15 August – Independence Day essay in Hindi
15 August – 15 अगस्त हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है हम सबकों पता हैं भारत ने 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता हासिल की। जिसे हम स्वतंत्रता दिवस – Independence Day के रूप में हर साल 15 अगस्त को मनाते जाता है इसलिए, यह दिन भारत के नागरिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वतंत्रता दिवस, भारत का प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है, जो कि हर भारतीय के लिए बेहद महत्वपूर्ण और खास दिन है। इसी दिन हमारा भारत देश, क्रूर ब्रिटिश शासकों के चंगुल से सालों बाद आजाद हुआ था। वहीं भारत को आजादी दिलवाने के लिए भारत माता के कई महान वीर सपूत और स्वतंत्रता सेनानियों कई सालों तक लड़ाई लड़ी और कठिन संघर्ष किया।
आजादी की इस लड़ाई में भारत के इन शहीदों ने न सिर्फ अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया बल्कि कई वीरों ने अपने प्राणों तक की आहुति दे दी। इन वीर जवानों के आत्मसमर्पण, त्याग और बलिदान की वजह से ही आज हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं।
वहीं स्वतंत्रता दिवस के दिन इन सभी वीर जवानों को याद करने के लिए और इनके प्रति अपने कृतज्ञता प्रकट करने के साथ-साथ आज की युवा पीढ़ी के अंदर भारत के वीर जवानों के लिए सम्मान का भाव पैदा करने एवं आजादी के महत्व को समझाने के लिए कई स्कूलों में विद्यार्थियों को स्वतंत्रता दिवस / 15 अगस्त पर निबंध (Independence Day Essay) लिखने के लिए भी कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –
“15 अगस्त” स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – 15 August Independence Day essay
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को सभी भारतीय स्वतंत्रता दिवस समारोह का जश्न मनाते हैं। हमारा देश, भारत, एक गौरवशाली इतिहास के साथ एक प्राचीन भूमि है। हमारी समृद्ध परंपरा और विभिन्नताओं ने भारत को एक प्रतिष्ठित भूमि बनाया।
बहुत कठिन संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त, 1947 को, हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यहाँ सभी जाति, धर्म और पंथ के लोग इस दिन को बड़े आनन्द के साथ मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पूरे भारत में बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग बैठकें आयोजित करते हैं। तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्रगान (जन गण मन) गाया जाता हैं।
भारत की राजधानी दिल्ली में लोग लाल किले के सामने परेड ग्राउंड में बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं। विदेशी राजदूत और गणमान्य व्यक्ति भी समारोह में हिस्सा लेते हैं। भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। 21 बंदूकों की सलामी दी जाती है।
देश की आजादी के लिए जीन स्वतंत्रता सेनानी और भारत के शहीद जवानों ने अपने जीवन का त्याग किया उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। प्रधानमंत्री के भाषण के बाद, यह कार्य हमारे राष्ट्रीय गान के साथ समाप्त हो जाता हैं।
हर साल हम स्वतंत्रता दिवस की स्वतंत्रता की भावना और श्रद्धा और बलिदान के लिए श्रद्धांजलि के रूप में मनाते हैं।
भारत के स्वतंत्रता दिवस पर, हम सभी महान व्यक्तियों को स्मरण करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्कूल और कॉलेजों में भी स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जाता हैं। जहां अध्यापकों और छात्रों द्वारा कई गतिविधियां की जाती हैं।
भारत का स्वतंत्रता दिवस न केवल उत्सव का एक दिन है, यह स्मरण और पूजा का दिन है। हमारे अस्तित्व का, हमारे शहीदों को याद करने का दिन हैं जिन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन त्याग दिया। हम सशस्त्र बल के कर्मियों को अपनी आभारी कृतज्ञता देते हैं, जो हमें अपनी खुशी, भलाई और सुरक्षा की कीमत पर गार्ड करते हैं।इस तरह हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
हम दिल से यही दुआ करते हैं की हमारा यह देश ऐसे ही शान से फलता फूलता रहे।
।।“जय हिन्द वंदेमातरम्” ।।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – Essay On Independence Day in Hindi
प्रस्तावना–
कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी करने और अत्याचारों को सहने के बाद हमारा भारत देश 15 अगस्त, सन् 1947 में ब्रिटिश राज से आजाद हुआ था।
इसलिए इस दिन को भारत में हर साल स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं और देश के उन वीर सपूतों को याद करते हैं जिन्होंने भारत देश को आजादी दिलवाने के लिए तमाम लड़ाईयां लड़ी और अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया एवं प्राणों की बाजी लगा दी।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशाँ होगा
वीरों के बलिदान को याद करने का दिन
ब्रिटिश शासकों ने कई सालों तक भारत की जनता पर अमानवीय अत्याचार किए और जुल्म ढाए थे, जिससे भारत की जनता त्रस्त हो गई थी। जिसे देखते हुए भारत के सच्चे वीर सपूत महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्र शेखऱ आजाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, तात्या टोपे समेत भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ न सिर्फ अपनी आवाज उठाई बल्कि अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने और देश को उनके जुल्मों से मुक्त करवाने का दृढ़संकल्प लिया।
भारत को ब्रिटिश राज से आजादी दिलवाने के लिए वीर सपूतों ने अपने क्रांतिकारी विचारों और भाषणों से सभी भारतीयों के मन में आजादी पाने की अलख जगाई और अंग्रेजों के प्रति रोष भरा साथ ही इसके लिए कई सालों तक लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति तक दे दी।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपना सशक्त हथियार बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ों आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, दांडी मार्च, सविनय अवज्ञा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह समेत कई आंदोलन चलाकर न सिर्फ अंग्रेजों को भारतीयों की अदम्य शक्ति का एहसास दिलवाया बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर भारत की आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वहीं दूसरी तरफ सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद जैसे वीर सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ कई क्रांतिकारी कदम उठाने का साहस कर अंग्रेजों की नाक पर दम कर अंग्रेजों को भारत से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया और क्रांति की ज्वाला फैलाकर अपने प्राणों की आहुति दी।
इसके अलावा समय-समय पर तात्या टोपे, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मी बाई समेत देश के कई वीर योद्धा अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते रहे।
इस दौरान भारत माता के कई स्वतंत्रता सेनानियों को न सिर्फ अंग्रेजों के अत्याचारों और विरोध का सामना करना पड़ा था, जेल की यातनाएं सहनी पड़ी थीं बल्कि अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी।
भारत के ये वीर सपूत देश को आजादी दिलवाने के लिए देश के सभी जाति धर्म, संप्रदायों के लोगों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आखिरी सांस तक वीरता के साथ लड़ाई करते रहे।
इस तरह इन वीर सपूतों के त्याग, बलिदान और आत्मसमर्पण के चलते 15 अगस्त, 1947 को हमारा भारत देश अंग्रेजों से आजाद हुआ। इसलिए हर साल भारत में हम इस दिन को स्वतंत्रतता दिवस के रुप में मनाते हैं।
15 अगस्त के दिन देशभक्ति से ओतप्रोत होता है वातावरण:
15 अगस्त के दिन हर भारतीय आजादी के जश्न में डूबा रहता है। इसे हर भारतीय बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाता है। इस खास दिन को लेकर कई दिन पहले से ही तैयारियों शुरु होने लगती है।
इस मौके पर स्कूल, कॉलेज समेत सरकारी और निजी संस्थानों में हर जगह ध्वजारोहण होता है और कई रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता आदि का भी आयोजन होता है।
वहीं आजादी के इस पर्व के मौके पर हर साल भारत के प्रधानमंत्री द्धारा दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया जाता है और यहां भारतीय सेना की विशाल परेड का आय़ोजन किया जाता है एवं अलग-अलग राज्यों की सुंदर झांकियां प्रदर्शित की जाती है और राष्ट्रगान की धुन के साथ यहां पूरा वातावरण देशभक्ति से सराबोर हो उठता है।
इस दिन देश के हर कोने में आजादी का जश्न मनाया जाता है और इस दिन देश के लिए मर-मिटने वाले शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
निस्कर्ष
भारत में स्वतंत्रता दिवस का हर भारतीय के लिए विशेष महत्व है। इस दिन देश के उन शूर्यवानों की वीरगाथा सुनाई जाती है और उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट की जाती है, जिनकी बदौलत आज हम स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं। वहीं हम सब भारतीयों को इस दिन हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए।
इसके साथ ही अपने भारत देश को कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, जमाखोरी, रिश्वतखोरी आदि से भी आजाद करवाने के लिए शपथ लेना चाहिए और भारत देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए ताकि हमारा देश निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सके और पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श देश बन सके।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – Swatantrata Diwas Essay in Hindi
प्रस्तावना –
15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास दिन है, जिसे सभी जाति, धर्म, पंथ, लिंग समुदायआदि के लोग मिलजुल कर बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं।
इसी दिन सन् 1947 में कई सालों के बाद ब्रिटिश राज से आजादी मिली थी। इस मौके पर हम देश के लिए मर-मिटने वाले देश के उन वीर सपूतों को याद करते हैं और उनकी वीरगाथा का गुणगान करते हैं और उन्हें श्रद्धापूर्वक श्रंद्दाजली अर्पित करते हैं।
15 अगस्त पर लाल किले पर झंडा रोहण की शुरुआत:
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947, की रात में अपने ऐतिहासिक भाषण ”ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” के साथ देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने की घोषणा की थी।
और दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया था, तभी से हर स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री द्धारा लाल किले पर झंडा फहराया जाता है और इस मौके पर कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व – Importance of Independence Day
भारत में स्वतंत्रता दिवस का हर भारतीय के लिए बेहद खास महत्व है। इस राष्ट्रीय पर्व का हर भारतीय को बेसब्री से इंतजार रहता है। सभी लोग मिलजुल कर इस पर्व को हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के इस पर्व के दिन देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर जवानों को याद किया जाता है एवं देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों को भावपूर्व श्रद्दांजली अर्पित करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज की युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता के महत्व को बताया जाता है साथ ही वीर सपूतों के त्याग और बलिदान की शौर्यगाथा भी सुनाई जाती है, ताकि उनके मन में राष्ट्र के प्रति प्रेम और अपने स्वतंत्रता सेनानियों के लिए सम्मान की भावना जागृत हो सके।
स्वतंत्रता दिवस, हम सभी भारतीयों के लिए बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि इस पर्व के बहाने हम सभी को एक साथ मिलजुल कर रहने और अपनी स्वतंत्रता के महत्व को समझने में मद्द मिलती है।
यह राष्ट्रीय उत्सव देश की आजादी के लिए लड़ी गईं लड़ाईयों और इसके संघर्ष के इतिहास को जिंदा रखता है एवं इसके सही मूल्यों को लोगों को समझाता है। इस मौके पर कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम होते हैं साथ ही कई इलाकों में आसमान में लोग रंग बिरंगी पतंगे उड़ाकर आजादी का जश्न मनाते हैं।
शहीदों को किया जाता है नमन:
भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी दिलवाने के लिए हमारे देश के कई वीर जवानों में अपना लहु बहाया था और अपने प्राणों की आहुति दी थी। तब जाकर कई सालों के बाद हमारा भारत देश अंग्रेजों के चंगुल से 15 अगस्त, 1947 को आजाद हो सका था।
वहीं इस दिन देश के लिए मर-मिटने वाले उन शहीदों को याद कर आज हर भारतीय की आंखें नम हो जाती हैं।इसलिए सभी भारतीय इस पर्व के दिन शहीदों को सच्चे मन से याद कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन:
राष्ट्रीयता के इस पर्व 15 अगस्त के मौके पर दिल्ली के लाल किले में भारत के प्रधानमंत्री द्धारा झंडा फहराया जाता है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले से हर साल देश की जनता को संबोधित करते हैं और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने एवं देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए शपथ लेते हैं।
इस मौके पर भारत की जल, थल और वायु सेना अपनी ताकत और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इसके साथ ही इस पर्व के मौके पर भारत के तिरंगा झंडा को 21 तोपों की सालमी दी जाती है और हेलीकॉप्टर के साथ फूल बरसा कर तिरंगा का सम्मान किया जाता है। आजादी के इस पर्व के मौके पर लाल किले पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
जिसमें बड़ी संख्या में लोग शिरकत करते हैं। इस मौके पर देश के सभी राज्य अपनी-अपनी लोकसंस्कृति, सभ्यता और परंपरा को खूबसूरत झांकियों के द्धारा प्रर्दशित करते हैं। वहीं इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे सभी राजनेता देश के वीर सपूतों के बलिदान को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। इस दिन पूरा वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत होता है।
इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है। इस दिन स्कूल, कॉलेज समेत तमाम शिक्षण संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं।
राष्ट्रीयता के इस पर्व को सभी भारतवासी अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। इस दिन हर कोई देशभक्ति में डूबा रहता है।
वहीं इस मौके पर स्कूल-कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों, राजनीतिक कार्यालय में तिरंगा झंडा फहराया जाता है और देशभक्ति से जुड़े कई सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है।
इसके साथ ही इस दिन देश के लिए मर मिटने वाले भारत के महान क्रांतिकारियों और वीर सपूतों को याद किया जाता है और उन्हें सच्चे मन से श्रद्दासुमन अर्पित किए जाते हैं।
इसके अलावा इस दिन टेलीविजन पर भी देशभक्ति पर बनी कई फिल्में और कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं, जिसे देखकर लोग आजादी का जश्न मनाते हैं।
निस्कर्ष
स्वतंत्रता दिवस के इस राष्ट्रीय पर्व पर सभी भारतवासी मिलकर आजादी का जश्न मनाते हैं और अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने एवं देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के संकल्प लेते हैं।
“आजाद भारत के लाल हैं हम
आज शहीदों को सलाम करते हैं
युवा देश की शान हैं हम
अखंड भारत का संकल्प करते हैं।।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – Swatantrata Diwas Par Nibandh
प्रस्तावना
15, अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए बेहद गौरवमयी दिन है, इसी दिन भारत मात के कई वीर सपूतों के बलिदान के बाद सन् 1947 में कई सालों के संघर्ष और लड़ाई के बाद हमारा भारत देश अंग्रजों के चंगुल से आजाद हुआ था।
इसलिए हर साल इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं और सभी भारतवासी मिलकर आजादी का जश्न मनाते हैं और शहीदों की बलिदानगाथा को याद करते हैं।
“चलो फिर से आज खुद को जगाते हैं
अनुशासन का डंडा फिर से घुमाते हैं
सुनहरा रंग हैं इस स्वतंत्रता दिवस का
हीदों के लहु से ऐसे शहीदों को हम सब मिलकर शीश झुकाते हैं।।
आजादी का इतिहास
भारत देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी ऐसे ही नहीं मिली बल्कि इसका इतिहास काफी पुराना है।
भारत की स्वतंत्रता की कहानी बहुत लंबी है, जिसमें अलग-अलग स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने साहस और धैर्यता के साथ संघर्ष किया, इस संघर्ष में कई वीरों को अपने प्राणों की भी आहुति देनी पड़ी थी तो कई साहसी योद्धा और महान नेताओं ने अपना पूरा जीवन देश की आजादी के लिए कुर्बान कर दिया था।
आजादी की यह लड़ाई कुछ दिन नहीं बल्कि कई सालों तक लड़ी गई थी, यह कठोर संघर्ष की दास्ता और एक थका देने वाली लड़ाई थी, हालांकि इस लड़ाई में भारतीयों की जीत हुई और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।
वहीं अगर देश की आजादी के इतिहास पर ध्यान दें तो गुलाम भारत को आजादी दिलवाने के लिए 17वीं सदी से ही लड़ाई की शुरुआत हो गई थी। इस दौरान यूरोपीयन व्यापारी, भारत में अपना कब्जा जमाने की फिराक में और भारतीय उपमहाद्धीप में खुद को स्थापित करने की जुगल में तेजी से लग गए थे।
वहीं 1757 में हुई प्लासी की लड़ाई और 1764 में हुए बक्सर के युद्द में, भारत ने विदेशी ताकतों का मुकाबला तो किया था, लेकिन भारत अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो पाया था और वह यह लड़ाईयां हार गया था और इसके बाद ही ब्रिटिश कंपनी ने भारत में अपने पांव पसारने शुरु कर दिए थे और 18वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के कई राज्यों में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।
वहीं इस दौरान इस कंपनी ने भारत में कई कड़े नियम कानून बनाकर भारतीय जनता को काफी परेशान किया था साथ ही किसान और मजबूर वर्ग के लिए कई दमनकारी नीतियां लागू की थी, जिसके चलते भारतीयों के मन में विदेशी शासक के खिलाफ काफी गुस्सा भर गया था और उनके लिए नफरत पैदा हो गई थी।
वहीं अंग्रेजों की इन्हीं दमनकारियों नीतियों के चलते ही 1857 की महाक्रांति हुई, जिसकी शुरुआत 10 मई, 1857 में उत्तरप्रदेश के मेरठ से हुई थी। वहीं 1857 की लड़ाई को गुलाम भारत को आजाद करवाने की पहली लड़ाई माना जाता है।
इस लड़ाई में तात्या टोपे, रानी लक्ष्मी बाई, नाना साहब, बेगम हजरत महल, रानी अवंती बाई और बाबू कुंवर जैसे महान क्रांतिकारियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वहीं इस लड़ाई से हमारा भारत देश आजाद तो नहीं हो सका था, लेकिन हर भारतीय पर इस क्रांति का गहरा प्रभाव पड़ा था, और भारतीयों के अंदर आजादी पाने की अलख जाग उठी थी।
इसके साथ ही 1857 की लड़ाई के बाद ब्रिटिश शासकों को भारतीयों की ताकत का अंदाजा लग गया था और इसके बाद ही भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की क्रूर और दमनकारी नीतियां कमजोर पड़ने लगी थीं।
वहीं 1857 में हुए देश की आजादी की इस पहले विद्रोह की खास बात यह रही कि इस लड़ाई से भारतीयों के मन में अंग्रेजों के प्रति और अधिक नफरत पैदा हो गई थी। आपको बता दें कि 1857 के विद्रोह के बाद ही सन् 1858 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से भारत का शासन छीन लिया गया था और इसे ब्रिटिश क्राउन अर्थात ब्रिटेन की राजशाही के हाथों को सौंप दिया गया था।
1857 की इस लड़ाई के बाद भारत में हर तरफ आजादी पाने की क्रांति फैल गई थी और इसके बाद ही अंग्रेजों को ऐसा लगने लगा था कि वे अब ज्यादा दिन तक भारत में अपना शासन नहीं कर सकेंगे।
वहीं इस विद्रोह के बाद सन् 1885 से सन् 1905 तक राष्ट्वाद की लड़ाई हुई जिसका नेतृत्व भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय और दादाभाई नौरोजी समेत भारत के कई महान क्रांतिकारियों ने किया।
आपको बता दें इस लड़ाई का नेतृत्व करने वाले सभी क्रांतिकारी उदारवादी और राजनीतिक विचारधारा के थे, जिन्होंने शांति के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी।
हालांकि, 19 वीं सदी आते-आते अंग्रेजों का अमानवीय अत्याचार भारत की जनता पर काफी बढ़ चुका था।
जिसके चलते 19वीं सदी के अंत में लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के नाम से मशहूर लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चन्द्र पाल ने अंग्रेजों के खिलाफ कई उग्रवादी और साहसी कदम उठाए और भारतीयों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा पैदा कर सभी ने एकजुट होकर भारत में पूर्ण स्वराज्य की मांग की थी। इस दौरान बाल गंधाधर तिलक ने एक नारा भी दिया था
“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मै इसे लेकर रहूंगा
वहीं इन स्वतंत्रता सेनानियों के द्धारा देश की आजादी के लिए किए गए प्रयासों से अंग्रेजों के मन में भारतीय जनता के प्रति खौफ पैदा हो गया था।
वहीं 19 सदीं में ही सत्य और अहिंसा के पुजारी एवं भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन अहसहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोल और भारती छोड़ों आंदोलन समेत कई आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव को हिला कर रख दिया था साथ ही भारत को आजाद करवाने रास्ता आसान बना दिया और उन्होंने अंग्रेजों के पास भारत छोड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं छोड़ा था।
वहीं साल 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का गठन हुआ। और साल 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्धारा पूर्ण स्वराज की मांग की गई। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानियों, राजनेताओं और भारत की जनता ने एकजुट होकर स्वाधीनता पाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ अपना विद्रोह और अधिक तेज कर दिया।
जिसको देखते हुए ब्रिटिश संसद ने ब्रिटिश शासन को भारत में कमजोर पड़ते देख 30 जून, सन् 1948 तक लार्ड माउंटबेटन को भारत में शासन करने के लिए आदेश दिया था।
लेकिन जब अंग्रेजों ने भारतीय के अंदर उनके खिलाफ ज्वाला और उनके असहिष्णुता के स्तर को देखा, तब लार्ड माउंटबेटन ने इस आदेशित तारीख का इंतजार करने से पहले ही अगस्त 1947 में भारत छोड़ने का फैसला लिया और इतने सालों तक भारतीयों पर अत्याचार करने वाले अंग्रेजों ने भारतीयों के अदम्य साहस, हिम्मत, बहादुरी और एकजुटा के आगे अपनी हार स्वीकार कर ली। इस तरह 15 अगस्त 1947 को 0भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
हम देश के कई महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत ही आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं और गर्व से सिरा उठाकर जी रहे हैं।
निस्कर्ष
15 अगस्त के इस पावन पर्व को मुख्य रुप से स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्दांजली अर्पित करने के लिए और आज की भावी युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संघर्ष का महत्व समझाने के लिए और उनके मन में देशभक्ति एवं देश के प्रति सम्मान की भावना जगाने के लिए मनाया जाता है।
“कीमत करो अपने वीर शहीदों की
जो देश पर हुए कुर्बान
सिर्फ दो दिनों की मोहताज नहीं हैं देश भक्ति
नागरिकों की एकता ही है देश की असली पहचान।।
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