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बारिश का मौसम पर कुछ कविता | Poem on Rain

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बारिश का मौसम सबसे प्यारा मौसम और सबको खुशिया देने वाला मौसम होता हैं। इस मौसम हर किसी को गाना गाना कवितायेँ सुझती हैं। गरमा गरम चाय और पकोड़े के साथ साथ एक सुंदर सी कविता सुनने को मिल जाये तो बारिश का मजा दुगना हो जाता हैं। हम आपके खुशियों को दुगना करने के लिए हम आपके लिए कवियों ने लिखी हुयी बारिश का मौसम पर कुछ कविताये – Poem on Rain लाये हैं।

Poem on Rain

बारिश का मौसम पर कुछ कविता – Poem on Rain

Poem on Rain – 1

“आयी बरसात सुहानी”

बरसात है ऋतुओं की रानी,
चारों तरफ बरसा है पानी,
लोगों ने है छतरी तानी।।

नभ में काले बादल छाये,
नाचे मोर पंख फैलाए,
कोयल मीठे गीत सुनाये।।

झूम उठे हैं सब किसान,
सब खाएं मीठे पकवान।
सबका हो इससे कल्याण,
क्या निर्धन क्या धनवान।।

वर्षा ख़ुशहाली फैलाती है,
कुछ देने का संदेश सुनाती है।
इसे सुने हम इसे गुने हम,
वर्षा जैसा सरस् बनें हम।।

~ संतोष कुमारी वोहरा

Poem on Rain – 2

“बारिश जब आती है”

बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है,
प्यासी धरती की प्यास बुझाती है, मिटटी की भीनी सुगंध फैलाती है,
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।
भीषण गर्मी से बचाती है, शीतलता हमें दे जाती है,
मुसलाधार प्रहारों से पतझड़ को भागाती है,
बहारो का मौसम लाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है,
चारो ओर हरियाली फैलाती है,
नदियों का पानी बढाती है,
तालाबो को भर जाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है
बारिश के चलते ही खेती हो पाती है,
किसानो के होठो पे मुस्कान ये लाती है,
रिमझिम फुहारों से सुखा मिटाती है,
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।
मोरो को नचाती है,
पहाड़ो में फूल खिलाती है,
बीजो से नए पौधे उगाती है।
बारिश जब आती है, ढेरो खुशिया लाती है।।

Poem on Rain – 3

“बादल आया…”

काला-धोला, बादल आया,
संग ये अपने, बरखा लाया।
रिम-झिम का संगीत सुनाता,
खुशियों का संदेशा लाया।
जंगल महका चिड़िया चहकी,
नाचा मोरपपीहा गाया।
काला-धोला बादल आया,
वर्षा की बौछारें लाया।

~ रामशंकर चंचल

Poem on Rain – 4

“बारिश का मौसम”

बारिश का मौसम है आया।
हम बच्चों के मन को भाया।।
‘छु’ हो गई गरमी सारी।
मारें हम मिलकर किलकारी।।
काग़ज़ की हम नाव चलाएँ।
छप-छप नाचें और नचाएँ।।
मज़ा आ गया तगड़ा भारी।
आँखों में आ गई खुमारी।।
गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ।
चना चबीना खूब चबाएँ।।
गरम चाय की चुस्की प्यारी।
मिट गई मन की ख़ुश्की सारी।।
बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ।
सब मिलकर बच्चे बन जाएँ।।

Poem on Rain – 5

“सावन”

रिमझिम रिमझिम आये सावन,
भीगे धरती भीगे गगन।
धीरे धीरे हो के मगन,
नाचे मोर घर आँगन।
बरसात में बने पुढे पकौड़े,
संग इसके चाय की चुस्की में मज़े।
आओ सब नाचे गाये,
सावन की पहली मेघा की ख़ुशी मनायें।
खेत खलियान होंगे हरे भरे,
फैलेगी फ़सल खूब ,अनाज होंगे भरे भरे अनुष्का सूरी

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