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जानिए ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? और इसके विभिन्न प्रकार

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What is Operating System in Hindi

टेक्नोलॉजी के इस युग मे हम लगभग सभी प्रकार के कार्यो को मशिनरी द्वारा पुरा करते है, जिसमे छोटे से लेकर बडे कार्य शामिल होते है। इससे ना केवल हमारा समय बचता है बल्की आधुनिक तकनिक से मनचाहे परिणाम सुलभता से प्राप्त हो जाते है।

पर बहुत बार हमे इन मशिनरी के आंतरिक कार्यप्रणाली के बारे मे सही तरह से जानकारी नही होती, अगर आपको इस विषय मे दिलचस्पी है तो ये लेख आपके लिये काफी खास होनेवाला है। आजकल स्मार्टफोन और कंप्युटर का इस्तेमाल करना बहुत ही आम सी बात हो गई है, जिसमे आप अपने हिसाब से परिणाम को प्राप्त करते है।

पर क्या आपने कभी सोचा है ये उपकरण आपके द्वारा दिये गये हर आदेश को चंद सेकंद मे स्वीकार कर कैसे परिणाम को आपके सामने उपलब्ध कराते है? इसमे मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इन जैसे महत्वपूर्ण सवालो पर चर्चा करने तथा आप तक ये जानकारी लेख के माध्यम से पहुचाने का यहा पे हमारा प्रयास होगा।

यहा हम आपको ऑपरेटिंग प्रणाली (Operating System) से जुडी हर बुनियादी जानकारी को बतायेंगे साथ मे इसके विभिन्न तरह के प्रकारो पर भी विस्तार से जानेंगे, जिस से आपको इस विषय मे अहम जानकारी हासिल हो जायेगी।

जानिए ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? और इसके विभिन्न प्रकार – What is Operating System in Hindi

Operating System in Hindi
Operating System in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है और क्या हैं इसकी व्याख्या – Operating System Kya Hai or Definition of Operating System in Hindi

इस विषय मे आगे बढने से पहले सबसे महत्वपूर्ण बात होती है के पहले आप सही से समझ ले की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या होता है (Operating System Kya Hai), इसकी व्याख्या को पढने के बाद आप इसका अंदाजा लगा पायेंगे जैसे के;

“ऑपरेटिंग सिस्टम आपके स्मार्टफोन और कंप्युटर का वो अहम सॉफ्टवेयर होता है, जो विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम्स को दिये जाने वाले निर्देशो का समूह होता है। जिसका प्रमुख कार्य सभी स्त्रोत और कार्यप्रणाली का प्रबंधन करना होता है, ये उपयोगकर्ता और स्मार्टफोन या कंप्युटर के बीच समन्वयन का कार्य भी करता है।”

ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार – Types of Operating System in Hindi

मूलतः ऑपरेटिंग सिस्टम के निम्नलिखित प्रमुख प्रकार होते है जैसे के;

  1. बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System)
  2. डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम (Distributed Operating System)
  3. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System)
  4. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System)
  5. मल्टी प्रोसेसर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Processor Operating System)
  6. सिम्पल बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Simple Batch Operating System)
  7. रिअल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real Time Operating System)
  8. मल्टी प्रोग्रामिंग बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Programming Batch Operating System)

इसके कुछ उदाहरण निचे दिये हुये है जैसा के; (Examples of Operating System)

  1. माइक्रोसॉफ्ट विंडोज (Microsoft Windows)
  2. गुगल एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम (Google Android OS)
  3. एप्पल आई.ओ.एस (Apple iOS)
  4. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम (Linux OS)
  5. मैक आई.ओ.एस (Mac iOS)

विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम – Operating System ke Prakar

अब हम जानेंगे कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे मे जिनका आम तौर पर इस्तेमाल होता है और शायद कुछ हद तक आप सभी इससे परिचित भी होंगे, जैसे के

  1. लीनक्स ऑपरेटिंगऑपरेटिंग सिस्टम(Linux Operating System): लीनक्स एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो के युनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का विशेष वर्जन है,इसका उपयोग कई तरह के ऑफिस, कंपनी या सर्वर मे सिक्युरिटी तथा ग्राफिक्स को मजबुती प्रदान करने हेतू किया जाता है।यह एक मल्टीऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका निर्माण इंटेल ८०३८६ पर्सनल कंप्युटर पर उपयोग हेतू किया गया था।
  2. २. विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम (Windows Operating System): दुनियाभर मे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे मशहुर तथा उपयोग किया जानेवाला ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसका निर्माण माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा किया गया है।विंडोज ९८, विंडोज ७, विंडोज ८, विंडोज १० इस तरह से इस ऑपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न वर्जन इस्तेमाल किये जाते है।
  3. रिअल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real Time Operating System): रिअल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम एक सबसे अत्याधुनिक तथा प्रमुख क्षेत्रो मे उपयोग मे आनेवाली ऑपरेटिंग सिस्टम है। ये ऑपरेटिंग सिस्टम उस जगह पर उपयोग मे आता है जहा पर अधिक गती से कार्य की आवश्यकता होती है, जिसमे सेकंद की देरी की भी गुंजाईश नही होती जैसा के ट्रेन टिकट बुकिंग, मिसाईल सिस्टम,सैटेलाईट इत्यादी।
  4.  बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System):-सबसे पुराने कॉम्प्युटर के सिस्टम के प्रोग्राम को सेट अप करने के लिये बहुत अधिक समय लगता था जिसे दूर करने हेतू बैच ऑपरेटिंग सिस्टम को लाया गया।यहा पर एक जैसे जो भी कार्य होते है उन्हे सी.पी.यु को प्रोसेसिंग हेतू भेज दिया जाता है, जिसे बादमे एक साथ चलाया जाता है। यहा पर बैच ऑपरेटिंग सिस्टम एक जैसे कार्य को बैच के तौर पर तैयार करता है,जिसकी बदौलत सिस्टम की गती मे काफी बढोतरी देखने को मिलती है।
  5. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System): यह एक प्रकार का मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जिसके अंतर्गत हर कार्य को पुरा करने हेतू ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा एक तय समय दिया जाता है, और वो कार्य के तय समय को पुरा होने के बाद ऑपरेटिंग सिस्टम अगले कार्य की तरफ बढ जाता है।
  6.  मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम(Multi-Programming Operating System):  एक से अधिक कार्य को सिस्टम मैमोरी के साथ लोड करते उसे प्रोसेस करने हेतू मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है।जब भी बहुत ज्यादा प्रोग्राम पर कार्य करना होता है तब ये ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्राम्स की क्यू (कतार) बना देता है जिसपर पहले वाले प्रोग्राम के कार्य समाप्त होने के बाद उपलब्धता अनुसार दुसरे पर कार्य शुरू कर दिया जाता है।
  7. युनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम (Unix Operating System): इस ऑपरेटिंग सिस्टम को एक प्रोजेक्ट के तौर पर साल १९६९ मे केन थॉम्पसन और डेनिस रिची द्वारा शुरू किया गया था जिसका निर्माण और परीक्षण ए.टी एंड बेल लैबोरेटरी मे किया गया था। उस समय का इसका नाम मल्टीक्स था जो के विभिन्न कार्य करने हेतू बनाया गया था और ये विश्व का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था। बादमे इसको साल १९७१ मे असेंब्ली लैंग्वेज के साथ नये वर्जन के साथ प्रोजेक्ट के रूप मे प्रारंभ किया गया जिसका नाम युनिक्स रखा गया। जिसको आगे लीनक्स मे परिवर्तित किया गया।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य – Operating System Functions in Hindi

निम्नलिखित तौर पर हमने ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रमुख कार्यो का विवरण दिया हुआ है, जिसे पढने के बाद आपको इस विषय को समझने मे आसानी होगी।

  1. प्रोसेसर मैनेजमेंट(Processor Management): एक वक्त पर जब कई सारे प्रोग्राम उपयोग मे होते है तो यहा ऑपरेटिंग सिस्टम तय करता है के किस प्रक्रिया को प्रोसेसर मिलेगा और इसका कुल समय कितना होगा। ट्राफिक कंट्रोलर वो कार्य होता है जो ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्गत आता है, जिस से ऑपरेटिंग सिस्टम हर समय चेक करता रहता है के प्रोसेसर क्या काम कर रहा है या फिर कुछ कर रहा है या नही। इस तरह से एक काम खत्म होने के बाद दुसरे काम को करने के लिये प्रोसेसर का समन्वयन करवाने का कार्य भी ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है।
  2. मैमोरी मैनेजमेंट (Memory Management): ऑपरेटिंग सिस्टम प्रायमरी मैमोरी की पुरी जानकारी रखने का कार्य करता है। जिसके तहत किस प्रोग्राम ने कितनी मैमोरी का उपयोग किया तथा कौनसे भाग का उपयोग हुआ है इससे जुडी जानकारी रखने का कार्य भी होता है। अगर नये प्रोग्राम को मैमोरी की जरुरत होती है तो उसकी आवश्यकता अनुसार मैमोरी को उपलब्ध कराने का कार्य भी ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्गत पुरा किया जाता है।
  3. सिक्युरिटी (Security): किसी भी डेटा या प्रोग्राम को अनधिकृत एक्सेस से बचाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है। जिस से सिस्टम को सुरक्षित रखने मे मदद मिल जाती है।
  4. डिवाइस मैनेजमेंट (Device Management): कंप्युटर मे मौजूद विभिन्न ड्राईव्ह जैसे के ग्राफिक्स ड्राईवर, ब्लू टूथ ड्राईवर, वाई-फाई ड्राईवर तथा साउंड ड्राईवर इत्यादी का कार्य सुनियंत्रित करने का तथा इन्हे चलाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है।
  5. फाईल मैनेजमेंट (File Management): ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया तय किया जाता है के किस किस प्रोग्राम को रिसोर्स दिया जाये, जिसके अंतर्गत फाईल मैनेजमेंट का कार्य किया जाता है।

इस तरह अब तक आपने ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे मे सभी पह्लूओ पर महत्वपूर्ण जानकारी को पढा जिसमे इस से जुडे विभिन्न प्रकारो की भी हमने आपको जानकारी दी। हम आशा करते है दी गई जानकारी से आप काफी संतुष्ट हुये होगे तथा आपको भविष्य मे इसका जरूर लाभ होगा। हमसे जुडे रहने के लिये धन्यवाद।….

इस विषय पर अधिकतर बार पुछे गये सवाल – Questions about Operating System

  1. आम तौर पर कंप्युटर मे उपयोग मे आने वाली विभिन्न प्रकार की ऑपरेटिंग सिस्टम कौनसी होती है? (Operating System in Computer)

जवाब: विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, मैक आई.ओ.एस, लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम इत्यादी।

2. स्मार्टफोन मे कौनसी ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है? (Operating System in Mobile)

जवाब: गुगल एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम (Google Android OS), एप्पल आई.ओ.एस (Apple iOS), माइक्रोसॉफ्ट विंडोज (Microsoft Windows) इत्यादी।

3. ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार किस तरह के होते है? (Types of Operating Systems)

जवाब: बैच ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम, मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम, रिअल टाइम शेअरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम, टाइम शेअरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इत्यादी।

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School मे सुबह के समय मंच संचालन करने संबंधी महत्वपूर्ण बाते

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How to Conduct Morning Assembly in School

School या पाठशाला हर एक इंसान के जीवन का वो प्रारंभिक चरण होता है, जहा पर लगभग सभी प्राथमिक और आवश्यक बातो का ज्ञान हमे दिया जाता है। वो संस्कार केंद्र होता है जहा पर व्यक्ती के बौद्धिक विकास के साथ साथ उसे उच्च आदर्श, नैतिक और सामाजिक मुल्यो से अवगत कराया जाता है।

आपके पाठशाला के दिनो को शायद अभी तक आप सभी याद करते होगे, और क्यो ना हो क्योंकी जीवन के यही वो दिन होते है, जहा आपने दिल खोलकर जिंदगी को जिया होगा। पढाई के लिये भलेही डाट पडती होगी पर उन दिनो की शरारत भी काफी अलग होती है। आप मे से बहुत सारे लोगो ने सुबह के समय जब भी पाठशाला मे मौका मिलता होगा, तो किसी विशेष उपलक्ष पर या दैनिक मंच संचालन से जुडे कार्यकलाप मे हिस्सा लिया होगा।

बहुत बार ऐसा होता है जहा दैनिक पाठशाला से जुडे गतीविधियो मे सुबह के मंच संचालन की जिम्मेदारी हम पर आ जाती है, इस परिस्थिती मे किन महत्वपूर्ण बातो को ध्यान मे रखते हुये इसको पुरा करना होता है, इसी खास विषय से जुडा ये लेख है। हमे पुरा विश्वास है ये लेख द्वारा दि गई जानकारी आपके दिल को छू जायेगी और कई ना कई आपकी पुरानी यादे ताजा हो जाएगी।

School मे सुबह के समय मंच संचालन करने संबंधी महत्वपूर्ण बाते – How to Conduct Morning Assembly in School in Hindi

How to Conduct Morning Assembly in School in Hindi
How to Conduct Morning Assembly in School in Hindi

पाठशाला मे सुबह के मंच संचालन से जुडी प्रमुख बाते – Hosting a Morning Assembly in Hindi

  • जब भी पाठशाला मे सुबह के समय मंच संचालन करना होता है उसके प्रमुख प्रकार होते है, जैसा के दैनिक तौर पर तो हर पाठशाला मे मंच संचालन होता ही है, जिसका एक तय प्रारूप होता है।
  • बात करे किसी खास उपलक्ष पर मंच संचालन की जैसे के स्वतंत्रता दिवस, प्रजासत्ताक दिन, महापुरुषो की जयंती का दिवस या किसी अन्य खास तौर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की तो ऐसे समय आपको उसपर सुनियोजित अभ्यास की जरुरत होती है।
  • कुछ प्रभावशाली कोट्स, वाक्य तथा शब्दो का प्रयोग अधिक से अधिक मंच संचालन के दौरान करने से आपकी बात को लोग काफी गहराई से सुनते है तथा उन तक ये बाते असरदार तरीके से पहुच जाती है।

आगे हम आपको इन दोनो परिस्थिती मे किस प्रकार से आप मंच संचालन को बेहतरीन तरीके से पेश कर सकते है, इससे जुडी जानकारी देंगे।

पाठशाला मे सुबह के समय दैनिक मंच संचालन का प्रारूप – School Morning Assembly Presentation

हर पाठशाला मे सुबह के समय सभी को इकठ्ठा होने का नियम होता है जिसमे सभी छात्र, अध्यापक तथा सभी स्टाफ के लोगो को आना होता है। हर पाठशाला मे इसके लिये एक बडे से हॉल या खुले मैदान की सुविधा होती है, पाठशाला की शुरुवात सुबह के प्रमुख क्रियाकलापो से होती है।

इसमे शामिल होनेवाली हर प्रमुख गतिविधि की क्रमशः हम आपको जानकारी देंगे, जिससे आपको दैनिक मंच संचालन की जानकारी मिल जायेगी।

  • प्रथम कार्य होता है के सभी छात्रो, अध्यापको तथा कर्माचारियो को लाउडस्पीकर या उपलब्ध ध्वनी यंत्र द्वारा सूचना देकर हॉल या खुले मैदान मे इकठ्ठा होने की नम्रता पूर्वक विनती करना जिस से वो सभी सूचना सूनकर एक तय जगह पर आ सके।
  • सभी के एक जगह इकठ्ठा होने के बाद दिन की शुरुवात शुभ प्रभात कहकर किसी खास प्रार्थना से होती है, इसमे हर पाठशाला की एक विशिष्ट प्रार्थना होती है जैसे के भाषा, शिक्षा का माध्यम इत्यादी पर ये निर्भर होती है। उदाहरण के तौर पर जैसे के;

“इतनी शक्ती हमे देन ना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना।हम चले नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना।”

  • प्रार्थना के बाद अगर किसी खास सूचनाओ को छात्रो तक पहुचाना हो या फिर उन्हे किसी नये विषय पर संक्षिप्त मे मार्गदर्शन देना हो तो उससे संबंधित घोषणा दी जाती है। इसमे आनेवाले उपलक्ष जैसे शिक्षा संबंधी स्पर्धा, खेल स्पर्धा, सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादी की जानकारी छात्रो तथा मौजूद सभी को दी जाती है।
  • प्रमुख सूचनाओ को छात्रो तक पहुचाने के बाद, बिना शोरगुल किये अनुशासन के साथ सभी छात्रो को अपने अपने क्लास रूम मे जाने की सूचना दी जाती है, इससे छात्रो मे अनुशासन और शिष्टाचार बढता है। इसके बाद सुबह के पाठशाला से संबंधित प्रथम क्रियाकलाप के समाप्ती की घोषणा कर दी जाती है।

आम तौर हर पाठशाला मे सुबह के दैनिक कार्य की शुरुवात इसी प्रकार से होती है, आगे हम चर्चा करेंगे किसी खास उपलक्ष पर पाठशाला मे दिन की शुरुवात मे किस तरह के विभिन्न कार्य शामिल होते है।

खास उपलक्ष पर पाठशाला मे सुबह के समय मंच संचालन का प्रारूप – Special Assembly in School

खास उपलक्ष मे शामिल कुछ प्रमुख दिन होते है जैसे के स्वतंत्रता दिवस, प्रजासत्ताक दिन, महापुरुषो की जयंती, अध्यापक दिन अन्य प्रमुख दिन इत्यादी।इस वक्त पाठशाला मे कैसे मंच संचालन करना होता है उसपर संक्षिप्त मे हर उपलक्ष पर चर्चा करेंगे।

  • स्वतंत्रता दिवस और प्रजासत्ताक दिन – Independence Day or Republic Day Assembly Script

स्वतंत्रता दिवस देशभर मे त्यौहार के जैसे मनाया जाता है, और क्यो ना हो क्योंकी हर देशवासी के लिये ये एक खास दिन होता है। जिस दिन हम अपनी आजादी का जश्न मनाते है और स्वतंत्रता सेनानियो के दिल से आभार व्यक्त करते है।

ऐसा ही कुछ जश्न प्रजासत्ताक दिन पर भी होता है, निम्नलिखित तौर पर संक्षिप्त मे आपको इस दिन से जुडी मंच संचालन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

  1. इस दिन की शुरुवात मे सबसे पहले सभी छात्रो, अध्यापको तथा अन्य कर्मचारी वर्ग को एक जगह इकठ्ठा होने की सूचना दी जाती है, जिसमे इस दिन सभी को तय वक्त पर पाठशाला मे मौजूद होने की पहले दिन ही सूचना दी हुई होती है।
  2. सभी को शुभ प्रभात कहने के बाद पाठशाला की दैनिक प्रार्थना के लिये तैयार रहने की सूचना दी जाती है और इस कार्य को पुरा किया जाता है।
  3. दैनिक प्रार्थना के बाद प्रमुख अतिथी के बारे मे अल्प परिचय तथा जानकारी दी जाती है, तथा उनके द्वारा देश कें महापुरुषो कि प्रतिमा को पुष्प और हार अर्पण किया जाता है। इसके उपरांत राष्ट्रीय ध्वज आरोहण के लिये पाठशाला के मुख्य अध्यापक,प्रमुख अतिथी को आमंत्रित किया जाता है। इस वक्त सभी को अनुशासन और शिष्टाचार से खडे रहने की सूचना दी जाती है और इस तरह से इस कार्य को पुरा किया जाता है।
  4. ध्वज आरोहण के बाद सभी को राष्ट्रगीत और ध्वज वंदन हेतू तैयार रहने की सूचना दी जाती है और क्रमशः इस प्रमुख कार्य को पुरा किया जाता है।
  5. राष्ट्रगीत और ध्वज वंदन के बाद पाठशाला मे होनेवाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम की जानकारी दी जाती है और क्रमशः इन सभी को पुरा किया जाता है।
  • महापुरुषो का जयंती दिन

देश के स्वतंत्रता सेनानी तथा महापुरुषो के जयंती दिन पर उस खास व्यक्ती से संबंधित अधिक जानकारी आपके पास होना अनिवार्य होता है, जिसमे उनका जीवन परिचय,कार्य, उनसे जुडी घटनाए काफी महत्व रखती है।

ऐसे उपलक्ष मे सुबह के समय पाठशाला मे दैनिक प्रार्थना के बाद मुख्य अध्यापक और अन्य अध्यापको द्वारा महापुरुष के प्रतिमा को पुष्प एवं हार अर्पित किया जाता है। उसके उपरांत उस महापुरुष के बारे मे कुछ अध्यापक और छात्र अपने विचार व्यक्त करते है इस प्रकार से उस व्यक्ती को श्रद्धा सुमन अर्पित की जाती है।

इस वक्त मंच संचालन के वक्त उस महापुरुष से जुडे प्रेरणादायी विचारो तथा वाक्यो को छात्रो के सामने रखने से उनका कार्यक्रम से जुडाव अधिक होता दिखाई पडता है तथा उनको उच्च मुल्यो और आदर्शो की सीख भी मिल जाती है।

इसी प्रकार से पाठशाला मे सालाना होनेवाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रमो मे भी आप सुबह के समय मंच संचालन का जिम्मा आने पर इस कार्य को पुरा कर सकते है।

यहा पर कार्यक्रम के विषय अनुरूप आपके पास जानकारी होना अत्यावश्यक होता है तथा विषय से जुडे प्रेरणादायी विचार और घटनाओ का जितना हो सके मंच संचलन मे उपयोग मे लाने की कोशिश होनी चाहिये।

हम आशा करते है दी गई जानकारी को पढकर आपको काफी ज्यादा संतुष्टी मिल गई होगी तथा आपको इस का जरूर लाभ होगा, हमसे जुडे रहने हेतू बहुत बहुत धन्यवाद।…

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हिन्दी साहित्य के एक महान कवि संत कबीर दास की जीवनी

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Sant Kabir Das in Hindi

कबीर दास जी हिन्दी साहित्य के एक महान कवि ही नहीं, बल्कि विद्दंत विचारक एवं समाज सुधारक भी थे, उन्होंने अपनी कल्पना शक्ति और सकारात्मक विचारों के माध्यम से कई रचनाएं लिखीं और भारतीय संस्कृति के महत्व को समझाया। भक्तिकाल के प्रमुख कवि कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को जीवन जीने का सही मार्ग समझाया।

इसके अलावा उन्होंने अपनी समाज में प्रचलित जातिगत भेदभाव, ऊंच-नीच आदि बुराईयों को भी दूर करने की कोशिश की। इसके साथ ही हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। कबीरदास जी को कई भाषाओं का ज्ञान था, उनकी रचनाओं और दोहों में ब्रज, हरियाणवी, पंजाबी, हिन्दी, अवधी, राजस्थानी, समेत खड़ी बोली देखने को मिलती है।

आपको बता दें कि कबीर दास जी भक्तिकाल की निर्गुण भक्ति धारा से प्रभावित थे, उनका प्रभाव सिख, हिन्दू और इस्लाम तीनों धर्मों में देखने को मिलता है। वहीं कबीरदास जी के उपदेशों को मानकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है। तो आइए जानते हैं कबीरदास जी के महान जीवन के बारे में-

हिन्दी साहित्य के एक महान कवि संत कबीर दास की जीवनी – Sant Kabir Das Biography in Hindi

Sant Kabir Das
Sant Kabir Das

संत कबीर दास के बारेमें जानकारी एक नजर में – Kabir Das Information in Hindi

नाम (Name) संत कबीरदास (Kabir Das)
जन्म (Birthday) 1398, लहरतारा ताल, काशी
पिता का नाम (Father Name) नीरू
माता का नाम (Mother Name) नीमा
पत्नी का नाम (Wife Name) लोई
बच्चें (Childrens) कमाल (पुत्र), कमाली (पुत्री)
मुख्य रचनाएं (Kabir das Poems) साखी, सबद, रमैनी
शिक्षा (Education) निरक्षर
मृत्यु (Death) 1518, मगहर, उत्तर प्रदेश

कबीर दास का इतिहास – Kabir Das History in Hindi

Kabir Das – कबीर दास भारत के महान कवि और समाज सुधारक थे। वे हिन्दी साहित्य के विद्दान थे। कबीर दास के नाम का अर्थ महानता से है अर्थात वे भारत के महानतम कवियों में से एक थे।

जब भी भारत में धर्म, भाषा, संस्कृति की चर्चा होती है तो Kabir Das – कबीर दास जी का नाम का जिक्र सबसे पहले होता है क्योंकि कबीर दास जी ने अपने दोहों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को दर्शाया है, इसके साथ ही उन्होनें जीवन के कई ऐसे उपदेश दिए हैं जिन्हें अपनाकर दर्शवादी बन सकते हैं इसके साथ ही कबीर दास ने अपने दोहों से समाज में फैली कुरोतियों को दूर करने की कोशिश की है और भेदभाव को मिटाया है।

वहीं कबीर पंथी धार्मिक समुदाय के लोग कबीर के सिद्धांतो और उनके उपदेशों को अपनी जीवन का आधार मानते हैं।

Kabir Ke Dohe amritvani mp3 download lyrics – कबीर दास जी के द्धारा कहे गए दोहे इस प्रकार हैं।

“जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।”

इस दोहे से कबीर दास जी का कहने का अर्थ है कि जो लोग कोशिश करते हैं, वे लोग कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते।

वाकई में कबीर दास – Kabir Das जी इन उपदेशों को पढ़कर सभी के मन में सकरात्मक भाव पैदा होता है और वे सफलता की तरफ अग्रसर होते हैं। इसके साथ ही कबीर दास – Kabir Das ने ये भी कहा कि बड़ी बड़ी किताबें पढ़ कर दुनिया में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, लेकिन सभी विद्वान नहीं हो सके।

कबीर मानते थे कि अगर प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

Kabir ke Updesh – कबीर दास जी के कहे गए उपदेश वाकई प्रेरणा दायक हैं इसके साथ ही कबीर दास ने अपने उपदेशों को समस्त मानव जाति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी दी इसके साथ ही अपने उपदेशों के द्धारा समाज में फैली बुराइयों का कड़ा विरोध जताया और आदर्श समाज की स्थापन पर बल दिया इसके साथ ही कबीर दास जी के उपदेश हर किसी के मन में एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं आइए जानते हैं।

हिन्दी साहित्य के महान कवि और समाज सुधारक कबीर दास – Kabir Das जी के बारे में –

कबीर दास जी की जीवनी – Kabir Das ka Jeevan Parichay

Kabir Das ka Jeevan Parichay
Kabir Das ka Jeevan Parichay

हिन्दी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व कबीर दास जी के के जन्म के बारे में कुछ भी सत्यापित नहीं है। कबीर दास जी के माता-पिता के बारे में एक राय नहीं है फिर भी माना जाता है उनका जन्म 1398 में काशी में हुआ था। कुछ लोगों की माने तो वे एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से स्वामी रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था।

जिसके बाद ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को काशी में लहरतारा ताल के पास फेंक आयी थीं जिसके बाद पालन-पोषण “नीमा’ और “नीरु’ ने किया था बाद में इसी बालक ने महान संत कबीर बनकर भारत की जन्मभूमि को पवित्र कर दिया। अर्थात कबीर ने खुद को जुलाहे के रुप में पेश किया है –

“जाति जुलाहा नाम कबीरा बनि बनि फिरो उदासी।”

वहीं अगर कबीर पन्थियों की माने तो कबीर दास, काशी में लहरतारा तालाब में एक कमल के फूल के ऊपर उत्पन्न हुए थे। कबीरपंथियों में इनके जन्म के लेकर में यह पद्य भी काफी मशहूर है –

चौदह सौ पचपन साल गए, चन्द्रवार एक ठाठ ठए। जेठ सुदी बरसायत को पूरनमासी तिथि प्रगट भए॥ घन गरजें दामिनि दमके बूँदे बरषें झर लाग गए। लहर तलाब में कमल खिले तहँ कबीर भानु प्रगट भए॥

कबीर दास जी की शिक्षा – Kabir das Education

कहा जाता है कि कबीर दास जी निरक्षर थे अर्थात वे पढ़े लिखे नहीं थे लेकन वे अन्य बच्चों से एकदम अलग थे आपको बता दें कि गरीबी की वजह से उनके माता-पिता उन्हें मदरसे नहीं भेज सके। इसलिए कबीरदास जी किताबी विद्या नहीं ग्रहण कर सके।

मसि कागद छूवो नहीं, क़लम गही नहिं हाथ।

आपको बता दें कि कबीरदास जी ने खुद ग्रंथ नहीं लिखे वे उपदेशों को दोहों को मुंह से बोलते थे जिसके बाद उनके शिष्यों ने उसे लिख लिया।

कबीर दास पर स्वामी रामानंद का प्रभाव:

कबीर दास के धर्म को लेकर भी कोई पुष्टि नहीं की गई है कहा जाता है कि कबीर जन्म से ही मुसलमान थे। वहीं जब वे स्वामी रामानंद के प्रभाव में आए तब उन्हें हिन्दू धर्म का ज्ञान हुआ था। इसके बाद उन्होनें रामानंद को अपना गुरु बना लिया।

दरअसल एक बार कबीरदास पंचगंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े उसी समय स्वामी रामानंद जी गंगा स्नान करने के लिए सीढ़ियों से उतर रहे थे तभी उनका पैर जाकर कबीर दास जी के शरीर पर पड़ा जिसके बाद कबीरदास के मुंह से ‘राम-राम’ शब्द निकला। फिर क्या था उसी राम को कबीर दास जी ने अपना दीक्षा मंत्र मान लिया और रामानन्द जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया। इसके बाद कबीर दास ने कहा कि –

`हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये’।

कबीरदास जी किसी धर्म को नहीं मानते थे बल्कि वे सभी धर्मों की अच्छे विचारों को आत्मसात करते थे। यही वजह है कि कबीरदास जी ने हिंदु-मुसलमान का भेदभाव मिटा कर हिंदू-भक्तों और मुसलमान फक़ीरों के साथ सत्संग किया और दोनों धर्मों से अच्छी विचारों को ग्रहण कर लिया।

कबीरदास जी का विवाह और बच्चे – Kabir Das Life History in Hindi

कबीरदास जी का विवाह वनखेड़ी बैरागी की कन्या ”लोई” के साथ हुआ था। विवाह के बाद दोनों को संतान का सुख मिला कबीरदास जी के बेटे का नाम कमाल था जबकि बेटी का नाम कमाली था। वहीं इन लोगों को परिवरिश करने के लिए कबीरदास जी को अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था।

जिससे घर साधु-संतों का आना-जाना लगा रहता था। वहीं उनके ग्रंथ साहब के एक श्लोक से अनुमान लगााया जाता है उनका पुत्र कमाल कबीर दास जी के मत का विरोधी था।

“बूड़ा बंस कबीर का, उपजा पूत कमाल। हरि का सिमरन छोडि के, घर ले आया माल।”

जबकि कबीर जी की पुत्री कमाली का वर्णन कबीर जी ने कहीं पर भी नहीं किया है। कबीर जी के घर में संत-मुनियों के लगातार आने-जाने उनके बच्चों को खाना मिलना तक मुश्किल हो गया था। इस वजह से कबीर की पत्नी गुस्सा भी करती थी जिसके बाद कबीर अपनी पत्नी को ऐसे समझाते हैं –

“सुनि अंघली लोई बंपीर। इन मुड़ियन भजि सरन कबीर।।”

आपको बता दें कि कबीर को कबीर पंथ में, बाल- ब्रह्मचारी और विराणी माना जाता है। इस पंथ के अनुसार कामात्य उनका शिष्य था और कमाली और लोई उनकी शिष्या थी। लोई शब्द का इस्तेमाल कबीर जी ने एक जगह कंबल के रुप में भी किया है। वहीं एक जगह लोई को पुकार कर कबीर ने कहा कि –

“कहत कबीर सुनहु रे लोई। हरि बिन राखन हार न कोई।।”

वहीं यह भी माना जाता है कि लोई कबीर जी की पहले पत्नी होगी इसके बाद कबीर जी ने इन्हें शिष्या बना लिया हो। कबीर जी ने अपने दोहे में कहा है कि –

“नारी तो हम भी करी, पाया नहीं विचार। जब जानी तब परिहरि, नारी महा विकार।।”

करीब दास जी की विशेषताएं – About Kabir Das in Hindi

Kabir Das Statue
Kabir Das Statue
  • करीब दास जी को कई भाषाओं का ज्ञान था वे साधु-संतों के साथ कई जगह भ्रमण पर जाते रहते थे इसलिए उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान हो गया था। इसके साथ ही कबीरदास अपने विचारो और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए स्थानीय भाषा के शब्दों का इस्तेमाल करते थे। कबीर दास जी की भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ भी कहा जाता है।
  • कबीर अपनी स्थानीय भाषा में लोगो को समझाते थे और उपदेश देते थे। इसके साथ ही वे जगह-जगह पर उदाहरण देकर अपनी बातों को लोगो के अंतरमन तक पहुंचाने की कोशिश करते थे। कबीर के वाणी को साखी, सबद और रमैनी तीनो रूपों में लिखा गया है। जो ‘बीजक’ के नाम से प्रसिद्ध है। कबीर ग्रन्थावली में भी उनकी रचनाएं का संग्रह देखने को मिलता है।
  • कबीर ने गुरु का स्थान भगवान से बढ़कर बताया है। कबीरदास ने एक जगह पर गुरु को कुम्हार का उदाहरण देते हुए समझाया है कि – जो मिटटी के बर्तन के समान अपने शिष्य को ठोक-पीटकर सुघड़ पात्र में बदल देता है।
  • कबीर दास हमेशा सत्य बोलने वाले निडर और निर्भाक व्यक्ति थे। वे कटु सत्य भी कहने से नहीं बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते थे।

कबीर दास की ये भी एक खासियत थी कि वे निंदा करने वाले लोगों को अपना हितैषी मानते थे। कबीरदास को सज्जनों, साधु-संतो की संगति अच्छी लगती थी। कबीर दास जी का कहना था कि –

निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।

वे अपने उपदेशों से समाज में बदलाव करना चाहते थे और समस्त मानव जीवन को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देते थे।

कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे कबीरदास:

कबीरदास जी झूठा दिखावा, कर्मकाण्ड और पाखंड के घोर विरोधी थे और उन्हें मौलवियों और पंडितों के कर्मकांड पसंद नहीं थे और तो और कबीर दास अवतार, मूर्ति, रोज़ा, ईद, मस्जिद, मंदिर को नहीं मानते थे। Sant Kabir Das – कबीर दास को मस्जिदों में नमाज पढ़ना, मंदिरों में माला जपना, तिलक लगाना, मूर्तिपूजा करना रोजा या उपवास रखना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

कबीर दास को सादगी में रहना ज्यादा अच्छा लगता था और वे हमेशा सादा भोजन करना पसंद करते थे, उन्हें किसी तरह की बनावट अच्छी नहीं लगती थी। अपने आस- पास के समाज को वे आडम्बरो से मुक्त बनाना चाहते थे।

कबीर दास के ग्रंथ – Kabir Granthavali

Kabir Das Photo
Kabir Das Photo

कबीरदास के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या अलग-अलग लेखों के मुताबिक अलग – अलग हैं वहीं एच.एच. विल्सन की माने तो कबीर के नाम पर 8 ग्रंथ हैं। जबिक विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के 84 ग्रंथों की लिस्ट जारी की है वहीं रामदास गौड ने `हिंदुत्व’ में 71 किताबें गिनाईं हैं।

कबीरदास जी की प्रसिद्ध रचनाएं – Kabir Das Ki Rachnaye or Kabir Das Poems in Hindi

महान कवि कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं में बेहद स्पष्ट तरीके से धर्म, भारतीय संस्कृति और जीवन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी है। उनकी रचनाएं बेहद आसान भाषा में लिखी गईं हैं, जिसमें सहजता का भाव स्पष्ट रुप से दिखाई देता है। उनके द्धारा की गईं कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं-

  • सबद
  • साखी
  • रमैनी

इसके अलावा उनके द्दारा रचित अन्य प्रमुख रचनाओं में भक्ति के अंग, कबीर की वाणी, राम सार , उग्र गीता, अलिफ नाफा, कथनी, ज्ञान गुदड़ी, ज्ञान सागर, करम, चाणंक, राम सार, रेखता, कबीरज अष्टक, बलख की फैज, रेखता आदि प्रमुख हैं।

कबीर दास जी की साहित्यिक देन – Kabir Books

कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक’ – Bijak के नाम से मशहूर हैं इसके भी तीन हिस्से हैं- रमैनी, सबद और सारवी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा समेत कई भाषाओं की खिचड़ी है। कबीरदास जी का मानना था कि इंसान के सबसे पास उसके माता-पिता, दोस्त और मित्र रहते हैं इसलिए वे परमात्मा को भी इसी दृष्टि से देखते हैं वे कहते थे कि –

‘हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया’ तो कभी कहते हैं, `हरि जननी मैं बालक तोरा’

कबीर दास जी के भजन – Kabir Das ke Bhajan

कबीर दास जी के कुछ चुनिंदा भजन संक्षेप मे यहा आपके सामने रख रहे है, जैसे के;

  • भजन – १

भजन पद

“कबीरा जब हम पैदा हुये जग हँसे हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये।

चदरिया झिनी रे झिनी
राम नाम रस भीनी
चदरिया झिनी रे झिनी

चादर ओढ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दिन्ही।
मुरख लोक भेद नही जाने,
दिन दिन मैली किन्ही।।
चदरिया झिनी रे झिनी..

ध्रुव प्रल्हाद सुदामा ने ओढी चदरिया,
शुकदे मे निर्मल किन्ही।
दास कबीर ने ऐसी ओढी,
ज्यु की त्यु धर दिन्ही।।
के राम नाम रस भीनी,
चदरिया झिनी रे झिनी”

  • भजन – २

भजन पद

“तुने रात गवायी सोय के, दिवस गवाय खाय के।हीरा जनम अमोल था, कौडी बदल जाय।”

“मन लाग्यो मेरा यार फकिरी मे जो सुख पाऊ नाम भजन मे।
सो सुख नाहि अमिरी मे,आखिर यह तन खाक मिलेगा,कहा फिरत मगरूरी मे।”

  • भजन – ३

भजन पद

“साई की नगरिया जाना है रे बंदे ,जाना है रे बंदे।
जग नाहि अपना,जग नाहि अपना, बेगाना है रे बंदे
जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे।।

कबीर दास जी की मृत्यु – Sant Kabir Death

कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन काशी में ही गुजारा लेकिन वह मरने के समय मगहर चले गए थे। ऐसा माना जाता है उस समय लोग मानते थे कि मगहर में मरने से नरक मिलता है और काशी में प्राण त्यागने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीं कबीर को जब अपने आखिरी समय का अंदेशा हो गया था तब वे लोगों की इस धारणा को तोड़ने के मगहर चले गए।

ये भी कहा जाता है कि कबीर के शत्रुओं ने उनको मगहर जाने के लिए मजबूर किया था। वे चाहते थे कि कबीर की मुक्ति न हो पाए, लेकिन कबीर तो काशी मरन से नहीं, राम की भक्ति से मुक्ति पाना चाहते थे।

“जौ काशी तन तजै कबीरा तो रामै कौन निहोटा।”

कबीरदास जी एक महान कवि और समाज सुधारक थे। इन्होनें अपने साहित्य से लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी इसके साथ ही समाज में फैली कुरोतियों पर जमकर प्रहार किया है। कबीरदास जी सादा जीवन जीने में यकीन रखते थे वे अहिंसा, सत्य, सदाचार गुणों के प्रशंसक थे। कबीरदास जैसे कवियों का भारत में जन्म लेना गौरव की बात है।

कबीर दास जी का योगदान – Kabir Works

कबीर दास जी ने अपने लेखन से समाज में फैली कुरोतियों को दूर किया है इसके साथ ही सामाजिक भेदभाव और आर्थिक शोषण के खिलाफ विरोध किया है। महान विद्वंत कवि कबीरदास जी ने अपने जीवन में किसी तरह की शिक्षा नहीं ली थी, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों, कल्पना शक्ति और अध्यात्म कल्पना शक्ति के बल पर पूरी दुनिया को वो ज्ञान दिया, जिसे अमल कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।

Kabir Das Images
Kabir Das Images

उन्होंने अपने विचारों से लोगों को प्रेम की परिभाषा सिखाई एवं उनके मन में सकारात्मक भाव पैदा किए। वे हिन्दी साहित्य के महिमामंडित व्यक्तित्व थे, जिन्होंने न सिर्फ अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाया, बल्कि समाज में फैली तमाम कुरोतियों को दूर करने के अथक प्रयास किए।

कबीरदास जी ने आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया। कबीरदास जी जैसे महान कवियों के जन्म लेने से भारत भूमि धन्य हो गई। हिन्दी साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

कबीरदास जी बारेमे पुछे जाने वाले सवाल – Kabir Das Quiz Question

  1. कबीर दास जी कौन थे? (Who was Kabir Das?)

जवाब: भक्ती पंथ के श्रेष्ठ संत के सूची मे कबीर जी का नाम शामिल है जो की हिंदी,अवधी भाषा के सिवाय खडी बोली,हरियाणवी, राजस्थानी आदि भाषा मे साहित्य की रचनाकर्ता के रूप मे भी जाने जाते है। पेशे से बुनकर का व्यवसाय करने वाले कबीर दास जी को सब धर्म से लगाव था, तथा उनकी खुदका कोई जाती या धर्म नही था।

2. संत कबीर दास कौनसे सदी के कवी थे? (Kabir Das Kis Kaal Ke Kavi The?)

जवाब: पंधरावी सदी के।

3. साहित्य मे कबीर दास जी ने कौनसी प्रमुख रचनाए निर्मित की है?(Kabir Das ki Rachnaye or Kabir Das ki Sakhiyan?)

जवाब: साखी,सबद, रमैनी, अलिफ नामा, उग्र गीता, कबीर की वाणी, राम सार इत्यादी।

4. संत कबीर दास जी के गुरु का नाम क्या था? (Kabir Das ke Guru ka Naam)

जवाब: स्वामी रामानंद।

5. कबीर दास जी की शिक्षा और उपदेश को सबसे ज्यादा किस प्रचलित रूप मे पसंद किया जाता है? (In which form kabir das preaching is most famous?)

जवाब: संत कबीर के दोहे के रूप मे।

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भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का जीवन परिचय

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Virat Kohli Biography in Hindi

Virat Kohli – विराट कोहली, जिनके बारे में कौन नहीं जानता। जो कि भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी हैं। भारतीय किक्रेट टीम में सचिन तेंदुलकर और महेन्द्र सिंह धोनी के बाद जिस खिलाड़ी ने भारतीय किक्रेट टीम को मजबूती दी है और अपनी धाक बनाई है। वो हैं विराट कोहली, जिसने किक्रेट में अपने शानदार प्रदर्शन से बच्चे-बच्चे के दिल में अपने लिए जगह बनाई है।

उन्हें भारतीय क्रिकेट का बेक बोन कहा जाता है, क्योंकि वह दाएं हाथ से खेलने वाले अंतराष्ट्रीय किक्रेटर और सबसे प्रतिभाशाली और होनहार क्रिक्रेटरों में से एक है। वर्तमान में विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान होने के साथ-साथ सैकड़ों यूथ के स्टाइल आइकन भी है।

भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का जीवन परिचय – Virat Kohli Biography in Hindi

Virat Kohli

विराट कोहली के बारेमें – Virat Kohli Information in Hindi

पूरा नाम (Name) विराट प्रेम कोहली
जन्म (Born) 5 नवम्बर 1988
जन्मस्थान (Birthplace) दिल्ली
निकनेम (Nickname) चीकू
माता(Mother Name) सरोज कोहली
पिता (Father Name) प्रेमजी
पत्नी (Wife Name) अनुष्का शर्मा (बॉलीवुड अभिनेत्री)

विराट कोहली की जानकारी – Virat Kohli History in Hindi

भारतीय क्रिकट टीम के दिग्गज किक्रेटर का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली की एक पंजाबी परिवार में जन्म हुआ था। उनके पिता प्रेम कोहली जो कि एक क्रिमिनल एडवोकेट थे और उनकी माता का नाम सरोज कोहली है जो कि एक साधारण सी घरेलू महिला हैं और अपने परिवार की देखरेख करती हैं। इसके अलावा विराट कोहली का एक बड़ा भाई विकास और बड़ी बहन भावना भी है।

आपको बता दें कि जब विराट कोहली महज तीन साल का थे। तभी से विराट के प्रिय खिलौने में क्रिकेट का बल्ला था। जैसे-जैसे विराट की उम्र बढ़ती गई उनका रूझान क्रिकेट की तरफ बढ़ता चला गया।

वहीं विराट के पिता ने शुरुआत से ही विराट की दिलचस्पी को समझ लिया था। इसलिए वह विराट को हर रोज क्रिकेट का ट्रेनिंग के लिए लेकर जाते थे।

विराट कोहली की शिक्षा – Virat Kohli Education

भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली की प्रारंभिक शिक्षा विशाल भारती पब्लिक स्कूल दिल्ली से हुई थी। पढ़ाई-लिखाई में तो विराट एवरेज ही थे, लेकिन इनका सारा ध्यान हमेशा से क्रिकेट पर ही था। जिसके चलते विराट के पिता ने महज 9 साल की उम्र में क्रिकेट क्लब में दाखिला करा दिया था। ताकि विराट कोहली को क्रिकेट की बारीकियों के बारे में पता लगा सके।

शुरुआत से ही विराट का क्रिकेट पर ध्यान था। वहीं सिर्फ खेल में ही रूचि होने की वजह से इन्होंने महज 12वीं तक शिक्षा हासिल की और इसके बाद उन्होंने पूरी तरह से क्रिकेट पर ध्यान लगाना शुरु किया। आपको बता दें कि इन्होंने राज कुमार शर्मा से दिल्ली क्रिकेट सीखा और सुमित डोंगरा नाम की एकडेमी में पहला मैच खेला।

विराट कोहली का करियर – Virat Kohli Career

विराट कोहली दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं, जिन्होंने साल 2002 में अंडर-15 प्रतियोगिता खेली थी। इसके बाद साल 2006 में विराट कोहली का चयन अंडर सेवनटीन में हुआ था। जिसके बाद उनके खेल के तरीके से कई तरह के बदलाव देखे गए। इसके बाद साल 2008 में विराट कोहली को अंडर-19 प्रतियोगिता के लिए चुना गया था।

आपको बता दें कि विराट कोहली का अंडर-19 विश्वकप मैच मलेशिया में हुआ था और इन्होनें इस मैच में इंडिया को जीत दिलवाई थी। इसी मैच के बाद विराट का सेलेक्शन वन डे इंटरनेशनल मैच के लिए हुआ था। उन्होनें ये मैच श्री लंका के खिलाफ खेला था। और फिर 2011 में उन्हें वर्ल्ड कप में खेलने का मौका मिला था और उसमें भी इंडिया की जीत हुई थी।

Virat Kohli Photo
Virat Kohli Photo

इसके बाद वे एक के बाद एक मैच खेलते गए और अब इनकी गिनती सबसे अच्छे बल्लेबाजों में होने लगी है और अब वे क्रिकेट की दुनिया के जाने-माने खिलाड़ी के रूप में मशहूर हैं।

विराट कोहली का वन डे इंटरनेशनल मैच करियर – Virat Kohli One Day Match Career

आपको बता दें कि साल 2011 में विराट कोहली ने टेस्ट मैच में अपनी जगह बना ली थी इसके बाद उन्होनें ओडीआई में 6वें स्थान पर बेटिंग शुरु की। इस दौरान उन्हें लगातार दो मैचों में हार का भी सामना करना पड़ा लेकिन वे अपनी हार से कभी निराश नहीं हुए बल्कि उन्होनें अपनी हार से सीख ली और वे निरंतर खुद को बेहतर साबित करते रहे और उसके बाद के मैच में इन्होंने 116 रन बनाए।

वहीं यह वह मैच तो भारत को नहीं जीता पाए लेकिन शतक बनाने वाले एक मात्र भारतीय क्रिकेटर बने।

यही नहीं इसके बाद विराट कोहली ने कॉमनवेल्थ बैंक ट्राएंगुलर सीरीज में ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ 7 में से 2 मे मैच में जीत हासिल की। वहीं इसके फाइनल में जाने के लिए श्री लंका के खिलाफ 321 रन का टारगेट था जिसमें से विराट कोहली ने 133 रन बनाकर भारत को जीत हासिल करवाई और मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता।

विराट कोहली के लगातार बेहतर प्रदर्शन को देख उन्हें एक के बाद एक खेल के मौके मिल रहे थे। उन्हें साल 2012 में एशिया कप के लिए वाइस-कैप्टन चुना गया था। इस दौरान विराट को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाने की भी बात की गई।

यह कहा गया कि अगर विराट इसी तरह से क्रिकेट में प्रदर्शन करते रहे तो भविष्य में उन्हें इंडियन क्रिकेट टीम का कैप्टन बनाया जाएगा। और बाद में उन्हें भारतीय इंडियन टीम का कप्तान भी चुना गया।

Virat Kohli Old Pictures

Virat Kohli Old Pictures
Virat Kohli Old Pictures

आपको बता दें कि पाकिस्तान के खिलाफ वन डे इंटरनेशनल मैच में उन्होनें 148 गेंदों में 183 रन बनाएं। और इस मैच में बेहतरीन प्रदर्शन कर 330 रन का रिकॉर्ड बनाया और इन्हें एक बार फिर मैच ऑफ द मैच बनाया गया।

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में विराट कोहली का करियर – Virat Kohli IPL Career

विराट कोहली ने 2008 में IPL का पहला मैच खेला था। उस दौरान विराट को रॉयल चेलेंजर्स, बैंगलोर ( RCB ) की टीम के लिए 20 लाख रुपए में खरीदा था। इन्होंने तब 13 मैचों में 165 रन बनाए थे और 15 का एवरेज था।

साल 2009 में इन्होंने RCB को फाइनल तक पहुंचाया था, उस रान अनिल कुंबले ने भी विराट कोहली की जमकर सराहना की थी। लेकिन अभी तक इंडियन टीम में विराट का नाम पर्मानेंट नहीं हुआ था।

2014 में विराट कोहली का IPL में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। इन्होंने महज 37 के एवरेज पर खेला। इसी दौरान एमएस धोनी ने टेस्ट कप्तानी से रिटायरमेंट ले लिया। जिसके बाद टेस्ट की कप्तानी विराट कोहली को सौंपी गई।

कैप्टन के तौर पर विराट कोहली ने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई और अपनी टीम को मजबूत करने में जुट गए। इसके बाद 2015 में ये 500 रन का रिकॉर्ड तोड़ने में सफल रहे।

Virat Kohli Images

Virat Kohli Images
Virat Kohli Images

2016 में विराट कोहली ने एशिया कप और टी-20 में भारत के लिए और IPL में RCB में खेले मैचों में अपना शानदार प्रदर्शन किया और अब विराट कोहली के खेलने का अंदाज लोगों को आर्कषित करने लगा था इसलिए उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। वहीं 2018 में IPL में उन्हें 18 करोड़ में खरीदा गया।

इसके अलावा विराट कोहली ने अपने टी-20 इंटरनेशनल मैच के करियर में शानदार पारी खेलकर कई रिकॉर्डस अपने नाम किए लेकिन कुछ मैचों में विराट कोहली को हार का भी सामना करना पड़ा।

आपको बता दें कि पूरी दुनिया में सिर्फ 8 क्रिकेटरों ने 20 ODI में शतक बनाए हैं और उन 8 क्रिकेटरों में विराट का नाम भी शुमार है। आपको बता दें कि विराट कोहली 20 ओडीआई में शतक लगाने वाले सबसे तेज बल्लेबाज हैं। इनके पहले सचिन तेंदुलकर का नाम था।

यही नहीं किक्रेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, सौरव और धोनी के बाद विराट कोहली ODI में 3 साल में लगातार 1 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले चौथे क्रिकेटर बने।

विराट कोहली 1000, 3000, 4000 और 5000 रन का रिकॉर्ड बनाने वाले सबसे तेज भारतीय क्रिकेटर हैं इसी के साथ ये रिचर्ड के साथ साझा करते हुए 5000 रन बनाने वाले सबसे तेज इंटरनेशल क्रिक्रेटरों में से भी एक हैं।

एक नजर में विराट कोहली के रिकॉर्ड्स – Virat Kohli Records

  • साल 2011 में वर्ल्ड कप में सेंचुरी बनाई है।
  • महज 22 साल में ODI में 100 रन बनाने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी है।
  • ODI क्रिक्रेट में 1000, 3000, 4000 और 5000 रन बनाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी है।
  • 2013 में जयपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 52 रनों में सेंचुरी बनाई है।
  • ODI में 7500 रन बनाने वाले सबसे तेज भारतीय क्रिकेटर है।

Virat Kohli Pic

Virat Kohli Pic
Virat Kohli Pic

विराट कोहली को मिले हुए अवार्ड्स – Virat Kohli Awards

विराट कोहली ने आज सफलता के इस मुकाम तक पहुंचे हैं लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। वे कई विवादों में भी रह चुके हैं। वहीं किक्रेट में अपने योगदान के लिए विराट को कई अवार्ड्स से भी नवाजा गया जिनके बारे में नीचे लिखा गया है –

Virat Kohli Awards
Virat Kohli Awards
  • 2012- पीपुल चॉइस अवॉर्ड फॉर फेवरेट क्रिकेटर
  • 2012- आाईसीसी ओडीआई प्लेयर ऑफ द इयर अवॉर्ड
  • 2013- अर्जुन अवॉर्ड फॉर क्रिकेट
  • 2017- सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द इयर
  • 2017- पदम श्री अवॉर्ड
  • 2018- सर गर्फिएल्ड सोबर्स ट्रॉफी से विराट को नवाजा गया।

विराट कोहली की शादी – Virat Kohli Marriage

बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के साथ दिसंबर 2017 में शादी के बंधन में बंध गए।

Virat Kohli Marriage Photo

Virat Kohli Marriage Photo
Virat Kohli Marriage Photo

इसके अलावा विराट कोहली अपने लुक के लिए भी काफी चर्चा में रहते हैं। बड़ी मात्रा में यूथ विराट के लुक को फोलो करते हैं। यही नहीं विराट अपनी फिटनेस को लेकर भी काफी गंभीर हैं। फिलहाल विराट ऐसे ही क्रिकेट की दुनिया में लगातार अपना नाम कमाते रहे और भारत का मान बढ़ाते रहे यही हमारी कामना है।

क्रिकेटर विराट कोहली के बारेमें अधिकतर बार पुछे जाने वाले सवाल – Quiz Questions on Virat Kohli

  1. भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली की हाल फिलहाल आयु कितनी है? (Virat Kohli age)

जवाब: ३२ वर्ष।

2. विराट कोहली की लंबाई कितनी है? (Virat Kohli Height)

जवाब: १.७५ मी. (५ फीट ९ इंच)।

3. विराट कोहली के पुत्री का नाम क्या है? (Virat Kohli Baby)

जवाब: वामिका।

4. १९ साल से कम आयु वर्ग के आंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे विराट कोहली के नेतृत्व मे कब भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जिता था?ये प्रतियोगिता कहा हुई थी? (Virat Kohli As a Skipper Under 19 cricket world cup year and location)

जवाब: साल २००८ मे मलेशिया मे हुये क्रिकेट विश्व कप मे भारतीय टीम ने विराट कोहली के नेतृत्व मे विश्वकप जीता था।

5. आंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के एकदिवसीय खेल मे विराट कोहली को कब पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम मे खेलने का मौका मिला था? (Virat kohli one day international cricket debut)

जवाब: १८ अगस्त २००८।

6. विराट कोहली ने कहा तक शिक्षा को पुरा किया हुआ है? (Virat kohli education)

जवाब: कक्षा १२ वी।

7. विराट कोहली के पत्नी का नाम क्या है?वो पेशे से कौन है? (Virat Kohli Wife Name)

जवाब: अनुष्का शर्मा, यह बॉलीवुड सिने जगत की अभिनेत्री है।

8. भारतीय क्रिकेटर और कप्तान विराट कोहली का निकनेम क्या है? (what is the nickname of virat kohli?)

जवाब: चीकू।

9. क्या विराट कोहली साल २०११ के क्रिकेट विश्वकप प्रतियोगिता मे भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य थे? (Virat kohli in 2011 cricket world cup)

जवाब: हा।

10. इंडिअन प्रीमिअर लीग क्रिकेट प्रतियोगिता मे विराट कोहली कौनसे टीम का नेतृत्व करते है? (Virat kohli as a captain in IPL team)

जवाब: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर।

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संत कबीर के अनमोल कथन

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Kabir Quotes in Hindi

भारत मे अनेक महापुरुषो ने और साधू संतो ने जन्म लिया जिन्होने भारतीय संस्कृती को उच्च मुल्यो और आदर्शो से समृध्द किया है। बात करे संतो की तो हर एक संत ने उनकी शिक्षा और सीख को जनमानस तक पहुचाने हेतू साहित्य मे भी भरसक कार्य किया है।

इसी कडी मे संत मीराबाई की पद रचना, संत रविदास की रचनाए तथा सूरदास और तुलसीदास का साहित्य कार्य का विशेष तौर पर उल्लेख करना अनिवार्य बन जाता। यहा इस लेख मे आप ऐसेही श्रेष्ठ संत और कवी के विचारो को कोट्स के माध्यम से पढने वाले है, जिनके दोहे समुचे विश्वभर मे काफी प्रसिध्द है।

हम बात कर रहे है संत कबीर की जिनको भक्ती मार्ग के श्रेष्ठ संत, कवी तथा भारत के आदर्श व्यक्तित्व के तौर पर पहचाना जाता है। हमे पुरा विश्वास है इस कोट्स को पढने के बाद आपको जीवन के लिये आवश्यक सीख और मार्गदर्शन मिल पायेगा।

संत कबीर के अनमोल कथन – Kabir Quotes in Hindi

Kabir Quotes in Hindi
Kabir Quotes in Hindi

“अगर मेरे सामने गुरु और परमात्मा एक ही समय पर आकर खडे होते है, तो मै पहले गुरु का चरण स्पर्श करुंगा, क्योंकी गुरु की महिमा अलौकिक होती है।”

“संसार की ढेर सारी किताबे पढकर भी लोग अंत मे मृत्यू के द्वार चले गये, पर विद्वान ना बन सके।वही जिसने केवल ढाई अक्षर के प्रेम शब्द का वास्तविक अर्थ जाना वे सच्चे ज्ञानी बन गये।”

Kabir Famous Quotes in Hindi

Kabir Famous Quotes in Hindi
Kabir Famous Quotes in Hindi

“मन मे धीरज रखने से ही सब कार्य संपन्न होते है, कोई माली भलेही एक दिन मे सौ घडे पानी पेड को सिंचे, फल केवल उचित ऋतू मे ही पेड को लगेगा।”

“सज्जन मनुष्य की जाति कभी नही पुछ्नी चाहिये, अपितु उसके पास मौजूद ज्ञान का मूल्य करना चाहिये।ठीक उसी तरह जैसे तलवार का मूल्य होता है, ना के उसके मयान का।”

Sant Kabir Quotes in Hindi

Sant Kabir Quotes in Hndi
Sant Kabir Quotes in Hindi

“जब तक जिवित हो जितना हो सके परमात्मा के नाम का सुमिरन कर लो एवं उसकी पूजा करो,नही तो बादमे मरने के बाद पछताना पडेगा।”

“जो स्त्री पतिव्रता होती है उसने गले मे भलेही कांच की भी माला पहनी हो और वो चाहे तन से मलिन भी हो फिर भी वो अपने सहेलीयो मे सूर्य के समान चमकती है। स्त्री को सुंदर दिखने हेतू आभूषण की जरुरत नही होती।”

Kabir Quotes

संत कबीर द्वारा दी गई शिक्षा अवडंबर का खंडन करती है और वास्तविकता को छुती है, जिसमे व्यक्ती के गुणो को अधिक महत्व दिया गया है ना के उसके कुल, जाती, धर्म इत्यादी को।

मानव जीवन के उध्दार पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की सलाह कबीर दास जी ने सबको दी है, इसके लिये उन्होने कुर्तक, कर्मकांड, व्यर्थ का समय खर्च करना तथा परनिंदा पर कडवा प्रहार किया है। उपरी शरीर से ज्यादा अंतर्मन को मलिन होने से रोकने हेतू सावधानी बरतने संबंधी अनमोल मार्गदर्शन और सीख भी उनके साहित्य से मिल जाती है।

गुरु बिना जीवन मे कुछ भी साध्य करना आसान नही होता इसलिये विनम्रता से साधा जीवन जिकर गुरु भक्ती से परमात्मा तक पहुचने का सुझाव भी उनके द्वारा रचित दोहे से उपलब्ध होता है।

Kabir Quotes
Kabir Quotes

“जो कार्य कल करना है उसे आज करो, जो आज कार्य आज करना है उसे अभी इसी क्षण करो। न जाने किस समय अंतिम क्षण आये और फिर कब तुम सब कार्य करोगे।”

“जिस तरह अधिक धूप हानिकारक होती है, वैसेही अधिक बारीश भी कष्टदायक होती है। ठीक इसी तरह अधिक बोलना भी उचित नही होता और अधिक समय तक चुप रहना भी ठीक नही होता।”

Kabir Das Quotes in Hindi

Kabir Das Quotes in Hindi
Kabir Das Quotes in Hindi

“लोग घिस घिस कर शरीर का मल साफ करते है, पर अंतकरण की मैल कभी साफ नही करते।इसके लिये गंगा गोमती मे जाकर स्नान भी करते है फिर भी बैल के बैल ही बने रहते है।”

“जिस तऱह खजूर का पेड काफी उंचा होता है, जिसकी ना तो किसीको छाव मिलती और फल भी काफी दूर लगते है।इसी प्रकार से आप कितने भी बडे इंसान बनो पर किसी के काम नही आ सके तो सब व्यर्थ होता है।”

संत कबीर भारत के उन विरले संतो मे से एक थे जिन्होने विशिष्ट धार्मिक कर्मकांड,उच-नीच जाति भेद तथा अवडंबर का विरोध कर केवल और केवल मानवता की सेवा को अधिक महत्व दिया। इसके लिये उन्होने तरह तरह के उपाय भी सुझाये जिसमे केवल नाम सुमिरन, सच्ची श्रद्धा और समर्पण भाव शामिल है।

भारत भूमी सचमे धन्य हुई जहा कबीर दास जैसे उच्च कोटी के संतो ने जन्म लिया और आज भी उनकी सीख और मार्गदर्शन जनमानस को प्रभावित कर प्रेरणा देते है।

हम आशा करते है के इन कोट्स को पढकर आपको काफी आनंद आया हुआ होगा साथमे इससे आपको लाभकारी मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ होगा। लेख अच्छा लगे तो जरूर अपने दोस्त परिवार के साथ शेअर किजीये, हमसे जुडे रहने के लिये धन्यवाद।…

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मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास

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Mughal History in Hindi

मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुए पानीपत के युद्ध के बाद हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद भारत में दिल्ली सत्लनत के शासन का खात्मा हुआ और मध्यकालीन भारत में मुगल वंश की नींव रखी गई, जिसके बाद करीब 18 वीं शताब्दी, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक मुगलों ने भारतीय उपमहाद्धीप पर राज किया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने तक भारत में मुगलों ने अपना शासन चलाया था।

मुगल सम्राज्य एक काफी कुशल, समृद्ध एवं संगठित सम्राज्य था। मुगल वंश का शासन, भारत के मध्ययुगीन इतिहास के एक युग परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। मुगलकालीन भारत में ही कला, शिल्पकला का विकास हुआ। भारत में ज्यादातर खूबसूरत एवं ऐतिहासिक इमारतें मुगलकाल के समय में ही बनाईं गईं थी।

इन इमारतों में सांची के स्तूप, आगरा में स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, अजंता-एलोरा की गुफाएं, उड़ीसा के प्रसिद्ध मंदिर, खजुराहो के मंदिर, तंजौर की अद्भुत मूर्तिकला, शेरशाह सूरी का ग्रैंड ट्रंक रोड, बीजापुर का गोल गुंबद आदि शामिल हैं। तो आइए जानते हैं मुगल वंश के इतिहासके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी–

मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास – Mughal History in Hindi

Mughal History

मुगल वंश के बारे मे जानकारी – About Mughal Empire in Hindi

साम्राज्यवंश का नाम मुगल वंश
शासन काल १५२६-१८५७
प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान
  • दिल्ली,
  • औरंगाबाद,
  • आग्रा
प्रमुख शक्तिशाली शासक
  1. बाबर,
  2. हुमायूँ,
  3. अकबर,
  4. जहाँगीर,
  5. शाहजहां,
  6. औरंगजेब
शासन काल मे कला से जुडी प्रमुख उपलब्धीया
  • ताजमहाल,
  • लाल किला,
  • जामा मस्जिद,
  • बीबी का मकबरा,
  • लाहोर मस्जिद,
  • मोती मस्जिद,
  • तक्ख्त-ए- ताउस इत्यादी
प्रथम शासक बाबर
अंतिम शासक बहादूर शाह जफर
साम्राज्य का कुल शासनकाल लगभग ३३१ साल

मुगल वंश के शासकों की सूची – List of Mughal Emperors in Hindi

शासक का नाम  शासनकाल 
बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)
हुमायूं (26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540)
अकबर (27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605)
जहांगीर (27 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627)
शाहजहाँ (8 नवम्बर 1627 – 31 जुलाई 1658)
औरंगजेब (31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707)
बहादुरशाह (19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712)
जहांदार शाह (27 फ़रवरी 1712 – 11 फ़रवरी 1713)
फर्रुख्शियार (11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719)
मोहम्मद शाह (27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748)
अहमद शाह बहादुर (26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754)
आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759)
शाह आलम द्वितीय (24 दिसम्बर 1760 – 19 नवम्बर 1806)
अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837)
बहादुर शाह द्वितीय (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857)

मुगल वंश का इतिहास – Mughal Samrajya ka Itihas

यहां हम आपको मुगल वंश के प्रमुख शासकों और उनके कार्यालय के बारे में संक्षिप्त में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। इनके बारे में विस्तार में जानने के लिए आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें-

  • मुगल वंश के संस्थापक बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)

भारत में साल 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद भारत में लोदी वंश और दिल्ली सल्लनत का अंत हुआ एवं बाबर द्धारा मुगल वंश की स्थापना की गई। बाबर के बारे में एक नजर में

पूरा नाम जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर
जन्म 14 फरवरी, 1483, अन्दिझान (उज्बेकिस्तान)
पिता उमर शेख मिर्जा (फरगना राज्य  के शासक)
माता कुतलुग निगार खानुम
पत्नियां
  • आयेशा सुलतान बेगम,
  • जैनाब सुलतान बेगम,
  • मौसमा सुलतान बेगम,
  • महम बेगम,
  • गुलरुख बेगम,
  • दिलदार अघाबेगम,
  • मुबारका युरुफझाई,
  • सहिला सुलतान बेगम,
  • हज्जाह गुलनार अघाचा,
  • नाझगुल अघाचा,
  • बेगा बेगम।
पुत्र / पुत्रियां हुमायूँ, कामरान, अस्करी, हिन्दाल,गुलबदन बेगम
शासन काल सन 1526 से 1530 ई.
निर्माण क़ाबुली बाग़ मस्जिद, आगरा की मस्जिद, जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,नूर अफ़ग़ान,
मृत्यु 26 दिसम्बर 1530

बाबर, मुगल सम्राज्य का संस्थापक और पहला मुगल सम्राट था। बाबर ने भारत पर 5 बार हमला किया था। उसने 1519 ईसवी में यूसुफजई जाति के खिलाफ भारत में अपना पहला संघर्ष छेड़ा था, इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने कब्जे में कर लिया था।

Mughal Empire Weapons

मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को पराजित कर दिल्ली और आगरा में अपना कब्जा जमा लिया, जिसके साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया और भारत में मुगल वंश की स्थापना की गई। 17 मार्च 1527 में मुगल सम्राट बाबर ने खानवा की लड़ाई में मेवाड़ के शक्तिशाली शासक राणा सांगा को पराजित किया।

इस युद्ध के बाद बाबर ने गांजी की उपाधि धारण कर ली थी। 1659 ईसवी में बाबर ने घाघरा की लड़ाई में अफगानी सेना को फिर से हार की धूल चटाई। मुगल शासक एक शक्तिशाली शासक होने के साथ-साथ बेहद दयालु था, जिसे उसकी उदारता के लिए कलंदर की उपाधि दी गई थी।

बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की थी। आपको बता दें कि बाबर को मुबईयान नामक पद्य शैली का पितामह भी माना जाता है। बाबर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र हुमायूं ने मुगल सम्राज्य का शासन संभाला। बाबर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें- बाबर का इतिहास और जानकारी

  • मुगल सम्राट हुमायूं:

पूरा नाम नासीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं
जन्म 6 मार्च, सन् 1508 ई., क़ाबुल
पिता बाबर
माता माहम बेगम
शासन काल (26 दिसंबर, 1530 – 17 मई, 1540 ई. और 22 फ़रवरी, 1555 – 27 जनवरी, 1556 ई.)
उत्तराधिकारी अकबर
मृत्यु 27 जनवरी, सन् 1555 ई., दिल्ली

मुगल सम्राट हुमायूं दूसरा मुगल शासक था, जो कि 23 साल की उम्र में मुगल सिंहासन पर बैठा था। हूमायूं और शेरशाह की बीच हुई कन्नौज और चौसा की लड़ाई में, शेरशाह ने हुमायूं को पराजित कर दिया था, जिसके बाद हुमायूं भारत छोड़कर चला गया था।

करीब 15 साल के निर्वासित जीवन व्यतीत करने के बाद हुमायूं ने 1555 में सिकंदर को पराजित कर दिल्ली का राजसिंहासन संभाला था। मुगल सम्राट हुमायूं ने ही हफ्ते में सातों दिन सात अलग-अलग रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए थे। हुमायूं के बारे में और अधितर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास

  • मुगल सम्राट अकबर द महान:

नाम अबुल-फतह जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म 15 अक्टूबर, 1542, अमरकोट
पिता हुमांयू
माता नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा
शासनकाल 11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605
उत्तराधिकारी जहांगीर
मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा)

मुगल शासक हुमायूं की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अकबर, मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठे थे। 14 साल की छोटी सी उम्र में ही अकबर को मुगल सम्राज्य का शासक बनाया गया था, इसलिए कुछ समय तक उनके पिता के मंत्री बैरम खां उनके संरक्षक रहे थे। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में मुगल सम्राज्य की एक नई शुरुआत हुई थी।

इस दौरान भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादातर हिस्से पर मुगल सम्राज्य का विस्तार किया गया था। अकबर ने पंजाब, दिल्ली, आगरा, राजपूताना, गुजरात, बंगाल, काबुल, कंधार में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

अकबर के शासनकाल के दौरान आगरा किला, बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, हुमायूं मकबरा, इलाहाबाद किला, लाहौर किला, और सिकंदरा में उनका खुद का मकबरा समेत कई वास्तुशिल्प कृतियों का निर्माण भी किया गया। अकबर ”दीन ए इलाही” धर्म का प्रधान पुरोहित था।

  1. बीरबल,
  2. अबुल फजल,
  3. मानसिंह,
  4. भगवानदास,
  5. तानसेन,
  6. फैजी।
  7. अब्दुर्रहीम खानखाना,
  8. मुल्ला दो प्याजा,
  9. टोडरमल,

अकबर के बारे में और अधिर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर इतिहास

  • मुगल शासक जहांगीर (1605 से 1627 तक)

पूरा नाम मिर्ज़ा नूर-उद्दीन बेग़ मोहम्मद ख़ान सलीम जहाँगीर
जन्म 30 अगस्त, सन् 1569, फ़तेहपुर सीकरी
पिता अकबर
माता मरियम उज़-ज़मानी
विवाह नूरजहाँ, मानभवती, मानमती
शासनकाल सन 15 अक्टूबर, 1605-8 नवंबर, 1627

मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद उनके बेटे सलीम, जहांगीर के नाम से मुगल सम्राज्य के शासक बने, वह अपनी शान-ओ-शौकत के लिए काफी मशहूर था। जहांगीर के राज में मुगल सम्राज्य का किश्ववर और कांगड़ा के अलावा बंगाल तक विस्तार तो किया गया, लेकिन उसके शासनकाल में कोई बड़ी लड़ाई और उपलब्धि शामिल नहीं है।

जहांगीर के सिंहासन पर बैठते ही उनके पुत्र खुसरो ने सत्ता पाने की चाहत में उनके खिलाफ षणयंत्र रच आक्रमण कर दिया, जिसके बाद जहांगीर और उसके पुत्र के बीच भीषण युद्ध हुआ। वहीं इस युद्द में सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव जी द्धारा खुसरों की मदद्द करने पर जहांगीर ने उनकी हत्या करवा दी थी।

Mughal Empire Images

Mughal Empire Images
Mughal Empire Images

जहांगीर चित्रकला का गूढ़ प्रेमी था, जिसने अपने महल में कई अलग-अलग तरह के चित्र इकट्ठे किए थे। उसके शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल भी कहा जाता है। जहांगीर को आगरा में बनी “न्याय की जंजीर” के लिए भी याद किया जाता है।

जहांगीर के उनके बेटे शाहजहां से भी रिश्ते अच्छे नहीं थे, हालांकि उनकी मौत के बाद शाहजहां को उनके उत्तराधिकारी बने थे। जहांगीर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जहाँगीर का इतिहास

  • मुगल शासक शाहजहां (1628-1658)

पूरा नाम मिर्ज़ा साहब उद्दीन बेग़ मुहम्मद ख़ान ख़ुर्रम
जन्म 5 जनवरी, सन् 1592, लाहौर, पाकिस्तान
पिता जहांगीर
माता जगत गोसाई (जोधाबाई)
विवाह अर्जुमन्द बानो (मुमताज)
शासनकाल 8 नवम्बर 1627 से 2 अगस्त 1658 ई.तक
निर्माण ताजमहल, लाल क़िला दिल्ली, मोती मस्जिद आगरा, जामा मस्जिद दिल्ली
उपाधि अबुल मुज़फ़्फ़र शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी, शाहजहाँ (जहाँगीर के द्वारा प्रदत्त)

 मुगल शासक शाहजहां को दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के निर्माण के लिए याद किया जाता है, उन्होंने अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में इस खूबसूरत इमारत का निर्माण करवाया था।

शाहजहां, मुगल सम्राज्य के सबसे बड़े लोकप्रिय बादशाह थे, जिन्हें पड़ोसी राज्यों के लोग अपनी विदेश नीति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानते थे।

Mughal Empire Monuments
Mughal Empire Monuments

शाहजहां ने अपने शासनकाल में मुगल कालीन कला और संस्कृति को जमकर बढ़ावा दिया था, इसलिए शाहजहां के युग को स्थापत्यकला का स्वर्णिम युग एवं भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल के रुप में भी जानते हैं।

मुगल सम्राट शाहजहां को उनके जीवन के अंतिम दिनों में उनके क्रूर पुत्र औरंगजेब द्धारा आगरा किला में बंदी बना लिया था, इसके बाद 1666 ईसवी में उनकी मौत हो गई थी। मुगल शासक शाहजहां के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- शाहजहाँ का इतिहास

  • मुगल शासकऔरंगजेब:

पूरा नाम अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाज़ी
जन्म 4 नवम्बर, सन् 1618 ई., दाहोद (गुजरात)
पिता शाहजहाँ
माता मुमताज महल
शासनकाल 31 जुलाई, सन् 1658 से 3 मार्च, सन् 1707 तक
निर्माण लाहौर की बादशाही मस्जिद 1674 ई. में, बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद, मोती मस्जिद
उपाधि औरंगज़ेब आलमगीर

औरंगजेब, अपने पिता शाहजहां को कई सालों तक बंदी बनाने के बाद मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। औरंगजेब मुगल वंश का इकलौता ऐसा शासक था, जिसने भारत पर साल 1658 ईसवी से 1707 तक करीब आधी सदी (49 साल) तक अपना कब्जा जमाया था।

औरंगजेब ने अपने शासनकाल में भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादार हिस्सों पर अपने सम्राज्य का विस्तार किया था। औरंगजेब एक कट्टर मुस्लिम शासक था, जिसने सिक्खों के नौंवे गुरु तेग बहादुर के इस्लाम नहीं स्वीकार करने पर उनकी हत्या करवा दी थी। औरंगेजेब ने अपने शासनकाल के दौरान कई लड़ाईयां जीतीं लेकिन उसे मराठा सम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज से हार का सामना करना पड़ा था।

औरंगजेब की मौत के बाद मुगल सम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर पड़ने लगी थी। मुगल शासक औरंगजेब के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- औरंगजेब का इतिहास

  • बहादुर शाह प्रथम (19 जून 1707-27 फ़रवरी 1712)

पूरा नाम कुतुब उद-दीन मुहम्मद मुअज्ज़म
जन्म 14 अक्टूबर, 1643 बुरहानपुर, मुगल साम्राज्य
पिता औरंगजे़ब
माता रहमतुन्निस बेगम (नवाब बाई)
शासनकाल 19 जून, 1707 से 27 फरवरी, 1712 तक
मृत्यु 20जनवरी, 1961 लाहौर, मुगल सम्राज्य

बहादुर शाह प्रथम, महान मुगल सम्राट भारत पर शासन करने वाला भारत का 8वां मुगल शासक था, जिसने भारत पर सिर्फ 5 साल शासन किया था।

बहादुर शाह ने अपने शासनकाल में अपने सहयोगियों को कई नई उपाधियां एवं ऊंचे दर्जे प्रदान किए, हालांकि बहादुर शाह के शासन के समय उसके दरबार में षणयंत्रों के कारण दो दल बन गए थे, जिसमें ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानने वाले थे, जबकि तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ के समर्थक थे।

बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ संधि की नीति अपनाई थी, इसके साथ ही उसने मराठाओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश भी की थी, जो मुगल वंश के लिए सबसे बड़ा खतरा थे। इस तरह बहादुर शाह की नीतियों ने मुगल वंश के पतन का कारण बनी।

  • जहांदार शाह (1712 – 1713)

पूरा नाम मिर्ज़ा मुइज़्ज़-उद-दीन बेग मोहम्मद ख़ान जहाँदार शाह बहादुर
जन्म 9 मई, 1661, दक्कन, मुग़ल साम्राज्य
पिता बहादुरशाह प्रथम
मृत्यु 1713, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य

जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकारी के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, इस भीषण संघर्ष में उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। जहांदारशाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया।

ऐसा माना जाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खां,(जिसने उसे मुगल सत्ता दिलवान में उसकी मद्द की थी )के हाथों की कठपुतली था। उसके शासनकाल के सभी महत्वपूर्ण फैसले जुल्फिकार खां लेता था, उसकी विफल नीतियों के चलते धीमे-धीमे मुगल वंश की नींव कमजोर होती चली गईं और बाद में यही मुगल वंश के पतन का मुख्य कारण बनी।

  • फर्रुख्शियार(11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 )

पूरा नाम अब्बुल मुज़फ्फरुद्दीन मुहम्मद शाह फर्रुख़ सियर
जन्म 20 अगस्त, 1685,औरंगाबाद, महाराष्ट्र
मृत्यु 28 अप्रॅल, 1719, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य
माता/पिता साहिबा निस्वान/अजीमुश्शान

1713 में मुगल वंश का शासक बनने के बाद ही फर्रुख्शियार ने जुल्फिकार खां की हत्या करवा दी। इसके साथही उसके ही शासनकाल में सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया था और बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने पर उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी।

1717 में फर्रुख्शियार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए मुफ्त व्यापार करने का अधिकार दिया, जिसके बाद से ही अंग्रेज भारत में मजबूती से पैर जमाने लगे थे, जबकि दूसरी तरफ मुगल वंश पतन के मुहाने पर खड़ा था।

  • मुहम्मद शाह ( 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 )

पूरा नाम अबु अल-फतह रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह (हुमायूं )
माता/पिता क़ुदसिया बेगम/खुजिस्ता अख्तर जहान शाह
पत्नियां बादशाह बेगम मल्लिका-उज़-ज़मानी,उधमबाई
बच्चे अहमद शाह बहादुर

मोहम्मद शाह को मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्हें नाच-गाने का भी काफी शौक था। मोहम्मद शाह के शासनकाल में साल 1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में लूटपाट मचाई थी।

मोहम्मद शाह के शासनकाल के समय कई विदेशी शक्तियों ने भारत में अपने पैर पसार लिए थे, जिससे मुगल वंश का पतन होना तय हो गया था। इस तरह मोहम्मद शाह, मुगल वंश के एक कमजोर शासक के रुप में उभरे।

अहमद शाह बहादुर ( 26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 )

  • अहमद शाह बहादुर ने मुगल सल्लतनत पर करीब 6 साल तक अपना शासन किया था। उसके शासनकाल में राज्य का कामकाज महिलाओं और हिजड़ों के एक गिरोह के हाथों में था।
  • अहमद शाह बहादुर एक अयोग्य एवं अय्याश शासक था, जिसमें प्रशासनिक क्षमता न के बराबर थी। उसकी मूर्खतापूर्ण फैसलों से न सिर्फ मुगल अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई, बल्कि भारत पर अफगान हमलों का खतरा भी बढ़ गया।

आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759 )

  • पूरा नाम – अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
  • जन्म  – 6 जून, 1699, मुल्तान, मुग़ल साम्राज्य
  • पिता का नाम –  जहांदार शाह
  • शासनकाल – 1754 से 1759 तक
  • मृत्यु – 29 नवम्बर, 1759, कोटला फतेहशाह, मुग़ल साम्राज्य

बहादुर अहमदशाह को गद्दी से निस्काषित करने के बाद आलमगीर द्धितीय मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। यह एक कमजोर प्रशासक था, जिसे सत्ता चलाने का कोई खासा अनुभव नहीं था। आलमगीर द्धितीय अपने वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क के इशारों पर काम करता था, हालांकि 1759में उसकी वजीर गाजीउद्दीन ने ही उसकी हत्या करवा दी थी।

आलमगीर द्धितीय के शासनकाल में ही 1756 में अहमदशाह अब्दाली ने चौथीबार भारत में आक्रमण किया था और दिल्ली में काफी लूटपाट की थी, सिंध पर कब्जा कर लिया था।

इसके साथ ही साल 1758 ईसवी में मराठों ने दिल्ली पर चढ़ाई की वहीं आलमगीर द्धितीय इन सभी घटनाओं को मूकदर्शक बनकर देखता रहा। इससे पहले 1757 में हुए प्लासी के युद्द में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के बाद से भारत में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत होती चली गई और मुगल पतन के मुहाने पर पहुंच गए।

शाहआलम द्वितीय ( 24 दिसम्बर 1759– 19 नवम्बर 1806 )

  • पूरा नाम – अब्दुल्लाह जलाल उद-दीन अब्दुल मुज़फ़्फ़र हम उद-दीन मुहम्मद अली गौहर शाह-ए-आलम द्वितीय
  • जन्म  – 25 जून, 1728, शाहजहाँनाबाद, मुग़ल साम्राज्य
  • पिता/माता  – जीनत महल/आलमगीर द्वितीय
  • शासनकाल – 1759-1806
  • मृत्यु – 19 नवम्बर, 1806

शाह आलम द्वितीय 1759 में आलमगीर द्धितीय के उत्तराधिकारी के रुप में मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठा था। बादशाह शाहआलम द्धितीय ने अपने शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की संधि कर ली थी और इस संधि के मुताबिक वह ईस्ट इंडिया कंपनी से मिली पेंशन पर अपना जीवन-यापन करता था।

शाह आलम द्धितीय के शासनकाल के दौरान ही अहमद-शाह-अब्दाली ने आक्रमण किया था। ऐसा माना जाता है कि शाह आलम द्धितीय का शासनकाल भारतीय इतिहास का सबसे संकटग्रस्टकाल रहा है। इस समय ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के बंगाल, बिहार, उड़ीसा समेत कई राज्यों पर अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी और मुगलों की शक्ति पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी थी।

अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837)

  • पूरा नाम – अबु नासिर मुईन उद-दिन मुहम्मद अकबर शाह दिव्तीय
  • जन्म  – 22 अप्रैल, 1760, मुकुंदपुर, मुग़ल साम्राज्य
  • मृत्यु तिथि  – 28 सितम्बर, 1837, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य
  • माता/पिता  – क़दसियाबेगल/ शाहआलम द्वितीय

अकबर शाह द्धितीय मुगल वंश का 18वां सम्राट था, जिसने करीब 31 साल मुगल सत्ता पर राज किया था। हालांकि, उसके शासनकाल में मुगलकाल का सबसे कठिन दौर चल रहा था, उस समय मुगल पूरी तरह कमजोर पड़ गए थे एवं उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सहारे अपना जीवनयापन करना पड़ रहा था।

अकबर शाह द्धितीय भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की मद्द से अपना गुजर – बसर कर रहा था, और वह महज नाम मात्र का शासक था।

बहादुर शाह ज़फ़र  (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857)

  • पूरा नाम – अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र
  • अन्य नाम – बहादुरशाह द्वितीय
  • जन्म  – 24 अक्तूबर सन् 1775, दिल्ली
  • मृत्यु तिथि – 7 नवंबर, 1862, रंगून, बर्मा
  • माता/पिता  – लालबाई/अकबर शाह द्वितीय और
  • शासन काल – 28 सितंबर 1837-14 सितंबर 1857

बहादुर शाह ज़फर मुग़ल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक अपना शासन किया।

Tomb of Mughal Emperors
Tomb of Mughal Emperors

बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि,अपने शासनकाल में उनके पास वास्तविक शक्तियां नहीं थी, वह अंग्रेजों पर आश्रित थे। 1857 में अंग्रेजों से हार के बाद उन्हें म्यांमार में भेज दिया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ सदियों तक भारत पर राज कर चुके मुगलों का अंत हो गया।

मुगल राजवंश की वंशावली – Mughal Empire Family Tree

Mughal Empire Family Tree
Mughal Empire Family Tree

१. प्रथम मुगल शासक – झहीरुद्दिन बाबर बाबर की संताने

  • फख्र उन्निसा बेगम – पुत्री
  •  मासुमा सुलताना बेगम – पुत्री
  •  अस्कारी मिर्झा – पुत्र
  • कामरान मिर्झा – पुत्र
  • हिंदाल मिर्झा – पुत्र
  •  गुलबदन बेगम – पुत्री
  •  मेहर जान बेगम – पुत्री
  • ऐसान दौलत बेगम – पुत्री
  • हुमायु – (बाबर के बाद मुगल वंश का शासक बनने वाला बाबर का पुत्र)
  • बाबूल मिर्झा – पुत्र

२. द्वितीय मुगल शासक – हुमायु हुमायु की संताने

  • अल अमान -पुत्र
  •  अब्द अल फतह जलालुद्दिन मोहम्मद ‘अकबर’ (हुमायु का पुत्र और उसके बाद का मुगल वंश का शासक)
  • बक्षी बानो बेगम – पुत्री
  • अकीकाह बेगम -पुत्री
  • बख्त अल निसा बेगम – पुत्री
  • मिर्झा मोहम्मद हकीम – पुत्र

३. तृतीय मुगल शासक – जलालुद्दिन मोहम्मद अकबर अकबर की संताने

  • हसन – पुत्र
  • हुसैन – पुत्र
  •  शहझादा खानम – पुत्री
  • सुलतान सलीम नूर अलदिन ‘जहांगीर’- (अकबर का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
  • शाह मुराद – पुत्र
  • दानियाल – पुत्र
  • आरम बानू बेगम – पुत्री
  •  शक्र अलनिस्सा बेगम – पुत्री

मुगल शासन का चतुर्थ शासक – जहांगीर जहांगीर की संताने

  • परवेझ – पुत्र
  • खुसरौ – पुत्र
  • बहार बानो बेगम – पुत्री
  • सुलतान अल निस्सा बेगम – पुत्री
  •  खुर्रम शिहाब अल दिन ‘शाहजहान’- (जहांगीर का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
  • शहर्रीयार – पुत्र
  • जाहंदर – पुत्र

५. मुगल शासन का पाचवा शासक – शाहजहान शाहजहान की संताने

  • दारा शिकोह – पुत्र
  • जहा आरा बेगम – पुत्री
  • शाह सुजा
  • रौशन आरा बेगम – पुत्री
  • मुह्यी अल दिन मोहम्मद आलमगीर ‘औरंगजेब’ – (शाहजहान का पुत्र तथा उसके बाद का मुगल शासक)
  • मुराद बक्ष – पुत्र
  • कुद्दैय्याह – पुत्र
  • गौहर आरा बेगम – पुत्री

६. मुगल शासन का छठा सुलतान – आलमगीर ‘औरंगजेब’ औरंगजेब की संताने

  • झेबुन्निसा – पुत्री
  • झीनत उन्निसा – पुत्री
  • मोहम्मद सुलतान – पुत्री
  • मोहम्मद मुअझ्झम बहादूर शाह आलम -(औरंगजेब का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
  •  बद्र उन्निसा बेगम – पुत्री
  • जुबादत उन्निसा बेगम – पुत्री
  • मोहम्मद अकबर- पुत्र
  • मोहम्मद आझम शाह – पुत्र
  •  मिहीर उन्निसा – पुत्री
  •  मोहम्मद कामबक्ष – पुत्र

७. मुगल वंश का सातवा शासक – बहादूर शाह आलम/बहादूर शाह प्रथम बहादूर शाह आलम की संताने

  •  जाहंदर शाह – (बहादूर शाह प्रथम का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
  • अझ्झ अल दिन -पुत्र
  • मोहम्मद अझीम -पुत्र
  • दौलत अफ्झा -पुत्र
  • रफी अल शन/रफी अल कद्र – पुत्र
  • जहान शाह – पुत्र
  • मोहम्मद हुमायु

८. मुगल शासन का आठवा शासक – फर्रुख्शीयार (मोहम्मद अझीम का पुत्र) फर्रुख्शीयार की संताने

  • आलमगीर द्वितीय – पुत्र

९. मुगल शासन का नववा शासक – मोहम्मद शाह (जहान शाह का पुत्र) मोहम्मद शाह की संताने

  • अहमद शाह बहादूर – पुत्र ( मोहम्मद शाह के बाद का मुगल शासक)

१०. मुगल शासन का दसवा शासक – अहमद शाह बहादूर (मोहम्मद शाह का पुत्र)

११. मुगल शासन का अकरावा शासक – आलमगीर द्वितीय( फर्रुख्शीयार का पुत्र)

१२. मुगल शासन का बारवा शासक – शाह आलम द्वितीय ( आलमगीर द्वितीय का पुत्र)

१३. मुगल शासन का तेरहवा शासक – अकबर शाह द्वितीय (शाह आलम द्वितीय का पुत्र)

१४. मुगल शासन का चौदहवा शासक – बहादूर शाह जफर (अकबर शाह द्वितीय का पुत्र एवं अंतिम मुगल शासक)

मुगल साम्राज्य के बारे मे महत्वपूर्ण रोचक तथ्य – Mughal Empire Facts

Mughal Empire Facts
Mughal Empire Facts
  1. मुगल शासक शाहजहान जिसकी ख्याती दुनियाभर मे कलाप्रेमी के तौर पर इतिहास मे मौजूद है, जिसने ना केवल शिल्पकला और भव्य स्मारक निर्मित किये थे, बल्की उस जमाने मे अनमोल हिरे और रत्नो से बना सुंदर सिंहासन भी उसने खुद्के लिये बनाया था। इस खास सिंहासन का नाम तख्त-ए-ताउस था ताउस एक अरबी शब्द है जिसका मतलब मोर या मयूर होता है, शाहजहान इसे मयूर सिंहासन संबोधित करता था जिसकी सुंदरता ताजमहाल से कम नही थी। पर क्रूर आक्रांता नादिर शाह के आक्रमण मे दिल्ली को लुटा गया जिसमे इस मयूर सिंहासन को दिल्ली से इराण ले जाया गया था। नादिर शाह की इराण मे हत्या के बाद से ये सिंहासन अभी तक पहेली बना हुआ है और ये खुलासा नही हो पाया के उसके बाद ये किसके पास है।
  2. भारतीय इतिहास के पन्नो मे महान शासक अकबर के समय के शासन की सराहना की जाती है।जिसमे अकबर को कुशल राजा और भाईचारा कायम कर अमन पसंद शासक माना जाता है, पर क्या आप जानते है के अकबर एक विचित्र बिमारी से ग्रासित था जिसमे उसे पढने लिखने मे काफी दिक्कते आती थी। यु कहे तो इतिहासकारो के मत तथा ऐतेहासिक प्रमाणो के मुताबित अकबर एक अनपढ व्यक्ती थे जिन्हे डिस्लेक्सिया यानी पढने लिखने मे समस्या की बिमारी थी। अबुल फजल के आईन-ए-अकबरी मे भी इस बात का जिक्र किया हुआ है।
  3. अनमोल कोहिनूर हिरा एक वक्त तक मुगल साम्राज्य के अधीन था जिसे मुगल शासक सर के उपर ताज मे इस्तेमाल किया करते थे। परंतु नादिर शाह के लुट ने इस बेशकिमती हिरे को भी भारत से लुटकर इराण ले जाया गया था और फिर इराण के राजासे ये अंग्रेजो को मिला जो आज तक उनके ही अधीन है।
  4. बाबर का पुत्र हुमायु दुसरा मुगल शासक बना, जिसको अफीम और नशेबाजी की बहुत ज्यादा आदत थी। इस नशेखोरी मे ही हुमायु को शेरशाह सुरी से पराजय का सामना करना पडा था तथा प्रबल शासक शेरशाह सुरी के वर्चस्व के वजह से जीवन के कई साल अज्ञातवास जैसे गुजारने पडे थे।हालाकि शेरशाह सुरी के मृत्यू के पश्चात पुनः दिल्ली पर मुगल शासक हुमायु का साम्राज्य स्थापित हुआ था।
  5. मुगल साम्राज्य का सबसे अधिक शासन करने वाला शासक औरंगजेब था, जिसने सत्ता को हासिल करने हेतू अपने ही तीन भाईयो की हत्या कर दी थी। औरंगजेब को सबसे कडवा प्रतिकार मराठो द्वारा मिला था, जिसमे मराठा शासन को पूर्णतः नष्ट करने के उद्देश्य से मुगल शासन की राजधानी को दिल्ली से बदलकर महाराष्ट्र के मराठवाडा मे स्थलांतरीत किया गया था। यहा औरंगजेब ने खुद्के नाम से राजधानी हेतू जिस शहर को चुना था उसे हाल फिलहाल औरंगाबाद कहा जाता है।
  6. मुगल शासन मे राजनीतिक तौर पर देखे तो अकबर के कालखंड मे सबसे अधिक सैन्य रचना, प्रदेशो की रचना तथा चलन मे काफी सारी बदलाव दिखाई पडते है, जिसे इतिहास के दृष्टी से देखे तो अकबर दूर दृष्टी वाला शासक नजर आता है। अकबर के समय धर्म भेद और धार्मिक कलह इत्यादी जैसी बाते देखने को नही मिलती,जिस मे हिंदूओ को तीर्थयात्रा पर लगने वाला कर भी माफ किया गया था।वही महान संत तुलसीदास और भक्ती पंथ के महान साधु संत भी इस दौर मे हुये थे। अकबर के दरबार को नव रत्नो का दरबार कहा जाता है जिसमे बिरबल,तोडरमल,तानसेन इत्यादी शामिल थे।
  7. भारत के इतिहास मे गुप्त साम्राज्य और मुगल शासक शाहजहान के साम्राज्य को स्वर्णिम युग कहा जाता है, जिसमे अनेक सुंदर वास्तुओ के साथ कला के एक से एक नमुने स्थापित किये गये। जिसे आज भी हम देख सकते है और उस समय काल की कारागिरी को प्रत्यक्ष अनुभव भी कर पाते है।
  8. लगभग ३३१ साल तक भारत पर शासन करनेवाले मुगल शासन का सबसे अधिक विस्तार अकबर, औरंगजेब के शासन मे हुआ जिसमे तात्विक दृष्टी से देखे तो इन दोनो शासको की विचार प्रणाली एक दुसरे से काफी अलग दिखाई पडती है। औरंगजेब एक कट्टर धार्मिक शासक था वही अकबर सहिष्णुता से शासन करनेवाला शासक सिद्ध हुआ।

इस प्रकार से अबतक आपने मुगल शासन के बारे मे कुछ रोचक तथ्यो को पढा जिसमे आपको जरूर कुछ नई जानकारी भी मिली होगी।आशा करते है इस जानकारी को पढकर आपको काफी आनंद आया होगा, हमसे जुडे रहने के लिये धन्यवाद।

मुगल साम्राज्य के बारेमें अधिकतर बार पुछे जाने वाले सवाल – Quiz Questions on Mughal Empire

  • मुगल शासन से संबंधित इतिहास के जानकारी हेतू कौनसी किताबे उपलब्ध है?(Books related to mughal empire history)

जवाब :- द मुगल एम्पायर – जॉन रिचर्ड, द ग्रेट मुगल एंड देअर इंडिया – डर्क कोलायर, आईन ए अकबरी – अबुल फजल, द लास्ट मुगल – विलिंअम डेर्लेअमप्ल, द मुगल स्टेट १५२६- १७५०, अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द मुगल एम्पायर – मायकेल फिशर इत्यादी।

  • मुगल साम्राज्य का कुल समय कितना था?भारत मे मुगल शासन कबसे कब तक था?( Mughal empire timeline)

जवाब :- इसवी सन १५२६ से लेकर इसवी सन १८५७ तक भारत मे मुगल शासन स्थापित था जिसका कुल समय काल ३३१ साल का होता है।

  • साहित्य के किन उपलब्ध स्त्रोतो से हमे मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी हासिल होती है?(Literary sources of mughal empire)

जवाब :- बाबर की जीवनी ‘तुझुक-इ- बाबरी’ , अकबर की जीवनी ‘आईन-इ-अकबरी’जिसे अबुल फजल ने लिखा था, मुल्ला दौड द्वारा लिखित ‘तारिख-इ- अल्फी’, अबुल फजल द्वारा लिखित ‘अकबरनामा’, अब्दुल कादिर बदायुनी द्वारा लिखित ‘मुंतखब- उल-तवारीख’, ‘पादशाहनामा’जिसे अब्दुल हामिद लाहोरी ने लिखा है, इसके अलावा मिर्झा मोहम्मद काझीम द्वारा लिखित ‘आलमगीरनामा’ तथा इनायत खान द्वारा लिखित ‘शाहजहाननामा’ इत्यादी साहित्य स्त्रोतो से हमे तत्कालीन मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी हासिल होती है।

  •  पुरातत्व संशोधन के उपलब्ध किन स्त्रोतो से हमे तत्कालीन मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी मिल पाती है?(Archaeological sources of mughal empire)

जवाब :- मुगल साम्राज्य मे वास्तुकला,चित्रकला और साहित्य इत्यादी पर काफी कार्य किया गया जिसमे कुछ वास्तूए सफेद संगमरवर से तो कुछ जगह पर लाल बलुआ पत्थर भी उपयोग मे लाया गया।जैसे के आग्रा का ताजमहाल, दिल्ली का लाल किला, इसके अलावा जामा मस्जिद, मोती मस्जिद, लाहोर किला, बिबी का मकबरा, जहांगीर का सिंहासन, और मुगल शासको के विभिन्न मकबरे आदि से तत्कालीन समय के शासन की काफी जानकारी प्राप्त होती है। मुगल शासन के दौरान उपयोग मे लाये गये शस्त्र और चलन प्रणाली से भी हमे उनके साम्राज्य की जानकारी हासिल हो जाती है जिसकी पुष्टि तत्कालीन साहित्यकारो द्वारा लिखित ग्रंथो और रचनाओ से होती है। तत्कालीन चित्रकला,वास्तुकला और साहित्य के स्त्रोत पुरातत्व के वो प्रमुख स्त्रोत है जिनसे आज भी हम उस दौर की काफी ज्यादा जानकारी को प्राप्त कर सकते है।

  • मुगलकालीन वास्तुरचना और मुर्तीरचना पद्धती किस प्रकार की होती थी?इसमे किस तत्कालीन समय के कलापद्धती का प्रभाव दिखता है?(Sculpture of mughal period)

जवाब :- प्राचीन भारत मे गुप्त साम्राज्य और उससे पहले मंदिर और मूर्ती रचना मे सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के द्रविड शैली के मंदिर पद्धती की झलक और प्रभाव था।इसमे उस समय के बुध्द और अन्य धार्मिक मुर्तियो मे इसका प्रभाव था, पर मुगल कालीन वास्तू और मूर्ती रचना मे इंडो इस्लामिक तथा पर्सिंयन कला आविष्कार का प्रभाव साफ झलकता है जिसमे भव्य ऊचे स्तंभ, मिनार, भव्य प्रवेशद्वार, मकबरे आदी शामिल हुये।सुंदर नकाशी और चित्र शैली भी इसमे अधिकता से शामिल होने लगी थी, स्मारक या मकबरो का निर्माण भी अच्छी गुणवत्ता के पत्थर और अन्य सामग्री से बने हुये नजर आते है।

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महान कवी कालिदास की जीवनी

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Kalidas Biography in Hindi

कालिदास ने अपनी दूरदर्शी सोच और कल्याणकारी विचारों को अपनी रचनाओं में उतारा। कालिदास एक महान कवि और नाटककार ही नहीं बल्कि वे संस्कृत भाषा के विद्दान भी थे। वे भारत के श्रेष्ठ कवियों में से एक थे।

उन्होनें भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार मानकर सुंदर, सरल और अलंकार युक्त भाषा में अपनी रचनाएं की और अपनी रचनाओं के माध्यम से भारत को एक नई दिशा देने की कोशिश की।

महान कवी कालिदास की जीवनी – Kalidas Biography in Hindi

Kalidas

कालिदास जी के बारेमें – Kalidas Information in Hindi

पूरा नाम (Name) कालिदास (Kalidas)
जन्म (Birthday) पहली से तीसरी शताब्दी ईस पूर्व के बीच माना जाता है।
जन्मस्थान (Birthplace) जन्मस्थान के बारे में विवाद है।
विवाह (Wife Name) राजकुमारी विद्योत्तमा से।
निधन (Death) जन्म की तरह ही कालिदास की मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं है।

कालिदास जी का जीवन परिचय – Kalidas ka Jivan Parichay

कालिदास जी साहित्य अभी तक हुए महान कवियों में अद्धितीय थे। उनके साहित्यिक ज्ञान का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता।

कालिदास का उपमाएं बेमिसाल हैं और उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं। मानो कि संगीत कालिदास जी के साहित्य के मुख्य अंग है इसके साथ ही उन्होनें अपने साहित्य में  रस का इस तरह सृजन किया है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।

श्रुंगार रस को उन्होनें अपनी कृतियों में इस तरह डाला है मानो कि पाठकों में भाव अपने आप जागृत हो जाएं। इसके साथ ही विलक्षण प्रतिभा से निखर महान कवि कालिदास जी के साहित्य की खास बात ये है कि उन्होनें साहित्यिक सौन्दर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है।

माना जाता है कि कालीदास मां काली के परम उपासक थे। अर्थात कालिदास जी के नाम का अर्थ है ‘काली की सेवा करने वाला’।

कालिदास अपनी कृतियों के माध्यम से हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित कर लेते थे। एक बार जिसको उनकी रचनाओं की आदत लग जाती बस वो उनकी लिखी गई्ं कृतियों में ही लीन हो जाता था।

ठीक वैसे ही जैसे उनको कोई एक बार देख लेता था बस देखता ही रहता था क्योंकि वे अत्यंत मनमोहक थे इसके साथ ही वे राजा विक्रमादित्य के दरबार में 9 रत्नों में से एक थे।

कालिदास जी का आरंभिक जीवन – Kalidas History in Hindi

कालिदास के जन्म के काल को लेकर विवाद:

साहित्य के विद्दान और महाकवि कालिदास का जन्म कब और कहां हुआ इसके बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन इनके जन्म को लेकर विद्धानों के अलग-अलग मत है।

ऐसा माना जाता है कि 150 ईसा पूर्व 450 ईस्वी तक कालिदास रहे होंगे। जबकि एक रिसर्च के मुताबिक कालिदास गुप्त काल में जन्मे होंगे। चूंकि कालिदास ने, द्धितीय शुंग शासक अग्निमित्र को नायक बनाकर “मालविकाग्निमित्रम्” नाटक लिखा और अग्निमित्र ने 170 ईसापू्र्व में शासन किया था जिससे कालीदास के जन्म का अनुमान लगाया जा सकता है।

छठीं सदी में बाणभट्ट ने अपनी रचना “हर्षचरितम्” में कालिदास का उल्लेख किया है तथा इसी काल के पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में कालिदास का जिक्र है आखिरकार वे इनके बाद के नहीं हो सकते। इस तरह कालिदास के प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से  तीसरी शताब्दी ईसवी के बीच के जन्मे माने जाते हैं।

कालीदास ने जन्म-स्थान के बारे में भी कुछ स्पष्ट नहीं:

महाकवि कालिदास के जन्म काल की तरह उनके जन्मस्थान के बारे में भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। उन्होनें अपने खण्डकाव्य मेघदूत में मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर का काफी वर्णन किया है इसलिए कई इतिहासकार मानते है महाकवि कालिदास उज्जैन के निवासी थे।

कालिदास के जन्मस्थान के बारे में भी साहित्यकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ साहित्यकारों की माने तो कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था वहीं कविल्ठा गांव में भारत सरकार के द्धारा कालिदास की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है इसके साथ ही एक सभागार का निर्माण भी करवाया गया है।

इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि इस ऑडोटोरियमें में हर साल जून में तीन दिनों की एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन होता है जिसमें हिस्सा लेने देश के अलग-अलग हिस्सों से विद्धान आते हैं।

कालिदास की छवि अति सुंदर और मनमोहक थी वे हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित कर लेते थे इसके साथ ही वे राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में से एक थे।

कालिदास जी के बारे में ये भी कहा जाता है कि वे बचपन में अनपढ़ थे उन्हें चीजों की समझ नहीं थी। लेकिन बाद में वे साहित्य के विद्दान हो गए और उन्हें हिन्दी साहित्य के महान कवि का दर्जा मिला।

कालिदास का राजकुमारी विद्योत्मा से विवाह – Kalidas Marriage Story

महान कवि और दार्शनिक कालिदास की शादी संयोग से राजकुमारी विद्योत्मा से हुई। ऐसा कहा जाता है कि राजकुमारी विद्योत्मा ने प्रतिज्ञा की थी की जो भी उन्हे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वे उसी के साथ शादी करेंगी जब विद्योत्मा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्दानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी और इसका बदला लेने के लिए छल से कुछ विद्धानों ने कालिदास से राजकुमारी विद्योत्मा का शास्त्रार्थ करवाया और उनका विवाह राजकुमारी विद्योत्मा से करवा दिया।

आपको बता दें कि शास्त्रार्थ का परीक्षण के लिए राजकुमारी विद्योत्मा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे।

विद्योत्मा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्मा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि वह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही हैं।

इसलिए उसके जवाब में उन्होनें घूंसा दिखा दिया तब विद्योत्मा को लगा कि कालिदास कह रहे हैं कि पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक ही मन के द्धारा संचालित है।

इससे प्रभावित होकर राजकुमारी विद्योत्मा ने कालिदास से शादी करने के लिए हामी भर दी और उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

विद्योत्मा की धित्कार के बाद कालिदास बने महान कवि:

कुछ दिनों बाद जब राजकुमारी विद्योत्मा को जब कालिदास की मंद बुद्धि का पता चला तो वे अत्यंत दुखी हुईं और कालिदास जी को धित्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापस नहीं आना।

फिर क्या था पत्नी से अपमानित हुए कालिदास ने विद्या प्राप्त करने का संकल्प लिया और सच्चे पंडित बनने की ठानी और इस संकल्प के साथ वे घर से निकल प़ड़े। और मां काली की सच्चे मन से उपासना करने लगे।

जिसके बाद मां काली के आशीर्वाद से वे परम ज्ञानी और साहित्य के विद्धान बन गए। इसके बाद वे अपने घर लौटे, और अपनी पत्नी को आवाज दी, जिसके बाद विद्योत्मा दरवाजे पर सुनकर ही समझ गईं कि कोई विद्धान व्यक्ति आया है।

इस तरह उन्हें अपनी पत्नी के धित्कारने के बाद परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे महान कवि बन गए। आज उनकी गणना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाने लगी यही नहीं संस्कृति साहित्य में अभी तक कालिदास जैसा कोई दूसरा कवि पैदा ही नहीं हुआ।

संसार के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार कालिदास:

Kalidasa's Statue
Kalidasa’s Statue

महाकवि कालिदास की गणना भारत के ही नहीं बल्कि संसार के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने नाट्य, महाकाव्य और गीतिकाव्य के क्षेत्र में अपनी अदभुत रचनाशक्ति का प्रदर्शन कर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई ।

महाकवि कालिदास जी की रचनाएं – Kalidas Poem in Hindi

कालिदास ने अपनी दूरदर्शी सोच और विलक्षण बुद्दि से जो रचनाएं लिखी हैं उनकी बदौलत उनकी गणना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवियों और नाटककारों में होती है।

उनकी रचनाओं का साहित्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है। उनके रचनाओं की लंबी लिस्ट है लेकिन कालिदास को उनकी 7 रचनाओं की वजह से सबसे ज्यादा ख्याति मिली है वे रचनाएं इस प्रकार हैं –

चार काव्य-ग्रंथ प्रसिद्ध हैं-

  • महाकाव्य – रघुवंश, कुमारसंभव।
  • खंडकाव्य- मेघदूत, ऋतुसंहार।
  • तीन नाटक प्रसिद्ध हैं-
  • अभिज्ञान शाकुंतलम्
  • मालविकाग्निमित्र
  • विक्रमोर्वशीय।

इन रचनाओं की वजह से वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और महान कवि कहलाए। इसकी सुन्दर सरस भाषा, प्रेम और विरह की अभिव्यक्ति और प्रकृति चित्रण से पाठक मुग्ध और भावविभोर हो उठते हैं। कालिदास की रचनाओं का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

अभिज्ञान शाकुन्तलम्  (नाटक) – Abhigyan Shakuntalam

महाकवि कालिदास जी का ये नाटक काफी मशहूर है ये नाटक महाभारत के आदिपर्व के शकुन्तला की व्याख्या पर आधारित है जिसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कथा का वर्णन है। इस नाटक के कुल 7 अंक है।

आपको बता दें कि विक्रमादित्य के नवरत्न कालिदास का नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् लोगों के बीच मशहूर हो गया वहीं इस नाटक का अनुवाद जर्मन भाषा में भी किया गया है।

महाकवि कालिदास जी के नाटक की जर्मन विद्धान भी बिना प्रशंसा किए नहीं रह सके यहां तक की इस नाटक को पढ़कर  उन्होनें इस पर कविता भी लिख डाली।

विक्रमोर्वशीयम् (नाटक) – Vikramorvasiyam

महाकवि कालिदास का विक्रमोर्वशीयम नाटक एक रोमांचक और रहस्यों से भरा नाटक है। जिसमें कालिदास जी पूरुरवा और अप्सरा उर्वशी के प्रेम संबंधों का वर्णन किया है।

इसमें स्वर्ग में वास करने वाले पूरुरवा को राजकुमारी अप्सरा से प्यार हो जाता है वहीं इंद्र की सभी में जब उर्वशी नाचने जाती है तो वे पुरुरवा के प्यार की वजह से उत्कृष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाती हैं जिसकी वजह से इंद्र देव उसे श्राप देकर धरती पर भेज देते हैं लेकिन इस श्राप के मुताबिक अगर अप्सरा का प्रेमी उसके होने वाली संतान को देख ले, तो वे वापस स्वर्ग लौट सकती हैं।

कवि का ये नाटक पाठकों को अंतिम क्षण तक बांधे रखता है और पाठकों में प्रेम भावना जागृत करता है इसलिए भारी संख्या में पाठक कवि की इस रचना से जुड़े हैं।

मेघदूत (खंडकाव्य) – Meghdoot

कवि कालिदास का ये खंडकाव्य ने भी काफी प्रसिद्धि हासिल की है दरअसल इस खंडकाव्य में कवि कालिदास ने एक पति की अपनी पत्नी के प्रति वेदना का वर्णन किया है। मेघदूत में कालिदास ने यक्ष नाम के एक सेवक की कहानी का वर्णन किया है।

आपको बता दें कि कवि के इस खंडकाव्य में यक्ष नाम के सेवक को गांव से एक साल के बाहर निकाल दिया जाता है और जिसे अपनी पत्नी की इतनी याद आती है कि वो बादल यानि कि मेघदूत से प्रार्थना करते हैं कि उनका संदेश उसकी पत्नी तक लेकर जाएं और उनकी पत्नी से उन्हें मिलने दिया जाए।

इस तरह से कवि के ये नाटक पाठकों को बांधे रखता है।

मालविकाग्रिमित्रम् (नाटक) – Malavikagnimitram

महाकवि कालिदास का मालविकाग्रिमित्रम् नाटक राजा अग्रमित्र  की प्रेम कहानी पर आधारित नाटक है। इस नाटक में साहित्य के विद्धान कवि कालिदास ने राजा अग्रिमित्र और  एक नौकर की बेटी मालविका के प्रेम मिलन की व्याख्या की है।

आपको बता दें कि  मालविकामित्रम् नाटक में राजा अग्रिमित्र् को एक घर से निकाले गए नौकर की बेटी मालविका की तस्वीर से इतना प्यार हो जाता है कि वे उनको पाने की चाहत में कठिन से कठिन रास्तों को भी आसानी से पार कर लेते हैं।

काफी उतार-चढ़ाव और संघर्ष के बाद आखिरकार इस नाटक में राजा अग्रिमित्र और मालविका का किसी तरह मिलन हो जाता है। महाकवि कालिदास का ये नाटक पाठकों के मन में एक अलखग जगाई है यही वजह है कि उनके इस नाटक को बहुत ख्याति मिली है।

रघुवंश (महाकाव्य) – Raghuvansham

साहित्य के विद्धान कवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंश में रघुकुल वंश के राजाओं की व्याख्या की है। इस महाकाव्य में कवि ने बताया कि भगवान राम रघुवंश से संबंध रखते थे इसके साथ ही इस महाकाव्य में ये भी बताया गया कि दिलीप रघुकुल के प्रथम राजा थे।

वहीं इस महाकाव्य रघुवंश में कालिदास ने ये भी व्याख्या की है कि राजा दिलीप के पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज ,अज के पुत्र दशरथ और दशरथ के भगवान राम समेत चार पुत्र थे। जिनके बारे में कवि ने अपने इस नाटक में वर्णन किया है।  कुल मिलाकर कवि कालिदास का ये नाटक पाठकों को रघुकुल के राजाओं की पूरी जानकारी देता है।

कुमारसंभवम् (महाकाव्य) – Kumar Sambhav

विलक्षण प्रतिभा के धनी महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य कुमारसंभवम् में भगवान शिव और माता पार्वती जी की प्रेमकथा की व्याख्या की है इसमें कवि कालिदास ने माता पार्वती के सौंदर्य रूप की व्याख्या करते हुए लिखा है कि संसार में जितने भी मनमोहक उपमान हो सकते हैं उन सभी एकत्रित कर और फिर उसे भलिभांति सही स्थान पर संयोजित कर विधाता ने बड़े जतन से माता पार्वती को बनाया था उन्होनें अपने महाकाव्य में ये भी लिखा कि संसार का सारा सौन्दर्य माता पार्वती में समाहित है।

इसके साथ ही कालिदास ने कुमारसंभवम् में भगवान शिव का माता पार्वती के प्रति प्रेम को भावपूर्ण दर्शाया है जिसे पढ़कर हर पाठक भावभिभोर हो जाता है। इसके अलावा इस महाकाव्य में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के जन्म के बारे में भी व्याख्या की गई है।

महाकवि कालीदास की अन्य रचनाएं – Kalidas ki Rachnaye

साहित्य के विद्धान कालिदास जी की ऊपर लिखी गईं  7 रचनाओं के अलावा अन्य रचनाएं भी हैं। कालिदास जी की अन्य 33 ऐसी रचनाएं जिसका श्रेय महाकवि कालिदास को जाता है आपको बता दें कि कालिदास न सिर्फ एक अच्छे कवि और नाटककार थे बल्कि उन्हें ज्योतिषी का भी अच्छा ज्ञान था।

कालिदास जी उत्तर कालामृतम् पुस्तक की रचना की है जो कि मुख्य रुप से ज्योतिष पर आधारित है और जिससे पता चलता है कि महाकवि कालिदास ज्योतिषी विद्या में भी प्रखर थे। कालिदास जी के द्धारा लिखी कुछ अन्य रचनाएं नीचे लिखीं गईं हैं जो कि इस प्रकार है –

  • श्यामा दंडकम्।
  • ज्योतिर्विद्याभरणम्।
  • श्रृंगार रसाशतम्।
  • सेतुकाव्यम्।
  • श्रुतबोधम्।
  • श्रृंगार तिलकम्।
  • कर्पूरमंजरी।
  • पुष्पबाण विलासम्।

इस तरह कालिदास जी ने अपनी रचनाओं से खुद को कविकुल का श्रेष्ठ कवि घोषित किया। वहीं कई विद्धान भी कालिदास की प्रतिभा की तारीफ करते नहीं रुकते यही नहीं कालिदास जी के साहित्यिक ज्ञान और उनकी रचनाओं की भाषा शैली की प्रशंसा मशहूर कवि बाणभट्ट द्धारा भी की गई।

कालिदास जी ने इस तरह अपनी विलक्षण प्रतिभा से न सिर्फ साहित्य की दुनिया में अपना नाम किया बल्कि उन्होनें कवि के रूप में भारत में अपनी अलग पहचान बनाई। महाकवि कालिदास जी का जीवन वाकई प्रेरणादायक है जो भी कालिदास जी की रचनाओं का अध्ययन करता है वे सभी उनकी रचनाओं में डूब जाता है और उनकी प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक पाता।

इस तरह कालिदास जी ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वहीं कालिदास जी की रचनाओं की कुछ खास बातें जिसकी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा सम्मान मिला औऱ वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवियों में शामिल हो गए –

कालिदास जी की रचनाओं की खास बातें – About Kalidasa 

  • कालिदास जी अपनी रचनाओं में अलंकार युक्त, सरल और मधुर भाषा का इस्तेमाल करते थे।
  • अपनी रचनाओं में श्रंगार रस का भी बखूबी वर्णन किया है।
  • कालिदास जी ने अपनी रचनाओं में ऋतुओं की भी व्याख्या की है जो कि सराहनीय योग्य है।
  • कालिदास जी के साहित्य में संगीत प्रमुख अंग रहा। संगीत के माध्यम से कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में प्रकाश डाला।
  • कालिदास जी अपनी रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा औऱ नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते थे।

इस तरह कालिदास ने अपनी रचनाओं से पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाई और वे दुनिया के विद्धान कवि कहलाए गए। कालिदास के विद्धान बनने के दृढ़संकल्प ने उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया और आज उनकी ख्याति देश के कोने-कोने में है।

इस तरह जिंदगी में कोशिश करने वाले कभी हार नहीं मानते जैसे कि कवि कालिदास ने भी नहीं मानी वे धित्कारना के बाद सच्चे मार्ग पर प्रशस्त हुए और साहित्य के महान कवि बन लोगों के लिए प्रेरणा बने।

महाकवी कालिदास जी अधिकतर बार पुछे गये सवाल – Kalidasa Quiz Questions

  1. महाकवी कालिदास जी के द्वारा कौनसी किताबे लिखी गयी है? (Kalidas Books)

जवाब: ऋतूसंहारम, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविका-अग्निमित्र, अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोवर्शीय, उर्वशी इत्यादी।

2. कवी गुरु कालिदास जी किस राजा के दरबार मे राजकवी थे? (Kavi Kalidas Kiske Rajkavi The?)

जवाब: इस सवाल के जवाब मे काफी ज्यादा मतांतर है कालिदास जी के साहित्य स्त्रोतो से ये पता चलता है के वो विक्रमादित्य राजा के दरबार मे राजकवी थे जिनका राज्य मध्य प्रदेश के उज्जैन मे था।कुछ नये संशोधन से कालिदास जी चंद्रगुप्त द्वितीय के राजदरबार मे थे ये भी संशोधन मे दिखाया गया है।

3. संस्कृत साहित्य मे कौनसी रचनाओ की निर्मिती कवी कालिदास जी ने की है? (Kalidas ki Rachna)

जवाब: महाकाव्य – रघुवंश और कुमारसंभव, खंडकाव्य – मेघदूत और ऋतुसंहार इसके अलावा सेतुकाव्यम, कर्पूर मंजरी, श्यामा दंडकम, शृंगारतिलकम, शृंगार रसाशतम, श्रुत बोधम, पुष्पबाण विलासम इत्यादी।

4. महाकवी कालिदास जी का जन्म कब हुआ था? (Kalidas kaJanm Kab Hua Tha?)

जवाब: इस विषय से संबंधित कोई ठोस तारीख की पुष्टी नही हो पाई है, हालाकि इसवी सन ३०० -४०० साल पूर्व के कालखंड को इनका जन्म हुआ था ऐसा संशोधन के मुताबित पता चलता है।

5. संस्कृत साहित्य के महाकवी और नाटककार के तौर पर विश्वभर मे किस महान भारतीय कवी का नाम लिया जाता है?(Who is world widely famous poet for sanskrit literature?)

जवाब: कवी गुरु कालिदास जी।

6. कवी कालिदास जी के पत्नी का नाम क्या था? (Kalidas wife name)

जवाब: विद्योत्तमा।

7. कवी कालिदास जी के साहित्य रचना की विशेषताए क्या थी? (Specialty of Kalidas literature creation)

जवाब: मधुर भाषा, अलंकारिक वर्णन, सरलता एवं शृंगार रस।

8. महान संस्कृत कवी कालिदास जी का मृत्यू कब हुआ था? (Kalidas ki Mrityu Kab Hui?)

जवाब: कालिदास जी के मृत्यू की तारीख का कोई विश्वासलायक प्रमाण मौजूद नही है।

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विश्वविजेता योद्धा और महान शासक सिकंदर (अलेक्झांडर द ग्रेट) की जीवनी

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Sikandar History in Hindi

इतिहास में बहुत सारे राजा हुए लेकिन एक ही ऐसा राजा है जिसके नाम के आगे दुनिया महान लिखती है। वो है अलेक्जेंडर (Alexander the Great) जिन्हें पूरी दुनिया सिकंदर (Sikandar) के नाम से जानती हैं। इतिहास में वे सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माने जाते हैं।

इतिहास में सिकंदर के साहस और वीरता के किस्से आम है। इस दुनिया में कई महान लोग आए लेकिन सिकंदर सिर्फ एक ही था। सिकंदर का नाम न सिर्फ इतिहास के पन्नों पर जिंदा है बल्कि भारतीय सिनेमा में भी सिकंदर की महानता पर कई फिल्में बनी हैं और कई तरह के गाने भी लिखे गए हैं, और तो और सिकंदर के नाम पर एक कहावत भी है।

‘जो जीता वही सिकंदर’

इस आर्टिकल में हम आपको सिकंदर महान के बारे में और उनके जीवन से जुड़े सभी किस्सों के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे की मरने से पहले उन्होंने अपनी हुकूमत पूरी दुनिया में कैसे चलाई। तो आइए जानते हैं सिकंदर महान के बारे में –

विश्वविजेता योद्धा और महान शासक सिकंदर (अलेक्झांडर द ग्रेट) की जीवनी – Sikandar History in Hindi

alexander the Great Photoअलेक्जेंडर के बारेमें – Alexander The Great in Hindi

पूरा नाम (Full Name) एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन
उपनाम (Nickname) सिकंदर (Sikandar)
जन्म (Birth) 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व
जन्मस्थान (Birthplace) पेला
पिता (Father Name) फिलीप द्धितीय
माता (Mother Name) ओलंपिया
विवाह (Spouse Name) रुखसाना के साथ
घोड़े का नाम (Horse Name) बुसेफेल्स (Bucephalus)
मृत्यु (Death) 13 जून, 323 शताब्दी, बेबीलोन

कौन थे अलेक्जेंडर सिकंदर? – Who is Alexander the Great or Who is Sikandar

महान शासक सिकंदर 20 जुलाई, 356 ईसा पूर्व में प्राचीन नेपोलियन की राजधानी पेला में जन्मे थे। सिकंदर का पूरा नाम अलेक्जेंडर तृतीय और एलेक्जेंडर मेसडोनियन था।

सिकंदर, फिलीप द्धितीय का बेटे था। जो कि मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे। वहीं इनकी माता का नाम ओलिम्पिया थी। कहा जाता है कि वे एक जादूगरनी थी जिन्हें सांपो के बीच रहने का शौक था। वहीं अगर सिकंदर के भाई-बहनों की बात करें तो, उनकी एक बहन थी जिन्हें उनके परिवार में बेहद लाड़ किया जाता था।

आपको बता दें कि सिकंदर और उनकी बहन दोनो की परवरिश पेला के शाही दरबार में हुई थी। वहीं सिकंदर की मां, ओलम्पिया ने सिकंदर के साथ जीत की रणनीति बनवाने में भी काफी मद्द की थी।

सिकंदर ने किससे ली थी अपनी शुरुआती शिक्षा – Alexander the Great Education

सिकंदर, बचपन से भी बेहद बुद्धिमान था लेकिन वह अपने उग्र स्वभाव के लिए जाना जाता था। दरअसल शुरुआती शिक्षा सिकंदर ने अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ एपिरुस से ली थी। सिकंदर के पिता फिलीप चाहते थे कि सिकंदर को पढ़ाई के साथ-साथ युद्ध विद्या का भी पूरा ज्ञान हो।

इसलिए उन्होनें अपने एक अनुभवी और कुशल रिश्तेदार को सिकंदर के लिए नियुक्त किया था, जिससे सिकंदर ने गणित, घुड़सवारी, धनुर्विध्या ली थी। इसके बाद लाइमेक्स ने सिकंदर को युद्ध की शिक्षा दी।

गुरु अरस्तू ने दिखाया थो दुनिया जीतने का सपना – Alexander the Great Teacher (Sikandar ke Guru ka Naam)

वहीं जब सिकंदर 13 साल के हुए तो उनके लिए एक निजी शिक्षक एरिसटोटल (अरस्तु) की नियुक्ति की गई, जिन्हें भारत का अरस्तु भी कहा जाता है। वे एक प्रसिद्ध और महान दार्शनिक थे।

Sikandar ke Guru ka Naam
Sikandar ke Guru ka Naam

दर्शनशास्त्र, गणित, विज्ञान और मनोविज्ञान में अरस्तू के विचारों का उल्लेख जरूर देखने को मिलता है। इसी से अरस्तू की योग्यता और उनके महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। अरस्तू ने सिकंदर को करीब 3 सालों तक साहित्य की शिक्षा दी इसके साथ ही वाक्पटुता भी सिखाई।

वहीं सिकंदर जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को निखारने का काम भी अरस्तू ने ही किया। वहीं कई इतिहासकार तो मानते हैं कि उनके गुरु अरस्तू ने ही सिकंदर के मन में पूरी दुनिया को जीतने का सपना दिखाया था। क्योकि अरस्तू के मार्गदर्शन से भी सिकंदर योग्य होता चला गया था और उसमें दुनिया को जीतने का आत्म विश्वास भी बढ़ गया।

सिकंदर भले ही बहुत महान और योग्य शासक था लेकिन अपने पिता की मौत के बाद सिकंदर ने राजगद्दी पाने के लिए सेना को इकट्ठा कर अपने सौतेले और चचेरे भाइयों की हत्या कर दी। और फिर वह मकदूनिया के राजसिंहासन पर काबिज हो गया था।

इतिहास में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अपने बेटे को सत्ता के सिंहासन पर बिठाने के लिए ओल्म्पिया ने अपने सौतेले बेटों को मारने में मद्द की थी। इसके साथ ही उसने अपनी सौतेली बेटी को मार दिया था और अपनी सौतन क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया था।

सम्राट के रूप में सिकंदर – Alexander the Great King

Sikandar King
Sikandar King
  • सम्राट के रूप में सिकंदर ने मकदूनिया के आस-पास के राज्यों को जीतना शुरु कर दिया था। उसने सबसे पहले यूनान के रास्ते में अपनी जीत दर्ज करवाई। और फिर वह एशिया माइनर की तरफ बढ़ा।
  • विशाल फारसी सम्राज्य जो कि मिस्त्र, इरान से लेकर पश्चिमोत्तर भारत तक फैला था। वहीं अगर सम्राट सिकंदर के साम्राज्य की तुलना फारसी साम्राज्य से की जाए तो फारसी साम्राज्य, सिकंदर के साम्राज्य से करीब 40 गुना ज्यादा बड़ा था, जिसका शासक शाह दारा था।लेकिन सिकंदर ने उसे भी अपनी सैन्य शक्ति से अलग-अलग युद्धो में हराकर उसका साम्राज्य हासिल कर लिया था। लेकिन शाह दारा ने सिकंदर से संधि कर ली और अपनी बेटी रुखसाना का विवाह उससे कर दिया।

सिकंदर का भारत पर आक्रमण – Indian campaign of Alexander the Great

  • 326 ईसा पूर्व में सिंधु नदी को पार करते हुए सम्राट सिकंदर तक्षशिला पहुंचा और वहां के राजा अंभी ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • पश्चिमोत्तर प्रदेश के अधिकतर राजाओं ने तक्षशिला के राजाओं की देखादेखी आत्मसमर्पण कर दिया।
  • इसके बाद पूरी दुनिया को जीतना का सपने देखने वाला सम्राट फौरन तक्षशिला से होते हुए राजा पोरस के सम्राज्य तक पहुंच गया जहां राजा पोरस ने सिकंदर के आगे सरेंडर नहीं किया। जिसके बाद सिकंदर और राजा पोरस में टकराव हो गया।
  • आपको बता दें कि राजा पोरस को काफी शक्तिशाली शासक माना जाता था। वहीं पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस या पुरुवास का राज्य था।

राजा पोरस और सिकंदर के बीच युद्ध और फिर दोस्ती – Battle of the Hydaspes

Battle of the Hydaspes
Battle of the Hydaspes

राजा पोरस के राज्य पर हक जमाने के मकसद से सिकंदर और राजा पोरस (King Porus) के बीच टकराव हुआ तो राजा पोरस ने बहादुरी के साथ सिकंदर के साथ लड़ाई की लेकिन काफी संघर्ष और कोशिशों के बाबजूद भी उसे हार का सामना करना पड़ा। वहीं इस युद्धा में सिकंदर की सेना को भी भारी नुकसान पहुंचा था।

फिलहाल इस युद्ध में पोरस के राजा से सिकंदर जीत तो गए थे, लेकिन सिकंदर को राजा पोरस की बहादुरी ने काफी प्रभावित किया था, क्योंकि जिस तरह राजा पोरस ने लड़ाई लड़ी थी उसे देख सिकंदर दंग थे। और इसके बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली और उसे उसका राज्य और कुछ नए इलाके भी दिए।

दरअसल सिकंदर को कूटनीतिज्ञ समझ थी इसलिए आगे किसी तरह की मद्द के लिए उसने पोरस से व्यवहारिक तौर पर दोस्ताना संबंध जारी रखे थे।

पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर के सैनिकों के हौसले हुए पस्त – Alexander The Great vs Porus

जब सम्राट सिकंदर का राजा पोरस से युद्ध हुआ उसके बाद सिकंदर की सेना ने छोटे हिंदू गणराज्यों के साथ लड़ाई की। इसमें कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई काफी बड़ी थी। आपको बता दें कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी। वहीं कठों से युद्ध लड़ने के बाद सिकंदर की सेना व्यास नदी तक ही पहुंच पाई थी कि उसने आगे बढ़ने से मना कर दिया था।

दरअसल व्यास नदी के पार नंदवंशी के राजा के पास 20 हजार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हजार 4 घोड़े वाले रथ और करीब 6 हजार हाथी थे। जिससे सिकंदर की सेना घबरा गई, और फिर नंदों से टक्कर होने का एहसास कर सिकंदर के सेना के हौसले पस्त पड़ गए।

वैसे तो सिकंदर पूरे भारत पर ही विजय पाना चाहता था लेकिन उसे अपनी सैनिकों की मर्जी की वजह से व्यास नदी से ही वापस लौटना पड़ा था। वहीं वापस जाते वक्त उसे मालव और क्षुद्रक आदि कई वीर हिंदू गणराज्यों से संगठित विरोध का सामना करना पड़ा था क्योंकि सिकंदर की योजना जाते-जाते भी इनके क्षेत्रों को जीतने की थी।

वहीं यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।

सिकंदर की मृत्यु – Alexander the Great Death (Sikandar Mahan Death)

पूरी दुनिया पर शासन करने का सपना संजोने वाले सम्राट सिकंदर जब 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन (Babylon) पहुंचे तो वे बुरी तरह बीमार पड़ गए, वे मलेरिया की चपेट में आ गए और फिर 33 साल की उम्र में जून 323 ईसा पूर्व में उन्होंने दम तोड़ दिया। इस तरह महान योद्धा का अंत हो गया।

इस तरह, महज 10 साल की आयु में ही इस अपूर्व योद्धा ने अपने छोटे से राज्य का विस्तार कर एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था। जिसमें यूनान और भारत के मध्य तक सारा भू-भाग शामिल था।

सिकंदर की अंतिम इच्छा – Alexander the Great Death Wishes

वहीं सिकंदर की मौत के बाद जब उसके पार्थिव शरीर को ले जाया जा रहा था तो उसके दोनों हाथों को कफन नहीं उड़ाया गया था अर्थात उसके दोनों हाथ लटक रहे थे। क्योंकि सिकंदर चाहता था कि उसके दोनों हाथ अर्थी के बाहर रहें ताकि सारी दुनिया देख ले कि उसके भी हाथ खाली हैं।

अर्थात जिसने दुनिया जीत ली और जिसने अपनी मुट्ठी में सब कुछ भर लिया और जाते वक्त उसके भी हाथ खाली हैं। बहरहाल, ये तो नियम का विधान है कि जैसे ही इंसान खाली हाथ आता है, वैसे ही वो खाली हाथ उसे जाना भी है फिर चाहे वह कितना भी महान क्यों न हो।

फिलहाल किसी से भी हार नहीं मानने वाले सम्राट सिकंदर ने हर कबीले पर फतह किया, जिसे वह चाहता था और तब तक पूरी बहादुरी से लड़ा जब तक उसने अपने आखिरी दुश्मन का सिर नहीं झुका दिया। जाहिर है कि दुनिया सिर्फ उन्हीं को याद रखती है जो बड़े-बड़े ख्वाब देखते हैं और अपने ख्वाबों को जीते हैं और अपने पथ में आगे बढ़ते हैं और ऐसे नामों में सबसे ऊंचा नाम है महान सिकंदर, विश्व विजेता सिकंदर का जो कि हमेशा याद रखा जाएगा।

सिकंदर के विचार/कथन – Alexander The Great Quotes

  1. “मेरे शरीर को दफन कर देना और कोई स्मारक ना बनाए।अंतिम यात्रा के दौरान मेरे हाथो को बाहर रखना ताकि लोग जान सके कि जिसने दुनिया को जिता था, उसके पास भी मरने पर हाथ मे कुछ भी नही था।”
  2.  “जो कोशिश करेगा उसके लिये असंभव कुछ भी नही है।”
  3. “परिश्रम और जोखीम महानता की किमत है।लेकिन साहस के साथ जिना और अनंत प्रसिद्धी छोडकर जाना, यह एक सुंदर बात होती है।”
  4. “सच्चा प्यार कभी ख़ुशी से खत्म नही होता है, क्योंकी सच्चे प्यार का कोई अंत नही होता है।”
  5. “मै भेड के नेतृत्व मे सिंहो की सेना से नही डरता हू, मै शेर के नेतृत्व मे भेड की सेना से डरता हू।”
  6. “जब आप इस दुनिया से चले जायेंगे, तो जो काम आपने किये है उसी के लिए जाने जायेंगे।”
  7. “क्या कोई और दुनिया नही है जिसे मै जीत सकता हू।”
  8. “अगर यादि मै सिकंदर नही होता तो मै प्लुटो होता।”
  9. “मै अंधकार से भरे लंबे जीवन की अपेक्षा, प्रतिष्ठा से भरा छोटा जीवन जिना चाहता हू।”
  10. “सही दृष्टीकोन के साथ स्वयं लगाई गई सीमाए गायब हो जाती है।”

सिकंदर के बारेमें अधिकतर बार पुछे गये सवाल – Alexander The Great Quiz

  1. अलेक्झांडर द ग्रेट (सिकंदर) का धर्म क्या था? (Religion Of Alexander The Great)

जवाब: ग्रीक पोलिथेस्म (बहुदैववाद- एक से ज्यादा देवताओ को मानने वाला धर्म)।

2. अलेक्झांडर द ग्रेट (सिकंदर) कौन था? (Who Was Alexander The Great?)

जवाब: सिकंदर मैक्डोनिया और ओलम्पिया राज्य के राजपुत्र थे जो के वहा के शासक फिलीप द्वितीय के पुत्र थे। दुनियाभर मे सिकंदर को विश्वविजेता योद्धा की उपाधि से पहचाना जाता है, जिसने तमाम विश्वभर के युद्धो मे जीत का परचम लहराया था।तत्कालीन समय मे शायद ही कोई सिकंदर जितना काबिल शासक और योद्धा मौजूद था, इस वजह से उसके कुशल सैन्य संगठन और नेतृत्व का लोहा पुरी दुनिया ने माना।

3. किस वजह से सिकंदर (अलेक्झांडर द ग्रेट) की मृत्यू हुई थी? (Alexander The Great Death Reason)

जवाब: सिकंदर के मृत्यू के कई सारे तथ्य सामने आये जिसमे उसे मृत्यू से पहले मलेरिया जैसे लक्षण से प्रभावित पाया गया था, इसके अलावा उसपे विष प्रयोग भी हुआ था ऐसा भी माना गया है। पर भारत से बेबीलोन लौटने पर मलेरिया से अत्यंत बुखार की अवस्था मे सिकंदर का शरीर कमजोर हुआ था, जिसमे उसकी मृत्यू हुई थी।

4. सिकंदर(अलेक्झांडर द ग्रेट) का जन्म कहा पर हुआ था?

जवाब: प्राचीन ग्रीक के पेला शहर मे सिकंदर का जन्म हुआ था।

5. भारत मे किस राजा से युध्द मे सिकंदर को कडवे प्रतिकार का सामना करना पडा था?

जवाब: पोरस से।

6. पोरस और सिकंदर के बीच हुआ युध्द किस नामसे जाना जाता है? (Alexander The Great vs Porus)

जवाब: हैडास्पेस का युध्द।

7. हैडास्पेस का युध्द कब और किनके बीच मे हुआ था? (Hydaspes Battle participants)

जवाब: सिकंदर (अलेक्झांडर द ग्रेट) और भारत के राजा पोरस के बीच इसवी सन पूर्व ३२६ को हैडास्पेस का युध्द हुआ था।

8. सिकंदर के पत्नियो के नाम क्या थे?(Wife’s Of Alexander The Great)

जवाब: रोक्साना, स्टैटिरा द्वितीय और पैरासैटिस द्वितीय।

9. अलेक्झांडर द ग्रेट (सिकंदर) के घोडे का नाम क्या था? (Alexander The Great Horse Name)

जवाब: बूसेफेल्स (Bucephalus)।

10. किनसे सिकंदर ने शिक्षा प्राप्त की थी?सिकंदर के गुरु कौन थे? (Alexander The Great Teacher/Mentor)

जवाब: एरिस्टोटल जिन्हे भारत का अरस्तू कहा जाता है वे सिकंदर के गुरु थे, जिन से सिकंदर ने प्रमुखता से राजनैतिक और अन्य मुद्दो पर शिक्षा प्राप्त की थी।

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पश्चिम बंगाल राज्य का इतिहास और जानकारी

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West Bengal History in Hindi

West Bengal – पश्चिम बंगाल भारत का एक बहुत बड़ा राज्य है। यह राज्य भारत के पूर्व दिशा मे स्थित है। भारत को आजादी मिलने से पहले इस राज्य को सभी बंगाल नाम से बुलाते थे। लेकिन देश को आजादी मिलने के बाद इसे पश्चिम बंगाल नाम दिया गया। कोलकाता इस राज्य की राजधानी है और यह इस राज्य का सबसे बड़ा शहर है। बंगाली भाषा में इस राज्य को पश्चिम बांगा कहा जाता है।

पश्चिम बंगाल राज्य का इतिहास और जानकारी – West Bengal state History Information in Hindi

West Bengal

पश्चिम बंगाल राज्य के बारे में जानकारी – Information About West Bengal in Hindi

राज्य का नाम (Name of State): पश्चिम बंगाल (West Bengal)
राज्य निर्मिती का साल २६ जनवरी १९५०
पश्चिम बंगाल की राजधानी (Paschim Bangal ki Rajdhani) कोलकाता
प्रमुख भाषा (West Bengal Language): बंगाली
राज्य से संबंधित कुछ प्रभावी व्यक्तित्व:
  1. सुभाष चंद्र बोस
  2. स्वामी विवेकानंद
  3. सौरव गांगुली
  4. रविंद्रनाथ टैगोर
  5. किशोर कुमार 
  6. जगदीश चंद्र बोस
  7. ममता बनर्जी
  8. रामकृष्ण परमहंस, इत्यादि
राज्य अंतर्गत प्रमुख पर्यटन के स्थल
  1. दार्जिलिंग,
  2. डम डम रेल स्टेशन,
  3. हावड़ा ब्रिज,
  4. दक्षिणेश्वर काली मंदिर,
  5. सुंदरबन नॅशनल पार्क,
  6. सिलीगुड़ी इत्यादि।
राज्य के नजदीकी सिमा से जुड़ा देश बांग्लादेश
क्षेत्रफल की दृष्टी से देश में राज्य का स्थान तेरहवाँ (13th)
स्वतंत्रता पूर्व राज्य में हुए प्रमुख आंदोलन
भारत के बंगाल राज्य से प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
  1. सुभाष चंद्र बोस,
  2. रासबिहारी बोस,
  3. खुदीराम बोस,
  4. कल्पना दत्त,
  5. प्रफुल्ल चाकी,
  6. बटुकेश्वर दत्त, इत्यादि

पश्चिम बंगाल की जानकारी – Paschim Bangal ki Jankari

इस राज्य के बारे में संस्कृत साहित्य में भी पढ़ने को मिलता है लेकिन इस राज्य की पूरी जानकारी केवल ईसापूर्व 3 री सदी से ही ज्ञात होती है जब यहापर मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक शासन किया करते थे। लेकिन जैसे ही मौर्य साम्राज्य का प्रभाव कम होता गया उसके साथ ही यहापर सब तरफ़ अराजकता बड़े पैमाने पर फ़ैल चुकी थी।

4 थी सदी में इस प्रदेश में  के समुद्र गुप्त शासन करते थे। लेकिन उसके बाद में बंगाल में पाल वंश के राजा शासन करते थे। लेकिन 13 वी सदी से लेकर 18 वी सदी में मध्य तक जब अंग्रेज भारत में आये थे तो उस समय बंगाल पर केवल मुस्लीम लोग ही शासन करते थे। उस समय बंगाल दिल्ली के सुलतान के नियंत्रण में था लेकिन इसे स्वतन्त्र रूप से चलाने का काम गवर्नर ही किया करते थे।

सन 1757 में अंग्रेज अधिकारी रोबर्ट क्लाईव ने प्लासी की लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराया था। इस प्लासी को आज सभी पलाशी नाम से जानते है। सन 1765 में उत्तर भारत के बादशाह शाह आलम 2 ने बंगाल, बिहार और ओरिसा (ओडिशा) के दीवानी अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिए थे।

दीवानी अधिकार देने का मतलब होता है की उस प्रदेश का नियंत्रण करना और वहा का सारा राजस्व इकट्ठा करना। सन 1834 से बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल नाम से बुलाया जाता था मगर सन 1854 में इस पद का सारा कामकाज लेफ्टिनेंट गवर्नर को सौपा गया था।

तबसे अंग्रेज भारत सरकार बंगाल सरकार से अलग हो गयी थी। सन 1874 में आसाम का शासन लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथसे निकालकर मुख्य आयुक्त को सौपा गया था। सन 1905 में अंग्रेज सरकार को लगा था की बंगाल का शासन ठीक से देखा नहीं जा रहा इसीलिए उन्होंने बंगाल का बटवारा करने का फैसला लिया था मगर हिन्दू लोगो ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं हुआ।

उन्होंने बंगाल के दो हिस्से किये और उसमे एक हिस्से में बंगाल, बिहार और ओरिसा को रखा और दुसरे हिस्से में पूर्वी बंगाल और आसाम को अलग किया। लेकिन लोगो ने इसका इतना विरोध किया की अंग्रेज सरकार को इस फैसले को बदलना पड़ा और सन 1911 में बंगाल को फिर से एक करना पड़ा।

सन 1935 के भारत सरकार कानून के तहत सन 1937 में बंगाल को स्वायत्त प्रान्त बना दिया गया था। सन 1947 तक भारत और पाकिस्तान की निर्मिती होने तक बंगाल इसी हालत में था। बंगाल का पूर्वी भाग जिसमे मुस्लीम लोग ज्यादा थे उसे पूर्व पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश) बना दिया गया और और पश्चिम हिस्से को भारत का पश्चिम बंगाल घोषित कर दिया गया। सन 1950 मे ‘कुछ बिहार’ को बंगाल में शामिल कर लिया गया था।

1956 में भारत के कई राज्य की निर्मिती भाषा के आधार पर करने के बाद पश्चिम बंगाल को बिहार से 3140 वर्ग मील (8130 वर्ग किमी) का प्रदेश दिया गया था। आजादी मिलने के बाद में पश्चिम बंगाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) की तीन दशको तक सरकार थी।

लेकिन 1977 के विधान सभा के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जीती थी और उन्होंने राज्यमें पहली बार सरकार बनायीं थी। दुनिया में सबसे लम्बे समय तक किसी लोकशाही देश में सरकार बनाये रखनेवाली केवल कम्युनिस्ट पार्टी थी और उन्होंने 1977 से 2011 तक पश्चिम बंगाल में सरकार चलायी थी। लेकिन 2011 के विधान सभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में पहली बार आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनायीं।

तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के साथ में मिलकर सरकार बनायीं थी। ममता बनर्जी इस तृणमूल कांग्रेस की संस्थापक और नेता है। पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का सम्मान ममता बनर्जी को ही दिया जाता है।

पश्चिम बंगाल के जिले – List of Districts of West Bengal

पश्चिम बंगाल में कुल 23 जिले स्थित है। उनके नाम निचे दिए गए है:

  1. अलिपुर्दुअर,
  2. बंकुरा,
  3. कलिम्पोंग,
  4. बीरभूम,
  5. बर्दवान,
  6. दक्षिण दिनाजपुर,
  7. दार्जिलिंग,
  8. हुगली,
  9. हावड़ा,
  10. जलपाईगुड़ी,
  11. झारग्राम,
  12. कोलकता,
  13. मालदा,
  14. मुर्शिदाबाद,
  15. नाडीया,
  16. कुछ बिहार,
  17. उत्तर 24 परगना,
  18. उत्तर दिनाजपुर,
  19. पश्चिम मेदिनीपुर,
  20. पूर्व मेदिनीपुर,
  21. पुरुलिया,
  22. दक्षिण 24 परगना,
  23. और पश्चिम बर्दवान।

पश्चिम बंगाल की भाषा – West Bengal language

बंगाली पश्चिम बंगाल की मुख्य भाषा है। बंगाली भाषा के अलावा यहाँ के लोग इंग्लिश और हिंदी भाषा में भी बात करते है। दार्जिलिंग (सिलिगुरी छोडके) और कलिम्पोंग जिले के पहाड़ी इलाके में नेपाली मुख्य भाषा है।

पश्चिम बंगाल का सांस्कृतिक जीवन – Cultural life of West Bengal

बंगाली लोगो की कला, साहित्य, संगीत और नाट्य काफी समृद्ध है। पश्चिम बंगाल के लोग ज्यादातर टेराकोटा और पेंटिंग पर विशेष ध्यान देते है। बंगाली लोगो का साहित्य भी 12 सदी से भी ज्यादा पुराना है। बंगाल में संत चैतन्य(1485-1533) ने अपनी कविताओ के माध्यम से हिन्दू धर्मं का चैतन्य आन्दोलन भी किया था और उनके इस काम की वजह से ही बंगाल में बहुत बड़े बदवाल देखने को मिले।

इसीकी करना पश्चिम बंगाल के रवीन्द्रनाथ टैगोर भी महान कवी बन सके और उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। बंगाल में बहुत सारे धार्मिक और सांस्कृतिक गीत बनाये जाते है और उन्हें अच्छे से संभालकर रखा जाता है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘रविन्द्रसंगीत’ नाम से कई सारे गीत लिखे है और उनके वह सभी गीत भारत के शास्त्रीय संगीत और पारंपरिक संगीत का अहम हिस्सा माना जाता है जिसमे बौल गीत भी शामिल है। इन्होने बंगाल के सांस्कृतिक जीवन पर काफी प्रभाव डाला है।

बंगाल ज्यादातर नाट्य के लिए काफी प्रसिद्ध है और सभी तरह के लोगो को नाट्य में हिस्सा लेना अच्छा लगता है। बंगाल के गाव और शहरों में यात्रा का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहापर गाव में सभी लोग समय पर ही कविताये रचते है उनके माध्यम से एक दुसरे के साथ विवाद करते है।

लोककथा पर आधारित यहाँ के गाव में कथाकता नामक धार्मिक परंपरा भी है। मनोरंजन में भी पश्चिम बंगाल आगे है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर भी बंगाली फिल्मो की प्रशंसा की जाती है। सत्यजित रे, तपन सिन्हा, मृणाल सेन, अपर्णा सेन जैसे महान निर्देशक पश्चिम बंगाल की ही देन है। पश्चिम बंगाल का इतिहास काफी लम्बा और गौरवशाली है। इस राज्य को सिराजुद्दौला जैसे महान शासक मिले है।

पश्चिम बंगाल का सांस्कृतिक क्षेत्र मे भी बड़ा योगदान रहा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान कवी पश्चिम बंगाल के ही है। साहित्य के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। गीतांजलि जैसे महान साहित्य की निर्मीती उन्होंने की थी और उसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। पश्चिम बंगाल के गाव और शहरों में यात्रा का बड़ा आयोजन किया जाता है और लोग बड़ी संख्या में उसमे हिस्सा लेते है।

Bengal Tiger

बात करे अन्य जीवजगत की तो बंगाल में काफी सारे जंगली जानवर के संरक्षण हेतु परियोजनाए भी स्थापित है जिसमे यहाँ की ‘बंगाल टाइगर’ नाम की बाघ की प्रजाति समूचे विश्वभर में प्रसिध्द है।

पश्चिम बंगाल के प्रभावशाली व्यक्तित्व – Famous Bengali Personalities

Famous Bengali Personalities
Famous Bengali Personalities

१. स्वामी विवेकानंद:

भारत के परम आदर्श और प्रेरणा दायी व्यक्तित्व में स्वामी विवेकानंद जी का नाम शामिल है, जिन्हे योध्दा सन्यासी भी कहा जाता है। दरसल विवेकानंद जी का जन्म और लगभग समूचा कार्य यही पश्चिम बंगाल में हुआ था।जहा उन्हें गुरु का सानिध्य मिला और उनके जीवन में आमूलाग्र परिवर्तन आया, एक समय में भारत के प्रभावशाली व्यक्तियों में स्वामी विवेकानंद जी की गिनती होती थी।
 
अमेरिका के शिकागो में विश्व धार्मिक संमेलन में उन्होंने भारतीय संस्कृति तथा असल भारत की पहचान विदेशी मूल के लोगो को करवाई थी। आज के भारत में महान व्यक्तियों की सूची में स्वामी विवेकानंद जी का नाम बड़े आदर और शान से लिया जाता है।
 
२. सुभाषचंद्र बोस:
 
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा आजाद हिंद सेना के प्रमुख नेतृत्वकार सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म भी पश्चिम बंगाल में हुआ था, जिनका भारत के स्वतंत्रता अभियान में प्रमुख योगदान था। छोडो भारत आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस का कार्य काफी सराहनीय था जिसमे उन्होंने आजाद हिन्द सेना की कमान को संभालते हुए अंग्रेज शासन का कड़वा प्रतिकार किया था।
 
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकूमत पर दबाव बनाने हेतु जापान और जर्मनी जैसे देशो से मदद हासिल करने हेतु सुभाषचंद्र बोस ने महत्वपूर्ण सफल प्रयास किये थे, जिससे उनके दूरदर्शी नेतृत्व और कूटनीति का परिचय समूचे देश को हुआ।
 
३. जगदीशचंद्र बोस:
 
भारतीय भौतिक विज्ञानी और महान संशोधक जगदीश चंद्र बोस जी का जन्म भी पश्चिम बंगाल में हुआ था, जिन्हे उनके वनस्पती संबंधी किये संशोधन, सूक्ष्म तरंगीय संशोधन तथा रेडिओ तरंग इत्यादि पे किये गए उल्लेखनीय कार्यो के लिए दुनियाभर में नवाजा गया।
 
पश्चिम बंगाल के विक्रमपुर नामक स्थान पर ३० नवंबर १८५८ को इनका जन्म हुआ था जिसमे आगे की शिक्षा और संशोधन हेतु ये विदेशो में भी गए थे।
 
४. रविंद्रनाथ टैगोर:
 
प्रसिद्ध साहित्यिक और स्वतंत्रता सेनानी रवीन्द्रनाथ टैगोर जी उनके गीतांजलि नामक साहित्य से काफी मशहूर हुए थे, जिन्हे इस साहित्यकृति हेतु नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। रवीन्द्रनाथ टैगोर भी मूलतः पश्चिम बंगाल के ही थे जहाँ उन्होंने साहित्य की अनेक सुंदर कृतियों की रचना की तथा स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका काफी योगदान रहा जिसमे जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने नोबेल पुरस्कार अंग्रेज सरकार को वापस लौटा दिया था।
 
५. रामकृष्ण परमहंस:
 
अध्यत्मिक चेतना और उन्नती को जनमानस में स्थापित करने वाले परम वैरागी स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी पश्चिम बंगाल से थे, जो कलकत्ता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी थे।
 
स्वामी विवेकानंद जी के रामकृष्ण परमहंस गुरु थे और इनके ही प्रेरणा पर विश्वभर में स्वामीजी ने आध्यत्मिक चेतना, आदर्शो, मूल्यों और भारतीय संस्कृति के विचारो का फैलाव किया था। भारत के महान संतो में रामकृष्ण परमहंस का नाम बड़े आदर से लिया जाता है जिन्होंने स्वामी विवेकानंद जैसा शिष्य भारत को दिया था।
 
६. खुदीराम बोस:
 
नौजवान क्रांतिकारी खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कम आयु के स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने साथियो के साथ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था।
 
मात्र १८ साल की आयु में देश के स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले खुदीराम बोस जी का देश और इतिहास सदैव स्मरण रखेगा।
 
७. किशोर कुमार:
 
भारतीय संगीत जगत के हिंदी तथा अन्य भाषाओ में गीत के गायक किशोर कुमार भी पश्चिम बंगाल से थे, जिन्होंने सैकड़ो से अधिक फिल्मो में विभिन्न भाषाओ में गीतों को गाया है। मधुर आवाज, गायकी में विभिन्न प्रकार के शैली का मिश्रण तथा भावनाओ को संगीत से जोड़ने की किशोर दा की अदाकारी ने उन्हें भारत के महान गायक की सूचि में स्थान दिया।
 
गाने के साथ कुछ फिल्मो में अभिनय भी किशोर कुमार जी ने किया है, जिसमे उनके मस्त मिजाज अंदाज ने दर्शको को काफी ज्यादा मनोरंजित भी किया था। सुर के जादूगर किशोर कुमार की आवाज को उस समय के लगभग सभी अभिनेताओ के फिंल्मों में गाने द्वारा चित्रित किया है जिसे आजके ज़माने में भी लोग बड़े आनंद से सुनना पसंद करते है।
 
८. प्रणब मुखर्जी:
 
भारत के १३ वे राष्ट्रपति तथा अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी भी मूलतः पश्चिम बंगाल से थे। कॉन्ग्रेस के सक्रीय नेता के रूप में उन्होंने केंद्र शासन के रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री तथा विदेशमंत्री के पदभार को भी संभाला था। इसके बाद केंद्र में कॉन्ग्रेस सरकार के समर्थन से उन्हें राष्ट्रपति का पदभार भी सौपा गया था जिसे उन्होंने बखूबी निभाया साल २०२० में अगस्त ३१ को इनका निधन हुआ था।
 
उच्च शिक्षित, सूझ बुझ के साथ व्यवहार करने वाले नेता तथा वित्त संबंधी जानकार के तौर पर प्रणव मुखर्जी को राजनीती के इतिहास में सदैव याद किया जायेगा।
 
९. ममता बनर्जी:
 
हाल फ़िलहाल में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री है और ये इनकी मुख्यमंत्री पदभार की दूसरी टर्म है, इसके अलावा श्रीमती ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के रेलमंत्री के पदभार को भी साल १९९९ -२००० में संभाला था। ये पहले भारतीय कॉन्ग्रेस की नेता के रूप में कार्यरत थी, जिसे बादमे इन्होने छोड़ दिया और स्वतंत्र पक्ष तृणमूल कॉन्ग्रेस का निर्माण किया तबसे अब तक ये इस पक्ष की अध्यक्ष और प्रमुख नेता है।
 
बात करे पश्चिम बंगाल की तो ममता बनर्जी वहा की काफी पसंदीदा राजनैतिक शख्सियत है, जिन्होंने पिछले कई सालो से इस राज्य की बागडौर को संभाला हुआ है।
 
१०. सौरव गांगुली:
 
भारतीय क्रिकेट के उत्कृष्ट बल्लेबाज,गेंदबाज और कप्तान के तौर पर सौरव गांगुली की पहचान है, जिन्होंने लगभग ८ साल तक भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया है।
 
सौरव गांगुली भी मूलतः पश्चिम बंगाल राज्य से है, जिन्हे क्रिकेट के दुनिया का ‘दादा’ कहा जाता है, एकदिवसीय खेल के साथ टेस्ट क्रिकेट में सौरव गांगुली के नाम कई सारे रिकॉर्ड दर्ज है। हाल फ़िलहाल में ये भारतीय क्रिकेट नियामक बोर्ड यानि के बी.सी.सी.आई के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत है।
 
११. चैतन्य महाप्रभु:
 
१५ वी सदी के भक्ति पंथ के महान अग्रणी और अद्वैत मार्ग के वैष्णव उपासक चैतन्य महाप्रभु भी पश्चिम बंगाल राज्य के थे जिन्होंने यहां नामसंकीर्तन और भक्ति द्वारा आध्यात्मिक मार्ग में मानो क्रांतिकारक कार्य किया।
 
तत्कालीन समाज के लोग चैतन्य महाप्रभु को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मानते थे, जिनके भजन संकीर्तन करने पर मिलो लंबी भगवद प्रेमी लोगो की कतार चैतन्य प्रभु के पीछे चली आती थी। बंगाल के साथ भारत के अनेक स्थानों पर चैतन्य महाप्रभु ने भक्ति प्रचार प्रसार के लिए यात्राए की थी जिसमे पश्चिम बंगाल प्रमुख केंद्र स्थान रहा।

पश्चिम बंगाल राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – GK Questions Answers West Bengal

  1. पश्चिम बंगाल राज्य की निर्मिति कब हुई थी? (When west bengal was established?)
जवाब: २६ जनवरी १९५०।
 
2. पश्चिम बंगाल राज्य की प्रमुख भाषा तथा मातृभाषा क्या है? (What are the main language and mother tongue of west Bengal state?)
 
जवाब: बंगाली।
 
3. क्षेत्रफल की दृष्टी से पश्चिम बंगाल राज्य का भारत में कितवा स्थान है? (According to area number of west bengal state in India)
 
जवाब: १३ वा (तेरहवाँ)।
 
4. सिने जगत के कौनसे कलाकार पश्चिम बंगाल राज्य संबंधित है? (Various types of artists from west bengal state)
 
जवाब: शर्मीला टैगोर, तनूजा ,काजोल मुखर्जी, रानी मुखर्जी, बिपाशा बासु, गायिका श्रेया घोषाल, गायक किशोर कुमार, बप्पी लहरी, अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, गायक अभिजीत भट्टाचार्य, अभिनेत्री यामी गौतम इत्यादि।
 
5. बांग्लादेश भारत के किस राज्य से विलग होकर बना है?
 
(Bangladesh was the part of which state in India?)
 
जवाब: पश्चिम बंगाल।
 
6. पश्चिम बंगाल राज्य से जुड़ा कौनसा प्रसिध्द समुद्र भारत के नौदल सिमा के अंतर्गत आता है? (Famous ocean connected with west bengal state)
 
जवाब: बंगाल उपसागर।
 
7. पश्चिम बंगाल का कौनसा जानवर दुनियाभर में मशहूर है? (Worlwidely famous animal from west bengal)
 
जवाब: बंगाल टाइगर (बंगाल का बाघ)।
 
8. कलकत्ता भारत के किस राज्य की राजधानी है? (Kolkata is the capital of which state in India?)
 
जवाब: पश्चिम बंगाल।
 
9. पश्चिम बंगाल राज्य का प्रमुख त्यौहार क्या है? (Main festival in West Bengal)
 
जवाब: दुर्गापूजा।
 
10. ठंडा मौसम और नैसर्गिक खूबसूरती के लिए मशहूर कौनसा स्थान पश्चिम बंगाल राज्य में मौजूद है? (Famous hill station in West Bengal)
 
जवाब: दार्जिलिंग।

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ओडिशा का इतिहास और जानकारी

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Odisha History in Hindi

Odisha – ओडिशा यह राज्य भारत के पूर्व दिशा में आता है। इसे पहले ओरिसा नाम से पहचाना जाता था और इस राज्य के उत्तरपूर्व में पश्चिम बंगाल, उत्तर में झारखण्ड, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में आंध्र प्रदेश जैसे बड़े बड़े राज्य लगते है। क्षेत्र के दृष्टि के इस राज्य का स्थान 9 वा और जनजाति की संख्या की दृष्टि पुरे भारत में ओडिशा तीसरे नंबर पर है।

ओडिशा का इतिहास और जानकारी – Odisha History in Hindi

Odisha
Odisha State History Information

ओडिशा राज्य के बारे में जानकारी – Information About Odisha State in Hindi

राज्य का नाम: ओडिशा (Odisha)
राज्य निर्मिति का साल: १ अप्रैल १९३६
क्षेत्रफल की दृष्टी से राज्य का देश में स्थान: आठवाँ (8th)
राज्य में कुल जिले (District of Odisha): तीस (३०)
राज्य की प्रमुख मातृभाषा: ओड़िया
ओडिशा की राजधानी (Capital of Odisha) भूवनेश्वर
राज्य अंतर्गत प्रमुख पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल:
  1. पूरी जगन्नाथ मंदिर
  2. कोणार्क सूर्य मंदिर
  3. चिल्का सरोवर
  4. पारदीप
  5. बार्बिल इत्यादि।
राज्य से जुडी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कलिंग युध्द
राज्य का अन्य नाम: उत्कल,कलिंग
राज्य के अंतर्गत आनेवाली प्रमुख नदियाँ (Rivers of Odisha):
  • महानदी,
  • ब्राम्हणी नदी,
  • वैतरणी नदी,
  • सिलेरू नदी,
  • सुवर्णलेखा नदी इत्यादि।
वन्यजीव संरक्षण हेतु परियोजनाए:
  • डेब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण,
  • कोटा गढ़ अभयारण,
  • उशाकोठी अभयारण,
  • चिल्का सरोवर पक्षी अभयारण इत्यादि।

 

ओडिशा राज्य के बारेमें – Odisha ke Bare Mein Jankari

ईसापूर्व 261 में जब मौर्य साम्राज्य का सम्राट अशोक ने कलिंग में जो युद्ध खेला था। वो इस लड़ाई से होने वाली हानी से घबरा गए थे और इसीलिए उन्होंने कलिंग की सेना के साथ होने वाले लड़ाई को छोड़ने का फैसला किया था और बाद में उन्होंने जल्द दी बौद्ध धर्म का स्वीकार कर लिया था।

सन 4 थी शताब्दी में यहापर गुप्त साम्राज्य का शासन था। भौमकारा वंश और बाद में सोम वंश ने करीब 10 वी शताब्दी तक शासन किया था। 13 वी और 14 वी शताब्दी में ओडिशा पर मुस्लीम सुलतान का शासन था और उनका यह राज्य सन 1568 तक चलता रहा। उसके बाद में मुघलो का शासन था जो औरंगजेब के मरने तक चलता रहा।

मुग़ल जाने के बाद ओडिशा पर हैदराबाद के नवाब और और फिर बाद में मराठा साम्राज्य ने शासन किया था और आखिरी में सन 1803 में ओडिशा पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्ज़ा जमा लिया था। और 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा राज्य की स्थापना की गयी थी और यहाँ के ज्यादातर लोग ओडिया भाषा हो बोलते है।

इसीलिए 1 अप्रैल को यहाँ पर ओडिशा दिन (उत्कल दिवस) मनाया जाता है। इस प्रदेश को उत्कल भी कहा जाता है और इसका नाम हमारे राष्टीय गीत ”जन गण मन” में भी आता है। सन 1135 में अनंतवर्मन छोड़ागंगा ने कटक को इस राज्य की राजधानी बना दिया था और तभी से यही शहर कई राजा महाराज की राजधानी थी।

अंग्रेजो ने भी इसे सन 1948 तक ओडिशा की राजधानी के रूप में ही इस्तेमाल किया था। उसके बाद में भुवनेश्वर को ओडिशा की राजधानी बना दिया था।

ओडिशा के जिले – Districts of Odisha

ओडिशा में कुल 30 जिले है , जिसमे निम्नलिखित तौर पर जिले शामिल होते है जैसे के;

  1. बालासोर
  2. नयागढ़
  3. बौध
  4. भद्रक
  5. कटक
  6. रायगढ़
  7. देवगढ
  8. गजपति
  9. गंजम
  10. जगतसिंहपुर
  11. जयपुर
  12. झारसुगड़ा
  13. केंद्रपारा
  14. कोंझार
  15. खुर्दा
  16. ढेंकनाल
  17. कोरापुत
  18. अंगुल
  19. बारगढ़
  20. मालकनगिरीर
  21. मयुरभंज
  22. नवरंगपुर
  23. नौपारा
  24. कंधमाल
  25. पूरी
  26. संबलपुर
  27. बोलांगीर
  28. सोनेपु
  29. सुंदरगढ़
  30. कलाखंदी

ओडिशा राज्य के त्यौहार – Festival of Odisha State

ओडिशा जैसे राज्य में कई सारे त्यौहार मनाये जाते है। यहाँ का सबसे विशेष त्यौहार बोइता बन्दना है जिसमे यहापर सभी नावो की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को विशेषरूप से अक्तूबर से नवम्बर के महीने में मनाया जाता है। पूर्णिमा से पहले पाच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार सभी लोग नदी के किनारे इकट्ठा होते है और अपने पूर्वज जो दूर जा चुके है उनकी याद में छोटी छोटी नव बनाकर पानी में बहा देते है।

ओडिशा राज्य के मंदिर – Temples of Odisha State

Temples of Odisha
Temples of Odisha

यहाँ के पूरी शहर में देश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ मंदिर स्थित है और जब यहापर रथयात्रा का आयोजन किया जाता है तो पुरे देश में से सभी भक्त भगवान के दर्शन के लिए यहाँ पर इकट्टा होते है। यहाँ से थोड़ी दुरी पर ही 13 वी शताब्दी में बनाया हुआ कोणार्क का सूर्य मंदिर है।

ओडिशा की संस्कृति – Culture of Odisha

इस राज्य की संस्कृत काफी समृद्ध है और इस राज्य की राजधानी भुवनेश्वर अपने दिव्य और शानदार मंदिरों के लिए काफी जाना जाता है। इस राज्य की जो संकृति है वो हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मं का एक मिश्रण है। आदिवासी लोगो की जो संस्कृति है वो इस राज्य का अहम हिस्सा माना जाता है। यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार भगवान जगन्नाथ कली रथयात्रा है।

ओडिशा राज्य की भाषा – Odisha state language

ओडिया यहाँ की अधिकारिक भाषा है पुरे राज्य में इसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। ओरिया भाषा इंडो आर्यन भाषा मानी जाती है और आज भी यहाँ के आदिवासी द्रविड़ी और मुंडा जैसी पुराणी भाषा बोलते है।

ओडिशा के नृत्य और संगीत – Dance and music of Odisha
Jagannath Temple Puri Images
Jagannath Temple Puri Images

ओडिसी उड़ीसा राज्य का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूप है और यह भारत के सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। ओडिसी शास्त्रीय नृत्य कृष्ण और उसकी पत्नी, राधा के दिव्य प्रेम के बारे में है। भारत के ओडिशा राज्य में हमें विविधता देखने को मिलती हैं।

भारत के चार पवित्र धामों में से एक जगन्नाथ पुरी का 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर का एक जग प्रसिद्ध महोत्सव यानि यहाँ की जगन्नाथ रथ यात्रा। इस दस दिवसीय रथयात्रा महोत्सव की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है। इसे देखने देश विदेश से लोग आते हैं। हमें भी इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए ओडिशा जरुर जाना चाहिए।

ओडिशा राज्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्य – Facts about Odisha

Facts about Odisha
Facts about Odisha
  1. भारत के बड़े क्षेत्रफल के राज्यों की सूचि में शामिल ओडिशा राज्य का इतिहास कालीन नाम कलिंग था जो के बादमे बदलकर उत्कल रखा गया था। पर भाषा के आधार पर राज्य निर्मिति के प्रस्ताव के बाद इस १ अप्रैल १९३६ से ओड़िया भाषी लोगो के राज्य का ओडिशा नामकरण किया गया था।
  2. भारत में हुए सफल परमाणु परिक्षण में सबसे अधिक परिक्षण ओडिशा के चांदीपूर नामक स्थान पर किये गए है, जिसकी भूमि खास तौर ऐसे परीक्षणों के लिए लाभदायक सिध्द हुई है।
  3. बंगाल के उपसागर का तटवर्तीय इलाखा ओडिशा राज्य से भी जुड़ा हुआ है, जिसमे पारदीप नामक समुद्री तट पर्यटन के दृष्टी से खासा प्रसिध्द है, जिसमे देश दुनिया के पर्यटक यहाँ का नयन रम्य अद्भुत नजारा देखने के लिए सालभर आते रहते है।
  4. भारत में लंबाई के दृष्टी से सबसे बड़े नदियों की सूचि में शामिल महानदी ओडिशा राज्य की प्रमुख नदी है, जिसपर हीराकुड नामक भारत का सबसे बड़ा डैम स्थित है जिसके पानी का लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रो के लिए उपयोग किया जाता है।
  5. ओडिशा राज्य के अंतर्गत मयूरभंज, जेजपुर, जोड़ा, केवनिझर,सुंदरगढ़ इत्यादि प्राकृतिक संपत्ति से समृध्द खाने मौजूद है, जहाँ पर प्रचुर मात्रा में लोह, स्टील, तांबा, कोयला, लोह के उपधातु इत्यादि पाए जाते है ।
  6. ओडिशा राज्य के प्रमुख त्योहारों में कलिंग उत्सव, जगन्नाथ रथयात्रा, चंदन उत्सव, कोणार्क सूर्य मंदिर उत्सव, दुर्गापूजा इत्यादि प्रमुख होते है। इसके अलावा इस राज्य में कला महोत्सव भी समय समय पर आयोजित किये जाते है, जिसमे रेत पर प्रतिकृति उतारना खासा प्रसिध्द है। सालभर में देश और दुनिया की विभिन्न घटनाओ की प्रतिकृति हूबहू रेत पर उतारने वाले यहाँ के कुछ खास कलाकार देशभर में प्रसिद्ध है।
ओडिशा राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Odisha Quiz Questions
  1. भारत के किस राज्य की मातृभाषा ओड़िया है? (Which state mother tongue is odiya?

जवाब: ओडिशा

2. ओडिशा राज्य की निर्मिति कब हुई थी?इसका नाम ओडिशा क्यों रखा गया था? (When did odisha state established? Why did odisha name recommended to this state?)

जवाब: १ अप्रैल १९३६ को राज्य की निर्मिति हुई थी, जिसमे ओड़िया भाषी लोगो के स्थान का नाम ओडिशा रख दिया गया था। भारत के लगभग सभी राज्यों का निर्माण भाषा के आधार पर ही हुआ है।

3. भारत के चांदीपुर नामक ठिकाण की क्या विशेषता है?ये किस राज्य में स्थित है? (What is the specialty of Chandipur place in India?Chandipur place belongs from which state?)

जवाब: भारत के लगभग सभी प्रमुख परमाणु मिसाईल परिक्षण चांदीपुर में किये गए है, जिसमे पृथ्वी, अग्नि, आकाश, शौर्य इत्यादि मिसाइले शामिल है।चांदीपुर ओडिशा का तटवर्तीय स्थान है जहा भारत के रक्षाप्रणाली को मजबूत करने के अद्भुत कार्य संपन्न हुए है।

4. भारत के किस राज्य में रेत पर कारागिरी और कला का अधिक प्रचलन हुआ है? रेत कला की वजह से भारत का कौनसा राज्य प्रसिध्द है? (Which Indian state is famous for sand arts?)

जवाब: ओडिशा।

5. हीराकुड बांध कहा स्थित है तथा कौनसे नदी पर इसका निर्माण किया गया है? (In which state hirakud dam is situated?On which river hirakud dam had been built?)

जवाब: ओडिशा राज्य के संबलपुर में महानदी के उपर लगभग २६ किलोमीटर की दुरी का हीराकुड बांध निर्मित किया गया है, जिसे दुनिया का सबसे अधिक लंबाई का बांध माना जाता है।

6. बंगाल के उपसागर से जुड़ा ओडिशा का कौनसा स्थान पर्यटन की दृष्टी से खासा महत्व रखता है? (Famous costal region in odisha state)

जवाब: पारदीप 7. यूनेस्को द्वारा भारत के ओडिशा राज्य के किस प्राचीन मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है? (Unesco recognized world heritage temple in odisha state)

जवाब: कोणार्क सूर्य मंदिर।

8. भारत के राज्य ओडिशा में कुल कितने राज्य है? (Total districts in odisha state)

जवाब: ३०।

9. ओडिशा राज्य की राजधानी क्या है?इस शहर में कौनसा प्राचीनकला से संपन्न शिव मंदिर है? (Capital of odisha and famous ancient temple in capital city)

जवाब: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर शहर है, जहाँ पर स्थित भगवन शिव का लिंगराजा मंदिर प्राचीनतम कलाशैली का अद्भुत नमूना है।

10. हथिगुंफा की गुफाए किस राज्य का पर्यटन आकर्षण केंद्र है, किस राजा ने इन गुफाओ का निर्माण किया था?(Hathigumfa caves and king related to construction of this caves)

जवाब: ओडिशा राज्य में स्थित हथिगुंफा की गुफाए प्राचीन शिल्प वास्तुकला का बेहतरीन उदहारण है जिसका निर्माण खारवेल राजा के समय काल में हुआ था।

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 गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी

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Gujarat History in Hindi

Gujarat – गुजरात भारत देश के अन्य राज्यों जैसा ही एक महत्वपूर्ण राज्य। गुजरात में कई सारे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने देश को आजाद बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सबसे वयोवृद्ध पुरुष दादाभाई नौरोजी, और संयुक्त भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महान लोग गुजरात से थे।

 गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी – Gujarat History Information in Hindi

Gujarat

गुजरात राज्य के बारेमें – Gujarat History in Hindi

राज्य का नाम गुजरात (Gujarat)
राजधानी का शहर (capital of gujarat) गांधीनगर
राज्य की प्रमुख भाषा (मातृभाषा) गुजराती
क्षेत्रफल की दृष्टीसे राज्य का देश में स्थान पाँचवा (5th)
राज्य के अंतर्गत कुल जिले ३३
राज्य निर्मिति का साल १ मई १९६०
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े प्रमुख राज्य अंतर्गत आंदोलन
  1. खेड़ा आंदोलन
  2. बार्डोली सत्याग्रह
  3. दांडी नमक सत्याग्रह
मूलतः राज्य से जुड़े प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
  1. महात्मा गाँधी
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल
  3. दादाभाई नौरोजी
  4. मैडम भिकाजी कामा
  5. श्यामजी कृष्ण वर्मा
राज्य अंतर्गत आनेवाले प्रमुख पर्यटन स्थल
  1. गीर राष्ट्रीय अभयारण
  2. स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी
  3. रानी की वाव
  4. कंकरिया लेक
  5. साबरमती आश्रम
  6. अदालज कुँवा
  7. सूर्य मंदिर मोढेरा
  8. लोथल पुरातत्व अवशेष स्थल
प्रमुख धार्मिक स्थल
  1. सोमनाथ ज्योर्तिलिंग मंदिर
  2. पावागढ़ महाकाली मंदिर
  3. अक्षरधाम मंदिर
  4. श्री द्वारकाधीश मंदिर
राज्य का प्रमुख फूल (State Flower of Gujarat) मैरीगोल्ड
राज्य का प्रमुख प्राणी (State Animal of Gujarat) एशियाई शेर
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Gujarat) राजहंस
राज्य का प्रमुख पेड़ (State Tree of Gujarat) बरगद
राज्य का प्रमुख फल (State Fruit of Gujarat) आम

गुजरात राज्य का इतिहास – Gujarat ka Itihas

गुजरात जैसे महान और बड़े राज्य का इतिहास काफी पुराना है और इस राज्य को पहले गुजराता (गुर्जर राष्ट्र) कहा जाता था जिसका अर्थ होता है की गुर्जर लोगो का राष्ट्र। कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है की गुर्जर लोग मध्य एशिया में रहते थे और पहली शताब्दी के दौरान भारत आये थे।

गुजरात में भी सिन्धु संस्कृति और हड़प्पा संस्कृति के लोग रहते थे। इस बात को साबित करने के लिए लोथल और धोलावीरा में जब खुदाई की गई तब कुछ पुख्ता सबुत मिले थे। गुजरात जैसे राज्य पर बहुत सारे शूरवीर राजा महाराजा ने राज्य किया था। इसीलिए गुजरात का इतिहास भी बहुत बड़ा बन चूका है।

इस राज्य पर मौर्य, स्क्यथियन, गुप्त, सोलंकी और मुग़ल जैसे शक्तिशाली वंश के लोगो ने शासन किया था। उन सभी राजा महाराजा ने गुजरात की संस्कृति को अधिक सम्पन्न बनाने के लिए बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने कई सारे स्मारक बनवाये थे और कई सारी नयी परम्पराए नए सिरे से जारी कर दी थी।

बाद में फिर राज्य में गुर्जर और पारसी लोग रहते थे। लेकिन 18 वी शताब्दी तक वो सभी लोग मुग़ल और मराठा शासन के नियंत्रण में थे। सन 1818 के करीब अंग्रेज भारत में आये थे और उन्होंने 1947 तक भारत पर राज किया था। अंग्रेजो ने इस्ट इंडिया कंपनी का पहला मुख्यालय सूरत में स्थापित किया था। लेकिन बाद में अंग्रेजो ने इस मुख्यालय को बॉम्बे (अभी मुंबई) में स्थानांतरित कर दिया था।

1960 में गुजरात के लोगो ने खुद के लिए नया राज्य बनवाने का फैसला लिया था। इस फैसले के कारण ही गुजरात और महाराष्ट्र का निर्माण करवाया गया। 1 मई 1960 को गुजरात को भारत का एक राज्य के रूप में मान लिया गया था। जब शुरुवात में गुजरात राज्य बना था तब अहमदाबाद इसकी राजधानी थी लेकिन बादमे सन 1970 में गांधीनगर को राजधानी बनाया गया था। आज गुजरात पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है।

गुजरात राज्य की भाषा – Language of Gujarat state

गुजरात विभिन्न जातियों, धर्मों और समुदायों के लोगों द्वारा बसे हुए हैं। इस कारण से, राज्य में कई विभिन्न भाषाओं बोली जाती हैं। राज्य की आधिकारिक भाषा गुजराती है। गुजराती दुनिया की 26 वीं सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। इसके अतिरिक्त, राज्य के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली ग्यारह बोलियाँ हैं।

स्वतंत्र महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की निर्मिती – Gujarat and Maharashtra Partition

भारतीय इतिहास पर नजर डाले अंग्रेज शासन के भारत से जाने के समय से ही देश में मौजूद संस्थानों को भारत से जोड़े रखने का महत्वपूर्ण मुद्दा उस समय के राजनेताओ के सांमने था इसमें हैद्राबाद संस्थान के अंतर्गत दक्षिण भारत का एक बड़ा भूभाग था।

जिसमे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और दक्षिण भारत से सटे सीमावर्ती प्रदेश समेत लगभग गुजरात का अधिकतर प्रदेश शामिल था, इसमें हैद्राबाद के निजाम के पाकिस्तान से गुप्त संबंध इस मुद्दे को दिन ब दिन और पेचिदा बना रहे थे।

Famous Personalities of Gujarat

Famous Personalities of Gujarat
Famous Personalities of Gujarat

स्वामी रामानंद तीर्थ के नेतृत्व में शुरू किये गए संयुक्त महाराष्ट्र अभियान के तहत तथा भाषा के आधार पर राज्य निर्मिती का हवाला देते हुए मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का जन्म हुआ। जिसमे साल १९६० तक हैद्राबाद का निजाम संस्थान एक अकेला संस्थान था जो भारत में शामिल होने से इनकार करता रहा इसके विरोध में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और गुजरात राज्य में आंदोलन और हिंसक झड़प भी होती गई।

गुजरात और मराठवाड़ा में रझाकार जो के निजाम के द्वारा तैयार किये गए संघटन थे उनसे स्थानिक लोगो के हिंसक आंदोलन और झड़पों ने स्थिति को पूरी तरह काबू से बाहर जैसे हालात उत्पन्न किये। इसी बिच रामानंद तीर्थ की सूझ बुझ से इस मुद्दे को भारत शासन के विचाराधीन लाया गया और निजाम का बंदोबस्त करने हेतु भारत सरकार द्वारा सैन्य करवाई का निर्णय लिया गया।

जिसमे निजाम को अंततः भारत सरकार के सामने घुटने टेकने पड़े और हैद्राबाद संस्थान पूर्ण सामर्थ्य से भारत सरकार के अधीन लाया गया। इसके साथ ही भाषा के आधार पर राज्य निर्मिती प्रस्ताव के तहत १ मई १९६० को स्वतंत्र महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की निर्मिती की गई। इस क्रांतिकारक घटना ने निजाम का पूर्णतः सफाया कर भारत विरुध्द पाकिस्तान के साथ का उसका गुप्त षड्यंत्र भी नष्ट हुआ।

गुजरात के कुछ महत्वपूर्ण जिले – Districts of Gujarat

भारत के कुल क्षेत्रफल का विभाजन करके देखे तो क्षेत्र के अनुसार भारत के दस प्रमुख राज्यों में गुजरात राज्य शामिल है, जिसमे कुल ३३ जिले शामिल है।प्रशासनिक व्यवस्था के तहत इन सभी जिलों के अंतर्गत कुल २५२ तालुका और जिसमे लगभग १८,६१८ ग्रामीण विभाग शामिल है।

साल २०११ की जनगणना के आधार पर हमें जनसँख्या के साथ राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत दी गई जानकारी प्राप्त होती है।

  • गांधीनगर: यह जिला गुजरात की आत्मा है। यह गुजरात का दोनों, सांस्कृतिक और व्यावसायिक धागा है।
  • कच्छ: गुजरात में न केवल कच्छ, बल्कि भारत में भी सबसे बड़ा जिला है। कच्छ में अधिकांश भूमि रेगिस्तानी रूप में है।
  • सूरत: यह जिला भारत में सबसे अच्छा हीरा और ज़ारी काम के लिए भी जाना जाता है।
  • अहमदाबाद: अहमदाबाद, जिसे भारत के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता है, अपने वस्त्र उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।
  • वडोदरा: यह जिला इसके उर्वरक, फार्मास्यूटिकल और कांच उद्योगों के लिए जाना जाता है, जिससे गुजरात का प्रमुख औद्योगिक हब बन जाता है।
  • राजकोट: यह गन्ना, मूंगफली और कपास का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है।
  • आनंद: यह एक और जिला है जो सबसे अच्छा डेयरी उत्पाद ब्रांड ‘अमूल’ लाता है। मुख्य डेयरी यहां स्थित है।

एक नजर डालेंगे गुजरात के सभी ३३ जिलों की सूची – Gujarat District List

  1. अमरेली
  2. आनंद
  3. अहमदाबाद
  4. अरवली
  5. बनासकांठा
  6. भरुच
  7. भावनगर
  8. बोटाड
  9. छोटा उदयपुर
  10. दहोड
  11. डांग
  12. देवभूमि द्वारका
  13. गांधीनगर (राजधानी – Capital of Gujarat)
  14. गिर सोमनाथ
  15. जामनगर
  16. जूनागढ़
  17. कूच
  18. खेड़ा
  19. महिसागर
  20. मेहसाणा
  21. मोरबी
  22. नर्मदा
  23. नवसारी
  24. पंचमहल
  25. पाटण
  26. पोरबंदर
  27. राजकोट
  28. साबरकांठा
  29. सूरत
  30. सुरेंद्रनगर
  31. तापी
  32. वड़ोदरा
  33. वालसाड

गुजरात राज्य में मौजूद प्रमुख हवाई अड्डे – Airports in Gujarat

  1. सरदार वल्लभभाई पटेल आंतरराष्ट्रिय एअरपोर्ट(अहमदाबाद)
  2. सूरत एअरपोर्ट
  3. भावनगर एअरपोर्ट
  4. राजकोट एअरपोर्ट
  5. जामनगर एअरपोर्ट
  6. वड़ोदरा एअरपोर्ट
  7. भुज एअरपोर्ट

गुजरात के शिक्षा संबंधी प्रमुख संस्थान / यूनिवर्सिटी – University of Gujarat

  1. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी – सूरत
  2. डॉ. बाबासाहेब मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद
  3. गुजरात यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद
  4. सरदार पटेल यूनिवर्सिटी
  5. सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी – राजकोट
  6. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – गांधीनगर
  7. भक्त कवी नरसी मेहता यूनिवर्सिटी
  8. निरमा यूनिवर्सिटी
  9. महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी – बड़ोदा
  10. गणपत यूनिवर्सिटी – मेहसाणा

गुजरात का धर्म – Religion of Gujarat

भारत के अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी विभिन्न जाती और धर्मं के लोग बड़े ही प्रेम भाव से रहते है। भारत के सबसे अधिक औद्योगिक राज्यों में गुजरात का भी नाम आता है और औद्योगिकिकरण ज्यादा होने के कारण युवा के लिए रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर उपलब्ध है।

इसीलिए देश के हर कोने में से लोग यहापर काम ढूंढने आते है और यही पर हमेशा के लिए बस जाते है। गुजरात में अधिकतर लोग हिन्दू धर्म के ही है और लगभग 89.1% लोग हिन्दू धर्मं के ही है। गुजरात के लोग बहुत ही रुढ़िवादी है और केवल शाकाहारी खाना ही खाते है।

गुजरात के जितने भी हिन्दू धर्म के लोग है उनकी प्रमुख देवता भगवान श्री कृष्ण ही है। पुरे राज्य में श्रीकृष्ण की श्रीनाथजी के रूप में पूजा की जाती है। गुजरात में हिन्दू के अलावा भी पारसी, मुस्लीम, सिख और जैन धर्मं के लोगो की संख्या भी बहुत बड़ी है। इन सबसे हमें गुजरात की सांस्कृतिक विविधता समझ में आती है।

गुजरात के त्यौहार – Festivals of Gujarat

गुजरात को त्यौहार का राज्य माना जाता है। त्योहारों को पुरे उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात देश और विदेश में जाना जाता है। पुरे देश में बहुत से त्यौहार हैं लेकिन कुछ उत्सव ऐसे भी है जो केवल गुजरात से ही जुड़े है।

इस तरह के त्यौहार बहुत पुराने ज़माने से गुजरात में मनाये जाते है। अपनी प्रथा और परंपरा को बनाये रखने के लिए यहाँ के लोग उत्सव मनाते है। गुजरात मे सबसे ज्यादा नवरात्री का उत्सव मनाया जाता है।

  • नवरात्रि – Navratri

नवरात्रि गुजरात का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। त्यौहार को बड़े पैमाने पर और बड़े उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात राज्य काफी जाना जाता है। यह त्यौहार केवल गुजरात में ही नहीं बल्की पुरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्री का आयोजन करने के लिए बहुत सारी व्यवस्था की जाती है।

गुजरात सरकार भी इस त्यौहार को अच्छे से मनाने के लिए तयारियो में लग जाता है। दशहरा के नौ दिन पहले इस त्यौहार की शुरुवात होती है। देवी के नौ अवतार की पूजा इस त्यौहार के दौरान की जाती है। पुरे नौ दिनों में लोग देवी के उपवास करते है और मंदिरों में जाकर देवी के दर्शन लेते है।

रात के समय तो त्यौहार को बूढ़े और जवान सभी लोग एक साथ में मिलकर मनाते है। इस उत्सव में सबसे मुख्य आकर्षण डांडिया रास और गरबा ही रहता है। यह दोनों भी नृत्यु इस प्रदेश के पारंपरिक नृत्य में गिने जाते है। इसमें लोग ड्रम की धुन पर नाचते है और साथ में लोकगीत गाते है। डंडिया रास के दौरान सभी लोग इकट्टा होकर मैदान में इस नृत्य का आनंद लेते है। यह नृत्य देर रात तक बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

  • कच्छ का महोत्सव – Festival of Kachchh

कच्छ का त्यौहार गुजरात के कच्छ प्रदेश में मनाया जाता है। इस त्यौहार को गुजरात पर्यटन निगम की तरफ़ से आयोजित किया जाता है और यह त्यौहार छे दिन तक चलता है।

  • रथ यात्रा – Rath Yaatra

रथ यात्रा एक बहुत ही बड़ा उत्सव है जो गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के नाम से ही हमें मालूम पड़ता है इस उत्सव में बड़े बड़े लकड़ी के रथ बनाये जाते है और उसमे भगवान कृष्ण, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा को इन रथो में बिठाया जाता है।

  • दंग दरबार – Dang Darabaar

दंग दरबार का उत्सव गुजरात के दंग जिले में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह जिला सातपुडा पर्वत में आता है। इस जिले में ज्यादातर जनजाति वाले लोग रहते है जो इस प्रदेश में बहुत पुराने ज़माने से रहते है। इसी कारण दंग दरबार का उत्सव जनजाति के लोगो का त्यौहार बन चूका है।

गुजरात के मंदिर – Temples of Gujarat

Temples of Gujaratv
Temples of Gujarat

गुजरात में कई सारे मंदिर है जिसके कारण गुजरात को एक पवित्र राज्य माना जाता है। इन मंदिरों के कारण कई सारे यात्री इस स्थान पर हमेशा आते रहते है। यहाँ के सभी मंदिरे को देखकर पुराने समय याद आ जाती है और जिन्हें पुराणी वास्तुकला में काफी रुची है उनके लिए यह जगह सभी तरह से सही है।

गुजरात के देव और देवी के मंदिरे उनकी सुन्दरता और भव्यता के कारण विशेष जाने जाते है। इन मंदिरों को एक बार भेट देने के बाद आप के मन में भी भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत हो जाती है।

  • सूर्य मंदिर – Sun temple

गुजरात का सूर्य मंदिर मोढेरा में स्थित है। यह सूर्य मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर की तरह दीखता है और यह मंदिर भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल जनवरी के महीने में नृत्य उत्सव का आयोजन किया जाता है।

  • अक्षरधाम मंदिर – Akshardham Temple

अक्षरधाम मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित है। ऐसा शानदार और दिव्य मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। पुरे गुजरात में इस मंदिर के परिसर जैसा बड़ा परिसर कहा पर भी देखने को नहीं मिलता।

  • सोमनाथ मंदिर – Somnath temple

सोमनाथ मंदिर गुजरात के जुनागड़ जिले में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भारत के बारा ज्योतिर्लिंग मंदिर में से यह एक मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है की इसे छे बार बनवाया गया और छे बार तोडा गया।

  • अम्बाजी मंदिर – Ambaji Temple

अम्बाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले के अम्बाजी शहर में स्थित है। यह पवित्र मंदिर देवी आंबे माता को समर्पित है। भारत में जितने भी शक्तीपीठ है उनमेसे एक यह एक शक्तिपीठ माना जाता है।

  • द्वारकाधीश मंदिर – Temple of Dvaarakaadheesh

द्वारका शहर गुजरात के जामनगर जिले में आता है। यह शहर गुजरात का बहुत ही पुराना मंदिर है और इस शहर में देश का बहुत ही प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है जो देश के हिन्दू लोगो का सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। इस शहर की समृद्धि को देखकर इसे ‘स्वर्ण द्वारका’ भी कहा जाता है।

  • गिरनार मंदिर – Girnar Temple

गुजरात के पवित्र स्थलों मे गिरनार का भी नाम लिया जाता है। गिरनार जुनागड़ के नजदीक में ही स्थित है। इस जगह इतने सारे मंदिर देखने को मिलते है जिसके कारण गिरनार एक मंदिरों का शहर बन चूका है। गुजरात जैसे महान और पवित्र राज्य में देखने जैसी बहुत जगह है।

यहापर कई सारे हिन्दू मंदिर, जैन मंदिर और अन्य धर्म के मंदिरों की कोई कमी नहीं। यहापर त्योहारों की भी कोई कमी नहीं। यहाँ हर तरह के उत्सव बड़े आनंद से मनाये जाते है। नवरात्री, दंग दरबार, मोढेरा नृत्य त्यौहार जैसे कई सारे त्यौहार मनाये जाते है। मंदिरों में भी यहापर विविधता दिखाई देती है। यहापर का हर मंदिर दुसरे मंदिर से पूरी तरह से अलग है।

हर मंदिर की खुद की अलग पहचान है। सूर्य मंदिर, सोमनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, गिरनार मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर केवल इसी राज्य में देखने को मिलते है। यहाँ का जो सूर्य मंदिर है वो तो सबसे खास है। इस मंदिर को देखने के बाद आप को कोणार्क के सूर्य मंदिर की याद आ जाती है क्यों की यहाँ का सूर्य मंदिर बिलकुल कोणार्क के मंदिर की तरह ही बनवाया गया है।

गुजरात राज्य की एक बात सबसे विशेष है की इस राज्य में खुद भगवान कृष्ण रहते थे। गुजरात के द्वारका शहर में भगवान कृष्ण रहते थे और वहासे ही अपना राज्य चलाते थे। द्वारका शहर बहुत सुन्दर और समृद्ध था।

अपनी इस राजधानी से भगवान श्री कृष्ण सब पर ध्यान रखते थे। ऐसा भी कहा जाता है की उनका यह शहर सोने से बनाया गया था। सभी तरफ़ स्वर्ण की इमारते, लोगो के घर बनाये जाते थे। शायद इसी कारण उनके इस शहर को स्वर्ण का शहर भी कहा जाता था।

गुजरात राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Gujarat

  1. भारत के राज्य गुजरात की वित्तीय प्रणाली तथा राज्यनिहाय कोड संख्या क्या है? (What is a state code of Gujarat?)                                                                                                          जवाब: २४।

2. १ मई १९६० को भारत के गुजरात और महाराष्ट्र राज्य से तत्कालीन कौनसा राज्य संस्थान अलग किया गया? (Which State was Divided into Maharashtra and Gujarat in 1960)                जवाब: बॉम्बे स्टेट एक बड़ा प्रशासनिक प्रांत था जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ प्रदेश शामिल थे जिसे १ मई १९६० को बर्खास्त कर स्वतंत्र गुजरात और महाराष्ट्र राज्य की निर्मिती की गई और अंततः आज मुंबई शहर के नामसे ये विभाग महाराष्ट्र राज्य शासन के अंतर्गत है जिसमे से गुजरात के संपूर्ण प्रदेश निकाल दिए गए है।

3. प्राचीन तथा मध्ययुगीन काल में गुजरात में किन प्रमुख शासको ने शासन किया था? (Kings of Gujarat)  जवाब: प्राचीन काल में यहाँ चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा रुद्रदमन, सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णी, गुप्त वंश के राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य इत्यादी राजाओ का शासन था। वही मध्ययुगीन काल में प्रतिहार राजा नागभट प्रथम तथा चालुक्य राजा विक्रमादित्य द्वितीय का राज था इसके अलावा गुर्जर, राष्ट्रकूट, गुहिला,पाल, वाघेला आदि राजघरानों का गुजरात के विभिन्न प्रदेशो पर शासन रहा। जिसमे मुस्लिम शासको के भारत में प्रवेश के बाद इन विभिन्न घरानो के प्रभाव के कमी आई।

4. गुजरात राज्य का स्थानिक खेल कौनसा है? (State game of Gujarat)                          जवाब: कबड्डी।

5. गुजरात राज्य में प्रमुखता से कौनसा खाद्य व्यंजन पसंदीदा तौर पर खाया जाता है? (Staple food of Gujarat) जवाब: खिचड़ी, ढोकला, फाफड़ा, मेथी का ठेपला, दाल ढोकली, खांडवी।

6. प्रसिध्द नृत्य गरबा किस राज्य से संबंधित है? गरबा किस राज्य का प्रमुख पारंपरिक नृत्य प्रकार है? (Folk dance of Gujarat state)                                                                                          जवाब: गुजरात।

7. गुजरात राज्य के इतिहास संबंधी जानकारी किन प्रमुख किताबों से उपलब्ध होती है? (Gujarat History Book) जवाब: अ हिस्ट्री ऑफ़ गुजरात – दोसाभाई एडाल्जी, द पॉलिटिकल एंड स्टैटिस्टिकल हिस्ट्री ऑफ़ गुजरात, सोसाइटी एंड हिस्ट्री ऑफ़ गुजरात सीन्स १८००, पोर्ट टाउन्स ऑफ़ गुजरात, गुजरात – द हिस्ट्री ऑफ़ द एन्सिएंट इंडियन स्टेट फ्रॉम द इंडस वैली सिविलाइज़ेशन इत्यादि।

8. पर्यटन के दृष्टी से कौनसे रमणीय स्थल गुजरात राज्य में मौजूद है? (Tourism places in Gujarat) जवाब: स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, रानी की वाव, साबरमती आश्रम, मोढेरा सूर्य मंदिर, अदलज कुँवा, कंकरिया लेक, गिर राष्ट्रीय अभयारण इत्यादि।

9. गुजरात राज्य के अंतर्गत कौनसे धार्मिक स्थल मौजूद है? (Holy religious places in Gujarat) जवाब: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, द्वारकाधीश श्रीकृष्ण मंदिर, पावागढ़ महाकाली मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, सूर्य मंदिर, गिरनार मंदिर, अंबाजी मंदिर इत्यादि।

10. गुजरात राज्य में कौनसे प्राकृतिक सुंदरतापूर्ण समुद्री तट उपलब्ध है?(Beaches in Gujarat)    जवाब: तिथल, नारगोल, दीव, अहमदपुर मांडवी, द्वारका, सरखेश्वर, जामनगर तथा सोमनाथ आदि जगहों पर सुंदर प्राकृतिक समुद्री तट उपलब्ध है।

11. प्राचीन पुरातत्व अवशेषों का उत्खनन गुजरात में कौनसे जगह पर किया गया, जहा व्यापक मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए है?(Archaeological excavation place in Gujarat)                                          जवाब: लोथल।

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उत्तर प्रदेश का इतिहास और जानकारी

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Uttar Pradesh History in Hindi

देश में हर राज्य की अपनी खुद की एक पहचान होती है। कुछ राज्य बहुत ही बड़े है तो कुछ बहुत छोटे है। हर राज्य की अलग अलग विशेषता होती है। उसी तरह उत्तर प्रदेश – Uttar Pradesh की भी अपनी विशेषता है। यह राज्य बहुत ही बड़ा है और क्षेत्रफल की दृष्टि से देखे तो इस राज्य का देश में चौथा नंबर आता है।

उत्तर प्रदेश का इतिहास और जानकारी – Uttar Pradesh History in Hindi

Uttar Pradesh
Source: Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश राज्य के बारेमें – Uttar Pradesh Information in Hindi

राज्य का नाम उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh )
राज्य की प्रमुख भाषाए हिंदी, भोजपुरी, अवधी, उर्दू।
क्षेत्रफल विस्तार से राज्य का देश में क्रम चौथा (4th)
जनसंख्या अनुसार राज्य का देश में क्रम प्रथम (1st)
राज्य निर्मिती का साल २४ जनवरी १९५०।
राज्य अंतर्गत इतिहासकालीन प्रमुख स्थान
  1. हस्तिनापुर
  2. झाँसी
  3. अयोध्या
  4. मथुरा
  5. वाराणसी
  6. आग्रा
  7. कानपूर
  8. बुंदेलखंड
  9. कन्नौज
  10. सारनाथ
  11. अवध
राज्य अंतर्गत कुल जिले (Districts of Uttar Pradesh) ७५
राजधानी (Capital of Uttar Pradesh) लखनऊ।
कुल तालुका(तहसिल)संख्या (Tehsil in Uttar Pradesh) ३५०
कुल ग्रामीण विभाग संख्या (Total Village in Uttar Pradesh) १ लाख सात हजार चारसौ चालीस (१,०७,४४०)।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Uttar Pradesh) बारसिंघा।
प्रमुख पक्षी (State Bird of Uttar Pradesh) सारस क्रेन।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Uttar Pradesh) अशोक वृक्ष।
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Uttar Pradesh) मैदानी हॉकी।
राज्य का परंपरागत नृत्य प्रकार (Dance of Uttar Pradesh) कथ्थक।
राज्य की वित्तीय तथा राज्यनिहाय कोड संख्या (State Code of Uttar Pradesh) ०९
राज्य का प्रमुख फल (State Fruit of Uttar Pradesh) अमरुद।
राज्य का प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Uttar Pradesh) पलाश पुष्प।

उत्तर प्रदेश की जानकारी – Uttar Pradesh ki Jankari

यह एक पवित्र और महान राज्य है क्यों की इस राज्य की जमीन पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। उनकी अयोध्या इसी उत्तर प्रदेश में है। भगवान श्री कृष्ण की मथुरा भी इसी राज्य में है। इसी पावन और पवित्र भूमि की जानकारी हम आपको देनेवाले है।

इस राज्य की पूरी जानकारी, इसका गौरवशाली इतिहास, इसके खास त्यौहार इन सब बातो को जानकारी निचे दी गयी है। उत्तर प्रदेश एक बहुत ही विशेष राज्य है और इस राज्य को इन्द्रधनुष की जमीन भी कहा जाता है। इस राज्य में सांस्कृतिक विविधता दिखाई देती है।

भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर, सम्राट अशोक, हर्ष, अकबर बादशाह, महात्मा गांधी जैसे महान नायको ने इस जमीन कार्य किये थे।

Temples in Uttar Pradesh

Temples in Uttar Pradesh
Temples in Uttar Pradesh

समृद्ध और बड़े बड़े मैदान, घने जंगल, उपजाऊ मिटटी इस राज्य की विशेषता है। कई सारे पवित्र तीर्थस्थल, भव्य त्यौहार इस राज्य में मनाये जाते है। भारत की राजनीती, शिक्षा, कला एवं संस्कृति, उद्योग और कृषि में इस राज्य का अहम योगदान है।

गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदिया भी इसी राज्य में बहती है। उत्तर प्रदेश के पूर्व में बिहार, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और हरयाणा और उत्तर में उत्तराँचल स्थित है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी सीमा में नेपाल की सीमा भी लगती है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल 2,36,286 वर्ग किमी है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का देश में चौथा स्थान है। इस राज्य की विशेषता यह भी है की इसका क्षेत्रफल फ्रांस से आधा है, पुर्तगाल से तीन गुना बड़ा है, आयरलैंड से चार गुना बड़ा है, स्विट्ज़रलैंड के सात गुना, बेल्जियम से दस गुना और इंग्लैंड से भी बड़ा है।

उत्तर प्रदेश का इतिहास – Uttar Pradesh ka Itihaas

महान मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त (शासनकाल ईसापूर्व 321-297), सम्राट अशोक (ईसापूर्व तीसरी सदी), समुद्र गुप्त (चौथी सदी) और चन्द्रगुप्त 2 (शासनकाल 380 से 415) इन सभी राजा महाराजा ने उत्तर प्रदेश में ही शासन किया था। हर्ष जैसे महान और प्रसिद्ध शासक (शासनकाल 606-647) ने भी इस राज्य में एक समय में शासन किया था।

राजा हर्ष अपनी राजधानी कान्यकुब्ज से पुरे उत्तर प्रदेश पर नियंत्रण करने का काम करते थे। उनका राज्य आज के बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में भी स्थित था। ईसापूर्व छटी सदी के दौरान वैदिक धर्म पूरी तरह से ब्राह्मण लोगो का हो चूका था जिसकी वजह से ईसापूर्व दूसरी सदी तक जिसका रूप पूरी तरह से हिन्दू धर्म में परिवर्तित हो गया था।

इसी समय के दौरान यानि ईसापूर्व छटी और चौथी सदी के दौरान गौतम बुद्ध ने भी वाराणसी के सारनाथ में पहली बार धर्मोपदेश किया था। उन्होंने जिस बौध्द धर्म की स्थापना की थी वो केवल भारत तक ही सिमित नहीं रही बल्की चीन और जापान जैसे देशो में भी इस धर्मं के लोग बड़ी संख्या में है। बौद्ध ने जिस जगह पर परिनिर्वाण लिया था वह कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में स्थित है।

यह जगह आज कसिया नाम से जानी जाती है। शुरुवात में बौद्ध, ब्राह्मण और हिन्दू संस्कृति का विकास साथ में ही हो रहा था। ईसापूर्व तीसरी सदी में सम्राट अशोक के समय में मूर्ति और वास्तुकला का काफी विकास हुआ था। गुप्त वंश (चौथी से छटी सदी) शासन काल में हिन्दू कला और संस्कृति का काफी विकास हुआ था।

लेकिन 647 के करीब हर्ष राजा की मृत्यु होने के बाद में बौद्ध धर्म का पतन होना शुरू हो गया था और उसके साथ ही दूसरी तरफ़ हिन्दू धर्म का विकास बड़ी तीव्रता से होने लगा था। लेकिन 12 वी सदी में जब मुज़ल्दीन मुहम्मद इब्न सैम (मुहम्मद घुरी) ने उत्तर प्रदेश के गहड़वालों को हराया तो उसके बाद यहापर मुस्लिमो का शासन शुरू हो गया था।

करीब 600 सालों तक उत्तर प्रदेश में केवल मुस्लीम वंश के लोगो का ही शासन रहा और उत्तर प्रदेश दिल्ली के नजदीक होने के कारण दिल्ली सलतनत में भी कुछ लोग उत्तर प्रदेश के ही थे। सन 1526 में बाबर ने दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोधी को हराकर दिल्ली में मुस्लीम वंश के शासन की स्थापना की जिसके कारण दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 200 सालों से अधिक समय तक मुगलों ने शासन किया।

जब अकबर बादशाह (शासनकाल 1556-1605) बन गया था उसके समय में मुग़ल का साम्राज्य काफी बड़ा हो चूका था और अकबर बादशाह ने आगरा के नजदीक में अपनी नयी राजधानी फतेहपुर सिकरी की स्थापना की थी। अकबर के पोते शाहजहाँ ने पत्नी की याद में आगरा में दुनिया की सबसे खुबसूरत ईमारत ताज महल बनाया था। शाहजहाँ ने आगरा और दिल्ली में बहुत सारी इमारतों का निर्माण किया था।

18 वी सदी और 19 वी सदी के मध्य के 75 साल के समय में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने उत्तर प्रदेश का पूरा हिस्सा कब्जे में कर लिया था। शुरुवात में लोग इस प्रान्त को आगरा प्रेसीडेंसी कहते थे। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सन 1856 मे औध को अपने कब्जे में कर लिया था और सन 1877 में उत्तर पश्चिमी प्रान्त का हिस्सा बना दिया था।

सन 1950 में जिस तरह के उत्तर प्रदेश का निर्माण किया गया ठीक उसी तरह का उत्तर प्रदेश उस समय के अंग्रेजो ने बनाया था। जब 1880 के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद की शुरवात होने लगी थी तो उस वक्त स्वतंत्रता आन्दोलन में संयुक्त प्रान्त का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान था।

मोतीलाल नेहरु, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल के बेटे जवाहरलाल नेहरु और पुरुषोत्तम दास टंडन जैसे राष्ट्रीय नेता इसी संयुक्त प्रान्त से थे। महात्मा गांधी ने जो सन 1920-22 में असहकार आन्दोलन शुरू किया था जिसकी वजह से अंग्रेजो की हुकूमत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ था लेकिन संयुक्त प्रान्त के चौरी चौरा गाव में एक जगह पर हिंसा हुई थी जिसकी वजह से महात्मा गांधी को इस आन्दोलन को बिच में ही रोकना पड़ा।

मुस्लीम लीग भी संयुक्त प्रान्त में ही रहकर अपने काम किया करती थी। अंग्रेजो के समय में संयुक्त प्रान्त में कैनाल, रेलवे और अन्य तरह के यातायात का विकास किया गया। अंग्रेजो ने शिक्षा पर ज्यादा जोर देते हुए नए कॉलेज और यूनिवर्सिटीज की स्थापना की।

सन 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद में संयुक्त प्रान्त को भारत में शामिल कर लिया गया था। दो साल बाद तेहरी गढ़वाल राज्य (उत्तराखंड), रामपुर, वाराणसी, को संयुक्त प्रान्त का हिस्सा बना दिया गया था। सन 1950 में भारत का नया संविधान बनने के बाद संयुक्त प्रान्त का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश का देश में आजादी से लेकर आज तक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसी राज्य ने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रधान मंत्री इस देश को दिए।

उत्तर प्रदेश की भाषा – Uttar Pradesh Language

इस राज्य को हिंदी भाषा का राज्य भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश अधिकारिक भाषा अधिनियम 1951 के तहत हिंदी भाषा को राज्य के सभी कामकाज में इस्तेमाल करने का कानून का प्रावधान किया गया था।

उत्तर प्रदेश राज्य के जिले – Districts of Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश प्रशासनिक और जनसंख्या की दृष्टी से देश का बहुत बड़ा राज्य है, जिसका विस्तार कुल ७५ जिलों में किया गया है। देश के कुल जनसंख्या में अग्रक्रम पर उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या होने से इस राज्य के विस्तार को हम यहाँ उपलब्ध जिलों के माध्यम से समझने वाले है। आईए एक नजर डालते है उत्तर प्रदेश के कुल जिलों पर, जैसे के;

  1. आग्रा
  2. अलीगढ
  3. अलाहाबाद
  4. आंबेडकर नगर
  5. अमेठी
  6. अमरोहा
  7. औरिया
  8. आजमगढ़
  9. बदायूँ
  10. बागपत
  11. बलिया
  12. बहरैच
  13. बलरामपुर
  14. बारबाँकी
  15. बाँदा
  16. बरेली
  17. बस्ती
  18. बिजनौर
  19. बुलंदशहर
  20. चंदौली
  21. चित्रकूट
  22. एटाह
  23. एटवाह
  24. देवरिया
  25. फ़ैजाबाद
  26. फर्रुखाबाद
  27. फतेहपुर
  28. गौतम बुध्द नगर
  29. फ़िरोज़ाबाद
  30. गाजियाबाद
  31. ग़ाज़ीपुर
  32. गोंडा
  33. गोरखपुर
  34. हमीरपुर
  35. हापुर
  36. हरदोई
  37. हाथरस
  38. जालौन
  39. जौनपुर
  40. झाँसी
  41. कन्नौज
  42. कानपूर देहात
  43. कानपूर नगर
  44. कासगंज
  45. कौशाम्बी
  46. कुशीनगर
  47. लखीमपुर खेरी
  48. ललितपुर
  49. लखनऊ
  50. महराजगंज
  51. मैनपुरी
  52. महोबा
  53. मउ
  54. मथुरा
  55. मीरत
  56. मुज़फ्फरनगर
  57. मिर्ज़ापुर
  58. मुरादाबाद
  59. पीलभीत
  60. प्रतापगढ़
  61. रायबरेली
  62. रामपुर
  63. संत कबीर नगर
  64. सहारनपुर
  65. संभल
  66. संत रविदास नगर
  67. शाहजहाँपुर
  68. शामली
  69. श्रावस्ती
  70. सिद्धार्थनगर
  71. सीतापुर
  72. सोनभद्र
  73. सुलतानपुर
  74. उन्नाव
  75. वाराणसी

उत्तर प्रदेश राज्य के शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – Universities in Uttar Pradesh

  1. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
  2. छत्रपती शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी, कानपूर
  3. डॉ भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी, आग्रा
  4. लखनऊ यूनिवर्सिटी
  5. अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
  6. स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी, मीरत
  7. बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी
  8. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी
  9. तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद
  10. मदन मोहन मालवीय तकनिकी यूनिवर्सिटी, गोरखपुर

उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल – Uttar Pradesh Tourism

देश में सबसे ज्यादा पर्यटन इसी राज्य में होता है क्यों की सभी राज्य के लोग इसी उत्तर प्रदेश में भेट देने के लिए जाते है। यहापर कई तरह के त्यौहार मनाये जाते है, कई स्मारक, मंदिर, विहार है और साथ ही इस राज्य की संस्कृति भी बहुत समृद्ध है।

गंगा नदी के किनारे पर अलाहाबाद में ‘माघ मेला’ त्यौहार बड़े आनंद से मनाया जाता है। यह त्यौहार 12 साल में एक बार मनाया जाता है और इस त्यौहार को कुम्भ मेला भी कहा जाता है। इस त्यौहार के दौरान 1 करोड़ से भी ज्यादा हिन्दू तीर्थयात्री आते है।

Tourist Places in Uttar Pradesh

Tourist Places in Uttar Pradesh
Tourist Places in Uttar Pradesh

सारनाथ और कुशीनगर जैसे महत्वपूर्ण शहर गोरखपुर और वाराणसी से काफी नजदीक है। गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद पहला प्रवचन उन्होंने सारनाथ में दिया था और उन्होंने कुशीनगर में समाधी ली थी। इसीलिए बुद्ध धर्म के लोगो के लिए दोनों शहरे काफी महत्वपूर्ण है।

सारनाथ में अशोक स्तंभ भी है और यह सम्राट अशोक का महत्वपूर्ण शहर भी था। वाराणसी से केवल 80 किमी की दुरी पर गाजीपुर शहर है और यह शहर इसके घाटी के लिए काफी प्रसिद्ध है साथ ही बंगाल के गवर्नर लार्ड कॉर्नवालिस की कब्र भी है। इस कब्र की देखभाल करने का काम भारतीय पुरातत्व विभाग संभालता है। ईटाह शहर का पटना पक्षी अभयारण्य भी इसी शहर में स्थित है।

उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी – Uttar Pradesh Capitals लखनऊ में भी कई सुन्दर स्मारक है। इस शहर में औध समय के दौरान अंग्रेजो के रहने के क्वार्टर के अवशेष देखने को मिलते है। ताज महल, आगरा का किला, और फतेहपुर सिकरी जैसे विश्व धरोहर की तीन जगह है।

वाराणसी शहर यहाँ के घाट के लिए काफी प्रसिद्ध है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सन 1972 में पर्यटन निदेशालय की स्थापना की गयी थी और इस संस्था के डायरेक्टर जनरल के पद पर आईएएस स्थर का अधिकारी जिम्मेदारी संभालता है। व्यावसायिक पर्यटन का कामकाज सँभालने के लिए सन 1974 में उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम की स्थापना की गयी थी।

इस राज्य की पृष्टभूमि बहुत ही गहरी और लम्बी है। लम्बे समय से यहापर कई तरह के लोग आये और चले गए। लेकिन जाते जाते उन्होंने अपनी संस्कृति, वास्तुकला इस राज्य को विरासत में दे दी। इसीलए यहापर कई तरह के मंदिर, ऐतिहासिक स्मारक, प्राचीन विहार नजर आते है।

अलग अलग समय में अलग अलग राजा महाराजा ने इस जमीन पर शासन किया था। प्राचीन समय में चंद्रगुत, अशोक सम्राट जैसे महान राजा ने इस राज्य में शासन किया था। दिल्ली के सुलतान ने भी कुछ समय तक इसी राज्य की जमीन पर राज्य किया था। मुग़ल और अंग्रेजो ने भी लम्बे समय तक यहापर हुकुमत की थी। इससे पता चलता है है सभी लोगो के शासन का प्रभाव यहापर देखने को मिलता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Uttar Pradesh

  1. उत्तर प्रदेश राज्य के लोगो का प्रमुख खानपान क्या है? (Staple food of Uttar Pradesh)            जवाब: आम का आचार, गेहू की रोटी, सब्जी, नान, तंदूरी रोटी, पनीर की विभिन्न प्रकार की सब्जिया, कचौड़ी, दाल मुघलाई, पराठा, लच्छा पराठा, ब्रेड इत्यादि ।

2. उत्तर प्रदेश ज्य के लोरागो की परंपरा गत वेशभूषा क्या है? (Uttar pradesh Traditional Costume/Dress)                                                                                                  जवाब: पुरुष धोती, लुंगी, कुर्ता पायजामा तथा आधुनिक पैंट इत्यादि पहनते है तथा औरते साड़ी, सलवार कमीज इत्यादि पहनती है।

3. कौनसी प्रमुख नदियाँ उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत बहती है? (Rivers in Uttar Pradesh)          जवाब: यमुना, गंगा, गोमती, बेटवा, घाघरा, तमसा, राप्ती,केन, शरयु, सरदा, रामगंगा आदि नदियाँ उत्तर प्रदेश राज्य अंतर्गत बहती है।

4. वन्य जीव संरक्षण हेतु कौनसी परियोजनाए उत्तर प्रदेश राज्य में मौजूद है? (Wild life sanctuaries in Uttar Pradesh)                                                                                                            जवाब: चंबल वन्य जीव अभयारण, ओखला पक्षी जीव अभयारण, बखिरा अभयारण, हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण, महावीर स्वामी अभयारण, सुर सरोवर अभयारण, रानीपुर अभयारण, नवाबगंज अभयारण, दुधवा राष्ट्रीय पार्क इत्यादि।

5. उत्तर प्रदेश राज्य के इतिहास की जानकारी हमें कौनसे किताबो से उपलब्ध होती है? (Uttar Pradesh History Book)                                                                                                         जवाब: नो यूअर स्टेट उत्तर प्रदेश – अरिहंत एक्सपर्ट, उत्तर प्रदेश जनरल नॉलेज- डॉ.सी.एल.खन्ना, फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश १९५७, उत्तर प्रदेश अ स्टेट स्टडी गाईड, १८५७ का विद्रोही जगत पूर्वी उत्तर प्रदेश में, लॉस्ट इन उत्तर प्रदेश, एन्सिएंट इंडिया इत्यादि।

6. उत्तर प्रदेश राज्य से जुड़े कौनसे प्रमुख व्यक्ति देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे?(Freedom fighters from Uttar Pradesh)                                                                        जवाब: चंद्रशेखर आजाद, रानी लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी), मंगल पांडे, बेगम हजरत महल , अशफाक उल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल, सहजानंद सरस्वती, गोविन्द वल्लभ पंत, बख्त खान, झलकारी बाई इत्यादि।

7. पर्यटन के दृष्टी से कौनसे रमणीय तथा सुंदर स्थल उत्तर प्रदेश राज्य में मौजूद है? (Tourism in Uttar Pradesh)                                                                                                      जवाब: ताजमहल, फतेहपुर सिकरी, विंद्याचल पर्वत श्रेणी, दुधवा नेशनल पार्क, चंबल वन्य जीव अभयारण, सारनाथ अशोक स्तंभ एवं शिला लेख, हस्तिनापुर शहर, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, गंगा घाट वाराणसी इत्यादि।

8. हिंदी फ़िल्मी जगत के कौनसे व्यक्तित्व मूलतः उत्तर प्रदेश से संबंधित है? (Bollywood Actors From Uttar Pradesh)                                                                                                                जवाब: अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, नसिरुद्दीन शाह, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजपाल यादव, राज बब्बर, जया प्रदा, तिग्मांशु धुलिया, अनुराग कश्यप, जिम्मी शेरगिल, रजा मुराद, दिलीप ताहिल, सौरभ शुक्ला इत्यादि।

9. उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत कौनसे पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद है? (Famous religious places in Uttar Pradesh)                                                                                                        जवाब: श्रीकृष्ण जन्मभूमि – मथुरा, श्रीराम जन्मभूमि – अयोध्या, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, बाबा कालभैरव मंदिर, वाराणसी गंगा घाट, श्री दुर्गा कुंड मंदिर, श्री विशालाक्षी माता शक्तिपीठ मंदिर, गौतम बुध्द महापरिनिर्वाण स्थल – कुशीनगर, पार्श्वनाथ जैन मंदिर इत्यादि।

10. उत्तर प्रदेश राज्य से साहित्य जगत और अध्यात्मिक मार्ग की कौनसी शख्सियत जुडी हुई है? (Literary and Saint from Uttar Pradesh)                                                                                          जवाब: साहित्य के जगत में हरिवंशराय बच्चन, मैथिलीशरण गुप्त, मुंशी प्रेमचंद, जय शंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा इत्यादि उत्तर प्रदेश से थे, बात करे संतो की तो कबीरदास, रविदास, तुलसीदास, सूरदास इत्यादि संत और कवी भी मूलतः उत्तर प्रदेश से थे।

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भावपूर्ण श्रद्धांजलि मैसेज

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Shradhanjali Message in Hindi

जीवन मृत्यु संसार का शाश्वत नियम होता है, जिसमे आवागमन का नियम सब जीवित प्राणियों  पर लागू होता है।अपनों को खोने का दर्द शायद वही लोग समझ सकते है जो इस परिस्थिति से गुजरते है, जिसको शब्दों में बयान करना असंभव होता है।कुछ लोग मानव योनि में आकर  ऐसे श्रेष्ठ कर्म करके चले जाते है, जिनके याद में हम हर साल पुण्यस्मरण या पुण्यतिथि दिन को मनाते है जिसमे ऐसे महानुभावो को श्रद्धांजलि अर्पण कर उनके प्रति कृतग्यता भाव प्रकट किया जाता है।

जो भी हमसे मृत्यु पश्चात दूर चला गया हो उसका वापस लौट आना भलेही नामुमकिन हो पर उसके आत्मा के शांति हेतु सद्भावना प्रकट करना हमारा परम कर्तव्य होता है।ये एक संवेदनशीलता, सूझ बुझता  के परिचय के साथ इंसानी मूल्यों का आदरभाव होता है, जिसपर हमारी मानवता टिकी हुई है और बेशक सदियों से इन्ही उच्च मूल्यों पर हम सभी जीवित है।

आप भी अगर ऐसे श्रद्धांजलि मैसेज द्वारा किसी के प्रति सद्भावना और अपनापन प्रकट करना चाहता है, तो ये लेख आपके लिए काफी खास होनेवाला है, जहाँ हम आपके सामने  चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि मैसेज को पेश करनेवाले है। जिनको पढ़ने तथा किसी को शेयर करने के बाद जरूर आप उनके दुःख में शामिल होकर उसको थोड़ा कम करने का प्रयास कर  सकते है।

भावपूर्ण श्रद्धांजलि मैसेज – Shradhanjali Message in Hindi

Bhavpurna Shradhanjali in Hindi
Bhavpurna Shradhanjali in Hindi

“आना जाना लगा रहेगा दुःख जायेगा सुख आयेगा, करेगा जो भी भलाई के काम उसका ही नाम रह जायेगा, भावपूर्ण श्रद्धांजलि और कृतग्यता भाव सादर समर्पित”

“इस विपतकाल की परिस्थिति में आपके सम्पूर्ण परिवार के साथ मेरी गंभीर सांत्वना और सद्भावना हमेशा रहेगी, कालवश स्नेहीजन को परमात्मा का सानिध्य और मोक्ष की प्राप्ति हो यही हृदय से कामना करते है”

Condolence Message in Hindi

Condolence Message in Hindi
Condolence Message in Hindi

“ह्रदय को अत्यंत पीड़ा देने वाले इस दुःख की घडी में ईश्वर से नम्र प्रार्थना करते है के दिवंगत को परमशांति और मोक्ष प्राप्त हो तथा उसके स्नेहीजन इस कठीण परिस्थिति में साहस और संयम प्राप्त करे।”

“जो हुआ बहुत ही दुःखद और मन मस्तिष्क को विचलित करनेवाला है, पर आप सभी कृपया अपना संयम और संतुलन ना खोने दे, भरोसा रखे हम सभी आपके सदैव साथ है और आपके दिवंगत स्नेहीजन को जरूर मोक्ष प्राप्त हुआ है”

Rip Message in Hindi

किसी के दुःख के घडी में खास कर जब भी किसी के परिवार में किसी की मृत्यु हो तो जरूर आपको उनका साथ देना चाहिए और उनको ढाढस बंधाना चहिये।जिससे उस व्यक्ति का दुःख हलका हो जाता है तथा उसको सहारा  महसूस होता है, ये वही समय होता है जब आपमें व्याप्त मानवता का परिचय सामने वाले को होता है।

सुख में तो सभी साथ देते है जरूरत होती है किसी के दुःख में साथी बने, किसी को विनम्र भाव से श्रद्धांजलि देनी हो तो ये सभी मैसेज आपको बहुत फायदेमंद साबित होंगे।

किसी भी करीबी रिश्तेदार, स्नेहीजन, दोस्त या परिचित व्यक्ति के परिवार में अगर किसी की मृत्यु होती है तो उसकी हौसला अफजाई कर आपको उसको इन मैसेज में दिए शब्दों के सहारे जरूर भरोसा देते आना चाहिए की आप उसके साथ है।

Rip Message in Hindi
Rip Message in Hindi

“इस मृत्यु लोक में जीवन मृत्यु परमात्मा का शाश्वत नियम होता है, आपके कालवश हुए प्रियजन को ईश्वर शांति एवं मुक्ति प्रदान करे तथा आपके प्रति मेरी संवेदना और सहानुभूति सदैव कायम रहेगी।”

“आपको हुए दुःख की बेशक कोई सिमा नहीं है, सुनकर बेहद पिडा हुई पर आपको धीरज और शांति से इस स्थिति में आगे बढ़ना होगा, मृतक के आत्मा को भगवान चिरशांति और मोक्ष प्रदान करे यही कामना करते है।”

Rip Quotes in Hindi

Rip Quotes in Hindi
Rip Quotes in Hindi

“परमात्मा से हम नम्र प्रार्थना करते है के इस दुःख के स्थिति से आपको जल्दी से बाहर निकाले, तथा आपके मृतक परिजन के आत्मा को चिरशांति और मुक्ति प्रदान करे”

Shok Sandesh in Hindi

Shok Sandesh in Hindi
Shok Sandesh in Hindi

“शोकमग्न परिवार को हमारे ओर से ह्रदयभाव  से सांत्वना और सद्भावना समर्पित, ईश्वर मृतक के परिजन को  संयम और साहस प्रदान करे”

Bhavpurna Shradhanjali in Hindi

Shradhanjali Message in Hindi
Shradhanjali Message in Hindi

“आपके इस दुःख की घडी में ईश्वर आपको आत्मबल और संयम दे, आपके संपूर्ण परिवार को साहस और शक्ति मिले तथा मृतक के आत्मा को चिरशांति प्रदान हो।”

Shradhanjali Quotes in Hindi

Shradhanjali Quotes in Hindi
Shradhanjali Quotes in Hindi

“दिवंगत के प्रति मेरी सच्ची श्रद्धांजलि और भावसुमन सादर समर्पित है, इस कठीण घडी में हम सभी सदैव आपके साथ है।”

हमें आशा है दिए गए सभी श्रद्धांजलि मैसेज को पढ़कर आपको इसका अवश्य लाभ होगा तथा इनके मदद से आप किसी भी शोकसभा या श्रद्धांजलि कार्यक्रम में इसका उपयोग करेंगे।

अगर ये सभी मैसेज आपको अच्छे लगे तो जरूर अन्य लोगो तक इस आर्टिकल को शेयर करे ताकि वो भी इन मैसेज के माध्यम से दुःख के घडी में किसी को ढाढस और भरोसा दे सके।

अबतक इस आर्टिकल को पढ़ने और हमसे जुड़े रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अन्य जानकारी हेतु हमारे सभी आर्टिकल को पढ़े।

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महाराष्ट्र राज्य का इतिहास और जानकारी

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Maharashtra History in Hindi

इतिहास में मुड़कर देखा जाए तो, भारत बहुत से धर्मो की जन्मभूमि भी रहा है। सदियों पहले बहुत से बुद्ध, जैन, हिन्दू और मुस्लिम धर्म के साधुओ ने महाराष्ट्र – Maharashtra में शरण ली थी। महाराष्ट्र में दुसरे क्षेत्र से भी बहुत से लोग आते है। महाराष्ट्र शब्द की उत्पत्ति महारथी (महान रथ चालक) से हुई है।

महाराष्ट्र आकार और जनसँख्या के हिसाब से भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। भारत का सर्वाधिक औद्योगिक क्षेत्र मुंबई-पुणे महाराष्ट्र में शामिल है।

महाराष्ट्र राज्य का इतिहास और जानकारी – Maharashtra History in Hindi

Maharashtra महाराष्ट्र राज्य के बारेमें – Maharashtra information in Hindi

राज्य का नाम महाराष्ट्र (Maharashtra)
राजधानी का शहर मुंबई (Mumbai)
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान तिसरा (3rd)
राज्य की प्रमुख भाषा (मातृभाषा) मराठी (Marathi)
राज्य निर्मिती का साल १ मई १९६०।
प्रमुख जानवर शकरू (भारतीय नस्ल की बड़ी गिलहरी)
राज्य का का प्रमुख फूल (पुष्प) जरुल पुष्प (वनस्पती विज्ञानं अनुसार नाम : लग्रेस्टरइमिया स्पेसिओसा)
प्रमुख पक्षी हरावत (हरे रंग और पिले पैरो वाला कबूतर)
प्रमुख पेड़ (वृक्ष) आम का वृक्ष।
राज्य का प्रमुख फल आम
राज्य का परंपरागत नृत्य प्रकार (Folk Dance) लावणी।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय महाराष्ट्र की कोड संख्या २७
राज्य अंतर्गत कुल जिले ३६
कुल तालुका (तहसील) ३५७
कुल ग्रामीण विभाग ६३,६६३
राज्य का कुल क्षेत्रफल ३ लाख ७ हजार ७१३ चौ. किलोमीटर
राज्य का प्रमुख खेल कबड्डी
राज्य की प्रमुख यूनिवर्सिटी
  1. सावित्रीबाई पुणे यूनिवर्सिटी
  2. शिवाजी यूनिवर्सिटी कोल्हापुर
  3. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी
  4. संत गाडगेबाबा अमरावती यूनिवर्सिटी
  5. कवियत्री बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी
  6. मुंबई यूनिवर्सिटी
  7. स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी
  8. यशवंतराव चव्हाण मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी नाशिक
  9. डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी औरंगाबाद
  10. भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान मुंबई

महाराष्ट्र राज्य की जानकारी – Maharashtra ki Jankari

यहाँ पर विविध भाषाओ का मिश्रण है, सबसे पहले नागा काल में यहाँ महारस्त्री भाषा का उपयोग किया जाता था और बाद में 8 वी शताब्दी में मराठी भाषा को विकसित किया गया। शुरुवाती समय में वर्तमान महाराष्ट्र राज्य को बहुत से हिन्दू साम्राज्यों जैसे सातवाहन, वकताका, कलचुरी, राष्ट्रकूट, चालुक्य और यादव में विभाजित किया गया था। 1307 के बाद महाराष्ट्र में ज्यादातर मुस्लिम शासको का राज था।

मुस्लिम समुदाय की दरबारी भाषा पर्शियन का प्रभाव भी मराठी भाषा पर पड़ा। 16 वी शताब्दी में महाराष्ट्र को पुनः बहुत से स्वतंत्र मुस्लिम शासको के बीच खंडित कर दिया गया, जो मृत्यु तक एक-दुसरे से लड़ते थे। बाद शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और महाराष्ट्र में मराठा साम्राज्य का परचम लहराया।

18 वी शताब्दी के समय सम्पूर्ण पश्चिम और मध्य भारत, साथ ही उत्तर और पूर्व के विशाल भाग को भी मराठा साम्राज्य में शामिल कर लिया गया। 1661 में ब्रिटेन ने बॉम्बे आइलैंड के नियंत्रण को अपने हाथो में लें लिया और 19 वी शताब्दी से मराठाओ ने भी ब्रिटिश विस्तार के आगे घुटने टेक दिए थे।

इसके बाद ब्रिटिशो ने मिलकर “बॉम्बे प्रेसीडेंसी” नामक प्रशासनिक प्रांत की स्थापना की। 1947 में जब भारत को आज़ादी मिली तो प्रांत बॉम्बे राज्य (1950) में परिवर्तित हो गया। बहुत से भूतपूर्व प्रांतीय राज्यों को नए राज्य में शामिल किया गया। 1 नवम्बर 1956 को प्रायद्वीपीय भारत के बॉम्बे राज्य में प्रमुख भाषाई और राजनितिक पुनर्गठन कर मध्य प्रदेश का कुछ भाग इसमें मिला लिया गया, साथ ही उत्तर-पूर्वी भाग से हैदराबाद को हटा दिया गया।

पुनर्गठन का परिणाम फिर भी भाषाई रूप में विभाजित राज्य ही रहा, जहाँ गुजराती बोलने वाले ज्यादातर लोग उत्तर में और मराठी बोलने वाले लोग दक्षिण में रहते थे। दोनों भाषाई समूहों की मांग पर 1 मई 1960 को राज्य को दो भागो में विभाजित कर उत्तर में गुजरात और दक्षिण में महाराष्ट्र की स्थापना की गयी। बॉम्बे, महाराष्ट्र का हिस्सा और राज्य की राजधानी बना रहा। 1990 में इस शहर का नाम बदलकर मुंबई रखा गया।

महाराष्ट्र राज्य के जिले – Districts of Maharashtra State

महाराष्ट्र राज्य के छः राजस्व विभाजन है : जिनमे मुंबई (कोकण), पुणे (पश्चिमी महाराष्ट्र), नाशिक (खान्देश), औरंगाबाद (मराठवाडा), अमरावती (विदर्भ) और नागपुर (विदर्भ) शामिल है। इन्हें 36 जिलो में विभाजित किया गया है।इन जिलो को 109 उप-विभाजन और 357 तालुका में विभाजित किया गया है।जो इस प्रकार है –

महाराष्ट्र के जिलों की सूची – List of Districts in Maharashtra

  1. ठाणे
  2. पुणे
  3. मुंबई उपनगरीय
  4. नाशिक
  5. नागपुर
  6. अहमदनगर
  7. सोलापुर
  8. जलगाँव
  9. कोल्हापुर
  10. औरंगाबाद
  11. नांदेड
  12. मुंबई सिटी
  13. सातारा
  14. अमरावती
  15. सांगली
  16. यवतमाल
  17. रायगढ़
  18. बुलढाना
  19. बिड
  20. लातूर
  21. चंद्रपुर
  22. धुले
  23. जालना
  24. परभणी
  25. अकोला
  26. उस्मानाबाद
  27. नंदुरबार
  28. रत्नागिरी
  29. गोंदिया
  30. वर्धा
  31. भंडारा
  32. वाशिम
  33. हिंगोली
  34. गडचिरोली
  35. सिंधुदुर्ग
  36. पालघर

महाराष्ट्र राज्य में मनाने जाने वाले त्यौहार – Festivals celebrated in Maharashtra state

साल भर महाराष्ट्र में बहुत से उत्सव मनाये जाते है। जिसमें होली, रंग पंचमी, गुढी पाडवा, राम नवमी, अक्षय तृतीया, पोला (पोला के समय किसान अपने बैलो को सजाते है और ख़ुशी से गलियों में घुमाते है। महाराष्ट्र दिवस, गणेश उत्सव (1893 में राष्ट्रिय राजनेता बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजानिक गणेशोत्सव की शुरुवात की थी।

गणेश उत्सव के समय मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा राज्य में बेचीं जाती है।), महावीर जयंती, बुद्धा जयंती, वट पूर्णिमा, गोकुलाष्टमी, नवरोज़ उर्फ़ पारसी नव वर्ष, गणेश चतुर्थी, नारियल पूर्णिमा, रमजान, दशहरा, सावित्री व्रत इत्यादि। साथ ही मुहर्रम, बकरी ईद सभी विविध धर्मो के त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाते है।

महाराष्ट्र राज्य की भाषा – Language of Maharashtra state

महाराष्ट्र में मुख्यतः मराठी भाषा बोली जाती है। जबकि हिंदी और इंग्लिश भाषा का प्रयोग भी ज्यादातर जगहों पर किया जाता है। जबकि मुंबई बहुत सी भाषाओ का घर है, जिसमे अंग्रेजी भी शामिल है। कोकणी समुदाय के लोग कोकण भाषा का उपयोग करते है जो मराठी भाषा से ही जुडी हुई है। भले ही कोकणी समुदाय के लोग कोकण क्षेत्र में पाए जाते है, लेकिन फिर भी उनकी गणना अल्पसंख्यक में की जाती है।

महाराष्ट्र राज्य के कुछ विशेष मंदिर – Temples of Maharashtra

Temples of Maharashtra
Temples of Maharashtra

एलीफैंटा गुफा मंदिर, मुम्बादेवी मंदिर, कैलाश मंदिर, बालाजी मंदिर, गिरिजा माता विनायक, सिद्धिविनायक मंदिर, वरदविनायक, मुम्बादेवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, कपालेश्वर मंदिर, साईं बाबा मंदिर, मुक्तिधाम मंदिर, और त्र्यम्बकेश्वर मंदिर यहाँ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शामिल है।

हर साल बहुत से धार्मिक और सामाजिक उत्सव मनाये जाने की वजह से महाराष्ट्र को रंगीन राज्य भी कहा जाता है। महाराष्ट्र राज्य को संतो की भूमी कहा जाता हैं। यहाँ भगवान को माता ( माउली ) कहा जाता हैं। साथ ही यहाँ प्राकृतिक सौदर्य भी देखने लायक हैं। इसलिए शायद इसे महान ऐसा राष्ट्र यानि महाराष्ट्र नाम दिया गया हैं।

महाराष्ट्र के प्रभावशाली व्यक्तित्व – Famous Personalities of Maharashtra

Famous Personalities of Maharashtra
Famous Personalities of Maharashtra

१. शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj)

स्वराज संस्थापक और आदर्श शासक शिवाजी महाराज की कर्मभूमि महाराष्ट्र ही थी, जहाँ उन्होंने अनेक कठीण परिस्थितियों का सामना कर एक आदर्श और प्रजा हितकारी राज्य की स्थापना की तथा सामान्य जनमानस को स्वाभिमान से जिने की राह दिखाई।

शिव कालीन किले आज भी महाराष्ट्र में हमें उनके कर्तुत्व की याद दिलाते है और उनके विशाल योगदान के सामने नतमस्तक होने की इच्छा को जगाता है। इनके प्रमुख किलो में शामिल सिंहगढ, पुरंदर, प्रतापगढ़,शिवनेरी, रायगढ़ इत्यादि शामिल है जिन्हे जीवन में अवश्य एक बार देखना चाहिए।

२. ज्योतिराव फुले (Jyotirao Fule)

महाराष्ट्र के अग्रणी समाजसुधारकों में ज्योतिराव फुले जी का नाम शामिल है, जिन्होंने समाज से जाती व्यवस्था और महिलाओ के शिक्षा पर निर्बंधो को मिटाने हेतु भरसक प्रयास किये और उसमे सफलता भी इन्हे प्राप्त हुई थी।

इस कार्य में इन्हे इनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले का भी काफी योगदान प्राप्त हुआ, जिसमे समाज के कामगार, किसान, शोषित और जाती व्यवस्था से पीड़ित लोगो के हक़ में इस दम्पति ने जीवनभर कार्य किया।ऐसे महापुरुषों के सानिध्य से महाराष्ट्र की भूमि धन्य हुई, जिनके पावन स्मृतियों को देश और राज्य नमन करता है।

३. राजर्षी शाहू महाराज (Rajarshi Shahu Maharaj)

कोल्हापुर रियासत के राजा, शिक्षा प्रेमी तथा जाती व्यवस्था के कड़वे विरोधी के रूप में शाहू महाराज को देश के इतिहास में पहचाना जाता है।शोषित वर्ग के बच्चो को महाराज ने रियासत के अंतर्गत शिक्षा और निवास की व्यवस्था मुहैय्या कराई साथ में बुद्धिमान बच्चो को विदेश तक पढ़ने लिखने हेतु भेजा। महाराष्ट्र के समाजसुधारकों में राजर्षी शाहू महाराज का नाम बड़े आदर से लिया जाता है, जिन्होंने पुत्रवत अपने प्रजा का पालन किया।

४. लोकमान्य तिलक (Lokmanya Tilak)

महाराष्ट्र के कोंकण में जन्मे लोकमान्य तिलक एक प्रखर वक्ता और नेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो को अनेक जन अभियानों द्वारा कड़वा प्रतिकार दिया, इसमें इनके पूर्ण स्वराज की मांग, राष्ट्रीय शिक्षा मुहीम, सार्वजानिक गणेश और शिवजयंती त्यौहार जैसे कार्यक्रमों ने देश की अस्मिता को जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था।

साल १९२० तक महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने से पहले देश और राज्य के कई बड़े जन आंदोलन का नेतृत्व लोकमान्य तिलक ने किया, जिसमे उन्होंने कई क्रांतिकारियों को देशहित हेतु संघटित भी किया जिसमे चाफेकर,स्वतंत्रतावीर सावरकर इत्यादि भी शामिल थे।

५.सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)

दुनिया के बेहतरीन क्रिकेटर में से एक और दमदार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर मूलतः महाराष्ट्र राज्य से ही आते है,जिनके नाम क्रिकेट के दुनिया के ढेर सारे विश्वकीर्तिमान स्थापित है। इन्हे क्रिकेट का भगवान भी कहा जाता है, जिनके उपस्थिति में कई सारे मुश्किल मुकाबलों में भारत ने जित दर्ज की है, सचिन तेंदुलकर को भारत सरकार की तरफ से भारत रत्न सम्मान भी प्राप्त हुआ है साथमे इनके पास कई सालो तक राज्यसभा का सदस्यत्व भी था।

६. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. B. R Ambedkar)

भारतरत्न बाबासाहेब आंबेडकर जी की प्रमुख कर्मभूमि महाराष्ट्र ही रही जहा उन्होंने समाज से छूत अछूत भेदभाव को मिटाने हेतू संघर्ष किया जिसमे महाड, नाशिक, पुणे, मुदखेड इत्यादि जगह पर कुछ जन आंदोलन को उन्होंने सफल रूप दिया। भारतीय संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले आंबेडकर जी दुनिया के चुनिंदा विद्वानों में से एक थे जिनके पावन स्मृतियों को देश और दुनिया सदैव विनम्र अभिवादन करती है।

७. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)

संगीत और गायन की दुनिया में कोयल के नामसे दुनिया भर में प्रसिध्द गायिका लता मंगेशकर महाराष्ट्र राज्य से ही आती है, जिसमे इनके संगीत के क्षेत्र का लगभग पूरा सफर महाराष्ट्र राज्य में ही रहा। सैकड़ो से अधिक विभिन्न भाषाओ के गीत को इन्होने गाया है जिसमे इनकी मीठी सुरेल आवाज ने दुनिया भर के श्रोताओ को भावविभोर कर दिया।

८. लक्ष्मीकांत बेर्डे (Laxmikanat Berde)

फिल्म जगत के हिंदी और मराठी फिल्मो के लक्ष्मीकांत बेर्डे एक बेहतरीन अदाकार थे जिन्होंने अपनी बेहतरीन कलाकारी से कई वर्षो तक दर्शको का मनोरंजन किया, मराठी फिल्म जगत के सुपरस्टार के तौर पर इन्हे पहचाना जाता है।

मस्त मिजाज और हास्य कलाकार के रूप में भारतीय सिने जगत लक्ष्मीकांत बेर्डे को सदैव स्मरण में रखेगा, भलेही ये आज हमारे बिच मौजूद नहीं है पर इनकी फिल्मे आज भी उस दौर की यादो को ताजा करती है। लक्ष्मीकांत बेर्डे भी महाराष्ट्र से थे जिनके नाम कई बेहतरीन नाटक और फिल्मे दर्ज है, ऐसे बहुआयामी कलाकार को विनम्र अभिवादन।

९. डॉ. विजय भटकर (Dr. Vijay Bhatkar)

सुपर कंप्यूटर के जनक और निर्माता डॉ. विजय भटकर भी मूलतः महाराष्ट्र राज्य से थे, जिनकी विश्वभर में पहचान हुई उनके कंप्यूटर से जुड़े महान संशोधन से। आधुनिक जगत में अत्यंत गतिशील और अचूकता से परिणाम देनेवाले सुपर कंप्यूटर की खोज तकनिकी विश्व में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ जिसका पूरा श्रेय भारत भूमि के विजय भटकर को दिया जाता है। इससे ये साबित होता है के महाराष्ट्र में लगभग सभी क्षेत्र से जुड़े व्यक्तित्व हुए है जिन्होंने देश दुनिया पे अपनी अमिट छाप बनाई है।

१०. दादासाहेब फालके (Dadasaheb Falke)

भारतीय सिने जगत के संस्थापक के नामसे दादा साहेब फालके का नाम बड़े आदर और गौरव से लिया जाता है, जिन्होंने राजा हरिश्चंद्र नामक फिल्म को सबसे पहली बार बनाया था जो तत्कालीन व्यवस्था और तकनिकी सहाय्य के दृष्टी से काफी बेहतरीन साबित हुई थी।

इसके बादसे भारत में फिल्म निर्मिती में सुधार आने लगे और फिल्म निर्मिती एक व्यावसायिक क्षेत्र बना जिसमे आजतक कई बेहतरीन फिल्मो का निर्माण हुआ। तत्कालीन भारत की स्थिती और सामाजिक परिवेश को देखा जाए तो दादासाहेब द्वारा लिया गया फिल्म निर्मिती का निर्णय काफी साहसिक कदम दिखाई पड़ता है, इसलिए भारतीय फिल्म जगत के जनक नामसे उनके लिए गौरवोद्गार सुनने को मिलते है।

दादासाहेब भी मूलतः महाराष्ट्र की भूमि में जन्मे थे जिन्होंने एक के बाद एक कई फिल्मो का निर्माण कर देश दुनिया के सामने एक प्रेरणादायी उदहारण प्रस्तुत किया था, ऐसे कर्तुत्वशाली व्यक्तित्व को विनम्र अभिवादन।

महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourism Places in Maharashtra

Tourism Places in Maharashtra
Tourism Places in Maharashtra
  1. अजंता की प्राचीन गुफाएँ
  2. एलोरा की गुफाएँ
  3. लोनावला
  4. खंडाला
  5. सह्याद्री पर्वत श्रेणी
  6. सिंहगढ़
  7. महाबलेश्वर हिल स्टेशन
  8. चिखलदरा हिल स्टेशन
  9. पंचगनी
  10. ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान
  11. मेलघाट परियोजना
  12. ड्रैगन पैलेस नागपुर
  13. एलीफैंटा की गुफा
  14. माथेरान
  15. बीबी का मकबरा
  16. शनिवार वाड़ा

संतभूमि महाराष्ट्र – महाराष्ट्र के महान संत (Saints of Maharashtra)

१. संत ज्ञानेश्वर (Sant Gyaneshwar)

१३ वी सदी में महाराष्ट्र के आलंदी नामक स्थान पर जन्मे संत ज्ञानेश्वर भागवत और वैष्णव परंपरा के महान संत में से एक है, जिन्हे आदर से संपूर्ण महाराष्ट्र में माउली ज्ञानेश्वर कहा जाता है, माउली का अर्थ माता होता है।

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि में बताये गए तथा वेद व्यास द्वारा लिखित महाभारत ग्रंथ के अंतर्गत आनेवाले ‘श्रीमद भगवद्गीता’ का, मराठी भाषा में सरल अर्थो में रूपांतरण “ज्ञानेश्वरी” नामक ग्रंथ के माध्यम से संत ज्ञानेश्वर जी ने किया है।

महाराष्ट्र के संत परंपरा के अग्रणी के रूप में संत ज्ञानेश्वर जी को पहचाना जाता है जिन्होंने साहित्य में भी ईश्वर भक्ति से जुडी सुंदर रचनाओं और भजन पद की निर्मिती की जिसमे हरिपाठ, अमृतानुभव, पसायदान, अभंग रचना शामिल है।

२. संत तुकाराम (Sant Tukaram)

महाराष्ट्र के देहु नामक स्थान पर जन्मे संत तुकाराम भक्ति मार्ग के परम वैष्णव उपासक थे, जिनका पंढरपुर के विठ्ठल भगवान पर पूर्ण श्रद्धाभाव था।तत्कालीन समाज में भक्ति का प्रचार प्रसार करने हेतु इन्होने भगवद नाम सुमिरन और कीर्तन के माध्यम से ही ईश्वर तक पहुँच सकते है इस विश्वास को दृढ़ करने का जनमानस में कार्य किया।

१७ वी सदी में महाराष्ट्र में जहा एक ओर शिवाजी महाराज जैसे महापुरुष का उदय हुआ जिन्होंने स्वराज का सपना साकार किया वही दूसरी ओर तुकाराम महाराज जैसे संत ने समाज की चेतना और अस्मिता का जगाने का कार्य किया, जिसमे शिवाजी महाराज भी संत तुकाराम जी का बहुत आदर करते थे और इनके कीर्तन में कई बार श्रोता बनकर जाते थे।

३. रामदास स्वामी (Ramdas Swami)

प्रभु रामचंद्र पर इनकी दृढ़ श्रद्धा और भक्तिभाव था जिसमे इन्होने महाराष्ट्र में ढेर सारे जगह पर हनुमान जी के मंदिरो का निर्माण करवाया था, भक्ति और बल उपासना इन दोनों पर इनका दृढ़ विश्वास था। इसलिए नियमित तौर पर शारीरिक कसरत करना तथा भक्ति द्वारा ईश्वर से जुड़ने की सलाह ये सभी लोगो को देते थे।

रामदास स्वामी शिवाजी महाराज के गुरु थे जिनके प्रेरणा से शिवाजी महाराज ने कई सारे पुराने मंदिरो की मरम्मत की तथा नए मंदिरो का भी निर्माण किया।

स्वराज की निर्मिती में भी समय समय पर शिवाजी महाराज को रामदास स्वामी का अनमोल उपदेश मिलता रहता था, जिसमे प्रजा हितकारी राज्य शासन का निर्माण करना संभव हुआ। इनके भक्ति साहित्य में दासबोध, मन के श्लोक, मनबोध इत्यादि रचनाए शामिल है, महाराष्ट्र के सज्जनगढ़ नामक किले पर इनकी पावन समाधी स्थित है।

४. संत एकनाथ (Sant Eknath)

भक्ति मार्ग के श्रेष्ठ संतो में संत एकनाथ जी का नाम शामिल है जो मूलतः महाराष्ट्र से ही थे, इनका पूर्ण भक्तिभाव पंढरपुर के विठ्ठल भगवान पर था जिन्होंने नाम संकीर्तन, भारुड़ आदि प्रकारो से समाज में हरी भक्ति का प्रचार प्रसार किया था।

५. संत नामदेव (Sant Namdev)

वारकरी वैष्णव संप्रदाय से जुड़े संत नामदेव जी महाराष्ट्र के महान संतो में से एक है जिन्होंने ईश्वर भक्ति के प्रचार प्रसार हेतु महाराष्ट्र के साथ अन्य भी कई राज्य में कार्य किया, जिसमे पंजाब से इनका संबंध था वही सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ “गुरु ग्रन्थ साहिब” में भी संत नामदेव के भक्ति रचनाओं को शामिल किया गया है।

महाराष्ट्र राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Maharashtra

  • महाराष्ट्र के लोगो की परंपरागत वेशभूषा क्या है? (Traditional costume/dress of Maharashtra) जवाब: पुरुषो की वेशभूषा में धोती/धोतर और कमीज शामिल है इसके साथ सर पे फेटा/पगड़ी भी पुरुषो द्वारा पहना जाता है आधुनिक युग में पैंट और शर्ट इत्यादि भी पहना जाता है।बात करे महिलाओ की तो इनके वेशभूषा में प्रमुखता से साडी या लुगडा पहनने का प्रचलन है, आधुनिक वेशभूषा में सलवार कमीज भी पहनने का प्रचलन आम तौर पर देखा जाता है।
  • कौनसी प्रमुख नदियाँ महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत बहती है? (Main Rivers in Maharashtra)                  जवाब: भीमा, कृष्णा , गोदावरी, वैनगंगा, नर्मदा, पैनगंगा, कोयना, पंचगंगा, इंद्रायणी, कुंडलिका, मुला, मुठा, मांजरा, पूर्णा, वशिष्टी, प्राणहिता, नीरा, पवना इत्यादि।
  • महाराष्ट्रीयन लोगो के खानपान में प्रमुखता से कौनसे व्यंजन शामिल होते है? (Staple food of Maharashtra)                                                                                            जवाब: पिठला भाकरी, ज्वार की भाकरी, रोटी, आमरस, कढ़ी, साबूदाना खिचड़ी, दाल चावल खिचड़ी, मोदक, पूरन की रोटी, बैंगन भरता, विभिन्न प्रकार की सब्जी, वड़ा पाव, पोहा, भात इत्यादि।
  • महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज के समय के कौनसे प्रमुख किले मौजूद है? (Forts in Maharashtra) जवाब: सिंहगढ़, रायगढ़, पुरंदर, मल्हारगढ़, राजमाची, प्रतापगढ़, पन्हाला, गोदावरी,, सिंधुदुर्ग किला, शिवनेरी, तोरणा इत्यादि।
  • वन्यजीव संरक्षण हेतु महाराष्ट्र में कौनसी परियोजनाए और अभयारण उपलब्ध है? (Wildlife sanctuaries in Maharashtra)                                                                                        जवाब: राधानगरी, नागझिरा, गौताला, कोयना, ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान, मेलघाट बाघ संरक्षण परियोजना, कर्नाला पक्षी अभयारण, भीमा शंकर अभयारण, फनसाड पक्षी अभयारण, नरनाला पक्षी अभयारण, रेहकुरी,बोर, भिवागढ़, अनेर इत्यादि।
  • महाराष्ट्र राज्य में कौनसे प्रमुख प्राकृतिक सुंदरतापूर्ण समुद्री तट मौजूद है? (Beaches in Maharashtra) जवाब: जुहू, हरिहरेश्वर, श्रीवर्धन, मुरुड, दिवेगर, देवगढ़, किहिम, गुहागर, हेदवी, वेलनेश्वर, अंजर्ले,वेलास, मांडवा, केलशी, रेवडांड़, कोंडिवली, डहाणू, गणपती पुले, गणेशगुल, काशिद इत्यादि।
  • कौनसा समंदर महाराष्ट्र राज्य की सीमा से जुड़ा हुआ है? (Ocean connected with Maharashtra state)                                                                                                                      जवाब: अरबी समुद्र।
  • प्रशासन व्यवस्था के तहत महराष्ट्र में कौनसे विभाग मौजूद है? (Regional segment of Maharashtra) जवाब: विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, खानदेश, कोंकण।
  • महाराष्ट्र राज्य से जुड़े कौनसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी है? (Freedom fighters from Maharashtra) जवाब :- स्वतंत्रतावीर विनायक दामोदर सावरकर, लोकमान्य तिलक, विनोबा भावे, अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, चाफेकर बंधू, शिवराम हरी राजगुरु, वासुदेव बलवंत फड़के, तात्या टोपे, रामानंद तीर्थ, बाबाराव सावरकर इत्यादि।

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बिहार राज्य इतिहास

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Bihar History in Hindi

भारत जैसे महान और पवित्र देश में कई सारे राज्य है। हर राज्य की अपनी अपनी खूबी है। हर राज्य की अपनी अलग पहचान है। हर राज्य की भौगोलिक स्थिति भी एक दुसरे से भिन्न है। उसी तरह से बिहार राज्य की भौगोलिक स्थिति भी सबसे अलग है।

बिहार राज्य इतिहास और जानकारी – Bihar History in Hindi

Bihar History Information

बिहार राज्य के बारेमें – Bihar Information in Hindi

राज्य का नाम बिहार (Bihar)
राजधानी का शहर (Capital of Bihar) पटना (Patna)
प्रमुख भाषा हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, उर्दू,मगही, अंगिका।
क्षेत्रफल की दृष्टी से राज्य का देश में स्थान १२ वा (12th)
जनसंख्या के अनुसार राज्य का देश में स्थान तीसरा (3rd)
राज्य निर्मिती का साल २६ जनवरी १९५०
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या ३८
राज्य के अंतर्गत कुल तालुका (तहसील) ५३३
कुल ग्रामीण विभाग ४५,१०३
राज्य का प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Bihar) कचनार (वनस्पती विज्ञानं अनुसार नाम : बहुहिनिया वेरिएगाटा)
प्रमुख फल (State Fruit of Bihar) आम
प्रमुख पेड़(वृक्ष) (State Tree of Bihar) पीपल वृक्ष
प्रमुख पक्षी (State Bird of Bihar) सामान्य चिड़ियाँ
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Bihar) गौर (भारतीय नस्ल का सांड)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Bihar) क्रिकेट
वित्तीय और राज्यनिहाय राज्य की कोड संख्या (State Code of Bihar) १० (10th)
क्षेत्रफल में राज्य का सबसे बड़ा जिला (Largest District in Bihar) पटना
बिहार के आँसू/ शोक के नामसे प्रचलित नदी कोसी नदी (Kosi River)

बिहार राज्य की जानकारी – Bihar ki Jankari

बिहार राज्य प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुन्दर है। केवल प्राकृतिक दृष्टि से ही नहीं बल्की अध्यात्मिक रूप से भी बिहार को काफी अहम स्थान भी है। प्रभु श्री राम की पत्नी माता सीता का जन्म भी बिहार में ही हुआ था। सीता माता इस बिहार राज्य की राजकुमारी थी। बिहार राज्य इतिहास काफी समृद्ध हैं।

बिहार के राज्य को सभी लोग मगध के नाम से जानते थे। मगध की जो राजधानी थी उसे पाटलिपुत्र कहा जाता था। भगवान महावीर की जन्म भूमि और कर्मभूमि भी बिहार ही हैं। करीब ईसापूर्व 7 वी और 8 वी शताब्दी में बिहार में मगध और लिच्छवी शासक ने राज्य किया था।

सत्ता, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में हजारों सालों तक बिहार एक महत्वपूर्ण स्थान बना रहा। विशेष रूप से गुप्त के शासनकाल में बिहार राज्य हर बात में एक समृद्ध राज्य बन चूका था सुवर्ण युग का आनंद ले रहा था।

Famous Personalities of Bihar

Famous Personalities of Bihar
Famous Personalities of Bihar

विज्ञान, गणित, धर्म, खगोल विज्ञान और भारतीय दर्शन के क्षेत्र में बिहार राज्य ने काफी सफ़लता हासिल की थी। उस समय बिहार राज्य में चारो तरफ़ समृद्धि थी और हर जगह पर शांति प्रस्थापित थी। इसी वजह से इतिहासकार बिहार के इस काल को बहुत ही समृद्ध और सफल समय मानते है।

इतिहास के कुछ मिले सबूतों के आधार कहा जाता है की एक बार मुहम्मद बिन बख्तर खिलजी ने बिहार पर हमला कर दिया था और कई सारे बुद्ध धर्म के लोगो की बड़े पैमाने पर हत्या कर दी थी। उसी हमले के दौरान नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध विद्यापीठ नष्ट कर दिए गए थे।

उसके बाद बिहार में शेर शाह सूरी का शासन था और उसने इस प्रदेश में कई सारे प्रदेश का पुनर्निर्माण करवाया था। वो ऐसा राजा था जिसने देश का सबसे लम्बा रास्ता बनवाया था। उसने जो आर्थिक सुधारना की थी उसके वजह से बिहार राज्य एक बार फिर समृद्ध हुआ था।

अकबर ने भी उसी तरह से बिहार का विकास किया था। इन सभी बातो का उल्लेख वेद, पुराण और महाकाव्य में भी है। प्रसिद्ध हिंदी महाकाव्य रामायण के लेखक ऋषि वाल्मीकि भी बिहार राज्य में रहते थे। यह राज्य वही स्थान है जहापर जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर, बौद्ध धर्मं के संस्थापक भगवान बुद्ध और सिख धर्म के संस्थापक गुरु गोविन्द सिंह को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

बिहार की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुन्दरता और पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण बिहार की जमीन को एक विशेष महत्व मिल चूका है जिसके लिए बिहार के लोगो को बिहार पर काफी गर्व है। कला, साहित्य, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में बिहार को कोई तोड़ नहीं।

बिहार की जमीन से जुडी बहुत पुराणी कहानिया आजभी सुनायी जाती है। यह एक ऐसा राज्य है जहा से एक समय में पुरे देश को चलाया जाता था और आजूबाजू के देशो पर भी राज्य किया जाता था। कई सारे महान शासक इसी बिहार की पवित्र जमीन पर बड़े हुए थे। बिहार से जुडी बहुत सारी कहानिया है जिन्हें बताने के लिए शब्द भी कम पड़ जाते है।

बिहार राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – University of Bihar

  1.  नालंदा मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी
  2.  मगध यूनिवर्सिटी, बोध गया
  3. पूर्णिया यूनिवर्सिटी
  4. ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी
  5. वीर कुँवर सिंह यूनिवर्सिटी, आराह
  6. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, पटना
  7. आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, पटना
  8. तिलका मांझी भागपलूर यूनिवर्सिटी
  9. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर यूनिवर्सिटी
  10. जय प्रकाश यूनिवर्सिटी छपरा

बिहार के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल – Tourism of Bihar

१. महाबोधि मंदिर, गया (Mahabodhi Temple, Gaya)

इस मंदिर का संबंध भगवान बुध्द के जीवन से काफी करीब का है, मान्यता है के आज से लगभग २५०० साल पहले बुध्द भगवान ने इस जगह पर स्थित पीपल वृक्ष के निचे लगभग ४९ दिन तक कठीण तपश्चर्या को पूरा किया था जिसमे उन्हें वैशाख पूर्णिमा के दिन परम सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था।

इसलिए तबसे लेकर आज तक हर साल इस जगह पर वैशाख माह की पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ इकठ्ठा होती है, जो नतमस्तक होकर बुध्द भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने आते है और उनके पावन सानिध्य की अनुभूति लेते है। महाबोधि मंदिर पवित्र धार्मिक स्थल के साथ एक पर्यटन स्थल भी यहाँ जहा सालभर देश और दुनिया से पर्यटक आते रहते है।

मंदिर की निर्मिती अत्यंत सुंदर तरीके से की गई है, जिसमे मंदिर के गर्भस्थल में बुध्द भगवान की अत्यंत मनोहारी पद्मासन की मुद्रा में मूर्ती स्थापित की गई है।

२. नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University)

भारत के प्राचीन इतिहास में जितना मगध, पाटलिपुत्र इत्यादि स्थानों को काफी महत्व प्राप्त है, उतने ही प्राचीन और जगप्रसिध्द स्थल में नालंदा विश्वविद्यालय का नाम शामिल है। यह प्राचीन भारत की वो विरासत है जिसका उल्लेख भारत के पौराणिक धार्मिक ग्रंथो के साथ देश दुनिया के इतिहास में भी दर्ज है, तत्कालीन समय में शायद ही नालंदा जितना बड़ा कोई विश्वविद्यालय मौजूद होगा।

लगभग सभी मौजूद विषयो की शिक्षा इस विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को दी जाती थी, जिसमे उल्लेख है के एक समय में बुद्ध भगवान भी इस विश्वविद्यालय के छात्र थे। लाल पत्थर से बनी अत्यंत सुंदर दीवारों के साथ इस विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण किया हुआ है, जिसकी मरम्मत सम्राट अशोक ने करवाई थी।

विशाल पुस्तकालय के साथ भव्य परिसर में फैला हुआ यह प्राचीन विश्वविद्यालय देश विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

Tourist Places in Bihar

Tourist Places in Bihar
Tourist Places in Bihar

३. शेरशाह सूरी का मकबरा, सासाराम (Tomb of Shershah Suri)

इतिहास के प्रभावी शासक शेरशाह सूरी को भारतीय इतिहास में खासा पहचाना जाता है तो उनके द्वारा मुगल शासक हुमायु को पराजित करने के वजह से, कुशल सैन्य संघटन के साथ प्रभावी राज्यकर्ता के रूप में भी शेर शाह सूरी को काफी प्रसिध्दि हासिल हुई थी।

सुर वंश के महान शासक शेर शाह सूरी का जन्म बिहार के सासाराम में ही हुआ था जिन्होंने कई ताकतवर साम्राज्यों को परास्त कर दिल्ली पर सुर वंश का परचम लहराया था, और कई वर्षो तक शासन भी किया।

शेरशाह सूरी के खौफ से हुमायु को कई साल अज्ञातवास में गुजारने पड़े थे, ऐसे शक्तिशाली शासक के स्मरण हेतु सासाराम में उनका मकबरा स्थापित किया गया है जिसे देश विदेश से इतिहास प्रेमी, पर्यटक देखने के लिए आते है जो के बिहार में पर्यटन के दृष्टी से महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है।

४. राजगृह/राजगीर – Rajgir/Rajgrih

महाभारत काल से इस स्थान का काफी महत्व है जिसमे महाभारत में वर्णित राजा जरासंध के मगध शासन की यह प्राचीन राजधानी थी, इसके अलावा भगवान महावीर और गौतम बुध्द ने जीवन का प्रथम उपदेश अपने अनुयायियों को इसी स्थल पर दिया था। बात करे पर्यटन की तो इस स्थान पर मौजूद बुध्द धर्मियो का विश्व शांति स्तूप, जरासंध अखाडा, बिंबिसार कारागृह, सप्तपर्णी गुफा,पिपला गुफा आदि स्थान काफी प्रसिध्द है जहाँ पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।

५. नौलखा पैलेस – Navlakha Palace

प्राचीन सुंदर कलाकृति से बना यह राजमहल क्षतिग्रस्त होने के बावजूद आज भी पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है, जिसका निर्माण तत्कालीन समय के राजा रामेश्वर सिंह द्वारा किया गया था। बिहार राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूचि में नौलखा पैलेस पर्यटकों के पसंदीदा स्थल में से एक है, जो के कला कुशल के लिए प्रसिध्द जगह मधुबनी से काफी नजदीक है।

बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थल – Temple in Bihar

Temple in Bihar
Temple in Bihar
  1. महाबोधि मंदिर
  2. विश्व शांति स्तूप राजगृह
  3. पादरी की हवेली
  4. तख़्त श्री हरमिंदर जी पटना साहिब
  5. मंगला गौरी माता मंदिर
  6. पाटण देवी मंदिर
  7. नौलखा मंदिर
  8. गया पितृशांति स्थल

बिहार राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Quiz on Bihar

1.बिहार राज्य में कुल कितनी यूनिवर्सिटी है? (Total universities in Bihar state)             जवाब: लगभग ७० यूनिवर्सिटी बिहार राज्य में है जिसमे तकनिकी, चिकित्सा तथा अन्य शिक्षा धारा से संबधित शिक्षाक्रम मौजूद है।

2. बिहार राज्य के लोगो का प्रमुख खानपान क्या है? (Staple food in Bihar)                                जवाब: सत्तू पराठा, चोखा, फिश करी, पोस्टा दाना का हलवा, बिहारी कबाब, लिट्टी चोखा, बिहारी बोटी, बिहारी चिकन मसाला, राईस (भात ) इत्यादि।

3. नृत्य के प्रकारो में कौनसा बिहार राज्य का परंपरागत नृत्य है? (Folk dance of Bihar)              जवाब: जता -जतिन, समा चकवा, बखौ बखाईन, पाँवरिया, बिदेसिआ इत्यादि।

4. बिहार के लोगो की परंपरागत वेशभूषा क्या है? (Traditional costume /dress of Bihar)  जवाब: पुरुषो के परंपरागत वेशभूषा में धोती कुर्ता शामिल होता है वही महिलाए साडी पहनती है, आधुनिक जीवन शैली में एक ओर पुरुषो के पहनावे में शर्ट और ट्राउजर देखने को मिलता है वही महिलाए सलवार और कमीज पहनती है।

5. बिहार राज्य की जानकारी हमें इतिहास से जुड़े कौनसे किताबो से प्राप्त होती है? (Bihar History Book) जवाब: बिहार एंड मिथिला – द हिस्टोरिकल रूट्स ऑफ़ बैकवर्डनेस, कोलोनिअल एंड कॉन्टेम्पररी बिहार एंड झारखण्ड, रुल्ड ऑर मिसरुल्ड – स्टोरी एंड डेस्टिनी ऑफ़ बिहार, बिहार थ्रू द एजेस, सोशिओ रिलिजियस इकोनॉमिक एंड लिटररी कंडीशन ऑफ़ बिहार, द हिस्टॉरिकल जिओग्राफी एंड टोपोग्राफी ऑफ़ बिहार, बाजार इण्डिया – मार्केट सोसायटी एंड कॉलोनियल स्टेट इन बिहार इत्यादि।

6. कौनसे देश की सीमाए बिहार राज्य से जुडी हुई है? (Country border connected with Bihar state) जवाब: नेपाल

7. भारत का राज्य बिहार क्यों देश और दुनिया में प्रसिध्द है? (Why Bihar is Famous?)           जवाब: बिहार राज्य कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल मौजूद है जिसमे मगध, पाटलिपुत्र,मुंगेर आदि शामिल है इसके अलावा गया शहर हिन्दू तथा बुध्द धर्म के लोगो के आस्था का प्रमुख केंद्र है जिसमे महाबोधि मंदिर से बुध्द धर्मियो की आस्था जुडी है।वही पितृओ के शांति हेतु गया स्थल को प्राचीन काल से मान्यता प्राप्त है, इसके अलावा विश्व भर में प्रसिध्द नालंदा विश्वविद्यालय बिहार राज्य में स्थित है। बात करे शासको की तो महाभारत काल के जरासंध से लेकर बिम्बिसार,अजातशत्रु, शेर शाह सूरी, सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य, गुप्त वंश आदि बिहार राज्य अंतर्गत महाजन पद के ही शासक थे। विश्व के महान आत्माओ में शामिल गौतम बुध्द, महावीर इत्यादि बिहार राज्य से ही थे, इसके अलावा महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ चाणक्य भी बिहार राज्य से थे जिन्होंने नंद शासन को नष्ट कर चन्द्रगुप्त मौर्य को शासक बनाया था। नेपाल की सीमाओं से जुड़े होने के कारण प्राचीन काल से भारत और नेपाल के परस्पर संबंध का प्रमुख केंद्र बिहार ही रहा है, इसके साथ भारत की प्रमुख नदी गंगा बिहार से होकर आगे गुजरती है जिसके कारण धार्मिक मान्यताओं के नजरिये से भी बिहार को काफी महत्व प्राप्त हुआ है।इत्यादि कई सारे प्रमुख कारणों की वजह से बिहार राज्य देश और दुनिया में प्रसिद्ध है।

8. बिहार राज्य के प्रथम गवर्नर कौन थे? (First governor of Bihar)                              जवाब: स्वतंत्रतापूर्व काल में अंग्रेज शासन के बिहार राज्य के प्रथम गवर्नर सर जेम्स डेविड सिफ्टोन थे, वही स्वतंत्र भारत के बिहार राज्य के प्रथम गवर्नर जयरामदास दौलतराम थे।

9. भारतीय हिंदी फ़िल्मी जगत से जुड़े कौनसे कलाकार बिहार राज्य से संबंधित है? (Film Artists from Bihar) जवाब: शत्रुघ्न सिन्हा, सोनाक्षी सिन्हा, इम्तियाज अली, शेखर सुमन, सुशांत सिंह राजपूत,मनोज वाजपेयी,अभिमन्यु सिंह, पंकज त्रिपाठी, अखिलेंद्र मिश्रा, संजय मिश्रा, नीरज पांडे, प्रकाश झा इत्यादि।

10. प्रसिध्द व्यक्तित्व दशरथ माँझी जिन्होंने पहाड़ तोड़कर खुदके बलबूते रास्ते का निर्माण किया था वो भारत के कौनसे राज्य से संबंधित है? (‘Mountain man’ Dashrath manjhi belongs from which state?) जवाब: बिहार।

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हिमाचल प्रदेश का इतिहास और जानकारी

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राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)
राजधानी का शहर (Capital of Himachal Pradesh)
  • शिमला (गर्मी के मौसम में राजधानी का शहर),
  • धरमशाला (ठंडी के मौसम में राजधानी का शहर)
क्षेत्रफल के अनुसार राज्य का देश में स्थान १७ वा(17th)
राज्य की प्रमुख भाषा
  • हिंदी,
  • संस्कृत,
  • महसु पहाड़ी,
  • मण्डेली,
  • कांगड़ी इत्यादि।
जनसँख्या के अनुसार राज्य का देश में स्थान २१ वा(21th)
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District of Himachal Pradesh) १२
कुल तालुका (तहसील) (Himachal Pradesh total taluka) ७५
कुल ग्रामीण विभाग (Village in Himachal Pradesh) २०,६९०
क्षेत्रफल में राज्य का सबसे बड़ा जिला (Largest District in Himachal Pradesh) लाहौल और स्पीती।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Himachal Pradesh) हिम तेंदुआ।
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Himachal Pradesh) पश्चिमी ट्रोपोपन।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Himachal Pradesh) गुलाबी बुरांश (रोडोडेंड्रोन कैम्पैनुलैटम)
प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Himachal Pradesh) देवदार वृक्ष।
प्रमुख फल (State Fruit of Himachal Pradesh) सेब (Apple)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Himachal Pradesh) वॉलीबॉल।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय राज्य की कोड संख्या (State Code of Himachal Pradesh) २ (Two)
राज्य की परंपरागत वेशभूषा (Dress of Himachal Pradesh)
  • धोती,
  • कुर्ता,
  • कोट,
  • वेस्टकोट,
  • तुर्बान (पगड़ी),
  • हाथ का तौलिया,
  • चूड़ीदार पायजामा,
  • लंबाई वाला कोट,
  • रेष्टा (औरतो का पोशाख)
राज्य का परंपरागत नृत्य (Dance of Himachal Pradesh)
  • दांगी,
  • छनक छम,
  • नाती,
  • छाम नृत्य,
  • डँड्रस इत्यादि।

 

हिमाचल प्रदेश का इतिहास – Himachal Pradesh ka Itihas

हिमाचल प्रदेश का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता के समय का है। कोइली, हाली, दागी, धौग्री, दसा, खासा, किन्नर और किरात जैसे समुदाय के लोग इस क्षेत्र में रह रहे थे। वैदिक काल में जनपद के नाम से जाने जाना वाला छोटा सा गणराज्य यहाँ बसा हुआ था, जिसपर बाद में गुप्त साम्राज्य ने कब्ज़ा कर लिया।

लंबे समय तक राजा हरिशचंद्र के प्रभुत्व के बाद सरदारों और राजपूतो की अगुवाई में इस क्षेत्र को छोटे-छोटे भागो में विभाजित किया गया। इस साम्राज्य को बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता मिली और कई बार दिल्ली सल्तनत ने इस साम्राज्य पर आक्रमण भी किया।

10 वी शताब्दी के शुरू में ही महमूद घजनवी ने काँगड़ा पर कब्ज़ा कर लिया। तिमुर और सिकंदर लोदी भी राज्य के निचले पहाड़ी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर रहे थे और बहुत से युद्ध कर उन्होंने कयी किलो पर कब्ज़ा कर लिया था। आज़ादी के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्य आयुक्त के प्रान्तों की भी घोषणा की गयी।

15 अप्रैल 1948 को 28 छोटे प्रांतीय राज्यों के एकीकरण के चलते इन्हें पश्चिमी हिमालय के राज्यों में शामिल कर लिया गया। जिन्हें शिमला पहाड़ी राज्य और चार पंजाब दक्षिणी पहाड़ी राज्य के नाम से जाना जाने लगा। 1948 में अंडर सेक्शन 3 और 4 के तहत इन राज्यों का एकीकरण किया गया था।

1 अप्रैल 1954 को हिमाचल प्रदेश और बिलासपुर (नया राज्य) एक्ट, 1954 के तहत बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश में ही शामिल कर लिया गया। 26 जनवरी 1951 को भारतीय संविधान के लागु होते और लेफ्टिनेंट गवर्नर के नियुक्त होते ही हिमाचल प्रदेश पार्ट C राज्य बन गया। 1952 में विधानसभा चुनाव का आयोजन किया गया था। इसके बाद 1 नवम्बर 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बन चूका था।

1 नवम्बर 1966 को पंजाब पुनर्निर्माण एक्ट, 1966 के तहत पंजाब राज्य के कुछ भाग जैसे शिमला, काँगड़ा, कुलु और स्पीती जिले, अम्बाला जिले की नालागढ़ तहसील, लोहरा अम्ब और उनकानुंगो सर्किल, संतोखागार्ज कनुंगो सर्किल और होशियारपुर जिले के कुछ भाग, धार कालन कनुंगो सर्किल के गुरदासपुर जिले की पठानकोट तहसील को हिमाचल प्रदेश में मिला लिया गया।

18 दिसम्बर 1970 को संसद ने हिमाचल प्रदेश एक्ट जारी कर दिया और 25 जनवरी 1971 को इस नये राज्य की अधिकारिक रूप से शुरुवात हुई। डॉ. यशवंत सिंह परमार के पहले मुख्यमंत्री बनते ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18 वा राज्य बन चूका था। शिमला हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी हैं।

हिमाचल प्रदेश की भाषा – Himachal Pradesh Language

हिमाचल प्रदेश के लोग बहुभाषी है और बहुत सी भाषाओ में बातचीत करते है। हिमाचल प्रदेश की अधिकारिक राज्य भाषा हिंदी है। हिमाचल प्रदेश दूसरी सबसे प्रसिद्ध भाषा पहरी है। इसके अलावा राज्य में पंजाबी, डोंगरी, कांगरी और किन्नौरी भाषा का भी प्रयोग किया जाता है।

हिमाचल प्रदेश के जिले – Districts of Himachal Pradesh.

  1. चम्बा
  2. हमीरपुर
  3. उना
  4. बिलासपुर
  5. काँगड़ा
  6. कुन्नूर
  7. कुल्लू
  8. लाहौल और स्पीती
  9. सिरमौर
  10. शिमला
  11. मंडी
  12. सोलन

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र – Himachal Pradesh Tourist Places

राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिमालय के परिदृश्य के साथ वाला यह पहाड़ी राज्य दुनियाभर के लाखो पर्यटकों को आकर्षित करता है। शिमला, मनाली, डलहौजी, चंबा, धर्मशाला और कुल्लू जैसे हिल स्टेशन घरेलु और विदेशी पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।

हिन्दू मान्यताओ के आधार पर इसे देवताओ की भूमि भी कहा जाता है, माना जाता है की भगवान शिव हिमालय को ही अपना घर मानते थे और राज्य का ज्यादातर भाग हिमालय से ही घिरा हुआ है। आधुनिक साहित्य में उत्तराखंड को भी देवताओ की भूमि कहा गया है। पंजाब राज्य से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने वाले पर्यटकों को रास्ते में “देवताओ की भूमि पर आपका स्वागत है” नामक बोर्ड भी दिखाई पड़ता है।

Tourism of Himachal Pradesh

Tourism of Himachal Pradesh
Tourism of Himachal Pradesh

साथ ही राज्य में बहुत से तीर्थस्थल जैसे नैना देवी मंदिर, भीमकाली मंदिर, वज्रेश्वरी देवी मंदिर, ज्वालाजी मंदिर, चिंतपूर्णी,  बैजनाथ मंदिर, बिजली महादेव, मनु मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, रेणुका झील और जाकू मंदिर है। प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में इसका उल्लेख होने की वजह से राज्य को “देवभूमि” के नाम से भी जाना जाता है।

राज्य साहसिक पर्यटन गतिविधियों जैसे शिमला में आइस स्केटिंग, कुल्लू में राफ्टिंग, बिर्बिलिंग और सोलांग घाटी में पैराग्लाइडिंग, मनाली में स्कीइंग, बिलासपुर में बोटिंग और राज्य के विविध भागो में ट्रेकिंग और घुड़सवारी के लिए भी प्रसिद्ध है। लाहौल में स्पीती घाटी 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और साहसिक पर्यटकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। क्षेत्र में एशिया के प्राचीनतम बौद्ध मठ भी है।

फिल्म शूटिंग के लिए भी हिमाचल प्रदेश जाना जाता है। रोजा, हिना, जब वी मेट, वीर-जारा, यह जवानी है दीवानी और हाईवे जैसी फिल्मो की शूटिंग हिमाचल प्रदेश में हुई है। 24 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2015 तक हिमाचल प्रदेश ने भारत में पहले पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी। हिमाचल में बीर बिलिंग हवाई खेलो का केंद्र है और पैराग्लाइडिंग करने की बेहतरीन जगहों में से एक है।

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति – Himachal Pradesh Culture

हिमाचल प्रदेश बहुधर्मी, बहुभाषी और साथ ही बहुसांस्कृतिक राज्य है। हिमाचल प्रदेश में आदिवासी लोग भी रहते है। हिमाचल मुख्यतः हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। कारपेट, लेदर वर्क, शॉल, काँगड़ा पेंटिंग, चाम्बरुमल, धातु की वस्तुए, लकड़ी की कारीगरी और चित्रकला यहाँ की हस्तशिल्प के मुख्य उदाहरण है।

हिमाचल प्रदेश की पश्मीना शॉल की मांग केवल हिमाचल प्रदेश में ही नही बल्कि देशभर में रहती है। हिमाचली टोपियाँ मुख्यतः कारीगरी के लिए जानी जाती है। स्थानिक संगीत और नृत्य राज्य की सांस्कृतिक पहचान के रूप में जाने जाते है।

नृत्य और संगीत के माध्यम से स्थानिक महोत्सव और विशेष पर्वो पर वे भगवान से विनती करते है। मेलो और महोत्सवो के अलावा यहाँ बहुत से दुसरे उत्सव भी बड़ी-धूम धाम से मनाये जाते है। क्षेत्र में विविध जगहों पर मेलो का आयोजन किया जाता है।

हिमाचल प्रदेश का धर्म – Himachal Pradesh Religion

हिमाचल प्रदेश का मुख्य धर्म हिन्दू ही है। कुल जनसँख्या के 95% से भी ज्यादा लोग हिन्दू धर्म को मानते है। भारत में दुसरे राज्य और संघीय प्रान्तों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में हिन्दुओ का अनुपात सर्वाधिक है। हिमाचल प्रदेश में रहने वाले दुसरे धर्म के लोगो में मुख्यतः इस्लाम, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोग शामिल है। मुस्लिम मुख्यतः उना, चंबा, सिरमौर और सोलन जिले में पाए जाते है।

Himachal Pradesh Religion

Himachal Pradesh Religion
Himachal Pradesh Religion

हिमाचल प्रदेश का भोजन भी ज्यादातर उत्तरी भारतीयों की ही तरह है। उनके पास भी मसूर, शोरबा, चावल, सब्जियाँ और ब्रेड है। उत्तर भारत के दुसरे राज्य की तुलना में यहाँ भी मासाहारी भोजन को प्राधान्य दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश के विशेष खाद्य पदार्थो में म्हणी, पटीर, मधरा, भग्जेरी, चौचक, और तिल की चटनी शामिल है।

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शिक्षा संस्थान / यूनिवर्सिटी – University of Himachal Pradesh

  1. अभिलाषी यूनिवर्सिटी
  2. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
  3. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी
  4. हिमाचल प्रदेश तकनिकी यूनिवर्सिटी, हमीरपुर
  5. श्री साई यूनिवर्सिटी पालमपुर
  6. शूलिनी यूनिवर्सिटी, सोलन
  7. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हिमाचल प्रदेश, धरमशाला
  8. बहरा यूनिवर्सिटी
  9. अरनी यूनिवर्सिटी, काँगड़ा
  10. मानव भारती यूनिवर्सिटी, सोलन

हिमाचल प्रदेश राज्य की जानेमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Himachal Pradesh

Famous Personalities of Himachal Pradesh
Famous Personalities of Himachal Pradesh

  1. प्रीती झिंटा (Preity Zinta):

हिंदी सिनेजगत ‘बॉलीवुड’ की ये जानी मानी अभिनेत्री है, जिन्होंने ढेर सारे दर्जेदार फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शको के दिलो पर छाप बनाई है। प्रीटी झिंटा मूलतः हिमाचल प्रदेश से ही आती है, वही उनके फ़िल्मी करियर का ज्यादातर समय मुंबई के अलावा अन्य शहरो और विदेशो में गुजरा।

बॉलीवुड में डिम्पल गर्ल के नामसे मशहूर अभिनेत्री प्रीटी झिंटा आजकल इंडियन प्रीमियर लीग के क्रिकेट प्रतियोगिता में किंग्ज इलेवन पंजाब टीम की मालकिन है।

2. कंगना रनौत (Kangana Ranaut):

हिंदी सिनेजगत बॉलीवुड की सुप्रसिध्द अभिनित्रियो में कंगना रनौत का नाम खासा मशहूर है, जो के रानी लक्ष्मीबाई के जीवन चरित्र पर आधारित फिल्म मणिकर्णिका से काफी चर्चा में आयी थी।

कंगना रनौत भी हिमाचल प्रदेश से आती है, जिन्होंने एक से बढ़कर एक कई सारे हिंदी फिल्मो में अपने अभिनय से देश और दुनिया के दर्शको के दिल में जगह बनाई है।

3. मोहित चौहान (Mohit Chauhan): 

प्रसिध्द पार्श्वगायक मोहित चौहान का जन्म भी हिमाचल प्रदेश में हुआ जहा इन्होंने शुरुवाती संगीत से जुड़ा अभ्यास पूरा किया, और आगे इन्होने बॉलीवुड के कई प्रसिध्द गानो में अपने मधुर आवाज से श्रोताओ को भावविभोर कर दिया।

साल २००२ से लेकर आजतक इनके सुरीले और मधुर आवाज में गाये गीतों को सभी लोग सुनते आ रहे है, तथा भविष्य में संगीत सफर के लिए इन्हे बहुत बहुत शुभकामनाए।

4. सुषमा वर्मा (Sushama Verma):

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य सुषमा वर्मा भी मूलतः हिमाचल प्रदेश से है, जो के क्रिकेट के खेल में विकेट किपर और बल्लेबाज के रूप में अपने प्रदर्शन से खासी पहचानी जाती है। कई आंतरराष्ट्रिय मुकाबलों में इन्होने भारत के तरफसे उमदा प्रदर्शन किया है तथा विकेट के पिछे उत्कृष्ट कैच को पकड़ा है, महिलाओ के लिए क्रिकेट खेल कुछ सालो पहले तक इतना पसंदीदा खेल नहीं हुआ करता था उसमे हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य से सुषमा वर्मा जैसे खिलाड़ियों का सामने आना सचमे गर्व की बात है।

5. अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur):

केंद्रीय मंत्रिमंडल के राज्यमंत्री स्तर के सदस्य तथा लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों में से एक अनुराग ठाकुर मूलतः हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले से संबंधित जानी मानी शख्सियत है। हाल फ़िलहाल ये राज्यमंत्री के तौर पर राज्यों से जुड़े वित्तीय मामले और कॉर्पोरेट से जुड़े मामलो के पदभार को संभाल रहे है।

इन्होने १६ वी लोकसभा के कार्यकाल में संसद रत्न अवार्ड को प्राप्त किया हुआ है, साथमे साल २०१६ में भारतीय क्रिकेट नियामक बोर्ड के अध्यक्ष के पदभार को भी ये संभाल चुके है। इसके अलावा भारतीय सेना की तरफ से दिया जानेवाला लेफ्टनंट मानद पद भी इनको दिया गया है तबसे इनको कैप्टन अनुराग ठाकुर के नामसे जाना जाता है।

हिमाचल प्रदेश की कुछ रोचक बाते – Interesting facts about Himachal Pradesh

  • गठन की तिथि – 25, जनवरी 1971
  • क्षेत्र – 55,673 वर्ग किलोमीटर
  • घनत्व – 123 वर्ग किलोमीटर
  • जनसँख्या (2011) – 68,64,602
  • जिलो की संख्या – 12
  • राजधानी – शिमला
  • नदियाँ – रवि, चेनाब, सतलज, बईस, यमुना
  • जंगल और राष्ट्रिय पार्क – ग्रेटर हिमालय, रेणुका, पिन वैली नेशनल पार्क, चिल, कलाटोपे खज्जियार, सिम्बलबरा
  • भाषाएँ – हिंदी, अंग्रेजी, किन्नौरी, पहरी, पंजाबी, कांगरी और डोगरी
  • पडोसी राज्य – जम्मू और कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा.

हिमाचल प्रदेश राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Himachal Pradesh Quiz

  1. हिमाचल प्रदेश राज्य की ऐतिहासिक जानकारी हमे किन प्रमुख किताबो से उपलब्ध होती है? (Himachal Pradesh History Book)                                                                                जवाब: स्टेटस ऑफ़ इण्डिया – हिमाचल प्रदेश, द पैराडाइस हिमाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश कल्चरल सर्वे ऑफ़ रूरल हिमाचल, हिमाचल प्रदेश – हिस्ट्री,कल्चर एंड इकोनॉमी, क्नो यूअर स्टेट- हिमाचल प्रदेश, डिस्कवर इण्डिया – ऑफ टू हिमाचल प्रदेश।

2. हिमाचल प्रदेश के लोगो के खानपान में कौनसे प्रमुख व्यंजन शामिल होते है? (Staple food of Himachal Pradesh)                                                                                                            जवाब: प्रमुखता से गेहू, मका, चावल से बने व्यंजन शामिल होते है इसके अलावा भटूरा, गुलगुले, माह दाल के पकौड़े, कचनार, लसियरे के सब्जी, खट्टी भुजी इत्यादि।

3. कुल कितनी यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Total universities in Himachal Pradesh)                                                                                                              जवाब: २०।

4. कौनसी प्रमुख पर्वतश्रेणियाँ हिमाचल प्रदेश राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Mountains range in Himachal Pradesh)                                                                                                              जवाब: धौलधार, झांस्कर, पीर पंजाल,पश्चिमी हिमालयीन पर्वत श्रेणियाँ इत्यादि।

5. हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत भारत की कौनसी प्रमुख नदिया बहती है? (Rivers in Himachal Pradesh) जवाब: रावी, बियास,सतलज, टोंस, चिनाब, यमुना, पारबती, पेब्बर, बेस्पा, भागा , चक्की, शलवी, स्पीती, मार्कण्ड इत्यादि।

6. कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत मौजूद है? (Wildlife Sanctuaries in Himachal Pradesh)                                                                                                    जवाब: बांदी, धौलधार, खोखन, किब्बर, लिप्पा असरंग, नैना देवी, रूपी भाबा, सेचु तुआन इत्यादि।

7. हिमाचल प्रदेश राज्य में कौनसे प्रमुख त्यौहार मनाये जाते है?(Main Festivals of Himachal Pradesh) जवाब: कुल्लू दशेहरा, लोसार, हल्दा, साज़ो, डूंगरी यात्रा इत्यादि।

8. कौनसा समय हिमाचल प्रदेश राज्य की पर्यटन यात्रा हेतु उत्तम होता है ? (Best time to visit Himachal Pradesh)                                                                                                                जवाब: मार्च से लेकर जून तक, दिसंबर से लेकर फरवरी तक, जुलाई से लेकर सितंबर तक।

9. हिमाचल प्रदेश के कौनसे प्रमुख स्थान पर्यटन की दृष्टी से देश और दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्रस्थान बन चुके है? (Famous Tourist destination in Himachal Pradesh)                                          जवाब: शिमला, कुल्लू, मनाली, डलहौजी, चम्बा,धरमशाला इत्यादि।

10. हिमाचल प्रदेश में कौनसे पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद है? (Holy religious places in Himachal Pradesh)                                                                                                                     जवाब: नैना देवी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, चिंतपूर्णी,ज्वालाजी मंदिर, बैजनाथ मंदिर, जाकू मंदिर, वज्रेश्वरी, भीमकाली देवी मंदिर इत्यादि।

Himachal Pradesh History in Hindi

Himachal Pradesh – हिमाचल प्रदेश उत्तरी राज्य है, जो किसी स्वर्ग से कम नही। प्रदेश में सर्वोच्च शिखर तो नही लेकिन पर्वतारोहण के लिए यहाँ बहुत सी जगहे है। इस राज्य के नाम का अर्थ “बर्फ के निवास” से है।

हिमाचल प्रदेश का इतिहास और जानकारी – Himachal Pradesh History in Hindi

Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश के बारेमें – Himachal Pradesh Information in Hindi

राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)
राजधानी का शहर (Capital of Himachal Pradesh)
  • शिमला (गर्मी के मौसम में राजधानी का शहर),
  • धरमशाला (ठंडी के मौसम में राजधानी का शहर)
क्षेत्रफल के अनुसार राज्य का देश में स्थान १७ वा(17th)
राज्य की प्रमुख भाषा
  • हिंदी,
  • संस्कृत,
  • महसु पहाड़ी,
  • मण्डेली,
  • कांगड़ी इत्यादि।
जनसँख्या के अनुसार राज्य का देश में स्थान २१ वा(21th)
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District of Himachal Pradesh) १२
कुल तालुका (तहसील) (Himachal Pradesh total taluka) ७५
कुल ग्रामीण विभाग (Village in Himachal Pradesh) २०,६९०
क्षेत्रफल में राज्य का सबसे बड़ा जिला (Largest District in Himachal Pradesh) लाहौल और स्पीती।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Himachal Pradesh) हिम तेंदुआ।
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Himachal Pradesh) पश्चिमी ट्रोपोपन।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Himachal Pradesh) गुलाबी बुरांश (रोडोडेंड्रोन कैम्पैनुलैटम)
प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Himachal Pradesh) देवदार वृक्ष।
प्रमुख फल (State Fruit of Himachal Pradesh) सेब (Apple)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Himachal Pradesh) वॉलीबॉल।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय राज्य की कोड संख्या (State Code of Himachal Pradesh) २ (Two)
राज्य की परंपरागत वेशभूषा (Dress of Himachal Pradesh)
  • धोती,
  • कुर्ता,
  • कोट,
  • वेस्टकोट,
  • तुर्बान (पगड़ी),
  • हाथ का तौलिया,
  • चूड़ीदार पायजामा,
  • लंबाई वाला कोट,
  • रेष्टा (औरतो का पोशाख)
राज्य का परंपरागत नृत्य (Dance of Himachal Pradesh)
  • दांगी,
  • छनक छम,
  • नाती,
  • छाम नृत्य,
  • डँड्रस इत्यादि।

 

हिमाचल प्रदेश का इतिहास – Himachal Pradesh ka Itihas

हिमाचल प्रदेश का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता के समय का है। कोइली, हाली, दागी, धौग्री, दसा, खासा, किन्नर और किरात जैसे समुदाय के लोग इस क्षेत्र में रह रहे थे। वैदिक काल में जनपद के नाम से जाने जाना वाला छोटा सा गणराज्य यहाँ बसा हुआ था, जिसपर बाद में गुप्त साम्राज्य ने कब्ज़ा कर लिया।

लंबे समय तक राजा हरिशचंद्र के प्रभुत्व के बाद सरदारों और राजपूतो की अगुवाई में इस क्षेत्र को छोटे-छोटे भागो में विभाजित किया गया। इस साम्राज्य को बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता मिली और कई बार दिल्ली सल्तनत ने इस साम्राज्य पर आक्रमण भी किया।

10 वी शताब्दी के शुरू में ही महमूद घजनवी ने काँगड़ा पर कब्ज़ा कर लिया। तिमुर और सिकंदर लोदी भी राज्य के निचले पहाड़ी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर रहे थे और बहुत से युद्ध कर उन्होंने कयी किलो पर कब्ज़ा कर लिया था। आज़ादी के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्य आयुक्त के प्रान्तों की भी घोषणा की गयी।

15 अप्रैल 1948 को 28 छोटे प्रांतीय राज्यों के एकीकरण के चलते इन्हें पश्चिमी हिमालय के राज्यों में शामिल कर लिया गया। जिन्हें शिमला पहाड़ी राज्य और चार पंजाब दक्षिणी पहाड़ी राज्य के नाम से जाना जाने लगा। 1948 में अंडर सेक्शन 3 और 4 के तहत इन राज्यों का एकीकरण किया गया था।

1 अप्रैल 1954 को हिमाचल प्रदेश और बिलासपुर (नया राज्य) एक्ट, 1954 के तहत बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश में ही शामिल कर लिया गया। 26 जनवरी 1951 को भारतीय संविधान के लागु होते और लेफ्टिनेंट गवर्नर के नियुक्त होते ही हिमाचल प्रदेश पार्ट C राज्य बन गया। 1952 में विधानसभा चुनाव का आयोजन किया गया था। इसके बाद 1 नवम्बर 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बन चूका था।

1 नवम्बर 1966 को पंजाब पुनर्निर्माण एक्ट, 1966 के तहत पंजाब राज्य के कुछ भाग जैसे शिमला, काँगड़ा, कुलु और स्पीती जिले, अम्बाला जिले की नालागढ़ तहसील, लोहरा अम्ब और उनकानुंगो सर्किल, संतोखागार्ज कनुंगो सर्किल और होशियारपुर जिले के कुछ भाग, धार कालन कनुंगो सर्किल के गुरदासपुर जिले की पठानकोट तहसील को हिमाचल प्रदेश में मिला लिया गया।

18 दिसम्बर 1970 को संसद ने हिमाचल प्रदेश एक्ट जारी कर दिया और 25 जनवरी 1971 को इस नये राज्य की अधिकारिक रूप से शुरुवात हुई। डॉ. यशवंत सिंह परमार के पहले मुख्यमंत्री बनते ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18 वा राज्य बन चूका था। शिमला हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी हैं।

हिमाचल प्रदेश की भाषा – Himachal Pradesh Language

हिमाचल प्रदेश के लोग बहुभाषी है और बहुत सी भाषाओ में बातचीत करते है। हिमाचल प्रदेश की अधिकारिक राज्य भाषा हिंदी है। हिमाचल प्रदेश दूसरी सबसे प्रसिद्ध भाषा पहरी है। इसके अलावा राज्य में पंजाबी, डोंगरी, कांगरी और किन्नौरी भाषा का भी प्रयोग किया जाता है।

हिमाचल प्रदेश के जिले – Districts of Himachal Pradesh.

  1. चम्बा
  2. हमीरपुर
  3. उना
  4. बिलासपुर
  5. काँगड़ा
  6. कुन्नूर
  7. कुल्लू
  8. लाहौल और स्पीती
  9. सिरमौर
  10. शिमला
  11. मंडी
  12. सोलन

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र – Himachal Pradesh Tourist Places

राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिमालय के परिदृश्य के साथ वाला यह पहाड़ी राज्य दुनियाभर के लाखो पर्यटकों को आकर्षित करता है। शिमला, मनाली, डलहौजी, चंबा, धर्मशाला और कुल्लू जैसे हिल स्टेशन घरेलु और विदेशी पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।

हिन्दू मान्यताओ के आधार पर इसे देवताओ की भूमि भी कहा जाता है, माना जाता है की भगवान शिव हिमालय को ही अपना घर मानते थे और राज्य का ज्यादातर भाग हिमालय से ही घिरा हुआ है। आधुनिक साहित्य में उत्तराखंड को भी देवताओ की भूमि कहा गया है। पंजाब राज्य से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने वाले पर्यटकों को रास्ते में “देवताओ की भूमि पर आपका स्वागत है” नामक बोर्ड भी दिखाई पड़ता है।

Tourism of Himachal Pradesh

Tourism of Himachal Pradesh
Tourism of Himachal Pradesh

साथ ही राज्य में बहुत से तीर्थस्थल जैसे नैना देवी मंदिर, भीमकाली मंदिर, वज्रेश्वरी देवी मंदिर, ज्वालाजी मंदिर, चिंतपूर्णी,  बैजनाथ मंदिर, बिजली महादेव, मनु मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, रेणुका झील और जाकू मंदिर है। प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में इसका उल्लेख होने की वजह से राज्य को “देवभूमि” के नाम से भी जाना जाता है।

राज्य साहसिक पर्यटन गतिविधियों जैसे शिमला में आइस स्केटिंग, कुल्लू में राफ्टिंग, बिर्बिलिंग और सोलांग घाटी में पैराग्लाइडिंग, मनाली में स्कीइंग, बिलासपुर में बोटिंग और राज्य के विविध भागो में ट्रेकिंग और घुड़सवारी के लिए भी प्रसिद्ध है। लाहौल में स्पीती घाटी 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और साहसिक पर्यटकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। क्षेत्र में एशिया के प्राचीनतम बौद्ध मठ भी है।

फिल्म शूटिंग के लिए भी हिमाचल प्रदेश जाना जाता है। रोजा, हिना, जब वी मेट, वीर-जारा, यह जवानी है दीवानी और हाईवे जैसी फिल्मो की शूटिंग हिमाचल प्रदेश में हुई है। 24 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2015 तक हिमाचल प्रदेश ने भारत में पहले पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी। हिमाचल में बीर बिलिंग हवाई खेलो का केंद्र है और पैराग्लाइडिंग करने की बेहतरीन जगहों में से एक है।

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति – Himachal Pradesh Culture

हिमाचल प्रदेश बहुधर्मी, बहुभाषी और साथ ही बहुसांस्कृतिक राज्य है। हिमाचल प्रदेश में आदिवासी लोग भी रहते है। हिमाचल मुख्यतः हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। कारपेट, लेदर वर्क, शॉल, काँगड़ा पेंटिंग, चाम्बरुमल, धातु की वस्तुए, लकड़ी की कारीगरी और चित्रकला यहाँ की हस्तशिल्प के मुख्य उदाहरण है।

हिमाचल प्रदेश की पश्मीना शॉल की मांग केवल हिमाचल प्रदेश में ही नही बल्कि देशभर में रहती है। हिमाचली टोपियाँ मुख्यतः कारीगरी के लिए जानी जाती है। स्थानिक संगीत और नृत्य राज्य की सांस्कृतिक पहचान के रूप में जाने जाते है।

नृत्य और संगीत के माध्यम से स्थानिक महोत्सव और विशेष पर्वो पर वे भगवान से विनती करते है। मेलो और महोत्सवो के अलावा यहाँ बहुत से दुसरे उत्सव भी बड़ी-धूम धाम से मनाये जाते है। क्षेत्र में विविध जगहों पर मेलो का आयोजन किया जाता है।

हिमाचल प्रदेश का धर्म – Himachal Pradesh Religion

हिमाचल प्रदेश का मुख्य धर्म हिन्दू ही है। कुल जनसँख्या के 95% से भी ज्यादा लोग हिन्दू धर्म को मानते है। भारत में दुसरे राज्य और संघीय प्रान्तों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में हिन्दुओ का अनुपात सर्वाधिक है। हिमाचल प्रदेश में रहने वाले दुसरे धर्म के लोगो में मुख्यतः इस्लाम, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोग शामिल है। मुस्लिम मुख्यतः उना, चंबा, सिरमौर और सोलन जिले में पाए जाते है।

Himachal Pradesh Religion

Himachal Pradesh Religion
Himachal Pradesh Religion

हिमाचल प्रदेश का भोजन भी ज्यादातर उत्तरी भारतीयों की ही तरह है। उनके पास भी मसूर, शोरबा, चावल, सब्जियाँ और ब्रेड है। उत्तर भारत के दुसरे राज्य की तुलना में यहाँ भी मासाहारी भोजन को प्राधान्य दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश के विशेष खाद्य पदार्थो में म्हणी, पटीर, मधरा, भग्जेरी, चौचक, और तिल की चटनी शामिल है।

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शिक्षा संस्थान / यूनिवर्सिटी – University of Himachal Pradesh

  1. अभिलाषी यूनिवर्सिटी
  2. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
  3. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी
  4. हिमाचल प्रदेश तकनिकी यूनिवर्सिटी, हमीरपुर
  5. श्री साई यूनिवर्सिटी पालमपुर
  6. शूलिनी यूनिवर्सिटी, सोलन
  7. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हिमाचल प्रदेश, धरमशाला
  8. बहरा यूनिवर्सिटी
  9. अरनी यूनिवर्सिटी, काँगड़ा
  10. मानव भारती यूनिवर्सिटी, सोलन

हिमाचल प्रदेश राज्य की जानेमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Himachal Pradesh

Famous Personalities of Himachal Pradesh
Famous Personalities of Himachal Pradesh

  1. प्रीती झिंटा (Preity Zinta):

हिंदी सिनेजगत ‘बॉलीवुड’ की ये जानी मानी अभिनेत्री है, जिन्होंने ढेर सारे दर्जेदार फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शको के दिलो पर छाप बनाई है। प्रीटी झिंटा मूलतः हिमाचल प्रदेश से ही आती है, वही उनके फ़िल्मी करियर का ज्यादातर समय मुंबई के अलावा अन्य शहरो और विदेशो में गुजरा।

बॉलीवुड में डिम्पल गर्ल के नामसे मशहूर अभिनेत्री प्रीटी झिंटा आजकल इंडियन प्रीमियर लीग के क्रिकेट प्रतियोगिता में किंग्ज इलेवन पंजाब टीम की मालकिन है।

2. कंगना रनौत (Kangana Ranaut):

हिंदी सिनेजगत बॉलीवुड की सुप्रसिध्द अभिनित्रियो में कंगना रनौत का नाम खासा मशहूर है, जो के रानी लक्ष्मीबाई के जीवन चरित्र पर आधारित फिल्म मणिकर्णिका से काफी चर्चा में आयी थी।

कंगना रनौत भी हिमाचल प्रदेश से आती है, जिन्होंने एक से बढ़कर एक कई सारे हिंदी फिल्मो में अपने अभिनय से देश और दुनिया के दर्शको के दिल में जगह बनाई है।

3. मोहित चौहान (Mohit Chauhan): 

प्रसिध्द पार्श्वगायक मोहित चौहान का जन्म भी हिमाचल प्रदेश में हुआ जहा इन्होंने शुरुवाती संगीत से जुड़ा अभ्यास पूरा किया, और आगे इन्होने बॉलीवुड के कई प्रसिध्द गानो में अपने मधुर आवाज से श्रोताओ को भावविभोर कर दिया।

साल २००२ से लेकर आजतक इनके सुरीले और मधुर आवाज में गाये गीतों को सभी लोग सुनते आ रहे है, तथा भविष्य में संगीत सफर के लिए इन्हे बहुत बहुत शुभकामनाए।

4. सुषमा वर्मा (Sushama Verma):

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य सुषमा वर्मा भी मूलतः हिमाचल प्रदेश से है, जो के क्रिकेट के खेल में विकेट किपर और बल्लेबाज के रूप में अपने प्रदर्शन से खासी पहचानी जाती है। कई आंतरराष्ट्रिय मुकाबलों में इन्होने भारत के तरफसे उमदा प्रदर्शन किया है तथा विकेट के पिछे उत्कृष्ट कैच को पकड़ा है, महिलाओ के लिए क्रिकेट खेल कुछ सालो पहले तक इतना पसंदीदा खेल नहीं हुआ करता था उसमे हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य से सुषमा वर्मा जैसे खिलाड़ियों का सामने आना सचमे गर्व की बात है।

5. अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur):

केंद्रीय मंत्रिमंडल के राज्यमंत्री स्तर के सदस्य तथा लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों में से एक अनुराग ठाकुर मूलतः हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले से संबंधित जानी मानी शख्सियत है। हाल फ़िलहाल ये राज्यमंत्री के तौर पर राज्यों से जुड़े वित्तीय मामले और कॉर्पोरेट से जुड़े मामलो के पदभार को संभाल रहे है।

इन्होने १६ वी लोकसभा के कार्यकाल में संसद रत्न अवार्ड को प्राप्त किया हुआ है, साथमे साल २०१६ में भारतीय क्रिकेट नियामक बोर्ड के अध्यक्ष के पदभार को भी ये संभाल चुके है। इसके अलावा भारतीय सेना की तरफ से दिया जानेवाला लेफ्टनंट मानद पद भी इनको दिया गया है तबसे इनको कैप्टन अनुराग ठाकुर के नामसे जाना जाता है।

हिमाचल प्रदेश की कुछ रोचक बाते – Interesting facts about Himachal Pradesh

  • गठन की तिथि – 25, जनवरी 1971
  • क्षेत्र – 55,673 वर्ग किलोमीटर
  • घनत्व – 123 वर्ग किलोमीटर
  • जनसँख्या (2011) – 68,64,602
  • जिलो की संख्या – 12
  • राजधानी – शिमला
  • नदियाँ – रवि, चेनाब, सतलज, बईस, यमुना
  • जंगल और राष्ट्रिय पार्क – ग्रेटर हिमालय, रेणुका, पिन वैली नेशनल पार्क, चिल, कलाटोपे खज्जियार, सिम्बलबरा
  • भाषाएँ – हिंदी, अंग्रेजी, किन्नौरी, पहरी, पंजाबी, कांगरी और डोगरी
  • पडोसी राज्य – जम्मू और कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा.

हिमाचल प्रदेश राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Himachal Pradesh Quiz

  1. हिमाचल प्रदेश राज्य की ऐतिहासिक जानकारी हमे किन प्रमुख किताबो से उपलब्ध होती है? (Himachal Pradesh History Book)                                                                                जवाब: स्टेटस ऑफ़ इण्डिया – हिमाचल प्रदेश, द पैराडाइस हिमाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश कल्चरल सर्वे ऑफ़ रूरल हिमाचल, हिमाचल प्रदेश – हिस्ट्री,कल्चर एंड इकोनॉमी, क्नो यूअर स्टेट- हिमाचल प्रदेश, डिस्कवर इण्डिया – ऑफ टू हिमाचल प्रदेश।

2. हिमाचल प्रदेश के लोगो के खानपान में कौनसे प्रमुख व्यंजन शामिल होते है? (Staple food of Himachal Pradesh)                                                                                                            जवाब: प्रमुखता से गेहू, मका, चावल से बने व्यंजन शामिल होते है इसके अलावा भटूरा, गुलगुले, माह दाल के पकौड़े, कचनार, लसियरे के सब्जी, खट्टी भुजी इत्यादि।

3. कुल कितनी यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Total universities in Himachal Pradesh)                                                                                                              जवाब: २०।

4. कौनसी प्रमुख पर्वतश्रेणियाँ हिमाचल प्रदेश राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Mountains range in Himachal Pradesh)                                                                                                              जवाब: धौलधार, झांस्कर, पीर पंजाल,पश्चिमी हिमालयीन पर्वत श्रेणियाँ इत्यादि।

5. हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत भारत की कौनसी प्रमुख नदिया बहती है? (Rivers in Himachal Pradesh) जवाब: रावी, बियास,सतलज, टोंस, चिनाब, यमुना, पारबती, पेब्बर, बेस्पा, भागा , चक्की, शलवी, स्पीती, मार्कण्ड इत्यादि।

6. कौनसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत मौजूद है? (Wildlife Sanctuaries in Himachal Pradesh)                                                                                                    जवाब: बांदी, धौलधार, खोखन, किब्बर, लिप्पा असरंग, नैना देवी, रूपी भाबा, सेचु तुआन इत्यादि।

7. हिमाचल प्रदेश राज्य में कौनसे प्रमुख त्यौहार मनाये जाते है?(Main Festivals of Himachal Pradesh) जवाब: कुल्लू दशेहरा, लोसार, हल्दा, साज़ो, डूंगरी यात्रा इत्यादि।

8. कौनसा समय हिमाचल प्रदेश राज्य की पर्यटन यात्रा हेतु उत्तम होता है ? (Best time to visit Himachal Pradesh)                                                                                                                जवाब: मार्च से लेकर जून तक, दिसंबर से लेकर फरवरी तक, जुलाई से लेकर सितंबर तक।

9. हिमाचल प्रदेश के कौनसे प्रमुख स्थान पर्यटन की दृष्टी से देश और दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्रस्थान बन चुके है? (Famous Tourist destination in Himachal Pradesh)                                          जवाब: शिमला, कुल्लू, मनाली, डलहौजी, चम्बा,धरमशाला इत्यादि।

10. हिमाचल प्रदेश में कौनसे पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद है? (Holy religious places in Himachal Pradesh)                                                                                                                     जवाब: नैना देवी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, चिंतपूर्णी,ज्वालाजी मंदिर, बैजनाथ मंदिर, जाकू मंदिर, वज्रेश्वरी, भीमकाली देवी मंदिर इत्यादि।

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सिक्किम का इतिहास और जानकारी

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Sikkim History in Hindi

सिक्किम जैसा काफी छोटा राज्य भारत के उत्तरपूर्वी दिशा में स्थित है। इसके उत्तर और पूर्व में चीन, पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपालऔर इसके दक्षिण में पश्चिम बंगाल राज्य है। गंगटोक इस राज्य की राजधानी है। यहापर हमारे देश का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पर्वत कन्चंजुन्गा भी पाया जाता है। राज्य का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा कन्चंजुन्गा राष्ट्रीय उद्यान से घिरा हुआ है।

सिक्किम का इतिहास और जानकारी – Sikkim History in Hindi

Sikkim History Information

सिक्किम राज्य की जानकारी – Sikkim Information in Hindi

राज्य का नाम सिक्किम (Sikkim)
राजधानी का शहर (Capital of Sikkim) गंगटोक (Gangtok)
राज्य निर्मिती का साल १६ मई १९७५।
राज्य के अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Sikkim) ४।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश मे स्थान २७ वा(27th)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान २८ वा (28th)
राज्य में बोली जानेवाली प्रमुख भाषाए
  • अंग्रेजी,
  • नेपाली,
  • सिक्किमी,
  • लेपचा,
  • लिंबू,
  • मगर,
  • गुरुंग,
  • शेरपा,
  • तमंग,
  • नेवारी इत्यादि।
राज्य का प्रमुख नृत्य (Dance of Sikkim) रेचुंग्मा, मरुनी नृत्य।
प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of sikkim) रोडोडेंड्रोन।
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Sikkim) नोबल डेंड्रोबियम पुष्प।
प्रमुख फल (State Fruit of Sikkim) मैन्डरिअन संतरा।
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Sikkim) रक्तवर्णीय तितर।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Sikkim) लाल पांडा।
वित्तीय और राज्यनिहाय सिक्किम राज्य की कोड संख्या (State Code of Sikkim) ११(11th)

सिक्किम का इतिहास – Sikkim ka Itihaas

17 वी शताब्दी में नामग्याल वंश ने सिल्क रस्ते पर सिक्किम राज्य की स्थापना की थी। उस समय इस राज्य पर चोग्याल नामक राजा का शासन था। सन 1890 मे इस राज्य पर अंग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया था। लेकिन सन 1947 के बाद यह राज्य भारत का स्वतन्त्र राज्य में गिनना शुरू हो गया।

हिमालय में जितने भी राज्य है उनमेसे सबसे ज्यादा साक्षरता का दर और प्रति व्यक्ति आय का दर सबसे ज्यादा यही है। सन 1975 में भारतीय सेना ने इस राज्य में चल रहे राजतन्त्र को ख़तम कर दिया। सन 1975 के जनमत के आधार पर इसे भारत में शामिल कर लिया गया और तभी से यह भारत का 22 वा राज्य बन गया।

इस राज्य की केवल एक या दो विशेषताए नहीं बल्की कई सारी खास बाते इस राज्य से जुडी है। उसमेसे सबसे पहली और खास बात यह है की पुरे भारत में सबसे ज्यादा इलायची का उत्पादन इसी राज्य में होता है। यानि हमारे यहा जो इलायची आती है वो ज्यादातर सिक्किम से ही आती है।

और गौटेमाला के बाद पूरी दुनिया में मसालों के उत्पाद में सिक्किम का दूसरा नंबर लगता है। इस छोटेसे राज्य की दूसरी एक खास बात यह है की पुरे देश में जैविक खेती को पूरी तरह से अपनाने वाला पहला राज्य है। यानि की यहापर जो खेती होती है वो पूरी तरह से सुरक्षित होती है और इससे पर्यावरण को कोई भी हानी नहीं होती।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इस राज्य ने एक और बात अच्छी की है, वो यह है की यहापर कोई भी प्लास्टिक की बोतल इस्तेमाल नहीं करता। पुरे राज्य में कही भी प्लास्टिक की एक बोतल भी देखने को नहीं मिलती।

सिक्किम के जिले – Districts of Sikkim

सिक्किम के चार जिले है: पश्चिम, पूर्व, उत्तर और दक्षिण।

सिक्किम में धर्मं – Religions in Sikkim

यहाँ पर हिन्दू और वज्रयान बौद्ध धर्मं के लोग बड़ी मात्रा में देखने को मिलते है। जिसमे लगभग 57.8 प्रतिशत लोग हिन्दू धर्म का पालन करते है। और 27.3 प्रतिशत लोग वज्रयान बौद्ध धर्मं का पालन करते है और यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा धर्मं है।

Sikkim Temple

Sikkim Temple
Sikkim Temple

यहापर जितने भी लोग क्रिस्चियन धर्मं के है वो लेपचा वंश के उत्तराधिकारी है और उन्हें अंग्रेजो ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने लिए मजबूर किया था। वो कुल जनसँख्या के 10 प्रतिशत है। 2014 की तारीख तक इवैंजेलिकल प्रेसबायतेरियान चर्च सिक्किम का सबसे बड़ा चर्च है। यहापर कुछ बिहार के मुस्लीम धर्मं और जैन धर्मं के लोग रहते है और वो कुल जनसँख्या के केवल 1 प्रतिशत ही है।

सिक्किम राज्य की भाषा – Language of Sikkim

इस राज्य में कई सारे संप्रदाय के लोग और अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग है। सिक्किम की 11 अधिकारिक भाषाए है उनमे नेपाली, मगर, सिक्किमी, तमांग, लिम्बू, लेपचा, नेवारी, राइ, गुरुग, सुन्वार, और इंग्लिश भी शामिल है। सभी स्कूलों में इंग्लिश भाषा पढाई जाती है और सभी सरकारी कागजात में भी इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।

सिक्किम की नदिया – Sikkim River

सिक्किम की सबसे बड़ी नदी तीस्ता है। यह नदी सिक्किम को दो हिस्सों में बाटती है। तीस्ता नदी को सिक्किम की गंगा कहा जाता है। सिक्किम के ज्यादातर लोग तीस्ता नदी पर ही निर्भर है। रिंगित नाम की नदी भी यहाँ की प्रमुख नदी मानी जाती है।

सिक्किम की संस्कृति – Sikkim Culture in Hindi

देश में सबसे कम जनसंख्या सिक्किम राज्य में ही है। यहापर नेपाली लोग (75%), लेपचा (20%) और भुतिया और लिम्बस धर्मं के लोग भी कम संख्या में पाए जाते है। इस राज्य में सबसे पहले आनेवाले लोग लेपचा ही थे। 13 वी शताब्दी में तिब्बत के खाम प्रदेश से आनेवाले भूटिया लोगो ने साथ में ही बौद्ध धर्मं के महायान पंथ को भी साथ में लाया था।

सिक्किम में सबसे आखिरी में आनेवाले नेपाली लोग ही थे और वो 19 वी शताब्दी में आये थे। तीनो लोगो की संस्कृति को मिलाकर आज की सिक्किम की नयी संस्कृति हमें देखने को मिलती है। नेपाली भी इस राज्य की भाषा है और ज्यादातर लोग इसी भाषा में बोलते है। एक शब्द जिसे सुखिम कहते हैजिसका अर्थ होता है की ‘सुखी परिवार, शांति की जगह’ और इस सुखिम शब्द से इस राज्य को सिक्किम नाम दिया गया है।

हिन्दू धर्म का पालन करनेवाले लोग ज्यादा होने के बावजूद भी यहापर बौद्ध धर्म का प्रभाव भी काफी हद तक पाया जाता है। यहाँ के शिल्पकला की बात की जाए तो इसमें सबसे महशूर चोकसी टेबल होते है और उन्हें तिब्बत की शैली में बनाया जाता है। यहापर मिलनेवाला ऊनि गलीचा काफी सुन्दर होता है। सोने और चांदी के जेवरात में नक्काशी किये हुए काफी महंगे खड़े मिलते है।

सिक्किम के त्यौहार – Festivals of Sikkim

सिक्किम के सभी लोग भगवान बौद्ध का जन्मदिन मनाते है। ऊन्हे जिस दिन ज्ञान की प्राप्ति होती उसे भी धूम धाम से मनाते है। भगवान बौद्ध का निर्वाण दिन भी यहापर मनाया जाता है। इसके अलावा भी बौद्ध धर्मं का नया साल और फसल उत्सव भी मनाया जाता है। सिक्किम के सभी लोग भगवान बौद्ध का जन्मदिन मनाते है।

ऊन्हे जिस दिन ज्ञान की प्राप्ति होती उसे भी धूम धाम से मनाते है। भगवान बौद्ध का निर्वाण दिन भी यहापर मनाया जाता है। इसके अलावा भी बौद्ध धर्मं का नया साल और फसल उत्सव भी मनाया जाता है। भारत के अन्य राज्यों की तरह हिन्दूओ के त्यौहार दीपावली, दशहरा, संक्रांति तथा राम नवमी बड़े उत्साह के साथ सिक्किम राज्य में भी मनाए जाते है।

सिक्किम राज्य के प्रमुख त्योहारों में सोनम लोचर, साकेवा, लोसर, बहारिमजोग आदि स्थानिक उत्सवों को भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा तिब्बती नव वर्ष को भी सिक्किम में प्यार और भाईचारे के साथ मनाया जाता है। इस प्रकार से बुध्द तथा हिंदू धर्म के सालभर में आनेवाले त्यौहारों को सिक्किम में मनाया जाता है, जिसमे सभी लोग आपस में एक दूसरे के साथ शामिल होकर खुशियों से जीवन जीते है।

सिक्किम राज्य के लोगो की वेशभूषा – Traditional Costume/Dress of Sikkim People

सिक्किम के पुरुषो के प्रमुख पेहराव मे ‘थोकोरा दम’ प्रकार होता है जिसमे सफ़ेद पजामा, टोपी और शर्ट शामिल होता है, इसके अलावा यहाँ पर बसे नेपाली लोगो के पहनावे में नेपाली संस्कृति की झलक होती है। सिक्किम में रहने वाले भूतिया संप्रदाय के लोग बाखू या खू नामक पहनावे को पहनना पसंद करते है जो के उनका परंपरागत पोषाख होता है।

सिक्किम का कलानृत्य – Folk Dance of Sikkim State

मुखौटा नृत्य सिक्किम का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को त्यौहार के दौरान गोम्पा आंगन में किया जाता है। इस नृत्य में उनके पैरों की हालचाल काफी सुन्दर और देखनेलायक होती है। इस नृत्य के दौरान लाम लोग बहुत सुन्दर रंग वाले मुखौटे पहनेते है और पूरी तरह नृत्य के दौरान जेवरात से सजे हुए रहते है और उनके हातो में तलवार भी होती है और दूसरी तरफ़ ड्रम बजाये जाते है और तुरही बजायी जाती है और आजूबाजू में सभी मठवासी खड़े रहकर गाना गाते है।

सिक्किम के लोकनृत्य में विभिन्न प्रकार शामिल है जिसमे परंपरा और कला की अनोखी मनोरंजक झलक देखने को मिलती है, इनके प्रमुख लोकनृत्य में छू फाट नृत्य, याक छाम, सिंघई चाम, स्नो लायन नृत्य, सिकमारी, डेनजोंग नेनहा, मारुनी नृत्य, ताशी यांगुक, खुखरी नृत्य, चुटके नृत्य इत्यादि शामिल होता है।

सिक्किम के लोगो का प्रमुख खानपान- Staple food of Sikkim State

सिक्किम के लोगो के खानपान में नजदीकी क्षेत्र का प्रभाव अधिक दिखता है जिसमे पहाड़ी क्षेत्र जैसे के तिब्बत के खानपान से काफी ज्यादा समानता दिखाई पड़ती है। यहाँ के लोगों के खानपान शाकाहारी मोमो, चिकन मोमो, शाभाले तथा थुकपा आदि व्यंजन का प्रमुखता से शामिल होते है।

सिक्किम के जीवनशैली से जुड़ा कलाआविष्कार- Arts in Sikkim

प्राचीन कल से इस राज्य पर बौध्द दर्शन तथा मान्यताओं का काफी ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है जिसमे आसपास के इलाखे जैसे तिब्बत तथा नेपाल में मौजूद थांगका चित्रकला का काफी ज्यादा विस्तार और प्रचलन हुआ है। इस कालपद्धति का पेंटिंग तथा शिल्पकला में सुन्दर और काफी आकर्षक नक्काशियों का निर्माण प्रमुखता से देखने को मिलता है, इसमें भित्ति चित्र में इस अनूठे चित्रशैली का निर्माण राज्य में मौजूद विभिन्न बौध्द धर्मिक स्थलों पर मौजूद है।
 
बुध्द दर्शन, बुद्ध के जीवन से जुडी घटनाए तथा कल्पना शक्ति द्वारा उतारे गए अनेको प्रकार की मनोहारी चित्र कला को आप यहाँ आसानी से देख सकते है, जिसको देखने के बाद तिब्बती बुध्द मठो के दर्शन अनायास ही होने का अनुभव प्राप्त हो जाता है। सदियों से जुडी हुई धार्मिक बुध्द मान्यताए, पूजा पध्दति, योग आसन, पारंपरिक नियम इत्यादि का मिला जुला संयोग सिक्किम के थांगका कालपद्धति से बने वास्तु निर्माणों में तथा दीवारों पे लगाने योग्य पेंटिंग में आसानी से देखने को मिल जाता है।
 
इसके लिए आवश्यक सामग्री में सफ़ेद मिटटी, जिप्सम, आकर्षक रंगो का प्रयोग किया जाता है, जिसके बाद अत्यंत कुशलता और मेहनत के साथ आकर्षक कला आविष्कार का निर्माण होता है। ये जितना सुनने और पढ़ने में दिलचस्प है उससे कई गुना अधिक प्रत्यक्ष अनुभव में मन को प्रसन्न और आश्चर्यचकित करनेवाला होता है।

सिक्किम राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – University of Sikkim

  1. सिक्किम यूनिवर्सिटी
  2. सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी
  3. सिक्किम प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी
  4.  एस आर एम् यूनिवर्सिटी
  5. द आई सी एफ ए आई यूनिवर्सिटी
  6. विनायक मिशन सिक्किम यूनिवर्सिटी

सिक्किम देखने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit Sikkim

यहाँ का सामान्य तापमान करीब 28 डिग्री ही रहता है। आप यहापर मार्च से जून और सितम्बर से दिसंबर तक आ सकते है। अगर आप यहापर होने वाली बारिश से बचाना चाहते है तो बारिश में मौसम में यहापर ना आना ही समझदारी वाला काम है।

Sikkim Tourist Places
Sikkim Tourist Places
भारत के इस छोटेसे राज्य ने बाकी बड़े बड़े राज्य की तुलना में काफी विकास किया है और आगे भी विकास के मार्ग पर बड़ी तेजी से जा रहा है। इसी बात को ध्यान में रखकर हमारे देश के सभी राज्यों में सबसे तेज विकास करनेवाले राज्य में सिक्किम जैसे छोटेसे राज्य को भी शामिल किया गया है।
 
हर राज्य की कम से कम एक अधिकारिक भाषा होती है लेकिन सिक्किम जैसे छोटेसे राज्य की केवल एक अधिकारिक भाषा नहीं बल्की कुल 11 अधिकारिक भाषाए है। इतना छोटासा राज्य होने के बाद भी इस राज्य की 11 भाषाए हो सकती है इसपर कोई विश्वास ही नहीं कर सकता। लेकिन हमें यह माननी पड़ेगी क्यों की यही इस राज्य की सच्चाई है।
 
इस विषय पर अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – GK Quiz on This Topic
  • भारत का राज्य सिक्किम किस खास विशेषता की वजह से प्रसिध्द है? (Why sikkim is so much famous?)                                                                                                जवाब: सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है जहा देश में सबसे अधिक मात्रा में इलायची का उत्पादन होता है, इसके अलावा मसालों से जुड़े पदार्थो के निर्माण में भी सिक्किम का भारत के अन्य राज्य के तुलना में श्रेष्ठ क्रम लगता है। बात करे पर्यटन की तो इस राज्य में अधिकतर हिमालयीन पहाड़ियों को देखने को मिलता है जिसके अंतर्गत प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत नजारा पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।इस राज्य का सालभर तापमान लगभग २८ डिग्री सेंटीग्रेड होता है जिससे इसकी ठंडकता का अनुमान लगाया जा सकता है, जहाँ सालभर देश विदेश से पर्यटक पैराग्लाइडिंग, ट्रेकिंग आदि का लुफ्त उठाने के लिए आते रहते है। सिक्किम भारत का शायद एकमात्र राज्य है जहाँ आधिकारिक तौर पर ११ भाषाओ को मान्यता दी गई है, जहाँ पर विभिन्न धर्मीय लोग भाईचारे और शांति से जीवन जीते है।इत्यादि कारणों की वजह से सिक्किम देश और दुनिया में प्रसिध्द हुआ है।
  • सिक्किम में जाने के लिए यातायात की दृष्टी से कौनसे प्रमुख विकल्प मौजूद है? (How to reach at Sikkim?) जवाब: सड़क मार्ग से दार्जिलिंग से लेकर गंगटोक तक राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक १० द्वारा पहुँच सकते है, वही रेलमार्ग के लिए नजदीकी रेल स्टेशन सिलीगुड़ी और जलपाइगुड़ी जहा से लगभग देश के सभी प्रमुख शहरो से रेल गाड़िया आती जाती है। अभी तक इस राज्य में कोई एअरपोर्ट मौजूद नहीं है पर राज्य की राजधानी गंगटोक के साथ बागडोगरा स्थान से हैलीकैप्टर सेवा उप्लब्ध कराई गई है।
  • सिक्किम राज्य कहा पर स्थित है ?(Where is located Sikkim?)                                जवाब: सिक्किम के उत्तरी और उत्तर पूर्वी सिमा से जुडी चीन की सीमाए है, वही पूर्वी सिमा पर भूतान तो पश्चिमी सिमा पर नेपाल की सीमाए जुडी है इसके साथ दक्षिणी छोर पर भारत का राज्य पश्चिम बंगाल की सिमा सिक्किम से जुडी है जहा से पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी सबसे नजदीकी हिल स्टेशन है। सिक्किम की राजधानी गंगटोक का अक्षवृत्तीय परिमाण २७ अंश ३३ मिनट उत्तर ८८ अंश ३० मिनट पूर्व है।
  • कौनसा समय सिक्किम में पर्यटन की दृष्टी से उत्तम होता है?(What is the best time to Visit Sikkim?)                                                                                                        जवाब: इस राज्य का अधिकतम तापमान सालभर में २८ डिग्री सेंटीग्रेड होता है, पर यहाँ बरसात के समय पहाड़ी इलाखा होने की वजह से धुँवाधार बारिश होती है इस लिए जून से लेकर सितम्बर माह को छोड़कर अन्य सभी माह में पर्यटन की दृष्टी से उत्तम समय होता है।
  • सिक्किम राज्य से जुडी ऐतिहासिक जानकारी को प्राप्त करने हेतु कौनसी किताबे फायदेमंद साबित होती है? (Sikkim History related informative books)                                                       जवाब: हिस्ट्री, कल्चर एंड कस्टम्स ऑफ़ सिक्किम, सिक्किम – रेक्विम फॉर अ हिमालयन किंगडम, सिक्किम – डौन ऑफ़ डेमोक्रेसी द ट्रुथ बिहाइंड द मर्ज ऑफ़ इंडिया, सन्स ऑफ़ सिक्किम – द राइज एंड फॉल ऑफ़ नामग्याल डायनेस्टी ऑफ़ सिक्किम, लीजेंड्स ऑफ़ द लेप्चास, द लामा व्हू नेव्हर वाज़ इत्यादि।
  • सिक्किम राज्य के अंतर्गत कौनसे प्राकृतिक सुंदरता से समृध्द पर्यटन स्थल मौजूद है? (What to see in Sikkim/ Tourism places in Sikkim)                                                          जवाब: नथुला पास (भारत चीन के बिच की अत्यंत नजदीकी सीमारेखा), त्सोमगो लेक, गोएचेला, झुलुक, बेस कैम्प, कंचनजंघा, तीस्ता नदी इत्यादि।
  • विभिन्न खेलों के प्रकार में से कौनसा सिक्किम राज्य का प्रमुख खेल है?(State Game of Sikkim) जवाब: फुटबॉल।
  • क्या सिक्किम राज्य से जुडा कोई समुद्री तटवर्तीय इलाखा उपलब्ध है? (Is there any beach available in Sikkim?)                                                                                                      जवाब: नहीं।
  •  सिक्किम राज्य के प्रथम गवर्नर कौन थे ?(First governor of Sikkim state)                जवाब: बी.बी. लाल।
  • सिक्किम राज्य अंतर्गत वन्य जीव संरक्षण हेतु कौनसे अभयारण मौजूद है? (Wildlife sanctuaries in Sikkim)                                                                                                  जवाब: कांचनजंघा नेशनल पार्क, क्योन्गोसला अल्पाइन अभयारण, फेम्बोंग ल्हो अभयारण, बार्सी रोडोडेंड्रोन अभयारण।

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पंजाब राज्य का इतिहास और जानकारी

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Punjab History in Hindi

पंजाब देश का सबसे समृद्ध राज्य है। साथ ही इसे सिक्ख धर्म का घर भी कहा जाता है। चंडीगढ़ शहर पंजाब की राजधानी है। कृषि ही पंजाब के लोगो का मुख्य व्यवसाय है और राज्य की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

पंजाब राज्य का इतिहास और जानकारी – Punjab History in Hindi

Panjab History Information

पंजाब राज्य की जानकारी – Punjab Information in Hindi

राज्य का नाम (Name of State) पंजाब (Punjab)
राजधानी का शहर(Capital of Punjab) चंडीगढ़(Chandigarh)
राज्य निर्मिती का साल १ नवंबर १९६६
राज्य की प्रमुख भाषाए पंजाबी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान १९ वा(19th)
जनसँख्यानुसार राज्य का देश में स्थान १६ वा (16th)
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (district of punjab) २२
कुल तालुका (तहसील) ८२
कुल ग्रामीण विभाग की संख्या १३०८७
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (state tree of punjab) भारतीय शीशम।
प्रमुख फूल (पुष्प) (state flower of punjab) ग्लेडियोलस पुष्प।
प्रमुख फल (state fruit of punjab) बेर।
प्रमुख जानवर (state animal of punjab) काला हिरन।
प्रमुख पक्षी ( state bird of punjab) उत्तरी क्षेत्र में पाया जानेवाला छोटे परो वाला बड़ा बाज (Northern Goshawk)।
वित्तीय तथा राज्यनिहाय पंजाब राज्य की कोड संख्या (state code of punjab) ३ (Three)।
राज्य का परंपरागत नृत्य (dance of punjab) भंगड़ा।
राज्य का प्रमुख खेल (state game of punjab) कबड्डी।
राज्य का सबसे बड़ा जिला (largest district in punjab) अमृतसर।
राज्य के लोगो की परंपरागत वेशभूषा (dress of punjab) तुर्बान, पंजाबी कुर्ता और तहमत, पायजामा, पंजाबी सलवार सूट, पंजाबी घागरा।
राज्य अंतर्गत कुल यूनिवर्सिटी (university in punjab) ३१।

पंजाब राज्य का इतिहास – History of Punjab in Hindi

भारतीय राज्य पंजाब का निर्माण 1947 में भारत विभाजन के समय किया गया, जिस समय पंजाब को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जा रहा था। ज्यादातर प्रांत के मुस्लिम पश्चिमी भाग को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में शामिल किया गया और सिक्ख पूर्वी भाग को भारतीय पंजाब राज्य में शामिल किया गया।

विभाजन के बाद बहुत से दंगे और आंदोलन हुए, क्योकि बहुत से सिक्ख और मुस्लिम लोग पश्चिम में रहते थे और बहुत से मुस्लिम लोह पूर्व में रहते थे। बहुत से छोटे पंजाबी प्रांतीय राज्य जैसे पटियाला को भी भारतीय पंजाब का ही भाग बनाया गया।

1950 में दो स्वतंत्र राज्यों का निर्माण किया गया : पंजाब में भूतपूर्व राज प्रांत को शामिल किया गया, जबकि पटियाला, नाभा, कपूरथला, मलेरकोटला, जींद, फरीदकोट और कलसिया नामक प्रांतीय राज्यों को नये राज्य दी पटियाला और ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन (PEPSU) में शामिल किया गया।

बहुत से प्रांतीय राज्य और काँगड़ा जिले को मिलाकर ही हिमाचल प्रदेश की स्थापना केंद्र शासित प्रदेश के रूप में की गयी। 1956 में PEPSU को पंजाब में शामिल कर लिया गया और हिमालय में पंजाब के बहुत से उत्तरी जिलो को हिमाचल प्रदेश में शामिल कर लिया गया।

पंजाब राज्य के जिले – Districts of Punjab State

पंजाब राज्य में कुल 22 जिले है। पंजाब को मालवा, माझा और दोआबा नामक तीन क्षेत्रो में विभाजित किया गया है। पंजाब के मालवा क्षेत्र में 11 जिले है। क्षेत्र के मुख्य जिलो में लुधियाना, मोहाली, संगरूर, भटिंडा, और पटियाला है। पठानकोट, अमृतसर और दुरदासपुर माझा जिले में शामिल है।

पंजाब के दोआबा क्षेत्र में होशियारपूर, जालंधर, नवानशहर और कपूरथला शामिल है। उत्तर भारत के प्रमुख और समृध्द राज्य में से एक पंजाब के अंतर्गत कुल जिले मे क्षेत्रफल की दृष्टी से अमृतसर सबसे बड़ा जिला है, यहाँ हम पंजाब के सभी २२ जिलों पर एक नजर डालेंगे, जैसे के;

पंजाब के जिलों को सूची – Punjab ke Jile

  1. अमृतसर
  2. भटिंडा
  3. फरीदकोट
  4. फ़ज़िल्का
  5. फतेहगढ़ साहिब
  6. बर्नाला
  7. फिरोजपुर
  8. गुरुदासपुर
  9. मनसा
  10. होशियारपुर
  11. मोगा
  12. जालंधर
  13. कपूरथला
  14. लुधियाना
  15. तर्न तरण
  16. श्री मुक्तसर साहिब
  17. संगरूर
  18. पठानकोट
  19. पटियाला
  20. रूपनगर
  21. साहिबज़ादा अजित सिंह नगर
  22. शहीद भगत सिंह नगर

पंजाब राज्य का धर्म – Religion of Punjab state

  आज, पंजाब के ज्यादातर क्षेत्र में सिक्ख धर्म के लोग रहते है, जिनकी उत्पत्ति पहले सिक्ख गुरु नानक की शिक्षा से हुई है। राज्य में ज्यादातर हिन्दू धर्म के लोग रहते है लेकिन यहाँ मुस्लिम धर्म के भी प्रयाप्त लोग रहते है।

Temples in Punjab
Temples in Punjab

राज्य में कुछ जगहों पर क्रिस्चियन और जैन धर्म के लोग भी रहते है। पंजाब की कुल जनसँख्या के 2/5 भाग में हिन्दू रहते है और अनुसूचित जाति में गिने जाने वाले सिक्ख धर्म के लोग साधारणतः निचले स्तर पर आते है।

पंजाब राज्य की भाषा – Punjab State Language

पंजाबी ही पंजाब की अधिकारिक भाषा है। हिंदी के साथ यहाँ ज्यादातर पंजाबी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है। साथ ही बहुत से लोग अंग्रेजी और उर्दू भाषा भी बोलते है।

पंजाब राज्य का नृत्य – Dance of state of Punjab

भांगड़ा: भांगड़ा नृत्य और संगीत का एक प्रकार है, जिसकी उत्पत्ति पंजाब क्षेत्र से ही हुई। भांगड़ा डांस की शुरुवात लोक नृत्य के रूप में होती है, जिसे पंजाबी किसान फसल के मौसम में मनाते है। इंग्लैंड, कनाडा और USA में भी पंजाबी लोगो ने इस लोक नृत्य को प्रसिद्ध बनाया है। वर्तमान में भांगड़ा नृत्य के विविध प्रकार देशभर में दिखाई देते है।

पंजाब फिल्म इंडस्ट्री – Punjab Film industry (Pollywood)

पंजाब, पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री का घर है, इसे ‘पॉलीवूड’ भी कहा जाता है। यह भारत के तेजी से बढ़ रहे फिल्म उद्योगों में से एक है। यह चंडीगढ़ शहर के आस-पास ही बसा हुआ है। 1936 में पहली पंजाबी फिल्म बनाई गयी। सन 2000 से हर साल बहुत सी पंजाबी फिल्म रिलीज़ हो रही है, बहुत सी पंजाबी फिल्मो में बॉलीवुड फिल्म अभिनेताओ ने भी काम किया है।

पंजाब राज्य का भोजन – Staple Food of Punjab

पंजाबी भोजन की मुख्य बात यहाँ के व्यंजनों की विविध श्रेणी है। यहाँ के व्यंजनों में ज्यादा मात्रा में घी का उपयोग किया जाता है। पंजाबी के कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों में मक्की दी रोटी, सरसों दा साग, शमी कबाब, तंदूरी चिकन, इत्यादि शामिल है।

पंजाब राज्य के उत्सव – Festival of Punjab State

पंजाबी बहुत से महोत्सव मनाते है और बहुत से महोत्सवो को देशभर में भी मनाया जाता है। कुछ प्रसिद्ध महोत्सवो में बंदी छोर दिवस (दिवाली), लोहरी, मेला माघी, होला मोहल्ला, राख्री, वैसाखी, तीयान और बसंत। इस उत्सवो के अलावा राष्ट्रिय उत्सव भी बड़ी धूम-धाम से मनाये जाते है।

पंजाब राज्य के प्रमुख शिक्षा संस्थान/ यूनिवर्सिटी – Universities of Punjab

  1. लव्हली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा
  2. गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
  3. गुरु काशी यूनिवर्सिटी
  4. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
  5. संत बाबा भाग सिंह यूनिवर्सिटी
  6. बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ सायंस, फरीदकोट
  7. गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल सायंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना
  8. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, साहिबज़ादा अजित सिंह नगर
  9. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ पंजाब, भटिंडा
  10. श्री गुरु ग्रंथ साहिब वर्ल्ड यूनिवर्सिटी, फतेहगढ़ साहिब

पंजाब राज्य की प्रमुख नदियाँ – Rivers in Punjab

  1. चिनाब
  2. हारो
  3. कोरांग
  4. झेलम
  5. रावी
  6. बियास
  7. सतलज
  8. पंजनाद
  9. सोअन
  10. चक्की

पंजाब राज्य की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Punjab

Famous Personalities of Punjab
Famous Personalities of Punjab

१. शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh):

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के युवा क्रांतिकारी भगत सिंह मूलतः पंजाब राज्य से ही थे, जिनका नाम पुरे भारत में गर्व से लिया जाता है। अंग्रेजो से देश के स्वाधीनता संग्राम में लड़ते हुए अपने प्रभावी व्यक्तित्व और साहसी कार्यो के बदौलत इन्होने अनेक मुहिमों को अंजाम दिया तथा युवा साथियो के संघठन से साल १९३१ तक ब्रिटिश सरकार के जुल्मो को कड़वा प्रतिकार दिया।

भगत सिंह देश के उन विरले क्रांतिकारियों में से एक थे जिनके पास बुध्दिबल के साथ साथ दूरदृष्टि भी थी, इस महान क्रांतिकारी ने देश के खातिर प्राणो का बलिदान किया जिन्हे देश आज ‘शहीद-ए -आजम ‘ भगत सिंह के नामसे आदरपूर्वक स्मरण करता है। ऐसे देशभक्त क्रांतिकारियों को विनम्र अभिवादन, जिनके अनमोल योगदान ने भारत को स्वतंत्रता दिलाई।

२. युवराज सिंह (Yuvraj Singh):

भारतीय क्रिकेट टीम के ‘युवराज’ और बाए हाथ के धुँवाधार बल्लेबाज युवराज सिंह भी मूलतः पंजाब राज्य में जन्मे और पले बढे है, आंतरराष्ट्रिय करियर में क्रिकेट के तीनों भी फॉर्मेट टेस्ट, एकदिवसीय तथा ट्वेंटी ट्वेंटी के खेल में इनके लाजवाब प्रदर्शन ने दर्शको का दिल जित लिया था।

साल २००८ के ट्वेंटी ट्वेंटी विश्वकप में तथा साल २०११ के विश्वकप में युवराज भारतीय टीम के सदस्य थे जिसमे उनके बेहतरीन बल्लेबाजी और गेंदबाजी के बदौलत भारत ने ये दोनों भी विश्वकप अपने नाम कर लिए थे।

इंग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड को छह गेंद में छह छक्के लगाने वाले युवराज सिंह को शायद ही कोई भूल पायेगा, भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में इनका नाम दर्ज है जिनके नाम कई सारे विश्व कीर्तिमान स्थापित है।

भलेही युवराज ने क्रिकेट के खेल से सन्यास लिया है पर आज भी उनके पुराने मैचेस देखने के बाद उनके खेल के प्रति समर्पण और योगदान की तारीफ किये बगैर दर्शक रह नहीं पाते, ऐसे उमदा खिलाडी को जीवन के आगे के पड़ाव के लिए बहुत बहुत शुभकामनाए और तह दिल से धन्यवाद।

३. मिल्खा सिंह (Milkha Singh):

‘फ्लाइंग सिख’ के नामसे मशहूर भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह का जन्म भी भारत के पंजाब राज्य में हुआ था, जहा उन्होंने शुरुवाती दिनों में भारतीय सेना में शामिल होने का निर्णय लिया और उनकी ये तमन्ना पूरी भी हुई थी। इनके अंदर की स्फूर्ति और दौड़ने की गति को देखकर भारतीय सेना की ओर से खेल में दिए जाने वाले खेल कोटा में इन्हे दौड़ने की प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका दिया गया था, जिसमे एशियाई प्रतियोगिता तथा कॉमन वेल्थ गेम में इन्होने उस मौके का सोना कर दिया।

मिल्खा सिंह उस समय एकमात्र भारतीय खिलाडी थे जिन्होंने ४०० मीटर की प्रतियोगिता में एशियाई और कॉमन वेल्थ प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल भारत के नाम कर दिए थे।

साल १९६० के ओलिंपिक प्रतियोगिता में इन्हे पहले चार क्रम में स्थान प्राप्त हुआ था जिसका महत्व भी भारत के दृष्टी से काफी ज्यादा था, इस प्रकार से भारतीय सेना में सेवा देते हुए देश के गौरव को बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य भी मिल्खा सिंह जी ने किया। इनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश और देशवासियों की तरफ से इनको बहुत बहुत धन्यवाद।

४. हरगोविंद खुराना (Hargobind Khorana):

भारतीय वंश के जैवरसायन विज्ञानी हर गोविंद खुराना का जन्म भी तत्कालीन भारतीय राज्य पंजाब में हुआ था, जिनको चिकित्सा क्षेत्र में किये संशोधन हेतु प्रतिष्टित पुरस्कार नोबल भी प्राप्त हुआ था। जनुकीय कोशिकाओं में किये गए अनमोल संशोधन के बदौलत देश और दुनिया में इनको आदर के साथ पहचाना जाता है, ऐसे महान विज्ञानी को विनम्र अभिवादन।

५. सनी देओल (Sunny Deol):

हिंदी सिनेजगत बॉलीवुड के प्रसिध्द अभिनेता सनी देओल को भलेही कोई ऐसा हो जो जानता नहीं हो, कई दर्जन उत्कृष्ट फिल्मो में इन्होने अपने बेहतरीन अदाकारी और अभिनय से दर्शको के दिलो पर कई सालो तक राज किया।

इनकी अधिकतर फिल्मे देशभक्ति पर आधारित है जिसमे बखूबी इन्होने अपने अभिनय का लोहा मनवाया और दर्शको को काफी ज्यादा मनोरंजित किया, नब्बे के दशक से लेकर साल २०१८ तक इन्होने ढेर सारे फिल्मो में काम किया जिसमे इनकी बॉर्डर, ग़दर, इंडियन, दामिनी, घायल आदि फिल्मो को दर्शको द्वारा काफी पसंद किया गया।

सनी देओल भी मूलतः पंजाब राज्य से आते है जिनके पिता धर्मेंद्र देओल, भाई बॉबी देओल और चचेरे भाई अभय देओल भी फिल्म अभिनेता है, इन सभी को जीवन के आगे के सफर के लिए बहुत सारी शुभकामनाएँ। इन सबके अलावा पंजाब की अन्य जानी भी कुछ जानीमानी हस्तियाँ निचे दिए हुए तौर पर है, जैसे के;

  1. कपिल देव
  2. कवियत्री अमृता प्रीतम
  3.  गुरु नानक देव जी
  4.  किरण बेदी
  5.  महाराजा रणजीत सिंह जी
  6.  अभिनेता अक्षय कुमार
  7.  हास्य कलाकार कपिल शर्मा
  8.  क्रिकेटर हरभजन सिंह
  9.  एयरटेल कम्युनिकेशन के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल
  10.  अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा
  11. फिल्म निर्देशक शेखर कपूर
  12.  फिल्म एक्शन निर्देशक वीरू देवगन
  13.  फिल्म कलाकार अमरीश पूरी
  14.  गायक मोहम्मद रफ़ी
  15.  फिल्म निर्माता यश चोपड़ा
  16.  स्वतंत्रता सेनानी लाला लजपत राय
  17.  कैप्टन अमरिंदर सिंह
  18.  भारत के पूर्व राष्ट्रपति ग्यानी झैल सिंह
  19.  कुश्ती के खिलाडी दारा सिंह
  20.  संत बुल्लेशाह

पंजाब के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Tourist Places of Punjab

Tourist Places of Punjab
Tourist Places of Punjab

पंजाब राज्य में बहुत से पर्यटन स्थल है। जबकि यह सभी स्थान राज्य के विविध शहरो में स्थापित है। इनमे से कुछ प्रसिद्द पर्यटन स्थल निम्न है :

  • गोल्डन टेम्पल (अमृतसर)
  • जगतजीत पैलेस (कपूरथला)
  • रॉक गार्डन (चंडीगढ़)
  • बीर मोटी बाघ अभयारण्य (पटियाला)
  • महाराजा रणजीत सिंह वॉर म्यूजियम (लुधियाना)
  • भटिंडा प्राणी उद्यान (भटिंडा)
  • शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह म्यूजियम (जालंधर)
  • नूरपुर किला (पठानकोट)

जिंदगी में एक बार आपको अवश्य ऐसे महमोहक राज्य की यात्रा करनी चाहिए।

पंजाब राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Punjab Quiz

  • पंजाब राज्य में अधिक मात्रा में भूमि अवक्रमण या भूमि के स्तर में गिरावट का मुख्य कारण क्या है ? (Which One of the following is the Main Cause of Land Degradation in Punjab?) जवाब: अधिक मात्रा में किये गए सिंचाई के वजह से जमीन में खारापन या क्षारता का प्रमाण अधिक ज्यादा बढ़ने से इस राज्य की जमीनों की उपजाऊ क्षमता बहुत हद तक गिर गई है, जिसका परिणाम भूमि अवक्रमण में तब्दिल हो गया है। इसके अलावा जंगलो की कटाई और अधिक मात्रा में खानों का खनन भी यहाँ के जमीन के स्तर को विगत कई सालो से अत्याधिक प्रभावित कर रहा है, साथ साथ अधिक मात्रा में चराई से भी ऐसी समस्याए निर्मित हो रही है जिनसे भू संपदा खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है।
  • पंजाब राज्य से जुड़े इतिहास की जानकारी हमें कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (Punjab History Books) जवाब: पीपल्स हिस्ट्री ऑफ़ पंजाब, पंजाब – अ हिस्ट्री फ्रॉम औरंगजेब टू माऊंटबैटन, द फॉल ऑफ़ द किंगडम ऑफ़ द पंजाब, पंजाब – अ स्टेट स्टडी गाईड, द पंजाब स्टोरी – के.पी.एस गिल, क्नो यूअर स्टेट – पंजाब, हिस्ट्री ऑफ़ द पंजाब, पंजाब पंजाबीस एंड पंजाबियत, द राजा ऑफ़ पंजाब, अ हिस्ट्री ऑफ़ द सिख, द पंजाब इत्यादि।
  • भारत – पाकिस्तान के बिच सीमारेखा का कौनसा प्रसिध्द स्थल पंजाब राज्य में मौजूद है जहाँ देश विदेश से पर्यटक इसे देखने के लिए आते है? (Famous India-Pakistan border in Punjab state)        जवाब: वाघा बॉर्डर।
  •  पंजाब राज्य के शोक के नामसे कौनसी नदी पहचानी जाती है ? (Which River is known as Sorrow of Punjab)                                                                                                    जवाब: सतलज नदी।
  • भारत का राज्य पंजाब देश -दुनिया में क्यों प्रसिध्द है ?(Why Punjab is Famous?)                    जवाब: पंजाब राज्य को सिख धर्मीय लोगो का प्रमुख स्थान या घर माना जाता है जहाँ पर सिख धर्मियो के दस गुरुओ ने अपने जीवन का लगभग अत्याधिक समय व्यतित किया तथा देश,धर्म और समाज हेतु जनकल्याण के कार्य किये। प्रथम गुरु नानक देव जी को पंजाब में ही काली नदी में सत्य ज्ञान की अनुभूति प्राप्त हुई थी जहाँ पर इन्होने इसी राज्य में कठिन तपश्चर्या को पूर्ण कर आगे अपने अनुयायियों समेत जन कल्याण हेतु यात्राए की थी। पंजाब में भारत का सबसे सुन्दर और पवित्र गुरुद्वारा अमृतसर में गोल्डन टेम्पल के नामसे स्थित है जो के देश और दुनिया के सिख धर्मियो का प्रमुख धार्मिक और श्रध्दा का केन्द्रस्थान है। भारत और पाकिस्तान के बिच मौजूद सीमारेखा वाघा बॉर्डर भी आंतर राष्ट्रिय स्तर पर महत्व रखता है, जो के भारत के पंजाब राज्य से जुडी हुई है। पंजाब का समृध्द कृषि क्षेत्र, हरित क्रांति की पंजाब में हुई सर्वप्रथम शुरुवात आदि बाते भी पंजाब का देश मे महत्व अधिक बढाती है, इसके अलावा भारतीय सेना में सबसे अधिक पंजाब के लोग शामिल है इससे ये जाहिर होता है के इस राज्य का देश की उन्नति में कितना सारा योगदान है। संतुलित नैसर्गिक वातावरण, कृषि के साथ तेज गति से आधुनिकता में अग्रेसर राज्य के तौर पर भी पंजाब की पहचान है जहाँ की संस्कृति और जीवनशैली ने देश और दुनिया में सभी को आकर्षित किया है। पाँच नदियों(रावी,झेलम, चिनाब,बियास ,सतलज) से बना हुआ प्रदेश के नामसे भी पंजाब को पहचाना जाता है जिसमे पंज का मतलब पाँच और आब का मतलब जल होता है। देश के सभी प्रमुख क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति इस राज्य से आते है इत्यादि बातो की वजह से भी पंजाब राज्य प्रसिध्द है।
  • पंजाब राज्य के प्रथम गवर्नर कौन थे ? (Who was the First Governor of Punjab?)      जवाब: चंदूलाल माधवलाल त्रिवेदी।
  • भारत के राज्य पंजाब में कुल कितनी यूनिवर्सिटी है ?(How many University in Punjab?)   जवाब: ३१।
  • पंजाब राज्य की संस्कृति और परंपराओ की क्या विशेष और प्रमुख बाते है? (Punjab state culture & tradition)                                                                                                         जवाब: पंजाब की प्रमुख भाषा पंजाबी है जिसके साथ यहाँ हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा भी प्रमुखता से बोली जाती है, इस राज्य के प्रमुख खानपान में सबसे ज्यादा गेहू, मक्के, सरसो आदि से बने व्यंजन के साथ लस्सी, दूध इत्यादि का प्रमुखता से सेवन किया जाता है इसके साथ तंदूर रोटी, तंदूर चिकन, पराठा शामिल है। पंजाब का परंपरागत नृत्य भंगड़ा होता है जो के शादी, त्यौहार या सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान प्रमुखता से किया जाता है।बैसाखी त्यौहार पंजाब का प्रमुख त्यौहार होता है जब फसलों को काटने का समय होता है तब वैशाख माह में इसे मनाया जाता है, इसके साथ लोहड़ी भी बड़े हर्ष और उल्हास के साथ यहाँ के लोग मनाते है।पंजाब के लोगो का परंपरागत पेहराव पंजाबी कुर्ता और तहमत, इसके साथ पायजामा होता है जहा पुरूषों में तुर्बान पहनना आम बात होती है वही महिलाये पंजाबी सलवार सूट या पंजाबी घागरा आदि पहनती है।हिन्दू, सिख, मुस्लिम, ख्रिश्चियन धर्म के लोग इस राज्य में अमन और भाईचारे के साथ सदियों से रहते आये है जहाँ पर सिख धर्म का सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलता है, क्योंकि इसी राज्य में सिख धर्म के गुरुओ ने अपना जनकल्याण का कार्य पूरा किया।
  • पंजाब राज्य में कौनसे प्रमुख हवाई अड्डे मौजूद है? (Airports in Punjab)                        जवाब: चंडीगढ़ आंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट, श्री गुरु रामदास जी आंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट, पठानकोट एअरपोर्ट, भटिंडा एअरपोर्ट, पटियाला एअरपोर्ट, मोहाली आंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट इत्यादि।
  • कौनसे प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल पंजाब राज्य के अंतर्गत मौजूद है? (Famous religious & tourism places in Punjab)                                                                                    जवाब: गोल्डन टेंपल अमृतसर, रणजीत सागर बांध, मोतीबाग पैलेस, छतबीर झू, पार्टीशन म्युजियम, शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह म्यूजियम, रॉक गार्डन, तरन तारण साहिब अमृतसर, देवी तालाब मंदिर, दुर्गियाना मंदिर, नूरपुर किला, जलियाँवाला बाग, महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम इत्यादि।

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जैक वेल्च के प्रेरक विचार

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Jack Welch quotes

General Electric (GE) जैसी नामांकित Company के CEO रह चुके जैक वेल्च पूरी दुनिया मे बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते है। 2 दशकों से ज्यादा काल में सिर्फ GE ही नहीं बल्कि पूरी Business दुनिया को अपने बुद्धि से प्रभावित करने वाले जैक वेल्च के कई Quotes आज भी Business जगत के साथ Personal Level पर भी लाखो लोगो को प्रेरित करते है। तो चलिए देखते है जैक वेल्च के कुछ अनमोल प्रेरक सुविचार

जैक वेल्च के प्रेरक विचार – Jack Welch Quotes in Hindi

Jack Welch ke Vichar

Jack Welch ke Vichar

“जैसे भी हो सच्चाई का सामना करे, वह कैसे थी या कैसे होनी चाहिए थी वैसे नहीं।”

“सभी के साथ स्पष्ट रहिये।”

Jack Welch Leadership Quotes

Jack Welch Leadership Quotes

Jack Welch Leadership Quotes

“सबसे अच्छे खिलाड़ियों वाली टीम जीतती है।”

“जब आप नेता (Leader) बनते है तो दुसरो को बढ़ाना (दूसरोकि प्रगति करवाना ही) सफलता (Success) है।”

Jack Welch ke Vichar

बिजनेस की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके जैक वेल्च जनरल इलैक्ट्रिक (GE) कंपनी के सीईओ और अध्यक्ष रह चुके हैं उनके कार्यकाल में जीई कंपनी के शेयर में करीब 40 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी।

बिजनेस के क्षेत्र में अपनी विवेकशीलता और बुद्धिमत्ता से उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे एक सफल बिजनेसमैन होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी हैं।

उन्होंने अपने महान विचारों के बल पर अपने जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है। उनके कहना है कि व्यक्ति को अपना भाग्य खुद कंट्रोल करना चाहिए नहीं तो कोई दूसरा आपका भाग्य नियंत्रित करने लगेगा।

वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जैक वैल्च के कुछ सर्वश्रेष्ठ एवं अनमोल विचारों को बता रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपके अंदर आगे बढ़ने का हौसला बढ़ेगा।

Jack Welch Quotes in Hindi

Jack Welch Quotes in Hindi

“अपना भाग्य स्वयम नियंत्रित करिए नहीं तो कोई और करने लगेगा।”

“अच्छे बिजनेस लीडर विज़न बनाते हैं,विज़न बताते हैं,विज़न को उत्साह के साथ अपनाते हैं,और सतत उसे पूर्ण करते हैं।”

Jack Welch Quotes on Hr

Jack Welch Quotes on Hr

Jack Welch Quotes on Hr

“अगर आप परेशान नहीं है तो आपको पता नहीं है की क्या चल रहा है।”

“मैंने सीखा है कि गलतियाँ अक्सर उतनी ही अच्छी शिक्षक हो सकती हैं जितनी की सफलता।”

Jack Welch Quotes

दुनिया के सबसे अधिक प्रभावशाली एवं महान बिजनेसमैन जैक वेल्च 19 नवंबर, 1935 को अमेरिका के मैसाचुसेएट् के पीबॉडी में जन्मे हैं। उन्हें औद्यिगिक क्षेत्र में आधुनिक लीडर के तौर पर जाना जाता है।

वे अपनी गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ते आए हैं साथ ही उन्होंने अपने ऐसे ही विचारों से दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। उनके महान विचारों से हम सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

Jack Welch Quotes

Jack Welch Quotes

बहुत ज्यादा देर इंतजार करने से तेजी से कार्य (काम) करना बेहतर है।”

“जब आपको नेता (Leader) बनाया गया था तब आपको मुकुट नहीं दिया गया, आपको दुसरो में से बेहतर (Best) (Result /Performance) निकालने की जिम्मेदारी दी गयी।”

Quotes by Jack Welch

Quotes by Jack Welch

Quotes by Jack Welch

“अगर बाहर हो रहे बदलाव की गति आपके भीतर हो रहे बदलाव के गति से ज्यादा है तो अंत नजदीक है।”

“जब आप अपनी choices (चुनाव / विकल्प) का स्वीकार करते हो तब आप उनके परिणामो को भी अपनाते हो।”

Jack Welch Quotes on Change

GE कंपनी को सफलता की एक नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले अब तक के सबसे सफल और महान सीईओ में से एक जैक वेल्च का मानना है कि सभी के साथ स्प्ष्ट और साफ रहना चाहिए और इससे पहले की आपमें कोई दूसरा बदलाव लाने की कोशिश करे, आप खुद ही बदल जाइए।

उनके महान और प्रेरणात्मक विचार एक सफल और श्रेष्ठ व्यक्ति बनाने में मद्दगार साबित हो सकते हैं।

Jack Welch Quotes on Change

Jack Welch Quotes on Change

“आपको बदलना पड़े इसके पहले बदल जाइये।”

अगले पेज पर और भी…

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हरियाणा राज्य का इतिहास और जानकारी

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Haryana History in Hindi

जिसे भारत का ग्रीन लैंड कहा जाता है। वो Haryana – हरियाणा उत्तर भारतीय राज्य है। राज्य के दक्षिण में राजस्थान और पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और उत्तर में पंजाब की सीमा और पूर्व में दिल्ली क्षेत्र है। हरियाणा और पडोसी राज्य पंजाब की भी राजधानी चंडीगढ़ ही है। इस राज्य की स्थापना 1 नवम्बर 1966 को हुई। क्षेत्रफल के हिसाब से इसे भारत का 20 वा सबसे बड़ा राज्य बनाता है।

हरियाणा राज्य का इतिहास और जानकारी – Haryana History in Hindi

Haryana

हरियाणा राज्य की जानकारी – Haryana Information in Hindi

राज्य का नाम (State Name) हरियाणा (Haryana)
राजधानी का शहर (Capital of Haryana) चंडीगढ़ (Chandigarh)
राज्य निर्मिती का साल १ नवंबर १९६६।
राज्य की प्रमुख भाषाए
  • हरियाणवी,
  • हिंदी,
  • पंजाबी,
  • अंग्रेजी,
  • अहीरवाती,
  • मेवाती,
  • बागरी।
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान २१ वा(21th)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान १८ वा(18th)
राज्य अंतर्गत कुल जिलों की संख्या (District in Haryana) २२।
राज्य अंतर्गत कुल तालुका (तहसील) की संख्या ९३।
कुल ग्रामीण विभाग की संख्या ६८४८।
राज्य का प्रमुख पेड़ (वृक्ष) (State Tree of Haryana) पीपल वृक्ष।
राज्य का प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Haryana) कमल।
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Haryana) काला हिरन।
राज्य का प्रमुख पक्षी (State Bird of Haryana) चकोर के समान दिखनेवाला तितर पक्षी (Francolin)
राज्य का प्रमुख फल (State Fruit of Haryana) पीपल का फल।
वित्तीय और राज्यनिहाय हरियाणा राज्य की कोड संख्या (State cCode of Haryana) ६ (Six)
राज्य का प्रमुख खेल (State Game of Haryana) कबड्डी।

हरियाणा राज्य का इतिहास – History of Haryana in Hindi

1 नवम्बर 1966 को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम एक्ट (1966) के तहत हरियाणा राज्य का गठन हुआ। 23 अप्रैल 1966 को पंजाब राज्य को विभाजित करने और नये हरियाणा राज्य की सीमाए निर्धारित करने के लिए भारत सरकार ने जे.सी. शाह की अध्यक्षता में शाह कमीशन की स्थापना की।

31 मई 1966 को कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार कर्नल, गुडगाँव, रोहतक, महेंद्रगढ़ और हिसार जिलो को नये राज्य हरियाणा का भाग बनाया गया। साथ ही इसमें संगरूर जिले की जींद और नरवाना तहसील और नारैनगढ़, अम्बाला और जगाधरी तहसील को भी शामिल किया गया। साथ ही कमीशन ने सिफारिश भी की के चंडीगढ़ (पंजाब की राजधानी) में शामिल खराद तहसील को भी हरियाणा में शामिल किया जाए।

जबकि खराद के छोटे से भाग को ही हरियाणा में शामिल किया गया। चंडीगढ़ राज्य को केन्द्रशासित प्रदेश बनाया गया था, जो पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य की राजधानी बनी हुई थी। भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने।

हरियाणा के ज़िले – Districts of Haryana

हरियाणा राज्य में 22 जिले हैं। – Haryana ke Jile

  • पानीपत
  • फतेहाबाद
  • गुरुग्राम
  • भिवानी
  • हिसार
  • झज्जर
  • रोहतक
  • महेंद्रगढ़
  • सिरसा
  • जींद
  • कैथलअंबाला
  • यमुनानगर
  • चरखी दादरी
  • फरीदाबाद
  • करनाल
  • कुरुक्षेत्र
  • मेवात
  • पलवल
  • पंचकुला
  • रेवाड़ी
  • सोनीपत

हरियाणा की नदियाँ – Rivers of Haryana

मारकंडा, यमुना, घग्गर, टंगरी, और सरस्वती नदी।

हरियाणा राज्य का मुख्य खाना – Staple Food of Haryana

विशिष्ट व्यंजनों में बेसन मसाला रोटी, चुरामा, खीर, बथुआ राइट, बाजरा आलू रोटी, कढ़ी पकोरा, मेथी गाजर, और टमाटर चटनी शामिल हैं।

हरियाणा राज्य की भाषा – Language of Haryana state

हरियाणा के लोगों द्वारा बोली जाने वाली मुख्य भाषाएं हरियाणवी, हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी और उर्दू हैं। लेकिन ज्यादातर लोग वहा हिन्दी या हरियाणवी में ही बात करते हैं।

हरियाणा राज्य की परंपरागत वेशभूषा – Traditional Dress/Costume of Haryana Peoples.

हरियाणा राज्य के महिलाओ के परंपरागत पहनावे में मुख्यतः दामन, कुर्ती और चुंदर इत्यादि शामिल होते है वही पुरुषो के पहनावे में धोती, चारो ओर से लपेटा हुआ कपडा, पैरो के मध्य में सिकुड़े हुए कपडे के साथ सफ़ेद रंग का कुर्ता, सर पर पगड़ी इत्यादि वस्त्र प्रमुखता से शामिल होते है।

आधुनिकता के इस युग में पश्चिमी पध्दति के कपडे भी यहाँ के लोगो में पसंदीदा तौर पर पहने जाते है जिसमे शर्ट, फॉर्मल पैंट, टी शर्ट, जींस पैंट, सलवार कमीज, साड़ी इत्यादि शामिल होते है।

हरियाणा राज्य का संगीत और नृत्यकला – Traditional Music And Folk Dance in Haryana

अन्य राज्यों की तरह हरियाणा की भी संगीत और नृत्य से जुडी खुदकी एक अलग पहचान है, जिसमे हरियाणा के परंपरागत नृत्य में गणगौर, झूमर, खोरिया नृत्य, फाग, दाफ, लूर, धमाल इत्यादि शामिल होते है। राज्य में सालभर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, विशेष पर्व त्यौहार तथा शादी और अन्य ख़ुशी के मौको पर लोगो द्वारा इन नृत्यों को किया जाता है, जिसमे राज्य के अनोखे पहचान की झलक देखने को मिलती है।

नृत्यकला के साथ साथ संगीत कला का भी हरियाणा में अच्छा खासा प्रचलन और विस्तार हुआ है, जिसमे शास्त्रीय संगीत और लोकगीत जो के ग्रामीण जीवन से जुड़े होते है इनको भी काफी पसंद किया जाता है। परंपरागत शास्त्रीय संगीत में पहाड़ी पध्दति का राग, भैरवी राग और मल्हार राग यहाँ के लोगो द्वारा काफी पसंददीदा तौर पर सुना जाता है, जाहिर तौर पर इस तरह के कलाकार भी यहाँ बड़े तौर पर पाए जाते है।

इसके अलावा ढोल, डमरू, ड्रम, मटका, सारंगी, हारमोनियम, शहनाई, मंजीरा, नगाड़ा, घुंगरू, ताशा और खंजीरी आदि नृत्य साहित्य से जुडी संगीत कला और कलाकार इस राज्य में उपलब्ध है, कुल मिलाके हरियाणा राज्य की नृत्य और संगीत कला समृध्द दिखाई पड़ती है।

हरियाणा राज्य की संस्कृति – Culture of Haryana state

हरियाणा की जीवनशैली पारंपरिक मूल्यों और मान्यताओं को बहुत अधिक कठोरता और अनुशासन से पालन करने पर भरोसा रखनेवाली होती है, जहाँ आम तौर पर लोगो के बोली चाली और व्यवहार में स्पष्टता और सीधापन दिखाई पड़ता है। यहाँ की बोली को आम भाषा में भांगडू, हरियाणवी या जातु नामसे जाना जाता है, सुनने में ये बोली थोड़ी अनगढ़ सी भलेही लगती हो पर ये काफी ज्यादा मजेदार और सीधी होती है।

बात करे समाज व्यवस्था की तो पूर्वकाल से घर परिवार में बड़े बुजुर्गो का आदर और सम्मान किया जाता है, इसके साथ सामाज में लोगो की आर्थिक स्थिति में भेद देखने को मिलता है। एक समय तक हरियाणा राज्य के कुल आबादी की संख्या में महिला और पुरुषो के लिंग अनुपात के संख्या में काफी ज्यादा अंतर देखने को मिलता था और पुरे देश में इस राज्य की स्थिति इस विषय में काफी चिंता और चर्चा का विषय बन गई थी।

पुरुषो की तुलना में यहाँ महिलाओ की सँख्या में काफी बड़ी कमी थी जिसको संतुलित समाज नहीं कह सकते, हाल फ़िलहाल जनजागृति और बेटियों के जन्म संबंधी कठोर क़ानूनी नियमो के चलते स्थिति में सुधार के आसार नजर आ रहे है।

जिस राज्य से कल्पना चावला, जूही चावला, मानुषी छिल्लर, गीता फोगाट, साक्षी मलिक जैसी महिलाये देश दुनिया में प्रसिद्ध हुई है, वहाँ पर बेटियों के जन्म की संख्या में सुधार आना निकट भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक बात बन जाता है। हरियाणा वैदिक काल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में डूबा हुआ है। हरियाणा भारत में सबसे धनी राज्यों में से एक है और यह दक्षिण एशिया के सबसे अधिक आर्थिक रूप से विकसित क्षेत्रों में से एक है।

हरियाणा के मेले – Haryana Famous Festival & Fair

हरियाणा में मेलों के लिए बहुत प्रसिद्धि मिली है। इनमें से सबसे प्रशंसित हैं-

  • सूरजकुंड इंटरनेशनल फेयर – Surajkund International Fair
  • बैसाखी मेला – Baisakhi Mela
  • आम मेला – Mango Mela
  • पिंजौर विरासत महोत्सव – Pinjore Heritage Festival

हरियाणा राज्य के त्यौहार – Haryana Festival Name

विभिन्न अवसरों और घटनाओं का जश्न मनाने के लिए, हरियाणा में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं।

  • हरियाणा में गुगा नवमी – Guga Navmi in Haryana
  • सोहना कार रैली हरियाणा – Sohna Car Rally Haryana
  • हरियाणा में गीता जयंती उत्सव – Gita Jayanti Festival in Haryana
  • कार्तिक सांस्कृतिक समारोह हरियाणा – Kartik Cultural Festival Haryana

सब में सबसे प्रसिद्ध त्योहार तीज का त्यौहार है। यह आम तौर पर ‘श्रावण’ महीने के तीसरे दिन मनाया जाता है। त्योहार पूरे राज्य में महान धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। झूलों को बगीचों में स्थापित किया जाता है और लड़कियों के हाथों पर मेहंदी लगायी जाती है।

युवा लड़कियों और महिलाओं को रंगीन और सुंदर कपड़े पहनकर और शाम को नाचते और गाना गाती है। यह कहना गलत नहीं होंगा कि हरियाणा की यात्रा में आप प्रकृति की गोद में एक यादगार समय का आनंद ले सकते हैं, बचपन की सारी यादे फिर से तजा हो जाएँगी तो आईये हरियाणा की प्रकृति में हम भी खुल कर साँस ले।

हरियाणा राज्य की जानीमानी हस्तियाँ – Famous Personalities of Haryana

Famous Personalities of Haryana
Famous Personalities of Haryana

यहाँ हम एक नजर डालने वाले है हरियाणा राज्य की कुछ प्रमुख प्रमुख जानीमानी हस्तियों पर, जिसमे निम्नलिखित तौर पर शामिल है;

  1. अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला
  2. योगगुरु बाबा रामदेव
  3. अभिनेत्री जूही चावला
  4. मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर
  5. महिला कुश्ती खिलाडी साक्षी मलिक
  6. गायक सोनू निगम
  7. कुश्ती खिलाडी योगेश्वर दत्त
  8. महिला कुश्ती खिलाडी गीता फोगाट
  9. बॉक्सिंग खिलाडी विजेंदर सिंह
  10. अभिनेता राजकुमार राव
  11. अभिनेता रणदीप हुड्डा

हरियाणा के प्रमुख शिक्षा संस्थान /यूनिवर्सिटी – Universities of Haryana

  1. इंदिरा गाँधी यूनिवर्सिटी मीरपुर।
  2. गुरुग्राम यूनिवर्सिटी।
  3. चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी, जींद।
  4. महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक।
  5. ओ. पी जिंदाल यूनिवर्सिटी, सोनीपत।
  6. चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी।
  7. जी.डी गोयनका यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम।
  8. लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी।
  9. सी. सी.एस हरयाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी , हिस्सार।
  10. के.आर. मंगलम यूनिवर्सिटी।

हरियाणा के प्रमुख पवित्र धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल – Tourist Places in Haryana

Tourist Places in Haryana
Tourist Places in Haryana
  1. जुरासिक पार्क इन, सोनीपत
  2. किंगडम ऑफ़ ड्रीम्स
  3. पानीपत रणभूमि
  4. पिंजौर गार्डन
  5. पानीपत का पुराना किला
  6. कुरुक्षेत्र रणभूमि
Temples in Haryana
Temples in Haryana
  1. आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा
  2. अग्रोहा धाम
  3. रिडीमर चर्च
  4. डमडम लेक
  5. माता मनसा देवी मंदिर
  6. ब्रम्हा सरोवर

हरियाणा राज्य के बारेमें अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Haryana Quiz in Hindi

  • क्षेत्रफल की दृष्टी से हरियाणा राज्य का सबसे बड़ा जिला कौनसा है? (Largest district of Haryana) जवाब: सिरसा।
  • भारत का राज्य हरियाणा कहाँ पर स्थित है? (Where Haryana state is Located?)              जवाब: राज्य के उत्तर दिशा में पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमाए जुडी है तो वही पश्चिम और दक्षिण छोर पर राजस्थान राज्य की सीमाए जुडी है, इसके अलावा पूर्व दिशा से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य की सीमाए जुडी है वही केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली की सीमाए उत्तर, दक्षिण और पश्चिम दिशा से कुछ हद तक हरियाणा से जुडी हुई है।
  • हरियाणा राज्य के इतिहास से जुडी जानकारी हमें कौनसे किताबों से प्राप्त होती है? (Haryana History related Books)                                                                                                 जवाब: क्नो यूअर स्टेट हरियाणा, हरियाणा जनरल नॉलेज, हरियाणा – अ हिस्टोरिकल प्रॉस्पेक्टिव, मॉडर्न हरियाणा, हरियाणा ट्रेवल गाइड, पॉवर पॉलिटिक्स इन हरियाणा – अ विव फ्रॉम द ब्रिज, हिस्ट्री एंड कल्चर ऑफ़ हरियाणा, हरियाणा, हरियाणा – कल्चरल हेरिटेज गाइड, फोक टेल्स फ्रॉम हरियाणा इत्यादि।
  • हरियाणा राज्य में पर्यटन हेतु जाने के लिए कौनसा उचित समय होता है? (Best time to visit Haryana) जवाब: अक्टूबर माह से लेकर मार्च के माह तक हरियाणा में जाने का सबसे बेहतरीन समय होता है, जिसमे आप राज्य अंतर्गत विभिन्न पर्यटन और धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकते है।
  • भारत के राज्य हरियाणा के प्रथम गवर्नर कौन थे? (First Governor of Haryana)                  जवाब: श्री धर्म वीरा जी।
  • हरियाणा राज्य के अंतर्गत कौनसी प्रमुख नदियाँ बहती है? (Rivers of Haryana)                  जवाब: साहिबी, मार्कण्ड, घग्गर, यमुना, सोम्ब, चौटंग, कृष्णावती, कौशल्या, दृषद्वती इत्यादि।
  • कौनसे प्रमुख बांध (Dam) हरियाणा राज्य अंतर्गत मौजूद है? (Main dam in Haryana state) जवाब: अनंगपुर बांध, कौशल्या बांध, तेजवाला बैरेज, पल्ला बैरेज, मसानी बैरेज, हथनी कुंड बैरेज, पथराला बैरेज इत्यादि।
  • वन्यजीव संरक्षण हेतु हरियाणा राज्य अंतर्गत कौनसे प्रमुख अभयारण मौजूद है? (Wild life sanctuaries of Haryana)                                                                                                  जवाब: केलेसर अभयारण, छिलछिला अभयारण, बीर शिकारगाह अभयारण, अबूबशहर अभयारण, खापरवास अभयारण, भिंडवास अभयारण इत्यादि।
  • महाभारत के अंतर्गत कौरव – पांडव के बिच हुए युध्द की रणभूमि कुरुक्षेत्र कौनसे राज्य में स्थित है? (Mahabharat Battle Ground)                                                                जवाब: हरियाणा।
  • भारतिय इतिहास के ‘पानीपत की लड़ाई’ के नामसे प्रसिध्द युध्द की रणभूमि कहाँ पर मौजूद है? (Panipat Battle Ground)                                                                                                 जवाब: पानीपत हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला है, जिसके युध्दभूमि पर इतिहासकालीन तीनों भी युध्द हुए थे जो के विश्वभर में ‘पानीपत के लड़ाई’ के नामसे मशहूर हुए है।

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