खाने का नाम लिया तो हमरे मुह में पानी आ जाता हैं। और हमारे शरीर के लिए अच्छा भी हैं। लेकिन एक इन्सान ऐसा भी हैं जिसने कई सालों तक अन्न और पानी नहीं पिया। हैं ना हैरान करने वाली बात ज्यादा सोचो मत उसके बारेमें पूरी जानकारी आगे पढो।
बिना खाने पिने के जिन्दा हैं 75 साल से वो इन्सान – Prahlad Jani
प्रहलाद जानी को “माताजी” के नाम से भी जाना जाता है। वे एक भारतीय साधू है जिन्होंने 1940 से बिना अन्न और पानी के रहने का दावा किया है।
चुनरीवाला माताजी के नाम से 13 अगस्त 1929 को जन्मे जनी का पालन पोषण मेहसाना जिले के चारदा में हुआ। जानी के अनुसार 7 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना राजस्थान का घर छोड़ दिया था और जंगलो में रहने लगे थे।
11 साल की उम्र में ही जानी ने एक धार्मिक अनुभव किया और हिन्दू देवी अम्बा के भक्त बन गए। उसी समय से उन्होंने देवी अम्बा के वस्त्रो को पहनने की शुरुवात की और लाल साडी जैसे परिधान, ज्वेलरी और किरमिजी के फूलो का श्रुंगार करने लगे। जानी को साधारणतः “माताजी” के नाम से जाना जाता है। जानी का मानना है की देवी ने उन्हें तरल निर्वाह प्रदान किया था, जो उनके तालू में जाकर गिरा, और इसी वजह से वे बिना अन्न और पानी के जीवित रह सकते है।
1970 से जानी अम्बाजी के गुजराती मंदिर के पास वर्षावन की एक गुफा में साधू की तरह रहते है। रोज सुबह 4 बजे उठकर वे अपना ज्यादातर समय ध्यान लगाने में व्यतीत करते है।
जाँच पड़ताल:
2003 टेस्ट:
2003 में भारत के अहमदाबाद के स्टर्लिंग हॉस्पिटल के कुख्यात डॉ. सुधीर शाह और दुसरे चिकित्सको ने मिलकर 10 दिन तक जनी की देख-रेख की। वे सील रूम में रुके थे। डॉक्टरो के अनुसार देख-रेख के समय उन्होंने मूत्र और मल त्याग भी नही किया, लेकिन मूत्राशय में उनके मूत्र का निर्माण होता दिखाई देता था। अस्पताल के प्रवक्ता का कहना था की जानी शारीरक रूप से साधारण है लेकिन उनके पेट में पाया जाने वाला छिद्र निश्चित रूप से असाधारण अवस्था में है। इन 10 दिनों में जानी का वजन तक़रीबन धीरे-धीरे कम होने लगा, जिसके चलते उनके द्वारा किये जा रहे दावों तक शक हो सकता है।
2010 टेस्ट:
22 अप्रैल से 6 मई 2010 तक प्रहलाद जानीको पुनः डॉ. सुधीर शाह की देख-रेख में रहना पड़ा और इस बार DIPAS के 35 खोजकर्ता उनपर ध्यान रख रहे थे। DIPAS के डायरेक्टर ने कहा था की अध्ययन का परिणाम वास्तव में अद्भुत और आश्चर्यजनक है और उन्होंने यह भी कहा की जो इंसान लंबे समय तक अन्न खाए और पानी पिए जीवित रह सकता है उसमे निश्चित रूप से कोई तो अलौकिक शक्ति जरुर होंगी।
इस टेस्ट को स्टर्लिंग हॉस्पिटल में संचालित किया गया था। SRISTI के प्रोफेसर अनिल गुप्ता भी टेस्ट को देख-रेख में शामिल थे।
देख-रेख के समय विशेषज्ञों का समूह रोज जानी की मेडिकल जाँच, ब्लड टेस्ट और स्कैन करते थे। साथ ही 24 घंटे उन्हें CCTV की निगरानी में रखा गया था। विशेषज्ञों के अनुसार जानी को केवल टेस्ट और रिसर्च के लिए ही कमरे से बाहर लाया जाता था, जिसमे भी उनकी विडियो रिकॉर्डिंग की जाती थी। विशेषज्ञों के अनुसार जनी का संबंध यदि किसी तरल पदार्थ से होता था तो वह गरारा करते समय या पांचवे दिन नहाते समय ही होता था। साथ ही जनी के कमरे के टॉयलेट को भी बंद कर दिया था, क्योकि उनके अनुसार उन्हें टॉयलेट जाने की भी जरुरत नही पड़ती थी।
15 दिन की देख-रेख में रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने ना कुछ खाया और ना ही कुछ पिया और ना ही टॉयलेट गये। इस प्रकार जनी से जुड़े हुए सारे मेडिकल टेस्ट साधारण मालूम हुए और खोजकर्ताओ ने भी उनके स्वास्थ को स्वस्थ बताया। डॉक्टरो के अनुसार जनी के मूत्राशय में मूत्र का उतार-चढाव होता रहता है और जनी आसानी से मूत्राशय के माध्यम से मूत्र कर सकते है, लेकिन फिर भी वे मूत्र का त्याग नही करते। खोजकर्ताओ के अनुसार उनकी मानसिक स्थिति काफी मजबूत है, तभी वे सालो तक बिना कुछ खाए-पिए रह सकते है।
DIPAS ने 2010 में यह भी बताया था की उनके शरीर पर और भी जाँच की जानी बाकी है। इस बात का पता लगाना आवश्यक है की उन्हें उर्जा कहा से मिलती है?, वे अपने शरीर में मिनरल्स और पोषक तत्वों के संतुलन को कैसे बनाए रखते है? और कैसे जीवित रह सकते है।
टेलीविज़न, विडियो और सामाजिक दिखावे:
2006 में दी डिस्कवरी चैनल ने “दी बॉय विथ डीवाईन पॉवर” नामक डाक्यूमेंट्री बनाई है, जिसमे जनी और शाह के साथ पांच मिनट का साक्षात्कार भी लिया गया है। 2010 में ITN ने प्रहलाद जानीको समर्पित एक आर्टिकल और विडियो भी प्रस्तुत किया है। 2010 में प्रहलाद जानीहमें ऑस्ट्रियन डाक्यूमेंट्री “एम् एन्फंग वॉर डस लित्च” में भी दिखाई दिए।
अक्टूबर 2010 में इटालियन टेलीविज़न स्टेशन राय2 ने “वॉयेजर” नामक कार्यक्रम की शुरुवात की थी, जिसमे प्रहलाद जानी और उनके टेस्ट से जुडी हुई रोचक बातो को प्रदर्शित किया गया था।
अक्टूबर 2011 में जनी को गांधीनगर के पास शोभायात्रा में परमपूज्यं की उपाधि दी गयी। जिसमे देवी दुर्गा के 1000 पाठो का पाठन किया गया।
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