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अनाथ बच्चों कि माँ सिन्धुताई सपकाल कि संघर्षमय कहानी

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Sindhutai Sapkal Jivan Parichay

छोटे छोटे संकट से मत डरो बस चलते रहो और संकट से दोस्ती करना सीख लोयह कहना है, महाराष्ट्र की मदर टेरेसा और अनाथों की माईं सिंधुताई सकपाल का। शायद इन्हीं विचारों और हौसलों की वजह से आज वे अपने जीवन के उस कठिन दौर को पार कर पाईं हैं जिसकी कल्पना एक आम इंसान नहीं कर सकता।

सिन्धुताई सपकाल / Sindhutai Sapkal अनाथ बच्चों के लिए समाजकार्य करनेवाली मराठी सामाजिक कार्यकर्ता है अपने जीवन मे कठिन समस्याये होने के बावजूद उन्होंने अनाथ बच्चों को सम्भालने का कार्य किया है

सिन्धुताई सपकाल कि संघर्षमय कहानी – Sindhutai Sapkal Biography in Hindi
Sindhutai Sapkal

सिन्धुताई सपकाल का जन्म और शिक्षा – Sindhutai Sapkal Information in Hindi

सिन्धुताई का जन्म 14 नवम्बर 1947 को महाराष्ट्र के वर्धा जिल्हे मे ‘पिंपरी मेघे’ गाँव मे हुआ था उनके पिताजी का नाम ‘अभिमान साठे’ था, जो कि एक चर्वाह (जानवरों को चरानेवाला) थे

बेटी होने की वजह से सिंधुताई को घर में सभी लोग नापसंद करते (क्योंकि वे एक बेटी थी; बेटा नही) थे, इसिलिए उन्हे घर मे ‘चिंधी’ कहकर(कपड़े का फटा टुकड़ा) बुलाते थे परन्तु उनके पिताजी सिन्धु को पढ़ाना चाहते थे, इसिलिए वे सिन्धु कि माँ के खिलाफ जाकर सिन्धु को पाठशाला भेजते थे

माँ का विरोध और घर कि आर्थिक परस्थितीयों की वजह से सिन्धु की शिक्षा मे बाधाये आती रही जब वे चौथी कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण हुई तब आर्थिक परस्थिती, घर कि जिम्मेदारीयाँ और बालविवाह इन कारणों कि वजह से उन्हे पाठशाला छोड़नी पड़ी

सिन्धुताई सपकाल विवाह और शुरुआत – Sindhutai Sapkal Marriage and Life Story

जब सिन्धुताई 10 साल की थी तब उनकी शादी 30 वर्षीय ‘श्रीहरी सपकाळ’ से हुई जब उनकी उम्र 20 साल की थी तब वह 3 बच्चों कि माँ बनी थी

गाँववालों को उनकी मजदुरी के पैसे ना देनेवाले गाँव के मुखिया कि शिकायत सिन्धुताई ने जिल्हा अधिकारी से की थी अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मुखियाने श्रीहरी (सिन्धुताई के पती) को सिन्धुताई को घर से बाहर निकालने के लिए प्रवृत्त किया जब वे 9 महिने से गर्भवती थी

उसी रात उन्होने तबेले मे (गाय-भैंसों के रहने की जगह) मे एक बेटी को जन्म दिया जब वे अपनी माँ के घर गयी तब उनकी माँ ने उन्हे घर मे रहने से इंकार कर दिया (उनके पिताजी का देहांत हुआ था वरना वे अवश्य अपनी बेटी को सहारा देते) सिन्धुताई अपनी बेटी के साथ रेल्वे स्टेशन पे रहने लगी थी पेट भरने के लिये भीक माँगती और रात को खुद को और बेटी को सुरक्षित रखने के लिये शमशान मे रहती

उनके इस संघर्षमयी काल मे उन्होंने यह अनुभव किया कि देश मे कितने सारे अनाथ बच्चे है जिनको एक माँ की जरुरत है तब से उन्होने निर्णय लिया कि जो भी अनाथ उनके पास आएगा वह उनकी माँ बनेंगी उन्होने अपनी खुद कि बेटी को ‘श्री दगडुशेठ हलवाई, पुणे, महाराष्ट्र‘ ट्र्स्ट मे गोद दे दिया ताकि वे सारे अनाथ बच्चों की माँ बन सके

सिन्धुताई सपकाल की कहानी – Sindhutai Sapkal Story

सिन्धुताई ने अपना पुरा जीवन अनाथ बच्चों के लिये समर्पित किया है इसिलिए उन्हे “माई” (माँ) कहा जाता है उन्होने 1050 अनाथ बच्चों को गोद लिया है उनके परिवार मे आज 207 दामाद और 36 बहूएँ है 1000 से भी ज्यादा पोते-पोतियाँ है

उनकी खुद की बेटी वकील है और उन्होने गोद लिए बहोत सारे बच्चे आज डाक्टर, अभियंता, वकील है और उनमे से बहोत सारे खुदका अनाथाश्रम भी चलाते है सिन्धुताई को कुल 273 राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए है जिनमे “अहिल्याबाई होऴकर पुरस्कार” भी शामिल है जो महाराष्ट्र राज्य द्वारा स्रियाँ और बच्चों के लिए काम करनेवाले समाजकर्ताओं को मिलता है

पुरस्कार से मिले इन सारे पैसो का उपयोग वे अनाथाश्रम के लिए करती है उनके अनाथाश्रम पुणे, वर्धा, सासवड (महाराष्ट्र) मे स्थित है 2010 साल मे सिन्धुताई के जीवन पर आधारित मराठी फ़िल्म बनायी गयी “मी सिन्धुताई सपकाळ”, जो 54 वे लंडन फ़िल्म महोत्सव के लिए चुनी गयी थी सिन्धुताई के पती जब 80 साल के हो गये तब वे उनके साथ रहने के लिये आये थे

सिन्धुताई ने अपने पति को एक बेटे के रुप मे स्वीकार किया ये कहते हुए कि अब वो सिर्फ एक माँ है आज वे बडे गर्व के साथ बताती है कि वो (उनके पति) उनका सबसे बडा बेटा है

सिन्धुताई कविता भी लिखती है और उनकी कविताओं मे जीवन का पूरा सार होता है वे अपनी माँ का आभार व्यक्त करती है क्योकि वे कहति है अगर उनकी माँ ने उनको पति के घर से निकालने के बाद घर मे सहारा दिया होता तो आज वो इतने सारे बच्चों की माँ नही बन पाती

सिन्धुताई सपकाल की संस्था – Sindhutai Sapkal Organization

  • सन्मति बाल निकेतन, भेल्हेकर वस्ति, हडपसर पुणे
  • ममता बाल सादन, कुम्भरवालन, सस्वाद
  • माई आश्रम चिखलदरा, अमरावती
  • अभीमान बाल भवन, वर्धा
  • गंगाधरबाबा छात्रालय गुहा
  • सप्तसिंधु महिला अधर बालसंगोपन आणि शिक्षण संस्था पुणे

सिन्धुताई सपकाल को मिले हुए अवार्ड्स – Sindhutai Sapkal Awards

  • 2015 – अह्मदिय्य मुस्लिम पीस प्राइज फॉर दी इयर 2014
  • 2014 – बसवा भूषण पुरस्कार 2014 अवार्ड, बसवा सेवा संग पुणे की और से
  • 2013 – मदर टेरेसा अवार्ड फॉर सोशल जस्टिस
  • 2013 – दी नेशनल अवार्ड फॉर आयनिक मदर
  • 2012 – रियल हेरासेस अवार्ड, CNN – IBN एंड रिलायंस फाउंडेशन की और से
  • 2010 – अहिल्याबाई होलकर, अवार्ड, महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया जाता है
  • 2008 – वुमन ऑफ़ दी इयर अवार्ड, लोकसत्ता द्वारा दिया जाता है
  • 1996 – दत्तक माता पुरस्कार
  • 1992 – लीडिंग सोशल कंट्रीब्यूटर अवार्ड
  • सह्याद्री हिर्कानी अवार्ड
  • शिवलीला महिला गौरव अवार्ड

सिन्धुताई सपकाळ पर बनी फ़िल्म – Sindhutai Sapkal Movie

सिन्धुताई पर आधारित 2010 में एक मराठी फिल्म भी आई थी, ‘मी सिन्धुताई सपकाळ’ जो एक सत्य कहानी पे आधारित थी और इस फिल्म को 54 लन्दन फिल्म फेस्टिवल के लिए भी चुना गया था

Please Note: आपके पास About Sindhutai Sapkal Biography in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे, धन्यवाद
अगर आपको Life history of Sindhutai Sapkal in Hindi language अच्छी लगे तो जरुर हमें WhatsApp status और facebook पर share कीजिये.

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माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के जनक बिल गेट्स की प्रेरणादायक जीवनी

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Bill Gates Jeevan ParichayBill Gates

माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के जनक बिल गेट्स की प्रेरणादायक जीवनी | Bill Gates Biography in Hindi

बिल गेट्स के जीवन के बारे में एक नजर में – Bill Gates Information in Hindi

पूरा नाम (Name) विलियम हेनरी गेट्स
जन्म (Birthday) 28 अक्टूबर, 1955, सीटल, वाशिंगटन, अमेरिका
पिता (Father Name) विलियम एच गेट्स
माता (Mother Name) मैरी मैक्सवल गेट्स
पत्नी (Wife Name) मेलिंडा गेट्स, 1994
बच्चे (Childrens Name) रोरी जॉन गेट्स, जेनिफर कैथरीन गेट्स , फोवे अडले गेट्स

बिल गेट्स का जन्म, बचपन, शुरुआती जीवन एवं शिक्षा – Bill Gates History in Hindi

अपनी दरियादली के लिए पहचाने जाने वाले बिल गेट्स 28 अक्टूबर, 1955 को अमेरिका के वाशिंगटन के सीटल में जन्में थे। उनके पिता विलियम एच गेट्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जबिक उनकी मां मैरी मैक्सवेल ”यूनाइटेड वे” एवं ”फर्स्ट इंटरस्टेट बैंक सिस्टम”की बोर्ड्स ऑफ डायरेक्टर्स में से एक थी। बिल गेट्स के अलावा उनकी दो बहनें भी थे। बिल गेट्स को बचपन में ट्रे नाम से पुकारा जाता था।

बिल गेट्स की शिक्षा – Bill Gates Education

बिल गेट्स बचपन से भी पढ़ने में काफी होशियार औ विलक्षण प्रतिभा के बालक थे। उनकी शुरु से ही पढ़ने में काफी दिलचस्पी थी, वे घंटों घर में अकेले ही पढ़ा करते थे। इसके बाद साल 1968 में बिल गेट्स के माता-पिता ने उनका एडमिशन एक प्राइवेट स्कूल लेकसाइट स्कूल में करवा दिया।

शुरुआत में बिल गेट्स सभी विषयों में अच्छे थे, लेकिन गणित और विज्ञान में उन्होंने महारथ हासिल की थी। इसके अलावा वे स्कूल के अन्य एक्टिविटी में भी भाग लेते थे। वहीं बिल गेट्स के स्कूल में बच्चों को जब कंप्यूटर चलाना सिखाया जा रहा था, तभी से उनकी दिलचस्पी कंप्यूटर की तरफ बढ़ने लगी और वे अपना ज्यादा से ज्यादा समय कंप्यूटर के साथ ही व्यतीत करने लगे।

इसके बाद बिल गेट्स ने महज 13 साल की छोटी सी उम्र में प्रोग्रामिंग पर अपनी कमांड तेज कर ली और एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम यानि कि प्रोग्रामिंग कंप्यूटर बना दिया, जो कि ”Tic-Tac-Tow” के नाम से जाना गया। इसके बाद लगातार बिल गेट्स अपने स्कूल के कंप्यूटर पर कुछ नया करने एवं प्रोग्रामिंग बनाने की जुगत में रहते थे। वहीं जब वे हाईस्कूल में पहुंचे तब उन्होंने स्कूल के पेरोल प्रणाली को कम्पूयटरीकृत कर दिया था।

वहीं इसके बाद स्कूल में ही बिल गेट्स की मुलाकात पॉल एलन (Paul Allen) से हुई, जो कि उनसे सीनियर थे, पॉल की कम्यूटर में दिलचस्पी की वजह से दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए और फिर दोनों ही स्कूल की लैब में साथ-साथ वक्त गुजारने लगे और अपने स्कूल के कम्यूटर कंपनी के सॉफ्टवेयर के साथ सीखने के मकसद से छेड़खानी करते रहते थे, जिसके बाद स्कूल में कम्यूटर कंपनी ने कुछ समय तक रोक लगा दी।

हालांकि, कुछ समय बाद बिल गेट्स और पॉल दोनों को फिर से स्कूल की लैब में जाने की परमिशन इस शर्त पर दी गई थी कि वे प्रोग्राम से सभी एरर को निकाल दे। इस दौरान बिल गेट्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक ”Traf-O-Data” प्रोग्राम बनाया जो कि यातायात पैटर्न पर काम करता था और उसे बेहतर करने की कोशिश करता था। वहीं बिल गेट्सको इस प्रोग्राम को बनाने के लिए $20,000 मिले थे, और यही उनकी पहली कमाई थी।

साल 1973 में बिल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली और फिर इसके बाद उन्होंने हॉवर्ड कॉलेज में एडमिशन लिया। अपने कॉलेज के दिनों में भी बिल गेट्स अपना ज्यादातर समय कंप्यूटर के साथ ही बिताते थे, फिर इसके बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ अपने दोस्त एलन के साथ बिजनेस करने का फैसला लिया।

बिल गेट्स का करियर – Bill Gates Career

माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना – Microsoft Established

बिल गेट्स अपने स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही कम्यूटर सॉफ्टवेयर बनाने में निपुण हो गए थे, जब वे महज 20 साल के थे, तभी अपने दोस्त पॉल एलन के साथ मिलकर साल 1975 में माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना की थी, जो कि आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। हालांकि शुरुआत में यह माइक्रो-सॉफ्ट के नाम से जानी जाती थी।

उन्होंने शुरुआत में माइक्रोकंप्यूटर की मशहूर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ”बेसिक” नाम का प्रोग्राम बनाकर सफलता हासिल की और फिर इसके बाद कई अन्य कंपनी के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एवं ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलप करने लगे,जिसके चलते कुछ ही समय में उनकी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने अपनी पहचान बना ली।

IBM से माइक्रोसॉफ्ट की डील – Microsoft And IBM Deal

इसके बाद साल 1980 में  विश्व की सबसे बड़ी कंपनी में से एक IBM (इंटरनेशल बिजनेस ममशीन) ने माइक्रोसॉफ्ट से आईबीएम के नए पर्सनल कंप्यूटर के लिए बेसिक सॉफ्टवेयर बनाने की डील ऑफर की। इस डील के बाद बिल गेट्स की कंपनी ने आईबीएम के लिए PC Doc ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया।

विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत – Windows Operating System Established

बिल गेट्स ने 10 नवंबर, 1983 में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की घोषणा की और फिर इसके दो साल बाद 1985 में अपना पहला माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया। इसके बाद कुछ ही सालों में दुनिया के सभी पर्सनल कम्यूटर ने उनके इस ऑपरेटिंग सिस्टम Windows ने अपना कब्जा कर लिया।

माइक्रोसॉफ्ट की सफलता और दुनिया के सबसे अमीर शख्स के रुप में बिल गेट्स – World Richest Person Bill Gates

माइक्रोसॉफ्ट ने अपने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के चलते सफलता की नई बुलिंदियों को छुआ। दऱअसल, पर्सनल कम्यूटर के करीब 90 फीसदी शेयर विंडोज के नाम हो गए और वहीं उस दौरान माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के सबसे बड़े शेयर होल्डर बिल गेट्स थे। जिसके चलते बिल गेट्स को काफी फायदा हुआ और 1987 में करीब 32 साल की उम्र में वे दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत बन गए और फिर लगातार 11 साल वे दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत बने रहे।

अपनी प्रतिभा और विवेकशीलता से लगातार सफलता के नए आयामों को छू रहे बिल गेट्स ने साल 1989 में ”माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस” की शुरुआत की। यह एक पैकेज की तरह था, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft Word), माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल (Microsoft Excel) समेत कई सॉफ्टवेयर एक साथ ही सिस्टम में चलाए जा सकते थे।

इसके चलते माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ने दुनिया के सभी पर्सनल कम्यूटर पर एकाधिकार कर नई कामयाबियों को हासिल किया। 1990 के दशक में जब इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा था, उस समय बिल गेट्स भी इंटरनेट द्धारा सॉफ्टवेयर को उपलब्ध करवाने पर अपना पूरा फोकस कर रहे थे।

आपको बता दें कि विंडोज Ce ऑपरेटिंग सिस्टम प्लेटफोर्म (Operating System Platform) ‘एवं “दी माइक्रोसॉफ्ट नेटवर्क“ (The Microsoft Network) उस दौर के सबसे महान डेवलपमेंट में से एक थे। अपनी प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया में मनवा चुके बिल गेट्स ने साल 2000 में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ पद से रिजाइन कर दिया एवं चेयरमैन बन गए एवं अपने लिए उन्होंने ”चीफ सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट” का नया पद बनाया।

कुछ सालों तक इस पद पर काम करने के बाद साल 2014 में उन्होनें चेयरमैन पद से भी रिजाइन कर दिया और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के एडवाइजर के रुप में काम करने लगे फिर उन्होंने खुद को पूरी तरह गरीब, जरूरतमंदों और असहायों की मद्द करने एवं समाज कल्याण के काम में समर्पित कर दिया। वे अपनी करुणा, महानता और दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं।

द बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन की स्थापना एवं समाजिक काम – Bill & Melinda Gates Foundation

बिल गेट्स एवं उनकी पत्नी मेलिंडा गेट्स ने मिलकर साल 2000 में गरीब, असहाय और जरूरतमंद लोगों की मद्द के लिए बिल गेट्स एवं मेलिंडा फाउंडेशन की स्थापना की। उनका यह फाउंडेशन आज विश्व के सबसे बड़ी चैरिटी संस्थानों में से एक है।

इसके अलावा बिल गेट्स ने साल 2010 में विश्व के सबसे बड़े  निवेशक वॉरेन बफेट और फेसबुक के फाउंडर एवं सीईए मार्क जुकरबर्ग के साथ मिलकर एक अग्रीमेंट साइन किया, जिसके तहत वे अपनी कमाई का आधा हिस्सा दान में दिया करेंगे। इसके अलावा वे हर साल भारत में आकर देश के गरीब बच्चों की सहायता करते हैं एवं उनकी जरूरत के मुताबिक उन्हें उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं।

बिल गेट्स की शादी एवं निजी जीवन – Bill Gates Life Story And Marriage

साल 1989 में बिल गेट्स की मुलाकात मेलिंडा फ्रेंच से हुई थी, जो कि उनकी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में ही काम करती थी। बिल गेट्स ने जब मेलिंडा को पहली बार देखा तभी उन्हें पसंद कर लिया और फिर वे दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए एवं दोनों का प्यार परवान चढ़ा। हालांकि मेलिंडा उनसे उम्र में काफी छोटी थी।

इसके बाद साल 1994 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद दोनों को जेनिफर कैथरीन गेट्स, फोवे अडले गेट्स, रोरी जॉन गेट्स नाम के तीन बच्चे भी पैदा हुए।

बिल गेट्स को मिले अवार्ड्स – Bill Gates Awards

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की नींव रखने वाले बिल गेट्स को उनके उत्कृष्ट और नेक कामों के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें से कुछ पुरस्कारों के बारे में यहां हम आपको यहां बता रहे हैं- साल 2010 में बिल गेट्स और उनकी पत्नी मिलिंडा को उनके द्धारा गरीब और जरूरतमंदों की सहायता के लिए भारत में चलाए जा रहे चैरिटी फाउंडेशन के लिए भारत सरकार द्धारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

बिल गेट्स को साल 2010 में ही माइक्रोसॉफ्ट की सफलता और उनके द्धारा समाज के हित में किए गए कामों के लिए फ्रेंक्लिन इंस्टिट्यूट द्वारा ‘बोवेर अवार्ड’ से नवाजा गया था। साल 2002 में बिल गेट्स और उनकी पत्नी मिलिंडा को गरीब, असहाय और जररुतमंदों की मद्द करने समेत उनके सामाजिक काम के लिए जेफ़र्सन अवार्ड भी दिया गया था।

बिल गेट्स द्धारा लिखी गई किताबें – Bill Gates Books

  • द रोड अहेड (The Road Ahead)
  • बिजनेस @ द स्पीड ऑफ थॉट (Business @ The Speed Of Thought)

दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत बिल गेट्स की प्रेरणादायक जीवन को लेकर कई फिल्म, वीडियो क्लिप्स एवं डॉक्यूमेंटरी भी बनाई जा चुकी हैं। इसके अलावा बिल गेट्स पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं।

बिल गेट्स से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें – Facts About Bill Gates

बिल गेट्स को बचपन से ही दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत बनने का जुनून था और उन्होंने बचपन में अपने दोस्तों से भी कहा था कि 30 साल की उम्र तक वे मिलेनियर बन जाएंगे और उनकी यह बात सच निकली एवं वे 32 साल की उम्र में मिलेनियर बन चुके थे।

बिल गेट्स ने फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग से मिलने के बाद ही फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाया था, इससे पहले वे सोशल मीडिया पर नहीं थे। बिल गेट्स की अगर माइक्रोसॉफ्ट कंपनी सफल नहीं होती तो भी  वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एक खोजकर्ता के रुप में अपना नाम कमाते। फोर्ब्स मैग्जीन की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में  लगातार 11 सालों तक बिटल गेट्स का नाम पहले नंबर पर आता रहा।

बिल गेट्स ने अपने बच्चों को केवल 10 मिलियन डॉलर ही दिए हैं। अपनी प्रतिभा के बल पर बिल गेट्स ने खुद को दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत के रुप में स्थापित किया है। बिल गेट्स का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है, हर किसी को उनकी जिंदगी से हर परिस्थिति का हिम्मत के साथ सामना करने एवं अपने मंजिल तक पहुंचने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

Read : About Bill Gates Quotes

Note : आपके पास About Bill Gates in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। अगर आपको Bill Gates Life Story in Hindi Language अच्छी लगे तो जरुर हमें Whatsapp और Facebook पर share कीजिये।

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एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी

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Steve Jobs Jivan Parichay

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर अपनी जिंदगी में सफलता के नए आयामों को छुआ वो वाकई तारीफ-ए-काबिल हैं।

जॉब्स की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें एक मंदिर में मिलने वाले खाने से अपनी भूख मिटानी पड़ती थी और दोस्त के घर जमीन में सोना पड़ता था।

यहीं नहीं वे अपने जीवन में उस दौर से भी गुजरे जब उन्हें अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था, लेकिन इन सबके बाबजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। आइए जानते हैं स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक जीवन के बारे में-

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी – Steve Jobs Biography in Hindi
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स्टीव जॉब्स की जीवनी एक नजर में – Steve Jobs Information in Hindi

पूरा नाम (Name) स्टीव पॉल जॉब्स
जन्म (Birthday) 24 फरवरी 1955,सेंट फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया
पिता (Father Name) अब्दुलफत्तः जन्दाली, पॉल जॉब्स (जिन्होंने गोद लिया था)
माता (Mother Name) जोअन्नी सिम्पसन, क्लारा (जिन्होंने गोद लिया था)
पत्नी (Wife Name) लोरिन पॉवेल (1991-2011), किर्स्टन ब्रेन्नन
बच्चे (Childrens Name) लिसा ब्रेन्नन,एरिन जॉब्स, ईव जॉब्स, रीड जॉब्स
मृत्यु (Death) 5 अक्टूबर 2011 (कैलीफोर्निया)

स्टीव जॉब्स का जन्म, परिवार, शुरुआती जीवन – Steve Jobs History

स्टीव जॉब्स का जन्म और परवरिश भी बाकी लोगों से एकदम अलग है। दऱअसल उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 में कैलीफॉर्नियां के सेंट फ्रांसिस्कों में सीरिया के मुस्लिम अब्दुलफत्त: जन्दाली के घर में हुआ था।

उन्होंने जोअत्री सिम्पसन की कोख से जन्म लिया था, हालांकि उस दौरान उनके माता ने शादी नहीं की थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को गोद में देने का फैसला किया।

इसके बाद उन्होंने पॉल और क्लारा नाम के एक कपल को जॉब्स को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद गोद में दे दिया था।

आपको बता दें कि पॉल, जिन्होंने जॉब्स को गोद लिया था, वे एक मैकेनिक थे, जबकि उनकी मां क्लारा अकाउंटेंट थी, जिन्होंने बाद में एक गैरेज खोल लिया था। वहीं जॉब्स की दिलचस्पी भी शुरु से ही इलैक्ट्रॉनिक्स में थी।

इसलिए वे गैरेज में रखे इलैक्ट्रॉनिक के सामान से छेड़छाड़ करते और हमेशा कुछ नया जानने की कोशिश में लगे रहते थे। इस तरह बचपन में ही जॉब्स ने अपने पिता की मद्द से इलैक्ट्रॉनिक्स का काफी काम सीख लिया था।

वहीं जॉब्स बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाले एक कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे, हालांकि उन्हें स्कूल जाने से अच्छा घर पर बैठकर किताबें पढ़ना ही लगता था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा एवं शुरुआती करियर – Steve Jobs Education

स्टीव जॉब्स के माता-पिता ने किसी तरह उनकी हाईस्कूल तक तो पढ़ाई का खर्चा उठा लिया, लेकिन इसके बाद जब स्टीव जॉब्स का एडमिशन ऑरगेन के रीड कॉलेज में हुआ, तो यह इतना महंगा था कि स्टी के माता-पिता की पूरी जमा पूंजी इस कॉलेज की फीस में ही खर्च होने लगी, इसलिए पहले सेमेस्टर के बाद ही पैसों की कमी की वजह से स्टीव जॉब्स ने अपना कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया।

हालांकि कॉलेज छोड़ने के बाद भी वे कैलीग्राफी (Calligraphy) की क्लास जरूर अटेंड करते थे। कैलीग्राफी, अक्षरों को क्रिएटिव एवं अच्छे तरीके से लिखने की कला होती है।

इस दौरान स्टीव जॉब्स का दोस्ती वोजनियाक से हुई, जिसे भी इनकी तरह ही इलैक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी थी।

स्टीव जॉब्स को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी की वजह से काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। स्टीव जॉब्स के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपने पेट की भूख मिटा सकें, कोक की बॉटल बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करते थे, और हर संडे कृष्ण मंदिर इसलिए जाते थे कि क्योंकि वहां फ्री में भरपेट खाना मिलता था, यही नहीं स्टीव जॉब्स ने कई रातें अपने दोस्त के कमरे में फर्श में सोकर गुजारीं थीं।

हालांकि, स्टीव जॉब्स के अंदर दृढ़इच्छाशक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। इसी के चलते उन्हें 1972 में एक वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी में काम करने का मौका मिल गया, लेकिन स्टीव जॉब्स इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे और फिर उन्होंने यह नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

वहीं इस नौकरी से जो भी पैसे बचाए उससे वे भारत घूमने के लिए आ गए। दरअसल, स्टीव को भारतीय संस्कृति काफी प्रभावित करती रही हैं और वे यहां आकर अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने साल 1974 में करीब 7-8 महीने भारत के उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में व्यतीत किए और यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अमेरिका वापस लौट गए, हालांकि अब पहले वाले जॉब्स नहीं रहे, वे पूरी तरह बदल चुके थे और उनका मन भी पूरी तरह एकाग्रचित्त हो गया था। इसके बाद जाकर उन्होंने फिर से जॉब ज्वॉइन कर ली।

सबसे प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के फाउंडर के रुप में – Steve Jobs Apple Founder

स्टीव जॉब्स के सबसे अच्छे दोस्त वोजनियाक ने एक बार अपने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया, जिसे देख वे बेहद खुश हुए और इसी के बाद जॉब्स को कंप्यूटर बनाने के बिजनेस करने का आइडिया आया।

फिर साल 1976 में जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु कर दिया, गैरेज से शुरु हुई कंपनी का नाम ”एप्पल” रखा।

इसके बाद इस कंपनी ने एक के बाद एक नए अविष्कार किए और सफलता के नए आयामों को छुआ। साल 1980 में जॉब्स की एप्पल कंपनी एक प्रतिष्ठित एवं विश्व की जानी-मानी कंपनी बन गई थी।

स्टीव को जब अपनी ही कंपनी एप्पल से बाहर निकाला:

स्टीव जॉब्स के जीवन में एक दौर वो भी आया, जब उनकी ही कंपनी ने उन्हें रिजाइन करने के लिए मजबूर किया था।

दअरसल, लगातार कामयाबी हासिल कर रही एप्पल को उस समय ब्रेक लगा जब उनसे एप्पल 3 और फिर लिसा कंप्यूटर (जिसका नाम स्टीव की बेटी के नाम पर रखा गया था) लॉन्च किए। ये दोनों ही प्रोडक्ट बुरी तरह फ्लॉप रहे।

हालांकि फिर बाद में स्टीव ने मैकिनटोश को बनाने में कड़ी मेहनत की और फिर 1984 में लिसा पर बेस्ट सुपर बाउल का बनाकर इसे मैकिनटोश के साथ लॉन्च कर दिया, इसके बाद उन्हें फिर से कामयाबी हासिल हुई।

वहीं इसके बाद एप्पल और IBM साथ मिलकर कंप्यूटर बनाने लगे। अच्छी क्वालिटी के चलते मार्केट में इसकी इतनी डिमांड बढ़ गई कि कंपनी पर ज्यादा से ज्यादा सिस्टम बनाने का प्रेशर पड़ने लगा।

हालांकि स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी की कॉन्सेप्ट कभी नहीं छिपाया और इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, क्योंकि कई दूसरी कंपनियों इनके कॉन्सेप्ट को अपनाकर कंप्यूटर बनाकर ग्राहकों को सस्ते दामों पर बेचने लगीं जिसकी वजह से एप्पल को काफी लॉस होने लग और इसके स्टीव जॉब्स को जिम्मेदार मानते हुए उनकी ही कंपनी ने उन पर कंपनी छोड़ देने का प्रेशर बनाया, इसके बाद स्टीव जॉब्स ने 17 सितंबर, 1985 को एप्पल से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, उनके साथ उनके 5 और करीबी सहकर्मियों ने एप्प्ल से इस्तीफा दे दिया।

संघर्ष के समय में बनाया नेक्स्ट कंप्यूटर – Next Computer Company Steve Jobs

वो कहते हैं कि संघर्ष और असफलता ही इंसान के लिए सफलता की राहें खोलता है।

यही हुआ स्टीव जॉब्स के साथ खुद की कंपनी से बाहर निकाले जाने के बाद वे हताश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए नेक्सट कंप्यूटर के रुप में नई शुरुआत की, इस दौरान उनकी किस्मत ने भी साथ दिया और उनकी इस कंपनी के लिए एक बड़े बिजनेसमैन पेरॉट ने इन्वेस्ट किया।

इसके बाद 12 अक्टूबर, 1988 को एक इवेंट में नेक्सट कंप्यूटर को लॉन्च किया। हालांकि, नेक्स्ट भी एप्पल की तरह काफी एडवांस था, इसलिए यह महंगा भी बहुत था,जिसके चलते नेक्स्ट को  काफी नुकसान पड़ा।

इसके बाद स्टीव जॉब्स को यह एहसास हो गया और उन्होंने नेक्स्ट कम्यूटर कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी बना दिया इसमें भी उन्होंने काफी सफलता हासिल की।

ग्राफिक्स कंपनी डिज्नी के साथ जॉब्स की पार्टनरशिप – Graphic Disney Companies Partner Steve Jobs

साल 1986 में स्टीव जॉब्स ने एक ग्राफिक्स कंपनी पिक्सर मूवी खऱीदी और डिज्नी के साथ पार्टनरशिप कर ली। इसके बाद स्टीव सफलता की सीढी चढ़ते गए और कभी अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एप्पल में सीईओ के रुप में वापसी – Apple Ceo Steve Jobs

इसके बाद एप्पल ने 1996 में नेक्स्ट कंपनी खरीदने के लिए स्टीव से बात की और यह डील 427 मिलियन डॉलर में फाइनल हुई। इस बार स्टीव जॉब्स ने सीईओ के रुप में एप्पल कंपनी में वापसी की, लेकिन इस दौरान एप्पल कठिन दौर से गुजर रही थी, इसके बाद स्टीव के मार्गदर्शन में कंपनी ने एप्पल IPOD म्यूजिक प्लेयर और ITunes लॉन्च किए।

इसके बाद 2007 में एप्पल ने अपना पहला मोबाइल फोन लॉन्च कर मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी, वहीं इसके बाद एक के बाद एक नए-नए प्रोडक्टर लॉन्च कर एप्पल लगातार सफलता के नए पायदानों को छू रहा है।

स्टीव जॉब्स की शादी एवं निजी जीवन – Steve Jobs Life Story

स्टीव जॉब्स को साल 1978 में अपने लव पार्टनर किर्स्टन ब्रेन्नन से एक बेटी लिसा ब्रेन्नन पैदा हुई। इसके बाद उन्होंने साल 1991 में लौरेन पावेल से शादी कर ली। दोनों को रीड, एरिन और ईव नाम की तीन बच्चे पैदा हुए।

स्टीव जॉब्स को मिले अवॉर्ड्स – Steve Jobs Awards

एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके जीवन में तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा स्टीव जॉव्स को “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” से नवाजा गया था।
  • स्टीव जॉब्स को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से सम्मानित किया गया था।
  • स्टीव जॉब्स की उनकी प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के लिए साल 1982 में “मशीन ऑफ द इयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Steve Jobs Say’s : Stay Hungry Stay Foolish

स्टीव जॉब्स की मृत्यु – Steve Jobs Death

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को अपनी जिंदगी के आखिरी समय में पेनक्रियाटिक कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा था।

कई साल तक इस बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने 2 अक्टूबर, 2011 में कैलीफॉर्निया के पालो ऑल्टो में अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।

वहीं अपनी मौत से पहले स्टीव जॉब्स ने 24 अगस्त 2011 में टीम कुक को एप्पल के नए सीईओ बनाने की घोषणा की थी।

वहीं आज स्टीव जॉब्स हमारे बीच जरूर नहीं हैं लेकिन एप्पल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की नींव रखने के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा।

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Facts About Steve Jobs

  • स्टीव जॉब्स ने 12 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था।
  • स्टीव जॉब्स एक बार जब एप्पल के गार्डन में बैठे थे, तभी उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखने का सोचा।
  • स्टीव जॉब्स के महान और प्रेरणात्मक जीवन पर ”जॉब्स” मूवी बन चुकी है, इसके अलावा डिज्नी पिक्सर की फिल्म ”ब्रेव” भी उनके जीवन पर ही समर्पित है।
  • स्टीव जॉब्स भारत में अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए थे। इसके अलावा वे भारतीय संस्कृति और परिधानों को भी काफी अधिक पसंद करते थे।
  • स्टीव जॉब्स साल 1974 में भारत आए थे और कई महीने उन्होंने हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बिताया था।
  • स्टीव जॉब्स महान वैज्ञानिक आइंसटीन को अपना आदर्श मानते थे।
  • स्टीव जॉब्स ने Apple’s Ipod का पहली बार सैंपल देखते हुए उसकी पानी में डाल दिया और फिर हवा के बुलबुलों से यह प्रूफ किया था कि इसे और भी स्मॉल और आर्कषक बनाया जा सकता है।
  • स्टीव जॉब्स को साल 1984 में अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था।
  • स्टीव जॉब्स के पास भी मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स की तरह कॉलेज डिग्री नहीं थी।
  • स्टीव जॉब्स के बारे में दिलचस्प तो यह है कि वे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाते थे।
  • स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म का पालन करते थे।

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के प्रेरणात्मक विचार – Steve Jobs Quotes

  • ”तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिल्कुल भी व्यर्थ मत करो।”
  • ”शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।”
  • ”जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”
  • ”डिजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या फिर महसूस होती है, बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”
  • ”कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

Note: आपके पास About Steve Jobs in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे।
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हिन्दू ह्रद्य सम्राट बाला साहेब ठाकरे की जीवनी

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Balasaheb Thackeray Jeevan Parichay

बाला साहेब ठाकरे एक अदम्य साहस वाले प्रभावशाली राजनेता थे, जिन्हे भारत के हिंदूवादी और हिन्दू हर्दय सम्राट कहा जाता था।

वे एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने कभी भी अपने जीवन में चुनाव नहीं लड़ा लेकिन इसके बाबजूद भी उनका पूरे महाराष्ट्र में काफी प्रभाव था।

बाला साहब ठाकरे के एक इशारे पर मुंबई थम जाती हैं एवं बॉलीवुड एवं मुंबई केअन्य संस्थान उनके नाम से भी खौफ खाते थे।

आपको बता दें कि बाला साहेब राजनीति में आने से पहले एक कार्टूनिस्ट और संपादक के तौर पर काम करते थे, जिन्होंने सिर्फ 18 सदस्यों के साथ मिलकर नारियल फोड़कर शिवसेना की स्थापना की थी।

आइए जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जिनके राजनीति के सिद्धांतों के लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।

हिन्दू ह्रद्य सम्राट बाला साहेब ठाकरे की जीवनी – Balasaheb Thakre History in HindiBalasaheb Thackeray

बाला साहेब ठाकरे की जीवनी एक नजर में – Balasaheb Thackeray Biography in Hindi

पूरा नाम (Name) बाला साहेब केशव ठाकरे
जन्म (Birthday) 23 जनवरी 1926 पुणे, महाराष्ट्र
पिता (Father Name) प्रबोधनकार ठाकरे
माता (Mother Name) रमाबाई
विवाह (Wife Name) मीना ठाकरे
बच्चे (Childrens)
  • बिन्दूमाधव ठाकरे,
  • जयदेव ठाकरे
  • उद्दव ठाकरे
भतीजे राज ठाकरे, मनसे प्रमुख
निवास (Home) मातोश्री, मुंबई
राजनैतिक पार्टी (Political Party) शिव सेना
मृत्यु (Death) 17 नवम्बर, 2012 मातोश्री, मुंबई

बाल ठाकरे का जन्म और प्रारंभिक जीवन – Bal Thackeray Biography in Hindi

बाल ठाकरे महाराष्ट्र के पुणे में 23 जनवरी 1927 में एक साधारण परिवार में जन्में थे, उनके पिता केशव चन्द्रसेनीय एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. जिन्होंने बाद में अपना नाम प्रबोधनकार  ठाकरे कर लिया था।

उनके पिता एक हिन्दूवादी विचाराधारा वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थीं। वहीं बचपन में ही उनका परिवार मुंबई के भिवंडी में आकर बस गया। बाल ठाकरे के अलावा उनके परिवार में भाई और बहन भी थे।

बाल ठाकरे की शादी, बच्चे एवं निजी जीवन – Balasaheb Thakre Information

बाल ठाकरे ने मीना ठाकरे से विवाह किया था। शादी के बाद दोनों को बिंदुमाधव, जयदेव और उद्दव ठाकरे नाम के नाम बेटे हुए।

हालांकि उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव की साल 1996 में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, जबकि दूसरे बेटे जयदेव परिवारिक कलह की वजह से घऱ छोड़कर चले गए थे। वहीं उनके तीसरे बेटे उद्दव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम के रुप में राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं।

बाल ठाकरे का शुरुआती करियर – Bala Saheb Thackeray Career

बाल ठाकरे ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरु किया था। इसके बाद उन्होंने अपने भाई श्रीकांत के साथ मिलकर खुद का सप्ताहिक मराठी अखबार ”मार्मिक” की भी शुरुआत की थी। इसके बाद फिर से एक अखबार की शुरुआत की, लेकिन बाद यह बंद हो गया इसलिए उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया था।

18 लोगों की मौजूदगी में किया था शिवसेना का गठन – Shivsena Party Established

बालठाकरे ने 19 जून 1966 में महाराष्ट्र में 18 सदस्यों के साथ मिलकर कट्टरवादी हिन्दूवादी संगठन शिवसेना की स्थापना की थी।

इसके बाद बाल ठाकरे ने अपनी पार्टी की पहली रैली दशहरे पर शिवाजी पार्क में रखी और इस रैली में हजारों की भीड़ इकट्ठी हुई। इस रैली में बाल ठाकरे के भाषण सुनने के बाद मराठी युवा जोश से इस कदर लबरेज हो गए या कहें कि भड़क गए कि दक्षिण भारतीयों की दुकानों के साथ तोड़फोड़ कर दी।

और फिर बाल ठाकरे की रैलियों के बाद इस तरह की तोड़फोड का सिलसला आम हो गया।

आपको बता दें कि बाला साहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना का उद्देश्य मराठियों को उनका हक दिलवाना था। मराठियों के लिए बाला साहेब ठाकरे ने कई आंदोलन भी किए और कई बार उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ा।

यही नहीं कई बार उनकी पार्टी पर हिंसा के मामले भी दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं विपक्षी पार्टियों के साथ रिश्ते खराब और मारपीट तक की खबरें खूब सुर्खियों में रही। इसके अलावा 1992 में हुए मुंबई दंगों में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करने के आरोप भी बाला साहेब ठाकरे पर  लगते रहे है।

1995 में शिव सेना और बीजेपी का गठबंधन हुआ और दोनों ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक साथ खड़े होने का फैसला लिया।

इसके बाद 1999 में  बाला साहेब ठाकरे को चुनाव आयोग ने उन्हें आचार संहिता के नियमों का पालन नहीं करने पर करीब 6 साल तक चुनाव में खड़े नहीं होने और वोट नहीं देने के लिए बैन कर दिया गया। हालांकि बाल ठाकरे ने अपने जीवन में कभी भी चुनाव नहीं लड़ा था।

इसके बाद 2005 में बाला साहब ठाकरे ने अपने सबसे छोटे बेटे उद्दव ठाकरे को पार्टी में ज्यादा महत्व दिया, जिसके परिवार में आंतरिक मनमुटाव बढ़ गए फिर उनके भाई के बेटे राज ठाकरे ने 2006 में अपनी एक अलग पार्टी  ”महाराष्ट्र नव निर्माण सेना”(मनसे) बना ली।

बाला साहब ठाकरे की मृत्यु – Balasaheb Thakre Death

अदम्य शक्ति वाले साहसी राजनेता बाल ठाकरे को उनकी जिंदगी के अंतिम दिनों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को झेलना पड़ा था। वहीं लगातार गिरती हेल्थ और कमजोरी के चलते इस हिन्दू ह्रदय सम्राट बाल ठाकरे ने 17 नवंबर 2012 में मुंबई मातोश्री में अपनी आखिरी सांस ली और वे इस दुनिया से अलविदा कहकर चले गए।

उनके जाने के बाद पूरे महाराष्ट्र में मातम छा गया और उनकी अंतिम यात्रा में लाखों की तादाद में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई इसके बाद उन्हें शिवाजी  पार्क में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

बाल ठाकरे पर फिल्म – Balasaheb Thackeray Movie

अपने अदम्य साहब एवं निर्भीकता के लिए जाने जाने वाले बाल ठाकरे के महान जीवन पर साल 2015 में बाल-कडू नाम से फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म में उनके जीवन और उनके आदर्शों को दिखाया गया है।

बाला साहेब ठाकरे से जुड़े रोचक और अनसुने तथ्य – Facts about Balasaheb Thackeray

  • हिन्दू ह्र्दय सम्राट के नाम से प्रसिद्ध बाल ठाकरे चांदी के सिंहासन पर बैठने के बेहद शौकीन थे, उनका प्रभाव पूरे महाराष्ट्र में था।
  • बाल ठाकरे अपने बेबाक भाषणों के लिए भी जाने जाते थे। उनके दरबार में विरोधी भी हाजरी लगाते थे, एवं ठाकरे अपने दुश्मनों को खुलेआम धमकी देते थे।
  • बाल ठाकरे को अपनी जिंदगी में जेल भी जाना पड़ा था। एक बार बाल ठाकरे ने मुस्लिमों पर बयान देते हुए था कि यह कैंसर की तरह फैल रहे हैं और देश को इनसे बचाया जाना चाहिए।
  • बाल ठाकरे को सिगार और व्हाइट वाइन बेहद पसंद थी। वहीं उके हर फोटो और इंटरव्यू में हाथ में सिगार या पाइप जरूर होती थी।
  • बाल ठाकरे न तो सीएम थे और न ही सांसद लेकिन इसके बाबजूद भी उनका प्रभाव महाराष्ट्र में इतना था कि उनके मरने के बाद उन्हें एक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तरह 21 तोपों की सलामी दी गई।वहीं उनके निधन पर लोगों ने अपनी मर्जी से पूरे मुंबई को बंद रखा था।
  • बाल ठाकरे अक्सर हिटलर औऱ श्रीलंका के आंतकी संगठन लिट्टे की जमकर तारीफ करते थे।

महाराष्ट्र में लोग उन्हें “टाइगर ऑफ़ मराठा” के नाम से जानते थे। वे पहले व्यक्ति थे जिनकी मृत्यु पर लोगो ने बिना किसी नोटिस के स्वयम अपनी मर्ज़ी से पूरी मुंबई बंद रखी थी। निच्छित ही हमें महाराष्ट्र के इस महान नेता को सलामी देनी चाहिये।

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हर्षोल्लास का त्यौहार होली पर सर्वश्रेष्ठ सुविचार

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Happy Holi & Holi Quotes in Hindi

दोस्तों, सबसे पहले तो आप सभी को होली की बहुत सारी शुभकामनायें! – Happy Holi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। यहां अलग-अलग धर्म के लोगों द्धारा अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं। वहीं यहां मनाए जाने वाले त्योहारों में होली का पर्व भी हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है।

होली के त्योहार को फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली का त्यौहार मतलब रंगों का त्यौहार जैसे अलग अलग रंग एकसाथ मिलकर इस त्यौहार में रंग भर देते हैं वैसेही हमें अपने दिलो की कड़वाहट को मिटाकर और दिलों में प्यार भरकर जीवन को जीना चाहिए।

इस दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे को भुलाकर आपस में गले मिलते हैं और एक दूसरे को मुंह मीठा करवाकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं।

इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको होली 2020 पर कुछ खास शुभकामनाएं संदेश – Holi Quotes उपलब्ध करवा रहे हैं, जिन्हें आप सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर कर अपने परिजनों, रिश्तेदारों और करीबियों को शुभकामनाएं संदेश दे सकते हैं। तो  आइए जानते हैं-

होली पर सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Holi Quotes in Hindi

Holi Ki Hardik Shubhkamnaye Images In Hindi gif

“सदा हँसते रहो मुस्कुराते रहो, जैसी हँसते है फुल, दुनिया के सरे गम भुला दो और चारो तरफ़ फैलाओ खुशियों के गीत, मुबारक हो आपको होली के रीत।”

“Sada Hansate Rahomuskurate Raho, Jaisi Hansate Hai Phul, Duniya Ke Sare Gam Bhula Do Aur Charo Taraf Phailao Khushiyon Ke Git, Mubarak Ho Apako Holi Ke Rit.”

रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो बहार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार, यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार, होली मुबारक हो आपको दिल से हर बार। “Happy Holi”

Rangon Ke Tyauhar Mein Sabhi Rangon Ki Ho Bahar, Dher Sari Khushiyon Se Bhara Ho Apaka Sansar, Yahi Dua Hai Bhagavan Se Hamari Har Bar, Holi Mubarak Ho Apako Dil Se Har Bar. “Happy Holi”.

फाल्गुन का ये प्यारा सा त्यौहार… आप का जीवन खुशियों और रंगों से भर दे… “होली की शुभ-कामनाये”

Phalgun Ka Ye Pyara Sa Tyauhar… Ap Ka Jivan Khushiyon Or Rangon Se Bhar De… “Holi Ki Shubh-Kamanaye”

हमेशा मीठी रहे आपकी बोली खुशियों से भर जाए आपकी झोली आप सबको मेरी तरफ़ से हैप्पी होली।

Hamesha Mithi Rahe Apaki Boli Khushiyon Se Bhar Jae Apaki Jholi Ap Sabako Meri Taraf Se Happy Holi.

Happy Holi Quotes in Hindi

होली का त्योहार प्रेम, सद्भाव और रंगों का त्योहार है। यह पर्व हमें ढेर सारी मौज मस्ती करने का मौका देता है साथ ही लोगों की जिंदगी में रंग भरने का काम करता है। यह त्योहार पूरे भारत में बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन लोग एक दूसरे को प्यार से रंग-बिरंगे गुलाल लगाते हैं एवं बच्चे अपनी पिचकारी और गुब्बारे भरकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं। इस मौके पर जगह-जगह पार्टी एवं रंगारंग कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।

इस दिन  कई हिन्दू परिवारों में गुझिया समेत कई पारंपरिक पकवान भी बनाए जाने की परंपरा हैं। हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस त्योहार को मनाने का तरीका बदल गया लेकिन आज भी इस पर्व को मनाने का उद्देश्य एक ही है।

इस त्योहार के मौके पर जो लोग अपनों से दूर रहते हैं, वे होली पर लिखे गए इस तरह के कोट्स के माध्यम से होली के इस पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं।

Holi Wishes in Hindi Messages Whatsapp Greetings Images for 2018

“होली में आप सब के गम जल जाये और रंगपंचमी के सारे रंग आपके जीवन को खुशिया लायें।”

“Holi Mein Ap Sab Ke Gam Jal Jaye Aur Rangapanchami Ke Sare Rang Apake Jivan Ko Khushiya Layen.”

आज की होली में आपके सब सुख दर्द जल जाए और कल की रंगपंचमी के सारे रंग आपके जीवन में खुशियों से भर जाए। “Happy Holi”.

Aj Ki Holi Mein Apake Sab Sukh Dard Jal Jae Aur Kal Ki Rangapanchami Ke Sare Rang Apake Jivan Mein Khushiyon Se Bhar Jae. “Happy Holi”.

रंगों की बहार हो गुझिया की मिठास हो एक बात खास हो सब के दिल में प्यार हो यही अपना त्यौहार हो।

Rangon Ki Bahar Ho Gujhiya Ki Mithas Ho Ek Bat Khas Ho Sab Ke Dil Mein Pyar Ho Yahi Apana Tyauhar Ho.

ईश्वर करे आपकी जिन्दगी का हर दिन हर आने वाला पल प्यार, सुख, समृधि, आनंद, कामयाबी, और सेहत के रंगों से सरोबर हो जाय।

Ishvar Kare Apaki Jindagi Ka Har Din Har Ane Vala Pal Pyar, Sukh, Samrdhi, Anand, Kamayabi, Aur Sehat Ke Rangon Se Sarobar Ho Jay.

Holi wishes in Hindi

“पूनम का चाँद रंगों की डोली, चाँद से चाँदनीं बोली, ख़ुशियों से भरे आपकी झोली, मुबारक हो आपको रंगबी रंगी होली।”

“Poonam Ka Chand Rangon Ki Doli, Chand Se Chandanin Boli, Khushiyon Se Bhare Apaki Jholi, Mubarak Ho Apako Rangabi Rangi Holi.”

गुझिया की महक आने से पहले, रंगों में रंगने से पहले, होली के नशे मैं होने से पहले, किसी और के कहने से पहले, हम आपसे कहते है, हैप्पी होली सबसे पहले।

Gujhiya Ki Mahak Ane Se Pahale, Rangon Mein Rangane Se Pahale, Holi Ke Nashe Main Hone Se Pahale, Kisi Aur Ke Kahane Se Pahale, Ham Apase Kahate Hai, Haippi Holi Sabase Pahale.

रास रचाए गोकुल में कन्हैया होली में बन जाए रंग रसिया सजाये रंगों का साज हर एक द्वारे आज भी एक गोपियाँ रंग लिए कान्हा की रह निहारें होली की मंगल शुभकामनाये.

Ram Rachae Gokul Mein Kanhaiya Holi Mein Ban Jae Rang Rasiya Sajaye Rangon Ka Saj Har Ek Dvare Aj Bhi Ek Gopiyan Rang Lie Kanha Ki Rah Niharen Holi Ki Mangal Shubhakamanaye.

वसंत रुतु की बहार, चली पिचकारी उड़ा है गुलाल, रंग बरसे नीले हारे लाल, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।

Vasant Rutu Ki Bahar, Chali Pichakari Uda Hai Gulal, Rang Barase Nile Hare Lal, Mubarak Ho Apako Holi Ka Tyauhar.

Happy Holi quotes

“होली का गुलाल हो रंगों की बहार हो, एक बात खास हो सब के दिल में प्यार हो, यही अपना त्यौहार हो।”

“Holi Ka Gulal Ho Rangon Ki Bahar Ho, Ek Bat Khas Ho Sab Ke Dil Mein Pyar Ho, Yahi Apana Tyauhar Ho.”

इससे पहले की होली की शाम हो जाए, बधाईंयो का सिलसिला आम हो जाए.. और सारा नेटवर्क जाम हो जाए… क्यों ना एडवांस में होली की राम-राम हो जाए।

Isase Pahale Ki Holi Ki Sham Ho Jae, Badhainyo Ka Silasila Am Ho Jae.. Aur Sara Netavark Jam Ho Jae… Kyon Na Edavans Mein Holi Ki Ram-Ram Ho Jae.

खाले गुजिया और पीले थोड़ी ठंडाई; सुंदर लगे तू रंगों में नहाई; मेरे संग भी खेल ले होली; और बन जा मेरी लुगाई! हैप्पी होली मुबारक हो!

Khale Gujiya Aur Pile Thodi Thandai; Sundar Lage Too Rangon Mein Nahai; Mere Sang Bhi Khel Le Holi; Aur Ban Ja Meri Lugai! Happy Holi Mubarak Ho!

साधे रंग को गलती से आप ना कोरा समझो, इसी में समाये इन्द्रधनुषी सातों रंग, जो दिखे आपको जिंदगी सादगी भरी किसी की, तो आप यूँ समझो सतरंगी है दुनिया उसकी, होली आयी सतरंगी रंगों की बौछार लायी, ढेर सारी मिठाई और मीठा-मीठा प्यार लायी। “Happy Holi”

Sadhe Rang Ko Galati Se Ap Na Kora Samajho, Isi Mein Samaye Indradhanushi Saton Rang, Jo Dikhe Apako Jindagi Sadagi Bhari Kisi Ki, To Ap Yoon Samajho Satarangi Hai Duniya Usaki, Holi Ayi Satarangi Rangon Ki Bauchhar Layi, Dher Sari Mithai Aur Mitha-Mitha Pyar Layi. “Happy Holi”.

Holi  Shayari in Hindi
Holi Shayari in Hindi

“मथुरा की खुशबू, गोकुल का हार,वृंदावन की सुगंध, बरसाने की फुहार। राधा की उम्मीद, कान्हा का प्यार, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।”

“Mathura Ki Khushaboo, Gokul Ka Haar,Vrndaavan Ki Sugandh, Barasaane Ki Phuhaar. Raadha Ki Ummid, Kaanha Ka Pyaar, Mubaarak Ho Aapako Holi Ka Tyauhaar.”

इस बार कुछ ऐसा रंग दे मोहे, की तू ही मेरा सब रंग हो जाये और बाकि सब बेरंग!! “Happy Holi”

Is Bar Kuchh Aisa Rang De Mohe, Ki Too Hi Mera Sab Rang Ho Jaye Aur Baki Sab Berang!! “Happy Holi”

राधा के रंग और कान्हा की पिचकारी, प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी ये रंग ना जाने कोई जात ना कोई बोली, मुबारक हो आपको रंग भरी होली. “Happy Holi”.

Radha Ke Rang Aur Kanha Ki Pichakari, Pyar Ke Rang Se Rang Do Duniya Sari Ye Rang Na Jane Koi Jat Na Koi Boli, Mubarak Ho Apako Rang Bhari Holi. “Happy Holi”.

तुम भी झूमे मस्ती में, हम भी झूमे मस्ती में, शोर हुआ सारी बस्ती में.. झूमे सब होली की मस्ती में.. मस्त मस्त ये मस्ती रहे सदा आपकी कश्ती में, मुबारक हो होली भीगी मस्ती में! “Happy Holi”.

Tum Bhi Jhoome Masti Mein, Ham Bhi Jhoome Masti Mein, Shor Hua Sari Basti Mein.. Jhoome Sab Holi Ki Masti Mein… Mast Mast Ye Masti Rahe Sada Apaki Kashti Mein, Mubarak Ho Holi Bhigi Masti Mein! “Happy Holi”.

Holi Status in Hindi

होली का पर्व आपसी प्रेम, सद्भाव, शांति और सोहार्द का पर्व है। होली के त्योहार से कई पौराणिक, धार्मिक कथाएं एवं मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। होली से प्रचलित सबसे प्रचलित कथा भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद से जुड़ी हुई है।

जिसके मुताबिक प्रहलाद के राक्षस रुपी पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद के मौत का षणयंत्र रचा था, दरअसल  होलिका को ऐसी चादर वरदान स्वरुप मिली थी, जिसे ओढ़ने पर आग पर बैठने पर भी कोई भी नहीं जला सकता था।

वहीं जब अपने भाई के कहने पर होलिका प्रहलाद को मारने के उद्देश्य से जलती आग में प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठी तो वह चादर उड़ गई और होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गईं एवं भक्त प्रहलाद बच गए तभी से इस पर्व को अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाता है।

वहीं इस मौके पर जो लोग अपनों से दूर रहते हैं, वे इस तरह के कोट्स के माध्यम से होली के पर्व की बधाई दे सकते हैं।

Holi Wishes Messages for Whatsapp in Hindi

“प्रेम के रंगों से भरो पिचकारी, स्नेह से रंग दो दुनिया सारी, ये रंग ना जाने कोई जाट न कोई बोली, आप सभी को मुबारक हो होली।”

“Prem Ke Rangon Se Bharo Pichakari, Sneh Se Rang Do Duniya Sari, Ye Rang Na Jane Koi Jat Na Koi Boli, Ap Sabhi Ko Mubarak Ho Holi.”

रंगों से भी रंगीन जिन्दगी हमारी रंगीली रहे ये बंदगी है हमारी कभी ना बिगड़े ये प्यार की रंगोली ए मेरे यार तुझे मुबारक हो ये होली होली की हार्दिक शुभकामनाए।

Rangon Se Bhi Rangin Jindagi Hamari Rangili Rahe Ye Bandagi Hai Hamari Kabhi Na Bigade Ye Pyar Ki Rangoli E Mere Yar Tujhe Mubarak Ho Ye Holi Holi Ki Hardik Shubhakamanae.

खा के गुजिया, पी के भांग, लगा के थोडा सा रंग, बजा के ढोलक और मृदंग, खेले होली हम तेरे संग। होली मुबारक

Kha Ke Gujiya, Pi Ke Bhang, Laga Ke Thoda Sa Rang, Baja Ke Dholak Aur Mrdang, Khele Holi Ham Tere Sang. Holi Mubarak.

Holi Thoughts in Hindi

“जिंदगी है हमारी, रंगीली रहे यह बंदगी है हमारी, कभी न बिगडे ये, प्यार की रंगोली, ए मेरे यार ऐसी हैप्पी होली।”

“Jindagi Hai Hamari, Rangili Rahe Yah Bandagi Hai Hamari, Kabhi Na Bigade Ye, Pyar Ki Rangoli, E Mere Yar Aisi Haippi Holi.”

खुदा करे हर साल चाँद बन के आये दिन का उजाला शान बन के आये कभी दूर ना हो आपके चेहरे से हंसी ये होली का त्यौहार ऐसा मेहमान बन के आये। “Happy Holi”

Khuda Kare Har Sal Chand Ban Ke Aye Din Ka Ujala Shan Ban Ke Aye Kabhi Door Na Ho Apake Chehare Se Hansi Ye Holi Ka Tyauhar Aisa Mehaman Ban Ke Aye. “Happy Holi”.

सूरज की पहली किरण में सात रंग हो, बागों में फूलों की खुशबु हो, आप जब भी खोले अपनी पलके, आपके चेहरे पर होली का रंग हो… “Happy Holi”

Sooraj Ki Pahali Kiran Mein Sat Rang Ho, Bagon Mein Phoolon Ki Khushabu Ho, Ap Jab Bhi Khole Apani Palake, Apake Chehare Par Holi Ka Rang Ho… “Happy Holi”.

आज की होली में आपके सब दुःख दर्द जल जाएँ, और कल की रंगपंचमी के सारे रंग आपके जीवन को खुशियों से भर जाएँ…. “Happy Holi”

Aj Ki Holi Mein Apake Sab Duhkh Dard Jal Jaen, Aur Kal Ki Rangapanchami Ke Sare Rang Apake Jivan Ko Khushiyon Se Bhar Jaen…. “Happy Holi”.

Holi Quotes in Hindi

“खुशियों से हो ना कोई दुरी, रहे ना कोई ख्वाहिश अधूरी, रंगों से भरे इस मौसम में, रंगीन हो आपकी दुनिया पूरी।”

“Khushiyon Se Ho Na Koi Duri, Rahe Na Koi Khvahish Adhoori, Rangon Se Bhare Is Mausam Mein, Rangin Ho Apaki Duniya Poori.”

रंगों से दुनिया की पहचान है, रंगों के बिना दुनिया वीरान है, रंगों से दुनिया जिंदा है, इन होली के रंगों में बहूत जान है।

Rangon Se Duniya Ki Pahachan Hai, Rangon Ke Bina Duniya Viran Hai, Rangon Se Duniya Jinda Hai, In Holi Ke Rangon Mein Bahoot Jan Hai.

मथुरा की खुशबु, गोकुल का हार, वृन्दावन की सुगंध, बरसाने की फुहार, राधा की उम्मीद, कान्हा का प्यार, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार। “Happy Holi”

Mathura Ki Khushabu, Gokul Ka Har, Vrndavan Ki Sugandh, Barasane Ki Phuhar, Radha Ki Ummid, Kanha Ka Pyar, Mubarak Ho Apako Holi Ka Tyauhar. “Happy Holi”.

Holi Shayari in Hindi

प्रेम, सद्भाव और श्रद्धा के इस पर्व को लेकर युवाओं और बच्चे में काफी उत्साह रहता है। वे कई दिन पहले से ही इसकी तैयारियां करने लगते हैं। वहीं इस त्योहार को राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जोड़ा जाता है।

भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा वृन्दावन में होली का पर्व अलग तरीके से मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान पूरी मथुरा नगरी राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबे रहते हैं। आपको बता दें कि नंदगांव की लठमार होली एवं बरसाने की फूलों की होली पूरे देश भर में प्रसिद्ध है।

होली के पर्व के दौरान देश के कोने-कोने से लोग यहां इस पर्व को मनाने के लिए आते हैं। वहीं आप इन कोट्स के माध्यम से  होली के पावन पर्व की बधाई दे सकते हैं।

Holi Attitude Status in Hindi
Holi Attitude Status in Hindi

यह जो रंगों का त्यौहार है, यह जो रंगों का त्यौहार है, इस दिन ना हुए लाल पीले तो जिन्दगी बेकार है, रंग लगाना तो इतना पक्का लगाना, जितना पक्का तू मेरा यार है… “Happy Holi”

Yah Jo Rangon Ka Tyauhar Hai, Yah Jo Rangon Ka Tyauhar Hai, Is Din Na Hue Lal Pile To Jindagi Bekar Hai, Rang Lagana To Itana Pakka Lagana, Jitana Pakka Too Mera Yar Hai… “Happy Holi”

रंगों की ना होती कोई जात, वो तो लाते बस खुशियों की सौगात, हाथ से हाथ मिलते चलो होली है होली रंग लगाते चलो। “Wish you All A Very Happy Holi”

Rangon Ki Na Hoti Koi Jat, Vo To Late Bas Khushiyon Ki Saugat, Hath Se Hath Milate Chalo Holi Hai Holi Rang Lagate Chalo. “Wish You All A Vairy Happy Holi”

गुल ने गुलशन से गुलफान भेजा है, सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार, हमने दिल से ये पैगाम भेजा है… “Happy Holi”

Gul Ne Gulashan Se Gulaphan Bheja Hai, Sitaron Ne Asaman Se Salam Bheja Hai, Mubarak Ho Apako Holi Ka Tyauhar, Hamane Dil Se Ye Paigam Bheja Hai… “Happy Holi”.

Holi Quotes in Hindi
Holi Quotes in Hindi

रंग उडाए पिचकारी, रंग से रंग जाए दुनिया सारी, होली के रंग आपके जीवन को रंग दे, यह शुभकामना है हमारी। “Happy Holi”

Rang Udaye Pichakari, Rang Se Rang Jaye Duniya Sari, Holi Ke Rang Apake Jivan Ko Rang De, Yah Shubhakamana Hai Hamari. “Happy Holi”.

पूरनमाशी का चाँद, चाँद से उसकी चांदनी बोली, खुशिओं से भरे सबकी झोली, मुबारक हो आपको प्यारी होली।

Pooranamashi Ka Chand, Chand Se Usaki Chandani Boli, Khushion Se Bhare Sabaki Jholi, Mubarak Ho Apako Pyari Holi.

सतरंग रंग लिए आये होली. गाव, शहर में छाई होली, रंगों में डूबे साथी सजनी, होली है और धूम मची है, भांग की खुमारी छाई है, तन में मस्ती मन में मस्ती, होली की मस्ती सब और छाई है! “Happy Holi”

Satarang Rang Lie Aye Holi. Gav, Shahar Mein Chhai Holi, Rangon Mein Doobe Sathi Sajani, Holi Hai Aur Dhoom Machi Hai, Bhang Ki Khumari Chhai Hai, Tan Mein Masti Man Mein Masti, Holi Ki Masti Sab Aur Chhai Hai! “Happy Holi”.

Holi Status in Hindi
Holi Status in Hindi

लाल गुलाबी रंग है, झूम रहा संसार है, सूरज की किरण है, खुशियों की बहार, चाँद की चांदनी अपनों का प्यार मुबारक हो आपको रंगों का ये त्यौहार।

Lal Gulabi Rang Hai, Jhoom Raha Sansar Hai, Sooraj Ki Kiran Hai, Khushiyon Ki Bahar, Chand Ki Chandani Apanon Ka Pyar Mubarak Ho Apako Rangon Ka Ye Tyauhar.

मोहब्बत का रंग, पिचकारी की पुचार, सूरज की किरने, खुशियों की बहांर, चाँद की चांदनी, अपनो का प्यार, मुबारक हो आपको “होली” का त्यौहार।

Mohabbat Ka Rang, Pichakari Ki Puchar, Sooraj Ki Kirane, Khushiyon Ki Bahanr, Chand Ki Chandani, Apano Ka Pyar, Mubarak Ho Apako “Holi” Ka Tyauhar.

लाल गुलाबी रंग है, झूम रहा संसार है, सूरज की किरण है, खुशियों की बहार, चाँद की चांदनी अपनों का प्यार मुबारक हो आपको रंगों का ये त्यौहार।

Lal Gulabi Rang Hai, Jhoom Raha Sansar Hai, Sooraj Ki Kiran Hai, Khushiyon Ki Bahar, Chand Ki Chandani Apanon Ka Pyar Mubarak Ho Apako Rangon Ka Ye Tyauhar.

Holi Wishes in Hindi

बदलते वक्त के साथ आज त्योहारों को मनाने के तरीके भी बदल गए हैं। वहीं होली के त्योहार ने भी आज आधुनिकता का रुप ले लिया है। इस पर्व में भी लोगों में दिखावे की होड़ होती है। वहीं आजकल इस पर्व में जगह-जगह डीजे आदि लगने से काफी शोर-शरावा एवं हुल्लड़बाजी होती है, जिससे अशांति फैलती है।

इसके साथ ही आज के दौर में रेन डांस, पूल पार्टी आदि का चलन होने की वजह पानी की भी जमकर बर्बादी होती है। इसके अलावा कुछ लोग इस त्योहार में गुलाल की जगह कैमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिसका बुरा प्रभाव स्किन पर पड़ता है। वहीं कुछ लोग इसी डर से इस त्योहार के मौके पर अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं।

वहीं इस त्योहार की गरिमा को बरकरार रखने और इको-फ्रैंडली होली मनाए जाने को लेकर भी लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत हैं। होली पर लिखे गए इस तरह के कोट्स न सिर्फ लोगों के अंदर जागरूकता फैलाने का काम करेंगे बल्कि इस पर्व पर शुभकामनाएं मैसेज भेजने में भी मद्ददगार साबित होंगे।

Quotes on Holi in Hindi
Quotes on Holi in Hindi

होली आयी सतरंगी रंगों की बौछार लायी, ढेर सारी मिठाई और मीठा मीठा प्यार लायी, आप की जिंदगी हो मीठे प्यार और खुशिओं से भरी, जिसमे समाये सातों रंग यही शुभकामना है हमारी।

Holi Aayi Satarangi Rangon Ki Bauchhar Layi, Dher Sari Mithai Aur Mitha Mitha Pyar Layi, Aap Ki Jindagi Ho Mithe Pyar Aur Khushion Se Bhari, Jisame Samaye Saton Rang Yahi Shubhakamana Hai Hamari.

तुम मानो या ना मानो हमको है प्यार हम प्यार का इन शब्दों में करते है इंतजार मक्की की रोटी नींबू आचार सूरज की किरने खुशियों की बहार चाँद की चाँदनी अपनों का प्यार मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।

Tum Mano Ya Na Mano Hamako Hai Pyar Ham Pyar Ka In Shabdon Mein Karate Hai Intajar Makki Ki Roti Nimboo Achar Sooraj Ki Kirane Khushiyon Ki Bahar Chand Ki Chandani Apanon Ka Pyar Mubarak Ho Apako Holi Ka Tyauhar.

रंगों से भरी शाम हो आपकी, चाँद सितारों से ज्यादा शान हो आपको, जिन्दगी का सिर्फ़ एक मकसद हो आपका की लंगूर से ऊँची छलांग हो आपकी, Bura na mano holi hai.

Rangon Se Bhari Sham Ho Apaki, Chand Sitaron Se Jyada Shan Ho Apako, Jindagi Ka Sirf Ek Makasad Ho Apaka Ki Langoor Se Oonchi Chhalang Ho Apaki, Bur Na Mano Holi Hai.

Holi SMS in Hindi Shayari
Holi SMS in Hindi Shayari

तुम भी झूमे मस्ती में हम भी झूमें मस्ती में शोर हुआ सारी बस्ती में झूमे सब होली की मस्ती में होली मुबारक।

Tum Bhi Jhoome Masti Mein Ham Bhi Jhoomen Masti Mein Shor Hua Sari Basti Mein Jhoome Sab Holi Ki Masti Mein Holi Mubarak.

हर्ष का हरा, लावण्य की लाली प्रेम के जल में हमने मिला ली उस रंग से मैं खुद को रंग दूँ प्रियजन… होली की हार्दिक शुभकामनायें।

Harsh Ka Hara, Lavany Ki Lali Prem Ke Jal Mein Hamane Mila Li Us Rang Se Main Khud Ko Rang Doon Priyajan… Holi Ki Hardik Shubhakamanayen. 

हर कोई रंग आप पे बरसे, हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे, रंग दे आपको सब इतना, की आप रंग छुड़ाने को तरसे। “Happy Holi”

Har Koi Rang Ap Pe Barase, Har Koi Apase Holi Khelane Ko Tarase, Rang De Apako Sab Itana, Ki Ap Rang Chhudane Ko Tarase. “Happy Holi”.

Happy Holi Images
Happy Holi Images

रंगों से भरा रहे जीवन तुम्हारा, खुशियाँ बरसे तुम्हारे आँगन, इन्द्रधनुष सी खुशियाँ आये, आओ मिलकर होली मनाये। “Happy Holi”

Rangon Se Bhara Rahe Jivan Tumhara, Khushiyan Barase Tumhare Angan, Indradhanush Si Khushiyan Aye, Ao Milakar Holi Manaye. “Happy Holi”

सोचा किसी अपने से बात करे अपने किसी खास को याद करे किया जो फैसला “होली” की शुभकामनाये देने का दिल ने कहा क्यूँ आपसे ही शुरुवात करे। “Happy Holi”

Socha Kisi Apane Se Bat Kare Apane Kisi Khas Ko Yad Kare Kiya Jo Phaisala “Holi” Ki Shubhakamanaye Dene Ka Dil Ne Kaha Kyoon Apase Hi Shuruvat Kare. “Happy Holi”

पडोसी के साथ होली खेलते वक्त ध्यान रखे वरना बगैर रंग डाले पत्नी आपका गाल लाल कर सकती है। “Happy Holi”

Padosi Ke Sath Holi Khelate Vakt Dhyan Rakhe Varana Bagair Rang Dale Patni Apaka Gal Lal Kar Sakati Hai. “Happy Holi”.

Quotes on Holi in Hindi

होली का त्योहार मुख्य रुप से दो दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व के पहले दिन शाम के समय होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद एक दूसरे से लोग गले-मिलकर होली की बधाई देते हैं। जबकि होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रुप में जाना जाता है।

इस दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग-बिरंगे रंगों से रंगकर खूब मौज-मस्ती करते हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व हमें अपनी बुराईयों को त्याग कर अच्छाई को अपनाने की सीख देता हैं।

वहीं होली पर लिखे गए इस तरह के कोट्स न सिर्फ बधाई संदेश देने का काम करते हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और इस पर्व को और अधिक खास बनाते हैं।

Holi Images 2018
Holi Images 2018

होली का गुलाल हो रंगों की बहार हो गुझिया की मिठास हो एक बात खास हो सब के दिल में प्यार हो यही अपना त्यौहार हो।

Holi Ka Gulal Ho Rangon Ki Bahar Ho Gujhiya Ki Mithas Ho Ek Bat Khas Ho Sab Ke Dil Mein Pyar Ho Yahi Apana Tyauhar Ho.

पल पल से बनता है एहसास, एहसास से बनता है विश्वास, विश्वास से बनते है रिश्ते, और रिश्ते से बनता है कोई खास। “Happy Holi”.

Pal Pal Se Banata Hai Ehasas, Ehasas Se Banata Hai Vishvas, Vishvas Se Banate Hai Rishte, Aur Rishte Se Banata Hai Koi Khas. “Happy Holi”.

मेरी जान मेरे साथ हो तो खुशियाँ है, मस्ती है ठिठोली है… बिना मेरे प्यारी जानेमन बीवी के क्या सुनी सुनी होली है। “Happy Holi”.

Meri Jan Mere Sath Ho To Khushiyan Hai, Masti Hai Thitholi Hai… Bina Mere Pyari Janeman Bivi Ke Kya Suni Suni Holi Hai. “Happy Holi”.

Holi Images 2018
Holi Images 2018

ऐसे मनाना होली का त्यौहार पिचकारी से बरसे सिर्फ़ प्यार.. यही मौसम है अपनों से गले मिलने का, तो गुलाल लेकर हो जाओ तैयार।

Aise Manana Holi Ka Tyauhar Pichakari Se Barase Sirf Pyar.. Yahi Mausam Hai Apanon Se Gale Milane Ka, To Gulal Lekar Ho Jao Taiyar.

इस बार होली ऐसी मनाऊंगा, खुद को करके कला पिला, तेरी गली पहुचं जाऊंगा… तू सोचती रह जाएगी, और तेरे बाप के सामने तुझे रंग लगा जाऊंगा। “Happy Holi”

Is Bar Holi Aisi Manaoonga, Khud Ko Karake Kala Pila, Teri Gali Pahuchan Jaoonga… Too Sochati Rah Jaegi, Aur Tere Bap Ke Samane Tujhe Rang Laga Jaoonga. “Happy Holi”.

होली में इतने भी पुराने कपडे मत पहन लेना की, कोई तुम्हे हाथ में रोटी थामकर चला जाएँ। “Happy Holi”

Holi Mein Itane Bhi Purane Kapade Mat Pahan Lena Ki, Koi Tumhe Hath Mein Roti Thamakar Chala Jaen. “Happy Holi”.

Holi Wishes in Hindi
Holi Wishes in Hindi

होली के दिन ये मुलाकात याद रहेगी रंगों की ये बरसात याद रहेगी आपको मिले रंगीन दुनिया ऐसी हमेशा ये मेरी दुआ रहेगी।

Holi Ke Din Ye Mulakat Yad Rahegi Rangon Ki Ye Barasat Yad Rahegi Apako Mile Rangin Duniya Aisi Hamesha Ye Meri Dua Rahegi.

इस होली में तेरे गालों पे गुलाल लगाना है, तुझे सुनहरे रंगों से भिगोना है, तुझे अपनी बाहों में उठा के, मेरे होठो को तेरे होठों से मिलाना है… “Happy Holi Dear”

Is Holi Mein Tere Galon Pe Gulal Lagana Hai, Tujhe Sunahare Rangon Se Bhigona Hai, Tujhe Apani Bahon Mein Utha Ke, Mere Hotho Ko Tere Hothon Se Milana Hai… “Happy Holi Dear”.

रंग बरसे भीगे, चुनर वाली रंग बरसे.. सोने की थाली में जोना परोसा… सोने की थाली में, सोने की थाली में जोना परोसा.. खाए गोरी का यार बालम तरसे रंग बरसे… होली है… “Happy Holi”.

Rang Barase Bhige, Chunar Vali Rang Barase.. Sone Ki Thali Mein Jona Parosa… Sone Ki Thali Mein, Sone Ki Thali Mein Jona Parosa.. Khae Gori Ka Yar Balam Tarase Rang Barase… Holi Hai… “Happy Holi”.

Holi Attitude Status in Hindi

Holi Photos
Holi Photos

निकलो गलियों में बना कर टोली, भीगा दो आज हर एक की झोली, कोई मुस्कुरा दे तो उसे गले लगा लो, वरना निकल लो, लगा के रंग कह के हैप्पी होली….!

Nikalo Galiyon Mein Bana Kar Toli, Bhiga Do Aj Har Ek Ki Jholi, Koi Muskura De To Use Gale Laga Lo, Varna Nikal Lo, Laga Ke Rang Kah Ke Haippi Holi….!

लाल हो या पिला, हरा हो या नीला, सुखा हो या गिला, एक बार रंग लग जाए तो हो जाए रंगीला… “Happy Holi”

Lal Ho Ya Pila, Hara Ho Ya Nila, Sukha Ho Ya Gila, Ek Bar Rang Lag Jae To Ho Jae Rangila… “Happy Holi”.

होलिका दहन के साथ बीते पुरे वर्ष की सारी कडवी यादों, अनुभवों और दु:खों को जलाकर आने वाले नववर्ष में प्रेम, उल्लास, आनंद, उमंग और भाईचारे के साथ जीवन व्यक्तित करे। “Happy Holi”

Holika Dahan Ke Sath Bite Pure Varsh Ki Sari Kadavi Yadon, Anubhavon Aur Du:Khon Ko Jalakar Ane Vale Navavarsh Mein Prem, Ullas, Anand, Umang Aur Bhaichare Ke Sath Jivan Vyaktit Kare. “Happy Holi”.

Funny Holi Quotes in Hindi
Funny Holi Quotes in Hindi

ये खुदा आज तो कुछ रहम कर दे, मेरे दोस्त लोग आज नहीं रह पाएंगे, लगवा दो किसी लड़की के हाथों इन्हे रंग, ये कमीने पुरे साल भर नहीं नहायेंगे।

Ye Khuda Aaj To Kuchh Raham Kar De, Mere Dost Log Aaj Nahin Rah Paenge, Lagava Do Kisi Ladaki Ke Hathon Inhe Rang, Ye Kamine Pure Sal Bhar Nahin Nahayenge.

होली… होली होती है दीवाली मत समझना, हम तुम्हारे घर आये रंग लगाने तो हमें मावाली मत समझना। “Happy Holi”

Holi… Holi Hoti Hai Divali Mat Samajhana, Ham Tumhare Ghar Aye Rang Lagane To Hamen Mavali Mat Samajhana. “Happy Holi”.

मेरी जिंदगी में होता कोई रंग भरने वाला, तो मेरी हर ख़ुशी मेरे गुमो पर ना रोती। “Happy Holi”

Meri Jindagi Mein Hota Koi Rang Bharane Vala, To Meri Har Khushi Mere Gumo Par Na Roti. “Happy Holi”.

Holi ke Photo
Holi ke Photo

दाल मक्खनी का स्वाद लजीज होता है, करे दिल जिसे याद वो अजीज होता है, होली के बहाने जो करे छेड़खानी, वो सबसे बड़ा बदतमीज होता है.. Wish u a very Happy Holi 2019

Dal Makkhani Ka Svad Lajij Hota Hai, Kare Dil Jise Yad Vo Ajij Hota Hai, Holi Ke Bahane Jo Kare Chhedakhani, Vo Sabase Bada Badatamij Hota Hai.. Wish U A Vairy Happy Holi 2019.

होली के दिन ये मुलाकात याद रहेगी रंगों की ये बरसात याद रहेगी आपको मिले रंगीन दुनिया ऐसी हमेशा ये मेरी दुआ रहेगी। “Happy Holi”

Holi Ke Din Ye Mulakat Yad Rahegi Rangon Ki Ye Barasat Yad Rahegi Apako Mile Rangin Duniya Aisi Hamesha Ye Meri Dua Rahegi. “Happy Holi”.

रंगो की बौछार नहीं, नजरो की इनायत ही काफी है तुम सामने होते हो तो, चेहरा यूँ ही गुलाल हो जाता है। “Happy Holi”

Rango Ki Bauchhar Nahin, Najaro Ki Inayat Hi Kaphi Hai Tum Samane Hote Ho To, Chehara Yoon Hi Gulal Ho Jata Hai. “Happy Holi”.

Holi SMS in Hindi with Picture

Best Iimages of Holi
Best Images of Holi

लाल रंग आपके गालों के लिए, कला रंग आपके बालों के लिए, नीला रंग आपकी आँखों के लिए, गुलाबी रंग आपके सपनों के लिए, सफेद रंग आपके मन के लिए, हरा रंग आपके जीवन के लिए, होली के इन 7 रंगों के साथ आपके पुरे परिवार को रंगभरी शुभकामनाये।

Lal Rang Apake Galon Ke Lie, Kala Rang Apake Balon Ke Lie, Nila Rang Apaki Ankhon Ke Lie, Gulabi Rang Apake Sapanon Ke Lie, Saphed Rang Apake Man Ke Lie, Hara Rang Apake Jivan Ke Lie, Holi Ke In 7 Rangon Ke Sath Apake Pure Parivar Ko Rangabhari Shubhakamanaye.

ऐसे मनाना होली का त्यौहार पिचकारी से बरसे सिर्फ़ प्यार ये है मौका अपनों को गले लगाने का तो गुलाल और रंग लेकर हो जाओ तैयार।

Aise Manana Holi Ka Tyauhar Pichakari Se Barase Sirf Pyar Ye Hai Mauka Apanon Ko Gale Lagane Ka To Gulal Aur Rang Lekar Ho Jao Taiyar.

वो बात करने तक को राजी नहीं है! और हम होली पर रंग लगाने की हसरत जमाये बैठे है!! “Happy Holi”

Vo Bat Karane Tak Ko Raji Nahin Hai! Aur Ham Holi Par Rang Lagane Ki Hasarat Jamaye Baithe Hai!! “Happy Holi”.

Holi Quotes for Friends
Holi Quotes for Friends

आ जाओ अगर आज तो मिलकर खेलें होली बढ़ जाए अपना प्यार जो मिलकर खेलें होली बचपन की दोस्ती और होली याद आती है काश, एक बार फिर हम तुम मिलकर खेलें होली। “Happy Holi”

Aa Jao Agar Aaj To Milakar Khelen Holi Badh Jae Apana Pyar Jo Milakar Khelen Holi Bachapan Ki Dosti Aur Holi Yad Ati Hai Kash, Ek Bar Phir Ham Tum Milakar Khelen Holi. “Happy Holi”.

सोचा किसी अपने को याद करें अपने किसी खास को याद करे किया जो हमने फैसला होली मुबारक कहने का दिल ने कहा क्यूं आप से शुरुवात करे। “Happy Holi”

Socha Kisi Apane Ko Yad Karen Apane Kisi Khas Ko Yad Kare Kiya Jo Hamane Phaisala Holi Mubarak Kahane Ka Dil Ne Kaha Kyoon Ap Se Shuruvat Kare. “Happy Holi”.

आज मुबारक, कल मुबारक, होली का हर पल मुबारक, रंग बिरंगी होली में, होली का हर रंग मुबारक। “Happy Holi”

Aj Mubarak, Kal Mubarak, Holi Ka Har Pal Mubarak, Rang Birangi Holi Mein, Holi Ka Har Rang Mubarak. “Happy Holi”.

More Quotes Hindi

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शतरंज के शहजादे विश्वनाथन आनंद की जीवनी

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Viswanathan Anand Jivani

आनन्द विश्वनाथन एक अद्भुत प्रतिभा वाले तेज-तर्रार शतरंज खिलाड़ी हैं, यह अपनी एक चाल से ही पूरे शतरंज का पासा पलट देते हैं और अपने  प्रतिद्वंदी पर दबाव डालकर उसे गलती करने पर मजबूर कर देते है।

इसलिए उन्हें शतरंज का शहंशाह और शतरंज का जादूगर भी कहा जाता है। वे खेल के क्षेत्र में मिलने वाले सबसे बड़े राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले पहले खिलाडी है।

इसके अलावा वे 5 बार वर्ल्ड चैस चैम्पियनशिप भी अपने नाम कर अपनी खेल प्रभुता साबित कर चुके हैं। तो आइए जानते हैं शतरंज की दुनिया के बादशाह विश्ननाथन आनंद के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

शतरंज के शहजादे विश्वनाथन आनंद की जीवनी – Viswanathan Anand Biography in Hindi

Viswanathan Anand

विश्वनाथन आनंद की जीवनी एक नजर में- Viswanathan Anand Information in Hindi

नाम (Name) विश्वनाथन आनंद
जन्म (Birthday) 11 दिसम्बर, 1969, माइलादुत्रयी, तमिलनाडु
पिता (Father Name) विश्वनाथन अय्यर
माता (Mother Name) सुशीला
पत्नी (Wife Name) अरुणा आनंद
बच्चे (Childrens) अखिल
शिक्षा (Education) ग्रेजुएशऩ

विश्वनाथन आनंद का जन्म एवं शुरुआत जीवन – Viswanathan Anand History

विश्वनाथ आनंद 11 दिसंबर, 1969 को तमिलनाडु के एक छोटे से शहर मयिलाडुथराई में अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान के रुप में जन्में थे। जबकि उनका पालन-पोषण चेन्नई में हुआ था।

उनके पिता विश्वनाथन अय्यर, दक्षिणी रेलवे के एक रिटायर्ड मैनेजर थे। जबकि उनकी मां सुशीला देवी शतरंज ट्रेनर और प्रभावशाली समाज सुधारिक थी। विश्वनाथ आनंद अपनी मां की वजह से ही शतरंज खेल की तरफ आर्कषित हुए थे।

वहीं उनकी मां ने 6 साल की उम्र से ही उन्हें शतरंज खेलने की ट्रेनिंग शुरु कर दी थी। विश्वनाथन आनंद के एक बड़े भाई शिवकुमार और बहन अनुराधा भी हैं।

विश्वनाथन आनंद ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई के एग्मोरे में स्थित  डॉन बॉस्को मैट्रीकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल से की और उन्होंने कॉमर्स विषय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई चेन्नई के ही लोयोला कॉलेज से पूरी थी।

विश्वनाथन आनंद का विवाह एवं बच्चे – Viswanathan Anand Marriage

वर्ल्ड शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने अरुणा आनंद के साथ शादी की थी। शादी के बाद दोनों को साल 2011 में एक बेटा पैदा हुआ था, जिसका नाम अखिल है।

विश्वनाथन आनंद का करियर – Viswanathan Anand Career

विश्वनाथन आनंद ने साल 2000 से 2002 तक फीडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप (Fide World Chess Championship) का खिताब अपने नाम कर अपनी शतरंज खेलने की अनूठी प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया था।

साल 2007 में विश्वनाथन आनंद ने वर्ल्ड शतरंज चैम्पियनशिप जीतकर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का जादू बिखेरा था।

इसके बाद वे इस दिमाग का खेल माने जाने वाले शतरंज के निर्विवाद शहंशाह बन गए थे।

2008 में आयोजित वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप में विश्वनाथन आनंद ने ब्लादिमीर क्रैमनिक को हराकर अपनी जीत का खिताब बरकरार रखा। इस जीत के बाद वे शतरंज चैंपियनशिप के नॉकआउट, टूर्नामेंट और मैच में जीतने वाले वर्ल्ड शतरंज इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गए थे।

साल 2010 में विश्वनाथ आनंद का मुकाबला बुल्गारिया के दिग्गज वेसेलिन टोपालोव से हुआ और उन्हें वर्ल्ड चैस चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम किया।

लगातार अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सफलता हासिल कर रहे विश्वनाथ आनंद ने साल 2012 में भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और बोरिस गेलफैंड को हराकर एक बार फिर से विश्व चैस चैम्पियनशिप अपने नाम की।

साल 2013 और 2014 विश्वनाथ आनंद के लिए निराशाजनक रहा। इस दौरान उन्हें मैग्नस कार्ललन से दोनों बार हार का सामना करना पड़ा।

साल 2018 में विश्वनाथन आनंद ने कोलकाता में पहला टाटा स्टील शतरंज भारत ब्लिट्ज टूर्नमेंट का खिताब जीता। इस टूर्नामेंट में आनंद पहले चरण के बाद चौथे स्थान पर थे, लेकिन आखिरी दिन उन्होंने 6 बाजियां जीती और उन्होंने तीन ड्रॉ खेली और वह विश्व में तीसरे नंबर के अमेरिकी नाकामुरा की बराबरी पर पहुंच गए थे।

इसके बाद विजेता तय करने के लिए दो दौर का प्लेऑफ खेला गया जो ब्लिट्ज से भी तेज होता है। आनंद ने सफेद मोहरों से जीत दर्ज की और फिर काले मोहरों से ड्रॉ खेलकर 1.5-0.5 से जीत हासिल हासिल की। यह मुकाबला काफी दिलचस्प रहा था।

खेल करियर में सफलता एवं उपलब्धियां – Viswanathan Anand Records

  • साल 1988 में विश्वनाथन भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने।
  • साल 2000 में फीडे वर्ल्ड शतरंज चैम्पियनशिप जीतने वाले विश्वनाथन आनंद पहले भारतीय बने। इसके साथ ही वे इतिहास के उन 9 खिलाड़ियों  में से एक हैं, जिन्होंने फीडे विश्व चैस चैम्पियनशिप में पुराने रिकॉर्ड्स को तोड़ा और वे 21 महीनों तक वर्ल्ड के नंबर 1 खिलाड़ी बने रहे।
  • विश्वनाथन आनंद ने अपने खेल करियर में साल 1997, 1998, 2003, 2004, 2007 और 2008 में 6 बार शतरंज ऑस्कर जीता था।
  • विश्वनाथन आनंद ने 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में करीब 5 बार विश्व शतरंज चैंपियन रह चुके हैं। यह उनके करियरकी यह एक बड़ी उपलब्धि है।

पुरुस्कार एवं सम्मान – Viswanathan Anand Awards

  • 1985 में विश्वनाथन आनंद को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 1987 में विश्वनाथन को भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इसके अलावा 1987 में ही उन्हें राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
  • 1991-92 में विश्वनाथन आनंद को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे खेल के क्षेत्र में मिलने वाले इस सबसे बड़े पुरस्कार को पाने वाले पहले खिलाड़ी हैं।
  • साल 2000 में विश्वनाथन को अपनी अनूठी शतरंज खेल प्रतिभा के लिए पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया था।
  • साल 1998 में विश्वनाथन आनंद को स्पोर्ट्स स्टार मिलेनियम अवार्ड से नवाजा गया था।
  • साल 2007 में विश्वनाथन आनंद को भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

शतरंज के जादूगर माने जाने वाले विश्वनाथ आनंद कई खिलाडि़यों के आदर्श हैं। चैस के लाखों प्रशंसक उनके चैस खेलने की अद्भुत शैली के कायल हैं।

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हिन्दी साहित्य के महान कवि हरिवंशराय बच्चन की जीवनी

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Harivansh Rai Bachchan Ka Jivan Parichay

हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन जी हिन्दी साहित्य जगत का ऐसा नाम हैं, जिनका नाम आज भी शान और गर्व के साथ लिया जाता है।

हरिवंशराय बच्चन जी हिन्दी के एक विख्यात भारतीय कवि और हिंदी के लेखक थे, जिन्होंने अपनी महान रचनाओं और कृतियों के माध्यम से हिन्दी साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात किया था उन्हें नई सदी का रचयिता भी कहा जाता था। ऊनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “मधुशाला” है।

उन्होंने अपनी कृतियों में बेहद शानदार ढंग से जीवन की सच्चाई का वर्णन किया है, उनकी रचनाएं दिल को छू जाने वाली हैं, जो भी उनकी रचनाओं को पढ़ता है, मंत्रमुग्ध हो जाता है।

1976 में, उन्हें उनके हिंदी लेखन ने प्रेरणादायक कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। तो आइए जानते हैं हरिवंशराय बच्चन जी के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

हिन्दी साहित्य के महान कवि हरिवंशराय बच्चन की जीवनी – Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

Harivansh Rai Bachchan

हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय एक नजर में – Harivansh Rai Bachchan Information in Hindi

नाम (Name) हरिवंश राय श्रीवास्तव (बच्चन)
जन्म (Birthday) 27 नवंबर, 1907, बापूपट्टी गाँव, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश
पिता (Father Name) प्रताप नारायण श्रीवास्तव
माता (Mother Name) सरस्वती देवी
पत्नी (Wife Name)
  • श्यामा बच्चन (1926-1936),
  • तेजी बच्चन (1941-2003)
बच्चे (Childrens Name)
  • अमिताभ बच्चन( बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता)
  • अजिताभ बच्चन (बिजनेसमैन)
शैक्षणिक योग्यता (Education)  पीएचडी
मृत्यु (Death) 18 जनवरी, 2003, मुंबई, महाराष्ट्र
उपलब्धि (Awards) बीसवीं सदी के नवीनतम और सुप्रसिद्ध कवि, ”मधुशाला” के रचयिता, पद्म श्री से सम्मानित

हरिवंशराय जी का जन्म, प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा – Harivansh Rai Bachchan Life Story

हिन्दी साहित्य के प्रमुख एवं नए सदी के रचयिता हरिवंश राय जी 27 नवंबर, 1907 में उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव बापूपट्टी के कायस्थ परिवार में जन्में थे। यह अपने माता सरस्वती देवी और पिता प्रताप नारायण श्री वास्तव के बड़े बेटे के रुप में जन्में थे।

बचपन में सभी इन्हें प्यार से ”बच्चन” कहकर बुलाते थे और बाद में यही नाम उनके नाम के आगे जुड़ गया और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ।

हरिवंशराय जी शुरुआती शिक्षा कायस्थ स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई प्रयाग में रहकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की। इस यूनवर्सिटी में कुछ समय तक उन्होंने प्रोफेसर के तौर पर भी काम किया।

इसके बाद कुछ समय तक वे गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे और फिर अपनी आगे की पढ़ाई के लिए काशी चले गए और वहां की प्रसिद्ध बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की और 1952 में वे इंग्लिश लिटरेचर में PHD करने के लिए इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में चले गए। वहीं क्रैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले वे दूसरे भारतीय बने।

भारत वापस लौटने के बाद हरिवंशराय बच्चन जी ने कुछ दिनों तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दू विशेषज्ञ के रुप में काम किया और आकाशावाणी से भी जुड़े रहे।

हरिवंश राय बच्चन जी का वैवाहिक जीवन एवं बच्चे – Harivansh Rai Bachchan Marriage

हिन्दी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने साल 1926 में श्यामा बच्चन के साथ विवाह किया था लेकिन शादी के करीब 10 साल बाद ही TB की बीमारी के चलते उनकी मौत हो गई।

फिर इसके करीब 5 साल बाद 1941 में उन्होंने पंजाब की तेजी सूरी के साथ दूसरी शादी कर ली। तेजी सूरी रंगमंच और गायन से जुड़ी हुई थीं। इसके साथ वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी भी बेहद करीबी दोस्त मानी जाती थी।

शादी के बाद दोनों को अमिताभ और अजिताभ नाम के दो बेटे हुए। अमिताभ बच्चन जो कि आज मशहूर सुपरस्टार के रुप में बॉलीवुड में राज कर रहे हैं, तो वहीं अजिताभ एक सफल बिजनेस मैन हैं।

हरिवंशराय जी और अमिताभ बच्चन के बीच संबंध:

हरिवंशराय बच्चन जी अपने बेटे अमिताभ बच्चन के फिल्मी दुनिया में करियर बनाने से ज्यादा खुश नहीं थे क्योंकि वे चाहते थे कि वे नौकरी करें, लेकिन अमिताभ की रुचि फिल्मों में होने की वजह से उन्होंने अपना करियर फिल्म जगत में बनाया।

हालांकि उनके इस फैसले में उनकी मां तेजी बच्चन ने उनका सहयोग दिया था। दरअसल अमिताभ बच्चन जी की मां को भी थिएटर में दिलचस्पी थी। इसलिए वे चाहती थीं कि अमिताभ फिल्मों में ही अपना करियर बनाएं।

हालांकि, बाद में उनके पिता भी उनकी सफलता से खुश थे। वहीं अमिताभ के शुरुआती फिल्मी करियर में उनका नाम उस दौर की मशहूर एक्ट्रेस जया भादुड़ी के साथ जुड़ने लगा था। जिसकी भनक लगते ही हरिवंशराय बच्चन ने उनकी शादी जया से करवा दी।

वहीं हरिवंशराय बच्चन जी की कई कविताओं को अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है। वे अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं।

एक महान कवि के रुप में हरिवंशराय बच्चन जी – Harivansh Rai Bachchan As Poet

हरिवंशराय बच्चन जी छायावाद एवं व्यक्तिवादी काव्य के प्रसिद्ध कवि थे, जिनकी रचनाएं एवं कविताओं मनुष्य के जीवन की वास्तविकता का बोध करवाती हैं।

हरिवंशराय बच्चन जी द्धारा लिखी गईं बहुत सी रचनाएं प्रसिद्ध हुईं, लेकिन वे विशेषकर अपनी रचना ”मधुशाला” के लिए जाने जाते हैं, हरिवंशराय बच्चन जी ने अपनी यह रचना उमर खैय्याम की रुबाईयों से प्रेरित होकर लिखी थी। इस रचना के बाद यह लोगों के चहेते कवि बन गए थे।

हरिवंश राय जी की लिखने की शैली – Harivansh Rai Bachchan Books

हरिवंश राय जी की लिखने की शैली एकदम सरल, सुगम और पाठकों को दिल को छू जाने वाली थी, जो कि उन्हें अन्य कवियों से अलग बनाती थी।उन्होंने अपनी लेखन शैली से हिन्दी साहित्य में एक नई धारा का संचार किया था।

उनकी अद्भुत लेखन शैली की वजह से ही उन्हें नई सदी का रचयिता भी कहा जाता था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भारतीय साहित्य में अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया था।

हरिवंश राय जी की मशहूर कविताएं और रचनाएं – Harivansh Rai Bachchan Poems

  • मधुशाला
  • मधुकलश
  • मिलय यामिनी,
  • लो दिन बीता, लो रात गई
  • किस कर में यह वीणा धर दूँ?
  • कवि की वासना
  • जीवन की आपाधापी में
  • आरती और अंगारे
  • है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
  • नाचघर
  • अँधेरे का दीपक
  • नीड़ का निर्माण फिर
  • क्या भूंलूं क्या याद करूं
  • जाल समेटा
  • निशा निमंत्रण
  • सतरंगिनी
  • एकांत संगीत
  • खादी के फूल
  • दो चट्टान, मिलन
  • सूत की माला।

इसके अलावा हरिवंशराय बच्चन जी ने शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक मैकबैथ और ओथैलो का हिन्दी में अनुवाद किया था। इसके लिए भी उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

1955 में, हरिवंशराय बच्चन दिल्ली में एक्सटर्नल विभाग में शामिल हुए जहा उन्होंने बहोत सालो तक सेवा की और हिंदी भाषा के विकास में भी जुड़े। उन्होंने अपने कई लेखो द्वारा हिंदी भाषा को प्रध्यान्य भी दिया। एक कवी की तरह वो अपनी कविता मधुशाला के लिए प्रसिद्ध है। ओमर खय्याम की ही तरह उन्होंने भी शेकस्पिअर मैकबेथ और ऑथेलो और भगवत गीता के हिंदी अनुवाद के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। इसी तरह नवम्बर 1984 में उन्होंने अपनी आखिरी कविता लिखी “एक नवम्बर 1984” जो इंदिरा गांधी हत्या पर आधारित थी।

हरिवंश राय बच्चन की एक बहु-प्रचलित कविता निच्छित ही आपको एक नयी उर्जा प्रदान करेंगी। और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी–

कोशिश करने वालों की

लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!

कई फिल्मों और गीतों में भी हो चुका हरिवंशराय जी की रचनाओं का इस्तेमाल:

हिन्दी साहित्य में अपना विशेष स्थान रखने वाले हरिवंशराय बच्चन जी की कई कविताओं का इस्तेमाल फिल्मों में भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि ”अलाप” फिल्म का प्रसिद्ध गाना ”कोई गाता मै सो जाता” हरिवंश राय जी द्धारा लिखी गई कृति से लिया गया है।

इसके अलावा ”सिलसिला” फिल्म का अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गाया मशहूर गाना ”रंग बरसे” भी हरिवंशराय जी द्धारा लिखी एक प्रसिद्ध कविता है।

यही नहीं फिल्म ”अग्निपथ” में मशहूर बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन द्धारा दोहराई गई पंक्ति अग्निपथ। अग्निपथ, अग्निपथ भी हरिवंश राय जी द्धारा लिखित एक प्रसिद्ध कृति है।

हरिवंश राय बच्चन जी को मिले पुरस्कार एवं सम्मान – Harivansh Rai Bachchan Awards

  • हरिवंशराय बच्चन जी की अलौकिक साहित्यिक प्रतिभा को देखते हुए साल 1968 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • महान कवि हरिवंशराय बच्चन को हिन्दी साहित्य में में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 1976 में उन्हें भारत सरकार द्धारा भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
  • साल 1991 में हरिवंशराय बच्चन जी को उनकी महान रचनाएं “क्या भूलूं क्या याद करूं”, ”बसेरे से दूर”, “दशद्वार से सोपान तक” और “नीड़ का निर्माण फिर” के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • इसके अलावा हरिवंशराय बच्चन जी को नेहरू अवॉर्ड और लोटस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

हरिवंश राय जी का निधन – Harivansh Rai Bachchan Death

18 जनवरी, साल 2003 में हिन्दी साहित्य के इस महान कवि हरिवंशराय बच्चन जी ने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली और वे पूरी दुनिया को अलविदा कहकर चले गए।

आज भले ही वे हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन अपनी महान कृतियों और रचनाओं के माध्यम से वे हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। वहीं हिन्दी साहित्य में दिए गए उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनके प्रति आज भी हर भारतीय के दिल में सम्मान है।

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विश्व के एक प्रसिद्ध पॉप सिंगर और डांसर माइकल जैक्सन जिंदगी की कहानी

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Michael Jackson Jeevan Parichay

वैसे तो माइकल जैक्सन एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसे किसी पहचान की जरूरत नहीं हैं। इनके बारे में शायद ही कोई होगा जो नहीं जानता होगा। दुनिया में पॉप म्यूजिक को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले जैक्सन विश्व के एक प्रसिद्ध पॉप सिंगर और डांसर थे।

छोटी सी उम्र में म्यूजिक की दुनिया में कदम रखने वाले जैक्सन का ”किंग ऑफ पॉप” बनने तक का सफर काफी रोचक है, तो आइए जानते हैं माइकल जैक्सन के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में-

विश्व के एक प्रसिद्ध पॉप सिंगर और डांसर माइकल जैक्सन जिंदगी की कहानी – Michael Jackson Biography In HindiMichael Jackson

माइकल जैक्सन की जीवनी एक नजर में – Michael Jackson Information in Hindi

पूरा नाम (Name) माइकल जोसेफ जैक्सन
जन्म (Birthday) 29 अगस्त 1958, अमेरिका
पिता (Father Name) जोसेफ वाल्टर जैक्सन
माता (Mother Name) कैथरीन एस्थर Scruse
विवाह (Wife Name) लिसा प्रेस्ली, डेबी रो
बच्चे (Childrens)
  • प्रिंस माइकल जैक्सन जूनियर,
  • पेरिस माइकल केथरीन
मृत्यु (Death) 25 जून, 2005 (हार्ट अटैक)
पुरस्कार (Awards)
  • सबसे ज्यादा पुरस्कार पाने वाले पॉप सिंगर,
  • 23 गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड्स भी जैक्सन के नाम पर हैं।

माइकल जैक्सन का जन्म एवं शुरुआती जीवन – Michael Jackson History in Hindi

माइकल जैक्सन 29 अगस्त, 1958 में शिकागों के पास एक टाउन में अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान के रुप में पैदा हुए थे।

उनकी मां का नाम केथरीन था, वे भी म्यूजिक के काफी शौकीन थी और अपने बच्चों को अक्सर म्यूजिक सुनाती थीं, जबकि उनके पिता जोसेफ एक क्रेन ऑपरेटर थे, लेकिन वे भी एक लोकल बैंड ”फॉल्कन” में गिटार बजाते थे। अपने परिवार को देखते हुए ही जैक्सन के अंदर बचपन से ही म्यूजिक में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी।

माइकल जैक्सन के उनके पिता से संबंध – Michael Jackson Life Story

माइकल जैक्सन और उनके पिता के रिश्ते शुरु से ही बेहद खराब थे। एक इंटरव्यू में जैक्सन ने अपने पिता के हिंसक स्वभाव का जिक्र करते हुए बताया था कि उनके पिता उनके भाईयों और उनको पैसे कमाने की एक मशीन समझते थे।

इसके साथ ही उन्होंने कभी अपने बचपन नहीं जीने की भी बात कही थी। वे बचपन में घर पर करीब 3 घंटे तक ट्यूशन टीचर से पढ़ाई करते थे। इसके बाद स्टूडियों में घंटों रिकॉर्डिंग करते थे, और फिर थककर सो जाते थे एवं बचपन में वे खेलने के लिए तरसते थे।

वे अपने पिता के सख्त और हिंसक व्यवहार से काफी दुखी रहते थे। यही नहीं माइकल के पिता उनके चेहरे एवं नाक को लेकर भी कई बार तंज कसते थे और उन्हें बदसूरत होने का एहसास दिलवाते थे।

वहीं बचपन में माइकल अपने पिता से इस कदर डरते थे कि बीमार हो जाते थे। वहीं कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में माइकल की स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकी उनके हैट और चेहरे पर बाल रखने की वजह भी उनके पिता ही थे, दरअसल अपने पिता की बातें सुनने के बाद जैक्सन काफी कॉम्पलेक्स फील करते थे , यहां तक भी वे लोगों से नजरें मिलाकर भी बात नहीं करते थे और इस वजह से हैट लगाते थे और चेहरे पर बाल रखते थे।

हालांकि जैक्सन ने अपनी सफलता का क्रेडिट भी अपने पिता के कड़क एवं सख्त अनुशासन को ही दिया था।

माइकल जैक्सन की शादी और बच्चे – Michael Jackson Marriage, Family, Children

पॉप सिंगिंग एवं अद्भुत मून वॉक के लिए पहचाने जाने वाले माइकल जैक्सन ने 18 मई, 1995 में 35 साल की उम्र में लिसा प्रेस्ली से शादी कर ली। हालांकि उनकी यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। 18 जून, 1996 में दोंनो ने एक-दूसरे से तलाक ले लिया।

इसके कुछ दिनों बाद ही माइकल अपनी नर्स डेबी रो के साथ शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद दोनों को प्रिंस माइकल जैक्सन जूनियर और पेरिस माइकल केथरीन नाम के दो बच्चे पैदा हुए। हालांकि, उनकी दूसरी शादी भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी 1999 में दोनों के बीच तलाक हो गया, लेकिन तलाक के बाद बच्चे माइकल के पास ही रहे।

माइकल जैक्सन का करियर एवं सफलता – Michael Jackson Career

माइकल ने महज 5 साल की उम्र से ही अपने अद्भुत सिंगिंग टैलेंट को दिखाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था।

उन्होंने अपने पिता जोसेफ के डायरेक्शन में अपने बड़े भाईयों के साथ ”जैक्सन ब्रदर्स” बैंड से म्यूजिक की दुनिया में अपना कदम रखा था। मोटॉउन रिकॉर्ड्स ने माइकल के अनोखे डांसिंग और सिंगिग की प्रतिभा को देखते हुए कम उम्र में ही साइन कर दिया था।  1966 में जैक्सन के बैंड का नाम बदलकर ”जैक्सन 5” कर दिया गया था।

1969 में माइकल जब महज 11 साल के थे, तब उनका पहला सिंगल सॉन्ग ”आई वॉन्ट यू बैक” रिलीज हुआ था और यह काफी हिट हुआ था।

इसके बाद 1970 माइकल के ”द लव यू सेव’ और ”इट विल बी देयर” गाने ने मार्केट में धूम मचा दी और फिर उन्होंने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

साल 1975 में माइकल जैक्सन एपिक रिकॉर्ड से जुड़ गए और अपने ग्रुप का नाम बदलकर जैक्सन्स कर दिया। इस दौरान उन्होंने ”शेक य्योर बॉडी” और  ”एंजॉय य्योरसेल्व” जैसे हिट पॉप गाने गाकर सफलता के नए आयाम रचे।

साल 1979 में माइकल जैक्सन ने एपिक रिकॉर्ड के साथ मिलकर अपना पहला सोलो एलबम ”ऑफ द  वॉल” निकाला। इस एलबम में ‘रॉक विथ यू’, ”डॉन्ट स्टॉप”, और ”टिल यू गेट इनफ” जैसे सुपरहिट पॉप गाने शामिल थे।

यह एलबम भी लोगों द्धारा काफी पसंद किया गया इस एलबम की करीब 7 मिलियन कॉपी मार्केट में बिकी थी।

जैक्सन के कामयाबी का सिलसिला लगातार बरकरार था और उन्होंने इसके तीन साल बाद साल 1982 में  अपना दूसरा सोलो एलबम ”थ्रिलर” रिलीज किया।

इस एलबम में ”बीट इट” और ”बिली जीन” जैसे सुपरहिट पॉप सॉंग्स ने उन्हें दुनिया के सबसे पॉपुलर सुपर स्टार बना दिया। उनके इस एलबम के गाने कई सालों तक टॉप रैंकिंग पर रहे।

इसके साथ ही उनका ”थ्रिलर” एलबम अब तक के सबसे ज्यादा बिकने वाले एलबमों में से एक है।

इसके बाद माइकल जैक्सन ने अपने ”बैड” एलबम में ”डर्टी डायना”, ”मैन इन द मिरर” जैसे सुपरहिट पॉप सॉन्गस से असीम सफलता हासिल की।

माइकल जैक्सन ने साल 1990 में अपना चौथा एलबम ”डेंजरस” बनाया। इस एलबम ने भी काफी प्रसिद्धि हासिल की। इसकी करीब 20 मिलियन कॉपी बाजार में बिकी।

माइकल जैक्सन के पुरस्कार एवं उपाधि – Michael Jackson Awards

माइकल जैक्सन के थ्रिलर एलबम के लिए उन्हें 1984 में 11 में से 8 ग्रेमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

पॉप म्यूजिक को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले जैक्सन को 1987 में ”किंग ऑफ पॉप” की उपाधि से नवाजा गया।

माइकल को अपने एलबम ”बैड” के लिए 4 प्लेटिनम सर्टिफिकेट मिले जबकि उनके थ्रिलर एलबम को 20 प्लेटिनम से सर्टीफाइड किया गया था।

माइकल जैक्सन को अब तक के सबसे ज्यादा अवॉर्ड्स मिले हैं, इसके अलावा उन्होंने अपने नाम पर 23 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी दर्ज किए हैं।

माइकल जैक्सन से जुड़े चर्चित विवाद – Michael Jackson Controversy

1994 में माइकल जैक्सन पर एक बच्चे के परिवार ने सेक्सुअल एब्यूज के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद माइकल ने उस बच्चे के परिवार को सेटलमेंट के लिए 20 मिलियन डॉलर की रकम दी थी, हालांकि उन पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ था, लेकिन इसके बाद उनकी प्रतिष्ठा पर काफी बुरा असर हुआ था।

साल 2002 में माइकल को उस वक्त लोगों की तीखी टिप्पणियां और आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था, जब उन्होंने अपने ही बेटे को बालकनी से बाहर लटका दिया था।

साल 2003 में माइकल उस वक्त काफी विवादों से घिरे रहे जब उन्हें बच्चे के यौन शोषण के आरोप में 2 दिन तक हिरासत में रहना पड़ा था। इस दौरान उनके घर और ऑफिस की भी तलाशी ली गई थी। तलाशी के दौरान माइकल के घर से कुछ बच्चों की न्यूड तस्वीरें भी मिली थीं।

हालांकि, साल 2005 में ज्यूरी ने माइकल को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। जिसके बाद माइकल को काफी राहत पहुंची थी।

माइकल जैक्सन की मृत्यु – Michael Jackson Death

माइकल जैक्स्न को अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में कुछ नशीली दवाओं के सेवन की लत लग गई थी।

वहीं इसके बाद 25 जून, 2009 में लॉस एंजिल्स में स्थित अपने घर में माइकल जैक्सन को हार्ट अटैक (Michael Jackson Death Reason Hindi) पड़ा और उनकी मौत हो गई।

इस तरह दुनिया में पॉप म्यूजिक को एक मुकाम पर पहुंचाने वाले माइकल जैक्सन हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर चले गए। उनकी मौत पर पूरी दुनिया में सन्नाटा छा गया।

वहीं उन्होंने अपनी मौत से कुछ दिन पहले अपना आखिरी स्टेज शो ”दिस इज इट” का वादा किया था।

माइकल जैक्सन आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी माइकल जैक्सन को लोग उनके अनोखे मून वॉक डांसिंग स्टाइल के लिए याद करते हैं।

वहीं माइकल जैक्सन ने एक सिंगर और डांसर के रुप में जितनी अधिक प्रसिद्धि पूरी दुनिया में हासिल की है, शायद ही इतिहास में अब तक किसी गायक ने की हो।

माइकल जैक्सन से जुड़े रोचक एवं अनसुने तथ्य – Facts About Michael Jackson

  • साल 1984 में एक पेप्सी के एडवरटाइजमेंट के दौरान वे बुरी तरह घायल हो गए। इसमें माइकल के चेहरे और सिर के बाल के साथ उनकी खोपड़ी का कुछ हिस्सा भी बुरी तरह झुलस गया। वहीं चोटों के निशानों को मिटाने के लिए जैक्सन ने प्लास्टिक सर्जरी का इस्तेमाल किया था।
  • जैक्सन भगवान पर अत्याधिक भरोसा करते थे। हर शो से पहले वे प्रेयर करते थे एवं हर अवॉर्ड मिलने के बाद वे अपनी ”विनिंग स्पीच” में भगवान का शुक्रियादा अदा जरुर करते थे।
  • पॉप म्यूजिक को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले माइकल जैक्सन को सर्जरी की लत लग गई थी। वहीं जैक्सन की नाक की हड्डी टूटने की वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी, इसके बाद उन्होंने नाक की सर्जरी भी करवाई थी।
  • जैक्सन को ”Alpha-1 Antitrysin Deficiency” नाम की एक गंभीर बीमारी थी।
  • माइकल जैक्सन सबसे ज्यादा कमाई करने वाले मृतक कलाकार हैं।
  • माइकल जैक्सन अपनी लाइव परर्फोमेंस एंटी ग्रेविटी बूट बनवाए थे, जिसे पहनने के बाद वे काफी आगे तक झुक सकते थे।
  • माइकल ज्यादा दिनों तक जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन चैम्बर में भी सोया करते थे।
  • माइकल जैक्सन की अंतिम विदाई को करीब ढाई अरब लोगों ने लाइव देखा थे। यह अब तक की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लाइव ब्रॉडकास्ट है।

माइकल जैक्सन के डांस स्टाइल का जादू आज भी पूरी दुनिया में छाया हुआ है। आज भी लोग उन्हें और उनकी डांस स्टाइल को याद करते है। उस समय उनकी शैली बहोत प्रसिद्द हुई थी। शायद ही कभी कोई इतना प्रसिद्द गायक, गीतकार और डांसर इतिहास में कभी हुआ होगा।

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देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कस्तूरबा गांधी की जीवनी

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Kasturba Gandhi Jivan Parichay

कस्तूरबा गांधी जी को वैसे तो सभी गांधी जी की पत्नी के रुप में जानते हैं। दरअसल, गांधी जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी उपलब्धियों के आगे कस्तूरबा गांधी के सभी प्रयास ढक गए, लेकिन कस्तूरबा गांधी देश के प्रति निष्ठावान और समर्पित रहने वाले व्यक्तित्व की एक प्रभावशाली महिला थीं, जो कि अपनी निर्भीकता के लिए पहचानी जाती हैं।

कस्तूरबा गांधी ने न सिर्फ एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति गांधी जी के सभी अहिंसक प्रयासों में बखूबी साथ दिया, बल्कि उन्होंने देश की आजादी के लिए एक वीरांगना की तरह लड़ाई लड़ी और इस दौरान उन्हें कई बार जेल की कड़ी सजा भी भुगतनी पड़ी।

कस्तूरबा गांधी, आजादी के आंदोलन के दौरान महिलाओं की रोल मॉडल साबित हुईं। आइए जानते हैं कस्तूरबा गांधी जी के प्रेरणात्मक जीवन के बारे में-

देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कस्तूरबा गांधी की जीवनी – Kasturba Gandhi in Hindi
Kasturba Gandhi

कस्तूरबा गांधी जी की जीवनी एक नजर में – Kasturba Gandhi Information in Hindi

पूरा नाम (Name) कस्तूरबा गाँधी ‘बा’
जन्म (Biography) 11 अप्रैल सन् 1869, काठियावाड़, पोरबंदर,
मृत्यु (Death) 22 फ़रवरी सन् 1944, आगा ख़ाँ महल, पूना, भारत
पिता (Father Name) गोकुलदास कपाडि़या, व्यापारी
पति (Husband Name) महात्मा गाँधी
बच्चे (Childrens)
आंदोलन (Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

कस्तूरबा गांधी का जन्म, शुरुआती जीवन एवं विवाह – Kasturba Gandhi Biography in Hindi

कस्तूरबा गांधी 11 अप्रैल सन् 1869 में पोरबंदर के कठियावाड़ में एक व्यापारी के घर गोकुलदास कपाड़ियां के यहां जन्मीं थीं। जब वे महज 13 साल की थी, उस दौरान उनके पिता ने प्रचलित बाल विवाह प्रथा के तहत उनका विवाह अपने सबसे अच्छे दोस्त कर्मचंद गांधी के बेटे और आजादी के महानायक कहलाने वाले महात्मा गांधी जी से साल 1882 में कर दिया था।

कस्तूरबा की शादी तो हो गई थी, लेकिन पढ़ाई-लिखाई के नाम पर वे जीरो यानि कि अनपढ़ थीं, उन्हें ठीक तरह से अक्षरों का ज्ञान तक नहीं था। दरअसल उस वक्त लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था।

‘बा” पर बापू की भी न चली:

कस्तूरबा को शादी के बाद अपनी निरक्षरता को लेकर थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। दरअसल, महात्मा गांधी उनके अनपढ़ होने की वजह से उनसे खुश नहीं रहते थे और उन्हें ताने भी देते थी।

यही नहीं महात्मा गांधी को कस्तूरबा का ज्यादा सजना, संवरना एवं घर से बाहर निकलना तक पसंद नहीं था।

बापू ने उन पर शादी के बाद शुरुआती दिनों से ही उनके बाहर निकलने पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी, लेकिन गांधी जी की इन सब बातों का कस्तूरबा पर ज्यादा कोई प्रभाव नहीं पड़ता था, बल्कि वे जहां जाना जरूरी समझती थी, चली जाती थी। इस तरह बापू जी भी उन पर अंकुश लगाने में नाकामयाब रहे।

लेकिन, बाद में गांधी जी ने ही कस्तूरबा को पढना-लिखना सिखाया था। जिसके बाद उन्हें हिन्दी और गुजराती का अच्छा ज्ञान हो गया था। हालांकि, शादी के बाद घरेलू जिम्मेदारियों के बोझ के तले वे दब गईं थीं और ज्यादा नहीं पढ़ पाईं थी।

कस्तूरबा गांधी का ग्रहस्थ जीवन और बच्चे – Kasturba Gandhi History in Hindi

शादी के करीब 6 साल बाद साल 1888 में कस्तूरबा गांधी ने अपने सबसे  बड़े बेटे हरिलाल को जन्म दिया। हालांकि इस दौरान गांधी जी अपनी लॉ पढ़ाई के लिए लंदन गए हुए थे, जिसके चलते कस्तूरबा गांधी ने अकेले ही अपने बेटे की परिवरिश की।

इसके बाद जब गांधी जी वापस अपनी भारत लौटे तब 1892 में उन्हें मणिलाल नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। फिर इसके बाद महात्मा गांधी जी को अपनी वकालत की प्रैक्टिस के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, लेकिन इस बार वे अपने साथ कस्तूरबा गांधी जी को भी ले गए।

इस दौरान कस्तूरबा गांधी ने एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति का हर कदम पर साथ दिया। फिर इसके 5 साल बाद 1897 में कस्तूरबा ने अपने तीसरे बेटे रामदास को जन्म दिया और सन् 1900 में कस्तूरबा ने अपनी चौथी संतान देवदास को जन्म दिया।

दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष में कस्तूरबा ने बखूबी साथ निभाया:

दक्षिण अफ्रीका में कस्तूरबा जी ने गांधी जी का बखूबी साथ दिया। कस्तूरबा गांधी एक दृढ़इच्छा शक्ति वाली अनुशासित एवं कर्मठ महिला थीं। वे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की दशा के विरोध में किए आंदोलन में न सिर्फ शामिल हुईं, बल्कि इस दौरान उन्होंने अनशन और भूख हड़ताल कर अधिकारियों को अपने सामने झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

दरअसल, 1913 में जब कस्तूरबा गांधी ने निर्भीकता से दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मजदूरों की स्थिति पर सवाल खड़े किए, तब उन्हें इसके लिए तीन महीने की कड़ी सजा के साथ जेल की सलाखो के पीछे बंद कर दिया गया।

जेल की इस कड़ी सजा के दौरान अधिकारियों ने कस्तूरबा गांधी जी को डराने-धमकाने की भी कोशिश की लेकिन उनके दृढ़ स्वभाव के आगे अधिकारियों की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुईं।

स्वतंत्रता आंदोलन में कस्तूरबा जी की भूमिका – Kasturba Gandhi Contribution Freedom Struggle

कस्तूरबा गांधी जी ने भी भारत की आजादी का सपना देखा था और इसी के चलते उन्होंने तमाम घरेलू जिम्मेंदारियों के बाबजूद भी महात्मा गांधी जी द्धारा पराधीनता की बेड़ियों से स्वाधीनता पाने  के लिए चलाए गए आंदोलनों में अपनी बढ़चढ़ भूमिका निभाई।

वहीं स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान जब-जब गांधी जी जेल गए कस्तूरबा गांधी ने अपने महान और नेतृत्व गुणों का परिचय दिया और लोगों को प्रोत्साहित कर उनके अंदर आजादी पाने की अलख जगाने का काम किया।

वे भी गांधी जी के अहिंसक आंदोलन के दौरान उनके साथ जाती थीं और लोगों को सफाई, शिक्षा और अनुशासन आदि के महत्व को समझाती थी। यही नहीं उस दौरान जब महिलाओं को सिर्फ घर की चार दीवारों में ही कैद कर रखा जाता था, उस दौर में कस्तूरबा गांधी महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करती थी।

यही नहीं स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ‘बा’ को भी इस दौरान कई बार क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी, लेकिन वे कभी भी पीछे नहीं हटी और वीरांगनाओं की तरह देश की आजादी के खातिर लड़ती रहीं।

बापू जी को मानती थी अपना आदर्श:

कस्तूरबा गांधी जी अपने पति महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानती थी और वे उनसे इतना अधिक प्रभावित थीं कि बाद में उन्होंने भी अपने जीवन को गांधी जी की तरह बिल्कुल साधारण बना लिया था। यह तो सभी जानते हैं कि गांधी जी पहले कोई भी काम खुद करते थे, इसके बाद वे किसी और से करने के लिए कहते थे।

वहीं उनके इस स्वभाव से कस्तूरबा गांधी जी काफी प्रसन्न रहती थीं और उनसे सीखती थी। वहीं कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी जी से जुड़ा हुआ एक काफी चर्चित प्रसंग भी है। दरअसल, जब कस्तूरबा बीमार रहने लगीं थी, तब गांधी जी ने उनसे नमक छोड़ने के लिए कहा।

इस बात को लेकर कस्तूरबा ने पहले तो नमक के बिना खाना बेस्वाद लगने का तर्क दिया, लेकिन जब गांधी जी को उन्होंने खुद नमक छोड़ते हुए देखा तो वे काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने नमक छोड़ दिया एवं अपना जीवन भी गांधी जी तरह जीना शुरु दिया। वे उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मानती थीं।

बा’ की कार्यक्षमता और कर्मठता के बापू भी थे मुरीद:

जब कस्तूरबा गांधी अपने पति गांधी जी के साथ दक्षिण अफ्रीका में साथ रह रहीं थी, उस दौरान गांधी जी ने कस्तूरबा गांधी के अंदर छिपी सामाजिक, राजनैतिक क्षमता का अंदाजा लगाया और तभी उन्हें उनकी देशभक्ति का एहसास हुआ।

वहीं जिस तरह कस्तूरबा गांधी अपने घर का कामकाज करने में निपुण थीं और एक आदर्श मां की तरह बच्चों का पालन -पोषण करती थीं।

वे उतनी ही सिद्धत के साथ गांधी जी के सभी का्मों में हाथ बंटाती थी और स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक वीरांगना की तरह लड़ती थी, साथ ही गांधी जी के आश्रमों की भी देखभाल करती थी और सत्याग्राहियों की सेवा भी पूरे मनोभाव से करती थीं। इसी वजह से उन्हें लोग ‘बा’ कहकर भी पुकाते थे।

गांधी जी ने कस्तूबा जी की कर्मठता से अत्याधिक प्रभावित हुए और फिर उन्होंने आजादी की लड़ाई में कस्तूरबा गांधी को महिलाओं की रोल मॉडल के तौर पर पेश किया क्योंकि वे आजादी की लड़ाई में महिलाओं के जोड़ने का महत्व जानते थे।

वहीं कस्तूरबा गांधी जी ने भी उस दौरान आजादी की लड़ाई में उनके अंदर जोश भरने का काम किया और महिलाओं को उनके महत्व को बताया। कस्तूरबा गांधी ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता आंदोलन को नया आयाम प्रदान किया।

कस्तूरबा गांधी की मृत्यु – Kasturba Gandhi Death

कस्तूरबा गांधी अपने जीवन के आखिरी दिनों में काफी बीमार रहने लगीं थी। 1942 में गांधी जी के ”भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान जब गांधी  जी को गिरफ्तार कर लिया था। उस दौरान कस्तूरबा गांधी ने मुंबई के शिवाजी पार्क में खुद भाषण देने का फैसला लिया।

दरअसल पहले वहां गांधी जी भाषण देने वाले थे। लेकिन कस्तूरबा गांधी जी के पार्क में पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उस दौरान वे बीमार थी और इसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया।

साल 1944 में उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी पड़ा और फिर फरवरी, 1944 में बा इस दुनिया को अलविदा कहकर हमेशा के लिए चलीं गईं।

इस तरह कस्तूरबा गांधी ने उस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं, जिस दौरान महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं थी।

कस्तूरबा गांधी जी का अपना एक अलग दृष्टिकोण था, उन्हें आज़ादी का मोल, पता था। उन्होंने हर क़दम पर अपने पति मोहनदास करमचंद गाँधी का साथ निभाया था।

वहीं ‘बा’ जैसा आत्मबलिदान वाला व्यक्तित्व अगर गांधी जी के साथ नहीं होता तो शायद गांधी जी के सारे अहिंसक प्रयास इतने कारगर नहीं होते। कस्तूरबा गांधी जी अपने नेतृत्व के गुणों का परिचय देते हुए स्वाधीनता संग्राम के सभी अहिंसक प्रयासों में अग्रणी बनी रहीं।

कस्तूरबा गांधी जी के त्याग, बलिदान और समर्पिण को हमेशा याद किया जाता रहेगा।

कस्तूरबा वह महिला थी जिसने जीवन भर अपने पति का साथ दिया। जबकि स्वतंत्रता के दिनों में महिलाओ को इतना महत्त्व नहीं दिया जाता था, उस समय महात्मा गांधीजी ने कभी कस्तूरबा को समाजसेवा करने से नहीं रोका।

कम उम्र में शादी होने के बाद भी कस्तूरबा अपनी जवाबदारियो से नहीं भागी, वो अंत तक अपने कर्तव्यो का पालन करती रही, और अपने समाज की सेवा करती रही।

निच्छित ही कस्तूरबा आज के महिलाओ की प्रेरणास्त्रोत है।

पढ़े : Mahatma Gandhi Biography

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पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रचने वाली प्रतिभा पाटिल जी का जीवन परिचय

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Pratibha Patil Ka Jivan Parichay

प्रतिभा पाटिल जी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन पर हर भारतीय को गर्व है। वे आजाद भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाली पहली महिला राष्ट्रपति एवं देश की 12 वीं राष्ट्रपति रह चुकी हैं।

इसके अलावा वे राजस्थान के पूर्व राज्यपाल, राज्यसभा के सदस्य एवं महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। यही नहीं प्रतिभा पाटिल जी एक सशक्त सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में भी खुद को साबित कर चुकी हैं।

उन्होंने देश में महिलाओं, गरीबों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए भी कई महत्वपूर्ण काम किए हैं। तो आइए जानते हैं देश की प्रथम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी के बारे में कुछ जरूरी बातें-

पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रचने वाली प्रतिभा पाटिल जी का जीवन परिचय – First Woman President Of India Pratibha Patil Biography in Hindi Pratibha Patil

प्रतिभा पाटिल जी की जीवनी एक नजर में- Pratibha Patil Information in Hindi

पूरा नाम (Name) श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल
जन्म (Birthday) 19 दिसम्बर 1934, नदगांव, महाराष्ट्र
पिता (Father Name) नारायण राव पाटिल
पति (Husband Name) देवसिंह रनसिंह शेखावत
बच्चे (Childerns) राजेन्द्र सिंह , ज्योति राठोड़
शिक्षा (Education) एल.एल.बी. (वकील)

प्रतिभा पाटिल जी की जन्म, शिक्षा एवं शुरुआती जीवन – Pratibha Patil History

देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी 19 दिसम्बर, 1934 में महाराष्ट्र के जलगांव में जन्मीं थी। इनके पिता नारायण राव पाटिल एक राजनेता थे, वहीं प्रतिभा पाटिल जी भी अपने पिता से प्रभावित होकर राजनीति में शामिल हुईं थीं।

प्रतिभा पाटिल की शिक्षा – Pratibha Patil Education

उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई जलगांव के ही आर.आर. स्कूल से की थी। इसके बाद पुणे यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेज मूलजी जेठा कॉलेज से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर प्रतिभा जी ने लॉ की पढ़ाई मुंबई के सरकारी कॉलेज से की।

इसके बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की। प्रतिभा पाटिल शुरु से ही बहुमुखी प्रतिभा वाली व्यत्तित्व रही हैं। वे शिक्षा के साथ-साथ संगीत और खेल-कूद में भी आगें थी। आपको बता दें कि प्रतिभा जी टेबिल टेनिस की एक शानदार खिलाड़ी रही हैं।

उन्होंने एक टेबल टेनिस प्लेयर के रुप में अपने कॉलेज और यूनिवर्सिटी का कई बार प्रतिनिधित्व किया और जीत भी दर्ज की थी। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि 1962 में एमजे कॉलेज में उन्होंने कॉलेज की ”ब्यूटी क्वीन’ का भी खिताब जीता था।

प्रतिभा पाटिल जी का विवाह एवं बच्चे – Pratibha Patil Marriage, Children’s And Life Story

प्रतिभा पाटिल जी ने 31 साल की उम्र में साल 1965 में देवसिंह रनसिंह शेखावत जी से शादी कर ली थी। शादी के बाद उन्हें एक बेटा और बेटी भी हुई, जिनका नाम राजेन्द्र सिंह और ज्योति राठौड़ है।

प्रतिभा पाटिल जी का राजनैतिक सफर – Pratibha Patil Political Career

राजनीति में आने से पहले प्रतिभा जी सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुईं थी। उनका राजनैतिक सफर 1962 में शुरु हुआ, उस दौरान उन्हें  महाराष्ट्र के जलगांव सीट से विधानसभा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।

साल 1962 से साल 1967 तक लगातार 4 साल तक पाटिल जी मुक्तिनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस की तरफ से जीत दर्ज करती रहीं और MLA के पद पर शोभायमान रहीं। साल 1967 से साल 1972 तक प्रतिभा पाटिल जी ने महाराष्ट्र के राज्यमंत्री के तौर पर जन स्वास्थ्य, संसदीय कार्य, आवास, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला।

साल 1972 में प्रतिभा पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फिर से जीत हासिल की और इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रुप में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने समाज कल्याण, पर्यटन और आवास विभागों की जिम्मेंदारी निभाई।

साल 1974 से 1975 में प्रतिभा पाटिल जी ने महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर जनस्वास्थ्य मंत्रालय एवं समाज कल्याण मंत्रालय संभाला। साल 1975 से 1976 के बीच प्रतिभा पाटिल जी ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर पुर्नवास एवं सांस्कृतिक मामलों का विभाग संभाला।

साल 1979 से 1980 तक प्रतिभा पाटिल जी महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष की लीडर रहीं। साल 1980 में प्रतिभा पाटिल जी ने महाराष्ट्र विधानसभा में पांचवी बार फिर से जीत दर्ज की।

साल 1982 से 1985 तक प्रतिभा पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार में  कैबिनेट मंत्री के रुप में समाज कल्याण, ग्रामीण विकास और नागरिक आपूर्ति एवं आवास मंत्रालयों का कार्यभार कुशलतापूर्वक संभाला। साल 1986 में प्रतिभा पाटिल ने राज्यसभा में उपसभापति का पद बखूबी संभाला।

साल 1990 तक अपना कार्यकाल खत्म होने तक वे राज्यसभा में रहीं। साल 1991 में प्रतिभा पाटिल जी पहली बार अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य बनीं। साल 2004 में प्रतिभा पाटिल जी की योग्यताओं और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए उन्हें राजस्थान के 24 वें राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।

उस दौरान राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और वसुंधरा राजे सिंधियां मुख्यमंत्री थीं। वे इस पद पर 2007 तक विराजित रहीं। इस दौरान राजस्थान के गुर्जर आंदोलन के दौरान प्रतिभा पाटिल जी ने बेहद सूझबूझ और समझदारी से काम किया एवं राजस्थान में बीजेपी की लोकतांत्रिक सरकार के साथ मजबूती से खड़ी रहीं।

साल 2007 से 2012 तक प्रतिभा पाटिल जी ने देश के सर्वोच्च पद पर पहली महिला राष्ट्रपति के रुप में देश का प्रतिनिधित्व किया।  इनसे पहले राष्ट्रपति के पद पर ”मिसाइल मैन” एपीजे अब्दुल कलाम आसीन थे।

दरअसल, अब्दुल कलाम ने अपने दूसरे राष्ट्रपति के कार्यकाल को लेकर अनिच्छा जताई थी, जिसके बाद यूपीए द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल के नाम का प्रस्ताव रखा गया। वहीं राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्धंदी भैरोंसिह शेखावत को 3 लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था।

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भैरों सिंह शेखावत को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का समर्थन मिला था, जबकि शिवसेना (जो एनडीए का हिस्सा थी) के संस्थापक बाल ठाकरे ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनाने पर समर्थन दिया था, क्योंकि वे मराठी मूल की थीं।

सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में प्रतिभा पाटिल जी – Pratibha Patil As A Social Worker

प्रतिभा पाटिल जी ने खुद को न सिर्फ एक अच्छे राजनेता के रुप में पेश किया, बल्कि वे वे हमेशा सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रही हैं। उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण सामाजिक काम इस प्रकार हैं- देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने महिलाओं के लिए महिला होम गार्ड की स्थापना की।

इसके साथ ही गरीब और जरुरतमंद महिलाओं के लिए संगीत, कंप्यूटर एवं सिलाई की ट्रेनिंग क्लासेस भी खुलवाईं। प्रतिभा पाटिल जी ने मुंबई और दिल्ली में अपने घर से दूर रहने वाली वर्किंग महिलाओं के लिए हॉस्टल खुलवाए।

अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम देने वाली पाटिल जी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल की भी स्थापना की। प्रतिभा पाटिल जी ने जनजाति युवाओं के लिए जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज की भी स्थापना की।

प्रतिभा पाटिल जी ने अमरवती में नेत्रहीनों के लिए ‘औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ की स्थापना की। प्रतिभा पाटिल जी ने श्रम साधना ट्रस्ट की कार्यकारी ट्रस्टी के तौर पर भी कई महत्वपूर्ण काम किए।

जलगाँव शुगर फ़ैक्ट्री की अध्यक्षता के तौर पर भी कई सुधार काम किए एवं सरकारी निकाय के रूप में ‘महिला विकास मण्डल’ स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने जलगाँव में ‘महिला कोऑपरेटिव बैंक’ की स्थापना की।

अमरावती में प्रतिभा पाटिल जी ने किसानों को अच्छी फसल उगाने की वैज्ञानिक तकनीकें सिखाने के लिए ”कृषि विज्ञान केन्द्र” की स्थापना की।

प्रतिभा पाटिल जी ने देश के सर्वोच्च पद पर पहली महिला राष्ट्रपति के रुप में आसीन होकर न सिर्फ इतिहास रचा बल्कि महिलाओं सशक्तिकरण का एक सर्वोत्तम उदाहरण साबित हुईं। प्रतिभा पाटिल जी हर महिला के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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निडर, साहसी एवं देश की पहली महिला IPS ऑफिसर किरण बेदी का जीवन परिचय

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Kiran Bedi Jivan Parichay

”सब कुछ संभव है, कुछ भी असंभव नहीं है, किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिर्फ कोशिश करने की जरूरत है।”

यह कहना है किरण बेदी का।

शायद उनके इसी तरह के महान विचारों और जज्बा से ही उन्हें देश की पहली महिला आईपीएस होने का गौरव हासिल हुआ है। जिस वक्त पुलिस विभाग में पुरुषों का दबदबा होता था, उस दौरान उन्होंने आईपीएस बनकर समाज में बदलाव की तरफ इशारा किया था।

किरण बेदी ने न सिर्फ एक पुलिस अफसर के तौर पर कैदियों की दशा को सुधारने समेत महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया बल्कि उन्होंने खुद को एक सशक्त राजनेता और बेहतरीन समाजिक कार्यकर्ता के रुप में भी पेश किया है।

आइए जानते हैं अपने साहिसक कामों के लिए पहचानी जाने वाली देश की प्रथम महिला आईपीएस किरण बेदी के जीवन के बारे में-

निडर, साहसी एवं देश की पहली महिला IPS ऑफिसर किरण बेदी का जीवन परिचय – Kiran Bedi Biography in Hindi

Kiran Bedi

किरण बेदी की जीवनी एक नजर में – Kiran Bedi Information in Hindi

वास्तविक नाम (Real Name) किरण पेशावरिया
जन्म (Birthday) 9 जून 1949, अमृतसर, पंजाब
पिता (Father Name) प्रकाश लाल पेशावरिया (वस्त्र व्यवसायी)
माता (Mother Name) प्रेम लता
पति (Husband) बृज बेदी (टेनिस खिलाड़ी)
शैक्षणिक योग्यता (Education)
  • अंग्रेज ऑनर्स से ग्रेजुएशन
  • राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री
  • दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री
  • सोशल साइंसेज से पीएचडी

किरण बेदी का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Ips Kiran Bedi History

देश की पहली महिला आईपीएएस का गौरव हासिल करने वाली किरण बेदी पंजाब के अमृतसर में 9 जून, 1949 को जन्मीं थी। उनके पिता प्रकाश लाल परेशावरिया एक कपड़ा व्यापारी के साथ-साथ एक टेनिस खिलाड़ी भी थे।

किरण ने अपने पिता से ही प्रोत्साहित होकर कम उम्र से ही टेनिस खेलना शुरु कर दिया था। वहीं उनकी माता प्रेम लता एक हाउस वाइफ थीं। किरण की तीन बहनें भी हैं। उनकी बहनों में रीता टेनिस खिलाड़ी और अनु भी टेनिस खिलाड़ी है। वहीं किरण बेदी के माता-पिता ने पुरुष प्रधान देश में अपने बेटियों को पढ़ाने -लिखाने के लिए कई संघर्षों को झेला।

हालांकि किरण बेदी अपने माता-पिता की उम्मींदों पर खरीं उतरी और न सिर्फ शिक्षा बल्कि खेल में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा को साबित किया।

किरण बेदी की शिक्षा – Kiran Bedi Education

किरण बेदी ने अपनी शुरुआती पढा़ई अमृतसर के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल से की। वहीं स्कूल के दौरान ही किरण बेदी ने नेशनल कैडेट कॉर्प्स (NCC) ज्वॉइन कर लिया था।

साल 1968 में किरण बेदी ने अमृतसर के गर्वनेंट कॉलेज फॉर वुमन से इंग्लिश में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। साल 1970 में किरण बेदी ने पंजाब यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की और इस दौरान वे टॉपर रहीं।

1988 में बेदी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 1993 में किरण बेदी ने आईआईटी दिल्ली से सोशल साइंस में PHD की और ड्रग, एब्यूज एवं डोमेस्टिक वायलेंस पर थीसिस लिखी थी।

किरण बेदी की शादी एवं बच्चे – Kiran Bedi Marriage, Childrens, And Life Story

किरण बेदी ने 9 मार्च, 1972 में टेनिस प्लेयर बृज बेदी के साथ शादी कर ली थी। किरण बेदी की अपने लाइफ पार्टनर से मुलाकात टेनिस कोर्ट पर ही हुई थी।

उस दौरान दोनों की टेनिस प्रैक्टिस करने के दौरान दोस्ती हुई और फिर इसके बाद दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद 1975 में उन्हें सायना नाम की बेटी हुई। हालांकि, साल 2016 में कैंसर की वजह से उनकी पति की मृत्यु हो गई।

एक टेनिस प्लेयर के रुप में किरण बेदी – Kiran Bedi as Tennis Player

9 साल की उम्र से ही किरण बेदी ने अपने पिता से प्रेरित होकर टेनिस खेलना शुरु कर दिया था। साल 1964 से किरण बेदी ने टेनिस प्लेयर के रुप मे अपने करियर की शुरुआत की थी।

1966 में किरण बेदी जूनियर नेशनल लॉन टेनिस चैम्पियनशिप जीता था। साल 1968 में किरण बेदी ने ऑल इंडिया इंटरवेर्सिटी टेनिस टाइटल का खिताब जीता।

साल 1975 में किरण बेदी ने अखिल भारतीय अंतरराष्ट्रीय महिला लॉन टेनिस चैम्पियनशिप में जीत प्राप्त की। साल 1976 में किरण बेदी ने नेशनल विमेंस लॉन टेनिस चैम्पियनशिप में जीत दर्ज की।

इसके अलावा किरण बेदी साल 1973 में श्रीलंका के खिलाफ भी भारत का प्रतिनिधित्व कर लियोनेल फोंसेका मेमोरियल ट्रॉफी जीत चुकी हैं।

किरण बेदी का सिविल सर्विसेज में करियर – Kiran Bedi’s Career in Civil Services

  • एक प्रोफेसर के तौर पर अपनी करियर की शुरुआत करने वाली किरण बेदी ने 1972 में इंडियन पुलिस सर्विसेज (IPS) में देश की पहली महिला आईपीएस बनकर इतिहास रचा।
  • IPS में सेलेक्शन के बाद किरण बेदी ने कई महीनों तक राजस्थान के माउंट आबू में ट्रेनिंग ली थी।
  • अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम- संघ शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर में वो 80 पुरुषों के बीच इकलौती महिला थीं। यह एक गौरवमयी क्षण था।
  • साल 1975 में किरण बेदी की पहली पोस्टिंग नई दिल्ली में चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में उप-मंडल पुलिस अधिकारी के तौर पर हुई और इस साल स्वतंत्रता दिवस की परेड में उन्होंने पुरुषों का प्रतिनिधित्व किया था।
  • साल 1979 में किरण बेदी को पश्चिमी दिल्ली में डीसीपी के रुप में पोस्टिंग मिली। यहां पर क्राइम कंट्रोलिंग के लिए पर्याप्त ऑफिसर नहीं होने पर उन्होंने ग्रामीणों को स्वंयसेवी बना दिया था और पुलिस पेट्रोलिंग के साथ उनकी मदद्द के लिए काफी पुलिस फोर्स भी तैनात की थी।
  • साल 1981 में किरण बेदी ने दिल्ली में ट्रैफिक डीसीपी का पद संभाला। इस दौरान उन्होंने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए कई काम किए एवं अवैध पार्किंग के खिलाफ कानून बनाए। वहीं क्रेन की शुरुआत करने का क्रेडिट भी किरण बेदी को ही जाता है। इसी वजह से लोग उन्हें उस दौरान ”क्रेन बेदी” भी कहते थे।
  • साल 1983 में किरण बेदी का ट्रांसफर गोवा में ट्रैफिक एसपी के रुप में कर दिया गया था। उन्होंने अपने इस ट्रांसफर के पीछे देश की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, आर. के.धवन समेत कुछ उच्च अधिकारियों को बताया था।
  • साल 1984 में किरण बेदी नई दिल्ली में रेलवे सुरक्षा बल में उप कमांडेंट के रुप में नियुक्त हुईं। इसी साल उन्होंने औद्योगिक विकास विभाग में उप निदेशक के तौर पर काम किया था।
  • साल 1985 में किरण बेदी ने नई दिल्ली में पुलिस मुख्यालय का कार्यभार बखूबी संभाला।
  • इसके बाद साल 1986 में किरण बेदी ने उत्तरी दिल्ली में डीसीपी के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
  • साल 1988 में किरण बेदी ने दिल्ली में उप निदेशक और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में काम किया।
  • साल 1990 में किरण बेदी ने मिजोरम में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (रेंज) के तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान कीं।
  • साल 1993 में दिल्ली की आईजी बनीं।
  • इसके बाद लगातार वे कई पदों पर तैनात रहीं और उनकी आखिरी पोस्टिंग साल 2005 में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ इंडिया ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट में हुईं।
  • साल 2007 में किरण बेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया।

राजनेता के रुप में किरण बेदी – Kiran Bedi Political Career

किरण बेदी एक पुलिस अधिकारी और समाजसेवी के साथ-साथ एक सशक्त एवं निडर राजनेता भी हैं। उन्होंने साल 2015 में बीजेपी ज्वॉइन की थी और इसी साल उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की तरफ से सीएम उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।

हालांकि, इस चुनाव में उन्होंने कृष्णा नगर निर्वाचन क्षेत्र से आप पार्टी के उम्मीदवार एस. के. बग्गा से 2 हजार 277 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। फिर इसके बाद 22 मई, 2016 में किरण बेदी को केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डूचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर (उप-राज्यपाल) के पद पर नियुक्ति मिली थी, जिसमें वे वर्तमान में भी कार्यरत हैं।

समाजिक कार्यकर्ता के रुप में किरण बेदी – Kiran Bedi as a Social Worker

किरण बेदी एक पुलिस ऑफिसर के तौर पर ही नहीं बल्कि एक समाजसेवी के रुप में भी काम करती रहती हैं। उनके कुछ सामाजिक काम इस प्रकार हैं- साल 2001 में वे समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाए गए ”इंडिया अगेंस्ट करप्शन” आंदोलन में शामिल हुईं।

किरण बेदी ने महिला सशक्तिकरण, अशिक्षा जैसे मु्ददों को उठाने समेत नशामुक्ति के उद्देश्य को लेकर नवज्योति इंडिया फाउंडेशन (NIF) नाम से एक NGO लॉन्च किया था।

किरण बेदी ने 1994 में कैदियों की स्थिति में सुधार कार्य, पुलिस सुधार, जेल सुधार, ग्रामीण और सामुदायिक विकास कार्य करने समेत महिला सशक्तिकरण को लेकर इंडिया विजन फाउंडेशन की भी स्थापना की थी।

किरण बेदी लोगों के पारिवारिक विवादों को सुलझाने के उद्देश्य से एक टीवी कार्यक्रम ‘आप की कचहरी’ को होस्ट भी करती थीं।

किरण बेदी से जुड़े चर्चित विवाद – Kiran Bedi Controversy

साल 1982 में किरण बेदी उस समय विवादों से घिरीं रहीं जब उन्होंने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में ड्यूटी के दौरान अपने अवैध पार्किग के अभियान के दौरान देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार का चालान काट दिया था और बाद में जांच कमेटी के कहने के बाद भी बेदी ने सब इंस्पेक्टर का ट्रांसफर करने से मना कर दिया था।

साल 1983 में किरण बेदी उस दौरान काफी विवादों से घिरी रहीं जब उन्होंने अनौपचारिक रूप से गोवा की जनता के लिए ”जोरी ब्रिज” का उद्घाटन किया था।

  • किरण बेदी उस दौरान विवादों से घिरी रहीं, जब उन्हेोंने अपनी बेटी की देखभाल के लिए छुट्टी एप्लाई की थी, और आईजीपी द्धारा इसे रिकमंड भी करवाया था, लेकिन उस दौरान गोवा सराकर ने अधिकारिक तौर पर लीव नहीं दी थी, और गोवा के सीएम प्रताप सिंह राने ने किरण को बिना अवकाश दिए छुट्टी पर होने की घोषणा की थी।
  • किरण बेदी को उस दौरान काफी आचोलनाओं हुई थी, जब उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज का आदेश दिया था।
  • साल 1988 में किरण बेदी को उस दौरान वकीलों के विरोध का सामना, जब उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील राजेश अग्निहोत्री को हथकड़ी से बांधकर कोर्ट में पेश किया था।
  • साल 1992 में, उस दौरान किरण बेदी ने काफी सुर्खियां बटोरीं थी, जब उनकी बेटी सुकृति ने लेडी होर्डिंग मेडिकल कॉलेज (दिल्ली) में एडमिशन लेने के लिए मिजोरम निवासी कोटे से आवेदन किया था, जिसके चलते मिजोरम छात्रों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था और उनका गैर मिजो होने का दावा किया था, हालांकि बाद में बेदी को मिजोरम छोड़ना पड़ा था।
  • किरण बेदी उस दौरान भी काफी विवादों से घिरीं रहीं थी, जब वे तिहाड़ जेल में आईजी के पद पर तैनात थी, तब उन पर कैदियों की सुरक्षा को नजरअंदाज करने के आरोप लगाए गए थे।
  • साल 1993 में बेदी को उस दौरान लोगों की तीखी टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा था, जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने एक अंडर ट्रायल कैदी के मेडिकल जांच को अनदेखा करने पर अल्टीमेटम दे दिया था।
  • साल 1994 में, किरण बेदी उस समय काफी विवादों में रहीं जब उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में न्यूज लेटर पब्लिश कर दिल्ली सरकार की काफी आलोचना की थी। दरअसल, उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्धारा द्धारा नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट के लिए दो बार न्योता दिया गया था, लेकिन दोनों बार ही दिल्ली सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था।

अपने तेज-तर्रार स्वभाव के लिए मशहूर किरण बेदी को उस समय काफी आलोचनाएं सहनी पड़ी थीं, जब उन्होंने जेल के नियमों के खिलाफ जाकर तिहाड़ जेल के एक भयंकर अपराधी चार्ल्स सोभराज को टाइपराइटर उपलब्ध करवाया था।

26 नवंबर 2011 में, किरण बेदी उस समय काफी विवादों से घिरीं रहीं, जब उन पर NGO के फंड के गलत इस्तेमाल के आरोप लगाए गए और दिल्ली पुलिस क्राइम बैंच में केस दर्ज किया गया। इसकी शिकायत दिल्ली के वकील देविंदर सिंह चौहान ने की थी।

किरण बेदी की प्रमुख उपलब्धियां एवं पुरस्कार – Kiran Bedi Awards

  • साल 1968 में किरण बेदी को एनसीसी कैडेट अधिकारी पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 1972 में किरण बेदी को देश की पहली महिला IPS ऑफिसर बनने का गौरव हासिल हुआ।
  • साल 1976 मे किरण बेदी ने नेशनल वुमन लॉन टेनिस चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
  • साल 1979 में किरण बेदी ने अकाली-निरंकारी संघर्ष के दौरान हिंसा को रोकने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई थी, इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • साल 1980 में किरण बेदी को वुमन ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 1992 में किरण बेदी को इंटरनेशनल वुमन अवॉर्ड से नवाजा गया था।
  • साल 1994 में किरण बेदी को उत्कृष्ट सरकारी सेवा के लिए रामन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 1995 में किरण बेदी को समुदाय सेवा के लिए लायंस क्लब द्वारा लायंस ऑफ़ द ईयर पुरस्कार दिया गया।
  • साल 2004 में किरण बेदी को बेहतरीन सेवा के लिए यूनाइटेड नेशन मैडल से पुरस्कृत किया गया।
  • साल 2005 में किरण बेदी को जेल और दंड प्रणाली में सुधार एवं सामाजिक न्याय के लिए अखिल भारतीय ईसाई परिषद द्वारा ‘‘मदर टेरेसा मेमोरियल राष्ट्रीय पुरस्कार” से नवाजा गया।
  • साल 2006 में किरण बेदी को द वीक द्वारा देश की सबसे अधिक प्रशंसित महिला के रुप में नवाजा गया।
  • साल 2009 में किरण बेदी को आज तक टीवी चैनल द्दारा महिला उत्कृष्टता पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 2013 में किरण बेदी को राय यूनिवर्सिटी द्धारा ऑनरी डिग्री ऑफ डॉक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 2014 में किरण बेदी को सामाजिक प्रभाव डालने के लिए “लो ओरियल पेरिस फेमिना महिला पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

किरण बेदी द्धारा लिखीं गईं किताबें – Kiran Bedi Books

किरण बेदी ने आईपीएस, राजनेता और समाजसेवा के तौर पर ही खुद को साबित नहीं किया, बल्कि उनके अंदर लेखक के भी गुण है।

उन्होंने आई डेयर (I Dare), क्रिएटिंग लीडरशिप, इट्स ऑलवेज पॉसिबल, जैसी कई किताबें लिखी हैं। इसके अलावा वे मलेशिया में लीडरशिप ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट आइक्लिफ (Iclif) में विजिटिंग फैकल्टी भी हैं।

किरण बेदी पर बनी बायोपिक – Kiran Bedi Movie

देश की पहली महिला ऑफिसर किरण बेदी के प्रभावशाली और प्रेरणात्मक जीवन से प्रभावित होकर एक ऑस्ट्रेलियन फिल्म मेकर ने उनकी लाइफ पर ‘यस मैडम सर’ नाम की बायोपिक भी बनाई है।

इस फिल्म को दुनिया के कई फिल्म महोत्सवों में भी दिखाया जा चुका है। उनकी इस जीवनी को देखते हुए उनका एक सुविचार हमारे लिए प्रेरणादायक साबित होता है। –

जो लोग समय रहते अपने जीवन का चार्ज नहीं ले लेते। वे बाद में समय द्वारा लाठी चार्ज किये जाते है।

इस सुविचार से हमें यह सीख मिलती है की बाद में पछताने की बजाये समय रहते हमने अपने जीवन के अत्यावश्यक कामो को पूरा कर लेना चाहिये। और समय की कीमत करनी चाहिये न की उसे व्यर्थ करना चाहिये।

और अधिक लेख:

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होली पर कुछ कविताएँ

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Holi Kavita

हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार होली प्रेम, भाईचारा, सोहार्द, सदभाव एकता रंग एवं मिठाई का पर्व है, जिसे सभी भारतीय आपस में मिलजुल बनाते हैं। होली के उत्सव को फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

इस पर्व से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इस पर्व का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जैविक महत्व है। इसलिए इस पर्व को लोग बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

यह नई खुशियों, उमंग और उत्साह का पर्व है। जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाता है। दिल को जोड़ने वाला यह उत्सव हैं और यह उत्सव देश के सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है, हमारे पुराण में इस त्यौहार से जुडी बहुत सी कहानियाँ हैं। जैसे उनमें से सबसे दिलचस्प कृष्ण-राधा प्रेम कहानी, प्रहलाद और हिरणकश्यप के की कहानी, बुराई पर अच्छाई की जीत की हमेशा याद दिलाती है।

वहीं होली के पर्व को कुछ कवियों ने सुंदर रचनाओं में पिरोया है। होली के पवित्र पर्व के महत्व को इन कविताओं द्धारा समझा जा सकता हैं। आज हम यहाँ वही कविताएँ आप के लिए लाये हैं।

Holi Poem होली पर कुछ कविताएँ – Holi Poem in Hindi

Holi Poem Hindi

होली आयी

होली आयी, होली आयी, साथ ढेरों खुशियाँ लायी
होली खेले राधा सँग कन्हाई
डाले इक दूजे पे रंग गुलाल
हो गए सब के रंगबिरंगी गाल
यह प्यार का त्योहार सबसे निराला
खुश है सब के संग कान्हा
चढा सब पर प्रेम का ऐसा रँग
मस्ती मे झूमे सबका अन्ग-अन्ग
आओ हम भी साथ खेले होली
चलो आज होलिका को सब मिल के जलाएँ
एक नया इतिहास बनाएँ
जलाएँ हम उसमे अपने बुरे विचार
कटु-भावो का करे तिरस्कार
नफरत की दे दे आहुति
आज लगाएँ प्रेम भभूति
प्रेम के रन्ग मे सब रन्ग डाले
नफरत नही कोई मन मे पाले
सब इक दूजे के हो जाएँ
आओ हम सब होली मनाएँ

Holi Kavita in Hindi

रंग-बिरंगे त्योहार होली को सभी लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं, हालांकि सभी का इस पर्व को मनाने का मकसद एक ही हैं। इस पर्व से होलिका और भक्त प्रह्लाद, राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम, भगवान शिव और पार्वती समेत तमाम पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिसकी वजह से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।

इस पर्व से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हैं। वहीं कवि ने भी अपनी कविता में होली के पर्व का प्यार एवं खुशियों के पर्व के रुप में बेहद शानदार ढंग से वर्णन किया है।

वहीं आप होली पर लिखी गईं इन कविताओं को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर कर सकते हैं और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक कर सकते हैं।

पुराने दिनों की याद दिलाती होली

होली आती हैं हमें याद दिलाती
पिचली कितनी होली
वो बचपन की होली
वो सखियों की होली
वो गुजियों वाली होली
सब कुछ याद दिलती
होली आती हैं रंग गले लगाती हैं
आकर सब को नहलाती हैं,
होली आती हैं हमें हमारे पुराने दिनों की याद दिलाती हैं।

Kavita on Holi Festival

होली

होली है भाई होली है
मौज मस्ती की होली है
रंगो से भरा ये त्यौहार
बच्चो की टोली रंग लगाने आयी है
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
एक दूसरे हो रंग लगाओ
मन की कड़वाहट को छोड़ो
सब मिल के खुशियां मनाओ
अपनी परंपरा कभी न छोड़ो
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
होलिका दहन का मतलब समझो
हिरणकश्यप के दंभ को तोड़ो
भक्त प्रह्लाद को रखना याद
कभी न छोड़ना सच का साथ
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है

~ सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

Holi Festival Poem in Hindi

होली का पर्व एक ऐसा पर्व है, जिसे हर वर्ग, जाति के लोग बेहद धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं तो वहीं कई लोगों की इस पर्व से अपने बचपन की यादें भी जुड़ी रहती हैं।

कवि ने अपनी कविता में पुराने दिनों की यादों के रुप में इसका बेहद खूबसूरती से वर्णन किया है। इसके साथ ही होली पर बच्चों की मौज-मस्ती, मेल-मिलाप का भी वर्णन किया है।

हालांकि, आजकल बदलते युग के साथ होली ने भी आधुनिकता का रुप ले लिया है, लेकिन हम सब को होली के महत्व को समझकर इस पर्व को आपस में मिलजुल कर प्रेम और भाईचारे के साथ मनाना चाहिए और इस दिन अपने अंदर की सभी बुराईयों को खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।

होली आज मनाना है

आज हमें तुमको रंग लगाना है
होली आज मनाना है।
इनकार मत करो
रंगों को तुम स्वीकार करो
आज रंगो से तुम्हें नहलाना है
होली आज मनाना है।
भर के पिचकारी जो मारी
भीगा सारा अंग अंग भीगी साड़ी
तुम्हे अपने ही रंग में रंगवाना है
होली आज मनाना है।
रंग गुलाल तो बहाना है
दूरियाँ सारी दिलों की मिटाना है
तो कैसा ये शरमाना है
होली आज मनाना है।

~ अंशुमन शुक्ल

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महिला दिवस पर कुछ कविताएँ

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Mahila Diwas par Kavita

नारी हर घर की शान होती हैं, आज के युग में तो नारी घर के साथ साथ सभी क्षेत्रों में अपना स्थान बना चुकी हैं। महिला देश, समाज एवं परिवार का मुख्य आधार होती हैं। महिलाएं समाज को सभ्य बनाने से लेकर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आज महिलाओं ने खुद को हर क्षेत्र में साबित किया है।

आज दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां महिलाओं का दबदबा न हो, लेकिन आज 21 वीं सदी में भी महिलाओं को उत्पीड़न, शोषण और घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है। कहीं न कहीं आज भी महिलाओं से जुड़े फैसले उनके पिता, भाई या फिर पति द्वारा ही लिए जाते हैं।

वहीं महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने, उनका आत्मविश्वास जगाने एवं समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित कर उनका मनोबल बढ़ाने के लिए 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

वहीं आइए जानते हैं महिलाओं के महत्व को समझाने वाली महिला दिवस पर कुछ प्रेरणात्मक कविताओं – omens Day Poem के बारे में –

महिला दिवस पर कुछ कविताएँ – Womens Day Poem in Hindi

Womens Day PoemMahila Din Vishesh Kavita

नारी

नारी तुम आस्था हो तुम प्यार, विश्वास हो,
टूटी हुयी उम्मीदों की एक मात्र आस हो,
अपने परिवार के हर जीवन का तू आधार हो,
इस बेमानी से भरी दुनिया में एक तुम ही एक मात्र प्यार हो,
चलो उठों इस दुनिया में अपने अस्तित्व को संभालो,
सिर्फ एक दिन ही नहीं,
बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो।

Aaj ki Nari par Kavita

इस बात को नहीं नकारा जा सकता है आज महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में थोड़ा सा बदलाव आया है। लोग अपने घर की बेटियों और बहुओं की शिक्षा के लिए आगे बढ़ रहे हैं। देश के उच्च पदों पर महिलाएं शोभायमान हैं।

पहले की तुलना में महिलाएं आज कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर और सक्षम है, लेकिन इन सबके बाबजूद भी रुढिवादी सोच हावी है, जिसके चलते महिलाएं गुलाम बनी हुई हैं और दहेज लोभियों की हिंसा का शिकार हो रही हैं।

वहीं कन्या भ्रूण हत्या के मामले तो जैसे आम हो चले हैं।महिलाओं को आज भी अपने हक के लिए लड़ना पड़ रहा है। वहीं महिला दिवस पर लिखीं गईं इस तरह की कविताएं महिलाओ के अंदर न सिर्फ आगे बढ़ने का जोश भरेंगी, बल्कि उन्हें अपनी शक्ति का एहसास भी दिलवाने में कारगार सिद्ध होंगी।

कौन कहता हैं

कौन कहता हैं की,
नारी कमज़ोर होती है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है।

वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं।
एक बार नारी की ज़िंदगी जीके तो देखों,
अपने मर्द होने के घमंड यु उतर जायेंगा,
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।

तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती, मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।

Nari par Kavita

क्योंकि नारी महान होती है।

मन ही मन में रोती फिर भी बाहर से हँसती है
बार-बार बिखरे बालों को सवारती है
शादी होते ही उसका सब कुछ पीछे छुट जाता है
सखी – सहेली,आजादी, मायका छुट जाता है
अपनी फटी हुई एड़ियों को साड़ी से ढँकती है
स्वयं से ज्यादा वो परिवार वालों का ख्याल रखती है
सब उस पर अपना अधिकार जमाते वो सबसे डरती है।

शादी होकर लड़की जब ससुराल में जाती है
भूलकर वो मायका घर अपना बसाती है
जब वो घर में आती है तब घर आँगन खुशियो से भर जाते हैं
सारे परिवार को खाना खिलाकर फिर खुद खाती है
जो नारी घर संभाले तो सबकी जिंदगी सम्भल जाती है
बिटिया शादी के बाद कितनी बदल जाती है।

आखिर नारी क्यों डर-डर के बोलती, गुलामी की आवाज में?
गुलामी में जागती हैं, गुलामी में सोती हैं
दहेज़ की वजह से हत्याएँ जिनकी होती हैं
जीना उसका चार दीवारो में उसी में वो मरती है।

जिस दिन सीख जायेगी वो हक़ की आवाज उठाना
उस दिन मिल जायेगा उसके सपनो का ठिकाना
खुद बदलो समाज बदलेगा वो दिन भी आएगा
जब पूरा ससुराल तुम्हारे साथ बैठकर खाना खायेगा
लेकिन आजादी का मतलब भी तुम भूल मत जाना
आजादी समानता है ना की शासन चलाना
रूढ़िवादी घर की नारी आज भी गुलाम है
दिन भर मशीन की तरह पड़ता उस पर काम है
दुःखों के पहाड़ से वो झरने की तरह झरती है
क्योंकि नारी महान होती है।

Nari Shakti par Kavita

हमारी भारतीय संस्कृति में भी महिलाओं के महत्व को बताया गया हैं एवं उन्हें देवी का रुप बताया है। हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में भी महिलाओं की अदम्य शक्ति का वर्णन किया गया है।

महिला, एक मां. बहन, बेटी, बहु कई रुपों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और संस्कारी एवं सभ्य समाज का निर्माण करती है। वास्तव में नारी सूरज की सुनहरी किरण और प्रेम का आगार है।

हम सभी को महिलाओं को महत्व समझना चाहिए एवं उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए। महिला दिवस पर महिलाओं पर लिखीं गईं यह सुंदर कविताएं वाकई दिल छू जाने वाली हैं।V

नारी ईश्वर का चमत्कार

नारी सरस्वती का रूप हो तुम
नारी लक्ष्मी का स्वरुप हो तुम
बढ़ जाये जब अत्याचारी
नारी दुर्गा-काली का रूप हो तुम।

नारी खुशियों का संसार हो तुम
नारी प्रेम का आगार हो तुम
जो घर आँगन को रोशन करती
नारी सूरज की सुनहरी किरण हो तुम।

नारी ममता का सम्मान हो तुम
नारी संस्कारों की जान हो तुम
स्नेह, प्यार और त्याग की
नारी इकलौती पहचान हो तुम।

नारी कभी कोमल फूल गुलाब हो तुम
नारी कभी शक्ति के अवतार हो तुम
तेरे रूप अनेक
नारी ईश्वर का चमत्कार हो तुम।

Nari Jeevan Kavita

महिलाओं की अलौकिक शक्ति का भारतीय इतिहास भी गवाह रहा है। जब-जब-पुरुष ने खुद को असहाय, हताश और निराश पाया है, तब-तब वो नारी के शरण में आया है।

भले ही पुरुष अपने अहंकार के कारण नारी को कमजोर और अबला कहता रहा हो, लेकिन नारी की शक्ति का एहसास तो उसे भी है।

इसलिए महिला शक्तिकरण की दिशा में आज कई अभियान चलाए जा रहे हैं, महिलाओं को उनकी शक्ति का एहसास करवाया जा रहा है।

वहीं जब तक महिलाएं खुद अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाएंगी और अपने जिंदगी से जुड़े फैसले लेने में समर्थ नहीं होगी तब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं आ सकता है।

इसलिए इस महिला दिवस पर इस तरह की कविताओं से प्रेऱणा लेकर सभी महिलाओं को आत्मसम्मान के साथ जीने एवं अपने अधिकारों के प्रति लड़ने का प्रण लेना चाहिए।

गर्व है मुझे मैं नारी हूँ

तोड़ के हर पिंजरा
जाने कब मैं उड़ जाऊँगी
चाहे लाख बिछा लो बंदिशे
फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाऊंगी मैं
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले ही परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे
फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ

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महिला दिवस पर भाषण – Women’s Day Speech in Hindi

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Women’s Day Speech in Hindi

आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं, दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां महिलाएं, पुरुषों से कम हों।

आज महिलाएं पूरी तरह आत्मनिर्भर और सक्षम हैं। महिलाओं ने आज हर क्षेत्र में खुद को बेहतर साबित किया है और अपनी प्रतिभा का लोहा न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी मनवाया है, इसलिए महिलाओं के सम्मान और सराहना करने के लिए हर 8 मार्च को हर साल अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है।

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों और शक्ति का एहसास करवाना, समाज में महिलाओं के प्रति तुच्छ मानसिकता को बदलाना, महिलाओं की शिक्षा और विकास को बढ़ावा देना एवं समाज में उत्कृष्ट काम करने वाले महिलाओं का मनोबल बढ़ाना एवं महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना है।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में कई तरह के प्रोग्राम्स भी आयोजित करवाए जाते हैं, जिसमें आपको जिसमें महिलाओं की उपलब्धियों की सराहना करने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए महिला दिवस पर भाषण देने का मौका मिल सकता है।

वहीं यह भाषण देने का अवसर आपको भी प्राप्त हो सकता है, इसलिए आज हम आपको अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर शानदार भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप ऐसे मौके पर कर सकते हैं, तो आइए जानते हैं-

महिला दिवस पर भाषण – Women’s Day Speech in Hindi

Women's day speech
Women’s day speech

महिला दिवस पर छात्र / छात्रा द्धारा दिए जाने वाला भाषण – Women’s Day Speech for Students

मै …। आप सभी को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। सम्मानित मुख्य अतिथि, सभी महामहिम और यहां मौजूद सभी माताएं-बहनों और साथियों सभी को मेरा नमस्कार।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस – International Women’s Day है।

इसलिए इस मौके पर हमारी संस्था की तरफ से हर साल की तरह इस बार भी महिलाओं के सम्मान करने और उनका हौसला अफजाई करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, वहीं मुझे बेहद खुशी हो रही है कि मुझे अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है।

इस मौके पर मै सबसे पहले उन महिलाओं की सराहना करती हूं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और हुनर का प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने किया और दूसरी महिलाओं के अंदर आगे बढ़ने के लिए नया जोश भरा और एक नई ऊर्जा का संचार किया।

समाज में महिलाओं के प्रति फैली असामनता को दूर करने, महिलाओं की शिक्षा और विकास पर जोर देने, उन्हें उनके अधिकार दिलवाने और अपनी शक्ति का एहसास करवाने समेत उनके अंदर आत्मनिर्भर बनने का भाव पैदा करने के मकसद से हर साल 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

इस मौके पर पूरी दुनिया में महिलाओं की उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित किया जाता है और आगे बढ़ने के लिए उनका हौसला बढ़ाया जाता है। साथ ही देश की कई बहादुर और महान महिलाओं के त्याग और समर्पण को भी याद किया जाता है।

इसमें कोई दो-राय नहीं है कि पहले की तुलना में आज महिलाएं ज्यादा शक्तिशाली और सक्षम हैं और उनकी स्थिति में भी पहले की तुलना में काफी हद तक सुधार आया है।

शायद यही वजह है कि आज देश के उच्च पदों पर महिलाएं राज कर रही हैं, वहीं ‘मलाला’ जैसी लड़कियां जहां लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं तो वहीं मैरीकॉम और प्रियकां चौपड़ी जैसी महिलाएं हॉलीवुड में फिल्में कर अपने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर रहीं हैं।

लेकिन शर्मिंदगी इस बात की है कि आज भी कई ऐसी जगह हैं जहां महिलाओं को शारीरिक और मानिसक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं, और आज भी उन्हें घर की चार दीवारी में कैद रखा जाता है, यही नहीं कई महिलाओं को तो उन्हें जन्म से पहले कोक में ही मार दिया जाता है।

कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब अखबार और न्यूजपेपर में कन्या भ्रूण हत्या की खबर नहीं छपी हो, वहीं भारत में तो कई राज्य ऐसे हैं, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा बेहद कम है। जिसमें सुधार करने की जरूरत है।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजनों के माध्मय से लैंगिग समानता पर भी जोर दिया जाता है और महिलाओं का महत्व बताया जाता है ताकि महिलाओं की स्थिति और अधिक अच्छी हो सके।

आज हमारी सरकारें भी बेटियों की शिक्षा और उनके विकास के लिए तमाम योजनाएं चली रही हैं और कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को उठा रही हैं, लेकिन ऐसे मसले आज भी काफी चर्चित हैं, वहीं महिलाओं की लगातार कम होती संख्या काफी चिंताजनक है।

धन्यवाद।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण – International Women’s Day Speech

आप सभी को सबसे पहले अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सम्मानित मुख्य अतिथि, सभी महामहिम और यहां मौजूद सभी माताएं-बहनों और साथियों आप सभी को मेरा नमस्कार। मैं (नाम एवं पद बताएं) हूं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है। इसलिए इस मौके पर हमारी संस्था की तरफ से हर साल की तरह इस बार भी महिलाओं के सम्मान करने और उनका हौसला अफजाई करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। 

मुझे बेहद खुशी हो रही है कि इस शानदार मौके पर मुझे बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है। मैं अपने इस भाषण की शुरुआत महिलाओं के सम्मान में दो पक्तियां बोलकर करना चाहती हूं-

”अर्ध सत्य तुम, अर्ध स्वप्न तुम, अर्ध निराशा आशा,

अर्ध अजित जित, अर्ध तृप्ति तुम, अर्ध अतृप्ति पिपासा,

आधी काया आग तुम्हारी, आधी काया पानी,

अर्धांगिनी नारी ! तुम जीवन की हो परिभाषा !”

आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तुम्हें ढेर सारी शुभकामनाएं।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हर किसी के लिए एक गौरवमयी दिन है। यह नारियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें अपनी शक्ति का एहसास करवाने का दिन है।

इस दिन के महत्व को समझते हुए कई महान साहसी, बहादुर महिलाओं के त्याग समर्पण और बलिदान को भी याद किया जाता है। वहीं सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी, 1909 को अमेरिका में मनाया गया था, लेकिन अब यह हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।

इंटरनेशनल वुमेन्स डे किसी एक संस्था, ग्रुफ तक सीमित ही नहीं है, बल्ति यह सरकार, कई प्राइवेट कॉरपॉरेशन और महिला संस्थानों द्वारा भी बड़े स्तर पर मनाया जाता है।

महिलाएं यानि कि आधी आबादी के बिना किसी भी समाज या देश के विकास के बारे में नहीं सोचा जा सकता है, क्योंकि महिलाएं न सिर्फ किसी परिवार का मुख्य आधार होती हैं और परिवार को एक सूत्र में बांधने का काम करती हैं, बल्कि वे देश की उन्नति, प्रगति और विकास में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

हालांकि, लगातार घट रही महिलाओं की संख्या, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा के बढ़ते मामले, एवं महिलाओं का शोषण उत्पीड़न आज समाज में चिंता का विषय है।

21 वीं सदी में भी जहां लोगों पर मॉडर्न सोच हावी हो गईं, तो वहीं आज भी कई महिलाएं गुलामी का दंश झेल रही हैं। आज भी महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

फिलहाल, इस बात में कोई शक नहीं है कि महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हुई है और आज समाज महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करता है एवं महिलाओं के विकास और उन्हें बढ़ावा देने के लिए आगे कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

वहीं अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का सेलिब्रेशन भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बेहतर प्रयास है। इस तरह के अवसरों के माध्यम से महिलाओं को उनकी शक्ति का एहसास होता है एवं आगे बढ़ने का जज्बा पैदा होता है।

महिलाओं ने अपनी योग्यता, बुद्दिमत्ता और साहस के बल पर ही विपरीत परिस्थियों में भी हर जगह अपना डंका बजाया है। दुनिया का कोई भी क्षेत्र आज ऐसा नहीं है, जहां पर महिलाओं का रुतबा और दबदबा कायम न है।

महिलाओं को जहां पहले घर की चार दीवारी में कैद कर रखा जाता था। वहीं आज महिलाएं सर्वोच्च पदों पर बैठकर देश-दुनिया का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

वहीं अगर हम अपने देश की साहसिक एवं निडर महिलाओं की बात करें तो अहिल्याबाई होलकर,जिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, चांद बीबी, बेगम हजरत महल, ऐनी बेसेंट समेत तमाम वीरांगनाओं ने अपने कर्म, बलिदान और त्याग से विश्व भर में आदर्श प्रस्तुत किया है।

इनके अलावा किरण बेदी, सायना नेहवाल, इंदिरा गांधी, सरोजनी नायडू, प्रियंका चौपड़ा, पीवी सिंधु, पीटी ऊषा जैसी महिलाओं ने पुरुषों के प्रभुत्व वाले समाज में न सिर्फ अपनी प्रतिभा को साबित किया बल्कि तमाम संघर्ष और मेहनत के बल पर बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

आज इस दिवस पर इन महिलाओं से हम सभी को प्रेरणा लेकर अपने जिंदगी के लक्ष्यों को पाने के लिए आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि एक सभ्य समाज एवं विकसित देश का निर्माण हो सकें। मैं महिलाओं के सम्मान में एक कविता बोलकर अपने भाषण को विराम देना चाहूंगी।।

आया समय

उठो तुम नारी

युग निर्माण तुम्हें करना है

आजादी की खुदी नींव में

तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है

अपने को

कमजोर न समझो

जननी हो सम्पूर्ण जगत की

 गौरव हो

अपनी संस्कृति की

आहट हो स्वर्णिम आगत की

तुम्हें नया इतिहास देश का

अपने कर्मों से रचना है।।

धन्यवाद।।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण (किसी भी स्कूल संगठन/ कार्यालय में दिए जाना वाला कॉमन भाषण) – Speech on Women’s Day

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में इकट्ठे हुए सभी लोगों को तहे दिल से मेरा शुक्रिया, और अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।

मुझे बेहद खुशी हो रही है कि, आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुझे आपके सामने अपना भाषण देने का अवसर प्राप्त हुआ है।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मै सबसे पहले उन सभी महिलाओं का अभिनंदन करती हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, त्याग और समर्पण से न सिर्फ खुद की प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपनी एक अलग पहचान बनाई, बल्कि भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया। इसके साथ ही अन्य कई महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बनी।

संस्कृत में एक श्लोक है-

‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:।

यानि की जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता वास करते हैं।इसलिए हर किसी को नारी का सम्मान करना चाहिए, भारतीय संस्कृति में महिलाओं के महत्व को बताया गया है। यहां तक कि महिलाओं को देवी का रूप भी माना गया है।

बड़े-बड़े शास्त्रों और पुराणों में महिलाओं की शक्ति और क्षमता का बखान किया गया है। वास्तव में महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती, एक महिला न सिर्फ वंश को आगे बढ़ाती है बल्कि परिवार, समाज और देश के विकास में भी अपनी अहम भूमिका निभाती है। इसलिए नारी का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है।

वहीं आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं, आज दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां महिलाएं पुरुषों से पीछे हों, महिलाओं ने आज खुद को हर क्षेत्र में साबित किया है, वहीं पिछले कुछ सालों में महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास पर भी काफी जोर दिया गया है।

समय-समय पर हमारी सरकारें भी बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाई, सुकन्या समृद्धि योजना समेत तमाम योजनाएं चलाती रहती हैं, जिससे महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर लोग जागरूक हो सके।

वहीं हर साल 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित क्रायक्रमों के माध्यम से न सिर्फ महिलाओं की उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित किया जाता है बल्कि समाज के लोगों को महिलाओं के महत्व के बारे में भी समझाया जाता है।

और महिलाओं के अंदर आत्मनिर्भर बनने का भाव भी पैदा किया जाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं विकास कर सकें और आर्थिक रुप से मजबूत हो सकें।

हालांकि महिलाओं की बुलंदियों और हौसलों का तो इतिहास भी ग्वाह है। भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई, भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, भारत कोकिला सरोजनी नायडू, मदर टेरेसा, कल्पना चावला, पीटी ऊषा,और किरण बेदी जैसी महिलाओं ने पुरुष प्रधान समाज में ने सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि कठोर संघर्ष और कड़ी मेहनत के बल पर बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

जिनका आज हर कोई कायल है, इन्होंने न सिर्फ अपने महान कार्यों से महिलाओं के लिए मिसाल कायम की बल्कि कई महापुरुषों ने भी इनकी बहादुरी की सराहना की है।

इस महिला दिवस पर मै उन सभी महिलाओं का अभिनंदन करती हूं, जिनके आत्मविश्वास और समर्पण ने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है और जिनसे बाकी लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली हैं।

इसके साथ ही इस महिला दिवस के मौके पर हम सभी को मिलकर महिलाओं का सम्मान करने का और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लेना चाहिए, तभी हमारे देश की बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेंगी और देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगी।

महिला दिवस पर अगले पेज पर और भी भाषण…

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क्यों मनाई जाती है होली, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं…

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Information About Holi in Hindi

रंगों का त्योहार होली भारत में हिन्दू धर्म के और भारत के प्रमुख मुख्य त्योंहारों में से एक है। यह पर्व आपसी सोहार्द, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। हिन्दी पंचाग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन हर साल होली मनाई जाती है।

इसे हिन्दू धर्म के लोग बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। होली के पर्व पर लोग अपने पुराने गिले-शिकवे मिटाकर प्रेम की भावना से एक-दूसरे से मिलते हैं एवं मुंह मीठा कर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

यह पावन पर्व मुख्य रुप से मौज-मस्ती करने का त्योहार है, जिसकी तैयारियां बच्चे कई दिन पहले से ही करने लगते हैं। इस पर्व की बाजारो में भी अलग ही रौनक दिखाई देती है।

इस त्योहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं और इतिहास – Holi History जुडा हुआ हैं, जिनके बारे में हम आपको अपने इस लेख में बता रहे हैं।

तो आइए जानते हैं होली का पर्व कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, एवं इसके महत्व एवं इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में-

क्यों मनाई जाती है होली, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं – Information About Holi in Hindi

Information About Holi in Hindi
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होली का त्योहार कब मनाया जाता है ? – When Holi is Celebrated

भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का पर्व हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। (यह त्योहार फरवरी और मार्च के बीच में पड़ता है)।यह त्योहार 2-3 दिन तक मनाया जाता हैं। व

हीं कई-कई जगहों पर महीनों तक होली की रौनक दिखती हैं। फिलहाल 2020 में होली का पर्व 9 और 10 मार्च को मनाया जाएगा। 9 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan) है, जबकि 10 मार्च को रंग वाली होली है।

होलिका दहन पर लोग अपनी-अपनी परंपराओं के मुताबिक पूजा-अर्चना करते हैं। यह त्योहार खुशियों और मन को प्रफुल्लित कर देने वाला पर्व है। किसान इस पर्व को फसल उगने की खुशी में भी मनाते हैं इसलिए इसे फसलों का त्योहार भी कहा जाता है।

क्यों मनाई जाती है होली एवं इससे जुडी पौराणिक कथाएं – Holi Festival Story

रंगों के त्योहार होली से कई धार्मिक कथाएं और पौराणिक मान्ताएं जुड़ी हुई हैं। वहीं होलिका और विष्णु के परम भक्त प्रह्ललाद की कहानी सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

हिरण्यकश्यप और भक्त प्रल्हाद से जुड़ी है होली की कहानी – Bhakt Prahlad Story

बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली मनाने की सबसे प्रचलित कहानी – विष्णु भक्त प्रल्हाद, हिरण्यकश्यप और होलिका से जुड़ी हुई है – ऐसा कहा जाता है कि हिरण्यकश्य नाम का एक ऐसा राक्षस था, जिसके अत्याचार काफी बढ़ गए थे, जिससे लोग खौफ खाते थे।

वहीं राक्षस रुपी राजा हिरण्यकश्यप को ब्रह्म देव द्वारा वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु न किसी इंसान के द्वारा होगी, न ही उसे कोई किसी अस्त्र-शस्त्र से मार सकता है, न जानवर ही उसका कुछ बिगाड़ सकता है, ना वह घर के अंदर, ना घर के बाहर, ना दिन में, ना रात में, ना आकाश में, ना ही धरती में उसकी मृत्यु होगी।

ऐसा वरदान पाकर वह खुद को बेहद शक्तिशाली समझने लगा था और इतना अंहकारी हो गया था, कि वह खुद को ही भगवान मानने लगा था और लोगों से विष्णु भगवान की पूजा करने की मना करता था, और इसके बजाय खुद की पूजा करने के लिए कहता था, क्योंकि भगवान विष्णु ने ही उसके राक्षसी भाई का वध किया था, हालांकि उसके राज्य की प्रजा भी उसके डर से उसकी पूजा करने लगी थी।

लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रल्हाद, भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, वह हर समय उनकी भक्ति में लीन रहता था, जिसकी वजह से हिरण्यकश्यप उसको बिल्कुल पसंद नहीं करता था, हिरण्यकश्यप की लाख कोशिशों के बाबजूद भी जब प्रल्हाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी तो राक्षस हिरण्यकश्यप ने अपनी ही पुत्र प्रल्हाद को मारने की योजना बनाई।

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रल्हाद के खिलाफ मौत का षडयंत्र रचा। दरअसल, उसकी बहन होलिका भी भगवान शिव की उपासक थी और उसे भगवान शिव से वरदान के रुप में एक ऐसी चादर मिली थी, कि जब तक वह चादर होलिका के तन पर रहेगी तो उसे कोई जला नहीं सकता है।

इसीलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रल्हाद को गोद में लेकर जलती आग में बैठने को कहा, जिससे उसका पुत्र भस्म हो जाए। हालांकि, अहंकारी राक्षस हिरण्यकश्यप को अपनी यह चाल उल्टी पड़ गई, क्योंकि आग में बैठी होलिका की चादर, तूफान में उड़ गई ,जिससे वह आग में जलकर राख हो गई, जबकि प्रल्हाद भगवान विष्णु की कृपा से बच गया।

तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में होली मनाने की शुरुआत की गई, इसलिए होली के पर्व पर समाज में फैली सभी बुराइयों को नष्ट करने के लिए होलिका दहन – Holika Dahan की भी परम्परा है। जिसमें लकड़ी की होलिका बनाकर उसे जलाया जाता है।

राधा – कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा है रंगों का त्योहार होली – Dhulivandan (Rang Panchami)

ऐसा कहा जाता है कि, भगवान श्री कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, बसंत में श्री कृष्ण लीला के दौरान गोकुल के लोग एक-दूसरे पर गुलाल और रंग डालते थे, इसलिए होली का त्योहार, रंगों के त्योहार के रुप में मनाया जाने लगा।

वहीं होली के पर्व में गोकुल नगरी मथुरा वृन्दावन में सभी लोग राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबे रहते हैं, यहां की बरसाने की फूलों की होली और नंदगांव की लठमार होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

रबी की फसल तैयार होने की खुशी में भी मनाई जाती है होली

होली के त्योहार को बसंत का त्योहार भी कहा जाता है, इस मौसम में किसानों की रबी की फसल पककर अच्छी तरह तैयार हो जाती हैं, इसलिए इसकी खुशी में होली के त्योहार को ‘बसंत महोत्सव’ – Basant Mahotsav के रुप में भी मनाया जाता है।

होली से जुड़ी अन्य पौराणिक प्रचलित कथाएं – Holi Ki Kahani

होली के त्योहार कामदेव के पुनर्जन्म, राक्षसी पूतना का श्री कृष्ण द्वारा वध से भी जुड़ा हुआ है।

कुछ कथाओं के मुताबिक इस दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया था, तभी से लोग इसे लोग प्रेम की विजय के रुप में मनाते हैं, जबकि कुछ लोगो का मानना है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन अपने बाल रुप में राक्षसी पूतना का वध किया था।

जिसकी खुशी में गोकुल नगरी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की थी और एक-दूसरे पर रंग-गुलाल डालकर होली का पवित्र उत्सव मनाया था। वहीं इसके बाद से ही मथुरा की होली काफी मशहूर हो गई।

होली का इतिहास ? – Holi Festival History

होली का पर्व प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख कई हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में ही नहीं बल्कि कई इतिहासकारों द्वारा भी किया गया है।

होली मनाने की परंपरा मुगलों के शासनकाल से ही चली आ रही है वहीं कुछ इतिहासकारों की माने तो मुगल शासक शाहजहां के काल में होली को ईद-ए-गुलाबी के नाम से संबोधित किया जाता था।

इसके अलावा अकबर का जोधाबाई के साथ और जहांगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का उल्लेख भी इतिहास में मिलता है।

कई प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर बने चित्रों से भी होली उत्सव के प्रमाण मिलते हैं। इसके अलावा कई प्रमाणों के मुताबिक होली का त्योहार ईसा मसीह के जन्म से कई सदियों पहले ही मनाया जा रहा है।

वहीं विजयनगर की राजधानी हंपी में 16वीं सदी का एक मंदिर है. जिसमें होली के कई ऐसे दृश्य हैं जिसमें राजकुमार, राजकुमारी अपने दासों समेत एक दूसरे को रंग लगाते प्रतीत हो रहे हैं। इससे होली के पर्व के महत्व को समझा जा सकता है।

होली का उत्सव कैसे मनाया जाता है ? – How To Celebrate Holi

प्रेम और भाईचारे का प्रतीक होली के पर्व को हिन्दू धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन जगह-जगह पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और मुंह मीठा कर होली के पर्व की बधाई देते हैं तो बच्चे रंगों की पिचकारियों से खेलते हैं एवं पानी के गुब्बारें से मौज-मस्ती करते नजर आते हैं।

बसंत के मौसम में इस त्योहार पर सभी लोग रंग में डूबे नजर आते हैं। होली के लोक गीत एवं आधुनिक म्यूजिक के साथ लोग रेन डांस करते हैं, तो कई लोग होली मिलन समारोह का आयोजन कर मौज-मस्ती करते हैं।

वहीं भारत में अलग-अलग जगहों पर लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाते हैं एवं इस दिन लोग अपने सभी गिले शिकवे भुलाकर प्रेम से एक-दूसरे को इस पावन पर्व की बधाई देते हैं और सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।

होली का उत्सव दो-तीन दिनों तक चलता है। इसके पहले दिन होलिका दहन होता है, इस दिन हर चौराहे और कॉलोनियों में लकड़ी और उपलों से होलिका बनाई जाती है फिर होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन में लोग पूजा-अर्चना करते हैं। और अपने घरों में जो भी पकवान बनाते हैं, उनका भोग लगाते हैं। इसके साथ ही होलिका दहन में नई फसले गेहूँ की बालियों और चने के होले को सेकने का भी काफी महत्व माना गया है।  कई जगहों पर होलिका दहन के मौके पर महिलाएं लोक गीत भी गाती नजर आती हैं।

होलिका दहन के अगले दिन धूलंडी मनाते हैं, जिसे रंगवाली होली के नाम से जानते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और पकवान खिलाते हैं। इस त्योहार को खुशियों और उमंग के त्योहार में धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का महत्व – Importance Of Holi Festival

होली के पर्व का विशेषकर हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बेहद महत्व है। होली के त्योहार को लोग धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक त्योहार के रुप मे भी मनाते हैं।

इस पर्व से लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। इसके साथ ही इसे फसल के त्योहार के रुप में भी मनाया जाता है। यह पर्व लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का भी मौका प्रदान करता है, इसलिए इसका सामाजिक महत्व भी है।

दरअसल आज के व्यस्त जीवन में लोगों को एक-दूसरे से मिलने का वक्त नहीं मिलता है। ऐसे में यह त्योहार लोगों को करीब लाने का काम करता है एवं आपसी मतभेदों को दूर करता है।

होली का वैज्ञानिक रुप से भी काफी महत्व है क्योंकि यह त्योहार खुशी लाने का काम करता है एवं मनुष्य को मानिसक रुप से भी स्वस्थ बनाता है और आलस को दूर करता है।

इस तरह से सकरात्मक ऊर्जा प्रवाह करने वाले इस पर्व का सभी के लिए अलग-अलग महत्व है।

कहां-कहां मनाया जाता है रंगो का त्योहार होली – Where Holi Is Celebrated

होली का त्योहार भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। वहीं भारत में अलग-अलग राज्यों में लोग इसे अपने-अपने तरीके से लो मनाते हैं।

ब्रज की होली- भारत में ब्रज यानि की मथुरा की होली काफी मशहूर है। यहां बरसाने की फूलों की होली और नंदगांव की लठमार होली को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। 

वहीं उत्तरप्रेदश की कृष्णनगरी मथुरा में इस त्योहार को करीब 25 दिनों तक मनाया जाता है। होली के पर्व के दौरान यहां के लोग राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में सारोबार होते हैं। वहीं इस मौके पर कुमाऊं, लोक गीत एवं सगीत गोष्ठियां इस त्योहार के आनंद को दो गुना कर देती हैं।

भारत के अन्य राज्यों में होली-हरियाणा राज्य में धुलंडी के दिन भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की अनूठी परंपरा है।

गोवा में होली पर जुलूस निकालने की परंपरा है तो महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने एवं पंजाब में होली के दिन सिखों द्वारा अपनी शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है। इस तरह भारत के अलग-अलग राज्यों में होली के पर्व को लोग अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं।

होली पर बनने वाले स्वादिष्ट पकवानों की परंपरा – Holi Festival Food

होली के त्योहार के मौके पर लोग अपने-अपने घरों में पारंपरिक पकवान बनाते हैं, जिसकी तैयारी कुछ दिन पहले से ही घरों में शुरु हो जाती हैं।

इस मौके पर घरों में विशेषकर गुझिया, गुलाब जामुन, लड्डू, मालपुआ, मठरी, चिप्स, पापड, कचौरी, कांजी बड़ा, मूंग दाल हलवा आदि तैयार किए जाते हैं। होली के त्याहोर पर ठंडाई, कांजी, भांग का भी काफी चलन है।

होली सेफ्टी टिप्स – Holi Safety Tips

होली की मस्ती में बच्चों का ख्याल रखें, क्योंकि इस दौरान बच्चे मनमानी करते हैं और अधिक समय तक गीले रहने से बीमार पड़ जाते हैं।

कैमिकल वाले रंगों से बचें एवं अपनी स्किन, बालों एवं आंखों का विशेष ध्यान रखें। होली खेलनें से पहले अपने शरीर और बालों पर खूब सारा तेल या फिर मॉइश्च्राइजर लगाएं और सनस्क्रीन का भी इस्तेमाल करें। इससे रंगों का ज्यादा असर स्किन और बालों पर नहीं पड़ेगा।

होली में कैमिकल वाले रंगों की जगह ऑर्गेनिक एवं नैचुरल रंगों का इस्तेमाल करें।

गहरे रंग के कपड़ों चुनाव करें, क्योंकि कई बार हल्के रंग के कपड़े गीले होने पर पारदर्शी हो जाते हैं, जिससे शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।

इसके साथ ही ऐसे कपड़ों पहनें जिससे पूरा शरीर ढका रहे ताकि स्किन पर ज्यादा रंग नहीं चढ़ पाए।

होली खेलने से पहले ज्वैलरी उतार दें,क्योंकि होली के खींचतान में कई ज्वेलरी गिरने का डर रहता है।

रंगों से खेलने के बाद अगर आपकी स्किन रेड हो जाए या फिर किसी भी तरह की एलर्जी हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

बसंतोत्सव के रुप में होली – Basanta Utsav

होली के उत्सव को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। वहीं इसे फसलों का त्योहार भी कहा जाता है। दरअसल, बसंत ऋतु में किसानों की फसलें पककर अच्छी तरह तैयार हो जाती हैं, इसलिए इसकी खुशी में होली के त्योहार को मनाया जाता है।

होली का बदलता एवं आधुनिक स्वरुप – New Generation Holi Celebration

बाकी त्योहारों की तरह आज होली के त्योहार ने भी आधुनिकता का रुप ले लिया है। होली के त्योहार में भी महज दिखावा ही रह गया है।

वहीं जहां पहले लोग इसे अपनी सभी बुराइयों को जलाकर प्रेम और सोहार्द की भावना से मनाते थे, आज इस त्योहार ने फुहड़ता और जबरदस्ती का रुप ले लिया है।

लोग होली पर जबरदस्ती कैमिकल वाले रंगों को लगाते हैं। वहीं पहले जहां ज्यादातर महिलाएं घर पर पकवान बनाती थीं, अब बाहर से ही मंगवाना पसंद करती हैं, जिससे मिलावट वाली मिठाई और पकवान मिलते हैं जो कि हेल्थ के लिए काफी नुकसानदेह हैं।

वहीं आज की होली पूरी तरह से बाजारवाद की चपेट में आ  चुकी है। युवा वर्ग इस मौके पर शराब आदि पीकर गाली-गलौच करते नजर आते हैं और लड़कियों के साथ छेड़खानी करने से भी नहीं कतरा।

सही मायने में होलिका का दहन न होकर नैतिकता और मर्यादा का दहन हो रहा है। हालांकि, हम सभी को इसके प्रति जागरूक होने की जरुरत है और इसके महत्व को समझने की जरूरत है।

हमें इस पर्व को आपसी प्रेम और भाईचारा के पर्व के रुप में सेलिब्रेट करना चाहिए और अपनी अंदर की बुराईयों का नाश करने का संकल्प लेना चाहिए।

होली पर शायरी, मैसेज एवं शुभकामनाएं संदेश – Holi Wishes, Shayari, Message

  • खुशियों से हो ना कोई दूरी, रहे न कोई भी ख्वाहिश अधूरी, रंगो से भरे इस मौसम में, रंगीन हो आपकी दुनिया पूरी, हैप्पी होली।।
  • राधा का रंग और कान्हा की पिचकारी, प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी, यह रंग ना जाने कोई जात ना कोई बोली, मुबारक हो आपको रंगों भारी होली।।
  • पिचकारी की धार, गुलाल की बौछार,अपनों का प्यार, यही है यारों होली का त्यौहार. हैप्पी होली!!!!
  • वसंत ऋतु की बहार, चली पिचकारी उड़ा है गुलाल, रंग बरसे नीले हरे लाल, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।।
  • रंग के त्यौहार में सभी रंगों की हो भरमार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।

प्रेम और भाईचारे का प्रतीक होली के पर्व के दिन लोग अपनी सभी गिले शिकवे भुलाकर, एक-दूसरे से गले मिलते हैं और रंग-गुलाल लगाकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं और सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।

ज्ञानी पंडित की टीम की तरफ से आप सभी को होली की शुभकामनाएं!

“Happy Holi”

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रंगों के त्योहार होली पर भाषण

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Holi Speech

उमंग और उत्साह का त्योहार होली को हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों के इस त्योहार को लेकर सभी के अंदर बेहद उत्साह रहता है।

इस त्योहार को लोग अपने गलेशिकवे मिटाकर आपस में मिलजुलकर प्रेम और भाईचारे के साथ मनाते हैं और एकदूसरे को रंग और अबीर लगाकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं। वहीं इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं।

ऐसे मौके पर आपको भी कभी होली पर भाषण देने का मौका मिल सकता है, इसलिए हम आपको होली पर शानदार भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप इस तरह के कार्यक्रमों के दौरान कर सकते हैं।

Holi Speech in Hindi

रंगों के त्योहार होली पर भाषण – Holi Speech in Hindi

मैं….। सबसे पहले आप सभी को होली के पावन पर्व की असीम शुभकामनाएं। सभी महामहिम एवं आगंतुकों आप सभी का यहां पधारने के लिए बेहद शुक्रिया। मुझे बेहद खुशी हो रही है कि होली के इस बेला पर आप सभी ने मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया।

मै अपने इस भाषण की शुरुआत होली के शुभकामना संदेश से करना चाहता हूं/चाहती हूं-

दुआ यही हमारी पूरी हो हर आपकी आस,

मीठे-मीठे पकवानों सी जीवन में बनी रहे मिठास

दुनिया की सारी खुशियां आ जाएं आपकी झोली

हमारी ओर से आपको मुबारक हो या प्यारी होली।।

होली का त्योहार प्रेम, भाईचारे, उत्साह, सोहार्द और एकता का पर्व है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि इस पर्व को हर साल बसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

होली का पर्व न सिर्फ हमें अपने पुराने गले-शिकवे मिटाकर आपसी रिश्ते सुधारने का मौका देता है बल्कि हमें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का भी काम करता है। इस पर्व का सामाजिक सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व है।

इस त्योहार से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी होने की वजह से इस पर्व से लोगों की काफी गहरी आस्था है।

रंगों के त्योहार से राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम और प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सबसे प्रचलित है। जिसके मुताबिक हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को होलिका के साथ मारने की साजिश रची थी, जिसके बाद राक्षसनी होलिका वरदान में मिली अपनी चादर को लपेटकर भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर जलती हुई आग में बैठ गई, जिसके बाद तूफान आने से उसकी चादर उड़ गई और भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के कृपा से बचे रहे, तभी से इस त्योहार को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है।

इस त्योहार की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरु हो जाती हैं। इस मौके पर घरों में गुजिया, गुलाब जामुन, मालपुआ जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।

इसके अलावा होली पर आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं।

हालांकि, बदलते वक्त के साथ होली के त्योहार ने भी आधुनिकता का रुप ले लिया है। होली में अब फुहड़ता दिखाई देती है। वहीं आज युवा वर्ग के लिए होली के त्योहार को मनाने का मतलब मस्ती और नशाखोरी हो गया है।

इस मौके पर युवा शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन कर महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं, जिससे इस त्योहार की गरिमा तो कम हो ही रही है, साथ ही नैतिकता का भी पतन हो रहा है।

इसके अलावा जहां पहले लोग घरो में पकवान बनाते थे, वहीं आजकल लोग बाजार से ही पकवान मंगा लेते हैं। होली के मौके पर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लालच में दुकानदार मिलवटी पदार्थ बेचते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं। इस तरह होली आज पूरी तरह बाजारवाद की चपेट में आ गई हैं।

वहीं पहले जहां लोग इस त्योहार पर अपनी पुरानी रंजिशों को मिटाकर आपस में प्रेमपूर्वक गले-मिलते थे। वहीं आजकल होली पर रंजिश के चलते हत्या की खबरें आम हो गईं हैं।

इस पर्व के मायने आजकल लोगों के लिए बदल गए हैं। हम सभी को इस पर्व का महत्व समझना चाहिए और होली के मूल संदेशों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

होली पर अपने भाषण को मैं दो पक्तियां बोलकर विराम करना चाहता हूं/चाहती हूं।।

रंगो से भरी इस दुनिया में, रंग रंगीला त्यौहार है होली

गिले शिकवे भुलाकर खुशियां मनाने का त्यौहार है होली

रंगीन दुनिया का रंगीन पैगाम है होली

हर तरफ यहीं धूम है मची“बुरा ना मानो होली है होली”

होली पर भाषण – Holi Ka Tyohar Par Bhashan

सम्मानीय आगंतुकों, सभी माताएं, बहनें एवं मेरे प्यारे छोटे-बड़े भाई-बहनों सभी को मेरा नमस्कार।।

सबसे पहले मैं आप सभी को दो लाइनें बोलकर होली के पर्व की बधाई देना चाहती हूं।।

खुशियां का रंग भरे जीवन में

दुख सारे जिसमें छिप जाएं

भगवान करें इस होली पर

आपके रंग में सब रंग जाएं।।

आप सभी को हैप्पी होली।।

मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आज इस मौके पर आप लोगों ने मुझे होली के इस अवसर पर अपने विचार व्य्क्त करने का मौका दिया है।

हर साल की तरह इस बार भी इस रंगों के त्योहार पर होली मिलन संगोष्टी का आयोजन किया गया है। वहीं आप लोगों की मौजूदगी ने इस रंगों के त्योहार को और भी ज्यादा खास बना दिया है, आप सभी का शुक्रिया।।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि होली हमारा प्रमुख पर्व है, जिससे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।

इस पर्व का वर्णन न सिर्फ हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में किया गया है, बल्कि इतिहासकाल से ही हम सभी होली के पर्व को मनाते आ रहे हैं।

होली को मुगल काल से ही धूमधाम से सेलिब्रिट किया जाता रहा है एवं कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों में दीवारों पर उकेरी गए चित्रों से भी प्राचीन काल में होली मनाने की परंपरा का ज्ञात होता है, इससे हम सभी होली के पर्व का महत्व का अंदाजा लगा सकते हैं।

होली को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाते हैं। श्री कृष्ण की नगरी नंदगांव की लठमार होली और ब्रज की बरसाने की होली काफी प्रसिद्ध है।

इसके अलावा महाराष्ट्र में इस मौके पर महाराष्ट्र में इस मौके पर होली के दुसरे दिन यानि पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है। ये होली का मुख्य आर्कषण होता है। इस तरह सभी लोग अपने-अपने तरीके से होली मनाते हैं।

भाईचारे, प्रेम, सोहार्द के इस पर्व को हम सभी को आपस में मिलजुल कर बनाना चाहिए। होली के पर्व की गरिमा को बचाने की कोशिश करनी चाहिए और इसके सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को लेकर जागरूक होना चाहिए।

इसके साथ ही अपने बच्चों, करीबी और रिश्तेदारों को भी इस त्योहार के पारंपरिक एवं सामाजिक महत्व के बारे में बताना चाहिए।

इसके साथ ही हम सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि होली की मौज-मस्ती में किसी भी तरह से अन्य दूसरे व्यक्ति को परेशानी न हो।

इस मौके पर कैमिकल वाले रंगों का बहिष्कार कर स्वदेशी यानि कि नैचुरल और ऑर्गेनिक कलर का इस्तेमाल करना चाहिए एवं होली का तकिया कलाम बन चुका ”बुरा ना मानो होली” बोलकर लोगों से जोर-जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

हां, मै यह नहीं बोल रहा/बोल रही हूं कि होली पर मौज-मस्ती नहीं करनी चाहिए, बल्कि मेरा तात्पर्य यह है कि इस तरह होली खेलनी चाहिए कि किसी की भावना आहत न हो और इस त्योहार मनाने का मजा किरकिरा न है।

हम सभी को इस त्योहार को प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए ताकि इस त्योहार की गरिमा बनी रही और रिश्तों की मिठास बनी रहे।

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रंगों का शानदार उत्सव होली | Holi Essay In Hindi

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Holi Essay

होली का पर्व हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है, जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रुप में बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है, जिसकी तैयारियां कई दिन पहले से ही होने लगती हैं।

होली के पर्व से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं एवं इस पर्व का हिन्दु धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व है। खुशियों के इस त्योहार पर जगह-जगह कार्यक्रमों का भी आयोजन होता हैं।

होली के महत्व को समझने के लिए कई बार स्कूल में बच्चों को निबंध लिखने के लिए भी कहा जाता है, इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट पर आपको अलग-अलग शब्द सीमा में होली पर कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं, तो आइए जानते हैं होली पर निबंध-

Holi Essay In Hindi

होली तो बहाना है रंगों का, होली त्यौहार तो है आपस में दोस्ती और प्यार बढाने का, चलो सारे गिले शिकवे दूर कर के एक दुसरे को खूब रंग लगाते हैं, हम सब मिलकर होली मनाते हैं….

रंगों का शानदार उत्सव होली / Holi Essay in Hindi

होली रंगों का एक शानदार उत्सव है जो भारत में हिन्दु धर्म के लोग हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते है। ये पर्व हर साल वसंत ऋतु के समय फागुन (मार्च) के महीने में आता है जो दिवाली की तरह सबसे ज्यादा खुशी देने वाला त्योहार है। ये हर साल चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुंदर और रंगीन नजर आते है।

होली एक खुशी और सौभाग्य का उत्सव है जो सभी के जीवन में वास्तविक रंग और आनंद लाता है। रंगों के माध्यम से सभी के बीच की दुरिया मिट जाती है। इस महत्वपूर्णं उत्सव को मनाने के पीछे प्रह्लाद और उसकी बुआ होलिका से संबंधित एक पौराणिक कहानी है।

होली को मनाने के पीछे भक्त प्रह्लाद की मुख्य भूमिका है। काफी समय पहले एक असुर राजा था हिरण्यकश्यप। वो प्रह्लाद का पिता और होलिका का भाई था। उसे ये वरदान मिला था कि उसे कोई इंसान या जानवर मार नहीं सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, न घर के बाहर न अंदर, न दिन न रात में।

इस असीम शक्ति की वजह से हिरण्यकश्यप घमंडी हो गया था और भगवान के बजाए खुद को भगवान समझता था साथ ही अपने पुत्र सहित सभी को अपनी पूजा करने का निर्देश देता था।

क्योंकि हर तरफ उसका खौफ था, इसीलिये सभी उसकी पूजा करने लगे सिवाय प्रह्लाद के क्योंकि वो भगवान विष्णु का भक्त था।

पुत्र प्रह्लाद के इस बर्ताव से चिढ़ कर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन के साथ मिलकर उसे मारने की योजना बनायी। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। आग से न जलने का वरदान पाने वाली होलिका भस्म हो गई वहीं दूसरी ओर भक्त प्रह्लाद को अग्नि देव ने छुआ तक नहीं।

उसी समय से हिन्दु धर्म के लोगों द्वारा होलिका के नाम पर होली उत्सव की शुरुआत हुई। इसे हम सभी बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में भी देखते है।

रंग-बिरंगी होली के एक दिन पहले लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढ़ेर को रात में जलाकर होलिका दहन की पौराणिक कथा को याद करते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन परिवार के सभी सदस्यों द्वारा सरसों के उपटन का मसाज शरीर पर करवाने से शरीर और घर की गंदगी साफ हो जाती है और घर में खुशियाँ और सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है।

होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग इस पर्व के मौके पर सभी अपने मित्र, परिवार प्रियजनों से मिलते है, रंग और गुलाल से होली खेलते है, साथ ही कई सारी क्रियाओं में भाग लेते है जो एक-दूसरे के लिये खुशी को प्रदर्शित करता है।

सभी इस उत्सव को गीत-संगीत, खुशबुदार पकवानों और रंगों में रंगकर होकर मनाते है। इस दिन सभी स्कूल, कार्यालय, और सभी संस्थान बंद रहते है ताकि लोग इस खास पर्व को एक-दूसरे के साथ मना सके।

इस दिन सभी लोग सामाजिक भेदभाव को भुलाकर एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते है, और बच्चे गुब्बारों और पिचकारियों में रंग भरकर दूसरों पर फेंकते है। साथ ही स्वादिष्ट पकवान और मिठाईयाँ बाँटकर खुशी का इजहार करते है। इस तरह लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के संग खुशियाँ मनाते है।

होली पर निबंध / Holi Essay in Hindi

प्रस्तावना

रंगों का त्योहार होली बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है, इसे विजयोत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस दिन लोग आपस में गले-शिकवे मिटाकर गले मिलते हैं एवं मुंह मीठा कर एक-दूसरे को इस पर्व की बधाई देते हैं। यह पर्व लोगों की जिंदगी में खुशियां और उत्साह भरने का काम करता है।

होली कब और क्यों मनाई जाती हैं – When is Holi Celebrated Every Year (Holi Kab Hai)

होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है।

इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। होली के त्योहार को मनाने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

होली के पर्व से भक्त प्रह्लाद, राक्षस हिरण्यकश्प और होलिका की कथा काफी प्रचलित है, जिसके मुताबिक राक्षसनी होलिका जब विष्णु भक्त प्रहलाद को मारने के उद्देश्य से अपनी गोद में लेकर बैठी तो वरदान में मिली उसकी चादर भयानक आए तूफान में उड़ गई और होलिका आग में भस्म हो गईं एवं भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए।

इसलिए तभी से इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाने लगा।

इसके अलावा होली के पर्व से राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम, श्री कृष्ण द्धारा राक्षसी पूतना का अंत, भगवान शिव और पार्वती के प्रेम, कामदेवता के पुर्नजन्म से भी जोड़ा जाता है।

होली कैसे मनाई जाती है – How is Holi Celebrated

होली का त्योहार भारत के अलग-अलग राज्यों में लोग अपने-अपने तरीके और मान्यताओं के मुताबिक मनाते हैं। होली के दिन लोग एक-दूसरे के गुलाल और अबीर लगाते हैं एवं मुंह मीठा करवाकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं।

सभी लोग इस दिन मौज-मस्ती के रंग में डूबे नजर आते हैं। होली के त्योहार के पहले दिन होलिका दहन मनााया जाता है। इस दिन गली-मोहल्लों एवं चौराहों आदि पर लकड़ी और उपलों से होली बनाकर उसका दहन किया जाता है और फिर पूजा-अर्चना होती है।

जबकि होली के दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है। इस दिन जगह-जगह पर कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।

होली का महत्व – Holi Ka Mahatva

बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व मनाया जाने वाले होली के पर्व का हिन्दू धर्म के लोगों का लिए खासा महत्व है। इस पर्व से न सिर्फ लोगों की धार्मिक आस्था जुडी है, बल्कि यह सामाजिक और पारंपरिक पर्व के रुप में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

उपसंहार

हम सभी को होली के पावन पर्व के महत्व को समझना चाहिए और इस दिन अपने अंदर की बुराईयों को दूर करने का प्रण लेना चाहिए।

होली पर निबंध – Holi Nibandh

प्रस्तावना

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली के पर्व को पूरे भारत में  धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने को लेकर कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इस पर्व का हिन्दुओं के लिए काफी महत्व है।

होली का पर्व का इतिहास एवं परंपरा – Holi History

होली का पर्व बेहद प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। इस पर्व का वर्णन न सिर्फ हिन्दू-शास्त्रों और पुराणों में मिलता है, बल्कि इतिहास में भी इस पर्व को मनाए जाने के कई प्रमाण मिले हैं।

कुछ इतिहासकारों की माने तो होली का पर्व ईसा मसीह के जन्म से पहले से ही मनाया जा रहा है। वहीं मुगल काल में भी होली के पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसके अलावा होली के पर्व को मनाए जाना का प्रमाण कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों की दीवारों पर बने हुए चित्रों में भी मिले हैं।

होली के पर्व से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इससे जुड़ी भक्त प्रह्लाद और होलिका से जुड़ी कथा काफी प्रचलित है। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में भी मनाया जाता है।

होली में क्या करें और क्या न करें – Safe Holi Tips

होली का त्योहार ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।

होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।

होली पर सफेद कपड़े या फिर ज्यादा पुराने कपड़े न पहनें। होली की खींचतान में कपड़े फट सकते हैं, वहीं गीले होने पर सफेद कपड़े पारदर्शी हो जाते हैं, जिसकी वजह से शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।

होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।

होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।

अस्थमा पीड़ित व्यक्तियों को फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।

होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली का बदलता स्वरुप – Today Holi

बाकी त्योहारों की तरह होली के त्योहार ने भी आज आधुनिकता का रुप ले लिया है। आज होली के त्योहार पर बाजारवाद एवं दिखावा पूरी तरह हावी हो गया है।

होली का त्योहार फुहड़ता और हुड़दंग बाजी का त्योहार बनकर रह गया है। वहीं आज के युवा वर्ग इस त्योहार पर जमकर नशाबाजी करते हैं और महिलाओं को परेशान करते हैं, जिसकी वजह से इस त्योहार पर नैतिकता और मर्यादा का पतन हो रहा है।

तो वहीं पूल पार्टी और रेन डांस पार्टी आदि में पानी की जमकर बर्बादी हो रही है। होली के त्योहार का बदलता स्वरुप वाकई निराशाजनक है। इससे इस त्योहार की गरिमा और महत्वता कम होती जा रही है।

हम सभी को इस त्योहार के महत्व को समझते हुए इसे मिलजुल कर आपस प्रेम से मनाना चाहिए।

उपसंहार

यह पर्व हमें सामाजिक और सांस्कृतिक रुप से जोड़ने का काम करता है, साथ एक-दूसरे को अपने रिश्ते सुधारने और करीब लाने का भी मौका देता है। हम सभी को इसके महत्व को समझते हुए इसे प्रेमपूर्वक बनाना चाहिए।

होली पर निबंध – Holi Paragraph in Hindi

प्रस्तावना

खुशियां, प्यार, उत्साह और उमंग का पर्व होली हर साल बसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

इस पर्व पर लोग दुश्मनों से भी प्यार से गले मिलते हैं और इस पर्व की बधाई देते हैं। होली के पर्व का सांस्कृति, सामाजिक, धार्मिक और पारंपरिक महत्व है। जिसे लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है।

होली से जुड़ी पौराणिक कथाएं एवं इतिहास – Holi Ki Kahani

होली के पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विष्णु के परम उपासक प्रह्लाद के राक्षस पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को मारने की कोशिश की थी।

दरअसल होलिका को ऐसी चादर वरदान स्वरुप मिली थी, जिसे आग भी नहीं जला सकती थी, लेकिन जब वह प्रह्लाद को जलती आग में लेकर बैठी तो तूफान से चादर उड़ गईं एवं भक्त प्रहलाद बच गए, जिसके बाद इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाने लगा है।

इसके अलावा इस पर्व को राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम एवं श्री कृष्ण द्धारा राक्षसी पूतना के वध करने से भी जोड़ा जाता है।

वहीं अगर होली के पर्व के इतिहास पर गौर करें तो इस पर्व को मुगल काल से ही सेलिब्रेट किया जा रहा है।

कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों की दीवारों पर भी उकेरे गए चित्रों से भी प्राचीन काल में भी होली के पर्व को मनाए जाने का ज्ञात होता है।

भारत में होली मनाने की परंपरा, महत्व एवं उत्सव – Holi Festival in India

होली का उत्सव भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। होली का उत्सव प्रमुख रुप से 2 और 3 तक चलता है।

पहले दिन होलिका दहन का दिन होता है, जिसमें पारंपरिक रुप से पूजा-अर्चना होती है, जबकि दूसरे दिन रंग वाली होली होती है।

होली के पर्व के दौरान लोग अपने-अपने घरों में गुझिया, गुलाबजामुन, लड्डू, मठरी, दही बड़ा आदि पारंपरिक स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।

होली के त्योहार का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व है। इस त्योहार से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

होली मिलन समारोह एवं अन्य कार्यक्रम – Holi Milan Samaroh

होली के मौके पर कई जगहों पर होली मिलन समारोह का भी आयोजन किया जाता है। होली मिलन समारोह में कई सारे लोग इकट्ठे होते हैं और एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर होली की बधाई देते हैं एवं एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं।

इस मौके पर लोक गीत आदि भी गाए जाते हैं। इसके अलावा होली के पर्व के दौरान कई जगहों पर रेन डांस पार्टी, पूल डांस पार्टी आदि का भी आयोजन होता है, जहां लोग होली के गानों पर डीजे की धुनों में थिरकते नजर आते हैं।

होली पर बाजारों की रौनक –

होली के त्योहार की तैयारियां कई दिन पहले से ही होने लगती है। इस मौके पर तरह-तरह की पिचकारियों और गुलाल एवं अबीर की दुकानें सज जाती हैं।

इसके अलावा आजकल बच्चों को मास्क, बालों के लिए कलरफुल टोपी, तरह-तरह के ग्लासेज भी बाजारों में खूब दिखाई देते हैं। इसके साथ ही तरह-तरह के पानी वाले गुब्बारें भी इस मौके पर बाजार की रौनक बढ़ाते हैं।

राशन एवं मिठाई आदि की दुकानों पर होली के पर्व पर काफी भीड़ दिखाई देती है। होली का त्योहार आर्थिक रुप से भी मजबूत बनाने का काम करता है।

भारत के अलग-अलग राज्यों की होली – Holi Celebration States in India

भारत में होली मनाने की परंपरा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं, लेकिन भारत के उत्तप्रदेश में श्री कृष्ण की नगरी मथुरा की होली काफी प्रसिद्ध है।

ब्रज की लठमार होली – Holi in Mathura

गोकुलनगरी मथुरा के ब्रज की लठमार होली पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस मौके पर महिलाएं सज-संवरकर पुरुषों को लाठी मारती है, जबकि पुरुष महिलाओं को रंगों से भरी पिचकारी से भिगोते हैं।

बरसाने की फूलों की होली – Holi in Vrindavan

मथुरा वृन्दावन में होली का पर्व करीब 25 दिनों तक चलता है। बरसाने की फूलों वाली होली काफी प्रसिद्ध इस दिन पूरी गोकुल नगरी राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबी रहती है।

हरियाणा की होली – Holi in Haryana

भारत के हरियाणा में धूलंडी के दिन भाभी द्धारा देवर को सताए जाने की अनूठी परंपरा है। इस दिन लोक गीतों के साथ होली का उत्सव मनाया जाता है।

महाराष्ट्र की होली – Holi in Maharashtra

महाराष्ट्र् में होली पर होली पर मक्खन से भरी मटकी तोड़ने की परंपरा है।

मणिपुर में होली पर ”थबल चैंग्वा” डांस – Holi in Manipur

मणिपुर में होली का उत्सव 6 दिन तक चलता है। यहां पर होली पर मुख्य रुप से थबल चैंगबा डांस का आयोजन होता है।

पंजाब का ”होला-मोहल्ला” – Holi in Punjab

पंजाब में होली पर सिख लोग अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा यहां पर मेला भी लगता है।

होली पर हुड़दंग:

होली आजकल हुल्लड़बाजी और हुडंदंग का पर्व बनता जा रहा है। इस मौके पर युवा वर्ग शराब आदि मादक पदार्थों का सेवन कर महिलाओं को परेशान करते हैं। वहीं ”बुरा न मानो होली है” यह कहकर कई युवा लड़के इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। जिससे इस पर्व की गरिमा का पतन हो रहा है।

उपसंहार

होली का पर्व प्रेम, भाईचारा और सोहार्द का पर्व है। इस पर्व के महत्व और गरिमा को हम सभी को समझना चाहिए और इसे प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए।

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अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का जीवन परिचय

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Dawood Ibrahim Jeevan Parichay Dawood Ibrahim

अंडर वर्ल्ड डॉन एवं इंडिया का मोस्ट वांटेड डॉन दाऊद इब्राहिम का जीवन परिचय – Dawood Ibrahim Biography in Hindi

पूरा नाम (Name) दाऊद इब्राहिम कासकर
जन्मतिथि (Birthday) 26 दिसंबर 1955, खेद रत्नागिरी, महाराष्ट्र, भारत
पिता (Father Name) इब्राहिम कासकर (मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल)
माता (Mother Name) अमीना बी (गृहिणी)
भाई (Brother)
  • शबीर इब्राहिम कास्कर,
  • नोरा इब्राहिम,
  • अनीस इब्राहिम,
  • सबिर अहमद,
  • मोहम्मद हुमायून,
  • मुस्ताकैम अली,
  • ज़ैतून अंतुले,
  • इकबाल हसन,
बहन (Sister)
  • सईदा पारकर,
  • फरज़ाना तुंगेकर,
  • मुमताज़ शैख़,
  • हसीना पारकर
पत्नी (Wife Name) मेहजबीन शेख (उर्फ जुबीना जरीन)
बच्चे (Childrens)
  • मोईन इब्राहिम,
  • मेह्रीन इब्राहिम,
  • मारिया इब्राहिम,
  • माहरुख इब्राहिम
स्कूल (School) अहमद सैलर हाई स्कूल, डोंगरी, मुंबई, भारत

दाऊद इब्राहिम का जन्म, परिवार, शिक्षा एवं शुरुआती जीवन – Dawood Ibrahim Story

अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 27 दिसंबर 1955 को जन्में थे। उनके पिता शेख इब्राहिम अली कास्कर मुंबई पुलिस में हैड कांस्टेबल थे। इनकी मां का नाम अमीना बी है। दाऊद इब्राहिम का मन पैसे कमाने की ललक में शुरु से ही अपराधिक गतिविधियों में लगने लगा।

जिसकी वजह उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। दाउद, किशोर अवस्था से ही शराब पीने नशा करने जैसी बुरी आदतों का शिकार हो गया था। यही नही अपने इन शौक को पूरा करने के लिए वह छोटी उम्र से ही चोरी, ड्रग्स स्पलाई, डकैती, लूटपाट आदि अपराधों को अंजाम देने लगा था।

दाउद की गर्ल्फ्रैंड्स, शादी और बच्चे – Dawood Ibrahim History in Hindi

दाउद का नाम भारतीय अभिनेत्री मंदाकिनी से भी जुड़ चुका है। इन दोनों के शादी करने तक की खबरें मीडिया में आईं थी। फिलहाल दाउद के घरवालों ने उसकी अपराधिक हरकतों से परेशान होकर उसकी शादी महजबीन उर्फ जुबीना जरीन से करवा दी।

शादी के बाद उसे तीन मेहरीन, माजिया और माहरूख नाम की तीन बेटियां हुईं जबकि मोइन नवाज नाम का बेटा हुआ। उसकी  सबसे छोटी बेटी मारिया की मौत हो चुकी है।

उसने अपनी बड़ी बेटी माहरूख की शादी पूर्व पाकिस्तानी क्रिक्रेटर जावेद मियांदाद के बेटे जुनैद से करवा दी, और माहरीन की शादी पाकिस्तानी-अमेरिकी अयूब से हुई करवा दी जबकि बेटे मोइन की शादी सानिया नाम की लड़की के साथ करवाई है।

दाऊद इब्राहिम ऐसे बने डॉन – Dawood Ibrahim Don

मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम को शुरु से ही गलत शौक और बुरी आदतों की वजह से अपराधिक गतिविधियों में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी।

उसने सबसे पहले एक बिजनेसमैन के साथ लूटपाट कर पहली अपराधिक गतिविधि को अंजाम दिया, हालांकि उसे अपनी इस करतूत के लिए जेल भी जाना पड़ा, लेकिन जेल से छूटने के बाद भी दाऊद में कोई सुधार नहीं आया, बल्कि वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला की गैंग के साथ जुड़ गया और क्रिमिनल गतिविधियों को अंजाम देने लगा, लेकिन इसके बाद उसने अपने भाई के साथ मिलकर अपनी एक अलग क्राइम गैंग बना ली।

दाऊद इब्राहिम को 1980 के दशक से पहले डॉन के रुप में ऐसी कोई खास पहचान नहीं मिली थी, लेकिन इसके बाद इसका नाम मुंबई अपराध जगत में तेजी से उभरा। 80 के दशक में दाऊद का नाम अपराध की दुनिया में सबसे बड़ा नाम बन गया था जो कि फिल्म फाइनेंसिंग से लेकर सट्टेबपाजी तक काम करता था।

वहीं अब तक दाऊद की अपराधिक गतिविधियां इतनी बढ़ चुकी थीं कि वो लोगों को डरा-धमकाकर देकर फिरौती वसूल करने लगा था। जिसकी वजह से वो मुंबई पुलिस की नजरों में एक अपराधी के रुप में चढ़ गया और अपने गुनाहों के लिए उसे कई बार जेल भी जाना पड़ा लेकिन हर बार वह जेल से छूट जाता और नई जुर्म की वारदात को अंजाम देता था।

यहां तक कि मुंबई में लोग उससे खौफ खाने लगे थे और वह लोगों को डरा-धमकाकर करोड़ों रुपए ऐंठने का काम करता था। हालांकि, इसके बाद लगातार वह अपनी अपराधिक कारनामों के लिए वह पुलिस के शिकंजे में फंसता रहा, 1990 में वह पुलिस को चकमा देकर दुबई भाग गया।

इसी दौरान उसकी मुलाकात एक अन्य डॉन छोटे राजन से हुई, दोनों मिलकर भारत के बाहर काम करने लगे और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने लगें।

वह विदेश में बैठे-बैठे कई आतंकी संगठनों और अपनी गैंग के माध्यम से भारत में कई अपराधिक वारदातों को अंजाम देता रहा। 12 मार्च, 1993 में मुंबई में अलग-अलग जगह भयानक बम बिस्फोट हुए, जिसमें करीब 257 लोगों की मौत हो गई और 700 लोग घायल हो गए।

जांच में दाउद का नाम मुंबई बम धमाके के मास्टरमाइंड के रुप में उभरा। जिसके बाद वह अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े और इंडिया का मोस्ट वांटेड डॉन बन गया। हालांकि इस बम धमाके में छोटे राजन और दाऊद की दोस्ती में दरार पड़ गई और दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई, दोनों अलग हो गए।

दाउद पाकिस्तान चला गया लेकिन वहां कराची में रहकर भारत के खिलाफ अपना जुर्म जारी रखा। इसके बाद 2005 में भारत की खूफिया एजेंसियों ने उसकी बेटी माहरूख की शादी के रिसेप्शन में उसे मारने का प्लान बनाया लेकिन प्लान लीक होने की वजह से वह बच निकला।

वहीं समय-समय पर दाईद को भारत पर लाने की मांग उठती रही और भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाब बनाती रही लेकिन दाऊद अपना ठिकाना बदलता रहा और अभी तक नहीं पकड़ा गया आज भी वह भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी है।

अपने नाम और पहचान बदलकर देता रहा गुनाहों को अंजाम:

कई रिपोर्ट्स और किताबों के मुताबिक दाऊद ने 13 बार अपनी अलग-अलग नाम और पहचान बदलकर अपराध की वारदात को अंजाम देता रहा है। उसके बारे में यह भी प्रसिद्ध है उसने कई बार पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए अपने चेहरे की सर्जरी भी करवाई है।

इसके अलावा अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद के बारे में ऐसी भी खबरें हैं कि पाकिस्तान  में वो शेख दाऊद हसन के नाम से रह रहा है। उसके बाद डेविड भाई, अमीर साहब, हाजी साहब आदि के नाम से भी संबोधित करते है।

इसके अलावा दाऊद के कई अलग-अलग ठिकाना होने का भी दावा किया जाता है। दाऊद के पास 4 पासपोर्ट होने का भी दावा किया गया ह है।

दाऊद पर बनी फिल्में – Dawood Ibrahim Movie

अपराध की दुनिया का सबसे बड़ा नाम दाऊद इब्राहिम के जीवन  पर बॉलीवुड में कंपनी, डी, शूटआउट एट लोखंडवाला, ब्लैक फ्राइडे, और डी-डे, वन्स अपॉन ए टाईम इन मुंबई, आदि फिल्में भी बन चुकी है्ं।

अंडर वर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से जुड़े चर्चित विवाद – Dawood Ibrahim Controversy

1993 में हुए मुंबई में हुए भयानक बम विस्फोट का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम को ही माना जाता है। इस बम बिस्फोट में करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। अंडर वर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के भारत के ज्यादातर हवाला सिस्टम को कंट्रोल करते हैं।

अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद को लेकर कुछ खूफिया एजेंसियों ने यह भी दावा किया था कि वह ब्रिटेन, सिंडिकेट पश्चिमी यूरोप में बड़े स्तर पर नशीले और मादक पदार्थों का संचालन कर रहा है। दाऊद के संबंध अलकायदा आतंकी संगठन के नेता ओसामा बिन लादेन से होने का भी दावा किया गया था।

इसके अलावा दाऊद के संबंध अन्य बड़े आंतकवादी संगठन “लश्कर-ए-तैयबा” से भी बताए जाते हैं और ऐसा कहा जाता है कि दाउद इन संगठनों की खाने-पीने की व्यवस्था समेत फाइनेंशियली भी मद्द करता है।

साल 2003 में दाऊद इब्राहिम को भारत और संयुक्त राज्य अमिरका की सरकार द्धारा ग्लोवल टेरेरिस्ट (‘वैश्विक आतंकवादी’) करार दिया गया था।

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जर्मनी का तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय

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Adolf Hitler Jeevan Parichay

एडोल्फ हिटलर एक ऐसा नाम बन चुका है, जिसका इस्तेमाल लोग ज्यादा अकड़ और तानाशाही रवैया अपनाने पर करते हैं जैसे कि आपने कहते हुए सुना होगा कि “हिटलरगिरी मत कर” या फिर “हिटलर मत बन”। यह वही हिटलर है। हिटलर से ज्यादा महत्वाकांक्षी इंसान शायद ही इस धरती पर कोई पैदा हुआ होंगा। अडोल्फ़ हिटलर एक ऐसा नाम है जिसके नाम से सिर्फ जर्मनी ही नही बल्कि सारा विश्व एक समय काँपता था। यहूदियों पर उसके द्वारा किये गए अत्याचार से एक बार ऐसा लगा जैसे इस दुनिया से मानवता ख़त्म ही हो जायेंगी। हिटलर इतिहास का सबसे क्रूर तानाशाह था, जिसकी वजह से ही दुनिया के सबसे विध्वंसकारी दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी और उसमें लाखों निर्दोष जिंदगियां तबाह हो गईं थी। हिटलर खुद को इतना ताकतवर समता था, कि वो अपनी  तानाशाही के बल पर पूरे विश्व में राज करना चाहता था और इसके लिए उसने कई अपराधिक और निर्मम कारनामों को अंजाम दिया तो आइए जानते हैं इतिहास के इस सबसे खूंखार शासक हिटलर के बारे में-

जर्मनी का तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय – Adolf Hitler History in Hindi

Adolf Hitler

एडोल्फ हिटलर की जीवनी एक नजर में – Adolf Hitler Information in Hindi

पूरा नाम (Name) एडोल्फ हिटलर
जन्म (Birthday) 20 अप्रैल सन 1889, ब्रौनौ ऍम इन्, ऑस्ट्रिया हंगरी
पिता (Father Name) एलोईस हिटलर
माता (Mother Name) क्लारा हिटलर
पत्नी (Wife Name) ईवा ब्राउन
मृत्यु (Death) 30 अप्रैल, 1945

एडोल्फ हिटलर का जन्म, परिवार, शिक्षा एवं प्रारंभिक जीवन – Adolf Hitler Biography

एडोल्फ हिटलर 20 अप्रैल सन 1889 को ऑस्ट्रिया हंगरी के ब्रौनौ ऍम इन में जन्में थे। यह अपने माता-पिता की चौथी संतान के रुप में पैदा हुए थे। इनके पिता का नाम एलोईस हिटलर था और माता क्लारा हिटलर थीं। एडोल्फ हिटलर की उम्र जब 3 साल थी, तब उनका परिवार ऑस्ट्रिया से जर्मनी में बस गया था, जिसके चलते एडोल्फ हिटलर की शिक्षा वहां रहकर ही पूरी हुई। हिटलर बचपन से ही तेज बुद्धि वाले छात्र थे, लेकिन उनकी शुरु से ही दिलचस्पी फाइन आर्ट्स में थी, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वे टेक्निकल स्कूल में पढ़ाई करें। इसके बाद पिता ने साल 1900 में जबरदस्ती उनका एडमिशन लिंज में रेअल्सचुल में करवा दिया। इसके चलते हिटलर जिद्दी, गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव के हो गए थे। इसके कुछ समय बाद उनके पिता की मौत हो गई थी। वहीं हिटलर का इस स्कूल में कोई दिलचस्पी नहीं होने की वजह से काफी बुरा रिजल्ट रहा था, जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के सर्पोट से यह स्कूल छोड़ दिया और फिर रेअल्स्चुल में स्टेयर में एडमिशन लिया और फिर फाइन आर्ट्स में अपना करियर बनाने एवं अपने पेंटर के सपने को पूरा करने के लिए विएना चले गए। लेकिन उन्हें दोनों बार एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स ने रिजेक्ट कर दिया। इसी दौरान उनकी मां का भी निधन हो गया, मां से हिटलर भावनात्मक रुप से काफी जुड़े हुए थे, इससे उन पर गहरा असर हुआ और फिर वे अपने घर छोड़कर दूर रहने लगे और पेंटिंग को बेचकर अपना गुजारा करने लगे। वहीं इसके बाद हिटलर ने ऑस्ट्रिया-हंगरी के अधिकारों की कड़ी निंदा करते हुए जर्मन राष्ट्रवाद में रुचि दिखाई, और इसी दौरान विएना में नस्लीय और धार्मिक पूर्वाग्रह ने हिटलर के अंदर सेमेटिक विरोधी बीज बोए थे।

पहले विश्व युद्ध में एडोल्फ हिटलर का प्रदर्शन और राजनैतिक शुरुआत – Adolf Hitler Career

1914 में पहले विश्व युद्द के दैरान हिटलर ने एक साहसी सैनिक के रुप में काफी निडरता के साथ जर्मनी के पश्चिमी मोर्चे पर लड़ाई लड़ी थी। हांलांकि इस दौरान वे दो बार बुरी तरह जख्मी भी हुए थे। यही नहीं इस दौरान उन्हें सम्मानित भी किया गया था।

एडोल्फ हिटलर का राजनैतिक जीवन – Adolf Hitler Story

हिटलर को अपने सैनिक दोस्त एनर्स्ट रोएह्रा की मद्द से एक राजनैतिक अधिकारी बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके बाद 1919 में उन्होंने जर्मन वर्कर्स पार्टी, विरोधी सेमेटिक और राष्ट्ररवादी की सामूहिक मीटिंग में हिस्सा लिया और खुद को एक प्रभावशाली वक्ता के रुप में पेश किया। इसके दो साल बाद उन्होंने प्रचार-प्रसार द्धारा अपनी पार्टी से काफी सदस्य जोड़ लिए और वे राष्ट्रीय सामाजिक जर्मन वर्कर्स पार्टी के राजनेता के रुप में उभर कर आए। एक राजनेता के रुप में हिटलर ने अपनी बुद्धि और विवेकशीलता का इस्तेमाल कर पार्टी का काफी विकास किया एवं साल 1923 के दौरान वे एक शक्तिशाली और मजबूत राजनेता के रुप में उभरे, जिन्होंने अब तक करीब 56 हजार सदस्यों समेत तमाम समर्थकों को अपनी पार्टी से जोड़ लिया था। हिटलर खुद को ताकतवर समझने लगा था इसलिए उनके बर्लिन सरकार से खुद को हराने का भी प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा देशद्रोह के आरोप में उसे एक साल के लिए जेल भी जाना पड़ा था, लेकिन जेल से रिहाई के बाद उसने क पार्टी का फिर गठन कर सभी राज्यों को अपनी तरफ कर लिया और एक ताकतवर योद्धा के रुप में खुद को स्थापित किया। साल 1932 में हिटलर राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए। इस तरह उनकी शक्ति और अधिक बढ़ती चली गई।

तो हिटलर था दूसरे विश्वयुद्ध होने की सबसे बड़ी वजह – Adolf Hitler And World War 2

दूसरे विश्युयद्द छिड़ने का मुख्य कारण तानाशाह हिटलर को ही माना जाता है। दरअसल, वह पूरे विश्व में अपना अधिकार जमाना चाहता था। इसके लिए सबसे पहले उसने पहले यूरोप को अपने कंट्रोल में करने के लिए 1 सितंबर, 1939 को विध्वंशकारी द्धितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत की और धीमे-धीमे कई राज्यों को अपने वश में कर लिया। हालांकि, उसकी क्रूरता और तानाशाह रवैये के चलते इस विध्वंशकारी युद्द में सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए तो हजारों लोग जख्मी हो गए। दूसरे विश्वयुद्द का बेहद बुरा परिणाम हुआा कई जिंदगियां बर्बाद हो गईं। हालांकि इस युद्ध में अमेरिका की शक्ति के आगे तानाशह हिटलर की ताकत कमजोर पड़ गई और वे इस युद्ध में हारने लगे और उसके कई राज्य भी उससे छिनने लगे। अपनी हार से वह बुरी तरह बौखला गया। वहीं इस युद्ध के दौरान जब रुस ने बर्लिन पर हमला किया, तब वह पूरी तरह हार गया और इस हार के बाद उसने 30 अप्रैल, 1945 को अपनी बीबी के साथ सुसाइड कर ली थी।

एडोल्फ हिटलर की शादी और सुसाइड – Adolf Hitler Marriage and Adolf Hitler Death

इतिहास का सबसे क्रूर और तानाशाह शासक हिटलर ने 29 अप्रैल, 1945 को ईवा ब्राउन नाम की लड़की से शादी की थी। आपको बता दें कि उसने अपनी मौत के कुछ घंटे पहले ही शादी की थी। दरअसल दूसरे विश्व युद्द के दौरान खुद को हारता हुआ देख वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, और इस दौरान उसे नशे की बहुत बुरी लत लग गई थी, और उसे हर वक्त अपनी मौत का खौफ सताने लगा था, इसी वजह से उसने 30 अप्रैल, 1945 को अपनी पत्नी ईवा ब्राउन के साथ जहर खाकर सुसाइड कर लिया। उनके मरने के बाद उसकी इच्छानुसार उसके शव को जला दिया गया।

एडोल्फ हिटलर से जुड़े रोचक तथ्य – Facts About Adolf Hitler

इतिहास का सबसे क्रूर और खूंखांर शासक हिटलर शाकाहारी था और हैरानी की बात तो यह है वो मनुष्यों से ज्यादा कि पशुओं से प्रेम करता था, यही नहीं उसने पशु क्रूरता के खिलाफ एक कानून भी बनाया था। पहले विश्वयुद्ध छिड़ने के बाद हिटलर आर्मी में भर्ती हो गए थे और खुद को उसने एक निडर और साहसी सैनिक के रुप में भी स्थापित किया था। यही नहीं उसे दो बार आयरन क्रॉस से भी सम्मानित किया गया था। दुनिया में अपनी क्रूरता का खौफ पैदा करने वाला जर्मनी का तानाशाह हिटलर खुद भी हमेशा अपनी मौत के डर के साए में रहता था यही नहीं उसने अपने लिए एक आदमी को फूड टेस्टर के रुप में भी रखा था। दुनिया में अपना खौफ पैदा करने वाले हिटलर के बारे में सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि उसे 1939 में शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। इतिहास का सबसे निर्दयी शासक हिटलर की जाति नीति की वजह से करीब 1 करोड़ 10 लाख लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी। वहीं दूसरे विश्वयुद्द में हिटलर की वजह से करीब 6 करोड़ लोगों की जान चली गई थी। जर्मनी का तानाशाह हिटलर का मानना था कि किसी देश को जीतने के लिए सबसे पहले उसके नागरिकों को अपने काबू में करना चाहिए। हिटलर खुद भी बहुत बड़ा नशेबाज था लेकिन उसने अपने राज्य में ध्रुम्रपान करने वालों का जमकर विरोध किया था और इसके खिलाफ धुम्रपान विरोधी आंदोलन भी चलाया था। हिटलर का कहना था कि-

”हमेशा बुद्धिमानी के खिलाफ लड़ना विश्वास के खिलाफ लड़ने से ज्यादा आसान होता है।”

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बोर्ड परीक्षा के तैयारी के लिये कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

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Board Exam Tips

बोर्ड परीक्षाओं के दौरान हमेशा छात्र-छात्राओं के मन में एक उलझन होती है। भले ही उन्होंने कितनी ही तैयारी क्यों ना कर रखी हो, मन में चिंता होती है।

इस चिंता को दूर करने और बोर्ड परीक्षा के समय मन को शांत और चित्त को एकाग्र रखने के लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं-

How To Prepare For Board Exams

बोर्ड परीक्षा के तैयारी के लिये कुछ महत्वपूर्ण टिप्स – How To Prepare For Board Exams

  • पढ़े पर भरोसा रखें:

दोस्तों परीक्षा तभी बेहतर हो सकती है जब हम आत्मविश्वास से भरें हो। ऐसे में सबसे अधिक जरूरी है अपने ऊपर भरोसा रखना। आपने सालभर जो पढ़ा है उसके ऊपर आपका भरोसा होना चाहिए। यकीन मानिए और ये सोचकर चलिए कि जो आपने पढ़ा है उससे बाहर कुछ नहीं आने वाला।

आखिर किताब से ही तो आएगा और किताब तो आपने पढ़ ही रखी है। तो ये काम जरूर करें कि अपने पढ़े पर भरोसा रखें इससे आप एग्जाम के दौरान भी अच्छे से चीजे याद रखेंगे।

  • नया ना पढ़े:

दोस्तों इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखें कि परीक्षा के दौरान मिलने वाले गैप में कभी कोई नई चीज ना पढ़े। उस टॉपिक को बिलकुल टच ना करें जिसे आपने सालभर नहीं पढ़ा है।

अगर आप उस टॉपिक को टच करते हैं तो आपके अंदर का आत्मविश्वास कमजोर होता है। आपके अंदर भ्रम पैदा होता है क्योकि इस नाजुक दौर में आपको वो चीजें बार-बार भूलने लगती हैं। इससे जो पढ़ा हुआ है वो भी याद नहीं रहता।

इसीलिए जो पढ़ा है उसे पुख्ता करें और नया पढ़े जिससे आपका मन शांत होगा।

  • पसंदीदा काम करें:

देखने में आता है की एग्जाम के दौरान छात्र सबकुछ छोड़कर सिर्फ और सिर्फ किताबों में ध्यान देते हैं। उन्हें लगता है कि बस कुछ समय बचा है जितना अधिक पढ़ लो उतना बेहतर है।

ये गलत है दोस्तों ऐसा नहीं करें। आप दिन में किसी भी वक्त वो काम जरूर करें जो आपको सबसे अधिक पसंद है। जैसे कोई पेंटिंग, फिल्म देखना, खेल खेलना करना आदि। इससे आपका स्ट्रेस रिलीव होगा और आपका मन शांत होगा।

  • नकारात्मक बातों वालों से दूर रहें:

दोस्तों आप सालभर स्कूल के दौरान ऐसे कई सारे छात्रों से मिलते हैं जो हमेशा चिंता करते दिखाई देते हैं। और बोर्ड परीक्षा आते-आते उनकी ये चिंता और अधिक बढ़ने लग जाती है।

ऐसे में वो खुद घबरा रहे होते हैं और आपको भी घबराहट देने का काम करते हैं। यार क्या होगा, कितना पढ़ा, कहीं ये न आ जाए, कहीं फेल हो गए तो। ऐसी नकारात्मक बातें करने वाले लोगों से दूर रहें। आप इनसे कोई चर्चा ना करें। ऐसे में आपका यकीन अपने ऊपर और अधिक मजबूत होगा।

  • पूरी नींद:

सालभर जमकर सोने वाले छात्र इस समय पर उल्लू का रूप धारण कर लेते हैं और रातभर जागकर किताब सामने रखे रहते हैं। ऐसा नहीं करें क्योकि इससे आपका दिमाग काम करना बंद कर देता है।

दोस्तों एग्जाम के समय आप कम से कम आठ घंटे की आवश्यक नींद अवश्य लें। यह आपको तनाव और घबराहट से बचाती है। अगर आप नहीं सोयेंगे तो यकीन मानी जो आपने पढ़ा है वो तो भूल ही जाएगा और कुछ नया याद नहीं रहेगा इससे मन में घबराहट पैदा होगी।

  • किसी अन्य क्रियाकलाप में ना पड़े:

ये बात सबसे अधिक ध्यान रखने वाली है। एग्जाम के दौरान किसी घरेलू चर्चा, आपसी बहस, पड़ोसी से विवाद, किसी की चुगली करने से बचें। यह बातें आपके मन को को अशांत करती है।

ऐसे में आपका ध्यान काम से हटकर पूरा उधर ही लगने लगेगा। इसीलिए शान्ति से अपने कमरे में बैठकर अपने मन का काम या फिर पढ़ाई करते रहें।

  • बहुत बड़ा टार्गेट ना बनाए:

मेरे भाई के नब्बे प्रतिशात आए थे तो मैं भी इतना या इससे अधिक लेकर ही आऊंगा। अगर नहीं ला पाया तो समाज में क्या इज्जत रहेगी, आगे चलकर क्या होगा। ऐसे बेवजह टारगेट बनाकर आप खुद को अशांत करते हैं।

कोई ऐसा टार्गेट ना बनाए जिससे आप परेशान हो। आप बस अपना कर्म करते रहें और रिजल्ट छोड़ दें। ये सोचें कि जितने के लिए मैं योग्य हूँ वो तो मिल ही जाएगा। और हाँ दोस्तों किसी एक क्लास के परसेंटेज आपके भविष्य को तय नहीं कर सकते हैं।

तो इन बातों का ध्यान रखें और एग्जाम को बेहतर बनाए। आपको शुभकामनाएँ।

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