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मोहन जोदड़ो का इतिहास | Mohenjo-daro History

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Mohenjo-daro – मोहन जोदड़ो एक बहुत ही मशहूर जगह है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आती है। इस जगह पर सिंधु संस्कृति के कुछ अवशेष पाए गए है। दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से मोहन जोदड़ो एक है। सिंधु संस्कृति के सबसे बड़े शहरों में मोहन जोदड़ो का नाम शामिल किया जाता है। सिंधु संस्कृति को हरप्पा संस्कृति नाम से भी पहचाना जाता है। सिंधु संस्कृति के मुख्य शहरों में मोहन जोदड़ो, लोथल, कालीबंगन, धोलावीरा और राखिगढ़ी आते है।
Mohenjo-daro

मोहन जोदड़ो का इतिहास – Mohenjo-daro History

1911 में पहली बार पुरातत्ववादी लोगों ने मोहन जोदड़ो की जगह को भेट दी। उसके बाद वहापर खुदाई का काम शुरू हुआ। पहली खुदाई 1920 में शुरू हुई और वो 1931 तक चलती रही। 1921 में मोहन जोदड़ो शहर के अवशेष पाए गए। और इसे देखकर सब हैरान हो गए। बाद में फिर 1950 से 1964 तक खुदाई का काम जारी रहा।

पुरातत्व के सबूतों से कहा जा सकता है की ईसापूर्व 2500 (5000 साल पहले) के दौरान मोहन जोदड़ो का बहुत विकास हुआ था। उस समय के लोग शहरों में रहा करते थे और हजारो सालो तक इनकी संस्कृति और लोग जिन्दा थे।

उस पुरे शहर को मिट्टी के ढेरो पर निर्माण की गयी थी जिसकी वजह से शहर जमीन की उचाई से बहुत ऊपर थी। शहर का इलाका पुरे 250 एकर पर फैला हुआ था। इसका मतलब इतना बड़ा शहर ईसापूर्व 2500 से 1900 के समय हुआ करता इस पर कोई विश्वास भी नहीं कर सकता।

खुदाई में ऐसा भी सामने आया है की नहाने की जगह और बड़ी इमारते जो शहर के नजदीक में ही थी वो मिट्टी के ढेरो के सबसे उपरी हिस्से में पाई गयी।

लेकिन इतनी अच्छी और विकसित संस्कृति हमारे लोगों को अबतक मालूम ही नहीं थी। उन लोगों का इतना बड़ा विकास होने के पीछे दो मुख्य कारण थे। उन दो बातो के कारण ही उन लोगों ने बहुत तरक्की कर ली थी।

उनके पास अच्छी जमीन थी जो सिंधु नदी के किनारे पर आसानी से मिल जाती थी। और रही दूसरी बात उनका व्यापार। वो मेसापोटामिया लोगों के साथ व्यापर करते थे।

उन लोगों के शहरो की बात की जाए तो हमें पता चलता है की उनकी हर बात में अच्छी रणनीति अपनाई जाती थी। जैसे की उनके रस्ते देखे तो वो बडे ही नियमो के अनुसार बनाए जाते थे। और शहरों से खराब पानी बाहर निकाला जाता था।

इन सब बातो से साबित होता है की उनके पास नियोजन कला का ज्ञान था और वो जल का भी अच्छे से इस्तेमाल करते थे। लेकिन आगे तीसरी सहस्राब्दी के दौरान इस शहर में कौन लोग रहते थे इसका जवाब आज भी किसी के पास नहीं।

मोहन जोदड़ो की मुख्य विशेषताए – The main feature of Mohenjo Daro

इस मोहन जोदड़ो शहर की जब खुदाई की गयी तब एक खास बात सामने आयी की यहापर कोई महल, मंदिर और स्मारक के निशान नहीं पाए गए। इतिहास ने हमें जो सबूत दिए उनसे एक बात सामने आती है की मोहन जोदड़ोमें कोई राजा, रानी या किसी सरकार का अस्तित्व ही नहीं था। यहाँ के लोग शासन, विनम्रता और स्वछता को अधिक पसंद करते थे इसके ठोस सबूत भी इतिहास में मिलते है। शिल्प और बर्तनों पर बने पैमाने पर मिट्टी, तांबा और पत्थरो का भी इस्तेमाल किया जाता था।

मूल्यवान कलाकृति – Mohenjo Daro Valuable artwork

इस शहर की खुदाई के दौरान कई सारी मुर्तिया मिली है जिसमे एक प्रसिद्ध नाचती हुई लड़की की कांस्य की मूर्ति पाई गयी और साथ में कुछ पुरुषो की भी मुर्तिया मिली। वो सभी पुरुषो की मुर्तिया पर नक्काशी का काम किया गया है वो सभी रंगीन है। कुछ का मानना है की पुरुष की मूर्ति राजा की है तो दुसरो का मानना है वो मूर्तिकला और धातु विज्ञान की परिपक्वता है।

युग की समाप्ति – Mohenjo Daro Civilization End

इतिहास भी आज तक किसी नतीजे पर पहुच नहीं पाया की ऐसे महान शहर का अंत कैसा हुआ। इस शहर का अंत क़ुदरत के संकट जैसे की बाढ़ से हुआ या किसी भूचाल से। या फिर दुसरे देश के लोगों ने इस शहर पर आक्रमण करके यहाँ के सभी लोगों का खात्मा तो नहीं किया।

इन सारे सवालों के जवाब इतिहास के पास भी मौजूद नहीं। इतने पुराने ज़माने में भी ऐसा विकसित शहर हुआ करता था यह सबके लिए आश्चर्य की बात है।

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