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टाइटैनिक जहाज का इतिहास | Titanic Ship History

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Titanic Ship – टाइटैनिक का नाम सुनते ही सबको टाइटैनिक फ़िल्म की याद आ जाती है। दुनिया के किसी भी इन्सान को टाइटैनिक के बारे जरुर जानकारी होगी। टाइटैनिक अपने ज़माने की बहुत बड़ी जहाज हुआ करती थी। जब इस शानदार जहाज को बनाया जा रहा था तो उसके साथ में अन्य दो जहाजो को भी बनाया गया। मगर इस टाइटैनिक जहाज की बात ही कुछ और थी। यह जहाज सब जहाजो में बहुत बड़ी जहाज थी। टाइटैनिक जहाज की एक और खास बात थी की वो सबसे तेज चलने वाली जहाज थी। लेकिन यह जहाज इतनी प्रसिद्ध क्यों हुई इसके पीछे भी इतिहास है। इस जहाज की कुछ जानकरी निचे दी गयी है। तो चलिए जानते है टाइटैनिक जहाज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
Titanic Ship

टाइटैनिक जहाज का इतिहास – Titanic Ship History

‘ओलिंपिक क्लास’ वर्ग में टाइटैनिक जहाज के साथ और दो जहाजों का भी नाम शामिल है। इसका निर्माण ‘वाइट स्टार लाइन’ ने बेलफ़ास्ट के हारलैंड और वुल्फ शिपयार्ड में करवाया था। उन तीनो जहाजो में से ओलिंपिक जहाज का निर्माण 16 दिसम्बर 1908 को शुरू किया गया था और टाइटैनिक जहाज के निर्माण का काम 31 मार्च 1909 में शुरू किया गया था। यह सभी जहाजे अपने समय की सबसे भव्य और शानदार जहाजे थी। लेकिन उन सब जहाजो में टाइटैनिक जहाज सबसे बड़ी, सबसे तेज और सबसे शानदार थी।

लेकिन तीन साल के बाद में टाइटैनिक का पूरी तरह से तैयार हो गया। और साउथहैंपटन से यात्री लेकर टाइटैनिक जहाज ने 2200 यात्रियों के साथ 10 अप्रैल 1912 को अपना पहला सफ़र शुरू हो गया। उस जहाज में कई तरह के लोग थे। सभी लोग एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए अमेरिका जा रहे थे।

उनके सफ़र के दौरान पाचवे दिन टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर की और जा रहा था। 14 अप्रैल 1912 को रविवार की रात में समुन्दर काफी शांत था, और आसमान में चाँद भी नहीं था और इसलियें जहाज के कप्तान को सामने से आनेवाला बर्फ का पर्वत दूर से दिखायी नहीं दिया।

लेकिन रात में करीब 11.40 मिनट पर खतरे की घंटी बजी और टेलीफोन पर कप्तान को बताया गया की जहाज के रास्ते में एक बहुत ही बड़ा बर्फ का पर्वत खड़ा है। लेकिन जब तक यह जानकारी मिल चुकी थी तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्यों की जहाज उस वक्त किसी भी समय बर्फ से टकराने वाला था।

वो बुरी खबर सुननें के 40 सेकंड के अन्दर ही जहाज बर्फ से टकरा गया। जैसे ही जहाज बर्फ से टकरा गया उसके साथ ही जहाज में सभी तरफ़ छेद होने शुरू हो गए। टाइटैनिक के मुख्य नौसेना वास्तुकार थॉमस एंड्रू ने जहाज की बुरी हालत को देखकर जहाज के कप्तान स्मिथ को कहा की टाइटैनिक किसी भी समय डूब सकता है। जहाज के आगे के हिस्से के जो कमरे थे वो पूरी तरह से टूट चुके थे और उनमे पानी भी जा चूका था।

तीन घंटे के भीतर ही टाइटैनिक जहाज अटलान्टिक समुन्दर में डूब चूका था और वो समुन्दर के गहराई में चार किमी तक निचे चला गया था। इस दुर्घटना में करीब 1500 से भी अधिक लोग मारे गए।

टाइटैनिक जहाज के डूबने की खबर सभी तरफ़ फ़ैल गयी। इस घटना पर अनगिनत क़िताबे लिखी गयी, नाट्य और फिल्मे बनायीं गयी। इस घटना की जानकारी संग्रहालय और प्रदर्शनों के माध्यम से लोगो तक पहुचाई गयी।

टाइटैनिक के दुर्घटना को आज 100 साल से भी अधिक समय बीत चूका है। लेकिन इस टाइटैनिक को आज भी लोग याद करते है। जिस दिन वो दुर्घटना हुई उस दिन को कोई नहीं भूल सकता। 14 अप्रैल 1912 का वो दिन इतिहास में दुखद दिन माना जाता है। उस काली रात में कई लोगो को अपनी जान खोनी पड़ी। उस रात 1500 से भी अधिक लोग मारे गए। इस घटना पर हजारों क़िताबे लिखी गयी। अगर किसी को इतिहास में रुची हो तो वो इन किताबो में से टाइटैनिक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकता है।

Read More:

  1. Kohinoor Diamond History In Hindi
  2. Seven wonders of the world

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