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कर्नाटक राज्य का इतिहास और जानकारी

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Karnataka History in Hindi

Karnataka – कर्नाटक दक्षिण भारत का राज्य है, जिसकी राजधानी बैंगलोर है। कर्नाटक भारत का छठा सबसे बड़ा राज्य है। यह बेलगौम से उत्तर में और मंगलौर के दक्षिण तक फैला हुआ है। आपको यहाँ बहुत से नारियल के पेड़ और सुंदर समुद्र तट और घाटियाँ और खेत देखने मिलते है।

कर्नाटक राज्य का इतिहास और जानकारी – Karnataka History in Hindi

राज्य का नाम(State Name) कर्नाटक (Karnataka)
राजधानी का शहर(Capital of State) बैंगलोर (Bangalore)
प्रमुख भाषा कन्नड़, हिंदी, उर्दू।
राज्य का साक्षरता प्रमाण 75.36 प्रतिशत (%)
क्षेत्रफल की दृष्टी से राज्य का देश में स्थान छठवाँ (6th)
कुल जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान आठवाँ(8th)
राज्य निर्मिती का साल 1 नवंबर 1956।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Karnataka) चंदन का वृक्ष।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Karnataka) कमल।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Karnataka) इंडियन रोलर पक्षी (Indian Roller Bird)
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Karnataka) भारतीय हाथी।
प्रमुख फल (State Fruit of Karnataka) आम।
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Karnataka) 31 (Thirty One)
कुल तालुका (तहसील) की संख्या 226।
कुल ग्रामीण विभागों की संख्या 29,483।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय कर्नाटक राज्य की कोड संख्या (State Code of Karnataka) 29 (Twenty Nine)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Karnataka) हॉकी।

कर्नाटक राज्य की जानकारी – Karnataka Information in Hindi

कर्नाटक का प्राचीन इतिहास पीलेओलिथिक संस्कृति से जुड़ा हुआ रहा है, जिनके हाथो में कुल्हाड़ी हुआ करति थी। प्राचीन कर्नाटक और सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास 3300 BCE पुराना है। BCE की तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के मौर्य साम्राज्य में शामिल होने से पहले कर्नाटक का ज्यादातर भाग नंदा साम्राज्य का भाग था।

चार शताब्दियों तक यहाँ सातवाहन ने शासन किया और इससे कर्नाटक के ज्यादातर भागो का नियंत्रण उन्होंने अपने हाथो में ले लिया। सातवाहन के गिरते ही, पडोसी कदंबा और पश्चिमी गंगा साम्राज्य उगम हो गया और उन्होंने अपनी स्वतंत्र राजनितिक पहचान स्थापित की।

कदंबा साम्राज्य की स्थापना मयूर शर्मा ने की, जिसकी राजधानी वाराणसी थी। पश्चिमी गंगा साम्राज्य को तलाकड़ के साथ राजधानी के रूप में गठित किया गया। इतिहासकारों की जानकारी के अनुसार शासन प्रबंध में कन्नड़ भाषा का प्रयोग करने वाला यह पहला साम्राज्य था।

इन साम्राज्यों के बाद शाही कन्नड़ साम्राज्य जैसे बादामी चालुक्य, मान्यखेतांड राष्ट्रकूट साम्राज्य और पश्चिमी चालुक्य साम्राज्यों ने डेक्कन के विशाल भागो पर शासन किया और कर्नाटक को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया। पश्चिमी चालुक्य ने वास्तुकला और कन्नड़ साहित्य की अद्वितीय कला को संरक्षित किया, जो 12 वी शताब्दी में होयसला कला के नाम से जाने जानी लगी।

वर्तमान दक्षिणी कर्नाटक (गंगावड़ी) के ज्यादातर भाग पर 11 वी शताब्दी में चोला साम्राज्य ने कब्ज़ा कर रखा था। 12 वी शताब्दी में होयसला साम्राज्य के आने से पहले चोला और होयसला आपस में क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए लड़ रहे थे। पहली सहस्त्राब्दी के बाद ही होयसला को क्षेत्र में शक्तियाँ मिल गयी।

इस समय साहित्य निखरा हुआ था, जिससे विशेष कन्नड़ साहित्य का उगम भी हुआ और वास्तुकला की वेसरा स्टाइल में मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण किया जाने लगा। होयसला साम्राज्य के विस्तार में वर्तमान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ भाग भी शामिल हो चूका था।

14 वी शताब्दी के शुरू में हरिहर और बुक्का राय ने मिलकर वर्तमान बेल्लारी जिले की तुंगभद्रा नदी के तट पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की और होसपत्ताना (बाद में इसका नाम विजयनगर रखा गया) को अपने राज्य की राजधानी बनाया। दक्षिण भारत में मुस्लिम शासको के खिलाफ यह साम्राज्य बांध की तरह खड़ा हुआ और तक़रीबन 2 शताब्दी तक राज्य का नियंत्रण इन्ही के हाथ में था।

1565 में जब विजयनगर साम्राज्य तालीकोटा के युद्ध में इस्लामिक सल्तनत के आगे गिर गया तो कर्नाटक और दक्षिण भारत को मुख्य भौगोलिक बदलाव का सामना करना पड़ा। बीदर के बहमानी सल्तनत की मृत्यु के बाद बीजापुर सल्तनत का उगम हुआ और जल्द ही डेक्कन का नियंत्रण उन्होंने अपने हाथ में ले लिया, बाद में 17 वी शताब्दी में मुघलो द्वारा इन्हें पराजित किया गया।

बहमानी और बीजापुर शासक उर्दू और पर्शियन साहित्य और इंडो-सरसनिक वास्तुकला को बढ़ावा दे रहे थे। उस समय गोल गुम्बज़ उनकी वास्तुकला का मुख्य हिस्सा बन चूका था। 16 वी शताब्दी के समय कोकणी हिंदू कर्नाटक स्थानांतरित हो गये।

जबकि 17 वी और 18 वी शताब्दी के समय गुआन कैथोलिक उत्तर कनाडा और दक्षिण कनाडा में स्थानांतरित हो गये। इसका मुख्य कारण पुर्तगालियो द्वारा ज्यादा टैक्स वसूल करना और खाने की कमी था। Karnataka इसके बाद हैदराबाद के निज़ाम, मराठा साम्राज्य, ब्रिटिश और मैसूर साम्राज्य के लोगो ने उत्तरी कर्नाटक पर राज किया। और विजयनगर साम्राज्य में अंतिम शासक कृष्णराज वोदेयार द्वितीय की मृत्यु के बाद राज्य पूरी तरह से आज़ाद हो गया।

बाद में मैसूर आर्मी के कमांडर-इन-चीफ हैदर अली ने क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ ले लिया। उनकी मृत्यु के बाद वहाँ उनका बेटा टीपू सुल्तान आकर बस गया। लेकिन चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गयी और परिणामस्वरूप 1799 में मैसूर को ब्रिटिश राज में शामिल कर लिया गया।

बाद में मैसूर साम्राज्य को पुनः वोडेयार में शामिल कर लिया गया और ब्रिटिश राज में मैसूर प्रांतीय राज्य बना रहा। 1857 के भारतीय विद्रोह से पहले 1830 में कर्नाटक के प्रांतीय राज्य पर बहुत से शासको ने राज किया। जबकि कित्तूर पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1848 में ही कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद सुपा, शोरापुर, नारगुडा, बागलकोट और दान्डेली के विद्रोह का उगम हुआ।

इन विद्रोह के परिणामस्वरुप ही 1857 के भारतीय विद्रोह की शुरुवात हुई, जिसका नेतृत्व मुन्दार्गी भीमराव, भास्कर राव भावे, हलागली बेदास, राजा वेंकटप्पा नायका और दुसरे नेताओ ने मिलकर किया। 19 वी शताब्दी के अंत में आज़ादी के अभियान ने आवेग प्राप्त कर लिया और 20 वी शताब्दी में कर्नाड सदाशिव राव, अलुरु वेंकट राय, एस।

निजलिंगप्पा, कंगाल हनुमंथिया, नित्तूर श्रीनिवास राव और दुसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने इस अभियान को आगे बढाया। भारत की आज़ादी के बाद महाराजा जयचामा राजेन्द्र वोड़ेयार ने अपने साम्राज्य को भारत में शामिल करने की मंजूरी दे दी।

1950 में मैसूर को भारतीय राज्य बनाया गया और 1975 तक भूतपूर्व महाराजा को राज्यप्रमुख बनाया गया। एकीकरण अभियान की मांग के बाद कोडगु और कन्नड़ बोलने वाले क्षेत्र मद्रास, हैदराबाद और बॉम्बे को राज्य पुनर्निर्माण एक्ट, 1956 के तहत मैसूर राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। बाद में 17 साल बाद 1973 में राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक रखा गया।

कर्नाटक राज्य के जिले – Districts of Karnataka

भारत के प्रमुख समृध्द राज्यों की सूची में कर्नाटक राज्य शामिल है, जो के दक्षिण भारत का कन्नड़ भाषिक लोगो का राज्य है, बात करे राज्य के क्षेत्रफल विस्तार की तो राज्य अंतर्गत कुल 31 जिले शामिल है, जिनपर एक नजर यहाँ हम डालने वाले है जैसे के;
  1. बागलकोट
  2. बिदर
  3. बैंगलोर ग्रामीण विभाग
  4. चिकमंगलूर
  5. बैंगलोर शहरी विभाग
  6. बेलगाँव
  7. बेल्लारी
  8. बिजापुर
  9. चामराजनगर
  10. चिकबल्लापुर
  11. धारवाड़
  12. चित्रदुर्ग
  13. दक्षिणा कन्नड़
  14. दवानागेरे
  15. हसन
  16. गडग
  17. गुलबर्गा
  18. हवेरी
  19. कोडागु
  20. कोलार
  21. कोप्पल
  22. मंड्या
  23. मैसूर
  24. रायचूर
  25. रामनगरा
  26. तुमकुर
  27. शिमोगा
  28. उत्तर कन्नडा
  29. उडुपी
  30. विजयनगर
  31. यादगीर

कर्नाटक की प्रमुख नदियाँ – Rivers in Karnataka

  1. कावेरी
  2. तुंगभद्रा
  3. कृष्णा
  4. हेमावती
  5. शरावती
  6. नेत्रावती
  7. मालप्रभा
  8. काली
  9. काबनी
  10. घटप्रभा
  11. भीमा
  12. शिमशा
  13. तुंगा

कर्नाटक राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान / यूनिवर्सिटी – Universities of Karnataka

  1. राजीव गाँधी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस,बैंगलोर
  2. गुलबर्गा यूनिवर्सिटी, गुलबर्गा
  3. कर्नाटक यूनिवर्सिटी, धारवाड़
  4. रानी चेन्नमा यूनिवर्सिटी, बेलगावी
  5. विश्वेश्वरैय्या तकनिकी यूनिवर्सिटी, बेलगाव
  6. कर्नाटक स्टेट मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी, मैसूर
  7. यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसूर, मैसूर
  8. कर्नाटक स्टेट लॉ यूनवर्सिटी, हुबली
  9. तुमकुर यूनिवर्सिटी
  10. कुवेम्पु यूनिवर्सिटी, शिवमोग्गा

कर्नाटक के पर्यटन स्थल – Tourist places in Karnataka

Tourist places in Karnataka
Tourist places in Karnataka

कर्नाटक का समुद्र तट काफी विशाल तों नही लेकिन यह भारत के सबसे सुंदर समुद्रो तटो का घर है। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध समुद्र तटो में करवार,  मुरुदेश्वर, मालपे उल्लाल और मंगलौर शामिल है।

कर्नाटक दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जिसमे राज्य अंतर्गत पर्यटन के दृष्टी से काफी ज्यादा सुंदर जगहे मौजूद है। राज्य की राजधानी बैंगलोर के साथ साथ मैसूर, हम्पी, मंगलोर आदि जगहों पर मन को लुभावने वाले पर्यटन स्थल देखने को मिलते है। यहाँ ऐसेही कुछ प्रसिध्द सुंदर पर्यटन स्थलों के बारे में आप जानकारी पढ़ने वाले है, जैसे के;
  1. विश्व विरासत स्थल हम्पी
  2. नंदी हिल्स
  3. जोग फॉल्स
  4. बैंगलोर पैलेस
  5. लालबाग बॉटनिकल गार्डन
  6. मैसूर पैलेस
  7. बिजापुर का किला
  8. बांदीपुर नेशनल पार्क
  9. कुर्ग
  10. शिवानासमुद्र फॉल्स
  11. गोकर्ण
  12. बेलूर और हलेबिडु वास्तुशिल्प
  13. डांडेली
  14. चित्रदुर्ग प्राचीन वास्तुशिल्प
  15. चिकमंगलूर हिल स्टेशन
  16. बनारगट्टा नेशनल पार्क
  17. वंडरला
  18. नामद्रोलिंग मोनेस्ट्री
  19. हेब्बे फॉल्स
  20. कवाला केव्ज

कर्नाटक के प्रसिध्द धार्मिक स्थल – Temples in Karnataka

Temples in Karnataka
Temples in Karnataka
  1. श्री विरुपाक्ष मंदिर हम्पी
  2. इस्कॉन मंदिर बैंगलोर
  3. हसनाम्बा मंदिर
  4. सेंट अलॉयसिउस चर्च
  5. नामद्रोलिंग मोनेस्ट्री
  6. श्री श्री जगद्गुरु शंकराचार्य महासंस्थानम
  7. चेन्नाकेशव मंदिर बेलूर
  8. शिवोहम शिव मंदिर
  9. गुरु नानक झिरा साहिब
  10. चतुर्मुख दिगंबर जैन मंदिर
  11. बाहुबली मंदिर

कर्नाटक के लोगो का प्रमुख खानपान – Staple food of Karnataka

यहाँ के लोगो के खानपान में मुख्यतः चावल के व्यंजन शामिल होते है जैसे के इडली, दोसा, चावल की खीर इसके अलावा अन्य पदार्थो में कोडुब्बू, रागी मुड्डे, बीसी बेलभाथ, लेमन राईस, बोंडा सुप, बोटी गुज्जु, चिकन करी, उपमा, केशरी भाथ, फिश करी, साधा राईस, रस्सम इत्यादि शामिल होता है।

कर्नाटक राज्य की भाषा – Language of Karnataka

कर्नाटक राज्य की अधिकारिक भाषा कन्नड़ है और साथ ही उर्दू, तेलगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, कोकणी और हिंदी शामिल है। ज्यादातर शिक्षित लोगो द्वारा अंग्रेजी और हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है।

कर्नाटक राज्य का सांस्कृतिक जीवन – Cultural life of the state of Karnataka

कर्नाटक के पास समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जो सतत विविध साम्राज्यों के योगदान से आगे बढती रही है। कर्नाटक के साहित्य, वास्तुकला, लोक-साहित्य, संगीत, चित्रकला और दूसरी कलाओ का प्रभाव काफी लोगो पर पड़ा है। मैसूर से 90 किलोमीटर की दुरी पर बसे श्रावणबेला गाँव में प्राचीन इमारते और स्मारक बने हुए है। यहाँ पर मौर्य साम्राज्य की विशेष वास्तुकला भी देखने मिलती है।

साथ ही 10 वी शताब्दी के जैन संत बाहुबली के पत्थरो की मूर्ति भी यहाँ बनी हुई है। चालुक्य (543-757 CE) और पल्लव (चौथी से नौवी शताब्दी) साम्राज्य का प्रभाव आज भी हमें यहाँ दिखाई देता है। कर्नाटक राज्य में शुरू से ही चित्रकला और पेंटिंग कला में काफी ज्यादा उन्नति हुई दिखाई पड़ती है, जिसपर मैसूर कला पध्दति का काफी ज्यादा प्रभाव दिखाई पड़ता है।

मैसूर कला पद्धति में राजघरानों की जीवनशैली, मान्यताएँ तथा उपलब्धियाँ इत्यादि की झलक देखने को मिलती है, इसके अलावा ग्रामीण जीवनशैली तथा आदिवासी लोगो के जीवनशैली का प्रभाव भी चित्रकला में दिखाई देता है। राज्य में मौजूद हम्पी, कवाला केव्ज और अन्य स्थलों पर बने शिल्पकला के अद्भुत वास्तु देखकर यहाँ की शिल्पकला का अनुमान भी लगाया जा सकता है।

कर्नाटक राज्य की संगीत कला – Music Arts in Karnatka

कर्नाटक राज्य के गीत एवं संगीत में संस्कृत, कन्नड़ भाषाओ में ढेर सारे गीतों का निर्माण किया गया है, जिसमे भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ पश्चिमी संगीत की भी झलक देखने को मिल जाती है। यहाँ संगीत में दक्षिण भारतीय जीवनशैली, संगीत से जुड़े वाद्य का प्रभाव अधिक होता है, इसके अलावा कर्नाटक के संगीत में प्राचीन भारतीय मान्यताये और परंपराओ को भी विशिष्ट स्थान दिया हुआ रहता है।

कर्नाटक राज्य की नृत्य कला – Dance Art of Karnataka

कर्नाटक राज्य के प्रमुख परंपरागत नृत्य में डोल्लू कुनीथा और यक्षगान शामिल होते है। इसके अलावा दम्मामी नृत्य, नागमंडला, गारुड़ी गोम्बे, गोरवा कुनिता, टोगलू गोम्बेत्ता, सोमना कुनिता, जूडू हलिगी, कामसले, वीरगासे, कृष्णा -परिजीथा, बोलक आट, उम्मत आट इत्यादि अन्य प्रकार के नृत्य भी विशेष त्यौहारों,धार्मिक कार्यक्रम तथा शुभ प्रसंगो पर किये जाते है।

कर्नाटक के लोगो की वेशभूषा – Dress / Costume of Karnataka

इस राज्य में महिलाओ के मुख्य परिधान में साड़ी शामिल होती है, वही पुरुष धोती और कुर्ता पहनते है इसके अलावा पुरुषो के परंपरागत पोशाख में पांचे नामक वस्त्र प्रकार भी शामिल होता है। आम तौर पर लुंगी और वेष्टि भी पुरुषो द्वारा पहना जाता है, आधुनिकता के इस युग में शर्ट और जींस तथा फॉर्मल पैंट भी इनके पहनावे में पाई जाती है।

कर्नाटक के धर्म – Religion of Karnataka

पहली सहस्त्राब्दी के समय बुद्ध धर्म कर्नाटक के कुछ भागो जैसे गुलबर्गा और बनावसी का सबसे प्रसिद्ध धर्म था। कर्नाटक में तिब्बती शरणार्थी शिविर भी है। एतिहासिक सूत्रों के अनुसार प्राचीन समय में यहाँ ज्यादातर लोग बुद्ध धर्म को मानते थे और इसके प्रमाण हमें प्राचीन अभिलेखों से मिल जाते है।

राज्य में हिंदू और मुस्लिम धर्मो के लोग भी बड़ी मात्रा में शामिल है, बात करे कुल जनसँख्या अनुसार धर्म की तो संपूर्ण राज्य में हिंदू धर्मीय लोगो की संख्या सबसे अधिक है।

कर्नाटक के महोत्सव – Festival of Karnataka

मैसूर दशहरा का आयोजन नाडा हब्बा के रूप में किया जाता है और यही मैसूर का मुख्य महोत्सव है। कर्नाटक के दुसरे महोत्सवो में उगाडी (कन्नड़ नव वर्ष), मकर संक्रांति, नागपंचमी, गणेश चतुर्थी, बसवा जयंती, दीपावली और रमजान शामिल है।

इसके अलावा गौरी का त्यौहार, दशहरा, करगा त्यौहार, श्रवणबेलगोला महामस्तिष्काभिषेक उत्सव, पट्टदकल नृत्य उत्सव, कम्बाला उत्सव, वैरमुडी उत्सव, वरा महालक्ष्मी पूजा आदि उत्सवों का भी राज्य में खासा महत्व है।

कर्नाटक के प्रभावशाली व्यक्तित्व – Famous Personalities of Karnataka

Famous Personalities of Bangalore
Famous Personalities of Bangalore
    1. टीपू सुल्तान
    2. एम विश्वेश्वरैय्या
    3. अनिल कुंबले
    4. राहुल द्रविड़
    5. दीपिका पादुकोण
    6. सुनील शेट्टी
    7. रोहित शेट्टी
    8. शिल्पा शेट्टी
    9. अनुष्का शेट्टी
    10. ऐश्वर्या राय
    11. गिरीश कर्नाड
    12. जवागल श्रीनाथ

कर्नाटक राज्य की ऐतिहासिक संस्कृति एवं परंपरा – Culture and Tradition of Karnataka

भारत के अन्य राज्यों के तरह कर्नाटक राज्य की भी खुदकी स्वतंत्र पहचान है, जिसमे राज्य अंतर्गत हुए उत्खनन से पुरातन अवशेषों में लगभग ५००० साल पूर्व ऐतिहासिक दस्तावेज मिले है जिनसे राज्य में हुए शासक और उनके शासन संबंधी जानकारी मिलती है।

द्रविड़ी शैली का प्रभाव यहाँ की जीवन शैली और वास्तुनिर्मिती में साफ तरह से देखने को मिलता है जिसमे धार्मिक वास्तु, भवन, स्मारक आदि प्रमुखता से शामिल है। राज्य में सातवाहन, नंद, बादामी के चालुक्य वंश ने, राष्ट्रकूट, चोल आदि राजघरानों ने राज्य करने के ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद है।

तत्कालीन समय में विजयनगर कर्नाटक का और भारतवर्ष का सबसे सुन्दर नगर हुआ करता था जिसकी निर्मिती हरिहर और बुक्क नामक बंधुओ ने की थी। इनके कुशल प्रशासन और नगररचना के बदौलत विजयनगर भारत का एकलौता सुंदर नगर कहलाया जाता था, जिसे मुस्लिम आक्रांताओ के आक्रमण द्वारा नष्ट किया गया था।

चालुक्य शासन में कन्नड़ भाषा को आधिकारिक तौर पर शासन में विभिन्न जगह पर इस्तेमाल में लाया गया था, इसके साथ कन्नड़ साहित्य के ग्रंथो रचनाओं और कलाओ को आधार भी दिया गया था। लगभग यही स्थिति इनके बाद सत्ता में आये होयसल और चोल शासनकाल में थी जिनके आपस में सत्तासंघर्ष भलेही चलते थे पर इन्होने कन्नड़ भाषा, साहित्य, कला तथा स्थापत्य से जुड़े मुद्दों पर विकासकार्य भी किया।

लगभग १८ वी सदी में टीपू सुल्तान के शासनकाल में मैसूर और कर्नाटक के कुछ प्रांतो में स्थापत्य और कला का बढ़ चढ़कर विस्तार हुआ, जिसमे मैसूर पैलेस आज भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कुल मिला के कर्नाटक के संस्कृति की बात करे तो शुरू से ही पूर्णतः द्रविड़ी शैली पर आधारित यहाँ के लोगो का जीवनमान है,जो आज के आधुनिकता के युग में भी कायम है साथ ही ये अपनी मान्यताओं, रूढ़ि परंपरा और सामाजिक परिवेश के नियम को बरक़रार रखे हुए है।

वैदिक काल के इतिहास पर नजर डाले तो द्रविड़ शुरू से ही एक शांतिप्रिय समुदाय था जिनका आर्यकाल में भारत के दक्षिण प्रांतो पर बसेरा हुआ, हड़प्पा संस्कृति को द्रविड़ संस्कृति इसीलिए भी शायद कहाँ जाता है क्योंकि आर्य काल पहले से भी द्रविड़ लोग भारतीय सभ्यता का हिस्सा थे।

भारत देश हमेशा से ही समृद्ध रहा हैं यहाँ के हर राज्य की कुछ अलग ही पहचान हैं। यहाँ के हर राज्य में हर चीज में विविधता हैं फिर चाहे वो भाषा में हो या संस्कृति में। लेकिन विविध जाती धर्म के सारे लोग यहाँ प्रेम भाव से एक साथ रहते हैं। वैसे कर्नाटक राज्य पर बहुत से शासकों ने राज किया और कई ऐतिहासिक स्मारकों की देन कर्नाटक राज्य को दी। ऐसे स्मारकों को पर्यटक प्रेमियों ने एक बार जरुर भेट देनी चाहियें।

कर्नाटक राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे गए सवाल – Quiz on Karnataka

  1. कर्नाटक राज्य में पर्यटन हेतु जाने के लिए कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best Time to Visit Karnataka State)                                                                                    जवाब: अक्टूबर माह से लेकर अप्रैल के माह तक।

2. कर्नाटक राज्य के इतिहास से जुडी जानकारी हमें कौनसे किताबों से उपलब्ध होती है? (Karnataka History Books)                                                                                                                जवाब: स्प्लेंडर्स ऑफ़ रॉयल मैसूर, बिदर – इट्स हिस्ट्री एंड मोनुमेंट्स, द कदम्ब कुल – अ हिस्ट्री ऑफ़ एन्सिएंट एंड मिडिवल कर्नाटक, कल्चरल हिस्ट्री ऑफ़ कर्नाटक, अ क्वांसाइज हिस्ट्री ऑफ़ कर्नाटक, कर्नाटक हिस्ट्री, समग्र कर्नाटक इतिहास, जिओग्राफी ऑफ़ कर्नाटक, कर्नाटक इतिहास परिचय।

3. भारत के राज्य कर्नाटक के प्रथम गवर्नर कौन थे? (First Governor of Karnataka State) जवाब: जयचमराजेंद्र वाडियार।

4. भारत के कौनसे राज्य में पेड़ संरक्षण हेतु प्रसिद्ध ‘अप्पिको आंदोलन’ किया गया था? (Famous Appiko Movement is Related to Which State?)                                                                      जवाब: कर्नाटक राज्य।

5. भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (ISRO) का मुख्यालय कौनसे जगह पर स्थित है? (Where is located ISRO headquarter in India?)                                                                       जवाब: बैंगलोर (कर्नाटक राज्य)

6. कर्नाटक राज्य में कौनसे हवाई अड्डे मौजूद है? (Airports in Karnataka)                                  जवाब: केम्पेगौडा आंतरराष्ट्रिय एअरपोर्ट, मैसूर एअरपोर्ट, हुब्बली एअरपोर्ट, बेलगावी एअरपोर्ट,मंगलुरु आंतरराष्ट्रिय एअरपोर्ट, कलबुर्गी एअरपोर्ट, बिदर एअरपोर्ट, शिमोगा एअरपोर्ट, बल्लारी एअरपोर्ट इत्यादि।

7. कर्नाटक राज्य के अंतर्गत कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण मौजूद है? (Wildlife sanctuaries in Karnataka)                                                                                                      जवाब: ब्रम्हागिरी अभयारण, अरबीथिटटू अभयारण, भद्रा अभयारण, मूकाम्बिका अभयारण, भीमगढ़ अभयारण, डांडेली अभयारण, कौवेरी अभयारण, शरवाथी वैली अभयारण, दरोजी भालू अभयारण, काली टाइगर रिजर्व इत्यादि।

8. बॉलीवुड की कौनसी हस्तियाँ कर्नाटक राज्य से संबंधित है? (Bollywood famous celebrities from Karnataka state)                                                                                                  जवाब: शिल्पा शेट्टी, अनुष्का शेट्टी, सुनील शेट्टी, दीपिका पादुकोण, रोहित शेट्टी, गिरीश कर्नाड, ऐश्वर्या राय, पेड्रे पिंटो, फिरोज खान, लारा दत्ता, अमृता राव।

9. कर्नाटक राज्य में कौनसे बांध (Dam) मौजूद है? (Dam in Karnataka)                             जवाब: राजा रख्मागौड़ा डैम, अलमट्टी डैम, रेणुका सागर डैम, भद्रा डैम, तुंगभद्रा डैम, अप्पर तुंगा डैम, बसवा सागर डैम, सपा डैम, कोडसाली डैम, काद्रा डैम, शांति सागरा।

10. आंतरराष्ट्रिय क्रिकेट मैदान चिन्नास्वामी स्टेडियम भारत के कौनसे राज्य में स्थित है? (In India where is M Chinnaswamy international cricket ground located)                                       जवाब: बंगलौर (कर्नाटक)


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Mother Day Quotes in Hindi

दोस्त, हम हर साल ‘मदर्स डे‘ मनाते हैं। माँ, आई, अम्मा, माता, मम्मी, चाहे कितने ही नाम हो पर माँ का नाम आते ही हमारे आंखों मे अलग सी चमक आ जाती है। इस नाम मे प्यार और ममता छुपी हैं। भगवान् का दूसरा नाम ही माँ हैं। वो कहावत हैं ना की भगवान् हर जगह नहीं जा सकता इसलियें माँ को बनाया। आज यह Mother quotes in Hindi में पब्लिश कर रहें हैं जो उस माँ को समर्पित हैं जिसने मुझें जन्म दिया।

जिंदगी में एक मां की जगह कोई भी नहीं ले सकता है। मां अपने बच्चों से न सिर्फ निस्वार्थ भाव से प्रेम करती है बल्कि न सिर्फ अपने बच्चों को जिंदगी जीना भी सिखाती है, उन्हें रिश्तों की अहमियत बताती है, अपने से बड़ों का सम्मान करना सिखाती है, दूसरे से प्रेम करना, प्रेम करना, अनुशासित रहना समेत दूसरों की मद्द करना भी सिखाती है अर्थात एक इंसान अपनी मां की बदौलत ही समाज में उठने-बैठने के लायक बनता है।

अर्थात, मां ही एक व्यक्ति की जिंदगी में सब कुछ होती है, क्योंकि मां से ही इंसान का आस्तित्व होता है। इसलिए अपनी मां को सम्मान दें और उनकी खुशियों का ध्यान रखें, क्योंकि मां के प्यार के बिना व्यक्ति की जिंदगी अधूरी है। वहीं मदर्स डे पर लिखे गए यह सर्वश्रेष्ठ कोट्स आपके ह्रद्य में अपनी मां के प्रति सम्मान की भाव पैदा कर सकते हैं।

“उनकों कभी देखा नहीं हमनें और इसकी जरुरत भी क्या होगी, ये माँ तेरी सूरत से अलग उस भगवान की मूरत ही क्या होगी ?”

माँ पर सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार – Mother quotes in Hindi

जागतिक मदर्स डे
जागतिक मदर्स डे

“मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ उसका श्रेय सिर्फ मेरी माँ को जाता है।”

“मां के सिवा जिन्दगी वीरान होती है,
जीवन के सफर में हर राह सुनसान होती हैं,
मां की दुआओं से ही हर मुश्किल आसान होती है,
इसलिए जिंदगी में मां का होना जरूरी है।”

Quotes on Maa in Hindi

मदर्स डे कार्ड
मदर्स डे कार्ड

“इस दुनिया में बिना स्वार्थ से सिर्फ मां ही प्यार कर सकती है!”

“भगवान् हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उसने माँ बनायीं।”

Happy Mother’s Day Messages in Marathi

Happy Mother's Day
Happy Mother’s Day

“इंसान वो है जो उसे उसकी माँ ने बनाया है।”

“मेरी जीवन में जीतनी भी शोहरत है, बस मेरी मां की बदौलत है”.. हैप्पी मदर्स डे

International Mother’s day

International Mother's day
International Mother’s day

“जिस घर में माँ होती है, वहां सब कुछ सही रहता हैं।”

“वह माँ ही होती है… जो हमें दुनियां से 9 महीने… ज्‍यादा जानती है!”

Mother Thought in Hindi

मां, दुनिया का सबसे प्यारा तोहफा है। मां, भगवान का रुप होती है, जो न सिर्फ अपने बच्चों से निस्वार्थ प्यार करती है, बल्कि उनकी खुशी के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है। मां, हर इंसान की शक्ति और ताकत होती है।

मां न सिर्फ नौ महीने अपनी कोख में रखकर दर्द सहकर अपने बच्चे को नया जीवन देती है, बल्कि पूरी जिंदगी साए की तरह अपने बच्चों का साथ देती है।

वे लोग दुनिया के सबसे खुशनसीब लोग होते हैं, जिनके पास मां होती है, मां की बेहिसाब ममता को चंद शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। वहीं मां के सम्मान में हर साल मई के दूसरे रविवार को इंटरनेशनल मदर्स डे मनाया जाता है।

इस दिन को लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं और अपनी मां को खुश करने के लिए तरह-तरह के उपहार देते हैं, उनके साथ डिनर और शॉपिंग में जाते हैं और उनके साथ समय व्यतीत करते हैं।

वहीं कई लोग मां के लिए अपनी भावनाओं को उजागर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हम आपको अपने इस आर्टिकल में Mothers Day Quotes उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनके माध्यम से न सिर्फ आप मदर्स डे को खास बना सकते हैं, बल्कि इन कोट्स को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्वीटर आदि पर शेयर कर अपनी मां से अपने दिल की बात भी कह सकते हैं और अपनी जिंदगी में उनकी अहमियत को बता सकते हैं।

Mother Shayari in Hindi

Matrutva Divas
Matrutva Divas

“माँ के कंधे पर जब सर रखा मैंने तो पुँछा माँ से, कब तक युही अपने कंधे पर सोने देंगी.. माँ ने कहा बेटा: तब-तक की जब तक लोग मुझें अपने कंधे पर उठा नहीं लेंगे।”

“जिन्दगी में मिलने को तो करोड़ों लोग मिल जाते हैं, पर मां जैसा दोबारा कोई नहीं मिलता!” हैप्पी मदर्स डे

Short Status for Mom in Hindi

Mothers day in India
Mothers day in India

“माँ तेरे दूध का कर्ज मुजसे कभी अदा नहीं होंगा.. अगर कभी रही तू नाराज तो खुश वो खुदा मुझसे क्या होंगा।”

“अपने छोटेसे मुख से कैसे करूं तेरा गुनगान मां, तेरी ममता के आगे फीका सा लगता है भगवान” हैप्पी मदर्स डे

Mother day Status in Hindi Font

Mother's Day Suvichar
Mother’s Day Suvichar

“मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा दोस्तों, सुबह जब नींद खुलीं तो सर माँ के पैरो पे था।”

“बेहद मीठा कोमल होता है, मां के प्यार से ज्यादा कुछ नहीं अनमोल होता है”.. हैप्पी मदर्स डे

Mother Quotes in Hindi

Mother Quotes In Hindi
Mother Quotes In Hindi

“इस दुनिया में बिना किसी स्वार्थ से प्यार सिर्फ माँ ही कर सकती हैं।”

“माँ के रहते जिन्दगी में कोई गम नहीं होता, दुनिया साथ दे ना दे, पर मां का प्यार कभी कम नहीं होता।” हैप्पी मदर्स डे

Happy Mother Day Thought in Hindi

मां का रिश्ता दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है, जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार छिपा रहता है। एक मां का जीवन पूरी तरह अपने बच्चों के लिए समर्पित रहता है।

मां सदैव अपने बच्चे के बेहतर और स्वस्थ जीवन प्रदान करने के बारे में सोचती रहती है और इस कोशिश में लगी रहती है कि उसके बच्चे की जिंदगी में कभी किसी तरह का दुख नहीं आए।

वह अपने बच्चों की जिंदगी को स्वर्ग बनाने के लिए हर वो प्रयास करती है, जो कि संभव है। वहीं जिस तरह मां बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अपनी तमाम इच्छाओं को मारती है और त्याग करती है। उसी तरह बच्चों का भी दायित्व है कि अपनी मां का सम्मान करे और उनकी खुशियों का ध्यान रखें।

वहीं मदर्स डे (Mothers Day) पर लिखे गए यह सर्वश्रेष्ठ विचार बच्चों के अंदर अपनी मां के लिए और अधिक प्रेम एवं सम्मान की भावना विकसित करेंगे। साथ ही इस दिन को और भी ज्यादा खास बनाने में मद्द करेंगे।

Happy Mothers Day Quotes

Mothers Day Quotes
Mothers Day Quotes

“भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उसने माँ बनायीं।”

हैप्पी मदर्स डे “चोट लगती है हमें तो जुबा पे आता हैं माँ का नाम, हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाएं जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां।”

Mothers day Poster in Hindi

Mothers day Poster
Mothers day Poster

“मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा दोस्तों, सुबह जब नींद खुलीं तो सर माँ के पैरो पे था..।”

“फूल में जिस तरह खुशबू अच्छी लगती हैं, मुझको उसी तरह मेरी मां अच्छी लगती हैं, खुदा सलामत रखे और खुश रखे मेरी मां को सारी दुआओं में मुझे ये दुआ अच्छी लगती हैं।” Happy Mother’s Day

Mothers Day Status in Hindi

Poster on Mother day
Poster on Mother day

“जिस घर में माँ होती हैं, वहा सब कुछ सही रहता हैं।

Quotes on Mother in Hindi

मदर्स डे
मदर्स डे

“माँ के कंधे पर जब सर रखा मैंने तो पूछा माँ से कब तक युही अपने कंधे पर पर सोने देगी.. माँ ने कहा बेटा – तब तक की जब तक लोग मुझे अपने कंधे पर उठा नहीं लेंगेजिस घर में माँ होती हैं, वहा सब कुछ सही रहता हैं।”

Thoughts of Mother in Hindi

हैप्पी मदर्स डे
हैप्पी मदर्स डे

“माँ तेरे दूध का कर्ज मुझसे कभी अदा नहीं होंगा, अगर कभी रही तू नाराज तो खुश वो खुदा मुझसे क्या होंगा।”

Matru Din

मातृ दिवस
मातृ दिवस

“मैं जो कुछ भी हु या होने की आशा रखता हु, उसका श्रेय सिर्फ मेरी माँ को जाता हैं।”

भारत के कुछ वैज्ञानिक के बारेमें जानकारी

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Indian Scientists Name List

वैज्ञानिक एक ऐसा व्यक्ति है जो अपनी खोज से प्राकृतिक दुनिया के बारे में बताता है और भविष्यवाणी करता है। आज हम ऐसेही भारत के कुछ वैज्ञानिक – Indian scientists के बारेमें जांएगे –

भारत के कुछ वैज्ञानिक के बारेमें जानकारी – List of Indian ScientistsIndian Scientist

भारतीय वैज्ञानिक और उनके संशोधन की सूची – Scientist Names and Their Inventions

वैज्ञानिक का नाम संशोधन
1. चंद्रशेखर वेंकट रमण(भौतिक विज्ञानी) भौतिक विज्ञान के प्रकाश किरण प्रवहित होने के रहस्य ‘रामन प्रभाव’ (Raman Effects) की खोज।
2. एम विश्वेश्वरैय्या (स्थापत्य विज्ञानी) ऑटोमैटिक जलद्वार और ब्लॉक इरीगेशन सिस्टम।
3. होमी जहाँगीर भाभा(परमाणु ऊर्जा संशोधक) क्वांटम थ्योरी पर कार्य किया तथा भारत में अणुऊर्जा आयोग के संस्थापक और प्रथम अध्यक्ष।
4. एस. चंद्रशेखर (खगोल वैज्ञानिक) अंतरिक्ष में सितारों के विकास का अध्ययन, सितारों और ब्लैक होल से जुड़े सैद्धांतिक मॉडल का निर्माण किया।
5. श्रीनिवास रामानुजन (गणितज्ञ) रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा का संशोधन किया।
6. जगदीश चंद्र बोस(वनस्पती विज्ञानी, भौतिक विज्ञानी, जीवविज्ञानी, पुरातत्व संशोधक) वनस्पती संवेदना पर अध्ययन और कार्य, रेडिओ तथा माइक्रो वेव तरंग पर कार्य करने वाले प्रथम व्यक्ती, वायरलेस संभाषण की नींव रखी।
7. हरगोविंग खुराना(जैवरसायन विज्ञानी) अनुवांशिक कोड रचना संबंधी महत्वपूर्ण अध्ययन और कार्य किया।
8. विक्रम साराभाई भारतीय अंतरिक्ष संशोधन से जुड़े मुहिम में प्रमुख कार्य तथा भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (ISRO) के निर्मिती के जनक।
9. डॉ.ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम (मिसाइल और सैटेलाइट तज्ञ, परमाणु अस्त्र के विशेषज्ञ) परमाणु अस्त्र के निर्मिति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान,भारतीय परमाणु परिक्षण के मुख्य निरीक्षक, भारतीय सैटेलाइट प्रक्षेपण कार्यक्रम के वरिष्ठ संशोधक)
10. डॉ. एम. एस स्वामीनाथन (अनुवांशिकी विज्ञान तथा वनस्पती विज्ञान विषेशज्ञ) भारतीय हरित क्रांति के जनक।
11. आर्यभट्ट – (खगोलशास्त्री और गणितज्ञ) अंतरिक्ष संबंधी अध्ययन किया तथा शून्य के अविष्कार के जनक।
12. डॉ. विजय भटकर (सुचना तकनिकी, कंप्यूटर तथा शिक्षा तज्ञ) भारतीय कंप्यूटर प्रणाली में सुधार तथा नवीनीकरण हेतु महत्वपूर्ण कार्य किया, भारत में सुपर कंप्यूटर निर्मिती के जनक।भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम के निर्माता और प्रमुख निरीक्षक।
13. पी.सी महालनोबिस (भारतीय सांख्यिकी तज्ञ) सांख्यिकी के सिद्धांत ‘महालनोबिस अंतर’ के खोजकर्ता, आधुनिक भारतीय सांख्यिकी के जनक, भारतीय योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष , मानवमिति पे कार्य तथा भारतीय सांख्यिकी संस्था के संस्थापक।
14. सत्येंद्रनाथ बोस(भौतिक विज्ञानी तथा गणितज्ञ) क्वांटम मैकेनिक्स पर अध्ययन और कार्य किया, बोस – आइंस्टीन कंडेंसेट का मॉडल तैयार किया।
15. दयाराम साहनी (पुरातत्व अवशेषों के संशोधक) सिंधु घाटी में प्राचीन हड़प्पा संस्कृति संबंधी उत्खनन के प्रमुख संशोधक और निरीक्षक।
16. जयंत नारलीकर (खगोल विज्ञानी तथा अध्यापक) अनुरूप गुरुत्वाकर्षण थ्योरी के निर्माता तथा एन.सी.इ.आर.टी शिक्षा पाठ्यक्रम के गणित तथा विज्ञान विभाग में अध्यक्ष पद पर कार्य किया।
  • C. V. Raman – सी. वी. रमन

सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (7 नवंबर 1888 – 21 नवंबर 1970) भारत के पूर्व मद्रास प्रांत (जिसे वर्तमान में तमिलनाडु कहा जाता हैं) में पैदा हुए एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे। भारत ने उन्हें 1930 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार और 1954 में, उच्चतम नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया।

आगे पढ़े: सी. वी. रमन की जीवनी – C V Raman biography

  • Subrahmanyan Chandrasekhar – सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर

सुब्र्रह्मण्यन चंद्रशेखर, एक भारतीय अमेरिकी खगोल भौतिकीविद् थे। जिन्हें 1983 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। चंद्रशेखर के शोध के अनुसार तारे लगभग 8 सोलर भार तक पहुंचकर अपना वजन कम करने लगते हैं।

एक निश्चित सीमा तक पहुंचकर भार गिरने का सिलसिला रुक जाता है। उसी सीमा का पता चंद्रशेखर ने अपने अनुसंधान के माध्यम से लगाया था। उन्होंने अपने उस शोध का नाम ‘चंद्रशेखर लिमिट’ दिया। ‘चंद्रशेखर लिमिट’ इसके लिए उन्हें विश्व के प्रतिष्ठित ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

आगे पढ़े: सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर जीवनी – Subrahmanyan Chandrasekhar

  • Srinivasa Ramanujan – श्रीनिवास रामानुजन

श्रीनिवास अय्यंगार रामानुजन एक भारतीय गणितज्ञ और स्वयंसेवा थे। उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किये थे जो आज भी उपयोग किये जाते है। रामानुजन ने शुरू में अलगाव में अपना गणितीय अनुसंधान विकसित किया; यह जल्दी भारतीय गणितज्ञों द्वारा मान्यता प्राप्त था।

जब उनका कौशल स्पष्ट हो गया और व्यापक गणितीय समुदाय के लिए जाना जाता है, उस समय यूरोप में केंद्रित, उन्होंने अंग्रेजी गणितज्ञ जी. एच. हार्डी के साथ एक साझेदारी की शुरुआत की।

उनके अधिकांश प्रमेय लोग जानते है। उनके बहोत से परीणाम जैसे की रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा बहोत प्रसिद्ध है। ये उनके महत्वपूर्ण प्रमेयों में से एक है। उनके काम को उन्होंने उनके अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन “रामानुजन जर्नल” में भी प्रकाशित किया है, ताकि उनके गणित प्रयोगों को सारी दुनिया जान सके और पूरी दुनिया में उनका उपयोग हो सके।

उनका यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया था, और काफी लोग गणित के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान से प्रभावित भी हुए थे।

आगे पढ़े: श्रीनिवास रामानुजन की जीवनी – Srinivasa Ramanujan Biography

  • A.P. J. Abdul Kalam – ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

अउल पकीर जैनुलाबीदेन अब्दुल कलाम को बेहतर ए पी जे के नाम से जाना जाता है। अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे। एक करीयर वैज्ञानिक से राजनेता बदला, कलाम का जन्म और तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।

उन्होंने अपने जीवन के 40 एक वैज्ञानिक और विज्ञान प्रशासक के रूप में खर्च किया, मुख्य रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में और भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास प्रयासों में गहराई से शामिल थे।

उन्हें बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी के विकास पर अपने काम के लिए मिसाइल मैन ऑफ इंडिया के रूप में जाना जाने लगे।

आगे पढ़े: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी – A. P. J. Abdul Kalam

  • Meghnad Saha – मेघनाद साहा

मेघनाद साहा एस्ट्रोफिजिकिस्ट, जो कि साहा आयनीकरण समीकरण के विकास के लिए जाने जाते है, सितारों में रासायनिक और भौतिक स्थितियों का वर्णन करता था।

आगे पढ़े: मेघनाद साहा की जीवनी – Meghnad Saha Biography

  • Vikram Sarabhai – विक्रम साराभाई

विक्रम अंबलाल साराभाई (12 अगस्त 1919 – 30 दिसंबर 1971) एक भारतीय वैज्ञानिक और खोजकर्ता थे जिन्हें व्यापक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता के रूप में माना जाता था। 1962 में साराभाई को शांति स्वरूप भटनागर पदक मिला। राष्ट्र ने उन्हें 1966 में पद्म भूषण देने और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया।

आगे पढ़े: विक्रम साराभाई की जीवनी – Scientist Vikram Sarabhai

  • Amartya Sen – अमर्त्य सेन

अमृत्य कुमार सेन एक भारतीय अर्थशास्त्री है, जिन्होंने 1972 से यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ाया और काम किया है। सेन ने कल्याणकारी अर्थशास्त्र, सामाजिक पसंद सिद्धांत, आर्थिक और सामाजिक न्याय, अकाल की आर्थिक सिद्धांतों और विकासशील देशों के नागरिकों के कल्याण के अनुक्रमों में योगदान दिया है।

आगे पढ़े: अमर्त्य सेन की जीवनी – Amartya Sen in Hindi

नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय वैज्ञानिको की सूची – Indian Scientists Nobel Prize Winners

यहाँ हम आपको भारत के कुछ चुनिंदा वैज्ञानिको की संक्षिप्त में पहचान कराने वाले है, जिन्होंने अपने विज्ञान में किये अनमोल कार्य और योगदान हेतु प्रतिष्टित नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया है, इनके नाम निम्नलिखित तौर पर है जैसे के;

  1. सी. वी रमन (C.V Raman)
  2. हरगोविंद खुराना (Hargobind Khorana)
  3. वेंकी रामकृष्णन (Venkatraman Ramkrishnan)
  4. चंद्रशेखर सुब्रमण्यम (Chandrasekhar Subhramanyam)

अमेरिकन अंतरिक्ष संस्था नासा (NASA) में कार्यरत भारतीय वैज्ञानिक – Indian Scientists in NASA

संक्षेप में यहाँ हम आपको अमेरिका में स्थित अंतरिक्ष संशोधन संस्था नासा में हाल फ़िलहाल कार्यरत भारतीय वैज्ञानिको के नाम की सूची देनेवाले है, जो के इस प्रकार से है;

  1. डॉ. कमलेश लुल्ला (Dr. Kamlesh Lulla)
  2. सुनीता विलियम्स (Sunita Williams)
  3. शर्मीला भट्टाचार्य (Sharmila Bhattacharya)
  4. आश्विन वासवदा (Ashwin Vasvada)
  5. डॉ. मधुलिका गुहाताकुरता (Dr. Madhulika Guhatakurata)
  6. डॉ.मेया मेयप्पन (Dr. Meyya Meyappan)
  7. डॉ. अनिता सेनगुप्ता (Dr. Anita Sengupta)
  8. डॉ.सुरेश कुलकर्णी (Dr. Suresh Kulkarni)

भारतीय वैज्ञानिको के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Indian Scientists

  1. मिसाइल वुमेन (Missile Women) के नामसे किस भारतीय महिला वैज्ञानिक को पहचाना जाता है? (Missile Women of India)
    जवाब: टेस्सी थॉमस को।

2. नासा में कार्यरत किस भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष में पहली बार यात्रा की थी? (First Indian women scientist from NASA flew in space)
जवाब: कल्पना चावला ने।

3. ‘मून मैन ऑफ़ इंडिया’ के नामसे किस प्रसिध्द भारतीय अंतरिक्ष विज्ञानी को पहचाना जाता है? (Moon man of India)
जवाब: मिलस्वामी अन्नादुराई।

4. किस प्रसिध्द भारतीय वैज्ञानिक ने परमाणु अस्त्र निर्मिती के साथ सैटेलाइट प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, और बादमे उन्होंने भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का भी पद कार्यकाल पूरा किया? (Indian scientist who became Indian president too)
जवाब: डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम।

5. भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (ISRO) में कार्यरत कुछ प्रमुख महिला वैज्ञानिक के नाम बताये? (Indian women scientists currently working in ISRO)
जवाब: मुथैय्या वनिथा, व्ही आर ललिताम्बिका, रितु करीधाल, टी.के अनुराधा, नंदिनी हरिनाथ, एन. वलरमाथि इत्यादि।

6. परमाणु ऊर्जा संशोधन और परियोजना से जुड़े कुछ भारतीय वैज्ञानिको के नाम बताये?(Indian scientists related with nuclear research and project)
जवाब: राजा रामन्ना, अनिल काकोडकर, होमी जे भाभा, शेखर बसु, पी.के अयंगर, होमी सेठना, एम.आर. श्रीनिवासन, राजगोपाल चिदंबरम, चैतन्यमोय गांगुली, व्ही एस राममुर्ति इत्यादि।

7. भारत में ‘धवल क्रांति’ द्वारा दूध व्यवसाय के क्षेत्र में नवीनीकरण लानेवाले प्रमुख संशोधक कौन है? (Father of white revolution in India)
जवाब: डॉ. वर्गीस कुरियन।

8. किस भारतीय वैज्ञानिक को सर्वप्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था? (Nobel prize winner first Indian Scientist)
जवाब: सी.वी रमन।

झारखंड राज्य का इतिहास और जानकारी

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Jharkhand History in Hindi

झारखंड – Jharkhand एक वन प्रदेश है। उसके नाम में ही उस राज्य का पूरा स्वरुप दिखायी देता हैं जैसे झारखंड यानी ‘झार’ या ‘झाड़’ जिसे हम वन भी कह सकते है और ‘खण्ड’ यानी टुकड़े से मिलकर बना हुआ यानि झारखंड।

झारखंड पूर्वी भारत का राज्य है, जिसकी स्थापना 15 नवम्बर 2000 को बिहार राज्य को विभाजित करके की गयी।  राज्य की राजधानी रांची।

झारखंड राज्य का इतिहास और जानकारी – Jharkhand History Information

राज्य का नाम (State Name) झारखंड(Jharkhand)
राजधानी का शहर (Capital of Jharkhand State) रांची (Ranchi)
प्रमुख भाषा हिंदी, अंगिका, हो, खारिआ, खोरथा, कुरमाली, कुरुख, माघी, मैथिली इत्यादि।
राज्य का साक्षरता प्रमाण 67.63 प्रतिशत (%)
क्षेत्रफल की दृष्टी से राज्य का देश में स्थान 15 वा (Fifteen)
कुल जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान 14 वा (Fourteen)
राज्य निर्मिती का साल 15 नवंबर 2000
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Jharkhand) साल वृक्ष।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Jharkhand) पलाश।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Jharkhand) कोयल।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Jharkhand) भारतीय हाथी।
प्रमुख फल (State Fruit of Jharkhand) लिची।
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Jharkhand) 24 (Twenty Four)
कुल तालुका (तहसील) की संख्या 260
कुल ग्रामीण विभागों की संख्या 32, 620
वित्तीय तथा राज्यनिहाय कर्नाटक राज्य की कोड संख्या (State Code of Jharkhand) 20 (Twenty)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Jharkhand) हॉकी।

झारखंड राज्य की जानकारी – Jharkhand Information in Hindi

जब 1765 में क्षेत्र ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में आ गया तब उन्हें स्थानिक लोगो के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। आदिवासियों द्वारा अपने राज्य झारखंड को बचाने का अभियान 1771 से 1900 तक चला।

1771 में ब्रिटिश सरकार और जमींदारो के खिलाफ किये गये पहले आंदोलन का नेतृत्व राजमहल पहाड़ी के पहरिया लीडर, तिलका मांझी ने किया। वे अपने लोगो को अनैतिक जमींदारो के चंगुल से मुक्त करवाना चाहते थे और उन्हें अपने पूर्वजो की जमीन वापिस दिलवाना चाहते थे।

इसके बाद ब्रिटिश सेना ने अपनी फ़ौज भेजकर तिलका मांझी के अभियान को कुचल दिया। इसके कुछ समय बाद ही 1779 में भूमिज समुदाय के लोहो ने मनभूम, पश्चिम बंगाल में ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद पलामू की चेरो जनजाति ने ब्रिटिश राज का विरोध किया।

1855 में ब्रिटिश कंपनी राज के समय ज़मींदारी प्रथा के खिलाफ संथल विद्रोह की घोषणा की गयी।

1800 AD में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया। इसके सात वर्षो बाद 1807 में बर्वे में ओराव ने श्रीनगर के समृद्ध जमींदार की हत्या कर दी। जल्द ही विद्रोह गुमला तक पहुच गया। आदिवासी अपने विद्रोह को पूर्व की तरफ ले जा रहे थे और धीरे-धीरे विद्रोह मुंडा जनजाति तक पहुच गया।

1811 और 1813 में वे भी विद्रोह में शामिल हो गये। सिंघभुम में होस भी तेजी से बढ़ रहे थे और 1820 में वे भी खुलकर विद्रोह करने लगे और दो सालो तक उन्होंने जमींदारो और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह जारी रखा। इसे 1820-1821 के उभरते हुए लकरा कोल का नाम दिया गया।

Jharkhand Image

Jharkhand

इसके बाद 1832 में कोल का विकास होने लगा। यह पहला आदिवासी विद्रोह था जिसने झारखंड में ब्रिटिश प्रशासन को काफी परेशान किया था। यह ज़मींदारो द्वारा आदिवासी लोगो की जमीन हड़पने की कोशिश का परिणाम था। इसके बाद सिधु और कान्हू नामक दो भाइयो के नेतृत्व में 1855 में सिंथल विद्रोह सामने आया।

इसके बाद 1895 में बिरसा मुंडा विद्रोह सामने आया और 1900 तक चला। यह इतिहास के सबसे लंबे समय तक चलने वाले विद्रोहों में से एक था।

राज्य के अंतिम विधानसभा चुनाव में आर.जे.डी. कांग्रेस पर निर्धारित थी, जिसकी शर्त के अनुसार आर.जे.डी बिहार पुनर्गठन बिल (झारखंड बिल) के समय कोई बाधा उत्पन्न नही करने वाली थी। अंततः आर.जे.डी और कांग्रेस दोनों की सहायता से बीजेपी ने संसद के मानसून सत्र में झारखंड बिल को पास कर दिया। इसके बाद स्वतंत्र झारखंड राज्य बनाने का मार्ग खाली हो गया।

झारखंड राज्य के संपूर्ण जिले की सूचि – List of Districts in Jharkhand

यहाँ आप झारखंड राज्य के सभी जिलों के बारे में परिचित होनेवाले है, जिनका विवरण निम्नलिखित तौर पर दिया हुआ है, जैसे के;

  1. राँची (Largest District in Jharkhand)
  2. गढ़वा
  3. देवगढ़
  4. खुंति
  5. पलामू
  6. लातेहार
  7. छत्रा
  8. कोडरमा
  9. गिरिध
  10. रामगढ़ (Smallest District in Jharkhand)
  11. साहेबगंज
  12. बोकारो
  13. धनबाद
  14. गुमला
  15. लोहरदगा
  16. सिमडेगा
  17. पाकुर
  18. पश्चिमी सिंघभूम
  19. सराईकेला खरसावन
  20. ईस्ट सिंघभूम
  21. जामतारा
  22. हजारीबाग
  23. दुमका
  24. गोड्डा

झारखंड राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान / यूनिवर्सिटी – Universities in Jharkhand

  1. राँची यूनिवर्सिटी, राँची
  2. विनोबा भावे यूनिवर्सिटी, हजारीबाग
  3. नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी
  4. कोल्हान यूनिवर्सिटी, चैबासा
  5. बिरसा कृषि विद्यापीठ, राँची
  6. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ झारखंड, राँची
  7. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, धनबाद
  8. सरला बिरला यूनिवर्सिटी
  9. राधा गोविंद यूनिवर्सिटी
  10. उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी

झारखंड राज्य की संस्कृति और परंपरा – Culture and Tradition of Jharkhand

राज्य मुख्यतः आदिवासियों से घिरा हुआ है और इसीलिए राज्य की संस्कृति और जीवन शैलि में प्रकृति की महत्वपुर्ण भूमिका है। पारंपरिक रूप से लोग यहाँ पेड़ लेकर उसे आँगन में लगाते है। यहाँ के लोगो द्वारा मनाये जाने वाले रीती-रिवाजो में जितिया पूजा, कर्मा पूजा, सरहुल इत्यादि।

मकर संक्रांति के समय टुसू मेला उर्फ़ पौष मेले का आयोजन किया जाता है, जो वास्तव में फसल की कटाई का उत्सव होता है। लोगो का मानना होता है की यह रंग और उत्साह का महोत्सव होता है। सम्पूर्ण छोटानागपुर पठार क्षेत्र धूमधाम से करम महोत्सव मनाता है।

कुंवार – शुक्ल – पक्ष के बाद इसे 15 दिनों तक मनाते है। उत्सव की तयारी करने के लिए लोग नये कपडे खरीदते है, तेल, दलिया, सिन्दूर, इत्यादि लाते है और नये पकवान बनाते है। इस दिन घर के लडको और लडकियों को उनके परिवार वाले बड़े सम्मान से देखते है।

झारखंड देश का वह प्रमुख राज्य है जहाँ की कुल आबादी में सबसे अधिक आदिवासी जनजाति के लोगो का निवास है, इसके कारण राज्य अंतर्गत दूर दरास्त के इलाको लेकर शहरी विभाग के जीवनशैली में आदिवासी मान्यता और परंपराओं का अधिक प्रभाव दिखाई देता है। यहाँ के मान्यता अनुसार उपवन, पेड़ आदि चीजों की पूजा का विशेष महत्व दिखाई देता है जिसमे ग्रामीण या शहरी विभाग के प्रमुख पुजारी द्वारा उपवन और आदिवासी जनजाति के संस्कार केन्द्रो की पूजा करवाई जाती है।

स्थानिक भाषा में इन आदिवासी जनजाति के संस्कार केंद्र को धुमकुरिया कहाँ जाता है, सालभर में जनजाति के त्यौहारों के अलावा हिंदू मान्यता के त्यौहार भी राज्य में मनाये जाते है जिसमे होली, दीवाली, दशहरा इत्यादि प्रमुखता से शामिल होते है। यहाँ पर आपको आदिवासी जनजातियों में विभिन्न समुदाय देखने को मिलते है जिन्हे हम जाती भी कह सकते है पर इन सबकी मान्यताए और जीवनशैली लगभग एक जैसी होती है।

बिरसा मुंडा को इन सभी जनजाति का प्रमुख नेता माना जाता है जिनके स्मरण में उनकी जयंती पुण्यतिथि दिन को राज्य अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ पूरा किया जाता है। आधुनिकता के इस युग में शिक्षा और तकनीक से जुड़कर राज्य के विभिन्न जनजाति के लोगो ने कई क्षेत्रो में ऊंचाई हासिल की है, जिसमे विगत कई सालो में राज्य के साक्षरता दर में भी वृद्धि हुई है।

झारखंड राज्य की संगीत और नृत्य कला – Music and Folk Dance of Jharkhand

राज्य में मुख्यतः बरसात के मौसम में,फसल कटाई के समय, त्यौहारों तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के समय पारंपारिक नृत्य किया जाता है जिसमे आदिवासी जनजाति के स्थानिक प्रचलित नृत्य प्रकार खास तौर पर आयोजित किये जाते है। इसमें झुमैर, मर्दाना झुमैर, पाइका, डोमकच, जनानी झुमैर, लहसुआ, झुमटा, फगुआ, संताली, छाहू आदि नृत्य प्रकार शामिल होते है।

बात करे गीत संगीत की तो राज्य में प्रमुखता से मशहूर तौर पर शास्त्रीय संगीत, बोरगीत, कजरी,  भजन गीत, श्याम संगीत, किर्तन, नज़रुल गीती, बोल, ठुमरी, दादरा, रविंद्र संगीत, चैती, तथा सूफी संगीत इत्यादि को आनंद के साथ सुना जाता है। इन सभी गीत संगीत प्रकार से जुड़े कलाकार भी राज्य अंतर्गत मजूद है जिनमे मुकुंद नायक और राम दयाल मुंडा जैसे मशहूर कलाकार भी शामिल है। आधुनिक जीवनशैली में पश्चिमी तथा हिंदी के गीतों को भी काफी पसंदीदा तौर पर सुना जाता है।

झारखंड राज्य की पारंपारिक वेशभूषा – Dress/Costume of Jharkhand

राज्य के अंतर्गत महिलाओ के प्रमुख पहनावे में साडी शामिल होती है वही आदिवासी जनजातियों के महिलाओ के प्रमुख पहनावे में पंची और पैरहन वस्त्र शामिल होता है। वही पुरुषों के प्रमुख पहनावेँ में भगवान नामक पेहराव प्रकार शामिल होता है जो के एक साधे कपडे से बना हुआ होता है, आदिवासी पुरुषो के पहनावे में मुख्यतः संथाल और पहाड़ी नामक पेहराव होता है। इसके अलावा कुरता पायजामा और धोती भी राज्य अंतर्गत पुरुषो का पसंदीदा पोशाख होता है, आधुनिकता के इस युग में शर्ट – टी शर्त तथा साधा पैंट – जींस पैंट भी शामिल होता है।

झारखंड राज्य में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार – Festival of Jharkhand State

राज्य में सालभर आनेवाले प्रमुख त्योहारों में दिवाली, भाई दूज, होली, दशहरा, नवरात्री इत्यादि त्योहारों को काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ फसल कटाई के समय करम नामक त्यौहार राज्य का खास आकर्षण होता है, इसके साथ कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी आदि त्यौहार भी खास महत्व रखते है। भगता परब, सरहुल इत्यादि त्यौहार भी राज्य अंतर्गत उल्लास पर्व के तौर पर मनाये जाते है।

झारखंड की भाषा – Language of Jharkhand

हिंदी राज्य की प्रधान भाषा है। यहाँ के लोग दूसरी भाषा का भी उपयोग करते है। साधारणतः राज्य के जम्तारा, गोड्डा, साहिबगंज, दुमका, पाकुर, सराइकेला-खरसावाँ और सिंघभुम जिले में संताली भाषा का उपयोग किया जाता है। मंदारी भाषा का उपयोग रांची, खूंटी, लतेहर जिले, पश्चिम सिंघभुम, सिमडेगा और घुमला इत्यादि जगहों पर किया जाता है। सराइकेला-खरसावाँ जिले और पश्चिम सिंघभुम में हो भाषा का उपयोग किया जाता है।

झारखंड की मुख्य नदियाँ – Rivers of Jharkhand

सोन नदी, सुबर्णरेखा नदी, दक्षिण कोयल नदी, अजय नदी, दामोदर नदी, फाल्गु नदी, मयूराक्षी नदी।

झारखंड का पर्यटन – Tourism of Jharkhand or Tourist Places in Jharkhand State

Famous Tourism Places In Jharkhand
Famous Tourism Places In Jharkhand

राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य जंगलो और पहाड़ी इलाको और वन्यजीव संग्रहालयो से समृद्ध है। जो लाखो यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते है। साथ ही बहुत सी राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की वजह से राज्य व्यावसायिक पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। राज्य में देखने योग्य मुख्य जगहों में निम्न शामिल है:

  • रांची पहाड़ी
  • दशम फाल्स
  • सूर्य मंदिर
  • जमशेदपुर
  • बैद्यनाथ धाम
  • जोन्हा फॉल्स
  • धारागिरी फॉल्स
  • बुरूडीह लेक
  • जुबिली पार्क
  • बेतला नेशनल पार्क
  • नेतरहाट
  • टैगोर हिल्स
  • नक्षत्र वन
  • रॉक गार्डन
  • बायोडायवर्सिटी पार्क
  • रांची लेक
  • पतरातू वैली

झारखंड राज्य के पवित्र धार्मिक स्थल – Temples in Jharkhand

  1. शिखरजी पारसनाथ तीर्थस्थल
  2. पहाड़ी मंदिर राँची
  3. बुद्ध विहार, बोकारो
  4. हरिहर धाम
  5. रंकिणी मंदिर
  6. देवड़ी मंदिर
  7. जगन्नाथ मंदिर
  8. माता छिन्न मस्तका मंदिर
  9. भुवनेश्वरी देवी मंदिर
  10. शक्ति मंदिर

झारखंड का भोजन – Food of Jharkhand

राज्‍य का पारंपरिक भोजन, झारखंड क्षेत्र के विभिन्न इलाके का एक संयोजन है। यहां का भोजन सुपाच्‍य और हल्‍का होता है। प्राकृतिक चीजों से बना और अच्‍छे वातावरण के कारण, यहां आकर पर्यटकों को भोजन का स्‍वाद बहुत अच्‍छा लगता है।

यहां का मुख्‍य भोजन लिट्टी और चोखा है। यहां का मांसाहारी भोजन, मुंह में पानी ला देने वाला होता है जो विशेष तरीके से बनाया जाता है। इस राज्‍य के बनाएं जाने वाले भोजनों में ताजगी दिखती है जो मुगलकाल की समृद्धता से काफी मिलते – जुलते है।

यहां कई प्रकार की स्‍थानीय शराब या पेयपदार्थ भी मिलते है जिनमें हाडिंया, राइस बियर आदि शामिल है। हांडिया को मिट्टी के बर्तन में इकठ्ठा करके बनाया जाता है। यह आदिवासियों का मुख्‍य पेयपदार्थ होता है जिसे पुरूष और महिलाएं दोनो ही पीते है। यहां की अन्‍य शराब को माहू कहा जाता है जो महुआ पेड़ के फूलों और फलों से मिलकर बनती है।

झारखंड राज्य के प्रसिद्ध व्यक्ती – Famous Personalities of Jharkhand

Famous Personalities of Jharkhand
Famous Personalities of Jharkhand
  1. तीरंदाज दीपिका कुमारी
  2. बिरसा मुंडा
  3. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी
  4. अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा
  5. अभिनेता आर. माधवन
  6. शिव खेड़ा
  7. संजीव बर्नवाल
  8. अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि
  9. अभिनेत्री तनुश्री दत्ता
  10. गायक शिल्पा राव

भारत देश के हर राज्य की बात ही कुछ अलग हैं वैसेही झारखंड राज्य जंगलो और पहाड़ी इलाको और वन्यजीव से भरा हैं, जिन्हेँ जंगल और पहाड़ी घुमना पसंद हैं। उन्हें झारखंड जरुर जाना चाहियें।

झारखंड राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Jharkhand

  1. भारत में झारखंड राज्य कहाँ पर स्थित है? (Where is Jharkhand?)
    जवाब: झारखंड राज्य के उत्तर दिशा में बिहार राज्य की सिमा जुडी है, पूर्व दिशा में पश्चिम बंगाल राज्य की सिमा है दक्षिण में ओडिशा तो पश्चिम में छत्तीसगढ़ राज्य की सिमा है इसके अलावा उत्तर पश्चिमी सिमा पर उत्तर प्रदेश राज्य की सिमा जुडी हुई है।

2. पर्यटन की दृष्टी से घूमने के लिए झारखंड राज्य में जाना हो तो कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best time to visit Jharkhand?)
जवाब: जुलाई माह से लेकर मार्च माह तक का समय।

3. झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (First Chief Minister of Jharkhand?)
जवाब: बाबूलाल मरांडी।

4. झारखंड राज्य के इतिहास की जानकारी कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (Jharkhand State History Books)
जवाब: हिस्ट्री ऑफ़ झारखंड, झारखंड जनरल नॉलेज, झारखंड प्लेथोरा ऑफ़ नॉलेज, क्नोव यूअर स्टेट झारखंड, प्रारम्भ से लेकर १८५७ तक झारखंड का इतिहास, झारखंड का इतिहास एवं संस्कृति, झारखंड – अ स्टेट स्टडी गाइड, झारखंड पैनारोमा, कोलोनिअल एंड कंटेम्पररी बिहार एंड झारखंड इत्यादि।

5. भारत के कौनसे राज्य से विभाजित होकर स्वतंत्र राज्य झारखंड की निर्मिति हुई थी? ( Jharkhand Divided from which Indian State?)
जवाब: बिहार।

6. झारखंड राज्य के अंतर्गत कौनसी प्रमुख नदियाँ बहती है? (Rivers in Jharkhand State)
जवाब: सुवर्णलेखा, गंगा, बरकार, उत्तरी कोयल नदी, दक्षिणी कोयल नदी, दामोदर, मयूराक्षी, सोन,संख, बोकारो इत्यादि।

7. झारखंड राज्य का प्रसिध्द पकवान/प्रमुख खानपान कौनसा है? ( Staple food of Jharkhand?)
जवाब: सब्जी, दाल, चावल, आचार, रोटी, चिल्का रोटी, ढुस्का, हंडिया, तिल बर्फी, पिट्ठा, अर्सा रोटी, रुग्रा इत्यादि।

8. कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण झारखंड राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Jharkhand state?)
जवाब: हजरीबाग़ वन्यजीव अभयारण, दलमा अभयारण, पालकोट, कडेर्मा, पालमु, लावालौंग, बेटला, तोपचांची इत्यादि।

9. किस प्रसिध्द स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवक व्यक्तित्व को झारखंड राज्य के प्रमुख आदर्श के रूप माना जाता है? (Famous Freedom Figheter and Social activist from Jharkhand?)
जवाब: बिरसा मुंडा।

10. झारखंड राज्य के अंतर्गत कौनसी धातु और खनिजों की खाने प्रचुरता से मौजूद है? (Minerals and Metals Mines in Jharkhand State)
जवाब: लौह, कोयला, बॉक्साइट, लौह अयस्क, चुना पत्थर,मँगनीज, निकेल,सोना, कोबाल्ट, चाँदी, तांबा इत्यादि।

11. भारत का राज्य झारखंड क्यों प्रसिद्ध है? (Why Jharkhand is so Famous?)
जवाब: राज्य के कुल क्षेत्रफल में लगभग २९ प्रतिशत भूमि, वन और लकड़ी के उत्पाद हेतु आरक्षित है जिससे राज्य में नैसर्गिक संपदा का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके अलावा झारखंड राज्य में प्रचुर मात्रा में खनिज, धातु संपदा मौजूद है जिसमे यूरेनियम भी यह पाया जाता है जिसने इस राज्य का महत्व अधिक बढ़ा दिया है। झारखंड की भूमि में कोयलाम चाँदी, लौह, तांबा, सोने के अयस्क, लौह अयस्क, बॉक्साइट, चुना पत्थर, मैंगनीज आदि की खाने भी मौजूद है। बोकारो में भारत का सबसे बड़ा स्टील उद्योग का प्लांट मौजूद है इत्यादि कारणों के वजह से झारखंड राज्य देश दुनिया में प्रसिध्द है।

गोवा राज्य का इतिहास और जानकारी

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Goa History in Hindi

Goa – गोवा का नाम आते ही दिल को छु जाने वाला समुद्र तट और आसमान को छुते हुए नारियल के पेड़ हमारे आँखों के सामने आ जाता हैं। गोवा भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्यटकों की यह पसंदीदा जगह है और दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं।

राज्य में भारतीय और पुर्तगाली संस्कृति का अद्भुत मिश्रण दिखाई देता है और यहाँ की वास्तुकला यात्रियों को आकर्षित करती है। विविध संस्कृति और समुदाय के लोग यहाँ घुमने के लिए आते है।

गोवा राज्य का इतिहास और जानकारी – Goa History in Hindi

राज्य का नाम (Name of The State) गोवा(Goa)
गोवा की राजधानी (Capital of Goa) पणजी(Panaji)
राज्य निर्मिति का साल(State Formation Year) 30 मई 1987।
राज्य की प्रमुख भाषाएँ कोंकणी, अँग्रेजी, हिंदी, मराठी।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देशभर में स्थान अठ्ठाईसवाँ (28th)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान छब्बीसवाँ (26th)
राज्य का प्रमुख जानवर गौर (भारतीय भैस)
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Goa) भगवे रंग के कंठ का बुलबुल पक्षी।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Goa) नारियल पेड़।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Goa) जास्मिन पुष्प।
प्रमुख फल (State Fruit of Goa) काजू।
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Goa) फुटबॉल।
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की सँख्या (District in Goa) दो (Two)
राज्य अंतर्गत कुल तालुका (तहसील) की सँख्या बारा (Twelve)
राज्य अंतर्गत कुल ग्रामीण विभाग 411
गोवा राज्य अंतर्गत कुल शहरों की सँख्या 14
राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Goa) 14, 58, 545 (साल 2011 के जनगणना अनुसार)
राज्य का साक्षरता दर 91.71 प्रतिशत (%)
वित्तीय तथा राज्यों के अनुसार गोवा राज्य की कोड सँख्या (State Code of Goa) 30 (Thirty)

 

गोवा राज्य की जानकारी – Goa Information in Hindi

1510 में पुर्तगालियो ने स्थानिक मित्र, तिमय्या की सहायता से सत्तारुढ़ बीजापुर के सुल्तान यूसुफ़ आदिल शाह को पराजित किया। इसके बाद प्राचीन गोवा में उन्होंने स्थायी राज्य की नीव रखी। गोवा में यह पुर्तगाली शासन की शुरुवात थी और यह 1961 के राज्य-हरण तक तक़रीबन 4.5 शताब्दी तक चला।

1843 में पुर्तगाली प्राचीन गोवा से निकलकर पणजी चले गये। 18 वी शताब्दि के बीच में पुर्तगाली गोवा वर्तमान राज्य की सीमा तक विकसित हो चूका था। साथ ही भारत में जबतक उनकी सीमा स्थिर होती तबतक वे भारत के दुसरे स्थानों से अपने अधिकारों को खो चुके थे और पुर्तगाली भारतीय राज्य की स्थापना की गयी, जिसमे से गोवा विशालतम प्रान्त था।

Goa History in Hindi
Goa History in Hindi

1947 को भारत जब ब्रिटिशो की गुलामी से आज़ाद हुआ तो भारत ने पुर्तगाली प्रांतो से भारतीय उपमहाद्वीप को भारत को सौपने की मांग की। पुर्तगाल ने भी अपने भारतीय परिक्षेत्रो की संप्रभुता पर बातचीत करने से इंकार कर दिया। 19 दिसंबर 1961 को विजय के नेतृत्व में भारतीय सेना ने आक्रमण किया गोवा और दमन एवं द्वीप को भारतीय संघ में शामिल कर दिया।

दमन एवं द्वीप के साथ गोवा को भारतीय संघ के केंद्रशासित प्रदेश में शामिल कर लिया गया। 30 मई 1987 को केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित कर दिया और गोवा को भारत का 25 वा राज्य बनाया गया। जबकि दमन एवं द्वीप आप भी भारत के केंद्रशासित प्रदेश में शामिल है।

गोवा राज्य के जिले – Districts Of Goa State

क्षेत्रफल की दृष्टी से गोवा राज्य भारत का छोटा राज्य है, जिसके अंतर्गत मात्र दो जिले आते है जैसे के उत्तर गोवा और दक्षिण गोवा। प्रशासन के हिसाब से इन दोनों जिलों के अंतर्गत छह तहसील मौजूद है इस प्रकार गोवा राज्य में कुल १२ तहसील मौजूद है तथा कुल ४११ ग्रामीण विभाग भी मौजूद है।

गोवा राज्य की प्रमुख नदियाँ – Rivers in Goa State

  1.  झुअरी नदी
  2. साल नदी
  3. चपोरा नदी
  4. मांडवी नदी
  5.  तेरेखोल नदी
  6.  मापुसा नदी

गोवा राज्य की भाषा – Language of Goa state

यह बहुभाषी राज्य है भारत और विदेशों में गोवा में रहने वाले विभिन्न क्षेत्रों, जातीय जातियों और धर्मों के लोग होने के नाते, उनकी भाषा भी तदनुसार प्रभावित हुई। इसलिए, गोवा में इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं की कुल संख्या अंग्रेजी, मराठी, पुर्तगाली, हिंदी और कोंकणी है। कोंकणी, हालांकि, गोवा की आधिकारिक भाषा है कोंकणी देवनागरी लिपि में लिखी गई है राज्य में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाएं मराठी, कन्नड़ और उर्दू हैं। गुजराती और हिंदी भी राज्य में काफी संख्या में बोलते हैं। स्कूलों में मराठी भी व्यापक रूप से पढ़ाया जाता है।

गोवा राज्य की संस्कृति और परंपरा – Culture And Tradition Of Goa

इस राज्य की संस्कृति विशेषतः हिन्दू और कैथोलिक जनसँख्या में विभाजित है। लोग दोनों ही संस्कृतियों का सम्मान करते है। हवाई और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ होने के कारण, यहाँ पडोसी राज्य के लोग भी आते है। भारत के दुसरे राज्यों से आए हुए नये लोग भी यहाँ रहने लगे है।

गोवा के कैथोलिक धर्म के लोग हिन्दू संस्कृति का सम्मान करते है और साथ ही हिन्दू रीती-रिवाजो को भी अपनाते है। दोनों ही धर्म के लोगो के बीच का प्यार यहाँ देखा जा सकता है। राज्य में बहुत सी जगहों पर हिन्दू धर्म के मंदिर भी बने हुए है, जहाँ हिन्दू धर्म के देवताओ की मूर्तियाँ भी स्थापित की गयी है।

स्वतंत्रता पूर्व काल में भारत में व्यापारिक दृष्टी से आये अँग्रेज, पोर्तुगीज, डच लोगो का भारत में शुरुवाती दिनों में कुछ विशिष्ट जगह पर बसेरा था, इसमें पोर्तुगीज तथा डच लोगो का गोवा व्यापारिक तथा निवास का प्रमुख केंद्र स्थान था।गोवा के आम जीवन और जोवनशैली पर मुख्यतः ख्रिश्चन, हिन्दू संस्कृति का प्रभाव अधिक दिखाई पड़ता है, हालांकि अन्य धर्मिय लोग भी राज्य अंतर्गत पाए जाते है।

यहाँ के प्रार्थना स्थलों में मुख्यतः चर्च, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा भी मौजूद है, जिसके अनुसार राज्य में सभी धर्म के त्यौहार भी मनाए जाते है। देश और दुनिया में गोवा की खास पहचान है यहाँ के सुंदर पर्यटन स्थलों के वजह से, जहाँ पर सदियों से विभिन्न देश से पर्यटक आते है इसलिए पश्चिम की संस्कृति का भी प्रभाव यहाँ अधिक देखने को मिलता है।

कोंकणी परंपराओं से भी गोवा का करीबी नाता है, इसलिए नारियल पूर्णिमा का त्यौहार भी यहाँ मनाया जाता है।कुल मिलाके एक खुश मिजाज, अतिथि देवो भव की संस्कृति का दर्शन गोवा में होता है, क्योंकि इस राज्य का सबसे बड़ा आर्थिक स्त्रोत पर्यटन पर निर्भर है।

गोवा राज्य की संगीत और नृत्य कला – Music and Folk Dance in Goa State

भारत में गोवा विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान मान जाता है, जहाँ पर सालभर में विभिन्न देशो से लोग आते है इसका प्रभाव यहाँ के संगीत पर भी देखने को मिलता है जिसमे पॉप संगीत, ड्रम, हिप हॉप, रॅप गीत, पोर्तुगाली संगीत इत्यादि का काफी प्रचलन हुआ है जिसके लिए वायलिन, गिटार, ट्रम्पेट, पिआनो आदि वाद्यों का इस्तेमाल किया जाता है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ कोंकणी गीत, कोली गीत को भी यहाँ खास तौर पसंद किया जाता है जहाँ पर मछवारों के समुदाय द्वारा इन गीतों को अधिक पसंद किया जाता है इन गीत संगीत के लिए मृदंग, तबला, ढोल, बांसुरी, शहनाई, ढोलक इत्यादि संगीत वाद्यों का इस्तेमाल होता है।

हिन्दुओ में मौजूद विभिन्न जनजातियों का भी यहाँ कुछ मात्रा में अधिवास है जैसे के धनगर, कोली, भोई आदि जनजाति के पारंपारिक गीत संगीत राज्य अंतर्गत आम तौर पर सुने और पसंद किये जाते है। बात करे नृत्य की तो राज्य में दिवाली नाच, गोफ, द डेलो नाच, घोड़े मोदनी, मांडो, देखनी नृत्य, धनगर नृत्य, टोनीमेल, मोरुलेम, कोरेडिन्हो, कुनबी नृत्य, मुसोल नच, जागोर, भोंवादो, तलगड़ी इत्यादि शामिल होते है।

गोवा के प्रमुख धर्म – Religion in Goa State

संपूर्ण राज्य में ख्रिश्चन और हिंदू धर्म के लोग अधिक संख्या में पाए जाते है, लगभग पुरे गोवा में इन दोनों धर्मो के लोगो का अधिवास है इसके अलावा बुध्द, सिख, मुस्लिम, पारसी इत्यादि धर्मीय लोगो की संख्या कम मात्रा में दिखाई पड़ती है जिन्हे अल्पसंख्यक भी कह सकते है।

गोवा राज्य का प्रमुख भोजन – Staple Food in Goa State

चावल और फिश करी गोवा का मुख्य आहार है। गोवा के व्यंजन विविध प्रकार की मछलियों और मसालेदार स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। गोवा के खाद्य पदार्थो में काली मिर्च, मसाले और विनेगर के सात-साथ ज्यादातर नारियल और नारियल के तेल का उपयोग किया जाता है।

गोवा राज्य को प्रचुर तौर पर नैसर्गिक समुद्री किनारा मिला हुआ है तथा सालभर में पर्यटकों का राज्य में आना जाना लगा रहता है इसके वजह से यहाँ पर भारतीय पकवानो के साथ कॉन्टिनेंटल भोजन प्रकारों की भी काफी ज्यादा मांग रहती है जिसमे चायनीज, श्रीलंकाई, मलेशियाई, पोर्तुगाली, ब्राज़ील, यूरोपीय आदि देश के पकवानो को आम तौर पर खाया जाता है।

कोंकणी खानपान के साथ केरल, दीव, दमन, मालाबार इत्यादि प्रांतो के खानपान भी यहाँ पाए जाते है जिसमे सलाद, अचार, करी, सुप, फ्राईज इत्यादि प्रमुखता से शामिल होते है।

सी फूड्स में यहाँ मछली, झींगे, केकड़े, नारियल से बने पकवान खाये जाते है, जिसमे चावल और काजू भी यहाँ का पसंदीदा खानपान है।मांस के प्रकारो में चिकन करी, चिकन बिरयानी, मटन करी इत्यादि भी मनपसंदीदा व्यंजनों में शामिल है, अन्य सब्जियों में टमाटर, कद्दू, ऑर्बजिन, कटहल इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।

फल आहार में मुख्यतः काजू, पपीता, अनानस, अमरुद इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है, मद्य का सेवन भी इस राज्य में अधिक मात्रा में किया जाता है ।

गोवा राज्य के लोगो की वेशभूषा – Dress/Costume of Goa State Peoples

राज्य में महिलाओ का प्रमुख परिधान साड़ी होता है जिसमे कुनबी पल्लू यहाँ खास तौर पर शामिल होता है, महाराष्ट्र राज्य की तरह यह भी कुछ मराठी महिलाओ में लुगड़ी पहनने का प्रचलन है जिसमे ब्लाउज और लुगड़ी तथा नाक में नथनी पहनी जाती है।

साड़ियों में नववारी साड़ी पसंदीदा तौर पर पहनी जाती है, इसके अलावा पानो भाजु नामक की विशिष्ट परिधान भी यहाँ के महिलाओ द्वारा पहना जाता है। वही यहाँ के पुरुषो में प्राथमिक तौर पर सूती के कपड़ो को अधिक महत्व दिया गया होता है जिसमे शर्ट, टी शर्ट, साधा पैंट तथा जींस आदि पैंट को आम तौर पर पहना जाता है।

शादी वगैरह जैसे मौको पर कोट सूट इत्यादि को भी पहना जाता है, यहाँ के महिला और पुरुषो में आधुनिकता के इस युग में अधिकतर पश्चिमी पद्धति के कपड़ो को पहनने का प्रचलन अधिक तौर पर दिखाई देता है।

गोवा राज्य के प्रमुख त्यौहार – Festivals of Goa State

गोवा में मेले और त्यौहार वास्तव में शहर के रहने वालों के साथ-साथ मनोरंजक समुद्र तट शहर के आगंतुकों के लिए एक ताज़ा अनुभव है। गोवा में विभिन्न त्योहारों और घटनाओं को सभी धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है।

सबसे लोकप्रिय मेले और त्योहारों की लंबी सूची में मानसून महोत्सव गोवा, गोवा में क्रिसमस और नए साल का समारोह और तीन राजा पर्व के महोत्सव शामिल हैं। गोवा क्रिसमस समारोह और नए साल की समारोह दुनिया के प्रसिद्ध हैं और दुनिया भर के लोग आते हैं और इन यादगार क्षणों का आनंद उठाते हैं। सबसे अधिक प्रतीक्षित गोवा कार्निवल फेस्टिवल होता हैं।

गोवा विश्व प्रसिद्ध कार्यक्रमों का कार्निवल भी है। रंग-बिरंगी मास्क और नाव, ड्रम और प्रतिवर्ती संगीत और नृत्य प्रदर्शनों के साथ यहाँ बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन वैश्विक स्तर पर किया जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है।

राज्य अंतर्गत सालभर में आनेवाले लगभग सभी प्रमुख त्योहारों को मनाया जाता है जैसे केईद, दिवाली, नारियल पूर्णिमा, दशहरा, बुध्द पूर्णिमा, होली,गणेश चतुर्थी, नवरात्री इत्यादि।

तथा कुछ अन्य त्यौहारों में गोवा के स्थानिक त्यौहार भी शामिल है जैसे के बॉनडरम फेस्टिवल, सेंट फ्रांसिस जेवियर पर्व, गोवा हेरिटेज फेस्टिवल, अंगूर महोत्सव, शिमगो महोत्सव, मोंटे संगीत महोत्सव, साओ जोआओ महोत्सव, सप्त महोत्सव इत्यादि।

यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।

गोवा राज्य के अंतर्गत आनेवाले खूबसूरत समुद्री तट – Top Famous Beaches in Goa

यहाँ हम आपको गोवा राज्य के अंतर्गत आनेवाले उन खूबसूरत समुद्री तटवर्तीय स्थानों की जानकारी देने वाले है, जिसका आपको जब कभी आप गोवा में पर्यटन के हेतु जाये तो अवश्य लाभ होगा। मन को लुभावने वाले प्राकृतिक सुंदरता से पूर्ण समुद्री किनारो में निम्नलिखित जगह शामिल है, जैसे के;

  1. बागा
  2. अंजुना
  3.  कलंगुट
  4. वेगाटोर
  5. कावेलोसिम
  6. अरमबोल
  7.  कोलवा
  8. पलोम
  9. कैंडोलिम
  10. अगोंडा
  11. बिनौलिम
  12. मोर्जिम
  13. वर्सा
  14. मंदरेम
  15. सिंक्वेरिम

गोवा राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourism in Goa State

भारत में गोवा राज्य पर्यटन के मामले में सबसे उन्नत राज्य कहाँ जाता है, जहाँ सालभर देश विदेशो से पर्यटक बड़ी मात्रा में घूमने के लिए आते है, इस राज्य के सुंदर प्राकृतिक समंदर किनारे, पेड़ पौधों से हरा भरा माहौल तथा शांत और मन को प्रसन्न करनेवाला वातावरण पर्यटकों का ध्यान अपने ओर आकर्षित करता है।

Tourist Places in Goa

Tourist Places in Goa
Tourist Places in Goa

फल का प्रचुर मात्रा में उत्पादन और सेवन इस राज्य में पाया जाता है, सुंदर चर्च भी इस राज्य की खास पहचान है जिसमे कुछ चर्च ऐतिहासिक है तथा गोवा में प्राचीन, मध्ययुगीन भारत की कला वस्तुए भी मौजूद है जिन्हे देखने यहाँ लोगो की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसेही कुछ स्थलों का विवरण निचे दे रहे है, जैसे के;

  1. दूधसागर वॉटर फॉल्स
  2. अगुडा फॉर्ट
  3. रेइस मेगॉस फॉर्ट
  4. आलोर्ना फॉर्ट
  5. गोवा म्यूजियम
  6. मर्मुगो फॉर्ट
  7. यशवंत गड फॉर्ट
  8. मुजियम ऑफ़ क्रिस्टियन आर्ट
  9. सुनापरंता – सेंटर ऑफ़ गोवा आर्ट
  10. छत्रपति शिवाजी महाराज फॉर्ट
  11. राज भवन
  12. स्प्लैश डाउन वॉटर पार्क
  13. हर्वलेम केव्ज
  14. वज्र पोहा वॉटर फॉल्स
  15. कैंडोलिम बिच
  16. बटर फ्लाई बिच
  17. लाइटहाउस अगुडा
  18. चापोरा किला

इसके अलावा गोवा राज्य की सभी समुद्री तट यहाँ के पर्यटन का प्रमुख केन्द्रस्थान है जिसकी जानकारी आपको पहले ही दी गई है।

गोवा राज्य के पवित्र धार्मिक स्थल – Religion Places in Goa

Temple in Goa
Temple in Goa

  1. कंसारपाल कालिका देवी मंदिर
  2. चर्च ऑफ़ द होली स्पिरिट
  3. बेटीम गुरुद्वारा
  4. कमलेश्वर महरूड़ मंदिर
  5. भगवती मंदिर पेरनेम
  6. बैसिलिका ऑफ़ बोम जीजस
  7. कैथलिक चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस ऑफ़ अस्सीसी
  8. चंद्रेश्वर मंदिर
  9. चैपल ऑफ़ सेंट कैथरीन
  10. चर्च ऑफ़ सेंट कैजेटन

गोवा राज्य की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Goa

Famous Personalities of Goa
Famous Personalities of Goa

  1. अभिनेत्री वर्षा उसगांवकर
  2. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
  3. रीटा फारिया – मिस वर्ल्ड ख़िताब जीतनेवाली प्रथम भारतीय महिला
  4. गायिका हेमा सरदेसाई
  5. वैज्ञानिक तथा अध्यापक रघुनाथ माशेलकर
  6. पंडित जितेंद्र अभिषेकी
  7. क्रिस पेरी
  8. ब्रूनो कॉन्टिन्हो
  9. कैंडाइस पिंटो
  10. गायिका किशोरी अमोनकर
  11. श्रीपाद नाईक
  12. साराह जेन डियास

गोवा राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – Educational Institutions/Universities in Goa State.

  1. गोवा यूनिवर्सिटी
  2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पोंडा
  3. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, दक्षिण गोवा
  4. बिर्ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस
  5. गोवा मेडिकल कॉलेज, बंबोलिम
  6. व्ही.एम सालगांवकर कॉलेज ऑफ़ लॉ

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Goa

  • गोवा राज्य के अंतर्गत कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? (How Many Airports In Goa State?)
    जवाब: एक (One)
  •  गोवा राज्य को घूमने जाने हेतु कितना समय लगता है? (How many Days Required to visit Goa?)
    जवाब: लगभग दो दिन, वैसे ये समय आपके मौजूदा स्थान से गोवा राज्य के बीच के अंतर पर भी निर्भर होता है।
  • भारत के राज्य गोवा में पर्यटन हेतु घूमने जाना हो तो सबसे उचित समय कौनसा होता है? (What is the Best Time to visit Goa?)
    जवाब: सालभर में आप कभी भी यहाँ घूमने हेतु जा सकते है जिसमे जून माह से लेकर मार्च माह तक का समय सबसे शानदार वक्त होता है।
  • गोवा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (Who is the First Chief Minister of Goa?)
    जवाब: दयानंद बांदोडकर।
  • भारत में गोवा राज्य कहा पर स्थित है? (Where is Goa?)
    जवाब: गोवा राज्य के पश्चिम दिशा में अरबी समंदर फैला हुआ है, वही उत्तर दिशा में तेरेखोल नदी गोवा और महाराष्ट्र राज्य के बीच में से बहती है, पूर्व और दक्षिण दिशा में कर्नाटक राज्य बसा हुआ है।
  • गोवा राज्य के इतिहास की जानकारी हमें किन किताबों से प्राप्त होती है? (Goa History Book)
    जवाब: मिडिवल गोवा, गोवा गोल्ड गोवा सिल्वर – हर हिस्ट्री हर हेरिटेज फ्रॉम अर्लीएस्ट टाइम्स टू २०१९, द गोवा इन्क्विझिशन, गोवा एंड द रिवोल्ट ऑफ़ १७८७, मोड़ा गोवा – हिस्ट्री एंड स्टाइल, बायोग्राफी ऑफ़ गोवा एंड द पोर्तुगीज इन इंडिया, द कल्चरल हिस्ट्री ऑफ़ गोवा, विलेज गोवा – अ स्टडी ऑफ़ गोवा सोशल स्ट्रक्चर एंड चेंज, हाउसेस ऑफ़ गोवा, गोवा ट्रैवेल्स इत्यादि।
  • भारतीय राज्य गोवा किसके लिए मशहूर है? (What is Goa Famous For?)
    जवाब: गोवा भारत में पर्यटन के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है तथा इस राज्य मे मौजूद सुंदर और आकर्षक चर्च और प्राकृतिक समुद्री तट भी सबका ध्यान अपने ओर आकर्षित करते है। काजू का उत्पादन राज्य में अधिक होता है तथा मद्य प्रेमी लोगो का गोवा राज्य खास पसंदीदा स्थान है जहाँ कम दामों में देशी विदेशी शराब मिलती है। विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा गोवा में ठहरना और वक्त बिताना पसंद करते है इसलिए देश विदेश में इस राज्य को खासा महत्व प्राप्त हुआ है, इसके अलावा कुछ ऐतिहासिक कला वास्तुए भी राज्य अंतर्गत मौजूद है।
  • गोवा राज्य में ठहरने हेतु सबसे अच्छे जगह के विकल्प कौनसे है? (Best Place to Stay in Goa)
    जवाब: सालसेट, पेरनेम, तिसवाड़ी, बारडेझ, कैनाकोना इत्यादि।
  • कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण गोवा राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (How many National Park in Goa)
    जवाब: बोंडला वन्यजीव अभयारण, मार्केस पक्षी अभयारण, भगवन महावीर अभयारण, कोटिगो अभयारण, डॉ.सलीम अली पक्षी अभयारण इत्यादि।
  •  गोवा मुक्ति दिवस कब मनाया जाता है? (‘Goa Freedom Day” is celebrated on which day?)
    जवाब: १९ दिसंबर को।

असम राज्य का इतिहास और जानकारी

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Assam History in Hindi

Assam – असम दुनियाभर में चाय की खेती के लिए जाना जाता है और इसे सात बहनों के रहस्य का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। दिसपुर असम की राजधानी है और उपनगर गुवाहाटी क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है।

असम राज्य का इतिहास – Assam History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) असम (Assam)
राज्य का पुराना नाम(Old Name of Assam) कामरूपा (Kamrupa)
असम की राजधानी (Capital of Assam) दिसपुर (Dispur)
राज्य निर्मिति का साल (Statehood) 26 जनवरी 1950
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Assam) 33 (Thirty Three)
असम में प्रमुखता बोली जाने वाली भाषाएँ (Languages of Assam) असामी, बोडो, बंगाली, हिंदी, अँग्रेजी, उर्दू।
कुल तालुका(तहसील) की संख्या 155
कुल ग्रामीण विभाग की सँख्या 26,395
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Assam) एक सींग वाला गेंडा।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Assam) सफ़ेद पंखो वाला बत्तख।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Assam) हलोंग वृक्ष।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Assam) सफ़ेद गुलाबी ऑर्चिड पुष्प।
राज्य का प्रमुख फल (State Fruit of Assam) आम।
असम राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Assam) 3,11,69 ,272 (साल 2011 के जनगणना अनुसार)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान पंधरहवाँ (15th)
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में क्रमस्थान सोलहवाँ (16th)
राज्य में कुल शहरों की सँख्या 214
असम राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Assam) धोपखेल (Dhopkhel)
असम राज्य की वित्तीय तथा राज्य निहाय कोड सँख्या अठरा (18th)

 

असम राज्य की जानकारी – Assam Information in Hindi

असम राज्य में एक समृद्ध और प्राचीन इतिहास है। इस राज्य में भारत-आर्यन, ऑस्ट्रो-एशियाटिक और तिब्बती-बर्मन मूल के लोगों का संगम रहा है। कहा जाता हैं की पहली सहस्त्राब्दी के समय असम को प्रागज्योतिष-कामरूप के नाम से जाना जाता था और दूसरी सहस्त्राब्दी के शुरू में ही इसे छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित कर दिया गया।

जबकि बादमे 13 वी शताब्दी के बाद अगले 600 वर्षो के लिए क्षेत्र को अहोम और कोचेस साम्राज्यों के नेतृत्व में असम साम्राज्य (संयुक्त संप्रभु राज्य) के रूप में स्थापित किया गया।

Assam History in Hindi
Assam History in Hindi

प्राचीन समय में तक़रीबन 700 वर्षो तक असम प्रागज्योतिष कामरूप के लगातार तीन राजवंशियो के नेतृत्व में रहा और मध्यकालीन युग में तक़रीबन 600 वर्षो तक असम अहोम के नेतृत्व में था, उस समय मुघलो को छोड़कर कोई भी विदेशी शक्तियाँ असम साम्राज्य पर आक्रमण करने में सफल नही रही। प्राचीन समय में उत्तर भारतीय साम्राज्यों द्वारा काफी असफल कोशिशे करने के बावजूद, मुघलो ने असम पर कुल 17 बार आक्रमण किया, जिनमे से केवल 1 बार उनके हाथ एक छोटी सी सफलता लगी, जिसमे असम के छोटे से भाग पर उन्हें केवल 2 साल तक शासन करने मिला।

17 वी शताब्दी में मुघलो को पराजित कर उन्हें पूरी तरह से ब्रह्मपुत्र घाटी से निकाल दिया गया। ब्रिटिशो के आने तक कोई भी असम साम्राज्य पर कब्ज़ा करने में असफल रहा। 1947 में भारत के विभाजन और स्वतंत्रता के साथ, सिलीहट जिले को पाकिस्तान भेजा गया (पूर्वी भाग जिसका बांग्लादेश बन गया)।

1950 में असम एक घटक राज्य बन गया। 1961 और 1962 में, चीनी सशस्त्र बलों ने भारत और तिब्बत के बीच सीमा के रूप में मैकमोहन लाइन पर विवाद किया, उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती एजेंसी (अब अरुणाचल प्रदेश लेकिन फिर असम का हिस्सा) का कब्जा कर लिया। दिसंबर 1962 में, हालांकि, वे स्वेच्छा से तिब्बत वापस ले गए।

1960 के दशक के शुरूआती और 1970 के दशक के शुरूआती दौर में असम के नए राज्यों के लिए अपने बहुत से क्षेत्रफल खो गए, जो अपनी सीमाओं से उभरे। 1963 में नागा हिल्स डिस्ट्रिक्ट नागालैंड के नाम से भारत का 16 वां राज्य बन गया। उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी के एक पूर्व क्षेत्रीय Tuensang का हिस्सा भी नागालैंड में जोड़ा गया था।

1970 में, मेघालय पठार के आदिवासी लोगों की मांगों के जवाब में, खासी पहाड़ियों, जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स को गले लगाते जिलों असम के भीतर एक स्वायत्त राज्य में गठित किए गए थे और 1972 में यह एक अलग राज्य बन गया मेघालय का इसके अलावा 1972 में अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम असम से केंद्र शासित प्रदेशों में अलग हो गए थे; दोनों ही 1986 में राज्य बन गए। पुरातात्विक और एतिहासिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद, आज भी असम दुनिया के लिए एक अनजान इलाका है।

असम राज्य का प्राचीन इतिहास – Ancient History of Assam

प्राचीन काल में मिले सबूतों और विद्वानों के मतानुसार भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुध्द ने ‘कामरूप’ यानि के आजके असम के उषा नामक युवती का प्रेम विवाह हेतु अपहरण किया था।प्राचीनकाल में इस राज्य पर वर्मन, शालस्ताम्भस और कामरूपपाल ऐसे तीन राजाओ का प्रमुखता से शासन रहा था।

असम शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है जिसका मतलब अद्वितीय होता है, परंतु संशोधन के बाद कुछ विद्वानों के अनुसार ‘अहोम’ शब्द से असम शब्द की निर्मिति हुई है।

इस राज्य को प्राचीन काल में ज्योतिष का स्थान भी कहाँ जाता था, जहाँ पर गुप्त साम्राज्य का अधिपत्य होने के सबूत समुद्रगुप्त के अलाहाबाद के शिलालेख से प्राप्त होता है, तब इस राज्य का नाम कामरूप होने के ऐतिहासिक सबूत भी उपलब्ध हुए है।इसके अलावा इतिहासकार अलबरूनी के ऐतिहासिक किताबों में भी कामरूप का स्पष्ट वर्णन मिला है।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने कामरूप में यात्रा करने का जिक्र भी ऐतिहासिक दस्तावेजों में मौजूद है। इस राज्य के राजा भूतिवर्मा ने अश्वमेध यज्ञ किया था जिसके कुछ पुख्ता सबूत पुरातत्व विद्वानों को मिले है।

असम के चाय का इतिहास – History of Assam Tea

भारतीय राज्य असम की चाय मूलतः काले रंग की होती है जिसका उत्पादन भारत में सबसे अधिक मात्रा एकलौते असम राज्य में सबसे अधिक मात्रा में होता है, इस चाय का रंग अधिक गाढ़ा होता है साथमे इसकी खुशबु और स्वाद दोनों लाजवाब होते है।

संपूर्ण आशियाई देशो में दक्षिणी चीन के बाद भारत के असम का चाय के उत्पादन में क्रम लगता है जिसके पौधे का वैज्ञानिक नाम ‘कैमेलिया सिनेन्सिस’ होता है। शुरुवात में भारत में चीन के चाय के पौधों को लगाने के भी प्रयास हुए थे पर सब कोशिशे विफल हुई, क्योंकि भारत के भूमि में इस पौधों की जीवित रहने की क्षमता हर बार असफल साबित हुई।

साल १८२३ में रॉबर्ट ब्रूस नामक विदेशी यात्री द्वारा भारत के असम में जंगली पौधों पर हुए संशोधन द्वारा ये साबित हुआ के उन पौधों के पत्तो से चाय भी बन सकती है। आज हम जो चाय पिते है ये वही पौधों थे जिनका रॉबर्ट ब्रूस ने संशोधन किया तबसे इसी पौधों द्वारा भारत में जोर शोर पर चाय का उत्पादन शुरू हुआ, जिसका प्रमुख उत्पादन केंद्र स्थान असम है।

भारत के बाद यूरोप में भी इन पत्तो द्वारा चाय बनाने के प्रयोग रॉबर्ट ब्रूस द्वारा किये गए, जिसको वहाँ काफी पसंद भी किया गया था।

असम रेजिमेंट का इतिहास – Assam Regiment History

दूसरे विश्वयुध्द को शुरुवात होते ही विश्व की प्रमुख सत्ताएँ दो भागो में बटकर एक दूसरे के खिलाफ भीषण हानि का कहर बरपा रही थी, भारत भलेही इस युध्द में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हुआ था पर भारत पर ब्रिटिश अधिराज्य ने कही ना कही भारतीयों को बेवजह इस युध्द में धकेल दिया था।

द्वितीय विश्वयुध्द के शुरुवात में ही जापान दुनिया के ताकतवर देश के रूप में उभरा था जिसने रशिया जैसे प्रबल देश को परास्त कर अन्य देशो की तरफ अपना मोर्चा झुकाया था इसमें भारत में भी जापान की तबाही की चिंगारी फैलने लगी थी।

जिसमे खासकर पूर्वोत्तर राज्य जैसे के अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम,नागालैंड, असम के कुछ प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम इत्यादि में जापानी सैन्य द्वारा तबाही शुरू हो गई थी, उस समय ये सभी राज्य संयुक्त असम के नामसे जाने जाते थे।

साल १९४१ को संयुक्त असम को सुरक्षित रखने हेतु तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारी लेफ्टनंट रॉस होमान ने सभी प्रदेशो के विभिन्न जनजाति के लोगों को एक साथ मिलाकर रेजिमेंट की स्थापना की जिनमे नागा, गोरखा, खासी, मिज़ोस, कुकीस, कर्बी,मैतिस, अदीस, निशिस,मोंपास शामिल थे।इनमे से नागा, गोरखा लोगो ने पहले ही अंग्रेजो का साथ देकर मुग़लो के विरुध्द अपना शौर्य और बल साबित किया था, जल्द ही सभी जनजाति के लोगो को टुकड़ियों में बाँटा गया और पूर्वोत्तर भारतीय प्रदेशो के सुरक्षा का जिम्मा इनको दिया गया।

इन टुकड़ियों ने बड़े दिलेरी और चुस्ती के साथ जापानी हमलो का प्रतिकार किया और आगे लगभग पाँच बड़े हमलो का नेतृत्व इस रेजिमेंट ने किया जिसने स्वतंत्र भारत में साल १९८८ में भारत के तरफ से नेतृत्व करते हुए श्रीलंका में शांति कायम करने हेतु कार्य किया था।

साल १९९३ में कंबोडिया में भी इस रेजिमेंट ने सेवा दी थी आज इस रेजिमेंट का विस्तार बड़े स्तर पर हुआ है जिसके अंतर्गत कुल २५ बटालियन मौजूद है जिसमे से १५ कार्यशील बटालियन है, ३ राष्ट्रिय राइफल बटालियन, ५ टेरिटोरियल आर्मी बटालियन, और दो अरुणाचल प्रदेश बटालियन स्काउट मौजूद है।

इस राज्य की रेजिमेंट को भारत के सबसे मजबूत बटालियन में से एक माना जाता है जिसने कई कठीण युध्दो में दुश्मन के पसिने छुड़ाए है।

असम राज्य की संस्कृति और परंपरा – Assam Culture And Tradition

इस राज्य की संस्कृति सम्रुद्ध है, दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्वी एशियाई संस्कृति के मिलने का यह स्थान है, जहाँ की प्रधान भाषा असामी है।

राज्य के जनसँख्या अधिवास में विभिन्न जनजातियो के लोग भी शामिल है जिनके अपने स्वतंत्र समुदाय और मान्यताए होती है, यहाँ पर आपको मिश्र संस्कृति और जीवनशैली के दर्शन होते है, जिनमे प्राचीन काल से चली आई असमी परंपरा के साथ मौजूदा जनजातियों की मान्यता और परंपराओ का पालन यहाँ के लोग करते है।

मिश्र संस्कृति में यहाँ पर मंगोलियन, भारत, ब्रम्हदेश, ईरानी तथा आर्य जीवन पद्धति का मिला जुला प्रभाव यहाँ के लोगों के जीवन पर अधिक दिखाई पड़ता है, तथा उसके अनुसार इन लोगो की बोली भाषाएँ, वेशभूषा, त्यौहार, संगीत, नृत्य, भोजन इत्यादि होते है।

कुल मिलाकर कहे तो भारत का राज्य असम अपनी खुदकी एक स्वतंत्र पहचान और जीवनपध्दति को कायम किये हुआ है।असम की नृत्यकला, संगीत, संगीत वाद्ययंत्र और वस्त्रो की डिजाईन भी दुसरे राज्यों की तुलना में थोड़ी अलग है।

असम राज्य का संगीत और नृत्यकला – Music and Folk Dance in Assam

राज्य में अधिकतर जनजातियों लोगो का अधिवास होने के कारण मिश्र जीवनशैली को यहाँ पाया जाता है, जिसमे शास्त्रीय संगीत के साथ जनजातियों के मान्यता और परंपराओं के गीत संगीत भी मौजूद होते है। असम में लोक गीत का काफी ज्यादा प्रचलन है जिसमे ग्रामीण विभागों के आम जीवनशैली से जुडी बातें तथा उनका वर्णन शामिल होता है।

जंगल, पेड़, पौधे, प्राणी, वनस्पति, चाँद, सूरज, तारे इन सभी के विषय में आदिवासी जनजातियों की अपनी मान्यताये होती है जिसका वर्णन उनके लोकगीतों के माध्यम से होता है, तथा उनके त्यौहार, रीतिरिवाज, संस्कार के गीत भी लोकगीत में शामिल होते है।

असम और आसपास के राज्यों में लगभग सैकड़ो से अधिक जनजातियाँ रहती है, जिनका आपस में ही संगीत और गीतों पर प्रभाव पड़ा हुआ दिखाई देता है। साहित्य की कलाकृतियों को भी गीतों द्वारा यहाँ प्रत्यक्ष में उतारा जाता है, जिसमे पूर्व काल से निर्मित असमी साहित्य गीत आजतक यहाँ के लोग मजे के साथ सुनना और गाना पसंद करते है।

इनके गीतों में शामिल प्रमुख गीत होते है जैसे के बिहू गीत, श्रम गीत, निचु कोनी गीत, धाई नाम लोरी, देह विचार गीत, देव – देवी गीत, सूत कटाई गीत, मछली पकड़ने के गीत, मालिता, बारह माह के गीत, मेंढकी की शादी के गीत, ओजा पाली गीत, शादी के गीत,अपेसरी,धर्ममूलक, धान कूटने के गीत आदि प्रसिध्द गीत प्रकार होते है।

बात करे नृत्य की तो यहाँ पर बिहू नृत्य, बगरुम्बा नृत्य, झुमरे नाच, देवधनी, भोरताल, अली ऐ लिगंग नृत्य, अनकिया नट, खंबा लिम आदि प्रसिध्द नृत्य प्रकार होते है।

असम राज्य के लोगो की वेशभूषा – Dress / Costume of Assam State Peoples

भारत के अन्य राज्यों के तरह असम राज्य की भी खुदकी स्वतंत्र पहचान है, जिसमे विभिन्न तौर पर असम में ये अनोखापन साफ तौर पर झलकता है। बात करे वेशभूषा की तो राज्य में रहने वाले पुरुषो का प्रमुख परिधान ग़मसा और धोती होता है जो के असम का परंपरागत पोशाख होता है।

आधुनिकता के इस युग में पुरुषो के परिधान में शर्त, टी शर्ट, पैंट, जींस पैंट इत्यादि आम तौर पर उपयोग में लाया जाता है। असम के महिलाओ के प्रमुख परिधान में साड़ी, माखेला चादर इत्यादि शामिल होते है, जनजातीय महिलाओ के पहनावे में भी आजकल साड़ी का इस्तेमाल आम सी बात हुई है।

माखेला और चादर असम में महिलाओ का परंपरागत पोशाख होता है, जिसे खास मौको पर आप आसानी से इन महिलाओ द्वारा पहना हुआ देख सकते है।

असम के लोगों का प्रमुख भोजन – Staple Food of Assam

इस राज्य के अंतर्गत लगभग सभी प्रदेशो के लोगो के प्रमुख भोजन प्रकार में चावल का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल होता है, यहाँ आपको चावल के विभिन्न प्रकार भी देखने को मिल जायेंगे। चावल के साथ मछली को खाने के शौक़ीन राज्य में अधिकतर मात्रा में पाए जाते है, राज्य के लोग कम तीखे पकवान खाना अधिक पसंद करते है।

यहाँ के पकवानो में अधिक मात्रा में विदेशी जड़ी बूटी के साथ फलो को मिलाया जाता है, चीरा और दही यहाँ आम तौर पर नाश्ते में उपयोग में लाया जाता है। इस राज्य के अधिकतर भोजन प्रकारों को चावल की मदद से बनाया हुआ आप पाएंगे जिसमे पीठा, लाओ पानी इत्यादि प्रकार शामिल है, मस्सोर टेंगा, लस्का स्टॉक, पेडस पॉम्फ्रेट, बाम्बू फिश आदि स्वादिष्ट मछली से बने व्यंजन भी यहाँ बड़े चाव से खाये जाते है।

खार, आलू पिटिका, एरी पोलू आदि व्यंजन भी यहाँ के भोजन अंतर्गत शामिल, इसमें ‘खार’ जो की केले के फल से बना हुआ स्वादिष्ट प्रकार इस राज्य की खास पहचान है।

असम राज्य के धर्म और त्यौहार – Religions and Festivals of Assam.

राज्य अंतर्गत हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौध्द, ख्रिश्चन आदि धर्मीय लोग प्रमुखता से मौजूद है, जिसमे हिंदू और मुस्लिम धर्मीय लोगो की संख्या अधिक है। असम में सभी धर्मो के लोगों का अधिवास होने के कारण राज्य में सालभर में आनेवाले प्रमुख त्यौहारों में दिवाली, होली, दशहरा, ईद, ख्रिसमस, बुध्द पूर्णिमा, महावीर जयंती, गुरु नानक जयंती, नवरात्री इत्यादि को हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।

इसके अलावा राज्य में मौजूद जनजातीय समुदाय के विशिष्ट त्यौहार भी स्थानिक तौर पर मनाये जाते है, यहाँ आप निम्नलिखित तौर पर असम राज्य के सभी स्थानिक त्यौहारो के बारे में जान पायेंगे, जैसे के ;

  1. बिहू (राज्य का प्रमुख त्यौहार)
  2. बैशागु
  3. “में दम में फी”
  4. अंबुबाची मेला

असम राज्य की भाषा – Language of Assam

असम के लोगो की मुख्य भाषा असमीज और कुछ क्षेत्र में सामान्य भाषा ही प्रयोग किया जाता है। असम की दो भाषा, बोडो और असमीज को अधिकारिक भाषा कहा गया है और बैरक घाटी में बंगाली भाषा का उपयोग किया जाता है।

राज्य की स्थानिक भाषाओ में मुख्यतः मिशिंग, कर्बी, दिमोसा, गारो, हमार, ब्रू, तैफाके, तैखामती इत्यादि शामिल है और इन भाषाओ का उपयोग विशेष सांस्कृतिक समूह के लोग करते है। जबकि शिक्षित लोग ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी भाषा का उपयोग करते है।

असम के बहुत से भागो में बंगाली भाषा बोली जाती है, विशेषतः गुवाहाटी और स्लिचार में बंगाली समुदाय के लोग बंगाली भाषा का ही उपयोग करते है। साथ ही यहाँ दूसरी भारतीय भाषाओ का भी उपयोग किया जाता है जैसे पंजाबी, मारवाड़ी, भोजपुरी और गुजराती इत्यादि। असामी भाषा के बाद यहाँ सर्वाधिक अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाता है।

असम राज्य के जिले – Districts of Assam

यह राज्य दुनिया के सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रो में से एक है और इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षावन, पतझड़ी वन, नदी घास के मैदान, बांस के बगीचे और विविध आर्टलैंड पारिस्थितिक तंत्र भी शामिल है, यहाँ के बहुत से जंगलो को नेशनल पार्क और आरक्षित वन बनाकर सुरक्षित रखा गया है। असम और इसके आस-पास के क्षेत्र प्रकृति प्रेमी और खोजकर्ताओ के लिए किसी स्वर्ग से कम नही। क्षेत्र की अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता पुरे एशिया में कही नही है।

यहाँ संक्षिप्त तौर पर हम आपको आसाम राज्य में आनेवाले सभी ३३ जिलों का विवरण दे रहे है, जो के निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के;

  1. बक्सा
  2. काचर
  3. बारपेटा
  4. बिस्वनाथ
  5. बोगाईगाँव
  6. चराइडों
  7. दिमा हसाव
  8. गोलाघाट
  9. चिरांग
  10. जोरहाट
  11. दरांग
  12. धेमाजी
  13. करीमगंज
  14. ढुबरी
  15. डिब्रूगढ़
  16. गोलपाड़ा
  17. हैलाकंडी
  18. होजाई
  19. कामरूप मेट्रोपॉलिटन
  20. कामरूप
  21. कारबी ऐंगलोंग
  22. नागाव
  23. कोकराझार
  24. लखीमपुर
  25. माजुली
  26. मोरीगांव
  27. नलबारी
  28. शिवसागर
  29. सोंतीपुर
  30. दक्षिणी सलमारा -मानकाचर
  31. तिंसुकिया
  32. उदलगुड़ी
  33. पश्चिमी करबी ऐंगलोंग

असम राज्य की प्रमुख नदियाँ – Rivers in Assam State

यहाँ आप असम राज्य के अंतर्गत से बहने वाली प्रमुख नदियों के बारे में परिचित होने वाले है, जिसमे निम्नलिखित तौर पर नदियाँ शामिल है जैस के ;

  1. बराक
  2. ब्रम्हपुत्रा
  3. धनसिरी
  4. गदाधर
  5. कोपीली
  6. सुबनसिरी
  7. कामेंग
  8. दिहांग
  9. सुरमा
  10. बोरगांग
  11. मानस
  12. सुनाई
  13. कुशियारा
  14. रंगानदी

असम राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/ यूनिवर्सिटी – Educational Institutions/Universities in Assam State

  • कृष्णकांत हंदीकी मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी
  • असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, जोरहाट
  • तेज़पुर यूनिवर्सिटी
  • गुवाहाटी यूनिवर्सिटी
  • असम यूनिवर्सिटी, सिलचर
  • भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान, गुवाहाटी
  • बोडोलैंड यूनिवर्सिटी
  • असम साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी
  • डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी
  • काझिरंगा यूनिवर्सिटी
  • रॉयल ग्लोबल यूनिवर्सिटी
  • भट्टदेव यूनिवर्सिटी

असम राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल – Temple in Assam

Temple in Assam
Temple in Assam

असम में सालभर बहुत से धार्मिक त्यौहार मनाये जाते है और बड़ी धूम-धाम से बढ़-चढकर लोग इस महोत्सव में हिसा लेते है।असम राज्य के ऐसेही कुछ पवित्र धार्मिक स्थलों का विवरण आपके जानकारी हेतु निचे दिया है, जैसे के;

  1. कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी
  2. श्री गुरु तेगबहादुर साहिब गुरुद्वारा, ढुबरी
  3. डोल गोविंदा मंदिर
  4. शिवा डोल मंदिर
  5. उग्रतारा मंदिर
  6. अश्वक्रान्ता मंदिर
  7. देवी डोल मंदिर
  8. नवग्रह मंदिर
  9. उमानंद मंदिर
  10. श्री गुरु वशिष्ठ आश्रम

असम राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourist Places of Assam

Tourist Places of Assam
Tourist Places of Assam

प्रकृति माँ ने असम की धरती को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि असम का पयर्टन साल दर साल बढ़ा है और अब भी हर दिन बढ़ रहा है। पूरे साल बने रहने वाला सुहाना मौसम और घने जंगलों में रोमांचक वन्य जीवन, असम के पयर्टन को विशेष लाभ देते हैं।

यह प्रसिद्ध एक सींग वाले गैंडे और कुछ अन्य दुर्लभ प्रजातियों का घर है। इसलिए पयर्टकों के साथ-साथ यह वन्य जीव प्रेमियों की भी पसंदीदा जगह है। अगर आप असम राज्य में पर्यटन हेतु घूमने जाने की सोच रहे है तो कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी आप यहाँ पाएंगे, जिसे जानने के बाद आपको पर्यटन में जरूर मदद मिल जाएगी। निम्नलिखित तौर पर ऐसेही प्रसिध्द स्थलो का विवरण दिया हुआ है, जैसे के;

  1. काझिरंगा नॅशनल पार्क
  2. पानीमूर फॉल्स
  3. साइंस म्यूजियम
  4. हॉफलोंग लेक
  5. बोगिबिल ब्रिज
  6. दिपोर बील
  7. शिवसागर पुरातत्व अवशेष स्थल
  8. असम स्टेट म्युजियम
  9. डु पार्क
  10. पिकॉक आइसलैंड
  11. अग्निगढ़
  12. गुवाहाटी प्लैनेटरियम
  13. चंदूबी लेक
  14. धेमाजी चिल्ड्र्न पार्क
  15. जोकई बॉटनिकल गार्डन

यह क्षेत्र जानवरों की बहुत सी लुप्तप्राय प्रजातियों का घर भी बना हुआ है, जिनमे मुख्यतः सुनहरा लंगूर, सफ़ेद पंखो वाला लकड़ी का बतख, बंगाल फ्लोरिकन, काली छाती का पेड़बोट, बौना सूअर, महान एजितांट, हेपिड खरगोश, दक्षिण अफ़्रीकी बंदर और दलदल फ्रैंकोलिन इत्यादि शामिल है।

असम के कुछ प्रसिद्ध जानवरों में शेर, हाथी, हूलॉक गिब्बन, जेरडन बब्ब्लर और इत्यादि जानवर शामिल है। चाय की खेती की वजह से असम के ग्रामीण इलाके हरे-भरे, कभी न ख़त्म होने वाले धान के खेत और विशाल जंगलो से भरे होते है। असम के परिदृश्य पर बहुत सी नदियों के द्वीप बने हुए है और ब्रह्मपुत्र के तट पर रेत का विशाल मैदान भी है। राज्य चारो तरफ से पहाड़ी और पर्वतो से घिरा हुआ है।

वन्य निवास स्थान से रहस्यवाद के प्राचीन मंदिर तक, यहाँ बहुत से मंदिर और अद्वितीय मठ, स्वदेशी संस्कृति वाले गाँव, रंगीन महोत्सव और मेहमान नवाजी करने वाले आबादी है। बहुत से आकर्षणों और रहस्यों के साथ असम निश्चित रूप से एकदम सही गैर पर्यटन स्थल है।

महान स्वामी विवेकानंद ने एक बार सच कहा था की, “कश्मीर तक अगला सुन्दर राज्य केवल असम ही है।”

असम राज्य की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Assam

Famous Personalities of Assam
Famous Personalities of Assam
  1. गायक भूपेन हजारिका
  2. गायक कलाकार नाहिद आफरीन
  3. एथलीट हिमा दास
  4. टेनिस खिलाडी सोमदेव देववर्मन
  5. अभिनेत्री सीमा बिस्वास
  6. फिल्म निर्देशक तपन दास
  7. बॉक्सर शिव थापा
  8. पत्रकार अर्णव गोस्वामी
  9. गायक जुबिन गर्ग
  10. श्रीमंत शंकरदेव
  11. चीलाराय
  12. मनीराम देवन
  13. कुमार भास्कर वर्मन
  14. जितेन्द्रनाथ गोस्वामी
  15. गणितज्ञ अनुपम साइकिया

असम राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Assam

  • असम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (Who is the First Chief Minister of Assam?) जवाब: गोपीनाथ बार्डोलोई।
  • भारत में असम राज्य कहाँ पर स्थित है? (Where is Assam?)                                             जवाब: असम राज्य के दक्षिण दिशा से भारतीय राज्य मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा की सीमाए जुडी हुई है, उत्तर दिशा में भूतान देश और भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश की सीमाए जुडी है, पूर्व दिशा में मणिपुर, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएँ जुडी है तो पश्चिमी छोर पर भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश नामके देश की सीमाएँ जुडी हुई है।
  • असम राज्य में कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? (How Many Airports in Assam?)            जवाब: ९ (Nine )
  • भारतीय राज्य असम देश दुनिया में क्यों प्रसिध्द है? (What is Assam Famous For?)        जवाब: असम भारत का एकलौता राज्य है जहाँ सबसे पहले चाय के पौधों की खोज हुई थी, जिसके अंतर्गत संपूर्ण भारत में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन इस राज्य में होता है। इसके अलावा असम के चाय के पौधों को ही भारत के अन्य राज्य में लगाया गया और इसका उत्पादन शुरू हुआ, स्वतंत्रता पूर्व काल से यूरोप और अन्य देशो में चाय के वजह से असम की पहचान बनी हुई है। इसके अलावा असम को प्राचीन काल में ज्योतिष का केंद्र स्थान माना जाता था तब इस राज्य का नाम कामरूप हुआ करता था जिसका उल्लेख समुद्रगुप्त के शिलालेख में मौजूद है। असम पर गुप्त साम्राज्य के अलावा अन्य तीन प्रमुख शासको ने भी राज्य किया है जो के तत्कालीन समय के प्रबल राजा थे इसलिए इस राज्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है। अहोम राजाओ के वजह से असम की खास पहचान होती है जो के असम के मुख्य शासक के रूप में जाने जाते है।असम मे मौजूद कामाख्या देवी मंदिर शाक्त संप्रदाय का प्रमुख आस्था केंद्र है जो के प्रमुख शक्तिपीठ भी है। इन सभी कारणों की वजह से देश और दुनिया में असम राज्य प्रसिद्ध है।
  • असम राज्य में ठहरने हेतु अच्छी जगह कौनसी है? (Best Place to Stay in Assam?)        जवाब: असम में डिब्रूगढ़, तेजपुर, गुवाहाटी, दिसपुर इत्यादि शहर ठहरने हेतु अच्छी जगह है।
  • पर्यटन हेतु घूमने के लिए असम राज्य में जाना हो तो कौनसा समय सबसे उचित होता है? (What is the Best Time to Visit Assam?)                                                                                      जवाब: अक्टूबर माह से लेकर अप्रैल माह तक का समय।
  • असम राज्य में घरों का निर्माण स्टिल्ट या पिलर के ऊपर ऊंचाई तक क्यों करते है? (Why Houses in Assam are Built on Stilts?)                                                                                जवाब: इस राज्य में बहुत अधिक मात्रा में हर साल बारिश होती है जिसमे बाढ़ की समस्या राज्य अंतर्गत अधिक पैमाने पे होती है, इस स्थिति में अगर जमीनी स्तर पर घर हो तो बाढ़ के वजह से अधिक मात्रा में घरो का क्षतिग्रस्त होना तय है। इसके अलावा हिंसक जानवर और पक्षियों से भी खतरे की स्थिति सालभर बनी रहती है, इन सभी समस्याओ से असरदार तौर पर निपटने हेतु घरो का निर्माण स्टिल्ट या पिलर के सहारे उचाई पर किया हुआ रहता है।
  • असम राज्य में कुल कितने नॅशनल पार्क मौजूद है? (How many National Park in Assam) जवाब: छह (six)
  • भारत के राज्य असम के इतिहास से जुडी जानकारी हमें कौनसे किताबो से प्राप्त होती है? (Assam History Book)                                                                                                                      जवाब: द हिस्ट्री ऑफ़ असम – फ्रॉम यांडबो तो पार्टीशन, ए हिस्ट्री ऑफ़ असम, असम हिस्ट्री, ए कॉम्प्रिहेंसिव हिस्ट्री ऑफ़ असम, हिस्ट्री ऑफ़ अप्पर असम नार्थ बर्माह एंड नार्थ ईस्टर्न फ्रंटियर, लास्ट डेज ऑफ़ अहोम मोनार्ची – हिस्ट्री ऑफ़ असम, सोशल हिस्ट्री ऑफ़ असम, असम – इट्स हेरिटेज एंड कल्चर, हिस्ट्री एंड हिस्टोरिओग्राफ़ी ऑफ़ असम इत्यादि।

आंध्र प्रदेश का इतिहास और जानकारी

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Andhra Pradesh History in Hindi

आंध्र प्रदेश भारत के 29 राज्यों में से एक है और यह भारत का आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य में सबसे बड़े शहर विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा हैं।

2 जून 2014 को, आंध्र प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग को एक नया राज्य तेलंगाना बनाने के लिए अलग किया गया था।

आंध्र प्रदेश का इतिहास और जानकारी – Andhra Pradesh History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)
आंध्र प्रदेश की राजधानी (Capital of Andhra Pradesh) विशाखापट्टनम(Visakhapatanam)
राज्य की प्रमुख भाषाएँ (Languages of Andhra Pradesh) तेलुगु, अँग्रेजी, उर्दू, हिंदी।
राज्य निर्मिति का साल (State Formation Year) १ नवंबर १९५६।
राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Andhra Pradesh) ४,९३,८६,७९९।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान सातवाँ (7th)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान दसवाँ।
राज्य का साक्षरता दर ८० प्रतिशत (%)
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Andhra Pradesh) तेरा (१३)
कुल तालुका (तहसील) की सँख्या १८९।
कुल ग्रामीण विभागों की सँख्या २८,१२३।
कुल शहरो की सँख्या ३१।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Andhra Pradesh) काला हिरण।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Andhra Pradesh) तोता।
प्रमुख पेड़ (वृक्ष)(State Tree of Andhra Pradesh) नीम वृक्ष।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Andhra Pradesh) जास्मिन पुष्प।
प्रमुख फल(State Fruit of Andhra Pradesh) आम।
प्रमुख खेल(State Game of Andhra Pradesh) कबड्डी।
राज्य का प्रमुख परंपरागत नृत्य(Folk Dance) कुचिपुड़ी।
वित्तीय और राज्यनिहाय आंध्र प्रदेश की कोड सँख्या (State Code of Andhra Pradesh) सैंतीस (३७ )
आंध्र प्रदेश अंतर्गत कुल हवाई अड्डों की सँख्या पाँच।

आंध्र प्रदेश राज्य की जानकारी – Andhra Pradesh information in Hindi

आंध्र प्रदेश काकतिया वंश, रेड्डी राजवंश, विजयनगर साम्राज्य और मुगल शासन के नियंत्रण में था। औपनिवेशिक युग की शुरुआत में, 1758 में चन्द्रती में अंग्रेजों और फ्रेंच के बीच एक बड़ी लड़ाई हुई, जिसके दौरान अंग्रेजों ने विजयनगर के महाराजा आनंद गजपति राजू को पराजित किया। 1792 में, महाराजा को पराजित करने के बाद अंग्रेजों ने इस क्षेत्र का अधिग्रहण किया।

Andhra Pradesh History in Hindi

Andhra Pradesh History in Hindi
Andhra Pradesh History in Hindi

स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद के निजाम को भारत से आजादी चाहिए, लेकिन उन्हें 1948 में भारत का हिस्सा बनना पड़ा। 1953 में, राज्यों के पुनर्गठन आयोग को भाषाई लाइनों पर आंध्र प्रदेश बनाने के लिए नियुक्त किया गया।

आंध्र राज्य तेलंगाना के तेलुगू भाषा क्षेत्र में विलय कर दिया गया था और 1965 में आंध्र प्रदेश बनाया गया था।

यनाम 1963 में पुडुचेरी के साथ विलय कर दिया गया था और वर्तमान में आंध्र प्रदेश के जिलों में से एक है। इसके तुरंत बाद तेलंगाना आंदोलन शुरू हुआ और राज्य का विभाजन हुआ।

आंध्र प्रदेश के जिले – Districts of Andhra Pradesh

आंध्र प्रदेश के जिलों की सूचि निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के ;

  1. अनंतपुर
  2. पूर्वी गोदावरी
  3. चितूर
  4. गुंटूर
  5. कडापा
  6. नेल्लोर
  7. प्रकामस
  8. विशाखापत्तनम
  9. कुरनूल
  10. कृष्णा
  11. श्रीकाकुलम
  12. विजयनगरम
  13. पश्चिम गोदावरी

आंध्र प्रदेश की भाषा – Language of Andhra Pradesh

तेलुगू आधिकारिक भाषा है और आबादी के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है हालांकि, ज्यादातर शिक्षित लोग हिंदी और अंग्रेजी बोलने में सक्षम होंगे।

आंध्रप्रदेश राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियाँ – Rivers in Andhra Pradesh State

आंध्र प्रदेश राज्य दो प्रमुख नदियों के बीच में है और वे गोदावरी और कृष्ण हैं। गोदावरी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के माध्यम से भी बहती है। पेनेर, तुंगभद्रा, वामसाधरा, मनजीरा, नागावली, स्वर्णमुजजी, प्राणहिता आदि जैसी अन्य छोटी नदियां हैं। आंध्र प्रदेश के अन्य नदियों की सूचि निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के ;

  1. गुंडालकम
  2. सिलेरू
  3. एर्राकालुवा
  4. हगरी
  5. कुंडू
  6. चित्रावती
  7. चंपावती
  8. पालार
  9. स्वर्णमुखी
  10. पापगानी
  11. गोस्थानी
  12. सबरी
  13. सारदा
  14. चेय्युरु
  15. अरनी

आंध्र प्रदेश राज्य की संस्कृति और परंपरा – Social Culture and Tradition of Andhra Pradesh

दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में इतिहास काल में चोल, चालुक्य, गजपति साम्राज्य, सातवाहन, रेड्डी, काकतीय वंश, बुक्क वंश का आधिपत्य रहा है, जहाँ पर ऐतिहासिक दस्तावेजों और सबूतों से ये साफ पता चलता है के ये राज्य आर्थिक और सामाजिक दृष्टी से समृध्द था।

राज्य में हिंदू, मुस्लिम, बौध्द, जैन, ख्रिश्चन, सिख आदि धर्मो के लोगो का अधिवास प्रमुखता से देखने को मिलता है। राज्य में विभिन्न जनजातियाँ भी आम तौर मौजूद है जिसमे लंबादास, बोडो गड़ाबा, बोंडा पोराजा, खोंड पोरोजा, गुटोब गड़ाबा, चेंचू, पारंगिपिरेजा,कुत्तिया कोंढ़स, कोंडा सवरास इत्यादि जनजातियाँ प्रमुखता से शामिल है।

राज्य की प्रमुख आधिकारिक भाषा तेलुगु होने के कारण इस राज्य के अंतर्गत बोलीचाली में सर्वाधिक लगभग इसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। आंध्र प्रदेश में सभी धर्म के त्यौहार के साथ विशिष्ट जनजातीय मान्यताओं के अनुसार उनके त्यौहार और रस्म परंपराओ को भी पूरा कर खुशहाल जीवन जिया जाता है।

आंध्र प्रदेश के लोगो की वेशभूषा – Andhra Pradesh State Peoples Dress/Costume

राज्य में पुरुषो का प्रमुख परिधान धोती और कुर्ता होता है, जिसमे बहुत बार कुर्ता और लुंगी भी पहनने का चलन यहाँ पर है। शहरो में शर्ट, टी शर्ट और लुंगी भी आम तौर पर पहना जाता है, वही महिलाओ में मुख्यतः साड़ी और लंगा वोनी नामक वस्त्र प्रकार भी पहना जाता है।

आदिवासी जनजातियों के महिलाओ में लंबे स्कर्ट के जोड़ी के साथ ब्लाउज और सिर ओढ़ने हेतु दुपट्टा भी पहना जाता है। आजकल अधिकतर महिलाए सलवार कमीज और पश्चिमी वेशभूषा में आम तौर पर राज्य अंतर्गत पायी जाती है, वही शहरो में पुरुष साधा पैंट, शर्ट, टी शर्ट, जींस पैंट, कोट सूट इत्यादि भी पहनते है।

आंध्र प्रदेश राज्य के लोगो का प्रमुख भोजन – Staple Food of Andhra Pradesh Peoples.

इस राज्य के लोग अधिकतर तिखा व्यंजन खाने के शौक़ीन होते है, जिसमे शाकाहारी और मांस दोनों भोजन प्रकार मसालेदार, तिखे होना इनकी प्राथमिकता होती है।

चावल और चावल से बने पदार्थ यहाँ अधिक मात्रा में खाये जाते है जिसमे पुलिहोरा नामक व्यंजन यहाँ काफी पसंदीदा है, इसके साथ दोसा, इडली, वडा सांबार इत्यादि चावल से बने व्यंजन इनके रोज के भोजन में आम तौर पर शामिल होते है।

चटनी, अचार, पापड़, सलाद इत्यादि यहाँ प्रमुखता से खाया जाता है, हैदराबादी बिरयानी इस राज्य में काफी ज्यादा प्रसिध्द है। माँस के पदार्थो में यहाँ चिकन करी, मटन करी, फिश करी इत्यादि प्रमुखता से खाया जाता है वही समुद्री तटवर्तीय इलाको में भात के साथ फ्राई मछली अधिक तौर पर खाई जाती है जिसमे रस्सम का भी इस्तेमाल किया जाता है।

अन्य पदार्थो में यहाँ चकना, दालचा, मूर्घका कोरमा कट्टी दाल इत्यादि सेवन किया जाता है, वही मीठे व्यंजनों में शीर कोरमा, बंधर का लड्डू, पुठारेक़ुलू, गाजर का हलवा इत्यादि बड़े चाव से खाया जाता है।

आंध्र प्रदेश की वास्तुकला और अन्य कलाएँ – Architecture and Arts in Andhra Pradesh.

राज्य लकड़ी और पत्थर नक्काशी में अग्रणी है। कलामकारी, बिद्री, निर्मल चित्रों ने दुनिया भर में अपना नाम बनाया है। साड़ी और पोशाक सामग्री को छपाई के दौरान स्नानिक प्रिंट का उपयोग किया जाता है।

राज्य अंतर्गत प्राचीन मंदिरो का निर्माण सम्पूर्णतः द्रविड़ कलाशैली अनुसार बनाया हुआ देखने को मिलता है, इसके अलावा बौध्द स्मारक स्थल और मूर्तियों में भी द्रविड़ और मध्ययुगीन कालिन वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है।

इस राज्य के शासक चोल, चालुक्य और सातवाहन के काल में सर्वाधिक वास्तु शिल्प निर्मित हुए है, इसके अलावा विजयनगर के शासको द्वारा भी राज्य में अप्रतिम वास्तु शिल्प के अद्भुत नमूने निर्मित किये गए है। इनमे शामिल मंदिर, अमरावती शहर के प्रसिध्द वास्तु शिल्प, गुफाएँ, स्मारक स्थल, किले इत्यादि शामिल है।

आंध्र प्रदेश राज्य का संगीत और नृत्यकला – Music and Folk Dance in Andhra Pradesh State

आंध्र प्रदेश राज्य की नृत्य और संगीतकला आदि काल से समृध्द और विशिष्ट है जो के राज्य का स्वतंत्र अस्तित्व आज तक कायम किये हुए है, बात करे राज्य अंतर्गत आनेवाले प्रमुख नृत्य प्रकार की तो ‘कुचिपुड़ी’ राज्य का परंपरागत नृत्य प्रकार है जिसको धार्मिकता के नजरिये से भी काफी ज्यादा महत्व प्राप्त है।

इसके अलावा आंध्रा नाट्यम, विलासिनी नाट्यम, बुर्राकथा, वीर नाट्यम, बुट्टा बोम्मलु, थोलू बोम्मालट्टा, लम्बाड़ी,अहिमसा, कोलताम, तप्पेटा गुल्लू आदि अन्य नृत्य प्रकार भी विभिन्न मौको पर किये जाते है।

राज्य में शास्त्रीय संगीत के साथ फ़िल्मी संगीत का भी बहुत ज्यादा चलन है, इसके अलावा लोकगीत यहाँ के ग्रामीण और जनजातीय इलाको में काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मौको पर शास्त्रीय गीत संगीत अधिक तौर पर सुनना यहाँ पसंद किया जाता है, वही आजकल के आधुनिकता के युग में पश्चिमी गीत संगीत और नृत्यों का राज्य के शहरी विभागों में अधिक प्रचलन हुआ है।

आंध्र प्रदेश में शास्त्रीय संगीत के महान कलाकारों ने जन्म लिया है जिनमे मुथुस्वामी दिकस्तर, त्यागराजा और श्यामा शास्त्री शामिल है, इन्होने शास्त्रीय संगीत ना केवल समृध्द किया बल्कि विरासत के तौर पर संगीत की एक अलग नींव रखी।

शास्त्रीय संगीत निर्माताओं में यहाँ पर भद्रचल रामदासा, अन्नामाचार्य, क्षेत्रय्या नामके संगीतकार भी हुए।इस राज्य से गायक एस.पी बालसुब्रमण्यम, गायक संगीतकार देवी श्री प्रसाद इत्यादि भी काफी विख्यात हुए है।

आंध्र प्रदेश के त्यौहार – Festivals of Andhra Pradesh

राज्य में दशहरा, दीपावली, श्री राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और महाशिवरात्री जैसे हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं। इसी तरह, मुस्लिम त्योहार जैसे कि बकर-ईद और ईद-उल-फितर और क्रिसमस और ईस्टर जैसी ईसाई त्यौहार भी उत्सुकता से मनाए जाते हैं। हालांकि, राज्य में उगाडी (मार्च-अप्रैल में तेलगू नए साल का दिन) और संक्रांति (जनवरी में) भी मनाया जाता है।

बाथकाम्मा तेलंगाना क्षेत्र के लिए विशेष है महीने के लंबे त्यौहार में, देवी बाथकाम्मा की मूर्ति की पूजा की जाती है और नदियों और झीलों पर तैरता है।

वार्षिक पर्यटन घटनाओं में वीका उत्सव, डेक्कन महोत्सव, रायलसीमा खाद्य और नृत्य महोत्सव और लुंबिनी उत्सव।

आंध्र प्रदेश राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल – Religious Places in Andhra Pradesh

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टी से आंध्र प्रदेश राज्य को ऐतेहासिक विरासत मिली हुई है, जिसमे राज्य अंतर्गत लगभग सभी धर्मो के पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद है, इनमे से सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों का ब्यौरा हम यहाँ आपको संक्षेप में दे रहे है। निम्नलिखित तौर पर ऐसेही कुछ स्थल शामिल है, जैसे के;

Temple in Andhra Pradesh

Temple in Andhra Pradesh
Temple in Andhra Pradesh

  1. जगप्रसिध्द तिरुपति बालाजी वेंकटेश्वर मंदिर
  2. श्रीकालहस्तीवरा मंदिर
  3. वीरभद्र मंदिर
  4. श्री शैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर
  5. अनंतपुरम मंदिर
  6. पुट्टपर्थी सत्यसाईबाबा निवास संस्थान
  7. राघवेंद्र स्वामी मंदिर
  8. पंचमुखी अंजनेय मंदिर
  9. कनक दुर्गा मंदिर
  10. सुरेन्द्रपुरी
  11. बिर्ला मंदिर
  12. पीठापुरम
  13. अन्नावरम मंदिर
  14. अहोबीलाम
  15. देवी दुर्गा मंदिर विजयवाड़ा
  16. महानंदी मंदिर
  17. लेपाक्षी मंदिर
  18. कनिपाकम
  19. द्रक्षारामम
  20. श्री सोमेश्वर मंदिर – भीमावरम

आंध्र प्रदेश राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourism of Andhra Pradesh

आंध्र प्रदेश को भारत के कोह-नूर के नाम से जाना जाता है और इस खूबसूरत राज्य में आने के लिए कई जगह हैं। यह अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, नदियों, ऐतिहासिक स्मारकों आदि के लिए प्रसिद्ध है।

विशाखापत्तनम शहर में बहुत कुछ है, और यह केवल एक समुद्र तट का स्थान नहीं है, लेकिन इसमें सुंदर झीलें, गुफाएं, घाटियां और पहाड़ी पर्वतमाला भी हैं। इसमें कई समुद्र तट हैं जैसे कि आर।के। समुद्रतट, लॉसन्स बे बीच आदि। बोरा गुफाएं भी इस शहर के पास स्थित हैं और यह अपने मिलियन वर्षीय स्टैलाटाइट और स्टालागमीट गठन के लिए प्रसिद्ध है।

Tourist Places of Andhra Pradesh

Tourist Places of Andhra Pradesh
Tourist Places of Andhra Pradesh

अरकू घाटी एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है जो जैव विविधता में समृद्ध है और इसमें कॉफी बागान और झरने हैं। यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है जो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। होर्स्ली हिल्स एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन भी है।

यात्रा करने के लिए स्थल झील गंगोत्री, पर्यावरण पार्क, हॉर्सली संग्रहालय और गली बांदा शामिल हैं।आंध्र प्रदेश भारत में सबसे बड़ा मीठे पानी के झीलों में से एक है जो कोलेरू झील है और यह कृष्ण और गोदावरी डेल्टा के बीच स्थित है। यह एक वन्यजीव अभयारण्य है और अंतर्राष्ट्रीय महत्व का है। यहां कई धार्मिक और तीर्थस्थल स्थलों हैं, जैसे कि तिरुपति हर साल लाखों श्रद्धालुओं द्वारा इस मंदिर का दौरा किया जाता है।

आंध्र प्रदेश राज्य पर्यटन के दृष्टी से काफी समृध्द राज्य है, जहाँ पर आपको विभिन्न ऐतिहासिक स्थल मौजूद है। ऐसेही कुछ प्रसिध्द ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता से समृध्द पर्यटन स्थलों की जानकारी यहाँ आप जान पायेंगे, जिसे निचे वर्णित किया हुआ है, जैसे के;

  • तालकोना वॉटर फॉल्स
  • उंडावल्ली केव्ज
  • बेलम केव्ज
  • ऋषिकोंडा समुद्री तट
  • कोंडाविडू फॉल्स
  • कैलासगिरी विशाखापट्टनम
  • आर के समुद्री तट विशाखापट्टनम
  • इंदिरा गाँधी जूलॉजिकल पार्क
  • विक्टोरिया म्युजियम
  • कोंडपल्ली किला
  • पुलिकत लेक
  • नेल्लापट्टू अभयारण
  • मेपड़ समुद्री तट
  • उदयगिरी किला
  • कांचीपुरम
  • हॉर्सले हिल्स
  • गुर्रमकोंडा किला
  • नल्लामाला जंगल
  • कुर्नूल किला
  • भगवान महावीर म्युजियम
  • कोठापटनम समुद्री तट
  • गोपुरम
  • डौलेस्वरम बैरेज
  • गोदावरी बोट ट्रैवेल्स – राजामुंद्री
  • अडोनी किला

हमारा भारत देश बहुत सारे खजाने से भरा हैं उसमेंसे एक हैं प्राकृतिक और नैसर्गिक ख़जाना। उसी तरह आंध्रप्रदेश उसी खजाने से भरा हुआ हैं। आंध्रप्रदेश को कोहिनूर की उपमा मिली हैं। निसर्ग प्रेमियों के लिए यह बहुत ही खास जहग साबित होंगी।

आंध्र प्रदेश राज्य के शिक्षा संस्थान/ यूनिवर्सिटी – Educational Institutions / University in Andhra Pradesh

शिक्षा के दृष्टी से दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश जानामाना राज्य है, जहाँ पर विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थान मौजूद है। निम्नलिखित तौर यहाँ आंध्र प्रदेश के कुछ प्रमुख शिक्षा संस्थान दिए हुए है जैसे के;

  • जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, अनंतपुर
  • कृष्णा यूनिवर्सिटी, मछलीपट्टनम
  • जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, काकीनाडा
  • डॉ. एन.टी.आर यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस
  • डॉ. बी.आर आंबेडकर यूनिवर्सिटी श्रीकाकुलम
  • आचार्य नागार्जुन यूनिवर्सिटी, गुंटूर
  • श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरूपति
  • श्री कृष्णदेवराय यूनिवर्सिटी, अनंतपुर
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुपति (IIT Tirupati)
  • आदिकवि नन्नया यूनिवर्सिटी, राजमुंद्री
  • रायलसीमा यूनिवर्सिटी
  • नॅशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी
  • सातवाहन यूनिवर्सिटी
  • के आर ई ए यूनिवर्सिटी
  • ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (AIIMS)

आंध्र प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध व्यक्तित्व – Famous Personalities of Andhra Pradesh

Famous Personalities of Andhra Pradesh
Famous Personalities of Andhra Pradesh

यहाँ हम आपको परिचित कराएँगे आंध्र प्रदेश राज्य के देश विदेश में मशहूर व्यक्तियों से जीन का विवरण निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के;

  • प्रसिद्ध गायक एस.पी बालसुब्रमण्यम
  • प्रसिध्द टेनिस खिलाडी पुलेला गोपीचंद
  • पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू
  • अभिनेता अल्लू अर्जुन
  • स्वामी रामानंद तीर्थ
  • पूर्व भारतीय राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी
  • रामोजी राव
  • अभिनेता चिरंजीवी
  • पूर्व भारतीय राष्ट्रपति व्ही व्ही गिरी
  • भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी
  • बुद्धिबल खिलाडी कोनेरू हंपी
  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर वेंकटपति राजू
  • अभिनेता वेंकटेश
  • अभिनेता प्रभास
  • अभिनेत्री समीरा रेड्डी

आंध्र प्रदेश राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे गए सवाल – Quiz on Andhra Pradesh State

  • आंध्र प्रदेश राज्य के इतिहास से जुडी जानकारी हमें कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (best books for andhra pradesh history)
    जवाब: हिस्ट्री एंड कल्चर ऑफ़ आंध्र प्रदेश, हिस्ट्री ऑफ़ मॉडर्न आंध्रा, द रूल ऑफ़ चालुक्य चोल इन आंध्रदेसा, आंध्र प्रदेश हिस्ट्री कॉन्ग्रेस, गिल्ड्स इन मिडिवल आंध्रदेसा, सोर्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड कल्चर ऑफ़ तेलुगु स्पीकिंग पिपल्स, एडमिनिस्ट्रेशन इन आंध्रा – फ्रॉम द अर्लीएस्ट टाइम टू 13th सेंच्युरी, लेट मिडिवल आंध्रा प्रदेश, तेलुगु डिसपोरा थ्रू द एजेस इत्यादि।
  • भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (who is the first chief minister of andhra pradesh?)
    जवाब: नीलम संजीवा रेड्डी।
  • भारत में आंध्र प्रदेश राज्य कहाँ पर स्थित है? (where is andhra pradesh?)
    जवाब: आंध्र प्रदेश राज्य के सिमा से दक्षिण दिशा में भारतीय राज्य तमिलनाडु की सिमा जुडी है तो दक्षिण पश्चिम और पश्चिम दिशा से कर्नाटक राज्य की सिमा जुडी है। आंध्र प्रदेश के उत्तर पश्चिमी तथा उत्तर दिशा में तेलंगाना राज्य की सिमा जुडी हुई है तो वही उत्तर पूर्वी दिशा से ओडिशा राज्य की सिमा जुडी हुई है।
  •  आंध्र प्रदेश राज्य में पहुँचने के लिए लगभग कितना समय लगता है? (how many days required to visit andhra pradesh?)
    जवाब: ये अंतर आपके मौजूदा स्थान से आंध्र प्रदेश के बीच की दुरी पर निर्भर होता है, इसके साथ आपके मौजूदा सफर के साधन अनुसार समय में कम ज्यादा अंतर हो सकता है। भारत में से किसी भी स्थान से आंध्र प्रदेश में रेल मार्ग से पहुंचने हेतु अधिकतम चार दिनों तक का समय लग सकता है, वही हवाई मार्ग से ये समय काफी काम लगता है। वैसे यहाँ पहुँचने के बाद आपको राज्य अंतर्गत विभिन्न पर्यटन स्थल देखने हेतु कमसे कम बीस दिन लग सकते है।
  • आंध्र प्रदेश राज्य में ठहरने हेतू कौनसे उत्तम स्थान मौजूद है? (best place to stay in andhra pradesh?)
    जवाब: विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, तिरुपति, अनंतपुर, नेल्लोर, गुंटूर आदि शहर आंध्र प्रदेश में ठहरने हेतु उत्तम स्थान है।
  • भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में घूमने हेतु जाना हो तो सबसे उचित कौनसा समय होता है? (what is the best time to visit andhra pradesh?)
    जवाब: अक्टूबर माह से लेकर फरवरी माह तक, इसके अलावा अगर आप बरसात के शौक़ीन है तो जुलाई माह से लेकर सितंबर माह तक का समय उचित होता है।
  • आंध्र प्रदेश राज्य में कुल कितने नॅशनल पार्क मौजूद है? (how many national park in andhra pradesh?)
    जवाब: तीन (३)
  • भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश प्राचीन काल में किस नाम से जाना जाता था? (what is the old name of andhra pradesh)
    जवाब: अस्मक महाजनपद (Assaka Mahajanpad )।
  • आंध्र प्रदेश राज्य देश दुनिया में क्यों प्रसिध्द है?(what is andhra pradesh famous for?)
    जवाब: भारतीय इतिहास में आंध्र प्रदेश राज्य को ऐतिहासिक पृष्ठ्भूमि वाला राज्य माना जाता है जहाँ चोल, चालुक्य, सातवाहन, काकतीय, विजयनगर शासक इत्यादि तत्कालीन प्रबल शासकों का शासन था। इनके शासनकाल में राज्य में वास्तुकला, साहित्य कला, प्रशासन सुधार के लिए उल्लेखनीय कार्य हुए जिसमे द्रविड़ शैली के भव्य प्राचीन मंदिर और भवन आज भी आप राज्य अंतर्गत देख सकते है। इसके अलावा सुंदर गुफाएँ, स्मारक स्थल, नगर निर्मिति भी इन महान शासको द्वारा की गई जिसमे अमरावती स्थल देश दुनिया में प्रसिद्ध है। राज्य में श्री शैलम ज्योतिर्लिंग मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत के रूप में पर्यटकों और श्रध्दालुओ का ध्यान अपने ओर केंद्रित करते है। आंध्र प्रदेश राज्य से भारत की प्रमुख नदीया गोदावरी, तुंगभद्रा, प्राणहिता, चित्रावती इत्यादि बहती है जिसके वजह से जलस्त्रोत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है, तथा राज्य में कृषि में भी इसके कारण काफी विकास हुआ है। आंध्र प्रदेश राज्य पर्यटन, खेल, कला, संस्कृति, साहित्य, आर्थिक और सामाजिक विकास की दृष्टी से भारत का समृध्द राज्य है इसके अलावा देश के प्रभावशाली व्यक्तियों में से बहुत से व्यक्ति इस राज्य से आते है जिसमे भारत के कुछ पूर्व राष्ट्रपति भी मूलतः इसी राज्य से थे। प्राचीन काल में अस्मक महाजनपद के नामसे जाना वाला यह राज्य तत्कालीन प्रबल जनपदों में एक हुआ करता था, इत्यादि कारणों की वजह से आंध्र प्रदेश राज्य देश दुनिया में काफी प्रसिध्द है।
  • आंध्र प्रदेश राज्य में कौनसे वन्यजीव अभयारण मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Andhra Pradesh)
    जवाब :- कृष्णा अभयारण, गुंडला ब्रम्हेश्वरम अभयारण, कोरिंगा अभयारण, श्री वेंकटेश्वरा अभयारण, रोल्लापाडु अभयारण, कौण्डिल्य अभयारण और रयाला हाथी संरक्षण विभाग, कम्बालकोंडा अभयारण, नागार्जुन सागर, श्री लंकामल्लेश्वरा अभयारण इत्यादि।

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी

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Madhya Pradesh History in Hindi

भारत देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य Madhya Pradesh – मध्यप्रदेश जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है। इस राज्य का इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और यहाँ के लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाल है, जो झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है।

यह भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जो चारो तरफ से दुसरे राज्यों से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश है। इसके पश्चिम में राजस्थान और गुजरात, दक्षिण में महाराष्ट्र और पूर्व में छत्तीसगढ़ है।

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी – Madhya Pradesh History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
मध्यप्रदेश की राजधानी (Capital of Madhya Pradesh) भोपाल (Bhopal)
राज्य की प्रमुख भाषाएँ (Languages of Madhya Pradesh) हिंदी, अँग्रेजी, उर्दू।
राज्य निर्मिति का साल (State Formation Year) १ नवंबर १९५६
राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Madhya Pradesh) ७,२६,२६,८०९
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान दूसरा (Second)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान पाँचवा (Fifth)
राज्य का साक्षरता दर ८० प्रतिशत (%)
मध्यप्रदेश के ज़िले (District in Madhya Pradesh) ५२ (Fifty Two)
कुल तालुका (तहसील) की सँख्या ४१२
कुल ग्रामीण विभागों की सँख्या ५४, ९०३।
राज्य का साक्षरता दर ७०. ६८ प्रतिशत (%)
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Madhya Pradesh) बारसिंघा
प्रमुख पक्षी (State Bird of Madhya Pradesh) भारतीय पैराडाइज फ्लायकैचर
प्रमुख पेड़ (वृक्ष)(State Tree of Madhya Pradesh) वटवृक्ष
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Madhya Pradesh) सफ़ेद लिली का पुष्प
प्रमुख फल(State Fruit of Madhya Pradesh) आम का फल
प्रमुख खेल(State Game of Madhya Pradesh) मल्लखंब
वित्तीय और राज्यनिहाय मध्यप्रदेश की कोड सँख्या (State Code of Madhya Pradesh) २३ (Twenty Three)

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी – Madhya Pradesh History Information

तक़रीबन 320 BCE में चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी भारत को एकत्रित किया, जिसमे वर्तमान मध्यप्रदेश भी शामिल था। मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने क्षेत्र पर दृढ़ नियंत्रण रखा।

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए साका, कुषाण, सातवाहन और बहुत से स्थानिक साम्राज्यों के बीच पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच लड़ाईयां हुई। शुंगा राजा भागभद्र के दरबार के ग्रीक एम्बेसडर हेलिदोरुस ने विदिशा के पास हेलिदोरुस पिल्लर का भी निर्माण कर रखा है।

Madhya Pradesh ka Itihaas

Madhya Pradesh History in Hindi
Madhya Pradesh History in Hindi

पहली शताब्दी BCE से ही उज्जैन पश्चिमी भारत के मुख्य व्यापारी केंद्र रहा है, यह शहर गंगा के मैदान और भारतीय अरेबियन सागर बंदरगाह के रास्ते में बसा हुआ है। पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच उत्तरी डेक्कन के सातवाहन साम्राज्य और पश्चिमी क्षेत्र के साका साम्राज्य के बीच मध्यप्रदेश पर नियंत्रण पाने के लिए घमासान युद्ध हुआ।

सातवाहन के राजा गौतमीपुत्र सताकरनी ने साका साम्राज्य पर जीत प्राप्त की और दूसरी शताब्दी में मालवा और गुजरात पर भी विजय प्राप्त की।

बाद में चौथी और पांचवी शताब्दी में क्षेत्र गुप्त साम्राज्य और दक्षिणी पडोसी वेकतका के नियंत्रण में चला गया। धार जिले की कुक्षी तहसील के बाघ गुफा में पत्थर से बने हुए मंदिर में गुप्त साम्राज्य के अस्तित्व के सबूत दिखाई देते है, साथ ही वहा बने बडवानी शिलालेख तक़रीबन 487 CE के है।

सफ़ेद हंस के आक्रमण से ही गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ और इससे राज्य छोटे-छोटे भागो में विभाजित हो गया। 528 में मालवा के राजा यशोधर्मन ने हंस को पराजित किया और उनकी विकासधारा को रोका। बाद में हर्षा (C. 590-647) ने राज्य के उत्तरी भाग पर शासन किया।

आठवी शताब्दी से दसवी शताब्दी तक मालवा पर दक्षिण भारतीय राष्ट्रकूट साम्राज्य ने शासन किया। जब राष्ट्रकूट साम्राज्य के दक्षिण भारतीय सम्राट गोविन्द द्वितीय ने मालवा पर कब्ज़ा कर लिया, तो वहाँ उन्होंने अपने किसी सहयोगी के परिवार को स्थापित किया, जिसे परमार का नाम दिया गया।

मध्यकालीन समय में राजपूत वंश का विकास हुआ, जिसमे मालवा के परमार और बुंदेलखंड के चंदेला भी शामिल थे। चंदेला ने खजुराहो में मंदिरों का निर्माण किया, जो मध्य भारत में हिन्दू मंदिर के वास्तुकला की परिणिति का प्रतिनिधित्व करते है। उत्तरी और पश्चिम मध्य प्रदेश में आज भी गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्यों का बोलबाला है। ग्वालियर में भी कुछ एतिहासिक स्मारक बने हुए है।

मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग जैसे मालवा पर दक्षिण भारतीय पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य ने कई बार आक्रमण किया, जिससे मालवा के परमार साम्राज्य पर काफी नियम लगाये गये।

13 वी शताब्दी में उत्तरी मध्यप्रदेश पर तुर्की दिल्ली सल्तनत ने कब्ज़ा कर लिया था। 14 वी शताब्दी के अंत में दिल्ली सल्तनत के ख़त्म होते हुए, स्वतंत्र धार्मिक साम्राज्य की खोज की गयी, जिसमे ग्वालियर का तोमार साम्राज्य और मालवा के मुस्लिक सल्तनत भी शामिल थी।

1531 में गुजरात सल्तनत ने मालवा सल्तनत पर कब्ज़ा का लिया। 1540 में राज्य का ज्यादातर भाग शेर शाह सूरी के नियंत्रण में आ गया और बाद मे हिन्दू राज हेमू ने इसपर कब्ज़ा कर लिया।

1556 में पानीपत के दुसरे युद्ध में अकबर द्वारा हेमू को पराजित किये जाने के बाद, मध्य प्रदेश का ज्यादातर भाग मुघलो के नियंत्रण में आ गया। गोंडवाना और महाकोशल गोंड राजाओ के ही नियंत्रण में रहा, जिन्हें मुग़ल वर्चस्व स्वीकार था लेकिन वे आभासी स्वायत्तता का आनंद ले रहे थे।

1707 में सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद राज्य का मुघलो का नियंत्रण कमजोर हो गया। 1720 और 1760 के बीच मराठाओ ने मध्य प्रदेश के बहुत से भागो पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया।

क्षेत्र के प्रसिद्ध मराठा शासको में महादजी शिंदे, अहिल्याबाई होलकर और यशवंतराव होलकर शामिल थे। तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के बाद, ब्रिटिशो ने पुरे क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। क्षेत्र के सभी प्रभुत्व राज्य ब्रिटिश भारत के प्रांतीय राज्य बन चुके थे, जिसपर केंद्रीय भारत एजेंसी का नियंत्रण था।

1857 में राज्य के उत्तरी भाग में तात्या टोपे के नेतृत्व में स्वतंत्रता क्रांति ने जन्म लिया। जबकि ब्रिटिश और प्रिंस रॉयल ने इसे कुचल दिया। राज्य में बहुत सी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियाँ हो चुकी है और भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय काफी लोगो ने मिलकर ब्रिटिशो का विरोध किया।

बहुत से प्रसिद्ध नेता जैसे चन्द्रशेखर आजाद, बी.आर.आंबेडकर, शंकर दयाल शर्मा और अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ। साथ ही दो प्रसिद्ध गायक, तानसेन और बैजू बावरा का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था। प्रसिद्ध पार्श्व गायक किशोर कुमार (खण्डवा) और लता मंगेशकर (इंदौर) भी मध्यप्रदेश के ही रहने वाले है।

भारत की आज़ादी के बाद, भूतपूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और बरार और मकरी के प्रांतीय राज्य और छत्तीसगढ़ को मिलाकर ‎1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना की गयी, उस समय इसकी राजधानी नागपुर थी।

केंद्रीय भारतीय एजेंसी से ही मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य की स्थापना की गयी। 1956 में मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया और मराठी बोलने वाले दक्षिण क्षेत्र विदर्भ में नागपुर जोड़कर इसे बॉम्बे राज्य में शामिल कर लिया गया। सबसे पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी बनाया गया लेकिन अंतिम क्षण में राजनितिक दबाव के चलते भोपाल को राज्य की राजधानी बनाया गया। नवम्बर 2000 में मध्य प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग को विभाजित कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गयी।

मध्य प्रदेश के जिले – Districts of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में कुल 49 जिले हैं वो इस प्रकार – Madhya Pradesh ke Jile

  1. रायसेन,
  2. अगरमालवा,
  3. छिंदवाडा,
  4. शेओपुर,
  5. अनुपूर,
  6. रतलाम,
  7. खरगोन,
  8. जबलपुर,
  9. झाबुआ,
  10. देवास,
  11. उज्जैन,
  12. अलीराजपुर,
  13. दमोह,
  14. दतिया,
  15. बेतुल,
  16. नरसिंहपुर,
  17. मंदसौर,
  18. शिवपुरी,
  19. कटनी,
  20. सीधी,
  21. बालाघाट,
  22. अशोकनगर,
  23. खण्डवा,
  24. रेवा,
  25. टीकमगढ़,
  26. धार,
  27. सागर,
  28. बरवानी,
  29. डिंडोरी,
  30. मंडला,
  31. सतना,
  32. उमरिया,
  33. गुना,
  34. सीहोर,
  35. विदिशा,
  36. भिंड,
  37. मोरेनाम,
  38. सिवनी,
  39. भोपाल,
  40. हरदा,
  41. सिंगरौली,
  42. बुरहानपुर,
  43. होशंगाबाद,
  44. नीमुच,
  45. शहडोल,
  46. छतरपुर,
  47. इंदौर,
  48. पन्ना,
  49. शाजापुर।

मध्य प्रदेश की नदियाँ – Rivers of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश से कुल 20 नदियाँ बहती हैं वो इस प्रकार – Madhya Pradesh ki Nadiya

  1. नर्मदा
  2. चंबल
  3. बेटवा
  4. केन
  5. सोन
  6. शिप्रा
  7. सिंध
  8. धसन
  9. माही
  10. काली
  11. पारबती
  12. वैनगंगा
  13. जामनी
  14. जोहिला
  15. पेंच
  16. कुँवारी
  17. सुनार
  18. तमसा
  19. कन्हान
  20. सरस्वती

नर्मदा मध्यप्रदेश की सबसे लम्बी नदी इसकी सहायक नदियों में बंजार, तवा, दी मचना, शक्कर, देंवा और सोनभद्रा नदी शामिल है। ताप्ती नदी नर्मदा के ही सामानांतर बहती है और साथ ही यह दरार घाटी से भी होकर बहती है।

नर्मदा और ताप्ती नदी में भरपूर मात्रा में पानी भरा हुआ है और मध्य प्रदेश की लगभग सभी जगहों पर यही पानी जाता है। नर्मदा नदी को भारत में काफी पवित्र माना जाता है और क्षेत्र में इसे पूजा भी जाता है। राज्य में यही पानी का मुख्य स्त्रोत भी है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – Universities in Madhya Pradesh

  1. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
  2. मध्य प्रदेश भोज यूनिवर्सिटी, भोपाल
  3. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
  4. महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी
  5. जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
  6. विक्रम यूनिवर्सिटी, उज्जैन
  7. ए.पी.एस यूनिवर्सिटी रेवा
  8. राजीव गाँधी विश्वविद्यालय, भोपाल
  9. बरकत उल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल
  10. डॉ. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी
  11. आर.के.डी.एफ यूनिवर्सिटी
  12. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय

मध्य प्रदेश राज्य की संगीत और नृत्यकला – Music and Folk Dance of Madhya Pradesh State

मध्य प्रदेश राज्य में कला संस्कृति का अच्छा विकास और विस्तार देखने को मिलता है, जहाँ सदियों से प्राचीन भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखे होने की झलक देखने को मिलती है। राज्य में प्रमुखता से शास्त्रीय संगीत का पूर्व काल से विकास हुआ तथा यहाँ के समाज में इसका खासा प्रचलन भी हुआ, इसके साथ राज्य के विभिन्न प्रदेशो में लोकगीत भी पसंदीदा तौर पर गाया और सुना जाता हैजिसमे यहाँ की जनजातियों का यह मनपसंदीदा संगीत होता है।

यहाँ पर ढंकुल गीत, चैतपारा के उध्दव गीत, एक देवी, धनकेश्वरी आदि गीत प्रकार भी प्रमुखता से पाए जाते है, इसके अलावा लेहा गाने भी राज्य का खास आकर्षण है। संगीत के वाद्यों में बांसुरी, हारमोनियम, तबला, ढोल,ताश आदि पर इन गीतों को गाया जाता है जिसे सभी आयुवर्ग के लोग बढे चाव से सुनते है।

मध्य प्रदेश के नृत्य प्रकारों में मुख्यतः मटकी नृत्य, कर्म नृत्य, मुरिया, बारूदी, त्रुतिली नृत्य, जवारा,लेहंगी, अहिरी, सैला, फूल पाटी, ग्रिडा आदि प्रमुख नृत्य प्रकार शामिल है जिसमे के अधिकतर नृत्य प्रकार राज्य अंतर्गत जनजातियों के प्रमुख नृत्य होते है। गौर नृत्य यहाँ का सबसे प्रसिध्द नृत्य प्रकार होता है जिसे शादी या अन्य खुशियों के मौको पर प्रस्तुत किया जाता है।

मध्य प्रदेश राजा के प्रमुख धर्म और भाषाएँ – Religion and Languages in Madhya Pradesh

राज्य अंतर्गत हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौध्द तथा जैन धर्मीय लोगो की संख्या प्रमुखता से देखने को मिलती है, जिसमे सबसे आबादी वाला धर्म हिन्दू धर्म है। इसके अलावा राज्य के लगभग सभी इलाको में विभिन्न जनजातियों के लोग भी पाए जाते है जिसमे आदिवासी जनजाति के कोल, भिल्ल, गोंड, ओराओन, भिला, मुरिया, कोरकेन्स आदि समुदाय मौजूद है।

हिंदी भाषा को राज्य में आधिकारिक भाषा के तौर पर दर्जा प्राप्त है, इसके अलावा अंग्रेजी, उर्दू, बुंदेलखंडी, मालवी, मराठी, छत्तीसगढ़ी इत्यादि भाषाओ का भी उपयोग आम तौर पर किया जाता है।

मध्य प्रदेश के लोगो का प्रमुख भोजन – Staple food of Madhya Pradesh

राज्य में गेहूँ, जवार, चावल आदि से बने व्यंजन प्रमुखता से खाये जाते है जिसमे रोटी, नान, भाकरी,भात आदि शामिल है, इसके साथ यहाँ पर मसालेदार और तली हुई चीजों के शौक़ीन भी बड़ी मात्रा में पाए जाते है।मटन करी, चिकन करी, बिरयानी, मछली आदि सब्जी व्यंजनों को भी बड़े चाव के साथ खाना यहाँ के लोग पसंद करते है।

बाफला व्यंजन यहाँ का सबसे पसन्दीदा व्यंजन होता है, मीठे में यहाँ श्रीखंड, मावाबाटी, खोपरपाक इत्यादि व्यंजनों को भी खाया जाता है। मालपुआ के साथ विभिन्न फलो का सेवन भी राज्य अंतर्गत किया जाता है, कुल मिलाके भारत के राज्य गुजरात और राजस्थान जैसा मध्य प्रदेश का भोजन प्रकार भी विभिन्न तरह के पकवानो से समृद्ध दिखाई पड़ता है।

मध्य प्रदेश के लोगो की वेशभूषा – Dress/Costumes of Madhya Pradesh Peoples

राज्य के महिलाओ का प्रमुख पेहराव साड़ी होता है इसके अलावा लेहंगा और चोली भी बड़े तौर पर पसंद किया जाता है, साड़ियों के प्रकारो में बंधनी साड़ी, माहेश्वरी और चंदेरी साड़ी का खासा चलन दिखाई पड़ता है। पुरुषो के प्रमुख पहनावे में यहाँ मिरज़ाई और बंडी शामिल होती है, इसके साथ साफा जो के पगड़ी का प्रकार होता है जिसे यहाँ के लोग आम तौर पर पहनते हुए दिखाई पड़ते है। धोती और कुर्ती भी सामान्य तौर पर यहाँ के पुरुषो का पेहराव होता है, आधुनिकता के इस युग में साधा और जींस पैंट के साथ शर्ट और टी शर्ट भी यहाँ के पुरुषो के पहनावे में देखने को मिल जाता है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख त्यौहार – Festivals of Madhya Pradesh

राज्य अंतर्गत सालभर में आनेवाले सभी प्रमुख त्यौहार जैसे दीपावली, होली, ईद, बुध्द पौर्णिमा, क्रिसमस, दशहरा, कृष्ण जन्माष्टमी, राम नवमी, महावीर जयंती, नवरात्री इत्यादि हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाते है।

सभी प्रमुख त्यौहारों के अलावा उज्जैन कुंभ मेला, लोकरंग समारोह, खजुराहो महोत्सव, मालवा उत्सव, भगोरिया हाट फेस्टिवल, तानसेन समारोह, पचमढ़ी उत्सव, निमाड़ उत्सव, मड़ई उत्सव इत्यादि भी मनाये जाते है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourist Places in Madhya Pradesh

  1. भीमबेटका केव्ज
  2. पांडव केव्ज
  3. साँची स्तूप
  4. रजवाड़ा पैलेस
  5. जटाशंकर केव्ज
  6. पचमढ़ी हिल स्टेशन
  7. खजुराहो मंदिर
  8. सराफा बाजार
  9. पातालपानी फॉल्स
  10. लोटस लेक
  11. रालामंडल
  12. स्टेट ट्राइबल मुजियम
  13. रायसेन फोर्ट
  14. बी फॉल्स
  15. हंडी खोह
  16. रजत प्रताप फॉल्स
  17. धूपगढ़
  18. कंचना घाट
  19. बेनी सागर डैम
  20. रेनेह फॉल्स

मध्य प्रदेश के प्रमुख पवित्र धार्मिक स्थल – Holy Religious Places in Madhya Pradesh

यहाँ आप मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत आनेवाले प्रमुख धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी हासिल कर पायेंगे, जिनका विवरण निम्नलिखित तौर पर दिया हुआ है, जैसे के;

Temple in Madhya Pradesh
Temple in Madhya Pradesh

  1. श्री ओंकारेश्वर मंदिर
  2. श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
  3. तीर्थराज अमरकंटक
  4. भोजपुर शिव मंदिर
  5. चतुर्भुज मंदिर
  6. लक्ष्मना मंदिर
  7. ताजुद्दीन मस्जिद
  8. पार्श्वनाथ मंदिर
  9. आदिनाथ मंदिर
  10. चित्रगुप्त मंदिर
  11. वामन मंदिर
  12. कंदारिया महादेव मंदिर
  13. पडवली एंड बटेश्वर मंदिर
  14. गोमटगिरी
  15. दक्षिणी मंदिर समूह
  16. इस्कॉन चंद्रोदय मंदिर
  17. नर्मदा कुंड शिव मंदिर
  18. सिध्दनाथ मंदिर
  19. मंगलनाथ मंदिर
  20. राम राजा मंदिर

मध्य प्रदेश की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Madhya Pradesh

Famous Personalities of Madhya Pradesh
Famous Personalities of Madhya Pradesh

  1. अटल बिहारी वाजपेयी
  2. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
  3. चंद्र शेखर आजाद
  4. सलमान खान
  5. कैलास सत्यार्थी
  6. राजा भोज
  7. झलकारी बाई
  8. वैज्ञानिक अनिल काकोडकर
  9. राहत इंदौरी
  10. ओशो रजनीश
  11. अभिनेता अशोक कुमार
  12. उमा भारती
  13. ज्योतिरादित्य सिंधिया
  14. शिवराज सिंह चौहान
  15. मंसूर अली खान पतौडी
  16. अर्जुन रामपाल
  17. अन्नू कपूर
  18. अभिनेता आशुतोष राणा
  19. गायिका पलक मूच्छल
  20. निदा फ़ाज़ली

मध्य प्रदेश राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Madhya Pradesh GK Quiz

१. मध्य प्रदेश राज्य का कौनसा शहर लेक सिटी/तालाबों का शहर के नामसे प्रसिध्द है? (Lake city of Madhya Pradesh)
जवाब: भोपाल।

२. भारत के राज्य मध्य प्रदेश के अंतर्गत कुल कितने शहर है? (Total number of city in Madhya Pradesh State)
जवाब: ३१२८।

३. मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? (Total Number of Airports in Madhya Pradesh)
जवाब: आठ।

४. भारत के राज्य मध्य प्रदेश के पहिले मुख्यमंत्री कौन थे? (First chief minister of Madhya Pradesh State)
जवाब: रविशंकर शुक्ला।

५. मध्य प्रदेश में सफ़ेद बाघ के लिए कौनसा विभाग प्रसिध्द है ?(White tiger area in Madhya Pradesh)
जवाब: बांधवगढ़ नेशनल पार्क, मुकुंदपुर का जंगल।

६. मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत राम घाट कौनसे नदी पे स्थित है? (Ram ghat is situated on which river in Madhya Pradesh)
जवाब: शिप्रा नदी।

७. भारत में मध्य प्रदेश राज्य में कौनसा हवाई अड्डा आंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया गया है? (Which airport has declared International Airport in Madhya Pradesh)
जवाब: इंदौर एअरपोर्ट।

८. मध्य प्रदेश में पर्यटन हेतु घूमने के लिए कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best time to visit Madhya Pradesh)
जवाब: जुलाई माह से लेकर अप्रैल के माह तक।

९. मध्य प्रदेश राज्य कहाँ पर स्थित है? (Best time to visit madhya pradesh?)
जवाब: मध्य प्रदेश राज्य को उत्तर की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य की सिमा वही दक्षिण की ओर से महाराष्ट्र राज्य की सिमा जुडी है, इसी तरह पूर्व की तरफ से छत्तीसगढ़ राज्य की सिमा तो पश्चिम दिशा की ओर से गुजरात और राजस्थान राज्य की सीमाएँ जुडी है।

१०. मध्य प्रदेश राज्य की जानकारी हमें कौनसे किताबों से उपलब्ध होती है?(History books For Madhya Pradesh State Information)
जवाब: टाइमलेस ट्रेडिशन कंटेम्पररी फॉर्म्स – आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स ऑफ़ मध्य प्रदेश, हिस्टोरिकल जिओग्राफी ऑफ़ मध्य प्रदेश फ्रॉम अर्ली रेकॉर्ड्स, ट्राइबल हेरिटेज ऑफ़ मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश एक समग्र अध्ययन, मध्य प्रदेश एक परिचय,मध्य प्रदेश स्टेट स्टडी गाइड, मध्य प्रदेश जनरल नॉलेज, मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान।


छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास और जानकारी

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Chhattisgarh History in Hindi

छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ। यह राज्य देश का 10 वा विशालतम राज्य है। जनसँख्या के साथ यह भारत का 17 वा सर्वाधिक जनसँख्या वाला राज्य है।

छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास और जानकारी – Chhattisgarh History in Hindi

राज्य का नाम (Name of State) छत्तीसगढ़ (Chattisgarh)
छत्तीसगढ़ की राजधानी (Capital of Chhattisgarh) रायपुर (Raipur)
राज्य निर्मिती का साल (State Formation Year) १ नवंबर २०००।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान नववा (9th)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान सतरवा (17th)
राज्य का कुल साक्षरता दर ७०.२८ प्रतिशत (%)
छत्तीसगढ़ के ज़िले (District in Chhattisgarh) २७(Twenty Seven)।
कुल तालुका (तहसील) की संख्या ११७ (0ne Hundred and Seventeen)
कुल ग्रामीण विभागों की संख्या २०,६१९।
प्रमुख भाषाए (Languages of Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ी और हिंदी।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Chhattisgarh) जंगली भैस।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Chhattisgarh) पहाड़ी मैना।
प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Chhattisgarh) साल वृक्ष।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Chhattisgarh) ऑर्चिड पुष्प।
प्रमुख फल (State Fruit of Chhattisgarh) अमरुद।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय छत्तीसगढ़ की कोड संख्या (State Code of Chhattisgarh) बाईस (22th)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Chhattisgarh) तीरंदाजी।
छत्तीसगढ़ की कुल जनसँख्या (Population of Chhattisgarh) २,९४,३६,२३१। (साल २०११ के जनगणना अनुसार)

 

छत्तीसगढ़ राज्य की जानकारी – Chhattisgarh Information in Hindi

प्राचीन समय में यह क्षेत्र दक्षिण कोसला के नाम से जाना जाता था। छठी और 12 वी शताब्दी के बीच शरभपुरी, पांडूवंशी, सोमवंशी, कालाचुरी और नागवंशी शासको ने क्षेत्र पर राज किया। 11 वी शताब्दी में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र पर चोल साम्राज्य के राजेन्द्र चोल प्रथम और कुलोथुंगा चोल प्रथम ने आक्रमण किया था। 1741 से 1845 तक छत्तीसगढ़ मराठा साम्राज्य के नियंत्रण में था।

1845 से 1947 तक छत्तीसगढ़ पर ब्रिटिशो का नियंत्रण था। 1845 में ब्रिटिश के आगमन के साथ ही रतनपुर की जगह पर रायपुर ने शोहरत हासिल कर ली। 1905 में संबलपुर जिले को ओडिशा में स्थानांतरित किया गया और सुरगुजा राज्य को बंगाल से छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया गया।

Chhattisgarh History in Hindi
Chhattisgarh History in Hindi

क्षेत्र में नए क्षेत्र को मिलाकर 1 नवम्बर 1956 को नये राज्य की स्थापना की गयी और बाद में यह आज़ादी के 44 वर्षो तक राज्य का ही भाग रहा। नव राज्य मध्यप्रदेश का हिसा बनने से पहले यह क्षेत्र प्राचीन मध्यप्रदेश राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी भी भोपाल ही थी।

इससे पहले ब्रिटिश राज में यह क्षेत्र केंद्रीय प्रांत और बरार का हिस्सा था। छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ क्षेत्र ब्रिटिश शासन के समय केंद्रित प्रान्त हुआ करते थे, लेकिन बाद इन्हें मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया। सबसे पहले 1920 में स्वतंत्र राज्य की मांग की गयी थी। इसके बाद थोड़े समय के अंतराल में बार-बार यह मांग होती रही, लेकिन कभी भी इसके लिए किसी अभियान की स्थापना नही की गयी।

1954 में जब राज्य पुनर्गठन कमीशन की स्थापना की गयी तो स्वतंत्र छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को सामने लाया गया, लेकिन इस बात की तब भी मंजूरी नही मिली। 1955 में नागपुर असेंबली में स्वतंत्र राज्य की मांग की गयी, जो उस समय मध्य भारत में आता था।

1990 में विरोध की और भी गतिविधियाँ देखने मिली। जिसमे राज्य में राजनितिक फोरम की स्थापना करना और विशेषतः राज्य निर्माण मंच की स्थापना करना भी शामिल था। चंदुलाल चद्रकर ने फोरम का नेतृत्व किया और फोरम में बहुत से सफल क्षेत्रीय आंदोलनों का आयोजन किया गया। फोरम के इन आंदोलनों को सभी संस्थाओ से सहायता मिल रही थी, जिसमे भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस भी शामिल थी।

नये राष्ट्रिय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने पुनः तैयार किये हुए छत्तीसगढ़ बील को अनुमोदन के लिए मध्यप्रदेश असेंबली भेजा, जहाँ एक बार फिर इसे सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया और लोक सभा में पेश किया गया। स्वतंत्र छत्तीसगढ़ का बील लोकसभा और राज्यसभा में पारित किया गया और स्वतंत्र छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का रास्ता भी साफ़ हो गया।

25 अगस्त 2000 को भारत के राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश पुनर्गठन एक्ट 2000 के तहत अपनी सहमति भी दे दी। भारत सरकार ने 1 नवम्बर 2000 को ही मध्य प्रदेश राज्य को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश नामक दो राज्यों में विभाजित किया।

छत्तीसगढ़ राज्य के जिले – Districts List of Chhattisgarh

विस्तार के दृष्टी से भारत के प्रमुख दस जिलों में छत्तीसगढ़ राज्य शामिल है, जिसके अंतर्गत कुल २७ राज्य, मौजूद है। संक्षिप्त में हम छत्तीसगढ़ के सभी राज्यों पर दृष्टी डालने वाले है, जैसा के;

  1. बालोद
  2. बिलासपुर
  3. बलौदाबाजार – भाटापारा
  4. बलरामपुर
  5. कोरबा
  6. बस्तर
  7. गरियाबंद
  8. बेमेतरा
  9. बीजापुर
  10. जशपुर
  11. दंतेवाड़ा
  12. धमतरी
  13. दुर्ग
  14. जांजगीर चांपा
  15. कांकेर
  16. कबीरधाम
  17. कोंडागांव
  18. कोरिया
  19. महासमुंद
  20. मुंगेली
  21. नारायणपुर
  22. रायगढ़
  23. रायपुर
  24. राजनांदगाव
  25. सुकमा
  26. सूरजपुर
  27. सरगुजा

छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख नदियाँ – Rivers of Chhattisgarh

यहाँ हम एक नजर डालते है राज्य अंतर्गत बहनेवाली प्रमुख नदियों पर जो के निचे दी हुयी है, जैसे के;

  • शिवनाथ
  • सोंढुर
  • महानदी
  • हसदेव
  • अरपा
  • झोंक
  • गोदावरी
  • पैरे
  • इंद्रावती
  • सोन
  • रिहांद
  • तांदुला
  • कन्हार
  • सबरी

छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृती और परंपरा – Culture and Tradition of Chhattisgarh

पूर्व काल से ही छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी लोगो का स्थान माना जाता है, जिसमे राज्य के अधिकतर विभागों में आदिवासी बहुल इलाके मौजूद है। जाहिर सी बात है इसी कारण यहाँ के जीवनशैली और संस्कृती में प्राचीन मान्यताये और रीतिरिवाजो का अधिक प्रभाव देखा जाता है, इसी के अनुसार राज्य में पर्व त्यौहार आदि को मनाया जाता है।

आज के आधुनिकता के युग में भी यहाँ की सामाजिक जीवनशैली और समाज व्यवस्था में आधुनिकता और आदिवासी जनजीवन की सभ्यता का मिश्रण देखने को मिलता है। राज्य में मौजूद आदिवासी समुदाय में प्रमुखता से गोंड, डोरला, हलबा, सावरा, भयाना गरिबंध, मांजी, कवर, राजगोंड, कामर सुरगुजा, मुंडा इत्यादि मौजूद है।

छत्तीसगढ़ में प्रमुख तौर पर हिंदू धर्म के लोग अधिकता से पाए जाते है इसके अलावा मुस्लिम और बौध्द धर्म के लोग भी पाए जाते है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम और माता सीता का भी कुछ साल तक इस राज्य में निवास था जिसके कुछ ऐतिहासिक सबुत भी यहाँ पाए गए है, इसी कारण राज्य में हिंदू त्यौहारों में भगवान श्रीराम से जुड़े त्यौहार भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाते है।

आदिवासी परंपराओं और रीतिरिवाजों के साथ साथ राज्य में सतनामी, कबीरपंथी, रामनामी पंथ की मान्यता को माननेवाला जनसमुदाय मौजूद है, जो उनके पंथ अनुसार जीवन व्यापन करते है। माना जाता है की प्राचीन आदिवासी 10000 वर्षो से भी ज्यादा समय के लिए बस्तर में रह रहे थे।

बाद में कुछ समय बाद आर्यों ने भारतीय मुख्य भूमि पर कब्ज़ा कर लिया।

एक नजर डालेंगे यहाँ पर रह रहे आदिवासी समुदाय के प्रमुख प्रकारो पर, जिनकी सूचि निम्नलिखित तौर पर है;

  • भुंजिया कोरबा –कोरबा
  • बस्तर – गोंड
  • हल्बा
  • अबिजमारिया
  • बिसोन्होर्ण मारिया
  • गोंड
  • मुरिया
  • भत्रा
  • परजा
  • धुर्वा दंतेवारा – मुरिया
  • दंदामी मरिया उर्फ़ गोंड,
  • दोरला
  • हल्बा कोरिया – कोल
  • सावरा गोंड
  • राजगोंड
  • कावर
  • भैयाना
  • बिंज्वर
  • सावरा
  • मंजी
  • भयना गरियाबंध
  • मैनपुर
  • धुरा
  • धमतरी – कमर सुरगुजा
  • जशपुर – मुंडा।

छत्तीसगढ़ का संगीत और नृत्यकला – Folk Dance and Music of Chhattisgarh.

राज्य अंतर्गत प्रमुख नृत्य प्रकारो में पंथी, पंडवानी, रौत नाच, सुवा, करमा, भगोरिया, फग, लोटा इत्यादि शामिल होते है, जिसमे अधिकतर आदिवासी समुदाय के नृत्यप्रकार होते है जिन्हे सालभर आनेवाले त्यौहार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक पर्व तथा ख़ुशी के मौकों पर किया जाता है।

बात करे संगीत की तो आदिवासी समुदाय द्वारा गाया जानेवाला सोहार गीत राज्य की खास विशेषता है, जिसमे गीत द्वारा ख़ुशी और उल्लास के भावो को व्यक्त किया जाता है। इसके अलावा बिहाव और पाथोगनी गीत भी खासे प्रचलित है जो के त्यौहार आदि के समय गाये जाते है जिनपर नृत्य भी किया जाता है, नई फसल के काटने के समय चेर चेरा गीत गाया जाता है।

धार्मिक पर्व पर गौरा गीत माता पार्वती के पूजन समय गाया जाता है, तो वही चाउ मउ, फुगड़ी, काउ माउ, कुड़वा, लोरिया आदि प्रकार के बालगीत भी राज्य के विभिन्न इलाको में गाये जाते है। बसंत के मौसम में फ़ाग बसंत गीत और बरसात में सवनाही आदि प्रकार के गीत भी राज्य का प्रमुख आकर्षण होते है, सभी गीत प्रकारो में ढोल, बांसुरी, शहनाई, मंजीरा, ताशा इत्यादि संगीत वाद्य प्रकारो का इस्तेमाल किया जाता है।

छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों का प्रमुख भोजन – Staple Food of Chhattisgarh

यहाँ आप छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के खानपान में प्रमुखता से शामिल विभिन्न व्यंजनों के बारे में जानकारी हासिल करनेवाले है, जिसमे सब्जी और रोटी के अलावा निम्नलिखित तौर पर व्यंजन शामिल है जैसे के;

  1. आमात (सांभर का एक प्रकार)
  2. चिला (पराठे का एक प्रकार)
  3. मुथीआ (चावल से बननेवाला व्यंजन)
  4. साबूदाना खिचड़ी
  5. भजिया
  6. फारा (देसी पध्दति के मोमोज)
  7. बडा (दक्षिण भारतीय पद्धति का वडा)
  8. खुरमा (सेवैय्या का एक प्रकार)
  9. तिलगुड़
  10. डुबकी कढ़ी
  11. बफौरी (पकौड़े का एक प्रकार)

छत्तीसगढ़ के लोगो की वेशभूषा – Costume/Dress of Chhattisgarh Peoples

राज्य की महिलाओ के पारंपरिक वेशभूषा में साड़ी शमिल होती है जो के कछोरा पद्धति की होती है जिसे आम भाषा में लुगड़ा कहाँ जाता है, इसके अलावा ब्लाउज पहना जाता जिसे स्थानिक आम भाषा में पोलखा कहते है। साड़ी के वस्त्र प्रकार में सूती, सिल्क आदि से बनी साडिया काफी पसंदीदा तौर पर उपयोग में लाई जाती है।

पुरुषो के पहनावे में मुख्यतः धोती तथा बिना अस्तीन की जैकेट पहनने का काफी प्रचलन है इसके साथ सर पर पगड़ी भी पहनी जाती है, वही शहरी विभागों में पैंट, शर्ट, टी शर्ट आदि भी पहना जाता है।

छत्तीसगढ़ राज्य के पैलेस – Chhattisgarh Palace

छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत से पैलेस देखने मिलते है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध पैलेस निम्न है –

  • पैलेस कवर्धा
  • बस्तर पैलेस
  • कवर्धा कंकर पैलेस

छत्तीसगढ़ राज्य के मंदिर – Temples of Chhattisgarh

Temples of Chhattisgarh
Temples of Chhattisgarh

प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में किया गया है। समय के साथ-साथ इस क्षेत्र पर हिन्दू साम्राज्यों ने राज किया और बहुत से मंदिरों का भी निर्माण किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य मंदिर निम्न है:

  • जांजगीर चंपा मदनपुरगढ़ देवी मंदिर
  • लक्ष्मण मंदिर और गंधेश्वर मंदिर
  • सिरपुर बारसूर दंतेश्वरी मंदिर
  • सुरगुज शंकर मंदिर
  • दंतेवाड़ा शिवानी मंदिर
  • कंकर चंडी मंदिर
  • डोंगरगढ़ महामाया मंदिर
  • सुरगुज कुंदर्गढ़
  • दीपदिह
  • सुरगुज विष्णु मंदिर
  • पिथमपुर शिव मंदिर- जांजगीर चंपा
  • त्रिपुर सुंदर देवी मंदिर- जांजगीर चंपा घटादै (पाहरिया)
  • जांजगीर चंपा शिवरीनारायण लक्ष्मीनारायण मंदिर
  • जांजगीर चंपा खरुद नगर लक्ष्मनेश्वर मंदिर
  • तुर्रिधाम शिव मंदिर – जांजगीर चंपा
  • अष्टभुजी मंदिर- जांजगीर चंपा अद्भर
  • चन्द्रहसिनी देवी मंदिर- जांजगीर चंपा
  • माझ्या मंदिर- जांजगीर चंपा गंगा
  • रतनपुर मल्ल्हार का दुर्ग मंदिर।

छत्तीसगढ़ राज्य के वॉटरफॉल – Waterfall of Chhattisgarh State

छत्तीसगढ़ में भारत के बेहतरीन वॉटरफॉल है, दुनिया के दुसरे वॉटरफॉल से भी आप इसकी तुलना कर सकते हो। उनमे से कुछ निम्न है:

  • चित्रकोट
  • दंतेवाडा मलंझ कुडुम
  • कोरिया गावर घाट
  • तिरतगढ़
  • सुरगुज केँदै
  • चित्रशारा
  • थमादा घुमर
  • बोधघाट साथ धारा
  • कंकर छर्रे मर्रे
  • कोरिया रामदाहा
  • मेंदरी घूमर
  • मंडवा
  • कोरिया अकुरी नाला
  • कंकर अमृत धारा
  • जशपुर राणी दाह
  • कोरिया पवाई
  • सुरगुज राजपुरी
  • जशपुर दंपुरी

छत्तीसगढ़ राज्य की प्राचीन गुफा – Ancient Caves of Chhattisgarh State

आदिवासी बस्तर जिले के पहाड़ी क्षेत्र और कुंवारी केजर घाटी के जंगल बहुत सी प्राचीन गुफाओ का घर रह चुके है। मानसून के समय कुछ समय के लिए इन गुफाओ को बंद रखा जाता है। बाद में बस्तर लोकोत्सव के समय इन्हें खोला जाता है। गाइड सावधानीपूर्वक पर्यटकों को अंदर और बाहर ले जाते है।

जबकि, 8 साल के कम बच्चो और 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगो को गुफा में ना आने की सलाह दी जाती है। गुफा में जाने से पहले पैदल चलने वाले जूते जरुर पहन ले। गुफा में जाते समय नाममात्र प्रवेश शुल्क लिया जाता है। इसमें गाइड की लागत भी शामिल है, जो आपको पूरी गुफा घुमाता है।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourist Places in Chhattisgarh

Tourist Places in Chhattisgarh
Tourist Places in Chhattisgarh

राज्य अंतर्गत आनेवाले प्रमुख दर्शनीय स्थलों की जानकारी आप यहाँ हासिल कर पाएंगे, इसमें विभिन्न प्राकृतिक सुंदरता से पूर्ण स्थलों के बारे में आप जान पाएंगे जो के पर्यटन की दृष्टी से काफी ज्यादा महत्व रखते है तथा देश दुनिया में प्रसिद्ध स्थल है। जैसे के;

  • चित्रकोट वॉटरफॉल
  • राजीव गाँधी स्मृति वन
  • महाकोशल आर्ट गैलरी
  • पुरखौती मुक्तांगन
  • कांगेर वैली नेशनल पार्क
  • तीरथगढ़ फॉल्स
  • महंत घासीदास मेमोरियल म्यूज़ियम
  • एम.एम फन सिटी रायपुर
  • कैलाश एंड कोटुमसर केव्ज
  • मैत्री बाग़
  • मणिपात
  • मदकू द्वीप
  • इंद्रावती नेशनल पार्क
  • अचानकमार वन्यजीव अभयारण
  • महामाया मंदिर
  • उदंती वन्यजीव अभयारण्य
  • गोमर्दा रिज़र्व फ़ॉरेस्ट
  • लक्ष्मण मंदिर
  • उवादाग्गाहरम पर्श्वा तीर्थ
  • चैतुरगढ़ किला
  • रतनपुर फोर्ट
  • कंकर पैलेस

छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिक्षा संस्थान/ यूनिवर्सिटी – Universities of Chhattisgarh

  1. कलिंग यूनिवर्सिटी, रायपुर
  2. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनिकी यूनिवर्सिटी, भिलाई
  3. अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय
  4. पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय
  5. गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी
  6. मैट्स यूनिवर्सिटी
  7. बस्तर यूनिवर्सिटी
  8. इंदिरा गाँधी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी
  9. कुशाभाऊ ठाकरे जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी
  10. एमिटी यूनिवर्सिटी, रायपुर

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य उत्सव – Famous Festival And Fair in Chhattisgarh

  • रतनपुर मेला
  • बस्तर दशहरा / दुर्गा पूजा
  • गोवर्धन पूजा
  • बस्तर लोकोत्सव
  • मंदी महोत्सव
  • राजिम कुम्भ मेला
  • पखंजोर मेला (नर नारायण मेला)
  • शिवरीनारायण मेला
  • सीहवा मेला
  • गिरोधपुरी मेला
  • सिरपुर महोत्सव
  • पोला
  • नोवाखई
  • दामखेडा मेला

छत्तीसगढ़ राज्य के दर्शन करने का सही समय – Best Time to Visit Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ का मौसम उपोष्णकटिबंधीय है। इसीलिए साल में वर्षा ऋतू के अलावा आप किसी भी मौसम में राज्य के दर्शन कर सकते हो। यदि आपको सबसे बेहतरीन वातावरण का आनंद लेना है तो आपको सितम्बर और दिसम्बर के समय यहाँ की यात्रा करनी चाहिए।

राज्य सांस्कृतिक सुंदरता और सुखद वातावरण से समृद्ध है। राज्य घने जंगल, पहाडियों, धाराओ, झरनों, प्राकृतिक गुफाओ और पार्क इत्यादियो से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध बस्तर शहर, बहुत से विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारत की विशालतम नदियों में से एक, महानदी की उत्पत्ति इसी राज्य से हुई है। साल भर राज्य में बहुत से पर्यटक आते है।

आप यहाँ नक्काशीदार मंदिर, प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, गुफा, बुद्धा स्थल, पैलेस, वॉटरफॉल, पत्थर की पेंटिंग्स और पहाड़ी इलाके देख सकते है। राज्य के बीच से जाने वाले राष्ट्रिय राजमार्गो में NH6, NH16 और NH43 शामिल है।

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Chhattisgarh

  • भारत का राज्य छत्तीसगढ़ कहाँ पर स्थित है? (Where is Chhattisgarh)                        जवाब: राज्य के उत्तरी सिमा पर उत्तर प्रदेश, उत्तर पश्चिमी सिमा पर मध्य प्रदेश, दक्षिण पश्चिमी सिमा पर महाराष्ट्र राज्य, उत्तर पूर्व सिमा पर झारखंड राज्य, पूर्व में ओडिशा तथा दक्षिण में तेलंगाना और आंध्रप्रदेश राज्य की सीमाए जुडी हुई है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य से जुड़े इतिहास जानकारी हमे कौनसे किताबो से प्राप्त हो सकती है? (Chhattisgarh History books)                                                                                                        जवाब: छत्तीसगढ़ – अ स्टडी इन द कल्चर एंड हिस्टोरिकल जिओग्राफी, छत्तीसगढ़ वृहद संदर्भ, छत्तीसगढ़ का समग्र इतिहास, सोशल हिस्ट्री ऑफ़ छत्तीसगढ़, ऑफ टू छत्तीसगढ़, द स्पिरिट ऑफ़ छत्तीसगढ़, आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स ऑफ़ छत्तीसगढ़, इनसाइड छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ का संपूर्ण इतिहास।
  • क्या छत्तीसगढ़ राज्य में कोई समुद्री तट मौजूद है? (Is there any beach in Chhattisgarh?)   जवाब- नहीं।
  • छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम गवर्नर कौन है? ( First governor Chhattisgarh?)                        जवाब: डी.एन सहाय।
  • पर्यटन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य में जाने के लिए कौनसा समय सबसे उत्तम होता है? (Best time to visit Chhattisgarh State)                                                                                            जवाब: जुलाई से लेकर फरवरी माह के बिच का समय सबसे उत्तम समय होता है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में वन्यजीव संरक्षण हेतु कौनसे प्रमुख अभयारण मौजूद है? (How Many National Park in Chhattisgarh)                                                                                                जवाब: बादलखोर अभयारण, भैरमगढ़ अभयारण, अचानकमार अभयारण, भोरमदेव अभयारण, पामेद भैस अभयारण, सितांदी अभयारण, उदंती जंगली भैस अभयारण, पाइथन जंगल, नंदनवन,कांगेर वैली नेशनल पार्क इत्यादि।
  • कौनसे प्रमुख बांध छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद है? (Dam in Chhattisgarh)                                      जवाब: अगरिया डैम, आमाबेड़ा डैम, अमचुवा डैम, औंधी डैम, अमहर डैम, बेदरा डैम, बल्लार डैम, बरकेला डैम, बरनई डैम इत्यादि।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? (How many Airports in Chhattisgarh)  जवाब: पाँच (५)।
  • भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में कुल कितने जनजातीय समुदाय के लोगो का अधिवास है? (Total number of tribes of Chhattisgarh?)                                                                                   जवाब: लगभग बयालीस (४२)।
  • छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (Who is the First Chief Minister of Chhattisgarh?)                                                                                                        जवाब: अजित कुमार जोगी।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में कुल कितने प्रमुख शहर मौजूद है? (How Many Cities in Chhattisgarh?)    जवाब: ग्यारह (११)।
  • छत्तीसगढ़ राज्य का प्राचीन नाम क्या था? (What is the Old Name of Chhattisgarh?)          जवाब: कोसला।

नागालैंड का इतिहास और जानकारी | Nagaland History information

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Nagaland History in Hindi

Nagaland – नागालैंड 1 दिसम्बर 1963 को भारत का 16वाँ राज्य बना। यह भारत का सबसे छोटा राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है। इस राज्‍य के पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। और इसे ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है।

नागालैंड का इतिहास और जानकारी – Nagaland History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) नागालैंड (Nagaland)
नागालैंड की राजधानी (Capital of Nagaland) कोहिमा (Kohima)
राज्य निर्मिति का साल(Statehood) १ दिसंबर १९६३।
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की सँख्या(Number of Districts in Nagaland) १२ (Twelve)
राज्य की प्रमुख भाषाएँ(State Languages) अँग्रेजी, हिंदी, कोन्याक, आओ, लोथा, चोकरी, संगताम, बंगाली इत्यादि।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान(Areawise Rank in Country) २६ वा(Twenty Sixth)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान(Populationwise Rank in Country) २५ वा (Twenty Fifth)
राज्य की कुल जनसँख्या(Total Population of State) १९,८०,६०२। (साल २०११ के जनगणना अनुसार)
राज्य का प्रमुख जानवर(State Mammal) मिथुन (पूर्वोत्तर विभाग में पाया जानेवाला बैल)
राज्य का प्रमुख पक्षी(State Bird)) ग्रे बिल्लिएड ट्रेगापोन।
राज्य का प्रमुख पेड़(वृक्ष)(State Tree) अल्डर।
नागालैंड राज्य का प्रमुख पुष्प (फूल)- State Flower रोडोडेंड्रॉन।
नागालैंड राज्य का प्रमुख फल (State Fruit of Nagaland) क्वीन वैरायटी पाइनएप्पल(Queen Variety Pineapple)।
राज्य का प्रमुख खेल(State Game of Nagaland) कुश्ती(Wrestling)।
नागालैंड राज्य की वित्तीय तथा राज्यनिहाय कोड सँख्या (State Code of Nagaland) १३(Thirteen)

 

नागालैंड की जानकारी – Nagaland information in Hindi

नागालैंड का कोई प्रारंभिक लिखित इतिहास नही है, जबकि पडोसी असम राज्य के अहोम साम्राज्य में नागा समुदाय, उनकी अर्थव्यवस्था और रीती-रिवाजो का उल्लेख किया गया था। 1816 में जब म्यांमार के बर्मन ने असम पर आक्रमण किया तो इसके परिणामस्वरूप 1819 में दमनकारी बर्मन शासन की नीव रखी गयी और 1826 में असम में ब्रिटिश शासन की स्थापना तक यह शासन चला।

1947 में भारत की आज़ादी के बाद, नागा समुदाय के लोग असम के छोटे से भाग में बसे हुए थे। जबकि मजबूत राष्ट्रिय अभियान के माध्यम से नागा समुदाय के राजनितिक संघ की भी मांग की गयी। इस अभियान के चलते बहुत सी हिंसक गतिविधियाँ हुई और 1955 में भारतीय सेना को व्यवस्था पुनर्स्थापित करने का आदेश भी दिया गया।

1957 में नागा लीडर और भारत सरकार के बीच अग्रीमेंट बनाने के बाद, असम के पहाड़ी क्षेत्रो में रहने वाले नागा और तुएंसंग फ्रंटियर डिवीज़न के नागाओ को भारत सरकार के प्रशासन में एक ही छत के निचे लाया गया। अग्रीमेंट के बावजूद भारत सरकार से असहकार, कर ना देना, तोड़-फोड़ और सेना पर आक्रमण करने जैसी हरकते होने लगी।

Nagaland Ka Itihas

Nagaland History in Hindi
Nagaland History in Hindi

1960 में नागा लोगो के सम्मलेन बैठक इस बात को पेश किया गया की नागालैंड को भारतीय संघ का हिस्सा होना चाहिए। 1963 में नागालैंड को राज्य का दर्जा दिया गया और 1964 में लोकतांत्रिक ढंग से यहाँ के कार्यालय की स्थापना की गयी थी। विद्रोही गतिविधियाँ जारी थी, साथ ही क्षेत्र में डाकुओ की संख्या भी बढ़ रही।

मोल भाव कर कुछ समय तक विद्रोह को रोका गया और मार्च 1975 में राज्य पर प्रत्यक्ष राष्ट्रपति शासन लागु किया गया। 1980 में शक्तिशाली समर्थक अलगाववादी चरमपंथी समूह, दी नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड की स्थापना की गयी।

नागालैंड की संस्कृति और परंपरा – Culture And Tradition of Nagaland State.

नागालैंड राज्य जितना प्राकृतिक दृष्टी से सुंदर है उतना ही यहाँ के जीवनशैली में खूबसूरती और विविधता देखने को मिलती है। राज्य में अधिकतर जनजातीय समुदाय के लोगो का अधिवास है जिसमे प्रमुख १६ जनजातियों के साथ कुल ६६ उपजनजातियाँ शामिल है।

बात करे प्रमुख जनजातियों की तो यहाँपर चाखेसांग, चाओ, अंगामी, चांग, फौम, पोचूरी, रेंग्मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू, जेलिआंग इत्यादि देखने को मिलती है जिनकी स्वतंत्र मान्यताये और परंपराये होती है। इस राज्य नागा लोगो का प्रमुख अधिवास क्षेत्र माना जाता है, जो के मंगोल और भारतीय वर्ग में से एक माने जाते है।

राज्य में ज्यादातर ईसाई धर्म का पालन करनेवाले लोग मौजूद है, नागा जनजाति के लोगो के अलावा क्षेत्र में ज्यादातर लोग हिन्दू और इस्लाम धर्म को मानते है। नागालैंड को सबसे बड़े बैपटिस्ट स्थान में से एक माना जाता है जहाँ आपको कई सारे सुंदर चर्च देखने को मिलेंगे, बात करे त्योहारों की तो यहाँ का हॉर्नबिल नामक त्यौहार इस राज्य का खास आकर्षण होता है।

नागालैंड की जातीयता में बहुत से आदिवासी जनजाति और उप जनजाति समूहों का मिश्रण है, यह समुदाय अति प्राचीन काल के है। सभी नागा जनजाति के समूहों की सामाजिक संरचना एक-दूजे से अलग है। सभी समुदायों के रीती-रिवाज, महोत्सव और धारणा उन्हें एक-दूजे से अलग बनाती है। नागा समुदाय के लोगो की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध है।

सदियों से वे सौहार्दपूर्वक राज्य में रह रहे हैं, जातीय समुदायों ने यहाँ सांस्कृतिक गतिशीलता का जीवंत मंच विकसित किया है। यहाँ के ग्रामीण भाग में रहने वाली जनजाति ने पुराने रीती-रिवाज और अनुष्ठान को सुरक्षित रखा है। वे दोस्ताना व्यवहार और कड़ी महेनत के लिए जाने जाते है, राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास में नागालैंड के लोगो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

नागालैंड का संगीत और नृत्यकला – Folk Dance and Music of Nagaland

इस राज्य में विभिन्न प्रकार के जनजाती के लोगो का अधिवास है जहाँ पर कई सारे नृत्य और संगीत प्रकार मौजूद है, यहाँ के प्रमुख नृत्य प्रकार में नागा युध्द नृत्य, जेलियांग लोकनृत्य, मुर्गा नृत्य, क्रिकेट नृत्य, भालू नृत्य,मोडसे, अगरशिकुकुला, बटरफ्लाई नृत्य, अलॉयटु, सड़ल केकई, चंगाई, इत्यादि प्रसिध्द नृत्य शामिल है।

बात करे संगीत की तो राज्य में शास्त्रीय गीत संगीत के साथ लोकसंगीत और लोकगीत का अधिक प्रचलन हुआ है, साथमे आधुनिक गीत संगीत भी आम तौर पर सुना जाता है।

नागालैंड राज्य के लोगो की प्रमुख वेशभूषा – Dress of Nagaland

इस राज्य में महिलाओ के प्रमुख परिधान में स्कर्ट, लोथा, सुंगकोटेप्सु, चंगेस इत्यादि शामिल होते है, वही पुरुषो के परिधान में चंगेस, क्लित, मयूर टस्क, अलुंगस्तु इत्यादि शामिल होते है।

नागालैंड की प्रमुख भाषाए – Languages in Nagaland

जितनी भाषाई विविधता नागालैंड में है, शायद ही उतनी विविधता भारत के किसी और राज्य में होंगी। नागा लोग तक़रीबन 36 अलग-अलग भाषा और बोलियों का उपयोग करते है। नागा भाषा के अलावा राज्य के बहुत से लोग दूसरी भाषा का भी प्रयोग करते है।

यहाँ के बोलीचाली में प्रमुखता से अंग्रेजी, संगतम, बंगाली, चोकरी, आओ, कोन्याक, लोथा, अंगामी, ज़ेलिआंग, जेमी, इमचूंगरे, चांग, खिअमनीउंगन, रेंग्मा, फोम आदि भाषाओं का प्रयोग किया जाता है।

नागालैंड की नदियाँ – Rivers of Nagaland

इस राज्य में बहने वाली मुख्य नदियों में धनसिरी, दिखू , डोयंग,और झांजी है।

नागालैंड के प्रमुख त्यौहार/महोत्सव – Festivals in Nagaland

इस राज्य के महोत्सव ज्यादातर कृषि से जुड़े हुए है। समुदाय के सभी लोग बढ़-चढ़कर महोत्सव में भाग लेते है और बड़ी धूम-धाम से राज्य के सभी उत्सव मनाये जाते है। यहाँ के पर मनाये जाने वाले त्यौहारों में शामिल प्रमुख त्यौहारों की सूचि निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के-

  • सेक्रेनयी
  • मोआत्सु
  • तोकु इमोंग
  • तुलिनी
  • हॉर्नबिल
  • तसुखेनेई
  • ओलांग
  • नाकनीलेम
  • मिमकुट

नागालैंड राज्य का भोजन प्रकार – Staple Food in Nagaland

नागा जनजाति का मुख्य खाद्य पदार्थ चावल है इसे मांस या सब्जियों के साथ खाते है। नागा लोगो को मिर्च और सेमस खाने की काफी रूचि है, राज्य में अधिकतर चावल और इससे बने पदार्थ सेवन किये जाते है।

यहाँ के प्रमुख भोजन प्रकार में एक्सोन, बाम्बू शूट, फर्मेन्टेड ड्राई फिश, अनिशि, समाथु, एकीबेये, बॉइल्ड वेजिटेबल्स, अकिनी, बुश मीट, जुठो इत्यादि शामिल होते है।

नागालैंड राज्य के संपूर्ण जिलों की सूचि – List of Districts in Nagaland

यहाँ हम आपको नागालैंड राज्य के सभी जिलों का विवरण दे रहे है, जिसकी सूचि निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के;

  1. दिमापुर
  2. किफिर
  3. लोंगलेंग
  4. कोहिमा
  5. मोकोकचुंग
  6. मोन
  7. पेरेन
  8. त्युएनसांग
  9. फेक
  10. वोखा
  11. नोकलक
  12. जुन्हेबोटो

नागालैंड राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान / यूनिवर्सिटी – Educational Institutions/Universities in Nagaland.

यहाँ हम आपका परिचय करायेंगे नागालैंड राज्य में मौजूद प्रमुख शिक्षा संस्थानों से, जिनकी सूचि निचे दिए हुए प्रकार से है, जैसे के;

  • नागालैंड यूनिवर्सिटी – लुमामी
  • द ग्लोबल मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी – दिमपुर
  • सेंट जोसफ यूनिवर्सिटी – नागालैंड
  • आई सी एफ ए आई यूनिवर्सिटी
  • कोहिमा कॉलेज
  • ओरिएंटल थिओलॉजिकल सेमिनरी
  • जीसाजी प्रेसीडेंसी कॉलेज

नागालैंड राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourism Places in Nagaland State.

Tourism Places in Nagaland State नागालैंड प्राकृतिक दृष्टी से काफी सुंदर और अद्भुत रमणीय स्थलों से घिरा हुआ राज्य है, जिसके अंतर्गत मौजूद कई सारे मनमोहक पर्यटन स्थल पर्यावरण प्रेमी और पर्यटन के शौक़ीन लोगो का ध्यान अपने और आकर्षित करते है। ऐसेही कुछ सुंदर स्थलों का ब्यौरा यहाँ आपके जानकारी हेतु निचे दिया हुआ है, जिसमे शामिल स्थल ऐसे है –

  • कचारी रूइंस
  • कोहिमा वॉर सेमेन्ट्री
  • शिलोई लेक
  • नागालैंड स्टेट म्यूजियम
  • नागा हेरिटेज विलेज
  • ग्लोरी पीक
  • नागालैंड जूलॉजिकल पार्क
  • डजुलेके
  • नागा हिल्स
  • पुलिएबाड़जे
  • ग्रीन पार्क
  • माउंट तीयी
  • साइंस सेंटर
  • सारामती पीक
  • त्सुमान्ग लेक
  • चिल्ड्रेन पार्क
  • स्टोन गार्डन
  • तुलु पार्क

नागालैंड राज्य के अंतर्गत आनेवाले पवित्र धार्मिक स्थल – Holy Religious Places in Nagaland State.

Temples in Nagaland नागालैंड राज्य में ईसाई धर्म के लोगो की संख्या प्रमुखता से मौजूद होने के कारण यहाँ आपको सबसे अधिक चर्च देखने को मिलेंगे, इसके बाद कुछ हिन्दू धार्मिक स्थल और अन्य प्रार्थना स्थल भी यहाँ उपलब्ध है। ऐसेही कुछ स्थलों की जानकारी निचे दी हुई है –

  • शिवा टेम्पल – दिमपुर
  • दुर्गाबारी मंदिर
  • कैथेड्रल चर्च
  • जैन मंदिर
  • नेपाली मंदिर – कोहिमा
  • बैप्टिस्ट चर्च उंग्मा
  • एमिफोटो प्रेयर चर्च
  • संगतम चर्च
  • अंगामी चर्च
  • रॉसकिंग चर्च

नागालैंड राज्य बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Nagaland State

  •  नागालैंड राज्य के इतिहास की जानकारी हमें कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (Nagaland State History Books? )                                                                                                                  जवाब: अ हिस्ट्री ऑफ़ नागा एंड नागालैंड, नागालैंड – अ जर्नी टू इंडियाज फॉरगॉटन फ्रंटियर, एमेर्जेंस ऑफ़ नागालैंड, नागालैंड द नाईट ऑफ़ द गुर्रिल्ला, ए नागा ओड़ाएसी, द हार्नबिल स्पिरिट, द नागा स्टोरी, पीस इन नागालैंड इत्यादि।
  •  क्या नागालैंड राज्य के अंतर्गत कोई समुद्री तट मौजूद है? (Is there any beach available in Nagaland State?)                                                                                                    जवाब: नहीं।
  • नागालैंड राज्य में कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? इनके नाम क्या है? (How Many Airports are available in Nagaland? What is the name of Airport in Nagaland?)                      जवाब: नागालैंड राज्य में मात्र एक हवाई अड्डा मौजूद है जो के देशांतर्गत हवाई यात्रा के लिए उप्लब्ध है जिसका नाम दिमपुर एअरपोर्ट है।
  • वन्य जिव संरक्षण हेतु कौनसे अभयारण नागालैंड राज्य में मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Nagaland)                                                                                                          जवाब: पुली बाडजे अभयारण, रंगपहर अभयारण, फकिम अभयारण, घोसू अभयारण।
  • नागालैंड राज्य में कौनसा बाँध मौजूद है? (Dam in Nagaland)                                                  जवाब: दोयांग हेप बाँध।
  • पर्यटन के लिए अगर नागालैंड राज्य में घूमने हेतु जाना हो तो कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best time to visit Nagaland State)                                                                                           जवाब: जून माह से लेकर फरवरी माह तक।
  • नागालैंड राज्य में कौनसा जिला सबसे बड़ा है? (Largest district in Nagaland State)                  जवाब: दिमपुर।
  • नागालैंड राज्य का कौनसा जिला प्राकृतिक सुंदरता के दृष्टी से सबसे सुंदर और रमणीय है? (Most Beautiful district in Nagaland State)                                                                                      जवाब: मोकोकचुंग।
  • भारतीय राज्य नागालैंड के अंतर्गत कौनसी नदी की लंबाई सबसे अधिक है? (Longest river in Nagaland State)                                                                                                                      जवाब: धनसिरी नदी।
  • नागालैंड राज्य देश दुनिया में प्रसिध्द क्यों है? (Why Nagaland State is famous?)                      जवाब: नागालैंड राज्य में अधिक पर्वत और पहाड़ो की वजह से यहाँ बसे लोगो को नागा कहते है जिसके वजह से इस राज्य का नाम नागालैंड है। पूर्वोत्तर भारतीय राज्य नागालैंड को प्राकृतिक सुंदरता का अनमोल उपहार मिला हुआ है जहा सालभर पर्यटक घूमने के लिए आते है। इत्यादि प्रमुख कारणों की वजह से नागालैंड राज्य देश दुनिया में खास तौर पर पहचाना जाता है।
  • नागालैंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (Who was the first chief minister of Nagaland State? )                                                                                                          जवाब: पी शीलू आओ।

 

फ्रीस्टाइल रेसलर सुशिल कुमार

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Sushil Kumar Biography in Hindi

सुशिल कुमार सोलंकी – Sushil Kumar एक भारतीय फ्रीस्टाइल रेसलर है। 66 किलो के वजन विभाग में लढते हुए उन्होंने 2010 में वर्ल्ड टाइटल, 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल और 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स में ब्रोंज (कास्य) मेडल जीता था और उनकी इस जीत ने उन्हें दो व्यक्तिगत ओलंपिक्स मेडल जीतने वाला एकमेव भारतीय भी बनाया था।

फ्रीस्टाइल रेसलर सुशिल कुमार – Sushil Kumar Biography In Hindi

Sushil Kumar

सुशिल कुमार (पहलवान) के बारेमें – Sushil Kumar Information in Hindi

पूरा नाम (Full Name) सुशिल कुमार सोलंकी (Sushil Kumar Solanki)
जन्म की तारीख (Date of Birth) २६ मई १९८३।
जन्म स्थान (Birth Place) बापरोला, दिल्ली (भारत)
व्यवसाय (Profession) फ्री स्टाइलर कुश्ती खिलाडी।
लंबाई (Height) लगभग ५ फ़ीट ५ इंच। (Approximately 5’5″)
वजन/ भार (Weight) लगभग ६६ किलोग्राम (Around 66 kg)
माता का नाम (Mother Name) कमला देवी।
पिता का नाम(Father Name) दीवान सिंह।
भाई/ बहन (Siblings) नहीं।
प्रमुख उपलब्धियाँ (Achievements)
  • मॉस्को में हुए विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के साथ विश्व कुश्ती टाइटल विजेता (साल २०१०)
  • लंदन में ६० किलोग्राम वर्ग के राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया (साल २००३ )
  • केप टाउन(दक्षिण अफ्रीका) में राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया (साल २००५)
  • नई दिल्ली में हुए एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया (साल २००३)
  • लंदन में हुए राष्ट्रमंडल प्रतियोगिता में ६६ किलोग्राम वर्ग के कुश्ती के खेल में स्वर्ण पदक हासिल किया (साल २००७)
  • किर्गिजस्तान में हुए एशियाई खेलो में ६६ किलोग्राम वर्ग के कुश्ती मुकाबले में रजत पदक हासिल किया था (साल २००७)
  • बीजिंग ओलंपिक्स में ६६ किलोग्राम वर्ग के कुश्ती मुकाबले में कांस्य पदक प्राप्त किया (साल २००८)
  • जेजू द्वीप में हुए एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक प्राप्त किया (साल २००८)
  • जालंधर में हुए राष्ट्रमंडल खेलो के कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया (साल २००९)
  • दिल्ली में हुए एशियाई प्रतियोगिता में कुश्ती के मुकाबले में स्वर्ण पदक प्राप्त किया (साल २०१०)
  • दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलो के कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया (साल २०१०)
प्राप्त सम्मान पुरस्कार/ अवार्ड(Awards)
  • अर्जुन पुरस्कार (साल २००५),
  • राजीव गाँधी खेलरत्न पुरस्कार ( साल २००८),
  • पद्म श्री पुरस्कार ( साल २०११)
प्रशिक्षक का नाम (Mentor/Trainer) महाबली सतपाल।
सुशिल कुमार के पत्नी का नाम (Wife Name) सावी कुमार।
बच्चो के नाम( Childs Name) सुवीर कुमार और सुवर्ण कुमार।
कुश्ती के अलावा अन्य व्यवसाय/नौकरी (Other Profession) भारतीय रेलवे में सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक पद पर कार्यरत।

सुशिल कुमार के जीवन की कहानी – Sushil Kumar History in Hindi

सुशिल कुमार का साल 2008 में जीता गया ओलंपिक्स मेडल रेसलिंग की दुनिया में भारत का दूसरा मेडल था और साल 1952 के समर ओलंपिक्स में खाशाबा दादासाहेब जाधव के ब्रोंज मेडल जीतने के बाद यह पहला मेडल था। Sushil Kumar Images जुलाई 2009 में उन्हें खिलाडियों की श्रेणी में भारत के सर्वोच्च सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था। 3 अक्टूबर 2010 को उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी में प्रिंस चार्ल्स से हाथ मिलाया था। साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 74 किलो के डिवीज़न में सुशिल ने गोल्ड मेडल जीता था।

सुशिल कुमार का शुरुवाती जीवन – Early Life of Sushil Kumar

सुशिल कुमार / Sushil Kumar का जन्म दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ के बापरोला ग्राम के एक हिन्दू जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता दीवान सिंह डीटीसी बस ड्राईवर थे, जबकि उनकी माता कमला देवी एक गृहिणी थी। रेसलिंग में जाने के लिए उन्हें अपने चचेरे भाई संदीप और अपने पिता से प्रेरणा मिली, उन दोनों ने ही सुशिल को ट्रेनिंग दी थी।

लेकिन कुछ समय बाद परिवार को आर्थिक स्थिति को समझते हुए संदीप ने रेसलिंग करना छोड़ दिया था। 14 साल की उम्र से ही सुशिल छत्रसाल स्टेडियम के अखाड़े में रेसलिंग का अभ्यास करते थे। भारत में रेसलिंग के लिए पर्याप्त साधन और कुशल ट्रेनिंग ना मिलने के बावजूद भी उन्होंने 2008 की ओलंपिक्स टीम में अपनी जगह बना ली और उनका परिवार भी उन्हें उनके अच्छे स्वास्थ के लिए दूध, घी और सब्जियाँ भेजा करता था।

वे हिन्दू धर्म को बहुत मानते है और शुद्ध शाकाहारी भी है। कुमार वर्तमान में भारतीय रेल्वे में असिस्टेंट कमर्शियल मेनेजर के पद पर कार्यरत है।

सुशिल कुमार का कुश्ती में करियर – Wrestling Career of Sushil Kumar

कुमार ने अपनी ट्रेनिंग 14 साल की उम्र में से छत्रसाल स्टेडियम के अखाड़े से शुरू की। अखाड़े में उन्हें यशवीर और रामफल ने ट्रेन किया और बाद में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित सतपाल ने उन्हें ट्रेन किया और फिर भारतीय रेल्वे के कैंप में उन्हें ज्ञान सिंह और राजकुमार बैसला गुर्जर ने उन्हें ट्रेन किया।

Sushil Kumar Photo
Sushil Kumar Photo

साल 1998 के वर्ल्ड कैडेट गेम्स में उन्हें पहली सफलता मिली, वहा उन्होंने अपनी वजन केटेगरी में गोल्ड मेडल जीता और इसके बाद साल 2000 में एशियन जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। बाद में जूनियर प्रतियोगिताओ से बाहर निकलकर साल 2003 में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल और कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता।

साल 2003 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुमार चौथे स्थान पर रहे लेकिन भारतीय मीडिया ने इसपर ज्यादा ध्यान नही दिया और फिर साल 2004 के ओलंपिक्स खेलो में 60 किलो के वजन श्रेणी में वे 14 वे पायदान पर रहे। इसके बाद साल 2005 और साल 2007 के कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीते।

साल 2007 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे 7 वे पायदान पर काबिज रहे और साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स खेलो में उन्होंने ब्रोंज मेडल भी जीता। साल 2012 के समर ओलंपिक्स में उन्होंने सिल्वर मेडल भी जीता था और इसी के साथ व्यक्तिगत रूप से ओलंपिक्स में दो मेडल जीतने वाले वे पहले भारतीय भी बने। साल 2006 में उन्हें अर्जुन अवार्ड और साल 2011 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री से भी सम्मानित किया था।

2008 में बीजिंग ओलंपिक्स में ब्रोंज मेडल जीतने के लिए – Encouragement Prizes for 2008 Olympic Achievement

  • 5.5 मिलियन (US $ 82,000) का कॅश रिवॉर्ड और चीफ टिकेट इंस्पेक्टर से असिस्टेंट कमर्शियल मेनेजर के पद पर प्रमोशन।
  • दिल्ली सरकार की तरफ से 5 मिलियन (US$ 74,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • हरियाणा सरकार द्वारा 2.5 मिलियन (US$ 37,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • स्टील मिनिस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा 2.5 मिलियन (US$ 37,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • आर.के. ग्लोबल द्वारा 5,00,000 का कॅश रिवॉर्ड।
  • महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • MTNL की तरफ से 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड।

2010 के वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के लिए – Encouragement Prizes for 2010 World Wrestling Championship Achievement

  • भारतीय रेल्वे की तरफ से 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड और साथ ही असिस्टेंट कमर्शियल मेनेजर के पद पर प्रमोशन दिया गया।
  • स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (भारत सरकार) की तरफ से 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • दिल्ली सरकार की तरफ से 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड।

2012 के लन्दन ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतने के लिए – Encouragement Prizes for Achievement in 2012 Olympic (London)

  •  दिल्ली सरकार की तरफ से 20 मिलियन (US$ 3,00,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  •  हरयाणा सरकार की तरफ से 15 मिलियन (US$ 2,20,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  • भारतीय रेल्वे की तरफ से 07.5 मिलियन (US$ 1,10,000) का कॅश रिवॉर्ड।
  •  हरयाणा सरकार द्वारा रेसलिंग अकैडमी के लिए सोनीपत में जमीन दी गयी।
  • ONGC द्वारा 1 मिलियन (US$ 15,000) का कॅश रिवॉर्ड।

सुशिल कुमार – Sushil Kumar आज भारतीयों युवाओ के लिए किसी आदर्श से कम नही, वे एक ऐसे खेल से जुड़े हुए है जिसमे उन्हें हमेशा अपने शरीर को फिट रखना पड़ता है। और इसके लिए कड़ी महेनत भी करनी पड़ती है।

सुशिल कुमार ने अपने बलबूते पर ही गोल्ड मेडल जीत कर ओलंपिक्स का मैदान अपने नाम कर दिया था और इसी के साथ जिस इंसान को कोई नही जानता था उसमे पल भर में ही पुरे देश में अपना पहचान बना ली। पदक जीतते ही उन्होंने देश का नाम पुरे विश्व में रोशन कर दिया और सालो से पदक के लिए भूके देश को पदक का जलपान करा दिया था।

उन्हें देखकर आज देश के भटके हुए नौजवानों को ये कहने का जी करता है की उन्हें भी अभिनव बिंद्रा, सुशिल कुमार और विजेंदर सिंह जैसा कुछ कर दिखाना चाहिए, गलत काम कर खुदको बदनाम करने की जगह सुकर्म कर खुद का और देश का नाम रोशन करना चाहिए। तभी हमारे भारत देश का उत्थान होगा।

सुशिल कुमारके बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Sushil Kumar Quiz Questions

  • सुशील कुमार कौनसे खेल से संबंधित है? खेल का प्रकार क्या है? (Sushil kumar is related with which sport?What is type of this sport?)                                                    जवाब: भारतीय खिलाडी सुशील कुमार कुश्ती के खेल से संबंधित है, जिसमे फ्री स्टाइलर कुश्ती प्रकार के ये खिलाडी है।
  • कौनसे वजन/भार के वर्ग में सुशील कुमार ने अधिकतर कुश्ती के सामने खेले है? (Sushil kumar weight category for wresting Competition)                                                                जवाब: ६६ किलोग्राम के वर्ग में।
  • साल २०१८ में ऑस्ट्रेलिया में हुए राष्ट्रमंडल खेलो में सुशील कुमार कौनसे वजन/भार वर्ग के मुकाबले में कुश्ती खेले थे? इसमें इन्हे कौनसा पदक प्राप्त हुआ था? (Sushil kumar weight category for 2018 commonwealth Wrestling game?Winning Medal details in this competition?) जवाब: ७४ किलोग्राम वर्ग में सुशील कुमार ने कुश्ती का मुकाबला खेला था, जिसमे इन्हे स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ था।
  • सुशील कुमार ने साल २०१४ में किसे पराजित कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया था? ये प्रतियोगिता खेल कौनसे वजन/भार वर्ग में हुआ था ?इस खेल प्रतियोगिता का स्थल क्या था?( Sushil kumar opponent in 2014 commonwealth wrestling competition?Sushil kumar weight category in this competition?Location for this competition?)                                                   जवाब: साल २०१४ में ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में हुए राष्ट्रमंडल के खेलों में हुए ७४ किलोग्राम वर्ग के कुश्ती खेल प्रतियोगिता में कमर अब्बास को पराजित कर सुशील कुमार ने स्वर्ण पदक हासिल किया था।
  • साल २०२१ के मई महिने में किस कारणवश रेसलर सुशील कुमार को जेल जाना पड़ा?(Why sushil kumar imprisoned in may 2021?)                                                                          जवाब: जूनियर रेसलर सागर धनखड़ की हत्या के मामले में सुशील कुमार को आरोपी के रूप में पूछताछ हेतु जेल ले जाया गया, जिसमे शुरुवाती ५ दिन की न्यायिक हिरासत में इन्हे रखा गया।
  • खेल विश्व में एक खिलाडी को दिया जानेवाला कौनसा सर्वोच्च राष्ट्रिय पुरस्कार सुशील कुमार ने प्राप्त किया है? (Which Supreme honor sports award achieved by sushil kumar)                         जवाब: राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार।
  • कुश्ती खिलाडी सुशिल कुमार ने शराब के ब्रांड का समर्थन करने से विरोध क्यों किया था ? (Why did sushil kumar opposed for alcohol branding?)                                                                  जवाब: सुशील कुमार का मानना था के शराब का समर्थन करने से नव युवको में गलत संदेश फ़ैल सकता है, जो की भारत के नवयुवक और कुश्ती प्रेमी सुशील कुमार को देश के गौरव के तौर पर मानते है।
  •  भारतीय कुश्ती खिलाडी सुशील कुमार के नाम कौनसा कीर्तिमान स्थापित है? (What record is set in the name of Indian wrestling player Sunil Kumar?)                                                    जवाब: सुशील कुमार भारत के एकमात्र ऐसे खिलाडी है जिनके नाम ओलिंपिक के प्रतियोगिता में २ पदक की जीत दर्ज है।
  • सुशिल कुमार ने आंतरराष्ट्रिय स्तर पर हुए प्रतियोगिता में कुल कितने पदक जीते है? (How many international level awards has won by sushil kumar?)                                   जवाब: लगभग १७ पदक।
  • क्या सुशील कुमार पूरी तरह से शाकाहारी है? (Is sushil kumar vegetarian?)                    जवाब: हा।

केरल का इतिहास और जानकारी

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Kerala History in Hindi

Kerala – केरल, मालाबार समुद्री सीमा पर स्थित दक्षिण भारतीय राज्य है। केरल जनसँख्या के हिसाब से भारत के 13 वा सबसे बड़ा राज्य है। राज्य को 14 जिलो में विभाजित किया गया है और थिरुवनंथापुरम राज्य की राजधानी है। थिरुवनंतपुरम राज्य का सबसे बड़ा शहर भी है।

केरल का इतिहास – Kerala History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) केरल (Kerala)
केरल की राजधानी (Capital of Kerala) तिरुअनंतपुरम (Thiruvananthpuram)
राज्य निर्मिति का साल (Statehood) १ नवंबर १९५६।
राज्य की प्रमुख भाषाए (Languages of Kerala) मलयालम, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी।
क्षेत्रफल के अनुसार राज्य का देश में स्थान (Areawise Rank) २१ वा(21st)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान (Populationwise Rank) १३वा(13th)
केरल राज्य की जनसँख्या (Population of Kerala) ३,४६,३०,१९२(साल २०११ के जनगणना अनुसार)
केरल राज्य का प्रमुख प्रसिध्द त्यौहार (Festival of Kerala) ओनम।
राज्य का प्रमुख जानवर(State Animal of Kerala) भारतीय हाथी (Indian Elephant)।
प्रमुख पक्षी(State Bird of Kerala) ग्रेट हॉर्नबिल(Great Hornbill)।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष)- (State Tree of Kerala) नारियल का पेड़(Coconut Tree)।
प्रमुख पुष्प (State Flower of Kerala) गोल्डन शॉवर पुष्प(Golden Shower)।
प्रमुख फल (State Fruit of Kerala) कठहल(Jackfruit)।
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की सँख्या (Total Districts in Kerala) १४(14th)
राज्य में मौजूद कुल तालुका (तहसील की सँख्या-Total Taluka in Kerala) ७७(77th)
राज्य अंतर्गत कुल ग्रामीण विभागों की सँख्या (Total Villages in Kerala) १६७०।
केरल राज्य में मौजूद कुल शहरों की संख्या (Total City in Kerala) ४४२।
केरल राज्य का साक्षरता दर (Literacy Rate of Kerala) ९६.२ प्रतिशत(%)
केरल राज्य अंतर्गत कुल ग्राम पंचायत सँख्या (Panchayat in Kerala) ९४१।
केरल राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Kerala) कुट्टियूम कोलम(गिल्ली डंडा)
केरल का सबसे बड़ा जिला (Largest District Of Kerala) पलक्कड़।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय केरल राज्य की कोड सँख्या (State Code of Kerala) ३२ (Thirty Two)
केरल राज्य का पारंपारिक नृत्य (Dance of Kerala) कथकली।
केरल राज्य का प्राचीन नाम(Old Name of Kerala) केटलापूतो/चेरस

केरल राज्य की जानकारी – Kerala information in Hindi

चेरा साम्राज्य केरल के पहला मुख्य साम्राज्य था। आम युग (CE और AD) में दक्षिण में आय साम्राज्य और उत्तर में एज्हिमाला साम्राज्य की स्थापना की गयी थी। 3000 BCE से ही यह क्षेत्र मुख्य मसाला निर्यातक रहा है। राज्य के व्यापार में महत्व को प्लिनी के कार्यो में देखा जा सकता है। 15 वी शताब्दी में मसालों के व्यापार ने पुर्तगाली व्यापारियों को केरल आने के लिए आकर्षित किया और भारत में यूरोपीय उपनिवेशण के सारे रास्ते साफ़ हो गये। 20 वी शताब्दी के शुरू में, भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय केरल में दो प्रांतीय राज्य थे – त्रावण कोर राज्य और कोची साम्राज्य। 1949 में थिरु-कोच्ची नामक राज्य के निर्माण के लिए इन्हें मिला दिया गया। केरल के उत्तरी भाग में मालाबार क्षेत्र, ब्रिटिश भारत में मद्रास प्रान्त का भाग था, जो आज़ादी के बाद मद्रास राज्य का भाग बना। Kerala राज्य पुनर्गठन एक्ट, 1956 के तहत वर्तमान केरल राज्य का निर्माण मद्रास राज्य के मालाबार जिले, थिरु-कोच्ची राज्य और कासरगोड तालुका और दक्षिण कनारा को मिलाकर किया गया। आठवी शताब्दी में चेरा के प्राचीन साम्राज्य के विभाजन के बाद पहली बार केरल राज्य का एकीकरण किया गया। आज केरल के लोग पारंपरिक जीवन जीते है और समृद्ध संस्कृति और विरासत के साथ ख़ुशी से जीवन जीते है। यहाँ 1 नवम्बर के दिन को केरालाप्पिरवी (केरल का जन्मदिन) दिवस के नाम से मनाते है। इसे मलयालम दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

केरल के जिले – Districts of kerala

इस राज्य में कुल 14 जिले है, जिनमे से हर एक जिला अद्वितीय गंतव्य और प्रलोभन के लिए प्रसिद्ध है।

  • थिरुवनंतपुरम
  • कन्नूर
  • अलाप्पुज्हा
  • कासरगोड
  • कोट्टयम
  • इडुक्की
  • थ्रिस्सुर
  • कोल्लम
  • पलक्कड़
  • पठानमथित्ता
  • मलप्पुरम
  • कोज्हिकोड़े
  • एर्णाकुलम
  • वायनाड

केरल राज्य की संस्कृति और परंपरा – Krala Culture and Tadition

इस राज्य को भारत का दक्षिण-पश्चिमी छोर भी कहाँ जाता है, जिसमे प्राचीन काल के केरला प्रांत का नाम केटलापूतो या चेरस था, इसका प्रमुख कारण यह भी है के मध्य केरल प्रांत में सबसे स्थिर और कुशल शासक के रूप में ‘चेरा वंश’ का अधिराज्य था। ब्रिटिश शासन के समय में त्रावणकोर केरल का प्रमुख व्यापारिक स्थान हुआ करता था, विपुल मात्रा में समुद्री तट होने के कारण इस राज्य को व्यापारिक दृष्टि से अधिक महत्व था। भारत से उच्च प्रति के मसालों का कच्चा माल, खुशबूदार पदार्थ, कपास इत्यादि केरल से होकर तत्कालीन ब्रिटेन में ले जाया जाता था। बात करे राज्य के संस्कृति और परंपरा की तो यहाँ आपको मिश्र पद्धति की जीवनशैली देखने को मिलेगी जिसमे प्राचीन काल से चलती आई भारतीय मान्यताओं के साथ पश्चिमी संस्कृति का मेलजोल अधिक दिखाई है। प्रचुर मात्रा में समुद्री तट होने के कारण यहाँ पर प्राचीन काल से विदेशी लोगो का आना जाना लगा रहता है, जिसमे अरब और खाड़ी के देशो का प्रभाव भी यहाँ के संस्कृति पर साफ झलकता है। राज्य में आपको दक्षिण भारतीय द्रविड़ जीवनशैली का अधिकतर प्रभाव देखने को मिलेगा जिनमे यहाँ के लोगो का खानपान, वेशभूषा, मान्यताये, कला संस्कृति, नृत्य, संगीत, त्यौहार इत्यादि शामिल है। केरल की वास्तुशैली में आपको सम्पूर्णतः द्रविड़ कलाशैली की अनोखी झलक देखने को मिलेगी, जिसमे यहाँ के प्राचीन मंदिर, स्मारक, भवन, प्रार्थना घर आदि शामिल होते है।कुल मिलाके केरल भारत का वो दक्षिणी राज्य है जिसने आधुनिकता के इस युग में लगभग सभी क्षेत्र में विकास किया है, जिसकी प्राकृतिक सुंदरता ने राज्य के खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए है। लगभग पुरे भारत में सबसे ज्यादा साक्षरता का दर कायम करने में भी केरल का अग्रक्रम लगता है, इससे ये साफ जाहिर होता है के यहाँ के लोग परंपरा और आधुनिकता दोनों को सहेज कर जीवन व्यापन करने पे भरोसा रखते है। मलयालम भाषा केरल की प्रमुख और आधिकारिक भाषा है, जिसका सबसे ज्यादा प्राथमिक तौर पर बोलीचाली में उपयोग किया जाता है, इसके अलावा यहाँ के लोग अंग्रेजी भाषा का भी अधिक तौर पर इस्तेमाल करते है। केरल के लोगो की अंग्रेजी भाषा समूचे भारत में जानी जाती है, जिसमे अंग्रेजी में यहाँ के लोग अधिक निपुण होते है।

केरल का धर्म – Religion of Kerala

भारत के दुसरे राज्यों की तुलना में केरल का अनुभव थोडा साम्प्रदायिक है। राज्य की आधे से ज्यादा जनसँख्या हिन्दू धर्म को मानती है, इसके बाद इस्लाम और क्रिस्चियन धर्म की बारी आती है। मलप्पुरम जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलो में हिन्दू धर्म के लोगो की संख्या ज्यादा है, मलप्पुरम जिले में मुस्लिम जनजाति के लोगो की संख्या ज्यादा है। भारत के केरल राज्य में सर्वाधिक क्रिस्चियन समुदाय के लोग रहते है। पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार केरल की उत्पत्ति हिन्दू धर्म से हुई। केरल ने भारत को बहुत से संत और स्मारक दिए है। हिंदुत्व और अद्वैत दर्शन का प्रसार करने वाले आदिशंकराचार्य एक धार्मिक दर्शनशास्त्री थे, जिनका सम्बंध केरल से है। अशोक के समय में यहाँ बुद्ध धर्म काफी प्रसिद्ध था लेकिन 12 वी शताब्दी से यह भी धूमिल हो गया। कुछ हिन्दू समुदाय जैसे सामंत क्षत्रिय्म अम्बलावासी, नायर, तिय्यास और मुस्लिम मरुमाक्काथायम के नाम से जाने जानी वाली पारंपरिक मैट्रिलिनियल प्रणाली अपनाते थे, जबकि भारत की आज़ादी के बाद यह प्रणाली भी धूमिल हो गयी। भारत के दुसरे राज्यों की तुलना में केरल राज्य में लिंग असमानता की मात्रा ज्यादा है।

केरल की भाषा – Language of Kerala

यहाँ के लोग मलयालम बोलते है। ज्यादातर लोग सामान्य अंग्रेजी समझते है लेकिन कुछ लोग बोल नही पाते। स्थानिक लोग तमिल भाषा का प्रयोग करते है।

केरल राज्य की संगीत और नृत्यकला – Folk Dance in Kerala State

इस राज्य की संगीत और नृत्यकला अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है, जिसमे आपको यहाँ पर शास्त्रीय संगीत में मलायलम साहित्य का अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। प्राचीन काल से हिन्दू मान्यता अनुसार मंदिर और पूजागृह में भजन, कीर्तन इत्यादि में अधिकतर शास्त्रीय संगीत शामिल होता आया है, जिसकी रचना विभिन्न शास्त्रीय राग पर आधारित होती है।इसके अलावा कथकली नृत्य संगीत, गझल, आधुनिक फिल्म संगीत, पश्चिमी देशों का पॉप गीत संगीत,कनन्या, ओट्टंथुल्लल, पुल्लूवार गीत संगीत का अधिक प्रचलन है जिसमे लोकगीत भी शामिल है। संगीत के विभिन्न उपकरणों में मड्डालम (तबला), थिमीला (डमरू), इलाथलम ( ताश/झांज), इडक्का ( छोटे ड्रम के आकार का संगीत उपकरण) इत्यादि का उपयोग किया जाता है। यहाँ की नृत्यकला काफी समृध्द है जिसका जिक्र समूचे भारत में होता है, यहाँ के नृत्य प्रकारो में आपको संस्कृति और धार्मिक मान्यता का मेलजोल दिखाई पड़ता है जिसमे शामिल प्रमुख नृत्य प्रकार होते है जैसे के – मोहिनीअट्टम, थेय्यम, थिरुवथिरुकली, चक्यार कूथू कूडियाट्टम, ओट्टमथुल्लाल इसके अलावा केरल राज्य का प्रमुख और प्रसिध्द पारंपारिक नृत्य ‘कथकली’ इत्यादि।

केरल राज्य के लोगो का भोजन प्रकार – Staple Food of Kerala State

इस राज्य के भोजन प्रकारो में शाकाहारी और माँस से बने व्यंजन शामिल होते है जिसमे अधिकतर सी फूड्स यानि समुद्री भोजन का उपयोग किया जाता है। यहाँ के भोजन में अधिक मात्रा में चावल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे चावल से बने विभिन्न व्यंजन शामिल है जैसे के इडली, दोसा, सांभर वडा, उत्तपम, भात आदि शामिल होते है। निचे हम आपको केरल के भोजन में प्रमुखता से शामिल होनेवाले शाकाहारी और माँस के व्यंजन की सूचि दे रहे है, जिससे आपको समझने में और अधिक आसानी होगी।

केरल के शाकाहारी व्यंजन – Vegetarian Dishes of Kerala
  • अप्पम (नारियल का दूध, नारियल के पानी, चावल यीस्ट और चीनी के मिश्रण से बननेवाला पदार्थ)
  • पुट्टु और कड़ाला करी (उबले हुए चावल का केक और केले के पत्ते से बननेवाला व्यंजन)
  • एरिसेरी
  • ईला सादा
  • दोसा घी रोस्ट विथ सांभर
  • इडली सांभर
  • मालाबार पैरोटा
केरल में माँस से बननेवाले प्रमुख व्यंजन प्रकार – Non Vegetarian Dishes of Kerala
  • झिंगा करी
  • नादान कोझी वरुथु
  • नादान बीफ फ्राई
  • करीमीन पोलीचाथु
  • इडियप्पम विथ करी (चावल का आटा, नमक, और पानी के मिश्रण से बननेवाला व्यंजन जिसे आम तौर पर अंडा करी के साथ खाया जाता है)
  • थालास्सेरी बिरयानी
  • फिश मोली
  • कल्लूमक्काया उलारथियाथु
  • एराची वरुथार्चा करी

केरल के लोगों की मुख्य वेशभूषा – Costume/Dress of Kerala

भारतीय राज्य केरल की वेशभूषा खुदमे अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखती है, जिसमे ‘मुंडू’ नामक परिधान महिला और पुरुषो के लिए एक सा होता है, मुंडू कमर से निचे पैरो तक पहना जाने वाला वस्त्र प्रकार होता है जो के आम तौर पर सफ़ेद रंग का होता है। केरल के पुरुषो के मुख्य परिधान में मुंडू और मेलमुंडु वस्त्र प्रकार शामिल होता इसके अलावा शर्ट, टी शर्ट के साथ मुंडू वस्त्र भी अधिकता से पहना जाता है। त्यौहार और अन्य खुशियों के मौको पर पुरुषो के पोशाख में मुंडू और जब्बा शामिल होता है वही कुर्ता और शेरवानी भी पहनने का प्रचलन यहाँ आम तौर पर देखा जा सकता है। आजकल शर्ट, टी शर्ट के साथ साधा तथा जींस पैंट पहनने का चलन भी यहाँ अधिकता से देखने को मिलता है। बात करे महिलाओ के परिधान की तो साड़ी यहाँ पर आम तौर पर सभी महिलाओ द्वारा पहना जाने वाला पोशाख है, इसके अलावा मुंडू और ब्लाउज, मुंडम नेरियाथम, सलवार कुर्ती भी यहाँ पे खास तौर पर पहना जाता है। मुस्लिम महिलाओ में बुरखा इत्यादि साड़ी या सलवार कुर्ती के ऊपर पहनने का प्रचलन भी आम तौर पर दिखाई देता है।

केरल राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/ यूनिवर्सिटी – Educational Institutions/ Universities in Kerala State

निचे हम आपको केरल राज्य में मौजूद प्रमुख शिक्षा संस्थानों का ब्यौरा दे रहे है, जिसमे आपको केरल राज्य में मौजूद सभी प्रमुख शिक्षा संस्थानों के बारे में जानकारी हासिल होगी।

  • यूनिवर्सिटी ऑफ़ कालिकत – मलप्पुरम
  • कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी – कोची
  • यूनिवर्सिटी ऑफ़ केरल – तिरुअनंतपुरम
  • ए पी जे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटीकेरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस – थ्रिसुर
  • कन्नूर यूनिवर्सिटी – कन्नूर
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी – तिरुअनंतपुरम
  • केरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल
  • भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान – पलक्कड़
  • महात्मा गाँधी यूनिवर्सिटी – कोट्टायमइंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- कोट्टायम
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस – कोची

केरल राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल – Famous Tourist Places in Kerala

Tourist Places in Kerala
Tourist Places in Kerala

केरल भारत का विकसित और समृध्द राज्य है, जिसको प्राकृतिक सुंदरता का अनमोल उपहार मिला हुआ है राज्य में आपको विभिन्न सुंदर स्थल देखने को मिलेंगे जिसमे प्राकृतिक समुद्री तट, वॉटर फॉल्स, प्राचीन मंदिर, भवन, स्मारक, नेशनल पार्क, वन्यजीव अभयारण इत्यादि शामिल है। निचे हम आपके जानकारी हेतु ऐसेही कुछ प्रसिध्द स्थलों की जानकारी दे रहे जिसे जानकर आपको एक बार अवश्य ऐसे जगह पर घूमने जाने का विचार मन में आयेगा।

  • एडक्कल गुफाएँ
  • अनामुडी पर्वत श्रेणी
  • कोचीन बंदरगाह
  • अथिरपिल्ली वॉटर फॉल्स
  • चेम्ब्रा पर्वत
  • एराविकुलम नॅशनल पार्क
  • चेराई समुद्री तट
  • वर्कला समुद्री तट
  • बेकल किला
  • मुट्टापट्टी डैम
  • साइलेंट वैली नॅशनल पार्क
  • पथीरामनल आइसलैंड
  • कुरुवाद्वीप
  • चीयप्पाऱा वाटरफॉल्स
  • अष्टमुंडी लेक
  • सूचीपारा वाटरफॉल्स
  • कृष्णापुरम पैलेस
  • विलिंग्डन आइसलैंड
  • जटायु अर्थ सेंटर
  • कोझिकोड समुद्री तट
  • तुषारगिरी वाटरफॉल्स
  • सीसाइड होम स्टे
  • बोलगट्टी पैलेस एंड आइसलैंड रिसोर्ट
  • वंडरला एम्यूजमेंट पार्क
  • पलक्कड़ किला
  • वाई पिन
  • मालमपुझ्झा डैम
  • पोनमुडी हिल स्टेशन
  • चंद्रगिरी किला
  • बनासुरा हिल्स

केरल राज्य में मौजूद पवित्र धार्मिक स्थल – Temples in Kerala

Temples in Kerala
Temples in Kerala

केरल में हिन्दू, मुस्लिम, ख्रिश्चन, बौध्द,जैन आदि धर्मो के लोगो का अधिवास है, इसलिए यहाँ पर इन सभी धर्मो से जुड़े पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद है ऐसेही कुछ धार्मिक स्थलों का विवरण हमने निचे दिया हुआ है, जैसे के;

केरल राज्य के प्रसिध्द व्यक्तित्व – Famous Personalities of Kerala

Famous Personalities of Kerala
Famous Personalities of Kerala

प्राचीन काल से केरल राज्य एक विकसित राज्य के तौर पर जाना जाता है, जहाँ पर विभिन्न क्षेत्र के प्रसिध्द व्यक्तियों ने जन्म लिया है इनमे शामिल कुछ प्रमुख व्यक्तियों के नाम निचे दिए हुए है, जैसे के ;

  • पूर्व भारतीय राष्ट्रपति के आर नारायणन
  • अभिनेत्री असिन
  • भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर
  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसंत
  • महिला वैज्ञानिक टेस्सी थॉमस
  • गायक येसुदास
  • आदी शंकराचार्य
  • पूर्व मिस इंडिया विजेता पार्वती ओमनाकुट्टन
  • गायिका के एस चित्रा
  • प्रसिध्द महिला एथलीट पी. टी उषा
  • भारतीय धवल क्रांति के जनक डॉ. वर्गीस कुरियन
  • भारतीय महिला एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज

केरल राज्य अंतर्गत बहनेवाली प्रमुख नदियाँ – Rivers of Kerala

यहाँ हम जानेंगे केरल राज्य में बहनेवाली प्रमुख नदियों के बारे में, जिसकी सूचि निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के;

  • पेरियार
  • भारतापुज़्ज़ह
  • पंपा
  • चलियार
  • चलाकुड्डी
  • काबिनी
  • मीनाचिल
  • अचानकोविल
  • नैय्यर
  • वालपट्टनम
  • कल्लादा
  • पंबर
  • कोरपुजहा
  • कर्मना
  • ईथिक्कारा

केरल के महोत्सव – Festival of Kerala

केरल के बहुत से मंदिरों में साल भर विविध महोत्सवो का आयोजन किया जाता है। महोत्सव के दौरान पवित्र ध्वज का आरोहण किया जाता है और महोत्सव के अंतिम दिन निकाल दिया जाता है। राज्य के मुख्य महोत्सवो में पूरम शामिल है, जिसे थ्रीसुर पूरम के नाम से भी जाना जाता है। “हाथी, आतिशबाजी और विशाल जनता” थ्रिसुर पूरम के मुख्य आकर्षण है। दुसरे मुख्य महोत्सवो में मकराविलाक्कू, चिनाक्काथूर पूरम नेंमारा वल्लंगी वेला और उत्सवं मंदिर शामिल है। इस दौरान मंदिर के देवता की मूर्ति को पालकी में बिठाकर हाथी के साथ उनका जुलुस निकाला जाता है। जब यह जुलुस लोगो के घर तक पहुचने लगता है तो लोग भगवान को चावल, नारियल और प्रसाद चढाते है। जुलुस में पारंपरिक संगीत जैसे पंचावाद्यम बजाये जाते है। केरल और पर्यटन लगभग एक दुसरे पर्यायवाची है। भरपूर उष्णकटिबंधीय हरियाली, नारियल के पेड़, गदगद कर देने वाली पानी पर तैरती नाव, मंदिर, आयुर्वेद की सुगंध, दुर्लभ झीले, नहर और द्वीप इत्यादि केरल को आकर्षित बनाते है। जो लोग दुनिया भर की सैर करना चाहते है उनके लिए केरल का सफल बेहद यादगार होंगा।

केरल राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Kerala

  • भारतीय राज्य केरल के इतिहास की जानकारी कौनसे किताबो से प्राप्त होती है? (Kerala State History Books?) जवाब: केरल हिस्ट्री एंड इट्स मेकर्स, अ सर्वे ऑफ़ केरल हिस्ट्री, त्रावणकोर स्टेट मैन्युएल, कल्चरल हेरिटेज ऑफ़ केरल, ब्राम्हण सेट्लमेंट्स इन केरल, सोशल मोबिलिटी इन केरल, पर्सपेक्टिव्स ऑन केरल हिस्ट्री, हिस्ट्री ऑफ़ केरल – प्रीहिस्टोरिक टू प्रेजेंट, केरल एंड फ्रीडम स्ट्रगल इत्यादि।
  • केरल राज्य का कौनसा जिला प्राकृतिक दृष्टी से सुंदर और रमणीय है? (Most Beautiful Districts of Kerala State?) जवाब: इडुक्की जिला।
  • भारतीय राज्य केरल में कुल कितनी नदियाँ है? (How Many Rivers in Kerala State?) जवाब: लगभग चव्वालीस (४४) नदियाँ केरल राज्य के अंतर्गत बहती है।
  •  केरल राज्य में कुल कितने बाँध मौजूद है? (How Many Dams in Kerala State?) जवाब: लगभग तैतीस (३३) बाँध केरल राज्य में मौजूद है।
  •  केरल राज्य में सबसे बड़ा कौनसा बाँध मौजूद है?(Biggest Dam in Kerala State) जवाब: मलमपुझ्झा बाँध(Malampuzha Dam)।
  • भारतीय राज्य केरल के अंतर्गत कुल कितने हवाई अड्डे मौजूद है? (How Many Airports in Kerala State?) जवाब: पाँच (Five)
  • केरल राज्य में कौनसे प्राकृतिक समुद्री तट मौजूद है? (Beaches in Kerala State?) जवाब- कोवालम, वर्कला, अलपुझ्झा, बेकल, चवक्कड़, नट्टिका, कप्पड़, मरारी, कोझिकोड समुद्री तट, मिनकुन्नू, कप्पिल, चेरारी इत्यादि।
  • केरल राज्य में पर्यटन हेतु घूमने जाना हो तो कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best Time to visit Kerala State?) जवाब: जून माह से लेकर फरवरी माह तक।
  •  भारतीय राज्य केरल देश -दुनिया में क्यों प्रसिध्द है? (Why Kerala State is so Famous?) जवाब: प्राचीन काल से केरल राज्य आर्थिक और व्यापारिक दृष्टी से प्रमुख केंद्र रहा है। केरल राज्य मसालों, खुशबूदार पदार्थ, रबर इत्यादि के उत्पादन के लिए भारत में मशहूर है, तथा शिक्षा में अधिक साक्षरता दर होने से भी इस राज्य की देश में अलग पहचान है। प्राकृतिक सुंदरता से पूर्ण ढेर सारे स्थल राज्य में मौजूद होने के वजह से केरल का पर्यटन बहुत ही विकसित हुआ है, इत्यादि कई कारणों की वजह से केरल राज्य देश दुनिया में काफी ज्यादा मशहूर है।
  • केरल राज्य में कौनसे वन्यजीव अभयारण मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Kerala State?) जवाब: पेरियार, परम्बिकुलम, चिन्नार, इडुक्की, वायनाड, नेय्यर, पेप्पारा, अलारम, थट्टेकाड इत्यादि।

राजस्थान का इतिहास और जानकारी | Rajasthan History information

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Rajasthan History in Hindi

जब हम Rajasthan – राजस्थान की बात करते है तो हमारे दिमाग में क्या आता है? सुन्दर महल, ऊँट की राजसी सवारी और आकर्षक विरासत। प्राचीन वास्तुकला राजस्थान को निश्चित रूप से शाही बनाती है। तो आइये आज इसी समृद्ध राजस्थान के बारे में जानते है।

राजस्थान का इतिहास – Rajasthan History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) राजस्थान(Rajasthan)
राजस्थान की राजधानी (Capital of Rajasthan) जयपुर (Jaipur)
राज्य निर्मिति का साल (Statehood) ३० मार्च १९४९।
राज्य की प्रमुख भाषाएँ (Languages of Rajasthan)
  • राजस्थानी,
  • हिंदी,
  • अंग्रेजी,
  • सिंधी,
  • मारवाड़ी,
  • संस्कृत,
  • उर्दू ,
  • पंजाबी,
  • गुजराती।
क्षेत्रफल की दृष्टी से राज्य का देश में स्थान (Areawise State Rank in India) प्रथम स्थान (1st)
जनसँख्या के दृष्टी से राज्य का देश में स्थान (Populationwise State Rank in India) सातवाँ ( 7th)
राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Rajasthan) ६,८५,४८,४३७ (साल २०११ के जनगणना अनुसार)
राज्य का साक्षरता दर (Literacy Rate of State) ६९.७० प्रतिशत (%)
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Rajasthan) ऊंट और चिंकारा हिरण।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Rajasthan) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड/ गोदवन।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Rajasthan) खेजरी/ग़ाफ़ वृक्ष।
प्रमुख पुष्प (State Flower of Rajasthan) रोहिड़ा पुष्प।
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Rajasthan) बास्केटबॉल।
राज्य के प्रमुख फल (State Fruit of Rajasthan) खजूर, ब्लैकबेरी।
राजस्थान का पारंपरिक नृत्य (Folk Dance of Rajasthan) घूमर
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की सँख्या (Rajasthan ke Jile) ३३ (Thirty Three)
कुल तहसील की सँख्या २४४( साल २०११ के गणना अनुसार)
राज्य अंतर्गत कुल ग्रामीण विभागों की सँख्या (Villages in State) ४४,७९५।
राज्य का सबसे बड़ा जिला (Largest District of Rajasthan) जैसलमेर(Jaisalmer)।
राजस्थान में मौजूद कुल नगर परिषद् की सँख्या (Nagar Parishad Rajasthan) ३४ (Thirty Four)
राजस्थान में मौजूद कुल ग्राम पंचायत की सँख्या (Total Panchayat in Rajasthan) ९१७७।
वित्तीय और राज्य निहाय राजस्थान की कोड सँख्या (State Code of Rajasthan) ८ (Eight)

राजस्थान की जानकारी – Rajasthan Information in Hindi

Rajasthan राजस्थान भारत के उत्तर-पश्चिम में बसा हुआ राज्य है। राज्य में पर्यटकों का मुख्य आकर्षण विशाल थार रेगिस्तान और दुनिया की प्राचीनतम स्मारक रेंज, अरावली है। यहाँ के मंदिरों, किलो और महलों में दिखने वाली राजपुताना विरासत की स्थापना राजपूत राजा जैसे बाप्पा रावल, राणा कुम्भा, राणा सांगा और राणा प्रताप ने की है। इस राज्य का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है।

राजस्थान के इतिहास को तीन भागो में विभाजित किया जा सकता है – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। प्राचीन काल, 1200 AD तक : राजपूत वंश की उत्पत्ति हुई और 700 AD से ही वे राजस्थान के विविध भागो में रहने लगे थे। इससे पहले, राजस्थान बहुत से गणराज्यो का भाग रह चूका था। यह मौर्य साम्राज्य का भी भाग रह चूका था।

इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने वाले मुख्य गणराज्यो में मालवा, अर्जुन्या, योध्या, कुशान, सका सत्रप, गुप्ता और हंस शामिल थे। भारतीय इतिहास में राजपूतों का प्रभुत्व आठवी और बारहवी शताब्दी AD के समय देखा गया था। 750 से 1000 AD के समय में प्रतिहार ने राजस्थान और उत्तरी भारत के ज्यादातर क्षेत्र पर शासन किया था।

1000 से 1200 AD के बीच राजस्थान को चालुक्य, परमार और चौहान के बीच संघर्ष करना पड़ा।

मध्यकालीन समय, 1201-170:

इसवी सन 1200 AD में राजस्थान का कुछ भाग मुस्लिम शासको के कब्जे में आ गया था। उनकी शक्ति के केंद्रीय स्थानों में नागौर और अजमेर शामिल थे। रण थम्बोर भी अधीनता के तहत ही था। 13 वी शताब्दी AD के शुरू में, राजस्थान का सबसे मुख्य और शक्तिशाली राज्य, मेवाड़ था।

आधुनिक समय, 1707-1947:

मुग़ल सम्राट के कब्ज़ा करने से पहले राजस्थान कभी भी राजनितिक रूप से एकता के सूत्र में नही बंधा। मुग़ल सम्राट अकबर ने राजस्थान में एकीकृत सिद्धता का निर्माण करवाया। 1707 के बाद मुग़ल शक्तियां कम होने लगी और उनका प्रभाव भी कम होने लगा।

मुग़ल साम्राज्य के पतन होते ही मराठा साम्राज्य ने राजस्थान पर आँख जमा ली। 1755 में उन्होंने अजमेर पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद 19 वी शताब्दी के शुरू में पिंडारी द्वारा हमला किया गया।

राजस्थान की भाषा – Rajasthan language

राजस्थानी राज्य की सर्वाधिक बोली जाने वाली और अधिकारिक भाषा है। साथ ही लोग हिंदी ,उर्दु , सिन्धी, पंजाबी, संस्कृत और गुजराती भाषा का भी उपयोग करते हैं।

राजस्थान राज्य के जिलों की सूचि – List of Districts in Rajasthan State

यहाँ हम जानेंगे भारतीय राज्य राजस्थान में मौजूद कुल ३३ जिलों के बारे में, जिसे हमने सूचि अनुसार वर्गीकृत करके निचे दिया है।क्षेत्रफल के दृष्टी से राजस्थान का देश में अग्रक्रम लगता है, जिसका बड़ा क्षेत्र रेगिस्तान के रूप में फैला हुआ है। फिर भी इस राज्य के सुंदरता में कोई भी कमी दिखाई नहीं पड़ती, ऐसेही कुछ जिलों पर हम नजर डालेंगे, जैसे के –

  •  अजमेर
  •  अलवार
  •  बाड़मेर
  • बँसवारा
  •  बरन
  •  बीकानेर
  •  भीलवाड़ा
  •  भरतपुर
  •  बूँदी
  •  चित्तौडग़ढ़
  •  चूरू
  • दौसा
  •  डूंगरपुर
  •  ढोलपुर
  • हनुमानगढ़
  •  जालौर
  •  जयपुर
  • जैसलमेर
  •  झलवार
  •  जोधपुर
  • झुनझुनु
  •  करौली
  •  कोटा
  • प्रतापगढ़
  •  पाली
  •  नागौर
  •  सवाई माधोपुर
  •  राजसमंद
  • सिरोही
  •  सीकर
  •  टोंक
  •  श्री गंगानगर
  •  उदयपुर

राजस्थान राज्य की संस्कृति और परंपरा – Culture And Tradition of Rajasthan

प्राचीन काल से भारतीय राज्य राजस्थान को सांस्कृतिक, ऐतिहासिक तथा कलात्मक विरासत मिली हुई है,जिसमे यहाँ के महान राजाओ का अद्भुत गौरवशाली इतिहास देश दुनिया पर अपनी अलग पहचान स्थापित कर चूका है। राजस्थान राज्य में मारवाडी, सिंधी, राजपूत, गुजराती, बंजारा जीवनशैली का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जिसमे गुर्जर और बंजारा समुदाय के लोगो भी कई सालो से यहाँ रह रहे है।

राज्य में आपको हिन्दू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई इत्यादि धर्मो के लोगो का प्रमुखता से अधिवास है, जिसके वजह से इन सभी धर्मो से जुड़े सालभर में आनेवाले त्यौहार राज्य में मनाये जाते है। प्राचीन भारतीय सिंधु सभ्यता से जुड़े पुरातत्व अवशेष भी यहाँ मौजूद कालीबंगन नामक जगह पर प्राप्त हुए है इससे साफ जाहिर होता है के एक समृध्द जीवनशैली प्राचीन राजस्थान में मौजूद थी।

राजस्थानी भाषा का राज्य अंतर्गत सबसे अधिक बोली चाली में प्रयोग किया जाता है, इसके अलावा सिंधी, गुजराती, मारवाड़ी, उर्दू, अंग्रेजी इत्यादि भाषा भी उपयोग में लाई जाती है। राजस्थान राज्य को समृध्द बनाने में राणा संगा, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, गुर्जर, प्रतिहार वंशो के राजाओ का अनमोल योगदान है, मूल रूप से राजपूत, गुर्जर, मारवाड़ी, सिंधी इत्यादि लोग राजस्थान से जुड़े होने के पुख्ता सबूत ऐतिहासिक दस्तवेजो से प्राप्त हुए है।

हिन्दू धर्म में मौजूद शैव, वैष्णव, शाक्त, नाथ संप्रदाय के लोग आदि काल से राज्य अंतर्गत मौजूद है, इसके अलावा मुस्लिम धर्म के प्रसिध्द संत मोईनुद्दीन चिश्ती का भी राजस्थान में अधिवास था जिनका प्रसिध्द दरगाह अजमेर शरीफ नामसे अजमेर शहर में मौजूद है।

राजस्थानी कला को देश दुनिया में काफी ज्यादा सराहा जाता है, जिसमे लकड़ी पर कारागिरी , संगमरमर पत्थर कारागिरी, चित्रकला, रेत पर कारागिरी, हस्तकला इत्यादि शामिल है।राज्य में बंजारा, गुर्जर, राजपूत सभ्यताओं और मान्यताओं का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है, जिसमे मौजूदा जीवनशैली में आपको आधुनिकता और पारंपारिक भारतीय संस्कृति के मेल जोल के विलोभनीय दर्शन देखने को मिलते है।

‘घूमर’ नृत्य राज्य का पारंपारिक नृत्य प्रकार है, इसके साथ राजाओ का स्थान के नामसे सूचक राजस्थान ऐसा राज्य का नामकरण हुआ है, इसकी झलक आपको राज्य में मौजूद सुंदर राजमहल, किले, बाग-बगीचे, तालाब इत्यादि तौर पर देखने को मिल जाती है।

राजस्थान की कला संस्कृति – Art Culture of Rajasthan State

प्राचीन और मध्ययुगीन भारत के इतिहास में आपको विभिन्न वास्तुकला और चित्रकला के अविष्कार देखने को मिलते है जिसमे से आग्रा शहर के खूबसूरत ताजमहल के निर्मिति का संबंध भी राजस्थान के कारागिरी से जुड़ा हुआ है।

ताजमहल के निर्मिति में उपयोग में लाया गया संगमरमर अधिक मात्रा में राजस्थान से ही लाया गया था, इसके साथ यहाँ के करागिरो की सँख्या भी इस भव्य वास्तु को बनाने में अधिक थी।

राजस्थान भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ लगभग सभी क्षेत्र से जुड़े करागिर मौजूद है, जिसमे भवन निर्माण, पत्थर पर सुंदर नकाशी निर्माण, चित्रकला, लकड़ी पर नकाशी का निर्माण,लोह उद्योग से जुड़े सामग्री का निर्माण, स्मारक स्थल निर्माण, कपड़ो पर हस्तकला और डिजाइन निर्माण, बुनाई, सूत कताई, रेत कला, प्लैस्टर और पैरिस से इंटेरिअर डिज़ाइन तक शामिल है।

राज्य में मौजूद ऐतिहासिक किले, महल, भवन, नगर रचना, तालाब, धार्मिक स्थल, शिल्प वास्तुए हर जगह आपको बेजोड़ कारागिरी के दर्शन होते है, इस वजह से भी इस राज्य के पर्यटन में विगत कई दशकों से बड़ी मात्रा में वृद्धि हुई है, जहा सालाना लाखो की सँख्या में देश विदेश से लोग घूमने आते है।

राजस्थान की नृत्यकला और संगीत – Music and Folk Dance in Rajasthan.

जितनी प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति है उतनी ही विविधताएँ हमें देश अंतर्गत विभिन्न राज्यों में देखने को मिलती है, और हर राज्य अपनी खुदकी अलग और विशिष्ट कला संस्कृति सहेज कर रखे हुए है। राजस्थान राज्य का संगीत और नृत्य काफी मनोहारी और आकर्षक है जिसपर यहाँ के मूल निवासी लोगो के सभ्यता और मान्यताओं का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है।

शास्त्रीय संगीत के साथ पारंपारिक गीत संगीत में पनिहारी, बंजारा गीत, भजन गीत, कीर्तन सुमिरन गीत, लोकगीत, ठुमरी, दादरा, कजरी, सूफी संगीत, बोरगीत, श्याम संगीत आदि का अधिक प्रचलन देखने को मिलता है जिसमे यहाँ का बीकानेरी घराना मशहूर है।

मेहला नामक शास्त्रीय संगीत यहाँ के राजमहलों में पूर्व काल से पसंद किया जाता है और इसका विस्तार राज्य अंतर्गत बड़े पैमाने पे हुआ है, राजस्थान का संगीत सबसे विशिष्ट और सुनकर मन प्रसन्न करनेवाला होता है जिसमे वर्षाकाल में मानो इस नृत्य पर स्वयं मोर नृत्य कर रहा हो ऐसा मन के नृत्य करने का आभास होता है।

बात करे यहाँ के नृत्य की तो घूमर नृत्य यहाँ का प्रसिध्द पारंपारिक नृत्य प्रकार है इसके अलावा कालबेलिया , डांडिया, चरी, चंग, गेर, पनिहारी, गींदड़, बमरसिया, तेराताली, भवई, कच्छी घोड़ी ढोल नृत्य, घुड़ला नृत्य, कठपुतली, लूर आदि नृत्य प्रकार भी प्रमुखता से शामिल है।

राजस्थान का भोजन प्रकार – Staple Food in Rajasthan State.

भारतीय राज्य मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र की तरह राजस्थान राज्य का भोजन प्रकार भी काफी लज्जतदार और स्वादिष्ट माना जाता है, जिसमे आपको ढेर सारे व्यंजन देखने को मिलते है। यहाँ के रोज मर्रा के भोजन में आपको कमसे कम चार से पाँच व्यंजन आम तौर पर देखने को मिलेंगे जिसमे छाँछ के बगैर मानो राजस्थानी भोजन अधूरा होता है।

ऐसेही कुछ प्रमुख शाकाहारी और माँसाहार से जुड़े व्यंजनों का ब्यौरा हम निचे दे रहे है, जिसको पढ़ने के बाद शायद आपके भी मुँह में पानी आ जायेगा।इनमे शामिल व्यंजन है जैसे के –

  • गट्टे
  •  प्याज की कचौड़ी
  •  कलाकंद
  •  मोहन माँस
  •  मिर्ची बड़ा
  •  मावा कचौड़ी
  •  लाल माँस
  •  मोहन थाल
  •  दाल बाटी चूरमा
  •  जलजीरा
  •  कढ़ी
  • मसाला छाँछ
  • घेवर
  •  बाजरा की राब
  •  मूँग दाल का हलवा
  •  कचरी, इमली, टमाटर, लहसुन के मिश्रण की चटनी
  •  मालपुआ
  • लहसुन चटनी के साथ बाजरा रोटी
  •  बालूशाही
  •  चूरमा लड्डू
  •  बूँदी रायता
  •  केर सांगरी
  • आम की लुंजी
  • बादाम का हलवा
  •  गुजिया
  • मेथी बाजरा पूरी
  • कलमी वड़ा
  • दूधिया खींच(रबडी जैसा व्यंजन)

राजस्थान के लोगो की प्रमुख वेशभूषा – Dress/Costme in Rajasthan State Peoples

राजस्थान के लोगो की वेशभूषा काफी रंगबिरंगी दिखाई पड़ती है जिसमे यहाँ के महिलाओ की परंपरागत वेशभूषा मुख्यतः इस प्रकार की होती है, जिसमे घागरा, चोली, ओढ़नी इत्यादि शामिल है।

इसके अलावा साड़ी पहनने का प्रचलन भी यहाँ के महिलाओ में आम तौर पर दिखाई देता है, सुंदर वस्त्रो के साथ विभिन्न परंपरागत आभूषण भी यहाँ के बंजारा समुदाय के महिलाओ द्वारा पहने जाते है जिसमे नेकलेस, जाडु सेट, आड़, रानीहार, कानबाली, नथनी, बाजुबंध, रखड़ी(माँग का टिका), तगड़ी (नाभि पे पहनी जानेवाली चेन), पायल, बिछुवा,चूड़ियाँ इत्यादि पहना जाता है।

बात करे पुरुषो के परिधान की तो इसमें प्रमुखता से धोती और अंगरखा या फिर कुर्ता और पायजामा पहनने का चलन अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसके अलावा सिर पर पगड़ी पहनने यहाँ मनो आम सी बात है मतलब राजस्थानी पुरुषो में पगड़ी पहनना सम्मान और परंपरा का प्रतिक होता है।

यहाँ के पुरुषो में कानो में बाली पहनने का प्रचलन अधिक है, यु माने के ये इस राज्य के पुरुषो की खास पहचान है।आधुनिकता के इस युग में आजकल शर्ट, टी शर्ट के साथ साधा पैंट तथा जींस पैंट पहनने का प्रचलन भी शहरी विभागों में अधिक तौर पर हुआ है।

राजस्थान राज्य के अंतर्गत बहनेवाली प्रमुख नदियाँ – Rivers In Rajasthan State

देश में सबसे बड़े राज्य के तौर पर फैले हुए राज्य राजस्थान में कुछ प्रमुख नदियाँ बहती है जिनकी लंबाई में भलेही अंतर हो पर इनके बलबूते राज्य में कृषि, अन्य व्यवसाय तथा भौतिक गतिविधियों में काफी ज्यादा बदलाव हुए है, तथा राज्य के विकास में इन नदियों का योगदान मिल का पत्थर साबित हुआ है।ऐसेही कुछ नदियों पर हम यहाँ नजर डालेंगे, जिनमे शामिल नदियाँ है जैसे के –

  • साबरमती
  • बनस
  • लूनी
  • काली सिंध
  •  घग्गर
  •  माही
  •  बानगंगा
  •  जवाई
  • चंबल
  •  सुकरी
  • कोठरी
  •  कलसिल
  •  पश्चिमी बनस
  •  पारबती
  • काटली
  •  बंदी
  •  साहिबी
  •  गोमती
  •  मेज
  •  खारी
  •  अहार
  •  गंभीर
  •  वर्तक
  •  द्रव्यवती
  •  दोहन

राजस्थान राज्य की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Rajasthan

Famous Personalities of Rajasthan
Famous Personalities of Rajasthan

यहाँ हम आपका परिचय कराएँगे उन जानेमाने लोगो से जो के मूलतः राजस्थान राज्य से ही आते है, शायद आपने उनके बारे में पढ़ा होगा या उन्हें कही देखा होगा पर आपको उनका जन्मस्थान पता नहीं होगा। इस जानकारी द्वारा आपको इसका पता चल जायेगा, के वो कौनसे व्यक्तित्व है जो राजस्थान से है, जिसका ब्यौरा निम्नलिखित तौर पर है, जैसे के –

  • प्रसिध्द गायक जगजीत सिंह
  • संत कवयित्री मीराबाई
  •  निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर
  •  प्रसिध्द दिवंगत अभिनेता इरफ़ान खान
  •  महान राजा और मेवाड़ संरक्षक महाराणा प्रताप
  •  रानी जोधाबाई
  •  रानी पद्मावती
  • थाली फेक खिलाडी कृष्णा पुनिया
  •  शास्त्रीय संगीत कलाकार विश्व मोहन भट्ट
  •  महान शासक राणा संगा
  •  व्यावसायिक जमनलाल बजाज
  • स्टील उद्योग के व्यवसायी लक्ष्मी मित्तल
  •  व्यावसायिक मोतीलाल ओसवाल
  •  जानकारी तकनीकी विशेषज्ञ डी पी शर्मा
  •  प्रसिध्द गायिका इला अरुण
  •  प्रसिध्द गझल गायक मेहदी हसन
  •  फिल्म निर्माता ताराचन्द बड़जात्या
  •  गीतकार हसरत जयपुरी
  • फिल्म कलाकार असरानी
  •  अभिनेत्री साक्षी तन्वर
  •  भारतीय क्रिकेट नियामक बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह डुंगरपुर
  •  भारतीय स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार
  •  आई सी आई सी आई बैंक की पूर्व अध्यक्ष चंदा कोचर
  • पूर्व भारतीय उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत
  • पूर्व क्रिकेटर सलीम दुर्रानी

राजस्थान राज्य के प्रसिध्द पर्यटन स्थल – Famous Tourism Places in Rajasthan State.

Tourism Places in Rajasthan
Tourism Places in Rajasthan

भारत में पर्यटन की दृष्टी से राजस्थान राज्य प्रमुख राज्यों में से एक माना जाता है, जिसके सालाना आय के स्त्रोतों में पर्यटन से आनेवाला मुनाफा काफी ज्यादा होता है। इसकी प्रमुख वजह है यहाँ के सुंदर वास्तु, भवन, महल तथा प्राकृतिक सुंदर स्थल, ऐसेही कुछ प्रमुख स्थलों का विवरण हम यहाँ निचे दे रहे है, जिनमे शामिल स्थल इस प्रकार से है –

राजस्थान राज्य में मौजूद पवित्र धार्मिक स्थल – Holy Religious Places in Rajasthan State.

Temples in Rajasthan
Temples in Rajasthan

जिस तरह से राजस्थान राज्य पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिध्द है वैसे ही यहाँ के कुछ पवित्र धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ साल भर लगी रहती है, जिनका धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकास हुआ है।

अधिकतर धार्मिक स्थलों में आपको यहाँ अद्भुत कलाशैली देखने को मिलेगी साथमे इनकी आध्यात्मिक विशेषता और सुंदरता भी उतना ही महत्व रखती है। ऐसेही कुछ धार्मिक स्थलों का विवरण निम्नलिखित तौर पर है जैसे के –

  • करनी माता मंदिर
  • अजमेर शरीफ दरगाह
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर
  • सालासार बालाजी हनुमान मंदिर
  •  ब्रम्हा मंदिर – पुष्कर
  • खाटू श्याम मंदिर
  •  ओसियन माता मंदिर
  •  श्री राणीसती धाम मंदिर
  • लक्ष्मण मंदिर
  •  सावित्री माता मंदिर
  •  सहस्त्रबाहु मंदिर
  • तनोट माता मंदिर
  •  जगदीश मंदिर
  •  रंकापुर जैन मंदिर
  •  गलता जी
  •  श्रीनाथजी मंदिर
  •  बिरला मंदिर
  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर
  •  दिगंबर जैन मंदिर
  •  ढाई दिन का झोपड़ा
  •  सेठ भांडसार जैन मंदिर
  •  बिसाल देव मंदिर
  •  बोहरा गणेश जी मंदिर
  •  नक्काश की देवी गोमती धाम
  • जगत शिरोमणी मंदिर
  •  तारकेश्वर नाथ मंदिर

राजस्थान के प्रमुख महोत्सव – Festivals in Rajasthan

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारंपारिक दृष्टी से राजस्थान राज्य काफी विकसित है, जहाँ सालभर विभिन्न महोत्सव मनाये जाते है।राज्य की जीवनशैली काफी खुशहाल और ख़ुशी के अनेक रंग बिखेरती नजर आती है, जिसमे यहाँ के महोत्सव महत्वपूर्ण योगदान निभाते है। ऐसेही कुछ प्रमुख महोत्सव पर हम यहाँ नजर डालेंगे जैसे के –

  • पुष्कर कैमल फेस्टिवल (यह महोत्सव राज्य का खास आकर्षण होता है, जहाँ ऊँटो का मेला आयोजित किया जाता है और इसके द्वारा ऊँटो की खरीदी -बिक्री की जाती है)
  •  जयपुर साहित्य महोत्सव
  • आंतरराष्ट्रीय पतंगबाजी महोत्सव
  • हाथी मेला
  • ब्रिज होली
  • उर्स महोत्सव (ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह अजमेर शरीफ में यह उत्सव मनाया जाता है।)
  •  कोलायत मेला(कपिल मुनि के स्मरण में यह महोत्सव मनाया जाता है।)
  •  राजस्थान का आंतरराष्ट्रिय स्तर पर आयोजित होनेवाला पारंपारिक महोत्सव
  • मेवाड़ महोत्सव
  •  मत्स्य उत्सव
  •  रेगिस्तान महोत्सव
  •  नागौर पशु मेला
  •  बाणेश्वर महोत्सव(राज्य के जनजातियों का प्रमुख उत्सव)
  •  रामदेवरा महोत्सव
  • अश्व पूजन
  •  गणगौर उत्सव
  • कबीर यात्रा महोत्सव
  •  कोटा साहसिक कार्य महोत्सव
  •  बूँदी महोत्सव
  • महाशिवरात्री
  •  तीज
  •  कुम्भलगढ महोत्सव
  •  चंद्रभागा महोत्सव
  • दीपावली
  • गोगाजी
  • होली
  • श्री देवनारायण जयंती
  • जन्माष्टमी 

राजस्थान राज्य में मौजूद ऐतिहासिक स्थल – Historical Places In Rajasthan

  • रणथम्बोर किला
  •  मूसी महारानी की छत्री
  • जयपुर शहर का महल
  •  जूनागढ़ किला
  • गागरोन किला
  •  आभानेरी ऐतिहासिक स्थल
  •  कालीबंगन
  • चाँद बाउरी स्टेप वाल
  •  खेत्री महल
  •  विजय स्तंभ
  •  प्राचीन म्यूजियम
  •  भगड़ावत की बावड़ी

राजस्थान राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – Educational Institutions/Universities in Rajasthan State.

  • निम्स युनिवर्सिटी – जयपुर (NIMS University)
  • यूनिवर्सिटी ऑफ़ राजस्थान
  •  जयपुर नॅशनल यूनिवर्सिटी
  •  बनस्थली यूनिवर्सिटी
  •  मणिपाल यूनिवर्सिटी
  • राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी
  •  नॅशनल लॉ यूनिवर्सिटी
  •  विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी
  •  सिंघानिया यूनिवर्सिटी
  • मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी
  • पूर्णिमा यूनिवर्सिटी
  • मेवाड़ यूनिवर्सिटी
  •  जयोती विद्यापीठ वुमेन्स यूनिवर्सिटी
  •  महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी
  • जय नरेन व्यास यूनिवर्सिटी
  • महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी
  •  महात्मा ज्योति राव फुले यूनिवर्सिटी
  •  सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ राजस्थान
  •  राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस
  •  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर (IIT Jodhpur)
  • ताँतिया यूनिवर्सिटी
  •  वर्धमान महावीर मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी
  • स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी
  •  सनराइज यूनिवर्सिटी
  •  श्रीधर यूनिवर्सिटी – पिलानी

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे गए सवाल – Quiz on Rajasthan.

  • भारतीय राज्य राजस्थान के इतिहास की जानकारी हमें कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (Rajasthan State History books) जवाब: अ हिस्ट्री ऑफ़ राजस्थान, राजस्थान, कन्साइज हिस्ट्री ऑफ़ मॉडर्न राजस्थान, राजस्थान – एन ओरल हिस्ट्री, कोर्ट पेंटिंग इन राजस्थान, अर्ली चौहान डायनेस्टी, जियोग्राफी ऑफ़ राजस्थान, टोड्स एनल्स ऑफ़ राजस्थान, स्कलप्चरल ट्रेडिशन ऑफ़ राजस्थान।
  •  पर्यटन के हेतू राजस्थान राज्य में घूमने जाने के लिए कौनसा समय सबसे उचित होता है? (Best time to visit Rajasthan state) जवाब: अक्टूबर माह से लेकर मार्च माह तक का समय।
  •  राजस्थान राज्य के अंतर्गत घरो की बनावट में दिवार की मोटाई ज्यादा तथा छत अधिकतर समतल क्यों होती है? (why houses in rajasthan have thick walls and flat roofs?) जवाब: राजस्थान राज्य में अधिक मात्रा में धुप होती है जिसके कारण घरो में गरमाहट ज्यादा महसूस होती है,इसके लिए इस तरह की अधिक मात्रा की गर्मी से बचने हेतु घर बनाते समय उसकी दिवार की मोटाई ज्यादा बनाई जाती है।इसके अलावा छतो का निर्माण समतल होने की प्रमुख वजह ये है के बरसात के मौसम में ज्यादा पानी का संचय हो सके क्योंकि राजस्थान में बरसात के मौसम में बहुत कम बारिश होती है जिसके वजह से पानी को संचय कर बचाने के अधिक प्रयास किये जाते है।
  • राजस्थान राज्य में कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Rajasthan state) जवाब: तोड़गढ़ -राओली अभयारण, गजनेर अभयारण, माउंट अबू अभयारण, रामगढ-विशधारी अभयारण, कैलादेवी अभयारण, सोरसन अभयारण, बस्सी अभयारण, रामसागर अभयारण, रानीसर पक्षी अभयारण, ताल चप्पर अभयारण।
  • भारतीय राज्य राजस्थान में कौनसे बाँध मौजूद है? (Dams in Rajasthan State) जवाब: अकलेरा सागर, अलनीया, अंगोर, अमली खेड़ा, अनवासा, बाबरा, अटवारा, बनकली, बनाकिया, बड़गाव, बजरंग गढ़, बेरखेरी, बस्सी, भगोरा, भागवतगढ़, भामरी टंडी, भाटिया, भीमसागर, बिलास, भुला इत्यादि।
  • राजस्थान राज्य में कौनसे हवाई अड्डे मौजूद है? (Airports in Rajasthan State) जवाब: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कोटा एयरपोर्ट, महाराणा प्रताप एयरपोर्ट, जैसलमेर एयरपोर्ट, किशनगढ़ एयरपोर्ट, भरतपुर एयरपोर्ट, सिविल एयरपोर्ट, नागौर एयरपोर्ट इत्यादि।
  • राजस्थान राज्य जे प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे? (First Chief Minister of Rajasthan State) जवाब: हिरालाल शास्त्री।
  • भारत के राज्य राजस्थान में क्या कोई समुद्री तट मौजूद है? (Is there any beach in Rajasthan State?) जवाब: नहीं।
  • भारत में पंचायत राज की शुरुवात सबसे पहले किस राज्य में और कौनसे स्थान पर हुई थी? (In which state Panchayat Raj system was first started in India? What was the location?) जवाब: नागौर (राजस्थान) में सबसे पहले पंचायत राज की शुरुवात हुई थी।

जानिए क्या होता है ‘हार्डवेयर’

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What is Hardware in Hindi

अक्सर हम में से अधिकतर लोग रोज मर्रा के जीवन में विभिन्न उपकरणों का इस्तेमाल करते है, पर शायद बहुत ही कम लोग इन सभी उपकरणों से जुड़े विभिन्न चीजों की जानकारी रखते है। कंप्यूटर का इस्तेमाल आज के युग में बहुत ही आम बात है, इसके अलावा स्मार्टफोन का भी अधिकतर लोग उपयोग करते है।

किसी भी उपकरण को विभिन्न पार्ट्स के मदद से जोड़कर बनाया गया होता है, जिसमे हर पार्ट एक का एक विशिष्ट कार्य भी होता है। इस खास लेख में आप ऐसेही रोचक विषय के बारे जानकारी हासिल करने वाले है जिसे तकनिकी के क्षेत्र में ‘हार्डवेयर’ कहते है।

जानिए क्या होता है ‘हार्डवेयर’? – What is Hardware in Hindi

What is Hardware in Hindi
What is Hardware in Hindi

हार्डवेयर की व्याख्या- Definition of Hardware in Hindi

हार्डवेयर की व्याख्या इस प्रकार से कर सकते है जैसे के, “हार्डवेयर किसी भी उपकरण का वो हिस्सा होता है जिसे भौतिक रूप से हम छू सकते है और जिनको जोड़कर या जिसके संयुक्त रूप से जुड़ने पर किसी भी उपकरण को उपयोग के योग्य बनाया जाता है”।

अधिकतर बार मुख्य रूप से हार्डवेयर शब्द का संबोधन कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट्स को निर्देशित करने हेतु ही उपयोग में लाया जाता है।

कंप्यूटर हार्डवेयर के कुछ प्रमुख उदाहरण- Examples of Computer Hardware

यहाँ हम नजर डालेंगे कंप्यूटर हार्डवेयर से जुड़े कुछ प्रमुख उदाहरणों पर जिनकी सूचि निम्नलिखित तौर पर है जैसे के;

  • मॉनिटर (Monitor)
  • कीबोर्ड (Keyboard)
  • माउस (Mouse)
  • सी.पी.यु (CPU)
  • रैम (RAM)
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk)
  • प्रिंटर (Printer)

हार्डवेयर के कुछ प्रमुख प्रकार – Types of Hardware or Hardware Devices

यहाँ हम ब्यौरा देंगे कंप्यूटर हार्डवेयर के कुछ प्रमुख प्रकारो के बारे में जिसकी जानकारी आप सभी को होना काफी आवश्यक बन जाता है जैसे के;

  1. आउटपुट डिवाइस – Output Device

कंप्यूटर में आउटपुट डिवाइस वो हार्डवेयर प्रकार होता है जिसके द्वारा या तो जानकारी प्रदर्शित की जाती है या फिर इसे सुना जा सकता है, इसमें फलस्वरूप अन्य भी कई नतीजे प्राप्त कर सकते है। उदाहरण के तौर पर इसमें शामिल हार्डवेयर होते है जैसे के – प्रिंटर, मॉनिटर, स्पीकर, टचस्क्रीन इत्यादि।

2. सिस्टम यूनिट – System Unit

ये कंप्यूटर का केंद्र स्थान होता है जहाँ से जानकारी का आदान प्रदान किया जाता है, जिसे सामान्य भाषा में सी.पी.यु (CPU) भी कहाँ जाता है।

3. इनपुट डिवाइस – Input Device

इनपुट डिवाइस कंप्यूटर का वो हार्डवेयर प्रकार होता है जिसके द्वारा किसी भी जानकारी को कंप्यूटर तक पहुँचाया जाता है और जिसपर कार्य करते हुए फलस्वरूप कंप्यूटर से आप नतिजे प्राप्त कर सकते है, इन हार्डवेयर में मुख्य रूप से शामिल है – कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, टचस्क्रीन इत्यादि।

4. कम्युनिकेशन डिवाइस – Communication Device

इस हार्डवेयर प्रकार की मदद से हम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर के बिच आसानी से संपर्क कर सकते है, इस प्रणाली में शामिल हार्डवेयर के प्रकार को आम तौर पर मॉडेम (Modem) भी कहाँ जाता है।

5. आंतरिक पुर्जे – Internal Parts

कंप्यूटर के इन हार्डवेयर प्रकारो में वे सभी हार्डवेयर शामिल होते है जो कंप्यूटर के आंतरिक हिस्से में या यु कहे तो अंतर्गत विभाग में स्थित होते है, उदाहरण के तौर पर इनमे शामिल है जैसे के – मदरबोर्ड, हार्ड डिस्क ड्राइव, डीवीडी राइटर, रैम, सी पी यु, इस एम पी एस इत्यादि।

हार्डवेयर के विभिन्न अंगो की सूचि – Hardware Components List

  1. प्रिंटर
  2. बैटरी बैकअप
  3. माउस
  4. फ़्लैश ड्राइव
  5. पेन टैबलेट
  6. साउंड कार्ड
  7. हार्ड ड्राइव कंट्रोलर कार्ड
  8. एक्सपेंशन कार्ड
  9. नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड
  10. प्रोजेक्टर
  11. स्कैनर
  12. जॉयस्टिक
  13. वेबकैम
  14. फ्लॉपी डिस्क ड्राइव
  15. माइक्रोफोन
  16. राऊटर
  17. प्रिंट सर्वर
  18. डिजिटल मॉडेम
  19. पॉवर केबल
  20. फैन

हार्डवेयर के प्रमुख कार्य एवं उपयोग – Important Functions and Use of Hardware

  1. रैम (RAM)

कंप्यूटर में रैम वो प्रमुख हार्डवेयर होता है जिसकी मदद से जानकारी को संकलित कर प्रक्रिया में लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है, कार्य को अधिक गतिशील और सही तरीके से संचालित करने का प्रमुख जिम्मा रैम का होता है।

2. हार्ड डिस्क (Hard Disk)

हार्ड डिस्क किसी भी कंप्यूटर का वो महत्वपूर्ण पार्ट होता है जहाँ पर सभी जानकारी का संचय किया जाता है, और इसे कंप्यूटर का प्रमुख अंग कहते है जो के या तो सी पी यु में स्थित होता है या फिर बाहर रखकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. सी.पी.यु (CPU)

सी.पी.यु यानि सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट किसी भी कंप्यूटर का वो हिस्सा होता है जहाँ हार्ड डिस्क जैसा महत्वपूर्ण विभाग स्थित होता है इसके अलावा इसी के द्वारा सभी जानकारी का संचय होता है।

इसके अलावा विभिन्न आउटपुट और इनपुट डिवाइस के सॉकेट भी सी.पी.यु अंतर्गत आते है और अन्य भी विभिन्न हार्डवेयर इसके अंतर्गत आते है।

4. मॉनिटर (Monitor)

किसी भी कंप्यूटर का मॉनिटर प्रमुख हार्डवेयर में से एक होता है, जिसको स्क्रीन डिस्प्ले होता है। इसी स्क्रीन डिस्प्ले के ऊपर आप विभिन्न जानकारी, वीडियो, और अन्य कार्यो से जुड़े सभी दिशानिर्देशों को देख सकते है।

हर बार आप जो भी कार्य करेंगे उसको सीधा आप मॉनिटर पे देख सकते है और इससे आपका काम और अधिक आसान होता है, उदाहरण के तौर पे अगर आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे है तो उसका स्क्रीन डिस्प्ले आपके लिए कंप्यूटर की भाषा में मॉनिटर है जहा हर कार्य को आप देख सकते है और आसानी से पूरा कर सकते है।

5. माउस (Mouse)

इसके द्वारा किसी भी कंप्यूटर को विभिन्न कार्यो के लिए संचालित करने का प्रमुख कार्य किया जाता है जिससे आप मनचाहे परिणाम प्राप्त करने हेतु कंप्यूटर को सुचना प्रदान कर सकते है।

माउस या तो वायर द्वारा सी.पी.यु से जुड़ा होता है या इसके अन्य प्रकार में आप वायर लेस माउस द्वारा भी कार्य कर सकते है। माउस के इस्तेमाल से मॉनिटर पर विभिन्न सुचनाओ का दिशानिर्देशन दिखाई देता है और इससे आपके लिए काम करना काफी सरल बन जाता है।

6. कीबोर्ड (Keyboard)

इस हार्डवेयर का परिचय आम तौर पर आप में से सभी को होगा जिसका प्राथमिक कार्य किसी भी प्रकार की संख्या, शब्द को कंप्यूटर के माध्यम से लिखने हेतु होता है। उदाहरण के तौर पर देखे तो जैसे के अगर आपको किसी जानकारी को कंप्यूटर की मदद से टाइप करना है तो कीबोर्ड की मदद से ही ये सब संभव होता है, जिस पर अंग्रेजी भाषा के सभी अल्फाबेट के साथ शून्य से लेकर नौ तक संख्या मौजूद होती है जिसकी मदद से आसानी से आप मनचाहा परिणाम टाइप करके प्राप्त कर सकते है।

7. प्रिंटर (Printer)

इस हार्डवेयर का इस्तेमाल किसी भी जानकारी को पेपर पर उतारने हेतु किया जाता है जिसमे प्रिंटर को कंप्यूटर से जोड़ा जाता है और प्रिंटर उसको पेपर पर उतारने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। इस तरह से प्राप्त परिणाम को हार्ड कॉपी भी कहते है।

इस प्रकार से आपने अभी तक हार्डवेयर के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी को पढ़ा, जिसमे इससे जुड़े सभी पहलुओं से हमने आपको अवगत कराया है। आशा करते है दी गई जानकारी से आपको संतुष्टि हुई होगी और अधिक जानकारी हेतु हमारे अन्य जानकारीपूर्ण लेख अवश्य पढ़े हमसे जुड़े रहने हेतु धन्यवाद।

हार्डवेयर के बारे में अधिकतर बार पूछे गए सवाल – Quiz on Hardware

  •  हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में क्या अंतर होता है? (What is the difference between Hardware and Software?)
    जवाब: हार्डवेयर किसी भी कंप्यूटर का वो भाग होता है जिसे हम भौतिक रूप से छू सकते है और जिसके विभिन्न प्रकारो को जोड़कर हम कंप्यूटर मशीन को तैयार कर सकते है, इसके विपरीत सॉफ्टवेयर विभिन्न कोडिंग या प्रोग्रामिंग का संकलन होता है जो विशिष्ट आवश्यक परिणाम हेतु तैयार किये जाते है और इसे हम भौतिक रूप से छू नहीं सकते।
  • सी.पी.यु का फुल फॉर्म क्या होता है? (What is the full form of CPU?)
    जवाब: सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट।
  • रैम का फुल फॉर्म क्या होता है? (What is the Full form of RAM?)
    जवाब: रैंडम एक्सेस मेमोरी।
  • इनपुट डिवाइस और आउटपुट डिवाइस क्या होता है ?इसके कुछ उदाहरण दीजिये? (What is input device and output device?Give some examples of this?)
    जवाब: जिस हार्डवेयर की मदद से हम कुछ सुचना या दिशानिर्देश कम्प्यूटर मशीन को देते है उनको इनपुट डिवाइस कहते है उदाहरण के तौर पर कीबोर्ड,माउस इत्यादि इसमें शामिल होते है। वही दूसरे और जिस हार्डवेयर की मदद से हम कंप्यूटर मशीन से परिणाम प्राप्त करते है उसे आउटपुट डिवाइस कहते है जैसे के प्रिंटर, स्पीकर इत्यादि इसमें शामिल होते है।
  • हार्डवेयर का अपग्रेडेशन क्या होता है? इसके उदाहरण के साथ स्पष्ट किजिए? (What is Hardware upgrade?)
    जवाब: किसी भी हार्डवेयर की क्षमता में बढ़ोतरी करना या उसमे सुधार करने की प्रक्रिया को हार्डवेयर अपग्रेडेशन कहते है, इसके उदाहरण के तौर पर देखे तो जैसे अगर किसी कंप्यूटर में रैम की क्षमता २ जी बी तक है, इसे बढाकर अगर ४ जी बी रैम में परिवर्तित कर दे तो इस प्रक्रिया को हार्डवेयर अपग्रेडेशन कहते है।

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स के बारे में संपूर्ण जानकारी

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ICWA Course Details in Hindi

वाणिज्य क्षेत्र में अधिकतर लोगो का पसंदीदा विषय अकौन्टन्सी होता है, जिसमे आगे इस विषय से जुड़े करियर संबंधी बेहतरीन कोर्सेस उपलब्ध है। बात करे विभिन्न कोर्सेस की तो अकाउंट से जुड़े कोर्स आई.सी.डब्ल्यू.ए का विकल्प सबसे बेहतरीन नजर आता है।

अगर आप भी आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स में रूचि रखते है और इस कोर्स के बारे में अधिक जानकारी के इच्छुक है तो इस आर्टिकल द्वारा दी जाने वाली जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

यहाँ आप आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स से जुडी लगभग सभी प्रकार की बुनियादी जानकारी हासिल करेंगे जिसमे कोर्स का अवधी, शुल्क, कोर्स हेतु महाविद्यालय इत्यादि आवश्यक बातो की जानकारी हासिल कर पायेंगे।

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स के बारे में संपूर्ण जानकारी – ICWA Course Details in Hindi

ICWA Course Details in Hindi
ICWA Course Details in Hindi

आई.सी.डब्ल्यू.ए का फुल फॉर्म – ICWA Full Form or What is ICWA Course

अकाउंट से जुड़े आई.सी.डब्ल्यू.ए का फुल फॉर्म “इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट एंड वर्क्स अकौंट्स” होता है, जो के तीन चरण में विभाजित प्रारूप का कोर्स होता है। इसके सभी पड़ावों की जानकारी हम आगे आपको विस्तार से देने वाले है।

आई.सी.डब्ल्यू.ए का शिक्षा शुल्क – ICWA Course Fees

इस कोर्स हेतु आपका शिक्षा शुल्क लगभग ४५ हजार तक होता है, जिसमे आपके महाविद्यालय के चयन अनुसार अंतर देखने को मिल सकता है।जिसका मोटामोटी अंदाजा आपको निचे दिए गए विवरण से आ सकता है।

  1. फाउंडेशन का शुल्क – लगभग ४,०००रूपये।
  2. इंटरमीडिएट का शुल्क – लगभग २०,००० रुपये।
  3. फाइनल का शुल्क – लगभग १७, ००० रुपये।

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स का प्रारूप – ICWA Course Structure

इस कोर्स का प्रारूप तीन स्तर का होता है जिसमे निम्नलिखित प्रकार के स्तर होते है, जैसे के;

  • फाउंडेशन
  • इंटरमीडिएट
  • फाइनल

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स का अवधी – ICWA Course Duration

इस कोर्स का कुल अवधी ३ साल का होता है, जिसमे आपके अधिकतर बार असफल होने पर इस अवधी में बढ़ोतरी हो जाती है।

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स का पाठ्यक्रम – ICWA Syllabus

आई.सी.डब्ल्यू.ए फाउंडेशन का पाठ्यक्रम – ICWA Foundation Syllabus

  1. फंडामेंटल्स ऑफ़ इकोनॉमिक्स (पेपर १)
  2. Fundamentals of Accounting (पेपर २)
  3. फंडामेंटल्स ऑफ़ लॉ एंड इथिक्स (पेपर ३)
  4. बिज़नेस मैथमेटिक्स एंड स्टैटिस्टिक्स – फंडामेंटल्स (पेपर ४)

आई.सी .डब्ल्यू.ए इंटरमीडिएट का पाठ्यक्रम – ICWA Intermediate Syllabus

  1. फाइनेंशियल एकाउंटिंग
  2. लॉ एंड एथिक्स
  3. डायरेक्ट टैक्सेशन
  4. कॉस्ट एकाउंटिंग
  5. ऑपरेशन्स एंड स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट
  6. कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग /फाइनेंशियल मैनेजमेंट
  7. इन डायरेक्ट टैक्सेशन
  8. कंपनी एकाउंट्स एंड ऑडिट्स

आई.सी.डब्ल्यू.ए फाइनल का पाठ्यक्रम – ICWA Final Syllabus

  1. कॉर्पोरेट लॉ एंड कंप्लायंस
  2. स्ट्रैटेजिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट
  3. स्ट्रैटेजिक कॉस्ट मैनेजमेंट – डिसीज़न मेकिंग
  4. डायरेक्ट टैक्स लॉ- इंटरनॅशनल टैक्सेशन
  5. कॉर्पोरेट फाइनेंशियल रिपोर्टिंग
  6. इनडायरेक्ट टैक्स लॉ, प्रैक्टिस
  7. कॉस्ट एंड मैनेजमेंट ऑडिट
  8. स्ट्रैटेजिक परफॉर्मन्स मैनेजमेंट एंड बिज़नेस वैल्यूएशन

आई.सी.डब्ल्यू.ए के विभिन्न कॉलेज/शिक्षा संस्थानों की सूचि – ICWA Colleges List.

  • अकादमी फॉर प्रोफेशनल एक्सेलेन्स (अपेक्स) – कोलकता
  • अरिहंत इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – इंदौर
  • जमाल मोहमद कॉलेज – तिरुचिरापल्ली
  • जया ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स
  • प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनजमेंट – ग्वालियर
  • गगन कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी – अलीगढ
  • एस.एन सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिज़नेस मैनेजमेंट
  • ऑल इंडिया जाट हीरोज मेमोरियल कॉलेज – रोहतक

आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स के लिए प्रवेश हेतु आवश्यक पात्रता – Eligibility for ICWA

फाउंडेशन कोर्स में प्रवेश हेतु पात्रता – Foundation Course Eligibility

  1. इच्छुक छात्र ने न्यूनतम दसवीं कक्षा की शिक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए।
  2. राष्ट्रिय स्तर पर आयोजित होनेवाले वाणिज्य शाखा से जुड़े डिप्लोमा कोर्स परीक्षा को उत्तीर्ण किया होना चाहिए (ए.आई.सी.टी.इ या अन्य मान्यता प्राप्त बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा)।

इंटरमीडिएट कोर्स में प्रवेश हेतू पात्रता – Eligibility for Intermediate

  1. न्यूनतम दसवीं कक्षा या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए।
  2. फाउंडेशन या इसके लिए ली जानेवाली पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए।
  3. फाइन आर्ट्स से स्नातक उत्तीर्ण के अलावा कोई भी स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण किया हुआ छात्र इस कोर्स हेतु प्रवेश ले सकता है।

फाइनल के लिए आवश्यक पात्रता – Eligibility for Final

  1. इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए।
  2. किसी भी धारा से न्यूनतम स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए (सिवाय फाइन आर्ट्स के)
  3. इंटरमीडिएट के सभी आठ पेपर उत्तीर्ण किये होने चाहिए।

आई.सी.डब्ल्यू.ए. कोर्स के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – ICWA Course Quiz

  • आई.सी.डब्ल्यू.ए. कोर्स में कुल कितने चरण होते है? (How many steps are there in ICWA course?)
    जवाब: तीन।
  • किस शिक्षा संस्था के अंतर्गत आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स आता है? (ICWA course is offered by which institution?)
    जवाब: इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट एंड वर्क्स अकौंट्स ऑफ़ इंडिया।
  • आई सी डब्ल्यू ए की शिक्षा को पूरा करने के बाद क्या सैलरी दी जाती है?(Salary after completion of ICWA course)
    जवाब: लगभग सालाना ४ लाख से लेकर सालाना १० लाख के बिच में सैलरी होती है।
  • आई.सी.डब्ल्यू.ए कोर्स को पूरा करने हेतु न्यूनतम कितना अवधी देना होता है? (What is the minimum duration required to complete ICWA course?)
    जवाब: ३ साल।
  • रोजगार संबंधी किन पदों पर आई सी डब्ल्यू ए कोर्स को पूरा करने के बाद अवसर मिलने की संभावनाये अधिक होती है? (Job opportunities after completion of ICWA course?)
    जवाब: कॉस्ट मैनेजर, चीफ अकाउंटेंट, रिसर्च एनालिस्ट, ऑडिटर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, फाइनेंशियल एनालिस्ट इत्यादि।

जानिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर क्या होता है?

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What is Application Software in Hindi

कंप्यूटर या स्मार्टफोन में हम एक से ज्यादा विभिन्न सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम का इस्तेमाल करते है, जिसको बनाने का मुख्य मकसद किसी विशिष्ट सेवा का उपभोक्ताओं को लाभ दिलाना होता है। आप के स्मार्टफोन में इस्तेमाल होनेवाले एप्लीकेशन या ऍप भी सॉफ्टवेयर ही होते है जिसका आप आवश्यकता अनुसार उपयोग करते है।

इस खास लेख में आप एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के बारे में वो महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर पाएंगे, जिससे आपके ढेर सारे शंकाओ का समाधान भी लेख के माध्यम से हो जायेगा।

अगर आप को भी इन सभी चीजों को जानने की उत्सुकता है तो बने रहे हमारे साथ और जान लीजिये एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के बारे में उन सभी चीजों को जिसका आपको निकट भविष्य में हर समय लाभ होगा।

जानिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर क्या होता है? – What is Application Software in Hindi

What is Application Software in Hindi
What is Application Software in Hindi

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की परिभाषा – Definition of Application Software

अगर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को हमें परिभाषित करना हो तो आसान शब्द में हम कह सकते है के, “एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वो सॉफ्टवेयर होता है जिसे किसी खास सेवा को देने हेतु तैयार किया जाता है, जिसको उपभोक्ताओं की जरुरत और पसंद को ध्यान में रखके बनाया जाता है। ”

इस तरह के सॉफ्टवेयर का अंतिम लक्ष्य उपभोक्ताओ को ज्यादातर बार अच्छी गुणवत्ता और सेवा प्रदान करना होता है, जिसमे मोबाइल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को मोबाइल ऍप भी कहा जाता है।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के कुछ प्रमुख उदाहरण – Examples of Application Software.

यहाँ आप जान पाएंगे कुछ जाने पहचाने सॉफ्टवेयर के बारे में जो के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में शामिल है, जिसकी सूचि हमने आपको निम्नलिखित तौर पर दी है जैसे के ;

  • माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
  • गूगल क्रोम
  • व्ही एल सी मीडिया प्लेयर
  • वर्ड पैड
  • एडोब एक्रोबेट रीडर
  • एडोब फोटोशॉप
  • विनरार
  • स्काइप
  • नोटपैड
  • कोरल ड्रॉ
  • व्हाट्सएप्प
  • अपाचे ओपन ऑफिस
  • साउंड क्लाउड
  • गूगल मेल
  • ऑटो कॉड

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रमुख प्रकार – Types of Application Software

  • ग्राफ़िक सॉफ्टवेयर
  • वर्ड प्रोसेसर्स
  • डेटाबेस सॉफ्टवेयर
  • प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर
  • इनफार्मेशन वर्क सॉफ्टवेयर
  • स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर
  • एजुकेशन सॉफ्टवेयर
  • वेब ब्राउज़र
  • मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर
  • एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर
  • कंटेंट एक्सेस सॉफ्टवेयर
  • सिमुलेशन सॉफ्टवेयर

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य – Functions of Application Software

  • जानकारी का प्रबंधन करना
  • आंकड़ों की गिनती करना
  • डेटा आदान प्रदान करना
  • जानकारी या रेकॉर्ड को संभालकर रखना
  • दृश्य निर्मिति करना
  • संसाधनों का समन्वयन करना
  • समय प्रबंधन करना
  • वेबसाइट निर्मिति करना
  • परियोजनाओं का प्रबंधन करना
  • खर्चो की गिनती करना या हिसाब रखना
  • व्यावसायिक प्रक्रिया का प्रबंधन करना
  • उत्पाद से संबंधित क्रियाकलाप
  • शिक्षा क्षेत्र की गतिविधियाँ संभालना तथा प्रबंधन करना

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के उपयोग – Uses of Application Software

यहाँ हम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के कुछ प्रमुख प्रकारो के साथ इसके उपयोग विस्तार से स्पष्ट करेंगे, जिससे आपको इन्हे समझने में और आसानी होगी। इसका विवरण निम्नलिखित तौर पर दिया हुआ है, जैसे के –

१. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड

इस एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य नए डॉक्यूमेंट की निर्मिति करना, डॉक्यूमेंट भेजना, जानकारी का डॉक्यूमेंट के तौर पर संचय करना या फिर इसे एडिटिंग करने हेतु होता है। कंप्यूटर के साथ साथ स्मार्टफोन पे भी इस एप्लीकेशन का आप आसानी से इस्तेमाल कर सकते है।

२. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल

माइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाया गया ये एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर काफी लोकप्रिय और अधिकतर इस्तेमाल किया जानेवाला सॉफ्टवेयर है, जिसका प्रमुख इस्तेमाल हिसाब किताब से जुडी जानकारी रखना, आंकड़ों द्वारा हिसाब करना, ग्राफ़िक के माध्यम से बिलिंग करना, एस्टिमेशन तैयार करना, रिपोर्ट बनाना, दैनिक कार्य से संबंधित गतिविधियों को सहेज कर रखने हेतु किया जाता है।

इस एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को आप कंप्यूटर और स्मार्टफोन ऐसे दोनों प्लेटफार्म पे इस्तेमाल कर सकते है।

३. नोटपैड

नाम की तरह ही इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका प्रमुख उपयोग हिसाब किताब हो या महत्वपूर्ण बाते हो उसकी जानकारी नोट डाउन करने हेतु किया जाता है जिसमे आप गणना, खास तरह की शब्द संरचना इत्यादि भी कर सकते हो जिसे सहेज कर रखने का विकल्प भी दिया हुआ रहता है।

४. वेब ब्राउज़र

ये एक विशिष्ट तरह के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते है जिसकी मदद से आप इंटरनेट द्वारा विभिन्न वेबसाइट को भेंट दे सकते हो तथा जानकारी को ढूँढ सकते हो, वेब ब्राउज़र के अंतर्गत जानकारी डाउनलोड करने का भी विकल्प दिया रहता है जहाँ पर आप विभिन्न वेबसाइट से मनचाही जानकारी सहेज कर रख सकते है ।

इस तरह के वेब ब्राउज़र कंप्यूटर और स्मार्टफोन पे मौजूद होते है जिनमे गूगल क्रोम,सफारी, इंटरनेट एक्सप्लोरर, मोज़िला फायरफॉक्स, ओपेरा ब्राउज़र इत्यादि शामिल होते है।

५. सेवा प्रदाता एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

इस तरह के सॉफ्टवेयर की निर्मिति किसी विशिष्ट सेवा को उपभोक्ताओं तक पहुचाने हेतु और उनसे समन्वयन रखने हेतु की जाती है, जिसमे उदाहरण के तौर पर देखे तो फ़ूड डिलीवरी से संबंधित ज़ोमैटो, स्विगी, फ़ूड पांडा आदि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर मौजूद है।

वही सफर हेतु रेड बस ऍप , ओला ऍप, उबेर , रेल यात्री इत्यादि एप्लीकेशन मौजूद है।इसके अलावा आजकल लगभग सभी व्यवसाय से जुड़े एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर आम तौर बने है जिसके द्वारा उपभोक्ताओं को लाभ देने का हरदम प्रयास किया जाता है।

इस तरह अब तक आपने विभिन्न पहलुओं पर सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के बारे में जानकारी को पढ़ा जिसको पढ़कर जरूर आपको मजा आया होगा, हमें आशा है आपकी जानकारी के माध्यम से आपके शंकाओ की संतुष्टि और समाधान हुआ होगा।

हमारे अन्य जानकारीपूर्ण लेख अवश्य पढ़े तथा ये जानकारी अच्छी लगी हो तो और लोगो तक जरूर पहुचाये , हमसे जुड़े रहने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Gk Quiz On this Topic.

  • स्मार्टफोन से संबंधित कुछ प्रसिद्ध एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के नाम बताये? (Give the names of some famous Application Software which use in smartphone)
    जवाब :- ओला, उबेर, फ़ूड पांडा, स्विगी, जोमैटो, रेल यात्री, रेड बस, मेक माय ट्रिप, पेटीएम, फ़ोन पे, गूगल पे, फ्लिपकार्ट, अमेज़ॉन, स्पॉटीफ़ाय इत्यादि।
  • कंप्यूटर के कुछ परंपरागत एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के नाम बताये? ( Give the name of some traditional software application which use in computer)
    जवाब :- माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल, नोटपैड, ओपन ऑफिस अपाचे, लिबरे ऑफिस, एडोब फोटोशॉप, व्ही एल सी मीडिया प्लेयर, पॉवरपॉइंट, गूगल क्रोम, इंटरनेट एक्सप्लोरर, सफारी ब्राउज़र इत्यादि।
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में क्या अंतर होता है? (What is the difference between system software and application software?)
    जवाब :- सिस्टम सॉफ्टवेयर का प्रमुख कार्य और उपयोग सिस्टम में मौजूद विभिन्न संसाधनों का प्रबंधन करना एवं एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को कार्य करने में मदद करना होता है, वही एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर किसी खास और विशिष्ट मकसद से बनाये गए होते है जो के आवश्यकता अनुसार परिणाम देने में सक्षम होते है।
  •  ग्राफ़िक से संबंधित कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के नाम बताये? (Give the name of some application software related with Graphic)
    जवाब :- कोरल ड्रॉ, एडोब फोटोशॉप, पेंटशॉप, एडोब इलूस्ट्रेटर, स्नैपसीड, मैसिव, पी सी पेंटब्रश इत्यादि।
  • स्मार्टफोन पे इस्तेमाल किये जाने वाले एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर किस नामसे जाने जाते है? (Application software use in smartphone well known by which name?)
    जवाब :- मोबाइल ऍप/स्मार्टफोन ऍप।

‘Keyboard’से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

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 What is Keyboard in Hindi

कंप्यूटर पर काम करते समय हमें अक्सर कुछ लिखना होता है या फिर किसी महत्वपूर्ण निजी दस्तावेजों से जुड़ा ड्राफ्ट इत्यादि बनाना होता है, इस स्थिति में ऐसे कार्य करने के लिए वाक्य रचना हेतु शब्दों और संख्याओं की अत्यंत आवश्यकता होती है।

कंप्यूटर में लिखने हेतु विभिन्न सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम भलेही मौजूद हो पर हमारे द्वारा दिए गए निर्देश कंप्यूटर तक पहुँचाने हेतु किसी माध्यम की जरुरत होती है, इस खास विषय पर ही ये संपूर्ण लेख आधारित है।कीबोर्ड से आप में से शायद ज्यादातर लोग परिचित होंगे, पर इसके बुनियादी पहलुओं को आप उतना नजदीकी से जानते नहीं होंगे।

यहाँ आप कीबोर्ड नामक हार्डवेयर के बारे में कुछ रोचक जानकारी को हासिल कर पायेंगे, साथमे इसके अन्य पहलुओं को भी विस्तार से समझाने का हमारा प्रयास होगा।

‘Keyboard’ से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी – What is Keyboard in Hindi

What is Keyboard in Hindi
What is Keyboard in Hindi

कीबोर्ड का इतिहास – Keyboard History in Hindi

बात कर इसके के इतिहास की तो एक अख़बार के संपादक जिनका नाम क्रिस्टोफर लैथम शोल्स था इनके द्वारा सबसे पहले साल १८६८ में क्वर्टी कीबोर्ड बनाया गया था।फिर आगे चलकर इसमें कई सारे सुधार हुए जिसमे १९७० के दशक में आजके कीबोर्ड से लगभग एक जैसे कीबोर्ड विकसित किये गए जिसमे एप्पल रेडियो शैक और कमोडोर नामक कंपनियों ने कुछ विकसित कीबोर्ड के नमूने पेश किये।

साल १९८६ में आई.बी.एम कंपनी द्वारा बनाया गया एम कीबोर्ड (M Keyboard) आज भी विकसित और काफी उमदा माना जाता है जिसका आम तौर पर भी इस्तेमाल होते दिखाई देता है। टाइप करने में सबसे आसान और पसंदीदा विकल्प आजके ज़माने में भी क्वर्टी कीबोर्ड ही है, जिसमे शुरू से लेकर अब तक कई सारे बदलाव और नव विकसित सुधारों को जोड़ा गया है।

कीबोर्ड के कुछ प्रमुख प्रकार – Types of Keyboard

  • वायरलेस कीबोर्ड (Wireless Keyboard)
  • गेमिंग कीबोर्ड (Gaming Keyboard)
  • मैकेनिकल कीबोर्ड (Mechanical Keyboard)
  • हैंड कीबोर्ड (Hand Keyboard)
  • वर्चुअल कीबोर्ड (Virtual Keyboard)
  • फ्लेक्सिबल एंड रोल अप कीबोर्ड (Flexible & Roll up Keyboard)
  • मैजिक कीबोर्ड (Magic Keyboard)
  • अज़रती कीबोर्ड (Azerty Keyboard)
  • एर्गोनॉमिक कीबोर्ड (Ergonomic Keyboard)
  • मल्टीमीडिया कीबोर्ड (Multimedia Keyboard)
  • मेम्ब्रेन कीबोर्ड (Membrane Keyboard)
  • बैकलिट कीबोर्ड (Backlit Keyboard)
  • क्वर्टी कीबोर्ड (Qwerty Keyboard)
  • द्वोरक कीबोर्ड (Dvorak Keyboard)

कीबोर्ड के प्रमुख कार्य – Functions of Keyboard

निचे दिए हुए प्रमुख वर्ग के आधार पर कीबोर्ड के कार्य होते है;

  • टाइपिंग बटन (Typing Keys) – टाइपिंग करना।
  • कार्य बटन (Functions Keys) – विभिन्न कोडिंग से संबंधित कार्य करना।
  • नियंत्रण बटन (Control Keys) – कार्य को शार्ट कट तरीके से करने हेतु इसका उपयोग किया जाता है।
  • दिशादर्शक बटन (Navigation Keys) – विशिष्ट कार्य के समय दिशादर्शन हेतु उपयोग।
  • अंक संबंधी बटन (Numeric Keys) – अंक को टाइप करने हेतु।
  • सांकेतिक बटन (Indicator Keys) – विशिष्ट सांकेतिक परिणाम प्राप्त करने हेतु।

कीबोर्डद्वारा आम तौर पर इस्तेमाल किये जानेवाले संयोजन/युति – Shortcut Keys of Keyboard.

आम तौर पर वैसे तो कीबोर्ड की मदद से कई सारे शार्ट कट बटन के विकल्प द्वारा परिणाम प्राप्त कर सकते है, यहाँ उनमे से ही चुनिंदा शार्ट कट बटन का ब्यौरा निचे दिया है जिससे आपको इस संकल्पना को समझने में मदद मिले।

  • कंट्रोल बटन + अल्फाबेट ‘C ‘ (Ctrl+C)- किसी भी जानकारी को कॉपी/नक़ल के लिए इस संयोजन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • किसी भी नक़ल किये गए जानकारी को स्थापित करने हेतु कंट्रोल बटन + अल्फाबेट ‘V'(Ctrl+V) इस युति का इस्तेमाल किया जाता है।
  • कंट्रोल बटन + अल्फाबेट ‘S’ (Ctrl+S) – अगर आप कुछ लिख रहे है और उसे आप को सहेज कर रखना है तो इस्तेमाल किया जाता है।
  • किये गए कार्य को अगर फिरसे पुराने स्वरुप में लाना हो या अन-डू करने हेतु कंट्रोल बटन + अल्फाबेट ‘Z'(Ctrl+Z) इस युति का उपयोग होता है।
  • कंट्रोल बटन + अल्फाबेट ‘B'(Ctrl+B) – किसी भी शब्द/अंक इत्यादि को मोटा या अधिक स्पष्ट दिखाने हेतु।
  • विंडोज बटन + एस्केप बटन(Windows Key+ Home) – शुरुवाती सूचि को स्थापित करने हेतु।

कीबोर्ड का महत्व और इसके प्रमुख उपयोग – Importance and Uses of Keyboard

वैसे तो कीबोर्ड का आविष्कार टाइपराइटर से संबंधित कार्य करने और लगभग ऐसेही परिणाम प्राप्त करने के मकसद से हुआ था, परंतु मौजूदा स्थिति में इसमें आये सुधारों से ये स्पष्ट होता है के कीबॉर्ड द्वारा हम और भी अधिक प्रभावशाली और नवीनीकरण अंतर्गत कार्य करने में सक्षम हुए है। यहाँ निचे आपको कीबोर्ड के उपयोग से इसका महत्व भी स्पष्ट तरीके से समझ में आ जायेगा।

1. टाइपिंग बटन (Typing Keys):

कीबोर्ड पर अंग्रेजी भाषा के लगभग सभी अल्फाबेट मौजूद होते है, जिसकी मदद से आप आसानी से वाक्य रचना कर सकते है, आजकल सभी प्रमुख भाषाओ में कीबोर्ड मौजूद है जिससे सभी भाषा में आप आसानी से वाक्य रचना कर सकते है। इस तरह के अल्फाबेट बटन द्वारा आप रोज मर्रा के जीवन के विभिन्न प्रमुख कार्य आसानी से कर सकते है।

2. विभिन्न कार्यो से संबंधित बटन (Different Functions Keys):

कीबोर्ड के आम प्रकार में लगभग १२ फंक्शन किज या कार्य हेतु बटन दिए हुए होते है, जिसका प्रोग्रामिंग या विशिष्ट कोडिंग से जुड़ा कार्य करते समय सबसे ज्यादा उपयोग होता है। जिसमे F१ से लेकर F१२ तक फंक्शन किज होती है, जिसका आवश्यकता अनुसार आप इस्तेमाल कर सकते है।

3. नियंत्रण बटन (Control Keys):

कीबोर्ड पे कंट्रोल बटन का सर्वाधिक इस्तेमाल विभिन्न युतियाँ या संयोजित बटनो द्वारा परिणाम प्राप्त करने हेतु होता है, जैसे के अगर आप कुछ लिख रहे है और उसे आप को सहेज कर रखना है तो आप “कंट्रोल बटन + अल्फाबेट S” का इस्तेमाल कर सकते है, इसके अलावा अगर आपने कुछ लिखा है और इसका आपको पूर्णतः चयन करना है तो आप “कंटोल बटन + अल्फाबेट A” का इस्तेमाल कर सकते है।

4. दिशा दर्शक बटन (Navigation Keys):

कीबोर्ड पर कुछ खास दिशा दर्शक बटन मौजूद होते है जिससे आप आगे, पीछे,ऊपर,निचे इस तरह से दिशा दर्शन कर सकते है इस तरह के बटन का उपयोग लगभग सभी तरह के कार्य में होता है।

5. अंक संबंधित बटन (Numeric Keys):

आपको कीबोर्ड पे शून्य से लेकर नौ अंक तक संख्यात्मक बटन मिल जायेंगे जिनका इस्तेमाल आंकड़ों को लिखना, हिसाब करना, गिनती करना इत्यादि महत्वपूर्ण कार्य हेतु किया जाता है।

6. सांकेतिक बटन (Indicator Keys):

कीबोर्ड में मुख्य रूप से तीन सांकेतिक बटन होते है जिसमे नम लॉक(Num Lock), कैप्स लॉक(Caps Lock) और स्क्रॉल लॉक (Scroll Lock) शामिल है, जब नम लॉक चालू होता है और कीबोर्ड लाइट चालू होती है इसका अर्थ है न्यूमेरिक कीबोर्ड चालू है अगर बंद है तो समझिये के न्यूमेरिक की बोर्ड बंद है।

कैप्स लॉक बटन की लाइट चालू है इसका मतलब कोई भी अल्फाबेट आप अप्पर केस/कैपिटल में टाइप कर सकते है, वही जब यह लाइट बटन दबाके बंद कर दी जाये तो आप लोअर केस/ छोटे अक्षर में लिख सकते है। स्क्रॉल लॉक बटन का इस्तेमाल स्क्रॉलिंग को चालू या बंद करने हेतु किया जाता है।

कीबोर्ड के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Keyboard Quiz Questions and Answers

  • आम तौर पर एक सामान्य कीबोर्ड में कुल कितने बटन (Keys) होते है? (How many keys are there on keyboard?)
    जवाब: १०१।
  • एक सामान्य कीबोर्ड में कुल कितने इंडिकेटर बटन (Indicator Keys) होते है? इनके नाम क्या होते है? (How many indicator keys are there on keyboard?)                                                    जवाब: ३, नम लॉक, स्क्रॉल लॉक, कैप्स लॉक।
  • कुल कितने अंको के न्यूमेरिक बटन एक सामान्य कीबोर्ड पर होते है? (How many numeric keys are there on keyboard?)
    जवाब: शून्य से लेकर नौ अंको तक न्यूमेरिक बटन एक सामान्य कीबोर्ड पे दो बार होते है, जिनकी कुल सँख्या २० हो जाती है।
  • तकनिकी क्षेत्र की दृष्टी से कीबोर्ड हार्डवेयर के अंतर्गत आता है या सॉफ्टवेयर के? (Is keyboard software or hardware?)
    जवाब: हार्डवेयर।
  • कीबोर्ड इनपुट हार्डवेयर होता है या आउटपुट हार्डवेयर होता है, कृपया इसे समझाए? (Is keyboard input hardware or output hardware?)
    जवाब: कीबोर्ड एक इनपुट हार्डवेयर होता है जिसके द्वारा विभिन्न सुचना या निर्देश कंप्यूटर मशीन को दिए जाते है।

‘Computer Network’क्या होता है?

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What is Computer Network in Hindi

तकनिकी के इस युग में जानकारी से जुड़े संसाधनों का आदान प्रदान करना काफी सरल बात बन गई है, पर इन सभी चीजों को बुनियादी तौर पर मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है ‘नेटवर्क’ प्रणाली ने।

भलेही आप किसी भी देश में कौनसे भी जगह पर मौजूद हो पर एक इंसान का दूसरे इंसान से तकनीक के माध्यम से संपर्क कर पाना काफी आसान हुआ है। हम जब कंप्यूटर और उससे जुड़े जानकारी संसाधनों की बात करे तो इसमें नेटवर्क काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अगर आप भी कंप्यूटर और इससे जुड़े नेटवर्क प्रणाली के विषय में दिलचस्पी रखते है, तो इस खास लेख द्वारा दी जानेवाली जानकारी आपके लिए काफी लाभकारी सिध्द होगी। यहाँ हम आपको इस विषय से जुड़े लगभग सभी महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित जानकारी देने की कोशिश करेंगे, जिससे आपको इस संकल्पना को समझने में और अधिक आसानी होगी।

‘Computer Network’ क्या होता है ? – What is Computer Network in Hindi

What is Computer Network in Hindi
What is Computer Network in Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क की परिभाषा – Definition of Computer Network

यहाँ समझने योग्य बात ये है के कंप्यूटर और नेटवर्क भलेही दोनों अलग अलग तकनिकी बाते है, पर इनके संयोग से तकनीक के क्षेत्र में क्रन्तिकारी बदलाव हुए है।

इसे आम भाषा में इस तरह से परिभाषित कर सकते है के,” कंप्यूटर नेटवर्क तकनीक की वो प्रणाली होती है जिसके द्वारा एक या एक से ज्यादा व्यक्ति या कंप्यूटर समूह आपस में जानकारी के विभिन्न संसाधन आदान प्रदान कर सकते है, तथा इसके लिए किसी भी स्थल, काल का मुख्य रूप से बंधन नहीं होता बशर्ते वहाँ इस तकनीक से जुड़े पर्याप्त प्राथमिक संसाधन मौजूद होने चाहिए।”

कंप्यूटर नेटवर्क में आवश्यक प्राथमिक संसाधनों में इंटरनेट, कंप्यूटर मशीन इत्यादि तकनिकी चीजे शामिल होती है, इंटरनेट खुदमे ही नेटवर्क कहलाया जाता है जिसके बलबूते आप इलेक्ट्रॉनिक्स मैसेज (ईमेल), इंस्टेंट मैसेज सिस्टम, फैक्स इत्यादि द्वारा आपस में एक दूसरे के बिच संपर्क कर सकते है।

कंप्यूटर नेटवर्क के प्रमुख प्रकार – Types of Computer Network

  1. लैन – LAN (Local Area Network)
  2. वैन -WAN (Wide Area Network)
  3. मैन -MAN (Metropolitan Area Network)
  4. पैन -PAN (Personal Area Network)

कुछ अन्य प्रकार – Other Types of Networks

  • वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क – WLAN
  • कैंपस एरिया नेटवर्क – CAN
  • होम एरिया नेटवर्क – HAN
  • वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क – VPN
  • स्टोरेज एरिया नेटवर्क – SAN
  • एंटरप्राइज प्राइवेट नेटवर्क
  • पैसिव ऑप्टिकल लोकल एरिया नेटवर्क –  POLAN
  • सिस्टम एरिया नेटवर्क – SAN

कंप्यूटर नेटवर्क के कुछ उदहारण – Examples of Computer Network

  • वाई-फाई द्वारा इंटरनेट (Wi-fi)
  • डार्क नेट (Dark Net)
  • स्मार्टफोन वाई-फाई द्वारा नेटवर्क (Smartphone Through Network)
  • एक्स्ट्रा नेट (Extra Net)
  • डोंगल द्वारा नेटवर्क (Dongle Network)

कंप्यूटर नेटवर्क के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग – Uses of Computer Network

1. इलेक्ट्रॉनिक संदेश हस्तांतरण (Electronic Message Sending):

इस तरह के संदेश हस्तांतरण को विभिन्न ईमेल प्रोग्रामिंग के द्वारा भेजा जाता है, जिसमे आउटलुक मेल, गूगल मेल, थंडरबर्ड मेल सेवा, याहू मेल इत्यादि मेल प्रोग्रामिंग शामिल है।

2. फाइल ट्रांसफर करना (FTP- File Transfer Service):

कंप्यूटर में नेटवर्क की मदद से आप विभिन्न प्रकार की फाइल से संबंधित गतिविधियाँ पूरी कर सकते हो जिसमे दो प्रमुख प्रकार होते है – 1. फाइल अपलोड करना 2. फाइल डाउनलोड करना जिसके लिए आप फाइल ट्रांसफर से संबंधित प्रोग्राम्स का भी इस्तेमाल करना होता है जिसमे यूनिक्स, लिनक्स,विंडोज आदि के मदद से आसानी से इस कार्य को पूरा कर सकते है।

3. वीडियो कॉन्फरेंसिंग (Video Conferencing):

कंप्यूटर नेटवर्किंग की सहायता से आप आसानी से वीडियो कॉन्फरेंसिंग सेवा का लाभ उठा सकते है इसके लिए उपयुक्त प्रोग्राम में शामिल है जैसे के ज़ूम, गूगल हैंगऑउट, स्काइप, गूगल मिट, ब्लू जींस इत्यादि वही इसके अलावा आप सर्विस बेस वीडियो कॉन्फरेंसिंग, कोडेक,इंटीग्रेटेड वीडियो कॉन्फरेंसिंग सिस्टम, डेस्कटॉप वीडियो कॉन्फरेंसिंग आदि के द्वारा भी इस कार्य को पूरा कर सकते है।

4. चैटिंग (Chatting):

कंप्यूटर नेटवर्किंग की मदद से आप दुनियाभर के विभिन्न देशो के लोगो से सीधे तौर पर चैटिंग कर सकते है, जिसमे आपको इस तरह की सेवाएं प्रदान करनेवाले प्रोग्राम्स के सहायता की आवश्यकता लेना अनिवार्य होता है।आजकल इस तरह के सेवाओं के लिए ढेर सारे विकल्प मौजूद है जिसमे स्काइप, आई सी क्यू, इंस्टेंट मेसेजिंग, व्हाट्सअप्प, टेलीग्राम इत्यादि सेवा प्रदाता मौजूद है।

5. टेलनेट (Telnet- Telecommunication Network):

इस माध्यम द्वारा आप आसानी से एक सिस्टम द्वारा दूसरे सिस्टम से जुड़कर वार्तालाप कर सकते है, या तो आपको लैन की मदद लेनी होगी या फिर अन्य माध्यम से इंटरनेट को जोड़कर आप इस सेवा का लाभ ले सकते है। टेलनेट का सीधा सा अर्थ ‘टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क’ होता है, जिसका अक्सर कई बार लोग इस्तेमाल करते है।

6. कंप्यूटर नेटवर्क के अन्य उपयोग (Other Uses of Computer Network):

नेटवर्क मार्केटिंग, ऑनलाइन सेल,ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन एज्युकेशन, शिक्षा से जुड़े वेबसाइट पर कार्य करने हेतु, सार्वजानिक तथा निजी संस्था या औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े कार्य भी कंप्यूटर नेटवर्क तकनीक द्वारा संपन्न किये जाते है। इसके साथ मनोरंजन, ट्रैवेलिंग, रेल/बस/हवाई यात्रा आदि से जुड़े कार्य जैसे टिकट बुकिंग, अन्य गतिविधियों की जानकारी हेतु कंप्यूटर नेटवर्क बहुत ही लाभदायी सिध्द हुआ है।

कंप्यूटर नेटवर्किंग के फायदे – Advantage of Computer Networking

  1. एक से ज्यादा लोग या कंप्यूटर का समूह एक साथ जुड़ सकता है।
  2. जानकारी साझा करने में काफी ज्यादा आसानी होती है।
  3. अधिक गतिशीलता से बहुत ही कम लागत में परिणाम प्राप्त कर सकते है।
  4. एक या एक से ज्यादा कंप्यूटर में अनायास ही विभिन्न माध्यमों संपर्क किया जा सकता है, चुकि हर कंप्यूटर में इस सेवा हेतु विकल्प दिया हुआ रहता है।
  5. ऑनलाइन माध्यम से दिखने वाली जानकारी ऑफलाइन भी सहेज कर रख सकते, ऐसे विकल्प दिए हुए रहते है जिनका बादमे भी उपयोग कर सकते है।
  6. शिक्षा प्रणाली में इस तकनीक से काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिले है जिससे छात्रों और अध्यापको के बिच तालमेल में काफी सुधार आये है।
  7. ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षा के साथ परीक्षा भी ली जाती है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है।बहुत सी प्रतियोगिता परीक्षाए भी इसी माध्यम द्वारा ली जाती है।

कंप्यूटर नेटवर्किंग के कुछ चुनिंदा नुकसान – Disadvantage of Computer Networking

  1. सुरक्षा से संबंधित मुद्दे इस तकनीक में बहुत अधिक होते है।
  2. महत्वपूर्ण कार्य करते समय अगर किसी तरह की नेटवर्क से संबंधित दिक्कत आती है तो संपूर्ण सुनियोजित कार्यप्रणाली अकार्यक्षम होने की अधिक संभावना रहती है।
  3. विभिन्न अज्ञात वायरस फाइल का प्रवेश कंप्यूटर में होने की अधिकतर बार संभावना रहती है, जिसे एंटी वायरस द्वारा नियंत्रण में लाना हर बार अनिवार्य हो जाता है।
  4. दुनिया के कुछ देशो में नेटवर्क हेतु दिए जाने डेटा पैक की कीमत काफी ज्यादा होती है, जिसे हर बार सभी तरह के लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते।
  5. कुछ बार तकनीक से जुड़े ऐसे परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए तकनिकी विशेषज्ञों की सहायता लेना अनिवार्य सा हो जाता है।

कंप्यूटर नेटवर्किंग से संबंधित शिक्षा के प्रमुख कोर्स की सूचि – List of Computer Networking Course

  • नेटवर्क टेक्नोलॉजी
  • बैचलर इन कंप्यूटर नेटवर्किंग
  • साइबर सिक्यूरिटी
  • सिक्यूरिटी आर्किटेक्चर
  • सी सी एन ए
  • कंप्यूटर टी आई ए नेटवर्क प्लस
  • चेक पॉइंट सी सी एस ई
  • सर्टिफाइड एथिकल हैकर
  • चेकपॉइंट सी सी एस ए
  • बी.टेक – स्पेशलाइज़ेशन इन नेटवर्किंग एंड सिक्युरिटी

कंप्यूटर नेटवर्किंग के क्षेत्र में रोजगार से संबंधित अवसर – Career in Computer Networking

  • कंप्यूटर सिस्टम एनालिस्ट
  • Computer Network Architecture
  • कंप्यूटर नेटवर्क सपोर्ट स्पेशलिस्ट
  • computer and information systems manager
  • नेटवर्क एंड कंप्यूटर सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर

कंप्यूटर नेटवर्किंग के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Computer Networking Quiz Questions and Answers

  •  कंप्यूटर नेटवर्किंग का महत्व क्या है? (What is the importance of Computer Networking)
    जवाब: नेटवर्किंग से कार्य की सुलभता अधिक बढ़ती है, विभिन्न जानकारी से जुड़े फाइल साझा करने के ढेरो विकल्प मिल जाते है, नेटवर्क की गति अच्छी हो तो बिना दिक्कत के कम समय में अधिक कार्य संभव हो जाता है, नेटवर्किंग संभाषण करने हेतु अब तक अच्छा विकल्प साबित हुआ है, अच्छे ब्राउज़र की मदद से ऑनलाइन डाटा डाउनलोड कर सकते है जिसका ऑफलाइन में भी इस्तेमाल किया जाता है इत्यादि महत्वपूर्ण निष्कर्षो से कंप्यूटर नेटवर्किंग का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
  • क्या प्रिंटर द्वारा हार्ड कॉपी डॉक्यूमेंट प्राप्त करने हेतु कंप्यूटर नेटवर्किंग आवश्यक होता है ? (Is there computer networking essential to get hard copy print through the printer?)
    जवाब: हा।
  • व्ही.पी.एन का फुल फॉर्म क्या होता है? (What is the full form of VPN?)
    जवाब: वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क।
  • कंप्यूटर नेटवर्किंग द्वारा उपयोग में आनेवाले कुछ ईमेल सॉफ्टवेयर के नाम बताये? (Give the name of some email software which use by computer networking?)
    जवाब: याहू मेल(Yahoo Mail), गूगल मेल(Gmail), आउटलुक मेल(Outlook Mail), मोज़िला थंडरबर्ड (Mozilla Thunderbird) इत्यादि।
  • राऊटर क्या है ? इसका कंप्यूटर नेटवर्किंग में किस हेतु इस्तेमाल होता है? (What is router?How it is use in computer networking?)
    जवाब: राऊटर खास तरीके से नेटवर्किंग हेतु बनाया जानेवाला हार्डवेयर डिवाइस होता है, जिसकी मदद से एक से ज्यादा कंप्यूटर को नेटवर्क(इंटरनेट) सेवा मुहैय्या कराइ जाती है।

क्या होता है सॉफ्टवेयर? जानिए इस विषय में महत्वपूर्ण जानकारी

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What is Software in Hindi

आजके इस युग में हमारा अधिकतर कार्य तकनीक के उपर निर्भर होता है, जिसमे हम आम सी बाते भी समय को बचाकर जल्दी से पूरा करने के आदी हुए है। और क्यों न हो क्योंकि नवीनीकरण ने मानवी सुविधाओं में बहुत हद तक वृध्दि कर दी है।

स्मार्टफोन हो या कंप्यूटर इन दोनों के मदद से हमारे बहुत से काम काफी आसान हो चुके है, पर इन दोनों में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम्स या ऍप्स के बारे में हम उतनी जानकारी नहीं रखते। इस खास लेख का मकसद यही है के आपको कंप्यूटर में उपयोग में आनेवाले सॉफ्टवेयर प्रणाली से परिचित करवाए तथा इससे जुड़े कुछ मुलभुत तथ्य आपके जानकारी हेतु स्पष्ट करे।

हमें पूरा विश्वास है के संक्षिप्त में दी जानेवाली सॉफ्टवेयर संबंधी कुछ प्रमुख जानकारी से आपको भविष्य में लाभ भी होगा और आपके ज्ञान में वृद्धि भी होगी।

क्या होता है सॉफ्टवेयर? जानिए इस विषय में महत्वपूर्ण जानकारी – What is Software in Hindi

What is Software in Hindi
What is Software in Hindi

सॉफ्टवेयर की परिभाषा – Definition of Software

दुनिया के लगभग सभी देशो में आम तौर पर उपयोग में आनेवाली सॉफ्टवेयर प्रणाली की हम आसान शब्दों में इस तरह से व्याख्या कर सकते है के,” सॉफ्टवेयर विभिन्न तथा विशिष्ट जानकारी या तकनिकी सामग्री का वो संकलन होता है जिसे किसी खास मकसद हेतु तैयार किया जाता है, तथा इसे दिशानिर्देशित करके या सूचना देकर हम आवश्यक इच्छित परिणाम प्राप्त कर सकते है”

सॉफ्टवेयर को बनाने हेतु विभिन्न प्रोग्रामिंग या कोडिंग से जुड़े भाषाओ का इस्तेमाल किया जाता है जिसमे सी(C), सी प्लस प्लस(C++), जावा (Java) इत्यादि भाषाओ का इस्तेमाल किया जाता है।आगे आप सॉफ्टवेयर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।

सॉफ्टवेयर के कुछ उदहारण – Examples of Software

  • नेट प्रोटेक्टर
  • फोटोशॉप
  • डिस्कॉर्ड
  • स्काइप
  • आउटलुक
  • इंटरनेट एक्सप्लोरर
  • फायरफॉक्स
  • एम.एस वर्ड
  • नॉर्टन
  • गूगल क्रोम
  • कोरल ड्रॉ
  • एक्सेल

सॉफ्टवेयर के प्रमुख प्रकार – Main Types of Software

  • ड्राइवर सॉफ्टवेयर
  • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर
  • प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर

सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य और उपयोग – Functions and Uses of Software

यहाँ आप विस्तृत से जानेंगे सॉफ्टवेयर के विभिन्न कार्यो तथा उपयोग के बारे में जिसमें हम सॉफ्टवेयर को वर्गीकृत करके जानकारी देंगे, निचे आप इस जानकारी को आसानी से पढ़ सकते है।

1. सिस्टम सॉफ्टवेयर – System Software

सिस्टम सॉफ्टवेयर वो प्रकार होता है जिसे खास तौर पर अन्य सॉफ्टवेयर को चलाने या कार्य करने में मदद हेतु बनाया जाता है इसमें शामिल सॉफ्टवेयर इस प्रकार होते है – गेम्स इंजिन, इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन, ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे के मैक ओ.एस (mac OS), लिनक्स (Linux), विंडोज (Windows), एंड्रॉइड (Android), कंप्यूटर विज्ञान से जुड़े अन्य सॉफ्टवेयर इत्यादि।

इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम वो सॉफ्टवेयर होता है जिसके मदद से अन्य सॉफ्टवेयर को आसानी से चलाया जाता है, वही गेम्स इंजिन की मदद से विभिन्न प्रकार के गेम्स बनाये जाते है। इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन और कंप्यूटर विज्ञान से जुड़े सॉफ्टवेयर आवश्यकता अनुसार विशिष्ट परिणाम हेतू बनाये जाते है।

कुल मिलाके सिस्टम सॉफ्टवेयर का प्रमुख कार्य अन्य विभिन्न सॉफ्टवेयर को सुचारु रूप से चलने में मदद करना तथा उन्हें पथ प्रदर्शन करना होता है।

2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर – Application Software

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का प्रमुख कार्य विशिष्ट कार्यो को निर्देशित करना और उन्हें पूरा करने हेतु मदद करना होता है इसमें उदाहरण के तौर पर शामिल है – वर्ड प्रोसेसर (एम एस वर्ड, ओपन ऑफिस, लिबरे ऑफिस), ऑफिस सूट (पॉवर पॉइंट, एक्सेल,वर्ड), इंटरनेट ब्राउज़र (मोज़िला फायर फॉक्स, गूगल क्रोम), मीडिया प्लेयर (विंडोज मीडिया प्लेयर, व्ही एल सी प्लेयर)

3. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर – Programming Software

सॉफ्टवेयर के प्रमुख प्रकारो में से प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर वो प्रकार होता है जिसकी मदद से विभिन्न सॉफ्टवेयर को बनाने का कार्य किया जाता है, इसमें प्रमुख सॉफ्टवेयर इस प्रकार के होते है – बडी (Buddy), विज़ुअल स्टूडियो कोड (Visual Studio Code), बीट्रीस (Bitrise), गिट लैब (Git Lab), गिट हब (Git Hub), क्लाउड बीस सीआई (Cloud Bees CI) इत्यादि।

4. ड्राइवर सॉफ्टवेयर – Driver Software

किसी भी उपकरण का या यु कहे तो कंप्यूटर इत्यादि का ड्राइवर एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है जिसे हार्डवेयर से जोड़ने के बाद इच्छित परिणाम प्राप्त करने हेतु मदद मिलती है, साथ ही इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने का कार्य भी ड्राइवर सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाता है। जैसे के अगर आप कंप्यूटर से प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि जोड़ते है तो इन सबका विशिष्ट डाइवर भी वहाँ मौजूद होता है।

सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की सूचि – List of Programs Software

  • ऑडियो सॉफ्टवेयर – विन एम्प (Winamp), आई ट्यून (itune)
  • डेटाबेस – एस क्यू एल (SQL), एक्सेस (Access), एम. वाय. एस क्यू एल (My SQL)
  • प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर – पॉवर पॉइंट
  • ईमेल प्रोग्रामिंग – आउटलुक (Outlook), जी मेल (Gmail), थंडरबर्ड (Thunderbird)
  • स्टिमुलेशन सॉफ्टवेयर – सिम सिटी (SimCity), फ्लाइट सिम्युलेटर(Flight simulator)
  • वर्ड प्रोसेसर सॉफ्टवेयर – एम.एस वर्ड (MS Word)
  • गेमिंग सॉफ्टवेयर – क्वैक (Quake), वर्ल्ड ऑफ़ वारक्राफ्ट (World of Warcraft) इत्यादि
  • ब्राउज़र सॉफ्टवेयर – इंटरनेट एक्सप्लोरेर(Internet Explorer), गूगल क्रोम(Google Chrome), फायर फॉक्स(Firefox)

इस तरह से अब तक आपने सॉफ्टवेयर से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जाना जिसकी आपको रोज मर्रा के ज़िंदगी में आवश्यकता होती है।

आशा करते है दी गई जानकारी से आपको संतुष्टि हुई होगी साथमे इसे पढ़ते वक़्त काफी मजा भी आया होगा। ऐसे ही हमारे अन्य विषयो पर बने जानकारीपूर्ण लेख अवश्य पढ़े, हमसे अब तक जुड़े रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Software

  • वर्ड प्रोसेसिंग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर के नाम बताए? (Give the name of Word processing related software)
    जवाब: आई ए राइटर, ड्राफ्ट, राइटर प्लस, फोकस राइटर, बाय वर्ड, लिबरे ऑफिस, ओपन ऑफिस, स्क्रिवेनर, एम.एस वर्ड इत्यादि।
  • ग्राफ़िक डिज़ाइन से संबंधित सॉफ्टवेयर के नाम बताये? (What are the graphic designing related softwares?)
    जवाब: एडोब फोटोशॉप, एफिनिटी डिज़ाइनर, कोरल ड्रॉ ग्राफ़िक सूट, ग्रॅविट डिज़ाइनर, जेनियली, कलर सींच, पिक्स टेलर, कैनवा, इनफिनिट डिज़ाइन इत्यादि।
  • एंटी वायरस से संबंधित कौनसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध है? (Anti virus related softwares)
    जवाब: नॉर्टन,मैक अफि, ए व्ही जी , नेट प्रोटेक्टर, अवास्ट, विपरे इत्यादि।
  • सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में रोजगार संबंधी कौनसे अवसर उपलब्ध होते है ?(Job opportunities in Software field?)
    जवाब: पी एच पी डेवलपर, सॉफ्टवेयर टेस्टर, फुल स्टैक डेवेलपर, पाइथन डेवलपर, जावा डेवलपर, स्क्रम मास्टर, क्लाउड इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, डेटा साइंटिस्ट इत्यादि।
  • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से संबंधित कुछ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम बताये? (Software development related programming language names)
    जवाब: पाइथन, स्काला, जावा स्क्रिप्ट, सी लैंग्वेज, सी प्लस प्लस लैंग्वेज, जावा इत्यादि।

क्या होता है नेटवर्क ‘Topology’?

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What is Topology in Hindi

आप में से अधिकतर लोग नेटवर्किंग में काफी ज्यादा दिलचस्पी रखते होंगे, और इस विषय में अधिकतर जानकारी संग्रहित करने का प्रयास भी करते होंगे, पर अधिकतर लोगो को नेटवर्किंग के विषय में या तो सही जानकारी नहीं होती या फिर कुछ भ्राँतिया उनके जहन में होती है।

नेटवर्किंग को सही तरीके से समझने के लिए इसके टोपोलॉजी को जानना अत्यंत आवश्यक होता है, जिसको प्रमुख विषय बनाकर इस लेख द्वारा हम आपको इसकी जानकारी देनेवाले है।

चरणबध्द तरीके से इस विषय को हम आपके सामने रखेंगे, जिसे पढ़ने के बाद हमें पूरा विश्वास है आप के मन में स्थित विभिन्न शंकाओ का निराकरण होने में अवश्य मदद मिल जाएगी और टोपोलॉजी संकल्पना को आप पहले बेहतर जानेंगे।

क्या होता है नेटवर्क ‘Topology’? – What is Topology in Hindi

What is Topology in Hindi
What is Topology in Hindi

टोपोलॉजी यानी – Introduction of Topology

सरल भाषा में कहे तो टोपोलॉजी एक से ज्यादा कंप्यूटर मशीन के स्थान, उनसे जुड़े नेटवर्किंग के विभिन्न हार्डवेयर इत्यादि की रचना के भौतिक तथा तार्किक स्थापना पद्धति को दर्शाती है। भौतिक पद्धति में नेटवर्किंग से जुड़े रचना में नोड्स इत्यादि अहम बाते होती है, वही तार्किक पद्धति में डेटा फ्लो का नक्शा सबसे महत्वपूर्ण बात होती है।

नेटवर्क टोपोलॉजी की परिभाषा – Definition of Network Topology.

सुनने या पढ़ने में थोड़ा जटिल लगता है पर उतनी ये संकल्पना कठीण नहीं होती है, आम भाषा में कहे तो हम टोपोलॉजी को इस प्रकार से भी परिभाषित कर सकते है,” टोपोलॉजी नेटवर्किंग की एक विशिष्ट संरचना या कला पद्धति होती है, जिसके द्वारा एक से ज्यादा कंप्यूटर को आपस में नेटवर्किंग के प्रवाह में जोड़ा जाता है, जिसकी भौतिक पद्धति में विशिष्ट जोमेट्रिकल आकृति में रचना दिखाई पड़ती है”।

नेटवर्क टोपोलॉजी के इतिहास के बारे में जानकारी – History of Network Topology.

बीसवीं सदी के मध्य तक नेटवर्क कम्युनिकेशन के विषय में कुछ खास तरक्की नहीं हो सकी थी, हालांकि तत्कालीन समय में बहुत सारे तकनिकी विशेषज्ञ  इसके लिए प्रयासरत थे।

हर बार तकनीक से जुडी नयी समस्याएं कंप्यूटर कम्युनिकेशन के प्रगति के रस्ते में अड़चने निर्माण कर रही थी जिसमे नैसर्गिक आपदाये भी शामिल थी, रॉबर्ट मेटकॉफ नामक जानकारी विशेषज्ञ हर दिन इस में कुछ नया हासिल करने में जुटे थे जिस हेतु उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा था।

इसी दौरान साल १९६९ में रॉबर्ट मेटकॉफ ने इसी तकनीक के वरिष्ठ विशेषज्ञ हॉवर्ड फ्रैंक से सहायता माँगी, फ्रैंक की तकनीक से जुडी पृष्ठ्भूमि ऐसी थी की उन्होंने पहले से ही ‘नेटवर्क एनालिसिस कॉर्पोरेशन’ (NAC) नामक कंपनी की स्थापना की थी जो के इसी तकनीक से जुड़े कार्य करती थी।

हॉवर्ड फ्रैंक को रॉबर्ट मेटकॉफ के सहायता माँगने संबंधी सुचना मिली और उन्होंने साल १९७० में नेटवर्किंग टोपोलॉजी से जुड़े कुछ नक़्शे तैयार किये जो के उस समय अनुसार बेजोड़ थे, आगे इस पर प्रत्यक्ष कार्य भी शुरू हुए जिसमे काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई।

इस विषय पर हॉवर्ड फ्रैंक द्वारा कुछ तकनिकी लेख भी लिखे गए जिससे आम लोगो को इस बारे में जानकारी मिलना शुरू हुआ। चरण बध्द तरीके से आगे नेटवर्क मेज़रमेंट संस्था की स्थापना की गई इसके अलावा हॉवर्ड फ्रैंक को आपातकालीन योजना के कार्यालय में प्रमुख पद भी दिया गया।

आगे टोपोलॉजी में तर्क पध्दति और भौतिक पद्धति में विकास हुआ जिसके अंतर्गत भौतिक पद्धति में रिंग टोपोलॉजी,बस टोपोलॉजी, स्टार टोपोलॉजी, मेश टोपोलॉजी इत्यादि टर्मिनल जोड़ने के प्रकारो का विकास हुआ।

सही मायने में कहे तो हॉवर्ड फ्रैंक के टोपोलॉजी में दिए गए अमूल्य योगदान ने उन्हें इस नेटवर्क प्रणाली के जनक(Father of Network Topology) का दर्जा प्राप्त करवा दिया।

टोपोलॉजी के विभिन्न प्रकार – Types of Topology

यहाँ हम आपको टोपोलॉजी के विभिन्न रचना पद्धति अनुसार मौजूदा प्रकारों से परिचित करवायेंगे, जिसकी सूचि निम्नलिखित तौर पर है जैसे के;

  1. स्टार टोपोलॉजी(Star Topology)
  2. रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
  3. बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
  4. हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid Topology)
  5. ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
  6. मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
  7. डेज़ी चेन टोपोलॉजी (Daisy Chain Topology)
  8. पी २ पी टोपोलॉजी (P2P Topology)

नेटवर्क टोपोलॉजी के सामान्य तौर पर उपयोग – Application of Network Topology

  • टोपोलॉजी नेटवर्किंग की वो व्यवस्था होती है, जिसके अंतर्गत विभिन्न कंप्यूटर मशीन को आपस में नेटवर्किंग के माध्यम से जोड़ा जाता है,इसमें स्टार टोपोलॉजी सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसके द्वारा अधिकतर ऑफिस, शिक्षा संस्थान, अन्य संस्थाओ में नेटवर्किंग व्यवस्था कायम की जाती है।
  • एक से अधिक सर्वर पर नियंत्रण हेतु स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
  • वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) और मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)क्षेत्र में रिंग टोपोलॉजी का इस्तेमाल रीढ़ के हड्डी के तौर पर होता है, जैसा के अगर मुख्य नेटवर्किंग प्रवाह में तकनिकी गड़बड़ी होने के स्थिति में वहाँ के स्थानिक लोगो को रिंग टोपोलॉजी द्वारा नेटवर्किंग सुविधा मुहैय्या कराइ जाती है।
  • छोटे औद्योगिक समूह तथा लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) क्षेत्र में बस टोपोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, युनिवर्सिटी या शिक्षा संस्थान तथा अन्य ऑफिस के परिसर में आरक्षित तौर पर बस टोपोलॉजी की व्यवस्था की हुई रहती है , जो के जरुरत के समय इस्तेमाल की जाती है।
  • मेश टोपोलॉजी का विकास और उपयोग सर्वप्रथम सेना से जुड़े तकनिकी कार्य हेतु किया गया था, पर आजकल आमतौर पर घरेलु उपकरणों में विकसित स्वयंचालित उपकरण, स्मार्ट एयर कंडीशनर, स्मार्ट वेंटीलेटर और हीटिंग उपकरण के नियंत्रण हेतु भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।आधुनिक भवनों में कई विकसित उपकरण भी मेश नेटवर्किंग द्वारा नियंत्रित करने तथा सुचारु रूप से चलाने में सहायता मिलती है।

टोपोलॉजी के फायदे – Advantage of Topology

यहाँ हम जानेंगे विभिन्न टोपोलॉजी के फायदों के बारे में जिससे आपको स्वतंत्र रूप से हर टोपोलॉजी को समझने में मदद मिल जाएँगी।

बस टोपोलॉजी – Bus Topology Advantages

  • इस प्रकार की टोपोलॉजी में अत्यंत कम मात्रा में केबल/वायर का इस्तेमाल करना पड़ता है।
  • बस टोपोलॉजी की स्थापना करना बेहद ही आसान होता है, जिसमे आप कम जगह में इसको स्थापित कर सकते है।

रिंग टोपोलॉजी – Ring Topology Advantages

  • केवल एक कंप्यूटर मशीन पर निर्भर ना होने के कारण रिंग टोपोलॉजी काफी विश्वसनीय परिणाम देती है।
  • इस व्यवस्था के अंतर्गत होस्ट कंप्यूटर ना होने के कारण इसकी कार्य कुशलता अधिक बढ़ जाती है।
  • इस नेटवर्क व्यवस्था में अचानक से अगर किसी एक लाइन या कंप्यूटर में तकनिकी खराबी के चलते, अन्य कंप्यूटर या लाइन से नेटवर्क से जुडी मदद मुहैय्या की जाती है।

स्टार टोपोलॉजी – Star Topology Advantages

  • इस नेटवर्क प्रणाली के अंतर्गत होस्ट कंप्यूटर से किसी भी एक कंप्यूटर को जोड़ने हेतु काफी काम खर्च आता है।
  • इस तरह की टोपोलॉजी में अगर आप अधिक कंप्यूटर को नेटवर्क के दायरे से जोड़ रहे है तो मात्र कंप्यूटर की गति कम हो जाती है, पर जानकारी के आदान प्रदान पर इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं होता है।
  • किसी एक लोकल कंप्यूटर में तकनिकी खराबी के चलते इसका अन्य कंप्यूटर मशीनों पर कोई भी असर नहीं होता।

ट्री टोपोलॉजी – Tree Topology Advantages

  • इस नेटवर्क व्यवस्था प्रकार के अंतर्गत हर पॉइंट के लिए स्वतंत्र रूप से पॉइंट तार लगाया जाता है।
  • ज्यादातर बार इस टोपोलॉजी में हार्डवेयर के विक्रेता तथा सॉफ्टवेयर के विशेषज्ञों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

विभिन्न टोपोलॉजी के चुनिंदा नुकसान – Disadvantages of Various Types of Topology

रिंग टोपोलॉजी – Ring Topology Disadvantages

  • इस टोपोलॉजी की स्थापना करने हेतु अत्यंत जटिल सॉफ्टवेयर की जरुरत होती है।
  • इस तरह के नेटवर्क टोपोलॉजी में कंप्यूटर मशीनों की संख्या पे निर्भर होता है के नेटवर्क कितना गतिशील होगा। अगर कंप्यूटर की सँख्या कम है तो नेटवर्क अधिक गतिशीलता से कार्य करेगा अन्यथा अधिक कंप्यूटर जोड़े जाने पर गति काफी ज्यादा प्रभावित होती है।

बस टोपोलॉजी – Bus Topology Disadvantages

  • इस टोपोलॉजी व्यवस्था के अंतर्गत सभी कंप्यूटर एक ही तार से क्रम में जोड़े होने के कारण किसी भी एक कंप्यूटर में तकनिकी खराबी के चलते संपूर्ण नेटवर्क व्यवस्था प्रभावित हो जाती है और डेटा संचार रुक जाता है।
  • इस तरह की टोपोलॉजी में सुधार करने के लिए काफी ज्यादा तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

ट्री टोपोलॉजी – Tree Topology Disadvantages

  • इस टोपोलॉजी के अंतर्गत अगर पिछे से आधार की लाइन या संचार व्यवस्था में तकनिकी गड़बड़ी के चलते संपूर्ण नेटवर्किंग बंद होने की संभावनाए अधिक होती है।
  • इस व्यवस्था में संचार तारो को बिछाना काफी मुश्किल से भरा काम होता है।

स्टार टोपोलॉजी – Star Topology Disadvantages

  • इस टोपोलॉजी में संपूर्ण नेटवर्क संचार व्यवस्था मात्र एक होस्ट कंप्यूटर पर अवलंबित होती है, जिसमे होस्ट कंप्यूटर में अगर तकनिकी गड़बड़ी हो जाये तो संपूर्ण संचार व्यवस्था प्रभावित हो जाती है।

इस प्रकार से अभी तक आपने नेटवर्क टोपोलॉजी से संबंधित सभी प्रमुख आवश्यक जानकारी के बारे में पढ़ा जिससे आपको जरूर इस विषय के बारे में कुछ नयी और दिलचस्प जानकारी मिली होगी, अगर आपको ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो जरूर अपने दोस्त तथा परिवार के सदस्यों के साथ साझा करे।

अधिक जानकारी के लिए हमारे अन्य विषयो पर बने सभी लेख अवश्य पढ़े, हमसे जुड़े रहने हेतु धन्यवाद।

टोपोलॉजी के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Network Topology

  • नेटवर्क टोपोलॉजी के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?(Who is the father of Network Topology?)
    जावाब: हॉवर्ड फ्रैंक।
  • प्रमुखता से उपयोग में आनेवाले तीन नेटवर्क टोपोलॉजी के नाम बताये?(Give the name of three mainly used types of Topology?)
    जवाब: स्टार टोपोलॉजी, रिंग टोपोलॉजी, बस टोपोलॉजी।
  • किस नेटवर्क टोपोलॉजी में एक से अधिक टोपोलॉजी के लक्षण मौजूद होते है? वे कौनसी टोपोलॉजी होती है? (which Topology includes more than one Topology effects?Give their names?)
    जवाब: ट्री टोपोलॉजी में स्टार टोपोलॉजी और बस टोपोलॉजी इस तरह से दो नेटवर्क टोपोलॉजी के लक्षण मौजूद होते है।
  • मुख्य रूप से कौनसी नेटवर्क टोपोलॉजी सबसे अधिक गतिशील होती है? (Which is the fastest network Topology?)
    जवाब: स्टार टोपोलॉजी।
  • डेटा फ्लो मैप का इस्तेमाल कौनसे नेटवर्क टोपोलॉजी में किया जाता है?(Data flow map used for which Topology?)
    जवाब: तर्कसंगत टोपोलॉजी(Logical Topology)
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