज ही के दिन हुई और जयपुर को उसकी राजधानी बनाया गया।
  • मर्रे हिल ने 1950 में फोटो ट्रांजिस्टर का अविष्कार किया।
  • फ्रांस ने 1963 में अल्जीरिया के इकर क्षेत्र में भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
  • अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में 1976 में भूमि दिवस के नाम से बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ।
  • स्वामी अग्निवेश ने 1977 में अपनी भारतीय आर्यसभा पार्टी को जनता पार्टी में विलय कर दिया।
  • नासा के अंतरिक्ष यान कोलंबिया ने 1982 में एसटीएस-3 मिशन पूरा कर पृथ्वी पर वापसी की।
  • सत्यजित रे को 1992 में मानद ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • पाकिस्तान के कहुटा परमाणु संयंत्र पर 2003 में 2 वर्षों के लिए प्रतिबंध लगा।
  • दिल्ली के मशहूर और पुराने सिनेमा धरों में से एक 1932 से चल रहे रीगल सिनेमा हॉल को 2017 में बन्द कर दिया गया।

30 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 30 March

  • 1853 में नीदरलैण्ड के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक विन्सेंट वैन गो का जन्म हुआ।
  • 1899 में भारतपाकिस्तान विभाजन की रेखा तैयार करनेवाले सीरिल रैडक्लिफ़ का जन्म हुआ।
  • 1908 में भारतीय अभिनेत्री देविका रानी का जन्म हुआ।
30 मार्च को हुए निधन – Died on 30 March
  • सिक्खों के आठवें गुरु गुरु हर किशन सिंह का सन 1664 में आज ही के दिन निधन हुआ।
  • प्रसिद्ध संगीतकार आनंद बख्शी का सन 2002 में आज ही के दिन निधन हुआ।
  • मशहूर कार्टूनिस्ट और लेखक ओ वी विजयन का सन 2005 में आज ही के दिन निधन हुआ।
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार मनोहर श्याम जोशी का 2006 में निधन हुआ।
30 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important events and
festivities of 30 March

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महान समाज सुधारक बसव | Basavanna History

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Basavanna – बसव 12 वी शताब्दी के एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में सुधारना लाने के लिए आखिर तक प्रयास किये। उन्होंने लिंगायत धर्मं की स्थापना की थी इसीलिए उन्हें इस धर्मं के संस्थापक भी कहा जाता है। इस धर्म में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

Basavanna

महान समाज सुधारक बसव – Basavanna History

बसव का जन्म सन 1105 के करीब उत्तर कर्नाटक के बागेवादी में एक ब्राह्मण हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके माता पिता मदरसा और मदलाम्बिके थे और वो भगवान शिव के भक्त थे। संस्कृत शब्द वृषभ के नाम पर से उनका बसव नाम रखा गया। वृषभ का अर्थ होता है भगवान शिव के वाहन नंदी।

बसव कुदालासंगमा (कर्नाटक के उत्तर पूर्वी दिशा में) में बड़े हुए। यह कृष्णा नदी और उसकी उपनदी मालप्रभा के किनारे स्थित है। बसव ने पुरे बारा सालों तक एक संगमेश्वर के हिन्दू मंदिर में पढाई की और बाद में शैव पंथ की पढाई की। यह पढाई ज्यादातर लाकुलिषा पाशुपत परंपरा से जुडी थी।

बसव की शादी गंगाम्बिके से हुई थी। वो कलचुरी राजा बिज्जाला के प्रधान मंत्री की बेटी थी। बसव ने राजा के दरबार में एक मुनीम के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। जब बसव के मामा गुजर गए तब राजा ने बसव को मुख्य मंत्री बना दिया था और साथ ही राजा ने बसव की बहन पद्मावती से शादी भी कर ली थी।

अपने राज्य का मुख्य मंत्री होने के नाते बसव ने राज्य के खजाने का पैसा सामाजिक सुधारना और धार्मिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। साथ ही उन्होंने शैव पंथ को बढ़ा करने पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था जिसके कारण जो जंगमा नाम से सन्यासी जाने जाते थे उनके विकास के लिए बसव ने कई सारे कार्य किये।

उन्होंने 12 वी शताब्दी में “अनुभव मंताप” की स्थापना भी की थी, जहापर सभी लोग इकट्टा होकर अपने जिंदगी से जुडी हर अध्यात्मिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर खुल के चर्चा करते थे। उन्होंने अपनी ही मातृभाषा में कई सारी कविताये लिखी, ऊनके माध्यम से समाज को सुधारने के प्रयास किये। उनकी किताब ‘कयाकावे कैलास’ (काम करने से ही कैलाश की प्राप्ति होती है) काफी प्रसिद्ध हुई थी।

बसव ने लिंग और सामाजिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया, अंधश्रद्धा और शरीर पर किसी पवित्र धागे को पहनने पर उन्होंने कड़ा विरोध किया मगर साथ ही उन्होंने शिव की भक्ति को हमेशा करने के लिए एक नए इष्टलिंग हार को समाज के सामने रखा जिसमे भगवान शिव की प्रतिमा भी थी।

बसव ने जो समाज को सिख दी उनमे निचे दिए गए बातो का कड़ा पालन करना पड़ता था।

  • कभी झूठ नहीं बोलना
  • चोरी ना करना
  • किसी को ना मारना
  • कभी अहंकार नहीं करना
  • कभी क्रोध नहीं करना
  • सबके साथ मिलजुलकर रहना
  • सभी ने साथ में किसी बात के लिए भुगतना

लिंगायत का समर्थन करने वाले बसव को बचपन से आध्यात्मिकता में काफी रुची थी। बड़े होने पर जब वो राज्य के मुख्य मंत्री हुए तो उन्होंने एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण संस्था का निर्माण किया था। इस संस्था का नाम अनुभव मंताप था। इस संस्था की सबसे खास बात यह थी इसमें कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता था और किसी भी विषय पर अपने विचार सबके सामने रखने के लिए वो पूरी तरह से स्वतन्त्र था। बसव केवल यही पर नहीं रुके, उन्होंने अपने कविता के माध्यम से भी लोगो को सिख दी।

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31 मार्च का इतिहास | 31 March Today Historical Events

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31 March Today Historical Events

दोस्तों, आज जानते हैं आज के इतिहास के यानि 31 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ…..

31 मार्च का इतिहास – 31 March Today Historical Events

31 March History

31 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 31

  • भारत में 1774 में डाक सेवा का पहला कार्यालय खुला।
  • मुंबई में 1867 में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई।
  • अमेरिका में 1870 में पहली बार किसी अश्वेत नागरिक ने वोट दिया।
  • फ्रांस में एफिल टावर को 1889 में आधिकारिक रुप से खोला गया।
  • अमेरिका ने 1917 में डेनिश वेस्ट इंडीज खरीदा और उसका नाम वर्जिन आइलैंड रखा।
  • रॉयल ऑस्‍ट्रेलिया एयरफोर्स की 1921 में स्‍थापना हुई।
  • बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को 1959 में तिब्बत से निर्वासन के बाद भारत में शरण दी गई।
  • बंबई में 1964 में इलेक्ट्रिक ट्राम आखिरी बार चली।
  • सोवियत रूस ने 1966 में पहला चंद्रयान लूना10 लांच किया।
  • माल्टा ने 1979 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • कोलंबिया के शहर पोपायन में 1983 में आए विनाशकारी भूंकप में 500 लोगों की मौत हुई।
  • वासलेव क्लार्क को 1997 में नया नाटो सैनिक कमांडर नियुक्त किया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2005 में उत्तर कोरिया को अनाज की आपूर्ति रोकी।
  • विश्व तैराकी चैम्पियनशिप में माइकल फ़ेल्प्स ने 2007 में छह स्वर्ण हासिल किये।
  • पाकिस्तानी वायुसेना की बस के पास 2008 में बम विस्फोट में 12 लोग मारे गए।
  • जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 2011 में भारत की आबादी बढ़ कर 121 करोड़ (1 अरब 21 करोड़) हो गई है। दस साल पहले हुई गणना के मुकाबले यह 17।64 फ़ीसदी ज़्यादा है।

31 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 31 March

  • 1504 में सिक्खों के दूसरे गुरु गुरु अंगद देव का जन्म हुआ।
  • 1865 में भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी का जन्म हुआ।
  • 1860 में हिन्दी के उत्कृष्ट लेखकों में से एक रमा शंकर व्यास का जन्म हुआ।
  • 1922 में अमेरिकी अभिनेता और गायक रिचर्ड काइली का जन्म हुआ।
  • 1934 में अंग्रेज़ी और मलयालम की प्रसिद्ध लेखिका कमला दास का जन्म हुआ।
  • 1938 में भारत की प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञ तथा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का जन्म हुआ।
  • 1945 में प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का जन्म हुआ।
  • 1987 में भारतीय ग्रैंडमास्टर शतरंज कोनेरू हंपी का जन्म हुआ।
31 मार्च को हुए निधन – Died on 31 March
  • महान भौतिकशास्त्री आइजैक न्यूटन का 1727 में निधन।
  • 1930 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं लेखक श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन हुआ।
  • 1931 में भारत के विशिष्ठ निबंधकारों में से एक पूर्णसिंह का निधन हुआ।
  • 1972 में भारतीय अभिनेत्री मीना कुमारी का निधन हुआ।
  • 2002 में भारतीय महिला कार्यकर्ता मोतुरु उदयन, का निधन हुआ।
  • 2009 में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति रॉल अलफोन्सिन का निधन हुआ।

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