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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

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Trimbakeshwar Mandir

महाराष्ट्र के नासिक शहर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर गौतमी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर हिन्दुओं के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक हैं।

यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में 10वें नंबर पर आता है।  भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपनी भव्यता और आर्कषण वजह से पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

त्रयंबकेश्वर में विराजित ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भगवान ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों एक ही रुप में विराजित हैं।

भगवान शिव के इस सबसे प्राचीन मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और निर्माण से जुड़ी कई मान्यताएं और प्रचलित कथाओं के बारे में-

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर से जुड़ी मान्यताएं – Trimbakeshwar Temple
Trimbakeshwar Temple

त्रयंबकेश्वर का इतिहास एवं इससे जुड़ी प्रचलित कथा – Trimbakeshwar Temple Story

विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर के ज्यर्तिलिंग से गौतम ऋषि और गंगा नदी से प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है। इस प्रचलित कथा के मुताबिक प्राचीन समय में  त्रयंबकेश्वर में जब 24 सालों तक लगातार अकाल पड़ा था, तब कई लोग मरने लगे।

लेकिन उस समय बारिश के देवता इंद्र देव, ऋषि गौतम की भक्ति से बेहद खुश थे, इसलिए उनके आश्रम में ही वर्षा करवाते थे, जिसके चलते कई ब्राहाण, गौतम ऋषि के आश्रम में ही रहने लगे।

तभी एक बार अन्य ऋषियों की पत्नियां किसी बात को लेकर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या देवी से गुस्सा हो गईं, जिसके बाद उन्होंने अहिल्या देवी की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए अपने-अपने पति को गौतम ऋषि का अपमान करने के लिए प्रेरित किया।

जिसके बाद सभी ब्राह्राणों ने ऋषि गौतम को नीचा दिखाने की योजना बनाई। और फिर ब्राह्मणों ने गौतम ऋषि पर छल से गौ हत्या का आरोप लगा दिया एवं गौतम ऋषि को अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा में स्नान करने की सलाह दी।

जिसके बाद गौतम ऋषि ने ब्रह्रागिरी पर्वत पर जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की और देवी गंगा के उस जगह पर अवतरित करने का वरदान मांगा।

लेकिन देवी गंगा इस शर्त पर अवतरित होने के लिए राजी हुईं कि जब भगवान भोले शंकर इस स्थान पर रहेंगे, तभी वे इस स्थान पर प्रवाहित होंगी।

जिसके बाद देवी गंगा के कहने पर शिवजी त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप वहीं वास करने को तैयार हो गए और इस तरह त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग यहां खुद प्रकट हुए और गंगा नदी गौतमी के रूप में यहां से बहने लगी। आपको बता दें कि गौतमी नदी को गोदवरी के नाम से भी जाना जाता है।

त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर का निर्माण – Trimbakeshwar Temple Nashik

इतिहासकारों के मुताबिक भगवान भोलेशंकर को समर्पित इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण पेशवा नानासाहेब ने करवाया था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस मंदिर को पेशवा ने एक शर्त के अनुसार बनवाया था।

उन्होंने यह शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। शर्त हारने पर उन्होंने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था।

त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर में विराजित शिव की प्रतिमा को उन्होंने नासक डायमंड से बनवाया था। हालांकि बाद में एंग्लो-मराठा युद्द के दौरान अंग्रेजो द्धारा इस डायमंड को लूट लिया गया था।

त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर की अद्भुत संरचना एवं भव्य बनावट – Trimbakeshwar Temple Architecture

नासिक के पास गोदावरी नदी के किनारे बसा भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापत्य कला काफी आर्कषक और अद्धितीय है।

इस मंदिर में बेहद सुंदर नक्काशी की गई है। यह मंदिर दुनिया भर में अपनी भव्यता और आर्कषण की वजह से मशहूर है। मंदिर में पूर्व की तरफ एक बड़ा सा चौकोर मंडप है एवं मंदिर के चारों तरफ दरवाजे बने हुए है, हालांकि मंदिर के पश्चिम की तरफ बना हुआ दरवाजा विशेष अवसरों पर ही खोला जाता है।

अन्य दिनों में सिर्फ तीन द्धारों द्धारा ही भक्तजन इस मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश कर सकते हैं। इस प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में बने शिखर में बेहद सुंदर स्वर्ण कलश बना हुआ है।

साथ ही भगवान शिव की प्रतिमा के पास हीरों और कई रत्नों से जड़ा मुकुट भी रखा हुआ है।

वहीं इस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग दिखाई देते  हैं जो कि ब्रह्रा, विष्णु और महेश का अवतार माने जाते हैं।

त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर के पास तीन पर्वत भी स्थित हैं, जिन्हें नीलगिरी, ब्रह्मगिरी, और गंगा द्वार के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मगिरी को शिव का स्वरूप माना जाता है।

इस मंदिर के गंगा द्धारा पर देवी गंगा का मंदिर बना हुआ है तो नीलगिरि पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर स्थित है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर में स्थापित शिव जी की मूर्ति के चरणों से बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है, जो कि मंदिर के पास में बने एक कुंड में एकत्र होता है।

त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग से जुड़ी मान्यताएं –

भगवान शिव के इस प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं दूर होती हैं और पापों से मुक्ति  मिलती है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक एवं कुछ विशेष पूजा करवाने का भी अपना अलग महत्व है।

इस मंदिर में कई लोग कालसर्प दोष की शांति एवं कुछ बीमारी एवं स्वस्थ जीवन के लिए महामृत्युंजय पूजा आदि करवाते हैं। इसके अलावा यहां गाय को हरा चारा खिलाने का भी विशेष महत्व है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर के पास स्थित प्रमुख आर्कषण:

भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक त्रयंबेकेश्वर मंदिर के प्रमुख आर्कषणों में पंचवटी, मुक्तिधाम मंदिर, पांडवलेनी गुफाएं, कालाराम मंदिर, इगतपुरी आदि हैं।

श्री निलंबिका/दत्तात्रय, माताम्बा मंदिर: 

यह मंदिर नील पर्वत के शीर्ष पर बना हुआ है। कहा जाता है की परशुराम की तपस्या देखने के लिए सभी देवियाँ (माताम्बा, रेणुका और मनान्म्बा) यहाँ आयी थी। तपस्चर्या के बाद परशुराम ने तीनो देवियों से प्रार्थना की थी के वे वही रहे और देवियों के रहने के लिए ही मंदिर की स्थापना की गयी थी।

भगवान दत्तात्रय (श्रीपाद श्रीवल्लभ) यहाँ कुछ वर्षो तक रहे, साथ ही दत्तात्रय मंदिर के पीछे दायी तरफ नीलकंठेश्वर महादेव प्राचीन मंदिर और नील पर्वत के तल पर अन्नपूर्णा आश्रम, रेणूकादेवी, खंडोबा मंदिर भी बना हुआ है।

शिव मंदिर से 1 किलोमीटर की दुरी पर अखिल भारतीय श्री स्वामी समर्थ गुरुपीठ, श्री स्वामी समर्थ महाराज का त्रिंबकेश्वर मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर वास्तु शास्त्र के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर की अधिक जानकारी – Trimbakeshwar Temple

तक़रीबन आज से 500 साल पहले यहाँ एक शहर का निर्माण किया गया जो बाद में त्रिंबकेश्वर के नाम से ही प्रसिद्ध हुआ। पेशवा के समय नाना साहेब पेशवा के शासनकाल में त्रिंबकेश्वर मंदिर के निर्माण और त्रिंबकेश्वर शहर के विकास की योजना बनाई गयी और कार्य की शुरुवात भी की गयी।

नाशिक जिले के नाशिक शहर से 18 किलोमीटर दूर ब्रह्मगिरी पर्वत है। यह सह्याद्री घाटी का ही एक भाग है। त्रिंबकेश्वर शहर पर्वत के निचले भाग में बसा हुआ है। ठंडा मौसम होने की वजह से यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है और यह समुद्री सतह से भी 3000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। यहाँ जाने के 2 अलग-अलग रास्ते है।

नाशिक से त्रिंबकेश्वर केवल 18 किलोमीटर दूर है और इस रास्ते का निर्माण श्री काशीनाथ धाटे की सहायता से 871 AD में किया गया था। नाशिक से हर घंटे यात्रियों को यातायात के साधन आसानी से मिल जाते है।

दुसरे आसान रास्तो में इगतपुरी-त्रिंबकेश्वर का रास्ता है। लेकिन इस रास्ते से जाते समय हमें 28 किलोमीटर की लम्बी यात्रा करनी पड़ती है। त्रिंबकेश्वर जाने के लिए यातायात के सिमित साधन ही यहाँ उपलब्ध है।

उत्तरी नाशिक से त्रिंबकेश्वर आने वाले यात्री आसानी और आराम से त्रिंबकेश्वर पहुच सकते है। 1866 AD में त्रिंबकेश्वर में नगर निगम की स्थापना की गयी। पिछले 120 सालो से नगर निगम यात्रियों और श्रद्धालुओ की देख-रेख कर रहा है। शहर के मुख्य रास्ते भी साफ़-सुथरे है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर की पूजा का समय – Trimbakeshwar Temple Timings

त्र्यंबकेश्वर  मंदिर हप्तेमें सातों दिन खुला होता है। मंदिर खुलने का समय सुबह 5: 00 बजे से रात  9: 00 बजे तक होता है।

  • मंगल आरती – 5: 30 A.M. से 6: 00 A.M.
  • अंतरालय अभिषेक (मंदिर के अंदर) – 6: 00 A.M. से 7: 00 A.M.
  • अभिषेक (मंदिर के बाहर) – 6: 00 A.M. से 12: 00 P.M.
  • विशेष पूजा जैसे कि महामृत्युंजय जप, रुद्राभिषेक, इत्यादि का समय 7: 00 A.M. से 9: 00 A.M.
  • मध्यान्ह पूजा 1: 00 P.M. से 1: 30 P.M.
  • संध्या पूजा 7: 00 P.M. से रात्रि 9: 00 P.M.
  • भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन 4: 30 P.M. से 5: 00 P.M.

उपरोक्त सभी समय विशेष त्योहारों या विशेष दिवस पर परिवर्तित भी हो सकते हैं।

त्रयंबकेश्वर मंदिर तक कैसे जाएँ – How To Reach Trimbakeshwar Temple

भगवान शिव के इस सबसे प्रमुख ज्योर्तिलिंगों में से एक त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में भक्तजन जाते हैं। वहीं नासिक के पास स्थित इस पवित्र धाम में यात्री रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों द्धारा आसानी से जा सकते हैं।

यहां से सबसे पास एयरपोर्ट, नासिक एयरपोर्ट है जो कि करीब 31 किलोमीटर की दूरी पर है एवं सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रेलवे स्टेशन हैं जहां से टैक्सी या फिर बस के द्धारा आप त्रयंबकेश्वर आसानी से जा सकते हैं।

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लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के 10+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार

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Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

दोस्तों सरदार वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार / Quotes काफी प्रेरणादायक है। उनके हर सुविचार में एक उर्जा भरी रहती है। स्वतंत्रता के समय काफी क्रांतिकरी उन्हेसे प्रेरित होकर देश के लिए काम करते थे। और इसीलिए अंग्रेज भी उनके नाम से डरते थे। आज उसी महापुरुष के कुछ अनमोल विचार / Sardar Vallabhbhai Patel Thoughts In Hindi यह दे रहें है…

लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के 10+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Sardar Vallabhbhai Patel Quotes in Hindi

sardar vallabhbhai patel thoughts

“बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है। जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।”

sardar patel quotes in hindi

“आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये।”

Sardar Vallabhbhai Patel Ke Anmol Vichar

गुलाम भारत देश को अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद करवाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जिन्हें भारत की एकता का सूत्रधार कहा जाता है।

उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच, बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास के बल पर काफी संघर्षों के बाद करीब 562 छोटे-छोटे देशी रिसायतों का विलय करवा कर भारत को एकता के सूत्र में पिरोया था और भारत को एक अखंड एवं संपन्न राष्ट्र बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

महापुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को उनकी नीतिगत दृढ़ता, अद्भुत कूटनीतिक कौशल की वजह से ”लौहपुरुष” के नाम से भी जाना जाता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

वहीं आज आपको अपने इस लेख में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के कुछ महान विचारों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें पढ़कर न सिर्फ आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि सच्चाई के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा मिलेगी।

आप सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अनमोल विचारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक,  इंस्टाग्राम,आदि पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।

sardar vallabhbhai patel quotes

“मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भूखा ना हो और अनाज के लिए किसी की आँख से आंसूसे न बहता हो।”

sardar vallabhbhai patel quotes in hindi

“इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद यहाँ हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”

Sardar Patel Quotes in Hindi

31 अक्टूबर, साल 1875 में गुजरात में जन्में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी भारत की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले देश के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

उन्होंने आजादी के बाद भारत के उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री के रुप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक महान प्रतिभा वाले प्रभावशाली एवं विशाल व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के हित में समर्पित कर दिया।

वहीं उनके सम्मान में  उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ”स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” समर्पित की गई है, जो गुजरात के वडोदरा में स्थापित है और इसकी ऊंचाई करीब 182 मीटर है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के महान विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। वहीं अगर कोई भी व्यक्ति इनके विचारों को अपना ले और गंभीरता से इनका अनुसरण करें तो वह अपना जीवन बदल सकता है।

loh purush sardar patel quotes in hindi

“अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।

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“यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत भी गवां दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।”

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“शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य हैं।

Sardar Vallabhbhai Patel Thought in Hindi

देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल जी अपने जीवन में कठोर संघर्षों और चुनौतियों का सामना करते हुए हमेशा अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ते रहे और एक वकील से लौह पुरुष वल्लभ भाई पटेल बन गए।

उनके जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। उनके महान विचार लोगों के अंदर नई और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाले हैं। वहीं जिस तरह आज भारत में अपराध बढ़ रहे हैं, महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, राजनेता अपने लालच के लिए सत्ता पर बैठे हैं।

ऐसे में सरदार वल्लभ भाई पटले जी के इन अनमोल विचारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पुहंचाने की जरूरत है, ताकि देश की एकता और अखंडता बरकरार रह सके और लोग अपने जीवन में सही कर्म पथ पर आगे बढ़ सके, जिससे एक सभ्य, शिक्षित राष्ट्र का निर्माण हो सके।

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“एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।

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“यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।

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मराठा साम्राज्य के शूरवीर और वीर शासक- संभाजी महाराज

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Sambhaji Maharaj

मराठा शासक संभाजी महाराज अपनी वीरता, बलिदान और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने मराठा एवं हिन्दुत्व की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह वे भी अपने संकल्पों के पक्के थे।

इतिहास के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब के द्धारा काफी प्रताड़ित, अपमानित किए जाने एवं अमानवीय अत्याचार सहने के बाबजूद भी उन्होंने कभी उनके सामने आत्मसमर्पण नहीं किया।

उनकी शौर्यता और वीरता की गाथा आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है, तो आइए जानते हैं वीर शासक संभाजी महाराज के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में-

मराठा साम्राज्य के शूरवीर और वीर शासक- संभाजी महाराज – Sambhaji Maharaj History In Hindi

Sambhaji Maharaj

संभाजी महाराज के बारे में एक नजर में- Sambhaji Maharaj Biography

नाम (Name) छत्रपति संभाजी महाराज भोसले
जन्म (Birthday) 14 मई 1657, पुरन्दर के किले में
पिता (Father Name) छत्रपति शिवाजी महाराज
माता (Mother Name) सईबाई
पत्नी (Wife Name) येसूबाई
मृत्यु (Death) 11 मार्च 1689

संभाजी महाराज का जन्म, परिवार – Sambhaji Maharaj Information

छत्रपति संभाजी महाराज 14 मई, 1657 में पुरंदर किले में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज और सईबाई की सबसे बड़ी संतान के रुप में जन्में थे। जब वे महज दो साल के हुए, तभी उनके सिर से उनकी मां का साया उठ गया था। जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी यानी शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने किया था।

संभाजी महाराज बचपन से ही बेहद बुद्धिमान और बहादुर बालक थे। उन्हें बचपन में छावा यानि कि ”शेर का बच्चा” कहकर बुलाया जाता था।

आपको बता दें कि संभाजी महाराज की मां सईबाई के अलावा दो सौतेली मां सोयराबाई और पुतलाबाई भी थीं। संभाजी के एक भाई राजाराम एवं रणुबाई, कमलाबाई पलकर, दीपा बाई, अम्बिकाबाई, शकुबाई, जाधव नाम की बहनें थी।

छोटी सी उम्र में ही एक राजनैतिक समझौते के तहत उनकी शादी पिलाजीराव शिरके की बेटी येशुबाई (जीवाजीबाई) से कर दी गई थी। शादी के बाद दोनों को शाहू नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। वहीं बाद में उनके पुत्र हिन्दू स्वराज के चौथे शासक बने थे।

आपको बता दें कि संभाजी महाराज ने अपने बचपन में काफी संघर्ष और कठिनाईयों को झेला था। राजनैतिक षणयंत्र के तहत उन्हें मुगलों के दरबार में दरबारी तक बनना पड़ा था। संभाजी महाराज की सौतेली मां सोयराबाई के कारण संभाजी के संबंध अपने पिता से खराब होने लगे।

दरअसल सोयराबाई अपने बेटे राजाराम को उत्तराधिकारी  बनाना चाहती थीं, इसलिए शिवाजी महाराज को उनके खिलाफ भड़काती रहती थीं, जिसके चलते संभाजी महाराज को अपने परिवार का भरोसा जीतने में काफी मुश्किल हुई थी।

यही नहीं संभाजी महाराज ने अपनी वीरता और बहादुरी को कई बार सिद्ध करने की कोशिश भी की लेकिन उन्हें हमेशा निराशा ही हाथ लगी।

इसके अलावा एक बार तो संभाजी महाराज को उनके पिता शिवाजी महाराज द्वारा दंडित भी किया गया था, जिसके बाद संभाजी महाराज गुस्सा होकर घर छोड़कर चले गए और मुगलों के साथ जाकर मिल गए। वहीं यह समय संभाजी महाराज के लिए सबसे मुश्किल भरा था।

हालांकि बाद में जब उन्होंने मुगलों का हिन्दुओं के प्रति दुर्व्यवहार देखा तब उन्होंने मुगलों का साथ छोड़ दिया और फिर बाद में उन्होंने इसके लिए अपने पिता शिवाजी महाराज से भी माफी मांगी।

संभाजी महाराज की शिक्षा – Sambhaji Maharaj Education

संभाजी महाराज बचपन से ही काफी बुद्धिमान और कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। उन्हें संस्कृत समेत कई अन्य भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। यही नहीं शास्त्रों समेत वे तलवारबाजी, घुड़सवारी, तीरंदाजी आदि में भी निपुण थे।

संभाजी महाराज द्धारा लिखी गईं रचनाएं – Sambhaji Maharaj Book

संभाजी महाराज एक कुशल और बहादुर शासक होने के साथ-साथ साहित्य और संस्कृत भाषा के अच्छे जानकार भी थे। कवि कलश से मुलाकात के बाद उनकी रुचि साहित्य की तरफ बढ़ने लगी थी।

यही नहीं संभाजी महाराज ने अपने पिता शिवाजी महाराज के सम्मान में संस्कृत में बुधचरित्र भी लिखा था। इसके अलावा संभाजी महाराज ने नखशिखांत, नायिकाभेद, बुधभूषणम, श्रृंगारिका, सातशातक समेत कई संस्कृत ग्रंथ लिखे थे।

सिंहासन पर संभाजी महाराज – King Sambhaji

संभाजी महाराज की सौतेली मां सोयराबाई ने षणयंत्र रच कर अपने 10 साल के बेटे राजाराम को राजगद्दी में बिठा दिया। जब संभाजी महाराज को इस राजनैतिक षणयंत्र का पता चला तो उन्होंने अपनी सौतेली मां सोयराबाई के भाई हम्बीराव मोहिते के साथ हाथ मिला लिया था और उनकी मदत से संभाजी महाराज ने रायगढ़ किले में जीत हासिल की और फिर अपनी सौतेली मां सोयराबाई को कैद कर लिया था।

इसके बाद 16 जनवरी 1681 को उन्होंने मराठा साम्राज्य की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद संभाजी महाराज के खिलाफ शिवाजी महाराज के कुछ मंत्रियों ने फिर साजिश रची और उनके सौतेले भाई राजाराम का राज्याभिषेक करने की योजना बनाई।

लेकिन संभाजी महाराज ने राजनैतिक सूझबूझ और अनुभव के चलते अपने प्रिय मित्र और संस्कृत के प्रकांड विद्वान् कवि कलश को अपना सलाहकार नियुक्त किया और सभी की साजिश को नाकाम कर दिखाया।

हालांकि कवि कलश के गैर मराठी होने की वजह से मराठा अधिकारियों ने इस बात का काफी विरोध किया। इस तरह संभाजी महाराज ने अपने शासनकाल में कुछ ज्यादा उपलब्धियों को हासिल नहीं कर सके।

संभाजी महाराज के शासनकाल के दौरान कठिन संघर्ष एवं लड़ाईयां:

जब संभाजी महाराज ने अपने पिता की मौत के बाद राजगद्दी संभाली थी, उस दौरान मुगल शासक औरंगेजब की शक्ति दक्षिण राज्यों में काफी बढ़ चुकी थी। यह मराठाओं के लिए काफी कठिन दौर था, क्योंकि औरंगेजब, मराठा राज्य पर भी अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था।

वहीं औरंगेजेब की विशाल सेना के सामने संभाजी महाराज की सेना बेहद कम थी। हालांकि इस दौरान संभाजी महाराज और उनकी सेना ने बहादुरी के साथ मुगलों का सामना किया।

इस दौरान मुगल सैनिक रामसेई किले पर अपना अधिकार जमाने में तो नाकामयाब हुए लेकिन 1687 में वाई के युद्द में मराठा सैनिक, मुगलों की शक्ति के सामने कमजोर पड़ गए और इस युद्ध में संभाजी महाराज ने अपने सबसे करीबी एवं वीर सेनापति हम्बिराव मोहिते को भी खो दिया था।

वहीं इसके बाद विश्वासघात के चलते 1689 में संभाजी महाराज मुगलों के कब्जे में आ गए।

संभाजी महाराज के शासनकाल में महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

संभाजी महाराज एक शासक रहते हुए अपने पिता जी के स्वराज की स्थापना करने के सपने को तो पूरा नहीं कर सके थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने मुगलों को मराठाओं की शक्ति का एहसास दिलवा दिया था।

उन्होंने बहादुरी के साथ न सिर्फ मुगल शासक औरंगजेब की 8 लाख की विशाल सेना का सामना किया, बल्कि कई युद्धों में मुगलों को पराजित भी किया। वहीं महाराष्ट्र में उन्होंने औरंगजेब को कई युद्दों में व्यस्त रखा, जिसके चलते उत्तर भारत समेत कई राज्यों में हिन्दू शासकों को अपना राज्य फिर से स्थापित करने का मौका मिल गया।

यही नहीं संभाजी महाराज ने औरंगजेब द्धारा कई दर्दनाक अत्याचार सहने के बाद ही उसके सामने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया और न ही घुटने टेके। जिसका फायदा तमाम लोगों और हिन्दु राजाओं को हुआ, क्योंकि अगर वे औरंगजेब से किसी तरह की संधि कर लेते तो औरंगजेब उत्तर भारत के कई राज्यों पर भी अपना कब्जा जमा लेने में सफल हो जाता।

हालांकि, संभाजी महाराज के अलावा उस दौरान औरंगजेब दक्षिण के कई शासकों के साथ अलग-अलग लड़ाईयों में उलझा रहा। जिसकी वजह से उत्तर भारत में हिन्दुत्व को सुरक्षित रखा जा सका।

इसके अलावा संभाजी महाराज ने अपने पिता शिवाजी महाराज के नक्शे कदम पर चलते हुए हिन्दुओं की घर वापसी और धर्म परिवर्तन के लिए कई सराहनीय कदम उठाए। मुगलों के दबाव में जबरदस्ती हिन्दू से मुस्लिम बने लोगों की फिर से घर वापसी के लिए उन्होंने कई अलग-अलग विभाग बनाए जिससे कई हिन्दू से मुस्लिम बने लोग फिर से अपना धर्म अपना सके।

क्रूर शासक औरंगजेब का संभाजी महाराज पर अत्याचार और उनकी मृत्यु – Sambhaji Maharaj Death

संभाजी महाराज पर छल से मुकर्रब खान ने अचानक आक्रमण कर दिया। जिसके चलते उन्हें और उनके प्रमुख सलाहकार कवि कलश को मुगलों द्धारा बंदी बना लिया गया।

इसके बाद उन्हें के इतिहास के सबसे क्रूर और अत्याचारी शासक औरंगजेब के पास पेश किया गया, जिसके बाद औरंगजेब ने संभाजी महाराज को इस्लाम अपनाने एवं अपनी सेना, संपत्ति एवं किलों को मुगलों के हवाले करने की शर्त रखी।

लेकिन संभीजी महाराज उसकी एक भी शर्त मानने के लिए तैयार नहीं हुए जिसके चलते गुस्से में आकर क्रूरता के लिए प्रसिद्ध औरंगजेब ने संभाजी महाराज और कवि कलश को काल कोठरी में बंद कर दिया और उन पर अत्याचार करने लगा एवं उन्हें शारीरिक यातनाएं देने लगा।

यहां तक की संभाजी महाराज को ऊंटों से बांधकर घसीटते हुए पूरे नगर और सेना के सामने घुमाया गया, मुसलमानों द्धारा उन पर थूकां गया। यही नहीं संभाजी महाराज द्वारा हिन्दू धर्म का गुणगान करने पर औरंगेजब ने संभाजी महाराज की जीभ काटकर कुत्तों के आगे फेंक दी।

उसकी हैवानियत यही नहीं रुकी उसने संभाजी की आंखे तक निकलवाने के आदेश दे दिए। यही नहीं औरंगेजेब ने धीमे-धीमे संभाजी महाराज के एक-एक कर कई अंग काट दिए और उन्हें दर्दनाक मौत देने के मकसद से उन्हें ऐसे छोड़ दिया लेकिन संभाजी महाराज ने तब भी औरंगजेब के सामने कभी हार नहीं मानी और धैर्यता के साथ उसके अत्याचार सहते रहें एवं मरते दम तक भगवान शिव के का अनुसरण करते रहे।

हालांकि कुछ दिनों बाद क्रूर शासक औरंगेजेब ने निर्दयता से संभाजी महाराज का सिर काटकर अपने किले पर टांग दिया। जिसके बाद मराठाओं ने अपने शासक के अलग-अलग शरीर के अंगों को सिलकर उनका अंतिम संस्कार किया।

इस तरह संभाजी महाराज की दर्दनाक मृत्यु के बाद मराठाओं के अंदर मुगलों के खिलाफ और अधिक आक्रोश बढ़ गया और इसके बाद सभी मराठाओं ने मिलजुल कर एवं एक होकर मुगलों के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया।

इस तरह संभाजी महाराज जैसे वीर और पराक्रमी शासक के त्याग और बलिदान के चलते मराठाओं की एकता को बल मिला, मराठाओं की शक्ति मजबूत हुई एवं भारत में लंबे समय तक राज्य करने वाले मुगलों का अंत हुआ और भारत में हिन्दू सम्राज्य की स्थापना हुई। संभाजी महाराज को उनकी वीरता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Powada (Sambhuji) Sambhaji Maharaj

देश धरम पर मिटने वाला। शेर शिवा का छावा था ।।

महापराक्रमी परम प्रतापी। एक ही शंभू राजा था ।।

तेज:पुंज तेजस्वी आँखें। निकलगयीं पर झुकी नहीं ।।

दृष्टि गयी पर राष्ट्रोन्नति का। दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं ।।

दोनो पैर कटे शंभू के। ध्येय मार्ग से हटा नहीं ।।

हाथ कटे तो क्या हुआ?। सत्कर्म कभी छुटा नहीं ।।

जिव्हा कटी, खून बहाया। धरम का सौदा किया नहीं ।।

शिवाजी का बेटा था वह। गलत राह पर चला नहीं ।।

वर्ष तीन सौ बीत गये अब। शंभू के बलिदान को ।।

कौन जीता, कौन हारा। पूछ लो संसार को ।।

कोटि कोटि कंठो में तेरा। आज जयजयकार है ।।

अमर शंभू तू अमर हो गया। तेरी जयजयकार है ।।

मातृभूमि के चरण कमलपर। जीवन पुष्प चढाया था ।।

है दुजा दुनिया में कोई। जैसा शंभू राजा था? ।।

                                        ~ शाहीर योगेश

“छत्रपती संभाजी महाराज की जय “

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अल्बर्ट आइंस्टीन के 21+ प्रेरणादायक विचार

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Albert Einstein Quotes in Hindi

विश्व के सबसे महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आंइसटीन का संपूर्ण जीवन और उनके विचार प्रेरणा देने वाले हैं। उन्होंने अपनी महान सोच और विचारों के बल पर खुद को दुनिया के सबसे सफलतम वैज्ञानिक के रुप में स्थापित किया।

उनके महान विचारों से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है, तो आइए जानते हैं विज्ञान के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान देने वाले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आंइसटीन के महान विचारों के बारे में-

अल्बर्ट आइंस्टीन के 21+ प्रेरणादायक विचार – Quotes By Albert Einstein in Hindi

A man should look for what is, and not for what he thinks should be.
A man should look for what is, and not for what he thinks should be.

“इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए।”

“आप कभी फेल नहीं होते, जब तक की आप प्रयास करना नहीं छोड़ देते।”

“ज्ञान का एक मात्र ही स्रोत ‘अनुभव’ है।”

“एक जहाज किनारे पर हमेशा सुरक्षित रहता है- लेकिन वो इसलिए नहीं बना होता है।”

A person who never made a mistake never tried anything new
A person who never made a mistake never tried anything new

“जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।”

“जीनियस और स्टुपिडीटी के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर ये है कि जीनियस की अपनी कुछ सीमाएं हैं।”

“ज्यादातर शिक्षक अपना समय छात्र को ऐसे प्रश्न पूछने में बर्बाद करते हैं जिनका मकसद ये जानना होता है कि छात्र क्या नहीं जानता है, जबकि प्रश्न पूछने की सच्ची कला ये पता लगाना है कि छात्र क्या जानता है या फिर क्या जानने में सक्षम है।”

“हर कोई जीनियस है। लेकिन अगर हम एक मछली को उसके पेड़ पे चढ़ने की काबिलियत के हिसाब से आंकेंगे तो वो पूरी उम्र यही सोच कर जियेगी कि वो मूर्ख है।”

Albert Einstein Quotes in Hindi

भौतिक विज्ञान में अपना अभूतपूर्व योगदान देने वाले प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने अपनी महान खोजों और अविष्कारों से कई नए अविष्कारों को जन्म लिया।

उनके द्वारा की गई चमत्कारिक खोजों की बदौलत ही आज हम आसानी से जिंदगी जी रहे हैं। आपको बता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने गति प्रकाश के ऊष्मीय गुण, द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण, गैस का क्वाण्टम सिद्धांत और सापेक्षता का सिद्धांत समेत कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं।

अल्बर्ट आंडस्टीन को उनकी महान खोजों की वजह से विश्व के सबसे बुद्धिमान और सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में गिना जाता है।

वहीं उनके द्धारा कहे गए अनमोल वचन वाकई प्रेरणा देने वाले हैं। हम सभी को गंभीरता से उनके विचारों का अनुसरण करना चाहिए।

वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में अल्बर्ट आइंस्टीन के महान विचारों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से अपने व्हाटसऐप,  फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर शेयर कर सकते हैं।

Anger dwells only in the bosom of fools.
Anger dwells only in the bosom of fools.

“क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।”

“एक चुतर व्यक्ति समस्या को हल कर देता है। लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति उससे बच जाता है।”

“प्यार में गिरने वाले लोगों के लिए गुरुत्वाकर्षण बिलकुल भी ज़िम्मेदार नहीं है।”

“सब कुछ इतना आसान बनाया जा सकता है की वह संभव हो लेकिन आसान से भी आसान नही बनाया जा सकता।”

 We shall require a substantially new manner of thinking if mankind is to survive.
We shall require a substantially new manner of thinking if mankind is to survive.

“यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी।”

“दुनिया जीने के लिए सबसे खतरनाक जगह है, उन लोगों की वजह से नहीं जो बुरे हैं, बल्कि उन लोगो की वजह से जो इसके लिए कुछ करते नहीं हैं।”

“अपने आप को खुश करने का सबसे बढ़िया तरीका किसी और को खुश करना है।”

“सबसे खुबसूरत चीज को यदि मैंने कभी अनुभव लिया है तो वह है रहस्य। यही सभी सच्चाई और विज्ञान की वजह है।”

Albert Einstein Thoughts in Hindi

14 मार्च 1879 को जर्मनी में जन्में अल्बर्ट आईंस्टीन को अपने जीवन में तमाम असफलताओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी हर असफलता से कुछ न कुछ सीख लेकर सफल प्रयोग किए और पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

उनका मानना था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है और उनके मुताबिक हर कोई जीनियस है, लेकिन अगर आप एक मछली को उसके पेड़ पर चढ़ने की काबिलियत के हिसाब से आंकेंगें तो वो पूरी उम्र खुद को मूर्ख मानेगी। अल्बर्ट आइंस्टीन द्धारा कहे गए कुछ ऐसे ही विचार जिंदगी में आगे बढने का मंत्र सिखाते हैं।

Anyone who doesn’t take truth seriously in small matters cannot be trusted in large ones either.
Anyone who doesn’t take truth seriously in small matters cannot be trusted in large ones either.

“जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता।”

“अगर मेरे पास किसी समस्या को हल करने के लिए 1 घंटा हो, तो मैं 55 मिनट समस्या के बारे में सोचने और बाकि बचे 5 मिनट उसका हल सोचने में लगाऊंगा।”

“कठिनाइयों के बीच ही अवसर छुपे होते हैं।”

Before God we are all equally wise – and equally foolish.
Before God we are all equally wise – and equally foolish.

“ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी।”

“दुनिया में जो चीज समझना सबसे कठिन है, वो है ‘इनकम टैक्स’।”

“कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

No problem can be solved from the same level of consciousness that created it.
No problem can be solved from the same level of consciousness that created it.

“कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है जिसपर वह उत्पन्न हुई है।”

“सवाल पूछना बंद करना महत्वपूर्ण बात नही है। जिज्ञासा के अस्तित्व की वजह वह स्वयं ही है।”

“महान जोश साधारण दिमाग की आकस्मिक हिंसक प्रतिक्रिया से ही आता है।”

Albert Einstein ke Vichar

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि जीवन जीने के दो तरीके है, पहला मानकर चलो कि जो कुछ भी हो रहा है, वह चमत्कार है और दूसरा कोई चमत्कार नहीं है सब निर्धारित है।

इसके साथ ही उन्होंने अपने विचारों द्धारा लोगों को सलाह दी कि एक सफल आदमी की बजाय एक सिद्धांत वाला व्यक्ति बनना चाहिए।

उनके द्वारा कहे गए कुछ ऐसे ही विचार जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

Two things are infinite: the universe and human stupidity; and I’m not sure about the universe.
Two things are infinite: the universe and human stupidity; and I’m not sure about the universe.

“दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य की मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता।”

“धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है और विज्ञान के बिना धर्म अँधा है।”

“महत्वपूर्ण समस्या को हम उस स्तर की सोच से दूर नही कर सकते जिस स्तर की सोच से हमें समस्या का निर्माण किया है।”

When you are courting a nice girl an hour seems like a second. When you sit on a red-hot cinder a second seems like an hour. That’s relativity.
When you are courting a nice girl an hour seems like a second. When you sit on a red-hot cinder a second seems like an hour. That’s relativity.

“जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के समान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के समान लगता है। यही सापेक्षता है।”

“जिसने कभी कोई गलती नही की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश ही नही की।”

“सफलता वाला इंसान बनने के लिये कोशिश ना करे लेकिन गुणों वाला इंसान बनने के लिये जरुर कोशिश कीजिये।”

More Quotes in Hindi:

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ओपरा विनफ़्रे के 10+ शक्तिशाली विचार

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Oprah Winfrey Quotes in Hindi

29 जनवरी,1954 को अमेरिका में जन्मी ओपरा विनफ्रे एक जानी-मानी न्यूज रिपोर्टर, प्रेरणात्मक वक्ता, लेखक, समाजसेवी, टेलीविजन प्रोड्यूसर, एंकर और प्रसिद्ध टॉक शो ”ओपरा विनफ्रे शो” की होस्ट रह चुकी हैं।

उनके टॉक शो को साल 1986 से 2011 तक टीवी पर प्रसारित किया गया था। उनका यह शो इतिहास का सबसे अधिक लोकप्रिय और सबसे ज्यादा टीआरपी वाला शो बन गया था।

ओपरा विनफ्रे को 20 वीं सदी की “मीडिया की रानी” के नाम से भी जाना जाता है। विश्व की सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली महिलाओं में से एक ओपरा विनफ्रे को 20 सदीं की अमेरिका की सबसे अमीर अफ्रीकी अमेरिकी लिपिकार होने के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

ओपरा विनफ़्रे के 10+ शक्तिशाली विचार – Oprah Winfrey Quotes In Hindi

Oprah Winfrey Quotes in Hindi

“मुझे लगता हैं की तैयारी और अवसर का मिलना ही भाग्य हैं।

“अपने जख्मों को ज्ञान में बदलो।”

“आप वो नही बनते जो आप चाहते हो आप वही बनते हो जिसपर आपका भरोसा होता है।”

Oprah Winfrey Inspiring Quotes in Hindi

“असल ईमानदारी ये जानते हुए सही चीज करने में हैं की कोई और ये नहीं जान पाए की आपने ये किया हैं या नही।

“यदि आपका दोस्त आपको बार बार नाराज करता है, तो उसमे कही ना कहि आप ही की गलती है।”

Oprah Winfrey Quotes

“अभी भी मेरे पैर जमींन पर हैं, बस मैं अब अच्छे जूते पहनती हूँ।

“आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए शुक्रगुज़ार रहिये, आपके पास और भी अधिक होगा। अगर आप इस बात पर ध्यानकेन्द्रित करेंगे की आपके पास क्या नहीं है, तो आपके पास कभी भी पर्याप्त मात्रा में चीजें नहीं होंगी।”

Oprah Winfrey Quotes on Success

उन्होंने अपने जिंदगी में तमाम संघर्षों को झेलते हुए सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुआ है और आज वे दुनिया भर की महिलाओं की लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

वहीं आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको ओपरा विनफ्रे के कुछ अनमोल विचारों के बारे में बता रहे हैं। जिन्हें न सिर्फ आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, बल्कि इन विचारों पर अमल कर सही दिशा में जीवन जी सकते हैं।

Oprah Winfrey Thoughts in Hindi

“जहाँ संघर्ष नहीं हैं, वहां शक्ति नहीं हैं।

“आप ज़िन्दगी में वही पा सकते हो जिसके बारे में आप पूछने की हिम्मत रखते हो।”
Oprah Winfrey Quotes on Education

“अपने सपनो की दुनिया को असलियत में जीना ही, आपके लिए सबसे बड़ा जोखिम होंगा।”

“सांस लो, छोड़ो और खुद को याद दिलाओ की सिर्फ यही वो क्षण है जो निश्चित रूप से तुम्हारा है।”

Oprah Winfrey Quotes on Education

“चुनौतिया एक पुरस्कार की भांति होती हैं जो हमें नए अवसर ढूंडने का मौका देती हैं, जहा हम अपने आप को स्थापित कर सके।

“बहुत सारे लोग आपके साथ शानदार गाड़ियों में घूमना चाहते हैं, पर आप चाहते हैं की कोई ऐसा हो जो गाड़ी खराब हो जाने पर आपके साथ बस में जाने को तैयार रहे।

Oprah Winfrey Quotes on Love

ओपरा विनफ्रे जहां आज महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों को उठाती हैं और महलिाओं के हक की बात करती हैं। वहीं उन्हें भी अपने जीवन के शुरुआती दिनों में तमाम अमानवीय कष्टों और संघर्षों को झेलना पड़ा था।

जब वे महज 9 साल की थी तब उनका रेप किया गया था। यही नहीं उन्हें 13 साल की उम्र में अपने ही घर से भागने और दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

हालांकि ओपरा विनफ्रे ने अपने जीवन में आई कठिन चुनौतियों का डटकर सामना किया और सकारात्मकता के साथ अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ती रहीं और आज उन्होंने पूरी दुनिया के सामने खुद की प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

वहीं ओपरा विनफ्रे के यह प्रेरणात्मक विचार जिंदगी में नई उमंग और ऊर्जा भरने का काम करते हैं।

Oprah Winfrey Vichar

“आप सब कुछ हासिल कर सकते हो. लेकिन एक ही समय सब कुछ नही पा सकते।”

“अपनी साँसों को निकलने का, जुते उतारकर नाचने का हर दिन आपको एक नया मौका मिलता है।”

“हम जहा है वही रहकर कभी हम जो चाहते वो नही बन सकते।”

Oprah Winfrey Quotes on Life

“आप जितना अधिक अपने जीवन की प्रशंशा करेंगे और उसका जश्न मनाएंगे उतना ही आपके जीवन में जश्न मनाने को होंगा।

“यदि कोई इंसान आपको चाहता है तो कोई बात उसे आपसे दूर नही कर सकती। यदि कोई नही चाहता है तो कोई बात उसे आपका नही बना सकती।”

“एक रानी की तरह सोचे। एक रानी जिसे असफलता से कोई डर न हो। जिसके लिए असफलता सफलता की पहली सीढ़ी हो।”

Oprah Winfrey Inspiring Quotes

“अगर आपको अपने जीवन के लक्ष प्राप्त करने हैं, तो आपको अपनी आत्मा से शुरुवात करनी होंगी।

“मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की हम में से हर कोई अलग है, हर एक की अलग पहचान है और यही सफलता और प्यार पाने का सबसे अच्छा रास्ता है।”

“जब आप आपके पास जो है उसे नज़रअंदाज़ करते हो तब ये दुनिया भी आप जो हो उसे नज़रअंदाज़ करने लगती है।”

Oprah Winfrey Quotes on Education

ओपरा विनफ्रे का जीवन और उनके अनमोल विचार सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

19 साल की उम्र में ओपरा विनफ्रे को रेडियो के एक शो में सह-एंकर बनने का मौका मिला था जहां उन्होंने अपनी अद्भुत आवाज और बोलने की शैली से लोगों का ध्यान अपना तरफ खींचा और फिर उन्हें पहली अश्वेत महिला सह-एंकर बनने का गौरव हासिल हुआ और इसके बाद वे सफलता की शिखर पर आगे बढ़ती चली गईं।

फिर बाद में उन्होंने खुद के नाम पर बने टॉक शो ”द ओपरा विनफ्रे शो” को होस्ट किया। इस शो से उन्हें काफी बड़े स्तर पर सराहना मिली और पूरी दुनिया में उन्हें पहचाना जाने लगा।

ओपरा का मानना है कि व्यक्ति अपने जीवन में जो चाहे वो हासिल कर सकते हैं, सब कुछ उनका हो सकता है, बर्शतें सब कुछ एक बार में हीं प्राप्त नहीं किया जा सकता।

वहीं उनके द्धारा कहे गए ऐसे ही अनमोल विचार प्रेरणा देने वाले और आत्मविश्वास बढ़ाने वाले हैं।

Oprah Winfrey Quotes Gif

“एक सच्ची माफ़ी तभी कहलाती है जब आप कहते हो, “इस अनुभव के लिए शुक्रिया”.

“सच्ची ईमानदारी सही बातो को करने में है। जिसमे किसी को भी ये पता नही होना चाहिए की आप क्या कर रहे हो और क्या नही कर रहे हो।”

“आपका सच्चा जूनून आपकी साँसों में नज़र आता है, ये प्राकृतिक नही होता।”

Oprah Winfrey Vichar in Hindi

“ऐसे लोगों से ही घिरे रहिये जो आपको ऊपर उठाये।

“मेरा इस बात पर पूरा भरोसा है की जो भी होता है उसके पीछे कोई ना कोई वजह जरूर होती है, फिर चाहे वजह हमारे हक़ में हो या ना हो।”

Oprah Winfrey Quotes on Success

“मैं असफलता में यकीन नहीं रखती, अगर आपने प्रक्रीया का आनंद उठाया हैं, तो ये असफलता नहीं हैं।

“अपने आस पास सिर्फ उन्ही लोगो को रखे जो आपको उचाई पर ले जा सके।”

“मुझे उसकी कोई जरुरत नही है जिसे मेरी जरुरत नही।”

Oprah Winfrey Quotes on Love

“जितना आप ज़िन्दगी का गुणगान और आनंद मनाओगे उतनी ही ज़िन्दगी आपको आनंदित रहने के लिए मिलेंगी।”

“नए साल का जयजयकार करे क्योकि कुछ सही करने के लिए यह एक नया अवसर होता है।”

“आपको इस बात को जरूर जानना चाहिए की क्या आप सही में मुसीबत में हो।”

जरुर पढ़े:

Note: अगर आपके पास अच्छे नए विचार हैं तो जरुर कमेन्ट के मध्यम से भजे अच्छे लगने पर हम उस Oprah Winfrey Quotes in Hindi इस लेख में शामिल करेगे।
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“किंग खान” शाहरुख़ खान के विचार

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Shahrukh Khan Quotes in Hindi

शाहरुख़ खान – Shahrukh Khan को SRK के नाम से भी जान जाता है, वे एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता और टेलीविज़न हस्ती भी है। मीडिया ने उन्हें “बॉलीवुड के बादशाह”, “किंग खान” और “किंग ऑफ़ बॉलीवुड” जैसे नाम भी दिये है।

शाहरुख खान ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी, एवं महान विचारों के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। आइए जानते हैं शाहरुख खान के द्धारा कहे गए कुछ प्रेरणात्मक और अनमोल विचारों के बारे में-

“किंग खान” शाहरुख़ खान के विचार – Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

Shahrukh Khan Quotes in Hindi

“कामयाबी और नाकामयाबी दोनों ज़िन्दगी के हिस्से है। दोनों ही स्थायी नहीं हैं।”

जब भी मैं बहुत अभिमानी महसूस करने लगता हूँ तो अमेरिका की यात्रा पर चला जाता हूँ। इमीग्रेशन वाले लात मा कर मेरे स्टारडम से स्टार निकाल देते हैं।

Shahrukh Khan Quotes

“मैं  कड़ी  मेहनत  करता  हूँ, पक्का  और  सब  लोग  भी  करते होंगे, और  मैं  जो  करता  हूँ  उसके  प्रति  बहुत  इमानदार  रहता  हूँ।

“मैं अपने बच्चो को यह नहीं सिखाता ही हिन्दू क्या है और मुस्लिम क्या है?”

Shahrukh Khan Quotes on Success

“सफलता एक अच्छा शिक्षक नही है, असफलता ही आपको नम्र बनाती है।”

“मैं जब भी एक पिता या पति के रूप में फेल होता हूँ …एक खिलौना और एक हीरा हमेशा काम कर जाते हैं।”

Shahrukh Khan Thoughts in Hindi

शाहरुख खान बॉलीवुड के सुपर स्टार हैं, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय के बल पर लाखों प्रशंसकों के दिल में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है।

वे एक एक्टर ही नहीं, बल्कि फिल्म प्रोड्यूसर और टेलीविजन अभिनेता भी हैं। उन्हें आज बॉलीवुड के किंग खान, SRK, बॉलीवुड के बादशाह आदि के नाम से भी जाना जाता है।

शाहरुख खान ने अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर सफलता ही असीम ऊंचाईयों को छुआ है और फिल्म जगत में अपने नाम का सिक्का भुनाया है।

उनका टीवी इंडस्ट्री में कोई भी गॉड फादर नहीं था, आज वे सफलता के जिस मुकाम पर भी हैं, सिर्फ और सिर्फ अपने टैलेंट के बल पर हैं। किंग खान ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी सीरियल से की थी और आज उनकी गिनती दुनिया के सबसे सफल और अमीर अभिनेता के तौर पर होती है।

Shahrukh Khan Thoughts in Hindi

“हमारे हिंदी फिल्म की तरह ENDING में लाइफ में भी सब ठीक हो जाता है अगर सही नहीं होता तो वो ENDING नहीं हैं।

जो मैं सचमुच हूँ और जो मैं फिल्मो में दिखता हूँ; इनके बीच की रेखा धीरे-धीरे घट रही है।

Quotes by Shahrukh Khan

“मेरे कुछ बहुत ही करीबी दोस्त हैं और मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि वे मेरे दोस्त हैं।

“अगर आपको कोई चीज़ पसंद नहीं है तो भी लगातार उसे देखते रहो में दावे के साथ कहा सकता हु! थोड़े दिन में वह आपको पसंद आने ही लगेगी।”

“मेरा मानना है कि प्यार किसी भी उम्र में हो सकता है… इसकी कोई उम्र नहीं होती।”

SRK Quotes on Money

“भारत में सिनेमा सुबह उठ कर ब्रश करने की तरह है। आप इससे बच नहीं सकते।”

“मैं झूठ बोल सकता हूँ कि मेरी बीवी मेरे लिये खाना बनाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। मेरी बीवी ने कभी खाना बनाना नहीं सीखा लेकिन उसके पास घर पर बहुत अच्छे खाना पकाने वाले जरुर हैं।”

Shahrukh Khan Dialogue

दिल्ली में जन्मे शाहरुख खान ने रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, एक्शन समेत तमाम फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से लोगों का मनोरंजन किया है।

उन्होंने अलग-अलग किरदारों में खुद को ढालकर बाजीगर, चक दे इंडिया, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, ओम शांति ओम, कल हो ना हो, कुछ-कुछ होता है, वीर जारा, डॉन, कोयला समेत कई सुपर-डुपट हिट फिल्में दी हैं और अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है।

उन्हें फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए बेस्ट एक्टर समेत कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। वहीं वे एक ऐसे सुपर स्टार हैं, जिनके चाहने वाले न सिर्फ भारत में है, बल्कि विदेशों में भी उनकी अच्छी फैन फॉलोइंग है।

शाहरुख के द्धारा गए कहे गए कुछ अनमोल विचार जीवन के प्रति सकारात्मकता पैदा करते हैं और अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने में मद्द करते हैं।

Shahrukh Khan Thoughts

“मैं वास्तव में यकीन करता हूँ कि मेरा काम ये सुनिश्चित करना है की लोग हँस रहे भी है या नही।”

“मैंने अबतक बहुत से अवार्ड्स जीते हैं और मुझे और चाहियें। अगर आप इसे मेरी भूख कहना चाहते हैं तो हाँ मैं अवार्ड्स के लिए बहुत भूखा हूँ।”

“मुझे सचमुच दूसरे नंबर पर रहना पसंद नहीं।

Quotes by Shahrukh Khan in Hindi

“ख़ुशी ज़ाहिर करने का सबका अपना-अपना तरीका होता है।

हालांकि मैं बहुत अच्छा दिखता हूँ, फिर भी मैं काफी बुद्धिमान हूँ।

Quotes for SRK Fans

“मुझे स्टारडम पसंद है, मुझे लोगों का मुझे इतना पसंद करना अच्छा लगता है। मुझे इस बात से प्यार है कि जब मैं बाहर जाता हूँ तो लोग चीखेते है – चिल्लाते हैं। मुझे लगता है जब ये सब मुझसे छीन लिया जाएगा तो मैं इन्हें बहुत ज्यादा मिस करूँगा।

“मैं एक बच्चे की तरह हूँ। मैं अपने परिवार और मित्रों से कहता हूँ कि मैं बच्चों की तरह हूँ।

Shahrukh Khan Quotes in Hindi

फौजी, दरिया, सर्कस जैसे सीरियल्‍स से अपने करियर की टेलीविजन में शुरुआत करने वाले सुपरस्टर शाहरुख खान ने फिल्म इंडस्ट्री में खुद को आज इस तरह स्थापित कर लिया है कि लोग उनके नाम पर फिल्में देखने जाते हैं, एवं यह पहले ही अंदाजा लगा लिया जाता है कि शाहरुख खान की फिल्म है तो हिट तो होगी ही।

शाहरुख खान का मानना है कि नकारात्मक दिमाग कभी भी अच्छे परिणाम नहीं देता है एवं असफलता मिलने के बाद ही व्यक्ति विनम्र बनता है एवं सफलता के पथ पर आगे बढ़ता है। शाहरुख खान के यह अनमोल विचार वाकई में प्रेरणा देने वाले हैं।

Shahrukh Khan Quotes on Religion

“मैं अपने बच्चों को नहीं सिखाता की हिन्दू क्या है मुस्लिम क्या है।

“मैं जब भी एक पति या पिता के रूप में फेल होता हूँ। तब एक हीरा और कुछ खिलौने हमेशा काम कर जाते हैं।

shahrukh khan Vichar

“चाहे लोग इसे पसंद करें या नहीं, मेरी मार्केटिंग की सोच ये है कि अगर आप कोई चीज लम्बे समय तक लोगों के  सामने रखते हैं तो उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है।

“में अपना काम बहुत दिल और लगन से करता हु बाकि सब चीजे अपने आप होती है।

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भारतीय इतिहास के सबसे महान दार्शनिक एवं वेदों के प्रचंड विद्वान् आदि शंकराचार्य जी का जीवन परिचय

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Adi Shankaracharya

आदि शंकराचार्य जी आठवी शताब्दी के भारतीय हिन्दू दर्शनशास्त्री और थेअलोजियन एवं संस्कृत के प्रचंड विद्वान थे। उन्हें आदि शंकराचार्य और भगवतपद आचार्य (भगवान के चरणों के गुरु) के नाम से भी जाना जाता है। आदिशंकर विशेषतः हिन्दू साहित्यों की उल्लेखनीय पुनःव्याख्या और वैदिक कैनन (ब्रह्मा सूत्र, भगवद गीता और उपनिषद) पर टिपण्णी करने के लिए जाने जाते है।

उन्होंने न सिर्फ चार मठों की स्थापना में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया, बल्कि आधुनिक भारत के विचारो के विकास में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके विचारो का ज्यादातर प्रभाव हिंदुत्व के बहुत से संप्रदायों पर पड़ा है। तो आइए जानते हैं आदि शंकाराचार्य जी के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक बातें-

भारतीय इतिहास के सबसे महान दार्शनिक एवं वेदों के प्रचंड विद्वान् आदि शंकराचार्य जी का जीवन परिचय – Adi Shankaracharya History in Hindi

Adi Shankara

आदि शंकराचार्य जी के बारे में एक नजर में – Adi Shankaracharya Information

जन्म (Birthday) 788 ईसवी केरल के कलादी ग्राम में (जन्म की तारीख प्रमाणित नहीं)
पिता (Father Name)   शिवागुरु
माता (Mother Name) अर्याम्बा
गुरु (Guru)  गोविन्द योगी
मुख्य काम (Work) हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका, चार पीठों(मठों) की स्थापना
मुख्य रचनाएं (Books)  ब्रहा्सूत्र, उपनिषद एवं श्रीमदभगवतगीता  पर भाष्य लिखे।

आदिशंकराचार्य जी का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन – Adi Shankaracharya Biography

भगवान भोले शंकर के साक्षात अवतार आदिगुरु शंकराचार्य जी केरल राज्य के कलादि ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में अर्याम्बा और शिवागुरु के पुत्र के रुप में जन्में थे। उनके जन्म से जुड़ी एक प्रचलित कथा के मुताबिक उनके माता-पिता दोनो निसंतान थे, जिन्हें शादी के कई सालों बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी, जिसके बाद उनकी माता-पिता ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की।

इसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें पुत्रवर दिया, हालांकि इसके लिए उन्होंने शर्त रखी। शर्त के मुताबिक उन्होंने सपने में कहा कि ”तुम्हारे यहां जन्म लेने वाला दीर्घायु पुत्र सर्वज्ञ नहीं होगा और सर्वज्ञ पुत्र अल्पआयु होगा” जिसके बाद आदि शंकाराचार्य जी के माता-पिता ने सर्वज्ञानी पुत्र की मांग की।

इसके बाद भगवान शंकर ने उनके पुत्र के रुप में खुद अवतरित होने की बात रखी। जिसके कुछ समय बाद माता अर्याम्बा की कोख से महाज्ञानी पुत्र आदि शंकाराचार्य जी का जन्म हुआ। जिनका नाम शंकर रखा गया।

इसके बाद उनके महान और नेक कामों की वजह से उनके नाम के आगे आचार्य जुड़ गया और इस तरह वे आदि शंकाराचार्य कहलाए। शंकराचार्य जी जब बेहद छोटी उम्र के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया। वे बचपन से बेहद असाधारण प्रतिभा वाले अद्वितीय बालक थे।

उनके अंदर सीखने की अद्भुत शक्ति थी। पिता के मृत्यु की वजह से विद्यार्थी जीवन उनका प्रवेश देरी से हुआ। शंकर के साथियों ने उनका वर्णन करते हुए बताया है की अल्पायु से ही वे सन्यासी के जीवन से प्रभावित थे। लेकिन उनकी माता ने उन्हें इसकी इजाजत नही दी।

पौराणिक कथा के अनुसार आठ साल के उम्र में शंकर अपनी माता के साथ नहाने के लिए नदी पर जाते थे और वहां उन्हें मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। तभी शंकराचार्य ने अपनी माता से सन्यासी बनने की आज्ञा देने के लिए कहा, नही तो मगरमच्छ भी उन्हें मार देंगा।

उनकी माता भी इस बात पर राजी हो गयी और इसके बाद शंकर आज़ाद हो गये और शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर भी छोड़ दिया। भारत के उत्तर-मध्य राज्य की नदियों के साथ-साथ वे साईवती अभयारण्य जा पहुचे और गोविंद भागवतपद के नाम से शिक्षक के शिष्य बन गये।

शंकर और उनके गुरु की पहली मुलाकात को लेकर इतिहास में बहुत सी कहानियाँ मौजूद है। सूत्रों के अनुसार शंकर ने गोविंदपद के साथ स्कूल की शिक्षा प्राप्त की है और साथ ही काशी में गंगा नदी, ओमकारेश्वर की नर्मदा नदी और बद्री (हिमालय में बद्रीनाथ) में उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की है।

अपने गुरुओ से उन्होंने सभी वेदों और छः वेदांगो का ज्ञान हासिल किया और फिर व्यापक रूप से यात्रा कर देश में आध्यात्मिक ज्ञान फैलाया। उनके जीवन को लेकर इतिहास में अलग-अलग जानकारियाँ मौजूद है। बहुत से लोगो ने दावा किया है की शंकर ने वेद, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र का अभ्यास अपने शिक्षको से साथ किया है।

अपने शिक्षक गोविंदा के साथ ही शंकर ने गौड़ापड़िया कारिका का अभ्यास किया है, गोविंदा ने स्वयं उन्हें गौड़पद की शिक्षा दी थी। साथ ही बहुत ने यह भी दावा किया है की मीमंसा हिन्दू धार्मिक स्कूल के विद्वानों के साथ उन्होंने शिक्षा प्राप्त की।

शंकराचार्य के जीवन का वर्णन बहुत से लोगो ने अलग-अलग तरीके से किया है। उनके जीवन में उन्होंने बहुत सी यात्राए की है, जिनमे तीर्थयात्राए, सार्वजानिक भाषण और शिवलिंगों की यात्राए भी शामिल है। उन्होंने पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण भारत की यात्रा की है।

यही नहीं उन्होंने संस्कृत समेत कई भाषाओं में अलग-अलग ग्रंथ लिखकर अपने महान उपदेशों को लोगों तक पहुंचाया एवं लोगों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की सीख दी। साथ ही मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी बताया। इसके साथ ही लोगों को ईश्वरीय शक्ति एवं भक्ति समेत मनुष्य को खुद की आत्मा का महत्व बताया।

शंकाराचार्य जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जीवों पर दया करने के लिए प्रेरित किया एवं प्राकृतिक सुंदरता का भी वर्णन किया है।

चार मठों की स्थापना एवं हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार – Char Math

महापंडित एवं विद्धंत दार्शनिक आदिगुरु शंकराचार्य जी ने समस्त भारतवर्ष का भ्रमण कर पूरे देश में हिन्दू धर्म का जमकर प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने गोर्वधन मठ, वेदान्त मठ, ज्योतिमठ एवं शारदा मठ की स्थापना कर देश को हिन्दू धर्म, संस्कृति और दर्शन की झलक दिखाई एवं उन्होंने भारत देश में चारों तरफ हिन्दुओं का परचम लहराया।

आपको बता दें कि सबसे पहला मठ वेदांत मठ दक्षिण भारत रामेश्वरम में स्थापित किया। इसके बाद दूसरा मठ, गोवर्धन मठ जन्नाथपुरी में स्थापित किया। तीसरा मठ जो कि कलिका एवं शारदा मठ के नाम से भी मशहूर है, इसके पश्चिम भारत, द्धारकाधीश में स्थापित किया।

इसके बाद उन्होंने मठ ज्योतिपीठ मठ, उत्तर भारत में बद्रीनाथ में स्थापित किया। वहीं हिन्दू धर्म में इन चारों मठों का बेहद महत्व है, वहीं इन चारों मठों को चार धाम के रुप में भी जाना जाता है, जिसको लेकर ये मान्यता है कि जो भी अपने जीवन में इन चारों धामों और तीर्थस्थलों की यात्रा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस तरह आज का हिंदू धर्म का स्वरुप आदि गुरु शंकराचार्य जी की ही देन है।

शंकराचार्य की प्रमुख ग्रंथ एवं रचनाएं – Adi Shankaracharya Books

आदि गुरु शंकाराचार्य जी ने अपने अथाह ज्ञान से हिन्दी, संस्कृत समेत अन्य भाषाओं में अलग-अलग  उपनिषद, गीता पर संस्करण आदि लिखें। उन्होंने अद्धैत वेदांत नाम का प्रमुख उपन्यास लिखा एवं शताधिक ग्रंथों की रचना की।

इसके अलावा उन्होंने श्री मदभगवत गीता, ब्रह्मसूत्र एवं उपनिषदों पर कई दुर्लभ भाष्य लिखे। वे इतिहास के सबसे प्रकंड विद्धान एवं दार्शनिक थे जिनके सिद्धान्तों को अपनाने से कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बदल सकता है।

शंकराचार्य जी की मृत्यु – Adi Shankaracharya Death

भारतीय इतिहास के सबसे प्रकंड विद्धान एवं महान दार्शनिक आदि शंकराचार्य जी की 32 साल की अल्पआयु में उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड के केदारनाथ में मृत्यु हो गई।

हालांकि, उनके मृत्यु स्थल को लेकर लोगों के अलग-अलग मत है। कई इतिहासकारों के मुताबिक उन्होंने तमिलनाडु के कांचीपुरम में प्राण त्याग दिए थे। अपने छोटे से ही जीवनकाल में आदि शंकराचार्य जी ने अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा कर लिया था और संपूर्ण हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया।

उनके महान कामों की वजह से उन्हें चार मठों के प्रमुख गुरु एवं जगतगुरु के नाम से भी जाना जाता है।

शंकाराचार्य जी की जयंती – Shankaracharya Jayanti

भगवान शिव के साक्षात अवतार माने जाने वाले आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पंचमी की तिथि को मनाई जाती है। वहीं इस साल 2020 में उनकी जयंती 28 अप्रैल 2020, को मनाई जाएगी।

उनकी जयंती के दिन उनके महान उपदेशों और संदेशों को याद किया जाता है। साथ ही भारत में पीठों (मठों) की स्थापना करने के लिए आभार व्यक्त किया जाता है।

वे भारतीय संस्कृति के इतिहास के सबसे महान और प्रकंड विद्वान् एवं दार्शनिक थे, जिन्हें उनके महान कामों के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा।

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TOP 25+ स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

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Swami Vivekananda Quotes in Hindi

यह स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ सुविचार दिये है। जो प्राचीन काल से युवको को प्रेरित करते रहे है। जब कभी भी आप थके हुए हो तो रुकना नही चाहिये, जब तक की आप अपने उद्देश्य को हासिल नहीं कर लेते हो। तभी आपको अपने लक्ष्य को हासिल करने की ख़ुशी मिलेगी। इसीलिये जागो और आगे बढ़ो। आपका लक्ष्य आपके आने का इंतज़ार कर रहा है, जाओ और उसे हासिल करो। ~ Swami Vivekananda

तब तक मत रुको, जब तब लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये। ~ Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार – Swami Vivekananda Quotes in Hindi

Swami Vivekananda Quotes for students

“संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।

अगर धन दुसरो की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा ये सिर्फ बुरे का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।

Swami Vivekananda Quotes

Swami Vivekananda Quotes gif

“अपने लक्ष्य को अपनी कबीलियत के स्तर से निचा न रखे। बल्कि, अपने काबिलियत के स्तर को अपने लक्ष्य के जितना बड़ा बनाने की कोशिश करे।

“जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

सत्य को हजारो तरीको से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक तरीका सत्य ही होंगा।

“जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नही तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।

Swami Vivekananda Quotes in Hindi For Students

स्वामी विवेकानंद जी एक महान व्यक्तित्व वाले महापुरुष, समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्हें वेदों का पूर्ण ज्ञान था। उन्होंने अपने महान विचारों और दूरदर्शी सोच से न सिर्फ समाज में फैली तमाम बुराईयों को दूर किया बल्कि लोगों को जीवन जीने की कला भी सिखाई।

वे कर्म करने पर भरोसा रखने वाले महान व्यक्तित्व थे, जिन्हें अपने धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के बल पर समस्त मानव जीवन को अपनी रचनाओं और महान विचारों से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी हैं।

वे समस्त युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, उनका संपूर्ण जीवन और विचार प्रेरणा देने वाले हैं।

वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में स्वामी विवेकानंद जी के कुछ महान विचारों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दोस्तो, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ शेयर कर सकते हैं और उनके अंदर अपने जीवन के प्रति सकारात्मकता का भाव पैदा कर सकते हैं।

Swami Vivekananda motivational quotes

“किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।

Swami Vivekananda on relationship and love

“जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है लेकिन जो भी रिश्ते हैं, उनमें जीवन का होना जरूरी है|

Swami Vivekananda Quotes for youth

“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।

Swami Vivekananda Quotes

“बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु।

प्राचीन धर्मो ने कहा, “वह नास्तिक है, जो भगवान में विश्वास नहीं करता।” नया धर्म कहता है, “नास्तिक वह है जो खुद पर विश्वास नहीं करता।”

Suvichar Of Swami Vivekananda in Hindi

परोपकार, प्रेम, सदभाव, भाईचारा,की शिक्षा देने वाले स्वामी विवेकानंद 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता में नरेन्द्रनाथ के रुप में जन्में थे। वे रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मानते थे और उन्हें रामकृष्ण परमहंस जी से ही ”स्वामी विवेकानंद” नाम मिला था।

विवेकानंद जी महज 25 साल की उम्र में ही भारत भ्रमण पर निकल पड़े थे और इस दौरान उन्होंने जातिगत भेदभाव, बालविवाह, छुआछूत जैसी भारतीय समाज में फैली तमाम बुराईयों का जमकर विरोध किया था।

यही नहीं उन्होंने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में अपने प्रभावी भाषण के माध्यम से भारत की तरफ  से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया और कट्टरतावाद एवं सांप्रदायिकता पर जमकर प्रहार किया।

इसके  साथ वेदांत दर्शन का प्रसार पूरी दुनिया में करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने पूरे विश्व में भारत की एक अलग छवि बनाई। यही नहीं भारत के निर्माण एवं सामाजिक सेवा के लिए उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की। साथ ही उनके द्धारा कहे गए विचार वाकई प्रेरणा देने वाले हैं।

Swami Vivekananda on youth

“यह गरीबी जो मैं सहन कर रहा हूँ ये मेरे ही कामों का परिणाम है, और ऐसी कई चीज़ें है जो ये बताती है की मेरी इस परिस्थिति को मेरे सिवा और कोई नहीं बदल सकता।

Swami Vivekananda quotes for students

Swami Vivekananda quotes on education for students

“हम जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है।

swami vivekananda quotes in hindi for youth

“नास्तिक वह है, जो अपने आप में विश्‍वास नहीं करता।

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

Swami Vivekananda Quotes In Hindi

“सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़नी चाहिए।

हम जो बोते है वहो काटते है। हम हमारी किस्मत के खुद ही निर्माता है। हमारी परिस्थिती के लिए हम किसी को भी दोषी नहीं ठहरा सकते या किसी की भी स्तुति नहीं कर सकते।

Swami Vivekanand Ke Suvichar

बहुमुखी प्रतिभा वाले महान व्यक्तित्व स्वामी विवेकानंद जी युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके द्धारा कहे गए अनमोल विचारों का हर किसी पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि उनके विचारों में हमेशा से ही राष्ट्रीयता शामिल रही हैं, एवं उनके विचारों में  मानवता, उदारता, परोपकारता और सफलता का संदेश छिपा हुआ है।

देशवासियों के उत्थान और विकास के लिए काम करने वाले स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचारों का अनुसरण कर कोई भी मनुष्य अपना जीवन संवार सकता है।

उनके विचार न सिर्फ लोगों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन को प्रकाशमय करने एवं प्रेरणा देने वाले होते हैं।

swami vivekananda quotes in hindi for students

“लगातार अच्छे विचार करते रहे बुरे विचारों को मन से निकलने का यही एक उपाय हैं।

आस्था, हमदर्दी -जोशीली आस्था और जोशीली हमदर्दी! जीवन कुछ भी नहीं, मृत्यु कुछ भी नहीं, भूख कुछ भी नहीं, ठंडी कुछ भी नहीं। जब तक भगवान आपकी प्रशंसा न करे तब तक तेज़ी से आगे बढ़ते रहो, भगवान हम सामान्य लोगो का ही है। कौन असफल हुआ, कौन आगे बढ़ा, कौन निचे गिरा कभी भी जीवन में ये देखने के लिए आगे पीछे मत मुड़ो। जब तक हमारी सास चल रही है तब तक बिना रुको लक्ष्यप्राप्ति के लिए आगे बढ़ो। यदि कभी गिरते हो तो उठो और फिर से आगे बढ़ो।

Swami Vivekananda Quotes

“दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव में अपने आप के प्रति सच्चे रहना, अपने आप पर विश्वास रखो हमेशा।

मेरे बच्चो महसूस करना सीखो: गरीबो के लिए महसूस करो, अज्ञानीयो के लिए महसूस करो, दलितों के लिए महसूस करो। जब तक आपका दिल नहीं रुकता तब तक महसूस करते रहो और तब तक सोचते रहो जब तक लोग आपको पागल नहीं कहते। अपनी आत्मा का भगवान से संबंध बनाने की कोशिश करो। तभी आपके अंदर एक अपार शक्ति विकसित होगी जिससे आप जरुरतमंदो की सहायता कर सको।

swami vivekananda quotes on love

“अनुभवों से ही इंसान सब कुछ सीखता है। हम जीवन में हो रहे बहुत सी गतिविधियों के पीछे के कारण को जान सकते है लेकिन किसी शब्द के पीछे की सत्यता को अनुभवों से ही जाना जा सकता है।

swami vivekananda quotes on life

“ब्रह्माण्ड की सारी शक्तिया हमारे ही भीतर है। वो तो हम ही है जो उस शक्तियों को अँधेरा समझकर हात आखो पर रखकर रोने लगते है।

ये दुनिया सबसे बड़ी व्यायामशाला है जहा हम अपने आप को ताकतवर बनाने के लिए आते है।

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प्राचीन सिंधु घाटी का सबसे रहस्यमयी महानगर- मोहनजोदड़ो

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Mohenjo-daro in Hindi

मोहन जोदड़ो एक बहुत ही मशहूर जगह है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आती है। इस जगह पर सिंधु संस्कृति के कुछ अवशेष पाए गए है।

दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से मोहन जोदड़ो एक है। सिंधु संस्कृति के सबसे बड़े शहरों में मोहन जोदड़ो का नाम शामिल किया जाता है। जहां लोग आज से हजारों साल पहले एक स्वस्थ, सभ्य एवं बेहतर जिंदगी जी रहे थे।

मोहनजोदड़ो का मतलब ”मुर्दो का टीला” होता है, जो कि दक्षिण एशिया के सबसे पुराना शहर माना जाता है। योजनाबद्ध तरीके से बने इस शहर की खोज भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की गई थी। इसे ”हड़प्पा संस्कृति” भी कहा जाता है।

मोहनजोदड़ो विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। सिंधु संस्कृति के मुख्य शहरों में मोहन जोदड़ो, लोथल, कालीबंगन, धोलावीरा और राखिगढ़ी आते है। तो आइए जानते हैं सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों एवं इसके विनाश के कारणों के बारे में –

प्राचीन सिंधु घाटी का सबसे रहस्यमयी महानगर- मोहनजोदड़ो का इतिहास – Mohenjo Daro History in Hindi

Mohenjo-daro

विश्व की सबसे विकसित और प्राचीन सभ्यता मोहन जोदड़ो की प्रमुख विशेषताएं – Mohenjo Daro Specification

पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई से मिले कुछ अवशेषों के आधार पर मोहनजोदड़ो का सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे प्राचीनतम एवं विकसित नगर होने का पता चला था।

खोज के दौरान यह पता लगा कि कई हजार साल पहले बसा मोहनजोदड़ो योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया था, जहां लोग बेहद सभ्य, स्वस्थ एवं स्वस्थ तरीके से जीवन यापन करते थे।

”मोहनजोदड़ो”, सिंधु घाटी सभ्यता की एक यह भी एक अन्य विशेषता थी कि लोगों को गणित का ज्ञान भी था।

खुदाई से प्राप्त सभी एक सी साइज की ईंटों से यह पता लगाया था कि उस समय के लोगों को आज की तरह मापना, जोड़ना, घटाना, सब आता था एवं एक ही वजन और साइज की ईंटे थीं।

खुदाई के दौरान मिले सबूतों के आधार पर यह भी पता लगाया गया कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को खेती की भी अच्छी जानकारी थी।

वहीं उस समय गेंहूं और जौ दो प्रमुख फसलें थीं। आपको बता दें कि उस दौरान काले पड़ गए गेहूं को आज भी संभालकर रखा गया है।

पुरातत्विक विभाग के कुछ खोजकर्ताओं के मुताबिक उस दौरान के लोगों को आज की वस्त्र आदि पहनने का ज्ञान था।

खुदाई के दौरान कुछ गर्म और सूती कपड़े भी मिले थे। जिससे यह पता चलता है कि लोग मौसम के मुताबिक कपड़े आदि पहनते थे।

विश्व के सबसे प्राचीनतम एवं विकसित सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धातु एवं सोने-चांदी के गहने आदि भी पहनते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता, आज की तरह ही विकसित थी, उस दौरान लोग यात्रा के लिए यातायात साधन जैसे भैंसागाड़ी, बैलगाड़ी आदि का इस्तेमाल करते थे।

कुछ खोजकर्ताओं एवं पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक सिंधु घाटी सभ्यता के लोग आज की तरह डांसिग, म्यूजिक एवं स्पोर्ट्स आदि के भी शौकीन थे। खुदाई के दौरान कुछ म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट एवं खेल-खिलौनी भी प्राप्त हुए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को फैशन आदि करने का भी उचित ज्ञान था एवं उस दौरान चिकित्सक भी होते थे। दरअसल खुदाई के दौरान मिले कंघी, साबुन, क्रीम एवं दवाइयां भी प्राप्त हुईं थी।

सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान कई ऐसे स्थान और अवशेष मिले हैं, जिससे पता चलता है वहां लोग आपस में प्रेम, भाईचारे और मिलजुल रहते थे एवं युद्ध का कोई भी नामोनिशान नहीं था।

मोहनजोदड़ो के कई अवशेषों को आज भी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।

मूल्यवान कलाकृति – Mohenjo Daro Valuable artwork

इस शहर की खुदाई के दौरान कई सारी मुर्तिया मिली है जिसमे एक प्रसिद्ध नाचती हुई लड़की की कांस्य की मूर्ति पाई गयी और साथ में कुछ पुरुषो की भी मुर्तिया मिली। वो सभी पुरुषो की मुर्तिया पर नक्काशी का काम किया गया है वो सभी रंगीन है।

कुछ का मानना है की पुरुष की मूर्ति राजा की है तो दुसरो का मानना है वो मूर्तिकला और धातु विज्ञान की परिपक्वता है।

मोहनजोदड़ो से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण एवं रहस्यमयी तथ्य – Facts About Mohenjo Daro

  • आधुनिक पाकिस्तान में सिंधु नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित मोहनजोदड़ो का सिंधी भाषा में अर्थ- मृतकों का टीला होता है।
  • सबसे पहले मोहनजोदड़ो की खोज पुरातत्व विभाग के सदस्य एवं मशहूर इतिहास राखलदास बनर्जी द्वारा साल 1922 में की गई थी।
  • इसकी खोज और खुदाई के काम को काशानाथ नारायण ने आगे बढ़ाया। जिसके बाद खुदाई से प्राप्त अवशेषों के आधार पर इसकी खोज की गई।
  • सिंधु घाटी सभ्यता को इतिहासकारों द्वारा प्रागैतिहासिक काल में रखा गया है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता और मोहनजोदड़ो में घरों में पक्की-पक्की ईंटों से बने स्नानघर और शौचालय बने होते थे।
  • मोहनजोदड़ो सभ्यता में लोग धरती को अन्न, फल उपलब्ध करवाने वाली उर्वरता की देवी मानते थे और धरती की पूजा करते थे।
  • विश्व की सबसे प्राचीनतम और सभ्य सिंधु घाटी सभ्यता में लोग आज ही तरह ही प्रकृति प्रेमी हुआ करते थे एवं पेड़, नदियों एवं भगवान की पूजा करते थे। इसके कुछ प्रमाण खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं। शिव पूजा, सूर्य आराधना एवं स्वास्तिक चिंह के भी कई प्रमाण मिले हैं।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मछली पकड़ते थे, जंगली जानवरों का शिकार करते थे एवं व्यापार भी करते थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता अर्थात मोहनजोदड़ो नगर का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहां नारियों को मान-सम्मान दिया जाता था एवं नारी पूजा को भी बल दिया जाता था।
  • सिंधु सभ्यता में पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृत्ति होने के भी कुछ प्रमाण मिले हैं।
  • मोहनजोदड़ो का इतिहास काफी गर्वपूर्ण है, हालांकि कुछ रहस्य भी जुड़े हुए हैं। इससे जुड़ा एक रहस्य यह है कि मोहनजोदड़ो में पहली बार पहुंचने पर वैज्ञानिकों को कुछ मानव, जानवरों एवं पक्षियों के कंकाल मिले थे। जिसके बाद इस नगर को ”मौत का टीला” भी कहा गया।

मोहनजोदड़ो के विनाश के कारण – Mohenjo Daro Real Story

खोजकर्ताओं और वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके विनाश के कारण प्राकृतिक आपदा और जलवायु में बदलाव के कारण मानते हैं।

कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक सिंधु नदी में आई बाढ़ की वजह से यह तबाह हो गया तो कई लोग इसके विनाश का कारण भयंकर भूकंप बताते हैं।

इसके अलावा कुछ वैज्ञानिक खोज में मिले नरकंकालों के आधार पर इसके विनाश का कारण किसी बड़े विस्फोट को भी मानते हैं।

आपको बता दें कि मोहनजोदड़ो को कुछ खोजकर्ताओं के द्धारा महाभारत काल से भी जोड़ा गया है। और इस नगर की तबाही का कारण गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा द्धारा छोड़ा गया ब्रहास्त्र भी बताया गया है।

इसके अलावा यहां पर एक नहीं बल्कि दो ब्रहास्त्र छोड़ने की बात वैज्ञानिकों के व्दारा कही जाती है।

ऐसा कहा जाता है कि जब अश्वत्थामा ने पिता की मौत की खबर सुनकर गुस्से में पांडवों का विनाश करने के लिए ब्रहास्त्र छोड़ने की योजना बनाई तब अर्जुन ने उसका पीछा किया, जिनके भय से अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ही ब्रहास्त्र छोड़ दिया, जिसके बाद इस वार को रोकने के लिए अर्जुन ने भी ब्रहास्त्र छोड़ा।

जिसकी वजह से सिंधु घाटी सभ्यता एवं महा विकसित मोहनजोदड़ो नगर का विनाश हो गया।

दरअसल, इस ब्रहास्त्र को आधुनिक युग में बनाए गए न्यूक्लियर बम की तरह बताया जाता है। इसलिए इसको तबाही की मुख्य वजहों में से एक माना जाता है।

मोहनजोदड़ो पर बनी फिल्म – Mohenjo Daro Movie

मोहनजोदड़ो पर फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें बॉलीवुड के मशहूर एक्टर ऋतिक रोशन और पूजा हेगड़े ने लीड रोल निभाया है। इस फिल्म को आशुतोष गवारीकर के निर्देशन में बनाया गया है।

वहीं मोहनजोदड़ो के पुरात्तविक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में भी शामिल किया है।

वहीं खुदाई से मिले कुछ प्रमाण के आधार पर यह कहा जाता है कि मोहनजोदड़ो एक विकसित एवं सभ्य सभ्यता थी, जो कि इतिहास को गौरवपूर्ण बनाता है। वहीं हम सभी को इसके इतिहास से सीखने की जरूरत है।

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जानिए एक ऐसे युद्ध के बारेमें जिसके बाद सम्राट अशोक का हुआ था ह्रदय परिवर्तन

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Kalinga Ka Yudh

इतिहास की किताबों में आपने कई युद्धों के बारे में पड़ा होगा। जिनमें से ज्यादातर युद्धों में हमें केवल यही पढ़ने को मिलता है कि एक देश या एक राज्य ने दूसरे राज्य को हराया और उसे अपने आधीन कर लिया उसे अपने राज्य में शामिल कर लिया।

लेकिन क्या आप जानते है इतिहास का एक युद्ध ऐसा है जिसने न केवल एक राजा बल्कि हजारों लोगों की जिंदगी बदली दी। और लोगों को युद्ध से हटकर शांति के रास्ते पर चलने की एक नई सोच दी।

ये हम जानते है कि हर युद्ध में एक की हार होती है तो एक की जीत। लेकिन हार जीत के बीच दो प्रतिवंद्धियों के हजारों लोग मारे जाते है। कई लाख लोगों की जिंदगी बदल जाती है। लेकिन कलिंग का युद्ध इतिहास का एक ऐसा युद्ध माना जाता है जिसमें लाखों सैनिकों की जान गई।

इतिहास के सबसे महानतम और शक्तिशाली शासक सम्राट अशोक और राजा अनंत पद्नाभन के बीच 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया कलिंग युद्ध इतिहास का सबसे भयावह युद्ध था।

यह युद्ध अत्यंत विनाशकारी युद्ध था, जिसमें लाखों बेकसूर और मासूम लोग मौत के घाट उतर गए थे। हालांकि इस युद्ध के बाद ही सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन हुआ था और उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपना लिया था और वे बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे।

वहीं आज हम आपको इस आर्टिकल में इतिहास के इस सबसे विध्वंशकारी युद्ध के बारे में बता रहे हैं, हम आपको इस युद्ध के कारण, परिणाम और प्रभावों के बारे में बता रहे हैं-

कलिंग युद्ध जिसके बाद सम्राट अशोक का हुआ था ह्रदय परिवर्तन – Kalinga War

Kalinga War

कलिंग युद्ध का इतिहास और जानकारी – Kalinga Yudh History in Hindi

चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के राजा थे अशोक राजा बिंदुसार के दूसरे पुत्र और चंद्रगुप्त मौर्य के पोते थे। और अपने पिता और दादा की ही तरह सम्राट अशोक में वीरता के गुण कूट कूट कर भरी थी।

लेकिन राजा बिंदुसार के कई पुत्र थे और अशोक से बड़ा पुत्र था सुषम। जिस वजह से राजगद्दी के लिए अशोक को अपने ही भाइयों के साथ गृहयुद्ध करना पड़ा था।

जिसके बाद अशोक को सत्ता मिली थी। अशोक इतने शुरवीर योद्ध और राजा थे कि उस समय उनका साम्राज्य ईरान और बर्मा तक फैला था। जहां – जहां तक अशोक ने अपने राज्य का विस्तार किया वहां पर अशोक स्तंभों की स्थापना की।

जिनमें से बहुत से स्तंभ मुगल काल के आक्रमण के दौरान तोड़ दिए गए। लेकिन कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक की सोच में परिवर्तन आया।

दरअसल कलिंग युद्ध अशोक के राज्याभिषेक के बाद 8वें साल में लड़ा गया था। यानी की आज से 261 ई.पू कलिंग का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में दोनों ही राज्यों ने अपनी पूरी ताकत डाल दी थी।

माना जाता है कि कलिंग युद्ध में कलिंग की तरफ से डेढ़ लाख यौद्धाओं ने युद्ध में भाग लिया था वहीं मौर्य समाज ने अपने एक लाख यौद्धा युद्ध में उतारे थे।

हालांकि अंत में विजय चक्रवर्ती सम्राट अशोक की हुई। लेकिन अशोक जब राजा पद्मनाभन को हराने के बाद जब कलिंग के किले की ओर आगे बढ़े तो कलिंग की राजकुमारी और सभी महिलाएं तलवार लेकर खड़ी हो गई। महिलाओं को देख अशोक ने उनसे हटने का आग्रह किया।

लेकिन कलिंग की महिलाएं अशोक से युद्ध करना चाहती थी। लेकिन सम्राट अशोक कभी भी महिलाओं से युद्ध नहीं करते थे। पर उन महिलाओं का कहना था कि मौर्यों से युद्ध में उनके पति, भाई, बेटे सभी शहीद हो गए इसलिए वो भी युद्ध करना चाहती है जिस वजह से उन्होनें अपनी तलवार फेंक दी।

अशोक को उस पल एहससा हुआ कि उनके इस युद्ध के कारण कितने परिवार उजड़ गए कितने बच्चे अनाथ हो गए।

कलिंग युद्ध अशोक सम्राट के जीवन का आखिरी युद्ध था इसके बाद अशोक ने अहिंसा का मार्ग अपनाया और बौद्ध धर्म अपना लिया।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार बर्मा, श्रीलंकाअफगानिस्तान, ईरान तक किया। इसके अलावा लोगों की भलाई के लिए जगह – जगह सड़कों का निर्माण करवाया, पीने के पानी के लिए तालाब की व्यवस्था की।

कलिंग का युद्ध कब और किस-किसके बीच लड़ा गया? – Kalinga War Between Which Kings

कलिंग का विध्वंसकारी युद्ध इतिहास के सबसे महान और कुशल शासक सम्राट अशोक और कलिंग के शासक राजा अनंत पद्धानाभन के बीच 261-262 ईसा पूर्व मे दया नदी के किनारे लड़ा गया था। आपको बता दें कलिंग राज्य उस समय छत्तीसगढ़, बंगाल, झारखंड, और ओडिशा एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में स्थित था।

कलिंग युद्द के प्रमुख कारण – Causes Of Kalinga War

इतिहास के इस सबसे विध्वंशकारी और खूनी युद्ध होने के प्रमुख कारण इस प्रकार है

ऐसा माना जाता है कि कलिंग जो कि वर्तमान ओडिशा राज्य में स्थित है। उस समय यह एक बेहद शक्तिशाली और समृद्ध क्षेत्र था, जहां पर लोगों के बीच आपसी प्रेम, भाईचारा था एवं कलात्मक कुशलता कूट-कूट कर भरी हुई थी, इस पर विजय प्राप्त कर सम्राट अशोक अपने सम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।

सम्राट अशोक के दादा, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु आचार्य चाणक्य के ”अखंड भारत” के सपने को पूरा करने के लिए कलिंग को जीतने की कोशिश की थी, लेकिन वह कलिंग को जीतने में नाकामयाब हुए थे, इसलिए कलिंग को जीतना सम्राट अशोक के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

कलिंग व्यापार एवं अन्य उद्धेश्यों को पूरा करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण स्थल था। इसकी प्रमुख विशेषता यह थी कि समुद्र और सड़क दोनों मार्गों से दक्षिण भारत को जाने वाले मार्गों पर कलिंग का नियंत्रण था। इसलिए भी सम्राट अशोक कलिंग पर विजय प्राप्त करना चाहते थे।

कलिंग पर विजय प्राप्त करना सम्राट अशोक के लिए इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि यहां से दक्षिण-पूर्वी देशों से आसानी से संबंध स्थापित किए जा सकते थे।

कलिंग के युद्ध होने का यह भी कारण बताया जाता है कि, सम्राट अशोक ने कलिंग के शासक राजा अनंत पदानाभन को एक पत्र भेजा था, जिसमें सम्राट अशोक ने कलिंग राज्य को मौर्य सम्राज्य में मिलाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इस प्रस्ताव को कलिंग के राजा अनंत पद्धानाभन द्वारा मानने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद सम्राट अशोक ने राजा अनंत पदनाभन के खिलाफ अपनी विशाल सेना के साथ युद्ध कर करने का फैसला लिया था।

इस तरह सम्राट अशोक और कलिंग के राजा अनंत के बीच यह महायुद्ध छिड़ गया था।

कलिंग युद्ध के भयावह परिणाम – Impact Of Kalinga War

इस युद्ध के अत्यंत विनाशकारी परिणाम रहे। इस युद्ध में लाखों बेकसूरों को मरते देख सम्राट अशोक ने शांति और अहिंसा का मार्ग अपना लिया था इस युद्ध के परिणाम इस प्रकार है-

  • सम्राट अशोक और राजा अनंत के बीच हुए इस भीषण युद्ध में करीब 1 लाख बेकसूर और मासूम लोगों की जान चली गई एवं कई लाख लोग बुरी तरह घायल हो गए। यही नहीं कलिंग युद्ध में करीब डेढ़ लाख लोग बंदी बनाकर निर्वासित कर दिए गए।
  • इस युद्ध के बाद कलिंग को मगध सम्राज्य में शामिल कर लिया गया। एवं मौर्य सम्राज्य का काफी विस्तार हुआ एवं मगध सम्राज्य की राजधानी तोशाली बनाई गई।
  • इस युद्ध में सम्राट अशोक ने कलिंग जैसे समृद्ध राज्य पर अपना अधिकार जमा लिया और अखंड भारत का सपना तो पूर्ण कर लिया, लेकिन इस युद्ध में हुए भयंकर नरसंहार और रक्तपात ने सम्राट अशोक को हिलाकर रख दिया था। इस युद्ध में लाखों लोगों को मरते देख सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन हो गया एवं उनका पूरा का पूरा जीवन ही बदल गया।

कलिंग युद् के बाद सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन एवं मौर्य सम्राज्य का अंत – Impact Of Kalinga War oN Ashoka

  • कलिंग जैसे महान विनाशकारी और विध्वंशकारी युद्ध में लाखों बेकसूर महिलाएं, मासूम बच्चे एवं सैनिकों की मौत का मंजर देख सम्राट अशोक का ह्रदय विलसता और दया से भर गया।
  • एवं इस युद्ध के बाद उनका ह्रदय परिवर्तन हो गया। इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन में कभी युद्ध नहीं करने का फैसला लिया।
  • सम्राट अशोक ने इस युद्ध के बाद अहिंसा, प्रेम, परोपकार, दया, दान, सत्य का रास्ता अपना लिया।
  • इस युद्ध के बाद ही सम्राट अशोक ने धर्म परिवर्तन का मन बना लिया और बौद्ध धर्म अपना लिया। कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा के पुजारी बनने के साथ ही वे बौद्ध धर्म के कट्टर अनुयायी एवं प्रचारक भी बन गए, जिन्होंने बौद्ध धर्म का देश-विदेशों में भी प्रचार-प्रसार किया।
  • कलिंग युद्ध के बाद महान सम्राट अशोक की साम्राज्य विस्तार की नीति खत्म हो गई।
  • कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने अपने समस्त संसाधन प्रजा के हित में लगा दिए एवं ‘धम्म’ की स्थापना की।
  • कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए एवं अहिंसा के मार्ग पर चलने लगा।
  • कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन और अहिंसा की नीति अपनाना मौर्य सम्राज्य के पतन का कारण बना। दरअसल अहिंसा के कारण मौर्य सैनिक युद्ध कला में पिछड़ने लगे, जिससे चलते मौर्य सम्राज्य का अंत हो गया।

कलिंग युद्ध का इतिहास में महत्व – Significance Of Kalinga War

इतिहास में कलिंग युद्ध का अपना अलग महत्व है, इस विध्वंसकारी युद्ध में इतिहास के पूरे कालखंड को ही परिवर्तित कर रख दिया था।

यह भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके दूरगामी परिणाम और प्रभाव देखने को मिले। यह युद्ध के सम्राट अशोक के जीवन का आखिरी युद्ध साबित हुआ और कलिंग पर जीत उनकी अंतिम जीत साबित हुई।

कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक का ह्रदय दया, परोपकार एवं करुणा से भर उठा। इसके बाद शांति, सामाजिक प्रगति एवं धार्मिक प्रचार के एक नए युग की शुरुआत हुई।

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सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला जयपुर के जंतर-मंतर का इतिहास

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Jantar Mantar Jaipur History in Hindi

जयपुर में स्थित जंतर मंतर भारत के सबसे  प्रमुख एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है, जिसका निर्माण 18वीं सदी में महाराजा सवाई जय सिंह द्धारा करवाया गया है। जयपुर का जंतर मंतर देश के पांच खगोलीय वेधशालाओं में सबसे विशाल है।

यह भारत के मुख्य पर्यटकों एवं आर्कषण स्थलों में से भी एक हैं, जिसे अपने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व की वजह से यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है।

जयपुर के जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर से बनी सूर्यघड़ी भी रखी गई है। यह ऐतिहासिक स्मारक भारत के खगोलीय एवं गणितीय कौशल का प्रतीक माना जाता है, आइए जानते हैं, जयपुर के जंतर – मंतर का इतिहास और इससे जुड़ी खास बातों के बारे में-

सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला जयपुर के जंतर-मंतर का इतिहास – Jantar Mantar Jaipur History in Hindi

Jantar Mantar Jaipur

जयपुर का जंतर मंतर कब और किसने बनवाया था एवं इसका इतिहास – Jantar Mantar Information

जयपुर के सिटी पैलेस के पास स्थित जंतर-मंतर का निर्माण जयपुर के संस्थापक एवं विद्धंत खगोलशास्त्री महाराजा सवाई जय सिंह द्धारा 1724 से 1734 ईसवी के बीच में करवाया गया था।

अंतरिक्ष और समय की सही जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से राजा सवाई जय सिंह ने देश सबसे विशाल एवं अप्रितम वेधशाला का निर्माण करवाया था।

उन्होंने इस विशाल वेधशाला के निर्माण से पहले विश्व के अलग-अलग देशों में अपने खगोलशास्त्र की जानकारी रखने वाले दूतों को भेजकर वहां से खगोल विज्ञान के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियां एकत्र की थी और अध्ययन के लिए सभी को अपने संग्रहालय में संरक्षित किया गया था।

उस दौरान के प्रसिद्ध एवं प्रख्यात खगोल शास्त्रीयों की मद्द से महाराजा सवाई जय सिंह ने भारत के जयपुर, दिल्ली, बनारस, उज्जैन और मथुरा में बनी प्रमुख 5 वेधशालाओं का निर्माण हिन्दू खगोलशास्त्र के आधार पर करवाया था।

सर्वप्रथम जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने उज्जैन की वेधशाला में सम्राट यंत्र का निर्माण करवाया था, उसके बाद उन्होंने भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित जंतर मंतर वेधशाला और फिर उसके बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी पिंकसिटी जयपुर की वेधशाला का निर्माण करवाया था।

इस विशाल एवं विख्यात वेधशाला का निर्माण कार्य 1724 ईसवी में शुरु किया गया था, जो कि 10 साल बाद साल 1734 में बनकर तैयार हुआ था। इस वेधशाला का समय-समय पर पुर्ननिर्माण भी किया जा चुका है। इस विशाल वेधशाला में कई महत्वपूर्ण खगोल यंत्र भी शामिल किए गए हैं।

आपको बता दें कि सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में मशहूर जयपुर की यह विशाल वेधशाला मुगल काल के खगोलीय कौशल और ब्रह्माण्‍ड संबंधी अवधारणाओं की अभिव्‍यक्ति का उत्कृष्ट नमूना है।

महाराजा सवाई जयसिंह द्धारा निर्मित पांच वेधशालाओं में आज केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही शेष बचे हैं, बाकी पुराने खंडर में तब्दील हो चुके हैं।

जंतर मंतर के निर्माण का मुख्य उद्देश्य – Purpose Of Building Jantar Mantar Observatory

मध्यकाल में बनी इस आश्चर्यजनक खगोलीय वेधशाला का निर्माण मुख्य  रुप से समय मापने, एवं ग्रहों, तारों आदि की स्थिति जानने और अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए किया गया था।

देश की पांच सबसे बड़ी वेधशालाओं में से एक जयपुर की यह उत्कृष्ट वेधशाला वास्तु खगोलीय उपकरणों का अद्भुत संग्रह है जिसका इस्तेमाल वर्तमान में भी गणना और शिक्षण के लिए किया जाता है।

इसके अलावा इस खगोलीय वेधशाला का इस्तेमाल निरीक्षण करने समेत सूर्य के चारों ओर कक्षाओं का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है। आपको बता दें कि इस खगोलीय वेधशाला की कुछ  रचनाएं पत्थर, संगमरमर और तांबे से भी बनाई गई हैं।

जंतर मंतर की अद्भुत सरंचना – Jantar Mantar Architecture

जयपुर में स्थित देश की विशाल वेधशाला करीब 18 हजार, 700 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। यहां पर रखे कई खगोलीय उपकरण भारत के खगोलीय ज्ञान और समृद्धता को दर्शाते हैं।

इस भव्य खगोलीय वैधशाला का निर्माण में बेहद अच्छी गुणवत्ता वाले संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था, क्योंकि यह पत्थर धातु की तुलना में बेहतर तरीके से मौसम की स्थिति का पता लगाने में सक्षम होते हैं।

देश के पांच प्रमुख वेधशालाओं में से एक जयपुर की जंतर – मंतर वैधशाला अपनी अद्भुत संरचना और ऐतिहासिक खगोलीय महत्व की वजह से वैश्विक धरोहरों की सूची में शामिल की गई हैं। जो कि अपने आप में अद्धितीय है।

जंतर मंतर में खगोलीय उपकरण – Jantar Mantar Instruments

समय, मौसम एवं अंतरिक्ष संबंधी सही भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में मशहूर जयपुर की यह विशाल वेधशाला जंतर मंतर कई अलग-अलग खगोलीय उपकरणों का एक उत्तम संग्रह है।

यहां 14 विशेष खगोलीय यंत्र रखे गए हैं, जो कि तारे एवं गति की स्थिति जानने, समय मापने, मौसम की स्थिति जानने, आकाशीय ऊंचाई का पता लगाने एवं ग्रहण की भविष्यवाणी करने समेत सौरमंडल की तमाम गतिविधियों की जानकारी हासिल करने में मद्द करते हैं।

यहां पर रखा राम यंत्र उस समय आकाशीय ऊंचाई मापने का प्रमुख यंत्र हुआ करता था। इसके अलावा इस वेधशाला में रखे स्थानीय पत्थर और संगमरमर से निर्मित सम्राट यंत्र स्थानीय समय को 2 सेकेंड की सटीकता तक माप सकता है।

यहां रखे गए खगोलीय उपकरणों में जय प्रकाश यंत्र भी शामिल हैं, जिसका इस्तेमाल स्वर्गीय स्मारकों की स्थिति को खोजने के लिए भी किया जाता है।

जंतर मंतर में कुल 14 यन्त्रों के नाम इस प्रकार है – Jantar Mantar Instruments Name

  • राम यन्त्र
  • उन्नातांश यंत्र
  • दिशा यन्त्र
  • नाड़ीविलय यंत्र
  • सम्राट यन्त्र
  • जय प्रकाश यन्त्र (क)
  • लघुसम्राट यंत्र
  • पाषांश यंत्र
  • शशि वलय यंत्र
  • चक्र यंत्र
  • दिगंश यंत्र
  • ध्रुवदर्शक पट्टिका
  • दळिणोदक यंत्र
  • जयप्रकाश यंत्र

देश की सबसे बड़ी वेधशालाओं में से एक जयुपर की वेधशाला में रखे ये खगोलीय उपकरण प्राचीन भारत के अद्धितीय खगोलीय कौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं।

वहीं इन उपकरणों की सबसे खास बात यह है कि हजारों साल बाद आज भी यह उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं, पर्यवेक्षक आज भी गणना के लिए इस यंत्र का इस्तेमाल बारिश का पूर्वानुमान लगाने समेत मौसम सबंधी जानकारियां हासिल करने के लिए करते हैं।

वहीं इन खगोलीय उपकरणों के सही तरीके से काम करने एवं ऐतिहासिक महत्वता की वजह से इन्हें यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल किया है।

जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी – Jantar Mantar Sun Watch

महाराजा सवाई जयसिंह द्धारा निर्मित भारत की पांच सबसे विशाल वेधशालाओं में से एक जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला में विश्व में सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी रखी गई है, जो कि बृहत सम्राट यंत्र के नाम से भी जानी जाती है।

इस उपकरण की सबसे खास बात यह है कि यह ऐतिहासिक खगोलीय उपकरण समय की सटीकता को दर्शाता है, यह उपकरण 2 सेकेंड की सटीकता पर स्थानीय समय को प्रदर्शित करता है। इस खगोलीय उपकरण को इस तरह बनाया गया है कि इसकी रचना करीब 27 मीटर ऊंची है।

ऐसे पहुंचे जंतर मंतर – How To Reach Jantar Mantar

भारत की सबसे बड़ी इस खगोलीय वेधशाला की जयपुर से दूरी करीब 5 किलोमीटर है। यहां सड़क, वायु और रेल तीनों परविहन के माध्यमों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग से यात्रा कर आने वाले यात्री जयुपर के सांगानेर हवाई अड्डे पर उतरकर टैक्सी या फिर कैब की मद्द से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि एयरपोर्ट से यह महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जबकि ट्रेन से सफर करने वाले यात्री जयपुर रेलवे स्टेशन पर उतरकर यहां कैब या टैक्सी की मद्द से आसानी से पहुंच सकते हैं। देश के सभी प्रमुख शहरों के रेलवे मार्गों से जयपुर अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

इसके साथ ही जयपुर और राष्ट्र के प्रमुख शहरों के बीच कई लक्जरी और डीलक्स बसें भी चलती हैं।

जंतर मंतर से जुड़े रोचक तथ्य – Facts About Jantar Mantar

  • जयपुर का जंतर-मंतर भारत की सबसे विशाल खगोलीय वेधशाला है, जिसके लिए एक सामूहिक टिकट है, जिसे लेकर पर्यटक नाहरगढ़ किला, अम्बेर किला, हवा महल और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम भी घूम सकते हैं।
  • जंतर-मंतर का अर्थ गणना करने वाले उपकरण से लिया गया है।
  • वैश्विक धरोहरों की सूचि में शामिल जयपुर का जंतर-मंतर, महाराजा सवाई जय सिंह द्धारा बनवाएं गए पांच प्रमुख खगोलीय वेधशालाओं में से एक है। उन्होंने दिल्ली, मथुरा, जयपुर, उज्जैन और वाराणसी में वेधशालाओं का निर्माण करवाया था। जिनमें से अब जयपुर और दिल्ली के जंतर-मंतर ही बचे हैं, बाकी समय के साथ विलुप्त हो गए हैं।

जयपुर के सिटी पैलेस और हवा महल के बीच बनी यह ऐतिहासिक खगोलीय संरचना की खास बात यह है कि यहां ज्यादा फीस देकर पर्यटक अन्य कई भाषाओं में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

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जैक वेल्च के प्रेरक विचार | Jack Welch quotes in Hindi

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Jack Welch quotes

General Electric (GE) जैसी नामांकित Company के CEO रह चुके जैक वेल्च पूरी दुनियामे बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते है। 2 दशकों से ज्यादा काल में सिर्फ GE ही नहीं बल्कि पूरी Business दुनिया को अपने बुद्धि से प्रभावित करने वाले जैक वेल्च के कई Quotes आज भी Business जगत के साथ Personal Level पर भी लाखो लोगो को प्रेरित करते है।

तो चलिए देखते है जैक वेल्च के कुछ अनमोल प्रेरक सुविचार

जैक वेल्च के प्रेरक विचार | Jack Welch Quotes in Hindi

motivational quotes in hindi
Control your own destiny or someone else will.

“अपना भाग्य स्वयम नियंत्रित करिए नहीं तो कोई और करने लगेगा।

आपको बदलना पड़े इसके पहले बदल जाइये।

“जब आप अपनी choices (चुनाव / विकल्प) का स्वीकार करते हो तब आप उनके परिणामो को भी अपनाते हो।

Jack Welch Thoughts

बिजनेस की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके जैक वेल्च जनरल इलैक्ट्रिक (GE) कंपनी के सीईओ और अध्यक्ष रह चुके हैं उनके कार्यकाल में जीई कंपनी के शेयर में करीब 40 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी।

बिजनेस के क्षेत्र में अपनी विवेकशीलता और बुद्धिमत्ता से उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे एक सफल बिजनेसमैन होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी हैं।

उन्होंने अपने महान विचारों के बल पर अपने जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है। उनके कहना है कि व्यक्ति को अपना भाग्य खुद कंट्रोल करना चाहिए नहीं तो कोई दूसरा आपका भाग्य नियंत्रित करने लगेगा।

वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जैक वैल्च के कुछ सर्वश्रेष्ठ एवं अनमोल विचारों को बता रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपके अंदर आगे बढ़ने का हौसला बढ़ेगा।

Jack Welch Quotes
Be candid with everyone.

“सभी के साथ स्पष्ट रहिये।

जब आप नेता (Leader) बनते है तो दुसरो को बढ़ाना (दूसरोकि प्रगति करवाना ही) सफलता (Success) है।

“बहुत ज्यादा देर इंतजार करने से तेजी से कार्य (काम) करना बेहतर है।

Jack Welch Quotes on Leadership

दुनिया के सबसे अधिक प्रभावशाली एवं महान बिजनेसमैन जैक वेल्च 19 नवंबर, 1935 को अमेरिका के मैसाचुसेएट् के पीबॉडी में जन्मे हैं। उन्हें औद्यिगिक क्षेत्र में आधुनिक लीडर के तौर पर जाना जाता है।

वे अपनी गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ते आए हैं साथ ही उन्होंने अपने ऐसे ही विचारों से दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। उनके महान विचारों से हम सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

Hindi Quotes
Good business leaders create a vision, articulate the vision, passionately own the vision, and relentlessly drive it to completion.

“अच्छे बिजनेस लीडर विज़न बनाते हैं,विज़न बताते हैं,विज़न को उत्साह के साथ अपनाते हैं,और सतत उसे पूर्ण करते हैं।

अगर बाहर हो रहे बदलाव की गति आपके भीतर हो रहे बदलाव के गति से ज्यादा है तो अंत नजदीक है।

“अगर आप परेशान नहीं है तो आपको पता नहीं है की क्या चल रहा है।

jack welch leadership
I’ve learned that mistakes can often be as good a teacher as success.

“मैंने सीखा है कि गलतियाँ अक्सर उतनी ही अच्छी शिक्षक हो सकती हैं जितनी की सफलता.

जब आपको नेता (Leader) बनाया गया था तब आपको मुकुट नहीं दिया गया, आपको दुसरो में से बेहतर (Best) (Result /Performance) निकालने की जिम्मेदारी दी गयी।

Jack Welch Quotes on Employee Engagement

GE कंपनी को सफलता की एक नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले अब तक के सबसे सफल और महान सीईओ में से एक जैक वेल्च का मानना है कि सभी के साथ स्प्ष्ट और साफ रहना चाहिए और इससे पहले की आपमें कोई दूसरा बदलाव लाने की कोशिश करे, आप खुद ही बदल जाइए।

उनके महान और प्रेरणात्मक विचार एक सफल और श्रेष्ठ व्यक्ति बनाने में मद्दगार साबित हो सकते हैं।

jack welch images
The team with the best players wins.

“सबसे अच्छे खिलाड़ियों वाली टीम जीतती है।

जैसे भी हो सच्चाई का सामना करे, वह कैसे थी या कैसे होनी चाहिए थी वैसे नहीं।

जैक वेल्च को नए ज़माने के सबसे सफल Industrialist नेता माना जाता है। उन्होंने न ही सिर्फ GE Company का फायदा करवाया बल्कि GE company को Top Position में लाया। जैक वेल्च के यह प्रेरक विचार आपको जीवन में बहुत फायदेमंद साबित होंगे।

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टाइटैनिक जहाज का इतिहास…टाइटैनिक जहाज कैसे डूबा? पूरी कहानी | Titanic Ship History

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Titanic Ship

टाइटैनिक का नाम सुनते ही सबको टाइटैनिक फ़िल्म की याद आ जाती है। दुनिया के किसी भी इन्सान को टाइटैनिक के बारे जरुर जानकारी होगी। टाइटैनिक अपने ज़माने की बहुत बड़ी जहाज हुआ करती थी।

जब इस शानदार जहाज को बनाया जा रहा था तो उसके साथ में अन्य दो जहाजो को भी बनाया गया। मगर इस टाइटैनिक जहाज की बात ही कुछ और थी। यह जहाज सब जहाजो में बहुत बड़ी जहाज थी। टाइटैनिक जहाज की एक और खास बात थी की वो सबसे तेज चलने वाली जहाज थी।

लेकिन यह जहाज इतनी प्रसिद्ध क्यों हुई इसके पीछे भी इतिहास है। इस जहाज की कुछ जानकारी निचे दी गयी है। तो चलिए जानते है टाइटैनिक जहाज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

अगर कुछ सेकेंड पहले पता यह बात तो शायद टाइटैनिक जहाज में डूबने से बच जाती –  Titanic History in Hindi
Titanic Ship

टाइटैनिक जहाज का इतिहास – Titanic Ship History in Hindi

टाइटैनिक जहाज की पहली यात्रा एवं यह कब एवं कैसे डूबा – Why did the Titanic Sink

टाइटैनिक जहाज की डूबने की भयावह घटना को 100 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन यह आज भी लोगों के दिमाग में तरोताजा है, जब भी किसी जहाज का जिक्र होता है तो टाइटैनिक का नाम जरूर लिया जाता है।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार ब्रिटेन में बना यह टाइटैनिक शिप उस दौर का सबसे आलीशान एवं बड़ा जहाज था।

टाइटैनिक ने 10 अप्रैल 1912 में अपनी पहली यात्रा के लिए रवाना हुआ एवं यही उसकी आखिरी यात्रा भी साबित हुई।

आपको बता दें कि टाइटैनिक को अपनी पहली यात्रा में ब्रिटेन से न्यूयॉर्क (अमेरिका) तक का सफ़र तय करना था। टाइटैनिक शिप का रुट तय था। इसी कड़ी में टाइटैनिक साल 1912 में 10 अप्रैल के दिन इंग्लैंड के साउथ हैम्पटन से न्यूयॉर्क की तरफ रवाना हुआ। इस यात्रा के दौरान टाइटैनिक जहाज को फ्रांस के चेरबर्ग और आयरलैंड के क्वीन्सडाउन में रुकना था।

लेकिन अपने सफर के चौथे दिन जब टाइटैनिक जहाज 600 किलोमीटर की यात्रा तय कर न्यूफाउंडलैंड पहुंचा था, इसी दिन रात को 11 बजकर 40 मिनट पर यह जहाज एक बड़े से आइसबर्ग (हिम खंड) से टकरा गया। यह टक्कर इतनी जोरदार थी कि जहाज के पतवार की पत्तियां अंदर, स्टारबोर्ड की तरफ आ गईं।

एवं इस भयानक हादसे में जहाज के 16 जलरोधी दरवाजों में से 5 दरवाजे समुद्र की तरफ खुल गए। पानी तेजी से जहाज के अंदर आने लगा और करीब 2 घंटे 40 मिनट में यह जहाज पूरी तरह डूब गया।

टाइटैनिक जहाज डूबने से 1500 से भी ज्यादा लोगों की चली गई थी जान – How many People Died on the Titanic

टाइटैनिक जहाज के डूबने से करीब 1500 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। आपको बता दें कि टाइटैनिक जहाज में कुल 2 हजार 222 लोग सवार थे, जिनमें 1314 यात्री एवं 908 क्रू मेंबर थे।

जिसमें से सिर्फ 706 लोगों की ही जान बचाई जा सकी थी, तो वहीं मरने वालों में सिर्फ 337 लोगों के ही शव मिल सके थे। इस जहाज में डूबने वालों में सबसे अधिक संख्या पुरुषों की थी।

दरअसल, जब लाइफबोट में लोगों की जान बचाने के लिए बिठाया जा रहा था, तब प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए महिलाओं और बच्चों को बिठाने के लिए पहली प्राथमिकता दी गई।

लाइफबोट, 1st क्लास के टिकट लेने वालों के सबसे पास थी, इसलिए 1st क्लास के करीब 60 फीसदी लोग, 2nd क्लास के 42 फीसदी लोग और 3rd क्लास के सिर्फ 25 फीसदी लोग ही जिंदा बचाए जा सके। हालांकि, कुछ मिथक एवं अफवाहों के मुताबिक ऐसा भी कहा जाता है कि टाइटैनिक जहाज के 3rd श्रेणी के यात्रियों को लाइफबोट तक पहुंचने के लिए रोका भी गया था। इसके अलावा जहाज पर मौजूद 9 कुत्तों में से 2 कुत्तों की भी जान बचा ली गई थी।

तो क्या टाइटैनिक हादसे में 1178 लोगों की बच सकती थी जान – How many Lifeboats were on the Titanic

टाइटैनिक जहाज में डूबने से डेढ़ हजार से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। लेकिन अगर ध्यान दिया जाता है, तो 706 की जगह 1178 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

आपको बता दें कि टाइटैनिक जहाज इस तरह से डिजाइन किया गया था कि 64 लाइफबोट ले जाए जा सकें, लेकिन सिर्फ 20 लाइफबोट ही ले जाईं गईं थीं, जो कि जहाज में मौजूद करीब 2 हजार, 222 लोग लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं थीं।

वहीं एक अनुमान के मुताबिक अगर लाइफबोट को पूरी तरह से भरा जाता तो करीब 1178 लोगों को डूबने से बचाया जा सकता था। वहीं इसका एक अन्य कारण यह भी रहा था कि, कुछ लाइफबोट में पूरी तरफ नहीं भरकर महज कुछ लोगों को ही डालकर खाली लेकर चले गए थे।जिसकी वजह से कम लोगों को ही बचाया जा सका।

टाइटैनिक जहाज पर बनी फिल्म – Titanic Movie

विश्व के इस सबसे बड़े जहाज के डूबने पर फिल्म ”टाइटैनिक” साल 1997 में बनाई गई थी। और जहाज डूबने के करीब 100 साल बाद 2012 में फिर से टाइटैनिक जहाज की डूबने की घटना को 3D में दिखाया गया।

टाइटैनिक जहाज से जुड़ी कुछ अफवाह एवं मिथक – Titanic Myths

”यह जहाज कभी डूब नहीं सकता”-

टाइटैनिक जहाज को लेकर लोगों द्वारा यह दावा किया गया था कि इस जहाज को बनाने वाली कंपनी व्हाइट स्टार लाइन ने इसके कभी नहीं डूबने की बात कही थी। लेकिन लंदन के किंग्स कॉलेज के रिचर्स हॉवेल्स ने टाइटैनिक के बारे में इसे सबसे बड़ा मिथक करार दिया था।

टाइटैनिक के कप्तान एडवर्ड जे. स्मिथ को माना जाता है जहाज के डूबने का जिम्मेदार – Who’s Responsible for Titanic Sinking

टाइटैनिक के कैप्टन एडवर्ड जे. स्मिथ के बारे में ज्यादा जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, हालांकि, आइसबर्ग की चेतावनी को नजरअंदाज करने एवं शिप की स्पीड को कम नहीं करने की गलती के बाबजूद उन्हें एक हीरो के तौर पर देखा जा सकता था।

कुछ विशेषज्ञ टाइटैनिक फिल्म में दिखाई गई कैप्टन की इमेज गलत मानते है। उनका कहना था कि, वो जानते थे कि टाइटैनिक शिप में कितने लोग सवार हैं, कितनी लाइफबोट हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने नावों को पूरी तरह भरे नहीं होने के बाबजूद भी जाने दिया।

इसके साथ ही कैप्टन एडवर्ड को टाइटैनिक के खतरे में होने की कोई भी सूचना पहले से यात्रियों को नहीं देने के लिए भी दोषी माना जाता है।

लंदन के राष्ट्रीय समुद्री संग्रहालय के जॉन ग्रेव्स के मुताबिक 14 अप्रैल, 1912 टाइटैनिक की दुर्घटना की रात को कैप्टन स्मिथ कहां गायब हो गए थे, यह कोई नहीं जानता कि कयामत की उस रात स्मिथ कहां गायब हो गए थे।

जहाज डूबते समय बजाया गया था बैंड –

मशहूर फिल्म टाइटैनिक में एक सीन में यह दर्शाया गया है कि जहाज के डूबने के समय यात्रियों का मनोबल बनाए रखने के लिए एक बैंड को प्रार्थना बजाते हुए भी दिखाया गया है।

इसके साथ ही यह भी दिखाया गया है कि इस बैंड के सातों म्यूजिशियन हादसे में मारे गए। वहीं इस बैंड का आखिरी गाना कौन सा था, इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी।

टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के मालिक के खिलाफ भी फैली गलत खबरें –

टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के मालिक जे.ब्रूस के बारे में भी कई गलत अफवाहें और झूठी खबरें हैं।

जे ब्रूस के बारे में यह कहा जाता है कि, उन्होंने महिलाओं, बच्चों और क्रू मेंबर्स को बचाने से पहले अपनी जान बचाने के लिए लाइफबोट का इस्तेमाल किया।

जबकि कुछ लोग इन आरोपों के पीछे कंपनी के मालिक से अमेरिकी अखबार के मालिक विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट की पुरानी दुश्मनी भी बताते हैं।

3rd क्लास के यात्रियों को रोकने से जुड़ा मिथक:

फिल्म में दिखाए गए एक सीन के मुताबिक टाइटैनिक जहाज के डूबते वक्त जब यात्रियों को बचाने के लिए लाइफबोट का इस्तेमाल किया जा रहा था, तब शिप के थर्ड क्लास के यात्रियों को लाइफबोट तक पहुंचने से रोका जाता है।

जबकि वास्तव में इस बात का कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इस बात से नहीं नकारा जा सकता है अमेरिकी आप्रवासन कानून के तहत  एवं संक्रामक बीमारियों से रोकने के लिए टाइटैनिक जहाज में तृतीय श्रेणी के यात्रियों को अन्य यात्रियों से अलग रखा गया था।

आपको बता दें कि टाइटैनिक जहाज के थर्ड क्लास में ज्यादातर यात्री रुस, चीन, ब्रिटेन, सीरिया एवं इटली के सवार थे, जो कि बेहतर जिंदगी की तलाश में अमेरिका जा रहे थे।

टाइटैनिक जहाज से जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Facts about The Titanic

  • टाइटैनिक जहाज, उस दौर का सबसे बड़ा एवं सभी सुविधाओं से लैस जहाज था, जो कि करीब 2 साल, 2 महीने में बनकर तैयार हुआ था। इसे करीब 3 हजार लोगों की टीम ने बनाना शुरु किया था।
  • इसके निर्माण के दौरान 2 लोगों की जान चली गई थी, तो करीब 246 लोग गंभीर रुप से घायल हो गए थे। यह जहाज 31 मई, साल 1911 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था।
  • टाइटैनिक जहाज में करीब 63 हजार लीटर पीने का पानी, 40 टन आलू, 1590 किलो प्याज, 40 हजार अंडे आदि का इस्तेमाल होता था।
  • टाइटैनिक, पूरे विश्व में इकलौता ऐसा जहाज है जो कि हिमखंड के टकराने से डूब गया। वहीं जब टाइटैनिक के ऑफिसर्स को आइसबर्ग दिखाई दिया तब उनके पास प्रतिक्रया के लिए 37 सेकेंड बचे थे।
  • हिमखंड के दिखते ही जहाज को बाएं तरफ मोड़ भी लिया गया, लेकिन यह एक्शन आइसबर्ग से बचने के लिए काफी नहीं था। वहीं अगर इसके बारे में 30 सेकेंड पहले जानकारी मिल जाती तो टाइटैनिक को बचाया जा सकता था।
  • 1 सितंबर, 1985 में जहाज डूबने के करीब 73 साल बाद टाइटैनिक का मलबा ढूंढ लिया गया।
  • विश्व के सबसे बड़े जहाज टाइटैनिक के डूबने से इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था को काफी गहरा झटका लगा था। क्योंकि इसमें यात्रा करने वाले सबसे धनी व्यक्ति इंग्लैंड से थे।
  • जिस जगह पर टाइटैनिक डूबा था, वहां पानी का तापमान करीब -2 डिग्री सेल्सियस था, जिसमें कोई भी मनुष्य 15 मिनट से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता है।
  • टाइटैनिक जहाज को बनाने में जहां 75 लाख डॉलर का खर्च आया था, जबकि टाइटैनिक फिल्म को बनाने में करीब 20 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे, जो कि जहाज को बनाए जाने की कीमत से कहीं ज्यादा था। वहीं टाइटैनिक फिल्म ने 11 ऑस्कर अवॉर्ड जीते थे।

टाइटैनिक जहाज की डूबने की दर्दनाक घटना हमेशा लोगों के जहन में रहेगी। यह समुद्र में डूबने वाले विश्व के सबसे बड़े जहाजों में दूसरे नंबर पर आता है।

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नेपोलियन हिल कुछ प्रेरणादायक कथन

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Napoleon Hill Quotes in Hindi

नेपोलियन हिल अमेरिका के सबसे मशहूर लेखक होने के साथसाथ महान दार्शनिक, विचारक, मनोवैज्ञानिक और पत्रकार थे।

उन्होंने अपनी महान सोच और विचार से सफलता एवं पर्सनल डेवलपमेंट पर कई किताबें लिखीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध किताबथिंक एवं ग्रो रिचहै। यह किताब उनकी सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में भी शुमार है।

इसके साथ ही उनकी इस किताब ने तमाम पाठकों के जीवन में खुशी और समृद्धि लाने में मदत की है नेपोलियन हिल की किताबें ही नहीं बल्कि उनके महान विचार भी प्रेरणा देने वाले है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए जज्बा पैदा करने वाले हैं।

इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में नेपोलियन हिल के सर्वश्रेष्ठ विचारों को शेयर कर रहे हैं, जिन्हें आप भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्वीटर, फेसबुक, व्हाट्सऐप आदि पर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।

नेपोलियन हिल कुछ प्रेरणादायक कथन – Napoleon Hill Quotes in Hindi

Napoleon Hill
Action is the real measure of intelligence.

“कार्यवाही बुद्धिमत्ता का असल मापदंड है।”

“डर, मन की एक स्थिति के आलावा और कुछ भी नहीं है।”

“आमतौर पर महान उपलब्धियां महान बलिदानों का फल होती हैं, और कभी भी स्वार्थ का परिणाम नहीं होतीं।”

Napoleon Hill Hindi
A goal is a dream with a deadline.

“एक लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखा गया स्वप्न है।”

“हर कोई उस तरह का काम करने में आनंद उठता है जिसे करने के लिए वो उपयुक्त है।”

“यदि आप स्वयं पर विजय प्राप्त नहीं करेंगे तो स्वयं आप पर विजय प्राप्त कर लेगा।”

All achievements, all earned riches, have their beginning in an idea.
All achievements, all earned riches, have their beginning in an idea.

“हर एक कामयाबी और दौलत की शुरआत एक विचार से होती है।”

“ये जानने में की जीवन खुद से करने का प्रोजेक्ट है, आधी ज़िन्दगी चली जाती है।”

“दिमाग के बिना पैसा हमेशा खतरनाक होता है।”

Napoleon Hill Thought in Hindi

26 अक्टूबर 1883 में वर्जिनिया में जन्में नेपोलियन हिल का मानना था कि कोई भी व्यक्ति उस क्षेत्र में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है, जिसे वह पसंद नहीं करता हो।

इसके साथ ही वे यह भी कहते थे कि कोई भी व्यक्ति तब तक नहीं डरता है, जब तक कि वो अपने दिमाग से हार ना मान ले।

उन्होंने अपने विचारों से हमेशा लोगों को यह शिक्षा देने की कोशिश की है कि किसी भी चीज को करने के लिए वक्त का इंतजार मत करिए क्योंकि सही समय कभी नहीं आता है, इसलिए जैसे ही विचार आए व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने की चाहत में पूरी तरह लग जाना चाहिए।

नेपोलियन हिल
All the breaks you need in life wait within your imagination, Imagination is the workshop of your mind, capable of turning mind energy into accomplishment and wealth.

“जीवन में आपको जो भी अवसर चाहिए वो आपकी कल्पना में प्रतीक्षा करते हैं, कल्पना आपके मस्तिष्क की कार्यशाला है, जो आपके मन की उर्जा को सिद्धि और धन में बदल देती है।”

“जितना सोना धरती से निकाला गया है उससे कहीं ज्यादा लोगों के विचारों से निकाला गया है।”

“इंसान तब तक नहीं हारता है जब तक की वो अपने दिमाग में हार ना मान ले।”

napoleon hill law of success
Any idea, plan, or purpose may be placed in the mind through repetition of thought.

“कोई भी सुझाव, योजना,या उद्देश्य मन में विचार को बार-बार दोहरा कर बैठाया जा सकता है।”

“पाने से पहले दीजिये।”

“जिस भी बात की दिमाग कल्पना कर सकता है और भरोसा कर सकता है, उसे हासिल भी किया जा सकता है।”

Big pay and little responsibility are circumstances seldom found together.
Big pay and little responsibility are circumstances seldom found together.

“कोई भी सुझाव, योजना,या उद्देश्य मन में विचार को बार-बार दोहरा कर बैठाया जा सकता है।”

“इंतज़ार मत करो। क्योकि समय हमेशा सही नही होता।”

“लक्ष्य अंतिम तिथि वाला एक सपना ही है।”

Napoleon Hill Quotes on Success

बहुमुखी प्रतिभा वाले महान व्यक्तित्व नेपोलियन हिल को अपने शुरुआती दिनों में गरीबी की वजह से काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।

नेपोलियन हिल का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जिस तरह एक गरीब परिवार में जन्में नेपोलियन ने पूरी दुनिया के सामने खुद को सबसे सफल शख्सियत के रुप में स्थापित किया, वो वाकई प्रेरणादायक है।

नेपोलियन हिल के द्धारा लिखे गए इन विचारों से हम सभी को प्रेरण लेने की जरूरत है।

napoleon hill quotes in hindi
Create a definite plan for carrying out your desire and begin at once, whether you ready or not, to put this plan into action.

“अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए एक निश्चित योजना बनाएं, और तुरंत इसे क्रियान्वित करने की शुरुआत कर दें, चाहे आप तैयार हों या नहीं।”

“सभी उपलब्धियों का चरम बिंदु इच्छा ही है।”

“यदि आप महान काम नही कर सकते तो छोटे कामो को ही महान तरीको से करे।”

Napoleon Hill image
Desire is the starting point of all achievement.

“इच्छा ही सभी उपलब्धियों का प्रारंभिक बिंदु है।”

“सुअवसर हमेशा बदकिस्मती और अल्पकालीन पराजय से ही आते है।”

“हर विपत्ति, हर असफलता और हर मनोव्यथा अपने साथ बराबरी का बीज लिये होती है।”

Don’t wait. The time will never be just right.
Don’t wait. The time will never be just right.

“इंतज़ार मत करिए। सही समय कभी नहीं आता।”

“धैर्य, दृढ़ता और पसीना सफलता का अपराजेय संयोग है।”

“जब आपकी इच्छा मजबूत होती है तब आप में इच्छा हो हासिल करने की अपार शक्ति आ जाती है।”

Happiness is found in doing, not merely possessing.
Happiness is found in doing, not merely possessing.

“प्रसन्नता करने में पाई जाती है, रखने में नहीं।”

“सबसे महान लोग अपनी सबसे महान सफलता को अपनी सबसे बड़ी असफलता के एक कदम आगे ही हासिल करते है।”

“जिस प्रकार आँखों को देखने के लिए रौशनी की ज़रुरत होती है, उसी प्रकार हमारे दिमाग को समझने के लिए विचारों की ज़रुरत होती है।”

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इतिहास का काला अध्याय- जलियांवाला बाग हत्याकांड

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Jallianwala Bagh Hatyakand

इतिहास में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई है जिसने हमारा आज बनाया है। कहते है कामयाबी कभी एक दिन की मेहनत होती है उसकी नींव रखने में ही कई साल लग जाते है। प्राचीन समय में भारत के एक समृद्ध देश होने के कारण कई बाहरी आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया किसने इसे लूटने की कोशिश की तो किसी ने यहां पर अपनी सत्ता जमाने की कोशिश की। भारत पर 200 साल ब्रिटिश ने भी राज किया।

इस दौरान अंग्रेजों ने भारत को न केवल गुलाम बनाया बल्कि इसके कई विभाजन भी किए। अंग्रेजो के अत्याचारों से मुक्ति पाने और एक स्वंतत्रता देश में रहने के लिए लाखों देशवासियों संघर्ष किया। आजादी को लेकर कई आंदोलन हुए बहुत सी घटनाएं घटी। लेकिन इन सब जो घटना सबसे ज्यादा दुखद थी वो थी Jallianwala Bagh Massacre – जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना।

जिसने 400 भारतीयों की मौत हो गई थी वही 2 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। लेकिन ये नरसंहार क्यों हुआ और इसके परिणाम स्वरुप देश में ओर क्या क्या हुआ ये हम अपने आज के लेख में जानते हैं।

इतिहास का काला अध्याय- जलियांवाला बाग हत्याकांड – Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

Jallianwala Bagh Massacre
Jallianwala Bagh Massacre

अमृतसर के विश्व प्रसिद्ध गोल्डन टेंपल के पास स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, साल 1919 के दिन एक भयानक नरसंहार हुआ था, इस भयावह नरसंहार ने भारतीय युवाओं और क्रांतिकारियों के अंदर न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ और अधिक नफरत पैदा कर दी थी, बल्कि उनके अंदर आजादी की ज्वाला को और अधिक भड़का दिया था।

जलियावाला बांग हत्याकांड में हजारों बेकसूरों की मौत का मंजर स्तब्ध करने वाला था, वहीं इस नरसंहार ने गुलाम भारत को आजादी दिलवाने के लिए चलाए गए स्वाधीनता आंदोलन का रुख ही बदलकर रख दिया था।

इस जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद ही भगत सिंह जैसे महान युवा क्रांतिकारी ने खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता आंदोलन में झोंक दिया था और अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेजों की नाक पर दम कर दिया था। तो आइए जानते हैं जलियांवाला बाग नरसंहार के होने की प्रमुख वजह एवं इतिहास के बारे में-

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में एक नजर में – Jallianwala Bagh Massacre History

कहां घटित हुआ (Where Did Jallianwala Bagh Massacre Take Place): पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में।
क्यों हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड: रॉलेट एक्ट (काले कानून) के विरोध में।
कब हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Hatyakand Kab Hua Tha): 13 अप्रैल 1919।
कितने लोगों की मौत हुई: करीब 379 से 1100 लोग।
किसने चलवाईं गोलियां: जनरल डायर

लियांवाला बाग हत्याकांड – Jallianwala Bagh Massacre

पंजाब के अमृसर में गोल्डन टेंपल के पास स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 के दिन रॉलेट एक्ट के विरोध मे एक शांतिपूर्ण सभा बुलाई गई थी।

उसी दिन पंजाबियों का मुख्य पर्व बैसाखी भी थी, इसलिए इस सांस्कृतिक उत्सव को बनाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इस बाग में इकट्ठी हुई थी।

तभी उस दौरान ब्रिटिश सेना का क्रूर अधिकारी रेजिनाल्ड डायर अपने कई सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया एवं बिना किसी चेतवानी दिए बाग को चारों तरफ से घेर लिया एवं अपने सैनिकों से बाग में मौजूद मासूम और बेकसूर लोगों पर गोली चलाने के आदेश दे दिए।

करीब 10 से 15 मिनट तक बिना रुके ब्रिटिश सैनिकों ने करीब 1650 – 1700 राउंड फायरिंग की। वहीं इस निर्मम हत्याकांड में कई बेकसूर लोगों की जान चली गई थी।

वहीं जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान लोगों ने वहां से अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागने की कोशिश भी की थी, लेकिन इस घटना के दौरान जनरल डायर और उसके फौजियों ने बाग को चारों तरफ से घेर लिया था।

जिसके चलते इस बाग में मौजूद लोग बाहर निकलने में नाकामयाब रहे थे और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी थी, इसके साथ ही कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए इस बाग में बने कुएं में भी कूद गए थे, इसलिए इसे अब शहीदी कुआं के नाम से भी जाना जाता है।

जलियांवाला हत्याकांड में मौत का मंजर – Jallianwala Bagh Incident

अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए दर्दनाक हत्याकांड में कई मासूम बच्चे और बेकसूर लोगों की जान चली गई तो कई वीर जवान शहीद हो गए।

वहीं जलियांवाला बाग हत्याकांड में हुई मौतों की संख्या पर अलग-अलग आंकड़े मौजूद हैं। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ऑफिस में 484 शहीदों की लिस्ट दर्शाई गई है, तो जलियांवाला बाग में 388 शहीदों की लिस्ट है।

जबकि ब्रिटिश सरकार के मुताबिक 379 लोगों ने इतिहास की इस सबसे विभीत्स घटना में अपनी जान गवांई थी, जिसमें करीब 200 लोग घायल होने की बात कही थी।

हालांकि, कुछ भारतीयों द्धारा करवाई गई जांच के मुताबिक जलियांवाला बाग नरसंहार में मरने वाले लोगों की संख्या 1 हजार से अधिक है, जबकि घायलों की संख्या 2 हजार से भी ज्यादा है।

जलयिांवाला बाग नरसंहार होने के प्रमुख कारण – Causes Of Jallianwala Bagh Massacre

जलियां वाला हत्याकांड का मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार द्धारा रॉलेट एक्ट को लागू करना था, इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य देश में आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों पर रोक लगाना एवं भारतीय क्रांतिकारियों पर काबू पाना था।

जिस वजह से उस दौरान प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी। वहीं इस काले कानून के तहत ब्रिटिश अधिकारी को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वे किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद कर सकते थे।

साथ ही इस कानून को लागू हो जाने के बाद लोगों को यह भी जानने तक का अधिकार नहीं था कि उनके खिलाफ मुकदमा क्यों और किसने चलाया है।

जिसके चलते इस कानून के विरोध में पूरे देश में जूलुस और विरोध प्रदर्शन हुए थे।

इस कानून के विरोध का नेतृत्व राष्ट्रीय नेता डॉ. सैफुद्धीन किचलू एवं सत्यपाल ने भी की थी। वहीं रॉलेक्ट एक्ट के चलते संपूर्ण देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे और ब्रिटिश शासकों के खिलाफ जुलूस निकाले जा रहे थे।

वहीं इसके बाद सैफुद्दीन किचलू और सत्यपाल की गिरफ्तारी भी की गई थी। जिसके चलते 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियावालां बाग में इन दोनों राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

जनरल डायर रॉलेट एक्‍ट का बहुत बड़ा समर्थक था और इसलिए जब उसे जलियांवाला बाग में इस एक्ट के विरोध में इकट्ठी हुई भीड़ का पता चला तो वह बौखला गया और अपने सैनिकों के साथ जाकर वहां अंधाधुंध फायरिंग करने के आदेश दिए। जिसके चलते यह भयानक नरसंहार हुआ।

रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गांधी जी ने भी देश का आह्वान किया था।

आपको बता दें कि साल 1919 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था, जिसमें भारतीयों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था और इस आंदोलन के तहत 6 अप्रैल, 1919 में आंदोलन के तहत एक हड़ताल की शुरुआत की गई थी और रॉलेक्ट एक्ट का विरोध किया गया, जिसके बाद धीरे-धीरे शांतिपूर्ण ढंग से चलाए जा रहे इस अहिंसक आंदोलन ने हिंसक रुप ले लिया था।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के परिणाम – Impact Of Jallianwala Bagh Massacre

जनरल डायर ने यह सोचकर जलियावाला बांग हत्याकांड को अंजाम दिया था, कि इस निर्मम नरसंहार के बाद भारतीय डर जाएंगे, लेकिन इसके परिणाम विपरीत हुए, इस हत्याकांड के बाद भारतीयों के अंदर ब्रिटिश शासकों के खिलाफ और अधिक नफरत पैदा हो गईं एवं अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाने के लिए पूरा देश आंदोलित हो उठा।

वहीं इस हत्याकांड में न सिर्फ भगतसिंह जैसे क्रांतिकारियों को जन्म दिया बल्कि देश के स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा मिली।

जलियांवाला बाग हत्याकांड से भारतीय राजनीति को एकजुट होने में मदत मिली।

इस निर्मम नरसंहार के बाद भारतीयों के अंदर अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाने की ज्वाला और अधिक भड़क गई थी।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ही देश को आजाद करवाने की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारत के सबसे युवा क्रांतिकारी भगत सिंह ने अपने स्कूल की पढ़ाई छोड़कर खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता आंदोलन में झोंक दिया था।

वहीं इस हत्याकांड का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

इस हत्याकांड ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नया मोड़ दिया। इस निर्मम एवं विभीत्स घटना के बाद ही भारतीयों के सामने ब्रिटिश शासकों का क्रूर एवं दमनकारी चेहरा सामने आया। और अंग्रेजों के ”नैतिक दावों” का अंत हो गया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से ही पूरा भारत देश अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलित हो उठा, जिसका चलते स्वतंत्रता आंदोलन मे कई लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और फिर बाद में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी प्राप्त की।

इस हत्याकांड के बाद महात्मा गाँधी के नेतृत्व में पूरे देश में असहयोग आंदोलन चलाया गया।

जलियांवाला बाग में स्मृति स्मारक की स्थापना – Jallianwala Bagh Museum

पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए निर्मम हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की स्मृति में यहां स्मारक बनाया गया।

इस स्मारक का नाम ”अग्नि की लौ” रखा गया। साल 1920 में एक ट्रस्ट की स्थापना की गई थी और इस जगह को खरीद लिया गया था।

इससे पहले जलियांवाला बाग पर एक समय पर राजा जसवंत सिंह के वकील का अधिकार था, जबकि 1919 में इस स्थल पर करीब 30 लोगों का अधिकार था।

वहीं इस जगह को साल 1923 में इन लोगों से करीब 5, 65, हजार रुपए में खरीद लिया गया था।

यहां पर स्मारक का निर्माण भारत की आजादी के बाद किया गया था। इसके स्मारक का उद्घाटन आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने साल 1961 में किया था।

आपको बता दें कि इस शहीद स्मृति स्मारक की डिजाइन अमेरिका के आर्किटेक्ट बेंजामिन पोल्क ने तैयार की थी।  इस स्मारक को बनाने में करीब 9 लाख रुपए का खर्चा आया था।

स्मारक के चारों खंभों पर उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी, एवं हिन्दी भाषा में जलियावाला हत्याकांड की तिथि (Jallianwala Bagh Hatyakand Date) ”13 अप्रैल, 1919 शहीदों की याद में” लिखा हुआ है। इसके साथ ही अमृतसर के इस ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के मुख्य प्रवेश द्धार के जनरल डॉयर के ब्रिटिश सैनिकों की अवस्था को भी चिन्हित किया गया है।

जलियांवाला बाग हत्याकांड से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें – Jallianwala Bagh Massacre Facts

  • जलियांवाला बाग वर्तमान में एक पर्यटक स्थल बन गया है। वहीं आज यहां हजारों की संख्या में लोग इस स्थान पर घूमने आते हैं।
  • इस स्थान पर आज भी गोलियां के निशान है, जो कि 13 अप्रैल, 1919 में हुए इतिहास के इस सबसे निर्मम और दर्दनाक नरसंहार की याद दिलाते हैं।
  • इसके अलावा इस स्थल पर वह कुंआ भी स्थित हैं जिसमें इस हत्याकांड के दौरान ब्रिटिश सैनिकों की गोलियों से बचने के लिए तमाम महिलाओं और बच्चें कूद गए थे, यह ”शहीदी कुआं”(Martyrs Well) के नाम से प्रसिद्ध है।
  • जलियांवाला बाग में हर साल 13 अप्रैल को उन शहीदों की को भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की जाती हैं, जिन्होंने उस वक्त इस हत्याकांड में अपनी जान गंवाई थी।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड पर साल 1977 में एक हिन्दी फिल्म (Jallianwala Bagh Movie) भी बनाई गई थी। इस फिल्म में शबाना आजमी और विनोद खन्ना लीड रोल में थे।
  • इसके अलावा देश की आजादी पर आधारित प्रसिद्ध फिल्म (रंग दे बसंती, लेजेंड ऑफ भगत सिंह, फिल्लौरी फिल्म) जलियांवाला बाग हत्याकांड को फिल्माया गया है।
  • इसके अलावा साल 1981 में सलमान रुश्दी के द्धारा लिखित उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन में भी इस भयानक नरसंहार को दर्शाया गया है।
  • इस हत्याकांड को आधुनिक इतिहास का सबसे ज्यादा खून-खराबे वाला नरसंहार कहा गया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद बनी हंटर जांच समिति – Hunter Commission

इतिहास के इस सबसे निर्मम हत्‍याकांड के बाद पूरे पंजाब में विद्रोह की आग फैल गई। इसके बाद दबाव में उस समय भारत के लिए सेक्रेटरी ऑफ स्‍टेट एडविन मॉन्टेग्यू ने 1919 के अंत में इसकी जांच के लिए हंटर कमीशन बनाई।

इस कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद डायर को दोषी पाए जाने के बाबजूद भी कोई सजा नहीं दी गई, बल्कि उसका डिमोशन कर उसे कर्नल बना दिया गया, और साथ ही उसे ब्रिटेन वापस भेज दिया गया।

इसके बाद कांग्रेस ने पंजाब की घटनाओें की जांच के लिए महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू समेत महान राजनेताओं वाली एक समिति का गठन किया। जिसके बाद इस कमेटिी ने पंजाब पर रुल कर चुके गर्वनर माइकल ओडायर और सेना के जनरल डाययर की कटु निंदा की।

जनरल डायर की हत्या – General Dyer Death

जलियांवाला बाग हत्याकांड में मारे गए हजारों बेकसूर लोगों की जान का बदला लेने के लिए 13 मार्च, 1940  में करीब 21 साल बाद, ऊधम सिंह लंदन गए और उन्होंने वहां कैक्सटन हॉल में माइकल ओ डायर की गोली मारकर हत्या कर दी।

हालांकि, इसके लिए ऊधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को सूली पर लटका दिया गया था।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वापस की उपाधि – Rabindranath Tagore Rejected The Title Knighthood

भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर को जब अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार का पता चला, तब उन्होंने इस घटना पर दुख जताते हुए ब्रिटिश सरकार को ”नाइटहुड” की उपाधि लौटा दी थी।

जलियांवाला हत्याकांड इतिहास का सबसे क्रूरतम और दर्दनाक हत्याकांड माना जाता है, जिसके दूरगामी परिणाम दिखाई गिए और इस हत्याकांड ने आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी। वहीं इसके परिणाम हमें स्वतंत्रता प्राप्ति के रुप में मिले।

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विश्व के सबसे महान सेनापति नेपोलियन बोनापार्ट के महान विचार

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Napoleon Bonaparte Quotes in Hindi

विश्व के सबसे महान सेनापतियों में से एक नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी क्रांति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी कुशलता, बुद्धिमत्ता और कूटनीतिज्ञ के चलते यूरोप का नक्शा ही बदला दिया था।

यही नहीं उन्होंने अपनी विवेकशीलता के चलते फ्रांस की जर्जर सेना को आधुनिक और शक्तिशाली सेना में बदल दिया था।इसके साथ ही नेपोलियन इतिहास के सबसे अधिक जोखिम उठाने वाले राजनेताओं में से एक थे।

जिन्होंने फ्रांस के वीर सपूतों और मेधावियों को सम्मानित करने की परंपरा की शुरुआत की थी। नेपोलियन बोनापार्ट एक ऐसे शख्सियत थे, जिन्हें कोई भी चीज असंभव नहीं लगती थी, उनका मानना था कि असंभव शब्द सिर्फ बेवकूफों की डिक्शनरी में पाया जाता है।

नेपोलियन के कुछ ऐसे ही विचार जीवन के प्रति सकारात्मकता पैदा करते है और जिंदगी में आगे बढ़ने की सीख देते हैं। वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में नेपोलियन बोनापार्ट के सर्वश्रेष्ठ सुविचारों को उपलब्ध करवा रहे हैं, जिन्हें आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्वीटर, इंस्टाग्राम, लिंकडिन, फेसबुक आदि पर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।

नेपोलियन बोनापार्ट के अनमोल विचार – Napoleon Bonaparte Quotes in Hindi

Napoleon Bonaparte
A leader is a dealer in hope.

“एक लीडर आशा का व्यापारी होता है।”

“जब आपका दुश्मन गलती कर रहा हो तो कभी उसे बिचमे मत टोकिये।”

napoleon bonaparte pictures
A picture is worth a thousand words.

“एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है।”

“आशा के मामले में लीडर ही डीलर (सौदागर) होता है।”

napoleon bonaparte quotes in hindi
A man cannot become an atheist merely by wishing it.

“कोई व्यक्ति सिर्फ चाह कर नास्तिक नहीं बन सकता।”

“राजनीती में मुर्खता मतलब अक्षमता नही है।”

 napoleon bonaparte thoughts
A true man hates no one.

“एक सच्चा आदमी किसी से नफरत नहीं करता।”

“धर्म गरीब को अमीर का खून करने के लिये मजबूर करते है।”

Napoleon Bonaparte Quotes on Success

15 अगस्त, 1769 को फ्रांस के कोर्सिका में जन्मे नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने सफल अभियानों के माध्यम से पूरी दुनिया में अपनी जीत का परचम लहराया था, इसलिए उन्हें विश्व के महान विजेता के तौर पर भी जाना जाता है।

वह पूरे यूरोप का सिर्फ एकमात्र शासक बनना चाहता थे। उनका मानना था कि अनजाने रास्ते पर सिर्फ वीर ही आगे बड़ा करते हैं, कायर और डरपोक तो परिचित राह पर ही तलवार चमकाते हैं।

उनके कुछ ऐसे ही सुविचार जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए जोश और जज्बा भरने का काम करते हैं।

नेपोलियन बोनापार्ट
A man will fight harder for his interests than for his rights.

“कोई व्यक्ति अपने अधिकारों से ज्यादा अपने हितों के लिए लडेगा।”

“इस दुनिया में केवल दो ही सेना है, तलवार और उत्साह। लंबे समय की बात की जाये तो तलवार हमेशा उत्साह पर विजय पाती है।”

MOTIVATION QUOTES
All religions have been made by men.

“सारे धर्म इंसानों द्वारा बनाये गए हैं।”

“विजय हमेशा सबसे दृढ़ से संबंधित होती है।”

HINDI QUOTES
Death is nothing, but to live defeated and inglorious is to die daily.

“मौत कुछ भी नहीं है, लेकिन हार कर और लज्जित होकर जीना रोज़ मरने के बराबर है।”

“असंभव केवल मूर्खो के शब्दकोष को ढूंडने का एक शब्द है।”

Napoleon Bonaparte Thoughts in Hindi

फांस के सम्राट के रुप में नेपोलियन ने सरकार के केन्द्रीकरण, बैंक ऑफ फ्रांस के निर्माण एवं रोमन कैथोलिक धर्म की दोबारा प्रतिष्ठा की और कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया।

इसके अलावा नेपोलियन ने भारत पर अपना अधिकार जमाने के मकसद से मिस्त्र पर आक्रमण किया और साथ ही रुस अभियान में मॉस्कों तक धावा बोला। उनकी अदम्य शक्ति और साहस के सामने कोई भी नहीं टिक पाता था।

उनका मानना था कि जिंदगी में मुसीबतें और सभी परेशानियां चाय के कप में जमीं मलाई की तरह होती हैं एवं सफलता और कामयाबी सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलती है जो फूंकमार कर मलाई को अलग कर देते हैं और आराम से चाय पीते हैं।

उनके इस तरह के विचार ही जिंदगी के प्रति नजरिया बदलने वाले हैं और जिंदगी में सुख और सुकून देने वाले हैं।

Napoleon Bonaparte Picture
He who knows how to flatter also knows how to slander.

“वो जो प्रशंशा करना जानता है, अपमानित करना भी जानता है।”

“इतिहास झूठे अनुबंधगतो का ही एक समूह है।”

inspiration quotes in hindi
If you want a thing done well, do it yourself.

“अगर आप चाहते हैं कि कोई चीज अच्छे से हो तो उसे खुद कीजिये।”

“जिसे जीतने का डर है वह निश्चित ही हारेगा।”

success quotes in hindi
Impossible is a word to be found only in the dictionary of fools.

“असंभव शब्द सिर्फ बेवकूफों के शब्दकोष में पाया जाता है।”

“यदि आप किसी चीज को अच्छी तरह करना चाहते है तो उसे स्वयं कीजिये।”

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आखिर क्या है लंबे समय तक चलने वाला अयोध्या विवाद एवं इसका इतिहास

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Ayodhya Ram Mandir History

हिन्दू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथ रामायण के मुताबिक अयोध्या को हिन्दू धर्म की पवित्र एवं धार्मिक नगरी प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली माना जाता है।

रामायण के अनुसार भगवान राम ने त्रेता युग में अधर्म, अन्याय एवं आतंक का विनाश करने एवं मनुष्य की रक्षा करने के लिए के लिए भगवान विष्णु के अवतार के रुप में जन्म लिया था।

चैत्र महीने की नवमी को पूरे देश भर में भगवान राम के जन्मदिन के रुप में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

अयोध्या नगरी में कई सालों तक भगवान श्री राम ने शासन किया और लोगों को प्रेम, दया, भाईचारा एवं मानवता का पाठ पढ़ाया। इसके बाद सरयू नदी में प्रवेश कर उन्होंने अपने मानव शरीर का त्याग कर दिया था।

आखिर क्या है लंबे समय तक चलने वाला अयोध्या विवाद एवं इसका इतिहास – Ayodhya Ram Mandir History in Hindi

Ayodhya Ram Mandir

इतिहासकारों की मानें तो पहले अयोध्या नगरी, कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी, गौतमबुद्ध के समय कोसल के दो हिस्से में हो गए थे, उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी।

रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रुप में किया गया है। वहीं कुछ इतिहासकारों एवं विद्धानों के मुताबिक अयोध्या नगरी को अवध के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान राम की नगरी अयोध्या को भगवान श्रीराम के पूर्वज सूर्य के पुत्र मनु ने बसाया था, तभी से इस धार्मिक नगरी पर सूर्यवंशी राजाओं का राज रहा है, यह शासन महाभारतकाल तक रहा। वहीं यहीं पर अयोध्या के राजा दशरथ के महल में भगवान श्री राम ने जन्म लिया था।

अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि अयोध्यानगरी में एक ऐसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था, जिसे हिन्दू अपने आराध्य देव भगवान राम की जन्मस्थली मानते हैं।

कहा जाता है कि मुगल वंश के संस्थापक बाबर के सेनापति मीरबाकी ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

मुगल शासक 1526 में भारत पर शासन करने के लिए आया था, एवं 1528 तक उसने अवध (अयोध्या) सम्राज्य की स्थापना की थी।

पुरातत्विक विभाग द्वारा किए गए सर्वे में बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर होने के संकेत मिलने का दावा किया था।

इसके अलावा पुरातत्विक विभाग के खोजकर्ताओं को जमीन के अंदर दबे खंभे और अन्य भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह और मिली पॉटरी के आधार पर यहां  मंदिर होने के सबूत मिले हैं।

यही नहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और स्थिर चित्रण किया गया। इसके अलावा यहां एक-एक शिव मंदिर होने का भी दावा किया गया था।

आखिर क्या है अयोध्या विवाद एवं इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य – Facts about Ram Mandir in Ayodhya

अयोध्या राम मंदिर विवाद कई साल पुराना है, अयोध्या राम मंदिर मुद्दा कई सालों तक सियासी मुद्दा बना रहा, जिसके दम पर कई राजनैतिक पार्टियों ने धर्म के आधार पर अपने वोटर्स को लुभाने की कोशिश की है।

वहीं जब से बाबर ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया गया। इसकी वजह से काफी हिंसा हुई और कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी।

बाबर ने मंदिर तोड़कर करवाया था बाबरी मस्जिद का निर्माण (1528-1529) – Babri Masjid

कुछ विद्वानों के मुताबिक श्री राम की जन्मभूमि मानी जाने वाली अयोध्या में मुगल वंश के संस्थापक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाता है।

1853 में हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगे, मामले ने पकड़ा तूल:

साल 1853 में जब निर्मोही अखाड़ा ने मस्जिद वाली जगह पर मंदिर होने का दावा किया। साथ ही बाबर के कार्यकाल में मंदिर तोडऩे की बात कही तब अयोध्या में पहली बार हिन्दू-मुस्लिम हिंसा भड़क गई।

1859 में बाबरी मस्जिद के सामने एक दीवार बनाई गई – Babari Masjid History

1857 में आजादी की पहली लड़ाई के करीब 2 साल बाद 1859 में ब्रिटिश शासकों ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी। इस परिसर के बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई।

पहली बार 1885 में कोर्ट में पहुंचा अयोध्या मामला – Ayodhya Mamla

अयोध्या राम मंदिर एवं मस्जिद विवाद साल 1885 में पहली बार कोर्ट में पहुंचा। इसके तहत हिंदू महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी।

जिसके बाद कोर्ट ने उनकी अपील ठुकरा दी इसके बाद यह विवाद और अधिक गंभीर होता चला गया।

असली विवाद आजादी के बाद 1949 से हुआ शुरु – Ayodhya Ram Mandir Controversy

3 दिसंबर 1949 को, भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। जिस पर मुस्लिमों ने रात में चुपचाप यहां मूर्तियां रखवाने का आरोप लगाया, जबकि हिन्दुओं ने भगवान राम के प्रकट होने की बात कही।

इसके बाद दोनों ही समुदाय के लोगों ने कोर्ट में केस दायर किया। फिर सरकार ने इसे विवादित स्थल घोषित कर ताला लगवा दिया।

गोपाल सिंह विशारद नाम के शख्स ने साल 1950 में फैजाबाद अदालत में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा करने की इजाजत मांगी।

जिसके बाद उस वक्त के सिविल जज एन. एन. चंदा ने यहां पूजा करने की इजाजत दे दी। हालांकि, मुसलमानों ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दायर की।

साल 1984 में विवादित ढांचे के स्थान पर मंदिर बनाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया।

साल 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिन्दओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दे दिया।

जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।

साल 1992 में बीजेपी, वीएचपी, शिवसेना समेत अन्य हिन्दू संगठनो्ं एवं हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, जिसके चलते हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच दंगे भड़क गए, इन हिंसक और संप्रदायिक दंगों में हजारों लोगों की जान चली गई।

साल 1994 में बाबरी मस्जिद को ढहाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में केस चला और 1997 में इस मामले में  बीजेपी पार्टी के कुछ दिग्गज नेता समेत 47 लोगों को दोषी ठहराया गया।

अयोध्या विवाद की वजह से हो रही हिंसक गतिविधियों को देखते हुए साल 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अयोध्या समिति का गठन किया।

इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य की घोषणा की। फिर इसके बाद हजारों की तादाद में हिन्दू कार्यकर्ता अयोध्या में इकट्ठे हुए एवं गोधरा कांड को अंजाम दिया गया, हिन्दू कार्यकर्ता जिस ट्रेन से लौट रहे थे। उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ताओं की जान चली गई।

साल 2002 में अयोध्या विवाद को लेकर केन्द्र सरकार और विश्व हिन्दू परिषद समझौता हुआ, जिसके चलते सरकार को शिलाएं सौंपी गईं।

साल 2003 में बाबरी मस्जिद गिराने जाने के मामले को लेकर उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाडी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।

साल 2005 में लाल कृष्ण आडवाणी को कोर्ट में पेश किया गया। वहीं इसी साल 2005 में ही जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें 5 आंतकी समेत 6 लोग मारे गए।

साल 2006 में अयोध्या के विवादित स्थल पर सरकार ने राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा।

साल 2009 में लिब्रहान आयोग ने बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के मामले को लेकर उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रिपोर्ट सौंपी।

अयोध्या विवाद पर 9 मई, 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2017 में आपसी सहमति से अयोध्या विवाद सुलझाने की बात कही।

29 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई पर इनकार करते हुए जनवरी 2019 तक के लिए केस टाल दिया।

16 अक्टूबर, 2019 में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया।

9 नवंबर, साल 2019 में देश के इस सबसे पुराने केस अयोध्या विवाद को लेकर सप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि, विवादित जमीन को रामलला यानि की राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया जाए और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।

इस तरह देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले अयोध्या विवाद केस पर फैसला आया। श्री राम जन्मभूमि अयोध्या नगरी से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई हैं।

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उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

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Mahakaleshwar Temple

भारत में बहुत से अद्भुत मंदिर है जिनकी अपनी – अपनी मान्यताएं और रीति रिवाज है। लेकिन इन सब में सबसे चर्चित मंदिर है मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन का महाकाल मंदिर। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है और शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है।

यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी।

उज्जैन का महाकाल मंदिर 6ठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे है जो यहां जाने से पहले उज्जैन के महाकाल के बारे कुछ अहम बातें के बारे में जरुर जान लें।

Mahakaleshwar temple
Mahakaleshwar temple

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास – Mahakaleshwar Temple History in Hindi

वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी।

महाराजा श्रीमंत जयाजिराव साहेब शिंदे आलीजाह बहादुर के समय में 1886 तक, ग्वालियर रियासत के बहुत से कार्यक्रमों को इस मंदिर में ही आयोजित किया जाता था।

महाकालेश्वर मंदिर – Mahakaleshwar Jyotirlinga temple

महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। शिवेंत्र परंपरा के अनुसार ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इसे चुना गया था।

ओमकारेश्वर महादेव की प्रतिमा को महादेव तीर्थस्थल के उपर पवित्र स्थान पर बनाया गया है। इसके साथ ही गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है। दक्षिण की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है।

कहा जाता है की यह बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर को साल में सिर्फ नागपंचमी के दिन ही एक दिन के लिये खोला जाता है।

इस मंदिर की कुल पाँच मंजिले है, जिनमे से एक जमीन के निचे भी है। यह मंदिर एक पवित्र गार्डन में बना हुआ है, जो सरोवर के पास विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। इसके साथ ही निचले पवित्र स्थान पर पीतल के लैंप भी लगाये गए है। दुसरे मंदिरों की तरह यहाँ भी भक्तो को भगवान का प्रसाद दिया जाता है।

महाकालेश्वर का मंदिर का शिखर इस तरह से बनाया गया है की हमें यह आकाश की छूता हुआ दिखाई देता है, अपने आप में ही यह एक चमत्कार है। उज्जैन का महाकाल मंदिर शहर जे जनजीवन पर भी अपना वर्चस्व रखता है और वर्तमान समय में भी पारंपरिक हिन्दू परंपराओ को दर्शाता है।

महा शिवरात्रि के दिन, मंदिर के पास एक विशाल महोत्सव का आयोजन किया जाता है और देर रात तक भगवान शिव की पूजा की जाती है।

महाकालेश्वर मंदिर की सीमा में श्री स्वपनेश्वर महादेव मंदिर भी आता है, जहाँ भक्त महाकाल के रूप में शिवजी की पूजा करते है, और अपने सपनो को पूरा करने की उनसे मनोकामना करते है।

सदाशिव मंदिर, समानुभूति को दर्शाने वाला मंदिर है, जहाँ भक्त सच्चे दिल से भगवान शिव को प्रार्थना करते है। ऐसा माना जाता है की यहाँ महादेव स्वपनेश्वर है और शक्ति स्वपनेश्वरी है।

महाकालेश्वर मंदिर का समय – Mahakaleshwar Temple Timings

यह मंदिर सुबह 3 से रात 11 बजे तक खुला रहता है।

7 वी शताब्दी में मंदिर की मरम्मत भी की गयी थी और इसे काफी हद तक सजाया भी गया था।

शक्ति पीठ के रूप में महाकालेश्वर मंदिर –

इस पवित्र तीर्थस्थान को 18 महा शक्ति पीठ में भी शामिल किया गया है।

शक्ति पीठ भी एक प्रकार से तीर्थस्थल ही होते है, जहाँ ऐसा माना जाता है की उस जगह पर जाने से इंसान के शरीर को आंतरिक शक्ति मिलती है। सभी शक्ति पीठ अपनी शक्तियों के लिये प्रसिद्ध है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – Mahakaleshwar Jyotirlinga

शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और भगवान विष्णु रचना की महत्ता को लेकर बहस करने लगे थे। उनकी परीक्षा लेने के लिये शिवजी ने प्रकार के पिल्लर, ज्योतिर्लिंग को तीन भागो में बाटा।

भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने क्रमशः निचे और तरफ से और उपर की तरफ से अपने रास्तो की बाटा ताकि के प्रकाश के अंत को जान सके। इसके बाद ब्रह्मा ने झूट बोला की उन्हें अंत मिल गया, जबकि भगवान विष्णु ने अपनी हार स्वीकार की थी।

तभी शिवजी दुसरे पिल्लर में से प्रकट हुए और ब्रह्मा जी को उन्होंने अभिशाप दिया की दैवीय पूजा में ब्रह्मा को कोई स्थान नही मिलेंगा जबकि भगवान विष्णु को लोग हमेशा पूजते रहेंगे। कहा जाता है की इन 12 ज्योतिर्लिंगों में शिवजी का थोडा-थोडा भाग रहता है।

शिवजी के रूप में ज्योतिर्लिंग के कुल 64 प्रकार है, लेकिन फिर भी इन 12 ज्योतिर्लिंगों की अलग ही पहचान है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से हर एक ज्योतिर्लिंग का एक अपना ही अलग नाम है – जो भगवान शिव के विविध प्रत्यक्षीकरण पर आधारित है।

भारतीय स्वतंत्रता के बाद महाकालेश्वर मंदिर देव सुल्तान ट्रस्ट के हाथो से उज्जैन महानगरपालिका के अधीन चला गया। और आज यह मंदिर उज्जैन जिला कलेक्टर ऑफिस के अधीन आता है।

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में  रोचक बातें – Facts about Mahakaleshwar Temple

  1. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को महाकाल क्यों कहा जाता है? शास्त्रों में काल के दो अर्थ होते है पहला समय और दूसरा मृत्यु। माना जाता है कि ये वही जगह है जहां पर प्राचीन समय में पूरे विश्व का समय निर्धारित किया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर राजा चंद्रसेन और गोप बालक ने भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना की थी।
  2. ताजा भस्म चढ़ाई जाती है। आपने कई मंदिरो में भस्म देखी होगी लेकन उज्जैन के महाकाल में ताजा मुर्दे के भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। और महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने के लिए पहले से ही बुकिंग करानी पड़ती है।
  3. जूना महाकाल के दर्शन के अधूरी यात्रा – महाकाल के मंदिर में जाकर जूना महाकाल के दर्शन करना भी जरुरी माना जाता है वरना महाकाल के दर्शन अधूरे माने जाते है। कुछ कहानियों के अनुसार जूना महाकाल को मुगलों ने नष्ट करने की कोशिश की थी। मुगलों के डर से जूना महाकाल को मंदिर के पुजारियों ने दूसरे शिवलिंग से बदल दिया था।
  4. तीन खंडो में विभाजित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – मौजूदा समय में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन खंड है जिसमें से निचले खंड को महाकालेश्वर, मध्य खंड को ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर है। इनमें से नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन साल में एक बार नागपंचमी के दिन ही किए जा सकते है।
  5. नंदी दीप भी है आकर्षण का केंद्र – महाकाल के गृर्भगृह में दक्षिणमुखी शिवलिंग है जो माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ मौजूद है यहां पर नंदी दीप भी स्थापित है जो हमेशा ही जलाता रहता है।
  6. उज्जैन में महाकाल ही है राजा – उज्जैन के महाकाल से जुड़ी जो अहम बात है वो ये कि यहां पर कोई शाही या राज पद पर विराजमान व्यक्ति रात नहीं गुजार सकता है। माना जाता है कि उज्जैन में विक्रमादित्य के बाद कोई भी राजा नहीं हुआ। माना जाता है कि उज्जैन में केवल एक ही राजा रह सकता है और महाकाल को यहां का राजा माना जाता है इसलिए कोई ओर राजा यहां पर नहीं ठहर सकता है। जिस वजह से राजा भोज के काल से ही यहां पर किसी राजा ने रात नहीं गुजारी है। और इसी प्रथा को आज भी राजा, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक मानते है और यहां रात नहीं गुजारते है।

महाकाल मंदिर लोगों की आस्था का बहुत बड़ा प्रतीक है यही कारण है कि मान्यता कोई भी हो भक्त उसे पूरी करने पीछे नहीं हटते है। और शायद यही इस मंदिर असल  खासियत है जो इसे भारत के बाकी मंदिरों से अलग बनता है।

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जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के प्रभावशाली कथन – George Bernard Shaw Quotes in Hindi

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George Bernard Shaw Quotes in Hindi

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एक महान साहित्यकार, नाटककार होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। जिन्हें उनकी साहित्यिक प्रतिभा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जॉर्ज बर्नार्ड बहुमुखी प्रतिभा के महान व्यक्ति थे, उन्होंने अपने व्यक्तित्व का प्रभाव पूरी दुनिया में डाला। अपने महान विचारों और सोच के दम पर उन्होंने सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुआ और लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

जॉर्ज बर्नाड शॉ का संपूर्ण जीवन और उनके विचार प्रेरणा देने वाले हैं। इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के कुछ अनमोल विचारों के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप अपने सोशल मीडिया अकाउंटस फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सऐप आदि पर भी शेयर कर सकते हैं।

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के प्रभावशाली कथन – George Bernard Shaw Quotes in Hindi

George Bernard Shaw
Life isn’t about finding yourself. Life is about creating yourself

“ज़िन्दगी खुद को खोजने के बारे में नहीं है। ज़िन्दगी खुद को बनाने के बारे में है।

मेरा मजाक करने का तरीका है सच बताना। ये दुनिया का सबसे मजेदार मजाक  है।

“कभी सूअरों के साथ कुश्ती मत लड़िये। आप गंदे भी होते हैं और सूअर को इसमें मजा भी आता है।

जिंदगी अपनेआप को ढूंडने में नही है। जिंदगी तो अपनेआप को बनाने में है।

“सही तरह के निखार उन लोगो द्वारा जो सही तरह से निखार नही पाते साधारणतः निराशावाद कहा जाता है।

George Bernard Shaw Thought in Hindi

26 जुलाई, 1856 को आयरलैंड के डबलिन शहर में जन्में जॉर्ज बर्नार्ड शॉ को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा था लेकिन फिर भी कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी हुनर और काबिलियत के बल पर पूरी दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया एवं अपने विचारों से लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई।

उनका मानना था कि एक सज्जन व्यक्ति वह होता है, जो  कि दुनिया से जितना लेता है, उससे कहीं ज्यादा उसे देता है। उनके ऐसे विचार जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाले हैं।

जार्ज बर्नार्ड शा
Animals are my friends…and I don’t eat my friends.

“जानवर मेरे दोस्त हैं …और मैं अपने दोस्तों को नहीं खाता।

कम्युनिकेशन के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि इसके हो चुकने का भ्रम हो जाना।

“देशभक्ति मूल रूप से एक धारणा है कि कोई देश इसलिए दुनिया में सबसे अच्छा है क्योंकि आप वहां पैदा हुए थे।

खाने के प्यार जितना ईमानदार प्यार कही भी किसी का नही।

“वे लोग जो इस दुनिया के साथ रहते है वे वह लोग होते है जो खड़े होकर अपनी इच्छानुसार परिस्थितियों को ढूंडते है और यदि वे उन्हें ढूंड नही पाते तो फिर वे उन्हें बनाते है।

Hindi Quotes
Those who cannot change their minds cannot change anything.

“जो अपना दिमाग नहीं बदल सकते वे कुछ भी नहीं बदल सकते।

स्वतंत्रता का अर्थ जिम्मेदारी है। इसीलिए ज्यादातर लोग इससे डरते हैं।

“पहला प्यार केवल थोड़ी सी मूर्खता और ढेर साड़ी जिज्ञासा है।

गलतिया करते हुए बितायी हुई जिंदगी केवल बहुत सम्माननीय ही नही बल्कि कुछ ना करते हुए बितायी हुई जिंदगी से कयी ज्यादा उपयोगी भी है।

“जिंदगी में दो दुःखद घटनाये होती है: एक अपनी इच्छाओ नुसार चीजो को प्राप्त नही कर पाना, दूसरी इसे पाना।

George Bernard Shaw Quotes Communication

नोबेल पुरस्कार विजेता जॉर्ज बर्नार्ड शॉ द्धारा लिखित ”आर्म्स एंड द मैन”इनके प्रसिद्ध नाटको में से एक हैं। इसके अलावा इनके द्धारा रचित इनका पहला उपन्यास इम्माटुरिटी भी काफी मशहूर हुआ था। उन्होंने अपने महान विचारों से लोगों को अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मद्द की है।

उनना कहना था कि उस आदमी से हमेशा सावधान और दूर रहना चाहिए जो कि आपके घूंसे का जवाब नहीं देते, क्योंकि वो ना तो आपको माफ करते हैं और ना ही आपको खुद को माफ करने की अनुमति देते हैं। उनके ऐसे ही प्रेरणात्मक विचार जिंदगी जीने का सही तरीका बताने वाले हैं।

Motivational quotes in hindi
People who say it cannot be done should not interrupt those who are doing it.

“जो लोग कहते  हैं कि इसे नहीं किया जा सकता उन्हें उन लोगों को नहीं टोकना चाहिए जो कर रहे हैं।

झूठे ज्ञान से खबरदार रहिये ये अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।

“एक खुशहाल परिवार कुछ नहीं बस स्वर्ग से पहले का स्वर्ग है।

बदलाव के बिना प्रगति असंभव है और जो लोग अपने दिमाग को नही बदल सकते वे कभी कुछ नही बदल सकते।

“आप चीजो को देखते हो और कहते हो, “क्यों?” लेकिन मै ऐसी चीजो के सपने देखता हु जो कभी न हुई हो और कहता हूँ, “क्यों नही?”

 thoughts in hindi
Success does not consist in never making mistakes but in never making the same one a second time.

“सफलता कभी गलती ना करने में निहित नहीं होती बल्कि एक ही गलती दोबाराना करने में निहित होती है।

आप अपना चेहरा देखने के लिए आइना प्रयोग करते हैं; आप अपनी आत्मा देखने के लिए कलाकृतियाँ देखते हैं।

“एक सज्जन व्यक्ति वह है जो दुनिए से जितना लेता है उससे अधिक देता है।

सफलता का रहस्य है बड़ी संख्या में लोगों को नाराज़ करना।

“संवाद में सबसे बड़ी समस्या गलत फहमी ही होती है।

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मुहम्मद युनुस के अनमोल विचार…

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Quotes By Muhammad Yunus

मुहम्मद युनुस एक बांग्लादेशी सामाजिक उद्योगपति, बैंकर, अर्थशास्त्री और सिविल सोसाइटी के नेता थे जिन्हें ग्रामीण बैंक की खोज और माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस की योजना बनाने के लिये नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यहापर मुहम्मद युनुस – Muhammad Yunus के कुछ अच्छे विचार दिये है, जरुर पढ़े और आगे share करे।

मुहम्मद युनुस के अनमोल विचार – Quotes By Muhammad Yunus in Hindi

MUHAMMAD YUNUS QUOTES 14

“सभी इंसान जन्मजात उद्यमी होते हैं। कुछ लोंगो को यह क्षमता दिखाने का मौका मिलता है। कुछ लोंगोको कभी नहीं मिलता, उन्हें कभी नहीं पता चला की उसमे ये क्षमता है।”

MUHAMMAD YUNUS QUOTES 5

“जहाँ प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है वहीँ वास्तव में मायने ये रखता है कि हम इसका करते क्या हैं।

MUHAMMAD YUNUS QUOTES

“मेरी सबसे बड़ी चुनौती लोगों की सोच बदलना रही है। हमारी ही सोच हम पर अजीब चालें खेलती है। हम चीजों को उस तरह से देखते हैं जिस तरह हमारे दिमाग ने हमारी आँखों को देखने का आदेश दिये है।”

Muhammad Yunus Thoughts

28 जून, साल 1940 में बांग्लादेश में जन्में मुहम्मद युनुस एक उद्योगपति, महान अर्थशास्त्री, बैंकर, सिविल सोसायटी के नेता ही नहीं बल्कि एक सामाजाकि कार्यकर्ता भी हैं।

उन्होंने साल 1983 में  बेसहारा और गरीबों की मद्द के लिए बशर्तें लोन  देने वाली ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी। उनका मानना है कि क्रेडिट करना सभी का मौलिक अधिकार है और इससे व्यक्ति को गरीबी से उबरने में और कुछ नया करने में मद्द मिलती है।

मुहम्मद युनुस को ग्रामीण बैंक की खोज करने एवं माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस की योजना बनाने समेत दुनिया में कई हिस्सों में गरीबों की स्थिति को सुधारने एवं बेहतर बनाने के लिए साल 2006 में नोबल नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

उनका मानना है कि परिवर्तन ही आपके प्रयास का तीव्र परिणाम है। वहीं उनके इसी तरह के अनमोले विचार प्रेरणा देने वाले एवं जीवन को बदलने वाले हैं। इसलिए आज आपको अपने इस लेख में मुहम्मद युनुस  के अनमोल विचारों को बता रहे हैं।

जिन्हें आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सऐप एवं इंस्टाग्राम आदि पर भी शेयर कर सकते हैं और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के अंदर जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा पैदा कर सकते हैं।

muhammad yunus quotes

“गरीबी इंसानो पर एक बाहरी, कृत्रिम थोपी हुई चीज है। यह इंसान में जन्मजात नहीं है और चूँकि ये बाहरी चीज है, इसे बिलकुल हटाया जा सकता है। बस ऐसा करने का ही सवाल है।”

muhammad yunus quotes

“पैसा बनाना एक खुशी है। और यह एक बहुत बड़ा  प्रोत्साहन है। अन्य लोगों को खुश करना बहुत बड़ी खुशी है।

muhammad yunus quotes

“खुब जियो ग्रामीण बैक, गरीब महिलाओं की शक्ति प्रबल रहे।

Muhammad Yunus Quotes on Life

ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद युनुस ने 70 के दशक में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक से गरीबों को  पर्सनल लोन उपलब्ध करवाकर गरीबी उन्मूलन की दिशा में बड़ा कदम उठाया था। वहीं आज ग्रामीण बैंक की ब्रांच दुनिया भर में 100 से भी ज्यादा देशो में है।

उनके जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है और उनके द्धारा कहे गए महान एवं अनमोल विचारों को अपनाने की जरूरत है।

muhammad yunus quotes

“बदलाव ही आपके तीव्र प्रयास का परिणाम है।”

muhammad yunus quotes

“व्यापार समस्याओं को हल करने की बहुत सुंदर व्यवस्था है, लेकिन हम उस उद्देश्य के लिए इसका इस्तेमाल कभी नहीं करते। हम केवल पैसे बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। यह हमारे स्वार्थ को तो संतुष्ट करता है लेकिन सामूहिक हित को नहीं।”

muhammad yunus quotes on life

“हम विद्यार्थियों को जॉब और करियर के लिये तैयार करते है लेकिन हम कभी उन्हें यह सोचना नही सिखाते की वो अपने दिमाग में किस तरह की दुनियाँ का निर्माण कर सकते है।”

Muhammad Yunus Quotes Entrepreneurship

मुहम्मद युनुस अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रुप में अपनी सेवाएं देने के साथ-साथ महिलाओं पर आयोजित चौथे विश्व सम्मेलन के अंतराष्ट्रीय सलाहकार समूह के सदस्य के रुप में भी काम कर चुके हैं।

उनके महान कामों और उपलब्धियों के लिए उन्हें कई अंतराष्ट्रीय पुरुस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। वहीं उनके द्धारा कहे गए महान विचार युवाओं के अंदर आगे बढ़ने का जज्बा कायम करते हैं।

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“मनुष्यों में भारी लचीलापन है।

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“सत्य तो ये है की गरीब जिंदा है और यही उनकी क्षमता का सबसे बड़ा सबुत है।”

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“मनुष्य सिर्फ पैसा कमाने से कहीं बढ़कर हैं।

muhammad yunus thoughts

“सभ्यता ने हमें भारी सफलताये दी हैं : चंद्रमा पर जाने की प्रौद्योगिकी। लेकिन इसी सभ्यता ने हमें ऋण, पर्यावरण संकट, और कई तरह के संकट में डाला है। हमें ऐसी सभ्यता की ज़रुरत है जहाँ हम इन चीजों को अलविदा कह सकेँ।”

muhammad yunus thoughts

“गरीबी सभी मानव अधिकारों की अनुपस्थिति के समान है। घोर गरीबी से उत्पन्न कुंठा, दुश्मनी और क्रोध किसी भी समाज में शांति बने रहने नहीं दे सकते।”

muhammad yunus thoughts

“हम एक गलत पूंजीवादी व्यवस्था बना ली है। हम मनुष्य को एक आयामी मानते हैं, हम मानते हैं कि वे बस पैसा बनाते हैं, इसीलिए हमने पैसों पर केंद्रित एक दुनिया बना ली है।

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