Ishwar Chandra Vidyasagar Ki Jivani
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रकाशक, शिक्षाशास्त्री, समाज सुधारक और लेखक थे, जिन्होंने विधवा पुर्नविवाह के लिए कानून पारित करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्हें अपनी सादगी, सहनशीलता और देशभक्ति के लिए भी जाना जाता था।
उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में उस दौरान महिलाओं के हक में अपनी आवाज उठाई थी, जब महिलाओं के साथ असमानता का व्यवहार किया जाता था और महिलाओं की पढ़ाई-लिखाई पर भी कुछ ज्यादा महत्व नहीं दिया था। एवं विधवा महिलाओं के साथ काफी बुरा बर्ताव किया जाता था।
इसलिए उन्हें विधवा महिलाओं के मसीहा के रुप में भी जाना जाता है। इसके अलावा उन्होंने समाज में फैली तमाम तरह की कुरोतियां जैसे बहुपत्नी प्रथा, सती प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई थी।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी का मानना था कि अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं के ज्ञान का समन्वय करके ही भारतीय और पश्चिमी परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है, तो आइए जानते हैं महान समाज सुधारक एवं विधवा पुनर्विवाह के प्रबल सर्मथक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जीवन परिचय – Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी की जीवनी एक नजर में – Ishwar Chandra Vidyasagar Information in Hindi
पूरा नाम (Name) | ईश्वर चन्द्र विद्यासागर |
जन्म (Birthday) | 26 सितम्बर, 1820, पश्चिम बंगाल |
पिता (Father Name) | ठाकुरदास बन्धोपाध्याय |
माता (Mother Name) | भगवती देवी |
मृत्यु (Death) | 29 जुलाई, 1891, कोलकाता |
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म, परिवार, शिक्षा एवं शुरुआती जीवन – Ishwar Chandra Vidyasagar History
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी 26 सितम्बर, 1820 में पश्चमी बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर ज़िला में एक बेहद गरीब परिवार में ईश्वरचन्द्र बन्दोपाध्याय के रुप में जन्में थे। इनके पिता का नाम ठाकुरदास बन्धोपाध्याय और माता का नाम भगवती देवी था।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी शुरु से ही बेहद तेज बुद्दि के बालक थे, जिन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल में ही रहकर प्राप्त की थी। 6 साल की छोटी सी उम्र में ही वे अपने पिता के साथ कोलकाता में आकर बस गए थे।
वहीं ईश्वरचन्द्र जी की प्रतिभा और पढ़ाई की तरफ रुझान देखते हुए उन्हें कई शैक्षणिक संस्थानों द्धारा स्कॉलरशिप भी उपलब्ध करवाई गईं थी।
साल 1839 में उन्होंने अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की थी, जिसके बाद वे अपनी बुद्धिमत्ता और विवकेशीलता के बल पर आगे बढ़ते रहे और बाद में एक महान दार्शनिक, विचारक, समाजसुधारक, स्वतंत्रता सेनानी के रुप में अपनी पहचान बनाई।
उन्हें बंगाल के पुनर्जागरण स्तंभों में से भी एक माना जाता है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि कि ईश्वर चन्द्र जी की अद्भुत प्रतिभा के चलते ही उन्हें ”विद्यासागर” की उपाधि से नवाजा गया था।
शिक्षक के तौर पर की थी अपने करियर की शुरुआत – Ishwar Chandra Vidyasagar As Teacher
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी एक बेहद निर्धन परिवार में जन्में थे, इसलिए अपने परिवार का गुजर बसर करने के लिए शुरुआत में उन्होंने अपनी पढ़ाई खत्म कर शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी।
उन्होंने साल 1841 में फोर्ट विलियम कॉलेज में संस्कृत के टीचर के रुप में पढ़ाया था फिर इसके बाद संस्कृत कॉलेज में उन्हें सहायक सचिव के रुप में काम किया था। वहीं इस दौरान उन्होंने एजुकेशन सिस्टम को सुधारने के प्रयास शुरु कर दिए थे और प्रशासन को प्रस्ताव भेजा था।
हालांकि उन्हें अपने इस कदम के लिए कॉलेज छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हालांकि, कुछ समय बाद उन्हें साहित्य के प्रोफेसर के तौर पर फिर से संस्कृत कॉलेज में अपनी सेवाएं देनी पड़ी थी।
यही नहीं इसके बाद उन्हें इस कॉलेज में प्रिंसिपल के तौर पर भी नियुक्त किया गया था, लेकिन फिर बाद में किन्हीं कारणों के चलते उन्होंने रिजाइन कर दिया था और एक बार फिर से वे फोर्ट विलियम कॉलेज में प्रधान लिपिक के तौर पर काम करने लगे थे।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की शादी एवं बच्चे – Ishwar Chandra Vidyasagar Life Story
14 साल की उम्र में उनका विवाह दीनामनी देवी नाम की महिला से हुआा। शादी के बाद दोनों को नारायण चन्द्र नाम का बेटा भी हुआ।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी अपने परिवार वालों की संकुचित मानसिकता की वजह से काफी दुखी रहते थे, जिसके बाद वे अपने घरवालों को छोड़कर जमात जिले के ‘नंदनकणान’ गांव में रहने चले गए थे और जीवन के आखिरी समय तक वहां ही रहे।
पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की आवाज थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर – Ishwar Chandra Vidyasagar As A Social Reformer
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक महान समाज सुधारक थे, जिन्होंने पुरुष प्रधान देश में महिलाओं को उनका हक दिलवाने के लिए तमाम संघर्ष किए। उन्होंने महिलाओं को समाज में उचित स्थान दिलवाने और पुरुषों के समान अधिकार दिलवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उस दौरान जब समाज में विधवा महिलाओं के साथ रुढ़िवादी परंपराओं के तहत कठोर व्यवहार किया जाता था, तब ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी ने विधवा पुनर्विवाह कानून पारित करवाया था, इसलिए उन्हें विधवा महिलाओं के मसीहा के रुप में भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि उस दौरान ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी के लिए विधवा पुर्नविवाह कानून लागू करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। इसके लिए उन्हें तमाम संघर्ष झेलने पड़े थे और तमाम पापड़ बेलने पड़े थे, तब जाकर समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सका था।
विधवा पुनर्विवाह कानून के लिए पहले ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी ने लोकमत तैयार किया था और फिर कई सालों की कोशिशों के बाद साल 1856 में यह कानून पारित हो सका था।
यही नहीं उन्होंने अपने इकलौते बेटे नारायण चन्द्र की शादी भी एक विधवा महिला के साथ करवाकर समाज में मिसाल पेश की थी।
इसके अलावा उन्होंने बाल विवाह, बहुपत्नी प्रथा के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई थी और महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जमकर प्रचार-प्रचार किया था।
महिलाओं की शिक्षा को दिया जमकर बढ़ावा:
महान समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी ने न सिर्फ समाज में विधवाओं की स्थिति सुधारने का काम किया, बल्कि महिलाओं की शिक्षा को भी काफी बढ़ावा दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए स्कूलों की एक श्रंखला के साथ कोलकाता में मेट्रोपॉलिटन कॉलेज की स्थापना की।
यही नहीं उन्होंने लड़कियों के लिए खोले गए स्कूलों का खर्च का बीड़ा भी अपने कंधों पर उठाया था और वे अपनी किताबें लिखकर जो भी पैसे कमाते थे, उसकी कमाई लड़कियों की पढ़ाई के लिए लगा देते थे।
इसके अलावा उन्होंने बंगाली भाषा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था, इसलिए उन्हें आधुनिक बंगाली भाषा का जनक भी माना जाता है।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी की मृत्यु – Ishwar Chandra Vidyasagar Death
अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित करने वाले ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी का स्वास्थ्य उनके जीवन के आखिरी दिनों में काफी खराब रहने लगा था, जिसके चलते 29 जुलाई, 1891 में कोलकाता में उन्होंने अपने जीवन की आखिरी सांस ली।
उन्हें समाज में महिलाओं के लिए किए गए काम एवं विधवा पुर्नविवाह कानून पारित करवाने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
Note: आपके पास About Ishwar Chandra Vidyasagar in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे।
अगर आपको Life History Of Ishwar Chandra Vidyasagar in Hindi Language अच्छी लगे तो जरुर हमें WhatsApp और Facebook पर share कीजिये।
The post ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जीवन परिचय appeared first on ज्ञानी पण्डित - ज्ञान की अनमोल धारा.