Manipur
भारत एक बहुत ही बड़ा देश है और इस बड़े देश की आबादी भी काफी है। पुरे एशिया में भारत की एक अलग पहचान है। एशिया में जितने बड़े देश है उनमे भारत का स्थान काफी ऊपर है। इस विविधता पूर्ण देश में घुमने के लिए, पर्यटन के लिए अनगिनत जगह है।
देश काफी बड़ा होने के कारण इसे अलग अलग हिस्सों में दर्शाया जाता है। देश के उत्तरी हिस्से में कई राज्य आते है और यहापर लोग ज्यादातर हिंदी में बात करते हुए दिखाई देते है। वही दूसरी और दक्षिण भारत उत्तर भारत से बिलकुल अलग है, उनकी संस्कृति, भाषा, कला उत्तर भारत से भिन्न है।
भारत का पूर्व हिस्सा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्यों की इस हिस्से में अन्य देशो की सीमा लगी है साथ ही इस प्रदेश के बहुत ही छोटे छोटे राज्य है जो की केवल इसी प्रदेश में देखने को मिलते है क्यों की देश के सभी हिस्सों में सभी राज्य बड़े बड़े है।
इसी पूर्व हिस्से में स्थित एक छोटासा लेकिन सबसे खास राज्य भी है जिसका नाम मणिपुर – Manipur है। इस राज्य को भारत का स्विट्ज़रलैंड भी कहते है। आज हम आपको इसी राज्य की जानकारी देनेवाले है। इस राज्य की भाषा, कला, संस्कृति, लोग, अन्य राज्यों से बिलकुल अलग है। इस मणिपुर राज्य की कुछ रोचक जानकरी हम आपको देने जा रहे।

मणिपुर राज्य का इतिहास और जानकारी – Manipur History Information
मणिपुर एक तरह से इस धरती का स्वर्ग ही दीखता है। कुछ लोग मणिपुर को सोने की नगरी भी कहते है। प्राकृतिक रूप से मणिपुर बहुत ही सुन्दर दीखता है। संगाई जाती का हिरण केवल मणिपुर में ही पाया जाता है और सिरोय लिली के फुल भी केवल मणिपुर के सिरोय पहाड़ी में देखने को मिलते है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मणिपुर को “ज्वेल ऑफ़ इंडिया” कहा था। मणिपुर की उत्तर दिशा में नागालैंड, दक्षिण में मिजोरम, पूर्व में म्यांमार और इसके पश्चिम में आसाम का जिला कैचर स्थित है। मणिपुर जैसे छोटे से राज्य में केवल 16 जिले स्थित है।
मणिपुर राज्य का इतिहास – History of Manipur
मणिपुर के मिति राजा का इतिहास पुयास में देखने को मिलता है कुछ लोग पुयास को पुवारिस भी कहते है। इसमें मिति लिपि में निंगथौ कंगबलोन, चिथारोल कुमबाबा, निंगथौरोल लम्बुबा, पोरेटन खूनथोकपा, पनथोईबी खोंगकुल की जानकारी दी गयी है। इस पूरी जानकारी को मिति राजा महाराजा और उनके समय के विद्वान लोगो ने लिखा है।
पहाड़ी में रहनेवाले लोगो की उनकी खुद की लोक कथाए और कहानिया होती है। अलग अलग समय में मणिपुर को अलग अलग नाम से पहचाना जाता था जैसे की तिल्ली कोकतोंग, पोरी लाम, सन्ना लीपक, मित्रबक और अभी मणिपुर।
इसकी राजधानी का नाम कंगला, युम्फाल था। आज मणिपुर की राजधानी को इम्फाल कहते है। इस राज्य के लोगो को कई तरह के नाम से बुलाया जाता है जैसे की मिति, पीरी मिति, मैती और मिति।
3500 सालों तक जीन राजा महाराजा ने इस राज्य में शासन किया उन सभी की जानकारी पुवारिस, निंगथौ, कंगबलोन, निंगथौरोल, लम्बुबा, चिथारोल, कुम्बाबा, पीरीटन ने लिखकर रखा है। सन 1955 तक इस राज्य पर 108 से भी ज्यादा राजा महाराजा ने शासन किया था।
निंगथौ कंग्बा मणिपुर के सबसे पहले राजा थे। ईसापूर्व 1129-ईसापूर्व 44 तक जब देश में किसी राजा का शासन नहीं था उस वक्त सभी तरफ़ उथल पुथल मची हुई थी। सन 1891 में खोंगजोम में एंग्लो मणिपुरी युद्ध में मिति राजा बुरी तरह से हार गए उस समय इतिहास में पहली बार मनिपुर गुलाम बन चूका था।
28 अगस्त 1947 में मणिपुर को आजादी मिल तो गयी लेकिन यह ख़ुशी लम्बे समय तक टिक नहीं सकी क्यों की 15 अक्तूबर 1949 को मणिपुर को भारत में एक राज्य के तौर पर शामिल कर लिया गया।
मणिपुर राज्य की संस्कृति – Manipur Culture
इस राज्य में कला और संस्कृति में किसी भी तरह की कमी नहीं और यह राज्य सभी तरफ़ से नीली पहाडियों से घिरा हुआ है। इस राज्य के हर इन्सान को कला और संस्कृति से काफी लगाव है और यहापर एक भी ऐसी लड़की नहीं मिलेगी जिसे गाना नहीं आता और नाचना नहीं आता।
इन लोगो के सुन्दर हैंडलूम और हस्तशिल्प देखके पता चलता है की इनकी कला कितनी समृद्ध है। यहाँ के लोग अन्धविश्वासी है लेकिन इनके धर्म और प्रथाओ में जो विश्वास है वह काफी विश्वसनीय है।
सभी धर्म और जाती के लोग कई शतको इस राज्य में शांति से रहते है। मिति जनजाति के लोग यहापर बड़ी संख्या में पाए जाते है और वे सभी घाटी में रहना पसंद करते है साथ ही नागा, कुकी, मिज़ो जनजाति के लोग पहाड़ी में रहना पसंद करते है।
यहापर हिन्दू और ख्रिश्चन धर्म के लोग अधिक संख्या में पाए जाते है लेकिन यहापर अन्य धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में पाए जाते है। यहाँ के लोगो की अपनी अपनी अलग संस्कृति है और उसपर उन्हें बड़ा नाज भी है। यहापर मितिलोन भाषा आमतौर बोली जाती है। कुछ हिस्सों में लोग हिंदी और इंग्लिश में भी बात करते है।
मणिपुरी नृत्य (रास लीला) – Manipuri Dance
मणिपुरी नृत्य को यहापर जगोई नृत्य नाम से भी जाना जाता है और यह भारत का एक महत्वपूर्ण नृत्य है और इस नृत्य को इस राज्य के नाम पर ही रखा गया है। इस रास लीला नृत्य में राधा कृष्ण के प्रेम को नृत्य के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसके अलावा भी यहापर भगवान शिव, शक्ती की प्रतिक माता पार्वती पर केन्द्रित नृत्य भी किये जाते है। इस राज्य के देवता उमंग लाई पर भी लाई हराओबा के दौरान नृत्य किये जाते है। मणिपुर का शास्त्रीय नृत्य भारत के अन्य नृत्य के तरह ही संस्कृत ग्रन्थ नाट्य शास्त्र से ही लिया गया है लेकिन मणिपुर के इस नृत्य पर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति का काफी प्रभाव देखने को मिलता है।
मणिपुर के जिले – Manipur District
- बिष्णुपुर
- चंदेल
- तमेंगलॉन्ग
- फेर्जवल
- नोनी
- कमजोंग
- जिरिबाम
- चुर्चंडपुर
- पूर्व इम्फाल
- पश्चिम इम्फाल
- सेनापति
- उखरुल
- कंगपोकपी
- तेंगनुपल
- काकचिंग
मणिपुर के त्यौहार – Manipur Festival
लुनगईनी निंगोल चाकूबा, याओशांग, गंगई, चुम्फा, चिरओबा, कंग और हिक्रू हिड़ोंगबा, ईद उल फ़ित्र, ईद उल अदा और क्रिसमस जैसे त्यौहार मणिपुर में मनाये जाते है। यहाँ के सभी त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के समय पर ही मनाये जाते है। भारत में जितने भी त्यौहार मनाये जाते है वे सभी त्यौहार मणिपुर में भी मनाये जाते है।
मणिपुर की भाषा – Manipur Language
इस राज्य के लोग मणिपुरी भाषा को मिति भाषा कहकर बुलाते है भारत सरकार ने भी इस भाषा को भारत की अहम भाषा की सूची में स्थान दिया है। मणिपुर छोटा राज्य होने के बाद भी इस राज्य की आबादी बहुत बड़ी है और पूरी दुनिया में मणिपुरी बोलनेवाले वाले 15 लाख लोग पाए जाते है।
पूर्व भारत और मणिपुर के लोग मणिपुरी भाषा में बात कर सकते है। बांग्लादेश और म्यामांर में रहने वाले लोग भी मणिपुरी में बात करते है। मणिपुर के लोग इंग्लिश और अन्य भाषा मे भी अच्छेसे बात करते है। यहापर स्कूल में बच्चो को पाच भाषाओ में पढाया जाता है। तांगखुल, कुकी, लुशाई, हमार, पैटे और थाडू जैसी भाषाओ में यहापर बच्चो को पढाया जाता है।
इस छोटेसे राज्य में पर्यटन का पुरा लुत्फ़ उठाया जा सकता है। लोकटक जैसे सुन्दर झील देखने का मौका केवल यहाँ ही मिलता है। यह झील काफी सुन्दर और मनोरम है। यहापर सभी धर्म के लोग रहते है। लेकिन सबसे खास बात यह है की यहापर हिन्दू और ख्रिश्चन धर्म के लोग अधिक संख्या में देखे जाते है।
इस राज्य की संस्कृति और इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है। इस राज्य पर कई राजा महाराजा ने शासन किया था। कहा जाता है की इस राज्य पर 108 राजा महाराजा शासन किया करते थे। इस राज्य के लोगो को नृत्य से काफी लगाव है। इस राज्य के लोगो को नाट्य में भी काफी रुची है।
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