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कर्नाटक राज्य का इतिहास और जानकारी | Karnataka History Information

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Karnataka – कर्नाटक दक्षिण भारत का राज्य है, जिसकी राजधानी बैंगलोर है। कर्नाटक भारत का छठा सबसे बड़ा राज्य है। यह बेलगौम से उत्तर में और मंगलौर के दक्षिण तक फैला हुआ है। आपको यहाँ बहुत से नारियल के पेड़ और सुंदर समुद्र तट और घाटियाँ और खेत देखने मिलते है।
Karnataka

कर्नाटक राज्य का इतिहास और जानकारी – Karnataka History Information

कर्नाटक का प्राचीन इतिहास पीलेओलिथिक संस्कृति से जुड़ा हुआ रहा है, जिनके हाथो में कुल्हाड़ी हुआ करति थी। प्राचीन कर्नाटक और सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास 3300 BCE पुराना है।

BCE की तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के मौर्य साम्राज्य में शामिल होने से पहले कर्नाटक का ज्यादातर भाग नंदा साम्राज्य का भाग था। चार शताब्दियों तक यहाँ सातवाहन ने शासन किया और इससे कर्नाटक के ज्यादातर भागो का नियंत्रण उन्होंने अपने हाथो में ले लिया।

सातवाहन के गिरते ही, पडोसी कदंबा और पश्चिमी गंगा साम्राज्य उगम हो गया और उन्होंने अपनी स्वतंत्र राजनितिक पहचान स्थापित की। कदंबा साम्राज्य की स्थापना मयूर शर्मा ने की, जिसकी राजधानी वाराणसी थी। पश्चिमी गंगा साम्राज्य को तलाकड़ के साथ राजधानी के रूप में गठित किया गया।

इतिहासकारों की जानकारी के अनुसार शासन प्रबंध में कन्नड़ भाषा का प्रयोग करने वाला यह पहला साम्राज्य था। इन साम्राज्यों के बाद शाही कन्नड़ साम्राज्य जैसे बादामी चालुक्य, मान्यखेतांड राष्ट्रकूट साम्राज्य और पश्चिमी चालुक्य साम्राज्यों ने डेक्कन के विशाल भागो पर शासन किया और कर्नाटक को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया।

पश्चिमी चालुक्य ने वास्तुकला और कन्नड़ साहित्य की अद्वितीय कला को संरक्षित किया, जो 12 वी शताब्दी में होयसला कला के नाम से जाने जानी लगी। वर्तमान दक्षिणी कर्नाटक (गंगावड़ी) के ज्यादातर भाग पर 11 वी शताब्दी में चोला साम्राज्य ने कब्ज़ा कर रखा था। 12 वी शताब्दी में होयसला साम्राज्य के आने से पहले चोला और होयसला आपस में क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए लड़ रहे थे।

पहली सहस्त्राब्दी के बाद ही होयसला को क्षेत्र में शक्तियाँ मिल गयी। इस समय साहित्य निखरा हुआ था, जिससे विशेष कन्नड़ साहित्य का उगम भी हुआ और वास्तुकला की वेसरा स्टाइल में मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण किया जाने लगा।

होयसला साम्राज्य के विस्तार में वर्तमान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ भाग भी शामिल हो चूका था। 14 वी शताब्दी के शुरू में हरिहर और बुक्का राय ने मिलकर वर्तमान बेल्लारी जिले की तुंगभद्रा नदी के तट पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की और होसपत्ताना (बाद में इसका नाम विजयनगर रखा गया) को अपने राज्य की राजधानी बनाया। दक्षिण भारत में मुस्लिम शासको के खिलाफ यह साम्राज्य बांध की तरह खड़ा हुआ और तक़रीबन 2 शताब्दी तक राज्य का नियंत्रण इन्ही के हाथ में था।

1565 में जब विजयनगर साम्राज्य तालीकोटा के युद्ध में इस्लामिक सल्तनत के आगे गिर गया तो कर्नाटक और दक्षिण भारत को मुख्य भौगोलिक बदलाव का सामना करना पड़ा। बीदर के बहमानी सल्तनत की मृत्यु के बाद बीजापुर सल्तनत का उगम हुआ और जल्द ही डेक्कन का नियंत्रण उन्होंने अपने हाथ में ले लिया, बाद में 17 वी शताब्दी में मुघलो द्वारा इन्हें पराजित किया गया।

बहमानी और बीजापुर शासक उर्दू और पर्शियन साहित्य और इंडो-सरसनिक वास्तुकला को बढ़ावा दे रहे थे। उस समय गोल गुम्बज़ उनकी वास्तुकला का मुख्य हिस्सा बन चूका था। 16 वी शताब्दी के समय कोकणी हिंदू कर्नाटक स्थानांतरित हो गये। जबकि 17 वी और 18 वी शताब्दी के समय गुआन कैथोलिक उत्तर कनाडा और दक्षिण कनाडा में स्थानांतरित हो गये। इसका मुख्य कारण पुर्तगालियो द्वारा ज्यादा टैक्स वसूल करना और खाने की कमी था।

इसके बाद हैदराबाद के निज़ाम, मराठा साम्राज्य, ब्रिटिश और मैसूर साम्राज्य के लोगो ने उत्तरी कर्नाटक पर राज किया। और विजयनगर साम्राज्य में अंतिम शासक कृष्णराज वोदेयार द्वितीय की मृत्यु के बाद राज्य पूरी तरह से आज़ाद हो गया। बाद में मैसूर आर्मी के कमांडर-इन-चीफ हैदर अली ने क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ ले लिया। उनकी मृत्यु के बाद वहाँ उनका बेटा टीपू सुल्तान आकर बस गया।

लेकिन चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गयी और परिणामस्वरूप 1799 में मैसूर को ब्रिटिश राज में शामिल कर लिया गया। बाद में मैसूर साम्राज्य को पुनः वोडेयार में शामिल कर लिया गया और ब्रिटिश राज में मैसूर प्रांतीय राज्य बना रहा।

1857 के भारतीय विद्रोह से पहले 1830 में कर्नाटक के प्रांतीय राज्य पर बहुत से शासको ने राज किया। जबकि कित्तूर पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1848 में ही कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद सुपा, शोरापुर, नारगुडा, बागलकोट और दान्डेली के विद्रोह का उगम हुआ।

इन विद्रोह के परिणामस्वरुप ही 1857 के भारतीय विद्रोह की शुरुवात हुई, जिसका नेतृत्व मुन्दार्गी भीमराव, भास्कर राव भावे, हलागली बेदास, राजा वेंकटप्पा नायका और दुसरे नेताओ ने मिलकर किया।

19 वी शताब्दी के अंत में आज़ादी के अभियान ने आवेग प्राप्त कर लिया और 20 वी शताब्दी में कर्नाड सदाशिव राव, अलुरु वेंकट राय, एस। निजलिंगप्पा, कंगाल हनुमंथिया, नित्तूर श्रीनिवास राव और दुसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने इस अभियान को आगे बढाया।

भारत की आज़ादी के बाद महाराजा जयचामा राजेन्द्र वोड़ेयार ने अपने साम्राज्य को भारत में शामिल करने की मंजूरी दे दी। 1950 में मैसूर को भारतीय राज्य बनाया गया और 1975 तक भूतपूर्व महाराजा को राज्यप्रमुख बनाया गया। एकीकरण अभियान की मांग के बाद कोडगु और कन्नड़ बोलने वाले क्षेत्र मद्रास, हैदराबाद और बॉम्बे को राज्य पुनर्निर्माण एक्ट, 1956 के तहत मैसूर राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। बाद में 17 साल बाद 1973 में राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक रखा गया।

कर्नाटक के पर्यटन स्थल – Tourist places in Karnataka

कर्नाटक का समुद्र तट काफी विशाल तों नही लेकिन यह भारत के सबसे सुंदर समुद्रो तटो का घर है। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध समुद्र तटो में करवार, गोकर्ण, मुरुदेश्वर, मालपे उल्लाल और मंगलौर शामिल है।

कर्नाटक राज्य की भाषा – Language of Karnataka

कर्नाटक राज्य की अधिकारिक भाषा कन्नड़ है और साथ ही उर्दू, तेलगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, कोकणी और हिंदी शामिल है। ज्यादातर शिक्षित लोगो द्वारा अंग्रेजी और हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है।

कर्नाटक राज्य का सांस्कृतिक जीवन – Cultural life of the state of Karnataka

कर्नाटक के पास समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जो सतत विविध साम्राज्यों के योगदान से आगे बढती रही है। कर्नाटक के साहित्य, वास्तुकला, लोक-साहित्य, संगीत, चित्रकला और दूसरी कलाओ का प्रभाव काफी लोगो पर पड़ा है। मैसूर से 90 किलोमीटर की दुरी पर बसे श्रावणबेला गाँव में प्राचीन इमारते और स्मारक बने हुए है। यहाँ पर मौर्य साम्राज्य की विशेष वास्तुकला भी देखने मिलती है। साथ ही 10 वी शताब्दी के जैन संत बाहुबली के पत्थरो की मूर्ति भी यहाँ बनी हुई है। चालुक्य (543-757 CE) और पल्लव (चौथी से नौवी शताब्दी) साम्राज्य का प्रभाव आज भी हमें यहाँ दिखाई देता है।

कर्नाटक के धर्म – Religion of Karnataka

पहली सहस्त्राब्दी के समय बुद्ध धर्म कर्नाटक के कुछ भागो जैसे गुलबर्गा और बनावसी का सबसे प्रसिद्ध धर्म था। कर्नाटक में तिब्बती शरणार्थी शिविर भी है। एतिहासिक सूत्रों के अनुसार प्राचीन समय में यहाँ ज्यादातर लोग बुद्ध धर्म को मानते थे और इसके प्रमाण हमें प्राचीन अभिलेखों से मिल जाते है।

कर्नाटक के महोत्सव – Festival of Karnataka

मैसूर दशहरा का आयोजन नाडा हब्बा के रूप में किया जाता है और यही मैसूर का मुख्य महोत्सव है। कर्नाटक के दुसरे महोत्सवो में उगाडी (कन्नड़ नव वर्ष), मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी, नागपंचमी, बसवा जयंती, दीपावली और रमजान शामिल है।

भारत देश हमेशा से ही समृद्ध रहा हैं यहाँ के हर राज्य की कुछ अलग ही पहचान हैं। यहाँ के हर राज्य में हर चीज में विविधता हैं फिर चाहे वो भाषा में हो या संस्कृति में। लेकिन विविध जाती धर्म के सारे लोग यहाँ प्रेम भाव से एक साथ रहते हैं। वैसे कर्नाटक राज्य पर बहुत से शासकों ने राज किया और कई ऐतिहासिक स्मारकों की देन कर्नाटक राज्य को दी। ऐसे स्मारकों को पर्यटक प्रेमियों ने एक बार जरुर भेट देनी चाहियें।

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असम राज्य का इतिहास और जानकारी | Assam History Information

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Assam – असम दुनियाभर में चाय की खेती के लिए जाना जाता है और इसे सात बहनों के रहस्य का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। दिसपुर असम की राजधानी है और उपनगर गुवाहाटी क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है।

Assam

असम राज्य का इतिहास और जानकारी – Assam History Information

असम राज्य में एक समृद्ध और प्राचीन इतिहास है। इस राज्य में भारत-आर्यन, ऑस्ट्रो-एशियाटिक और तिब्बती-बर्मन मूल के लोगों का संगम रहा है।

कहा जाता हैं की पहली सहस्त्राब्दी के समय असम को प्रागज्योतिष-कामरूप के नाम से जाना जाता था और दूसरी सहस्त्राब्दी के शुरू में ही इसे छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित कर दिया गया। जबकि बादमे 13 वी शताब्दी के बाद अगले 600 वर्षो के लिए क्षेत्र को अहोम और कोचेस साम्राज्यों के नेतृत्व में असम साम्राज्य (संयुक्त संप्रभु राज्य) के रूप में स्थापित किया गया।

प्राचीन समय में तक़रीबन 700 वर्षो तक असम प्रागज्योतिष कामरूप के लगातार तीन राजवंशियो के नेतृत्व में रहा और मध्यकालीन युग में तक़रीबन 600 वर्षो तक असम अहोम के नेतृत्व में था, उस समय मुघलो को छोड़कर कोई भी विदेशी शक्तियाँ असम साम्राज्य पर आक्रमण करने में सफल नही रही।

प्राचीन समय में उत्तर भारतीय साम्राज्यों द्वारा काफी असफल कोशिशे करने के बावजूद, मुघलो ने असम पर कुल 17 बार आक्रमण किया, जिनमे से केवल 1 बार उनके हाथ एक छोटी सी सफलता लगी, जिसमे असम के छोटे से भाग पर उन्हें केवल 2 साल तक शासन करने मिला।
17 वी शताब्दी में मुघलो को पराजित कर उन्हें पूरी तरह से ब्रह्मपुत्र घाटी से निकाल दिया गया। ब्रिटिशो के आने तक कोई भी असम साम्राज्य पर कब्ज़ा करने में असफल रहा।

1947 में भारत के विभाजन और स्वतंत्रता के साथ, सिलीहट जिले को पाकिस्तान भेजा गया (पूर्वी भाग जिसका बांग्लादेश बन गया)। 1950 में असम एक घटक राज्य बन गया। 1961 और 1962 में, चीनी सशस्त्र बलों ने भारत और तिब्बत के बीच सीमा के रूप में मैकमोहन लाइन पर विवाद किया, उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती एजेंसी (अब अरुणाचल प्रदेश लेकिन फिर असम का हिस्सा) का कब्जा कर लिया। दिसंबर 1962 में, हालांकि, वे स्वेच्छा से तिब्बत वापस ले गए।

1960 के दशक के शुरूआती और 1970 के दशक के शुरूआती दौर में असम के नए राज्यों के लिए अपने बहुत से क्षेत्रफल खो गए, जो अपनी सीमाओं से उभरे। 1963 में नागा हिल्स डिस्ट्रिक्ट नागालैंड के नाम से भारत का 16 वां राज्य बन गया। उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी के एक पूर्व क्षेत्रीय Tuensang का हिस्सा भी नागालैंड में जोड़ा गया था।

1970 में, मेघालय पठार के आदिवासी लोगों की मांगों के जवाब में, खासी पहाड़ियों, जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स को गले लगाते जिलों असम के भीतर एक स्वायत्त राज्य में गठित किए गए थे और 1972 में यह एक अलग राज्य बन गया मेघालय का इसके अलावा 1972 में अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम असम से केंद्र शासित प्रदेशों में अलग हो गए थे; दोनों ही 1986 में राज्य बन गए।

पुरातात्विक और एतिहासिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद, आज भी असम दुनिया के लिए एक अनजान इलाका है।

असम राज्य की संस्कृति – Culture of Assam state

असम राज्य की संस्कृति सम्रुद्ध है। दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्वी एशियाई संस्कृति के मिलने का यह स्थान है, जहाँ की प्रधान भाषा असामी है। असम की नृत्यकला, संगीत, संगीत वाद्ययंत्र और वस्त्रो की डिजाईन भी दुसरे राज्यों की तुलना में थोड़ी अलग है।

असम राज्य की भाषा – Assam State Language

असम के लोगो की मुख्य भाषा असमीज और कुछ क्षेत्र में सामान्य भाषा ही प्रयोग किया जाता है। असम की दो भाषा, बोडो और असमीज को अधिकारिक भाषा कहा गया है और बैरक घाटी में बंगाली भाषा का उपयोग किया जाता है।

राज्य की स्थानिक भाषाओ में मुख्यतः मिशिंग, कर्बी, दिमोसा, गारो, हमार, ब्रू, तैफाके, तैखामती इत्यादि शामिल है और इन भाषाओ का उपयोग विशेष सांस्कृतिक समूह के लोग करते है। जबकि शिक्षित लोग ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी भाषा का उपयोग करते है।

असम के बहुत से भागो में बंगाली भाषा बोली जाती है, विशेषतः गुवाहाटी और स्लिचार में बंगाली समुदाय के लोग बंगाली भाषा का ही उपयोग करते है। साथ ही यहाँ दूसरी भारतीय भाषाओ का भी उपयोग किया जाता है जैसे पंजाबी, मारवाड़ी, भोजपुरी और गुजराती इत्यादि।
असामी भाषा के बाद यहाँ सर्वाधिक अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाता है।

असम और इसके आस-पास के क्षेत्र प्रकृति प्रेमी और खोजकर्ताओ के लिए किसी स्वर्ग से कम नही। क्षेत्र की अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता पुरे एशिया में कही नही है।

असम दुनिया के सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रो में से एक है और इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षावन, पतझड़ी वन, नदी घास के मैदान, बांस के बगीचे और विविध आर्टलैंड पारिस्थितिक तंत्र भी शामिल है, यहाँ के बहुत से जंगलो को नेशनल पार्क और आरक्षित वन बनाकर सुरक्षित रखा गया है।

यह क्षेत्र जानवरों की बहुत सी लुप्तप्राय प्रजातियों का घर भी बना हुआ है, जिनमे मुख्यतः सुनहरा लंगूर, सफ़ेद पंखो वाला लकड़ी का बतख, बंगाल फ्लोरिकन, काली छाती का पेड़बोट, बौना सूअर, महान एजितांट, हेपिड खरगोश, दक्षिण अफ़्रीकी बंदर और दलदल फ्रैंकोलिन इत्यादि शामिल है। असम के कुछ प्रसिद्ध जानवरों में शेर, हाथी, हूलॉक गिब्बन, जेरडन बब्ब्लर और इत्यादि जानवर शामिल है।

चाय की खेती की वजह से असम के ग्रामीण इलाके हरे-भरे, कभी न ख़त्म होने वाले धान के खेत और विशाल जंगलो से भरे होते है। असम के परिदृश्य पर बहुत सी नदियों के द्वीप बने हुए है और ब्रह्मपुत्र के तट पर रेत का विशाल मैदान भी है। राज्य चारो तरफ से पहाड़ी और पर्वतो से घिरा हुआ है।

वन्य निवास स्थान से रहस्यवाद के प्राचीन मंदिर तक, यहाँ बहुत से मंदिर और अद्वितीय मठ, स्वदेशी संस्कृति वाले गाँव, रंगीन महोत्सव और मेहमान नवाजी करने वाले आबादी है। बहुत से आकर्षणों और रहस्यों के साथ असम निश्चित रूप से एकदम सही गैर पर्यटन स्थल है। महान स्वामी विवेकानंद ने एक बार सच कहा था की, “कश्मीर तक अगला सुन्दर राज्य केवल असम ही है।”

प्रकृति माँ ने असम की धरती को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि असम का पयर्टन साल दर साल बढ़ा है और अब भी हर दिन बढ़ रहा है। पूरे साल बने रहने वाला सुहाना मौसम और घने जंगलों में रोमांचक वन्य जीवन, असम के पयर्टन को विशेष लाभ देते हैं।

यह प्रसिद्ध एक सींग वाले गैंडे और कुछ अन्य दुर्लभ प्रजातियों का घर है। इसलिए पयर्टकों के साथ-साथ यह वन्य जीव प्रेमियों की भी पसंदीदा जगह है। असम में सालभर बहुत से धार्मिक त्यौहार मनाये जाते है और बड़ी धूम-धाम से बढ़-चढकर लोग इस महोत्सव में हिसा लेते है।

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17 मार्च का इतिहास | 17 March Today Historical Events

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17 March Today Historical Events

17 मार्च के इतिहास में दुनिया भर में बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी, आज के इतिहास में कई महान लोगों ने जन्म लिया और साथ ही आज के दिन गयी महान लोग इस दुनिया से चले गए। उनमेसे कुछ ऐसे हैं जिनके बारेमें हमें पता नहीं आज हम उसी महत्वपूर्ण जानकारी के बारेमें जानेंगे कि आज के दिन को क्‍या-क्‍या हुआ था।

17 मार्च का इतिहास – 17 March Today Historical Events
17 March History

17 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 17

  • आगरा के युद्ध में बाबर से 1527 में चित्तौड़गढ़ के राणा संग्राम सिंह प्रथम पराजित हुए।
  • नीदरलैंड के खिलाफ इंग्लैंड ने 1672 में युद्ध की घोषणा की।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा शासकों के बीच 1782 में सल्बाई की समझौता हुआ।
  • लंदन के स्टीफन पेरी ने 1845 में रबर बैंड का पेटेंट कराया।
  • ताइवान में 1906 में आए भूकंप में लगभग 1000 लोगों की जान गई।
  • अमेरिका में राष्‍ट्रपति फ्रैंकलिन डी रुजवलेट द्वारा 1942 में दुनिया में कला के बेहतरीन संग्रहों में से एक नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट को खोला गया।
  • बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा सन 1959 में तिब्बत से भारत पहुंचे।
  • बाली द्वीप पर 1963 में ज्वालामुखी फटने से तक़रीबन 2000 लोगों की जान गयी।
  • आईबीएम ने 1987 में पीसी-डीओएस 3.3 वर्जन जारी किया।
  • भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने 1987 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया।
  • अर्जेन्टीना में स्थित इजरायली दूतावास पर 1992 में हुए हमले में लगभग 30 लोग मरे।
  • श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को 1996 में हुए क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में सात विकेट से हराकर खिताब जीता।

17 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 17 March

  • 1922 में अमेरिकी दार्शनिक पैट्रिक सप्पस का जन्म।
  • 1946 में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का जन्म।
  • 1962 में भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला का जन्‍म हुआ।
  • 1990 में बैटमिंटन प्‍लेयर सायना नेहवाल का जन्‍म हुआ था।
17 मार्च को हुए निधन – Died on 17 March
  • 2016 में मशहूर जादूगर पॉलडेनियल का निधन।

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दुनिया का इतिहास लगभग हम सभी ने स्कूल में बहुत पढ़ा हैं लेकिन वक्त के साथ साथ इतिहास में ऐसी बहुत सी बाते हैं जो हमें याद नहीं इस पोस्ट के जरिये हम उन्ही घटनाओं को आपको याद दिलाने की एक छोटीसी कोशिश हैं, आशा हैं आपको इस आज का इतिहास यानि 17 मार्च के इतिहास की जानकारी लाभदायक साबित होंगी. अगर इसमें कुछ बदलाव करने हो या फिर इस पोस्ट में कुछ और जानकारी डालनी हो तो हमें प्लीज् कमेंट के जरिये बताये, धन्यवाद्

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 गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी | Gujarat state History Information

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Gujarat – गुजरात भारत देश के अन्य राज्यों जैसा ही एक महत्वपूर्ण राज्य। गुजरात में कई सारे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने देश को आजाद बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सबसे वयोवृद्ध पुरुष दादाभाई नौरोजी, और संयुक्त भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महान लोग गुजरात से थे।

Gujarat गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी – Gujarat state History Information

गुजरात जैसे महान और बड़े राज्य का इतिहास काफी पुराना है और इस राज्य को पहले गुजराता (गुर्जर राष्ट्र) कहा जाता था जिसका अर्थ होता है की गुर्जर लोगो का राष्ट्र।

कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है की गुर्जर लोग मध्य एशिया में रहते थे और पहली शताब्दी के दौरान भारत आये थे। गुजरात में भी सिन्धु संस्कृति और हड़प्पा संस्कृति के लोग रहते थे। इस बात को साबित करने के लिए लोथल और धोलावीरा में जब खुदाई की गई तब कुछ पुख्ता सबुत मिले थे।

गुजरात जैसे राज्य पर बहुत सारे शूरवीर राजा महाराजा ने राज्य किया था। इसीलिए गुजरात का इतिहास भी बहुत बड़ा बन चूका है। इस राज्य पर मौर्य, स्क्यथियन, गुप्त, सोलंकी और मुग़ल जैसे शक्तिशाली वंश के लोगो ने शासन किया था। उन सभी राजा महाराजा ने गुजरात की संस्कृति को अधिक सम्पन्न बनाने के लिए बड़ा योगदान दिया था।

उन्होंने कई सारे स्मारक बनवाये थे और कई सारी नयी परम्पराए नए सिरे से जारी कर दी थी। बाद में फिर राज्य में गुर्जर और पारसी लोग रहते थे। लेकिन 18 वी शताब्दी तक वो सभी लोग मुग़ल और मराठा शासन के नियंत्रण में थे।

सन 1818 के करीब अंग्रेज भारत में आये थे और उन्होंने 1947 तक भारत पर राज किया था। अंग्रेजो ने इस्ट इंडिया कंपनी का पहला मुख्यालय सूरत में स्थापित किया था। लेकिन बाद में अंग्रेजो ने इस मुख्यालय को बॉम्बे (अभी मुंबई) में स्थानांतरित कर दिया था।

1960 में गुजरात के लोगो ने खुद के लिए नया राज्य बनवाने का फैसला लिया था। इस फैसले के कारण ही गुजरात और महाराष्ट्र का निर्माण करवाया गया।

1 मई 1960 को गुजरात को भारत का एक राज्य के रूप में मान लिया गया था। जब शुरुवात में गुजरात राज्य बना था तब अहमदाबाद इसकी राजधानी थी लेकिन बादमे सन 1970 में गांधीनगर को राजधानी बनाया गया था। आज गुजरात पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है।

गुजरात राज्य की भाषा – Language of Gujarat state

गुजरात विभिन्न जातियों, धर्मों और समुदायों के लोगों द्वारा बसे हुए हैं। इस कारण से, राज्य में कई विभिन्न भाषाओं बोली जाती हैं। राज्य की आधिकारिक भाषा गुजराती है। गुजराती दुनिया की 26 वीं सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। इसके अतिरिक्त, राज्य के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली ग्यारह बोलियाँ हैं।

गुजरात के कुछ महत्वपूर्ण जिले – Some important districts of Gujarat

गांधीनगर: यह जिला गुजरात की आत्मा है। यह गुजरात का दोनों, सांस्कृतिक और व्यावसायिक धागा है।

कच्छ: गुजरात में न केवल कच्छ, बल्कि भारत में भी सबसे बड़ा जिला है। कच्छ में अधिकांश भूमि रेगिस्तानी रूप में है।

सूरत: यह जिला भारत में सबसे अच्छा हीरा और ज़ारी काम के लिए भी जाना जाता है।

अहमदाबाद: अहमदाबाद, जिसे भारत के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता है, अपने वस्त्र उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।

वडोदरा: यह जिला इसके उर्वरक, फार्मास्यूटिकल और कांच उद्योगों के लिए जाना जाता है, जिससे गुजरात का प्रमुख औद्योगिक हब बन जाता है।

राजकोट: यह गन्ना, मूंगफली और कपास का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है।

आनंद: यह एक और जिला है जो सबसे अच्छा डेयरी उत्पाद ब्रांड ‘अमूल’ लाता है। मुख्य डेयरी यहां स्थित है।

गुजरात का धर्म – Religion of Gujarat

भारत के अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी विभिन्न जाती और धर्मं के लोग बड़े ही प्रेम भाव से रहते है। भारत के सबसे अधिक औद्योगिक राज्यों में गुजरात का भी नाम आता है और औद्योगिकिकरण ज्यादा होने के कारण युवा के लिए रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर उपलब्ध है।

इसीलिए देश के हर कोने में से लोग यहापर काम ढूंढने आते है और यही पर हमेशा के लिए बस जाते है। गुजरात में अधिकतर लोग हिन्दू धर्म के ही है और लगभग 89।1% लोग हिन्दू धर्मं के ही है। गुजरात के लोग बहुत ही रुढ़िवादी है और केवल शाकाहारी खाना ही खाते है।

गुजरात के जितने भी हिन्दू धर्म के लोग है उनकी प्रमुख देवता भगवान श्री कृष्ण ही है। पुरे राज्य में श्रीकृष्ण की श्रीनाथजी के रूप में पूजा की जाती है। गुजरात में हिन्दू के अलावा भी पारसी, मुस्लीम, सिख और जैन धर्मं के लोगो की संख्या भी बहुत बड़ी है। इन सबसे हमें गुजरात की सांस्कृतिक विविधता समझ में आती है।

गुजरात के त्यौहार – Festivals of Gujarat

गुजरात को त्यौहार का राज्य माना जाता है। त्योहारों को पुरे उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात देश और विदेश में जाना जाता है। पुरे देश में बहुत से त्यौहार हैं लेकिन कुछ उत्सव ऐसे भी है जो केवल गुजरात से ही जुड़े है। इस तरह के त्यौहार बहुत पुराने ज़माने से गुजरात में मनाये जाते है। अपनी प्रथा और परंपरा को बनाये रखने के लिए यहाँ के लोग उत्सव मनाते है। गुजरात मे सबसे ज्यादा नवरात्री का उत्सव मनाया जाता है।

नवरात्रि – Navratri

नवरात्रि गुजरात का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। त्यौहार को बड़े पैमाने पर और बड़े उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात राज्य काफी जाना जाता है। यह त्यौहार केवल गुजरात में ही नहीं बल्की पुरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

नवरात्री का आयोजन करने के लिए बहुत सारी व्यवस्था की जाती है। गुजरात सरकार भी इस त्यौहार को अच्छे से मनाने के लिए तयारियो में लग जाता है। दशहरा के नौ दिन पहले इस त्यौहार की शुरुवात होती है। देवी के नौ अवतार की पूजा इस त्यौहार के दौरान की जाती है। पुरे नौ दिनों में लोग देवी के उपवास करते है और मंदिरों में जाकर देवी के दर्शन लेते है।

रात के समय तो त्यौहार को बूढ़े और जवान सभी लोग एक साथ में मिलकर मनाते है। इस उत्सव में सबसे मुख्य आकर्षण डांडिया रास और गरबा ही रहता है। यह दोनों भी नृत्यु इस प्रदेश के पारंपरिक नृत्य में गिने जाते है। इसमें लोग ड्रम की धुन पर नाचते है और साथ में लोकगीत गाते है।

डंडिया रास के दौरान सभी लोग इकट्टा होकर मैदान में इस नृत्य का आनंद लेते है। यह नृत्य देर रात तक बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

कच्छ का महोत्सव – Festival of Kachchh

कच्छ का त्यौहार गुजरात के कच्छ प्रदेश में मनाया जाता है। इस त्यौहार को गुजरात पर्यटन निगम की तरफ़ से आयोजित किया जाता है और यह त्यौहार छे दिन तक चलता है।

रथ यात्रा – Rath Yaatra

रथ यात्रा एक बहुत ही बड़ा उत्सव है जो गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के नाम से ही हमें मालूम पड़ता है इस उत्सव में बड़े बड़े लकड़ी के रथ बनाये जाते है और उसमे भगवान कृष्ण, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा को इन रथो में बिठाया जाता है।

दंग दरबार – Dang Darabaar

दंग दरबार का उत्सव गुजरात के दंग जिले में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह जिला सातपुडा पर्वत में आता है। इस जिले में ज्यादातर जनजाति वाले लोग रहते है जो इस प्रदेश में बहुत पुराने ज़माने से रहते है। इसी कारण दंग दरबार का उत्सव जनजाति के लोगो का त्यौहार बन चूका है।

गुजरात के मंदिर – Temples of Gujarat

गुजरात में कई सारे मंदिर है जिसके कारण गुजरात को एक पवित्र राज्य माना जाता है। इन मंदिरों के कारण कई सारे यात्री इस स्थान पर हमेशा आते रहते है। यहाँ के सभी मंदिरे को देखकर पुराने समय याद आ जाती है और जिन्हें पुराणी वास्तुकला में काफी रुची है उनके लिए यह जगह सभी तरह से सही है।

गुजरात के देव और देवी के मंदिरे उनकी सुन्दरता और भव्यता के कारण विशेष जाने जाते है। इन मंदिरों को एक बार भेट देने के बाद आप के मन में भी भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत हो जाती है।

सूर्य मंदिर – Sun temple

गुजरात का सूर्य मंदिर मोढेरा में स्थित है। यह सूर्य मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर की तरह दीखता है और यह मंदिर भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल जनवरी के महीने में नृत्य उत्सव का आयोजन किया जाता है।

अक्षरधाम मंदिर – Akshardham Temple

अक्षरधाम मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित है। ऐसा शानदार और दिव्य मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। पुरे गुजरात में इस मंदिर के परिसर जैसा बड़ा परिसर कहा पर भी देखने को नहीं मिलता।

सोमनाथ मंदिर – Somnath temple

सोमनाथ मंदिर गुजरात के जुनागड़ जिले में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भारत के बारा ज्योतिर्लिंग मंदिर में से यह एक मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है की इसे छे बार बनवाया गया और छे बार तोडा गया।

अम्बाजी मंदिर – Ambaji Temple

अम्बाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले के अम्बाजी शहर में स्थित है। यह पवित्र मंदिर देवी आंबे माता को समर्पित है। भारत में जितने भी शक्तीपीठ है उनमेसे एक यह एक शक्तिपीठ माना जाता है।

द्वारकाधीश मंदिर – Temple of Dvaarakaadheesh

द्वारका शहर गुजरात के जामनगर जिले में आता है। यह शहर गुजरात का बहुत ही पुराना मंदिर है और इस शहर में देश का बहुत ही प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है जो देश के हिन्दू लोगो का सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। इस शहर की समृद्धि को देखकर इसे ‘स्वर्ण द्वारका’ भी कहा जाता है।

गिरनार मंदिर – Girnar Temple

गुजरात के पवित्र स्थलों मे गिरनार का भी नाम लिया जाता है। गिरनार जुनागड़ के नजदीक में ही स्थित है। इस जगह इतने सारे मंदिर देखने को मिलते है जिसके कारण गिरनार एक मंदिरों का शहर बन चूका है।

गुजरात जैसे महान और पवित्र राज्य में देखने जैसी बहुत जगह है। यहापर कई सारे हिन्दू मंदिर, जैन मंदिर और अन्य धर्म के मंदिरों की कोई कमी नहीं। यहापर त्योहारों की भी कोई कमी नहीं। यहाँ हर तरह के उत्सव बड़े आनंद से मनाये जाते है।

नवरात्री, दंग दरबार, मोढेरा नृत्य त्यौहार जैसे कई सारे त्यौहार मनाये जाते है। मंदिरों में भी यहापर विविधता दिखाई देती है। यहापर का हर मंदिर दुसरे मंदिर से पूरी तरह से अलग है। हर मंदिर की खुद की अलग पहचान है। सूर्य मंदिर, सोमनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, गिरनार मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर केवल इसी राज्य में देखने को मिलते है।

यहाँ का जो सूर्य मंदिर है वो तो सबसे खास है। इस मंदिर को देखने के बाद आप को कोणार्क के सूर्य मंदिर की याद आ जाती है क्यों की यहाँ का सूर्य मंदिर बिलकुल कोणार्क के मंदिर की तरह ही बनवाया गया है।

गुजरात राज्य की एक बात सबसे विशेष है की इस राज्य में खुद भगवान कृष्ण रहते थे। गुजरात के द्वारका शहर में भगवान कृष्ण रहते थे और वहासे ही अपना राज्य चलाते थे। द्वारका शहर बहुत सुन्दर और समृद्ध था।

अपनी इस राजधानी से भगवान श्री कृष्ण सब पर ध्यान रखते थे। ऐसा भी कहा जाता है की उनका यह शहर सोने से बनाया गया था। सभी तरफ़ स्वर्ण की इमारते, लोगो के घर बनाये जाते थे। शायद इसी कारण उनके इस शहर को स्वर्ण का शहर भी कहा जाता था।

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ओडिशा का इतिहास और जानकारी | Odisha History Information

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Odisha – ओडिशा यह राज्य भारत के पूर्व दिशा में आता है। इसे पहले ओरिसा नाम से पहचाना जाता था और इस राज्य के उत्तरपूर्व में पश्चिम बंगाल, उत्तर में झारखण्ड, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में आंध्र प्रदेश जैसे बड़े बड़े राज्य लगते है। क्षेत्र के दृष्टि के इस राज्य का स्थान 9 वा और जनजाति की संख्या की दृष्टि पुरे भारत में ओडिशा तीसरे नंबर पर है।

Odisha
Odisha State History Information

ओडिशा का इतिहास और जानकारी – Odisha History Information

ईसापूर्व 261 में जब मौर्य साम्राज्य का सम्राट अशोक ने कलिंग में जो युद्ध खेला था। वो इस लड़ाई से होने वाली हानी से घबरा गए थे और इसीलिए उन्होंने कलिंग की सेना के साथ होने वाले लड़ाई को छोड़ने का फैसला किया था और बाद में उन्होंने जल्द दी बौद्ध धर्म का स्वीकार कर लिया था।

सन 4 थी शताब्दी में यहापर गुप्त साम्राज्य का शासन था। भौमकारा वंश और बाद में सोम वंश ने करीब 10 वी शताब्दी तक शासन किया था। 13 वी और 14 वी शताब्दी में ओडिशा पर मुस्लीम सुलतान का शासन था और उनका यह राज्य सन 1568 तक चलता रहा। उसके बाद में मुघलो का शासन था जो औरंगजेब के मरने तक चलता रहा।

मुग़ल जाने के बाद ओडिशा पर हैदराबाद के नवाब और और फिर बाद में मराठा साम्राज्य ने शासन किया था और आखिरी में सन 1803 में ओडिशा पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्ज़ा जमा लिया था।

और 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा राज्य की स्थापना की गयी थी और यहाँ के ज्यादातर लोग ओडिया भाषा हो बोलते है। इसीलिए 1 अप्रैल को यहाँ पर ओडिशा दिन (उत्कल दिवस) मनाया जाता है। इस प्रदेश को उत्कल भी कहा जाता है और इसका नाम हमारे राष्टीय गीत ”जन गण मन” में भी आता है।

सन 1135 में अनंतवर्मन छोड़ागंगा ने कटक को इस राज्य की राजधानी बना दिया था और तभी से यही शहर कई राजा महाराज की राजधानी थी। अंग्रेजो ने भी इसे सन 1948 तक ओडिशा की राजधानी के रूप में ही इस्तेमाल किया था। उसके बाद में भुवनेश्वर को ओडिशा की राजधानी बना दिया था।

ओडिशा के जिले – Districts of Odisha

ओडिशा में कुल 30 जिले है वो कुछ इस तरह है: बालासोर, नयागढ़,बौध, भद्रक, कटक, रायगढ़,देवगढ, गजपति, गंजम, जगतसिंहपुर, जयपुर, झारसुगड़ा, केंद्रपारा, कोंझार, खुर्दा, ढेंकनाल, कोरापुत, अंगुल, बारगढ़, मालकनगिरीर, मयुरभंज, नवरंगपुर, नौपारा, कंधमाल, पूरी, संबलपुर, बोलांगीर,सोनेपुर और सुंदरगढ़, कलाखंदी।

ओडिशा राज्य के त्यौहार – Festival of Odisha State

ओडिशा जैसे राज्य में कई सारे त्यौहार मनाये जाते है। यहाँ का सबसे विशेष त्यौहार बोइता बन्दना है जिसमे यहापर सभी नावो की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को विशेषरूप से अक्तूबर से नवम्बर के महीने में मनाया जाता है।

पूर्णिमा से पहले पाच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार सभी लोग नदी के किनारे इकट्ठा होते है और अपने पूर्वज जो दूर जा चुके है उनकी याद में छोटी छोटी नव बनाकर पानी में बहा देते है।

ओडिशा राज्य के मंदिर – Temples of Odisha State

यहाँ के पूरी शहर में देश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ मंदिर स्थित है और जब यहापर रथयात्रा का आयोजन किया जाता है तो पुरे देश में से सभी भक्त भगवान के दर्शन के लिए यहाँ पर इकट्टा होते है। यहाँ से थोड़ी दुरी पर ही 13 वी शताब्दी में बनाया हुआ कोणार्क का सूर्य मंदिर है।

ओडिशा की संस्कृति – Culture of Odisha

इस राज्य की संस्कृत काफी समृद्ध है और इस राज्य की राजधानी भुवनेश्वर अपने दिव्य और शानदार मंदिरों के लिए काफी जाना जाता है।

इस राज्य की जो संकृति है वो हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मं का एक मिश्रण है। आदिवासी लोगो की जो संस्कृति है वो इस राज्य का अहम हिस्सा माना जाता है। यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार भगवान जगन्नाथ कली रथयात्रा है।

ओडिशा राज्य की भाषा – Odisha state language

ओडिया यहाँ की अधिकारिक भाषा है पुरे राज्य में इसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। ओरिया भाषा इंडो आर्यन भाषा मानी जाती है और आज भी यहाँ के आदिवासी द्रविड़ी और मुंडा जैसी पुराणी भाषा बोलते है।

ओडिशा के नृत्य और संगीत – Dance and music of Odisha

ओडिसी उड़ीसा राज्य का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूप है और यह भारत के सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। ओडिसी शास्त्रीय नृत्य कृष्ण और उसकी पत्नी, राधा के दिव्य प्रेम के बारे में है।

भारत के ओडिशा राज्य में हमें विविधता देखने को मिलती हैं। भारत के चार पवित्र धामों में से एक जगन्नाथ पुरी का 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर का एक जग प्रसिद्ध महोत्सव यानि यहाँ की जगन्नाथ रथ यात्रा। इस दस दिवसीय रथयात्रा महोत्सव की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है। इसे देखने देश विदेश से लोग आते हैं। हमें भी इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए ओडिशा जरुर जाना चाहिए।

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18 मार्च का इतिहास | 18 March Today Historical Events

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18 March Today Historical Events

इतिहास में 18 मार्च के दिन यानि आज के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थी। आज हम उन्हीं महत्वपूर्ण घटनाओं के बारेमें जानेंगे और उन महान लोगों को याद करेंगे जिन्होंने आज के दिन इस दुनिया में अपना कदम रखा और साथ उन्हें जो आज ही के दिन हमारे बीच से हमेशा के लिए चले गए।

18 मार्च का इतिहास – 18 March Today Historical Events

18 March History

18 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 18

  • अनिवार्य और मुफ्त प्राथमिक शिक्षा प्रावधान के लिए गोपाल कृष्ण गोखले ने सन 1910 में ब्रिटिश विधान परिषद के सामने अपना प्रस्ताव रखा था।
  • ब्रितानी अदालत ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद सन 1922 में राजद्रोह मामले में महात्मा गांधी को छह साल की सजा सुनाई थी।
  • मुसोलिनी और अडोल्फ़ हिटलर के बीच 1940 में हुए मीटिंग में मुसोलिनी ने ब्रिटेन और फ्रांस के खिलाफ़ युद्ध में जर्मनी का साथ देने पर अपनी सहमती जताई।
  • नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने सन 1944 में बर्मा की सीमा पार की।
  • सोवियत संघ के वायुसेना पायलट एलेक्सी लियोनोव ने सन 1965 में पहली बार स्पेसवॉक किया था।
  • सन 1990 में अमरीकी संग्रहालय से लगभग 500 मिलियन डॉलर की कलाकृतियों की चोरी हो गई।
  • उगांडा में प्रलय दिवस सम्प्रदाय के 230 सदस्यों ने सन 2000 में आत्मदाह किया।
  • संयुक्त राष्ट्र ने 2006 में ‘मानवाधिकार परिषद’ के गठन का प्रस्ताव मंजूर किया।
  • उत्तर कोरिया ने 2007 में परमाणु कार्यक्रम बन्द करने का कार्य प्रारम्भ किया।
  • केन्द्रीय मंत्री मण्डल ने 2009 में मेघालय में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश की।

18 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 18 March

  • 1914 में आज़ाद हिन्द फ़ौज के अधिकारी गुरबख्श सिंह ढिल्लों का जन्म।
  • 1914 में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के पूर्व अध्यक्ष एवं भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके नागेन्द्र सिंह का जन्म।
  • 1938 में हिन्दी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक शशि कपूर का जन्म।
18 मार्च को हुए निधन – Died on 18 March
  • प्रसिद्ध मराठी विद्वान नारायण शास्त्री मराठे का 1956 में निधन।
  • हिन्दी सिनेमा की जानीमानी गायिका राजकुमारी दुबे का 2000 में निधन।
  • पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कोच बॉब वूल्मर का 2007 में निधन।

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History of the world Almost all of us have read a lot in school, but there are so many things in history that we do not remember through this post, we have a small effort to remind you of those events, hope you have this today History of i.e. History of March 18 will prove beneficial. If you have to make some changes or to add some more information to this post, then please tell us through a thank you comment, thank you

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पारसमणिनाथ मंदिर का इतिहास | Parasmaninath Temple History

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भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध पारसमणिनाथ मंदिर – Parasmaninath Temple को पारसमनिधाम मंदिर भी कहा जाता है। बिहार के मधुबनी जिले के रहुआ संग्राम गाव स्थित है।

Parasmaninath Temple पारसमणिनाथ मंदिर का इतिहास – Parasmaninath Temple History

इस मंदिर की खास बात यह है की पुरे बिहार और झारखण्ड दोनों राज्यों में सबसे बड़ा यही मंदिर है। इस मंदिर से जुडी एक और विशेष बात यह है की जिस जगह पर यह मंदिर बना हुआ है उसी जगह पर बहुत साल पहले एक बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी गयी थी। वो लड़ाई राजा दरभंगा और भगवानपुर के राजा राहुल के बिच लड़ी गयी। उन दोनों की बिच जो युद्ध हुआ, उसी लड़ाई के कारण इस जगह को आगे चलकर रहुआ संग्राम नाम दिया गया।

रहुआ संग्राम एक बहुत ही पुराना गाव है और अभी यह गाव मिथिलांचल का ‘सबसे आदर्श’ गाव माना जाता है।

इसी गाव के पूर्व उत्तर की दिशा में बाबा पारसमणिनाथ का मंदिर है। भारत के सभी प्राचीन मंदिरों में इस मंदिर को गिना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव का जो शिवलिंग है वो काफी महंगे पत्थर से बनाया गया है।

इस मंदिर में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े जोरो शोरो मनाया जाता है इस त्यौहार के दौरान हर रोज हजारों भक्त भगवान के दर्शन के लिए बड़े दूर से आते है। इस मंदिर को चलाने का काम पारसमणि फाउंडेशन ट्रस्ट करता है।

बिहार के इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान शिव का काफी बड़ा शिवलिंग है। साथ ही बिहार और झारखण्ड के सभी मंदिर इस भगवान शिव के मंदिर के सामने काफी छोटे दीखते है। शायद इसीलिए यह मंदिर इन दोनों राज्य में सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है।

साथ ही इस मंदिर में भगवान शिव का जो शिवलिंग है वो जिस पत्थर से बना है वो भी अन्य शिवलिंगों से काफी भिन्न है। जिस पत्थर से यह शिवलिंग बना है वो पत्थर काफी महंगा है। इस तरह का पत्थर बड़ी मुश्किल से मिल पता है और इसी वजह से भगवान शिव की मूर्ति काफी सुंदर दिखती है।

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गोवा राज्य का इतिहास और जानकारी | Goa History Information

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Goa – गोवा का नाम आते ही दिल को छु जाने वाला समुद्र तट और आसमान को छुते हुए नारियल के पेड़ हमारे आँखों के सामने आ जाता हैं। गोवा भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्यटकों की यह पसंदीदा जगह है और दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं।

राज्य में भारतीय और पुर्तगाली संस्कृति का अद्भुत मिश्रण दिखाई देता है और यहाँ की वास्तुकला यात्रियों को आकर्षित करती है। विविध संस्कृति और समुदाय के लोग यहाँ घुमने के लिए आते है।

Goa History Information

गोवा राज्य का इतिहास और जानकारी – Goa History Information

1510 में पुर्तगालियो ने स्थानिक मित्र, तिमय्या की सहायता से सत्तारुढ़ बीजापुर के सुल्तान यूसुफ़ आदिल शाह को पराजित किया। इसके बाद प्राचीन गोवा में उन्होंने स्थायी राज्य की नीव रखी। गोवा में यह पुर्तगाली शासन की शुरुवात थी और यह 1961 के राज्य-हरण तक तक़रीबन 4.5 शताब्दी तक चला।

1843 में पुर्तगाली प्राचीन गोवा से निकलकर पणजी चले गये। 18 वी शताब्दि के बीच में पुर्तगाली गोवा वर्तमान राज्य की सीमा तक विकसित हो चूका था। साथ ही भारत में जबतक उनकी सीमा स्थिर होती तबतक वे भारत के दुसरे स्थानों से अपने अधिकारों को खो चुके थे और पुर्तगाली भारतीय राज्य की स्थापना की गयी, जिसमे से गोवा विशालतम प्रान्त था।

1947 को भारत जब ब्रिटिशो की गुलामी से आज़ाद हुआ तो भारत ने पुर्तगाली प्रांतो से भारतीय उपमहाद्वीप को भारत को सौपने की मांग की। पुर्तगाल ने भी अपने भारतीय परिक्षेत्रो की संप्रभुता पर बातचीत करने से इंकार कर दिया। 19 दिसंबर 1961 को विजय के नेतृत्व में भारतीय सेना ने आक्रमण किया गोवा और दमन एवं द्वीप को भारतीय संघ में शामिल कर दिया।

दमन एवं द्वीप के साथ गोवा को भारतीय संघ के केंद्रशासित प्रदेश में शामिल कर लिया गया। 30 मई 1987 को केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित कर दिया और गोवा को भारत का 25 वा राज्य बनाया गया। जबकि दमन एवं द्वीप आप भी भारत के केंद्रशासित प्रदेश में शामिल है।

गोवा राज्य की भाषा – Language of Goa state

गोवा बहुभाषी राज्य है भारत और विदेशों में गोवा में रहने वाले विभिन्न क्षेत्रों, जातीय जातियों और धर्मों के लोग होने के नाते, उनकी भाषा भी तदनुसार प्रभावित हुई। इसलिए, गोवा में इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं की कुल संख्या अंग्रेजी, मराठी, पुर्तगाली, हिंदी और कोंकणी है। कोंकणी, हालांकि, गोवा की आधिकारिक भाषा है कोंकणी देवनागरी लिपि में लिखी गई है राज्य में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाएं मराठी, कन्नड़ और उर्दू हैं। गुजराती और हिंदी भी राज्य में काफी संख्या में बोलते हैं। स्कूलों में मराठी भी व्यापक रूप से पढ़ाया जाता है।

गोवा राज्य की संस्कृति – Culture of Goa State

गोवा की संस्कृति विशेषतः हिन्दू और कैथोलिक जनसँख्या में विभाजित है। लोग दोनों ही संस्कृतियों का सम्मान करते है। हवाई और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ होने के कारण, यहाँ पडोसी राज्य के लोग भी आते है। भारत के दुसरे राज्यों से आए हुए नये लोग भी यहाँ रहने लगे है।

गोवा के कैथोलिक धर्म के लोग हिन्दू संस्कृति का सम्मान करते है और साथ ही हिन्दू रीती-रिवाजो को भी अपनाते है। दोनों ही धर्म के लोगो के बीच का प्यार यहाँ देखा जा सकता है। राज्य में बहुत सी जगहों पर हिन्दू धर्म के मंदिर भी बने हुए है, जहाँ हिन्दू धर्म के देवताओ की मूर्तियाँ भी स्थापित की गयी है।

गोवा राज्य का विशेष खाद्य – Goa State’s special food

चावल और फिश करी गोवा का मुख्य आहार है। गोवा के व्यंजन विविध प्रकार की मछलियों और मसालेदार स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। गोवा के खाद्य पदार्थो में काली मिर्च, मसाले और विनेगर के सात-साथ ज्यादातर नारियल और नारियल के तेल का उपयोग किया जाता है।

गोवा शराब की संस्कृति के लिए भी प्रसिद्ध है।

गोवा में त्यौहार – Festival in Goa

गोवा में मेले और त्यौहार वास्तव में शहर के रहने वालों के साथ-साथ मनोरंजक समुद्र तट शहर के आगंतुकों के लिए एक ताज़ा अनुभव है। गोवा में विभिन्न त्योहारों और घटनाओं को सभी धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है।

सबसे लोकप्रिय मेले और त्योहारों की लंबी सूची में मानसून महोत्सव गोवा, गोवा में क्रिसमस और नए साल का समारोह और तीन राजा पर्व के महोत्सव शामिल हैं। गोवा क्रिसमस समारोह और नए साल की समारोह दुनिया के प्रसिद्ध हैं और दुनिया भर के लोग आते हैं और इन यादगार क्षणों का आनंद उठाते हैं। सबसे अधिक प्रतीक्षित गोवा कार्निवल फेस्टिवल होता हैं।

गोवा विश्व प्रसिद्ध कार्यक्रमों का कार्निवल भी है। रंग-बिरंगी मास्क और नाव, ड्रम और प्रतिवर्ती संगीत और नृत्य प्रदर्शनों के साथ यहाँ बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन वैश्विक स्तर पर किया जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है।

यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।

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19 मार्च का इतिहास | 19 March Today Historical Events

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19 March Today Historical Events

देश विदेश के इतिहास में 19 मार्च के दिन यानि आज के दिन में बहुत सी घटित-घटनाएं, बहुत से महान व्यक्ति आज ही के दिन इस दुनिया से विदा हो गए, और महान व्यक्ति ने आज ही दिन इस दुनिया में जन्म लिया। तो आइए आज हम वाही सारी महत्वपूर्ण बाते जानते हैं।

9 मार्च का इतिहास – 19 March Today Historical Events

19 March History

19 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 19

  • अमेरिका में, अमेरिका के न्यूयार्क स्थित सिटी बैंक में सन 1831 में पहली बैंक डकैती हुयी जिसमें 245,000 डॉलर को लुटा गया।
  • सन 1866 में मोनार्क लीवरपुल में घुसपैठियों से भरा जहाज डूबने से लगभग 750 लोगों की मौत हुई।
  • आस्ट्रेलिया ने 1877 में पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टेस्ट मैच में इंग्लैंड को 45 रनों से हराया।
  • लूमियर्स ब्रदर्स ने 1895 में अपने नए पैटेंट सिनेमेटोग्राफ से पहला फुटेज रिकॉर्ड किया।
  • अमेरिकी सीनेट ने 1920 में लीग ऑफ नेशंस में शामिल होने पर मतदान किया।
  • जर्मनी में नाजी और कम्युनिस्टों के बीच 1927 में खूनी संघर्ष हुआ।
  • आजाद हिंद फौज ने 1944 में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
  • पहली बार एकेडमी अवार्ड का 1953 में प्रसारण टेलीविजन पर हुआ।
  • इंडोनेशिया ने 1965 में सभी विदेशी तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया।
  • भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में मित्रता समझौते पर हस्ताक्षर किया।
  • फ्रांस ने 1977 में मुरूओरा द्वीप पर परमाणु परीक्षण किया।
  • ब्रिटेन तथा बेटिकन में 400 वर्षों के अंतराल के बाद 1982 में राजनयिक संबंध स्थापित।
  • कनाडा की राजधानी ओटावा में 1990 में महिलाओं की पहली विश्व आइस हॉकी प्रतियोगिता आयोजित हुई।
  • जापान के योकोहामा में 1994 में एक लाख 60 हजार अंडों से विश्व का सबसे बड़ा 1383 वर्गफुट आकार का आमलेट तैयार किया गया।
  • सन 1996 में बोस्निया हर्जेगोविना की राजधानी सरायेवो का पुन: एकीकरण।
  • श्री अटल बिहारी वाजपेयी 1998 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
  • यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जैकस सांटर का 1999 में अपने पद से इस्तीफ़ा।
  • ब्रिटेन के उच्च सदन ने 2001 में संगीतकार नदीम के प्रत्यर्पण का प्रस्ताव ठुकराया।
  • अमेरिका ने 2004 में विश्व व्यापार संगठन में पहली बार चीन पर मुकदमा ठोका।
  • पाकिस्तान ने 2005 में “शाहीन-II” प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया।
  • डोनकुपर रॉय ने 2008 में मेघालय के नये मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
  • पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने 2008 में सबरजीत की फ़ांसी 30 अप्रैल, 2008 तक रोकी।
  • सन 2013में महाराष्ट्र में हुए बस दुर्घटना में लगभग 30 लोग मरे।

19 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 19 March

  • मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मख्यमंत्री नारायण भास्कर खरे का 1884 में जन्म।
  • जैन साहित्य के विशेषज्ञ तथा अनुसन्धानपूर्ण लेखक अगरचन्द नाहटा का 1911 में जन्म।
  • हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य कलाकार जगदीप का 1939 में जन्म।
  • भारतीय शिक्षाविद इंदु शाहानी का 1954 में जन्म।
  • भारतीय अभिनेत्री तनुश्री दत्ता का 1984 में जन्म।
19 मार्च को हुए निधन – Died on 19 March
  • सन 1890 में स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य एवं आर्य समाज के पाँच प्रमुख नेताओं में से एक पण्डित गुरूदत्त विद्यार्थी का निधन।
  • सन 1978 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एम. ए. अय्यंगार निधन हुआ।
  • सन 1982 में महान राजनेता जेबी कृपलानी का अहमदाबाद में निधन हुआ।
  • सन 1998 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता ई़ एम़ एस़ नम्बूदरीपाद का निधन।
  • सन 2011 में भारतीय फ़िल्म अभिनेता नवीन निश्चल का निधन हुआ।
  • सन 2015 में प्रसिद्ध भाषा चिंतक और शिक्षाविद सूरजभान सिंह का निधन हुआ।

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मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी | Madhya Pradesh History Information

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भारत देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य Madhya Pradesh – मध्यप्रदेश जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है। इस राज्य का इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और यहाँ के लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाल है, जो झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है।

यह भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जो चारो तरफ से दुसरे राज्यों से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश है। इसके पश्चिम में राजस्थान और गुजरात, दक्षिण में महाराष्ट्र और पूर्व में छत्तीसगढ़ है।

Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी – Madhya Pradesh History Information

तक़रीबन 320 BCE में चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी भारत को एकत्रित किया, जिसमे वर्तमान मध्यप्रदेश भी शामिल था। मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने क्षेत्र पर दृढ़ नियंत्रण रखा। मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए साका, कुषाण, सातवाहन और बहुत से स्थानिक साम्राज्यों के बीच पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच लड़ाईयां हुई। शुंगा राजा भागभद्र के दरबार के ग्रीक एम्बेसडर हेलिदोरुस ने विदिशा के पास हेलिदोरुस पिल्लर का भी निर्माण कर रखा है।

पहली शताब्दी BCE से ही उज्जैन पश्चिमी भारत के मुख्य व्यापारी केंद्र रहा है, यह शहर गंगा के मैदान और भारतीय अरेबियन सागर बंदरगाह के रास्ते में बसा हुआ है। पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच उत्तरी डेक्कन के सातवाहन साम्राज्य और पश्चिमी क्षेत्र के साका साम्राज्य के बीच मध्यप्रदेश पर नियंत्रण पाने के लिए घमासान युद्ध हुआ।

सातवाहन के राजा गौतमीपुत्र सताकरनी ने साका साम्राज्य पर जीत प्राप्त की और दूसरी शताब्दी में मालवा और गुजरात पर भी विजय प्राप्त की।

बाद में चौथी और पांचवी शताब्दी में क्षेत्र गुप्त साम्राज्य और दक्षिणी पडोसी वेकतका के नियंत्रण में चला गया। धार जिले की कुक्षी तहसील के बाघ गुफा में पत्थर से बने हुए मंदिर में गुप्त साम्राज्य के अस्तित्व के सबूत दिखाई देते है, साथ ही वहा बने बडवानी शिलालेख तक़रीबन 487 CE के है।

सफ़ेद हंस के आक्रमण से ही गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ और इससे राज्य छोटे-छोटे भागो में विभाजित हो गया। 528 में मालवा के राजा यशोधर्मन ने हंस को पराजित किया और उनकी विकासधारा को रोका। बाद में हर्षा (C. 590-647) ने राज्य के उत्तरी भाग पर शासन किया।

आठवी शताब्दी से दसवी शताब्दी तक मालवा पर दक्षिण भारतीय राष्ट्रकूट साम्राज्य ने शासन किया। जब राष्ट्रकूट साम्राज्य के दक्षिण भारतीय सम्राट गोविन्द द्वितीय ने मालवा पर कब्ज़ा कर लिया, तो वहाँ उन्होंने अपने किसी सहयोगी के परिवार को स्थापित किया, जिसे परमार का नाम दिया गया।

मध्यकालीन समय में राजपूत वंश का विकास हुआ, जिसमे मालवा के परमार और बुंदेलखंड के चंदेला भी शामिल थे। चंदेला ने खजुराहो में मंदिरों का निर्माण किया, जो मध्य भारत में हिन्दू मंदिर के वास्तुकला की परिणिति का प्रतिनिधित्व करते है। उत्तरी और पश्चिम मध्य प्रदेश में आज भी गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्यों का बोलबाला है। ग्वालियर में भी कुछ एतिहासिक स्मारक बने हुए है।

मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग जैसे मालवा पर दक्षिण भारतीय पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य ने कई बार आक्रमण किया, जिससे मालवा के परमार साम्राज्य पर काफी नियम लगाये गये।

13 वी शताब्दी में उत्तरी मध्यप्रदेश पर तुर्की दिल्ली सल्तनत ने कब्ज़ा कर लिया था। 14 वी शताब्दी के अंत में दिल्ली सल्तनत के ख़त्म होते हुए, स्वतंत्र धार्मिक साम्राज्य की खोज की गयी, जिसमे ग्वालियर का तोमार साम्राज्य और मालवा के मुस्लिक सल्तनत भी शामिल थी।

1531 में गुजरात सल्तनत ने मालवा सल्तनत पर कब्ज़ा का लिया। 1540 में राज्य का ज्यादातर भाग शेर शाह सूरी के नियंत्रण में आ गया और बाद मे हिन्दू राज हेमू ने इसपर कब्ज़ा कर लिया।

1556 में पानीपत के दुसरे युद्ध में अकबर द्वारा हेमू को पराजित किये जाने के बाद, मध्य प्रदेश का ज्यादातर भाग मुघलो के नियंत्रण में आ गया। गोंडवाना और महाकोशल गोंड राजाओ के ही नियंत्रण में रहा, जिन्हें मुग़ल वर्चस्व स्वीकार था लेकिन वे आभासी स्वायत्तता का आनंद ले रहे थे।

1707 में सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद राज्य का मुघलो का नियंत्रण कमजोर हो गया। 1720 और 1760 के बीच मराठाओ ने मध्य प्रदेश के बहुत से भागो पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया।

क्षेत्र के प्रसिद्ध मराठा शासको में महादजी शिंदे, अहिल्याबाई होलकर और यशवंतराव होलकर शामिल थे। तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के बाद, ब्रिटिशो ने पुरे क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। क्षेत्र के सभी प्रभुत्व राज्य ब्रिटिश भारत के प्रांतीय राज्य बन चुके थे, जिसपर केंद्रीय भारत एजेंसी का नियंत्रण था।

1857 में राज्य के उत्तरी भाग में तात्या टोपे के नेतृत्व में स्वतंत्रता क्रांति ने जन्म लिया। जबकि ब्रिटिश और प्रिंस रॉयल ने इसे कुचल दिया। राज्य में बहुत सी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियाँ हो चुकी है और भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय काफी लोगो ने मिलकर ब्रिटिशो का विरोध किया।

बहुत से प्रसिद्ध नेता जैसे चन्द्र शेखर आजाद, बी.आर.आंबेडकर, शंकर दयाल शर्मा और अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ। साथ ही दो प्रसिद्ध गायक, तानसेन और बैजू बावरा का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था। प्रसिद्ध पार्श्व गायक किशोर कुमार (खण्डवा) और लता मंगेशकर (इंदौर) भी मध्यप्रदेश के ही रहने वाले है।

भारत की आज़ादी के बाद, भूतपूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और बरार और मकरी के प्रांतीय राज्य और छत्तीसगढ़ को मिलाकर ‎1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना की गयी, उस समय इसकी राजधानी नागपुर थी।

केंद्रीय भारतीय एजेंसी से ही मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य की स्थापना की गयी। 1956 में मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया और मराठी बोलने वाले दक्षिण क्षेत्र विदर्भ में नागपुर जोड़कर इसे बॉम्बे राज्य में शामिल कर लिया गया। सबसे पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी बनाया गया लेकिन अंतिम क्षण में राजनितिक दबाव के चलते भोपाल को राज्य की राजधानी बनाया गया। नवम्बर 2000 में मध्य प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग को विभाजित कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गयी।

मध्य प्रदेश के जिले – Districts of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में कुल 49 जिले हैं वो इस प्रकार –

रायसेन, अगरमालवा, छिंदवाडा, शेओपुर, अनुपूर, रतलाम, खरगोन, जबलपुर, झाबुआ, देवास, उज्जैन, अलीराजपुर, दमोह, दतिया, बेतुल, नरसिंहपुर, मंदसौर, शिवपुरी, कटनी, सीधी, बालाघाट, अशोकनगर, खण्डवा, रेवा, टीकमगढ़, धार, सागर, बरवानी, डिंडोरी, मंडला, सतना, उमरिया, गुना, सीहोर, विदिशा, भिंड, मोरेनाम, सिवनी, भोपाल, हरदा, सिंगरौली, बुरहानपुर, होशंगाबाद, नीमुच, शहडोल, छतरपुर, इंदौर, पन्ना, शाजापुर।

मध्य प्रदेश की नदियाँ – Rivers of Madhya Pradesh

नर्मदा मध्यप्रदेश की सबसे लम्बी नदी इसकी सहायक नदियों में बंजार, तवा, दी मचना, शक्कर, देंवा और सोनभद्रा नदी शामिल है। ताप्ती नदी नर्मदा के ही सामानांतर बहती है और साथ ही यह दरार घाटी से भी होकर बहती है। नर्मदा और ताप्ती नदी में भरपूर मात्रा में पानी भरा हुआ है और मध्य प्रदेश की लगभग सभी जगहों पर यही पानी जाता है। नर्मदा नदी को भारत में काफी पवित्र माना जाता है और क्षेत्र में इसे पूजा भी जाता है। राज्य में यही पानी का मुख्य स्त्रोत भी है।

मध्य प्रदेश की भाषा – Language of Madhya Pradesh

हिंदी मध्यप्रदेश की अधिकारिक भाषा और साथ ही राज्य में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। शहर में रहने वाले बहुत से व्यवसायी लोगो के लिए अंग्रेजी द्वितीय भाषा है।

बहुत सी जगहों और हिंदी और अंग्रेजी भाषा का उपयोग मिश्रित रूप से किया जाता है। राज्य की स्थानिक भाषाओ में मालवी, बुन्देली, बघेली और निमरी शामिल है। साथ ही राज्य में और भी दूसरी स्थानिक बोलियाँ बोली जाती है।

मध्य प्रदेश का पर्यटन – Tourism of Madhya Pradesh

चौथी शताब्दी में प्रसिद्ध संस्कृत कवी कालिदास ने प्रदेश का सुंदर विवरण “मेघदूतम” में किया है।

मध्यप्रदेश जैसा सुंदर और आकर्षक राज्य हर साल लाखो यात्रियों को आकर्षित करता है। और वर्तमान मध्यप्रदेश ने केवल अपनी प्राचीन सुंदरता ही नही बनाये रखी बल्कि वर्तमान यात्रियों के लिए विशेष आकर्षण का भी निर्माण कर रखा है। मध्यप्रदेश की पहाड़, जंगलो और नदियों की प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है। साथ ही यहाँ बहुत से वन्यजीव अभयारण्य भी है। मध्यप्रदेश राज्य की सांस्कृतिक विविधता भी देखने लायक है।

मध्यप्रदेश विन्ध्य और सतपुड़ा की पहाडियों से देदीप्यमान है। साथ ही यहाँ बहने वाली नदियों से इसका परिदृश्य और भी ज्यादा स्पष्ट हो जाता है।

मध्यप्रदेश में पहाड़ो के बीच से बहती हुई नदियों का रमणीक दृश्य निश्चित रूप से देखने योग्य है।

यहाँ के जंगल भी काफी घने है और वन्यजीव की विविध प्रजातियाँ हमें यहाँ के जंगलो में देखने मिलती है। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ में हमें सफ़ेद टाइगर भी देखने मिलते है। साथ ही कान्हा नेशनल पार्क, बांधवगढ़, पेंच, शिवपुरी, पन्ना और दुसरे बहुत से राष्ट्रिय उद्यानों में हम वन्यजीव की विविध प्रजातियाँ देख सकते है।
भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रौशनी का हमेशा अलग प्रभाव रहा है।

यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश को प्रकृति ने जैसे अपने हाथो से सजाकर रखा है, जिसकी सतरंगी सुंदरता और मनमोहक सुगंध चारो ओर फैली है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में रोज नृत्य, संगीत और गीत की रसधारा सहज रूप से बहती है। यहाँ का हर दिन उत्सव की तरह आता है और जीवन में आनंद भर देता है।

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20 मार्च का इतिहास | 20 March Today Historical Events

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20 March Today Historical Events

दोस्तों, इतिहास में हर दिन का कुछ न कुछ महत्व हैं उस दिन कुछ न कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हैं, वैसेही आज के दिन इतिहास में यानि 20 मार्च के इतिहास में भी कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटी हैं, आज हम उन्ही घटनाओं के बारेमें जानेंगे –

20 मार्च का इतिहास – 20 March Today Historical Events

20 March History

20 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 20

  • दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक की 1351 में मृत्यु हुई।
  • यूनाइटेड डच ईस्ट इंडिया कंपनी की 1602 में स्थापना हुई थी।
  • दिल्ली सल्तनत पर नादिरशाह ने 1739 में कब्ज़ा किया।
  • नामीबिया की स्वतंत्रता की घोषणा 1990 में आज के दिन अर्धरात्रि की गयी।
  • सी. एफ. एंड्रूज महात्मा गाँधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने 1904 में भारत आये।
  • अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन की किताब जनरल थ्‍योरी ऑफ रिलेटिवली का प्रकाशन 1916 में हुआ।
  • लंदन से दक्षिण अफ्रीका के बीच 1920 में पहली उड़ान शुरू हुई।
  • नासा ने 1987 में पाला बी 2 पी की शुरुआत की।
  • फ्रांस से ट्यूनीशिया को 1956 में आजादी मिली।
  • सोवियत संघ ने 1956 में परमाणु परीक्षण किया।
  • लंदन वेस्टमिनिस्टर के सेंट्रल हॉल में प्रदर्शनी के लिए रखा गया फुटबॉल वर्ल्ड कप 1966 में चोरी हुआ था।
  • 1977 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लोकसभा चुनाव में पराजित हुईं थी।
  • अर्जेंटीना के पूर्व राष्ट्रपति इसाबेल पेरोन को 1981 में आठ वर्ष की सजा हुई।
  • अमेरिकी सरकार द्वारा एड्स के इलाज के लिए दी जाने वाली यह पहली दवा एंटी एड्स दवा AZT को फूड एंड ड्रग एडमिनिशट्रेशन ने 1987 में मंजूरी दी।
  • फ्रांस ने 1982 में परमाणु परीक्षण किया।
  • बेगम ख़ालिदा जिया 1991 में बांग्लादेश की राष्ट्रपति बनी।
  • टोक्यो में भूमिगत रेल मार्ग में 1995 में विषैली गैस के लीक होने से लगभग 15 लोगों की जान गई और हजारों लोग घायल हुए।
  • इराक पर अमेरिका ने 2003 में हमला शुरू किया।
  • अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री ने 2006 में यह दावा किया कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान छिपा है।
  • गौरैया नाम के चिड़िया को बचाने के लिए 2010 में पहली बार ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया गया।

20 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 20 March

  • मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और मुमताज़ महल का सबसे बड़े पुत्र दारा शिकोह का जन्म 1615 को हुआ।
  • अंग्रेज़ अधिकारी एवं इतिहासकार, कर्नल टॉड का 1782 में जन्म।
  • भारतीय गायक अलका याग्निक का 1966 में जन्म।
  • भारतीय पहले गोल्फ खिलाड़ी अर्जुन अटवाल का 1973 में जन्म।
  • भारतीय अभिनेत्री कंगना राणावत का 1987 में जन्म।
20 मार्च को हुए निधन – Died on 20 March
  • दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक का निधन 1351 को हुआ।
  • महान् गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिर्विद एवं दार्शनिक आइज़ैक न्यूटन का निधन 1727 को हुआ।
  • भारत के क्रांतिकारी नेता एस. सत्यमूर्ति का निधन 1943 को हुआ।
  • भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक जयपाल सिंह का निधन 1970 को हुआ।
  • जम्मू-कश्मीर के नेता प्रेमनाथ डोगरा का निधन 1972 को हुआ।
  • 1999 में प्रख्यात ब्रिटिश अमूर्त चित्रकार पैट्रिक हेरोन का निधन।
  • भारतीय अभिनेता सोभन बाबू का निधन 2008 को हुआ।
  • भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार खुशवंत सिंह का निधन 2014 को हुआ।
  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री मैल्कम फ्रेजर का निधन 20 मार्च 2015 को हुआ।
  • भारतीय फ़िल्मों के अभिनेत्री बोब क्रिस्टो का निधन 20 मार्च 2011 को हुआ।

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झारखंड राज्य का इतिहास और जानकारी | Jharkhand History Information

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झारखंड यानी ‘झार’ या ‘झाड़’ जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और ‘खण्ड’ यानी टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलतः एक वन प्रदेश है जिसकी उत्पत्ति झारखंड – Jharkhand आंदोलन फलस्वरूप हुई है।

झारखंड पूर्वी भारत का राज्य है, जिसकी स्थापना 15 नवम्बर 2000 को बिहार राज्य को विभाजित करके की गयी।  राज्य की राजधानी रांची।

Jharkhand

झारखंड राज्य का इतिहास और जानकारी – Jharkhand History Information

जब 1765 में क्षेत्र ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में आ गया तब उन्हें स्थानिक लोगो के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। आदिवासियों द्वारा अपने राज्य झारखंड को बचाने का अभियान 1771 से 1900 तक चला।

1771 में ब्रिटिश सरकार और जमींदारो के खिलाफ किये गये पहले आंदोलन का नेतृत्व राजमहल पहाड़ी के पहरिया लीडर, तिलका मांझी ने किया। वे अपने लोगो को अनैतिक जमींदारो के चंगुल से मुक्त करवाना चाहते थे और उन्हें अपने पूर्वजो की जमीन वापिस दिलवाना चाहते थे।

इसके बाद ब्रिटिश सेना ने अपनी फ़ौज भेजकर तिलका मांझी के अभियान को कुचल दिया। इसके कुछ समय बाद ही 1779 में भूमिज समुदाय के लोहो ने मनभूम, पश्चिम बंगाल में ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद पलामू की चेरो जनजाति ने ब्रिटिश राज का विरोध किया।

1855 में ब्रिटिश कंपनी राज के समय ज़मींदारी प्रथा के खिलाफ संथल विद्रोह की घोषणा की गयी।

1800 AD में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया। इसके सात वर्षो बाद 1807 में बर्वे में ओराव ने श्रीनगर के समृद्ध जमींदार की हत्या कर दी। जल्द ही विद्रोह गुमला तक पहुच गया। आदिवासी अपने विद्रोह को पूर्व की तरफ ले जा रहे थे और धीरे-धीरे विद्रोह मुंडा जनजाति तक पहुच गया।

1811 और 1813 में वे भी विद्रोह में शामिल हो गये। सिंघभुम में होस भी तेजी से बढ़ रहे थे और 1820 में वे भी खुलकर विद्रोह करने लगे और दो सालो तक उन्होंने जमींदारो और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह जारी रखा। इसे 1820-1821 के उभरते हुए लकरा कोल का नाम दिया गया।

इसके बाद 1832 में कोल का विकास होने लगा। यह पहला आदिवासी विद्रोह था जिसने झारखंड में ब्रिटिश प्रशासन को काफी परेशान किया था। यह ज़मींदारो द्वारा आदिवासी लोगो की जमीन हड़पने की कोशिश का परिणाम था। इसके बाद सिधु और कान्हू नामक दो भाइयो के नेतृत्व में 1855 में सिंथल विद्रोह सामने आया।

इसके बाद 1895 में बिरसा मुंडा विद्रोह सामने आया और 1900 तक चला। यह इतिहास के सबसे लंबे समय तक चलने वाले विद्रोहों में से एक था।

राज्य के अंतिम विधानसभा चुनाव में आर.जे.डी. कांग्रेस पर निर्धारित थी, जिसकी शर्त के अनुसार आर.जे.डी बिहार पुनर्गठन बिल (झारखंड बिल) के समय कोई बाधा उत्पन्न नही करने वाली थी। अंततः आर.जे.डी और कांग्रेस दोनों की सहायता से बीजेपी ने संसद के मानसून सत्र में झारखंड बिल को पास कर दिया। इसके बाद स्वतंत्र झारखंड राज्य बनाने का मार्ग खाली हो गया।

झारखंड की संस्कृति – Culture of Jharkhand

राज्य मुख्यतः आदिवासियों से घिरा हुआ है और इसीलिए राज्य की संस्कृति और जीवन शैलि में प्रकृति की महत्वपुर्ण भूमिका है। पारंपरिक रूप से लोग यहाँ पेड़ लेकर उसे आँगन में लगाते है। यहाँ के लोगो द्वारा मनाये जाने वाले रीती-रिवाजो में जितिया पूजा, कर्मा पूजा, सरहुल इत्यादि।

मकर संक्रांति के समय टुसू मेला उर्फ़ पौष मेले का आयोजन किया जाता है, जो वास्तव में फसल की कटाई का उत्सव होता है। लोगो का मानना होता है की यह रंग और उत्साह का महोत्सव होता है। सम्पूर्ण छोटानागपुर पठार क्षेत्र धूमधाम से करम महोत्सव मनाता है।

कुंवार – शुक्ल – पक्ष के बाद इसे 15 दिनों तक मनाते है। उत्सव की तयारी करने के लिए लोग नये कपडे खरीदते है, तेल, दलिया, सिन्दूर, इत्यादि लाते है और नये पकवान बनाते है। इस दिन घर के लडको और लडकियों को उनके परिवार वाले बड़े सम्मान से देखते है।

झारखंड की भाषा – Language of Jharkhand

हिंदी राज्य की प्रधान भाषा है। यहाँ के लोग दूसरी भाषा का भी उपयोग करते है। साधारणतः राज्य के जम्तारा, गोड्डा, साहिबगंज, दुमका, पाकुर, सराइकेला-खरसावाँ और सिंघभुम जिले में संताली भाषा का उपयोग किया जाता है। मंदारी भाषा का उपयोग रांची, खूंटी, लतेहर जिले, पश्चिम सिंघभुम, सिमडेगा और घुमला इत्यादि जगहों पर किया जाता है। सराइकेला-खरसावाँ जिले और पश्चिम सिंघभुम में हो भाषा का उपयोग किया जाता है।

झारखंड की मुख्य नदियाँ – Major rivers of Jharkhand

सोन नदी, सुबर्णरेखा नदी, दक्षिण कोयल नदी, अजय नदी, दामोदर नदी, फाल्गु नदी, मयूराक्षी नदी।

झारखंड का पर्यटन – Tourism of Jharkhand

राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य जंगलो और पहाड़ी इलाको और वन्यजीव संग्रहालयो से समृद्ध है। जो लाखो यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते है। साथ ही बहुत सी राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की वजह से राज्य व्यावसायिक पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। राज्य में देखने योग्य मुख्य जगहों में निम्न शामिल है :

  • रांची पहाड़ी
  • दासम फाल्स
  • सूर्य मंदिर
  • जमशेदपुर
  • बैद्यनाथ धाम
  • नेतार्हत

झारखंड का भोजन – Food of Jharkhand

राज्‍य का पारंपरिक भोजन, झारखंड क्षेत्र के विभिन्न इलाके का एक संयोजन है। यहां का भोजन सुपाच्‍य और हल्‍का होता है। प्राकृतिक चीजों से बना और अच्‍छे वातावरण के कारण, यहां आकर पर्यटकों को भोजन का स्‍वाद बहुत अच्‍छा लगता है।

यहां का मुख्‍य भोजन लिट्टी और चोखा है। यहां का मांसाहारी भोजन, मुंह में पानी ला देने वाला होता है जो विशेष तरीके से बनाया जाता है। इस राज्‍य के बनाएं जाने वाले भोजनों में ताजगी दिखती है जो मुगलकाल की समृद्धता से काफी मिलते – जुलते है।

यहां कई प्रकार की स्‍थानीय शराब या पेयपदार्थ भी मिलते है जिनमें हाडिंया, राइस बियर आदि शामिल है। हांडिया को मिट्टी के बर्तन में इकठ्ठा करके बनाया जाता है। यह आदिवासियों का मुख्‍य पेयपदार्थ होता है जिसे पुरूष और महिलाएं दोनो ही पीते है। यहां की अन्‍य शराब को माहू कहा जाता है जो महुआ पेड़ के फूलों और फलों से मिलकर बनती है।

भारत देश के हर राज्य की बात ही कुछ अलग हैं वैसेही झारखंड राज्य जंगलो और पहाड़ी इलाको और वन्यजीव से भरा हैं, जिन्हेँ जंगल और पहाड़ी घुमना पसंद हैं। उन्हें झारखंड जरुर जाना चाहियें।

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विष्णुधाम मंदिर, बिहार | Vishnudham Mandir, Bihar

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Vishnudham Mandir

कई सारे मंदिर ऐसे भी होते है, जिनमे भगवान की मूर्ति की स्थापना करने से पहेल उस मूर्ति को बनाया जाता है। मंदिर की सारी तयारी करने के बाद उस मूर्ति को फिर से उस मंदिर में पुरे नियमो के साथ स्थापित किया जाता है। मगर अभी हम जिस मंदिर की जानकारी आपको देने जा रहे है उसकी कहानी थोडीसी अलग है।
Vishnudham Mandir

विष्णुधाम मंदिर, बिहार – Vishnudham Mandir, Bihar

क्यों की इस मंदिर को बनाने से पहले ही भगवान की मूर्ति पहले से तयार थी और बाद मे फिर मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इस अनोखे मंदिर का नाम विष्णुधाम मंदिर है। यह मंदिर जिस जगह पर बनवाया गया था उसी जगह पर जमीन निचे भगवान विष्णु की मूर्ति मिली थी। वो मूर्ति एक सुतार को मिली थी और फिर उसने पुरे गाव के साथ मिलकर उस मूर्ति की स्थापना करने के लिए मंदिर बनाने की मांग रखी थी।

प्रसिद्ध विष्णुधाम मंदिर बिहार के सधिया और भेरवानिया गाव के बॉर्डर पर स्थित है। पुरे उत्तर भारत में भगवान विष्णु की यह सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है जिसकी लम्बाई 7.5 फीट चौड़ाई 3.5 फीट है।

इतिहासकारों का यह मानना हैं की भगवान विष्णु की यह मूर्ति गुप्त वंश के ज़माने की है। भगवान की चार हातो वाली इस मूर्ति के हाथ में शंख, चक्र, गदा और कमल का फूल है। इस मूर्ति के निचले हिस्से में एक पुरुष और महिला की भी मूर्ति है।

यह श्री वरदराज पेरूमल देवस्थान जिसे विष्णु धाम भी कहा जाता है, इसमें केवल वैष्णव संप्रदाय के नियमो का ही पालन किया जाता है।

भगवान विष्णु को सभी जानते है। उन्होंने अलग अलग समय में अलग अलग अवतार लिया है और सभी लोगो का रक्षण किया। उन्हें दशावतार भी कहा जाता है क्यों की उन्होंने दस अवतार लिए थे। ऐसे दशावतार भगवान के कई सारे मंदिर हमारे देश में बनवाये गए है। उसमे का ही एक विष्णुधाम मंदिर है।

इस विष्णुधाम मंदिर में भगवान विष्णु की जो मूर्ति है वो बहुत बड़ी मूर्ति मानी जाती है। ऐसी मूर्ति पुरे उत्तर भारत कही पे भी देखने को नहीं मिलती क्यों की वो सभी मुर्तिया विष्णुधाम मंदिर के मूर्ति की तुलना में काफी छोटी है। पुरे उत्तर भारत में इसी विष्णुधाम मंदिर की मूर्ति सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है।

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21 मार्च का इतिहास | 21 MarchToday Historical Events

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21 March Today Historical Events

दोस्तों इतिहास में 21 मार्च के दिन यानि आज ही के दिन कई सुखद और दुखद घटनाएं घटी हैं, उन्ही घटनाओं के बारेमें आज हम आप को यहाँ बताने जा रहे हैं। आपको जरुर पसंद आयेंगे।

21 मार्च का इतिहास – 21 MarchToday Historical Events

21 March History

21 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 21

  • जर्मनी के एरफर्ट शहर में 1349 में हुए ब्लैक डेथ दंगों में हज़ारो यहूदियों का कत्ल कर दिया गया।
  • हेनरी पंचम 1413 में इंग्लैंड के राजा बने।
  • तत्कालीन बंगलौर पर टीपू सुल्तान को पराजित कर अंग्रेजों की सेना ने 1791 में कब्जा किया।
  • नेपोलियन ने 1804 में फ्रांस की नागरिक संहिता को अपनाया।
  • कोलकाता में 1836 में पहले सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत, अब इसका नाम नेशनल लाइब्रेरी है।
  • बहाई कैलेंडर की 1844 में शुरुआत की गई।
  • सन 1857 में जापान की राजधानी टोक्यो में आए जबरदस्त भूकंप में तकरीबन 170000 लोगों की जान गयी।
  • प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सैनिकों ने 1858 में लखनऊ में आत्मसमर्पण किया।
  • मुंबई में 1887 में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई।
  • 1906 में थाई सिल्क उद्योग को बचाने वाले अमेरिकी कारोबारी जिम थॉमसन का जन्म हुआ।
  • होंडुरास पर अमेरिका ने 1907 हमला किया।
  • बेला कुन् द्वारा हंगेरियन सोवियत रिपब्लिक की 1919 में स्थापना।
  • फारसी भाषा वाले देश फारस का 1935 में नाम बदलकर ईरान किया गया।
  • हिटलर पर 1943 में जानलेवा हमला विफल।
  • सोवियत संघ ने 1958 में वायुमंडलीय परमाणु परीक्षण किया।
  • दक्षिण अफ्रीका के शहर शार्पविल में गोरी पुलिस ने 1960 में रंगभेद के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे कालों के एक समूह पर गोलियां बरसा कर लगभग 75 लोगों को मार डाला।
  • भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने 1971 में अपना पहला टेस्ट शतक लगाया।
  • तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अनुरोध पर धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की।
  • इथोपिया में तीन हजार साल बाद 1975 में राजतंत्र समाप्त।
  • मिस्र की संसद ने 1979 में इजरायल के साथ शांति संधि पर सहमति जताई।
  • नाम्बिया को दक्षिण अफ्रीका से 1990 में आजादी मिली।
  • गिरिजा प्रसाद कोइराला 2000 में नेपाल के नये प्रधानमंत्री नियुक्त।
  • चीन और रूस ने 2006 में रक्षा व ऊर्जा के क्षेत्र में तीन बड़े समझौते किये।

21 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 21 March

  • 1887 में वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक मानवेन्द्र नाथ राय का जन्म।
  • 1912 में प्रसिद्ध संगीतकार ख़्वाजा खुर्शीद अनवर का जन्म।
  • 1916 में महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जन्म।
  • 1922 में अमेरिकी फिल्म निर्देशक और निर्माता रस मेयर का जन्म।
  • 1922 में बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री मुजिबुर रहमान का जन्म।
  • 1923 में भारतीय धार्मिक नेता निर्मला श्रीवास्तव का जन्म।
  • 1937 में महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद जाफर का जन्म।
  • 1978 में बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी का जन्म।
21 मार्च को हुए निधन – Died on 21 March
  • महादजी शिन्दे के भाई तुकोजीराव होल्कर का पौत्र दौलतराव शिन्दे का 1827 में निधन।
  • हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में से एक केशव प्रसाद मिश्र का 1952 में निधन।
  • ब्रिटिश हास्य अभिनेता एर्नीवाइस का 1999 में निधन।
  • प्रसिद्ध उपन्यासकार शिवानी का 2003 में निधन।
21 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important Events of March 21
  • विश्व कविता दिवस
  • विश्व वानिकी दिवस
  • अंतरराष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस
  • विश्व कठपुतली दिवस

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भड़केश्वर महादेव मंदिर | Bhadkeshwar Mahadev Mandir

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भगवान शिव का यह पवित्र भड़केश्वर महादेव मंदिर – Bhadkeshwar Mahadev Mandir गुजरात में है। हम सभी को पता ही है की गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में मंदिरों की कोई कमी नहीं। गुजरात के हर शहर में कोई ना कोई बड़ा मंदिर दिखता ही है। वैसे ही गुजरात के द्वारका शहर में भी भगवान शिव का प्रसिद्ध भड़केश्वर मंदिर स्थित है।

Bhadkeshwar Mahadev Mandir भड़केश्वर महादेव मंदिर – Bhadkeshwar Mahadev Mandir

इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात यह है की यह मंदिर समुद्र में है। इसके चारो तरफ़ समुद्र ना नीला नीला पानी ही दीखता है। समुद्र में एक छोटीसी पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर को देखने के बाद हम यहाँ का दृश्य जीवन में कभी भूल ही नहीं सकते। इस तरह के मंदिर बड़ी मेहनत से बनाये जाते है। कई मंदिरों को बनाने के लिए तो कई साल या दशक भी कम पड़ जाते है।

इस मंदिर के देवता को सभी चन्द्रमौलिश्वर नाम से जानते है। इस मंदिर के देवता की मूर्ति आचार्य जगतगुरु शकाराचार्य को गोमती, गंगा और अरबी समुद्र के पवित्र संगम पर मिली थी। यहापर इस मूर्ति के अलावा भी 1300 शिव लिंग, 1200 सालग्रामशिला, और 75 शंकराचार्य की भी मुर्तिया भी है।

जब समुद्र में बढ़ाव आता है तो सारा पानी मंदिर के चारो तरफ़ फ़ैल जाता है और वहाकी सारी सीढिया पानी से भीग जाती है और जब घटाव होता है तब पानी की लहरे कम हो जाती है और कोई भी आसानी से मंदिर में जा सकता है।

समुन्दर के किनारे के इस दृश्य को देखकर कोई भी आनंदित हो जाता है और यही क्षण उसके लिए यादगार पल बन जाता है। शिवरात्रि के दिन यहापर बहुत बड़ी यात्रा होती और उस यात्रा के दौरान हजारों भक्त शिवशंकर के दर्शन करने के लिए आते है।

भड़केश्वर महादेव मंदिर तक कैसे पहुचें – How to reach Bhadreshwar Mahadev Temple

बस: गुजरात के सभी राज्य मार्ग और राष्ट्रीय महामार्ग से इस मंदिर तक पंहुचा जा सकता है। गुजरात के सभी शहरों से तथा अन्य राज्य से भी द्वारका शहर पंहुचा जा सकता है।

रेलगाड़ी: भड़केश्वर महादेव मंदिर से सबसे नजदीक में द्वारका रेलवे स्टेशन है।

हवाईजहाज: मंदिर से सबसे नजदीक में पोरबंदर का हवाईअड्डा है। यह हवाई अड्डा मंदिर से केवल 98 किमी की दुरी पर है।

द्वारका के इस पवित्र मंदिर की जानकारी मिलने के बाद हमें एक बात समझ में आती है की इस भड़केश्वर महादेव मंदिर की भगवान शिव की मूर्ति आचार्य शंकराचार्य को मिली थी। जिस जगह पर यह मूर्ति मिली थी वो जगह भी सबसे अद्भुत है क्यों की जिस जगह पर शंकराचार्य को यह पवित्र मूर्ति मिली थी उस जगह पर दो नदिया (गोमती, गंगा) और अरबी समुद्र का मिलन होता है। इसी वजह से भगवान शिव की इस मूर्ति को अद्भुत मूर्ति समझा जाता है।

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भारतीय क्रिकेटर्स और उनकी जानकारी | Indian Cricketers Names and Information

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हम सब को पता हैं की हमारे भारत देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी हैं लेकिन भारत में ज्यादातर लोगों को क्रिकेट पसंद हैं. भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर क्रिकेट का भुत सवार हैं, यह खेल हर किसी के जीवन का एक हिस्सा बन गया हैं, लोग सब कुछ छोड़ कर लिए क्रिकेट देखना ज्यादा पसंद करते हैं। आईये देखते हैं सबके पसंदीदा खेल क्रिकेट के खिलाड़ियों के नाम – Indian Cricketers की सूचि। और आपको उनके बारेमें विस्तारपूर्वक जानकारी जाननी हैं तो आगे दी गयी लिंक पर क्लीक करे।

Indian Cricketers Names

भारतीय क्रिकेटर्स और उनकी जानकारी – Indian Cricketers Names and Information

  • मनोज तिवारी – Manoj Tiwary
  • भुवनेश्वर कुमार – Bhuvneshwar Kumar
  • कुलदीप यादव – Kuldeep Yadav
  • अमित मिश्रा – Amit Mishra
  • अजिंक्य रहाने – Ajinkya Rahane
  • अंबटि रायुडु – Ambati Rayudu
  • हार्दिक पंड्या – Hardik Pandya
  • रविचंद्रन अश्विन – Ravichandran Ashwin
  • रवि शास्त्री – Ravi Shastri
  • मनीष पाण्डेय – Manish Pandey
  • रविन्द्र जडेजा – Cricketer Ravindra Jadeja
  • मोहम्मद शमी – Mohammad shami
  • गौतम गंभीर – Gautam Gambhir
  • चेतेश्वर पुजारा – Cheteshwar Pujara
  • उमेश यादव – Umesh Yadav
  • हरभजन सिंह – Harbhajan Singh
  • के. एल. राहुल – K. L. Rahul
  • रिद्धिमान साहा – Wriddhiman Saha
  • शिखर धवन – Shikhar Dhawan
  • मोहित शर्मा – Mohit Sharma
  • बेन स्टॉक – Ben Stokes
  • स्टुअर्ट बिन्नी – Stuart Binny
  • वीरेंदर सहवाग – Virender Sehwag
  • रोहित शर्मा – Rohit Sharma
  • प्रवीण कुमार – Praveen Kumar
  • सचिन रमेश तेंदुलकर – Sachin Tendulkar
  • पार्थिव पटेल – Parthiv Patel
  • कपिल देव – Kapil Dev
  • दिनेश कार्तिक – Dinesh Karthik
  • सुनील गावस्कर – Sunil Gavaskar
  • युवराज सिंह – Yuvraj Singh
  • महेंद्र सिंह धोनी – MS Dhoni
  • सुरेश रैना – Suresh Raina
  • विराट कोहली – Virat Kohli
  • इरफ़ान पठान – Irfan Pathan
  • युसूफ पठान – Yusuf Pathan
  • रिषभ पंत – Rishabh Pant
  • जयंत यादव – Jayant Yadav
  • प्रज्ञान ओझा – Pragyan Ojha
  • परवेज़ रसूल – Parvez Rasool
  • आशीष नेहरा – Ashish Nehra
  • मुरली विजय – Murali Vijay
  • युजवेन्द्र चहल – Yuzvendra Chahal
  • शार्दुल ठाकुर – Shardul Thakur
  • इशांत शर्मा – Ishant Sharma
  • जसप्रीत बुमराह – Jasprit Bumrah
  • केदार जाधव – Kedar Jadhav
  • करुण नायर – Karun Nair
  • अक्षर पटेल – Axar Patel
  • धवल कुलकर्णी – Dhawal Kulkarni
  • जयदेव उनाडकट – Jaydev Unadkat
  • विनय कुमार – Vinay Kumar
  • आर पी सिंह – R P Sing
  • फैज़ फज़ल – Faiz Fazal
  • वरुण एरोन – Varun Aaron
  • अभिनव मुकुंद – Abhinav Mukund
  • अजय जडेजा – Ajay jadeja

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22 मार्च का इतिहास | 22 March Today Historical Events

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22 March Today Historical Events

इतिहास में 22 मार्च के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ, जन्म और मृत्यु के बारेमें जानकारी आज इस पोस्ट हम जानेंगे।

22 मार्च का इतिहास – 22 March Today Historical Events

22 March History

22 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 22

  • स्टीफेन द्वितीय सन 752 में 23वें कैथोलिक पोप चुने गये।
  • आक्रमणकारी नादिर शाह ने 1739 में अपनी सेना को दिल्ली मे जनसंहार की इजाजत दी।
  • पुएरटो रिको में 1873 में दास प्रथा को खत्म किया गया।
  • सन 1882 में घातक संक्रामक बीमारी ‘टीबी’ की पहचान हुई।
  • सन 1888 में इंग्लिश फुटबॉल लीग की स्थापना।
  • रामचंद्र चटर्जी 1890 में पैराशूट से उतरने वाले पहले व्यक्ति बने।
  • रूस की नई सरकार को मान्यता देने वाला अमेरिका 1917 में पहला देश बना।
  • सन 1923 में पहली बार आइस हाकी मैच का रेडियो से प्रसारण।
  • सर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स मिशन 1942 में भारत आया।
  • ब्रिटेन ने जॉर्डन को आजाद करने के लिए संधि पर 1946 में हस्ताक्षर किये।
  • आखिरी वायसराय लार्ड लुईस माउंटबेटन 1947 में भारत आये।
  • अमेरिका में मिशीगन के साउथफील्ड में 1954 में पहला शॉपिंग मॉल खोला गया।
  • अमरीका में रंगभेद विरोधी नेता मार्टिन लूथर किंग को एक नस्लवादी कानून का विरोध करने के कारण 1956 में आज ही के दिन जेल हुई थी।
  • शक पर आधारित राष्ट्रीय कैलेण्डर को 1957 से स्वीकारा गया।
  • सोवियत संघ ने 1958 में नोवाया जेमलया में परमाणु परीक्षण किया।
  • कोलकाता में सन 1964 में पुरानी कारों की पहली रैली ‘विंटेज कार रैली’ आयोजित।
    इंडियन पेट्रोकैमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड का 1969 में उद्घाटन।
  • श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1977 में प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया।
  • फ्रांस ने 1978 में परमाणु परीक्षण किया।
  • इजरायल की संसद ने 1979 में मिस्र के साथ शांति संधि को मान्यता दी।
  • नासा ने अपने अंतरिक्ष यान कोलंबिया को 1982 में तीसरे मिशन पर लिए रवाना किया।
  • रूसी अंतरिक्ष यात्री वालेरी पेलियाकोव साढ़े चौदह माह के रिकार्ड अंतरिक्ष प्रवास के पश्चात् 1995 में पृथ्वी के लिए रवाना।
  • जार्डन के शाह अब्दुल्ला ने 1999 में अपनी पत्नी राजकुमारी रानिया को आधिकारिक रूप से महारानी नामित किया।
  • ब्रिटेन में गले के नीच पूरे शरीर में लकवे से ग्रस्त एक 43 साल की महिला को 2002 में इच्छा मृत्यु का अधिकार दिया गया।
  • पाकिस्तान ने 2007 में हत्फ़-7 मिसाइल का परीक्षण किया।

22 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 22 March

  • 1882 में उर्दू के प्रसिद्ध पत्रकार और समाज सुधारक मुंशी दयानारायण निगम का जन्म।
  • 1894 में भारत की स्वतंत्रता के लिए चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन का जन्म।
  • 1961 में 16वीं लोकसभा सांसद एवं वर्तमान जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव का जन्म।
22 मार्च को हुए निधन – Died on 22 March
  • 1971 में स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार का निधन।
  • 1977 में केरल के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता और भारत के स्वतंत्रता सेनानी ए. के. गोपालन का निधन।
  • 2007 में भारतीय दार्शनिक उप्पलुरी गोपाल कृष्णमूर्ति का निधन।
22 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – Important Events of March 22
  • विश्व जल दिवस

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History of the world Almost all of us have read a lot in school, but there are so many things in history that we do not remember through this post, we have a small effort to remind you of those events, hope you have this today History of i.e. History of March 22 will prove beneficial. If you have to make some changes or to add some more information to this post, then please tell us through a thank you comment, thank you

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बॉलीवुड की नटखट एक्ट्रेस परिणीती चोप्रा | Parineeti Chopra Biography

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Parineeti Chopra – परिणीती चोप्रा केवल एक मशहूर और प्रसिद्ध अभिनेत्री नहीं बल्की वो एक काफी बुद्धिमान और होशियार भी हैं। उन्हें उनके प्रशंसक प्यार से परी भी कहते हैं।

Parineeti Chopra

बॉलीवुड की नटखट एक्ट्रेस परिणीती चोप्रा – Parineeti Chopra Biography

भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री परिणीती चोप्रा का जन्म 22 अक्तूबर 1988 को हरयाणा के अम्बाला में एक पंजाबी परिवार में हुआ। परिणीती चोप्रा के पिता एक बिज़नसमन है और साथ ही वो अम्बाला कैंटोनमेंट के भारतीय सेना को जरुरी सामान भेजने का काम भी करते है। अभिनेत्री प्रियंका चोप्रा और मीरा चोप्रा उनकी बहने है।

उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई अम्बाला कैंटोनमेंट के जीजस और मैरी कान्वेंट में पूरी की। जब वो छोटी थी तबसे ही उन्हें पढाई में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी। उन्होंने दुसरे देशो में जाकर भी पढाई की। उन्होंने बड़े होने के बाद बिज़नस, फाइनेंस और अर्थशास्त्र की डिग्री भी हासिल की है। उनकी एक और खास बात यह है वो फिल्मो में हिट होने से पहले नोकरी भी करती थी।

परिणीती चोप्रा का करियर – Parineeti Chopra Career

2009 में आयी आर्थिक मंदि के कारण उन्हें भारत वापिस आना पड़ा और वो अपनी बहन प्रियंका के साथ रहने के लिए मुंबई चली गयी थी। जब प्रियंका चोप्रा यश राज फ़िल्म स्टूडियो में गयी थी तो उन्होंने परिणीती को उस स्टूडियो के सबसे अहम इन्सान से मिलवाया था। उस कंपनी में उन्हें मार्केटिंग विभाग में एक सलाहकार के रूप में नौकरी मिली।

साथ ही उन्हें फिल्मो में भी काम करने का मौका मिलता था। लेकिन उनकी एक फ़िल्म जगात से बिलकुल विपरीत थी की उन्हें अभिनेता और उनका अभिनय बिलकुल ही पसंद नहीं था। लेकिन जैसे जैसे वो अभिनेता के काम करने के तरीके देखती और उनकी इस काम में लगन देखकर परिणीती का फ़िल्म जगत के प्रति देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया और तब से उनकी नजर में फ़िल्म जगत के लिए सम्मान बढ़ गया।

उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात की 2011 मे रणवीर सिंह के साथ रिलीज़ हुई कॉमेडी फ़िल्म “लेडीज वेर्सस रिक्की बहल” से की थी और बॉक्स ऑफिस पर वो फ़िल्म काफी अच्छी भी चली थी।

उनके इस अभिनय के लिए उनकी बहुत तारीफ़ भी की गयी और साथ ही उन्हें इसके लिए सर्वश्रेष्ट फीमेल डेब्यू के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया और उन्हें सर्वश्रेष्ट सहायक अभिनेत्री के लिए नामित भी किया गया था।

परिणीती चोप्रा के बारे में कुछ रोचक जानकारी – Interesting information about Parineeti Chopra

  • वो एक बहुत ही अच्छी गायिका है और उन्होंने संगीत में डिग्री भी हासिल की है।
  • उन्हें महंगे कपडे पहनना बिलकुल अच्छा नहीं लगता। वो हमेशा अच्छे कपडे पहनने पर ही जोर देती है फिरचाहे वो कपडे महंगे हो या ना हो।
  • वो स्कूल के दिनों में काफी पढाई करती थी और दसवी की परीक्षा में वो पुरे देश में पहले नंबर पर आयी थी और तब उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हातो पुरस्कार भी दिया गया था।
परिणीती चोप्रा को मिले हुए कुछ पुरस्कार – Parineeti Chopra Awards
  • 2011 में “लेडीज वर्सस रिक्की बहल” फ़िल्म के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट फीमेल डेब्यू से भी सम्मानित किया गया था।
  • 2012 में परिणीती चोप्रा को अर्जुन कपुर के साथ आयी फ़िल्म “इशकजादे” के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार दिया गया था।

जिन्हें अभिनेता या अभिनेत्री बनना होता है वो पहले से उसपर काम करना शुरू कर देते है। उनके फ़िल्मी करियर की शुरुवात वो बचपन से शुरू कर देते है। मगर कुछ अभिनेत्री ऐसी भी होती जिन्हें अभिनेत्री बनने के लिए बचपन से शुरुवात करने की जुरुरत नहीं पड़ती।

कुछ ऐसा ही परिणीती चोप्रा के साथ हुआ है। उन्होंने बड़े होने के बाद फिल्मो में काम करने पर विचार किया और उसके बाद वो एक सफल और मशहूर अभिनेत्री भी बन गयी। उन्होंने फिल्मो में आते ही फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी हासिल किया।

Read More:

  1. अमिताभ बच्चन जीवनी
  2. सुपरस्टार रजनीकांत की जीवनी

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हाजीपुर का रामचौरा मंदिर | Ramchaura Mandir History

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बिहार में प्रभु श्री राम के कई सारे मंदिर है। उन सभी मंदिरों में हाजीपुर का Ramchaura Mandir – रामचौरा मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर के बारे में यहातक भी कहा जाता है की इसका निर्माण रामायण के समय में करवाया गया था। और सबसे खास बात यह की भगवान श्री राम जब इस जगह पर आये थे उसके बाद ही इस स्थान पर प्रभु श्री राम का मंदिर बनवाया गया था। ऐसा कहा जाता है की श्री रामचंद्र यहाँ पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आये थे और उसके लिए उन्होंने मुंडन भी करवाया था।

Ramchaura Mandir

हाजीपुर का रामचौरा मंदिर – Ramchaura Mandir History

प्रसिद्ध रामचौरा मंदिर बिहार के हाजीपुर शहर मे स्थित है। इस मंदिर के नाम से यह अनुमान लगाया जा सकता हैं की यह मंदिर किस भगवान को समर्पित होंगा।

यहाँ की एक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है की जब भगवान श्री राम जनकपुर जा रहे थे तो उस उक्त श्री राम इस मंदिर की जगह पर ठहरे थे और उन्होंने इसी स्थान पर मुंडन किया था। और इसी कारण ही इस मंदिर में भगवान श्री राम के चरणों की पूजा की जाती है। इसी कारण हिन्दू धर्म में इस मंदिर को काफी महत्व दिया गया है।

यहापर हर साल बड़े उल्हास से राम नवमी मनाई जाती है। राम नवमी के त्यौहार पर यह एक छोटीसी यात्रा का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन को भगवान श्री राम का अयोध्या के राजा दशरथ और कौसल्या के यहाँ जन्म हुआ था। भगवान श्री राम दशावतार विष्णु का सातवा अवतार माना जाता है। भगवान श्री राम की नवमी चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष में नौवे दिन पर मनाई जाती है। इसी वजह से भी इस त्यौहार को चैत्र मास सुक्ल पक्ष नवमी भी कहा जाता है।

रामचौरा में खुदाई के दौरान जितने भी चीजे मिली उन सभी को पटना के संग्रहालय में रखा गया है।

रामचौरा मंदिर तक कैसे पहुचे? – How to Reach Ramchaura Mandir

सड़क से: रामचौरा मंदिर में आने के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है। हाजीपुर शहर में आने के लिए पटना, कुमार बाजितपुर, समस्तीपुर, छपरा और मुजफ्फरपुर से बस की व्यवस्था की गयी है।

रेल से: हाजीपुर रेल जंक्शन जो पूर्व मध्य रेल का मुख्यालय है।

हवाई जहाज से: लोकनायक जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा हाजीपुर से केवल 21 किमी की दुरी पर है।

प्रभु श्री राम की बहुत सारे मंदिरे हमें जमीन पर ही देखने को मिलते है। कुछ ऐसी ही मंदिरे बिहार राज्य में भी है। मगर जिस रामचौरा मंदिर की बात यहापर की जा रही है, उसकी बात अन्य मंदिरों से भिन्न है। प्रभु श्री राम के इस जागृत मंदिर की बात ही कुछ अलग है।

रामचौरा का यह मंदिर जमीन से 45 मीटर की उचाई पर है। इसकी उचाई के कारण मंदिर की सुन्दरता में बढ़ोतरी हुई है। कोई भी भक्त दूर से ही इस मंदिर को पहचान सकता है। इस मंदिर में आकर भगवान के दर्शन लेने का अनुभव ही सबसे अलग माना जाता है। यहापर आने के बाद भक्त को एक अलग तरह की शांति का अहसास होता है।

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23 मार्च का इतिहास | 23 March Today Historical Events

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23 March Today Historical Events

दोस्तों, हम जानते हैं की 23 मार्च के दिन को यानि आज के दिन इतिहास में कई महत्‍वपूर्ण घटनाएं घटी। जिसमें राममनोहर लोहिया का जन्म से लेकर, अपने देश के लिए जान दाव पर लगा देनेवाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी भी शामील हैं। और साथ ही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का 100 का कीर्तिमान, और बहुत सी महत्वपूर्ण बातें हैं, आज हम यही 23 मार्च के इतिहास की घटनाओं पर एक बार फिर से नजर डालेंगे।

23 मार्च का इतिहास – 23 March Today Historical Events

23 March History

23 मार्च की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Important events of March 23

  • पश्चिम बंगाल के चंद्रनगर पर 1357 में लार्ड क्लाइव ने फ्रांसीसियों को हराकर कब्जा किया।
  • पिनेरोलो पिडमाउंट पर फ्रांस की सेना ने 1630 में कब्जा किया।
  • ब्रिटेन की संसद में सुधार विधेयक 1832 में पारति किया गया।
  • फ्रेंकलिन बेल ने 1836 में सिक्के छपाई के प्रेस का आविष्कार किया।
  • लिथुआनिया ने 1918 में स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • बेनिटो मुसोलिनी ने 1919 में इटली के मिलान में फासिस्ट आंदोलन की शुरुआत की।
  • ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने 1940 में मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की।
  • अमेरिकी कांग्रेस ने 1945 में फिलीपींस की स्वतंत्रता को मान्यता दी।
  • संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में विश्व मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना की।
  • सन 1956 में पाकिस्तान दुनिया का पहला इस्लामिक गणतंत्र देश बना।
  • नासा ने 1965 में पहली बार “जैमिनी 3” अंतरिक्ष यान से दो व्यकितयों को अंतरिक्ष में भेजा।
  • केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में महिलाओं की पहली कंपनी को 1986 में प्रशिक्षित किया गया।
  • पश्चिमी जर्मनी के एक ब्रितानी सैनिक ठिकाने में 1987 में हुए कार बम हमले में लगभग 30 लोग घायल हो गए हैं।
  • प्रोफ़ेशनल चेस एसोसियेशन कैंडीडेट्स के फ़ाइनल शृंखला को 1995 में भारत के विश्वनाथन आनंद ने जीता।
  • पराग्वे के उपराष्ट्रपति पुई मारिया अरगाना की 1999 में हत्या।
  • रूसी अंतरिक्ष स्टेशन ‘मीर’ की 2001 में जल समाधि।
  • दक्षिण अफ़्रीका में वाडरर्स में 2003 में हुए विश्व कप क्रिकेट के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रनों से हराकर विश्व कप पर कब्ज़ा बरकरार रखा।
  • मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 2012 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतकों का कीर्तिमान बनाने वाले पहले क्रिकेटर बने।
  • यूरोपीय संघ और अमेरिका ने 2014 में रूस पर प्रतिबंध लगाए।

23 मार्च को जन्मे व्यक्ति – Born on 23 March

  • मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और ‘मुमताज़ महल’ की सबसे बड़ी पुत्री जहाँआरा का 1614 में जन्म हुआ।
  • भारत की स्वतंत्रता सेनानी बसंती देवी का 1880 में जन्म हुआ।
  • बीसवीं सदी पूर्वार्द्ध के प्रख्यात संस्कृत कवि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का 1889 में जन्म हुआ।
  • महान स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रख्यात समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का 1910 में आज ही के दिन जन्म हुआ।
  • भारतीय क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी हेमू कालाणी का 1923 में जन्म हुआ।
  • भारतीय महिला व्यवसायी किरण मजूमदार-शॉ का 1953 में जन्म हुआ।
  • टेनिस खिलाड़ी योनास ब्योर्कमैन का 1972 में जन्म हुआ।
  • पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री, ‘भारतीय जनता पार्टी’ की प्रतिष्ठित महिला स्‍मृति ईरानी का 1976 में जन्‍म हुआ।
  • हिंदी फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत का 1987 में जन्म हुआ।
23 मार्च को हुए निधन – Died on 23 March
  • 1931 में आज ही के दिन महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।
  • 1988 में पंजाबी कवि पाश का निधन।
  • 2003 में हरियाणा राज्य के स्वतंत्रता-संग्राम-सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहासकार तथा शिक्षक, स्वामी ओमानन्द सरस्वती का निधन।
  • 2010 में नक्सली आंदोलन के जनक भारतीय कानू सान्याल का निधन।
  • 2015 में सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली क्वान यू का निधन।
23 मार्च के महत्वपूर्ण दिवस – Important Days of 23 March
  • शहीद दिवस (भारत)
  • विश्व मौसम विज्ञान दिवस
  • पाकिस्तान दिवस

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