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भुवनेश्वर के राजारानी मंदिर का इतिहास | Rajarani Temple History

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Rajarani Temple – राजारानी मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। इस हिन्दू मंदिर का निर्माण 11 वि शताब्दी में हुआ। ऐसा माना जाता है की मूलरूप से इसे इन्द्रेस्वरा नाम से जाना जाता है। स्थानीय रूप में इसे “प्रेम मंदिर” से जानते है क्यु की मंदिर में महिला और जोड़ो की कामुक नक्काशी दिखाई देती है।
Rajarani Temple

भुवनेश्वर के राजारानी मंदिर का इतिहास – Rajarani Temple History

विभिन्न इतिहासकार इस मंदिर का निर्माण 11 और 12 वी शताब्दी के बिच में बताते है जिस वक्त पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर बनाया गया। मूर्तियों की वास्तुकला शैली के आधार पर ये मंदिर मध्य 11 वी शताब्दी का है।

इस मंदिर का नाम राजारानी इसलिए है क्यु की मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल की गयी स्थानीय पत्थरों के नाम से पढ़ा है। मंदिर में किसी देवता की मूर्ति नहीं लेकिन इसके मजबूत शैव संघ और शिव और पत्नी पार्वती की मंच पर होने की और द्वारपालों की होने की सम्भावना मूर्तियों से मिलती है।

मध्य भारत के अन्य मंदिर की स्थापत्य कला इस मंदिर से उत्पन्न हुई है। भारतीय पुरातत्व विभाग राजारानी मंदिर की टिकिट युक्त स्मारक के रूप में देखभाल करता है।

राजारानी मंदिर की वास्तुकला – Rajarani Temple Architecture

राजारानी मंदिर दो संरचनाओ में उचे मंच पर पंचरथ शैली में बनाया गया है, मध्य के मंदिर को विमान कहते है जिसके ऊपर 18 मीटर (59फूट) की उचाई पर बड़ा है, और एक पिरामिड की छत का देखने का हॉल है जिसे “जगमोहन” कहते है।

“राजारानी” नामक स्थानीय लाल और पीले पत्थरो से मंदिर बनाया गया। यहाँ किसी पवित्र देवता की मूर्ति नहीं और इसलिए ये हिन्दू के किसी विशिष्ट संप्रदाय से सम्बंधित नहीं लेकिन बड़े तौर पर शैव पंथियों का मंदिर माना जाता है।

ऐसा माना जाता है की मध्य भारत के अन्य मंदिरोंकी वास्तुकला इस मंदिर से ही ली गयी विशेष रूप से खजुराहो मंदिर और कड़वा का तोतेस्वारा महादेव मंदिर।

मंदिर की दीवारों में सभी तरफ़ मुर्तिया है और विमान जो शिव नटराज और पार्वती के विवाह के दृश्य दर्शाता है और जिसमे उची और पतली नायिकाये अलग अलग भूमिकाये निभाती हुई दिखाई देती है जैसे की क्शिनित सन्यासी की दूसरी तरफ़ सर फिरती हुई, किसी पेड़ की शाखा को पकडती हुई, पालतू पक्षियों की देखभाल करती हुई अपने बच्चों को प्यार करती हुई, शौचालय में जाती हुई, आईने में देखते हुई, और संगीत के वाद्य के साथ खेलती हुई दिखाई देती है।

भारतीय पुरातत्व विभाग राजारानी मंदिर की टिकिटयुक्त स्मारक के रूप में देखभाल करता है।

राजारानी मंदिर के त्यौहार – Rajarani Temple Festival

हर साल 18 से 20 जनवरी तक ओडिशा सरकार का पर्यटन विभाग इस मंदिर में राजारानी संगीत समारोह का आयोजन करता है। मंदिर शास्त्रीय संगीत पर विशेष रूप से ध्यान देता है अन्य तीन शास्त्रीय संगीतो पर भी जैसे की हिन्दुस्तानी, कार्नाटिक और ओडिसी संगीत को भी बराबर महत्व देता है।

इस तीन के त्यौहार में देश के विभिन्न भागों में से संगीतकार आते है और अपना प्रदर्शन करते है। भुवनेश्वर संगीत मंडल की सहायता से 2003 में ये उत्सव शुरू हुआ।

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