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जानिए क्या हैं सिक्कों का इतिहास | History of Coins

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Coins

हम सभी की जिंदगी में पैसों की क्या एहमियत है ये हम सब भलीभांति जानते है। किसी भी लेन देन के लिए पैसों का उपयोग किया जाता है तभी हम अपने लिए किसी भी वस्तु को खरीद सकते है या किसी सेवा को पा सकते है। आज के समय में भुगतान के लिए तीन तरह की मुद्रा का उपयोग किया जाता है – सिक्के, नोट और तीसरी आजकल डिजिटल करेंसी यानी किसी भी वस्तु के लिए डिजिटलि भुगतान करना।

हालांकि प्राचीन काल में एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु दी जाती थी। जिसे वस्तु विनिमय कहा जाता था। लेकिन इस व्यवस्था के कारण अक्सर लोग नुकसान में ही रहते थे। जिस वजह से सिक्कों का निर्माण किया गया। सिक्के एक प्रकार की धातु होती है जिसका बाजार मूल्य उस वस्तु में लगी लगात के बराबर होता है।

लेकिन यहां पर ये भी ध्यान देना जरुरी होता है कि सिक्का किस वस्तु से बना है और उस वस्तु की मार्केट वैल्यू क्या है ? वैसे क्या आप जानते है Coins – सिक्कों का चलन कहां से शुरु हुआ और इतिहास में किस किस तरह के सिक्कों का निर्माण किया जा चुका है चलिए आपको बताते है सिक्के के दिलचस्प इतिहास – History of Coins के बारे में।

History of Coins
History of Coins

सिक्कों का इतिहास – History of Coins

तथ्यों के अनुसार प्राचीन काल में सबसे पहले सिक्कों के बनने की शुरुआत ग्रीस के क्यमें देश से हुई थी हालांकि कुछ मुद्राशास्त्रियों के अनुसार सबसे प्राचीन सिक्के एजीना देश का यूनानी सिक्का है। जो तकरीबन 700 से 550 ईसा पूर्व पुराना है। मुद्राशास्त्रियों के अनुसार प्राचीन काल में एजीना के राजा फेइडों के आदेश पर स्थानीय कारीगरों ने इन सिक्कों को गढ़ा होगा।

साथ ही उसी समय ग्रीक से वजन और माप मानकों की शुरुआत हुई थी। एजीना में गढ़े इन सिक्कों को एलेक्ट्रम कहा जाता था। प्राचीन ग्रीक एलेक्ट्रम सिक्कों में से एक सिक्का आज भी पेरिस के बिबलीओथिक नैशनल है। जिसकी तारीख 700 ईसा पूर्व के बाद की है। उस समय इन सिक्कों को ग्रीक में व्यापार करने के लिए गढ़ा गया था। ताकि व्यापार करने में आसानी हो।

यूनानी उपनिवेशकरण के बाद यूनानी मुद्रीकरण हुआ और इसका पूरा असर यूरोप के कई बड़े देश जैसे मिस्त्र, फारस, बाल्कन और सीरिया पर पड़ा। ग्रीक के एलेक्ट्रम सिक्के सोने और चांदी के मिश्रण से बनाए जाते थे। यूनान में बने वाले लिडियन सिक्के भी एलेक्ट्रम, सोने और चांदी का मिश्रित रुप ही थे। इन सिक्कों पर कोई लेख नहीं लिखा जाता था। बल्कि जानवरों की आकृति बनाई जाती थी। जिसे शिलालेख कहा जाता था।

जिन्हें अधिकतम मंदिरों के पुजारियों दारा जारी किया जाता था। एलेक्ट्रम का पहला सिक्का एशिया के कोरिया में मिला था। जिस पर लिखा था फेनोस एमी सेमा यानी मैं फोनस का बिल्ला हूं माना जाता है एलेक्ट्र के सिक्कों पर शेर, बाघ और सूर्य की रोशनी वाली छवियां हुआ करती थी।

भारत में सिक्कों का इतिहास – History of Coins in India

तथ्यों के अनुसार भारत में सिक्कों का चलन छठी शताब्दी में शुरु हुआ था उस समय इन्हें पुराण और पना भी कहा जाता था। भारत में जितने साम्राज्य हुए उतने ही अलग – अलग तरह के सिक्कों का अविष्कार हुआ यानी हर राजा के शासन काल के दौरान उस राजा द्वारा अपने साम्राज्य की प्रतिष्ठा वाले सिक्कों को चलाया गया। जिसमें गाँधार, कुटाला, सुरसेना और सुराष्ट्र शामिल है।

इन सभी के काल में बने सिक्कों पर अलग अलग तरह के चिह्न बने होते थे। इसके अलावा मौर्य साम्रज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने सोने, चांदी के अलावा तांबे और शीशे के सिक्के चलाए। कुषाण राजाओं के शासन काल के दौरान जारी किए गए सिक्कों में तस्वीरें बनकर आने लगी। इस सिक्कों पर एक तरफ राजा अपनी छवि अंकित कराते थे और दूसरी तरफ उनके ईष्ट देवी देवताओं की तस्वीरें छपी हुआ करती थी।

हालाकिं कि दिल्ली में मुगलों के आगमन के बाद सिक्कों पर से राजाओं और देवी देवताओ की तस्वीरें हटा दी गई और उसकी जगह इस्लामी कैलिग्राफी लिखी जाने लगी। इन सिक्कों को टंका कहा जाता था। इस तरह के अलग अलग मूल्य वाले कई टंका यानी सिक्के मुगलों ने बाजार में उतारें। हुमांयू को हराने के बाद जब शेरशाह सूरी ने 178 का ग्रेन्स वजन का चांदी का सिक्का जारी किया। और उसी दौरान रुपए को भारत की कैरेंसी के तौर पर मान्यता मिली।

क्योंकि रुपए का संस्कृत के शब्द रुप्यकम् से आया है जिसका मतलब होता है चांदी का सिक्का। लेकिन ब्रिटिश के आने के बाद भारत में पाउंड के आगमन की कोशिशे हुई लेकिन रुपए के प्रचलन के चलते पाउंड भारत में नहीं चल पाया। जिसके बाद ब्रिटिश ने सोने, चांदी और तांबे के सिक्कों को कैरोलिना, एंगलिना और कॉपरुन नए नाम दिए।

इसके बाद नोटों को सिक्कों से बड़ी मुद्रा के रुप में भारत में लाया गया 18वी शताब्दी के बाद कागज की मुद्रा का इस्तेमाल शुरु हो गया। और सिक्कों की एहमियत घटने लगी। हालांकि 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्के आज भी भारत में चलते है जो तांबे के बने होते है।

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